दिन 334

घनिष्ठ सम्पर्क

बुद्धि भजन संहिता 136:1-12
नए करार 1 यूहन्ना 1:1-2:11
जूना करार दानिय्येल 5:17-6:28

परिचय

सहभागिता - यह एक अद्भुत शब्द है। आप इसके लिए बनाये गए हैं। यह आपके हृदय की गहरी लालसा को पूरा करता है। यह अकेलेपन के लिए उत्तर है। जीवन में कुछ भी इसके तुल्य नहीं। यह अभी शुरु होता है और सर्वदा बना रहता है।

सहभागिता के अलावा जीवन में कोई दूसरा बड़ा आनंद नहीं है। यूहन्ना चाहते हैं कि उनके पढ़ने वाले उसी सहभागिता का आनंद लें जो उनके पास थीः’, इसलिये कि तुम भी हमारे साथ सहभागी हो“ (1यूहन्ना 1:3, एम.एस.जी)।

कोईनोनिया, सहभागिता के लिए इस्तेमाल किया गया ग्रीक शब्द, इसका लगभग अनुवाद नहीं किया जा सकता है। यह महान घनिष्ठता और गहराई के संबंध को व्यक्त करता है। यहाँ तक कि यह वैवाहिक संबंध के लिए पसंदीदा भाव बन गया है –मनुष्यों के बीच सबसे घनिष्ठ संबंध। यह एक महान शब्द है जो साथ-साथ जीने वाले जीवन का वर्णन करता है, जिसमें सबकुछ बाँटा जाता है। परमेश्वर के साथ हमारे घनिष्ठ संबंध के लिए यूहन्ना इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं (व.3)।

यह एक दूसरे के साथ हमारे संबंध का भी वर्णन करता है। आप गहरी सच्ची मित्रता और ईमानदारी से बातचीत कर सकते हैं। मुखोटे या ’घुमाने“ या ’चित्र“ की कोई आवश्यकता नहीं है। आप परमेश्वर और दूसरों के सामने वास्तविक बन सकते हैं। परिणाम एक दूसरे के साथ घनिष्ठ संबंध का एक स्तर है, यह इस सुंदर शब्द में समाविष्ट है,’सहभागिता।“

बुद्धि

भजन संहिता 136:1-12

136यहोवा की प्रशंसा करो, क्योंकि वह उत्तम है।
 उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
2 ईश्वरों के परमेश्वर की प्रशंसा करो!
 उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
3 प्रभुओं के प्रभु की प्रशंसा करो।
 उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।

4 परमेश्वर के गुण गाओ। बस वही एक है जो अद्भुत कर्म करता है।
 उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
5 परमेश्वर के गुण गाओ जिसने अपनी बुद्धि से आकाश को रचा है।
 उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
6 परमेश्वर ने सागर के बीच में सूखी धरती को स्थापित किया।
 उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
7 परमेश्वर ने महान ज्योतियाँ रची।
 उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।।
8 परमेश्वर ने सूर्य को दिन पर शासन करने के लिये बनाया।
 उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
9 परमेश्वर ने चाँद तारों को बनाया कि वे रात पर शासन करें।
 उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।

10 परमेश्वर ने मिस्र में मनुष्यों और पशुओं के पहलौठों को मारा।
 उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
11 परमेश्वर इस्राएल को मिस्र से बाहर ले आया।
 उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।
12 परमेश्वर ने अपना सामर्थ्य और अपनी महाशक्ति को प्रकटाया।
 उसका सच्चा प्रेम सदा ही बना रहता है।

समीक्षा

परमेश्वर को धन्यवाद दीजिए

परमेश्वर आपसे प्रेम करते हैं। हमें नियमित रूप से अपने लिए परमेश्वर के प्रेम को स्मरण दिलाने की आवश्यकता है। इस भजन में छब्बीस बार भजनसंहिता के लेखक दोहराते हैं,’उनका प्रेम सर्वदा बना रहता है।“ परमेश्वर के साथ आपका घनिष्ठ संबंध, आपके लिए उनके सहनशील प्रेम पर आधारित है।

इन चीजों के लिए परमेश्वर को ’धन्यवाद“ दीजिएः

1. जो वह हैं

वह भले हैं (व.1)। वह ’ईश्वरों के परमेश्वर“ और ’प्रभुओं के प्रभु“ हैं (वव.2-3)।

2. जो उन्होंने बनाया है

वह बड़े आश्चर्यकर्मों को करते हैं। उन्होंने स्वर्ग बनाया और पृथ्वी को फैलाया; उन्होंने सूर्य, चंद्रमा और तारे बनाये (वव.4-9)।

