लालसा
परिचय
आप परमेश्वर के साथ एक घनिष्ठ संबंध के लिए बनाये गए थे। यीशु इसे संभव करने के लिए आये। कभी कभी मैं पाता हूँ कि मेरा ध्यान भंग हो जाता है, दूसरी चीजों पर चला जाता है - यहाँ तक कि परमेश्वर के लिए मेरा काम, उनके साथ मेरे संबंध से मेरा ध्यान हट सकता है। दूसरे समय पर मैं पूरी तरह से परमेश्वर की उपस्थिति, उनकी दया और अनुग्रह की लालसा करता हूँ। जब हम अपने आपको लालसा के इस स्थान में पाते हैं, तब कुछ और नहीं केवल परमेश्वर की उपस्थिति हमें तृप्त कर सकती है।
भजन संहिता 139:17-24
17 हे परमेश्वर, तेरे विचार मेरे लिये कितने महत्वपूर्ण हैं।
तेरा ज्ञान अपरंपार है।
18 तू जो कुछ जानता है, उन सब को यदि मैं गिन सकूँ तो वे सभी धरती के रेत के कणों से अधिक होंगे।
किन्तु यदि मैं उनको गिन पाऊँ तो भी मैं तेरे साथ में रहूँगा।
19 हे परमेश्वर, दुर्जन को नष्ट कर।
उन हत्यारों को मुझसे दूर रख।
20 वे बुरे लोग तेरे लिये बुरी बातें कहते हैं।
वे तेरे नाम की निन्दा करते हैं।
21 हे यहोवा, मुझको उन लोगों से घृणा है!
जो तुझ से घृणा करते हैं मुझको उन लोगों से बैर है जो तुझसे मुड़ जाते हैं।
22 मुझको उनसे पूरी तरह घृणा है!
तेरे शत्रु मेरे भी शत्रु हैं।
23 हे यहोवा, मुझ पर दृष्टि कर और मेरा मन जान ले।
मुझ को परख ले और मेरा इरादा जान ले।
24 मुझ पर दृष्टि कर और देख कि मेरे विचार बुरे नहीं है।
तू मुझको उस पथ पर ले चल जो सदा बना रहता है।
समीक्षा
परमेश्वर के विचारों की लालसा
यह एक अद्भुत आशीष है कि हर सुबह नींद से जागें और जानें कि परमेश्वर आपके साथ हैं और वह आपसे बात करना चाहते हैं:" जब मैं जाग उठता हूँ, तब भी तेरे संग रहता हूँ" (व.18, एम.एस.जी)। यही कारण है कि सुबह सबसे पहले मुझे बाईबल पढ़ना पसंद है। मैं परमेश्वर के विचारों को जानने की लालसा करता हूँ।
दाऊद परमेश्वर की लालसा करते हैं। वह परमेश्वर के विचारों को जानना चाहते हैं:"मेरे लिये तो हे परमेश्वर, तेरे विचार क्या ही बहुमूल्य हैं! उनकी संख्या का जोड़ कैसा बड़ा है! यदि मैं उनको गिनता तो वे बालू के किनकों से भी अधिक ठहरते। जब मैं जाग उठता हूँ, तब भी तेरे संग रहता हूँ" (वव.17-18)।
दाऊद भी लालसा करते हैं कि किसी तरह से परमेश्वर को दुखी न करें:
"हे परमेश्वर, मुझे जाँचकर जान ले! मुझे परखकर मेरी चिन्ताओं को जान ले! और देख कि मुझ में कोई बुरी चाल है कि नहीं, और अनन्त के मार्ग में मेरी अगुवाई कर" (वव.23-24)।
प्रार्थना
यहूदा 1:1-25
1 यीशु मसीह के सेवक और याकूब के भाई यहूदा की ओर से तुम लोगों के नाम जो परमेश्वर के प्रिय तथा यीशु मसीह के लिए सुरक्षित तथा परमेश्वर द्वारा बुलाए गए हैं।
2 तुम्हें दया, शांति और प्रेम बहुतायत से प्राप्त होता रहे।
पापी दण्ड पायेंगे
3 प्रिय मित्रो, यद्यपि मैं बहुत चाहता था कि तुम्हें उस उद्धार के विषय में लिखूँ, जिसके हम भागीदार हैं। मैंने तुम्हें लिखने की और तुम्हें प्रोत्साहित करने की आवश्यकता अनुभव की ताकि तुम उस विश्वास के लिए संघर्ष करते रहो जिसे परमेश्वर ने संत जनों को सदा-सदा के लिए दे दिया है। 4 क्योंकि हमारे समूह में कुछ लोग चोरी से आ घुसे हैं। इन लोगों के दण्ड के विषय में शास्त्रों ने बहुत पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी। ये लोग परमेश्वर विहीन हैं। इन लोगों ने परमेश्वर के अनुग्रह को भोग-विलास का एक बहाना बना डाला है तथा ये हमारे प्रभु तथा एकमात्र स्वामी यीशु मसीह को नहीं मानते।
