दिन 333

परमेश्वर का सिद्ध समय

बुद्धि भजन संहिता 135:13-21
नए करार 2 पतरस 3:1-18
जूना करार दानिय्येल 4:19-5:16

परिचय

परमेश्वर के पास अपना एक समय हैः’ प्रभु के यहाँ एक दिन हजार वर्ष के बराबर है, और हजार वर्ष एक दिन के बराबर है“ (2पतरस 3:8)। उनके पास सिद्ध समय हैः कभी जल्दी नहीं, कभी देर से नहीं। परमेश्वर कभी जल्दी में नहीं होते, बल्कि वह हमेशा समय पर आते हैं।

आज के लेखांश में हम देखते हैं कि भविष्य के ऊपर परमेश्वर सार्वभौमिक हैं (दानिय्येल 4:32)। ’हम एक नये स्वर्ग और एक नई पृथ्वी की बाट जोह रहे हैं“ (2पतरस 3:13)। परमेश्वर अपने लोगों का बदला लेंगे (भजनसंहिता 135:14)।

लेकिन आप क्या करते हैं जब आप इंतजार कर रहे हैं कि परमेश्वर वह करें जो उन्होंने करने का वायदा किया है?

बुद्धि

भजन संहिता 135:13-21

13 हे यहोवा, तू सदा के लिये प्रसिद्ध होगा।
 हे यहोवा, लोग तुझे सदा सर्वदा याद करते रहेंगे।
14 यहोवा ने राष्ट्रों को दण्ड दिया
 किन्तु यहोवा अपने निज सेवकों पर दयालु रहा।

15 दूसरे लोगों के देवता बस सोना और चाँदी के देवता थे।
 उनके देवता मात्र लोगों द्वारा बनाये पुतले थे।
16 पुतलों के मुँह है, पर बोल नहीं सकते।
 पुतलों की आँख है, पर देख नहीं सकते।
17 पुतलों के कान हैं, पर उन्हें सुनाई नहीं देता।
 पुतलों की नाक है, पर वे सूँघ नहीं सकते।
18 वे लोग जिन्होंने इन पुतलों को बनाया, उन पुतलों के समान हो जायेंगे।
 क्यों? क्योंकि वे लोग मानते हैं कि वे पुतले उनकी रक्षा करेंगे।

19 इस्राएल की संतानों, यहोवा को धन्य कहो!
 हारून की संतानों, यहोवा को धन्य कहो!
20 लेवी की संतानों, यहोवा को धन्य कहो!
 यहोवा के अनुयायियों, यहोवा को धन्य कहो!
21 सिय्योन का यहोवा धन्य है।
 यरूशलेम में जिसका घर है।

 यहोवा का गुणगान करो।

समीक्षा

परमेश्वर पर भरोसा कीजिए

जब आपकी प्रार्थनाओं का उत्तर दिखाई नहीं देता है, तो शायद से आपके पास प्रलोभन आता है कि परमेश्वर पर भरोसा करना छोड़कर दूसरे ’ईश्वरों“ के पीछे जाएँ।

परमेश्वर पर भरोसा करना शायद से पुराना फैशन लगे। लेकिन भजनसंहिता के लेखक कहते हैं,’ हे यहोवा, तेरा नाम सदा स्थिर है, हे यहोवा, जिस नाम से तेरा स्मरण होता है, वह पीढ़ी – पीढ़ी तक बना रहेगा“ (व.13, एम.एस.जी)।

बाईबल की महान सच्चाई यह है कि आप उनकी तरह बन जाते हैं जिन पर आप भरोसा करते हैं। यदि आप चाँदी या सोने के ’ईश्वरों“ पर भरोसा करेंगे, तो आप उनकी तरह बन जाएँगे – आत्मिक रीति से जीवनहीन, अंधे और बहरे (वव.16-18)। यदि आप परमेश्वर पर भरोसा करते हैं, तो आप जीवन और आनंद से भर जाएँगे जैसे ही आप उनकी तरह बन जाते हैं।

परमेश्वर पर भरोसा करते रहिये,’ यहोवा तो अपनी प्रजा का न्याय चुकाएंगे, और अपने दासों की दुर्दशा देखकर तरस खाएंगे“ (व.14)। ’परमेश्वर अपने लोगों के लिए खड़े होते हैं, परमेश्वर अपने लोगों का हाथ थामते हैं“ (व.14, एम.एस.जी)। इसलिए, आप परमेश्वर की स्तुति और सम्मान करने के लिए बुलाए गए हैं (वव.19-21)।

