चार बलिदान जो परमेश्वर को भाते हैं
परिचय
अपने जीवन में पीछे की ओर देखते हुए, अब मैं समझता हूँ कि मेरे माता-पिता ने मेरी बहन और मेरे लिए कितने बलिदान दिए। काश मैं उस समय इसकी सराहना कर पाता। मेरे माता-पिता ऐसे एक पीढ़ी से थे जो बलिदान के विचार से काफी परिचित थी। उनके समवयस्क लोगों ने अपने साथी मनुष्यों और अपने देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया था। बलिदान करने का विचार, बड़ा या छोटा, हमारी पीढी को बहुत ही विचित्र लगता है।
पुराने नियम में 'बलिदान' के विषय में बहुत अधिक बाईबल के उदाहरण दिए गए हैं। ये लेखांश क्रूस पर हमारे लिए यीशु के बलिदान को बताते हैं। नये नियम में, लगभग सभी उल्लेख यीशु के बलिदान के विषय में हैं। यीशु की मृत्यु एक सिद्ध और पूर्ण बलिदान है जो पुराने नियम की सभी तैयारी और भविष्यवाणी को पूरा करती है। हमें अपने पापों के लिए कोई बलिदान देने की आवश्यकता नहीं है। फिर भी नया नियम हमें बताता है कि ऐसे चार बलिदान हैं जो आप कर सकते हैं, जो परमेश्वर को प्रसन्न करते हैं।
भजन संहिता 89:30-37
30 यदि उसके वंशजों ने मेरी व्यवस्था का पालन छोड़ दिया है
और यदि उन्होंने मेरे आदेशों को मानना छोड़ दिया है, तो मैं उन्हें दण्ड दूँगा।
31 यदि मेरे चुने हुए राजा के वंशजों ने मेरे विधान को तोड़ा
और यदि मेरे आदेशो की उपेक्षा की,
32 तो मैं उन्हें दण्ड दूंगा, जो बहुत बड़ा होगा।
33 किन्तु मैं उन लोगों से अपना निज प्रेम दूर नहीं करूँगा।
मैं सदा ही उनके प्रति सच्चा रहूँगा।
34 जो वाचा मेरी दाऊद के साथ है, मैं उसको नहीं तोड़ूँगा।
मैं अपनी वाचा को नहीं बदलूँगा।
35 अपनी पवित्रता को साक्षी कर मैंने दाऊद से एक विशेष प्रतिज्ञा की थी,
सो मैं दाऊद से झूठ नहीं बोलूँगा!
36 दाऊद का वंश सदा बना रहेगा,
जब तक सूर्य अटल है उसका राज्य भी अटल रहेगा।
37 यह सदा चन्द्रमा के समान चलता रहेगा।
आकाश साक्षी है कि यह वाचा सच्ची है। इस प्रमाण पर भरोसा कर सकता है।”
समीक्षा
यीशु के बलिदान के लिए परमेश्वर का धन्यवाद दीजिए
परमेश्वर पवित्र हैं (व.35) और प्रेमी हैं। परमेश्वर ने दाऊद से प्रेम किया। उन्होंने कहा, 'मैं अपनी करुणा उस पर से न हटाऊँगा' (व.33)।
परमेश्वर ने अपने प्रेम में, दाऊद और उनके लोगों के साथ एक वाचा बाँधी। यह एक अनुग्रह की वाचा थी, लेकिन इसमें नियम के प्रति आज्ञाकारिता की आवश्यकता थी। लेकिन क्या होगा यदि उन्होंने नियम को नहीं माना? यदि ऐसा हुआ -'यदि उसके वंश के लोग मेरी व्यवस्था को छोड़े, और मेरे नियमों के अनुसार न चलें, यदि वे मेरी विधियों का उल्ल्ंघन करे, और मेरी आज्ञाओं को न माने, ' (वव.30-31) –एक दंड चुकाना पड़ेगा (व.32)।
नया नियम हमें बताता है कि परमेश्वर अपने पुत्र यीशु मसीह के रूप में आये ताकि उस दंड को चुकायें, अपने आपको पाप के बलिदान के रूप में चढ़ाने के द्वारा। उस बलिदान के द्वारा, परमेश्वर का प्रेम और पवित्रता दोनों पूरी तरह से व्यक्त हुए और संतुष्ट और अब आपको पाप के लिए बलिदान चुकाने की आवश्यकता नहीं है।
प्रार्थना
रोमियों 11:33-12:21
परमेश्वर धन्य है
33 परमेश्वर की करुणा,
बुद्धि और ज्ञान कितने अपरम्पार हैं।
उसके न्याय कितने गहन हैं; उसके रास्ते कितने गूढ़ है।
34 शास्त्र कहता है:
“प्रभु के मन को कौन जानता है?
