बाइबल को कैसे पढ़ें और समझें
परिचय
जब हम वचन को पढ़ने की कोशिश करते हैं, तो हमारे पास तीन सहायक होते हैं। पहला आप के साथ पवित्र आत्मा, (कुरिन्यियों 2:2–16) दूसरा आप के साथ कलीसिया है, और यह सोच लेना कि पवित्र आत्मा सिर्फ मुझ से बात करते हैं, यह बहुत घमंड की बात है। पवित्र आत्मा ने इतिहास में बहुतों से बात की और आज भी अपने लोगों से बातें करते हैं। पौलुस प्रार्थना करते हैं कि “हमें सब पवित्र लोगों के साथ यह समझने की सामर्थ हो” (इफीसियों 3:18), तीसरे आप के पास विवेक बुद्धि, और आप का मन है। पौलुस कलीसिया के हर एक जन को उत्साहित करते हैं, ‘पूरी तरह से अपने मनों में समझ लेने के लिए’ (रोमियों 14:5)
बाइबल का अर्थ समझते समय हमें तीन सवाल पूछने चाहिए:
- बाइबल वास्तव में क्या कहती है?
पुराना नियम इब्रानी भाषा में लिखा गया है (और अरमी में), और नया नियम ग्रीक भाषा में भी है। आप लोग विश्वास कर सकते हैं कि बहुत से आधुनिक अनुवाद भरोसेमंद और शुद्ध हैं।
- इसका क्या मतलब?
इस प्रश्न का जवाब देने के लिए आप को यह पूछना है: यह किस प्रकार का साहित्य है? क्या यह एक ऐतिहासिक रचना है? कविता? भविष्यवाणी? अंतर्भासी? कानून? सुसमाचार? आज के लेखांश एक दूसरे से भिन्न प्रकार के साहित्य हैं (कविता, अंतर्भासी, और इतिहास) इसलिए हम उन्हें भिन्न भिन्न तरीकों से पढ़ते हैं।
दूसरे आप पूछेंगे कि जिस व्यक्ति ने सबसे पहले यह लिखा है, वो उससे कितना मतलब रखता है, वो भी जिन्होंने इसे सबसे पहले पढ़ा और सुना है। फिर आप पूछिये, क्या हमारी समझ को बदलने के लिए उसके बाद ऐसा कुछ हुआ? उदाहरण के लिए, पुराने नियम के लेखांश में यीशु का आगमन हमारी समझ में क्या परिवर्तन लाता है? अंत में बाइबल केवल यीशु के बारे में है (यूहन्ना 5:39-40)
- यह मेरे जीवन में कैसे लागू होती है?
यह हमारे लिए मात्र बौद्धिक अभ्यास बनकर न रह जाए, इसलिए यह जरूरी है कि हम सोचें कि यह किस तरह हमारे हर रोज़ के जीवन में लागू हो सकती है।
भजन संहिता 144:9-15
9 हे यहोवा, मैं नया गीत गाऊँगा तेरे उन अद्भुत कर्मो का तू जिन्हें करता है।
मैं तेरा यश दस तार वाली वीणा पर गाऊँगा।
10 हे यहोवा, राजाओं की सहायता उनके युद्ध जीतने में करता है।
यहोवा वे अपने सेवक दाऊद को उसके शत्रुओं के तलवारों से बचाया।
11 मुझको इन परदेशियों से बचा ले।
ये शत्रु झूठे हैं,
ये बातें बनाते हैं जो सच नहीं होती।
12 यह मेरी कामना है: पुत्र जवान हो कर विशाल पेड़ों जैसे मजबूत हों।
और मेरी यह कामनाहै हमारी पुत्रियाँ महल की सुन्दर सजावटों सी हों।
13 यह मेरी कामना है
कि हमारे खेत हर प्रकार की फसलों से भरपूर रहें।
यह मेरी कामना है
