दिन 361

हाल्लेलुयाह

बुद्धि भजन संहिता 148:1-6
नए करार प्रकाशित वाक्य 18:17-19:10
जूना करार नहेमायाह 7:4-8:18

परिचय

तकरीबन 5 करोड़ लोगों ने यू ट्यूब पर इस वीडीयों को देखा है जिसमें खरीदारों को एक आश्चर्यजनक बात प्राप्त होती है अपना भोजन करते समय। एक युवती अपने भोजन का आनंद ले रही थी, फिर वह खड़ी होती हैं और अपने मोबाइल फोन पर कुछ देखती है। और वह 'हाल्लेलुयाह' गीत गाने लगती है और तब ही ओपरा गवैये एक एक करके उसके चारों और खड़े होकर उसके संग गाने लगते हैं।ये एक एक करके उसके चारों और खड़े होकर उसके संग गाने लगते हैं।

'मसीहा' जाँर्ज फ्रेड्रिक रैंडॅल्स का मशहूर कार्य माना जाता है यह यीशु की कहानी-मसीह के रुप में दर्शाता है। दूसरा भाग प्रभु की मृत्यु के बारे में है और किसी रीति से वह स्वर्ग में गए और इसका अंत 'हाल्लेलुयाह' गीत से होता है। बसंत के समय में राजा जॉर्ज अपने पाँव पर उठ खड़े हुए जब उन्होंने 'हाल्लेलुयाह' गीत सुना।यह एक नियम था उन दिनों में कि जब राजा खड़ा होगा तो सभी उनकी उपस्थिती में मौजूद को खड़ा होना पड़ेगा। सभी लोग अपने स्थान पर खड़े हो गए। राजा जॉर्ज ने यह बात स्वीकार की कि वह खुद राजाओं के राजा और प्रभुओं के प्रभु के सम्मुख अधीन थे।

'हाल्लेलुयाह' यह शब्द आराधना करने के लिए एक निमंत्रण है-'हालेलूयाह' इसका मतलब स्तुती हो 'याहते' प्रभु की। यह पुराने नियम में चौबीस बार देखा जाता है और नये नियम में चार बार।

बुद्धि

भजन संहिता 148:1-6

148यहोवा के गुण गाओ!

 स्वर्ग के स्वर्गदूतों,
 यहोवा की प्रशंसा स्वर्ग से करो!
2 हे सभी स्वर्गदूतों, यहोवा का यश गाओ!
 ग्रहों और नक्षत्रों, उसका गुण गान करो!
3 सूर्य और चाँद, तुम यहोवा के गुण गाओ!
 अम्बर के तारों और ज्योतियों, उसकी प्रशंसा करो!
4 यहोवा के गुण सर्वोच्च अम्बर में गाओ।
 हे जल आकाश के ऊपर, उसका यशगान कर!

5 यहोवा के नाम का बखान करो।
 क्यों? क्योंकि परमेश्वर ने आदेश दिया, और हम सब उसके रचे थे।
6 परमेश्वर ने इन सबको बनाया कि सदा—सदा बने रहें।
 परमेश्वर ने विधान के विधि को बनाया, जिसका अंत नहीं होगा।

समीक्षा

हाल्लेलुयाह के भजन

रॉक कौसट्रेस, फुटबॉल के मैचों में, और दूसरे बड़े कार्यक्रमों में हम उत्साहपूर्वक उमंग को देखते हैं परंतु यह सब बातें परमेंश्वर की आनन्दमय आराधना के सामने फींकी हैं।

इस भजन के शुरुवाती शब्द हैं 'हाल्लेलुयाह परमेश्वर की स्तुति आकाश में से करो'(व.1) आखिरी पाँच भजन (भजन संहिता 146-150) हर एक 'हाल्लेलुयाह' से शुरु और अंत होते हैं। भजन जैसे कि नये नियम में और संपूर्ण पवित्र शास्त्र में परमेश्वर की स्तुती और उत्साहपूर्वक शब्द से अंत होते हैं। 'याह की स्तुति करो। यहोवा की स्तुती स्वर्ग में करो, उसकी स्तुति ऊँचे स्थानों में करो।(व.1) हे सब उसके दूत उसकी स्तुति करो'(व.2)

दूत भी परमेश्वर की स्तुति करते हैं जब यूहन्ना ने एक दूत को देखा तो उसके मुँह के बल गिर गया तब उस दूत ने कहा 'ऐसा मत कर, मैं तेरा और तेरे भाइयों का संगी दास हूँ जो यीशु की गवाही देने पर स्थिर है। परमेश्वर ही को दण्डवत कर।'(प्रकाश 19:10)

