एक परमेश्वर हैं और वह महान हैं
परिचय
लगभग दस वर्षों तक मैंने व्यवस्था का अध्ययन और अभ्यास किया। हर कानूनी मामले में, प्रमाण जरुरी है। प्रमाण मेरे लिए महत्वपूर्ण है। मैं एक मसीह नहीं बनता यदि मैं विश्वास नहीं करता कि हमारा विश्वास विवश करने वाले प्रमाण पर आधारित है। यीशु मसीह के जीवन, मृत्यु और पुनरुत्थान के लिए अच्छा प्रमाण है।
हाल ही में कुछ सालों से, "नये नास्तिकों" द्वारा ऐसे पुस्तकों की वृद्धि हुई है जो बताते हैं कि परमेश्वर का कोई प्रमाण नहीं है; कि परमेश्वर एक "भ्रांति" हैं ("परमेश्वर भ्रांति") और यह कि "परमेश्वर महान नहीं है" (इन पुस्तकों में से दूसरे का शीर्षक)। जबकि निश्चित ही, बाईबल परमेश्वर के अस्तित्व के लिए एक वैज्ञानिक प्रमाण को प्रदान करने की कोशिश नहीं करती है, यह "आँखो देखे गवाह" के बारे में बताती है और घोषणा करती है कि "स्वर्ग में एक परमेश्वर हैं" (दानिय्येल 2:28) और यह कि "परमेश्वर महान हैं" (भजनसंहिता 135:5)।
परमेश्वर पर भरोसा रखने के लिए अच्छी वजह है। आप विश्वास में बढ़ेंगे जैसे ही आप परमेश्वर के वचन की सच्चाई का अध्ययन करने लगेंगे और निर्भीकतापूर्वक घोषणा करते हैं कि "एक परमेश्वर हैं" और "वह महान हैं।"
भजन संहिता 135:1-12
135यहोवा की प्रशंसा करो।
यहोवा के सेवकों
यहोवा के नाम का गुणगान करो।
2 तुम लोग यहोवा के मन्दिर में खड़े हो।
उसके नाम की प्रशंसा करो।
तुम लोग मन्दिर के आँगन में खडे हो।
उसके नाम के गुण गाओ।
3 यहोवा की प्रशंसा करो क्योंकि वह खरा है।
उसके नाम के गुण गाओ क्योंकि वह मधुर है।
4 यहोवा ने याकूब को चुना था।
इस्राएल परमेश्वर का है।
5 मैं जानता हूँ, यहोवा महान है।
अन्य भी देवों से हमारा स्वामी महान है।
6 यहोवा जो कुछ वह चाहता है
स्वर्ग में, और धरती पर, समुद में अथवा गहरे महासागरों में, करता है।
7 परमेश्वर धरती पर सब कहीं मेघों को रचता है।
परमेश्वर बिजली और वर्षा को रचता है।
परमेश्वर हवा को रचता है।
8 परमेश्वर मिस्र में मनुष्यों और पशुओं के सभी पहलौठों को नष्ट किया था।
9 परमेश्वर ने मिस्र में बहुत से अद्भुत और अचरज भरे काम किये थे।
उसने फिरौन और उसके सब कर्मचारियों के बीच चिन्ह और अद्भुत कार्य दिखाये।
10 परमेश्वर ने बहुत से देशों को हराया।
परमेश्वर ने बलशाली राजा मारे।
11 उसने एमोरियों के राजा सीहोन को पराजित किया।
परमेश्वर ने बाशान के राजा ओग को हराया।
परमेश्वर ने कनान की सारी प्रजा को हराया।
12 परमेश्वर ने उनकी धरती इस्राएल को दे दी।
परमेश्वर ने अपने भक्तों को धरती दी।
समीक्षा
परमेश्वर की महानता की घोषणा कीजिए
"परमेश्वर बहुत भले हैं" (व.3, एम.एस.जी)। भजनसंहिता के लेखक घोषणा करते हैं:"परमेश्वर महान हैं" (व.5)। वह परमेश्वर के लोगों के साथ परमेश्वर के संबंध को याद करते हैं (व.4)। वह विश्व को देखते हैं जिसका निर्माण परमेश्वर ने किया और इसे बनाए रखते हैं (वव.6-7), और वह परमेश्वर की अद्भुत सुरक्षा की गवाही देते हैं (वव.8-11)। यह अनुभव और प्रमाण परमेश्वर की महानता में उनके विश्वास को बढ़ाते हैं।
आराधना में परमेश्वर की महानता को उत्तर दीजिए। बार –बार भजनसंहिता के लेखक हमें "परमेश्वर की स्तुति करने" के लिए कहते हैं – एक पुकार जो दोहराई गई है, विभिन्न प्रकार से, पहले तीन वचनों में पाँच बार। परमेश्वर की स्तुति हो!