कि हमारी भेड़े चारागाहों में
हजारों हजार मेमने जनती रहे।
14 मेरी यह कामना है कि हमारे पशुओं के बहुत से बच्चे हों।
यह मेरी कामना है कि हम पर आक्रमण करने कोई शत्रु नहीं आए।
यह मेरी कामना है कभी हम युद्ध को नहीं आए।
और मेरी यह कामना है कि हमारी गलियों में भय की चीखें नहीं उठें।
15 जब ऐसा होगा लोग अति प्रसन्न होंगे।
जिनका परमेश्वर यहोवा है, वे लोग अति प्रसन्न रहते हैं।
समीक्षा
परमेश्वर के साथ सच्चे रहिए (कविता)
परमेश्वर चाहतें हैं कि हम उन के साथ सच्चे रहें। भजन संहिता अच्छे लोगों की सभ्य भाषा में प्रार्थनाएं नहीं हैं। यह अक्सर कच्ची, सांसारिक और रूखी हैं। पर यह परमेश्वर के सामने ईमानदार और निजी प्रतिक्रिया है।
भजन संहिता कविता के भाषा में लिखी गई है। कवि रॉबर्ट बर्नस ने लिखा, ‘मेरा प्रेम एक लाल, गुलाब की तरह है’, पर इसका अर्थ शाब्दिक नहीं था।
पवित्रशास्त्र की ज़्यादातर भाषा में तुलना शामिल है। जब दो चीज़ों के बीच तुलना हो, तो उसका यह अर्थ नहीं कि वह हर तरह से एक जैसी हो।
उदहारण के लिए:
“हमारे बेटे जवानी के समय पौधों की नाई बढ़ें,
हमारी बेटियाँ उन सिरे के पत्थरों के सामान हों,
जो मंदिर के पत्थरों की नाई बनाए जाएं” (V.12)
भजन संहिता मानव भावनाओं को भी व्यक्त करता है। उदाहरण के लिए, हमारे आज के लेखांश में भजनकार ने लिखा है, “तू मुझ को उबार और परदेशियों के वश से छुड़ा ले, जिन के मुंह से व्यर्थ बातें निकलती हैं, और जिनका दाहिना हाथ कपटपूर्ण है। (V.11)
स्पष्ट रूप से, यह सत्य नहीं है कि सारे विदेशी झूठे और धोखेबाज़ होते हैं। भजन संहिता कभी-कभी परमेश्वर के प्रति क्रोध व्यक्त करता है और दूसरों के प्रति प्रतिशोध। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि ये भावनाएं सही हैं, पर यह सही प्रतिक्रियाएं हैं जो हम में से बहुत लोग महसूस करते हैं अपने जीवनों में।
दाऊद युद्ध के बीचों बीच था और उस पर बारबार विदेशी राज्य हमला कर रहे थे। सशस्त्र युद्ध उसके लिए जीवन का एक सच बन गया था। पर उस पृष्ठ भूमि के विरुद्ध वह परमेश्वर का धन्यवाद करता है युद्ध के लिए उसके हाथों को प्रशिक्षण देने के लिए। फिर भी ऐसा नहीं कहता कि हम अपनी इन भावनाओं का अनुकरण करें। नये और पुराने नियम के अनुसार हमें विदेशियों और बाहरी लोगों से विशेष प्रेम रखने के लिए कहा गया है।
और भी दूसरी भावनाओं से हम प्रेरित होकर उनका अनुकरण कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, पद 9 में दाऊद के शब्द हमें आराधना करने के लिए प्रेरित करते हैं। वे लोग अपनी अभिलाषा व्यक्त करते हैं, अपने परिवार पर परमेश्वर की आशीषों के लिए अपने काम पर और अपने राष्ट्र की सुरक्षा के लिए और वह ऐसा कहकर अंत करते हैं, “तो इस दशा में जो राज्य हो वह क्या ही धन्य होगा जिस राज्य के परमेश्वर यहोवा हैं, वह क्या ही धन्य है।“ (V.15)
