प्रेम की वाचा
परिचय
जब मेरी बेटी की शादी हुई तो मैं उसके साथ नीचे गलियारे तक गया। कलीसिया के सामने, अपने परिवार वालों और दोस्तो के संग मेरी बेटी और उसके पति ने वफादारी का अनन्य वायदा किया, अपने बेशुमार प्रेम में होकर। उन्होंने एक प्रेम की वाचा बांधी। यह एक प्रेम भरा अवसर था।
वाचा, दो लोगों या दो पन्नों के बीच एक औपचारिक समझौता लाती है। पुराने युग में वाचा का बनाना एक आम लक्षण था। अक्सर, वाचा एक गंभीर कारवाई के साथ बनाई जाती थी जैसे की लहू की बलि।
वाचा का सिध्दांत ईसाई बाईबल में बहुत महत्त्वपूर्ण है कि इसके दो भाग पुराना नियम और नया नियम कहलाए गए ('टेस्टामेंटम' जिसे प्राचीन रोम की भाषा में 'वाचा' कहते हैं) हालांकि नया नियम, पुराने नियम में फर्क है, दोनों वाचा परमेश्वर के भरपूर प्रेम से आती है।
भजन संहिता 148:7-14
7 ओ हर वस्तु धरती की यहोवा का गुण गान करो!
ओ विशालकाय जल जन्तुओं, सागर के यहोवा के गुण गाओ।
8 परमेश्वर ने अग्नि और ओले को बनाया,
बर्फ और धुआँ तथा सभी तूफानी पवन उसने रचे।
9 परमेश्वर ने पर्वतों और पहाड़ों को बनाया,
फलदार पेड़ और देवदार के वृक्ष उसी ने रचे हैं।
10 परमेश्वर ने सारे बनैले पशु और सब मवेशी रचे हैं।
रेंगने वाले जीव और पक्षियों को उसने बनाया।
11 परमेश्वर ने राजा और राष्ट्रों की रचना धरती पर की।
परमेश्वर ने प्रमुखों और न्यायधीशों को बनाया।
12 परमेश्वर ने युवक और युवतियों को बनाया।
परमेश्वर ने बूढ़ों और बच्चों को रचा है।
13 यहोवा के नाम का गुण गाओ!
सदा उसके नाम का आदर करो!
हर वस्तु ओर धरती और व्योम,
उसका गुणगान करो!
14 परमेश्वर अपने भक्तों को दृढ़ करेगा।
लोग परमेश्वर के भक्तों की प्रशंसा करेंगे।
लोग इस्राएल के गुण गायेंगे, वे लोग है जिनके लिये परमेश्वर युद्ध करता है,
यहोवा की प्रशंसा करो।
समीक्षा
परमेश्वर की प्रशंसा हो उनकी घनिष्ठ मित्रता के लिए
क्या आप जानते हैं कि आप परमेश्वर के 'घनिष्ठ मित्र' बन सकते हैं? यही इसका अर्थ है "उनके समीप रहने वाली प्रजा, जो परमेश्वर से प्रेम रखती है" (व.14)। और परमेश्वर के प्रेम की वाचा के बारे में यही सब कुछ है ।
परमेश्वर के प्रति उसके प्रेम के परिणाम स्वरूप, भजन बनाने वाले का हृदय प्रशंसा से फूट रहा है। और वह पूरी सृष्टी को परमेश्वर की प्रशंसा करने के लिए बुलाता है, और पूरी मानव जाति को भी (वव.7-12): 'यहोवा के नाम की स्तुति करो, क्योंकि केवल उन्ही का नाम महान है' (व.13)।
भजनसहिंता: "और उसने अपनी प्रजा के लिए एक सीगं ऊँचा किया है, यह उसके सब भक्तों के लिए अर्थात इस्रालियों के लिए और उसके समीप रहने वाली प्रजा के लिए" तथा 'परमेश्वर के घनिष्ठ मित्रों' के लिए है।
सींग, परमेश्वर की ताकत का प्रतीक है, और यीशु में इसकी पूर्ति हुई है: 'और अपने सेवक दाऊद के घराने में हमारे लिए एक उद्धार का सींग निकाला' (लूका 1:69)। और परमेश्वर ने यह सब कुछ हमारे प्रति प्रेम की खातिर किया; उन्होंने प्रेम की वाचा इसलिए बांधी क्योंकि वह ऐसे लोगों को चाहते है जो उनके हृदय के करीब हों। इसमें कोई अजरज की बात नहीं है, भजन बनाने वाला अपने भजन का अंत बुलन्द आवाज से करता है, "प्रभु की स्तुति करो" (भजनसहिंता 148:14)।