प्रार्थना
2 पतरस 1:1-21
1यीशु मसीह के सेवक तथा प्रेरित शमौन पतरस की ओर से उन लोगों के नाम जिन्हें परमेश्वर से हमारे जैसा ही विश्वास प्राप्त है। क्योंकि हमारा परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह न्यायपूर्ण है।
2 तुम परमेश्वर और हमारे प्रभु यीशु मसीह को जान चुके हो इसलिए तुम्हें परमेश्वर की कृपा और अनुग्रह अधिक से अधिक प्राप्त हो।
परमेश्वर ने हमें सब कुछ दिया है
3 अपने जीवन के लिए और परमेश्वर की सेवा के लिए जो कुछ हमें चाहिए, अपनी दिव्य शक्ति के द्वारा उसने सब कुछ हमें दिया है। क्योंकि हम उसे जानते हैं, जिसने अपनी धार्मिकता और महिमा के कारण हमें बुलाया है। 4 इन्हीं के द्वारा उसने हमें वे महान और अमूल्य वरदान दिये हैं, जिन्हें देने की उसने प्रतिज्ञा की थी ताकि उनके द्वारा तुम स्वयं परमेश्वर के समान हो जाओ और उस विनाश से बच जाओ जो लोगों की बुरी इच्छाओं के कारण इस जगत में स्थित है।
5 सो इसलिए अपने विश्वास में उत्तम गुणों को, उत्तम गुणों में ज्ञान को, 6 ज्ञान में आत्मसंयम को, आत्मसंयम में धैर्य को, धैर्य में परमेश्वर की भक्ति को, 7 भक्ति में भाईचारे को और भाईचारे में प्रेम को उदारता के साथ बढ़ाते चलो। 8 क्योंकि यदि ये गुण तुममें हैं और उनका विकास हो रहा है तो वे तुम्हें कर्मशील और सफल बना देंगे तथा उनसे तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह का परिपूर्ण ज्ञान प्राप्त होगा 9 किन्तु जिसमें ये गुण नहीं हैं, उसमें दूर-दृष्टि नहीं है, वह अन्धा है। तथा वह यह भूल चुका है कि उसके पूर्व पापों को धोया जा चुका है।
10 इसलिए हे भाइयो, यह दिखाने के लिए और अधिक तत्पर रहो कि तुम्हें वास्तव में परमेश्वर द्वारा बुलाया गया है और चुना गया है क्योंकि यदि तुम इन बातों को करते हो तो न कभी ठोकर खाओगे और न ही गिरोगे, 11 और इस प्रकार हमारे प्रभु एवम् उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनन्त राज्य में तुम्हें प्रवेश देकर परमेश्वर अपनी उदारता दिखायेगा।
12 इसी कारण मैं तुम्हें, यद्यपि तुम उन्हें जानते ही हो और जो सत्य तुम्हें मिला है, उस पर टिके भी हुए हो, इन बातों को सदा याद दिलाता रहूँगा। 13 मैं जब तक इस काया में हूँ, तुम्हें याद दिलाकर सचेत करते रहने को उचित समझता हूँ। 14 क्योंकि मैं यह जानता हूँ कि मुझे अपनी इस काया को शीघ्र ही छोड़ देना है। जैसा कि हमारे प्रभु यीशु मसीह ने मुझे समझाया है। 15 इसलिए मैं हर प्रयत्न करूँगा कि मेरे मर जाने के बाद भी तुम इन बातों को सदा याद कर सको।
हमने मसीह की महिमा के दर्शन किये हैं
16 जब हमारे प्रभु यीशु मसीह के समर्थ आगमन के विषय में हमने तुम्हें बताया था, तब चतुरतापूर्वक गढ़ी हुई कहानियों का सहारा नहीं लिया था क्योंकि हम तो उसकी महानता के स्वयं साक्षी हैं। 17 जब परमपिता परमेश्वर से उसने सम्मान और महिमा प्राप्त की तो उस दिव्य-महिमा से विशिष्ट वाणी प्रकट हुई, “यह मेरा प्रिय पुत्र है, मैं इससे प्रसन्न हूँ।” 18 हमने आकाश से आयी वह वाणी सुनी थी। तब हम पवित्र पर्वत पर उसके साथ ही थे।