सभी भजन सहिंता की तरह यह आपकी प्रार्थना और स्तुति भी हो सकती है।

प्रार्थना

'हे सब ज्योतिमय तारागण उसकी स्तुति करो। हे सब से ऊँचे आकाश, और हे आकाश के ऊपर वाले जल तुम दोनों उसकी स्तुति करो।'(व.3,4)
नए करार

प्रकाशित वाक्य 18:17-19:10

17 और बस घड़ी भर में यह सारी सम्पत्ति मिट गयी।’

“फिर जहाज का हर कप्तान, या हर वह व्यक्ति जो जहाज से चाहे कहीं भी जा सकता है तथा सभी मल्लाह और वे सब लोग भी जो सागर से अपनी जीविका चलाते हैं, उस नगरी से दूर ही खड़े रहे 18 और जब उन्होंने उसके जलने से उठती धुआँ को देखा तो वे पुकार उठे, ‘इस विशाल नगरी के समान और कौन सी नगरी है?’ 19 फिर उन्होंने अपने सिर पर धूल डालते हुए रोते-बिलखते कहा,

‘महानगरी! हाय यह कितना भयावह! हाय यह कितना भयानक।
जिनके पास जलयान थे, सिंधु जल पर सम्पत्तिशाली बन गए, क्योंकि उसके पास सम्पत्ति थी पर
अब बस घड़ी भर में नष्ट हो गयी।
20 उसके हेतु आनन्द मनाओ तुम हे स्वर्ग!
प्रेरित! और नबियों! तुम परमेश्वर के जनों आनन्द मनाओ!
क्योंकि प्रभु ने उसको ठीक वैसा दण्ड दे दिया है जैसा वह दण्ड उसने तुम्हें दिया था।’”

21 फिर एक शक्तिशाली स्वर्गदूत ने चक्की के पाट जैसी एक बड़ी सी चट्टान उठाई और उसे सागर में फेंकते हुए कहा,

“महानगरी! हे बाबुल महानगरी!
ठीक ऐसे ही तू गिरा दी जायेगी तू फिर लुप्त हो जायेगी, और तू नहीं मिल पायेगी।
22 तुझमें फिर कभी नहीं वीणा बजेगी, और गायक कभी भी स्तुति पाठ न कर पायेंगे।
वंशी कभी नहीं गूँजेंगी कोई भी तुरही तान न सुनेगा,
तुझमें अब कोई कला शिल्पी कभी न मिलेगा अब तुझमें कोई भी कला न बचेगी!
अब चक्की पीसने का स्वर कभी भी ध्वनित न होगा।
23 दीप की किंचित किरण तुझमें कभी भी न चमकेगी,
अब तुझमें किसी वर की किसी वधु की मधुर ध्वनि कभी न गुँजेगी।
तेरे व्यापारी जगती के महामनुज थे तेरे जादू ने सब जातों को भरमाया।
24 नगरी ने नबियों का संत जनों का उन सब ही का लहू बहाया था।
इस धरती पर जिनको बलि पर चढ़ा दिया था।”

स्वर्ग में परमेश्वर की स्तुति

19इसके पश्चात् मैंने भीड़ का सा एक ऊँचा स्वर सुना। लोग कह रहे थे:

“हल्लिलूय्याह!
परमेश्वर की जय हो, जय हो! महिमा और सामर्थ्य सदा हो!
2 उसके न्याय सदा सच्चे हैं, धर्म युक्त हैं,
उस महती वेश्या का उसने न्याय किया है,
जिसने अपने व्यभिचार से इस धरती को भ्रष्ट किया था जिनको उसने मार दिया
उन दास जनों की हत्या का प्रतिशोध हो चुका।”

3 उन्होंने यह फिर गाया:

“हल्लिलूय्याह!
जय हो उसकी उससे धुआँ युग युग उठेगा।”

4 फिर चौबीसों प्राचीनों और चारों प्राणियों ने सिंहासन पर विराजमान परमेश्वर को झुक कर प्रणाम किया और उसकी उपासना करते हुए गाने लगे:

“आमीन! हल्लिलूय्याह!” जय हो उसकी।

5 स्वर्ग से फिर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी:

“हे उसके सेवकों, तुम सभी हमारे परमेश्वर का स्तुति गान करो तुम चाहे छोटे हो,
चाहे बड़े बने हो, जो उससे डरते रहते हो।”

