यदि सब ठीक नहीं हुआ है, तो यह अंत नहीं है
परिचय
बेस्ट एक्जोटिक मारिगोल्ड होटल नामक फिल्म में एक पंक्ति हैः ’अंत में सबकुछ ठीक हो जाएगा...यदि सब ठीक नहीं हुआ, तो यह अंत नहीं है।“ फिल्म में इसके संदर्भ के परे, ये शब्द एक महान सिद्धांतवादी सच्चाई को ले जाते हैं।
भजन संहिता 119:105-112
नुन्
105 हे यहोवा, तेरा वचन मेरे पाँव के लिये दीपक
और मार्ग के लिये उजियाला है।
106 तेरे नियम उत्तम हैं।
मैं उन पर चलने का वचन देता हूँ, और मैं अपने वचन का पालन करूँगा।
107 हे यहोवा, बहुत समय तक मैंने दु:ख झेले हैं,
कृपया मुझे अपना आदेश दे और तू मुझे फिर से जीवित रहने दे!
108 हे यहोवा, मेरी विनती को तू स्वीकार कर,
और मुझ को अपनी विधान कि शिक्षा दे।
109 मेरा जीवन सदा जोखिम से भरा हुआ है।
किन्तु यहोवा मैं तेरे उपदेश भूला नहीं हूँ।
110 दुष्ट जन मुझको फँसाने का यत्न करते हैं
किन्तु तेरे आदेशों को मैंने कभी नहीं नकारा है।
111 हे यहोवा, मैं सदा तेरी वाचा का पालन करूँगा।
यह मुझे अति प्रसन्न किया करता है।
112 मैं सदा तेरे विधान पर चलने का
अति कठोर यत्न करूँगा।
समीक्षा
अंत तक दौड़ दौडो.
भजनसंहिता के लेखक की तरह, अपने जीवन के अंत तक परमेश्वर के प्रति वफादार बने रहने के लिए दृढ़ संकल्पित रहिये। कहिये,’ मैंने अपने मन को इस बात पर लगाया है, कि अन्त तक तेरी विधियों पर सदा चलता रहूं“ (व.112)।
कुछ तरीके से, आपका जीवन एक बाधावाली दौड़ की तरह है। रास्ते में फंदे लगे हुए हैं (व.110अ)। भटक जाने का प्रलोभन आता है (व.110ब), और वहाँ पर कष्ट है (व.107)।
कैसे आप डगमगाने या जीवन को खराब करने से बच सकते हैं? अंधेरे में भटकना डरावना और खतरनाक है। भजनसंहिता के लेखक का उत्तर है कि आस-पास के विश्व के अंधकार में, परमेश्वर का वचन प्रावधान देता हैः
1. मार्गदर्शन
परमेश्वर का वचन अंधकार में प्रकाश देता हैः’ तेरा वचन मेरे पाँव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है“ (व.105)। यह आपको सक्षम करता है कि रास्ते में पड़ी बाधाओं को देखो और आशापूर्वक उनसे ठोकर खाने से बचो। नियमित रूप से परमेश्वर के वचन का अध्ययन कीजिए और वह आपको मार्गदर्शित करेंगेः’तेरे वचन के द्वारा मैं देख सकता हूँ कि मैं कहाँ जा रहा हूँ; वे मेरे अंधेरे मार्ग में प्रकाश देते हैं“ (व.105, एम.एस.जी)।
2. पोषक आहार
आपको आत्मिक पोषक आहार की जरुरत है आगे बढ़ने के लिए और परमेश्वर के वचन ’ मेरे मुँह में मधु से भी मीठे हैं“ (व.103)।
3. बुद्धि
आपको बुद्धि की जरुरत है जब आप तनावपूर्ण स्थितियों और निर्णयों का सामना करते हैं, और परमेश्वर का वचन ’ तेरे उपदेशों के कारण मैं समझदार हो जाता हूँ“ (व.104)।
4. उत्साह
यह सरल नहीं है। वह लिखते हैं,’ मेरा प्राण निरन्तर मेरी हथेली पर रहता है“ (व.109)। आपको आगे बढ़ते रहने के लिए उत्साह की आवश्यकता है और परमेश्वर का वचन ’ मैंने तेरी चितोनियों को सदा के लिये अपना निज भाग कर लिया है, क्योंकि वे मेरे हृदय के हर्ष का कारण हैं“ (व.111)।