प्रार्थना
प्रकाशित वाक्य 19:11-21
सफेद घोड़े का सवार
11 फिर मैंने स्वर्ग को खुलते देखा और वहाँ मेरे सामने एक सफेद घोड़ा था। घोड़े का सवार विश्वसनीय और सत्य कहलाता था क्योंकि न्याय के साथ वह निर्णय करता है और युद्ध करता है। 12 उसकी आँखें ऐसी थीं मानों अग्नि की लपट हो। उसके सिर पर बहुत से मुकुट थे। उस पर एक नाम लिखा था, जिसे उसके अतिरिक्त कोई और नहीं जानता। 13 उसने ऐसा वस्त्र पहना था जिसे लहू में डुबाया गया था। उसे नाम दिया गया था, “परमेश्वर का वचन।” 14 सफेद घोड़ों पर बैठी स्वर्ग की सेनाएँ उसके पीछे पीछे चल रही थीं। उन्होंने शुद्ध श्वेत मलमल के वस्त्र पहने थे। 15 अधर्मियों पर प्रहार करने के लिए उसके मुख से एक तेज धार की तलवार बाहर निकल रही थी। वह उन पर लोहे के दण्ड से शासन करेगा और सर्वशक्ति सम्पन्न परमेश्वर के प्रचण्ड क्रोध की धानी में वह अंगूरों का रस निचोड़ेगा। 16 उसके वस्त्र तथा उसकी जाँघ पर लिखा था:
राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु
17 इसके बाद मैंने देखा कि सूर्य के ऊपर एक स्वर्गदूत खड़ा है। उसने ऊँचे आकाश में उड़ने वाले सभी पक्षियों से ऊँचे स्वर में कहा, “आओ, परमेश्वर के महाभोज के लिए एकत्र हो जाओ, 18 ताकि तुम शासकों, सेनापतियों, प्रसिद्ध पुरुषों, घोड़ों और उनके सवारों का माँस खा सको। और सभी लोगों स्वतन्त्र व्यक्तियों, सेवकों छोटे लोगों और महत्वपूर्ण व्यक्तियों की देहों को खा सको।”
19 फिर मैंने उस पशु को और धरती के राजाओं को देखा। उनके साथ उनकी सेना थी। वे उस घुड़सवार और उसकी सेना से युद्ध करने के लिए एक साथ आ जुटे थे। 20 पशु को घेर लिया गया था। उसके साथ वह झूठा नबी भी था जो उसके सामने चमत्कार दिखाया करता था और उनको छला करता था जिन पर उस पशु की छाप लगी थी और जो उसकी मूर्ति की उपासना किया करते थे। उस पशु और झूठे नबी दोनों को ही जलते गंधक की भभकती झील में जीवित ही डाल दिया गया था। 21 घोड़े के सवार के मुख से जो तलवार निकल रही थी, बाकी के सैनिक उससे मार डाले गए फिर पक्षियों ने उनके शवों के माँस को भर पेट खाया।
समीक्षा
मूल्य चुकाने के लिए यीशु का धन्यवाद करिए
परमेश्वर के वाचा की एक कीमत है। पर कीमत चुका दी गई है, हमारे द्वारा नहीं, बल्कि, स्वयं परमेश्वर के द्वारा, यीशु के रूप में, जिनका लहू आपके लिए बहाया गया। यूहन्ना यीशु को एक सफेद घोड़े पर सवार हुआ देखता है। और वह उनका वर्णन चार नामों से करता है:
- सच्चा और विश्वासयोग्य 'वह धर्म के साथ न्याय करता है' (व.11) वह हमारे हृदय के रहस्यों को कुरेदता है' (‘उनकी आखें आग के ज्वाला सी है' (व.12अ)। उनके पास सार्वभौमिक अधिकार हैं "और उनके सिर पर कई मुकुट हैं," (व.12ब)। फिर भी हमारी अविश्वासयोग्यता के बावजूद, वह 'विश्वासयोग्य और सच्चे हैं' (व.11)।
पूरी बाईबल में हम परमेश्वर की विश्वासयोग्यता, उनकी वाचा और वायदों के बारे मे पढ़ते हैं। हम परमेश्वर की विश्वासयोग्यता को सर्वोच्चतापूर्वक यीशु में देखते हैं - वह जो 'सच्चा और विश्वासयोग्य है’।
