आपकी सबसे मूल्यवान संपत्ति
परिचय
उपन्यासकार, इतिहासकार और कवि के रूप में, सर वाल्टर स्कॉट (1771-1832), मृत्यु शैय्या पर लेटे हुए थे, वह अपने अच्छे मित्र और दामाद जे.जी. लॉकहार्ट की ओर मुड़े –जिसने बाद में अपने जीवन की कहानी लिखी – और कहा, ‘क्या तुम मेरे लिए किताब में से पढोगे?’ लॉकहार्ट ने आश्चर्य किया कि कौन सी किताब में से पढ़ना है – क्योंकि वह जानते थे कि वे एक महान लेखक थे। इसलिए उन्होंने पूछा, ‘कौन सी किताब?’
’कौन सी किताब’ स्कॉट ने जवाब दिया, ‘एक किताब है, बाईबल।’ पृथ्वी पर उनके अंतिम क्षणों में, वह परमेश्वर की बात से उत्साहित हुए और शांति पायी। उनके अंतिम वचन उनकी सबसे मूल्यवान संपत्ति थी।
पौलुस प्रेरित के मामले में, हम नहीं जानते हैं कि उनके अंतिम वचन क्या थे। किंतु, हमारे पास उनके दर्ज किए गए अंतिम वचन हैं; वे आज के लिए हमारे लेखांश में हैं। अपने पत्र को समाप्त करते हुए वह लिखते हैं, ‘ मैं अच्छी कुश्ती लड़ चुका हूँ, मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है’ (2तीमुथियुस 4:7)। हम यीशु मसीह और उनके वचन के लिए उनके जोश को देखते हैं। उनका संपूर्ण जीवन दूसरों को यीशु के सुसमाचार के बारे में बताने के विषय में था। उनके अंतिम वचनो ने तीमुथी को चिताया कि वह ऐसा ही करें।
भजन संहिता 119:97-104
मेम्
97 आ हा, यहोवा तेरी शिक्षाओं से मुझे प्रेम है।
हर घड़ी मैं उनका ही बखान किया करता हूँ।
98 हे यहोवा, तेरे आदेशों ने मुझे मेरे शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान बनाया।
तेरा विधान सदा मेरे साथ रहता है।
99 मैं अपने सब शिक्षाओं से अधिक बुद्धिमान हूँ
क्योंकि मैं तेरी वाचा का पाठ किया करता हूँ।
100 बुजुर्ग प्रमुखों से भी अधिक समझता हूँ।
क्योंकि मैं तेरे आदेशों को पालता हूँ।
101 हे यहोवा, तू मुझे राह में हर कदम बुरे मार्ग से बचाता है,
ताकि जो तू मुझे बताता है वह मैं कर सकूँ।
102 यहोवा, तू मेरा शिक्षक है।
सो मैं तेरे विधान पर चलना नहीं छोड़ूँगा।
103 तेरे वचन मेरे मुख के भीतर
शहद से भी अधिक मीठे हैं।
104 तेरी शिक्षाएँ मुझे बुद्धिमान बनाती है।
सो मैं झूठी शिक्षाओं से घृणा करता हूँ।
समीक्षा
परमेश्वर के वचन से प्रेम करें
परमेश्वर के बिना हमारे जीवन का कोई अर्थ नहीं है। जैसे ही हम उनके वचन को पढ़ते हैं, हम अपने जीवन के अर्थ और उद्देश्य को पहचानते हैं: ’ तेरे उपदेशों के कारण मैं समझदार हो जाता हूँ’ (व.104, एम.एस.जी)। इससे अधिक कुछ भी महत्वपूर्ण या अधिक मूल्यवान नहीं है।
राज्यभिषेक के समय रानी को एक बाईबल दी गई और कहा गया, ‘हम आपको यह पुस्तक देते हैं, सबसे मूल्यवान वस्तु जो इस विश्व के पास है।’
भजनसंहिता के लेखक लिखते हैं, ‘ आहा! मैं तेरी व्यवस्था से कैसी प्रीति रखता हूँ’ (व.97अ)। वह कहते हैं, ‘ दिन भर मेरा ध्यान उसी पर लगा रहता है’ (व.97ब, एम.एस.जी)। वह लिखते हैं, ‘ तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुँह में मधु से भी मीठे हैं’ (व.103, एम.एस.जी)।