परमेश्वर वफादार हैं और आपकी सहायता करेंगे। भजनसंहिता के लेखक लिखते हैं,’ हे यहोवा, मेरे वचनो को स्वेच्छाबलि जानकर ग्रहण कर“ (व.108)। मैंने अपने मन को इस बात पर लगाया है, कि अन्त तक तेरी विधियों पर सदा चलता रहूँ“ (व.112ब)।
प्रार्थना
तीतुस 1:1-16
1पौलुस की ओर से जिसे परमेश्वर के चुने हुए लोगों को उनके विश्वास में सहायता देने के लिये और हमारे धर्म की सच्चाई के सम्पूर्ण ज्ञान की रहनुमाई के लिए भेजा गया है; 2 वह मैं ऐसा इसलिए कर रहा हूँ कि परमेश्वर के चुने हुओं को अनन्त जीवन की आस बँधे। परमेश्वर ने, जो कभी झूठ नहीं बोलता, अनादि काल से अनन्त जीवन का वचन दिया है। 3 उचित समय पर परमेश्वर ने अपने सुसमाचार को उपदेशों के द्वारा प्रकट किया। वही सुसन्देश हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर की आज्ञा से मुझे सौंपा गया है।
4 हमारे समान विश्वास में मेरे सच्चे पुत्र तीतुस को:
हमारे परमपिता परमेश्वर और उद्धारकर्ता मसीह यीशु की ओर से अनुग्रह और शांति प्राप्त हो।
क्रेते में तीतुस का कार्य
5 मैंने तुझे क्रेते में इसलिए छोड़ा था कि वहाँ जो कुछ अधूरा रह गया है, तू उसे ठीक-ठाक कर दे और मेरे आदेश के अनुसार हर नगर में बुजुर्गों को नियुक्त करे। 6 उसे नियुक्त तभी किया जाये जब वह निर्दोष हो। एक पत्नी व्रती हो। उसके बच्चे विश्वासी हों और अनुशासनहीनता का दोष उन पर न लगाया जा सके। तथा वे निरकुश भी न हों। 7 निरीक्षक को निर्दोष तथा किसी भी बुराई से अछूता होना चाहिए। क्योंकि जिसे परमेश्वर का काम सौंपा गया है, उसे अड़ियल, चिड़चिड़ा और दाखमधु पीने में उसकी रूचि नहीं होनी चाहिए। उसे झगड़ालू, नीच कमाई का लोलुप नहीं होना चाहिए 8 बल्कि उसे तो अतिथियों की आवभगत करने वाला, नेकी को चाहने वाला, विवेकपूर्ण, धर्मी, भक्त तथा अपने पर नियन्त्रण रखने वाला होना चाहिए। 9 उसे उस विश्वास करने योग्य संदेश को दृढ़ता से धारण किये रहना चाहिए जिसकी उसे शिक्षा दी गयी है, ताकि वह लोगों को सद्शिक्षा देकर उन्हें प्रबोधित कर सके। तथा जो इसके विरोधी हों, उनका खण्डन कर सके।
10 यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि बहुत से लोग विद्रोही होकर व्यर्थ की बातें बनाते हुए दूसरों को भटकाते हैं। मैं विशेष रूप से यहूदी पृष्ठभूमि के लोगों का उल्लेख कर रहा हूँ। 11 उनका तो मुँह बन्द किया ही जाना चाहिए। क्योंकि वे जो बातें नहीं सिखाने की हैं, उन्हें सिखाते हुए घर के घर बिगाड़ रहे हैं। बुरे रास्तों से धन कमाने के लिये ही वे ऐसा करते हैं। 12 एक क्रेते के निवासी ने अपने लोगों के बारे में स्वयं कहा है, “क्रेते के निवासी सदा झूठ बोलते हैं, वे जंगली पशु हैं, वे आलसी हैं, पेटू हैं।” 13 यह कथन सत्य है, इसलिए उन्हें बलपूर्वक डाँटो-फटकारो ताकि उनका विश्वास पक्का हो सके। 14 यहूदियों के पुराने वृत्तान्तों पर और उन लोगों के आदेशों पर, जो सत्य से भटक गये हैं, कोई ध्यान मत दो।
