दिन 363

आपका ताज आ रहा है

बुद्धि भजन संहिता 149:1-9
नए करार प्रकाशित वाक्य 20:1-15
जूना करार नहेमायाह 9:38-11:21

परिचय

रानी एलिजाबेथ का राज्यभिषेक 2 जून 1953 को वेस्ट मिन्सटर एबे में हुआ था। उन्हे, केंटरबरी के मुख्य धर्माध्यक्ष की ओर से एक बाईबल दी गई, अभिषेक किया गया और फिर ताज पहनाया गया।

उनकी हीरक जयंती एक बहुराष्ट्रीय उत्सव भी था जो उनकी साठ्वें वर्षगांठ पर उनका राज्याभिषेक किया गया। इसकी पराकाष्ठा थी जो साप्ताहांत जून 2013 में सड़क पर दावतों और संगीत कार्य़क्रमो से भरा हुआ था, एक विशेष धन्यवाद प्रदान की सेवा, और 300 सालों का एक बड़ा नदी-जूलूस। पूरे देश ने एक साथ रानी के 60 सालों के राज्य का उत्सव मनाया। अब साढ़े 63 वर्षो के बाद, ये सबसे लंबे समय तक राज्य करती हुई ब्रिटिश सम्राट बनी।

नये नियम के अनुसार हर एक मसीही मुकुट पहनेगा और ज्यादा समय के लिए राज्य करेगा और वहाँ उत्सव मनाने और आनन्दित होने का और भी बड़ा कारण होगा जो किसी भी सांसारिक शासक की तुलना में अधिक होगा। आप मसीह के साथ राज्य करेंगे (प्रकाशितवाक्य 20:4-6) इसका क्या अर्थ है? कौन उनके साथ राज्य करेगा? और ये राज्य कब आरंभ होगा?

बुद्धि

भजन संहिता 149:1-9

149यहोवा के गुण गाओ।
 उन नयी बातों के विषय में एक नया गीत गाओ जिनको यहोवा ने किया है।
 उसके भक्तों की मण्डली में उसका गुण गान करो।
2 परमेश्वर ने इस्राएल को बनाया। यहोवा के संग इस्राएल हर्ष मनाए।
 सिय्योन के लोग अपने राजा के संग में आनन्द मनाएँ।
3 वे लोग परमेश्वर का यशगान नाचते बजाते
 अपने तम्बुरों, वीणाओ से करें।
4 यहोवा निज भक्तों से प्रसन्न है।
 परमेश्वर ने एक अद्भुत कर्म अपने विनीत जन के लिये किया।
 उसने उनका उद्धार किया।
5 परमेश्वर के भक्तों, तुम निज विजय मनाओं!
 यहाँ तक कि बिस्तर पर जाने के बाद भी तुम आनन्दित रहो।

6 लोग परमेश्वर का जयजयकार करें
 और लोग निज तलवारें अपने हाथों में धारण करें।
7 वे अपने शत्रुओं को दण्ड देने जायें।
 और दूसरे लोगों को वे दण्ड देने को जायें,
8 परमेश्वर के भक्त उन शासकों
 और उन प्रमुखों को जंजीरो से बांधे।
9 परमेश्वर के भक्त अपने शत्रुओं को उसी तरह दण्ड देंगे,
 जैसा परमेश्वर ने उनको आदेश दिया।

 परमेश्वर के भक्तो यहोवा का आदरपूर्ण गुणगान करो।

समीक्षा

प्रभु द्वारा मुकुट धारण करने के सम्मान का आनंद लीजिए

परमेश्वर के लोग अपने प्रभु सर्वश्रेष्ठ सृष्टिकर्ता राजा के साथ उत्सव मनाने के लिए बुलाए गये हैं (व.2)। नाचते हुए और संगीत बजाते हुए उनके नाम की स्तुति कीजिये (वव. 2-3)।

“कि यहोवा अपनी प्रजा से प्रसन्न रहता है; वह नम्र लोगों का उद्धार कर के उन्हें शोभायमान करेगा। भक्त लोग महिमा के कारण प्रफुल्लित हों; और अपने बिछौनों पर भी पड़े पड़े जयजयकार करें” (वव. 4-5)। ‘उसके सब भक्तों की ऐसी ही प्रतिष्ठा होगी’ (व. 9)। अपने लोगों को मुकुट पहनाने के कारण मसीह के साथ राज्य करने का पूर्वानुमान जुड़ा हुआ है।

परमेश्वर अपनी आशीषें आपके साथ बांटने में आनन्दित होते हैं, और ये पद एक अनुस्मारक है कि कितना कुछ आपने पहले से ही उनसे पा लिया है। आप मुक्ति के 'ताज' से प्रसन्न हो सकते हैं; और उनके साथ रिश्ते में होने के सम्मान से आनंद मना सकते हैं।