प्रार्थना
प्रकाशित वाक्य 8:1-9:12
सातवीं मुहर
8फिर मेमने ने जब सातवीं मुहर तोड़ी तो स्वर्ग में कोई आधा घण्टे तक सन्नाटा छाया रहा। 2 फिर मैंने परमेश्वर के सामने खड़े होने वाले सात स्वर्गदूतों को देखा। उन्हें सात तुरहियाँ प्रदान की गईं थीं।
3 फिर एक और स्वर्गदूत आया और वेदी पर खड़ा हो गया। उसके पास सोने का एक धूपदान था। उसे संत जनों की प्रार्थनाओं के साथ सोने की उस वेदी पर जो सिंहासन के सामने थी, चढ़ाने के लिए बहुत सारी धूप दी गई। 4 फिर स्वर्गदूत के हाथ से धूप का वह धुआँ संत जनों की प्रार्थनाओं के साथ-साथ परमेश्वर के सामने पहुँचा। 5 इसके बाद स्वर्गदूत ने उस धूपदान को उठाया, उसे वेदी की आग से भरा और उछाल कर धरती पर फेंक दिया। इस पर मेघों का गर्जन-तर्जन, भीषण शब्द, बिजली की चमक और भूकम्प होने लगे।
सात स्वर्गदूतों का उनकी तुरहियाँ बजाना
6 फिर वे सात स्वर्गदूत, जिनके पास सात तुरहियाँ थी, उन्हें फूँकने को तैयार हो गए।
7 पहले स्वर्गदूत ने तुरही में जैसे ही फूँक मारी, वैसे ही लहू ओले और अग्नि एक साथ मिले जुले दिखाई देने लगे और उन्हें धरती पर नीचे उछाल कर फेंक दिया गया। जिससे धरती का एक तिहाई भाग जल कर भस्म हो गया। एक तिहाई पेड़ जल गए और समूची हरी घास राख हो गई।
8 दूसरे स्वर्गदूत ने तुरही फूँकी तो मानो अग्नि का जलता हुआ एक विशाल पहाड़ सा समुद्र में फेंक दिया गया हो। इससे एक तिहाई समुद्र रक्त में बदल गया। 9 तथा समुद्र के एक तिहाई जीव-जन्तु मर गए और एक तिहाई जल पोत नष्ट हो गए।
10 तीसरे स्वर्गदूत ने जब तुरही बजाई तो आकाश से मशाल की तरह जलता हुआ एक विशाल तारा गिरा। यह तारा एक तिहाई नदियों तथा झरनों के पानी पर जा पड़ा। 11 इस तारे का नाम था नागदौना सो समूचे जल का एक तिहाई भाग नागदौना में ही बदल गया। तथा उस जल के पीने से बहुत से लोग मारे गए। क्योंकि जल कड़वा हो गया था।
12 जब चौथे स्वर्गदूत ने तूरही बजाई तो एक तिहाई सूर्य, और साथ में ही एक तिहाई चन्द्रमा और एक तिहाई तारों पर विपत्ति आई। सो उनका एक तिहाई काला पड़ गया। परिणामस्वरूप एक तिहाई दिन तथा उसी प्रकार एक तिहाई रात अन्धेरे में डूब गए।
13 फिर मैंने देखा कि एक गरुड़ ऊँचे आकाश में उड़ रहा है। मैंने उसे ऊँचे स्वर में कहते हुए सुना, “उन बचे हुए तीन स्वर्गदूतों की तुरहियों के उद्घोष के कारण जो अपनी तुरहियाँ अभी बजाने ही वाले हैं, धरती के निवासियों पर कष्ट हो! कष्ट हो! कष्ट हो!”
