यीशु मसीह आपमें रहते हैं
परिचय
एक दृश्य दिखाने में सहायता करने के लिए मैं एक बॉक्सींग के दस्ताने को ले आया। मैंने दस्ताने को लटका दिया और दिखाया कि इसमें हाथों के बिना यह कितना अप्रभावी था। फिर मैंने दस्ताने में अपना हाथ रखा, मुठ्ठी बाँधी और हवा में मुक्का मारा, ताकि हर कोई देख सके कि दस्ताने की ताकत में कितना अंतर आ गया है।
मैं ऑक्सफर्ड में टिनेजर्स के लिए बंदीगृह में बात कर रहा था। उस समय मैं एक सिद्धांतवाद का विद्यार्थी था और मुझे चॅपल सभा में बोलने का अवसर दिया गया था।
नजरबंदी केंद्र का बंदीगृह चॅपल, जो मेरे प्रशिक्षण में सहायता कर रहा था, उन्होंने बताया कि एक बंदीगृह के लिए यह एक अनुचित उदाहरण था, शायद से यह सुझाव दे कि यीशु और हिंसा नजदीकी रूप से जुड़े हुए थे! इसके अलावा, वह सहमत हुए कि यह एक अच्छी समरूपता थी।
मैं यह समझाने की कोशिश कर रहा था कि जब यीशु मसीह अपनी आत्मा के द्वारा आपमें रहने के लिए आते हैं, तब यह क्या अंतर पैदा करता है। उनके बिना हम कमजोर हैं (2कुरिंथियो 13:4), जैसा कि दस्ताना इसमें हाथ के बिना है। लेकिन जब यीशु मसीह आपमें रहने के लिए आते हैं, तब आपके जीवन में परमेश्वर की सामर्थ होती है (वव.4-5)।
जब आप इसे ’समझेंगे' (व.5), यह आपके जीवन जीने के तरीके को बदल देगा।
नीतिवचन 22:17-27
तीस विवेकपूर्ण कहावतें
कहावत 1
17 बुद्धिमान की कहावतें सुनों और ध्यान दो। उस पर ध्यान लगाओ जो मैं सिखाता हूँ। 18 तू यदि उनको अपने मन में बसा ले तो बहुत अच्छा होगा; तू उन्हें हरदम निज होठों पर तैयार रख। 19 मैं तुझे आज उपदेश देता हूँ ताकि तेरा यहोवा पर विश्वास पैदा हो। 20 ये तीस शिक्षाएँ मैंने तेरे लिये रची, ये वचन सन्मति के और ज्ञान के हैं। 21 वे बातें जो महत्वपूर्ण होती, ये सत्य वचन तुझको सिखायेगें ताकि तू उसको उचित उत्तर दे सके, जिसने तुझे भेजा है।
कहावत 2
22 तू गरीब का शोषण मत कर। इसलिये कि वे बस दरिद्र हैं; और अभावग्रस्त को कचहरी में मत खींच। 23 क्योंकि परमेश्वर उनकी सुनवाई करेगा और जिन्होंने उन्हें लूटा है वह उन्हें लूट लेगा।
कहावत 3
24 तू क्रोधी स्वभाव के मनुष्यों के साथ कभी मित्रता मत कर और उसके साथ, अपने को मत जोड़ जिसको शीघ्र क्रोध आ जाता है। 25 नहीं तो तू भी उसकी राह चलेगा और अपने को जाल में फँसा बैठेगा।
कहावत 4
26 तू ज़मानत किसी के ऋण की देकर अपने हाथ मत कटा। 27 यदि उसे चुकाने में तेरे साधन चुकेंगे तो नीचे का बिस्तर तक तुझसे छिन जायेगा।
समीक्षा
जैसे कि आप अपने मुँह में जो रखते हैं वह आपके शरीर के स्वास्थ को प्रभावित करता है, वैसे ही आप अपने हृदय में क्या रखते हैं, इस बात से अंतर पड़ता है।
लेखक आपको चिताते हैं कि परमेश्वर के वचन की बुद्धि को अपने हृदय में रखो, ' कान लगाकर बुध्दिमानी से वचन सुन, और मेरी ज्ञान की बातों की ओर मन लगा; और वे सब तेरे मुँह से निकला भी करें...ताकि तेरा भरोसा यहोवा पर हो...' (वव.17-19अ, एम.एस.जी)। जैसे ही आप वचनो की बुद्धि को सीखते हैं (उदाहरण के लिए, बाईबल के वचनो को याद करने के द्वारा), तब परमेश्वर में आपका भरोसा गहरा होता जाता है (व.19)।