भजन संहिताकार आगे कहता है कि परमेश्वर के लोग दंड आज्ञा को पूरा करेंगे 'उनके हाथों में दोधारी तलवारें होंगी' (व.6)। हमारे नये नियम के आज के लेखांश में, हम देखते हैं कि परमेश्वर के लोग मसीह के साथ दंडाज्ञा में होंगे (प्रकाशितवाक्य 19:11) हथियार शाब्दिक तलवारें हैं (इब्रानियों 4:12)।

ऐसी अद्भुत जिम्मेदारी और सम्मान हमें आसानी से घमंड की ओर ले जा सकती हैं। फिर भी, वे नम्र लोगों को मुकुट पहनाते हैं (भजनसहिंता 149:4)। हमने अपनी मुक्ति कमाई नहीं है। ये एक उपहार है। हमने मसीह के साथ राज्य करने के अधिकार को कमाया नही है। ये भी एक अद्भुत उपहार है।

प्रार्थना

प्रभु धन्यवाद हो कि आप मुझे उद्धार का मुकुट पहनाते हैं। धन्यवाद हो कि आपने मुझे अपने साथ राज्य करने के लिए बुलाया है। आपका धन्यवाद हो कि आप मेरे राजा हैं, और आपने मुझे मसीह के साथ सह वारिस होने के लिए बुलाया है।
नए करार

प्रकाशित वाक्य 20:1-15

हज़ार वर्ष

20फिर आकाश से मैंने एक स्वर्गदूत को नीचे उतरते देखा। उसके हाथ में पाताल की चाबी और एक बड़ी साँकल थी। 2 उसने उस पुराने महा सर्प को पकड़ लिया जो दैत्य यानी शैतान है फिर एक हज़ार वर्ष के लिए उसे साँकल से बाँध दिया। 3 तब उस स्वर्गदूत ने उसे महागर्त में धकेल कर ताला लगा दिया और उस पर कपाट लगा कर मुहर लगा दी ताकि जब तक हजार साल पूरे न हो जायें वह लोगों को धोखा न दे सके। हज़ार साल पूरे होने के बाद थोड़े समय के लिए उसे छोड़ा जाना है।

4 फिर मैंने कुछ सिंहासन देखे जिन पर कुछ लोग बैठे थे। उन्हें न्याय करने का अधिकार दिया गया था। और मैंने उन लोगों की आत्माओं को देखा जिनके सिर, उस सत्य के कारण, जो यीशु द्वारा प्रमाणित है, और परमेश्वर के संदेश के कारण काटे गए थे, जिन्होंने उस पशु या उसकी प्रतिमा की कभी उपासना नहीं की थी। तथा जिन्होंने अपने माथों पर या अपने हाथों पर उसका संकेत चिन्ह धारण नहीं किया था। वे फिर से जीवित हो उठे और उन्होंने मसीह के साथ एक हज़ार वर्ष तक राज्य किया। 5 (शेष लोग हज़ार वर्ष पूरे होने तक फिर से जीवित नहीं हुए।)

यह पहला पुनरुत्थान है। 6 वह धन्य है और पवित्र भी है जो पहले पुनरुत्थान में भाग ले रहा है। इन व्यक्तियों पर दूसरी मृत्यु को कोई अधिकार प्राप्त नहीं है। बल्कि वे तो परमेश्वर और मसीह के अपने याजक होंगे और उसके साथ एक हज़ार वर्ष तक राज्य करेंगे।

शैतान की हार

7 फिर एक हज़ार वर्ष पूरे हो चुकने पर शैतान को उसके बन्दीगृह से छोड़ दिया जाएगा। 8 और वह समूची धरती पर फैली जातियों को छलने के लिए निकल पड़ेगा। वह गोग और मागोग को छलेगा। वह उन्हें युद्ध के लिए एकत्र करेगा। वे उतने ही अनगिनत होंगे जितने समुद्र तट के रेत-कण।

9 शैतान की सेना समूची धरती पर फैल जायेगी और वे संत जनों के डेरे और प्रिय नगरी को घेर लेंगे। किन्तु आग उतरेगी और उन्हें निगल जाएगी, 10 इस के पश्चात् उस शैतान को जो उन्हें छलता रहा है भभकती गंधक की झील में फेंक दिया जाएगा जहाँ वह पशु और झूठे नबी, दोनों ही डाले गए हैं। सदा सदा के लिए उन्हें रात दिन तड़पाया जाएगा।

