दिन 341

क्या सच में परमेश्वर नियंत्रण में हैं:

बुद्धि भजन संहिता 139:11-16
नए करार 3 यूहन्ना 1:1-14
जूना करार जकर्याह 1:1-4:14

परिचय

क्या आप कभी कभी आश्चर्य करते हैं कि क्या सच में परमेश्वर नियंत्रण में हैं: शायद से आपके स्वास्थ में, संबंधों में, नौकरी में या आपके जीवन के किसी दूसरी स्थिति में कुछ गलत हो गया, और आप आश्चर्य करते हैं: क्या परमेश्वर जानते हैं: क्या परमेश्वर चिंता करते हैं: क्या वह इसके विषय में कुछ कर सकते हैं:

एक चीज जो मैं बिशप सॅन्डि मिलर के बारे में अच्छी तरह से जानता हूँ जब वह एच.टी.बी में पादरी थे, यह कि जब कभी चीजें गलत हो जाती थी, या हम कुछ प्रकार के संकट का सामना करते थे, वह हमेशा मुझे याद दिलाते थेः" प्रभु राज्य करते हैं।" परमेश्वर ना केवल आपसे प्रेम करते हैं, लेकिन वह सार्वभौमिक परमेश्वर भी हैं जो आपके जीवन को नियंत्रित करते हैं। वह घटनाओं और इतिहास को भी नियंत्रित करते हैं।

जैसा कि ए.डब्ल्यु टोजर ने लिखा, "परमेश्वर प्रेम हैं और परमेश्वर सार्वभौमिक हैं। उनके प्रेम के कारण वह हमारे अनंत कुशलक्षेम की चिंता करते हैं, और उनकी सार्वभौमिकता उन्हें सक्षम बनाती है कि इसे सुरक्षित रखें।"

बुद्धि

भजन संहिता 139:11-16

11 हे यहोवा, सम्भव है, मैं तुझसे छिपने का जतन करुँ और कहने लगूँ,
 “दिन रात में बदल गया है
 तो निश्चय ही अंधकार मुझको ढक लेगा।”
12 किन्तु यहोवा अन्धेरा भी तेरे लिये अंधकार नहीं है।
 तेरे लिये रात भी दिन जैसी उजली है।

13 हे यहोवा, तूने मेरी समूची देह को बनाया।
 तू मेरे विषय में सबकुछ जानता था जब मैं अभी माता की कोख ही में था।
14 हे यहोवा, तुझको उन सभी अचरज भरे कामों के लिये मेरा धन्यवाद,
 और मैं सचमुच जानता हूँ कि तू जो कुछ करता है वह आश्चर्यपूर्ण है।
15 मेरे विषय में तू सब कुछ जानता है।
 जब मैं अपनी माता की कोख में छिपा था, जब मेरी देह रूप ले रही थी तभी तूने मेरी हड्डियों को देखा।
16 हे यहोवा, तूने मेरी देह को मेरी माता के गर्भ में विकसते देखा। ये सभी बातें तेरी पुस्तक में लिखीं हैं।
 हर दिन तूने मुझ पर दृष्टी की। एक दिन भी तुझसे नहीं छूटा।

समीक्षा

जन्म से मृत्यु तक प्रभु राज्य करते हैं

आपको मृत्यु के विषय में चिंता करने या डरने की आवश्यकता नहीं है। परमेश्वर के पास आपके जीवन के लिए एक अच्छी योजना और उद्देश्य है। आपके जन्म से पहले ही, उन्होंने आपके जीवन के सभी दिनों की योजना बनायी है (व.16)। आप " भयानक और अद्भुत रीति से" रचे गए हैं (व.14)।

गर्भ धारण करने के क्षण से मानव जीवन की शुरुवात होती है। परमेश्वर का सार्वभौमिक प्रेम गर्भ में पहले तक जाता है। यही से हमारा व्यक्तिगत इतिहास शुरु हुआः

" तेरी आँखों ने मेरे बेडौल तत्व को देखा;
 और मेरे सब अंग जो दिन दिन बनते जाते थे
 वे रचे जाने से पहले तेरी पुस्तक में लिखे हुए थे" (व.16, एम.एस.जी)।

परमेश्वर नियंत्रण में हैं आपके गर्भ में आने के समय से लेकर आपकी मृत्यु के समय तक और इसके भी परे। उन पर भरोसा कीजिए।

प्रार्थना

परमेश्वर, हर मनुष्य के लिए आपके सार्वभौमिक प्रेम के लिए आपका धन्यवाद। हमारी सहायता कीजिए कि वही प्रेम और सुरक्षा सभी तक पहुँचाये।
नए करार

