सामर्थ के साथ कैसे प्रार्थना करें
परिचय
हमारे चर्च में से एक व्यक्ति ने मुझे फोन किया। वह चाहते थे कि मैं जाकर उनकी पत्नी के लिए प्रार्थना करुं जिन्हें अचानक से अस्पताल में एक ऑपरेशन के लिए भरती किया गया था।
ऐसा हुआ कि, नजदीक में ही मुझे अपने कंधे पर इंजेक्शन लेने के लिए जाना था। लगभग दो वर्षों से मेरे "कंधे अकड़ गए" थे। किंतु, पिछले कुछ दिनों में, यह अचानक से बेहतर हो गए थे। मैंने इस बात को सलाहकार को बताया। उन्होंने मेरी ओर देखा और कहा, "यह एक चमत्कार है!" मैंने कहा, "क्या अकड़े हुए कंधे अचानक बेहतर नहीं होते:" बार –बार उन्होंने दोहराया, "नहीं, यह एक चमत्कार है।" यहाँ पर एक सांसारिक डॉक्टर थे जो विश्वासहीन पास्टर को मनाने की कोशिश कर रहे थे कि जो हुआ था उसे केवल परमेश्वर की दैवीय सामर्थ के द्वारा समझाया जा सकता है!
मैंने उनका बहुत धन्यवाद दिया मेरे विश्वास को उठाने के लिए, जैसे ही मैं जाकर अस्पताल में प्रार्थना करने वाला था। जैसे ही मैं गलियारे से चलकर जा रहा था, मैं अस्पताल के एक कुली के पास से गुजरा जो यह गीत गा रहा था (थोड़ी जोर से!), "बीमारों पर हाथ रखो और वे चंगे हो जाएँगे।" मैंने कहा, "मैं यही करने जा रहा हूँ।" वह बहुत ही चकित और हैरानी से देखने लगा। निश्चित ही उसने नहीं सोचा था कि मैं उस तरह का व्यक्ति दिखाई देता था जो इस बात पर विश्वास करे।
मैं सीढीयों से ऊपर गया महिला के लिए प्रार्थना करने के लिए और समझाया कि क्यों मेरा विश्वास इतना ऊँचा उठ रहा था। फिर उन्होंने कहा कि वह याकूब 5 (आज के लिए हमारा लेखांश) पढ़ रही थी, जो कहता है, "यदि तुम में कोई रोगी है, तो कलीसिया के प्राचीनों को बुलाए, और वे प्रभु के नाम में प्रार्थना करें... और विश्वास की प्रार्थना के द्वारा रोगी बच जाएगा " (याकूब 5:14-15)। अब तक परमेश्वर ने मुझे विश्वास में प्रार्थना करने के कई चिह्न दिए हैं। पवित्र आत्मा महान सामर्थ से उन पर उतरे। वह तुरंत चंगी नहीं हुई (यद्यपि वह अभी बेहतर हैं), लेकिन इसने मुझे "विश्वास की प्रार्थना" के विषय में एक बड़ी समझ दी।
"हमारी प्रार्थनाएँ मार्ग बिछाती हैं जिस पर से परमेश्वर की सामर्थ आ सकती है। एक शक्तिशाली रेलवे इंजिन की तरह, उनकी सामर्थ को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन पटरी के बिना यह हम तक नहीं पहुँच सकती है, " वॉचमैन नी ने लिखा।
तो हम कैसे सामर्थ के साथ प्रार्थना कर सकते हैं:
भजन संहिता 130:1-8
आरोहण गीत।
130हे यहोवा, मैं गहन कष्ट में हूँ
सो सहारा पाने को मैं तुम्हें पुकारता हूँ।
2 मेरे स्वामी, तू मेरी सुन ले।
मेरी सहायता की पुकार पर कान दे।
3 हे यहोवा, यदि तू लोगों को उनके सभी पापों का सचमुच दण्ड दे
तो फिर कोई भी बच नहीं पायेगा।
4 हे यहोवा, निज भक्तों को क्षमा कर।
फिर तेरी अराधना करने को वहाँ लोग होंगे।
5 मैं यहोवा की बाट जोह रहा हूँ कि वह मुझको सहायता दे।
मेरी आत्मा उसकी प्रतीक्षा में है।
यहोवा जो कहता है उस पर मेरा भरोसा है।
6 मैं अपने स्वामी की बाट जोहता हूँ।