नाम सिर्फ यीशु जानते हैं दूसरा, "उनका एक नाम लिखा है, जिसे उस को छोड़ और कोई नहीं जानता" (व.12)। परमेश्वर का स्वयं प्रकटीकरण, जो यीशु में है, तब तक पूरा नहीं होगा जब तक हम उन्हें आमने सामने नहीं देख लेते (1 कुरिंथियो 13:12)।
परमेश्वर का वचन
...उसका नाम परमेश्वर का वचन है" (प्रकाशितवाक्य 19:13) परमेश्वर का वचन वह है जिसके द्वारा वह हमसे बातचीत करते हैं। परमेश्वर का सर्वोच्च प्रकटीकरण यीशु में है-जो परमेश्वर के वचन हैं (1यूहन्ना 1:1)।
"और वह लहू से छिडके हुए वस्त्र पहने हैं" (प्रकाशितवाक्य 19:13) और यह उनके भरपूर प्रेम का सबूत है आपके लिए। और यह 'वाचा का लहू है' (मत्ती 26:28) यीशु का लहू आपके लिए बहाया गया।
- राजाओं के राजा और प्रभुओं के प्रभु
वह, 'राजाओं के राजा और प्रभुओं के प्रभु हैं' (प्रकाशितवाक्य 19:16) और यह नाम उनके वस्त्र पर और उनकी जांघ पर लिखा है। और वह "श्वेत और शुद्ध मलमल पहने हुए" कलीसिया की अगुवाई करते हैं (व.14)। इनके आगे हर घुटना झुकेगा और हर एक जीभ अंगीकार करेगी कि यीशु मसीह ही प्रभु हैं (फिलिप्पियों 2:9-11)।
कोई बुराई यीशु के सामने खडी नहीं रह सकती। अंत में सारी बुराई नष्ट की जाएगी। आंतिम युद्ध (प्रकाशितवाक्य 19:17-21) बिल्कुल भी एक युद्ध नहीं होगा। सारी दुष्ट शक्तियाँ "आग की झील में जो गन्धक से जलती है", डाल दी जाएगी (व.20)। और परमेश्वर के शत्रु, जिन्होंने यीशु का विरोध किया था उनकी शक्ति हमेशा के लिए छीन ली जाएगी (व.21) यह नाटकीय कल्पना हमें दर्शाती है कि यीशु की पूर्ण विजय कैसी होगी।
महान विजय पहले से ही जीत ली गई है उनके द्वारा जो वफादार और सच्चे हैं। क्रूस और पूनरूत्थान के द्वारा उन्होंने पहले से ही सारी दुष्ट शक्तियों को हरा दिया है (कुलिस्सियों 2:15)। जिस विजय के बारे में हम यहाँ पढ़ते हैं वह एक पहले से ही निष्कर्ष हुआ है जब यीशु दृश्य पर आते हैं।
प्रार्थना
नहेमायाह 9:1-37
इस्राएल के लोगों द्वारा अपने पापों का अंगीकार
9फिर उसी महीने की चौबीसवीं तारीख को एक दिन के उपवास के लिये इस्राएल के लोग परस्पर एकत्र हुए। उन्होंने यह दिखने के लिये कि वे दु:खी और बेचैन हैं, उन्होंने शोक वस्त्र धारण किये, अपने अपने सिरों पर राख डाली। 2 वे लोग जो सच्चे इस्राएली थे, उन्होंने बाहर के लोगों से अपने आपको अलग कर दिया। इस्राएली लोगों ने मन्दिर में खड़े होकर अपने और अपने पूर्वजों के पापों को स्वीकार किया। 3 वे लोग वहाँ लगभग तीन घण्टे खड़े रहे और उन्होंने अपने यहोवा परमेश्वर की व्यवस्था के विधान की पुस्तक का पाठ किया और फिर तीन घण्टे और अपने यहोवा परमेश्वर की उपासना करते हुए उन्होंने स्वयं को नीचे झुका लिया तथा अपने पापों को स्वीकार किया।
4 फिर लेवीवंशी येशू, बानी, कदमीएल, शबन्याह, बुन्नी, शेरेब्याह, बानी और कनानी सीढ़ियों पर खड़े हो गये और उन्होंने अपने परमेश्वर यहोवा को ऊँचे स्वर में पुकारा। 5 इसके बाद लेवीवंशी येशू, कदमीएल, बानी, हशबन्याह, शेरेब्याह, होदियाह, शबन्याह और पतहयाह ने फिर कहा। वे बोले: “खड़े हो जाओ और अपने यहोवा परमेश्वर की स्तुति करो!