19 हमें भी नबियों के वचन पर और अधिक आस्था हुई। इस पर ध्यान देकर तुम भी अच्छा कर रहे हो क्योंकि यह तो एक प्रकाश है, जो एक अन्धेरे स्थान में तब तक चमक रहा है जब तक पौ फटती है और तुम्हारे हृदयों में भोर के तारे का उदय होता है। 20 किन्तु सबसे बड़ी बात यह है कि तुम्हें यह जान लेना चाहिए कि शास्त्र की कोई भी भविष्यवाणी किसी नबी के निजी विचारों का परिणाम नहीं है, 21 क्योंकि कोई मनुष्य जो कहना चाहता है, उसके अनुसार भविष्यवाणी नहीं होती। बल्कि पवित्र आत्मा की प्रेरणा से मनुष्य परमेश्वर की वाणी बोलते हैं।
समीक्षा
परमेश्वर के वचन की सच्चाई की घोषणा करिए
यदि आप परमेश्वर के साथ एक नजदीकी संबंध चाहते हैं, तो संबंध को विकसित करने के लिए समय निकालिये। उनके साथ समय बिताईये। जैसे ही आप उनके वचन का अध्ययन करते हैं, आपका विश्वास बढ़ता है और आपका जीवन बदलता है। सभी संबंधो की सामर्थ, और परमेश्वर के साथ आपका संबंध बातचीत पर आधारित है।
उनके पत्र में, " शिमौन पतरस की ओर से, जो यीशु मसीह का दास और प्रेरित है" (व.1), अपने "विश्वास" के बारे में लिखते हैं और उनके पढ़ने वालों के विश्वास के विषय में, "परमेश्वर के साथ जिनका अनुभव हमारी ही तरह जीवन बदलने वाला है" (व.1, एम.एस.जी)।
आपका विश्वास बहुमूल्य है (व.1)। "अनुग्रह" और "शांति" (व.2) दो बहुत ही बहुमूल्य वस्तुएँ हैं जिनका आप जीवन में कभी भी अनुभव कर सकते हैं। पतरस कहते हैं कि वे आपके हैं " परमेश्वर की और हमारे प्रभु यीशु मसीह की पहचान के द्वारा अनुग्रह और शान्ति तुम में बहुतायत से बढ़ती जाए" (व.2)।
यह विवेकहीन विश्वास नहीं है। यह "सत्य" है (व.12)। आज कुछ लोग सोचते हैं कि बाईबल वह चतुराई से गढ़ी हुई कहानियां" हैं (व.16)। लेकिन पतरस लिखते हैं, " क्योंकि जब हम ने तुम्हें अपने प्रभु यीशु मसीह की सामर्थ का और आगमन का समाचार दिया था, तो वह चतुराई से गढ़ी हुई कहानियों का अनुकरण नहीं था वरन् हम ने आप ही उसके प्रताप को देखा था" (व.16)। पतरस विशेष रूप से परिवर्तन के विषय में बात कर रहे हैं (वव.17-18), जब उन्होंने यीशु की महिमा और पहचान के प्रकटीकरण को देखा (मरकुस 9; मत्ती 17; लूका 9 देखें)। वह गवाही देते हैं, "हमने अपनी आँखो से इसे देखा" (व.16, एम.एस.जी)।
एक गवाह, एक शब्द है जो ऐसे व्यक्ति के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो व्यवस्था के न्यायालय में प्रमाण देता है, और यीशु के विषय में प्रमाण कानूनी प्रमाण के समांतर हैं, गणितज्ञ या वैज्ञानिक प्रमाण की तुलना में। आँखो देखे गवाह हैं। विश्वास विवेकहीन नहीं है। यह उस पर आधारित है जो उन्होंने देखा। पतरस कहते हैं, "जो हमने देखा और सुना उसके प्रति हम आश्वस्त हैं" (2पतरस 1:19, एम.एस.जी)।
पतरस उन्हें वचन की सामर्थ और भरोसे योग्यता के बारे में याद दिलाते हैं: " क्योंकि कोई भी भविष्यवाणी मनुष्य की इच्छा से कभी नहीं हुई, पर भक्त जन पवित्र आत्मा के द्वारा उभारे जाकर परमेश्वर की ओर से बोलते थे" (व.21, एम.एस.जी)। पवित्र आत्मा अब भी पवित्रशास्त्र के इन वचनों से बाते करते हैं, और जैसे ही आप उनके द्वारा परमेश्वर की उपस्थिति और सामर्थ का अनुभव करते हैं, वे आपके विश्वास की सच्चाई को मजबूत करते हैं।
