दिन 332

कैसे उत्साहित बनें

बुद्धि नीतिवचन 29:1-9
नए करार 2 पतरस 2:1-22
जूना करार दानिय्येल 3:13-4:18

परिचय

एच.टी.बी में कुछ सालों पहले, मैंने साहस और विश्वास के दो लोगों से बातचीत की। पहला, बेन फ्रिथ, यीशु मसीह में अपने विश्वास के द्वारा उत्साहित होकर, उन्होंने जिम्बाब्वे में अन्यायी शासन प्रणाली के विरूद्ध एक साहसी कदम उठाया। इसके परिणामस्वरूप, उन्हें पीटा गया, सताया गया और उनके सामने उनके बूढ़े सास और ससुर को सताया गया, जिसके कारण बाद में उनकी मृत्यु हो गई। फिर भी उनके कष्टों के बीच में, उन्होंने सताने वालों से प्रेम करना और उन्हें आशीष देना चुना।

दूसरे विश्व भर में से साठ देशों में से एक में से एक पास्टर थे, जहाँ पर अब भी मसीहों का भौतिक सताव होता है। उन्हें जेल में डाल दिया गया और एक बार यीशु मसीह में उनके विश्वास के कारण उन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई गई। तब भी तीक्ष्ण कष्ट के सामने उन्होंने अपने विश्वास को नकारना अस्वीकार कर दिया।

इस तरह के पुरुषों और महिलाओं का जीवन बहुत ही उत्साहजनक, चुनौतीपूर्ण और प्रोत्साहित करने वाला है।

बुद्धि

नीतिवचन 29:1-9

29जो घुड़कियाँ खाकर भी अकड़ा रहता है,
 वह अचानक नष्ट हो जायेगा। उसका उपाय तक नहीं बचेगा।

2 जब धर्मी जन का विकास होता है, तो लोग आनन्द मनाते हैं।
 जब दुष्ट शासक बन जाता है तो लोग कराहते हैं।

3 ऐसा जन जो विवेक से प्रेम रखता है, पिता को आनन्द पहुँचाता है।
 किन्तु जो वेश्याओं की संगत करता है, अपना धन खो देता है।

4 न्याय से राजा देश को स्थिरता देता है।
 किन्तु राजा लालची होता तो लोग उसे घूँस देते हैं अपना काम करवाने के लिये। तब देश दुर्बल हो जाता है।

5 जो अपने साथी की चापलूसी करता है
 वह अपने पैरों के लिये जाल पसारता है।

6 पापी स्वयं अपने जाल में फंसता है।
 किन्तु एक धर्मी गाता और प्रसन्न होता है।

7 सज्जन चाहते हैं कि गरीबों को न्याय मिले किन्तु दुष्टों को
 उनकी तनिक चिन्ता नहीं होती।

8 जो ऐसा सोचते हैं कि हम दूसरों से उत्तम हैं,
 वे विपत्ति उपजाते और सारे नगर को अस्त—व्यस्त कर देते हैं। किन्तु जो बुद्धिमान होते हैं, शान्ति को स्थापित करते हैं।

9 बुद्धिमान जन यदि मूर्ख के साथ में वाद—विवाद सुलझाना चाहता है,
 तब मूर्ख कुतर्क करता है और उल्टी—सीधी बातें करता जिससे दोनों के बीच सन्धि नहीं हो पाती।

समीक्षा

न्याय के उत्साहित करने वाले चैम्पियन

’मैं चर्च, व्यक्तियों और उन संस्थाओं के उदाहरण के द्वारा उत्साहित हो जाता हूँ जो गरीबों के न्याय के लिए बहुत चिंता करते हैं। बाईबल में गरीबी और न्याय के बारे में बहुत कुछ लिखा है। ’गरीबी और न्याय बाईबल“ दो हजार से अधिक वचनो में दर्शाया गया है जो हमें इन बातों के लिए जागृत करता है।

न्याय से सच में अंतर पड़ता है। ’ राजा न्याय से देश को स्थिर करता है, परन्तु जो बहुत घूस लेता है उसको उलट देता है“ (व.4)। ऐसे एक स्थान में रहना भयानक बात है जहाँ पर न्यायाधीश और राजनैतिज्ञों के द्वारा घूस लिया जाना सामान्य बात है। ’ राजा न्याय से देश को स्थिर करता है, परन्तु जो बहुत घूस लेता है उसको उलट देता है“ (व.4, एम.एस.जी)।

कोई न्याय व्यवस्था सिद्ध नहीं है। किंतु, ऐसे एक देश में रहना सम्मान की बात है जिसमें अच्छी न्याय व्यवस्था है।