“परमेश्वर सदा से जीवित था! और सदा ही जीवित रहेगा!
लोगों को चाहिये कि स्तुति करें तेरे महिमावान नाम की!
सभी आशीषों से और सारे गुण—गानों से नाम ऊपर उठे तेरा!
6 तू तो परमेश्वर है! यहोवा,
बस तू ही परमेश्वर है!
आकाश को तूने बनाया है! सर्वोच्च आकाशों की रचना की तूने,
और जो कुछ है उनमें सब तेरा बनाया है!
धरती की रचना की तूने ही,
और जो कुछ धरती पर है!
सागर को,
और जो कुछ है सागर में!
तूने बनाया है हर किसी वस्तु को जीवन तू देता है!
सितारे सारे आकाश के, झुकते हैं सामने तेरे और उपासना करते हैं तेरी!
7 यहोवा परमेश्वर तू ही है,
अब्राम को तूने चुना था।
राह उसको तूने दिखाई थी,
बाबेल के उर से निकल जाने की तूने ही बदला था।
उसका नाम और उसे दिया नाम इब्राहीम का।
8 तूने यह देखा था कि वह सच्चा और निष्ठावान था तेरे प्रति।
कर लीया तूने साथ उसके वाचा एक
उसे देने को धरती
कनान की वचन दिया तूने धरती, जो हुआ करती थी हित्तियों की और एमोरीयों की।
धरती, जो हुआ करती थी परिज्जियों, यबूसियों और गिर्गाशियों की!
किन्तु वचन दिया तूने उस धरती को देने का इब्राहीम की संतानों को
और अपना वचन वह पूरा किया तूने क्यों? क्योंकि तू उत्तम है।
9 यहोवा देखा था तड़पते हुए तूने हमारे पूर्वजों को मिस्र में।
पुकारते सहायता को लाल सागर के तट पर तूने उनको सुना था!
10 फ़िरौन को तूने दिखाये थे चमत्कार।
तूने हाकिमों को उसके और उसके लोगों को दिखाये थे अद्भुत कर्म।
तुझको यह ज्ञान था कि सोचा करते थे
मिस्री कि वे उत्तम हैं हमारे पूर्वजों से।
किन्तु प्रमाणित कर दिया तूने कि तू कितना महान है!
और है उसकी याद बनी हुई उनको आज तक भी!
11 सामने उनके लाल सागर को विभक्त किया था तूने,
और वे पार हो गये थे सूखी धरती पर चलते हुए!
मिस्र के सैनिक पीछा कर रहे थे उनका। किन्तु डुबा दिया तूने था शत्रु को सागर में।
और वे डूब गये सागर में जैसे डूब जाता है पानी में पत्थर।
12 मीनार जैसे बादल से दिन में उन्हें राह तूने दिखाई
और अग्नि के खंभे का प्रयोग कर रात में उनको तूने दिखाई राह।
मार्ग को तूने उनके इस प्रकार कर दिया ज्योर्तिमय
और दिखा दिया उनको कि कहाँ उन्हें जाना है।
13 फिर तू उतरा सीनै पहाड़ पर और आकाश से
तूने था उनको सम्बोधित किया।
उत्तम विधान दे दिया तूने
उन्हें सच्ची शिक्षा को था तूने दिया उनको।
व्यवस्था का विधान उन्हें तूने दिया और तूने दिया आदेश उनको बहुत उत्तम!