पूरी तरह से परमेश्वर पर निर्भर रहिये और आपका न्याय चुकाने के लिए उनकी ओर देखिये। जब चीजें उस तरह से नहीं होती हैं जैसा कि आप चाहते हैं, तो धीरज रखिये। परमेश्वर से आगे जाने की कोशिश करना बंद कर दीजिए। उनका समय सिद्ध है। उन पर भरोसा कीजिए।

प्रार्थना

परमेश्वर, मैं केवल आप पर भरोसा करता हूँ। आपकी तरह बनने में मेरी सहायता कीजिए – प्रेम, आनंद और शांति से भरा हुआ।
नए करार

2 पतरस 3:1-18

यीशु फिर आयेगा

3हे प्यारे मित्रों, अब यह दूसरा पत्र है जो मैं तुम्हें लिख रहा हूँ। इन दोनों पत्रों में उन बातों को याद दिलाकर मैंने तुम्हारे पवित्र हृदयों को जगाने का जतन किया है, 2 ताकि तुम पवित्र नबियों द्वारा अतीत में कहे गये वचनों को याद करो और हमारे प्रभु तथा उद्धारकर्त्ता के आदेशों का, जो तुम्हारे प्रेरितों द्वारा तुम्हें दिए गए हैं, ध्यान रखो।

3 सबसे पहले तुम्हें यह जान लेना चाहिए कि अंतिम दिनों में स्वेच्छाचारी हँसी उड़ाने वाले हँसी उड़ाते हुए आयेंगे 4 और कहेंगे, “क्या हुआ उसके फिर से आने की प्रतिज्ञा का? क्योंकि हमारे पूर्वज तो चल बसे। पर जब से सृष्टि बनी है, हर बार, वैसे की वैसी ही चली आ रही है।”

5 किन्तु जब वे यह आक्षेप करते हैं तो वे यह भूल जाते हैं कि परमेश्वर के वचन द्वारा आकाश युगों से विद्यमान है और पृथ्वी जल में से बनी और जल में स्थिर है, 6 और इसी से उस युग का संसार जल प्रलय से नष्ट हो गया। 7 किन्तु यह आकाश और यह धरती जो आज अपने अस्तित्व में हैं, उसी आदेश के द्वारा अग्नि के द्वारा नष्ट होने के लिए सुरक्षित हैं। इन्हें उस दिन के लिए रखा जा रहा है जब अधर्मी लोगों का न्याय होगा और वे नष्ट कर दिए जायेंगे।

8 पर प्यारे मित्रों! इस एक बात को मत भूलो: प्रभु के लिए एक दिन हज़ार साल के बराबर है और हज़ार साल एक दिन जैसे हैं। 9 प्रभु अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने में देर नहीं लगाता। जैसा कि कुछ लोग सोचते हैं। बल्कि वह हमारे प्रति धीरज रखता है क्योंकि वह किसी भी व्यक्ति को नष्ट नहीं होने देना चाहता। बल्कि वह तो चाहता है कि सभी मन फिराव की ओर बढ़ें।

10 किन्तु प्रभु का दिन चुपके से चोर की तरह आएगा। उस दिन एक भयंकर गर्जना के साथ आकाश विलीन हो जायेंगे और आकाशीय पिंड आग में जलकर नष्ट हो जायेंगे तथा यह धरती और इस धरती पर की सभी वस्तुएँ जल जाएगी। 11 क्योंकि जब ये सभी वस्तुएँ इस प्रकार नष्ट होने को जा रही हैं तो सोचो तुम्हें किस प्रकार का बनना चाहिए? तुम्हें पवित्र जीवन जीना चाहिए, पवित्र जीवन जो परमेश्वर की अर्पित है तथा हर प्रकार के उत्तम कर्म करने चाहिए। 12 और तुम्हें परमेश्वर के दिन की बाट जोहनी चाहिए और उस दिन को लाने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए। उस दिन के आते ही आकाश लपटों में जल कर नष्ट हो जाएगा और आकाशीय पिण्ड उस ताप से पिघल उठेंगे। 13 किन्तु हम परमेश्वर के वचन के अनुसार ऐसे नए आकाश और नई धरती की बाट जोह रहे हैं जहाँ धार्मिकता निवास करती है।