15 पवित्र लोगों के लिये सब कुछ पवित्र है, किन्तु अशुद्ध और जिनमें विश्वास नहीं है, उनके लिये कुछ भी पवित्र नहीं है। 16 वे परमेश्वर को जानने का दवा करते हैं। किन्तु उनके कर्म दर्शाते हैं कि वे उसे जानते ही नहीं। वे घृणित और आज्ञा का उल्लंघन करने वाले हैं। तथा किसी भी अच्छे काम को करने में वे असमर्थ हैं।
समीक्षा
अगली पीढी को कार्य सौंप दीजिए
कुछ तरीको में, लीडरशिप एक रिले दौड़ में होने की तरह है। वारिस होना पूँजी है। कार्य को अगली पीढ़ी को सौंप दीजिए क्योंकि दौड़ में आपका भाग अंत नहीं है।
पौलुस प्रेरित का जीवन बदल गया जब दमस्कुस जाते समय उनकी मुलाकात यीशु से हुई। उन्होंने जाना कि परमेश्वर ने यीशु को मरे हुओं में से जीवित किया, और इसलिए मृत्यु (इस जीवन का अंत) अंत नही है।
वह अपने आपको ’विश्वास को प्रमोट करने के लिए मसीह के एजेंट“ के रूप में देखते हैं (व.1अ, एम.एस.जी)। यीशु ने उन्हें संदेश का प्रचार करने के लिए भेजा है ’ उस सत्य की पहचान के अनुसार जो भक्ति के अनुसार है“ (व.1ब, एम.एस.जी)।
एक दिन, यीशु वापस आयेंगे और यह विश्व का अंत होगा, जैसा कि हम जानते हैं। किंतु, वह भी अंत नहीं होगा। पौलुस का लक्ष्य है ’ उस अनन्त जीवन की आशा पर जिसकी प्रतिज्ञा परमेश्वर ने, जो झूठ बोल नहीं सकता सनातन से की है“ (व.2, एम.एस.जी)। यह अद्भुत सुसमाचार वह संदेश है जिसने पौलुस की सेवकाई को उत्साहित किया और आगे बढ़ाया।
यह आपके विश्वास की नींव है। यह सच्चाई है। आप अपने भविष्य के विषय में पूरी तरह से निर्भीक हो सकते हैं, अनंत जीवन की इस आशा के कारण। यह एक आशा है जिसकी प्रतिज्ञा परमेश्वर ने आरंभ से की है (व.2), और जिसके प्रति आश्वस्त हो सकते हैं ’परमेश्वर वायदा नहीं तोड़ते हैं“ (व.2, एम.एस.जी)। यह संदेश है ’जिसका प्रचार करने के लिए पौलुस पर भरोसा किया गया था..हमारे उद्धारकर्ता की आज्ञा से“ (व.4, एम.एस.जी)।
अंत में, आपके पास अनंत जीवन की सच्ची आशा है। इसी दौरान, आपका कार्य ’अधूरा“ है (व.5)। पौलुस तीतुस को निर्देश देते हैं, जिसे तीमुथी की तरह उन्होंने मसीह में लाया था (व.4)।
पौलुस अपनी दौड़ के भाग को पूरा करने पर हैं। लेकिन उनके भाग का अंत, दौड़ का अंत नहीं है। वह कार्य को तीतुस को सौंप रहे हैं,’ मैं इसलिये तुझे क्रेते में छोड़ आया था कि तू शेष बातों को सुधारे“ (व.5, एम.एस.जी)। उसी समय, वह तीतुस को चिता रहे हैं कि ’हर नगर में लीडर्स“ को नियुक्त करने के द्वारा कार्य को दूसरो को सौंप दें (व.5, एम.एस.जी)।
उत्तराधिकारी की पूँजी है कि सही लीडर्स को ढूंढे। पौलुस योग्यता की उसी सूची को बताते हैं जो हमने पहले ही तीमुथियुस में देखी हैं (वव.5-9)।
वह इन भक्तिमय लीडर्स की तुलना उनके साथ करते हैं जो ’वे कहते हैं कि हम परमेश्वर को जानते हैं, पर अपने कामों से उनका इन्कार करते हैं“ (व.16)। ये लोग, ’धार्मिक शिक्षक“ का रूप धरकर पूरे घराने को बरबाद करते हैं। वे बेईमानी के लाभ के लिए यह करते हैं। वे अपने पाप को नहीं मानते हैं। वे नहीं समझते हैं कि जो वे करते हैं वह बुराई है (वव.10-16)।