परमेश्वर के वचन से प्रेम करने, और इस पर मनन करने का प्रभाव यह है कि यह आपको बुद्धि देगा (व.98), अंतर्ज्ञान (व.99) और समझ देगा (वव.100,104) ’ मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूँ’ (व.99, एम.एस.जी)। ’ मैंने अपने पाँवों को हर एक बुरे रास्ते से रोक रखा है’ (वव.101, 104)।
प्रार्थना
2 तीमुथियुस 4:1-22
4परमेश्वर को साक्षी करके और मसीह यीशु को अपनी साक्षी बना कर जो सभी जीवितों और जो मर चुके हैं, उनका न्याय करने वाला है, और क्योंकि उसका पुनःआगमन तथा उसका राज्य निकट है, मैं तुझे शपथ पूर्वक आदेश देता हूँ: 2 सुसमाचार का प्रचार कर। चाहे तुझे सुविधा हो चाहे असुविधा, अपना कर्तव्य करने को तैयार रह। लोगों को क्या करना चाहिए, उन्हें समझा। जब वे कोई बुरा काम करें, उन्हें चेतावनी दे। लोगों को धैर्य के साथ समझाते हुए प्रोत्साहित कर।
3 मैं यह इसलिए बता रहा हूँ कि एक समय ऐसा आयेगा जब लोग उत्तम उपदेश को सुनना तक नहीं चाहेंगे। वे अपनी इच्छाओं के अनुकूल अपने लिए बहुत से गुरु इकट्ठे कर लेंगे, जो वही सुनाएँगे जो वे सुनना चाहते हैं। 4 वे अपने कानों को सत्य से फेर लेंगे और कल्पित कथाओं पर ध्यान देने लगेंगे। 5 किन्तु तू निश्चयपूर्वक हर परिस्थिति में अपने पर नियन्त्रण रख, यातनाएँ झेल और सुसमाचार के प्रचार का काम कर। जो सेवा तुझे सौंपी गयी है, उसे पूरा कर।
6 जहाँ तक मेरी बात है, मैं तो अब अर्घ के समान उँडेला जाने पर हूँ। और मेरा तो इस जीवन से विदा लेने का समय भी आ पहुँचा है। 7 मैं उत्तम प्रतिस्पर्द्धा में लगा रहा हूँ। मैं अपनी दौड़, दौड़ चुका हूँ। मैंने विश्वास के पन्थ की रक्षा की है। 8 अब विजय मुकुट मेरी प्रतीक्षा में है। जो धार्मिक जीवन के लिये मिलना है। उस दिन न्यायकर्ता प्रभु मुझे विजय मुकुट पहनायेगा। न केवल मुझे, बल्कि उन सब को जो प्रेम के साथ उसके प्रकट होने की बाट जोहते रहे हैं।
निजी संदेश
9 मुझसे जितना शीघ्र हो सके, मिलने आने का पूरा प्रयत्न करना। 10 क्योंकि इस जगत के मोह में पड़ कर देमास ने मुझे त्याग दिया है और वह थिस्सलुनीके को चला गया है। क्रेस कैंस गलातिया को तथा तीतुस दलमतिया को चला गया है। 11 केवल लूका ही मेरे पास है। मरकुस के पास जाना और जब तू आये, उसे अपने साथ ले आना क्योंकि मेरे काम में वह मेरा सहायक हो सकता है। 12 तिखिकुस को मैं इफिसुस भेज रहा हूँ।
13 जब तू आये, तो उस कोट को, जिसे मैं त्रोआस में करपुस के घर छोड़ आया था, ले आना। मेरी पुस्तकों, विशेष कर चर्म-पत्रों को भी ले आना।
14 ताम्रकार सिकन्दर ने मुझे बहुत हानि पहुँचाई है। उसने जैसा किया है, प्रभु उसे वैसा ही फल देगा। 15 तू भी उस से सचेत रहना क्योंकि वह हमारे उपदेश का घोर विरोध करता रहा है।
16 प्रारम्भ में जब मैं अपना बचाव प्रस्तुत करने लगा तो मेरे पक्ष में कोई सामने नहीं आया। बल्कि उन्होंने तो मुझे अकेला छोड़ दिया था। परमेश्वर करे उन्हें इसका हिसाब न देना पड़े। 17 मेरे पक्ष में तो प्रभु ने खड़े होकर मुझे शक्ति दी। ताकि मेरे द्वारा सुसमाचार का भरपूर प्रचार हो सके, जिसे सभी ग़ैर यहूदी सुन पायें। सिंह के मुँह से मुझे बचा लिया गया है। 18 किसी भी पापपूर्ण हमले से प्रभु मुझे बचायेगा और अपने स्वर्गीय राज्य में सुरक्षा पूर्वक ले जायेगा। उसकी महिमा सदा-सदा होती रहे। आमीन!