संसार के लोगों का न्याय

11 फिर मैंने एक विशाल श्वेत सिंहासन को और उसे जो उस पर विराजमान था, देखा। उसके सामने से धरती और आकाश भाग खड़े हुए। उनका पता तक नहीं चल पाया। 12 फिर मैंने छोटे और बड़े मृतकों को देखा। वे सिंहासन के आगे खड़े थे। कुछ पुस्तकें खोली गयीं। फिर एक और पुस्तक खोली गयीं—यही “जीवन की पुस्तक” है। उन कर्मों के अनुसार जो पुस्तकों में लिखे गए थे, मृतकों का न्याय किया गया।

13 जो मृतक सागर में थे, उन्हें सागर ने दे दिया, तथा मृत्यु और पाताल ने भी अपने अपने मृतक सौंप दिए। प्रत्येक का न्याय उसके कर्मो के अनुसार किया गया। 14 इसके बाद मृत्यु को और पाताल को आग की झील में झोंक दिया गया। यह आग की झील ही दूसरी मृत्यु है। 15 यदि किसी का नाम ‘जीवन की पुस्तक’ में लिखा नहीं मिला, तो उसे भी आग की झील में धकेल दिया गया।

समीक्षा

मसीह के साथ राज्य का अनुभव अब लीजिए

फिर भी हम इस लेखांश की विशेषताओं का अनुवाद करते हैं और यह स्पष्ट रुप से एक अद्भुत समाचार है; मसीह वापस आएंगे; शैतान पराजित होगा, और आप यीशु के साथ राज्य करेंगे और अनंत जीवन का अनुभव करेंगे। और यह उत्सव मनाने योग्य है।

प्रकाशितवाक्य की पुस्तक का यह एक बहुत ही कठिन लेखांश है। बहुत सी किताबों, टिप्प्णियों और उपन्यासों में, 'सहशताब्दी' और 'स्वर्ग में उठाए जाने के' समय के बारे बारे में लिखा गया है। इस विषय पर पूरे भावनात्मक विचार हैं; और दुर्भाग्य से कलीसिया में इसकी वजह से अलगाव आ गया है। अत: कुछ घबराहट के साथ मैं इस विषय पर अपने अनिश्चित विचारों को व्यक्त कर रहा हूँ।

एक सहस्त्राब्दी (मिल्लेनियम) ('बहुवचन'- मिल्लेनिया), समय की एक अवधि जो 1000 वर्षो के बराबर है। इसे प्राचीन रोम की भाषा लेटिन के 'मिल्ले', हजार और 'एन्नस' साल से लिया गया है। 'एक हजार साल की अवधि का उल्लेख बहुत बार किया गया है (व.2-7)।' और यह हजार साल की अवधि कब होगी? मोटे तौर पर, यहाँ तीन राय हैं:

  1. पोस्टमिलेनियालिज्म

ये राय है कि मसीह की वापसी तब तक नहीं होगी जब तक, परमेश्वर का राज्य, कलीसिया द्वारा मानव इतिहास में हजार साल तक स्थापित न हो जाएँ।

  1. प्री-मिलेनियालिज्म

ये राय है कि मसीह के आने पर, शैतान को बांधा जाएगा और संतो का पुनरुत्थान होगा जिन्हें स्वर्ग में उठा लिया जाएगा और एक अस्थायी राज्य में वे उनसे जुडेंगे जहाँ वे पृथ्वी पर एक हजार साल का राज्य करेंगे और इसका अंत अंतिम विद्रोह और आखिरी दडांज्ञा के साथ होगा।

  1. एमिलेनियालिज्म

ये राय है कि एक हजार वर्षो की अवधि, मसीह के पहले और दूसरे आगमन के बीच का समय है। और यह अवस्था यह बतलाती है कि एक हजार वर्षो की अवधि एक रूपांतरण है, शाब्दिक नहीं, और मसीह वापस आने के बाद उन्हें स्वर्ग में उठा लिया जाएगा।

इसमें कोई शक नहीं कि इन मामलों में ईसाइयों के बीच मतभेद पैदा होते हैं। व्यक्तिगत रुप से मैं सोचता हूँ कि इन तीनों रायों के साथ कठिनाईयाँ हैं। फिर भी जब हम इस लेखांश से बाकी नये नियम और पूरी बाईबल के संदर्भ को पढ़ेंगे, मैं यह राय देता हूँ कि सारे तर्को के बावजूद, जो विपरीत हैं; सबूत सहित एमिलेनियालिज्म, उचित है।

जैसा कि हम देखते हैं कि प्रकाशितवाक्य की पुस्तक की ज्यादातर भविष्यसूचक भाषा में है और पूरी तरह से इसकी शाब्दिक व्याख्या नहीं की गई है। 'एक हजार वर्ष' एक लंबे लेकिन अनिर्दिष्ट समय की अवधि बताता है। क्या सबूत है कि एक हजार साल की अवधि पहले से आरंभ हो गई है?