एक अच्छे चर्च लीडर का काम है कि ना केवल ’खरी शिक्षा से दूसरों को उत्साहित करें,“ बल्कि ’इसके विरोधियों का मुंह भी बंद कर सकें“ (व.9)। यह दूसरे मसीह, या चर्च की आलोचना करने और उन पर दोष लगाने के लिए एक बहाना नहीं होना चाहिए, जो हमसे थोड़े अलग हैं। इसके बजाय, वचन 10-16 हमें दिखाता है कि किस प्रकार के बर्ताव का चर्च लीडर्स को खंडन करना चाहिए – उदाहरण के लिए,’ ये लोग नीच कमाई के लिये अनुचित बातें सिखाकर घर के घर बिगाड़ देते हैं“ (व.11, एम.एस.जी)।
इस मजबूत लीडरशिप का मुख्य उद्देश्य है कि परमेश्वर के लोगों को मार्ग से भटकने से रोके। अनंत जीवन के प्रति पौलुस का दर्शन यहाँ पर हमारे दिमाग में होना चाहिए, जैसा कि यह हमें दिखाता है कि क्योंकि यह महत्वपूर्ण है कि ’ विश्वास में पक्के हो जाएँ“ (व.13)। अनंत जीवन की आशा हमारा लक्ष्य, हमारा संदेश और हमारा प्रोत्साहन है।
प्रार्थना
यिर्मयाह 52:1-34
यरूशलेम का पतन
52सिदकिय्याह जब यहूदा का राजा हुआ, वह इक्कीस वर्ष का था। सिदकिय्याह ने यरूशलेम में ग्यारह वर्ष तक राज्य किया उसकी माँ का नाम हमूतल था जो यिर्मयाह की पुत्री थी। हमूतल का परिवार लिब्ना नगर का था। 2 सिदकिय्याह ने बुरे काम किये, ठीक वैसे ही जैसे यहोयाकीम ने किये थे। यहोवा सिदकिय्याह द्वारा उन बुरे कामों का करना पसन्द नहीं करता था। 3 यरूशलेम और यहूदा के साथ भयंकर घटनायें घटी, क्योंकि यहोवा उन पर क्रोधित था। अन्त में यहोवा ने अपने सामने से यहूदा और यरूशलेम के लोगों को दूर फेंक दिया।
सिदकिय्याह बाबुल के राजा के विरुद्ध हो गया। 4 अत: सिदकिय्याह के शासनकाल के नौवें वर्ष के दसवें महीने के दसवें दिन बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने सेना के साथ यरूशलेम को कुच किया। नबूकदनेस्सर अपने साथ अपनी पूरी सेना लिए था। बाबुल की सेना ने यरूशलेम के बाहर डेरा डाला। इसके बाद उन्होंने नगर—प्राचीर के चारों ओर मिट्टी के टीले बनाये जिससे वे उन दीवारों पर चढ़ सकें। 5 सिदकिय्याह के राज्यकाल के ग्यारहवें वर्ष तक यरूशलेम नगर पर घेरा पड़ा रहा। 6 उस वर्ष के चौथे महीने के नौवें दिन भुखमरी की हालत बहुत खराब थी। नगर में खाने के लिये कुछ भी भोजन नहीं रह गया था। 7 उस दिन बाबुल की सेना यरूशलेम में प्रवेश कर गई। यरूशलेम के सैनिक भाग गए। वे रात को नगर छोड़ भागे। वे दो दीवारों के बीच के द्वार से गए। द्वार राजा के उद्यान के पास था। यद्यपि बाबुल की सेना ने यरूशलेम नगर को घेर रखा था तो भी यरूशलेम के सैनिक भाग निकले। वे मरुभूमि की ओर भागे।