फिर वह तीस ’सिद्धांतो' की सूची देते हैं – जो जीने के लिए जाँची गई मार्गदर्शिका हैं' (व.20, एम.एस.जी)। ये तीस ’सत्य हैं जो काम करते हैं' (व.21, एम.एस.जी), पहला जो कि आज के लेखांश में है।
गरीबों और जरुरतमंदो के साथ हम कैसा बर्ताव करते हैं (वव.22-23)।
कैसे गुस्सा और क्रोध के द्वारा जाल में फँसने से कैसे बचेः’ क्रोधी मनुष्य का मित्र न होना, और झट क्रोध करने वाले के संग न चलना, कहीं ऐसा न हो कि तू उसकी चाल सीखे, और तेरा प्राण फन्दे में फँस जाए ' (वव.24-25, एम.एस.जी)।
हाथ पर हाथ रखकर बैठने के विरूद्ध चेतावनी और प्रोयोगिक बुद्धि कि कैसे कर्ज से दूर रहे (वव.26-27)।
यें कहावतें बुद्धिपूर्ण सिद्धांत हैं जो अच्छी रीति से जीने में आपकी सहायता करती हैं। बुद्धि का हृदय अच्छी सलाह से बेहतर है। यह ’परमेश्वर में...भरोसा रखने' के विषय में है (व.19)।
नये नियम में, हम सीखते हैं कि यीशु ’परमेश्वर की बुद्धि' हैं (1कुरिंथियो 1:30)। क्योंकि यीशु आपमें रहते हैं, इसलिए आपके हृदय में परमेश्वर की बुद्धि है।
प्रार्थना
2 कुरिन्थियों 13:1-14
अंतिम चेतावनी और नमस्कार
13यह तीसरा अवसर है जब मैं तुम्हारे पास आ रहा हूँ। शास्त्र कहता है: “हर बात की पुष्टि, दो या तीन गवाहियों की साक्षी पर की जायेगी।” 2 जब दूसरी बार मैं तुम्हारे साथ था, मैंने तुम्हें चेतावनी दी थी और अब जब मैं तुमसे दूर हूँ, मैं तुम्हें फिर चेतावनी देता हूँ कि यदि मैं फिर तुम्हारे पास आया तो जिन्होंने पाप किये हैं और जो पाप कर रहे हैं उन्हें और शेष दूसरे लोगों को भी नहीं छोड़ूँगा। 3 ऐसा मैं इसलिए कर रहा हूँ कि तुम इस बात का प्रमाण चाहते हो कि मुझमें मसीह बोलता है। वह तुम्हारे लिए निर्बल नहीं है, बल्कि समर्थ है। 4 यह सच है कि उसे उसकी दुर्बलता के कारण क्रूस पर चढ़ाया गया किन्तु अब वह परमेश्वर की शक्ति के कारण ही जी रहा है। यह भी सच है कि मसीह में स्थित हम निर्बल हैं किन्तु तुम्हारे लाभ के लिए परमेश्वर की शक्ति के कारण हम उसके साथ जीयेंगे।
5 यह देखने के लिए अपने आप को परखो कि क्या तुम विश्वासपूर्वक जी रहे हो। अपनी जाँच पड़ताल करो अथवा क्या तुम नहीं जानते कि वह यीशु मसीह तुम्हारे भीतर ही है। यदि ऐसा नहीं है, तो तुम इस परीक्षा में पूरे नहीं उतरे। 6 मैं आशा करता हूँ कि तुम यह जान जाओगे कि हम इस परीक्षा में किसी भी तरह विफल नहीं हुए। 7 हम परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं कि तुम कोई बुराई न करो। इसलिए वही करो जो उचित है। चाहे हम इस परीक्षा में विफल हुए ही क्यों न दिखाई दें। 8 वास्तव में हम सत्य के विरुद्ध कुछ कर ही नहीं सकते। हम तो जो करते हैं, सत्य के लिये ही करते हैं।