पत्र का समापन
19 प्रिसकिल्ला, अक्विला और उनेसिफुरुस के परिवार को नमस्कार कहना। 20 इरास्तुस कुरिन्थुस में ठहर गया है। मैंने त्रुफिमुस को उसकी बीमारी के कारण मिलेतुस में छोड़ दिया है। 21 जाड़ों से पहले आने का जतन करना।
यूबुलुस, पूदेंस, लिनुस तथा क्लौदिया तथा और सभी भाईयों का तुझे नमस्कार पहुँचे।
22 प्रभु तेरे साथ रहे। तुम सब पर प्रभु का अनुग्रह हो।
समीक्षा
परमेश्वर के वचन की घोषणा कीजिए
पौलुस प्रेरित चिताते हैं, ‘संदेश की घोषणा कीजिए’ (व.2अ, एम.एस.जी)। यह लेखांश प्रायोगिक सलाह से भरी हुई है कि कैसे इसे करना है।
1. शामिल हो जाईये
पौलुस तीमुथियुस को लिखते हैं, ‘ मैं तुझे आदेश देता हूँ’ (व.1)। तीमुथी के लिए उनका आदेश है कि वह एक प्रचारक और एक उपदेशक बनें। नये नियम के अनुसार यह हर मसीह का कार्य है।
2. यीशु के बारे में बताईये
पौलुस कहते हैं ’वचन’ का प्रचार करो (व.2अ)। यहाँ पर ग्रीक शब्द ’लोगोस’ है, जिसका इस्तेमाल यूहन्ना 1:1 में यीशु का वर्णन करने के लिए किया गया था। अच्छा समाचार यीशु के विषय में है।
जब हम शब्द ’प्रचार करना’ सुनते हैं हम अक्सर ऐसे एक व्यक्ति के बारे में सोचते हैं जो चोंगा पहने हुए है और चर्च में विश्वासियों के समूह से बात कर रहे हैं। यहाँ पर पौलुस जिस शब्द का इस्तेमाल करते हैं, इसका अर्थ है संदेशवाहक जो एक संदेश लेकर जाता है, जो राजा ने उसे दिया है। यह एक महत्वपूर्ण संदेश है। शायद से आप एक ’उपदेशक’ नहीं हैं लेकिन आप यीशु के विषय में सुसमाचार के संदेशवाहक बन सकते हैं।
3. तैयार हो जाईये
यह महत्वपूर्ण है कि हर उस अवसर का लाभ लेने के लिए तैयार रहे जो परमेश्वर आपको देते हैं अपने विश्वास को बताने के लिए। पौलुस लिखते हैं, ‘ समय और असमय तैयार रहे’ (2तीमुथियुस 4:2) –अर्थात्, जब यह सुविधाजनक है और जब नहीं है। ’तैयार’ के लिए वह जिस शब्द का इस्तेमाल करते हैं, उसका सैन्य अर्थ है। वह कह रहे हैं, अपने पद पर बने रहो। काम पर रहो। सावधान रहो। तैयार रहो। उपलब्ध रहो।
4. व्यक्ति से बात करो
पौलुस का संदेश पवित्र है। पहला, यह दिमाग में जाता है (व.5)। वह कहते हैं ’सही’ (व.2), जिसका अनुवाद ’साबित करना’ के रूप में किया जा सकता है। ’सावधानीपूर्वक निर्देश’ के साथ हमें सुसमाचार कैसे सिखाना है (व.2)। सुसमाचार के प्रति हमारे प्रदर्शन को कभी भी संतुष्टि से खाली नहीं होना चाहिए। पौलुस का संदेश प्रमाण और कारण पर निर्भर है। सच में, पौलुस तीमुथियुस से कहते हैं, ‘तुम सब बातो में सावधान रहो’ (व.5)।
दूसरा, यह हृदय और वेवक से अनुरोध करना है। वह कहते हैं, ‘डाँटो’ (व.2)। कारण पर्याप्त नहीं है – हृदय में परिवर्तन की आवश्यकता है।
तीसरा, यह इच्छा से एक अनुरोध हैः’उत्साहित करो’। हमें ’धीरज’ के साथ लोगों के साथ खड़ा होना है और उनकी मदद करनी है (व.2)। यह एक आत्मा है जो कभी चिढ़चिढ़ी नहीं होती है, कभी उदास नहीं होती और कभी व्यक्ति को उद्धार के परे नहीं समझती है।
5. सच्चाई को बताते रहें
शायद से आपके पास प्रलोभन आये कि अपने संदेश को बदलकर वह सुनाये जो आपके सुनने वाले सुनना चाहते हैं या जो आप सोचते हैं कि वह इसे अच्छी तरह से उत्तर देंगे, लेकिन उसी संदेश को सुनाते रहिये जो आपको सौंपा गया है। इस तथ्य के बावजूद कि कुछ लोग ’ खरा उपदेश न सह सकेंगे, पर कानों की खुजली के कारण अपनी अभिलाषाओं के अनुसार अपने लिये बहुत से उपदेशक बटोर लेंगे’ (व.3, एम.एस.जी) – सुसमाचार की सच्चाई की घोषणा करते रहिये।
