अपने मन, प्राण और आत्मा को तरोताजा कैसे करें
परिचय
पूर्व टेलीइवेंजलिस्ट (टेलीविजन सुसमाचार प्रचारक), जिम बॅकर अपनी जीवनी 'आई वाज रॉन्ग' में कहते हुए अपने वंश की पीड़ा, दरिद्रता और बंधुआई के बारे में बताते हैं. उन्होंने अपनी आजादी खो दी थी, अपना विवेक, अपनी प्रतिष्ठा, अपनी निष्ठा में अपना आत्मविश्वास और अंत में अपनी पत्नी भी. उनके सहवासी 07407-058, जो एक बार राष्ट्रपति का विश्वास पात्र था, सबसे ज्यादा कोशिश की.
अपनी सबसे कमजोर स्थिति में, एक जेल अधिकारी ने उनसे कहा, 'बिली ग्राहम तुम से मिलने यहाँ आए हैं!' उन्होंने सोचा, 'बिली ग्राहम यहाँ..... इस जगह में....... मुझसे मिलने आए हैं.' जब वह उनके कमरे में गए, तो बिली ग्राहम उनकी ओर मुड़े और अपनी बाहें फैला दीं.
उस समय, जिम बॅकर ने संपूर्ण स्वीकृति और प्रेम महसूस किया: 'मैं वह पल कभी नहीं भूलूँगा कि जिस व्यक्ति को दुनिया का सबसे प्रभावशाली व्यक्ति माना जाता है और जिसने लाखों लोगों के लिए सेविकाई की है, उन्होंने अपनी व्यस्तता में से एक कैदी को मिलने के लिए समय निकाला.' वह उल्लेख करते हैं कि अपनी निराशा, बुखार और मानसिक तनाव के बीच किस तरह से बिल ग्राहम ने उनसे मिलकर उनके हृदय को तरोताजा किया और उनकी आत्मा को प्रोत्साहित किया. 'मुझे लगा जैसे स्वयं यीशु उनसे मिलने आए हैं.'
तरोताजा होने का अर्थ है शक्ति, ऊर्जा और जोश फिर से प्राप्त करना. कभी-कभी नाश्ते को 'तरोताजा' होने के रूप में भी संबोधित किया जाता है. शारीरिक रूप से तरोताजा होना नींद, विश्राम या व्यायाम करने से भी मिल सकता है.
पौलुस हमें बताते हैं कि, 'पवित्र लोगों के मन हरे भरे हो गए हैं ' (फिलेमोन 7). बाद में अपनी पत्री में, पौलुस उनसे कहते हैं, 'मसीह में मेरे जी को हरा भरा कर दे' (व.20). लेकिन आप अपना मन, हृदय और आत्मा को तरोताजा कैसे करेंगे?
भजन संहिता 119:121-128
ऐन्
121 मैंने वे बातें की हैं जो खरी और भली हैं।
हे यहोवा, तू मुझको ऐसे उन लोगों को मत सौंप जो मुझको हानि पहुँचाना चाहते हैं।
122 मुझे वचन दे कि तू मुझे सहारा देगा। मैं तेरा दास हूँ।
हे यहोवा, उन अहंकारी लोगों को मुझको हानि मत पहुँचाने दे।
123 हे यहोवा, तूने मेरे उद्धार का एक उत्तम वचन दिया था,
किन्तु अपने उद्धार को मेरी आँख तेरी राह देखते हुए थक गई।
124 तू अपना सच्चा प्रेम मुझ पर प्रकट कर। मैं तेरा दास हूँ।
तू मुझे अपने विधान की शिक्षा दे।
125 मैं तेरा दास हूँ।
अपनी वाचा को पढ़ने समझने में तू मेरी सहायता कर।
126 हे यहोवा, यही समय है तेरे लिये कि तू कुछ कर डाले।
लोगों ने तेरे विधान को तोड़ा है।
127 हे यहोवा, उत्तम सुवर्ण से भी अधिक
मुझे तेरे आदेश भाते हैं।
128 तेरे सब आदेशों का बहुत सावधानी से मैं पालन करता हूँ।
मैं झूठे उपदेशों से घृणा करता हूँ।
समीक्षा
परमेश्वर के वचन से
सोना इस दुनिया की सबसे कीमती वस्तु है. इसे मलीन नहीं किया जा सकता. यह जितना ज्यादा चमकता है उतनी कोई और धातु नहीं चमकती.
फिर भी परमेश्वर का वचन सबसे शुद्ध सोने से भी ज्यादा मूल्यवान है. भजन संहिता का लेखक कहता है: ' इस कारण मैं तेरी आज्ञाओं को सोने से वरन कुन्दन से भी अधिक प्रिय मानता हूँ,' (व. 127).