मैं उस रक्षक सा हूँ जो उषा के आने की प्रतीक्षा में लगा रहता है।
7 इस्राएल, यहोवा पर विश्वास कर।
केवल यहोवा के साथ सच्चा प्रेम मिलता है।
यहोवा हमारी बार—बार रक्षा किया करता है।
8 यहोवा इस्राएल को उनके सारे पापों के लिए क्षमा करेगा।
समीक्षा
ईमानदारी से प्रार्थना कीजिए
क्या आपने कभी महसूस किया कि आप निराशा की गहराई में थे: क्या आपने महसूस किया कि "आपके जीवन का आधार गिर गया है" (व.1, एम.एस.जी): भजनसंहिता के लेखक कहते हैं, " हे यहोवा मैं ने गहरे स्थानों में से तुझ को पुकारा है! हे प्रभु, मेरी सुन! तेरे कान मेरे गिड़गिड़ाने की ओर ध्यान से लगे रहे" (वव.1-2)।
आपकी प्रार्थनाएँ और परमेश्वर की दया एक कुँए में दो बाल्टी की तरह है। जब एक ऊपर जाता है, तब दूसरा नीचे आता है।
इस प्रार्थना के विषय में एक सच्ची निराशा है। आपकी स्थिती की कठिनाईयों को छिपाने की कोशिश मत करिए, बल्कि इसके बजाय सहायता के लिए परमेश्वर पर अपनी निर्भरता को पहचानिए।
परमेश्वर की दया और क्षमा पर भरोसा कीजिएः " हे यहोवा, यदि तू बुराई के कामों का लेखा ले, तो हे प्रभु, कौन खड़ा रह सकेगा: परन्तु तू क्षमा करने वाला है" (व.3-4अ, एम.एस.जी)।
यदि परमेश्वर आपकी गलतियों का लेखा नहीं रखते हैं, तो आपको भी अपने विरूद्ध दूसरों की गलतियों का "लेखा" नहीं रखना चाहिए। प्रेम "गलतियों का लेखा नहीं रखता है" (1कुरिंथियो 13:5)।
परमेश्वर के पास जाने से पहले आपको अपने जीवन को सही करने की आवश्यकता नहीं है। वह आपके हृदय की पुकार को सुनना चाहते हैं।
स्थिति चाहे कितनी निराशाजनक हो, आप आश्वस्त हो सकते हैं कि सहायता परमेश्वर की ओर से मिलेगी (भजनसंहिता 130:6)। अपने निवेदन को परमेश्वर के सामने लाईये। धीरज के साथ इंतजार कीजिए (व.5) और उनके असफल न होने वाले प्रेम पर भरोसा कीजिए (व.7)।
प्रार्थना
याकूब 5:1-20
स्वार्थी धनी दण्ड के भागी होंगे
5हे धनवानो सुनो, जो विपत्तियाँ तुम पर आने वाली हैं, उनके लिए रोओ और ऊँचे स्वर में विलाप करो। 2 तुम्हारा धन सड़ चुका है। तुम्हारी पोशाकें कीड़ों द्वारा खा ली गई हैं। 3 तुम्हारा सोना चाँदी जंग लगने से बिगड़ गया है। उन पर लगी जंग तुम्हारे विरोध में गवाही देगी और तुम्हारे मांस को अग्नि की तरह चट कर जाएगी। तुमने अपना खज़ाना उस आयु में एक ओर उठा कर रख दिया है जिसका अंत आने को है। 4 देखो, तुम्हारे खेतों में जिन मज़दूरों ने काम किया, तुमने उनका मेहनताना रोक रखा है। वही मेहनताना चीख पुकार कर रहा है और खेतों में काम करने वालों की वे चीख पुकारें सर्वशक्तिमान प्रभु के कानों तक जा पहुँची हैं।
5 धरती पर तुमने विलासपूर्ण जीवन जीया है और अपने आपको भोग-विलासों में डुबोये रखा है। इस प्रकार तुमने अपने आपको वध किए जाने के दिन के लिए पाल-पोसकर हृष्ट-पुष्ट कर लिया है। 6 तुमने भोले लोगों को दोषी ठहराकर उनके किसी प्रतिरोध के अभाव में ही उनकी हत्याएँ कर डाली।
धैर्य रखो