विश्वास विचारों का एक समूह नहीं है - यह आपके जीवन जीने के तरीके को बदलता है। पतरस समझाते हैं कि पवित्र आत्मा के द्वारा परमेश्वर की दैवीय सामर्थ ने हमें जीवन और भक्ति से संबंधित सभी वस्तुओं को दिया है (व.3)।
इसके प्रकाश में वह समझाते हैं कि आपको "अपने विश्वास में जोड़ने की आवश्यकता है, " और फिर पतरस विभिन्न गुणों को बताते हैं जो आपको विकसित करने का प्रयास करना है - " इसी कारण तुम सब प्रकार यत्न करके अपने विश्वास पर सद्गुण, और सद्गुण पर समझ और समझ पर संयम, और संयम पर धीरज, और धीरज पर भक्ति, और भक्ति पर भाईचारे की प्रीति और भाईचारे की प्रीति पर प्रेम बढ़ाते जाइए" (वव.5-7, एम.एस.जी)। यें चीजे आपको एक अप्रभावी मसीह बनने से दूर करेंगी (व.8), और अंत तक अपने विश्वास में दृढ़ बने रहने में आपकी सहायता करेंगी (वव.10-11)।
प्रार्थना
दानिय्येल 2:24-3:12
दानिय्येल द्वारा राजा के स्वप्न की व्याख्या
24 इसके बाद दानिय्येल अर्योक के पास गया। राजा नबूकदनेस्सर ने अर्योक को बाबुल के बुद्धिमान पुरूषों की हत्या के लिये नियुक्त किया था। दानिय्येल ने अर्योक से कहा, “बाबुल के बुद्धिमान पुरूषों की हत्या मत करो। मुझे राजा के पास ले चलो, मैं उसे उसका स्वप्न और उस स्वप्न का फल बता दूँगा।”
25 सो अर्योक दानिय्येल को शीघ्र ही राजा के पास ले गया। अर्योक ने राजा से कहा, “यहूदा के बन्दियों में मैंने एक ऐसा पुरूष ढूँढ लिया है जो राजा को उसके सपने का मतलब बता सकता है।”
26 सो राजा ने दानिय्येल (बेलतशस्सर) से एक प्रश्न पूछा, “क्या तू मुझे मेरे सपने और उसके अर्थ के बारे में बता सकता है”
27 दानिय्येल ने उत्तर दिया, “हे राजा नबूकदनेस्सर, तुम जिस रहस्य के बारे में पूछ रहे हो, उसे तुम्हें न तो कोई पण्डित, न कोई तान्त्रिक और न कोई कसदी बता सका है। 28 किन्तु स्वर्ग में एक परमेश्वर ऐसा है जो भेद भरी बातों का रहस्य बताता है। परमेश्वर ने राजा नबूकदनेस्सर को आगे क्या होने वाला है, यह दर्शाने के लिये सपना दिया है। अपने बिस्तर में सोते हुए तुमने सपने में जो बातें देखी थीं, वे ये हैं, 29 हे राजा! तुम अपने बिस्तर में सो रहे थे। तुमने भविष्य में घटने वाली बातों के बारे में सोचना आरम्भ किया। परमेश्वर लोगों को रहस्यपूर्ण बातों के बारे में बता सकता है। सो उसने भविष्य में घटने वाला है, वह तुम्हें दर्शा दिया। 30 परमेश्वर ने वह रहस्य मुझे भी बता दिया है।ऐसा इसलिये नही हुआ कि मेरे पास दूसरे लोगों से कोई अधिक बुद्धि है। बल्कि मुझे परमेश्वर ने इस भेद को इसलिए बताया है कि राजा को उसके सपने का फल पता चल जाये और इस तरह हे राजन, तुम्हारे मन में जो बातें आ रही थीं, उन्हें तुम समझ जाओ।
31 “हे राजन, सपने में आपने अपने सामने खड़ी एक विशाल मूर्ति देखी है, वह मूर्ति बहुत बड़ी थी, वह चमकदार थी और बहुत अधिक प्रभावपूर्ण थी। वह ऐसी थी जिसे देखकर देखने वाले की आँखें फटी की फटी रह जायें। 32 उस मूर्ति का सिर शुद्ध सोने का बना था। उसकी छाती और भुजाएँ चाँदी की बनी थीं । उसका पेट और जाँघें काँसे की बनी थीं। 33 उस मूर्ति की पिण्डलियाँ लोहे की बनी थीं। उस मूर्ति के पैर लोहे और मिट्टी के बने थे। 