पाँचवी तुरही पहला आतंक फैलाना
9पाँचवे स्वर्गदूत ने जब अपनी तुरही फूँकी तब मैंने आकाश से धरती पर गिरा हुआ एक तारा देखा। इसे उस चिमनी की कुंजी दी गई थी जो पाताल में उतरती है। 2 फिर उस तारे ने उस चिमनी का ताला खोल दिया जो पाताल में उतरती थी और चिमनी से वैसे ही धुआँ फूट पड़ा जैसे वह एक बड़ी भट्टी से निकलता है। सो चिमनी से निकले धुआँ से सूर्य और आकाश काले पड़ गए।
3 तभी उस धुआँ से धरती पर टिड्डी दल उतर आया। उन्हें धरती के बिच्छुओं के जैसी शक्ति दी गई थी। 4 किन्तु उनसे कह दिया गया था कि वे न तो धरती की घास को हानि पहुँचाए और न ही हरे पौधों या पेड़ों को। उन्हें तो बस उन लोगों को ही हानि पहुँचानी थी जिनके माथों पर परमेश्वर की मुहर नहीं लगी हुई थी। 5 टिड्डी दल को निर्देश दे दिया गया था कि वे लोगों के प्राण न लें बल्कि पाँच महीने तक उन्हें पीड़ा पहुँचाते रहें। वह पीड़ा जो उन्हें पहुँचाई जा रही थी, वैसी थी जैसी किसी व्यक्ति को बिच्छू के काटने से होती है। 6 उन पाँच महीनों के भीतर लोग मौत को ढूँढते फिरेंगे किन्तु मौत उन्हें मिल नहीं पाएगी। वे मरने के लिए तरसेंगे किन्तु मौत उन्हें चकमा देकर निकल जाएगी।
7 और अब देखो कि वे टिड्डी युद्ध के लिए तैयार किए गए घोड़ों जैसी दिख रहीं थीं। उनके सिरों पर सुनहरी मुकुट से बँधे थे। उनके मुख मानव मुखों के समान थे। 8 उनके बाल स्त्रियों के केशों के समान थे तथा उनके दाँत सिंहों के दाँतों के समान थे। 9 उनके सीने ऐसे थे जैसे लोहे के कवच हों। उनके पंखों की ध्वनि युद्ध में जाते हुए असंख्य अश्व रथों से पैदा हुए शब्द के समान थी। 10 उनकी पूँछों के बाल ऐसे थे जैसे बिच्छू के डंक हों। तथा उनमें लोगों को पाँच महीने तक क्षति पहुँचाने की शक्ति थी। 11 पाताल के अधिकारी दूत को उन्होंने अपने राजा के रूप में लिया हुआ था। इब्रानी भाषा में उनका नाम है अबद्दोन और यूनानी भाषा में वह अपुल्लयोन (अर्थात् विनाश करने वाला) कहलाता है।
12 पहली महान विपत्ति तो बीत चुकी है किन्तु इसके बाद अभी दो बड़ी विपत्तियाँ आने वाली हैं।
समीक्षा
अपनी प्रार्थनाओं से बदलाव लाइए (अंतर्भासी)
अंतर्भासी साहित्य सपनों और दूरदर्शिता का साहित्य है। वह दिव्य रहस्यों और इतिहास के अंत का साहित्य है। यह चिन्हों से भरा हुआ है जिन्हें हमें समझना है। इसमें हमें उन बातों की झलक दिखाई पड़ती है जो हमें उन बातों को समझने में मदद करती हैं जो हमारी समझ से परे हैं।
अंतर्भासी साहित्य का अनुवाद करना बहुत कठिन है। यह बाइबल में कई जगहों पर पाया जाता है।
अंतर्भासी साहित्य के लेख को समझना इतना आसान नहीं है। ऐसा लगता है मानो यीशु संसार को बुला रहे हैं, ताकि वे पश्चाताप करें और उनके आने वाली न्याय की चेतावनी को समझें।
न्याय से पहले, “स्वर्ग में सन्नाटा छा गया – पूरा सन्नाटा आधी घड़ी तक का” (8:1) और इस कांपते हुए रहस्य के दौरान पूरे स्वर्ग में सन्नाटा छा जाता है, हो सकता है, वे सांकेतिक हैं उस अवसर के जब परमेश्वर के लोगों की प्रार्थनाएँ परमेश्वर के पास लाई जाएगी और सुनी जाएगी।
वह सात तुरही (V.2) बताती हैं कि परमेश्वर अपनी शक्ति से सब कुछ कर रहें हैं, ताकि हम पश्चाताप करें। परमेश्वर की यह इच्छा है कि वह हमें सावधान करें, हमारी जीवन शैली के कारण ना टलने वाले परिणामों से। पहली चार तुरही हमें प्राकृतिक विनाश की सूचना देती हैं (VV 6–13), पर्यावरण का विनाश (V. 7), निर्माण में गड़बड़ी (VV 8–9), मानव त्रासदी (VV:10–11) और अंतरिक्ष में विनाश (V. 12), पांचवे और छठे स्वर्गदूत मनुष्यों के विनाश की सूचना देते हैं (9:1–21)।