’ जब सत्यनिष्ठ लोग शिरोमणि होते हैं, तब प्रजा आनन्दित होती है; परन्तु जब दुष्ट प्रभुता करता है तब प्रजा हाय – हाय करती है“ (व.2)। दूसरे शब्दों में’ जब अच्छे लोग चीजों को चला रहे होते हैं, तब सभी खुश होते हैं, लेकिन जब चलाने वाला बुरा हो, तो हर कोई व्यक्ति हाय-हाय करता है“ (व.2, एम.एस.जी)।

बुरे मनुष्य का अपराध फन्दा होता है, परन्तु सत्यनिष्ठ आनन्दित होकर जयजयकार करता है (व.6)।

’गरीबों के लिए न्याय“ के विषय में चिंता करना (व.7) एक सत्यनिष्ठ जीवन का चिह्न हैः’ सत्यनिष्ठ पुरुष कंगालो के मुकद्दमे में मन लगाता है; परन्तु दुष्ट जन उसे जानने की समझ नहीं रखता“ (व.7, एम.एस.जी)।

प्रार्थना

परमेश्वर हमारी सहायता कीजिए कि इस विश्व में एक सच्चा अंतर पैदा कर पायें, गरीबों, बेघर, कैदियों और भूखों को न्याय दिलाने का प्रयास करने में।
नए करार

2 पतरस 2:1-22

झूठे शिक्षक

2जैसा भी रहा हो उन संत जनों के बीच जैसे झूठे नबी दिखाई पड़ने लगे थे बिलकुल वैसे ही झूठे नबी तुम्हारे बीच भी प्रकट होंगे। वे घातक धारणाओं का सूत्र-पात करेंगे और उस स्वामी तक को नकार देंगे जिसने उन्हें स्वतन्त्रता दिलायी। ऐसा करके वे अपने शीघ्र विनाश को निमन्त्रण देंगे। 2 बहुत से लोग उनकी भोग-विलास की प्रवृत्तियों का अनुसरण करेंगे। उनके कारण सच्चाई का मार्ग बदनाम होगा। 3 लोभ के कारण अपनी बनावटी बातों से वे तुमसे धन कमाएँगे। उनका दण्ड परमेश्वर के द्वारा बहुत पहले से निर्धारित किया जा चुका है। उनका विनाश तैयार है और उनकी प्रतीक्षा कर रहा है।

4 क्योंकि परमेश्वर ने पाप करने वाले दूतों तक को जब नहीं छोड़ा और उन्हें पाताल लोक की अन्धेरे से भरी कोठरियों में डाल दिया कि वे न्याय के दिन तक वहीं पड़े रहें।

5 उसने उस पुरातन संसार को भी नहीं छोड़ा किन्तु नूह की उस समय रक्षा की जब अधर्मियों के संसार पर जल-प्रलय भेजी गयी थी। नूह उन आठ व्यक्तियों में से एक था जो जल प्रलय से बचे थे। धार्मिकता का प्रचारक नूह उपदेश दिया करता था।

6 सदोम और अमोरा जैसे नगरों को विनाश का दण्ड देकर राख बना डाला गया ताकि अधर्मी लोगों के साथ जो बातें घटेंगी, उनके लिए यह एक चेतावनी ठहरे। 7 उसने लूत को बचा लिया जो एक नेक पुरुष था। वह उद्दण्ड लोगों के अनैतिक आचरण से दुःखी रहा करता था। 8 वह धर्मी पुरुष उनके बीच रहते हुए दिन-प्रतिदिन जैसा देखता था और सुनता था, उससे उनके व्यवस्था रहित कर्मो के कारण, उसकी सच्ची आत्मा तड़पती रहती थी।

9 इस प्रकार प्रभु जानता है कि भक्तों को न्याय के दिन तक कैसे बचाया जाता है और दुष्टों को दण्ड के लिए कैसे रखा जाता है। 10 विशेष कर उनको जो अपनी पापपूर्ण प्रकृति की बुरी वासनाओं के पीछे चलते हैं और प्रभु की प्रभुता से घृणा रखते हैं।

ये अपने आप पर घमेड़ करते हैं। ये महिमावान का अपमान करने से भी नहीं डरते। 11 जब कि ये स्वर्गदूत जो शक्ति और सामर्थ्य में इन लोगों से बड़े हैं, प्रभु के सामने उन पर कोई निन्दापूर्ण दोष नहीं लगाते।

12 किन्तु ये लोग तो विचारहीन पशुओं के समान हैं जो अपनी सहजवृत्ति के अनुसार काम करते हैं। जिनका जन्म ही इसलिए होता है कि वे पकड़े जायें और मार डाले जायें। वे उन विषयों के विरोध में बोलते है, जिनके बारे में वे अबोध हैं। जैसे पशु मार डाले जाते हैं, वैसे ही इन्हें भी नष्ट कर दिया जायेगा। 13 इन्हें बुराई का बदला बुराई से मिलेगा। दिन के प्रकाश में भोग-विलास करना इन्हें भाता है।