8 किन्तु बाबुल की सेना ने सिदकिय्याह का पीछा किया। उन्होंने उसे यरीहो के मैदान में पकड़ा। सिदकिय्याह के सभी सैनिक भाग गए। 9 बाबुल की सेना ने राजा सिदकिय्याह को पकड़ लिया। वे रिबला नगर में उसे बाबुल के राजा के पास ले गए। रिबला हमात देश में है। रिबला में बाबुल के राजा ने सिदकिय्याह के बारे में अपना निर्णय सुनाया। 10 वहाँ रिबला नगर में बाबुल के राजा ने सिदकिय्याह के पुत्रों को मार डाला। सिदकिय्याह को अपने पुत्रों का मारा जाना देखने को विवश किया गया। बाबुल के राजा ने यहूदा के राजकीय पदाधिकारियों को भी मार डाला। 11 तब बाबुल के राजा ने सिदकिय्याह की आँखे निकाल लीं। उसने उसे काँसे की जंजीर पहनाई। तब वह सिदकिय्याह को बाबुल ले गया। बाबुल में उसने सिदकिय्याह को बन्दीगृह में डाल दिया। सिदकिय्याह अपने मरने के दिन तक बन्दीगृह में रहा।
12 बाबुल के राजा के विशेष रक्षकों का अधिनायक नबूजरदान यरूशलेम आया। नबूकदनेस्सर के राज्यकाल के उन्नीसवें वर्ष के पाँचवें महीने के दसवें दिन यह हुआ। नबूजरदान बाबुल का महत्वपूर्ण अधिनायक था। 13 नबूजरदान ने यहोवा के मन्दिर को जला डाला। उसने राजमहल तथा यरूशलेम के अन्य घरों को भी जला दिया। 14 पूरी कसदी सेना ने यरूशलेम की चाहरदीवारी को तोड़ गिराया। यह सेना उस समय राजा के विशेष रक्षकों के अधिनायक के अधीन थी। 15 अधिनायक नबूजरदान ने अब तक यरूशलेम में बचे लोगों को भी बन्दी बना लिया। वह उन्हें भी ले गया जिन्होंने पहले ही बाबुल के राजा को आत्मसमर्पण कर दिया था। वह उन कुशल कारीगरों को भी ले गया जो यरूशलेम में बचे रह गए थे। 16 किन्तु नबूजरदान ने कुछ अति गरीब लोगों को देश में पीछे छोड़ दिया था। उसने उन लोगों को अंगूर के बागों और खेतों में काम करने के लिए छोड़ा था।
17 कसदी सेना ने मन्दिर के काँसे के स्तम्भों को तोड़ दिया। उन्होंने यहोवा के मन्दिर के काँसे के तालाब और उसके आधार को भी तोड़ा। वे उस सारे काँसे को बाबुल ले गए। 18 बाबुल की सेना इन चीज़ों को भी मन्दिर से ले गई: बर्तन, बेलचे, दीपक जलाने के यन्त्र, बड़े कटोरे, कड़ाहियाँ और काँसे की वे सभी चीज़ें जिनका उपयोग मन्दिर की सेवा में होता था। 19 राजा के विशेष रक्षकों का अधिनायक इन चीजों को ले गया: चिलमची, अंगीठियाँ, बड़े कटोरे, बर्तन, दीपाधार, कड़ाहियाँ और दाखमधु के लिये काम में आने वाले पड़े प्याले। वह उन सभी चीज़ों को जो सोने और चाँदी की बनी थीं, ले गया। 20 दो स्तम्भ सागर तथा उसके नीचे के बारह काँसे के बैल तथा सरकने वाले आधार बहुत भारी थे। राजा सुलैमान ने यहोवा के मन्दिर के लिये ये चीज़ें बनायी थी। वह काँसा जिससे वे चीज़ें बनी थीं, इतना भारी था कि तौला नहीं जा सकता था।
21 काँसे का हर एक स्तम्भ अट्ठारह हाथ ऊँचा था। हर एक स्तम्भ बारह हाथपरिधि वाला था। हर एक स्तम्भ खोखला था। हर एक स्तम्भ की दीवार चार ईंच मोटी थी। 22 पहले स्तम्भ के ऊपर जो काँसे का शीर्ष था वह पाँच हाथ ऊँचा था। यह चारों ओर जाल के अलंकरण और काँसे के अनार से सजा था। अन्य स्तम्भों पर भी अनार थे। यह पहले स्तम्भ की तरह था। 23 स्तम्भों की बगल में छियानवे अनार थे। स्तम्भों के चारों ओर बने जाल के अलंकार पर सब मिला कर सौ अनार थे।