14 इसलिए हे प्रिय मित्रों, क्योंकि तुम इन बातों की बाट जोह रहे हो, पूरा प्रयत्न करो कि प्रभु की दृष्टि में और शांति में निर्दोष और कलंक रहित पाए जाओ। 15 हमारे प्रभु के धीरज को उद्धार समझो। जैसा कि हमारे प्रिय बन्धु पौलुस ने परमेश्वर के द्वारा दिए गए विवेक के अनुसार तुम्हें लिखा था। 16 अपने अन्य सभी पत्रों के समान उस पत्र में उसने इन बातों के विषय में कहा है। उन पत्रों में कुछ बातें ऐसी हैं जिनका समझना कठिन है। अज्ञानी और अस्थिर लोग उनके अर्थ का अनर्थ करते हैं। दूसरे शास्त्रों के साथ भी वे ऐसा ही करते हैं। इससे वे अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारते हैं।

17 सो हे प्रिय मित्रो, क्योंकि तुम्हें ये बातें पहले से ही पता हैं इसलिए सावधान रहो कि तुम बुराइयों और व्यवस्थाहीन लोगों के द्वारा भटक कर अपनी स्थिर स्थिति से डिग न जाओ। 18 बल्कि हमारे प्रभु तथा उद्धारकर्ता यीशु मसीह की अनुग्रह और ज्ञान में तुम आगे बढ़ते जाओ। अब और अनन्त समय तक उसकी महिमा होती रहे।

समीक्षा

परमेश्वर की ओर फिरें

’जब आप विश्व में होने वाली सभी बुराई को देखते हैं – सभी युद्ध, हिंसा, सताव, भयानक अपराध और बहुत सा कष्ट – शायद से आप आश्चर्य करें कि यीशु वापस क्यों नहीं आते हैं और वह सब ठीक कर देते हैं।

परमेश्वर क्यों देरी करते हैं? क्यों परमेश्वर वापस नहीं आ गए हैं?

पतरस हमें चिताते हैं कि लोग हमारा मजाक उड़ायेंगे और कहेंगे, ’उनके आने की प्रतिज्ञा कहाँ गई?“ (व.4, एम.एस.जी)। वह कहते हैं कि देर करने का एक अच्छा कारण है। परमेश्वर अब तक आये नहीं हैं इसका कारण है कि लोगों को मन फिराने के लिए और समय दिया जाए।

परमेश्वर जल्दी में नहीं हैं। ’ प्रभु के यहाँ एक दिन हजार वर्ष के बराबर है, और हजार वर्ष एक दिन के बराबर है“ (व.8)।

परमेश्वर अपने वायदे को पूरा करने में धीमे नहीं हैं। इसके बजाय उनके धीरज के कारण वह देरी करते हैं:’ पर तुम्हारे विषय में धीरज धरते हैं, और नहीं चाहते कि कोई नष्ट हो, वरन् यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले“ (व.9)। परमेश्वर अपने वायदे में देरी नहीं करते हैं जैसा कि कुछ लोग देरी को समझते हैं। वह आपके कारण अपने आपको रोक रहे हैं, अंत को रोक रहे हैं क्योंकि वह किसी को खोना नहीं चाहते हैं। वह हर किसी को बदलने के लिए जगह और समय दे रहे हैं (व.9, एम.एस.जी)।

पश्चाताप आपके जीवन में दिशा के बदलाव के विषय में हैं। यह सभी बुरी चीजों से हटकर यीशु के पास जाना है। लोगों को मन फिराने का समय देकर, परमेश्वर प्रेम से उनके उद्धार के लिए दरवाजे को पकड़े हुए हैं। ’ हमारे प्रभु के धीरज को उध्दार समझिए“ (व.15, एम.एस.जी)।

उद्धार का यह विषय पौलुस के पत्र का महान विषय है, और इसलिए इस समय पतरस उनका उल्लेख करते हैं। मुझे यह बात उत्साहजनक लगती है कि वह उनका वर्णन इस तरह से करते हैं’ जिनमें कुछ बातें ऐसी हैं जिनका समझना कठिन है“ (व.16) -यदि उन्हें समझने में आपको कठिनाई होती है, तो आप सही स्थान में हैं!