और उसे सलाह देने वाला कौन हो सकता हैं?”
35 “परमेश्वर को किसी ने क्या दिया है?
वह किसी को उसके बदले कुछ दे।”
36 क्योंकि सब का रचने वाला वही है।
उसी से सब स्थिर है और वह उसी के लिए है।
उसकी सदा महिमा हो! आमीन।
अपने जीवन प्रभु को अर्पण करो
12इसलिए हे भाइयो परमेश्वर की दया का स्मरण दिलाकर मैं तुमसे आग्रह करता हूँ कि अपने जीवन एक जीवित बलिदान के रूप में परमेश्वर को प्रसन्न करते हुए अर्पित कर दो। यह तुम्हारी आध्यात्मिक उपासना है जिसे तुम्हें उसे चुकाना है। 2 अब और आगे इस दुनिया की रीति पर मत चलो बल्कि अपने मनों को नया करके अपने आप को बदल डालो ताकि तुम्हें पता चल जाये कि परमेश्वर तुम्हारे लिए क्या चाहता है। यानी जो उत्तम है, जो उसे भाता है और जो सम्पूर्ण है।
3 इसलिए उसके अनुग्रह के कारण जो उपहार उसने मुझे दिया है, उसे ध्यान में रखते हुए मैं तुममें से हर एक से कहता हूँ, अपने को यथोचित समझो अर्थात जितना विश्वास उसने तुम्हें दिया है, उसी के अनुसार अपने को समझना चाहिए। 4 क्योंकि जैसे हममें से हर एक के शरीर में बहुत से अंग हैं। चाहे सब अंगों का काम एक जैसा नहीं है। 5 हम अनेक हैं किन्तु मसीह में हम एक देह के रूप में हो जाते हैं। इस प्रकार हर एक अंग हर दूसरे अंग से जुड़ जाता है।
6 तो फिर उसके अनुग्रह के अनुसार हमें जो अलग-अलग उपहार मिले हैं, हम उनका प्रयोग करें। यदि किसी को भविष्यवाणी की क्षमता दी गयी है तो वह उसके पास जितना विश्वास है उसके अनुसार भविष्यवाणी करे। 7 यदि किसी को सेवा करने का उपहार मिला है तो अपने आप को सेवा के लिये अर्पित करे, यदि किसी को उपदेश देने का काम मिला है तो उसे अपने आप को प्रचार में लगाना चाहिए। 8 यदि कोई सलाह देने को है तो उसे सलाह देनी चाहिए। यदि किसी को दान देने का उपहार मिला है तो उसे मुक्त भाव से दान देना चाहिए। यदि किसी को अगुआई करने का उपहार मिलता है तो वह लगन के साथ अगुआई करे, जिसे दया दिखाने को मिली है, वह प्रसन्नता से दया करे।
9 तुम्हारा प्रेम सच्चा हो। बुराई से घृणा करो। नेकी से जुड़ो। 10 भाई चारे के साथ एक दूसरे के प्रति समर्पित रहो। आपस में एक दूसरे को आदर के साथ अपने से अधिक महत्व दो। 11 उत्साही बनो, आलसी नहीं, आत्मा के तेज से चमको। प्रभु की सेवा करो। 12 अपनी आशा में प्रसन्न रहो। विपत्ति में धीरज धरो। निरन्तर प्रार्थना करते रहो। 13 परमेश्वर के लोगों की आवश्यकताओं में हाथ बटाओ। अतिथि सत्कार के अवसर ढूँढते रहो।
14 जो तुम्हें सताते हैं उन्हें आशीर्वाद दो। उन्हें शाप मत दो, आशीर्वाद दो। 15 जो प्रसन्न हैं उनके साथ प्रसन्न रहो। जो दुःखी है, उनके दुःख में दुःखी होओ। 16 मेलमिलाप से रहो। अभिमान मत करो बल्कि दीनों की संगति करो। अपने को बुद्धिमान मत समझो।
17 बुराई का बदला बुराई से किसी को मत दो। सभी लोगों की आँखों में जो अच्छा हो उसे ही करने की सोचो। 18 जहाँ तक बन पड़े सब मनुष्यों के साथ शान्ति से रहो। 19 किसी से अपने आप बदला मत लो। मेरे मित्रों, बल्कि इसे परमेश्वर के क्रोध पर छोड़ दो क्योंकि शास्त्र में लिखा है: “प्रभु ने कहा है बदला लेना मेरा काम है। प्रतिदान मैं दूँगा।” 20 बल्कि तू तो