5 मैं तुम्हें स्मरण कराना चाहता हूँ (यद्यपि तुम तो इन सब बातों को जानते ही हो) कि जिस प्रभु ने पहले अपने लोगों को मिस्र की धरती से बचाकर निकाल लिया था, बाद में जिन्होंने विश्वास को नकार दिया, उन्हें किस प्रकार नष्ट कर दिया गया। 6 मैं तुम्हें यह भी याद दिलाना चाहता हूँ कि जो दूत अपनी प्रभु सत्ता को बनाए नहीं रख सके, बल्कि जिन्होंने अपने निजी निवास को उस भीषण दिन के न्याय के लिए अंधकार में जो सदा के लिए हैं बन्धनों मे रखा है। 7 इसी प्रकार मैं तुम्हें यह भी याद दिलाना चाहता हूँ कि सदोम और अमोरा तथा आस-पास के नगरों ने इन दूतों के समान ही यौन अनाचार किया तथा अप्राकृतिक यौन सम्बन्धों के पीछे दौड़ते रहे। उन्हें कभी नहीं बुझने वाली अग्नि में झोंक देने का दण्ड दिया गया। वे हमारे लिए उदाहरण के रूप में स्थित हैं।
8 ठीक इसी प्रकार हमारे समूह में घुस आने वाले ये लोग अपने स्वप्नों के पीछे दौड़ते हुए अपने शरीरों को विकृत कर रहे हैं। ये प्रभु के सामर्थ्य को उठाकर ताक पर रख छोड़ते है तथा महिमावान स्वर्गदूतों के विरोध में बोलते हैं। 9 प्रमुख स्वर्गदूत माकाईल जब शैतान के साथ विवाद करते हुए मूसा के शव के बारे में बहस कर रहा था तो वह उसके विरुद्ध अपमानजनक आक्षेपों के प्रयोग का साहस नहीं कर सका। उसने मात्र इतना कहा, “प्रभु तुझे डाँटे-फटकारे।”
10 किन्तु ये लोग तो उन बातों की आलोचना करते हैं, जिन्हें ये समझते ही नहीं और ये लोग बुद्धिहीन पशुओं के समान जिन बातों से सहज रूप से परिचित हैं, वे बातें वे ही हैं जिनसे उनका नाश होने को है। 11 उन लोगों के लिए यह बहुत बुरा है कि उन्होंने कैन का सा वही मार्ग चुना। धन कमाने के लिए उन्होंने अपने आपको वैसे ही गलती के हवाले कर दिया जैसे बिलाम ने किया था। सो वे ही नष्ट हो जायेंगे जैसे कोरह के विद्रोह में भाग लेने वाले नष्ट कर दिए गए थे।
12 ये लोग तुम्हारे प्रीति-भोजों में उन छुपी हुई चट्टानों के समान हैं जो घातक हैं। ये लोग निर्भयता के साथ तुम्हारे संग खाते-पीते हैं किन्तु उन्हें केवल अपने स्वार्थ की ही चिंता रहती है। वे बिना जल के बादल हैं। वे पतझड़ के ऐसे पेड़ हैं जिन पर फल नहीं होता। वे दोहरे मरे हुए हैं। उन्हें उखाड़ा जा चुका है। 13 वे समुद्र की ऐसी भयानक लहरें हैं, जो अपने लज्जापूर्ण कार्यों का झाग उगलती रहती हैं। वे इधर-उधर भटकते ऐसे तारे हैं जिनके लिए अनन्त गहन अंधकार सुनिश्चित कर दिया गया है।
14 आदम से सातवीं पीढ़ी के हनोक ने भी इन लोगों के लिए इन शब्दों में भविष्यवाणी की थी: “देखो वह प्रभु अपने हज़ारों-हज़ार स्वर्गदूतों के साथ 15 सब लोगों का न्याय करने के लिए आ रहा है। ताकि लोगों ने जो बुरे काम किए हैं, उन्हें उनके लिए और उन्होंने जो परमेश्वर के विरुद्ध बुरे वचन बोले हैं, उनके लिए दण्ड दे।”
16 ये लोग चुगलखोर हैं और दोष ढूँढने वाले हैं। ये अपनी इच्छाओं के दास हैं तथा अपने मुँह से अहंकारपूर्ण बातें बोलते हैं। अपने लाभ के लिए ये दूसरों की चापलूसी करते हैं।
जतन करते रहने के लिए चेतावनी