7 सो भाईयों, प्रभु के फिर से आने तक धीरज धरो। उस किसान का ध्यान धरो जो अपनी धरती की मूल्यवान उपज के लिए बाट जोहता रहता है। इसके लिए वह आरम्भिक वर्षा से लेकर बाद की वर्षा तक निरन्तर धैर्य के साथ बाट जोहता रहता है। 8 तुम्हें भी धैर्य के साथ बाट जोहनी होगी। अपने हृदयों को दृढ़ बनाए रखो क्योंकि प्रभु का दुबारा आना निकट ही है। 9 हे भाईयों, आपस में एक दूसरे की शिकायतें मत करो ताकि तुम्हें अपराधी न ठहराया जाए। देखो, न्यायकर्त्ता तो भीतर आने के लिए द्वार पर ही खड़ा है।
10 हे भाईयों, उन भविष्यवक्ताओं को याद रखो जिन्होंने प्रभु के लिए बोला। वे हमारे लिए यातनाएँ झेलने और धैर्यपूर्ण सहनशीलता के उदाहरण हैं। 11 ध्यान रखना, हम उनकी सहनशीलता के कारण उनको धन्य मानते हैं। तुमने अय्यूब के धीरज के बारे में सुना ही है और प्रभु ने उसे उसका जो परिणाम प्रदान किया, उसे भी तुम जानते ही हो कि प्रभु कितना दयालु और करुणापूर्ण है।
सोच समझ कर बोलो
12 हे मेरे भाईयों, सबसे बड़ी बात यह है कि स्वर्ग की अथवा धरती की या किसी भी प्रकार की कसमें खाना छोड़ो। तुम्हारी “हाँ”, हाँ होनी चाहिए, और “ना” ना होनी चाहिए। ताकि तुम पर परमेश्वर का दण्ड न पड़े।
प्रार्थना की शक्ति
13 यदि तुम में से कोई विपत्ति में पड़ा है तो उसे प्रार्थना करनी चाहिए और यदि कोई प्रसन्न है तो उसे स्तुति-गीत गाने चाहिए। 14 यदि तुम्हारे बीच कोई रोगी है तो उसे कलीसिया के अगुवाओं को बुलाना चाहिए कि वे उसके लिए प्रार्थना करें और उस पर प्रभु के नाम में तेल मलें। 15 विश्वास के साथ की गई प्रार्थना से रोगी निरोग होता है। और प्रभु उसे उठाकर खड़ा कर देता है। यदि उसने पाप किए हैं तो प्रभु उसे क्षमा कर देगा।
16 इसलिए अपने पापों को परस्पर स्वीकार और एक दूसरे के लिए प्रार्थना करो ताकि तुम भले चंगे हो जाओ। धार्मिक व्यक्ति की प्रार्थना शक्तिशाली और प्रभावपूर्ण होती है। 17 नबी एलिय्याह एक मनुष्य ही था ठीक हमारे जैसा। उसने तीव्रता के साथ प्रार्थना की कि वर्षा न हो और साढ़े तीन साल तक धरती पर वर्षा नहीं हुई। 18 उसने फिर प्रार्थना की और आकाश में वर्षा उमड़ पड़ी तथा धरती ने अपनी फसलें उपजायीं।
एक आत्मा की रक्षा
19 हे मेरे भाईयों, तुम में से कोई यदि सत्य से भटक जाए और उसे कोई फिर लौटा लाए तो उसे यह पता होना चाहिए कि 20 जो किसी पापी को पाप के मार्ग से लौटा लाता है वह उस पापी की आत्मा को अनन्त मृत्यु से बचाता है और उसके अनेक पापों को क्षमा किए जाने का कारण बनता है।
समीक्षा
सभी परिस्थितियों में प्रार्थना कीजिए
हमारे जीवन में परमेश्वर की सामर्थ के लिए एक अड़चन हो सकती है, परमेश्वर के अलावा चीजों पर भरोसा करना। कुछ तरीको में, विश्वास और धन, तेल और पानी की तरह है। उन्हें मिलाना कठिन है और अक्सर यह साथ नहीं जाते हैं।
पैसा होना अपने आपमें गलत बात नहीं है। लेकिन संपत्ति को रखने में बहुत से आत्मिक खतरे हैं – अक्खड़पन, लालच, अतिसेवन और दूसरों की जरुरतों पर ध्यान नहीं देना (वव.1-6)।