34 जब तुम उस मूर्ति की ओर देख रहे थे, तुमने एक चट्टान देखी। देखते—देखते, वह चट्टान उखड़ कर गिर पड़ी किन्तु उस चट्टान को किसी व्यक्ति ने काट कर नहीं गिराया था। फिर हवा में लुढ़कती वह चट्टान मूर्ति के लोहे और मिट्टी के बने पैरों से जा टकराई। उस चट्टान से मूर्ति के पैर चकनाचूर हो गये। 35 फिर तत्काल ही लोहा, मिट्टी,काँसा, चाँदी और सोना सब चूर—चूर हो गया और वह चूरा गर्मियों के दिनों में खलिहान के भूसे जैसा हो गया। उन टुकड़ों को हवा उड़ा ले गयी। वहाँ कुछ भी तो नही बचा। कोई यह कह ही नहीं सकता था कि वहाँ कभी कोई मूर्ति थी भी। फिर वह चट्टान जो उस मूर्ति से टकराई थी, एक विशाल पर्वत के रूप में बदल गयी और सारी धरती पर छा गयी।”
36 “आपका सपना तो यह था। अब हम राजा को यह बताते हैं कि इस सपने का फल क्या है 37 हे राजन, आप अत्यंत महत्वपूर्ण राजा हैं। स्वर्ग के परमेश्वर ने तुम्हें राज्य दिया है। शक्ति दी है। सामर्थ्य और महिमा दी हैं। 38 आपको परमेश्वर ने नियन्त्रण की शक्ति दी हैं और आप, लोगों पर, वन के पशुओं पर और पक्षियों पर शासन करते हो। वे चाहे कहीं भी रहते हों, उन सब पर परमेश्वर ने तुम्हें शासक ठहराया है। हे राजा नबूकदनेस्सर, उस मूर्ति के ऊपर जो सोने का सिर था, वह आप ही हैं।
39 “आप के बाद जो दूसरा राजा आयेगा, वही वह चाँदी का हिस्सा है। किन्तु वह राज्य तुम्हारे राज्य के समान विशाल नहीं होगा। इसके बाद धरती पर एक तीसरे राज्य का शासन होगा। वही वह काँसे वाला भाग है। 40 इसके बाद फिर एक चौथा राज्य आयेगा, वह राज्य लोहे के समान मज़बूत होगा। जैसे लोहे से वस्तुएँ टूटकर चकनाचूर हो जाती हैं, वैसे ही वह चौथा राज्य दूसरे राज्यों को भंग करके चकनाचूर करेगा।
41 “आपने जो यह देखा था कि उस मूर्ति के पैर और पंजे थोड़े मिट्टी के और थोड़े लोहे के बने हैं, उसका मतलब यह है कि वह चौथा राज्य एक बटा हुआ राज्य होगा। इसमें कुछ तो लोहे की शक्ति होगी क्योंकि आपने मिट्टी मिला लोहा देखा है। 42 उस मूर्ति के पैर के पंजों के अगले भाग जो थोड़े लोहे और थोड़े मिट्टी के बने थे, इसका अर्थ यह है कि वह चौथा राज्य थोड़ा तो लोहे के समान शक्तिशाली होगा और थोड़ा मिट्टी के समान दुर्बल। 43 आपने लोहे को मिट्टी से मिला हुआ देखा था किन्तु जैसे लोहा और मिट्टी पूरी तरह कभी आपस में नहीं मिलते, उस चौथे राज्य के लोग वैसे ही मिले जुले होंगे। किन्तु एक जाति के रूप में वे लोग आपस में एक जुट नहीं होंगे।
44 “चौथे राज्य के उन राज्यों के समय में ही स्वर्ग का परमेश्वर एक दूसरे राज्य की स्थापना कर देगा। इस राज्य का कभी अंत नहीं होगा और यह सदा—सदा बना रहेगा! यह एक ऐसा राज्य होगा जो कभी किसी दूसरे समूह के लोगों के हाथ में नहीं जायेगा। यह राज्य उन दूसरे राज्य को कुचल देगा। यह उन राज्यों का विनाश कर देगा। किन्तु वह राज्य अपने आप सदा—सदा बना रहेगा।
45 “हे राजा नबूकदनेस्सर, आपने पहाड़ से उखड़ी हुई चट्टान तो देखी। किसी व्यक्ति ने उस चट्टान को उखाड़ा नहीं! उस चट्टान ने लोहे को, काँसे को, मिट्टी को, चाँदी को और सोने को टुकड़े—टुकड़े कर दिया था। इस प्रकार से महान परमेश्वर ने आपको वह दिखाया है जो भविष्य में होने वाला है। यह सपना सच्चा है और आप सपने की इस व्याख्या पर भरोसा कर सकते हैं।”