17 किन्तु प्यारे मित्रो, उन शब्दों को याद रखो जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के प्रेरितों द्वारा पहले ही कहे जा चुके हैं। 18 वे तुमसे कहा करते थे कि “अंत समय में ऐसे लोग होंगे जो परमेश्वर से जो कुछ संबंधित होगा उसकी हँसी उड़ाया करेंगे।” तथा वे अपवित्र इच्छाओं के पीछे-पीछे चला करेंगे। 19 ये लोग वे ही हैं जो फूट डलवाते हैं।
20 ये लोग अपनी प्राकृतिक इच्छाओं के दास हैं। इनकी आत्मा नहीं हैं। किन्तु प्रिय मित्रों तुम एक दूसरे को आध्यात्मिक रूप से अपने अति पवित्र विश्वास में सुदृढ़ करते रहो। पवित्र आत्मा के साथ प्रार्थना करो। 21 हमारे प्रभु यीशु मसीह की करुणा की बाट जोहते हुए जो तुम्हें अनन्त जीवन तक ले जाएगी परमेश्वर की भक्ति में लीन रहो।
22 जो डावाँडोल हैं उन पर दया करो। 23 दूसरों को आगे बढ़कर आग में से निकाल लो। किन्तु दया दिखाते समय सावधान रहो तथा उनके उन वस्त्रों तक से घृणा करो जिन पर उनके पापपूर्ण स्वभाव के धब्बे लगे हुए हैं।
परमेश्वर की स्तुति
24 अब उसके प्रति जो तुम्हें गिरने से बचा सकता है तथा उसकी महिमापूर्ण उपस्थिति में तुम्हें महान आनन्द के साथ निर्दोष करके प्रस्तुत कर सकता है। 25 हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमारे उद्धारकर्ता उस एकमात्र परमेश्वर की महिमा, वैभव, पराक्रम और अधिकार सदा-सदा से अब तक और युग-युगांतर तक बना रहें। आमीन!
समीक्षा
परमेश्वर की सच्चाई की लालसा
हाल ही में मैंने एक खतरनाक और धोखा देने वाले साउथ कोरियन पंथ को जाना जिनका नाम है शिंचिओन्जि जो गुप्त रूप से विश्वभर के चर्च में घुसपैठ करने की कोशिश करते हैं। ये झूठे शिक्षक युवा लोगों को "बाईबल अध्ययन" के लिए बुलाते हैं, उन्हें भरमाते हैं और उन्हें दूसरों को भरमाना सिखाते हैं।
यहूदा लालसा करते हैं कि उनके पढ़ने वाले परमेश्वर की सच्चाई को पकड़े रहें और झूठी शिक्षा के द्वारा भरमाए न जाएँ:"हे प्रियो, जब मैं तुम्हें उस उध्दार के विषय में लिखने में अत्यन्त परिश्रम से प्रयत्न कर रहा था जिसमें हम सब सहभागी हैं, तो मैं ने तुम्हें यह समझाना आवश्यक जाना कि उस विश्वास के लिये पूरा यत्न करो जो पवित्र लोगों को एक ही बार सौंपा गया था" (व.3, एम.एस.जी)।
यहूदा अपने पाठकों को उत्साहित करते हैं कि उस शिक्षा को पकड़े रहें जो उन्हें एक ही बार सौंपा गया था, और "विश्वास के लिए पूरा यत्न करें" (व.3)। सच्चाई से सच में अंतर पड़ता है। आपको यह सौंपा गया है (व.3)। आपको सच्चाई के लिए अवश्य ही यत्न करना है – झूठे शिक्षकों और झूठी शिक्षा के विरूद्ध। क्यों:
पहला, क्योंकि हम जानते हैं कि परमेश्वर का दंड उन पर है – और यह गंभीर बात है (वव.5-10)। दूसरा, क्योंकि हम जानते हैं कि वे हानि पहुँचा सकते हैं, यह भी गंभीर बात है (वव.11-16): वे चर्च को अलग कर देते हैं, केवल अपने ही बारे में सोचते हुए (व.19, एम.एस.जी)।
यहूदा झूठे शिक्षकों और झूठी शिक्षा का वर्णन करते हैं। पंथ कम से कम इन विशेषताओं को दर्शायेंगेः
वे धोखा देते हैं। " ऐसे मनुष्य चुपके से हम में आ मिले हैं" (व.4)।
वे अधिकार को नकारते हैं। वे "अनुग्रह" को "लुचपन" में बदल डालते हैं (व.4, एम.एस.जी)।
" हमारे एकमात्र स्वामी और प्रभु यीशु मसीह का इन्कार करते हैं" (व.4, एम.एस.जी)
" ये लोग जिन बातों को नहीं जानते उनको बुरा- भला कहते हैं" (व.10, एम.एस.जी)
वे "मनमाना काम करते हैं" (व.10, एम.एस.जी)।
वे दुष्ट हैं:" बेधड़क अपना ही पेट भरने वाले रखवाले हैं" (व.12, एम.एस.जी)