6 फिर मैंने एक बड़े जनसमुद्र का सा शब्द सुना जो एक विशाल जलप्रवाह और मेघों के शक्तिशाली गर्जन-तर्जन जैसा था। लोग गा रहे थे:

“हल्लिलूय्याह!
उसकी जय हो, क्योंकि हमारा प्रभु परमेश्वर!
सर्वशक्ति सम्पन्न राज्य कर रहा है।
7 सो आओ, खुश हो-हो कर आनन्द मनाएँ आओ, उसको महिमा देवें!
क्योंकि अब मेमने के ब्याह का समय आ गया उसकी दुल्हन सजी-धजी तैयार हो गयी।
8 उसको अनुमति मिली स्वच्छ धवल
पहन ले वह निर्मल मलमल!”

(यह मलमल संत जनों के धर्ममय कार्यों का प्रतीक है।)

9 फिर वह मुझसे कहने लगा, “लिखो वे धन्य हैं जिन्हें इस विवाह भोज में बुलाया गया है।” उसने फिर कहा, “ये परमेश्वर के सत्य वचन हैं।”

10 और मैं उसकी उपासना करने के लिए उसके चरणों में गिर पड़ा। किन्तु वह मुझसे बोला, “सावधान! ऐसा मत कर। मैं तो तेरे और तेरे बधुंओं के साथ परमेश्वर का संगी सेवक हूँ जिन पर यीशु के द्वारा साक्षी दिए गए सन्देश के प्रचार का दायित्व है। परमेश्वर की उपासना कर क्योंकि यीशु के द्वारा प्रमाणित सन्देश इस बात का प्रमाण है कि उनमें एक नबी की आत्मा है।”

समीक्षा

हाल्लेलुयाह का उत्सव

मेरे पिता एक जरमन यहूदी थे। उनके परिवार को बंदी स्थिती में बहुत सताव का सामना करना पडा जो रोमी राज्य का तीसरा राज्य था स्टैलिन सोवियत यूनियन में 2 करोड़ लोगों का कत्ल हुआ।

परमेश्वर के लोगों को सताया गया बंदी बनाया गया। और सीरिया, बॉर्थ कोरिया, जिंबावे और अन्य ऐसे क्रूर राज्य हैं।

आज नये नियम का पद्य 'बेबीलोन' के उस महान शहर के विनाश के साथ शुरु होता है। यह सिर्फ रोमी साम्राज्य का नाश होना नहीं था पर वह हर बेबीलोन के नाश की बात थी जो आज तक इतिहास में उठती है।

'बेबीलोन' रोमी साम्राज्य को दर्शाता है, तीसरा रोमी साम्राज्य, स्टैलिन रुस, देश और अन्य क्रूर राज्य सारे राज्य विनाश में जा रहे थे और परमेश्वर के लोग सताए जा रहे थे।'और पृथ्वी पर सब घात किए हुओं का लहू बहाया गया।'(व.24).

इसलिए जब इन राज्यों का नाश होता है यह कितनी ही राहत की बात होती है सभी स्वर्ग के निवासी 'हाल्लेलुयाह' गाते हैं।'इसके बाद मैंने स्वर्ग में मानो बड़ी भीड़ को ऊँचे शब्द से यह कहते हुए सुना,' 'हाल्लेलुयाह।' उन्होंने परमेश्वर की बड़ाई की कि उनका न्याय हो चुका था। परमेश्वर का न्याय सच्चा और खरा है।'हे स्वर्ग..... क्योंकि परमेश्वर ने न्याय करके उससे तुम्हारा बदला लिया है।'(व.20) 'फिर दूसरी बार उन्होंने कहा' 'हाल्लेलुयाह।' 'तब चौबीसों प्राचीनों और चारों प्राणियों ने गिरकर परमेश्वर को दण्डवत किया, जो सिंहासन पर बैठा था, और कहा' 'आमीन! हाल्लेलुयाह!'(व.3-4).'फिर मैंने बड़ी भीड़ का सा और बहुत जल का सा शब्द सुना,"हाल्लेलुयाह! क्योंकि प्रभु हमारा परमेश्वर सर्वशक्तिमान राज्य करता है।"(व.6)

अब जश्न शुरू होता है:

'आओ हम आनन्दित और मगन हों, और उनकी स्तुती करें क्योंकि मेमने का विवाह आ पहुँचा हैं; और उनकी दुल्हन ने अपने आप को तैयार किया है। उसको शुध्द और चमकदार महीन मलमल वस्त्र पहनने का अधिकार दिया गया'(व.7-8).