3 यूहन्ना 1:1-14

1 यूहन्ना की ओर से: प्रिय मित्र,

गयुस के नाम जिसे मैं सत्य में सहभागी के रूप में प्रेम करता हूँ।

2 हे मेरे प्रिय मित्र, मैं प्रार्थना करता हूँ कि तू जैसे आध्यात्मिक रूप से उन्नति कर रहा है, वैसे ही सब प्रकार से उन्नति करता रह और स्वास्थ्य का आनन्द उठाता रह। 3 जब हमारे कुछ भाईयों ने मेरे पास आकर सत्य के प्रति तुम्हारी निष्ठा के बारे में बताया तो मैं बहुत आनन्दित हुआ। उन्होंने मुझे यह भी बताया कि तुम सत्य के मार्ग पर किस प्रकार चल रहे हो। 4 मुझे यह सुनने से अधिक आनन्द और किसी में नहीं आता कि मेरे बालक सत्य के मार्ग का अनुसरण कर रहे हैं।

5 हे मेरे प्यारे मित्र, तुम हमारे भाइयों के हित में जो कुछ कर सकते हो, उसे विश्वास के साथ कर रहे हो। यद्यपि वे लोग तुम्हारे लिए अनजाने हैं! 6 जो प्रेम तुमने उन पर दर्शाया है, उन्होंने कलीसिया के सामने उसकी साक्षी दी है। उनकी यात्रा को बनाए रखने के लिए कृपया उनकी इस प्रकार सहायता करना जिसका समर्थन परमेश्वर करे। 7 क्योंकि वे मसीह की सेवा के लिए यात्रा पर निकल पड़े हैं तथा उन्होंने विधर्मियों से कोई सहायता नहीं ली है। 8 इसलिए हम विश्वासियों को ऐसे लोगों की सहायता करनी चाहिए ताकि हम भी सत्य के प्रति सहकर्मी सिद्ध हो सकें।

9 एक पत्र मैंने कलीसिया को भी लिखा था किन्तु दियुत्रिफेस जो उनका नेता बनना चाहता है। 10 वह जो कुछ हम कहते हैं, उसे स्वीकार नहीं करेगा। इस कारण यदि मैं आऊँगा तो बताऊँगा कि वह क्या कर रहा है। वह झूठे तौर पर अपशब्दों के साथ मुझ पर दोष लगाता है और इन बातों से ही वह संतुष्ट नहीं है। वह हमारे बंधुओं के प्रति आदर सत्कार नहीं दिखाता है बल्कि जो ऐसा करना चाहते हैं, उन्हें भी बाधा पहुँचाता है और उन्हें कलीसिया से बाहर धकेल देता है।

11 हे प्रिय मित्र, बुराई का नहीं बल्कि भलाई का अनुकरण करो! जो भलाई करता है, वह परमेश्वर का है! जो बुराई करता है, उसने परमेश्वर को नहीं देखा।

12 दिमेत्रियुस के विषय में हर किसी ने साक्षी दी है। यहाँ तक कि स्वयं सत्य ने भी। हमने भी उसके विषय में साक्षी दी है। और तुम तो जानते ही हो कि हमारी साक्षी सत्य है।

13 तुझे लिखने के लिए मेरे पास बहुत सी बातें हैं किन्तु मैं तुझे लेखनी और स्याही से वह सब कुछ नहीं लिखना चाहता। 14 बल्कि मुझे तो आशा है कि मैं तुझसे जल्दी ही मिलूँगा। तब हम आमने-सामने बातें कर सकेंगे।

समीक्षा

आपके जीवन के सभी क्षेत्रों के ऊपर परमेश्वर राज्य करते हैं

आज परमेश्वर आपके जीवन के सभी क्षेत्रों में सुधार लाना चाहते हैं। प्रेरित यूहन्ना अपने प्रिय मित्र गयूस के लिए पवित्र रीति से प्रार्थना करते हैं:" हे प्रिय, मेरी यह प्रार्थना है कि जैसे तू आत्मिक उन्नति कर रहा है, वैसे ही तू सब बातों में उन्नति करे और भला चंगा रहे" (व.2, एम.एस.जी)।

यूहन्ना यह सुनकर खुश थे कि गयूस आत्मिक उन्नति कर रहे थेः " मुझे इससे बढ़कर और कोई आनन्द नहीं कि मैं सुनूं, कि मेरे बच्चे सत्य पर चलते हैं... उन्होंने कलीसिया के सामने तेरे प्रेम की गवाही दी है" (वव.4-6)।