और इन सब के बीच हम प्रार्थनाओं का अर्थ समझते हैं। “फिर एक और स्वर्गदूत सोने का धूपदान लिए हुए आया और वेदी के निकट खड़ा हुआ और उसको बहुत धूप दिया गया कि सब पवित्र लोगों की प्रार्थनाओं के साथ उस सोनहली वेदी पर जो सिंहासन के सामने हैं चढ़ाए। और उस धूप का धुंआँ पवित्र लोगों की प्रार्थनाओं सहित स्वर्गदूत की दया से परमेश्वर के सामने पहुँच गया” (8: 3-4)। प्रार्थना का सही प्रभाव यहाँ स्पष्ट नहीं है, पर यह स्पष्ट है कि आपकी प्रार्थनाएं सुनी जा रही हैं। आपकी प्रार्थना महत्वपूर्ण हैं और यह बदलाव लाती हैं।
हम यीशु के पहले और दूसरे आगमन के बीच के समय में रह रहे हैं। और जो कुछ इन अध्यायों में लिखा है, उन बातों का सबूत हम देखते हैं, यानि संसार में जो कुछ हो रहा है। हमारी प्रतिक्रिया, प्रार्थना और पश्चाताप होनी चाहिए।
प्रार्थना
एज्रा 1:1-2:67
कुस्रू बन्दियों को वापसी में सहायता करता है
1कुस्रू के फारस पर राज्य करने के प्रथम वर्ष यहोवा ने कुस्रू को एक घोषणा करने के लिये प्रोत्साहित किया। कुस्रू ने उस घोषणा को लिखवाया और अपने राज्य में हर एक स्थान पर पढ़वाया। यह इसलिये हुआ ताकि यहोवा का वह सन्देश जो यिर्मयाह द्वारा कहा गया था, सच्चा हो सके। घोषणा यह है:
2 फारस के राजा कुस्रू का सन्देश:
स्वर्ग के परमेश्वर यहोवा, ने पृथ्वी के सारे राज्य मुझको दिये हैं और यहोवा ने मुझे यहूदा देश के यरूशलेम में उसका एक मन्दिर बनाने के लिए चुना। 3 यहोवा, इस्राएल का परमेश्वर है, वह परमेश्वर जो यरूशलेम में है। यदि परमेश्वर के व्यक्तियों में कोई भी व्यक्ति तुम्हारे बीच रह रहा है तो मैं यह प्रार्थना करता हूँ कि परमेश्वर उसे आशीर्वाद दे। तुम्हें उसे यहूदा देश के यरूशलेम में जाने देना चाहिये। तुम्हें यहोवा के मन्दिर को बनाने के लिये उन्हें जाने देना चाहिये। 4 और इसलिये किसी भी उस स्थान में जहाँ इस्राएल के लोग बचे हों उस स्थान के लोगों को उन बचे हुओं की सहायता करनी चाहिये। उन लोगों को चाँदी, सोना, गाय और अन्य चीजें दो। यरूशलेम में परमेश्वर के मन्दिर के लिये उन्हें भेंट दो।
5 अत: यहूदा और बिन्यामीन के परिवार समूहों के प्रमुखों ने यरूशलेम जाने की तैयारी की। वे यहोवा के मन्दिर को बनाने के लिये यरूशलेम जा रहे थे। परमेश्वर ने जिन लोगों को प्रोत्साहित किया था वे भी यरूशलेम जाने को तैयार हो गए। 6 उनके सभी पड़ोसियों ने उन्हें बहुत सी भेंट दी। उन्होंने उन्हें चाँदी, सोना, पशु और अन्य कीमती चीज़ें दीं। उनके पड़ोसियों ने उन्हें वे सभी चीज़ें स्वेच्छापूर्वक दीं। 7 राजा कुस्रू भी उन चीज़ों को लाया जो यहोवा के मन्दिर की थीं। नबूकदनेस्सर उन चीज़ों को यरूशलेम से लूट लाया था। नबूकदनेस्सर ने उन चीज़ों को अपने उस मन्दिर में रखा, जिसमें वह अपने असत्य देवताओं को रखता था। 8 फारस के राजा कुस्रू ने अपने उस व्यक्ति से जो उसके धन की देख—रेख करता था, इन चीज़ों को बाहर लाने के लिये कहा। उस व्यक्ति का नाम मिथूदात था। अत: मिथूदात उन चीज़ों को यहूदा के प्रमुख शेशबस्सर के पास लेकर आया।
9 जिन चीज़ों को मिथूदात यहोवा के मन्दिर से लाया था वे ये थीं: सोने के पात्र 30, चाँदी के पात्र 1,000, चाकू और कड़ाहियाँ 29, 10 सोने के कटोरे 30, सोने के कटोरों जैसे चाँदी के कटोरे, 410, तथा एक हजार अन्य प्रकार के पात्र 1,000.