ये लज्जापूर्ण धब्बे हैं। ये लोग जब तुम्हारे साथ उत्सवों में सम्मिलित होते हैं तो 14 ये सदा किसी ऐसी स्त्री की ताक में रहते हैं जिसके साथ व्यभिचार किया जा सके। इस प्रकार इनकी आँखें पाप करने से बाज़ नहीं आतीं। ये अस्थिर लोगों को पाप के लिए फुसला लेते हैं। इनके मन पूरी तरह लालच के आदी हैं। ये अभिशाप के पुत्र हैं।

15 सीधा-सादा मार्ग छोड़कर ये भटक गये हैं। बओर के बेटे बिलाम के मार्ग पर ये लोग अग्रसर हैं; बिलाम, जिसे बंदी की मज़दूरी प्यारी थी। 16 किन्तु उसके बुरे कामों के लिए एक गदही, जो बोल नहीं पाती, मनुष्य की वाणी में बोली और उसे डाँटा फटकारा और उस नबी के उन्मादपूर्ण काम करने से रोका।

17 ये झूठे उपदेशक सूखे जल स्रोत हैं तथा ऐसे जल रहित बादल हैं जिन्हें तूफान उड़ा ले जाता है। इनके लिए सघन अन्धकारपूर्ण स्थान निश्चित किया गया है। 18 ये उन्हें जो भटके हुओं से बच निकलने का अभी आरम्भ ही कर रहे हैं, अपनी व्यर्थ की अहंकारपूर्ण बातों से उनकी भौतिक वासनापूर्ण इच्छाओं को जगा कर सत् पथ से डिगा लेते हैं। 19 ये झूठे उपदेशक उन्हें छुटकारे का वचन देते हैं। क्योंकि कोई व्यक्ति जो उसे जीत लेता है, वह उसी का दास हो जाता है।

20 सो यदि ये हमारे प्रभु एवं उद्धारकर्त्ता यीशु मसीह को जान लेने और संसार के खोट से बच निकलने के बाद भी फिर से उन ही में फंस कर हार गये हैं, तो उनके लिए उनकी यह बाद की स्थिति, उनकी पहली स्थिति से कहीं बुरी है 21 क्योंकि उनके लिए यही अच्छा था कि वे इस धार्मिकता के मार्ग को जान ही नहीं पाते बजाय इसके कि जो पवित्र आज्ञा उन्हें दी गयी थी, उसे जानकर उससे मुँह फेर लेते। 22 उनके साथ तो वैसे ही घटी जैसे कि उन सच्ची कहावतों में कहा गया है: “कुत्ता अपनी उल्टी के पास ही लौटता है।” और “एक नहलायी हुई सुअरनी कीचड़ में लोट लगाने के लिए फिर लौट जाती है।”

समीक्षा

उत्साहित करने वाला भक्तिमय जीवन

मैं आज अपने आस-पास उन लोगों के उदाहरण के लिए बहुत ही आभारी हूँ जैसे कि बिशप सॅन्डि मिलर, फादर रेनियरो कॅन्टालमेसा और बहुत से कम प्रचलित दूसरे, जो अपने उदाहरण और भक्तिमयता के द्वारा हमें उत्साहित करते हैं।

नया नियम धोखा देने वाले और खतरनाक लीडर्स के विरूद्ध चेतावनी देता है जो ’ नाश करने वाले पाखण्ड का उद्घाटन छिपकर करेंगे“ (व.1)। हमने हाल ही में शिंचिओंजी नामक साऊथ कोरियन लोकप्रियता का अनुभव किया है, जो लंदन के चर्च में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे हैं और अब विश्व भर में, नये विश्वासियों के लिए ’बाईबल अध्ययन“ करते हुए। इस ’बाईबल अध्ययन“ के शिक्षक अपने अनुयायियों को झूठ बोलना और धोखा देना सिखाते हैं। यह अध्याय मजबूती से वचनो के द्वारा झूठे भविष्यवक्ताओ और दुराचारी शिक्षकों पर प्रहार करता है।

पतरस, नूह और लूत के जीवन की तुलना ’झूठे शिक्षको“ के साथ करते हैं (व.1)।

नूह,’सत्यनिष्ठा की एकमेव आवाज“ (व.5, एम.एस.जी),’भक्तिहीन लोगों“ के बीच रहते थे लेकिन वे ’सत्यनिष्ठा के एक प्रचारक“ थे (व.5)।

लूत भी एक ’अच्छे व्यक्ति“ थे (व.8, एम.एस.जी)। वह ’एक सत्यनिष्ठ व्यक्ति थे, जो भक्तिहीन लोगों के व्यर्थ जीवन के द्वारा दुखी थे“ (व.7)।