9 हमारी निर्बलता और तुम्हारी बलवन्ता हमें प्रसन्न करती है और हम इसी के लिये प्रार्थना करते रहते हैं कि तुम दृढ़ से दृढ़तर बनों। 10 इसलिए तुमसे दूर रहते हुए भी मैं इन बातों को तुम्हें लिख रहा हूँ ताकि जब मैं तुम्हारे बीच होऊँ तो मुझे प्रभु के द्वारा दिये गये अधिकार से तुम्हें हानि पहुँचाने के लिए नहीं बल्कि तुम्हारे आध्यात्मिक विकास के लिए तुम्हारे साथ कठोरता न बरतनी पड़े।
11 अब हे भाईयों, मैं तुमसे विदा लेता हूँ। अपने आचरण ठीक रखो। वैसा ही करते रहो जैसा करने को मैंने कहा है। एक जैसा सोचो। शांतिपूर्वक रहो। जिससे प्रेम और शांति का परमेश्वर तुम्हारे साथ रहेगा।
12 पवित्र चुम्बन द्वारा एक दूसरे का स्वागत करो। सभी संतों का तुम्हें नमस्कार।
13 तुम पर प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह, परमेश्वर का प्रेम और पवित्र आत्मा की सहभागिता तुम सब के साथ रहे।
समीक्षा
पहचानिये कि मसीह यीशु आपमें हैं
क्या आप जानते हैं कि यीशु मसीह आपमें रहते हैं? पौलुस प्रेरित को इस बात में कोई संदेह नहीं था कि यीशु मसीह उनमें रहते थे। उन्होंने पहचाना कि जिन शब्दों के साथ वह कुरिंथियों से बातें कर रहे थे, 'मसीह मेरे द्वारा तुमसे बातें कर रहा है' (व.3)।
पौलुस को जी उठने और यीशु से मिलने का लाभ मिला। वह महान आत्मविश्वास के साथ लिख सके, ' वह निर्बलता के कारण क्रूस पर चढ़ाए तो गए, तब भी परमेश्वर की सामर्थ से जीवित हैं। हम भी उसमें निर्बल है, परन्तु परमेश्वर की सामर्थ से जो तुम्हारे लिये है, उसके साथ जीएँगे' (व.4)।
स्वयं की जाँच जरुरी है और यह स्वयं पर दोष लगाने से बिल्कुल अलग है। उसने उन्हें चिताया कि ’ अपने आप को परखो कि विश्वास में हो कि नहीं। अपने आप को जाँचो' (व.5अ, ए.एम.पी)। स्वयं को जाँचने का उद्देश्य यह है ताकि आप देख सकें कि आपके जीवन में क्या गलत है, इसे मान लें, इससे हट जाएँ और यीशु के द्वारा मुक्त हो जाएँ।
पौलुस ने कुरिंथियों को चिताया कि वे जान लें कि जैसे यीशु मसीह उनमें रहते थे, वैसे ही ’यीशु मसीह तुम में हैं' (व.5)। पौलुस अधिकतर इस विषय में बताते हैं कि हम मसीह में हैं, इसके बजाय कि मसीह हममें हैं। फिर भी, लेखांश इसे जिस तरह से बताते हैं, वह उल्लेखनीय है। कुलुस्सियों 1:27 में, पौलुस लिखते हैं, 'मसीह तुममें, महिमा की आशा हैं, ' और यहाँ पर भी वह आपमें मसीह के होने के बारे में लिखते हैं, और जो अंतर यह पैदा करता हैः ’ क्या तुम अपने विषय में यह नहीं जानते कि यीशु मसीह तुम में हैं?' (2कुरिंथियो 13:5)।
यही है जो हमारी दुर्बलता को सामर्थ में बदल देता है (व.9)। यही कारण है कि उन्होंने उनकी सिद्धता के लिए प्रार्थना की (व.9), और उन्हें चिता पाये कि ’सिद्धता का लक्ष्य साधो' (व.11)।
निश्चित ही, हममें से कोई भी इस जीवन में सिद्धता तक नहीं पहुँचेगा। एक सिद्ध व्यक्ति होना हितकारक नहीं। लेकिन हम सभी परमेश्वर के साथ और एक दूसरे के साथ एक सिद्ध संबंध में जीने का लक्ष्य बना सकते हैं। उन्होंने उनसे विनती की, ' एक ही मन रखो; मेल से रहो। और प्रेम और शान्ति का दाता परमेश्वर तुम्हारे साथ होगा' (व.11)।