पहला, शैतान बांधा गया है (व.2)। शैतान का वर्णन 'अजगर', जो कि प्राचीन सांप, शैतान या इबलीस है (व.2)। अपने आगमन से यीशु ने शैतान को पराजित किया है। उन्होंने 'ताकतवर आदमी' को बांधा (मरकुस 3:27) (मत्ती 12:29)। क्रूस पर शैतान को पराजित किया-अथाह 'कुंड में डाला' जिसे बंद कर दिया गया और उस पर मुहर लगा दी गई (प्रकाशितवाक्य 20:3)।

दूसरा, इस अवधि के दौरान जाति जाति के लोगों को फिर से न भरमाया गया: "कि वह हजार वर्ष के पूरे होने तक जाति जाति के लोगों को फिर से न भरमाए" (व.3)। यह कलीसिया का युग है, जब सुसमाचार का प्रचार सारी जातियों में होगा। दस लाख, और अब एक अरब, यीशु के नाम को स्वीकारेंगे। यीशु के सुसमाचार के लिए उनकी आँखे खोली जा रही हैं।

तीसरा, प्रेरित पौलुस के अनुसार, हम पहले से ही मसीह के साथ राज्य कर रहे हैं। पुनर्जीवित शहीद और परमेश्वर के लोग मसीह के साथ एक हजार वर्षो तक राज्य करेंगे। "मैंने सिंहासन देखे और उन पर लोग बैठ गए और उनको न्याय करने का अधिकार दिया गया... मसीह के साथ हजार वर्षो तक राज्य करते रहे" (व.4)। जैसा की संत पौलुस ने कहा, 'परमेश्वर ने हमें यीशु के साथ उठाया और स्वर्गीय स्थानों में उनके साथ बैठाया'(इफीसियो 2:6)।

चौथा, आपको बुलाया गया है कि आप 'परमेश्वर और मसीह के याजकों' की तरह राज्य करें(प्रकाशितवाक्य 20:6) और सब विश्वासियो की पुरोहिताई पहले से ही आरंभ हो गई है। हमें बुलाया गया है, कि हम 'याजको का पवित्र समाज बनें'(1पतरस 2:5)। वास्तव में, पतरस हमें राजसी याजकों के पवित्र समाज से संदर्भित करते हैं (व.9)।

इस अवधि की समाप्ति पर, शैतान को 'जैल से रिहा' किया जाएगा (प्रकाशितवाक्य 20:7) और अंतिम संघर्ष होगा। एक बार फिर हम देखते हैं कि यह संघर्ष वास्तव में नहीं होगा। बल्कि यह जीत का, जो यीशु ने पहले से ही हासिल कर ली है, पूरा होना होगा। दुष्टता का नाश पूरा होगा(व.8-10)। फिर अंतिम न्याय होगा (व. 11-15)।

प्रार्थना

प्रभु धन्यवाद कि आप ने हमें मसीह के साथ जिलाया है और स्वर्गीय स्थानों में उनके साथ बैठाया है। मेरी मदद कीजिए कि मैं जाति जाति के लोगों को सुसमाचार देने के लिए हर अवसर का भरपूर लाभ उठाने पाऊँ।
जूना करार

नहेमायाह 9:38-11:21

38 “सो सोचकर इन सभी बातों के बारे में
हम करते हैं वाचा एक: जो न बदला जायेगा कभी भी।
और इस वाचा की लिखतम हम लिखते हैं और इस वाचा पर अंकित करते हैं
अपना नाम हाकिम हमारे, लेवी के वंशज और वे करते हैं
हस्ताक्षर लगा कर के उस पर मुहर।”

10मुहर लगी वाचा पर निम्न लिखित नाम लिखे थे:

हकल्याह का पुत्र राज्यपाल नहेमायाह। सिदकिय्याह, 2 सरायाह, अजर्याह, यिर्मयाह, 3 पशहूर, अमर्याह, मल्किय्याह, 4 हत्तूश, शबन्याह, मल्लूक, 5 हारीम, मरेमोत, ओबद्याह, 6 दानिय्येल, गिन्नतोन, बारुक, 7 मशूल्लाम, अबिय्याह, मिय्यामीन, 8 माज्याह, बिलगै और शमायाह। ये उन याजकों के नाम हैं जिन्हेंने मुहर लगी वाचा पर अपने नाम अंकित किये।