पतरस नूह और लूत का उदाहरण देते हैं, उन लोगों के सामने जिन्हें वह पत्र लिख रहे हैं,’ जिस प्रकार उन लोगों में झूठे भविष्यद्वक्ता थे, उसी प्रकार तुम में भी झूठे उपदेशक होंगे, जो नाश करने वाले पाखण्ड का उद्घाटन छिपकर करेंगे, और उस स्वामी का जिसने उन्हें मोल लिया है इन्कार करेंगे, और अपने आपको शीघ्र विनाश में डाल देंगे। बहुत से उन के समान लुचपन करेंगे, जिनके कारण सत्य के मार्ग की निन्दा की जाएगी“ (1-2)।

ये झूठे शिक्षक दूसरे मसीह लीडर्स नहीं हैं जिनके साथ पतरस असहमत हैं। उनका जीवन और शिक्षाएँ पूरी तरह से मसीह विश्वास के विरूद्ध हैं:’ उनकी आँखों में व्यभिचार बसा हुआ है, और वे पाप किए बिना रुक नहीं सकते... उनके मन को लोभ करने का अभ्यास हो गया है... वे सीधे मार्ग को छोड़कर भटक गए हैं“ (वव.14-15)। ’ वे व्यर्थ घमण्ड की बातें कर करके लुचपन के कामों के द्वारा, उन लोगों को शारीरिक अभिलाषाओं में फँसा लेते हैं जो भटके हुओं में से अभी निकल ही रहे हैं“ (व.18)। ’ वे उन्हें स्वतंत्र करने की प्रतिज्ञा तो करते हैं, पर आप ही सड़ाहट के दास हैं; क्योंकि जो व्यक्ति जिससे हार गया है, वह उसका दास बन जाता है“ (व.19)।

यहाँ पर पतरस जिन चीजों का वर्णन करते हैं वह बहुत ही प्रलोभित करने वाली है –इसीलिए वह इन लीडर्स के विषय में बहुत चिंतित हैं। भोग – विलास करने वाले (व.13), व्यभिचार (वव.14,18-19) और पैसे के पीछे भागना (व.15), ऐसे सभी वर्णन आज इन चीजों को एक साथ मिलाते हैं।

झूठे शिक्षक उन्हें स्वतंत्र करने की प्रतिज्ञा तो करते हैं, पर आप ही सड़ाहट के दास हैं; क्योंकि जो व्यक्ति जिससे वह हार गया है, वह उसका दास बन जाता है (वव.18-19)। किंतु, सच्ची स्वतंत्रता केवल परमेश्वर के मार्गों में ही पायी जाती है, ऐसी किसी फुसलाहट में नहीं जो वायदा बहुत करती है लेकिन असल में यह खाली है। जो उनके पीछे जाते हैं और उनकी सलाह देते हैं वे ’ लोग सूखे कुएँ, और आँधी के उड़ाए हुए बादल हैं“ (व.17)।

यह एक भयानक चेतावनी हैः ’ जब वे प्रभु और उध्दारकर्ता यीशु मसीह की पहचान के द्वारा संसार की नाना प्रकार की अशुध्दता से बच निकले, और फिर उनमें फँसकर हार गए, तो उनकी पिछली दशा पहली से भी बुरी होगी। क्योंकि सत्यनिष्ठा के मार्ग का न जानना ही उनके लिये इससे भला होता कि उसे जानकर, उस पवित्र आज्ञा से फिर जाते जो उन्हें सौंपी गई थी“ (वव.20-21)।

प्रार्थना

परमेश्वर, विश्व का खिंचाव बहुत अधिक है। मेरी सहायता कीजिए कि कभी भी आपसे दूर न जाऊँ, मेरे प्रभु और उद्धारकर्ता, यीशु मसीह।
जूना करार

दानिय्येल 3:13-4:18

13 इस पर नबूकदनेस्सर क्रोध में आग—बबूला हो उठा। उसने शद्रक, मेशक और अबेदनगो को बुलवा भेजा। सो उन लोगों को राजा के सामने लाया गया। 14 राजा नबूकदनेस्सर ने उन लोगों से कहा, “अरे शद्रक, मेशक और अबेदनगो। क्या यह सच है कि तुम मेरे देवताओं की पूजा नहीं करते और क्या यह भी सच है कि तुम मेरे द्वारा स्थापित करायी गयी सोने की प्रतिमा के आगे न तो झुकते हो, और न ही उसकी पूजा करते हो 15 अब देखो, तुम जब नरसिंगों, बाँसुरियों, सितारों, सात तारों के बाजों, वाणाओं, मशक—शहनाइयों तथा हर तरह के दूसरे वाद्य—यन्त्रों की ध्वनि सुनो तो तुम्हें सोने को प्रतिमा के आगे झुक कर उसकी पूजा करनी होगी।यदि तुम मेरे द्वारा बनवाई गई उस मूर्ति की पूजा करने को तैयार हो, तब तो अच्छा है किन्तु यदि उसकी पूजा नही करते हो तो तुम्हें तत्काल ही धधकती हुई भट्टी में झोंक दिया जायेगा। फिर तुम्हें कोई भी देवता मेरी शक्ति से बचा नहीं पायेगा!”