यह कैसे संभव है? पौलुस ’अनुग्रह' के शब्दों के साथ समाप्त करते हैं। यह यीशु का ’अद्भुत अनुग्रह' है (व.14अ, एम.एस.जी) जो आपको नियमित रूप से क्षमा करता और शुद्ध करता है। यह ’परमेश्वर का प्रेम है' (व.14ब, एम.एस.जी) जो आपके हृदय को भरता है, जो सिद्ध प्रेम को पाने में आपको सक्षम बनाता है। यह यीशु के ’पवित्र आत्मा की घनिष्ठ मित्रता' है (व.14क, एम.एस.जी) जो आपमें रहती है, जो असद्धि लोगों को सक्षम बनाता है कि वयस्क बन जाएँ और एक दिन उन्हें आमने-सामने देख पाये। केवल तभी आप सिद्धता तक पहुँचेंगे।
प्रार्थना
यशायाह 30:19-32:20
19 हाँ, हे सिय्योन पर्वत पर रहने वालो, हे यरूशलेम के निवासियों, तुम लोग रोते बिलखते नहीं रहोगे। यहोवा तुम्हारे रोने को सुनेगा और वह तुम पर दया करेगा। यहोवा तुम्हारी सुनेगा और वह तुम्हारी सहायता करेगा।
20 यद्यपि मेरा यहोवा परमेश्वर तुम्हें दु:ख और कष्ट दे सकता है ऐसे ही जैसे मानों वह ऐसा रोटी—पानी हो, जिसे तुम हर दिन खाते—पीते हो। किन्तु वास्तव में परमेश्वर तो तुम्हारा शिक्षक है, और वह तुमसे छिपा नहीं रहेगा। तुम स्वयं अपनी आँखों से अपने उस शिक्षक को देखोगे। 21 तब यदि तुम बुरे काम करोगे और बुरा जीवन जीओगे (दाहिनी ओर अथवा बायीं ओर) तो तुम अपने पीछे एक आवाज़ को कहते सुनोगे, “खरी राह यह है। तुझे इसी राह में चलना है।”
22 तुम्हारे पास चाँदी सोने से मढ़े मूर्ति हैं। उन झूठे देवों ने तुमको बुरा (पापपूर्ण) बना दिया है। लेकिन तुम उन झूठे देवों की सेवा करना छोड़ दोगे। तुम उन देवों को कूड़े कचरे और मैले चिथड़ों के समान दूर फेंक दोगे।
23 उस समय, यहोवा तुम्हारे लिये वर्षा भेजेगा। तुम खेतों में बीज बोओगे, और धरती तुम्हारे लिये भोजन उपजायेगी। तुम्हें भरपूर उपज मिलेगा। तुम्हारे पशुओं के लिए खेतों में भरपूर चारा होगा। तुम्हारे पशुओं के लिये वहाँ बड़ी—बड़ी चरागाहें होंगी। 24 तुम्हारे मवेशियों और तुम्हारे गधों को जैसे चारे की आवश्यकता होगी, वह सब उन्हें मिलेगा। खाने की इतनी बहुतायत होगी कि तुम्हें अपने पशुओं के खाने के लिए भी फावड़ों और पंजों से चारा को फैलाना होगा। 25 हर पर्वत और पहाड़ियों पर पानी से भरी जलधाराएँ होंगी। ये बातें तब घटेंगी जब बहुत से लोग मर चुकेंगे और मीनारें ढह चुकेंगी।
26 उस समय चाँद की चाँदनी सूरज की धूप सी उजली हो जायेगी। सूर्य का प्रकाश आज से सात गुणा अधिक उज्ज्वल हो जायेगा। सूर्य एक दिन में उतना प्रकाश देने लगेगा जितना वह पूरे सप्ताह में देता है। ये बातें उस समय घटेंगी जब यहोवा अपनी टूटे लोगों की मरहम पट्टी करेगा और सजा के कारण जो चोटें उन्हें आई हैं, उन्हें अच्छा करेगा।
27 देखो! दूर से यहोवा का नाम आ रहा है। उसका क्रोध एक ऐसी अग्नि के समान है जो धुएँ के काले बादलों से युक्त है। यहोवा का मुख क्रोध से भरा हुआ है। उसकी जीभ एक जलती हुई लपट जैसी है। 28 यहोवा की साँस (आत्मा) एक ऐसी विशाल नदी के समान है जो तब तक चढ़ती रहती है, जब तक वह गले तक नहीं पहुँच जाती। यहोवा सभी राष्ट्रों का न्याय करेगा। यह वैसा ही होगा जैसे वह उन्हें विनाश की छलनी से छान डाले। यहोवा उनका नियन्त्रण करेगा। यह नियन्त्रण वैसा ही होगा, जैसे पशु पर नियन्त्रण पाने के लिए लगाम लगायी जाती है। वह उन्हें उनके विनाश की ओर ले जाएगा।