9 ये उन लेवीवंशियों के नाम हैं जिन्होंने मुहर लगी वाचा पर अपने नाम अंकित किये:

आजन्याह का पुत्र येशू, हेनादाद का वंशज बिन्नई और कदमिएल 10 और उनके भाइयों के नाम ये थे: शबन्याह, होदियाह, कलीता, पलायाह, हानान, 11 मीका, रहोब, हशब्याह, 12 जक्कर, शेरेब्याह, शकन्याह, 13 होदियाह, बानी और बनीन।

14 ये नाम उन मुखियाओं के हैं जिन्होंने उस मुहर लगी वाचा पर अपने नाम अंकित किये:

परोश, पहत—मोआब, एलाम, जत्तू बानी, 15 बुन्नी, अजगाद, बेबै, 16 अदोनिय्याह, बिग्वै, आदीन, 17 आतेर, हिजकिय्याह, अज्जूर, 18 होदियाह, हाशूम, बैसै, 19 हारीफ़, अनातोत, नोबै, 20 मगपिआश, मशूल्लम, हेजीर, 21 मेशजबेल, सादोक, यददू, 22 पलत्याह, हानान, अनायाह, 23 होशे, हनन्याह, हश्शूब, 24 हल्लोहेश, पिलहा, शोबेक, 25 रहूम, हशब्ना, माशेयाह, 26 अहियाह, हानान, आनान. 27 मल्लूक, हारीम, और बाना।

28-29 सो अब ये सभी लोग जिनके नाम ऊपर दिये गये हैं परमेश्वर के सामने यह विशेष प्रतिज्ञा लेतें हैं। यदि ये अपने वचन का पालन न करें तो उन के साथ बुरी बातें घटें! ये सभी लोग परमेश्वर के विधान का पालन करने की प्रतिज्ञा लेते हैं। परमेश्वर का यह विधान हमें परमेश्वर के सेवक मूसा द्वारा दिया गया था। ये सभी लोग सभी आदेशों, सभी नियमों और हमारे यहोवा परमेश्वर के उपदेशों का सावधानीपूर्वक पालन करने की प्रतिज्ञा लेते हैं। बाकी ये लोग भी प्रतिज्ञा लेते हैं: याजक लेवीवंशी, द्वारपाल, गायक, यहोवा के भवन के सेवक, तथा वे सभी लोग जिन्होंने आस—पास रहने वाले लोगों से, परमेश्वर के नियमों का पालन करने के लिए, अपने आपको अलग कर लिया था. उन लोगों की पत्नियाँ, पुत्र—पुत्रियाँ और हर वह व्यक्ति जो सुन समझ सकता था, अपने भाई बंधुओं, अपने मुखिया के साथ इस प्रतिज्ञा को अपनाने में सम्मिलित होते हैं कि परमेश्वर के सेवक मूसा के द्वारा दिये गये विधान का वे पालन करेंगे। यदि न करें तो उन पर विपत्तियाँ पड़े। वे सावधानी के साथ अपने स्वामी परमेश्वर के आदेशों, अध्यादेशों और निर्णयों का पालन करेंगे।

30 “हम प्रतिज्ञा करते हैं कि अपने आस—पास रहने वाले लोगों के साथ अपनी पुत्रियों का ब्याह नहीं करेगें और हम यह प्रतिज्ञा भी करते हैं कि उनकी लड़कियों के साथ अपने लड़कों को नहीं ब्याहेंगे।

31 “हम प्रतिज्ञा करते हैं कि सब्त के दिन काम नहीं करेंगे और यदि हमारे आस—पास रहने वाले लोग सब्त के दिन बेचने को अनाज या दूसरी वस्तुएँ लायेंगे तो विश्राम के उस विशेष दिन या किसी भी अन्य विशेष के दिन, उन वस्तुओं को नहीं खरीदेंगे। हर सातवें बरस हम न तो अपनी धरती को जोतेंगे और न बोएंगे, तथा हर सातवें वर्ष चक्र में हम दूसरे लोगों को दिये गये हर कर्ज को माफ़ कर देंगे।

32 “परमेश्वर के भवन का ध्यान रखने के लिये उसके आदेशों पर चलने के उत्तरदायित्व को हम ग्रहण करेंगे। हम हर साल एक तिहाई शेकेल हमारे परमेश्वर के सम्मान में भवन की सेवा, उपासना को बढ़ावा देने के लिये दिया करेंगे। 33 इस धन से उस विशेष रोटी का खर्च चला करेगा जिसे याजक मन्दिर की वेदी पर अर्पित करता है। इस धन से ही अन्नबलि और होमबलि का खर्च उठाया जायेगा। सब्त नये चाँद के त्यौहार तथा दूसरी सभाओं पर इसी धन से खर्चा होगा। उन पवित्र चढ़ावों और पापबलियों पर खर्च भी इस धन से ही किया जायेगा जिनसे इस्राएल के लोग शुद्ध बनते हैं। इस धन से ही हर उस काम का खर्च चलेगा जो हमारे परमेश्वर के मन्दिर के लिए आवश्यक है।