धनवान के लिए सबसे बड़ा खतरा (जिसमें शायद से आज पश्चिम में हममें से बहुत से लोग शामिल हैं) यह है कि हम परमेश्वर के बजाय, धन पर भरोसा करते हैं (1तीमुथियुस 6:17)। ऐसा क्यों है कि विश्व के गरीब भागों में चंगाई के बहुत से चमत्कार दिखाई देते हैं: शायद से धन विश्वास के लिए एक संभव्तय: अड़चन है, जो हमसे गलत स्थान में हमारा विश्वास रखवाता है। आप उनमें आशा रखने के लिए बुलाए गए हैं जो आपकी सारी जरुरतों को पूरा करते हैं इसलिए सारी परिस्थितियों में प्रार्थना कीजिए।
इस पत्र को पढ़ने वाले स्पष्ट रूप से कठिन समय से गुजर रहे हैं। याकूब उन्हें उत्साहित करते हैं कि "धीरज रखो और दृढ खडे रहो" (याकूब 5:8)। वह अय्यूब का उदाहरण देते हैं जो कष्ट के सामने धैर्यवान थे और बने रहे (व.11अ)। वह उन्हें स्मरण दिलाते हैं कि "परमेश्वर करुणा और दया से भरे हुए हैं" (व.11ब)।
सभी परिस्थितियों में प्रार्थना कीजिएः
1. यदि आपको चोट पहुँची है
"यदि तुम में कोई दुःखी है, तो वह प्रार्थना करे" (व.13अ)।
ऐसा कहा जाता है कि "हममें से बहुतों को प्रार्थना करने में बहुत परेशानी होती है जब हम छोटी सी परेशानी में होते हैं, लेकिन प्रार्थना करने में कम परेशानी होती है जब हम बड़ी परेशानी में होते हैं।"
2. जब आप आनंदित हैं
"यदि आनन्दित हैं, तो वह स्तुति के भजन गाएं" (व.13ब)।
सेंट अगस्टाईन ने कहा, "आपका विचार एक व्यक्ति को इतना उत्साहित करता है कि जब तक वे स्तुति न करे वे संतुष्ट नहीं होते।"
3. यदि आप बीमार हैं
"यदि तुम में कोई रोगी है, तो कलीसिया के प्राचीनों को बुलाएं..." (व.14)।
निश्चित ही, परमेश्वर अक्सर मेडिकल प्रोफेशन की सहायता से चंगा करते हैं। लेकिन आज आशा कीजिए कि परमेश्वर चमत्कारी रूप से चंगा करेंगे
4. यदि आपने पाप किया है
पाप और बीमारी के बीच कोई सीधी कड़ी नहीं है। किंतु, हम संभावनों को अलग नहीं कर सकते हैं। यहाँ पर याकूब कहते हैं, " यदि उसने पाप भी किए हों, तो उन की भी क्षमा हो जाएगी। इसलिये तुम आपस में एक दूसरे के सामने अपने – अपने पापों को मान लो, और एक दूसरे के लिये प्रार्थना करो, जिस से चंगे हो जाओ" (वव.15ब -16)।
एक दूसरे के सामने अपने पाप मान लेना और एक दूसरे के लिए प्रार्थना करना चंगाई और सुधार प्रक्रिया में सहायता करता है। जब हमारे जीवन में चीजों को अंधेरे में रखा जाता है तो उनमें विनाशकारी सामर्थ हो सकती है। जब हम उन्हें प्रकाश में बाहर ला देते हैं, हम मुक्त हो जाते हैं। इसका यह अर्थ नहीं है कि हमें संपूर्ण विश्व को यह बताने की आवश्यकता है। लेकिन, आपको कम से कम एक ऐसे व्यक्ति को खोजना है जिस पर आप भरोसा कर सकते हैं और जिसके साथ आप पूरी तरह से ईमानदार और खुले हो सकते है और अपना बोझ हल्का कर सकते हैं।
प्रार्थना शक्तिशाली और प्रभावी है। एलिय्याह के उदाहरण को देखने के द्वारा याकूब जोर देकर इस बात को कहते हैं। उन्होंने अपनी प्रार्थना के द्वारा मौसम को नियंत्रित किया, अकाल को लाकर और इसे समाप्त करते हुए, और फिर भी याकूब कहते हैं कि "वह हमारी ही तरह एक मनुष्य था" (व.17)। दूसरे शब्दों में, जो कुछ एलिय्याह कर सके, आप कर सकते हैं!