29 उस समय, तुम खुशी के गीत गाओगे। वह समय उन रातों के जैसा होगा जब तुम अपने उत्सव मनाना शुरु करते हो। तुम उन व्यक्तियों के समान प्रसन्न होओगे जो इस्राएल की चट्टान यहोवा के पर्वत पर जाते समय बांसुरी को सुनते हुए प्रसन्न होते हैं।
30 यहोवा सभी लोगों को अपनी महान वाणी सुनने को विवश करेगा। यहोवा लोगों को क्रोध के साथ नीचे आती हुई अपनी शक्तिशाली भुजा देखने को विवश करेगा। यह भुजा उस महा अग्नि के समान होगी जो सब कुछ भस्म कर डालती है। यहोवा की शक्ति उस आंधी के जैसी होगी जो तेज़ वर्षा और ओलों के साथ आती है। 31 अश्शूर जब यहोवा की आवाज़ सुनेगा तो वह डर जायेगा। यहोवा लाठी से अश्शूर पर वार करेगा। 32 यहोवा अश्शूर को पीटेगा और यह पिटाई ऐसी होगी जैसे कोई नगाड़ों और वीणाओं पर संगीत बजा रहा हो। यहोवा अपने शक्तिशाली भुजा (शक्ति) से अश्शूर को पराजित करेगा।
33 तोपेत को बहुत पहले से ही तैयार कर लिया गया है। राजा के लिये यह तैयार है। यह भट्टी बहुत गहरी और बहुत चौड़ी बनायी गयी है। वहाँ लकड़ी का एक बहुत बड़ा ढेर और आग मौजूद है। यहोवा की आत्मा जलती हुई गंधक की नदी के रुप में आयेगी और इसे भस्म कर के नष्ट कर देगी।
इस्राएल को परमेश्वर की शक्ति पर भरोसा रखना चाहिये
31उन लोगों को धिक्कार है जो सहायता पाने के लिये मिस्र की ओर उतर रहे हैं। ये लोग घोड़े चाहते हैं। उनका विचार है, घोड़े उन्हें बचा लेंगे। लोगों को आशा है कि मिस्र के रथ और घुड़सवार सैनिक उन्हें बचा लेंगे। लोग सोचते हैं कि वे सुरक्षित इसलिये हैं कि वह एक विशाल सेना है। लोग इस्राएल के पवित्र (परमेश्वर) पर भरोसा नहीं रखते। लोग यहोवा से सहायता नहीं माँगते।
2 किन्तु, यहोवा ही बुद्धिमान है और वह यहोवा ही है जो उन पर विपत्तियाँ ढायेगा। लोग यहोवा के आदेश को नहीं बदल पायेंगे। यहोवा बुरे लोगों (यहूदा) के विरुद्ध खड़ा होगा और युद्ध करेगा। यहोवा उन लोगों (मिस्र) के विरुद्ध युद्ध करेगा, जो उन्हें सहायता पहुँचाने का यत्न करते हैं।
3 मिस्र के लोग मात्र मनुष्य हैं परमेश्वर नहीं। मिस्र के घोड़े मात्र पशु हैं, आत्मा नहीं। यहोवा अपना हाथ आगे बढ़ायेगा और सहायक (मिस्र) पराजित हो जायेगा और सहायता चाहने वाले लोगों (यहूदा) का पतन होगा। वे सभी लोग साथ साथ मिट जायेंगे।
4 यहोवा ने मुझ से यह कहा, “जब कोई सिंह अथवा सिंह का कोई बच्चा किसी पशु को खाने के लिये पकड़ता है तो वह मरे हुए पशु पर खड़ा हो जाता है और दहाड़ता है। उस समय उस शक्तिशाली सिंह को कोई भी डरा नहीं पाता। यदि चरवाहे आयें और उस सिंह का हॉका करने लगे तो भी वह सिंह डरेगा नहीं। लोग कितना ही शोर करते रहें, किन्तु वह सिंह नहीं भागेगा।”