वे कुड़कड़ाते हैं, शिकायत करते हैं और गलती ढूंढ़ते हैं (व.16)
" वे लाभ के लिये मुँह देखी बड़ाई किया करते हैं।" (व.16, एम.एस.जी)
वे अभिलाषी हैं, " अपने मुँह से घमण्ड की बातें बोलते हैं" (व.16, एम.एस.जी)।
परमेश्वर के लोगों को परमेश्वर की सच्चाई की लालसा करने के लिए उत्साहित किया गया है। पत्र की शुरुवात और अंत परमेश्वर के साथ घनिष्ठता को बताती है और परमेश्वर की सच्चाई के लिए लालसा करते हुए कैसे जीना है।
मुझे पसंद है जिस तरह से यहूदा ने इस पत्र की शुरुवात की है। वह अपने आपको "यीशु मसीह के एक दास" के रूप में देखते हैं (व.1)। हर एक दिन को यीशु मसीह की सेवा करने के अवसर के रूप में देखने से बढ़कर कोई ऊँची बुलाहट नहीं है या अत्यधिक स्वतंत्र करने वाला काम नहीं है।
फिर वह अपने पाठकों को पुन: आश्वासन देते हैं कि पिता परमेश्वर ने उन्हें "बुलाया" है और उनसे "प्रेम किया" है और "यीशु मसीह के द्वारा सुरक्षित हैं" (व.1)। यह हर मसीह के विषय में सच है। वह अपने पाठकों के लिए "दया, ""शांति" और "बहुतायत प्रेम" चाहते हैं (व.2)। यदि संपूर्ण बाईबल में हमारे पास केवल ये वचन होते, तो हम जीवनभर उन पर मनन करते।
वह अंत में उन्हें चिताते हैं:
सच्चाई का अध्ययन करोः" तुम अपने अति पवित्र विश्वास में उन्नति करते हुए" (व.20)
प्रार्थना करोः "पवित्र आत्मा में प्रार्थना करते हुए" (व.20)। पवित्र आत्मा हमें सत्य में मार्गदर्शित करेंगे
-परमेश्वर के नजदीक रहियेः"अपने आपको परमेश्वर के प्रेम में बनाए रखिए" (व.21)
- दयावान बनिए "पापियों के साथ सौम्य बनिए,लेकिन पाप के साथ कोमल नहीं" (व.23, एम.एस.जी)।
प्रार्थना
जकर्याह 5:1-8:23
उड़ता हुआ गोल लिपटा पत्रक
5मैंने फिर निगाह ऊची की और मैंने एक उङता हुआ गोल पत्रक देखा। 2 दूत ने मुझसे पूछा, “तुम क्या देखते हो?” मैंने कहा, “मैं एक उङता हुआ गोल लिपटा पत्रक देख रहा हूँ।”
“यह गोल लिपटा पत्रक तींस फुट लम्बा और पन्द्रह फूट चौङा है।”
3 तब दुत ने मुझ से कहा, “उस गोल लिपटे पत्रक पर एक शाप लिखा हैं। और दुसरी ओर उन लोगों को शाप है, जो प्रतिज्ञा करके झुट बोलते हैं। 4 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, ‘मैं इस गोल लिपटे पत्रक को चोरों के घर और उन लोगों के घर भेजूँगा जा गलत प्रतिज्ञा करते समय मेरे नाम का उपयाग करते हैं । वह गोल लिपटा पत्रक वहीं रहेगा। यहाँ तक कि पत्थर और लकङी के खम्भे भी नष्ट हो जाएंगे।’”
स्त्री और टोकरी
5 तब मेरे साथ बात करने वाला दूत गया। उसने मुझ से कहा, “देखो! तुम क्या होता हुआ देख रहे हो?”
6 मैंने कहा, “मैं नही जानता, कि यह क्या हैं?”
उसने कहा, “वह मापक टोकरी हैं।” उसने यह भी कहा, “यह टोकरी इस देश के लोगों के पापों को नापने के लिये हैं।”
7 टोकरी का ढक्कन सीसे का था जब वह खोला गया, तब उसके भीतर बैठी स्त्री मिली। 8 दूत ने कहा स्त्री बुराई का प्रतीक है। “तब दुत ने स्त्री को टोकरी में धक्का दे डाला और सीसे के ढक्कन को उसके मुख में रख दिया।” इससे यह प्रकट होता था, कि पाप बहुत भरी (बुरा) है। 9 तब मैंने नजर उठाई और दो स्त्रियों को सारस के समान पंख सहित देखा। वे उङी और अपने पंखों में हवा के साथ उन्होंने टोकरी को उठा लि या। वे टोकरी लिये हवा में उङती रहीं। 10 तब मैंने बातें करने वाले उस दूत से पूछा, “वे टोकरी को कहाँ ले जा रही हैं?”