मेमने का विवाह मसीह और उसकी कलीसिया का विवाह दर्शाता है(इफीसियों 5:32,प्रकाश 21:2) कलीसिया एकदम महीन शुध्द और चमकदार मलमल से सजती है। आप मसीह की धार्मिकता में सजे हुए हैं।

प्रार्थना

यह तो सबसे महान और अद्भुत जश्न है 'मेमने का विवाह' जिसमें हमारा स्वागत हो सकता है।(व.1) यह सबसे बड़ी आशीष। और बाकी का नया नियम हमें यह बताता है कि हमें आमंत्रित तो किया गया है पर यह हमारे ऊपर है कि हम निमंत्रण स्वीकारेंगे कि नहीं।यह कोई अचम्भे की बात नहीं है कि यूहन्ना एक स्वर्गदूत के पैरों पर गिरकर उनको दण्डवत करते हैं। परन्तु आपको संदेश पहुँचाने वाले की आराधना नहीं करनी है पर उनकी जिनके बारे में यह संदेश है।'परमेश्वर की आराधना कर'(व.10) और आपको भी लोगों को बताना है:'क्योंकि यीशु की गवाही भविष्यवाणी का आत्मा है'(व.10). प्रभु, आपका धन्यवाद कि इस मण्डल की कहानी 'हाल्लेलुयाह' के साथ अंत होगी, स्तुति और धन्यवाद और आराधना के साथ। धन्यवाद कि आपका न्याय कितना खरा और सच्चा है। धन्यवाद कि हम मेमने के विवाह की ओर देख सकते हैं। आओ हम आनन्द मनाएँऔर मगन हों और परमेश्वर को महिमा दे!'(व.7)
जूना करार

नहेमायाह 7:4-8:18

लौटे हुए बन्दियों की सूची

4 अब देखो, वह एक बहुत बड़ा नगर था जहाँ पर्याप्त स्थान था। किन्तु उसमें लोग बहुत कम थे तथा मकान अभी तक फिर से नहीं बनाये गये थे। 5 इसलिए मेरे परमेश्वर ने मेरे मन में एक बात पैदा की कि मैं सभी लोगों की एक सभा बुलाऊँ सो मैंने सभी महत्वपूर्ण लोगों को, हाकिमों को तथा सर्वसाधारण को एक साथ बुलाया। मैंने यह काम इसलिए किया था कि मैं उन सभी परिवारों की एक सूची तैयार कर सकूँ। मुझे ऐसे लोगों की पारिवारिक सूचियाँ मिलीं जो दासता से सबसे पहले छूटने वालों में से थे। वहाँ जो लिखा हुआ मुझे मिला, वह इस प्रकार है।

6 ये इस क्षेत्र के वे लोग हैं जो दासत्व से मुक्त होकर लौटे (बाबेल का राजा, नबूकदनेस्सर इन लोगों को बन्दी बनाकर ले गया था। ये लोग यरूशलेम और यहूदा को लौटे। हर व्यक्ति अपने—अपने नगर में चला गया। 7 ये लोग जरुब्बाबेल, येशू, नेहमायाह, अजर्याह, राम्याह, नहमानी, मोर्दकै, बिलशान, मिस्पेरेत, बिग्वै, नहूम और बाना के साथ लौटे थे।) इस्राएल के लोगों की सूची:

8 पॅरोश के वंशज#2,172

9 सपत्याह के वंशज#372

10 आरह के वंशज#652

11 पहत्मोआब के वंशज येशू और योआब के परिवार की संतानें#2,818

12 एलाम के वंशज#1,254

13 जत्तू के वंशज#845

14 जक्कै के वंशज#760

15 बिन्नूई के वंशज#648

16 बेबै के वंशज#628

17 अजगाद की संतानें#2,322

18 अदोनीकाम के वंशज#667

19 बिग्वै के वंशज#2,067

20 आदीन के वंशज#655

21 आतेर के वंशज हिजीकयाह के परिवार से#98

22 हाशम के वंशज#328

23 बेसै के वंशज#324

24 हारीप के वंशज#112

25 गिबोन के वंशज#95

26 बेतलेहेम और नतोपा नगरों के लोग#188

27 अनातोत नगर के लोग#128

28 बेतजमावत नगर के लोग#42

29 किर्यत्यारीम, कपीर तथा बेरोत नगरों के लोग#743

30 रामा और गेबा नगरों के लोग#621

31 मिकपास नगर के लोग#122

32 बेतेल और ऐ नगर के लोग#123

33 नबो नाम के दूसरे नगर के लोग#52

34 एलाम नाम के दूसरे नगर के लोग#1,254

35 हरीम नाम के नगर के लोग#320

36 यरीहो नगर के लोग#345

37 लोद, हादीद और ओनो नाम के नगरों के लोग#721

38 सना नाम के नगर के लोग#3,930

39 याजकों की सूची:

यदायाह के वंशज येशू के परिवार से#973

40 इम्मेर के वंशज#1,052

41 पशहूर के वंशज#1,247

42 हारीम के वंशज#117

43 लेवी परिवार समूह के लोगों की सूची:

येशू के वंशज कदमीएल के द्वारा होदवा के परिवार से#74

44 गायकों की सूची:

आसाप के वंशज#148

45 द्वारपालों की सूची:

शल्लूम, आतेर, तल्मोन, अक्कूब,

हतीता और शोबै के वंशज#138

46 मन्दिर के सेवकों की सूची:

सीहा, हसूपा और तब्बाओत की सन्तानें,

47 केरोस, सीआ और पादोन की सन्तानें,

48 लबाना, हगाबा और शल्मै के वंशज,

49 हानान, गिद्देल, गहर के वंशज,

50 राया, रसीन और नकोदा की संतानें,

51 गज्जाम, उज्जा और पासेह के वंशज,

52 बेसै, मूनीम, नपूशस के वंशज,

53 बकबूक, हकूपा हर्हूर के वंशज,

54 बसलीत, महीदा और हर्षा के वंशज,

55 बकर्स, सीसरा और तेमेह की संन्तानें,

56 नसीह और हतीपा के वंशज,

57 सुलैमान के सेवकों के वंशज:

सोतै, सोपेरेत और परीदा के वंशज.

58 याला दकर्न और गिद्देल के वंशज,

59 शपत्याह, हत्तील, पोकेरेत—सवायीम और आमोन की संतानें,

60 मन्दिर के सभी सेवक और सुलैमान के सेवकों के वंशज थे#392

61 यह उन लोगों की एक सूची है जो तेलमेलह, तेलहर्षा, करुब अद्दोन तथा इम्मेर नाम के नगरों से यरूशलेम आये थे। किन्तु ये लोग यह प्रमाणित नहीं कर सके कि उनके परिवार वास्तव में इस्राएल के लोगों से सम्बन्धित थे:

62 दलायाह, तोबियाह और नेकोदा के वंशज थे#642

63 यह एक उनकी सूची है जो याजक थे। ये वे लोग थे जो यह प्रमाणित नहीं कर सके थे कि उनके पूर्वज वास्तव में इस्राएल के लोगों के वंशज थे।

होबायाह, हक्कोस और बर्जिल्लै के वंशज (बर्जिलै वह व्यक्ति था जिस ने गिलाद निवासी बर्जिल्लै की एक पुत्री से विवाह किया था। इसीलिए उसे यह नाम दिया गया था।)

64 जिन लोगों ने अपने परिवारों के ऐतिहासिक दस्तावेजों को खोजा और वे उन्हें पा नहीं सके, उनका नाम याजकों की इस सूची में नहीं जोड़ा जा सका। वे शुद्ध नहीं थे सो याजक नहीं बन सकते थे। 65 सो राज्यपाल ने उन्हें एक आदेश दिया जिसके तहत वे किसी भी अति पवित्र भोजन को नहीं खा सकते थे। उस भोजन में से वे उस समय तक कुछ भी नहीं खा सकते थे जब तक ऊरीम और तुम्मीम का उपयोग करने वाला महायाजक इस बारे में परमेश्वर की अनुमति न ले ले।

66-67 उस समूचे समूह में लोगों की संख्या 42,360 थी और उनके पास 7,337 दास और दासियाँ थीं, उनके पास 245 गायक और गायिकाएँ थीं। 68-69 उनके पास 736 घोड़े थे, 245 खच्चर, 435 ऊँट तथा 6,720 गधे थे।

70 परिवार के कुछ मुखियाओं ने उस काम को बढ़ावा देने के लिए धन दिया था। राज्यपाल के द्वारा निर्माण—कोष में उन्नीस पौंड सोना दिया गया था। उसने याजकों के लिये पचास कटोरे और पाँच सौ तीस जोड़ी कपड़े भी दिये थे। 71 परिवार के मुखियाओं ने तीन सौ पचहत्तर पौंड सोना उस काम को बढ़ावा देने के लिये निर्माण कोष में दिया और दो हजार दो सौ मीना चाँदी उनके द्वारा भी दी गयी। 72 दूसरे लोगों ने कुल मिला कर बीस हजार दर्कमोन सोना उस काम को बढ़ावा देने के लिए निर्माण कोष को दिया। उन्होंने दो हजार मीना चाँदी और याजकों के लिए सढ़सठ जोड़े कपड़े भी दिये।