किंतु, यूहन्ना की प्रार्थना गयूस की "आत्मिकता" के परे भौतिक जरुरत तक जाती है। इसमें कोई गलत बात नहीं है कि मित्रों के लिए प्रार्थना करें कि वे "अच्छे स्वास्थ" का आनंद लें और "उनके साथ सबकुछ अच्छा हो" (व.2)।

विश्वास प्रेम के द्वारा दिखता है। प्रेम प्रायोगिक है। अतिथी-सत्कार प्रेम का एक कार्य है। " इसलिये ऐसों का स्वागत करना चाहिए, जिससे हम भी सत्य के पक्ष में उनके सहकर्मी हों" (व.8, एम.एस.जी)।

जब आप अतिथि-सत्कार करते हैं तो आप मसीह संस्कृति का एक भाग हैं जो कि नये नियम में है।

यूहन्ना दियुत्रिफेस के विषय में चिताते हैं जोकि " आप ही भाइयों को ग्रहण नहीं करता, और उन्हें जो ग्रहण करना चाहते हैं मना करता है और कलीसिया से निकाल देता है" (व.10, एम.एस.जी)। " जो उनमें बड़ा बनना चाहता है" और " वह हमारे विषय में बुरी- बुरी बाते बकता है" (वव.9-10, एम.एस.जी)। यहाँ तक कि पवित्र और प्रेम प्रेरित यूहन्ना सभी को खुश नहीं कर पाये।

वह गयूस को चिताते हैं, " बुराई के नहीं पर भलाई के अनुयायी हो" (वव.13-14, एम.एस.जी)। कुछ चीजें आमने-सामने मुलाकात के लिए आरक्षित रखी गई हैं।

प्रार्थना

परमेश्वर, आज मैं अपने परिवार और मित्रों के लिए प्रार्थना करता हूँ, कि वे अच्छे स्वास्थ का आनंद लेंगे और उनके साथ सबकुछ अच्छा होगा।
जूना करार

जकर्याह 1:1-4:14

यहोवा अपने लोगों की वापसी चाहता है

1बेरेक्याह के पुत्र जकर्याह ने यहोवा का सन्देश पाया। फारस में दारा के राज्यकाल के दूसरे वर्ष के आठवें महीने में यह हुआ। (जकर्याह बेरेक्याह का पुत्र था। बेरेक्याह इद्दो नबी का पुत्र था।) सन्देश यह है:

2 यहोवा तुम्हारे पूर्वजों पर बहुत क्राधित हुआ है। 3 अत: तुम्हें लोगों से यह सब कहना चाहिये। यहोवा कहता हैं, “मेरे पास वापस आओ तो मैं तम्हारे पास वापस लौटूंगा।” यह सब सर्वशक्तिमान यहोवा ने कहा।

4 यहोवा ने कहा, “अपने पूर्वजों के समान न बनो। बीते समय में, नबी ने उनसे बातें कीं।उन्होंने कहा, ‘सर्वशक्तिमान यहोवा चाहता है कि तुम अपने बुरे रहन सहन को छोङ दो। बुरे काम बन्द कर दो!’ किन्तु तुम्हारे पूर्वजों ने मेरी एक न सुनी।” यहोवा ने यह बातें कही।

5 परमेश्वर ने कहा, “तुम्हारे पूर्वज जा चुके और वे नबी सदैव जीवित न रहे। 6 नबी मेरे सेवक थे। मैंने उनका उपयोग तुम्हारे पूर्वजों को अपने व्यवस्था और अपनी शिक्षा देने के लिये किया और तम्हारे पूर्वजों ने अन्त में शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने कहा, ‘सर्वशक्तिमान यहोवा ने वह किया जिसे करने को उसने कहा था। उसने हमारे बुरे रहन—सहन और सभी बुरे किये गए कामों के लिये दण्ड दिया।’ इस प्रकार वे परमेश्वर के पास वापस लौटे।”

घोड़ों का दर्शन

7 जकर्याह ने फारस में दारा के राज्यकाल के दूसरे वर्ष के ग्यारहवें महीने के चौबीसवें दिन (अर्थात् शबात) यहोवा का दूसरा सन्देश पाया। (जकर्याह बेरेक्याह का पुत्र था और बेरेक्याह इद्दो नबी का पुत्र था।) सन्देश यह है:

8 रात को, मैंने एक व्यक्ति को लाल घोड़े पर बैठे देखा। वह घाटी में कुछ मालती की झाड़ियों के बीच खड़ा था। उसके पीछे लाल, भूरे और श्वेत रंग के घोड़े थे। 9 मैंने पूछा, “महोदय, ये घोड़े किसलिये हैं”

तब मुझसे बात करते हुए, स्वर्गदूत ने कहा, “मैं तुम्हें दिखाऊँगा कि ये घोड़े किसलिये हैं।”