46 इसके बाद राजा नबूकदनेस्सर ने दानिय्येल को झुक कर नमस्कार किया। राजा ने दानिय्येल की प्रशंसा की। राजा ने यह आज्ञा दी कि दानिय्येल को सम्मानित करने के लिये एक भेंट और सुगन्ध प्रदान की जाये। 47 फिर राजा ने दानिय्येल से कहा, “मुझे निश्चयपूर्वक ज्ञान हो गया है कि तेरा परमेश्वर सर्वाधिक महत्वपूर्ण और शक्तिशाली परमेश्वर है। वह सभी राजाओं का यहोवा है। वह लोगों को उन बातों के बारे में बताता है, जिन्हें वे नहीं जान सकते। मुझे पता है कि यह सच है। क्योंकि तूम मुझे भेद की इन बातों को बता सका।”
48 इसके बाद उस राजा ने दानिय्येल को अपने राज्य में एक अत्यन्त महत्वपूर्ण पद प्रदान किया तथा राजा ने बहुत से बहुमूल्य उपहार भी दानिय्येल को दिये। नबूकदनेस्सर ने दानिय्येल को बाबुल के समूचे प्रदेश का शासक नियुक्त कर दिया। तथा उसने दानिय्येल को बाबुल के सभी पण्डितों का प्रधान बना दिया। 49 दानिय्येल ने राजा से विनती की कि वह शद्रक, मेशक और अबेदनगो को बाबुल प्रदेश के महत्वपूर्ण हाकिम बना दें। सो राजा ने वैसा ही किया जैसा दानिय्येल ने चाहा था। दानिय्येल स्वयं उन महत्वपूर्ण व्यक्तियों में हो गया था जो राजा के निकट रहा करते थे।
सोने की प्रतिमा और धधकती भट्टी
3राजा नबूकदनेस्सर ने सोने की एक प्रतिमा बनवा रखी थी। वह प्रतिमा साठ हाथ ऊँची और छ: हाथ चौड़ी थी। नबूकदनेस्सर ने उस प्रतिमा को बाबुल प्रदेश में दूरा के मैदान में स्थापित कर दिया 2 और फिर राजा ने प्रांत के राज्यपालों, मखियाओं, अधिपतियों, सलाहकारों, खजांचियों, न्यायाधीशों, शासकों तथा दूसरे सभी क्षेत्रीय अधिकारियों को अपने राज्य में आकर इकट्ठा होने के लिये बुलावा भेजा। राजा चाहता था कि वे सभी लोग प्रतिमा के प्रतिष्ठा महोत्सव में सम्मिलित हों।
3 सो वे सभी लोग आये और उस प्रतिमा के आगे खड़े हो गये जिसे राजा नबूकदनेस्सर ने प्रतिष्ठित कराया था। 4 फिर उस ढंढोरची ने, जो राजा की घोषनाएँ प्रसारित किया करता था, ऊँचे स्वर में कहा, “सुनों, सुनों,अरे ओ अलग अलग जातियों और भाषा समूह के लोगों! तुम्हें जो करने की आज्ञा दी गयी है, वह यह है, 5 तुम जब सभी संगीत वाद्यों की ध्वनि सुनो तो तुम्हें तत्काल झुक कर प्रणाम करना होगा। तुम जब नरसिगों, बाँसुरियों, सितारों,सात तारों वाले बाजों, वीणओं, और मशक—शहनाई तथा अन्य सभी प्रकार के बाजों की आवाज़ सुनो तो तुम्हें सोने की इस प्रतिमा की पूजा करनी है। इस प्रतिमा की प्रतिष्ठा राजा नबूकदनेस्सर ने की है। 6 यदि कोई व्यक्ति इस सोने की प्रतिमा को झुक कर प्रणाम नही करेगा और इसे नहीं पूजेगा तो उस व्यक्ति को तुरंत ही धधकती हुई भट्टी में फेंक दिया जायेगा।”
7 सो, जैसे ही वे लोग नरसिंगों, बाँसुरियों, सितारों, सात तारों वाले बाजों, मशक शहनाइयों और दूसरी तरह के संगीत वाद्यों को सुनते,नीचे झुक जाते और सोने की उस प्रतिमा की पूजा करते। राजा नबूकदनेस्सर द्वारा स्थापित सोने की उस प्रतिमा की, सारी प्रजा, सभी जातियाँ और वहाँ के हर प्रकार की भाषा बोलने वाले लोग पूजा किया करते थे।