11 सब मिलाकर वहाँ सोने चाँदी की बनी पाँच हजार चार सौ चीज़ें थीं। शेशबस्सर इन सभी चीज़ों को अपने साथ उस समय लाया जब बन्दियों ने बाबेल छोड़ा और यरूशलेम को वापस लौट गये।
छुटकर वापस आने वाले बन्दियों की सूची
2ये राज्य के वे व्यक्ति हैं जो बन्धुवाई से लौट कर आये। बीते समय में बाबेल का राजा नबूकदनेस्सर उन लोगों को बन्दी के रूप में बाबेल लाया था। ये लोग यरूशलेम और यहूदा को वापस आए। हर एक व्यक्ति यहूदा में अपने—अपने नगर को वापस गया। 2 ये वे लोग हैं जो जरूब्बाबेल के साथ वापस आए: येशू, नहेम्याह, सहायाह, रेलायाह, मौर्दकै, बिलशान, मिस्पार, बिगवै, रहूम और बाना। यह इस्राएल के उन लोगों के नाम और उनकी संख्या है जो वापस लौटे:
3 परोश के वंशज#2,172
4 शपत्याह के वंशज#372
5 आरह के वंशज#775
6 येशू और योआब के परिवार के पहत्मोआब के वंशज#2,812
7 एलाम के वंशज#1,254
8 जत्तू के वंशज#945
9 जक्कै के वंशज#760
10 बानी के वंशज#642
11 बेबै के वंशज#623
12 अजगाद के वंशज#1,222
13 अदोनीकाम के वंशज#666
14 बिगवै के वंशज#2,056
15 आदीन के वंशज#454
16 आतेर के वंशज हिजकिय्याह के पारिवारिक पीढ़ी से#98
17 बेसै के वंशज#323
18 योरा के वंशज#112
19 हाशूम के वंशज#223
20 गिब्बार के वंशज#95
21 बेतलेहेम नगर के लोग#123
22 नतोपा के नगर से#56
23 अनातोत नगर से#128
24 अज्मावेत के नगर से#42
25 किर्यतारीम, कपीरा और बेरोत नगरों से#743
26 रामा और गेबा नगर से#621
27 मिकमास नगर से#122
28 बेतेल और ऐ नगर से#223
29 नबो नगर से#52
30 मग्बीस नगर से#156
31 एलाम नामक अन्य नगर से#1,254
32 हारीम नगर से#320
33 लोद, हादीद और ओनो नगरों से#725
34 यरीहो नगर से#345
35 सना नगर से#3,630
36 याजकों के नाम और उनकी संख्या की सूची यह है:
यदायाह के वंशज (येशू की पारिवारिक पीढ़ी से)#973
37 इम्मेर के वंशज#1,052
38 पशहूर के वंशज#1,247
39 हारीम के वंशज#1,017
40 लेवीवंशी कहे जाने वाले लेवी के परिवार की संख्या यह है:
येशू, और कदमिएल होदग्याह की पारिवारिक पीढ़ी से#74
41 गायकों की संख्या यह है:
आसाप के वंशज#128
42 मन्दिर के द्वारपालों की संख्या यह है:
शल्लूम, आतेर, तल्मोन, अक्कूब, हतीता और शोबै के वंशज#139
43 मन्दिर के विशेष सेवक ये हैं:
ये सीहा, हसूपा और तब्बाओत के वंशज हैं।
44 केरोस, सीअहा, पादोन,
45 लबाना, हागाब, अक्कूब
46 हागाब, शल्मै, हानान,
47 गिद्दल, गहर, रायाह,
48 रसीन, नकोदा, गज्जाम,
49 उज्जा, पासेह, बेसै,
50 अस्ना, मूनीम, नपीसीम।
51 बकबूक, हकूपा, हर्हूर,
52 बसलूत, महीदा, हर्शा,
53 बर्कोस, सीसरा, तेमह,
54 नसीह और हतीपा।
55 ये सुलैमान के सेवकों के वंशज हैं:
सोतै, हस्सोपेरेत और परूदा की सन्तानें।