16 शद्रक, मेशक और अबेदनगो ने उत्तर देते हुए राजा से कहा, “हे नबूकदनेस्सर, हमें तुझसे इन बातों की व्याख्या करने की आवश्यकता नही है! 17 यदि हमारा परमेश्वर जिसकी हम उपासना करते हैं, उसका अस्तित्व है तो वह इस जलती हुई भट्टी से हमें बचा लेने में समर्थ है। सो अरे ओ राजा, वह हमें तेरी ताकत से बचा लेगा। 18 किन्तु राजा, हम यह चाहते हैं कि तू इतना जान ले कि यदि परमेश्वर हमारी रक्षा न भी करे तो भी हम तेरे देवताओं की सेवा से इन्कार करते हैं। सोने की जो प्रतिमा तूने स्थापित कराई है हम उसकी पूजा नहीं करेंगे।”

19 इस पर तो नबूकदनेस्सर क्रोध से भड़क उठा। उसने शद्रक, मेशक और अबेदनगो की ओर घृणा से देखा। उसने आज्ञा दी कि वह भट्टी को जितनी वह तपा करती है, उसे उससे सात गुणा अधिक दहकाया जाये। 20 इसके बाद नबूकदनेस्सर ने अपनी सेना के कुछ बहुत मज़बूत सैनिकों को आज्ञा दी कि वे शद्रक, मेशक और अबेदनगो को बाँध लें। राजा ने उन सैनिकों को आज्ञा दी कि वे शद्रक, मेशक और अबेदनगो को धधकती भट्टी में झोंक दें।

21 सो शद्रक, मेशक और अबेदनगो को बाँध दिया गया और फिर धधकती भट्टी में धकेल दिया गया। उन्होंने अपने वस्त्र—अंगरखे,पतलूनें और टोप तथा अन्य कपड़े पहन रखे थे। 22 जिस समय राजा ने यह आज्ञा दी थी उस समय वह बहुत क्रोधित था, इसलिये उन्होंने तत्काल ही भट्टी को बहुत अधिक तपा लिया! आग इतना अधिक भड़क रही थी कि उसकी लपटों से वे शक्तिशाली सैनिक मर गये! वे सैनिक उस समय मारे गये जब उन्होंने आग के पास जाकर शद्रक, मेशक और अबेदनगो को आग में धकेला था। 23 शद्रक, मेशक और अबेदनगो आग में गिर गये थे। उन्हें बहुत कस कर बाँधा हुआ था।

24 इस पर राजा नबूकदनेस्सर उछल कर अपने पैरों, पर खड़ा हो गया। उसे बहुत आश्चर्य हो रहा था। उसने अपने मंत्रियों से पूछा, “यह ठीक है न कि हमने तो बस तीन व्यक्तियों को बंधवाया था और आग में उन्हीं तीन को डलवाया था”

उसके मंत्रियों ने उत्तर दिया, “हाँ महाराज।”

25 राजा बोला, “देखो, मुझे तो आग के भीतर इधर—उधर घूमते हुए चार व्यक्ति दिखाई दे रहे हैं। वे बंधे हुए नहीं हैं और आग उनका कुछ नही बिगाड़ पाई है। देखो, वह चौथा पुरूष तो किसी स्वर्गदूत जैसा दिखाई दे रहा है!”

26 इसके बाद नबूकदनेस्सर जलती हुई भट्टी के मुहँ पर गया। उसने जोर से पुकार कर कहा, “शद्रक, मेशक और अबेदनगो, बाहर आओ! परम प्रधान परमेश्वर के सेवकों बाहर आओ!”