24 राजा के विशेष रक्षकों का अधिनायक सरायाह और सपन्याह को बन्दी के रूप में ले गया। सरायाह महायाजक था और सपन्याह उससे दूसरा। तीन चौकीदार भी बन्दी बनाए गए। 25 राजा के विशेष रक्षकों का अधिनायक लड़ने वाले व्यक्तियों के अधीक्षक को भी ले गया। उसने राजा के सात सलाहकारों को भी बन्दी बनाया। वे लोग उस समय तक यरूशलेम में थे। उसने उस शास्त्री को भी लिया जो व्यक्तियों को सेना में रखने का अधिकारी था और उसने साठ साधारण व्यक्तियों को लिया जो तब तक नगर में थे। 26-27 अधिनायक नबूजरदान ने उन सभी अधिकारियों को लिया। वह उन्हें बाबुल के राजा के सामने लाया। बाबुल का राजा रिबला नगर में था। रिबला हमात देश में है। वहाँ उस रिबला नगर में राजा ने उन अधिकारियों को मार डालने का आदेश दिया।
इस प्रकार यहूदा के लोग अपने देश से ले जाए गए। 28 इस प्रकार नबूकदनेस्सर बहुत से लोगों को बन्दी बनाकर ले गया।
राजा नबूकदनेस्सर के शासन के सातवें वर्ष में:
यहूदा के तीन हज़ार तेईस पुरुष।
29 नबूकदनेस्सर के शासन के अट्ठारहवें वर्ष में: यरूशलेम से आठ सौ बत्तीस लोग।
30 नबूकदनेस्सर के शासन के तेईसवें वर्ष में: नबूजरदान ने यहूदा के सात सौ पैंतालीस व्यक्ति बन्दी बनाए। नबूजरदान राजा के विशेष रक्षकों का अधिनायक था।
सब मिलाकर चार हज़ार छ: सौ लोग बन्दी बनाए गए थे।
यहोयाकीम स्वतन्त्र किया जाता है
31 यहूदा का राजा यहोयाकीम सैंतीस वर्ष, तक बाबुल के बन्दीगृह में बन्दी रहा। उसके बन्दी रहने के सैंतीसवें वर्ष, बाबुल का राजा एबीलमरोदक यहोयाकीम पर बहुत दयालु रहा। उसने यहोयाकीम को उस वर्ष बन्दीगृह से बाहर निकाला। यह वही वर्ष था जब एबीलमरोदक बाबुल का राजा हुआ। एबीलमरोदक ने यहोयाकीम को बारहवें महीने के पच्चीसवें दिन बन्दीगृह से छोड़ दिया। 32 एबीलमरोदक ने यहोयाकीम से दयालुता से बातें कीं। उसने यहोयाकीम को उन अन्य राजाओं से उच्च सम्मान का स्थान दिया जो बाबुल में उसके साथ थे। 33 अत: यहोयाकीम ने अपने बन्दी के वस्त्र उतारे। शेष जीवन में वह नियम से राजा की मेज पर भोजन करता रहा। 34 बाबुल का राजा प्रतिदिन उसे स्वीकृत धन देता था। यह तब तक चला जब तक यहोयाकीम मरा नहीं।
समीक्षा
कभी आशा मत छोड़िये
कभी कभी हमारे जीवन में परिस्थितियाँ बहुत धुँधली दिखाई दे सकती हैं। सबकुछ गलत हो गया है। अंधकार अंदर आ चुका है। और तब भी...परमेश्वर कभी भी हमें आशा की किरण के बिना नहीं छोड़ते हैं।
यिर्मयाह के पास दंड की घोषणा करने का ऐसा कार्य था जिसकी ईर्ष्या नहीं की जा सकती थी। उनके नाम का अर्थ अंग्रेजी में था,’एक व्यक्ति जो शोक प्रकट करने या दयनीय शिकायत के लिए दिया गया हो, सार्वजनिक रूप से विरोध करने वाला, एक निराशा जनक भविष्यवक्ता।“ और फिर भी...यिर्मयाह की पुस्तक का अंत आशा की एक किरण के साथ होता है।
यरूशलेम के पतन में यिर्मयाह के वचन पूरे हुए। यह परमेश्वर के लोगों के लिए एक बहुत ही भयानक समय था। उनका राजा सिदकिय्याह, बंदी बना लिया गया, अंधा कर दिया गया और जेल में डाल दिया गया (व.11)। ’ बेबीलोन के राजा ने सिदकिय्याह के पुत्रो को उसके सामने घात किया...फिर बेबीलोन के राजा ने सिदकिय्याह की आँखों को फुड़वा डाला, और उसको बेड़ियों से जकड़कर बेबीलोन तक ले गया, और उसको बन्दीगृह में डाल दिया। वह मृत्यु के दिन तक वहीं रहा“ (वव.10-11, एम.एस.जी)। उसने यहोवा के भवन और राजभवन और यरूशलेम के सब बड़े बड़े घरों को आग लगवाकर फुंकवा दिया (वव.13-14)। बहुत से लोग बंदी बनाकर ले जाये गए।