3. जो उन्होंने आपके लिए किया है

’बलवन्त हाथ और बढ़ाई हुई भुजा से निकाल लाए“ (व.12)।

प्रार्थना

परमेश्वर, आपका धन्यवाद कि मेरे लिए आपका प्रेम सर्वदा बना रहता है।
नए करार

1 यूहन्ना 1:1-2:11

1वह सृष्टि के आरम्भ से ही था: हमने इसे सुना है, अपनी आँखों से देखा, ध्यान से निहारा, और इसे स्वयं अपने ही हाथों से हमने इसे छुआ है। हम उस वचन के विषय में बता रहे हैं जो जीवन है। 2 उसी जीवन का ज्ञान हमें कराया गया। हमने उसे देखा। हम उसके साक्षी हैं और अब हम तुम लोगों को उसी अनन्त जीवन की उद्घोषणा कर रहे हैं जो पिता के साथ था और हमें जिसका बोध कराया गया। 3 हमने उसे देखा है और सुना है। अब तुम्हें भी उसी का उपदेश दे रहे हैं ताकि तुम भी हमारे साथ सहभागिता रखो। हमारी यह सहभागिता परम पिता और उसके पुत्र यीशु मसीह के साथ है। 4 हम इन बातों को तुम्हें इसलिए लिख रहे हैं कि हमारा आनन्द परिपूर्ण हो जाए।

परमेश्वर हमारे पापों को क्षमा करता है

5 हमने यीशु मसीह से जो सुसमाचार सुना है, वह यह है और इसे ही हम तुम्हें सुना रहे हैं: परमेश्वर प्रकाश है और उसमें लेशमात्र भी अंधकार नहीं है। 6 यदि हम कहें कि हम उसके साझी हैं और पाप के अन्धकारपूर्ण जीवन को जीते रहे तो हम झूठ बोल रहे हैं और सत्य का अनुसरण नहीं कर रहे हैं। 7 किन्तु यदि हम अब प्रकाश में आगे बढ़ते हैं क्योंकि प्रकाश में ही परमेश्वर है-तो हम विश्वासी के रूप में एक दूसरे के सहभागी हैं, और परमेश्वर के पुत्र यीशु का लहू हमें सभी पापों से शुद्ध कर देता है।

8 यदि हम कहते हैं कि हममें कोई पाप नहीं है तो हम स्वयं अपने आपको छल रहे हैं और हममें सच्चाई नहीं है। 9 यदि हम अपने पापों को स्वीकार कर लेते हैं तो हमारे पापों को क्षमा करने के लिए परमेश्वर विश्वसनीय है और न्यायपूर्ण है और समुचित है। तथा वह सभी पापों से हमें शुद्ध करता है। 10 यदि हम कहते हैं कि हमने कोई पाप नहीं किया तो हम परमेश्वर को झूठा बनाते हैं और उसका वचन हम में नहीं है।

यीशु हमारा सहायक है

2मेरे प्यारे पुत्र-पुत्रियों, ये बातें मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम पाप न करो। किन्तु यदि कोई पाप करता है तो परमेश्वर के सामने हमारे पापों का बचाव करने वाला एक है और वह है धर्मी यीशु मसीह। 2 वह एक बलिदान है जो हमारे पापों का हरण करता है न केवल हमारे पापों का बल्कि समूचे संसार के पापों का।

3 यदि हम परमेश्वर के आदेशों का पालन करते हैं तो यही वह मार्ग है जिससे हम निश्चय करते हैं कि हमने सचमुच उसे जान लिया है। 4 यदि कोई कहता है कि, “मैं परमेश्वर को जानता हूँ!” और उसकी आज्ञाओं का पालन नहीं करता तो वह झूठा है। उसके मन में सत्य नहीं है। 5 किन्तु यदि कोई परमेश्वर के उपदेश का पालन करता है तो उसमें परमेश्वर के प्रेम ने परिपूर्णता पा ली है। यही वह मार्ग है जिससे हमें निश्चय होता है कि हम परमेश्वर में स्थित हैं: 6 जो यह कहता है कि वह परमेश्वर में स्थित है, उसे यीशु के जैसा जीवन जीना चाहिए।

सबसे प्रेम करो

7 हे प्यारे मित्रों, मैं तुम्हें कोई नई आज्ञा नहीं लिख रहा हूँ बल्कि यह एक सनातन आज्ञा है, जो तुम्हें प्रारम्भ में ही दे दी गयी थी। यह पुरानी आज्ञा वह सुसंदेश है जिसे तुम सुन चुके हो। 8 मैं तुम्हें एक और दूसरी नयी आज्ञा लिख रहा हूँ। इस तथ्य का सत्य मसीह के जीवन में और तुम्हारे जीवनों में उजागर हुआ है क्योंकि अन्धकार विलीन हो रहा है और सच्चा प्रकाश तो चमक ही रहा है।