इसी प्रकार सर्वशक्तिमान यहोवा सिय्योन पर्वत पर उतरेगा। उस पर्वत पर यहोवा युद्ध करेगा। 5 सर्वशक्तिमान यहोवा वैसे ही यरूशलेम की रक्षा करेगा जैसे अपने घोंसलों के ऊपर उड़ती हुई चिड़ियाँ। यहोवा उसे बचायेगा और उसकी रक्षा करेगा। यहोवा ऊपर से होकर निकल जायेगा और यरूशलेम की रक्षा करेगा।
6 हे, इस्राएल के वंशज। तुमने परमेश्वर से विद्रोह किया। तुम्हें परमेश्वर की ओर मुड़ आना चाहिये। 7 तब लोग उन सोने चाँदी की मूर्तियों को पूजना छोड़ेंगे जिन्हें तुमने बनाया है। उन मूर्तियों को बनाकर तुमने सचमुच पाप किया था।
8 यह सच है कि तलवार के द्वारा अश्शूर को हरा दिया जायेगा। किन्तु वह तलवार किसी मनुष्य की तलवार नहीं होगी। अश्शूर नष्ट हो जायेगा किन्तु वह विनाश किसी मनुष्य की तलवार के द्वारा नहीं किया जायेगा। अश्शूर परमेश्वर की तलवार से भाग निकलेगा। वह उस तलवार से भागेगा। किन्तु उसके जवान पुरुषों को पकड़कर दास बना लिया जायेगा। 9 घबराहट में उनका शरण दाता गायब हो जायेगा। उनके नेता पराजित कर दिये जायेंगे और वे अपने झण्डे को छोड़ देंगे।
ये सभी बातें यहोवा ने कही थी। यहोवा की अग्नि स्थल (वेदी) सिय्योन पर है और यहोवा की भट्टी (वेदी) यरूशलेम में है।
मुखियाओं को खरा और सच्चा होना चाहिए
32मैं जो बातें बता रहा हूँ, उन्हें सुनो! किसी राजा को ऐसे राज करना चाहिये जिससे भलाई आये। मुखियाओं को लोगों का नेतृत्व करते समय निष्पक्ष निर्णय लेने चाहिये। 2 यदि ऐसा होगा तो राजा उस स्थान के समान हो जायेगा जहाँ लोग आँधी और वर्षा से बचने के लिये आश्रय लेते हैं। यह सूखी धरती में जलधाराओं के समान होगा। यह ऐसा ही होगा जैसे गर्म प्रदेश में किसी बड़ी चट्टान की ठण्डी छाया। 3 फिर लोगों की वे आँखे जो देख सकती हैं, वे बंद नहीं रहेगी। उन के कान जो सुनते हैं, वे वास्तव में उस पर ध्यान देंगे। 4 वे लोग जो उतावले हैं, वे सही फैसले लेंगे। वे लोग जो अभी साफ़ साफ़ नहीं बोल पाते हैं, वे साफ़ साफ़ और जल्दी जल्दी बोलने लगेंगे। 5 मूर्ख लोग महान व्यक्ति नहीं कहलायेंगे। लोग षड़यन्त्र करने वालों को सम्मान योग्य नहीं कहेंगे।
6 एक मूर्ख व्यक्ति तो मूर्खतापूर्ण बातें ही कहता है और वह अपने मन में बुरी बातों की ही योजनाएँ बनाता है। मूर्ख व्यक्ति अनुचित कार्य करने की ही सोचता है। मूर्ख व्यक्ति यहोवा के बारे में ग़लत बातें कहता है। मूर्ख व्यक्ति भूखों को भोजन नहीं करने देता। मूर्ख व्यक्ति प्यासे लोगों को पानी नहीं पीने देता। 7 वह मूर्ख व्यक्ति बुराई को एक हथियार के रुप में इस्तेमाल करता है। वह निर्धन लोगों से झूठ के जरिए बरबाद करने के लिये बुरे बुरे रास्ते बताता रहता है। उसकी यें झूठी बातें गरीब लोगों को निष्पक्ष न्याय मिलने से दूर रखती हैं।
8 किन्तु एक अच्छा मुखिया अच्छे काम करने की योजना बनाता है और उसकी वे अच्छी बातें ही उसे एक अच्छा नेता बनाती हैं।
बुरा समय आ रहा है
9 तुममें से कुछ स्त्रियाँ अभी खुश हैं। तुम सुरक्षित अनुभव करती हो। किन्तु तुम्हें खड़े होकर जो वचन मैं बोल रहा उन्हें सुनना चाहिये। 10 स्त्रियों तुम अभी सुरक्षित अनुभव करती हो किन्तु एक वर्ष बाद तुम पर विपत्ति आने वाली है। क्यों क्योंकि तुम अगले वर्ष अँगूर इकट्ठे नहीं करोगी—इकट्ठे करने के लिये अँगूर होंगे ही नहीं।