महत्वपूर्ण रूप से, पतरस उनकी तुलना पुराने नियम से करते हैं (’ पवित्रशास्त्र की अन्य बातों की तरह,“ व.16)। ऐसा करके, वह दर्शाते हैं कि आरंभिक कलीसिया और प्रेरितों ने नये नियम के लेखों को समझा कि उनमें वही दैवीय अधिकार था जो पुराने नियम में था।

प्रभु ऐसे समय में आएँगे जब हम अपेक्षा नहीं करते हैं (’एक चोर के समान“, व.10)। जैसा कि हम जानते हैं विश्व ’खाली हो जाएगा“ (व.10)। वहाँ पर ’एक नया स्वर्ग और एक नई पृथ्वी होगी“ (व.13)। भविष्य के विषय में नये नियम का दर्शन यह नहीं कि लोग ’स्वर्ग में ऊपर जाएँगे“ – इसके बजाय ऐसा है कि वहाँ पर ’एक नया स्वर्ग और एक नई पृथ्वी होगी“ (व.13)।

बार-बार, पतरस बताते हैं कि परमेश्वर अपने वचन और अपने वायदे के प्रति वफादार हैं (वव.2,5,7,9,13)। सच्चाई यह है कि जो परमेश्वर कहते हैं वह निश्चित ही होगी।

इस निश्चित, पर देर से होने वाले भविष्य के लिए तैयारी करने का तरीका है,’ तुम्हें पवित्र चाल –चलन“ रखना है और ’ परमेश्वर के उस दिन की बाट किस रीति से जोहनी चाहिए“ (व.11, एम.एस.जी) और ’ यत्न करिए कि तुम शान्ति से उसके सामने निष्कलंक और निर्दोष ठहरो“ (व.14, एम.एस.जी), और ’ हमारे प्रभु और उध्दारकर्ता यीशु मसीह के अनुग्रह और पहचान में बढ़ते जाओ“ (व.18, एम.एस.जी)।

अनुग्रह है प्रेम जिसके हम योग्य नहीं थे। आप अनुग्रह में बढ़ते हैं जैसे ही आप परमेश्वर की ओर फिरते हैं, हर स्थिति में उन पर निर्भर रहते हैं, हर दिन अपनी जरुरतों को उनके पास लाते हैं, जैसे ही आप आतुरता से उनके आगमन की बाट जोहते हैं।

प्रार्थना

परमेश्वर, जैसे ही मैं आपके आगमन का इंतजार करता हूं, मेरी सहायता कीजिए कि एक पवित्र और भक्तिमय जीवन जीऊँ –निर्दोष, निष्कलंक और आपके साथ शांति में पाया जाऊँ।
जूना करार

दानिय्येल 4:19-5:16

19 तब दानिय्येल (जिसका नाम बेलतशस्सर भी था) थोड़ी देर के लिये एकदम चुप हो गया। जिन बातों को वह सोच रहा था, वे उसे व्याकुल किये जा रही थी। सो राजा ने उससे कहा, “हे बेलतशस्सर (दानिय्येल), तू उस सपने या उस सपने के फल से भयभीत मत हो।”

इस पर बेलतशस्सर (दानिय्येल) ने राजा को उत्तर दिया, “हे मेरे स्वामी, काश यह सपना तेरे शत्रुओं पर पड़े और इसका फल, जो तेरे विरोधी हैं, उनको मिले!” 20-21 आपने सपने में एक वृक्ष देखा था। वह वृक्ष बड़ा हुआ और मज़बूत बन गया। वृक्ष की चोटी आसमान छू रही थी। धरती में हर कही से वह वृक्ष दिखाई देता था। उसकी पत्तियाँ सुन्दर थीं और उस पर बहुतायत में फल लगे थे। उन फलो से हर किसी को पर्याप्त भोजन मिलता था। जंगली पशुओं का तो वह घर ही था और उसकी शाखाओं पर चिड़ियों ने बसेरा किया हुआ था। तुमने सपने में ऐसा वृक्ष देखा था। 22 हे राजन, वह वृक्ष आप ही हैं। आप महान और शक्तिशाली बन चुके हैं। आप उस ऊँचे वृक्ष के समान हैं जिसने आकाश छू लिया है और आपकी शक्ति धरती के सुदूर भागों तक पहुँची हुई है।

23 हे राजन, आपने एक पवित्र स्वर्गदूत को आकाश से नीचे उतरते देखा था। स्वर्गदूत ने कहा था वृक्ष को काट डालो और उसे नष्ट कर दो। वृक्ष के तने पर लोहे और काँसे का बन्धेज डाल दो और इसके तने और जड़ो को धरती में ही छोड़ दो। खेत में घास के बीच इसे रहने दो। ओस से ही यह नमी लेता रहेगा।वह किसी जंगली पशु के रूप में रहा करेगा।इसके इसी हाल में सात ऋतु—चक्र (साल) बीत जायेंगे।