14 तूने बताया उन्हें सब्त यानी अपने विश्राम के विशेष दिन के विषय में।
तूने अपने सेवक मूसा के द्वारा उनको आदेश दिये।
व्यवस्था का विधान दिया और दी शिक्षाएँ।
15 जब उनको भूख लगी,
बरसा दिया भोजन था तूने आकाश से।
जब उन्हें प्यास लगी,
चट्टान से प्रकट किया तूने था जल को
और कहा तूने था उनसे ‘आओ, ले लो इस प्रदेश को।’
तूने वचन दिया उन को उठाकर हाथ यह प्रदेश देने का उनको!
16 किन्तु वे पूर्वज हमारे, हो गये अभिमानी: वे हो गये हठी थे।
कर दिया उन्होंने मना आज्ञाएँ मानने से तेरी।
17 कर दिया उन्होंने मना सुनने से।
वे भूले उन अचरज भरी बातों को जो तूने उनके साथ की थीं।
वे हो गये जिद्दी! विद्रोह उन्होंने किया,
और बना लिया अपना एक नेता जो उन्हें लौटा कर ले जाये।
फिर उनकी उसी दासता में किन्तु तू तो है दयावान परमेश्वर!
तू है दयालु और करुणापूर्ण तू है।
धैर्यवान है तू
और प्रेम से भरा है तू!
इसलिये तूने था त्यागा नहीं उनको।
18 चाहे उन्होंने बना लिया सोने का बछड़ा और कहा,
‘बछड़ा अब देव है तुम्हारा’ इसी ने निकाला था,
तुम्हें मिस्र से बाहर किन्तु उन्हें तूने त्यागा नहीं!’
19 तू बहुत ही दयालु है!
इसलिये तूने उन्हें मरुस्थल में त्यागा नहीं।
दूर उनसे हटाया नहीं दिन में
तूने बादल के खम्भें को मार्ग
तू दिखाता रहा उनको।
और रात में तूने था दूर किया नहीं
उनसे अग्नि के पुंज को!
प्रकाशित तू करता रहा रास्ते को उनके।
और तू दिखाता रहा कहाँ उन्हें जाना है!
20 निज उत्तम चेतना, तूने दी उनको ताकि तू विवेकी बनाये उन्हें।
खाने को देता रहा, तू उनको मन्ना
और प्यास को उनकी तू देता रहा पानी!
21 तूने रखा उनका ध्यान चालीस वरसों तक मरुस्थल में।
उन्हें मिली हर वस्तु जिसकी उनको दरकार थी।
वस्त्र उनके फटे तक नहीं पैरों में
उनके कभी नहीं आई सूजन कभी किसी पीड़ा में।
22 यहोवा तूने दिये उनको राज्य, और उनको दी जातियाँ
और दूर—सुदूर के स्थान थे उनको दिये जहाँ बसते थे
कुछ ही लोग धरती उन्हें मिल गयी सीहोन की सीहोन जो हशबोन का राजा था
धरती उन्हें मिल गयी ओग की ओग जो बाशान का राजा था।
23 वंशज दिये तूने अनन्त उन्हें जितने अम्बर में तारे हैं।
ले आया उनको तू उस धरती पर।
जिसके लिये उन के पूर्वजों को
तूने आदेश दिया था कि वे वहाँ जाएँ
और अधिकार करें उस पर।
24 धरती वह उन वंशजों ने ले ली।
वहाँ रह रहे कनानियों को उन्होंने हरा दिया।
पराजित कराया तूने उनसे उन लोगों को।
साथ उन प्रदेशों के और उन लोगों के वे जैसा चाहें
वैसा करें ऐसा था तूने करा दिया।
25 शक्तिशाली नगरों को उन्होंने हरा दिया।
कब्जा किया उपजाँऊ धरती पर उन्होंने।
उत्तम वस्तुओं से भरे हुए ले लिए उन्होंने घर;
खुदे हुए कुँओं को ले लिया उन्होंने।
ले लिए उन्होंने थे बगीचे अँगूर के।
जैतून के पेड़ और फलों के पेड़ भर पेट खाया वे करते थे सो वे हो गये मोटे।