11 स्त्रियों, अभी तुम चैन से हो, किन्तु तुम्हें डरना चाहिये! स्त्रियों, अभी तुम सुरक्षित अनुभव करती हो, किन्तु तुम्हें चिन्ता करनी चाहिये! अपने सुन्दर वस्त्रों को उतार फेंको और शोक वस्त्रों को धारण कर लो। उन वस्त्रों को अपनी कमर पर लपेट लो। 12 अपनी शोक से भरी छातियों पर उन शोक वस्त्रों को पहन लो।
विलाप करो क्योंकि तुम्हारे खेत उजड़े हुए हैं। तुम्हारे अँगूर के बगीचे जो कभी अँगूर दिया करते थे, अब खाली पड़े हैं। 13 मेरे लोगों की धरती के लिये विलाप करो। विलाप करो, क्योंकि वहाँ बस काँटे और खरपतवार ही उगा करेंगे। विलाप करो इस नगर के लिये और उन सब भवनों के लिये जो कभी आनन्द से भरे हुए थे।
14 लोग इस प्रमुख नगर को छोड़ जायेंगे। यह महल और ये मिनारें वीरान छोड़ दिये जायेंगे। वे जानवरों की माँद जैसे हो जाएँगे। नगर में जंगली गधे विहार करेंगे। वहाँ भेड़े घास चरती फिरेंगी।
15 तब तक ऐसा ही होता रहेगा, जब तक परमेश्वर ऊपर से हमें अपनी आत्मा नहीं देगा। अब धरती पर कोई अच्छाई नहीं है। यह रेगिस्तान सी बनी हुई हैं किन्तु आने वाले समय में यह रेगिस्तान उपजाऊ मैदान हो जायेगा। 16 यह उपजाऊ मैदान एक हरे भरे वन जैसा बन जायेगा। चाहे जंगल हो चाहे उपजाऊ धरती, हर कहीं न्याय और निष्पक्षता मिलेगी। 17 वह नेकी सदा—सदा के लिये शांति और सुरक्षा को लायेगी। 18 मेरे लोग शांति के इस सुन्दर क्षेत्र में निवास करेंगे। मेरे लोग सुरक्षा के तम्बुओं में रहा करेंगे। वे निश्चिंतता के साथ शांतिपूर्ण स्थानों में निवास करेंगे।
19 किन्तु यें बातें घटें इससे पहले उस वन को गिरना होगा। उस नगर को पराजित होना होगा। 20 तुममें से कुछ लोग हर जलधारा के निकट बीज बोतेहो। तुम अपने मवेशियों और अपने गधों को इधर—उधर चरने के लिए खुला छोड़ देते हो।तुम लोग बहुत प्रसन्न रहोगे।
समीक्षा
जानिये कि पवित्र आत्मा के द्वारा परमेश्वर का प्रेम आपके हृदय में ऊंडेला गया है
पिंतेकुस्त के कारण मसीह का आत्मा आपमें रहने आता है। आपके लिए परमेश्वर का प्रेम यीशु के पवित्र आत्मा के द्वारा आपके हृदय में ऊँडेला गया है (रोमियो 5:5)। यह उनका आत्मा है जो आपको बताता है कि आप परमेश्वर की संतान हैं और मसीह आपमें रहते हैं।
इस लेखांश में, यशायाह परमेश्वर के छ चित्रों को देखते हैं:
- शिक्षक
परमेश्वर आपके शिक्षक हैं। वह आपको ’ विपत्ति की रोटी और दुःख के जल' से सीखाते हैं (यशायाह 30:20)। अक्सर अपने जीवन में कठिन समयों के द्वारा हम बहुत कुछ सीखते हैं। यीशु अपना वर्णन आपके ’प्रभु' और ’शिक्षक' के रूप में करते हैं (यूहन्ना 13:14)।
- मार्गदर्शक
’ जब कभी तुम दाहिनी या बाई ओर मुड़ने लगो, तब तुम्हारे पीछे से यह वचन तुम्हारे कानों में पड़ेगा, ’मार्ग यही है, इसी पर चलो' (यशायाह 30:21)। पवित्र आत्मा आपकी अगुवाई करेंगे और मार्गदर्शन करेंगे, उस मार्ग में जो जीवन की ओर ले जाता है।