24 “हे राजा, आपके स्वप्न का फल यही है। परम प्रधान परमेश्वर ने मेरे स्वामी राजा के प्रति इन बातों के घटने का आदेश दिया है। 25 हे राजा नबूकदनेस्सर, प्रजा से दूर चले जाने के लिये आपको विवश किया जायेगा। जंगली पशुओं के बीच आपको रहना होगा। मवेशियों के समान आप घास से पेट भरेंगे और ओस से भीगेंगे सात ऋतु चक्र (वर्ष) बीत जायेंगे और फिर उसके बाद तुम यह पाठ पढ़ोगे कि परम प्रधान परमेश्वर मनुष्यों के साम्राज्यों पर शासन करता है और वह जिसे भी चाहता है, उसको राज्य दे देता है।

26 “वृक्ष के तने और उसकी जड़ों को धरती में छोड़ देने को आदेश का अर्थ यह है—कि आपका साम्राज्य आपको वापस मिल जायेगा। किन्तु यह उसी समय होगा जब तुम यह जान जाओगे कि तुम्हारे राज्य पर परम प्रधान परमेश्वर का ही शासन है। 27 इसलिये हे राजन, आप कृपा करके मेरी सलाह मानें। मैं आपको यह सलाह देता हूँ कि आप पाप करना छोड़ दें और जो उचित है, वही करें। कुकर्मो का त्याग कर दें। गरीबों पर दयालु हों। तभी आप सफल बने रह सकेंगे।”

28 ये सभी बातें राजा नबूकदनेस्सर के साथ घटीं। 29-30 इस सपने के बारह महीने बाद जब राजा नकूबदनेस्सर बाबुल में अपने महल की छत पर घूम रहा था, तो छत पर खड़े—खड़े ही वह कहने लगा, “बाबुल को देखो! इस महान नगर का निर्माण मैंने किया है। यह महल मेरा है! मैंने अपनी शक्ति से इस विशाल नगर का निर्माण किया है। इस स्थान का निर्माण मैंने यह दिखाने के लिये किया है कि मैं कितना बड़ा हूँ।”

31 ये शब्द अभी उसके मुँह में ही थे कि एक आकाशवाणी हुई। आकाशवाणी ने कहा, “राजा नबूकदनेस्सर, तेरे साथ ये बातें घटेंगी। राजा के रूप में तुझसे तेरी शक्ति छीन ली गयी है। 32 तुझे प्रजा से दूर जाना होगा। जंगली पशुओं के साथ तेरा निवास होगा। तू ढ़ोरों की तरह घास खायेगा। इससे पहले कि तू सबक सीखे, सात ऋतु चक्र (वर्ष) बीत जायेंगे। तब तू यह समझेगा कि मनुष्य के राज्यों पर परम प्रधान परमेश्वर शासन करता है और परम प्रधान परमेश्वर जिसे चाहता है, उसे राज्य दे देता है।”

33 फिर तत्काल ही यह बातें घट गयीं। नबूकदनेस्सर को लोगों से दूर जाना पड़ा। उसने ढ़ोरों की तरह घास खाना शुरू कर दिया। वह ओस में भीगा। किसी उकाब के पंखों के समान उसके बाल बढ़ गये और उसके नाखून ऐसे बढ़ गये जैसे किसी पक्षी के पंजों के नाखून होते हैं।

34 फिर उस समय के अंत में मैं (नकूबदनेस्सर) ने ऊपर स्वर्ग की ओर देखा। मैं फिर सही ढ़ंग से सोचने विचारने लगा। सो मैंने परम प्रधान परमेश्वर की स्तुति की, जो सदा अमर है, मैंने उसे आदर और महिमा प्रदान की।

परमेश्वर शासन सदा करता है!
उसका राज्य पीढ़ी दर पीढ़ीबना रहता है।
35 इस धरती के लोग
सचमुच बड़े नहीं हैं।
परमेश्वर लोगों के साथ जो कुछ चाहता है वह करता है।
स्वर्ग की शक्तियों को कोई भी रोक नहीं पाता है।
उसका सशक्त हाथ जो कुछ करता है
उस पर कोई प्रश्न नहीं कर सकता है।

36 सो, उस अवसर, पर परमेश्वर ने मुझे मेरी बुद्धि फिर दे दी और उसने एक राजा के रूप में मेरा बड़ा मान, सम्मान और शक्ति भी वापस लौटा दी। मेरे मन्त्री और मेरे राजकीय लोग फिर मेरे पास आने लगे। मैं फिर से राजा बन गया। मैं पहले से भी अधिक महान और शक्तिशाली हो गया था 37 और देखो अब मैं, नबूकदनेस्सर स्वर्ग के राजा की स्तुति करता हूँ तथा उसे आदर और महिमा देता हूँ। वह जो कुछ करता है, ठीक करता है। वह सदा न्यायपूर्ण है। उसमें अहंकारी लोगों को विनम्र बना देने की क्षमता है!