प्रार्थना
यहेजकेल 40:1-49
नया मन्दिर
40हम लोगों को बन्दी के रूप में ले जाए जाने के पच्चीसवें वर्ष में, वर्ष के आरम्भ में (अकटूबर) महीने के दसवें दिन, यहोवा की शक्ति मुझमें आई। बाबुल वासियों द्वारा इस्राएल पर अधिकार करने के चौदहवें वर्ष का यह वही दिन था। दर्शन में यहोवा मुझे वहाँ ले गया।
2 दर्शन में परमेश्वर मुझे इस्राएल देश ले गया। उसने मुझे एक बहुत ऊँचे पर्वत के समीप उतारा। पर्वत पर एक भवन था जो नगर के समान दिखता था। 3 यहोवा मुझे वहाँ ले आया। वहाँ एक व्यक्ति था जो झलकाये गये काँसे की तरह चमकता हुआ दिखता था। वह व्यक्ति एक कपड़े नापने का फीता और नापने की एक छड़ अपने हाथ में लिये था। वह फाटक से लगा खड़ा था। 4 उस व्यक्ति ने मुझसे कहा, “मनुष्य के पुत्र, अपनी आँख और अपने कान का उपयोग करो। इन चीजों पर ध्यान दो और मेरी सुनों। जो मैं तुम्हें दिखाता हूँ उस पर ध्यान दो। क्यों क्योंकि तुम यहाँ लाए गए हो, अत: मैं तुम्हें इन चीजों को दिखा सकता हूँ। तुम इस्राएल के परिवार से वह सब बताना जो तुम यहाँ देखो।”
5 मैंने एक दीवार देखी जो मन्दिर के बाहर चारों ओर से घेरती थी। उस व्यक्ति के हाथ में चीजों को नापने की एक छड़ थी। यह एक बालिश्त और एक हाथ लम्बी थी। अत: उस व्यक्ति ने दीवार की मोटाई नापी। वह एक छड़ मोटी थी। उस व्यक्ति ने दीवार की ऊँचाई नापी। यह एक छड़ ऊँची थी।
6 तब व्यक्ति पूर्वी द्वार को गया। वह व्यक्ति उसकी पैड़ियों पर चढ़ा और फाटक की देहली को नापा। यह एक छड़ चौड़ी थी। 7 रक्षकों के कमरे एक छड़ लम्बे और एक छड़ चौड़े थे। कमरों के बीच के दीवारों की मोटाई पाँच हाथ थी। भीतर की ओर फाटक के प्रवेश कक्ष के बगल में फाटक की देहली एक छड़ चौड़ी थी। 8 तब उस व्यक्ति ने मन्दिर से लगे फाटक के प्रवेश कक्ष को नापा। 9 यह एक छड़ चौड़ा था। तब उस व्यक्ति ने फाटक के प्रवेश कक्ष को नापा। यह आठ हाथ था। उस व्यक्ति ने फाटक के द्वार—स्तम्भों को नापा। हर एक द्वार स्तम्भ दो हाथ चौड़ा था। प्रवेश कक्ष का दरवाजा भीतर को था। 10 फाटक के हर ओर तीन छोटे कमरे थे। ये तीनों छोटे कमरे हर ओर से एक नाप के थे। दोनों ओर के द्वार स्तम्भ एक नाप के थे। 11 उस व्यक्ति ने फाटक के दरवाजें की चौड़ाई नापी। यह दस हाथ चौड़ी और तेरह हाथ चौड़ी थी। 12 हर एक कमरे के सामने एक नीची दीवार थी। यह दीवार एक हाथ ऊँची और एक हाथ मोटी थी। कमरे वर्गाकार थे और हर ओर से छ: हाथ लम्बे थे।
13 उस व्यक्ति ने फाटक को एक कमरे की छत से दूसरे कमरे की छत तक नापा। यह पच्चीस हाथ था। एक द्वार दूसरे द्वार के ठीक विपरीत था। 14 उस व्यक्ति ने प्रवेश कक्ष को भी नापा। यह बीस हाथ चौड़ा था। प्रवेश कक्ष के चारों ओर आँगन था। 15 प्रवेश कक्ष का फाटक पूरे बाहर की ओर से, फाटक के भीतर तक नाप से पचास हाथ था। 16 रक्षकों के कमरों में चारों ओर छोटी खिड़कियाँ थी। छोटे कमरों में द्वार—स्तम्भों की ओर भीतर को खिड़कियाँ अधिक पतली हो गई थीं। प्रवेश कक्ष में भी भीतर के चारों ओर खिड़कियाँ थीं। हर एक द्वार स्तम्भ पर खजूर के वृक्ष खुदे थे।