73 इस प्रकार याजक लेवी परिवार समूह के लोग, गायक और मन्दिर के सेवक अपने—अपने नगरों में बस गये और इस्राएल के दूसरे लोग भी अपने—अपने नगरों में रहने लगे और फिर साल के सातवें महीने तक इस्राएल के सभी लोग अपने—अपने नगरों में बस गये।

एज्रा द्वारा व्यवस्था—विधान का पढ़ा जाना

8फिर साल के सातवें महीने में इस्राएल के सभी लोग आपस में इकट्ठे हुए। वे सभी एक थे और इस प्रकार एकमत थे जैसे मानो वे कोई एक व्यक्ति हो। जलद्वार के सामने के खुले चौक में वे आपस में मिले। एज्रा नाम के शिक्षक से उन सभी लोगों ने मूसा की व्यवस्था के विधान की पुस्तक को लाने के लिये कहा। यह वही व्यवस्था का विधान है जिसे इस्राएल के लोगों को यहोवा ने दिया था। 2 सो याजक एज्रा परस्पर इकट्ठे हुए। उन लोगों के सामने व्यवस्था के विधान की पुस्तक को ले आया। उस दिन महीने की पहली तारीख़ थी और वह महीना वर्ष का सातवाँ महीना था। उस सभा में पुरुष थे, स्त्रियाँ थीं, और वे सभी थे जो बातों को सुन और समझ सकते थे। 3 एज्रा ने भोर के तड़के से लेकर दोपहर तक ऊँची आवाज में इस व्यवस्था के विधान की पुस्तक से पाठ किया। उस समय एज्रा का मुख उस खुले चौक की तरफ था जो जल—द्वार के सामने पड़ता था। उसने सभी पुरुषों, स्त्रियों और उन सभी लोगों के लिये उसे पढ़ा जो सुन—समझ सकते थे। सभी लोगों ने व्यवस्था के विधान की पुस्तक को सावधानी के साथ सुना और उस पर ध्यान दिया।

4 एज़्रा लकड़ी के उस ऊँचे मंच पर खड़ा था जिसे इस विशेष अवसर के लिये ही बनाया गया था। एज्रा के दाहिनी ओर मत्तित्याह, शेमा, अनायाह, ऊरिय्याह, हिल्कियाह और मासेयाह खड़े थे और एज्रा के बायीं ओर पदायाह, मीशाएल, मल्कियाह. हाशूम, हश्बद्दाना, जकर्याह और मशुल्लाम खड़े हुए थे।

5 फिर एज्रा ने उस पुस्तक को खोला। एज्रा सभी लोगों को दिखायी दे रहा था क्योंकि वह सब लोगों से ऊपर एक ऊँचे मंच पर खड़ा था। एज्रा ने व्यवस्था के विधान की पुस्तक को जैसे ही खोला, सभी लोग खड़े हो गये। 6 एज्रा ने महान परमेश्वर यहोवा की स्तुति की और सभी लोगों ने अपने हाथ ऊपर उठाते हुए एक स्वर में कहा, “आमीन! आमीन!” और फिर सभी लोगों ने अपने सिर नीचे झुका दिये और धरती पर दण्डवत करते हुए यहोवा की उपासना की।

7 लेवीवंश परिवार समूह के इन लोगों ने वहाँ खड़े हुए सभी लोगों को व्यवस्था के विधान की शिक्षा दी। लेवीवंश के उन लोगों के नाम थे: येशू, बानी, शेरेब्याह, यामीन, अक्कूब, शब्बतै, होदियाह, मासेयाह, कलिता, अजर्याह, योजबाद, हानान, और पलायाह। 8 लेवीवंश के इन लोगों ने परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक का पाठ किया। उन्होंने उसकी ऐसी व्याख्या की कि लोग उसे समझ सकें। उसका अभिप्राय: क्या है, इसे खोल कर उन्होंने समझाया। उन्होंने यह इसलिए किया ताकि जो पढ़ा जा रह है, लोग उसे समझ सकें।