“यदि तेरा शत्रु भूखा है, तो उसे भोजन करा।
यदि वह प्यासा है, तो उसे पीने को दे।
क्योंकि यदि तू ऐसा करता है तो वह तुझसे शर्मिन्दा होगा।”
21 बुराई से मत हार बल्कि अपनी नेकी से बुराई को हरा दे।
समीक्षा
ऐसे बलिदान कीजिए जिससे परमेश्वर प्रसन्न हो
इस लेखांश में, हम चार बलिदानों को देखते हैं जो आप अपने लिए यीशु के बलिदान के उत्तर के रूप में कर सकते हैं।
- आपके होठों का फल
इब्रानियों के लेखक कहते हैं, ' इसलिये हम उसके द्वारा स्तुतिरूपी बलिदान, अर्थात् उन होठों का फल जो उसके नाम का अंगीकार करते हैं, परमेश्वर को सर्वदा चढ़ाया करें' (इब्रानियों 13:15-16)।
रोमियो के पहले ग्यारह अध्याय अधिकतर हमारे लिए यीशु के बलिदान के विषय में हैं। जो कुछ परमेश्वर ने हमारे लिए किया है, उसे बताकर, पौलुस स्तुति के एक बलिदान के साथ उत्तर देते हैं (रोमियो 11:33-36)।
- आपके जीवन का बलिदान
पौलुस लिखते हैं, ' इसलिये हे भाइयो, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिला कर विनती करता हूँ कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ। यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है' (12:1, ए.एम.पी.)।
परमेश्वर चाहते हैं कि आप अपने आपको और अपने जीवन का सब कुछ को दे दें – आपका समय, अभिलाषाएँ, संपत्ति, कान, मुंह और लैंगिकता के साथ–साथ आपका दिमाग, भावनाएँ और व्यवहार। एक जीवित बलिदान के विषय में पौलुस का वर्णन हमें यह भी याद दिलाता है कि आपको अपना जीवन परमेश्वर को एक बलिदान के रूप में चढ़ाना है, अपने संपूर्ण जीवन के लिए अपने संपूर्ण जीवन को बलिदान करते हुए।
जैसा कि यूजन पीटरसन मैसेज में इसका अनुवाद करते हैं, 'अपने प्रतिदिन, साधारण जीवन को लो – आपका सोना, खाना, काम पर जाना और जीवन में घूमना – और इसे परमेश्वर के सामने एक बलिदान के रूप में चढ़ाओ' (व.1, एम.एस.जी.)।
पुराने नियम में, 'जीवित बलिदान' एक विरोधाभास होगा। बलिदान की मुख्य बात थी कि इसकी हत्या की जाती थी। जॅगो विन लिखते हैं, 'हमारी आराधना अब एक बलिदान को लाना नहीं है, लेकिन हम बनना है। हम जीवित रहते हैं। यह हम हैं जो बलिदान होते हैं। आराधना है कि जो मैं अपने मुंह से कहता हूं। यह है कि मैं क्या देखता हूँ...क्या सोचता हूँ..... अपने पैरों से मैं कहा जाता हूँ।'
- आपकी 'संपत्ति' का बलिदान
उदारतापूर्वक देना नये नियम का दूसरा बलिदान है। पौलुस दूसरों की जरुरतों के लिए योगदान देने में उदारता के बलिदान को उत्साहित करते हैं (व.8)। हमें 'परमेश्वर के लोगों को देना है जो जरुरत में हैं' (व.13)। यह दूसरा बलिदान है जिसके विषय में इब्रानियों के लेखक कहते हैं कि यह परमेश्वर को भाता हैः'दूसरों को देना' (इब्रानियों 13:16)।