बाहर का आँगन
17 तब वह व्यक्ति मुझे बाहरी आँगन में लाया। मैंने कमरे और पक्के रास्ते को देखा। वे आँगन के चारों ओर थे। पक्के रास्ते पर सामने तीस कमरे थे। 18 पक्का रास्ता फाटक की बगल से गया था। पक्का रास्ता उतना ही लम्बा था जितने फाटक थे। यह नीचे का रास्ता था। 19 तब उस व्यक्ति ने नीचे फाटक के सामने भीतर की ओर से लेकर आँगन की दीवार के सामने भीतर की ओर तक नापा। यह सौ हाथ पूर्व और उत्तर में था।
20 उस व्यक्ति ने बाहरी आँगन, जिसका सामना उत्तर की ओर है, के फाटक की लम्बाई और चौड़ाई को नापा। 21 इसके हर एक ओर तीन कमरे हैं। इसके द्वार स्तम्भों और प्रवेश कक्ष की नाप वही थी जो पहले फाटक की थी। फाटक पचास हाथ लम्बा और पच्चीस हाथ चौड़ा था। 22 इसकी खिड़कियाँ इसके प्रवेश कक्ष और इसकी खजूर के वृक्षों की नक्काशी की नाप वही थी जो पूर्व की ओर मुखवाले फाटक की थी। फाटक तक सात पैड़ियाँ थी। फाटक का प्रवेश कक्ष भीतर था। 23 भीतरी आँगन में उत्तर के फाटक तक पहुँचने वाला एक फाटक था। यह पूर्व के फाटक के समान था। उस व्यक्ति ने एक फाटक से दूसरे तक नापा। यह एक फाटक से दूसरे तक सौ हाथ था।
24 तब वह व्यक्ति मुझे दक्षिण की ओर ले गया। मैंने दक्षिण में एक द्वार देखा। उस व्यक्ति ने द्वार—स्तम्भों और प्रवेश कक्ष को नापा। 25 वे नाप में उतने ही थे जितने अन्य फाटक। मुख्य द्वार पचास हाथ लम्बे और पच्चीस हाथ चौड़े थे। 26 सात पैड़ियाँ इस फाटक तक पहुँचाती थीं। इसका प्रवेश कक्ष भीतर को था। हर एक ओर एक—एक द्वार—स्तम्भ पर खजूर की नक्काशी थी। 27 भीतरी आँगन की दक्षिण की ओर एक फाटक था। उस व्यक्ति ने दक्षिण की ओर एक फाटक से दूसरे फाटक तक नापा। यह सौ हाथ चौड़ा था।
भीतरी आँगन
28 तब वह व्यक्ति मुझे दक्षिण फाटक से होकर भीतरी आँगन में ले गया। दक्षिण के फाटक की नाप उतनी ही थी जितनी अन्य फाटकों की। 29 दक्षिण फाटक के कमरे, द्वार—स्तम्भ और प्रवेश कक्ष की नाप उतनी ही थी जितनी अन्य फाटकों की थी। खिड़कियाँ, फाटक और प्रवेश कक्ष के चारों ओर थी। फाटक पचास हाथ लम्बा और पच्चीस हाथ चौड़ा था। उसके चारों ओर प्रवेश कक्ष थे। 30 प्रवेश कक्ष पच्चीस हाथ लम्बा और पाँच हाथ चौड़ा था। 31 दक्षिण फाटक के प्रवेश कक्ष का सामना बाहरी आँगन की ओर था। इसके द्वार—स्तम्भों पर खजूर के पेड़ों की नक्काशी थी। इसकी सीढ़ी की आठ पैड़ियाँ थीं।