9 इसके बाद राज्यपाल नहेमायाह याजक तथा शिक्षक एज्रा तथा लेवीवंश के लोग जो लोगों को शिक्षा दे रहे थे, बोले। उन्होंने कहा, “आज का दिन तुम्हारे परमेश्वर यहोवा का विशेष दिन है दु:खी मत होओ, विलाप मत करो।” उन्होंने ऐसा इसलिये कहा था कि लोग व्यवस्था के विधान में परमेश्वर का सन्देश सुनते हुए रोने लगे थे।

10 नहेमायाह ने कहा, “जाओ, और जाकर उत्तम भोजन और शर्बत का आनन्द लो। और थोड़ा खाना और शर्बत उन लोगों को भी दो जो कोई खाना नहीं बनाते हैं। आज यहोवा का विशेष दिन है। दु:खी मत रहो! क्यों? क्योंकि परमेश्वर का आनन्द तुम्हें सुदृढ़ बनायेगा।”

11 लेवीवंश परिवार के लोगों ने लोगों को शांत होने में मदद की। उन्होंने कहा, “चुप हो जाओ, शांत रहो, यह एक विशेष दिन है। दु:खी मत रहो।”

12 इसके बाद सभी लोग उस विशेष भोजन को खाने के लिये चले गये। अपने खाने पीने की वस्तुओं, को उन्होंने आपस में बाँटा। वे बहुत प्रसन्न थे और इस तरह उन्होंने उस विशेष दिन को मनाया और आखिरकार उन्होंने यहोवा की उन शिक्षाओं को समझ लिया जिन्हें उनको समझाने का शिक्षक जतन किया करते थे।

13 फिर महीने की दूसरी तारीख को सभी परिवारों के मुखिया, एज्रा, याजकों और लेवी वंशियो, से मिलने गये और व्यवस्था के विधान के वचनों को समझने के लिए सभी लोग शिक्षक एज्रा को घेर कर खड़े हो गये।

14-15 उन्होंने समझ कर यह पाया कि व्यवस्था के विधान में यह आदेश दिया गया है कि साल के सातवें महीने में इस्राएल के लोगों को एक विशेष पवित्र पर्व मनाने के लिये यरूशलेम जाना चाहिए। उन्हें चाहिए कि वे अस्थायी झोपड़ियाँ बनाकर वहाँ रहें। लोगों को यह आदेश यहोवा ने मूसा के द्वारा दिया था। लोगों से यह अपेक्षा की गयी थी कि वे इसकी घोषणा करें। लोगों को चाहिए था कि वे अपने नगरों और यरूशलेम से गुजरते हुए इन बातों की घोषणा करें: “पहाड़ी प्रदेश में जाओ और वहाँ से तरह तरह के जैतून के पेड़ों की टहनियाँ ले कर आओ। हिना (मेंहदी), खजूर और छायादार सघन वृक्षों की शाखाएँ लाओ, फिर उन टहनियों से अस्थायी आवास बनाओ। वैसा ही करो जैसा व्यवस्था का विधान बनाता है।”

16 सो लोग बाहर गये और उन—उन पेड़ों की टहनियाँ ले आये और फिर उन टहनियों से उन्होंने अपने लिये अस्थायी झोपड़ियाँ बना लीं। अपने घर की छतों पर और अपने—अपने आँगनों में उन्होंने झोपड़ियाँ डाल लीं। उन्होंने मन्दिर के आँगन जल—द्वार के निकट के खुले चौक और एप्रैम द्वार के निकट झोपड़ियाँ बना लीं। 17 इस्राएल के लोगों की उस समूची टोली ने जो बंधुआपन से छूट कर आयी थी, आवास बना लिये और वे अपनी बनाई झोंपड़ियों में रहने लगे। नून के पुत्र यहोशू के समय से लेकर उस दिन तक इस्राएल के लोगों ने झोंपड़ियों के त्यौहार को कभी इस तरह नहीं मनाया था। हर व्यक्ति आनन्द मग्न था!