11 दुत ने मुझ से कहा, “वे शिनार में इसके लिये एक मंदिर बनाने जा रही हैं जब वे मंदिर बना लेंगी तो वे उस टोकरी को वहाँ रखेंगी।”
चार रथ
6तब मैं चारों ओर घुम गया। मैंने निगाह उठाई और मैंने चार रथों को चार कांसे के पर्वतों के बीच के जाते देखा। 2 प्रथम रथ को लाल घोङे खींच रहे थे। दुसरे रथ को काले घोङे खींच रहे थे। 3 तीसरे रथ को श्वेत घोङे खींच रहे थे और चौथे रथ को लाल धब्बे वाले घोङे खींच रहे थे। 4 तब मैंने बात करने वाले उस दुत से पुछा, “महोदय, इन चीजों का तात्पर्य क्या है?”
5 दुत ने कहा, “ये चारों दिशाओं की हवाओं के प्रतीक हैं। वे अभी सारे संसार के स्वामी के यहाँ से आये 6 हैं।काले घोङे उत्तर को जाएंगे। लाल घोङे पूर्व को जाएंगे। श्वेत घोङे पश्चिम को जाएंगे और लाल धब्बेदार घोङे दक्षिण को जाएंगे।”
7 लाल धब्बेदार घोङे अपने हिस्से की पृथ्वी को देखते हुए जाने को उत्सुक थे अत: दुत ने उनसे कहा, “जाओ पृथ्वी का चक्कर लगाओ।” अत: वह अपने हिस्से की पृथ्वी पर टहलते हुए गए।
8 तब यहोवा ने मुझे जोर से पुकारा। उन्होंने कहा, “देखो, वे घोङे, जो उत्तर को जा रहे थे, अपना काम बाबुल में पुरा कर चुके। उन्होंने मेरी आत्मा को शान्त कर दिया—अब मैं क्ररोधित नहीं हूँ।”
याजक यहोशू एक मुकुट पाता है
9 तब मैंने यहावा का एक अन्य सन्देश प्राप्त किया। उसने कहा, 10 “हेल्दै, तोबिय्याह और यदायाह बाबुल के बन्दियों में से आ गए हैं। उन लोगों से चाँदी और सोना लो और तब सपन्याह के पुत्र योशियाह के घर जाओ। 11 उस सोने— चाँदी का उपयोग एक मुकुट बनाने में करो। उस मुकुट को यहोश के सिर पर रखो। (यहोशू महायाजक था। यहोशू यहोसादाक पुत्र था।) तब यहोशु से ये बातें कहो: 12 सर्वशक्तिमान यहोवा यह सब कहता है,
‘शाख नामक एक व्यक्ति है।
वह शक्तिशाली हो जाएगा।
13 वह यहोवा का मंदिर बनाएगा,
और वह सम्मान पाएगा।
वह अपने राजसिंहासन पर बैठेगा, और शासक होगा।
उसके सिंहासन के बगल में एक याजक खङा होगा।
और ये दोनों व्यक्ति शान्तिपूर्वक एक साथ काम करेंगे।’
14 वे मुकुट को मंदिर में रखेंगे जिससे लोगों को याद रखने में सहायता मिलेगी। वह मुकुट हेल्दै, तोबिय्याह, यदायाह और सपन्याह के पुत्र योशियाह को सम्मान प्रदान करेगा।”
15 दूर के निवासी लोग आएंगे और मंदिर को बनाएंगे। लोगों, समझोगे कि यहोवा ने मुझे तुम लोगों के पास है।यह सब घटित होगा, यदि तुम वह करोगे, जिसे करने को यहोवा कहता है।
यहोवा दया और करूणा चाहता है
7फारस में दारा के राज्याकाल के चौथे वर्ष, जकर्याह को यहोवा का एक संदेश मिला । यह नौवे महीने का चौथा दिन था। (अर्थात् किस्लव।) 2 बेतेल के लोगों ने शेरसेर, रेगेम्मेलेक और अपने साथियों को यहोवा से एक प्रश्न पूछने को भेजा। 3 वे सर्वशक्तिमान यहोवा के मंदिर में नबियों और याजकों के पास गए। उन लोगों ने ने उनसे यह प्रश्न पूछा: “हम ने कई वर्ष तक मंदिर के ध्वस्त होने का शोक मनाया है। हर वर्ष के पाँचवें महीने में, रोने और उपवास रखने का हम लोगों का विशेष समय रहा हैं। क्या हमें इसे करते रहना चाहिये?”
4 मैंने सर्वशक्तिमान यहोवा का यह सन्देश पाया है: 5 “याजकों और इस देश के अन्य लोगों से यह कहो: जो उपवास और शोक पिछले सत्तर वर्ष से वर्ष के पाँचवें और सातवें महीने में तुम करते आ रहे हो,क्या वह उपवास, सच ही, मेरे लिये थानहीं! 6 और जब तुमने खाया और दाखमधु पिया तब क्या वह मेरे लिये था। नहीं यह तुम्हारी अपनी भलाई के लिये था। 7 परमेश्वर ने प्रथम नबियों का उपयोग बहुत पहले यही बात तब कही थी, जब यरूशलेम मनुष्यों से भरा—पूरा सम्पत्तिशाली था। परमेश्वर ने यह बातें तब कहीं थीं, जब यरूशलेम के चारों ओर के नगरों में तथा नेगव एवं पश्चिंमी पहाङियों की तराईयों में लोग शान्तिपूर्वक रहते थे।”
8 जकर्याह को यहोवा का यह सन्दोशहै:
9 “सर्वशक्तिमान यहोवा ने ये बातें कहीं,
‘तुम्हें जो सत्य और उचित हो, करना चाहिये।
तम्हें हर एक को एक दुसरे के प्रति दयालु
और करूणापूर्ण होना चाहिये।
10 विधवाओ, अनाथों, अजनबियों या
दीन लोगों को चोट न पहुँचाओ।
एक दुसरे का बुरा करने का विचार भी मन में न आने दो!’”