तेरी दी सभी अद्भुत वस्तुओं का आनन्द वे लेते थे।
26 और फिर उन्होंने मुँह फेर लिया तुझसे था।
तेरी शिक्षओं को उन्होंने फेंक दिया
दूर तेरे नबियों को मार डाला उन्होंने था।
ऐसे नबियों को जो सचेत करते थे लोगों को।
जो जतन करते लोगों को मोड़ने का तेरी ओर।
किन्तु हमारे पूर्वजों ने भयानक कार्य किये तेरे साथ।
27 सो तूने उन्हें पड़ने दिया उनके शत्रुओं के हाथों में।
शत्रु ने बहुतेरे कष्ट दिये उनको
जब उन पर विपदा पड़ी हमारे पूर्वजों ने थी दुहाई दी तेरी।
और स्वर्ग में तूने था सुन लिया उनको।
तू बहुत ही दयालु है भेज दिया
तूने था लोगों को उनकी रक्षा के लिये।
और उन लोगों ने छुड़ा कर बचा लिया उनको शत्रुओं से उनके।
28 किन्तु, जैसे ही चैन उन्हें मिलता था,
वैसे ही वे बुरे काम करने लग जाते बार बार।
सो शत्रुओं के हाथों उन्हें सौंप दिया तूने ताकि वे करें उन पर राज।
फिर तेरी दुहाई उन्होंने दी
और स्वर्ग में तूने सुनी उनकी और सहायता उनकी की।
तू कितना दयालु है!
होता रहा ऐसा ही अनेकों बार!
29 तूने चेताया उन्हें।
फिर से लौट आने को तेरे विधान में
किन्तु वे थे बहुत अभिमानी।
उन्होंने नकार दिया तेरे आदेश को।
यदि चलता है कोई व्यक्ति नियमों पर
तेरे तो सचमुच जीएगा
वह किन्तु हमारे पूर्वजों ने तो तोड़ा था तेरे नियमों को।
वे थे हठीले!
मुख फेर, पीठ दी थी उन्होंने तुझे!
तेरी सुनने से ही उन्होंने था मना किया।
30 “तू था बहुत सहनशील, साथ हमारे पूर्वजों के,
तूने उन्हें करने दिया बर्ताव बुरा अपने साथ बरसों तक।
सजग किया तूने उन्हें अपनी आत्मा से।
उनको देने चेतावनी भेजा था नबियों को तूने।
किन्तु हमारे पूर्वजों ने तो उनकी सुनी ही नहीं।
इसलिए तूने था दूसरे देशों के लोगों को सौंप दिया उनको।
31 “किन्तु तू कितना दयालु है!
तूने किया था नहीं पूरी तरह नष्ट उन्हें।
तूने तजा नहीं उनको था। हे परमेश्वर!
तू ऐसा दयालु और करुणापूर्ण ऐसा है!
32 परमेश्वर हमारा है, महान परमेश्वर!
तू एक वीर है ऐसा जिससे भय लगता है
और शक्तिशाली है जो निर्भर करने योग्य तू है।
पालता है तू निज वचन को!
यातनाएँ बहुत तेरी भोग हम चुके हैं।
और दु:ख हमारे हैं, महत्वपूर्ण तेरे लिये।
साथ में हमारे राजाओं के और मुखियाओं के घटी थीं बातें बुरी।
याजकों के साथ में हमारे
और साथ में नबियों के और हमारे सभी लोगों के साथ घटी थीं बातें बुरी।
अश्शूर के राजा से लेकर आज तक
वे घटी थीं बातें भयानक!
33 किन्तु हे परमेश्वर! जो कुछ भी घटना है
साथ हमारे घटी उसके प्रति न्यायपूर्ण तू रहा।
तू तो अच्छा ही रहा,
बुरे तो हम रहे।
34 हमारे राजाओं ने मुखियाओं, याजकों ने और पूर्वजों ने नहीं पाला तेरी शिक्षाओं को!
उन्होंने नहीं दिया कान तेरे आदेशों।
तेरी चेतावनियाँ उन्होंने सुनी ही नहीं।
35 यहाँ तक कि जब पूर्वज हमारे अपने राज्य में रहते थे, उन्होंने नहीं सेवा की तेरी!