दीवार पर अभिलेख

5राजा बेलशस्सर ने अपने एक हजार अधिकारियों को एक बड़ी दावत दी। राजा उनके साथ दाखमधु पी रहा था। 2 राजा बेलशस्सर ने दाखमधु पीते हुए अपने सेवकों को सोने और चाँदी के प्याले लाने को कहा। ये वे प्याले थे जिन्हें उसके दादा नबूकदनेस्सर ने यरूशलेम के मन्दिर से लिया था। राजा बेलशस्सर चाहता था कि उसके शाही लोग, उसकी पत्नियाँ, तथा उसकी दासियाँ इन प्यालों से दाखमधु पियें। 3 सो सोने के वे प्याले लाये गये जिन्हें यरूशलेम में परमेश्वर के मन्दिर से उठाया गया था। फिर राजा ने और उसके अधिकारियों ने, उसकी रानियों ने तथा उसकी दासियों ने, उन प्यालों से दाखमधु पिया। 4 दाखमधु पीते हुए वे अपने देवताओं की मूर्तियों की स्तुति कर रहे थे। उन्होंने उन देवताओं की स्तुति की जो देवता सोने,चाँदी, काँसे,लोहे,लकड़ी और पत्थर के मूर्ति मात्र थे।

5 उसी समय अचानक किसी पुरूष का एक हाथ प्रकट हुआ और दीवार पर लिखने लगा। उसकी उंगलियाँ दीवार के लेप को कुरेदती हुई शब्द लिखने लगीं। दीवार के पास राजा के महल में उस हाथ ने दीवार पर लिखा। हाथ जब लिख रहा था तो राजा उसे देख रहा था।

6 राजा बेलशस्सर बहुत भयभीत हो उठा। डर से उसका मुख पीला पड़ गया और उसके घुटने इस प्रकार काँपने लगे कि वे आपस में टकरा रहे थे। उसके पैर इतने बलहीन हो गये कि वह खड़ा भी नहीं रह पा रहा था। 7 राजा ने तांत्रिकों और कसदियों को अपने पास बुलवाया और उनसे कहा, “मुझे जो कोई भी इस लिखावट को पढ़कर बताएगा और मुझे उसका अर्थ समझा देगा,मैं उसे पुरस्कार दूँगा। उस व्यक्ति को मैं बैंगनी पोशाक भेंट करूँगा। मैं उसके गले में सोने का हार पहनाऊँगा और मैं उसे अपने राज्य का तीसरा सबसे बड़ा शासक बना दूँगा।”

8 सो राजा के सभी बूद्धिमान पुरूष वहा आ गये किन्तु वे उस लिखावट को नहीं पढ़ सके। वे समझ ही नहीं सके कि उसका क्या अर्थ है। 9 राजा बेलशस्सर के हाकिम चक्कर में पड़े हुए थे और राजा तो और भी अधिक भयभीत और चिंतित था। उसका मुख डर से पीला पड़ा हुआ था।

10 तभी जहाँ वह दावत चल रही थी, वहाँ राजा की माँ आई।उसने राजा और उसके राजकीय अधिकारीयों की आवाज़े सुन लीं थी, उसने कहा, “हे राजा, चिरंजीव रह! डर मत! तु अपने मुहँ को डर से इतना पीला मत पड़ने दे! 11 देख, तेरे राज्य में एक ऐसा व्यक्ति है जिसमें पवित्र ईश्वरों की आत्मा बसती है। तेरे पिता के दिनों में इस व्यक्ति ने यह दर्शाया था कि वह रहस्यों को समझ सकता है। उसने यह दिखा दिया था कि वह बहुत चुस्त और बुद्धिमान है। उसने यह प्रकट कर दिया था कि इन बातों में वह ईश्वर के समान है। तेरे दादा राजा नबूकदनेस्सर ने इस व्यक्ति को सभी बुद्धिमान पुरूषों पर मुखिया नियुक्त किया था। वह सभी तांत्रिकों और कसदियों पर हुकूमत करता था। 12 मैं जिस व्यक्ति के बारे में बातें कर रही हूँ उसका नाम दानिय्येल है। किन्तु राजा ने उसे बेलतशस्सर का नाम दे दिया था। बेलतशस्सर (दानिय्येल) बहुत चुस्त है और वह बहुत सी बाते जानता है। वह स्वप्नों की व्याख्या कर सकता है। पहेलियों को समझा सकता है और कठिन से कठिन हलों को सुलझा सकता है। तू दानिय्येल को बुला। दीवार पर जो लिखा है, उसका अर्थ तुझे वही बतायेगा।”