11 किन्तु उनलोगों ने अन सुनी की।
उन्होंने उसे करने से इन्कार किया जिसे वे चाहते थे।
उन्होंने अपने कान बन्द कर लिये,
जिससे वे, परमेश्वर जो कहे, उसे न सुन सकें।
12 वे बङे हठी थे।
उन्होंने परमेश्वर की व्यवस्था का पालन करना
अस्वीकार कर दिया।
अपनी आत्मशक्ति से सर्वशक्तिमान यहावा ने
नबियों द्धारा अपने लोगों को सन्देश भेजे।
किन्तु लोगों ने उसे नहीं सुना,
अत: सर्वशक्तिमान यहोवा बहुत क्रारोधित हुआ।
13 अत: सर्वशक्तिमान यहावा ने कहा,
“मैं ने उन्हें पुकारा
और उन्होंने उत्तर नहीं दिया।
इसलिये अब यदि वे मुझे पुकारेंगे,
तो मैं उत्तर नहीं दूँगा।
14 मैं अन्य राष्ट्रों को तुफान की तरह उनके विरूद्ध लाऊँगा।
वे उन्हें नहीं जानते,
किन्तु जब वे देश से गुजरेंगे,
तो उजङ जाएगा।”
यहोवा यरूशलेम को आशीर्वाद देने की प्रतिज्ञा करता है
8यह सन्देश सर्वशक्तिमान यहावा का है 2 सर्वशक्तिमान यहावा कहता है, “मैं सच ही, सिय्योन से प्रेम करता हूँ। मैं उससे इतना प्रेम करता हूँ कि जब वह मेरी विशवासपात्र न रही, तब मैं उस पर क्रोधित हो गया।” 3 यहोवा कहता है, “मैं सिय्योन के पास वापस आ गया हूँ। मैं यरूशलेम में रहने लगा हूँ। यरूशलेम विशवास नगर कहलाएगा। मेरा पर्वत, पवित्र पर्वत कहलाएगा।”
4 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “यरूशलेम में फिर बुढे स्त्री—पुरूष समाजिक स्थलों में दिखाई पङेंगे। लोग इतनी लम्बी आयु तक जीवीत रहेंगेकि उन्हें सहरे की छङी की आवश्यकता होगी 5 और नगर सङकों पर खेलने वाले बच्चों से भरा होगा। 6 बचे हुये लोग इसे आश्चर्यजनक मानेंगे और मैं भी इसे आश्चर्यजनक मानूँगा!”
7 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “देखो, मैं पूर्व और पश्चिम के देशो से अपने लोगों को बचा ले चल रहा हूँ। 8 मैं उन्हें यहाँ वापस लाऊँगा और वे यरूशलेम में रहेंगे। वे मेरे लोग होंगे और मैं उनका अच्छा और विश्वसनीय परमेश्वर होऊँगा!”
9 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “शक्तिशाली बनो! लोगों, तुम आज वही सन्देश सुन रहे हो, जिसे नबियों ने तब दिया था जब सर्वशक्तिमान यहोवा ने अपने मंदिर को फिर से बनाने के लिये नींव डाली। 10 उस समय के पहले लोगों के पास श्रमिकों को मजदुरी पर रखने या जानवर को किराये पर रखने के लिये धन नहीं था और मनुष्यों का आवागमन सुरक्षित नही था। सारी आपत्तियों से किसी प्रकार की मुक्ति नही थी। मैंने हर एक को पङोसी के विरूद्ध कर दिया था। 11 किन्तु अब वैसा नही है। बचे हुओं के लिए अब वैसा नही होगा।” सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह बाते कहीं।
12 “ये लोग शान्ति के साथ फसल लगाऐगे। उनके अंगुर के बाग अंगूर देंगे। भुमि अच्छी फसल देगी तथा आकाश वर्षा देगा। मैं यह सभी चीजें अपने इन लोगों को दूँगा। 13 लाग अपने शापों में यरूशलेम और यहुदा का नाम लेने लगे हैं। किन्तु मैं इस्राइल और यहुदा को बचाऊँगा और उनके नाम वरदान के रूप मैं प्रमाणित होने लगेंगे। अत: डरो नही।शक्तिशाली बनो!”