34 “हम यानी याजक, लेवीवंशी तथा लोगों ने मिल कर यह निश्चित करने के लिए पासे फैंके कि हमारे प्रत्येक परिवार को हर वर्ष एक निश्चित समय हमारे परमेश्वर के मन्दिर में लकड़ी का उपहार कब लाना है। वह लकड़ी जिसे हमारे परमेश्वर यहोवा की वेदी पर जलाया जाता है। हमें इस काम को अवश्य करना चाहिये क्योंकि यह हमारी व्यवस्था के विधान में लिखा है।

35 “हम अपने फलों के हर पेड़ और अपनी फसल के पहले फलों को लाने का उत्तरदीयित्व भी ग्रहण करते हैं। हर वर्ष यहोवा के मन्दिर में हम उस फल को लाकर अर्पित किया करेंगे।

36 “क्योंकि व्यवस्था के विधान में यह भी लिखा है इसलिए हम इसे भी किया करेंगे: हम अपने पहलौठे पुत्र, पहलौठे गाय के बच्चे, भेड़ों और बकरियों के पहले छौनो को लेकर परमेश्वर के मन्दिर में आया करेंगे। उन याजकों के पास हम इन सब को ले जाया करेंगे जो वहाँ मन्दिर में सेवा आराधना करते हैं।

37 “हम परमेश्वर के मन्दिर के भण्डार में याजकों के पास ये वस्तुएँ भी लाया करेंगे: पहला पिसा खाना, पहली अन्न— बलियाँ, हमारे सभी पेड़ों के पहले फल, हमारी नयी दाखमधु और तेल का पहला भाग। हम लेवीवंशियों के लिये अपनी उपज का दसवाँ हिस्सा भी दिया करेंगे क्योंकि प्रत्येक नगर में जहाँ हम काम करते हैं, लेवीवंशी हमसे ये वस्तुएँ लिया करते हैं। 38 लेवीवंशी जब उपज का यह भाग एकत्र करें तो हारुन के परिवार का एक याजक उनके साथ अवश्य होना चाहिये, और फिर इन सब वस्तुओं के दसवें हिस्से को वहाँ से लेकर लेवीवंशियों को चाहिये कि वे उन्हें हमारे परमेश्वर के मन्दिर मे ले आयें और उन्हें मन्दिर के खजाने की कोठियारों में रख दें। 39 इस्राएल के लोगों और लेवीवंशियों को चाहिये कि वे अपने उपहारों को कोठियारों में ले आयें। उपहार के अन्न, नयी दाखमधु और तेल को उन्हें वहाँ ले आना चाहिये। मन्दिर में काम आने वाली सभी वस्तुएँ उन कोठियारों में रखी जाती हैं और अपने कार्य पर नियुक्त याजक, गायक और द्वारपालों के कमरे भी वही थे।

“हम सभी प्रतिज्ञा करते हैं कि हम अपने परमेश्वर के मन्दिर की देख—रेख किया करेंगे!”

यरूशेलम में नये लोगों का प्रवेश

11देखो अब इस्राएल के लोगों के मुखिया यरूशलेम में बस गए। इस्राएल के दूसरे लोगों को यह निश्चित करना था कि नगर में और कौन लोग बसेंगे। इसलिए उन्होंने पासे फेंके जिसके अनुसार हर दस व्यक्तियों में से एक को यरूशलेम के पवित्र नगर में रहना था और दूसरे नौ व्यक्तियों को अपने—अपने मूल नगरों में बसना था। 2 यरूशलेम में रहने के लिए कुछ लोगों ने स्वयं अपने आप को प्रस्तुत किया। अपने आप को स्वयं प्रस्तुत करने के लिए दूसरे व्यक्तियों ने उन्हें धन्यवाद देते हुए आशीर्वाद दिये।

3 ये प्रांतों के वे मुखिया हैं जो यरूशलेम में बस गये। (कुछ इस्राएल के निवासी कुछ याजक लेवीवंशी मन्दिर के सेवक और सुलैमान के उन सेवकों के वंशज अलग—अलग नगरों में अपनी निजी धरती पर यहूदा में रहा करते थे, 4 तथा यहूदा और बिन्यामीन परिवारों के दूसरे लोग यरूशलेम में ही रह रहे थे।)