सो शद्रक, मेशक और अबेदनगो आग से बाहर निकल आये। 27 जब वे बाहर आये तो प्रांत के राज्यपालों, हाकिमों, आधिपतियों और राजा के मंत्रियों ने उनके चारों तरफ भीड़ लगा दी। वे देख पा रहे थे कि उस आग ने शद्रक, मेशक और अबेदनगो को छुआ तक नहीं है। उनके शरीर जरा भी नहीं जले थे। उनके बाल झुलसे तक नहीं थे। उनके कपड़ों को आँच तक नहीं आई थी। उनके शरीर से ऐसी गंध तक नहीं निकल रही थी जैसे वे आग के आस—पास भी गए हों।

28 फिर नबूकदनेस्सर ने कहा, “शद्रक, मेशक और अबेदनगो के परमेश्वर की प्रस्तुति करो। उनके परमेश्वर ने अपने स्वर्गदूत को भेजकर, अपने सवकों की आग से रक्षा की है! इन तीनों पुरूषों की अपने परमेश्वर में आस्था थी। इन्होंने मेरे अदेश को मानने से मना कर दिया और दूसरे किसी देवता की सेवा या पूजा करने के बजाय उन्होंने मरना स्वीकार किया। 29 सो आज से मैं यह नियम बनाता हूँ: किसी भी देश अथवा किसी भी भाषा को बोलने वाला कोई व्यक्ति यदि शद्रक, मेशक और अबेदनगो के परमेश्वर के विरोध में कुछ कहेगा तो उसके टुकड़े—टकड़े कर दिये जायेंगे और उसके घर को उस समय तक तोड़ा—फोड़ा जायेगा, जब तक वह मलबे और राख का ढेर मात्र न रह जाये। कोई भी दूसरा देवता अपने लोगों को इस तरह नही बचा सकता।” 30 इसके बाद राजा ने शद्रक, मेशक और अबेदनगो को बाबुल के प्रदेश में और अधिक महत्वपूर्ण पद प्रदान कर दिये।

एक पेड़ के बारे में नबूकदनेस्सर का स्वप्न

4राजा नबूकदनेस्सर ने बहुत सी जातियों और दूसरी भाषा बोलने वाले लोगों को, जो सारी दुनिया में बसे हुये थे, यह पत्र भेजा।

शुभकामनाएँ:

2 परम प्रधान परमेश्वर ने मेरे साथ जो आश्चर्यजनक अद्भुत बातें की हैं, उनके बारे में तुम्हें बताते हुए मुझे बहुत प्रसन्नता है।

3 अद्भुत चमत्कार किये हैं!
परमेश्वर ने शक्ति पूर्ण चमत्कार किये हैं!
परमेश्वर का राज्य सदा टिका रहता है;
परमेश्वर का शासन पीढ़ी दर पीढ़ी बना रहता है।

4 मैं, नबूकदनेस्सर, अपने महल में था। मैं प्रसन्न और सफल था। 5 मैंने एक सपना देखा जिसने मुझे डरा दिया। मैं अपने बिस्तर में सो रहा था। मैंने दर्शनों को देखा। जो कुछ मैंने देखा था, उसने मुझे बहुत डरा दिया। 6 सो मैंने यह आज्ञा दी कि बाबुल के सभी बुद्धिमान लोगों को मेरे पास लाया जाये ताकि वे मुझे मेरे स्वप्न का फल बतायें। 7 जब तांत्रिक और कसदी लोग मेरे पास आये तो मैंने उन्हें अपने सपने के बारे में बताया। किन्तु वे लोग मुझे मेरे सपने का अर्थ नहीं बता पाये। 8 अंत में दानिय्येल मेरे पास आया (मैंने अपने ईश्वर को सम्मानित करने के लिये दानिय्येल को बेलतशस्सर नाम दिया था। पवित्र ईश्वरों की आत्मा का उसमें निवास है।) दानिय्येल को मैंने अपना सपना कह सुनाया। 9 मैंने उसे कहा, “हे बेलतशस्सर, तू सभी तांत्रिकों में सबसे बड़ा है। मुझे पता है कि तुझमें पवित्र ईश्वर की आत्मा वास करती है। मैं जानता हूँ कि किसी भी रहस्य को समझना तेरे लिये कठिन नहीं है। मैंने जो सपना देखा था, वह यह है। तू मझे इसका अर्थ समझा। 10 जब मैं अपने बिस्तर में लेटा हुआ था तो मैंने जो दिव्य दर्शन देखे, वे ये हैं। मैंने देखा कि मेरे सामने धरती के बीचों—बीच एक वृक्ष खड़ा है। वह वृक्ष बहुत लम्बा था। 11 वृक्ष बड़ा होता हुआ एक विशाल मज़बूत वृक्ष बन गया। वृक्ष की चोटी आकाश छूने लगी। उस वृक्ष को धरती पर कहीं से भी देखा जा सकता था। 12 वृक्ष की पत्तियाँ सुन्दर थीं। वृक्ष पर बहुत अच्छे फल बहुतायत में लगे थे और उस वृक्ष पर हर किसी के लिये भरपूर खाने को था। जंगली जानवर वृक्ष के नीचे आसरा पाये हुए थे और वृक्ष की शाखाओं पर चिड़ियों का बसेरा था। हर पशु पक्षी उस वृक्ष से ही भोजन पाता था।