9 जो कहता है, वह प्रकाश में स्थित है और फिर भी अपने भाई से घृणा करता है, तो वह अब तक अंधकार में बना हुआ है। 10 जो अपने भाई को प्रेम करता है, प्रकाश में स्थित रहता है। उसके जीवन में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे कोई पाप में न पड़े। 11 किन्तु जो अपने भाई से घृणा करता है, अँधेरे में है। वह अन्धकारपूर्ण जीवन जी रहा है। वह नहीं जानता, वह कहाँ जा रहा है। क्योंकि अँधेरे ने उसे अंधा बना दिया है।

समीक्षा

परमेश्वर से बातें करिए

यूहन्ना जानते थे वह किस बारे में बात कर रहे थे। वह यीशु मसीह को व्यक्तिगत रूप से जानते थे। वह ऐसे चेले थे जिनसे यीशु विशेषरूप से प्रेम करते थे (यूहन्ना 13:23), और जिनके साथ उन्होंने अधिकतम समय बिताया था।

यूहन्ना, अब एक बूढ़े व्यक्ति, लिखते हैं कि यीशु को ’ जिसे हम ने सुना, और जिसे अपनी आँखों से देखा, वरन् जिसे हम ने ध्यान से देखा और हाथों से छुआ“ (1यूहन्ना 1:1)। ’ यह जीवन प्रकट हुआ, और हम ने उसे देखा, और उनकी गवाही देते हैं, उसे तुम्हें उस अनन्त जीवन का समाचार देते हैं जो पिता के साथ था और हम पर प्रकट हुआ – जो कुछ हम ने देखा और सुना है उसका समाचार तुम्हें भी देते हैं, इसलिये कि तुम भी हमारे साथ सहभागी हो“ (वव.2-3)।

अचंभित रूप से, आप भी इस घनिष्ठ संबंध का अनुभव कर सकते हैं:’जो कुछ हम ने देखा और सुना है उसका समाचार तुम्हें भी देते हैं, इसलिये कि तुम भी हमारे साथ सहभागी हो; और हमारी यह सहभागिता पिता के साथ और उनके पुत्र यीशु मसीह के साथ है“ (व.3, एम.एस.जी)।

पिता और पुत्र के साथ आप कैसे यह घनिष्ठ संबंध रख सकते हैं?

’ यदि जैसा वह ज्योति में हैं, वैसे ही हम भी ज्योति में चलें, तो एक दूसरे से सहभागिता रखते हैं, और उनके पुत्र यीशु का लहू हमें सब पापों से शुध्द करता है“ (व.7)। इस वजह से, यद्यपि हम अब भी पापी हैं (व.8), हमें हमारे पापों की निरंतर क्षमा मिलती है। आप उनके साथ इस घनिष्ठ संबंध में बुलाए गए हैं, जहाँ पर आप उनसे अपने पापों के बारे में बात कर सकते हैं और क्षमा के प्रति आश्वस्त हो सकते हैं:’यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब बुराई से शुध्द करने में विश्वासयोग्य और सत्यनिष्ठ हैं“ (व.9)।

यीशु का लहू निरंतर आपको शुद्ध करता है उसी तरह से जैसे आपका कलेजा और आपका भौतिक लहू आपके भौतिक शरीर को निरंतर साफ करता है।

केवल एक आवश्यकता है कि आप मान लें कि आपने पाप किया है और अपने पाप का अंगीकार करिए।

परमेश्वर के साथ ज्यादा मामले मत रखिये। जब आप पाप करते हैं, तुरंत बताईये, पश्चाताप कीजिए और परमेश्वर की शुद्धता को ग्रहण कीजिए। उठिये और आगे बढ़िये।

यहाँ पर एक असाधारण संतुलन है। हमें पाप में नहीं चलना चाहिए, बल्कि प्रकाश में चलना चाहिए। हम सभी ने पाप किया है और,’ यदि हम कहें कि हम ने पाप नहीं किया, तो उसे झूठा ठहराते हैं, और उनका वचन हम में नहीं है“ (व.10)।

यह एक अद्भुत मिश्रण को लाता हैः यूहन्ना अपने पढ़ने वालों को उत्साहित करते हैं कि पाप मत करो, जबकि उसी समय उन्हें परमेश्वर के अनुग्रह और दया का आश्वासन देते हैं, यदि वे पाप करें तो (2:1)। अनुग्रह के साथ-साथ पवित्रता की पुकार का यह संतुलन मसीह जीवन का केंद्र है।

अद्भुत रूप से, जब हम गलती करते हैं, यीशु हमारे ’वकील“ हैं (के.जे.व्ही), हमारे दैवीय बचाव करने वाले वकील’ पिता के पास हमारे एक सहायक हैं, अर्थात् सत्यनिष्ठ यीशु मसीह“ (व.1)।