छोड़ा उन्होंने नहीं बुरे कर्मो का करना।
जो कुछ भी उत्तम वस्तु उनको तूने दी थी, उनका रस वे रहे लेते।
आनन्द उस धरती का लेते रहे जो थी सम्पन्न बहुत। और स्थान बहुत सा था उनके पास!
किन्तु उन्होंने नहीं छोड़ी निज बुरी राह।
36 और अब हम बने दास हैं:
हम दास हैं उस धरती पर,
जिसको दिया तूने था हमारे पूर्वजों को।
तूने यह धरती थी उनको दी, कि भोगें वे उसका फल
और आनन्द लें उन सभी चीज़ों का जो यहाँ उगती हैं।
37 इस धरती की फसल है भरपूर
किन्तु पाप किये हमने सो हमारी उपज जाती है पास उन राजाओं के जिनको तूने बिठाया है सिर पर हमारे।
हम पर और पशुओं पर हमारे वे राजा राज करते हैं वे चाहते हैं
जैसा भी वैसा ही करते हैं।
हम हैं बहुत कष्ट में।
समीक्षा
उनके प्रावधान के लिए परमेश्वर पर भरोसा रखिए
क्या कभी आपने खुद को एक हताश स्थिति में परमेश्वर को मदद के लिए पुकारते हुए और वह सब वायदे करते हुए पाया है कि यदि वह आपकी प्रार्थना का जवाब देंगे, तो आप क्या करोगे? और फिर, जब परमेश्वर जवाब देते हैं, तो आप भूल जाते हैं और फिर से उनसे दूर हो जाते हैं?
परमेश्वर के लोगों का एक जैसा इतिहास है। जब परमेश्वर हमें आशीषित करते हैं, तब हम लापरवाह बन जाते हैं, समझौता करने लगते हैं और पाप में गिर जाते है। फिर हम परमेश्वर को पुकारते हैं और वह हमें बचाते हैं और हम पर दया करते हैं। फिर दोबारा से हम ढीले पड़ जाते हैं। निश्चित ही, मैंने अपने आपको इस तरह से पाया है। पर हम इस तरीके से जीने के लिए नहीं बनाए गए हैं।
परमेश्वर ने अपने लोगों से वाचा बांधी-अब्राहम से शुरूआत करते हुए (व.8) यह एक प्रेम की वाचा थी (व.32)। उन्होंने वायदा किया कि, "वह उनकी भूख के लिए स्वर्ग से रोटी" और "उनकी प्यास के लिए चट्टान से पानी" का प्रबंध करेंगे। परमेश्वर चाहते थे कि वे लोग विश्वास से उनके प्रावधान में जीऐं।
परमेश्वर चाहते हैं, कि आप उन पर भरोसा करें। आप आज एक निर्णय लें कि कल की चिंता नहीं करेंगे। हर रोज आपकी खातिर प्रबंध करने के लिए, एक बार में एक दिन के लिए, उन पर भरोसा रखेंगे। परमेश्वर आप से सिर्फ प्रेम नहीं करते; बल्कि वह आपके प्रति प्रेम से भरे हुए हैं। वह आपसे इस तरह से प्रेम करते हैं, जैसे कि सिर्फ आप अकेले हों प्रेम करने के लिए।
दीवारें पुनर्स्थापित हो गईं। व्यवस्था को पढ़ा गया। और अब लोग परमेश्वर के भरपूर प्रेम और उनके प्रेम के वाचा को पहचानते हैं। उन्हें एहसास है कि परमेश्वर ने उन्हें अलौंकिक तरीकों से आशिषीत किया है। फिर जब वे अपने जीवन के बारे में सोचते हैं, तो वे पाते हैं कि ऐसा सोचना कितना अनुचित था।
वे उपवास और प्रार्थना के साथ इकठ्ठे होते हैं। वे लोग खड़े होकर अपने पापों का और दुष्टता का अंगीकार करते हैं (व.2)। वे दिन के एक पहर तक अपने परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक पढते हैं (व.3)। इसमें कोई शक नहीं कि जब वे वचन सुनते हैं, तो उनके पाप रोशनी में आते हैं। वे एक और पहर अपने पापों को मानते, और अपने परमेश्वर को दडंवत करते हैं (व.3)।