13 “अपने बिस्तर पर लेटे—लेटे दर्शन में मैं उन वस्तुओं को देख रहा था और तभी एक पवित्र स्वर्गदूत को मैंने स्वर्ग से नीचे उतरते हुए देखा। 14 वह बड़े ऊँचे स्वर में बोला। उसने कहा, ‘वृक्ष को काट फेंको। इसकी टहनियों को काट डालो। इसकी पत्तियों को नोच लो। इसके फलों को चारों ओर बिखेर दो। इस वृक्ष के नीचे आसरा पाये हुए पशु कहीं दूर भाग जायेंगे। इसकी शाखाओं पर बसेरा किये हुए पक्षी कहीं उड़ जायेंगे। 15 किन्तु इसके तने और इसकी जड़ों को धरती में रहने दो। इसके चारों ओर लोहे और काँसे का एक बंधेज बांध दो। अपने आस पास उगी घास के साथ इसका तना और इसकी जड़ें धरती में रहेंगी। जंगली पशुओं और पेड़ पौधों के बीच यह खेतों में रहेगा। ओस से वह नम हो जायेगा। 16 वह अधिक समय तक मनुष्य की तरह नहीं सोचेगा। उसका मन पशु के मन जैसा हो जायेगा। उसके ऐसा ही रहते हुए सातऋ तु चक्र (वर्ष) बीत जायेगा।’

17 “एक पवित्र स्वर्गदूत ने इस दण्ड की घोषणा की थी ताकि धरती के सभी लोगों को यह पता चल जाये कि मनुष्यों के राज्यों के ऊपर परम प्रधान परमेश्वर शासन करता है। परमेश्वर जिसे भी चाहता है। इन राज्यों को दे देता है और परमेश्वर उन राज्यों पर शासन करने के लिये विनम्र मनुष्यों को चुनता है।

18 “बस मैंने (राजा नबूकदनेस्सर ने) सपने में यही देखा है। अब हे बेलतशस्सर! तु मुझे यह बता कि इस सपने का अर्थ क्या है मेरे राज्य का कोई भी बुद्धिमान पुरूष मुझे यह सपने का फल नही बता पा रहा है। किन्तु हे बेलतशस्सर, तू मेरे इस सपने की व्याख्या कर सकता है क्योंकि तुझमें पवित्र परमेश्वर की आत्मा निवास करती है।”

समीक्षा

उत्साहित करने वाला विश्वास और साहस

मैं हमेशा साहसी और विश्वास के लोगों के द्वारा उत्साहित होता हूँ जो डरना या घबराना अस्वीकार कर देते हैं।

शद्रक, मेशक और ओबेदनगो परमेश्वर पर पूर्ण भरोसे का उत्साहित करने वाले उदाहरण हैं। उन्होंने सोने की मूर्ति के सामने झुककर दंडवत करना अस्वीकार कर दिया,धमकी के बाबजूद आग की भट्टी में फेंक दिए। उन्होंने सही चीज को करने का संकल्प लिया था, इसकी कीमत चाहे जितनी बड़ी हो, क्योंकि उन्होंने परमेश्वर और उनकी सामर्थ पर विश्वास किया कि यदि वह चाहे तो बदला ले सकते हैं।

उन्होंने राजा से कहा,’हे नबूकदनेस्सर, इस विषय में तुझे उत्तर देने का हमें कुछ प्रयोजन नहीं जान पड़ता। हमारे परमेश्वर, जिनकी हम उपासना करते हैं वह हम को उस धधकते हुए भट्ठे की आग से बचाने की शक्ति रखते हैं; वरन् हे राजा, वह हमें तेरे हाथ से भी छुड़ा सकते हैं। परन्तु यदि नहीं, तो हे राजा, तुझे मालूम हो, कि हम लोग तेरे देवता की उपासना नहीं करेंगे, और न तेरी खड़ी कराई हुई सोने की मूरत को दण्डवत् करेंगे“ (3:16ब-18, एम.एस.जी)।

शद्रक, मेशक और ओबदनगो आसानी से इस परेशानी में से बाहर का रास्ता ढूंढ़ निकाल सकते थे। वे नबूकदनेसर के साथ समझौता कर सकते थे जिसमें थोड़ा समझौता करने की आवश्यकता थी, ज्यादा नहीं। लेकिन वे पूरी तरह से परमेश्वर की सामर्थ पर भरोसा कर रहे थे कि यदि वह चाहे तो उन्हें छुड़ायेंगे, और यदि ऐसा नहीं करते हैं, तब भी वे परमेश्वर पर भरोसा करेंगे और उनकी आज्ञा मानेंगे।

यह एक उत्साहित करने वाला उदाहरण है। जब हम कठिन निर्णयों का सामना करते हैं पूछिये, जैसा कि उन्होंने किया,’क्या करना सही होगा?“ फिर परिणामों के बावजूद इसे कीजिए।