6. आगे बढ़ते रहिये
पौलुस तीमुथियुस को लिखते हैं, ‘ सुसमाचार प्रचार का काम कर, और अपनी सेवा को पूरी कर’ (व.5क)। दूसरों को बताना परमेश्वर के सामने आपका उत्तरदायित्व है। यीशु वापस आ रहे हैं न्याय करने और राज्य करने के लिए (व.1)। अब जो आप करते हैं उसके अनंत परिणाम हैं। आपको हिसाब देना पड़ेगा।
इसलिए, ‘कठिनाई को सहने के लिए तैयार रहिये’ (व.5)। यदि आप इस संदेश का प्रचार करना चाहते हैं, तो आपको गलत समझा जाएगा, गलत रीति से प्रस्तुत किया जाएगा और गलत बताया जाएगा। देमास ने पौलुस को छोड़ दिया था (व.10)। ’ सिकन्दर ठठेरे ने मुझ से बहुत बुराइयाँ की हैं’ (व.14)। जरुरत के समय में कोई भी पौलुस के लिए खड़ा नहीं हुआ (व.16)।
कभी हार मत मानिए। तीमुथियुस से पौलुस के वचनो को इस तरह से सुनो जैसे वह आपसे कहे गए थेः ’सुसमाचार को फैलाने को अपने जीवन का कार्य बनाईये’ (व.5, जे.बी.पी)। पौलुस ने यही किया। वह बलिदान होने के लिए तैयार थे (व.6)।
अब वह तीमुथियुस से कहते हैं, ‘ क्योंकि अब मैं बलिदान होने के लिए तैयार हूँ, और मेरे कूच का समय आ पहुँचा है। मैं अच्छी कुश्ती लड़ चुका हूँ, मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है। भविष्य में मेरे लिये सत्यनिष्ठा का वह मुकुट रखा हुआ है, जिसे प्रभु, जो सत्यनिष्ठ न्यायी हैं, मुझे उस दिन देगा, और मुझे ही नहीं वरन् उन सब को भी जो उसके प्रकट होने को प्रिय जानते हैं’ (वव.6-8, एम.एस.जी)।
7. जानिये कि परमेश्वर आपकी ओर हैं
सारे विरोध और कठिनाईयों के बावजूद, एक चीज महत्वपूर्ण हैः’ परन्तु प्रभु मेरे सहायक रहे और मुझे सामर्थ दी’ (व.17)। ’ ताकि मेरे द्वारा पूरा पूरा प्रचार हो और सब अन्यजातीय सुन लें’ (व.17)। पौलुस अपने भविष्य के विषय में आश्वस्त हैं, यद्यपि उनके सामने मृत्यु खड़ी है (व.18)। तीमुथी और दूसरे विश्वासियों के लिए उनकी महान इच्छा है कि वे घनिष्ठता के साथ यीशु से जुड़ जांए। उनके अंतिम वचन हैं, ‘ प्रभु तेरी आत्मा के साथ रहें। तुम पर अनुग्रह होता रहे’ (व.22)।
प्रार्थना
यिर्मयाह 51:15-64
15 यहोवा ने अपनी महान शक्ति का उपयोग किया और पृथ्वी को बनाया।
उसने विश्व को बनाने के लिये अपनी बुद्धि का उपयोग किया।
उसने अपनी समझ का उपयोग आकाश को फैलाने में किया।
16 जब वह गरजता है तब आकाश का जल गरज उठता है।
वह सारी पृथ्वी से मेघों को ऊपर भेजता है।
वह वर्षा के साथ बिजली को भेजता है।
वह अपने भण्डार गृह से हवाओं को लाता है।
17 किन्तु लोग इतने बेवकूफ हैं।
वे नहीं समझते कि परमेश्वर ने क्या कर दिया है।
कुशल मूर्तिकार असत्य देवताओं की मूर्तियाँ बनाते हैं।
वे देवमूर्तियाँ केवल असत्य देवता हैं।
अत: वे प्रकट करती हैं कि वह मूर्तिकार कितना मूर्ख है।
वे देवमूर्तियाँ सजीव नहीं हैं।
18 वे देवमूर्तियाँ व्यर्थ हैं।
लोगों ने उन मूर्तियों को बनाया है और वे मजाक के अलावा कुछ नहीं हैं।
उनके न्याय का समय आएगा
और वे देवमूर्तियाँ नष्ट कर दी जाएंगी।
19 किन्तु याकूब का अँश (परमेश्वर) उन व्यर्थ देवमूर्तियों सा नहीं है।