14 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “तुम्हारे पूर्वजों ने मुझे क्रोधित किया था। अत: मैंने उन्हें नष्ट करने का निर्णय लिया। मैंने अपने इरादे को न बदलने का निश्यच किया।” सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कहा। 15 “किन्तु अब मैने अपना इरादा बदल दिया है और उसी तरह मैंने यरूशलेम और यहूदा के लोगों के प्रति अच्छा बने रहने का निशच्य किया है। अत: डरो नहीं! 16 किन्तु तुम्हें यह करना चाहिए: अपने पङोसीयों से सत्य बोलो। जब तुम अपने नगरों में निर्णय लो, तो वह करो जो सत्य और शान्ति लाने वाला हो। 17 अपने पङोसियों को चाट पहुँचाने के लिये गुप्त योजनायें न बनाओ! झुठी प्रतिज्ञायें न करो! ऐसा करने में तुम्हें आन्नद नही लेना चाहिये। क्यों क्योंकि मैं उन बातों से घृणा करता हूँ।” यहोवा ने यह सब कहा।
18 मैंने सर्वशक्तिमान यहोवा का यह सन्देश पाया। 19 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “शोक मनाने और उपवास के विशेष दिन चौथे महीने, पाँचवें महीने, सातवें महीने और दसवें महीने में हैं। वे शोक के दिन प्रसन्नता के दिन में बदल जाने चाहिये। वे अच्छे और प्रसन्ननता के दिन में बदल जाने चाहिये। वो अच्छे और प्रसन्ननता के पवित्र दिन होंगे और तम्हें सत्य और शान्ति से प्रेम करना चाहिये!”
20 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है,
“भविष्य में, अनेक नगरों से लोग यरूशलेम आएंगे।
21 एक नगर के लोग दुसरे नगर के मोलने वाले लोगों से कहेंगे,
‘हम सर्वशक्तिमान यहोवा की उपासना करने जा रहे हैं,’
‘हमारे साथ आओ!’”
22 अनेक लोग और अनेक शक्तिशाली राष्ट्र सर्वशक्तिमान यहोवा की खाज में यरूशलेम आएंगे। वे वहाँ उपासना करने आएंगे। 23 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “उस समय विभन्न राष्ट्रों से विभन्न भाषाओ को बदलने वाले दस व्यक्ति एक यहुदी के चादर का पल्ला पकङेंगे और कहेंगे हमने सुना है कि परमेश्वर तुम्हारे साथ है। क्या हम उसकी उपासना करने तम्हारे साथ आ सकते हैं।”
समीक्षा
परमेश्वर के न्याय और परमेश्वर की आशीष के लिए लालसा
जकर्याह परमेश्वर के दंड और परमेश्वर के न्याय की आवश्यकता के विषय में चिताते हैं (अध्याय 5)। यहाँ पर महान आशा भी है जैसे ही भविष्यवक्ता मंदिर के पुन: निर्माण और परमेश्वर के लोगों के हृदय में परमेश्वर की उपस्थिति के बसने के दर्शन को देखते हैं।
यहोशू महायाजक मसीह के प्रतिबिंब थे। उनके सिर पर एक यहोशू (6:11) और उनका नाम "शाखा" है (व.12)। वह परमेश्वर के मंदिर को फिर से बसायेंगे और ऐश्वर्य को पहने रहेंगे और उनके सिंहासन पर बैठकर राज्य करेंगे। वह अपने सिंहासन पर एक याजक होंगे (व.13)। मलीकीसिदेक की तरह, उनका राजकीय और याजकीय कार्य है, जोकि यीशु में पूर्ण हुआ, राजाओं के राजा (प्रकाशितवाक्य 17:14) और हमारे महायाजक (इब्रानियों 4:14)।
उन दिनों में परमेश्वर के लोगों की तरह, आप अपने कामों को शुद्ध करने और सभी को न्याय देने के लिए बुलाए गए हैं:"खराई से न्याय चुकाना, और एक दूसरे के साथ कृपा और दया से काम करना, न तो विधवा पर अन्धेर करना, न अनाथों पर, न परदेशी पर, और न दीन जन पर; और न अपने मन में एक दूसरे की हानि की कल्पना करना" (जकर्याह 7:9-10)।
परमेश्वर के हृदय में इतना जुनून है कि ऐसा कहा जा सकता है कि यह उनके हृदय में लालसा के समीप हैः""सेनाओं का यहोवा यों कहता हैः सिय्योन के लिये मुझे बड़ी जलन हुई वरन् बहुत ही जलजलाहट मुझ में उत्पन्न हुई है। यहोवा यों कहता हैः मैं सिय्योन में लौट आया हूँ, और यरूशलेम के बीच में वास किए रहूँगा, और यरूशलेम सच्चाई का नगर कहलाएगा, और सेनाओं के यहोवा का पर्वत, पवित्र पर्वत कहलाएगा" (8:2-3)।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर, अपने लोगों के लिए एक अद्भुत भविष्य की घोषणा करते हैं। वहाँ पर शांति, मेल, समृद्धि, आनंद और सच्चाई है। उन दिनों के लोगों और अभी हमारे लिए, इनमें से कुछ आशीषें अभी के लिए हैं और कुछ बाकी हैं। परमेश्वर कहते हैं, " परन्तु अब मैं इस प्रजा के बचे हुओं से ऐसा बर्ताव न करूँगा जैसा कि पहले के दिनों में करता था" (व.11), और " उसी प्रकार मैं ने इन दिनों में यरूशलेम की और यहूदा के घराने की भलाई करने की ठान ली है" (व.15)।