परमेश्वर में उनका पूर्ण भरोसा नबूकदनेसर के सामने महान गवाही थी। जैसे ही वह आग की भट्टी में देखते हैं,’ ’अब मैं देखता हूँ कि चार पुरुष आग के बीच खुले हुए टहल रहे हैं, और उनको कुछ भी हानि नहीं पहुंची; और चौथे पुरुष का स्वरूप ईश्वर के पुत्र के सदृश है“ (व.25, के.जे.व्ही)। नये नियम के दृष्टिकोण से इसे पढ़ते हुए, यह मुश्किल बात है कि चौथे व्यक्ति को यीशु मसीह के रूप में न देखें, जो परीक्षा के समय उनके साथ थे।

वे बाहर निकले ’ तब उनकी देह में आग का कुछ भी प्रभाव नहीं पाया; और उनके सिर का एक बाल भी न झुलसा, न उसके मोजे कुछ बिगड़े, न उन में जलने की कुछ गन्ध पाई गई“ (व.27, एम.एस.जी)। यदि आप अपने जीवन में परीक्षाओं का सामना कर रहे हैं जो शायद से आग की भट्टी की तरह लगता है, तो आप शायद आश्वस्त हो सकते हैं कि प्रभु यीशु मसीह वहाँ पर आपके साथ हैं, जिस किसी स्थिति का आप सामना कर रहे हैं।

यहाँ तक कि नबूकदनेसर उनके उदाहरण के द्वारा उत्साहित हुए (व.28)। इसके परिणास्वरूप उनका हृदय बदल गया। किंतु, उन तक संदेश को ले जाने में परमेश्वर को बहुत समय लगा। अध्याय 2 में दानिय्येल के उदाहरण के बावजूद, नबूकदनेसर नहीं बदले। शद्रक, मेशक और ओबेदनगो के परमेश्वर में पूर्ण भरोसे ने उन पर एक बड़ा प्रभाव बनाया। किंतु, वह पूरी तरह से नहीं बदले।

अध्याय 4 में हम उनकी उल्लेखनीय गवाही को पढ़ते हैं कि कैसे उन्होंने परमेश्वर को जाना। गवाही देना बहुत आनंद लाता हैः’ मुझे यह अच्छा लगा, कि परमप्रधान परमेश्वर ने मुझे जो चिह्न और चमत्कार दिखाए हैं, उनको प्रकट करूँ“ (4:2)। इस समय, उनका बर्ताव पूरी तरह से बदल गया था और सारी महिमा परमेश्वर को दी गई (व.3)।

वह यह कहकर शुरुवात करते हैं कि एक तरह से उनके पास सबकुछ था। ’मैं, नबूकदनेस्सर, अपने भवन में चैन से और प्रफुल्लित रहता था“ (व.4)। ’ मैंने ऐसा स्वप्न देखा जिसके कारण मैं डर गया; और पलंग पर पड़े पड़े जो विचार मेरे मन में आए और जो बातें मैं ने देखीं, उनके कारण मैं घबरा गया था“ (व.5)।

दानिय्येल की पुस्तक का मुख्य बिंदु यह है कि परमेश्वर दानिय्येल, शद्रक, मेशक और ओबेदनगो के उदाहरण और परमेश्वर पर उनके पूर्ण भरोसे का इस्तेमाल करते हैं राजा के जीवन को बदलने में – और इसके परिणाम स्वरूप देश को बदलने में।

प्रार्थना

परमेश्वर मेरी सहायता कीजिए कि सही चीज करुँ, इसकी कीमत चाहे जितनी बड़ी दिखाई देती हो। उन पुरुषों और महिलाओं के उत्साहित करने वाले उदाहरण के लिए आपका धन्यवाद जो मेरे दृष्टिकोण को ऊँचा उठाते हैं और मुझे दिखाते हैं कि क्या संभव है।

पिप्पा भी कहते है

नीतिवचन 29:7

’ सत्यनिष्ठ पुरुष कंगालो के मुकद्दमे पर मन लगाता है“

जिम्बाब्वे में जाकर, में वहाँ के चर्च से उत्साहित हुई। यह चमकता है। हम बहुत से लोगों से मिले जिन्होंने गरीबों के दुख को अपनाया है और एक अंतर पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। क्या मेरे नाक के नीचे कोई अन्याय हो रहा है जिस पर परमेश्वर मेरा ध्यान ले जाना चाहते हैं?

दिन का वचन

दानिय्येल - 3:17

"हमारा परमेश्वर, जिसकी हम उपासना करते हैं वह हम को उस धधकते हुए भट्टे की आग से बचाने की शक्ति रखता है; वरन हे राजा, वह हमें तेरे हाथ से भी छुड़ा सकता है।"

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संदर्भ

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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