यह आपके लिए क्रूस पर यीशु का बलिदान है जो आपके लिए संभव बनाता है कि पिता और पुत्र के साथ ’सहभागिता“ के घनिष्ठ संबंध में बाते करें (1:3)। आप परमेश्वर को जानने के लिए बुलाए गए हैं (2:4) और आपके लिए उनके प्रेम का अनुभव करने के लिए (व.5)। ’ जो कोई यह कहता है कि मैं उनमें बना रहता हूँ, उसे चाहिए कि आप भी वैसा ही चले जैसे वह चलते थे“ (व.6, एम.एस.जी)।

इसका भाग मसीह समुदाय में एक दूसरे के साथ हमारे संबंध में दिखाई देता है। ’यदि हम प्रकाश में चलें...तो एक दूसरे से सहभागिता रखते हैं“ (1:7)। एक स्पष्ट विवेक, प्रेम, आज्ञाकारिता, परमेश्वर के साथ घनिष्ठता और एक दूसरे के साथ घनिष्ठता सब साथ-साथ जाते हैं।

प्रार्थना

परमेश्वर, आपका धन्यवाद इस अद्भुत सुविधा के लिए कि आपके साथ सहभागिता रखूं और क्रूस पर हमारे लिए बहाये गए लहू के द्वारा एक दूसरे के साथ सहभागिता रखूं।
जूना करार

दानिय्येल 5:17-6:28

17 इसके बाद दानिय्येल ने राजा को उत्तर देते हुए कहा, “हे राजा बेलशस्सर, तुम अपने उपहार अपने पास रखो, अथवा चाहो तो उन्हें किसी और को दे दो। मैं तुम्हें वैसे ही दीवार की लिखावट पढ़ दूँगा और उसका अर्थ क्या है, यह तुम्हें समझा दूँगा।

18 “हे राजन, परम प्रधान परमेश्वर ने तुम्हारे दादा नबूकदनेस्सर को एक महान शक्तिशाली राजा बनाया था। परमेश्वर ने उन्हें अत्याधिक महत्वपूर्ण बनाया था। 19 बहुत से देशों के लोग और विभिन्न भाषाएँ बोलनेवाले नबूकदनेस्सर से डरा करते थे क्योंकि परम प्रधान परमेश्वर ने उसे एक बहुत बड़ा राजा बनाया था। यदि नबूकदनेस्सर किसी को मार डालना चाहता तो वह मार दिया जाता और यदि वह चाहता कि कोई व्यक्ति जीवित रहे तो उसे जीवित रहने दिया जाता। यदि वह लोगों को बड़ा बनाना चाहता तो वह उन्हें बड़ा बना देता और यदि वह चाहता कि उन्हें महत्वहीन कर दिया जाये तो वह उन्हें महत्वहीन कर देता।

20 “किन्तु नबूकदनेस्सर को अभिमान हो गया और वह हठीला बन गया। सो परमेश्वर द्वारा उससे उसकी शक्ति छींन ली गयी। उसे उसके राज सिंहासन से उतार फेंका गया और उसे महिमा विहीन बना दिया गया। 21 इसके बाद लोगों से दूर भाग जाने के लिये नबूकदनेस्सर को विवश किया गया। उसकी बुद्धि किसी पशु जैसी हो गयी। वह जंगली गधों के बीच में रहने लगा और ढोरों की तरह घास खाता रहा। वह ओस में भीगा। जब तक उसे सबक नहीं मिल गया, उसके साथ ऐसा ही होता गया। फिर उसे यह ज्ञान हो गया कि मनुष्य के राज्य पर परम प्रधान परमेश्वर का ही शासन है और साम्राज्यों के ऊपर शासन करने के लिये वह जिस किसी को भी चाहता है,भेज देता है।

22 “किन्तु हे बेलशस्सर, तुम तो इन बातों को जानते ही हो! तुम नबूकदनेशस्सर के पोते हो किन्तु फिर भी तुमने अपने आपको विनम्र नहीं बनाया। 23 नहीं! तुम विनम्र तो नहीं हुए और उलटे स्वर्ग के यहोवा के विरूद्ध हो गये। तुमने यहोवा के मन्दिर के पात्रों को अपने पास लाने की आज्ञा दी और फिर तुमने, तुम्हारे शाही हाकिमों ने, तुम्हारी पत्नियों ने, तुम्हारी दासियों ने उन पात्रों में दाखमधु पीया। तुमने चाँदी, सोने, काँसे, लोहे, लकड़ी और पत्थर के देवताओं के गुण गाये। वे सचमुच के देवता नहीं हैं। वे देख नहीं सकते, सुन नहीं सकते तथा वे कुछ समझ भी नहीं सकते हैं। तुमने उस परमेश्वर को आदर नही दिया, जिसका तुम्हारे जीवन या जो कुछ भी तुम करते हो, उस पर अधिकार है। 24 सो इसलिए, परमेश्वर ने उस हाथ को भेजा जिसने दीवार पर लिखा। 25 दीवार पर जो शब्द लिखे गये हैं, वे ये हैं:

मने, मने, तकेल, ऊपर्सीना।

26 “इन शब्दों का अर्थ यह है,

मने:
अर्थात् जब तेरे राज्य का अंत होगा, परमेश्वर ने तब तक के दिन गिन लिये हैं।
27 तकेल:
अर्थात् तराजू पर तुझे तोल लिया गया है और तू पूरा नहीं उतरा है।
28 ऊपर्सीन:
अर्थात् तुझसे तेरा राज्य छीना जा रहा है और उसका बंटवारा हो रहा है।
यह राज्य मादियों और फारसियों के लोगों को दे दिया जायेगा।”

29 इसके बाद बेलशस्सर ने आज्ञा दी कि दानिय्येल को बैंगनी वेशभूषा पहनायी जाये।उसके गले में सोने का हार पहना दिया जाये और यह घोषणा कर दी गयी कि वह राज्य का तीसरा सबसे बड़ा शासक होगा। 30 उसी रात बाबुल की प्रजा के स्वामी राजा बेलशस्सर का वध कर दिया गया। 31 मादे का रहने वाला एक व्यक्ति जिसका नाम दारा था और जिसकी आयु कोई बासठ वर्ष की थी, वहाँ का नया राजा बना।

दानिय्येल और सिंह

6दारा के मन में विचार आया कि कितना अच्छा रहे यदि एक सौ बीस प्रांत—अधिपतियों के द्वारा समूचे राज्य की हुकूमत को चलाया जाये 2 और इसके लिये उसने उन एक सौ बीस प्रांत—अधिपतियों के ऊपर शासन करने के लिये तीन व्यक्तियों को अधिकारी नि़युक्त कर दिया। इन तीनों देख—रेख करने वालों में एक था दानिय्येल। इन तीन व्यक्तियों की नियुक्ति राजा ने इसलिये की थी कि कोई उसके साथ छल न कर पाये और उसके राज्य की कोई भी हानि न हो। 3 दानिय्येल ने यह कर दिखाया कि वह दूसरे पर्यवेक्षकों से अधिक उत्तम है। दानिय्येल ने यह काम अपने अच्छे चरित्र और बड़ी योग्यताओं के द्वारा सम्पन्न किया। राजा दानिय्येल से इतना अधिक प्रभावित हुआ कि उसने दानिय्येल को सारी हुकूमत का हाकिम बनाने की सोची। 4 किन्तु जब दूसरे पर्यवेक्षकों और प्रांत—अधिपतियों ने इसके बारे में सुना तो उन्हें दानिय्येल से ईर्ष्या होने लगी। वे दानिय्येल को कोसने के लिये कारण ढूँढने का जतन करने लगे। सो जब दानिय्येल सरकारी कामकाज से कहीं बाहर जाता तो वे उसके द्वारा किये गये कामों पर नज़र रखने लगे। किन्तु फिर भी वे दानिय्येल में कोई दोष नहीं ढूँढ़ पाये।सो वे उस पर कोई गलत काम करने का दोष नहीं लगा सके। दानिय्येल बहुत ईमानदार और भरोसेमंद व्यक्ति था। उसने राजा के साथ कभी कोई छल नहीं किया।वह कठिन परिश्रमी था।

5 आखिरकार उन लोगों ने कहा, “दानिय्येल पर कोई बुरा काम करने का दोष लगाने की कोई वजह हम कभी नहीं ढूँढ़ पायेंगे। इसलिये हमें शिकायत के लिये कोई ऐसी बात ढूँढ़नी चाहिये जो उसके परमेश्वर के नियमों से सम्बंध रखती हो।”

6 सो वे दोनों पर्यवेक्षक और वे प्रांत—अधिपति टोली बना कर राजा के पास गये। उन्होंने कहा, “हे राजा दारा, तुम अमर रहो! 7 हम सभी पर्यवेक्षक, हाकिम, प्रांत—अधिपति, मंत्री और राज्यपाल किसी एक बात पर सहमत हैं। हमारा विचार है कि राजा को यह नियम बना देना चाहिये और हर व्यक्ति को इस नियम का पालन करना चाहिये। वह नियम यह हैं: यदि अगले तीस दिनों तक कोई भी व्यक्ति हे राजा, आपको छोड़ किसी और देवता या व्यक्ति की प्रार्थना करे तो उस व्यक्ति को शेरों की माँद में डाल दिया जाये। 8 अब हे राजा! जिस कागज पर यह नियम लिखा है, तुम उस पर हस्ताक्षर कर दो। इस तरह से यह नियम कभी बदला नहीं जा सकेगा। क्योंकि मीदियों और फ़ारसियों के नियम न तो बदले जा सकते हैं और न ही मिटाए जा सकते हैं।” 9 सो राजा दारा ने यह नियम बना कर उस पर हस्ताक्षर कर दिये।