यह एक आदर्श प्रार्थना है। यह आराधना से आरंभ होती है। परमेश्वर की स्तुति हो, पूरी सृष्टी में उनका भरपूर प्रेम हो (व.5-6)। वे उनके भरपूर प्रेम से शुरुवात करते हैं जो कि अब्राहम के साथ बांधी हुई वाचा के साथ इतिहास में है (व.8)। वे परमेश्वर के प्रेम और विश्वासयोग्यता को याद करते हैं जो कि अब्राहम, मूसा और उन लोगों द्वारा हुआ था (व.7-15)।
वे याद करते हैं कि परमेश्वर के भरपूर प्रेम और उदारता के बावजूद, वे लोग 'अभिमानी' और 'हठीले' थे और वे उनकी आज्ञा का पालन नहीं करते थे (व.16)।
फिर भी परमेश्वर का प्रेम भरपूर है! क्षमा करने वाले परमेश्वर ने - जो कृपालु और दयालु, अविश्वसनीय रुप से सहनशील हैं - अत्यधिक प्रेम.... और अद्भुत करुणा से.... उन्हें सही मार्ग दिखाया। आपने अपना पवित्र आत्मा उन्हें सिखाने के लिए भेजा.... आप कभी रूके नहीं.... आपने उनका समर्थन किया.... और हम आपकी बड़ी भलाई के कारण सुख भोगते रहे (व.17-25)।
जब ये लोग अपने इतिहास का अध्ययन करते हैं, पाते हैं कि समान नमूना बारबार दोहराया गया है। परमेश्वर उन्हें आशीषीत करते हैं, लेकिन वे फिर से विद्रोह करते हैं... और खुद का जीवन कठिन बना लेते हैं। फिर जब उन्होंने अपनी मुसीबतों में उन्हें मदद के लिए पुकारा, तो उन्होंने स्वर्ग से उनकी सुनी.... लेकिन जब फिर से सबकुछ शांत हुआ, उन्होंने फिर से वही चीज दोहराई - अधिक दुष्टता - उन्होंने दोबारा आपको पुकारा; आपकी महान दया में आपने उनकी सुनी और फिर उनकी मदद की... आपने उन्हें कभी भी हमेशा के लिये नहीं त्यागा; हाँ, आप अनुग्रह और दया के परमेश्वर हैं... वाचा और प्रेम में निष्ठावान (व.26-32)
क्योंकि लोग अपनी वाचा को रखने में असमर्थ थे इसलिए परमेश्वर ने वायदा किया कि वे एक नई वाचा बनाएंगे। नई वाचा पर यीशु के लहू की मुहर लगी है। और पवित्र आत्मा को शामिल किया गया है कि वे आकर हमारे अंदर रहें हमारी मदद के लिए ताकि हम अपनी वाचा रख सखें, और परमेश्वर तथा लोगों के प्रति भरपूर प्रेम में रहें।
प्रार्थना
पिप्पा भी कहते है
नेहम्याह 9:16-37
इस्राएल के लोग मानो गोल-गोल घूम रहे थे; वे विद्रोह करते है, उन पर जुल्म होते हैं, वे परमेश्वर के सामने रोते हैं, वे बचाए जाते हैं, वे परमेश्वर को भूल जाते हैं; और दोबारा विद्रोह करते हैं। मैने सोचा परमेश्वर बहुत तंग आ गए होंगे। और मैं ये जानती हूँ कि मैं उससे बेहतर नहीं हूँ। मै प्रसन्न हूँ कि हमारे परमेश्वर 'क्षमा करने वाले,' कृपालु, दयालु, क्रोध में धीमें और प्रेम से भरपूर हैं!
दिन का वचन
नेहम्याह – 9:17
"और आज्ञा मानने से इनकार किया, और जो आश्चर्यकर्म तू ने उनके बीच किए थे, उनका स्मरण न किया, वरन हठ करके यहां तक बलवा करने वाले बने, कि एक प्रधान ठहराया, कि अपने दासत्व की दशा में लौटे। परन्तु तू क्षमा करने वाला अनुग्रहकारी और दयालु, विलम्ब से कोप करने वाला, और अतिकरुणामय ईश्वर है, तू ने उन को न त्यागा।”
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संदर्भ
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।