यहूदा के वे वंशज जो यरूशलेम में बस गये थे, वे ये हैं:

उज्जियाह का पुत्र अतायाह (उज्जियाह जकर्याह का पुत्र था, जकर्याह अमर्याह का पुत्र था, और अमर्याह, शपत्याह का पुत्र था। शपत्याह महललेल का पुत्र था और महललेल पेरेस का वंशज था) 5 मासेयाह बारुक का पुत्र था (और बारुक कोल—होजे का पुत्र था। कोल होजे हजायाह का पुत्र था। हजायाह योयारीब के पुत्र अदायाह का पुत्र था। योयारीब का पिता जकर्याह था जो शिलोई का वंशज था) 6 पेरेस के जो वंशज यरूशलेम में रह रहे थे, उनकी संख्या थी चार सौ अड़सठ। वे सभी लोग शूरवीर थे।

7 बिन्यामीन के जो वंशज यरूशलेम में आये वे ये थे:

सल्लू जो योएद के पुत्र मशूल्लाम का पुत्र था (मशूल्लाम योएद का पुत्र था। योएद पदायाह का पुत्र था और पदायाह कोलायाह का पुत्र था। कोलायाह इतीएह के पुत्र मासेयाह का पुत्र था और इतीएह का पिता यशायाह था) 8 जिन लोगों ने यशायाह का अनुसारण किया वे थे गब्बै और सल्लै। इनके साथ नौ सौ अटठाईस पुरुष थे। 9 जिक्री का पुत्र योएल इनका प्रधान था और हस्सनूआ का पुत्र यहूदा यरूशलेम नगर का उपप्रधान था।

10 यरूशलेम में जो याजक बस गए, वे हैं:

योयारीब का पुत्र यदायाह और याकीन, 11 तथा सरायाह जो हिलकियाह का पुत्र था। (हिल्किय्याह सादोक के पुत्र मशुल्लाम का पुत्र था और सादोक अहीतूब के पुत्र मरायोत का पुत्र) अहीतूब परमेश्वर के भवन की देखभाल करने वाला था। 12 उनके भाईयों के आठ सौ बाइस पुरुष, जो भवन के लिये काम किया करते थे। तथा यरोहाम का पुत्र अदायाह। (यरोहाम, जो अस्सी के पुत्र पलल्याह का पुत्र था। अस्सी के पिता का नाम जकर्याह औऱ दादा का नाम पशहूर था। पशहूर जो मल्किय्याह का पुत्र था) 13 अदायाह और उसके साथियों की संख्या दो सौ बयालीस थी। ये लोग अपने—अपने परिवारों के मुखिया थे। अमशै जो अज़रेल का पुत्र था। (अज़रेल अहजै का पुत्र था। अहजै का पिता मशिल्लेमोत था। जो इम्मेर का पुत्र था), 14 अमशै और उसके साथी वीर योद्धा थे। वे संख्या में एक सौ चौबीस थे। (हग्गदोलीन का पुत्र जब्दिएल उनका अधिकारी हुआ करता था।)

15 ये वे लेवीवंशी हैं, जो यरूशलेम में जा बसे थे:

शमायाह जो हश्शूब का पुत्र था (हश्शूब अज्रीकाम का पुत्र और हुशब्याह का पोता था। हुशब्याह बुन्नी का पुत्र था)। 16 शब्बत और योजाबाद (ये दो व्यक्ति लेवीवंशियों के मुखिया थे। परमेश्वर के भवन के बाहरी कामों के ये अधिकारी थे)। 17 मत्तन्याह, (मत्तन्याह मीका का पुत्र था और मीका जब्दी का, तथा जब्दी आसाप का।) आसाप गायक मण्डली का निर्देशक था। आसाप स्तुति गीत और प्रार्थनाओं के गायन में लोगों की अगुवाई किया करता था बकबुकियाह (बकबुकियाह अपने भाइयों के ऊपर दूसरे दर्जे का अधिकारी था)। और शम्मू का पुत्र अब्दा (शम्मू यदूतन का पोता और गालाल का पुत्र था)। 18 इस प्रकार दो सौ चौरासी लेवीवंशी यरूशलेम के पवित्र नगर में जा बसे थे।

19 जो द्वारपाल यरूशलेम चले गये थे, उनके नाम ये थे:

अक्कूब, तलमोन, और उनके साथी। ये लोग नगर—द्वारों पर नजर रखते हुए उनकी रखवाली किया करते थे। ये संख्या में एक सौ बहत्तर थे।