13 सो वह दानिय्येल को राजा के पास ले आये। राजा ने दानिय्येल से कहा, “क्या तेरा नाम दानिय्येल है मेरे पिता महाराज यहूदा से जिन लोगों को बन्दी बनाकर लाये थे, क्या तू उन्ही में से एक है 14 मैंने सुना है, कि ईश्वरों की आत्मा का तुझमें निवास है और मैंने यह भी सुना है कि तू रहस्यों को समझता है, तू बहुत चुस्त और बुद्धिमान है। 15 बुद्धिमान पुरूष और तांत्रिकों को इस दीवार की लिखावट को समझाने के लिए मेरे पास लाया गया। मैं चाहता था कि वे लोग उस लिखावट का अर्थ बतायें। किन्तु दीवार पर लिखी इस लिखावट की व्याख्या वे मुझे नहीं दे पाए। 16 मैंने तेरे बारे में सुना है कि तू बातों के अर्थ की व्याख्या कर सकता है और तू अत्यंत कठिन समस्याओं के उत्तर भी ढ़ँूढ सकता है। यदि दीवार की इस लिखावट को तू पढ़ दे और इसका अर्थ तू मुझे समझा दे तो मैं तुझे यहे वस्तुएँ दूँगा। मैं तुझे बैंगनी रंग की पोशाक प्रदान करूँगा, तेरे गले में सोने का हार पहनाऊँगा। फिर तो तू इस राज्य का तीसरा सबसे बड़ा शासक बन जायेगा।”

समीक्षा

परमेश्वर को धन्यवाद दीजिए

पतन से पहले घमंड आता है – जैसा कि मैंने अपने जीवन में बहुत सी बार खोजा है। जो कुछ हमारे पास है, परमेश्वर से आता है। हमारी अगली सांस के लिए हम उन पर निर्भर हैं। वह भूतकाल, वर्तमान और भविष्य को नियंत्रित करते हैं। धन्यवादिता दीनता को प्रोत्साहित करती है।

’जब जीवन की बात आती है, महत्वपूर्ण बात है कि क्या आप चीजों को हल्के में लेते हैं या धन्यवादिता के साथ उन्हें लेते हैं,“ जी.के. चेस्टर्टन ने लिखा।

परमेश्वर से प्रोत्साहन के एक संदेश को लेकर जाना आसान बात है। फटकार के संदेश को लेकर जाना कम आसान बात है। दानिय्येल ने इसे जटिल और सचेत करने वाला पाया, लेकिन वह परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी थे (4:19)।

जो गलती नबूकदनेसर ने की, और जो हम सभी समय-समय पर करते हैं, वह यह सोचना है कि जो कुछ उन्होंने पाया था वह उनके कारण थाः ’ ’क्या यह बड़ा बेबीलोन नहीं है, जिसे मैंने ही अपने बल और सामर्थ से राजनिवास होने को और अपने प्रताप की बड़ाई के लिये बसाया है?“ (व.30)। इस तरह से ’मैं“ और ’मेरा“ इस्तेमाल करने में सतर्क हो जाईये!

नबूदकनेसर को जो सीख परमेश्वर देना चाहते थे, और जो कभी कभी हमें सीखाने की आवश्यकता है, वह है कि जो कुछ आपके पास है वह परमेश्वर की ओर से एक उपहार है -’ परमप्रधान, मनुष्यों के राज्य में प्रभुता करता है और जिसे चाहे वह उसे दे देता है“ (व.32)।

हमारे आत्मिक वरदान, शरीर, परिवार, घर, समझ, रूप, पैसा, खेल-कूद की योग्यता – सभी परमेश्वर की ओर से उपहार हैं। किसी भी सफलता के प्रति आपका उत्तर घमंड या खुद को बधाई देने वाला नहीं होना चाहिए, बल्कि परमेश्वर की स्तुति और धन्यवादिता होना चाहिए – जो उन्होंने आपको दिया है, उसके लिए परमेश्वर का सम्मान करते हुए और उन्हें ऊंचा उठाते हुए (वव.34-37)।