10 दानिय्येल तो सदा ही प्रतिदिन तीन बार परमेश्वर से प्रार्थना किया करता था। हर दिन तीन बार दानिय्येल अपने घुटनों के बल झुक कर अपने परमेश्वर की प्रार्थना करता और उसका गुणगान करता था। दानिय्येल ने जब इस नये नियम के बारे में सुना तो वह अपने घर चला गया । दानिय्येल अपने मकान की छत के ऊपर, अपने कमरे में चला गया। दानिय्येल उन खिड़कियों के पास गया जो यरूशलम की ओर खुलती थीं। फिर वह अपने घटनों के बल झुका जैसे सदा किया करता था, उसने वैसे ही प्रार्थना की।

11 फिर वे लोग झुण्ड बना कर दानिय्येल के यहाँ जा पहुँचे। वहाँ उन्होंने दानिय्येल को प्रार्थना करते और परमेश्वर से दया माँगते पाया। 12 बस फिर क्या था। वे लोग राजा के पास जा पहुँचे और उन्होंने राजा से उस नियम के बारे में बात की जो उसने बनाया था। उन्होंने कहा, “हे राजा दारा, आपने एक नियम बनाया है। जिसके अनुसार अगले तीस दिनों तक यदि कोई व्यक्ति किसी देवता से अथवा तेरे अतिरिक्त किसी व्यक्ति से प्रार्थना करता है तो, राजन, उसे शेरों की माँद में फेंकवा दिया जायेगा। बताइये क्या आपने इस नियम पर हस्ताक्षर नहीं किये थे”

राजा ने उत्तर दिया, “हाँ, मैंने उस नियम पर हस्ताक्षर किये थे और मादियों और फारसियों के नियम अटल होते हैं। न तो वे बदले जा सकते हैं, और न ही मिटाये जा सकते हैं।”

13 इस पर उन लोगों ने राजा से कहा, “दानिय्येल नाम का वह व्यक्ति आपकी बात पर ध्यान नहीं दे रहा है। दानिय्येल यहूदा के बन्दियों में से एक हैं। जिस नियम पर आपने हस्ताक्षर किये हैं, दानिय्येल उस पर ध्यान नहीं दे रहा है। दानिय्येल अभी भी हर दिन तीन बार अपने परमेश्वर की प्रार्थना करता है।”

14 राजा ने जब सुना तो बहुत दु:खी और व्याकुल हो उठा। राजा ने दानिय्येल को बचाने की ठान ली। दानिय्येल को बचाने की कोई उपाय सोचते सोचते उसे शाम हो गयी।

15 इसके बाद वे लोग झुण्ड बना कर राजा के पास पहुँचे। उन्होंने राजा से कहा, “हे राजन, मादियों और फ़ारसियों की व्यवस्था के अनुसार जिस नियम अथवा आदेश पर राजा हस्ताक्षर कर दे, वह न तो कभी बदला जा सकता है और न ही कभी मिटाया जा सकता है।”

16 सो राजा दारा ने आदेश दे दिया। वे लोग दानिय्येल को पकड़ लाये और उसे शेरों की मांद में फेंक दिया। राजा ने दानिय्येल से कहा, “मुझे आशा है कि तू जिस परमेश्वर की सदा उपासना करता है, वह तेरी रक्षा करेगा।” 17 एक बड़ा सा पत्थर लाया गया और उसे शेरों की मांद के द्वार पर अड़ा दिया गया। फिर राजा ने अपनी अंगूठी ली और उस पत्थर पर अपनी मुहर लगा दी। साथ ही उसने अपने हाकिमों की अंगूठियों की मुहरें भी उस पत्थर पर लगा दीं। इसका यह अभिप्राय था कि उस पत्थर को कोई भी हटा नहीं सकता था और शेरों की उस माँद से दानिय्येल को बाहर नहीं ला सकता था। 18 इसके बाद राजा दारा अपने महल को वापस चला गया। उस रात उसने खाना नहीं खाया। वह नहीं चाहता था कि कोई उसके पास आये और उसका मन बहलाये। राजा सारी रात सो नहीं पाया।

19 अगली सुबह जैसे ही सूरज का प्रकाश फैलने लगा, राजा दारा जाग गया और शेरों की माँद की ओर दौड़ा। 20 राजा बहुत चिंतित था। राजा जब शेरों की मांद के पास गया तो वहाँ उसने दानिय्येवल को ज़ोर से आवाज़ लगाई। राजा ने कहा, “हे दानिय्येल, हे जीवित परमेश्वर के सेवक, क्या तेरा परमेश्वर तुझे शेरों से बचा पाने में समर्थ हो सका है तू तो सदा ही अपने परमेश्वर की सेवा करता रहा है।”