हमें अपने शत्रुओं को भी उदारतापूर्वक देना हैः'यदि तेरा बैरी भूखा हो तो उसे खाना खिला, यदि प्यासा हो तो उसे पानी पिला। तेरी उदारता उसे आश्चर्यचकित कर देगी' (रोमियों 12:20, एम.एस.जी.)।
- आपके प्रेम का बलिदान
इस लेखांश में पौलुस बहुत से प्रेम की सेवा के बलिदान के उदाहरण बताते हैं (वव.9-21)।
इब्रानियों के लेखक कहते हैं, ' भलाई करना और उदारता दिखाना न भूलो, क्योंकि परमेश्वर ऐसे बलिदानों से प्रसन्न होता है' (इब्रानियों 13:16)।
'अच्छा करने' का अर्थ है उन चीजों को छोड़ देना जो अच्छी नहीं है। 'आपके आस-पास के विश्व को आपको उनके आकार में न ढालने दें' (रोमियो 12:2, जे.बी. फिलिप्स)। यद्यपी परमेश्वर केवल हमसे अपने जीवन में बुरी चीजों को छोड़ने के लिए कहते हैं, ऐसा करना शायद से मुश्किल लगे क्योंकि वह चीजें बहुत आकर्षित करती हैं। पछतावा एक बहुत ही सकारात्मक शब्द है, लेकिन उस समय शायद से यह बलिदान स्वरूप लगे।
बलिदान स्वरूप प्रेम परमेश्वर को हमे पूरी तरह से बदलने देता है। हमारे प्रेम को अवश्य ही सच्चा होना चाहिए (व.9)। 'सच्चा' के लिए ग्रीक शब्द है 'निष्कपट' या शाब्दिक रूप से 'नाटक किए बिना' या 'एक मुखोटा पहने बिना।'
अक्सर विश्व में संबंध थोड़े छिछले होते हैं। अपने आपको सुरक्षित रखने के लिए हम सभी बाहरी दिखावा या मुखोटा रखते हैं। जब हम सरकार को ऐसा करते हुए देखते हैं, तो हम इसे 'घुमाना' कहते हैं। जब हम इसे खुद करते हैं, तो हम इसे 'चित्र' कहते हैं; हम कुछ छिपा रहे हैं। असल में हम कह रहे हैं, 'जो मैं अंदर हूँ वह मुझे पसंद नहीं, तो मैं नाटक करुंगा कि मैं कोई और हूँ।' एक मसीह बनने से पहले मैंने ऐसा किया, एक बड़े तरीके से (और बाद में यह कुछ दूरी तक साथ चलता रहा -यद्यपी ऐसा नहीं होना चाहिए)।
यदि दूसरे लोग भी ऐसा कर रहे हैं तो वहाँ पर दो 'बाहरी दिखावा' या 'मुखोटा' मिल रहे हैं। दुखद परिणाम यह है कि दो वास्तविक व्यक्ति कभी नहीं मिलते हैं। यह 'सच्चे प्रेम' के विपरीत है। सच्चा प्रेम है अपने मुखोटे को उतारना और यह दिखाने का साहस करना कि आप कौन हैं। जब आप जानते हैं कि परमेश्वर आपसे वैसे ही प्रेम करते हैं, जैसे कि आप हैं, तब आप अपना मुखोटा निकालने के लिए स्वतंत्र हो जाते हैं। इसका अर्थ है कि आपके संबंधों में नई गहराई और प्रामाणिकता है।
पौलुस मसीहों को चिताते हैं कि एक दूसरे के साथ मेल में रहे और उदारता दिखाए (व.13), अतिथि-सत्कार (व.13), क्षमा (व.14), स्पष्टता (व.15) और सभी के साथ शांति में रहें (व.18)। यह मसीह परिवार का एक महिमामयी चित्र है जिसमें परमेश्वर हमें बुलाते हैं, हमें प्रेम, आनंद, धीरज, वफादारी, उदारता, सज्जनता, आशीष, प्रसन्नता, मेल, दीनता और शांति में रखते हुए; जहाँ पर बुराई अच्छाई पर जय नहीं पाती है, बल्कि अच्छाई बुराई पर जय पाती है (वव.9-21)।
प्रार्थना
1 इतिहास 6:1-81
लेवी के वंशज
6लेवी के पुत्र
गेर्शोन, कहात और मरारी थे।
2 कहात के पुत्र
अम्राम, यिसहार, हेब्रोन और उज्जीएल थे।
3 अम्राम के बच्चे
हारून, मूसा और मरियम थे।
हारून के पुत्र
नादाब, अबीहू, एलीआजार और ईतामार थे।