नबूकदनेसर ने चीजों को हल्के में लिया और परमेश्वर ने उनके लिए जो किया था, उसके लिए उन्होंने परमेश्वर को धन्यवाद और महिमा नहीं दी। इसके बजाय, उन्होंने यह सब को अपने हाथों के काम के रूप में देखा।

जब नबूकदनेसर सुधर गए तब उन्होंने जान लिया कि जो कुछ उनके पास था परमेश्वर ने दिया था। अपने लिए महिमा लेने के बजाय, उन्होंने परमेश्वर को धन्यवाद दिया और उनकी महिमा के,’गीत गाते हुए और स्वर्ग के राजा की स्तुति करते हुए“ (वव.34-37)।

दीनता का अर्थ यह ढ़ोंग करना नहीं है कि आपके पास वह नहीं है जो कि आपके पास है, बल्कि इसका अर्थ यह है जो आपके पास है उसके स्रोत को पहचानना, और इसके लिए उनकी स्तुति करनाः ’ अब मैं नबूकदनेस्सर स्वर्ग के राजा को सराहता हूँ; और उसकी स्तुति और महिमा करता हूँ क्योंकि उनके सब काम सच्चे, और उनके सब व्यवहार न्याय के हैं“ (व.37)।

इन शब्दों के साथ उन्होंने गवाही दी,’ जो लोग घमण्ड से चलते हैं, उन्हें वह नीचा कर सकता है“ (व.37ब, एम.एस.जी)।

दानिय्येल नबूकदनेसर से कहते हैं,’ इस कारण, हे राजा, मेरी यह सम्मति स्वीकार कर, कि यदि तू पाप छोड़कर सत्यनिष्ठ बनने लगे, और बुराई छोड़कर दीन-हीनों पर दया करने लगे,तो संभव है कि ऐसा करने से तेरा चैन बना रहे“ (व.27, एम.एस.जी)।

अगली पीढ़ी ने भूतकाल से सबक नहीं सीखा। राजा बेलशस्सर ने केवल परमेश्वर की उपासना करने की आज्ञा को तोड़ दिया, और ’ सोने, चाँदी, पीतल, लोहे, काठ और पत्थर के देवताओं की स्तुति की“ (5:4)।

जैसा कि नबूकदनेसर के साथ था, वैसे ही बेलशस्सर के जीवन में डर छिपा हुआ था – वह परमेश्वर के साथ शांति में नहीं थे। दोनों को परमेश्वर ने चेतावनी दी और बताया कि क्या करना है। अंतर यह है कि नबूकदनेसर ने पश्चाताप किया, अपने आपको दीन किया, परमेश्वर को पहचाना और उनको धन्यवाद दिया, जबकि बेलशस्सर ने ऐसा नहीं किया।

दानिय्येल ’अपनी समझदारी और आत्मिक बुद्धि“ के लिए प्रसिद्ध थे (व.11, एम.एस.जी)। वह पवित्र आत्मा से भरे हुए थे। वहाँ पर घमंड का बहुत अधिक प्रलोभन आया होगा। फिर भी दानिय्येल दीनतापूर्वक परमेश्वर पर निर्भर रहे, उन्हें सारी महिमा और सम्मान और धन्यवाद देते हुए।

प्रार्थना

परमेश्वर, आपका धन्यवाद कि आप इस ब्रह्मांड के अधिकारी हैं और जो कुछ मेरे पास है वह आपसे आता है। मैं आपको सारी स्तुति, सम्मान और महिमा देना चाहता हूँ।

पिप्पा भी कहते है

2 पतरस 3:10

’परन्तु प्रभु का दिन चोर के समान आ जाएगा, उस दिन आकाश बड़ी गड़गड़ाहट के शब्द से जाता रहेगा और तत्व बहुत ही तप्त होकर पिघल जाएँगे और पृथ्वी और उस पर के काम जल जाएँगे“।

’प्रभु का दिन“ भयानक लगता है, लेकिन वचन 11 हमें ’पवित्र और भक्तिमय जीवन जीने“ के लिए कहता है। वचन 12 कहता है,’ परमेश्वर के उस दिन की बाट किस रीति से जोहनी चाहिए और उनके जल्द आने के लिये कैसा यत्न करना चाहिए।“

दिन का वचन

भजन संहिता - 135:14

"यहोवा तो अपनी प्रजा का न्याय चुकाएगा, और अपने दासों की दुर्दशा देख कर तरस खाएगा।"

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संदर्भ

जी.के.चेस्टर्टन, इरिश इम्प्रेशन (लंदन कॉलिन, 1990) पी.24

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइडऍ बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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