मसीह के साथ अपने संपर्क के द्वारा आप अभी बहुत सी आशीषों का अनुभव करते हैं, लेकिन कुछ आशीषों को परिपूर्णता तक आप भविष्य में अनुभव करेंगे, नये स्वर्ग में और नई पृथ्वी में।
किंतु, अभी हमें काम करना है इस आशीष को पूरा करने में" हे यहूदा के घराने, और इस्राएल के घराने, जिस प्रकार तुम जाति-जाति के बीच श्राप के कारण थे उसी प्रकार मैं तुम्हारा उध्दार करूँगा, और तुम आशीष का कारण होगे। इसलिये तुम मत डरो, और न तुम्हारे हाथ ढीले पड़ने पाएँ" (व.13)।
उदाहरण के लिए, परमेश्वर सभी की चिंता करते हैं, उनकी उम्र चाहे जो भी हो। हमें भी बूढ़े और जवान दोनों की चिंता करनी चाहिएः"यरूशलेम के चौकों में फिर बूढ़े और बुढ़ियाँ बहुत आयु की होने के कारण, अपने अपने हाथ में लाठी लिए हुए बैठा करेंगी। नगर के चौक खेलने वाले लड़कों और लड़कियों से भरे रहेंगे" (वव.4-5)।
फिर से, परमेश्वर सच्चाई और शांति की चिंता करते हैं, और इसलिए हमें भी इन वस्तुओं की चिंता करनी चाहिएः"जो काम तुम्हें करना चाहिये, वे ये हैं; एक दूसरे के साथ सत्य बोला करना, अपनी कचहरियों में सच्चाई का और मेलमिलाप की नीति का न्याय करना, और अपने अपने मन में एक दूसरे की हानि की कल्पना न करना, और झूठी शपथ से प्रीति न रखना... इसलिये अब तुम सच्चाई और मेलमिलाप से प्रीति रखो" (वव.16-19)।
सबसे अधिक,परमेश्वर इस बात की चिंता करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग उनकी उपस्थिति की आशीष का अनुभव करें। आपको अपने आस-पास के लोगों के लिए एक आशीष बनना है जो अब भी मसीह के द्वारा परमेश्वर को नहीं जानते हैं, अपने कामों और अपने शब्दों के द्वारा उन्हें परमेश्वर की ओर ले जाओ। जब दूसरे देखेंगे कि परमेश्वर ने क्या अंतर पैदा किया है, तो वे उनकी ओर खिंचे चले जाएँगे। " सेनाओं का यहोवा यों कहता हैः उन दिनों में भाँति भाँति की भाषा बोलने वाली सब जातियों में से दस मनुष्य, एक यहूदी पुरुष के वस्त्र की छोर को यह कहकर पकड़ लेंगे, ‘हम तुम्हारे संग चलेंगे, क्योंकि हम ने सुना है कि परमेश्वर तुम्हारे साथ हैं" (व.23)।
जब आप परमेश्वर के प्रेम, न्याय और आशीष के एक चैनल बनने की लालसा करते हैं, तो दूसरे परमेश्वर की उपस्थिति को जानेंगे।
प्रार्थना
पिप्पा भी कहते है
भजनसंहिता 139:23-24
"हे परमेश्वर, मुझे जाँच कर जान ले! मुझे परखकर मेरी चिन्ताओं को जान ले! और देख कि मुझ में कोई बुरी चाल है कि नहीं, और अनन्त के मार्ग में मेरी अगुवाई कर"।
परमेश्वर को हमारे हृदय को जाँचने दीजिए क्योंकि हम अपने हृदय को धोखा दे सकते हैं। मेरे पास बहुत से चिंतित विचार हैं। परमेश्वर उन सभी को जानते हैं। मुझे उन्हें सौंप देना है, जाने देना है और परमेश्वर को मुझे मार्गदर्शित करने देना है।
दिन का वचन
यहूदा – 1:1
"…उन बुलाए हुओं के नाम जो परमेश्वर पिता में प्रिय और यीशु मसीह के लिये सुरक्षित हैं॥”

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संदर्भ
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट ऊ 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी", बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइडऍ बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट ऊ 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट ऊ 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।