10 तब मालती की झाड़ियों के बीच स्थित उस व्यक्ति ने कहा, “यहोवा ने इन घोड़ों को पृथ्वी पर इधर—उधर घूमने के लिये भेजे हैं।”

11 तब घोड़ों ने मालती की झाड़ियों में स्थित यहोवा के दूत से बातें कीं। उन्होंने कहा, “हम लोग पृथ्वी पर इधर— उधर घूम चुके हैं, और सब कुछ शान्त और व्यवस्थित हैं।”

12 तब यहोवा के दूत ने कहा, “यहोवा, आप यरूशलेम और यहूदा के नगर को कब तक आराम दिलायेंगे अब तो आप इन नगरों पर सत्तर वर्ष तक अपना क्रोध प्रकट कर चुके हैं।”

13 तब यहोवा ने उस दूत को उत्तर दिया जो मुझसे बातें कर रहा था। यहोवा ने अच्छे शान्तिदायक शब्द कहे।

14 तब यहोवा के दूत ने मुझे लोगों से यह सब कहने को कहा:

सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है:

“मैं यरूशलेम और सिय्योन से विशेष प्रेम रखता हूँ
15 और मैं उन राष्ट्रों पर बहुत क्रोधित हूँ जो अपने को इतना सुरक्षित अनुभव करते हैं।
मैं कुछ क्रोधित हो गया था
और मैंने उन राष्ट्रों का उपयोग अपने लोगों को दण्ड देने के लिये किया।
किन्तु उन राष्ट्रों ने बहुत अधिक विनाश किया।”
16 अत: यहोवा कहता है, “मैं यरूशलेम लौटूँगा और उसे आराम दूँगा।”
सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “यरूशलम का निर्माण पुन: होगा।
और वहां मेरा मंदिर बनेगा।”
17 स्वर्गदूत ने कहा, “लोगों से यह भी कहो:
‘सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है,
‘मेरे नगर फिर सम्पन्न होंगे, मैं सिय्योन को आराम दूँगा।
मैं यरूशलेम को अपना विशेष नगर चुनूँगा।’”

सींगों का दर्शन

18 तब मैंने ऊपर नजर उठाई और चार सींगों को देखा। 19 तब मैंने उस दूत से जो मुझसे बातें कर रहा था, पूछा, “इन सींगों का अर्थ क्या हैं”

उसने कहा, “ये वे सींगे है, जिन्होंने इस्राइल, यहूदा और यरूशलेम के लोगों को विदेशों में जाने को विवश किया।”

20 तब यहोवा ने मुझे चार कारीगर दिखाये। 21 मैंने उनसे पूछा, “ये चार कारीगर क्या करने आ रहे हैं”

उसने कहा, “ये लोग उन सींगों को नष्ट करने आए हैं। उन सींगों ने यहूदा के लोगों को विदेशों में जाने को विवश किया। उन सींगों ने किसी पर दया नहीं दिखाई। ये सींगे उन राष्ट्रों का प्रतीक है जिन्होंने यहूदा के लोगों पर आक्रमण किया था और उन्हें विदेशों में जाने को विवश किया था।”

यरूशलेम को मापने का दर्शन

2तब मैंने ऊपर निगाह उठाई और मैंने एक व्यक्ति को नापने की रस्सी को लिये हुए देखा। 2 मैंने उससे पूछा, “तुम कहाँ जा रहे हो”

उसन मुझे उत्तर दिया, “यरूशलेम को नापने जा रहा हूँ, कि वह कितना लम्बा तथा कितना चौङा है।”

3 तब वह दूत, जो मुझसे बातें कर रहा था, चला गया और उससे बातें करने को दूसरा दूत बाहर गया। 4 उसने उससे कहा, “दौड़कर जाओ और उस युवक से कहो कि यरूशलम इतना विशाल है कि उसे नापा नहीं जा सकता। उससे यह कहो,

‘यरूशलेम बिना चहारदीवारी का नगर होगा।
क्यों क्योंकि वहाँ असंख्य लोग और जानवर रहेंगे।’
5 यहोवा कहता है,
‘मैं उसकी चारों ओर उसकी रक्षा के लिये आग की दीवार बनूँगा,
और उस नगर को गौरव देने के लिये वहीं रहूँगा।’”