लोगों ने परमेश्वर को नहीं बनाया, परमेश्वर ने लोगों को बनाया।
परमेश्वर ने ही सब कुछ बनाया।
उसका नाम सर्वशक्तिमान यहोवा है।
20 यहोवा कहता है, “बाबुल तुम मेरा युद्ध का हथियार हो,
मैं तुम्हारा उपयोग राष्ट्रों को कुचलने के लिये करता हूँ।
मैं तुम्हारा उपयोग राज्यों को नष्ट करने के लिये करता हूँ।
21 मैं तुम्हारा उपयोग घोड़े और घुड़सवार को कुचलने के लिये करता हूँ।
मैं तुम्हारा उपयोग रथ और सारथी को कुचलने के लिये करता हूँ।
22 मैं तुम्हारा उपयोग स्त्रियों और पुरुषों को कुचलने के लिये करता हूँ।
मैं तुम्हारा उपयोग वृद्ध और युवक को कुचलने के लिये करता हूँ।
मैं तुम्हारा उपयोग युवकों और युवतियों को कुचलने के लिये करता हूँ
23 मैं तुम्हारा उपयोग गडेरिये और रेवड़ों को कुचलने के लिये करता हूँ।
मैं तुम्हारा उपयोग किसान और बैलों को कुचलने के लिये करता हूँ।
मैं तुम्हारा उपयोग प्रशासकों और बड़े अधिकारियों को कुचलने के लिये करता हूँ।
24 किन्तु मैं बाबुल को उल्टा भुगतान करुँगा, मैं उन्हें सिय्योन के लिये उन्होंने जो बुरा किया, उन सबका भुगतान करुँगा।
यहूदा मैं उनको उल्टा भुगतान करुँगा जिससे तुम उसे देख सको।”
यहोवा ने यह सब कहा।
25 यहोवा कहता है,
“बाबुल, तुम पर्वत को गिरा रहे हो और मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ।
बाबुल, तुमने पूरा देश नष्ट किया है, और मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ।
मैं तुम्हारे विरुद्ध अपना हाथ बढ़ाऊँगा। मैं तुम्हें चट्टानों से लुढ़काऊँगा।
मैं तुम्हें जला हुआ पर्वत कर दूँगा।
26 लोगों को चक्की बनाने योग्य बड़ा पत्थर नहीं मिलेगा
बाबुल से लोग इमारतों की नींव के लिये कोई भी चट्टान नहीं ला सकेंगे।
क्यों क्योंकि तुम्हारा नगर सदैव के लिये चट्टानों के टुकड़ों का ढेर बन जाएगा।”
यह सब यहोवा ने कहा।
27 “देश में युद्ध का झण्डा उठाओ!
सभी राष्ट्रों में तुरही बजा दो!
राष्ट्रों को बाबुल के विरुद्ध युद्ध के लिये तैयार करो!
अरारात मिन्नी और अश्कनज राज्यों को बाबुल के विरुद्ध युद्ध के लिये बुलाओ।
उसके विरुद्ध सेना संचालन के लिये सेनापति चुनो।
सेना को उसके विरुद्ध भेजो।
इतने अधिक घोड़ों को भेजो कि वे टिड्डी दल जैसे हो जायें।
28 उसके विरुद्ध राष्ट्रों को युद्ध के लिये तैयार करो।
मादी के राजाओं को तैयार करो।
उनके प्रशासकों और उनके बड़े अधिकारियों को तैयार करो।
उनसे शासित सभी देशों को बाबुल के विरुद्ध युद्ध के लिये लाओ।
29 देश इस प्रकार काँपता है मानों पीड़ा भोग रहा हो।
यह काँपेगा जब यहोवा बाबुल के लिये बनाई योजना को पूरा करेगा।
यहोवा की योजना बाबुल को सूनी मरुभूमि बनाने की है।
कोई व्यक्ति वहाँ नहीं रहेगा।
30 कसदी सैनिकों ने लड़ना बन्द कर दिया है।
वे अपने दुर्गों में ठहरे हैं।
उनकी शक्ति क्षीण हो गई है।
वे भयभीत अबला से हो गये हैं।
बाबुल के घर जल रहे हैं।
उसके फाटकों के अवरोध टूट गए हैं।
31 एक के बाद दूसरा राजदूत आ रहा है।
राजदूत के पीछे राजदूत आ रहे हैं।
वे बाबुल के राजा को खबर सुना रहे हैं
कि उसके पूरे नगर पर अधिकार हो गया।
32 वे स्थान जहाँ से नदियों को पार किया जाता है अधिकार में कर लिये गये हैं।
दलदली भूमि जल रही है
बाबुल के सभी सैनिक भयभीत हैं।”
33 इस्राएल के लोगों का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है:
“बाबुल नगर एक खलिहान सा है।
फसल कटने के समय भूसे से अच्छा अन्न अलग करने के लिये लोग उंठल को पीटते हैं
और बाबुल को पीटने का समय शीघ्र आ रहा है।
34 “बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने अतीत में हमें नष्ट किया।
अतीत में नबूकदनेस्सर ने हमें चोट पहुँचाई।
अतीत में वह हमारे लोगों को ले गया और हम खाली घड़े से हो गए।
उसने हमारी सर्वोत्तम चीज़ें लीं।
वह विशाल दानव की तरह था जो तब तक सब कुछ खाता गया जब तक उसका पेट न भरा।
वह सर्वोत्तम चीज़ें ले गया, और हम लोगों को दूर फेंक दिया।
35 बाबुल ने हमें चोट पहुँचाने के लिये भयंकर काम किये और
अब मैं चाहता हूँ बाबुल के साथ वैसा ही घटित हो।”
सिय्योन में रहने वाले लोगों ने यह कहा,
“बाबुल हमारे लोगों को मारने के अपराधी हैं
और अब वे उन बुरे कामों के लिये दण्ड पा रहे हैं जो उन्होंने किये थे।”
यरूशलेम नगर ने यह सब कहा।
36 अत: यहोवा कहता है,
“यहूदा मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा।
मैं यह निश्चय देखूँगा कि बाबुल को दण्ड मिले।
मैं बाबुल के समुद्र को सुखा दूँगा और मैं उसके पानी के सोतों को सुखा दूँगा।
37 बाबुल बरबाद इमारतों का ढेर बन जाएगा।
बाबुल जंगली कुत्तों के रहने का स्थान बनेगा।
लोग चट्टानों के ढेर को देखेंगे और चकित होंगे।
लोग बाबुल के बारे में अपना सिर हिलायेंगे।
बाबुल ऐसी जगह हो जायेगा जहाँ कोई भी नहीं रहेगा।
38 “बाबुल के लोग गरजते हुए जवान सिंह की तरह हैं।
वे सिंह के बच्चे की तरह गुरर्ाते हैं।
39 वे लोग उत्तेजित सिंहों का सा काम कर रहे हैं।
मैं उन्हें दावत दूँगा।
मैं उन्हें मत्त बनाऊँगा।
वे हँसेंगे और आनन्द का समय बितायेंगे
और तब वे सदैव के लिये सो जायेंगे।
वे कभी नहीं जागेंगे।”
यहोवा ने यह सब कहा।
40 “मैं बाबुल के लोगों को मार डाले जाने के लिये ले जाऊँगा।
बाबुल मारे जाने की प्रतीक्षा करने वाले भेड़, मेंमने और बकरियों जैसा होगा।
41 “शेशक पराजित होगा।
सारी पृथ्वी का उत्तम और सर्वाधिक गर्वीला देश बन्दी होगा।
अन्य राष्ट्रों के लोग बाबुल पर निगाह डालेंगे
और जो कुछ वे देखेंगे उससे वे भयभीत हो उठेंगे।
42 बाबुल पर सागर उमड़ पड़ेगा।
उसकी गरजती तरंगे उसे ढक लेंगी।
43 तब बाबुल के नगर बरबाद और सूने हो जायेंगे।
बाबुल एक सूखी मरुभूमि बन जाएगा।
यह ऐसा देश बनेगा जहाँ कोई मनुष्य नहीं रहेगा,
लोग बाबुल से यात्रा भी नहीं करेंगे।
44 मैं बेल देवता को बाबुल में दण्ड दूँगा।
मैं उसके द्वारा निगले व्यक्तियों को उगलवाऊँगा।
अन्य राष्ट्र बाबुल में नहीं आएंगे
और बाबुल नगर की चहारदीवारी गिर जायेगी।
45 मेरे लोगों, बाबुल नगर से बाहर निकलो।
अपना जीवन बचाने को भाग चलो।
यहोवा के तेज क्रोध से बच भागो।
46 “मेरे लोगों, दु:खी मत होओ।
अफवाहें उड़ेंगी किन्तु डरो नहीं।
इस वर्ष एक अफवाह उड़ती है।
अगले वर्ष दूसरी अफवाह उड़ेगी।
देश में भयंकर युद्ध के बारे में अफवाहें उड़ेंगी।
शासकों के दूसरे शासकों के विरुद्ध युद्ध के बारे में अफवाहें उड़ेंगी।
47 निश्चय ही वह समय आयेगा,
जब मैं बाबुल के असत्य देवताओं को दण्ड दूँगा
और पूरा बाबुल देश लज्जा का पात्र बनेगा।
उस नगर की सड़कों पर असंख्य मरे व्यक्ति पड़े रहेंगे।
48 तब पृथ्वी और आकाश और उसके भीतर की सभी चीज़ें