4 एलीआजार, पीनहास का पिता था।
पीनहास, अबीशू का पिता था।
5 अबीशू, बुक्की, का पिता था।
बुक्की, उज्जी का पिता था।
6 उज्जी, जरह्याह का पिता था।
जरह्याह, मरायोत का पिता था।
7 मरायोत, अमर्याह का पिता था।
अमर्याह, अहीतूब का पिता था।
8 अहीतूब, सादोक का पिता था।
सादोक, अहीमास का पिता था।
9 अहीमास, अजर्याह का पिता था।
अजर्याह योहानान का पिता था।
10 योहानान, अजर्याह का पिता था।
(अजर्याह वह व्यक्ति था जिसने यरूशलेम में सुलैमान द्वारा बनाये गेय मन्दिर में याजक के रूप में सेवा की।)
11 अजर्याह अमर्याह का पिता था।
अमर्याह, अहीतूब का पिता था।
12 अहीतूब, सादोक का पिता था।
सादोक, शल्लूम का पिता था।
13 शल्लूम, हिलकिय्याह का पिता था।
हिलकिय्याह, अजर्याह का पिता था।
14 अजर्याह, सरायाह का पिता था। सरायाह,
यहोसादाक का पिता था।
15 यहोसादाक तब अपना घर छोड़ने के लिये विवश किया गया जब यहोवा ने यहूदा और यरूशलेम को दूर भेज दिया। वे लोग दूसरे देश में बन्दी बनाए गए थे। यहोवा ने नबूकदनेस्सर को यहूदा और यरूशलेम के लोगों को बन्दी बनाने दिया।
लेवी के अन्य वंशज
16 लेवी के पुत्र
गेर्शोन, कहात, और मरारी थे।
17 गर्शोन के पुत्रों
के नाम लिब्नी और शिमी थे।
18 कहात के पुत्र
यिसहार, हेब्रोन और उज्जीएल थे।
19 मरारी के पुत्र
महली और मूशी थे।
लेवी के परिवार समूहों के परिवारों की यह सूची है।
इनकी सूची उनके पिताओं के नाम को प्रथम रखकर यह है।
20 गेर्शोन के वंशज ये थेः
लिब्नी, गेर्शोन का पुत्र था।
यहत, लिब्नी का पुत्र था।
जिम्मा, यहत का पुत्र था।
21 योआह, जिम्मा का पुत्र था।
इद्दो, योआह का पुत्र था।
जेरह, इद्दो का पुत्र था।
यातरै जेरह का पुत्र था।
22 ये कहात के वंशज थेः
अम्मीनादाब, कहात का पुत्र था।
कोरह, अम्मीनादाब का पुत्र था।
अस्सीर, कोरह का पुत्र था।
23 एल्काना, अस्सीर, का पुत्र था।
एब्यासाप, एल्काना का पुत्र था।
अस्सीर एब्यासाप का पुत्र था।
24 तहत, अस्सीर का पुत्र था।
ऊरीएल, तहत का पुत्र था।
उज्जिय्याह, ऊरीएल का पुत्र था।
शाऊल, उज्जिय्याह का पुत्र था।
25 एल्काना के पुत्र अमासै और अहीमोत थे।
26 सोपै, एल्काना का पुत्र था।
नहत, सोपै का पुत्र था।
27 एलीआब, नहत का पुत्र था।
यरोहाम, एलीआब का पुत्र था।
एल्काना, यरोहाम का पुत्र था।
शमूएल एल्काना का पुत्र था।
28 शमूएल के पुत्रों में सबसे बड़ा योएल और दूसरा अबिय्याह था।
29 मरारी के ये पुत्र थेः
महली, मरारी का पुत्र था।
लिब्नी, महली का पुत्र था।
शिमी, लिब्नी का पुत्र था।
उज्जा, शिमी का पुत्र था।
30 शिमी, उज्जा का पुत्र था।
हग्गिय्यहा, शिमा का पुत्र था।
असायाह, हग्गिय्याह का पुत्र था।
मन्दिर के गायक
31 ये वे लोग हैं जिन्हें दाऊद ने यहोवा के भवन के तम्बू में साक्षीपत्र के सन्दूक रखे जाने के बाद संगीत के प्रबन्ध के लिये चुना। 32 ये व्यक्ति पवित्र तम्बू पर गाकर सेवा करते थे। पवित्र तम्बू को मिलाप वाला तम्बू भी कहते हैं और इन लोगों ने तब तक सेवा की जब तक सुलैमान ने यरूशलेम में यहोवा का मन्दिर नहीं बनाया। उन्होंने अपने काम के लिये दिये गए नियमों का अनुसरण करते हुए सेवा की।