परमेश्वर अपने लोगों को घर बुलाता है

यहोवा कहता है,
6 “जल्दी करो! उत्तर देश से भाग निकलो!
हाँ यह सत्य है कि मैंने तुम्हारे लोगों को चारों ओर बिखेरा।
7 सिय्योन के लोगों, तुम बाबुल में बन्दी हो।
किन्तु अब भाग निकलो! उस नगर से भाग जाओ!”
8 सर्वशक्तिमान यहोवा ने मेरे बारे में यह कहा, “उसने मुझे भेजा है, जिन्होंने उन राष्ट्रों में युद्ध में तुमसे चीज़ें छीनीं!
उसने तुझे प्रतिष्ठा देने को मुझे भेजा है।”
किन्तु उसके बाद, यहोवा मुझे उनके विरूद्ध भेजेगा।
क्यों? क्योंकि यदि वे तुम्हें चोट पहुँचायेंगे तो
वह यहोवा की आँख की पुतली को चोट पहुँचाना होगा।
9 और मैं उन लोगों के विरूद्ध अपना हाथ उठाऊँगा
और उनके दास उनकी सम्पत्ति लेंगे।
तब तुम समझोगे कि सर्वशक्तिमान यहोवा ने मुझे भेजा है।

10 यहोवा कहता है,
“सिय्योन, प्रसन्न हो! क्यों? क्योंकि मैं आ रहा हूँ,
और मैं तुम्हारे नगर में रहूँगा।
11 उस समय अनेक राष्ट्रों के लोग
मेरे पास आएंगे
और वे मेरे लोग हो जायेंगे।
मैं तुम्हारे नगर में रहूँगा
और तुम जानोगे कि सर्वशक्तिमान यहोवा ने
मुझे तुम्हारे पास भजा है।”

12 यहोवा यरूशलेम को फिर से अपना विशेष नगर चुनेगा
और यहूदा, पवित्र—भूमि का उनका हिस्सा होगा।
13 सभी व्यक्ति, शान्त हो जाओ!
यहोवा अपने पवित्र घर से बाहर आ रहा है।

महायाजक के बारे में दर्शन

3तब दूत ने मुझे महायाजक यहोशू को दिखाया। यहोशू यहोवा के दूत के सामने खङा था और शैतान यहोशू की दायीं ओर खड़ा था। शैतान वहाँ यहोशू द्वारा किये गए बुरे कामों के लिये दोष देने को था। 2 तब यहोवा के दूत ने कहा, “शैतान, यहोवा तुम्हें फटकारे। यहोवा तुम्हें अपराधी घोषित करे! यहोवा ने यरूशलेम को अपना विषेश नगर चुना हैं। उन्होंने उस नगर को बचाया—जैसे जलती लकङी को आग से बाहर निकाल दिया जाये।”

3 यहोशू दूत के सामने खङा था और यहोशू गन्दे वस्त्र पहने था। 4 तब अपने समीप खङे अन्य दूतों से दूत ने कहा, “यहोशू के गन्दे वस्त्रों को उतार लो।” तब दूत ने यहोशू से बातें कीं।उसने कहा, “मैंने तुम्हारे अपराधों को हर लिया है और मैं तुम्हें नये वस्त्र बदलने को देता हूँ।”

5 तब मैंने कहा, “उसके सिर पर एक नयी पगड़ी बाँधो।” अत: उन्होंने एक नयी पगड़ी उसे बांधी। यहोवा के दूत के खड़े रहते ही उन्होंने उसे नये वस्त्र पहनाये। 6 तब यहोवा के दूत ने यहोशू से यह कहा:

7 सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कहा,
“वैसे ही रहो जैसा मैं कहूँ,
और मैं जो कहूँ वह सब करो
और तुम मेरे मंदिर के उच्चाधिकारी होगे।
तुम इसके आँगन की देखभाल करोगे
और मैं अनुमति दूँगा कि
तुम यहाँ खड़े स्वर्गदूतों के बीच स्वतन्त्रता से घूमो।
8 अत: यहोशू, तुम्हें और तुम्हारे साथ के लोगों को मेरी बातें सुननी होंगी।
तुम महायाजक हो, और तम्हारे साथ के लोग दूसरों के समक्ष एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं
और मैं सच ही, अपने विशेष सेवक को लाऊँगा,
उसे शाख कहते हैं।
9 देखो, मैं एक विशेष पत्थर यहोशू के सामने रखता हूँ।
उस पत्थर के सात पहलू है
और मैं उस पत्थर पर विशेष सन्देश खोदूँगा।
वह इस तथ्य को प्रकट करेगा कि मैं एक दिन में इस देश के सभी पापों को दूर कर दूँगा।”

10 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है,
“उस समय, लोग बैठेंगे और अपने मित्रों
एवं पड़ोसियों को अपने उद्यानों में आमंन्त्रित करेंगे।
हर व्यक्ति अपने अंजीर के पेड़
तथा अंगूर की बेल के नीचे अमन—चैन से रहेगा।”

दीपाधार और दो जैतून के पेड़

4तब जो दूत मझसे बातें कर रहा था, मेरे पास आया और उसने मुझे जगाया। मैं नींद से जागे व्यक्ति की तरह लग रहा था। 2 तब दूत ने पूछा, “तुम क्या देखते हो?”