फिर, 562 बी.सी में, यहूदा के राजा यहोयाकीन की बँधुआई के सैंतीसवें वर्ष में, बेबीलोन में एक नये राजा हुए जिन्होंने यहोयाकीन को बन्दीगृह से निकालकर बड़ा पद दिया (व.31)।
’ और उस से मधुर मधुर वचन कहकर, जो राजा उसके साथ बेबीलोन में बँधुए थे, उनके सिंहासनों से उसके सिंहासन को अधिक उँचा किया। उसके बन्दीगृह के वस्त्र बदल दिए; और वह जीवन भर नित्य राजा के सम्मुख भोजन करता रहा; और प्रति दिन के खर्च के लिये बेबीलोन के राजा के यहाँ से उसको नित्य कुछ मिलने का प्रबन्ध हुआ। यह प्रबन्ध उसकी मृत्यु के दिन तक उसके जीवन भर लगातार बना रहा“ (वव.32-34, एम.एस.जी)।
यह आशा का हल्का सा संकेत है जिससे यिर्मयाह की पुस्तक का अंत होता है। परमेश्वर के लोगों के लिए यह पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। अध्याय 24 में यिर्मयाह ने इस सुधार की पहले ही भविष्यवाणी की थी, इस भविष्यवाणी के साथ कि बँधुए एक दिन देश में वापस आएँगे। सुधार के इस पहले चिह्न के साथ, आशा के एक उद्घोष पर पुस्तक समाप्त होती है। यह बँधुआई से वापसी का दृश्य है जो कि 537 बी.सी में होने वाला था।
यह केवल अपने आपमें सुधार की एक परछाई थी और नवीनीकरण जो परमेश्वर के राज्य के द्वारा आएगा, यीशु के आगमन और पवित्र आत्मा के ऊँडेले जाने के साथ।
यहाँ तक कि यिर्मयाह में अंत (यरूशलेम का पतन और निर्वासन) अंत नहीं था। परमेश्वर के लोग जीवित बचे रहे और देश में वापस आये, मंदिर को फिर से बनाया और शहर को सुधारा। लेकिन यह इससे भी महान वस्तु का एक चित्र है। यीशु ने निर्वासन के अंत की घोषणा की। यीशु में, हमारे पास एक नया मंदिर और एक नया यरुशलेम है। परमेश्वर ने यीशु को मृत्यु में से जिलाया। कब्र के परे आपके पास एक नई आशा है।
प्रार्थना
पिप्पा भी कहते है
भजनसंहिता 119:105
’तेरे वचन के द्वारा मैं देख सकता हूँ कि मैं कहाँ जा रहा हूँ; वे मेरे अंधेरे मार्ग में प्रकाश देते हैं“।
मुझे और अधिक बाईबल पढ़ने की आवश्यकता है, और तब शायद मैं जान पाऊँगी कि मैं कहाँ जा रही हूँ।
दिन का वचन
भजन संहिता 119:105
“तेरा वचन मेरे पांव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है।”

App
Download the Bible in One Year app for iOS or Android devices and read along each day.
संदर्भ
बेस्ट एक्जोटिक मारिगोल्ड होटल (20 वीं शताब्दी फाक्स, 2012)
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट ऊ 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइडऍ बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट ऊ 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट ऊ 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।