56 याला, दर्कोन, गिद्देल,
57 शपत्याह, हत्तील, पोकरेतसबायीम।
58 मन्दिर के सेवक और सुलैमान के सेवकों के कुल वंशज#392
59 कुछ लोग इन नगरों से यरूशलेम आये: तेल्मेलह, तेलहर्शा, करूब, अद्दान और इम्मेर। किन्तु ये लोग यह प्रमाणित नहीं कर सके कि उनके परिवार इस्राएल के परिवार से हैं।
60 उनके नाम और उनकी संख्या यह है: दलायाह, तोबिय्याह और नकोदा के वंशज#652
61 यह याजकों के परिवारों के नाम हैं:
हबायाह, हक्कोस और बर्जिल्लै के वंशज (एक व्यक्ति जिसने गिलादी के बर्जिल्लै की पुत्री से विवाह किया था और बर्जिल्लै के पारिवारिक नाम से ही जाना जाता था।)
62 इन लोगों ने अपने पारिवारिक इतिहासों की खोज की, किन्तु उसे पा न सके। उनके नाम याजकों की सूची में नहीं सम्मिलित किये गये थे। वे यह प्रमाणित नहीं कर सके कि उनके पूर्वज याजक थे। इसी कारण वे याजक नहीं हो सकते थे। 63 प्रशासक ने इन लोगों को आदेश दिया कि ये लोग कोई भी पवित्र भोजन न करें। वे तब तक इस पवित्र भोजन को नहीं खा सकते जब तक एक याजक जो ऊरीम और तुम्मीम का उपयोग करके यहोवा से न पूछे कि क्या किया जाये।
64-65 सब मिलाकर बयालीस हजार तीन सौ साठ लोग उन समूहों में थे जो वापस लौट आए। इसमें उनके सात हजार तीन सौ सैंतीस सेवक, सेविकाओं की गणना नहीं है और उनके साथ दो सौ गायक और गायिकाएं भी थीं। 66-67 उनके पास सात सौ छत्तीस घोड़े, दो सौ पैंतालीस खच्चर, चार सौ पैंतीस ऊँट और छः हजार सात सौ बीस गधे थे।
समीक्षा
अपने जीवन के लिए परमेश्वर की योजनाओं को पूरा करिए (इतिहास)
परमेश्वर के पास आप के जीवन के लिए उत्तम योजना है। और कुछ अदभुत करने के लिए आपको बुलाया गया है । एज़रा की पुस्तक यह दर्शाती कि जब परमेश्वर की योजना होती है, तब बहुत विरोध और प्रतिरोध का सामना भी करना पड़ सकता है। लेकिन परमेश्वर आपके साथ हैं (1:3) और अंत में परमेश्वर की योजना ही सफल होगी।
एज़रा की पुस्तक में, हम अपने आप को एक जाने पहचाने इतिहास की जगह में पाते हैं। बाइबल की ऐतिहासिक पुस्तकें सिर्फ अभिलेख नहीं हैं कि उस समय क्या हुआ था, बल्कि इनमें हमें उन घटनाओं का अनुवाद भी दिखाया गया है। ऐतिहासिक लेख को एक भविष्यवाणी गतिविधी की तरह देखा जा सकता था, तथ्यों को लिखना और विस्तार से समझाना कि जिन घटनाओं को दर्शाया गया है उसके दौरान परमेश्वर किस तरह से अपने कार्य में लगे हुए थे ।
एज़रा की शुरूवात के पद सच्चाई और अनुवाद को एक साथ लाने के अव्वल उदाहरण हैं “फारस के राजा क्रुसू के पहले वर्ष में परमेश्वर ने फारस के राजा क्रुसू का मन उभारा कि परमेश्वर का वचन जो यिर्मयाह के मुँह से निकला था वह पूरा हो जाए, इसलिए उसने अपने समस्त राज्यों में यह प्रचार करवाया और लिखवा भी दिया” (V.1) समकालीन शिलालेख यह दर्शाता है कि क्रुसू, फारस के राजा ने कई देश के बंधुओं को वापस घरों को लौटने की अनुमति दी।