बाबुल पर प्रसन्न होकर गाने लगेंगे,
वे जय जयकार करेंगे, क्योंकि सेना उत्तर से आएगी
और बाबुल के विरुद्ध लड़ेगी।”
यह सब यहोवा ने कहा है।
49 “बाबुल ने इस्राएल के लोगों को मारा।
बाबुल ने पृथ्वी पर सर्वत्र लोगों को मारा।
अत: बाबुल का पतन अवश्य होगा।
50 लोगों, तुम तलवार के घाट उतरने से बच निकले,
तुम्हें शीघ्रता करनी चाहिये और बाबुल को छोड़ना चाहिये। प्रतीक्षा न करो।
तुम दूर देश में हो।
किन्तु जहाँ कहीं रहो यहोवा को याद करो
और यरूशलेम को याद करो।
51 “यहूदा के हम लोग लज्जित हैं।
हम लज्जित हैं क्योंकि हमारा अपमान हुआ।
क्यों? क्योंकि विदेशी यहोवा के मन्दिर के
पवित्र स्थानों में प्रवेश कर चुके हैं।”
52 यहोवा कहता है, “समय आ रहा है
जब मैं बाबुल की देवमूर्तियों को दण्ड दूँगा।
उस समय उस देश में
सर्वत्र घायल लोग पीड़ा से रोएंगे।
53 बाबुल उठता चला जाएगा जब तक वह आकाश न छू ले।
बाबुल अपने दुर्गों को दृढ़ बनायेगा।
किन्तु मैं उस नगर के विरुद्ध लड़ने के लिये लोगों को भेजूँगा
और वे लोग उसे नष्ट कर देंगे।”
यहोवा ने यह सब कहा।
54 “हम बाबुल में लोगों का रोना सुन सकते हैं।
हम कसदी लोगों के देश में चीज़ों को नष्ट करने वाले लोगों का शोर सुन सकते हैं।
55 यहोवा बहुत शीघ्र बाबुल को नष्ट करेगा।
वह नगर के उद्घोष को चुप कर देगा।
शत्रु सागर की गरजती तरंगों की तरह टूट पड़ेंगे।
चारों ओर के लोग उस गरज को सुनेंगे।
56 सेना आएगी और बाबुल को नष्ट करेगी।
बाबुल के सैनिक पकड़े जाएंगे।
उनके धनुष टूटेंगे। क्यों क्योंकि यहोवा उन लोगों को दण्ड देता है जो बुरा करते हैं।
यहोवा उन्हें पूरा दण्ड देता जिसके वे पात्र हैं।
57 मैं बाबुल के बड़े पदाधिकारियों
और बुद्धिमान लोगों को मत्त कर दूँगा।
मैं उसके प्रशासकों, अधिकारियों
और सैनिकों को भी मत्त करूँगा।
तब वे सदैव के लिये सो जायेंगे,
वे कभी नहीं जागेंगे।”
राजा ने यह कहा,
उसका नाम सर्वशक्तिमान यहोवा है।
58 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है,
“बाबुल की मोटी और दृढ़ दीवार गिरा दी जाएगी।
इसके ऊँचे द्वार जला दिये जायेंगे।
बाबुल के लोग कठिन परिश्रम करेंगे
पर उसका कोई लाभ न होगा।
वे नगर को बचाने के प्रयत्न में बहुत थक जायेंगे,
किन्तु वे लपटों के केवल ईंधन होंगे।”
यिर्मयाह बाबुल को एक सन्देश भेजता है
59 यह वह सन्देश है जिसे यिर्मयाह ने सरायाह नामक अधिकारी को दिया। सरायाह नेरिय्याह का पुत्र था। नेरिय्याह महसेयाह का पुत्र था। सरायाह यहूदा के राजा सिदकिय्याह के साथ बाबुल गया था। यहूदा के राजा सिदकिय्याह के राज्यकाल के चौथे वर्ष में यह हुआ। उस समय यिर्मयाह ने सरायाह नामक अधिकारी को यह सन्देश दिया। 60 यिर्मयाह ने पत्रक पर उन सब भयंकर घटनाओं को लिख रखा था जो बाबुल में घटित होने वाली थीं। उसने यह सब बाबुल के बारे में लिख रखा था।
61 यिर्मयाह ने सरायाह से कहा, “सरायाह, बाबुल जाओ। निश्चय करो कि यह सन्देश तुम इस प्रकार पढ़ो कि सभी लोग सुन लें। 62 इसके बाद कहो, ‘हे यहोवा तूने कहा है कि तू इस बाबुल नामक स्थान को नष्ट करेगा। तू इसे ऐसे नष्ट करेगा कि कोई मनुष्य या जानवर यहाँ नहीं रहेगा। यह सदैव के लिये सूना और बरबाद स्थान हो जाएगा।’ 63 जब तुम पत्रक को पढ़ चुको तो इससे एक पत्थर बांधो।तब इस पत्रक को परात नदी में डाल दो। 64 तब कहो, ‘बाबुल इसी प्रकार डूबेगा। बाबुल फिर कभी नहीं उठेगा। बाबुल डूबेगा क्योंकि मैं वहाँ भयंकर विपत्तियाँ ढाऊँगा।’”