8 इसके बाद, कुछ कसदी लोग राजा के पास आये। उन लोगों ने यहूदियों के विरोध में राजा के कान भरे। 9 राजा नबूकदनेस्सर से उन्होंने कहा, “हे राजन, आप चिरंजीवी हों! 10 हे राजन, आपने एक आदेश दिया था, आपने कहा था कि हर व्यक्ति जो नरसिंगों, बाँसुरियों, सितारों, सात तारों वाले बाजों, वीणाओं, मशक शहनाइयों और दूसरे सभी तरह के वाद्य—यन्त्रों की ध्वनि को सुनता है, उसे सोने की प्रतिमा के आगे झुक कर उसकी पूजा करनी चाहिये। 11 आपने यह भी कहा था कि यदि कोई व्यक्ति सोने की प्रतिमा के आगे झुक कर उसकी पूजा नहीं करेगा तो उसे किसी धधकती भट्टी में झोंक दिया जायेगा। 12 हे राजन, यहाँ कछ ऐसे यहूदी हैं जो आपके इस आदेश पर ध्यान नहीं देते। आपने उन यहूदियों को बाबुल प्रदेश में महत्वपूर्ण हाकिम बनाया हुआ है। ऐसे लोगों के नाम हैं— शद्रक, मेशक और अबेदनगो। ये लोग आपके देवताओं की पूजा नही करते और जिस सोने की प्रतिमा को आपने स्थापित किया है, वे न तो उसके आगे झुकते हैं और न ही उसकी पूजा करते हैं।”
समीक्षा
घोषणा कीजिए कि "एक परमेश्वर हैं"
विश्व के स्तर तक गिरना अस्वीकार कर दीजिए। यह कहने का साहस रखिए कि "एक परमेश्वर हैं" इसके बावजूद कि दूसरे क्या कह रहे हैं और कर रहे हैं।
मैं एक भक्तिमय व्यक्ति को जानता था जिनका उपनाम था "गिब्बो", जब वह जवान थे, तब लंदन डिपार्टमेंट स्टोर में सेल्फ्रीज में क्लर्क के रूप में काम करते थे। एक दिन, जब मालिक गोर्डन सेल्फ्रीज वहाँ पर थे, टेलीफोन की घंटी बजी और गिब्बो ने उत्तर दिया। फोन करने वाला व्यक्ति गोर्डन सेल्फ्रीज से बात करना चाहता था। गीब्बो ने संदेश पहुँचाया और सेल्फ्रीज ने उत्तर दिया, "उनसे कहो मैं बाहर हूँ।" गिब्बो उनके पास फोन लेकर आए और कहा, "आप उसे बताईये कि आप बाहर हैं।" गोर्डन ने फोन लिया, पर उससे क्रोधित हो गए थे। बाद में गीब्बो ने उनसे कहा, "यदि मैं आपके लिए झूठ बोल सकता हूँ, तो मैं आपसे झूठ बोल सकता हूँ।" उस समय से गोर्डन सेल्फ्रीज गीब्बों का बहुत सम्मान करने लगे और भरोसा करने लगे।
दानिय्येल और उनके तीन मित्रों ने विश्वास किया कि "एक परमेश्वर हैं, " और इसलिए उन्होंने समझौता करना अस्वीकार कर दिया। उनके जीवन से और उनके होठों से उन्होंने निर्भीकतापूर्वक घोषणा की, "एक परमेश्वर हैं।"
दानिय्येल आश्वस्त थे कि "स्वर्ग में एक परमेश्वर हैं" (2:28), और यह दृढ़ विश्वास आज के पुराने नियम के लेखांश में कहानियों को जोड़ता है। दूसरे अध्याय में हमने दानिय्येल के दृढ़ विश्वास के बारे में पढ़ा कि यह परमेश्वर "रहस्यों को प्रकट करते हैं" (व.28), और उस विश्वास पर कार्य करने की उनकी इच्छा। अध्याय तीन में, हम देखते हैं कि उनके मित्र जान का जोखिम उठाने के लिए तैयार हैं, उनके इस दृढ़ विश्वास के कारण कि परमेश्वर हैं, और केवल उनकी आराधना करने के लिए उनकी कटिबद्धता के लिए।
दानिय्येल ने दीन होकर पहचाना कि अर्थ उनकी बुद्धि के कारण नहीं, बल्कि परमेश्वर के अनुग्रह के कारण प्रदान किया गया था (व.30)।
परमेश्वर ने नबूकदनेसर को तीन चीजें बतायी, जो आपके लिए भी सच हैं (वव.36-38): पहला, जो कुछ आपके पास है वह परमेश्वर ने आपको दिया है। दूसरा, परमेश्वर ने आपको उस स्थान में रखा है जहाँ पर आप हैं। तीसरा, परमेश्वर ने आपको वह बनाया है जो आप हैं।