32 वह व्यक्ति मुझे पूर्व की ओर के भीतरी आँगन में लाया। उसने फाटक को नापा। उसकी नाप वही थी जो अन्य फाटकों की। 33 पूर्वी द्वार के कमरे, द्वार—स्तम्भ और प्रवेश कक्ष के नाप वही थे जो अन्य फाटकों के। फाटक और प्रवेश कक्ष के चारों ओर खिड़कियाँ थीं। पूर्वी फाटक पचास हाथ लम्बा और पच्चीस हाथ चौड़ा था। 34 इसके प्रवेश कक्ष का सामना बाहरी आँगन की ओर था। हर एक ओर के द्वार—स्तम्भों पर खजूर के पेड़ों की नक्काशी थी। इसकी सीढ़ी में आठ पैड़ियाँ थीं।
35 तब वह व्यक्ति मुझे उत्तरी द्वार पर लाया। उसने इसे नापा। इसकी नाप वह थी जो अन्य फाटकों की अर्थात 36 इसके कमरों, द्वार—स्तम्भों और प्रवेश कक्ष की। फाटक के चारों ओर खिड़कियाँ थीं। यह पचास हाथ लम्बा और पच्चीस हाथ चौड़ा था। 37 द्वार—स्तम्भों का सामना बाहरी आँगन की ओर था। हर एक ओर के द्वार—स्तम्भों पर खजूर के पेड़ों की नक्काशी थी और इसकी सीढ़ी की आठ पैड़ियाँ थीं।
बलियाँ तैयार करने के कमरें
38 एक कमरा था जिसका दरवाजा फाटक के प्रवेश कक्ष के पास था। यह वहाँ था जहाँ याजक होमबलि के लिये जानवरों को नहलाते हैं। 39 फाटक के प्रवेश कक्ष के दोनों ओर दो मेजें थीं। होमबलि पाप के लिये भेंट और अपराध के लिये भेंट के जानवर उन्हीं मेजों पर मारे जाते थे। 40 प्रवेश कक्ष के बाहर, जहाँ उत्तरी फाटक खुलता है, दो मेजें थीं और फाटक के प्रवेश कक्ष के दूसरी ओर दो मेजें थीं 41 फाटक के भीतर चार मेजें थीं। चार मेजें फाटक के बाहर थीं। सब मिलाकर आठ मेजें थीं। याजक इन मेजों पर बलि के लिए जानवरों को मारते थे। 42 होमबलि के लिये कटी शिला की चार मेजें थीं। ये मेजें डेढ़ हाथ लम्बी, डेढ़ हाथ चौड़ी और एक हाथ ऊँची थीं। याजक होमबलि और बलिदानों के लिये जिन जानवरों को मारा करते थे, उनको मारने के औजारों को इन मेजों पर रखते थे। 43 एक हाथ की चौड़ाई के कुन्दें पूरे मन्दिर में लगाए गए थे। भेंट के लिये माँस मेजों पर रहता था।
याजकों के कमरे
44 भीतरी आँगन के फाटक के बाहर दो कमरे थे। एक उत्तरी फाटक के साथ था। इसका सामना दक्षिण को था। दूसरा कमरा दक्षिण फाटक के साथ था। इसका सामना उत्तर को था। 45 उस व्यक्ति ने मुझसे कहा, “यह कमरा, जिसका सामना दक्षिण को है, उन याजक के लिये है जो अपने काम पर हैं और मन्दिर में सेवा कर रहे हैं। 46 किन्तु वह कमरा जिसका सामना उत्तर को है, उन याजकों के लिये है जो अपने काम पर हैं और वेदी पर सेवा कर रहे हैं। ये सभी याजक सादोक के वंशज हैं। सादोक के वंशज ही लेवीवंश के एकमात्र व्यक्ति है जो यहोवा की सेवा उनके पास बलि लाकर कर सकते हैं।”
47 उस व्यक्ति ने आँगन को नापा। आँगन पूर्ण वर्गाकार था। यह सौ हाथ लम्बा और सौ हाथ चौड़ा था। वेदी मन्दिर के सामने थी।
मन्दिर का प्रवेश कक्ष
48 वह व्यक्ति मुझे मन्दिर के प्रवेश कक्ष में लाया और उनके हर एक द्वार—स्तम्भ को नापा। यह पाँच हाथ प्रत्येक ओर था। फाटक चौदह हाथ चौड़ा था। फाटक की बगल की दीवारें तीन हाथ हर ओर थीं। 49 प्रवेश कक्ष बीस हाथ लम्बा और बारह हाथ चौड़ा था। प्रवेश कक्ष तक दस सीढ़ियाँ पहुँचाती थीं। द्वार—स्तम्भ के सहारे दोनों ओर स्तम्भ थे।