33 ये नाम उन व्यक्तियों और उनके पुत्रों के हैं जिन्होंने संगीत के द्वारा सेवा कीः
कहाती लोगों के वंशज थेः गायक हेमान।
हेमान, योएल का पुत्र था।
योएल, शमूएल का पुत्र था।
34 शमूएल, एल्काना का पुत्र था।
एल्काना, यरोहाम का पुत्र था।
यरोहाम एलीएल का पुत्र था।
एलीएल तोह का पुत्र था।
35 तोह, सूप का पुत्र था।
सूप एल्काना का पुत्र था।
एल्काना, महत का पुत्र था।
महत अमासै का पुत्र था।
36 अमासै, एल्काना का पुत्र था।
एल्काना, योएल का पुत्र था।
योएल, अजर्याह का पुत्र था।
अजर्याह, सपन्याह का पुत्र था।
37 सपन्याह, तहत का पुत्र था।
तहत, अस्सीर का पुत्र था।
अस्सीर, एब्यासाप का पुत्र था।
एब्यासाप, कोरह का पुत्र था।
38 कोरह, यिसहार का पुत्र था।
यिसहार, कहात का पुत्र था।
कहात, लेवी का पुत्र था।
लेवी, इस्राएल का पुत्र था।
39 हेमान का सम्बन्धी असाप था।
असाप ने हेमान के दाहिनी ओर खड़े होकर सेवा की।
असाप बेरेक्याह का पुत्र था।
बेरेक्याह शिमा का पुत्र था।
40 शिमा मीकाएल का पुत्र था।
मिकाएल बासेयाह का पुत्र था।
बासेयाह मल्किय्याह का पुत्र था।
41 मल्किय्याह एत्नी का पुत्र था।
एत्नी जेरह का पुत्र था।
जेरह अदायाह का पुत्र था।
42 अदायाह एतान का पुत्र था।
एतान जिम्मा का पुत्र था।
जिम्मा शिमी का पुत्र था।
43 शिमी यहत का पुत्र था।
यहत गेर्शोन का पुत्र था।
गेर्शोन लेवी का पुत्र था।
44 मरारी के वंशज हेमान और असाप के सम्बन्घी थे।
वे हेमान के बायें पक्ष के गायक समूह थे।
एताव कीशी का पुत्र था।
कीशी अब्दी का पुत्र था।
अब्दी मल्लूक का पुत्र था।
45 मल्लूक हशब्याह का पुत्र था।
हशब्याह अमस्याह का पुत्र था।
अमस्याह हिलकिय्याह का पुत्र था।
46 हिलकिय्याह अमसी का पुत्र था।
अमसी बानी का पुत्र था। बानी शेमेर का पुत्र था।
47 शेमारे महली का पुत्र था।
महली मूशी का पुत्र था।
मूशी मरारी का पुत्र था मरारी लेवी का पुत्र था।
48 हेमान और असाप के भाई लेवी के परिवार समूह से थे। लेवी के परिवार समूह के लोग लेविवंशी भी कहे जाते थे। लेवीय पवित्र तम्बू में काम करने के लिये चुने जाते थे। पवित्र तम्बू परमेश्वर का घर था। 49 किन्तु केवल हारून के वंशजों को होमबलि की वेदी और सुगन्धि की वेदी पर सुगन्धि जलाने की अनुमति थी। हारून के वंशज परमेश्वर के घर में सर्वाधिक पवित्र तम्बू में सारा काम करते थे। वे इस्राएल के लोगों को शुद्ध करने के लिये उत्सव भी मनाते थे। वे उन सब नियमों और विधियों का अनुसरण करते थे जिनके लिये मूसा ने आदेश दिया था। मूसा परमेश्वर का सेवक था।
हारून के वंशज
50 हारून के पुत्र ये थेः एलीआज़र हारून का पुत्र था। पीनहास एलीआजर का पुत्र था। अबीशू पीनहास का पुत्र था। बुक्की अबीशू का पुत्र था। उज्जी बुक्की का पुत्र था। 51 बुक्की अबीशू का पुत्र था। उज्जी बुक्की का पुत्र था। जरह्याह उज्जी का पुत्र था। 52 मरायोत जरह्याह का पुत्र था। अमर्याह मरायोत का पुत्र था। अहीतूब अमर्याह का पुत्र था। 53 सादोक अहीतूब का पुत्र था। अहीमास सादोक का पुत्र था।