उसी समय लेखक इन ऐतिहासिक घटनाओं का महत्व समझाता है। वह मुख्य रूप से बताता है कि किस तरह से यिर्मयाह की भविष्यवाणी इनमें पूरी हुई, कि प्रवास सत्तर सालों तक रहेगा (यिर्मयाह 25:12 और 29:10) यह प्राचीन इतिहास का एकमात्र सबक नहीं है, पर यह परमेश्वर का प्रकाशितवाक्य है। यह हमें परमेश्वर की वफादारी उनके लोगों के लिए दर्शाता है, यह हमें याद दिलाता है कि वे बचाने वाले परमेश्वर हैं, यह दिखाता है कि वह किस तरह से इतिहास पर अपना अधिकार और नियंत्रण रखते हैं।
जो घटनाएं एज्रा ने इन अध्यायों में दर्शायी हैं जो 536 बी.सी. में हुई थीं। सत्तर सालों के पतन, घर से और देश से निकाले जाने के बाद एक नई शुरुवात हुई परमेश्वर के लोगों के लिए, क्योंकि उन्हें घर वापसी की अनुमति दी गई थी।
क्रुसु के हुक्मनामे से यहूदियों को इस्राइल वापस जाने की अनुमति मिली ताकि येरूशलेम में वे फिर से मंदिर का निर्माण कर सकें। एज्रा ने मंदिर को पुनर्स्थापित करने में हाथ लगाया और नहेमयाह ने येरुशलम की दीवार का पुनर्स्थापन किया और उन दोनों की अंतर्निहित मंशा एक सी थी। दोनों परमेश्वर की महिमा और परमेश्वर के लोगों के प्रति संबंधित थे। दोनों ने अलग-अलग तरीकों से परमेश्वर की योजना को अपने जीवन में पूरा किया।
आज यह आप के लिए भी है। आप के पास अपने जीवन के लिए एक अद्धितीय योजना है। हम सब के पास (भिन्न भिन्न तरह की परियोजनाएं हैं, जो हमारे अलग अलग कार्यों पर, अपने जुनून और अपने गुणों पर निर्भर करता है, लेकिन आपका अंतनिर्हित उद्देश्य एक सा होना चाहिए – परमेश्वर की महिमा और परमेश्वर के लोगों के प्रति। परमेश्वर अपनी योजना को आपके लिए पूरा करेंगे।
प्रार्थना
पिप्पा भी कहते है
एज्रा के दूसरे अध्याय में, मैं एक लंबी नामों की सूची देखती हूँ जो देश निकाले से वापस लौटे थे। उन्होंने लोगों को गिना क्योंकि लोग महत्वपूर्ण हैं।
दिन का वचन
भजन संहिता – 144:15
“तो इस दशा में जो राज्य हो वह क्या ही धन्य होगा! जिस राज्य का परमेश्वर यहोवा है, वह क्या ही धन्य है!”
App
Download the Bible in One Year app for iOS or Android devices and read along each day.
Sign up now to receive Bible in One Year in your inbox each morning. You’ll get one email each day.
Podcast
Subscribe and listen to Bible in One Year delivered to your favourite podcast app everyday.
Website
Start reading today’s devotion right here on the BiOY website.
संदर्भ
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।