21 दानिय्येल ने उत्तर दिया, “राजा, अमर रहे! 22 मेरे परमेश्वर ने मुझे बचाने के लिये अपना स्वर्गदुत भेजा था। उस स्वर्गदूत ने शेरों के मुँह बन्द कर दिये। शेरों ने मुझे कोई हानि नही पहुँचाई क्योंकि मेरा परमेश्वर जानता है कि मैं निरपराध हूँ। मैंने राजा के प्रति कभी कोई बुरा नही किया है।”

23 राजा दारा बहुत प्रसन्न था। राजा ने अपने सेवकों को आदेश दिया कि वे दानिय्येल को शेरों की माँद से बाहर खींच लें। जब दानिय्येल को शेरों की माँद से बाहर लाया गया तो उन्हें उस पर कहीं कोई घाव नहीं दिखाई दिया। शेरों ने दानिय्येल को कोई हानि नहीं पहुँचाई थी क्योंकि दानिय्येल को अपने परमेश्वर पर विश्वास था।

24 इसके बाद राजा ने उन लोगों को जिन्होंने दानिय्येल पर अभियोग लगा कर उसे शेरों की माँद में डलवाया था, बुलवाने का आदेश दिया और उन लोगों को, उनकी पत्नियों को और उनके बच्चों को शेरों की माँद में फेंकवा दिया गया। इससे पहले कि वे शेरों की मांद में धरती पर गिरते, शेरों ने उन्हें दबोच लिया। शेर उनके शरीरों को खा गये और फिर उनकी हड्डियों को भी चबा गये।

25 इस पर राजा दारा ने सारी धरती के लोगों, दूसरी जाति के विभिन्न भाषा बोलनेवालों को यह पत्र लिखा:

शुभकामनाएँ।

26 मैं एक नया नियम बना रहा हूँ। मेरे राज्य के हर भाग के लोगों के लिये यह नियम होगा। तुम सभी लोगों को दानिय्येल के परमेश्वर का भय मानना चाहिये और उसका आदर करना चाहिये।

दानिय्येल का परमेश्वर जीवित परमेश्वर है।
परमेश्वर सदा—सदा अमर रहता है!
साम्राज्य उसका कभी समाप्त नहीं होगा
उसके शासन का अन्त कभी नहीं होगा
27 परमेश्वर लोगों को बचाता है और रक्षा करता है।
स्वर्ग में और धरती के ऊपर परमेश्वर अद्भुत आश्चर्यपूर्ण कर्म करता है!
परमेश्वर ने दानिय्येल को शेरों से बचा लिया।

28 इस तरह जब दारा का राजा था और जिन दिनों फारसी राजा कुस्रू की हूकुमत थी, दानिय्येल ने सफलता प्राप्त की।

समीक्षा

परमेश्वर पर भरोसा कीजिए

दानिय्येल ने परमेश्वर के साथ घनिष्ठ संबंध का आनंद लिया। वह एक ऐसे व्यक्ति का अद्भुत उदाहरण है जो परमेश्वर पर पूर्ण भरोसा रखते थे। वह बेलशस्सर का उपहार लेना मना कर देते हैं (5:17)। किसी से भी उपहार लेने के विषय में सावधान रहिये। दानिय्येल अपने पद के साथ समझौता नहीं करना चाहते हैं।

बेलशस्सर के पाप थेः पहला, घमंड (व.20) –उन्होंने अपने आपको दीन नहीं किया (व.22); दूसरा, अक्खड़पन (व.20) - वह अपने आपको स्वर्ग के परमेश्वर के विरूद्ध रख देते हैं (व.23); और तीसरा, मूर्तिपूजा - चाँदी और सोने के ईश्वरों की स्तुति करना (व.23)।

दानिय्येल मसीह राजनैतिज्ञ के एक बहुत अच्छे उदाहरण हैं। केवल यह नहीं कि उनकी समझ पूरी तरह से दूसरों से अधिक थी। उनकी विश्वसनीयता ने उन्हें अलग खड़ा कर दिया। जब उन्होंने पुराने बुरे उदाहरण को खोजने की कोशिश की, उन्हें कुछ नहीं मिलाः’ परन्तु वह विश्वासयोग्य थे, और उनके काम में कोई भूल या दोष न पा सके“ (6:4, एम.एस.जी)।

हम सभी अपने आपको उस तरह से अलग खड़ा नहीं कर सकते हैं जैसा कि दानिय्येल ने किया (व.3), लेकिन हमारे पास एक ’श्रेष्ठ आत्मा“ हो सकती है (व.3, ए.एम.पी)। अपने काम पर भरोसे के योग्य बनिए, और ईमानदार और सावधान बनिए,’ना तो भ्रष्ट ना ही भूलचूक“ (व.4)। अपने काम में वफादार बनिए और सबसे महत्वपूर्ण रूप से परमेश्वर के साथ अपने संबंध में वफादार बनिए।