लेवीवंशी परिवारों के लिये घर
54 ये वे स्थान हैं जहाँ हारून के वंशज रहे। वे उस भूमि पर जो उन्हें दी गई थी, अपने डेरों में रहते थे। कहाती परिवार ने उस भूमि का पहला भाग पाया जो लेवीवंश को दी गई थी। 55 उन्हें हेब्रोन नगर और उसके चारों ओर के खेत दिये गये थे। यह यहूदा क्षेत्र में था। 56 किन्तु नगर के दूर के खेत और नगर के समीप के गाँव, यपुन्ने के पुत्र कालेब को दिये गये थे। 57 हारून के वंशजों को हेब्रोन नगर दिया गया था। हेब्रोन एक सुरक्षा नगर था। उन्हें लिब्ना, यत्तीर, एशतमो, 58 हीलेन, दबीर, 59 आशान, जुत्ता, और बेतशेमेश नगर भी दिये गए। उन्होंने उन सभी नगरों और उनके चारों ओर के खेत प्राप्त किये। 60 बिन्यामीन के परिवार समूह के लोगों को गिबोन, गेबा अल्लेमेत, और अनातोत नगर दिये गए। उन्होंने उन सभी नगरों और उनके चारों ओर के खेतों को प्राप्त किया।
कहाती परिवार को तेरह नगर दिये गए।
61 शेष कहात के वंशजों ने मनश्शे परिवार समूह के आधे से दस नगर प्राप्त किये।
62 गेर्शोन के वंशजों के परिवार समूह ने तेरह नगर प्राप्त किये। उन्होंने उन नगरों को इस्साकार, आशेर, नप्ताली और बाशान क्षेत्र में रहने वाले मनश्शे के एक भाग से प्राप्त किये।
63 मरारी के वंशजों के परिवार समूह ने बारह नगर प्राप्त किये। उन्होंने उन नगरों को रूबेन, गाद, और जबूलून के परिवार समूहों से प्राप्त किया। उन्होंने नगरों को गोटें डालकर प्राप्त किया।
64 इस प्रकार इस्राएली लोगों ने उन नगरों और खेतों को लेवीवंशी लोगों को दिया। 65 वे सभी नगर यहूदा, शिमोन और बिन्यामीन के परिवार समूहों से मिले। उन्होंने गोटें डालकर यह निश्चय किया कि कौन सा नगर लेवी का कौन सा परिवार प्राप्त करेगा।
66 एप्रैम के पिरवार समूह ने कुछ कहाती परिवारों को कुछ नगर दिये। वे नगर गोटें डालकर चुने गए। 67 उन्हें शकेम नगर दिया गया। शेकम सुरक्षा नगर है। उन्हें गेजेर 68 योकामन, बेथोरोन, 69 अय्यालोन, और गत्रिम्मोन भी प्राप्त किये। उन्हों ने उन नगरों के साथ के खेत भी पाये। वे नगर एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश में थे 70 और इस्राएली लोगों ने, मनश्शे परिवार समूह के आधे से, आनेर और बिलाम नगरों को कहाती परिवारों को दिया। उन कहाती परिवारों ने उन नगरों के साथ खेतों को भी प्राप्त किया।
अन्य लेवीवंशी परिवारों ने घर प्राप्त किये
71 गेर्शोमी परिवार ने मनश्शे परिवार समूह के आधे से, बाशान और अश्तारोत क्षेत्रों में गोलान के नगरों को प्राप्त किया। उन्होंने उन नगरों के पास के खेत भी पाए।
72-73 गेर्शोमी परिवार ने केदेश, दाबरात, रामोत और आनेम नगरों को आशेर परिवार समूह से प्राप्त किया। उन्होंने उन नगरों के पास के खेतों को भी प्राप्त किया।
74-75 गेर्शोमी परिवार ने माशाल, अब्दोन, हुकोक और रहोब के नगरों को आशेर परिवार समूह से प्राप्त किया। उन्होंने उन नगरों के पास के खेतों को भी प्राप्त किया।