यिर्मयाह के शब्द यहाँ समाप्त हुए।
समीक्षा
परमेश्वर के वचनो की घोषणा करो
क्या आप अपनी स्थिति के विषय में कुछ भी करने में सामर्थहीन महसूस करते हैं? कभी कभी ऐसा लगता है कि परमेश्वर और उनके लोगों के विरूद्ध उठ रहे बल हमसे अधिक शक्तिशाली हैं। यह यिर्मयाह के दिनो में स्थिति थी जब परमेश्वर के लोगों का सामना उस समय के सबसे शक्तिशाली साम्राज्य से हुआ – बेबीलोन।
कठिनाई के इस समय में, यिर्मयाह निरंतर परमेश्वर के वचन की घोषणा करते रहे – अपने जीवन के अंत तक (वव.25-26,39,48,52 -53,57-58)। हमने पौलुस प्रेरित के अंतिम वचनो को पढ़ा है। अब हम यिर्मयाह के अंतिम वचनो के पास आते हैं: ’ यहाँ तक यिर्मयाह के वचन हैं’ (व.64)।
यिर्मयाह का संदेश यह थाः परमेश्वर सर्वशक्तिमान हैं। ’ ’उसी ने पृथ्वी को अपनी सामर्थ से बनाया, और जगत को अपनी बुध्दि से स्थिर किया; और आकाश को अपनी प्रवीणता से तान दिया है’ (व.15, एम.एस.जी)। यह सर्वशक्तिमान परमेश्वर आपकी ओर हैं:’मैं तेरा मुकद्दमा लडूँगा और तेरा बदला लूँगा’ (व.36, एम.एस.जी)। इसलिए, वह कहते हैं, ‘ तुम्हारा मन न घबराए। कभी हार मत मानना’ (व.46, एम.एस.जी)।
बेबीलोन साम्राज्य जो उस समय शक्तिशाली लग रहा था, उसका पतन होने वाला था –इसके पहले और तब से लेकर हर दूसरे साम्राज्य की तरह। लेकिन ना केवल परमेश्वर के लोग जीवित रहे, वे बढ़ते और फलते गए।
यिर्मयाह ने संदेश को लिख लिया। उन्होंने आदेश दिया कि, ‘ अवश्य ही ये सब वचन पढ़ना’ (व.61)। यिर्मयाह वफादार भविष्यवक्ता थे जिन्होंने परमेश्वर का वचन सुना और जीवन भर दूसरों को संदेश सुनाते थे।
प्रार्थना
पिप्पा भी कहते है
2तीमुथियुस 4:6-8
’ क्योंकि अब मैं बलिदान होने के लिए तैयार हूँ, और मेरे कूच का समय आ पहुँचा है। मैं अच्छी कुश्ती लड़ चुका हूँ, मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है। भविष्य में मेरे लिये सत्यनिष्ठा का वह मुकुट रखा हुआ है, जिसे प्रभु, जो सत्यनिष्ठ न्यायी हैं, मुझे उस दिन देंगे, और मुझे ही नहीं वरन् उन सब को भी जो उसके प्रकट होने को प्रिय जानते हैं’।
तीन चीजें मैं आशा करती हूँ कि जीवन के अंत तक मैंने की होः
लड़ाई लड़ी
दौड़ पूरी की
विश्वास की रखवाली की
दिन का वचन
यिर्मयाह 51:46
“ जब उड़ती हुई बात उस देश में सुनी जाए, तब तुम्हारा मन न घबराए; और जो उड़ती हुई चर्चा पृथ्वी पर सुनी जाएगी तुम उस से न डरना: उसके एक वर्ष बाद एक और बात उड़ती हुई आएगी, तब उसके बाद दूसरे वर्ष में एक और बात उड़ती हुई आएगी, और उस देश में उपद्रव होगा, और एक हाकिम दूसरे के विरुद्ध होगा।”
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संदर्भ
डेविड एम. अकिंस्टन, लीडरशिप – बाय द बुक (जुलन, प्रेस, 2007)
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट ऊ 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइडऍ बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट ऊ 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट ऊ 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।