दानिय्येल देश में सबसे ऊँचे पदवाले तीन मनुष्यों में से एक थे और उनके पास महान उत्तरदायित्व था। उनका काम बहुत ही व्यस्त और समय लेने वाला था। फिर भी वह दिन में तीन बार प्रार्थना करने के लिए समय निकाल लेते थे।

दानिय्येल सालों से बेबीलोन में रहे थे और राज्य के लिए उनका व्यवहार बहुत ही दिलचस्प है। उन्होंने अपनी पूरी भूमिका निभाई। उन्होंने सारे नियम माने। उन पर दोष लगाने वाले यह जानते थे। उन्होंने यह जान लिया कि उन पर प्रहार करने का एक ही तरीका है ऐसा एक नियम बनाना जो परमेश्वर के विरूद्ध हो – तो उन्होंने प्रार्थना करना गैरकानूनी ठहरा दिया (वव.5-7)। दानिय्येल ने खुले रूप से उस आज्ञा को न मानने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई (व.10)।

परमेश्वर से बात करना, उन पर भरोसा करने के साथ जुडा हुआ है। परमेश्वर के साथ सहभागिता करना दानिय्येल के जीवन की नंबर एक प्राथमिकता थी। वह प्रार्थना करने लगे जैसा कि वह हमेशा करते थे। उन्होंने समझौता करना अस्वीकार कर दिया। उन्होंने यह तथ्य नहीं छुपाया कि वह प्रार्थना कर रहे थे। उन्होंने खिड़कियाँ खुली रखी जैसा कि वह करते थे –ताकि सभी देख सकें।

दानिय्येल को सिंहों की गुफा में फेंक दिया गया। संपूर्ण कहानी यीशु के जीवन की अंतिम कालावधि की परछाई हैः

  • ईर्ष्या के कारण उन लोगों ने उन पर झूठे आरोप लगाए

  • उनके शत्रु उन पर लगाने के लिए कोई दोष नहीं पा रहे थे

  • अंत में उन्होंने एक धार्मिक आरोप लगाया

  • एक अनिच्छुक और कमजोर राजा को कारवाई करने के लिए मना लिया गया जोकि वह वास्तव में नहीं करना चाहते थे

  • दानिय्येल का महान साहस यीशु के महान साहस का प्रतिबिंब था।

  • परमेश्वर के द्वारा छुटकारा पुनरुत्थान का प्रतिबिंब था

यहाँ तक कि खाली कब्र प्रतिबिंब थाः’ तब एक पत्थर लाकर उस गड़हे के मुँह पर रखा गया, और राजा ने उस पर अपनी अँगूठी से, और अपने प्रधानों की अँगुठियों से मुहर लगा दी .. भोर को पौ फटते ही राजा उठा और सिंहों के गड्हे की ओर फुर्ती से चला गया“ (वव.17-19)।

संपूर्ण कहानी का सार है परमेश्वर पर दानिय्येल का पूर्ण विश्वास। इसने उसे निर्भीक बनाया। ऐसा कहा जाता है कि सिंहो ने दानिय्येल को नहीं खाया ’क्योंकि वह साहसी था। वह नियमित परमेश्वर की उपासना करता था“ (वव.16-20), और जीवित परमेश्वर के एक दास के रूप में पहचाना जाता था (व.20)। दिन के हर क्षण वह परमेश्वर के अधिकार में था।

समझौता करने के दबाव को रोकिये। परमेश्वर पर भरोसा करते रहिये यहाँ तक कि जब सबकुछ गलत होता हुआ दिखाई देता है। अलग होने का साहस रखिये।

प्रार्थना

परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि आपके साथ संपर्क के एक घनिष्ठ संबंध में चलता रहूं – आपका धन्यवाद देते हुए, आपसे बात करते हुए और आप पर भरोसा करते हुए।

पिप्पा भी कहते है

हमें दानिय्येल की तरह और लोग चाहिए हमारे लीडर्स को सलाह देने के लिए। यह बात मोहित करती है कि वह नबूकदनेसर और दारियस के प्रति बहुत ईमानदार थे। लेकिन उन्होंने अपने विश्वास के साथ समझौता नहीं किया। पहले वह परमेश्वर के पीछे गए और बाद में एक राजनैतिज्ञ/ सलाहकार बने।

दिन का वचन

दानिय्येल - 6:23

"तब राजा ने बहुत आनन्दित हो कर, दानिय्येल को गड़हे में से निकालने की आज्ञा दी। सो दानिय्येल गड़हे में से निकाला गया, और उस पर हानि का कोई चिन्ह न पाया गया, क्योंकि वह अपने परमेश्वर पर विश्वास रखता था।"

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संदर्भ

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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