मैंने कहा, “मैं एक ठोस सोने का दीवाधार देखता हूँ। उस दीपाधार पर सात दीप हैं और दीपाधार के ऊपरी सिरे पर एक प्याला है। प्याले में से सात नल निकल रहे हैं। हर एक नल हर एक दीप तक जा रहा है। वे नल तेल को हर एक दीप के प्याले तक लाते हैं। 3 और दो जैथ्द्यन के पेड़, एक दायी और दूसरा बायीं ओर प्याले के सहारे हैं।” 4 और तब मैंने, उस दूत से जो मुझसे बातें कर रहा था, पूछा, “महोदय, इन सब का अर्थ क्या है?”

5 मुझसे बातें करने वाले दूत ने कहा, “क्या तुम नहीं जानते कि ये सब चीज़ें क्या हैं”

मैंने कहा, “नहीं महोदय।”

6 तब उसने मुझसे कहा, “यह सन्देश यहोवा की ओर से जरुब्बाबेल को है: ‘तुम्हारी शक्ति और प्रभुत्ता से सहायता नहीं मिलेगी। वरन, तुम्हें सहायता मेरी आत्मा से मिलेगी।’ सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कहा! 7 वह ऊँचा पर्वत जरूब्बाबेल के लिये समतल भूमि—सा होगा। वह मंदिर को बनायेगा और जब अन्तिम पत्थर उस स्थान पर रखा जाएगा तब लोग चिल्ला उठेंगे— ‘सुन्दर! अति सुन्दर।’”

8 मुझे यहोवा से मिले सन्देश में भी कहा गया, 9 “जरूब्बाबेल मेरे मंदिर की नींव रखेगा और जरूब्बाबेल मंदिर को बनाना पूरा करेगा। लोगों तब तुम समझोगे कि सर्वशक्तिमान यहोवा ने मुझे तुम लोगों के पास भेजा है। 10 लोग उस सामान्य आरम्भ से लज्जित नहीं होंगे और वे सचमुच तब प्रसन्न होंगे, जब वे जरूब्बाबेल को पूरी की गई भवन को साहुल से नापते और जांच करते देखेंगे। अत: पत्थर के सात पहलू जिन्हें तुमने देखा वे यहोवा की आँखों के प्रतीक हैं जो हर दिशा में देख रहीं हैं। वे पृथ्वी पर सब कुछ देखती हैं।”

11 तब मैंने (जकर्याह) उससे कहा, “मैंने एक जैतून का पेड़ दीपाधार की दायी ओर एक बायीं ओर देखा। उन दोनों जैतून के पेड़ों का तात्पर्य क्या है?”

12 मैंने उससे यह भी कहा, “मैंने जैतून की दो शाखायें सोने के रंग के तेल को ले जाते, सोने के नलों के सहारे देखीं। इन चीजो का तात्पर्य क्या है?”

13 तब दूत ने मुझ से कहा, “क्या तुम नहीं जानते कि इन चीजों का तात्पर्य क्या है?”

मैंने कहा, “नहीं महोदय।”

14 अत: उसने कहा, “वे उन दो व्यक्तियों के प्रतीक है, जो सारे संसार में यहोवा की सेवा के लिये चुने गए थे।”

समीक्षा

घटनाओं और इतिहास के ऊपर परमेश्वर राज्य करते हैं

ऐसा नहीं है कि केवल आपके जीवन में चीजें गलत हो जाएँ और आप आश्चर्य करें कि क्या परमेश्वर नियंत्रण में हैं। कभी कभी, जैसे ही हम विश्व की घटनाओं और इतिहास को देखते हैं, हम आश्चर्य करते हैं कि पृथ्वी पर क्या हो रहा है: क्या सच में परमेश्वर अस्त व्यस्तता में "राज्य" करते हैं:

जकर्याह के मूल श्रोताओं को याद दिलाने की आवश्यकता थी कि "परमेश्वर राज्य करते हैं।" वह एक याजक और भविष्यवक्ता थे, जिन्होंने उन लोगों से भविष्यवाणी की थी जो निर्वासन में से सालों के बाद बरबाद होकर यरुशलेम वापस आये थे। आशा और उद्धार के संदेशों के साथ जकर्याह उनका ध्यान परमेश्वर की ओर ले जाते हैं। परमेश्वर राज्य करते हैं –और उन्होंने अपने लोगों पर हार नहीं मानी है!