18 उस पर्व के हर दिन एज्रा उन लोगों के लिये व्यवस्था के विधान की पुस्तक में से पाठ करता रहा। उस पर्व के पहले दिन से अंतिम दिन तक एज्रा उन लोगों को व्यवस्था का विधान पढ़ कर सुनाता रहा। इस्राएल के लोगों ने सात दिनों तक उस पर्व को मनाया। फिर व्यवस्था के विधान के अनुसार आठवें दिन लोग एक विशेष सभा के लिए परस्पर एकत्र हुए।

समीक्षा

हाल्लेलुयाह के लोग

जैसे हमने यह देखा है कि परमेश्वर ने नहेम्याह और उसके लोगों को यरूशलेम की शहरपनाह का निर्माण करने के लिए बुलाया। उसने इसी प्रकार हमें भी कलीसिया का निर्माण करने के लिए बुलाया। एक तरह जिससे परमेश्वर हमारी अगुवाई करते हैं कि वह हमारे मन में सुझाव को लाते हैं। नहेम्याह ने कहा 'तब मेरे परमेश्वर ने मेरे मन में यह उपजाया कि रईसों, हाकिमों और प्रजा के लोगों को इकठ्ठा करूँ'(व.7:5)।

जब यरूशलेम की शहरपनाह बन गई तब लोग इकठ्ठे हुए कि व्यवस्था की पुस्तक पर कान लगाए रहे।'(व.8:3) 'और जब उसने उसको खोला सब लोग उठ खड़े हुए।'तब प्रजा ने महान परमेश्वर यहोवा को धन्य कहा, और सब लोगों ने अपना हाथ उठाकर आमीन आमीन कहा और सिर झुकाकर अपना माथा भूमि पर टेक कर यहोवा को दण्डवत किया।'(व.6)

हमारी शारीरिक प्रतिक्रिया हमारे हृदय को दर्शाती है। इसलिए जब मैं अकेला होता हूँ मैं घुटने टेक कर वचन पवित्र शास्त्र पढ़्ता हूँ परमेश्वर के वचन के प्रति सम्मान में। पुराने समयों में यह बहुत साधारण सी बात थी हाथ उठाकर आराधना करना उस समय यह एक आराधना करने का तरीका था सभी यहूदी और उस काल के मसीहों के लिए। जितनी भी सभाएँ होती हैं परमेश्वर की स्तुति और आराधना करने के लिए। वह ऐसे बड़े भाग को दिखाती और सहभागिता को दर्शाती हैं उस बड़ी आराधना में जो प्रकाशितवाक्य 19 में दिखाता है। स्वर्गीय आराधना में। नहेम्याह जो राज्यपाल था एज्रा पादरी और अन्य लैवियों ने लोगो को सलाह दी। जैसे उन्होंने व्यवस्था के वचनों को सुना वे रो पड़े(व.9)

परंतु नहेम्याह ने उनसे कहा कि यह समय आनन्द और उत्साह का है' जाकर चिकना चिकना भोजन करो और मीठा मीठा रस पीयो, और जिनके लिये कुछ तैयार नहीं हुआ उनके पास भोजन सामग्री भेजों; क्योंकि आज का दिन हमारे प्रभु के लिए पवित्र है: और उदास मत रहो, क्योंकि यहोवा का आनन्द तुम्हारा दृढ गढ है।'(व.12)

जैसे जॉयस मेयर ने कहा ' हर दिन जो परमेश्वर हमें देते हैं एक पवित्र और बहुमूल्य उपहार है। हमें इसका भरपूर आनन्द उठाना है। आनन्द सामर्थी है। ऐसी कोई और बात नहीं जो हमारे जीवन में अलौकिक आनन्द लाए सिर्फ यह कि जब हम दूसरो के जीवन में आशीष का कारण बनें।

प्रार्थना

प्रभु, आपका धन्यवाद इतनी सारी आशीषें हमारे जीवन में हैं जिसके लिए हम आपकी स्तुति करते हैं मैं आपकी स्तुति करता हूँ मसीह की आयद के लिए क्रिसमस के दिन पर। धन्यवाद कि अब हम उनके फिर से आने का इंतजार करते हैं। मेमने के विवाह का भोज जो होगा और स्वर्ग में की महान स्तुति और आराधना जो हमेशा तक होती रहेगी। हाल्लेलुयाह!

पिप्पा भी कहते है

नहेम्याह 8:10-18.

यह अच्छी बात हैं कि, हम अपनी पसंद के 'खाने' 'मिठाई' और 'शरबत' का आनन्द लें परंतु अगर यह सिर्फ हमारे इस्तेमाल के लिए है तो यह स्वयं का लाभ है जो स्वार्थी है। परंतु अगर हम परमेश्वर के वचन में आनन्दित हों तो यह सबसे महत्त्वपूर्ण है।

दिन का वचन

नहेम्याह – 8:10

"… क्योंकि यहोवा का आनन्द तुम्हारा दृढ़ गढ़ है।”

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संदर्भ

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया हैं, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 हैं।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया हैं उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया हैं. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया हैं। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया हैं उन्हें मैसेज से लिया गया हैं। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया हैं।

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