76 गेर्शोमी परिवार ने गालील में केदेश, हम्मोन और किर्यातैम नगरों को भी नप्ताली के परिवार समूह से प्राप्त किया। उन्होंने उन नगरों के पास के खेतों को भी प्राप्त किया।
77 लेवीवंशी लोगों में से शेष मरारी परिवार के हैं। उन्होंने जेक्रयम, कर्ता, शिम्मोन और ताबोर नगरों को जबूलून परिवार समूह से प्राप्त किया। उन्होंने उन नगरों के पास के खेत भी प्राप्त किये।
78-79 मरारी परिवार ने मरुभूमि में बेसेर के नगरों, यहसा, कदेमोत, और मेपाता को बी रूबेन के परिवार समूह से प्राप्त किया। रूबेन का परिवार समूह यरदन नदी के पूर्व की ओर यरीहो नगर के पूर्व में रहता था। इन मरारी परिवारों ने नगर के पास के खेत भी पाये।
80-81 मरारी परिवारों ने गिलाद में रामोत, महनैम, हेशोबोन और याजेर नगरों को गाद के परिवार समूह से प्राप्त किया। उन्होंने उन नगरों के पास के खेत भी प्राप्त कियो।
समीक्षा
पुराने नियम में बलिदानों को समझिये
पुराने नियम में याजक, परमेश्वर और लोगों के बीच में मध्यस्थ थे। 'हारुन और उनके पुत्र वेदी पर बलिदान चढ़ाते थे...वे इस्राएल के लिए प्रायश्चित करते थे' (व.49, एम.एस.जी.)।
पीढ़ी दर पीढ़ी याजक होना। याजक लेवी के वंशज थे। इतिहास की पुस्तक में 'लेवी के पुत्रों' की सूची दी गई है (वव.1,16,46)। हम देखते हैं कि जो कोई मंदिर में सेवा करते थे, उन्हें 'लेवी के वंशज' माना जाता था (वव.1-30)।
इतिहास की पुस्तक मंदिर की महत्ता को बताती है। मंदिर आराधना का एक स्थान था जहां पर परमेश्वर का आत्मा रहता था। परमेश्वर के घर में दाऊद ने कुछ लेवियों को संगीत का अधिकारी ठहराया - 'फिर जिनको दाऊद ने यहोवा के भवन में गाने का अधिकारी ठहरा दिया वे ये हैं...वे गाने के द्वारा सेवा करते थे' (वव.31-32, एम.एस.जी)।
दूसरे लेवियों को वेदी पर बलिदान चढ़ाने की आवश्यकता थी - 'प्रायश्चित करते हुए' (व.49)। जैसा कि हमने पहले देखा, प्रायश्चित की सरल परिभाषा है 'एक ही बार में।' दूसरे शब्दों में, परमेश्वर एक माध्यम प्रदान करते हैं जिसके द्वारा लोग एक ही बार में उनके साथ एक हो सकते हैं।
पुराने नियम में यह नमूना था। बलिदान की आवश्यकता और प्रायश्चित करना, यीशु के अंतिम, संपूर्ण और सक्षम बलिदान को दर्शाता था। ऐसे लेखांश हमें याद दिलाते हैं कि यह कितनी अद्भुत बात है कि अब बलिदानों की आवश्यकता नहीं है, यीशु के एक सच्चे और सिद्ध बलिदान के कारण।
प्रार्थना
पिप्पा भी कहते है
रोमियों 12:21
'बुराई के द्वारा पराजित मत हो, बल्कि अच्छाई से बुराई पर जय पाओ।'
भलाई करना सबसे शक्तिशाली तरीका है बुराई को रोकने का।
दिन का वचन
रोमियों 12:21
“बुराई से न हारो परन्तु भलाई से बुराई का जीत लो॥“
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संदर्भ
जॅगो विन, वर्किंग विथआउट विलिंग, (इंटर –वर्सिटी प्रेस, 2009)
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
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