20 इस्राएल के दूसरे लोग, अन्य याजक और लेवीवंशी यहूदा के सभी नगरों में रहने लगे। हर कोई व्यक्ति उस धरती पर रहा करता था जो उनके पूर्वजों की थी। 21 मन्दिर में सेवा आराधना करने वाले लोग ओपेल की पहाड़ी पर बस गये। सीहा और गिश्पा मन्दिर के उन सेवकों के मुखिया थे।

समीक्षा

परमेश्वर की ओर से दिये हुए अधिकार का प्रयोग जिम्मेदारी से कीजिये

इतने सारे पुराने नियम के लेखांशों में, हमें भविष्य का पूर्वानुभव मिलता है। परमेश्वर अपने लोगों से आनंदित होते हैं। वे हमें अधिकार के पदों पर शासन और राज्य करने के लिए बैठाते हैं। फिर भी, हमें इसलिए बुलाया गया है कि हम अधिकार का प्रयोग, आज्ञाकारिता और जिम्मेदारी से करें (व.10:35)।

परमेश्वर के लोग एक बाध्यकारी समझौता बनाते हैं और उसे लिखते हैं। हाकिम, लेवीय और याजक उस पर छाप लगाते हैं (9:38) और वे वायदा करते हैं कि परमेश्वर की व्यवस्था बनाए रखेंगे और वे 'शपथ खाते हैं' कि परमेश्वर की व्यवस्था पर चलेंगे (व.10:29)

उनकी समस्या, हमारी जैसी ही थी, वे परमेश्वर की व्यवस्था को बनाए रखने में असमर्थ थे। हम इसलिए व्यवस्था के श्राप, उन्होंने इसे क्रूस पर ले लिया (गलतियों 3:13)।

हमे जीवन की एक संतुलित ताल में बुलाया गया है जिसमें कार्य और विश्राम शामिल है।

परमेश्वर के लोगों को विश्राम का दिन रखना पडता था और हर साँतवे साल, भूमि पर काम छोडना और ऋण को रद्द करना पडता था (नहेम्याह 10:31) और उन्हें अपने पापों के प्रायश्चित के लिए बलि देनी पडती थी (व.33)।

हाकिम यरुशलेम में बस गए थे (11:1), लेकिन इस लेखांश से यह स्पष्ट है कि प्रतिज्ञा, समुदाय ने की थी- व्यवस्था को मानना, साधारण तौर पर सबकी जिम्मेदारी थी, सिर्फ राजाओं और प्रधानों की नहीं।

प्रार्थना

प्रभु धन्यवाद कि मै अपने जीवन की जिम्मेदारी लेने के लिए बुलाया गया हूँ और आपकी सेवा करने और आपकी आज्ञाएँ मानने के लिए। धन्यवाद कि मुझे अब अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए कोई बलि नहीं चढानी पड़ेगी। धन्यवाद हो कि यीशु की मृत्यु और पुनरूत्थान के जरिए सिर्फ शैतान ही पराजित नहीं हुआ, बल्कि आपने मुझे मसीह के साथ जिलाया है, ताकि मैं उनके साथ स्वर्गीय स्थानों में राज्य करूँ; सब प्रकार की प्रधानता, और अधिकार, और प्रभुता, और सामर्थ, और हरएक नाम के ऊपर, जो न केवल इस युग में', बल्कि आने वाले युग में भी लिया जाएगा।

पिप्पा भी कहते है

प्रकाशितवाक्य 20:12ब

"और मरे हुओं का न्याय उनमें से हर एक कामों के अनुसार किया गया।"

मैं न्याय के दिन के बारे में बेचैन हो जाता हूँ। मुझे यह सोचकर भय होता है कि मेरे बारे में उन 'पुस्तकों' में क्या लिखा है.... और मैं यह भी जानने के लिए उत्सुक रहती हूँ कि परमेश्वर मेरे चॉकलेट खाने की इच्छा के बारे में क्या सोचते हैं!

दिन का वचन

भजन संहिता – 149:4

"क्योंकि यहोवा अपनी प्रजा से प्रसन्न रहता है; वह नम्र लोगों का उद्धार कर के उन्हें शोभायमान करेगा।”

reader

App

Download the Bible in One Year app for iOS or Android devices and read along each day.

reader

Email

Sign up now to receive Bible in One Year in your inbox each morning. You’ll get one email each day.

Podcast

Subscribe and listen to Bible in One Year delivered to your favourite podcast app everyday.

reader

Website

Start reading today’s devotion right here on the BiOY website.

संदर्भ

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

एक साल में बाइबल

  • एक साल में बाइबल

This website stores data such as cookies to enable necessary site functionality and analytics. Find out more