घमंड, अक्खड़पन या स्वयं-संतुष्टि का कोई कारण नहीं है। आपकी योग्यताएँ, वरदान और स्रोत सबकुछ परमेश्वर ने आपको दिया है।
दानिय्येल ने सपने का अर्थ बतायाः राज्यों को जीत लिया जाएगा (शायद से बेबीलोनवासी, मीडो –पर्सिया, महान एलेक्सजंडर के अंतर्गत ग्रीक और रोमन।) मुख्य बात यह है कि विश्व के सभी साम्राज्य - चाहे वे बेबीलोन, रोमन, ब्रिटिश, सोवेट, अमेरिकर या चायनीज हों – सभी समाप्त हो जाएँगे। कोई भी अनंतकाल तक बना नहीं रहेगा।
फिर दानिय्येल ने ऐसे एक राज्य के बारे में बताया जो कभी नष्ट नहीं होगा बल्कि सर्वदा बना रहेगा (व.44)। यह राज्य पर्वत से कटे हुए चट्टान पर आधारित है, नाकि मानवीय हाथों से बना हुआ है (व.34), एक चट्टान जिसने लोहे, मिट्टी, काँसा, चाँदी और सोने को पीस दिया था (व.35)।
" वह पत्थर जो मूर्ती पर लगा था, वह बड़ा पहाड़ बनकर सारी पृथ्वी पर फैल गया" (व.35)। अब, यीशु के नजरिये से, हम देखते हैं कि चट्टान मसीह हैं (यशायाह 28:16; 1 पतरस 2:4-8; भजनसंहिता 118:22-23)। उनका दैवीय उद्गम था। वह परमेश्वर के पुत्र थे ("एक पत्थर बिना किसी के खोदे, अपने आप उखड़कर", दानिय्येल 2:34)। उनके राज्य ने उल्लेखनीय वृद्धि को देखा ("संपूर्ण पृथ्वी को भर दिया, " व.35)।
विश्व में दो अरब से अधिक लोग यीशु के नाम का अंगीकार करते हैं। उनके राज्य में एक अनंत गुणवत्ता है (व.44)। यह है, " हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह का अनंत राज्य" (2पतरस 1:11)।
दानिय्येल ने अपना पद प्राप्त किया, सांसारिक अभिलाषा के द्वारा नहीं बल्कि किसी के पक्ष में दैवीय हस्तक्षेप के द्वारा, जिसका लक्ष्य था परमेश्वर की आज्ञा मानना, नाकि मनुष्यों की।उन्होंने नबूदकनेसर के जादूगरों की तरह मनुष्यों की प्रशंसा की लालसा या इसे पाने का प्रयास नहीं किया, बल्कि वे अपने पिता को जानते थे और उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते थे।
दानिय्येल, शद्रक, मेशक और ओबेदनगो परमेश्वर के प्रति कटिबद्ध बने रहे और अपने विश्वास के कारण मरने के लिए तैयार थे (दानिय्येल 3)। वे इस तथ्य पर सबकुछ दाव पर लगाने के लिए तैयार थे कि सच में एक परमेश्वर हैं और वह महान हैं।
प्रार्थना
पिप्पा भी कहते है
2 पतरस 1:5-8
" इसी कारण तुम सब प्रकार से यत्न करके अपने विश्वास पर सद्गुण, और सद्गुण पर समझ और समझ पर संयम, और संयम पर धीरज, और धीरज पर भक्ति, और भक्ति पर भाईचारे की प्रीति और भाईचारे की प्रीति पर प्रेम बढ़ाते जाओ। क्योंकि यदि ये बातें तुम में वर्तमान रहें और बढ़ती जाएँ, तो तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह की पहचान में निकम्मे और निष्फल न होने देगा"।
दिन का वचन
2 पतरस - 1:3
"क्योंकि उसके ईश्वरीय सामर्थ ने सब कुछ जो जीवन और भक्ति से सम्बन्ध रखता है, हमें उसी की पहचान के द्वारा दिया है, जिस ने हमें अपनी ही महिमा और सद्गुण के अनुसार बुलाया है।"
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संदर्भ
निकी गंबल, यीशु की जीवनशैली, (अल्फा इंटरनैशनल, 2011) पी.113-114
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