- चंगा करने वाला
’ यहोवा अपनी प्रजा के लोगों का घाव बाँधेगा और उनकी चोट को चंगा करेगा' (व.26)। अक्सर जब लोग यीशु से पहली बार मिलते हैं, तब वह भूतकाल से चोट और दर्द से चंगाई का अनुभव करते हैं। यह चंगाई जीवनभर की प्रक्रिया है।
- राजा
यीशु राजा हैं जो ’ सत्यनिष्ठा से राज्य करेगा, और राजकुमार न्याय से हुकूमत करेंगे' (32:1, एम.एस.जी)। उस पवित्र आत्मा के द्वारा वह हमारे जीवन पर राज्य करते हैं, जो हमारे अंदर रहते हैं।
- बुद्धि
वह हमारी बुद्धि के स्त्रोत हैं (31:1-3)। यहोवा उन लोगों को चेतावनी देते हैं, जो अपनी सामर्थ पर भरोसा करते हैं, इस्राएल के पवित्र की ओर दृष्टि नहीं करते और न यहोवा की खोज करते हैं (व.1)। पवित्र आत्मा हमारे जीवन में बुद्धि का स्त्रोत हैं।
- माता
वह एक माता चिड़िया की तरह हैं, जो पंख फैलाए हुई चिड़ियों के समान सेनाओं के यहोवा यरूशलेम की रक्षा करेगा; वह उनकी रक्षा करके बचाएंगे (31:5; लूका 13:34 देखें)। परमेश्वर हमारे लिए एक पिता और एक माता दोनों हैं। पवित्र आत्मा को अक्सर परमेश्वर के स्वभाव के स्त्री स्वभाव के साथ जोड़ा गया है।
पवित्र आत्मा ’यीशु का आत्मा है' (प्रेरितों के काम 16:7)। पवित्र आत्मा के द्वारा, यीशु आपमें रहने आते हैं।
भविष्यवक्ता यशायाह ने पिंतेकुस्त के दिन की एक झलक पा ली थी जब ’ऊपर से आत्मा हमपर ऊंडेला जाएगा' (यशायाह 32:15अ, एम.एस.जी)।
’ जब तक आत्मा ऊपर से हम पर उण्डेला न जाए... न्याय ... सत्यनिष्ठा ...शान्ति ...सदा का चैन और निश्चिन्त रहना ...निश्चिन्त रहेंगे, और विश्राम के स्थानों में सुख से रहेंगे...क्या ही धन्य हो तुम ' (वव.15-20)।
पवित्र आत्मा का ऊँडेला जाना महान फलदायीपन, सत्यनिष्ठा और शांति को लाता है (शांति, सदा का चैन, सुरक्षा और विश्राम)। इसके परिणामस्वरूप उदार रीति से बोना और स्वतंत्रता मिलती है। परमेश्वर आपसे वायदा करते हैं कि यदि आप पवित्र आत्मा के द्वारा चलेंगे तो आप इस जीवन में और अनंतता में महान आशीषों का आनंद लेंगे।
प्रार्थना
पिप्पा भी कहते है
यशायाह 30:21
’ जब कभी तुम दाहिनी या बाई ओर मुड़ने लगो, तब तुम्हारे पीछे से यह वचन तुम्हारे कानों में पड़ेगा, ’मार्ग यही है, इसी पर चलो।'
मैं हमेशा इस बात में रूचि रखती हूँ कि आवाज ’आपके पीछे है नाकि आगे। आपको विश्वास का एक कदम बढ़ाना है, शायद से न जानते हुए कि आप कहाँ पर जा रहे हैं। शायद से आप अज्ञात में कदम बढ़ा रहे हैं, लेकिन जैसे ही आप जाते हैं, तब आपको अपने पीछे उस आवाज को सावधानीपूर्वक सुनने की आवश्यकता है, जो आपके कानों में कहती है, 'मार्ग यही है, इसी पर चलो।'
दिन का वचन
2 कुरिंथियो 13:5
“अपने आप को परखो, कि विश्वास में हो कि नहीं; अपने आप को जांचो, क्या तुम अपने विषय में यह नहीं जानते, कि यीशु मसीह तुम में है नहीं तो तुम निकम्मे निकले हो।“
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संदर्भ
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।