समीक्षा
आँखे खोलकर और कान लगाकर प्रार्थना करिए
प्रार्थना केवल एकालाप नहीं है। यह एक बातचीत है। परमेश्वर आपसे बात करते हैं जैसे ही आप प्रार्थना करते हैं।
यहेजकेल कहते हैं, " यहोवा की शक्ति मुझ पर हुई" (व.1)। वह एक भविष्यवक्ता और एक उपदेशक बनने के लिए बुलाए गए थे। बड़े या छोटे पैमाने पर, यह यीशु में हर विश्वासी का कार्य है। हम देखते हैं कि इसमे क्या शामिल है (व.4):
- देखोः"अपनी आँखो से देखो"
आत्मा की आँखो से आपके आस-पास हो रही चीजों को देखिये। जैसा कि डी.एल. मूडी ने कहा, "घुटनों पर मसीह, पंजो पर फिलोसोफर से अधिक देखता है।"
- सुनोः "अपने कानों से सुनो"
इसके बारे में परमेश्वर क्या कहते हैं सुनो। परमेश्वर के साथ दो तरफा बातचीत में, वह आपसे क्या कहते हैं वह इससे ज्यादा जरुरी है कि आप उनसे क्या कहते हैं।
- ध्यान दोः "ध्यान दो"
"ध्यान, उदारता का दुर्लभ और शुद्ध प्रकार है, " सिमोन वेल ने लिखा। परमेश्वर के साथ आपके संबंध के साथ साथ, यह सभी संबंधो पर लागू होता है।
- बताओः "सबकुछ...बताओ"
केवल देखना और सुनना काफी नहीं है। हमें अवश्य ही आज्ञा माननी है। वह कहने में इच्छुक बनो जो परमेश्वर आपको कहने के लिए बताते हैं।
यहेजकेल को एक नये मंदिर का दर्शन मिलता है। यह एक दार्शनिक मंदिर है, जो प्रतीक बनने के लिए है। इसमें, यह प्रकाशितवाक्य 21:16 में वर्णन किए गए शहर की तरह है। इसके विषय में समानता और सिद्धता है।
मंदिर के बीच में एक कमरा है जहाँ पर याजक "सेवा टहल करने के लिए उनके समीप जाते हैं" (यहेजकेल 40:46)। पुराने नियम में छोटे गोत्र की छोटी संख्या को "परमेश्वर के निकट जाने की" मनाई थी।
अब, मसीह के लहू के द्वारा, आप परमेश्वर की सेवा टहल करने के लिए उनके समीप जा सकते हैं (इफीसियों 2:13)। यह कितनी महान और अद्भुत सुविधा है। अपनी आँखे खुली और अपने कान लगाकर सुनो कि परमेश्वर आपसे क्या कह रहे हैं। बोलने के लिए साहस रखो और विश्वास की प्रार्थना करने के लिए विश्वास। प्रार्थना शक्तिशाली है।
प्रार्थना
पिप्पा भी कहते है
याकूब 5:17
"याकूब हमारे समान ही एक मनुष्य था।"
मैं एलिय्याह की तरह महसूस नहीं करती। उन्होंने प्रार्थना की और साढ़े तीन वर्षों तक पानी नहीं बरसा। मैंने प्रार्थना की कि हमारी बेटी की शादी में बरसात न हो। यह नहीं हुआ। बर्फ पड़ी।
दिन का वचन
याकूब - 5:13
"यदि तुम में कोई दुखी हो तो वह प्रार्थना करे: यदि आनन्दित हो, तो वह स्तुति के भजन गाए।"
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संदर्भ
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी", बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।