इस नई आशा के साथ परमेश्वर के साथ नये संबंध का वायदा है, जो आखिरकार यीशु के द्वारा पूरे हुए। बार-बार इन वचनो में हम यीशु की झलक को देखते हैं:

  1. परमेश्वर वापस आयेंगे (अध्याय 1)

पुस्तक की शुरुवात में मन फिराने की पुकार है, जैसे ही परमेश्वर लोगों को उनके पास आने के लिए कहते हैं। पुकार के साथ-साथ वहाँ पर एक वायदा है - " तुम मेरी ओर फिरो, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है, तब मैं तुम्हारी ओर फिरूँगा" (1:3)। परमेश्वर की ओर फिरने का अर्थ है मन फिराना और अपने पाप को मानना (व.6)।

परमेश्वर का हमारी ओर फिरने का वायदा, एक दर्शन के द्वारा समझाया गया है जिसमें एक आदमी लाल घोड़े पर सवारी कर रहा है (व.8)। परमेश्वर वायदा करते हैं:" सारी पृथ्वी में शान्ति और चैन है" (व.11, एम.एस.जी)। वह उनके विषय में चिंता करते हैं (व.14, एम.एस.जी)। परमेश्वर राज्य करते हैं, और वह आपसे प्रेम करते हैं।

ऐसा लगता है कि मेहंदियों का पेड़ तब के इस्राएली लोगों और अभी के चर्च का चित्र है, और इसलिए यह यीशु (जो व्यक्ति लाल घोड़े की सवारी कर रहा था) का प्रतीक है जो अपनी कलीसिया के बीच में खड़ा रहता है।

यदि ऐसा है तो यीशु हैं जो चर्च के लिए मध्यस्थता करते हैं (व.12)। उनकी मध्यस्थता का उत्तर आयाः" मेरा भवन उस में बनेगा" (व.16, एम.एस.जी)। यरूशलेम में मंदिर के पुन:निर्माण में यह एक शाब्दित, ऐतिहासिक परिपूर्णता थी लेकिन यह चर्च पर भी लागू होता है।

  1. परमेश्वर रक्षा करेंगे (अध्याय 2)

अगला, जकर्याह ने एक पुरुष को हाथ में नापने की डोरी लिए खड़े देखा (2:1)। फिर से, क्या यह यीशु हैं: परमेश्वर वायदा करते हैं कि यरूशलेम ऐसा एक शहर होगा जिसकी दिवारे नहीं होगी लेकिन वह इसके चारों ओर आग की दीवार होंगे और इसके अंदर की महिमा। चर्च नया यरुशलेम है – एक शहर बिना दीवार के (व.4)। यह "उनकी आँखो का तारा है" (व.8)। परमेश्वर का आत्मा हमारे बीच में रहता है (व.10)।

वह उन्हें आश्वासन देते हैं, " जो तुम को छूता है, वह मेरी आँख की पुतली ही को छूता है" (व.8, एम.एस.जी)। वह वायदा करते हैं: " मैं आकर तेरे बीच में निवास करूँगा " (व.10, एम.एस.जी)।

  1. परमेश्वर क्षमा करेंगे (अध्याय 3)

मुझे अपने पैन को पतलून के पीछे वाली जेब में रखने की आदत है और फिर उस पर मैं बैठ जाता हूँ, जिससे ऐसा दाग बन जाता है जो निकलना असंभव है किंतु अक्सर पतलून धुल जाते हैं।

आप अपने जीवन में पाप के दाग को नहीं निकाल सकते हैं। लेकिन यीशु ऐसा कर सकते हैं।

प्रभु का दूत यीशु की परछाई के रूप में प्रकट होता है। यीशु के सामने खड़े होकर, जकर्याह ने यहोशू महायाजक को देखा और शैतान को, जो उसकी दाहिनी ओर दोष लगाने के लिए खड़ा था (3:1)। "शैतान"नाम का अर्थ है दोष लगाने वाला (प्रकाशितवाक्य 12:10)।

लेकिन यीशु शैतान से अधिक शक्तिशाली हैं। प्रभु ने शैतान को डाँटा और यहोशू के बारे में कहा, " क्या यह आग से निकाली हुई लुकटी सी नहीं है:" (जकर्याह 3:2)। यह एक चित्र है जो उन सभी पर लागू होता है जो यीशु के द्वारा छुड़ाए गए हैं।

उस समय यहोशू तो दूत के सामने मैला वस्त्र पहने हुए खड़ा था (व.3) जिसने कहा, " "इसके ये मैले वस्त्र उतारो ... मैं ने तेरा पाप दूर किया है, और मैं तुझे सुन्दर वस्त्र पहना देता हूँ" (व.4)। यीशु आपको क्रूस के द्वारा साफ करते हैं और पुन: कपड़े पहनाते हैं।

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, " , मैं अपने दास शाख को प्रकट करूँगा" (व.8; यिर्मयाह 23:5 देखें)। यह आगे कहता है, " इस देश के पाप को एक ही दिन में दूर कर दूँगा" (जकर्याह 3:9) – पहला गुड फ्रायडे, जब यीशु ने एक ही दिन में सारे पाप मिटा दिए।

इसका परिणाम हैः" उसी दिन तुम अपने अपने भाई बन्धुओं को दाखलता और अंजीर के पेड़ के नीचे आने के लिये बुलाओगे" (व.10)। यह शांति, सुरक्षा और समृद्धि का एक प्रतीक है।

  1. परमेश्वर आपको अपना आत्मा देंगे (अध्याय 4)

परमेश्वर का वचन जरुब्बाबेल के पास आयाः" न तो बल से, और न शक्ति से, परन्तु मेरी आत्मा के द्वारा होगा" (4:6)। ना तो मंदिर नाही चर्च शक्ति से या ताकत से बनाया गया हैः"तुम जोर देकर इन चीजों को नहीं कर सकते। वे केवल मेरी आत्मा के द्वारा होते हैं" (व.6, एम.एस.जी)।

क्या आप असंभव दिखने वाली स्थिति का सामना कर रहे हैं: आप केवल इच्छा शक्ति से जय नहीं पा सकते हैं। पवित्र आत्मा से सहायता माँगिये।

"छोटी बातों के दिन को" तुच्छ मत जानिए (व.10)। छोटी दिखने वाली उपलब्धियों को महत्वहीन मत समझिये। मामूली, दीन, "छोटी शुरुवात" को तुच्छ मत जानिए। परमेश्वर के राज्य की शुरुवात एक राई के दाने से होती है, जो एक बड़ा पेड़ बन जाता है। परमेश्वर को छोटी संख्या से अंतर नहीं पड़ता है। कुछ भी छोटा नहीं है यदि परमेश्वर इसमें हैं। हर बड़ी चीज की शुरुवात छोटे से हुई है। जो भी आप परमेश्वर के लिए करते हैं, उसमें से कुछ भी बिना ध्यान दिए या बिना प्रतिफल के नहीं है। शायद से आप फलों को न देखें लेकिन आप परमेश्वर के उद्देश्यों को पूरा कर रहे हैं। अपने सपनों पर हार मत मानिये।

परमेश्वर राज्य करते हैं। वह घटनाओं और इतिहास के अधिकारी हैं। उनके सार्वभौमिक प्रेम में, उनकी आत्मा के द्वारा, छोटी शुरुवात के दिन से, मंदिर का पुन: निर्माण हुआ। अब आप उन पर भरोसा कर सकते हैं कि अपनी आत्मा के द्वारा छोटी शुरुवात से अपने चर्च को बनाए और पुन: निर्माण करे।

प्रार्थना

परमेश्वर आपका धन्यवाद कि आपने मेरे पाप को हटा दिया है और मुझे शांति, सुरक्षा और आत्मिक समृद्धि दी है। मैं प्रार्थना करता हूँ कि आप अपनी आत्मा को ऊँडेलेंगे और अपने चर्च को फिर से बसायेंगे।

पिप्पा भी कहते है

3 यूहन्ना 1:2

"मैं प्रार्थना करता हूँ कि तुम अच्छे स्वास्थय का आनंद लो और तुम्हारे साथ सबकुछ अच्छा हो..."

इस क्रिसमस पर यह परिवार और मित्रों के लिए बहुत अच्छी प्रार्थना है।

दिन का वचन

ज़कर्याह – 4:6

"तब उसने मुझे उत्तर देकर कहा, जरूब्बाबेल के लिये यहोवा का यह वचन है: न तो बल से, और न शक्ति से, परन्तु मेरे आत्मा के द्वारा होगा, मुझ सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।"

reader

App

Download the Bible in One Year app for iOS or Android devices and read along each day.

reader

Email

Sign up now to receive Bible in One Year in your inbox each morning. You’ll get one email each day.

Podcast

Subscribe and listen to Bible in One Year delivered to your favourite podcast app everyday.

reader

Website

Start reading today’s devotion right here on the BiOY website.

संदर्भ

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट ऊ 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी", बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइडऍ बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट ऊ 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट ऊ 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

एक साल में बाइबल

  • एक साल में बाइबल

This website stores data such as cookies to enable necessary site functionality and analytics. Find out more