भजन संहिता के लेखक का प्राण परमेश्वर के वचन से हरा भरा हो जाता है. इस भजन में वह पहले के कहता है, ' मेरा मन तेरे नियमों की अभिलाषा के कारण हर समय खेदित रहता है....... मेरा जीवन उदासी के मारे गल चला है; तू अपने वचन के अनुसार मुझे संभाल!' (वव. 20, 28). परमेश्वर के वचन हमारे मन, हृदय और प्राण को तरोताजा करते हैं.
प्रार्थना
फिलेमोन 1:25-25
25 तुम सब पर प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह बना रहे।
समीक्षा
परमेश्वर के लोगों से
पौलुस अपने मित्र फिलेमोन से एक निवेदन करते हैं (व.1). फिलेमोन के पास उनेसिमुस नाम का एक बंधुआ था जो भाग गया था. जब उनेसिमुस भाग रहा था, तो पौलुस उसे मसीह में ले आए (व.10).
भागे हुए कैदी का सामान्य भविष्य मृत्यु या फिर शारीरिक दंड और माथे पर छाप लगाया जाना होता है. अब, इस पत्री में, जो कि अनुग्रह, नम्रता, सच्चे प्रेम और सौम्यता से भरा हुआ है, पौलुस फिलेमोन से कहते हैं कि, उनेसिमुस को फिर से अपना लो – एक गुलाम के रूप में नहीं, बल्कि एक दोस्त और एक भाई के रूप में (व.16). सदियों बाद, इन शब्दों के प्रभाव ने विशाल सामाजिक बदलाव लाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया. स्थानीय इतिहास वैश्विक इतिहास बन गया.
यह एक निवेदन है जिसकी सकारात्मक प्रतिक्रिया की पौलुस को अपेक्षा है. उसे पूरी तरह से विश्वास था कि फिलेमोन वही करेगा जो उसे करने के लिए कहा गया था (व.21). यह एक उदाहरण है और एक चुनौती कि जहाँ कहीं आप जाएं वहाँ आप प्रेम, क्षमा और मेल-मिलाप लाएं.
फिलेमोन एक करीबी दोस्त हैं. वह एक चर्च की अगुआई करता है जो उसके घर में है (व.2) और वह एक विश्वासी और प्रेमी व्यक्ति है (व.5).
पौलुस प्रार्थना करते हैं कि, 'फिलेमोन का विश्वास में सहभागी होना तुम्हारी सारी भलाई की पहचान में मसीह के लिये प्रभावशाली हो," (व.6). मैंने अल्फा में अनुभव किया है कि लोग अपनी समझ को जल्दी से विकसित कर लेते हैं जब वे छोटे समूह के सहायक और पाठ्यक्रम के आयोजक बन जाते हैं. अपने विश्वास में सहभागी होना – विकसित होने का तरीका है.
वह आगे कहते हैं, ' क्योंकि हे भाई, मुझे तेरे प्रेम से बहुत आनन्द और शान्ति मिली, इसलिये, कि तेरे द्वारा पवित्र लोगों के मन हरे भरे हो गए हैं,' (व.7). और वह फिलेमोन से निवेदन करते हैं कि, 'मसीह में मेरे जी को हरा भरा कर दे' (व.20). उनेसिमुस के लिए उनका निवेदन पूरी तरह से प्रेम पर आधारित है (व.9).
स्पष्ट रूप से, फिलेमोन अपने प्रेम के लिए जाना जाता था: 'मैं तेरे उस प्रेम और विश्वास की चर्चा सुन कर, जो सब पवित्र लोगों के साथ और प्रभु यीशु पर है। सदा परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ,' (व.4-5).
पौलुस फिलेमोन से बहुत ही व्यक्तिगत विनती करते हैं (वव.8,9, एमएसजी), कि जब उनेसिमुस वापस आए, तो अब से दास की नाईं नहीं, वरन दास से भी उत्तम, अर्थात भाई के समान रहे..... उसे इस प्रकार ग्रहण कर जैसे मुझे. और यदि उस ने तेरी कुछ हानि की है, या उस पर तेरा कुछ आता है, तो मेरे नाम पर लिख ले,' (वव.16-18). वह लिखते हैं, 'तुम ऐसा मसीह के लिए करोगे, लेकिन यह मेरे जी को भी हरा भरा कर देगा,' (व.20).
जिसने आपको दु:ख पहुँचाया है उसे क्षमा करने में और उस पर दया करने में विस्तारित प्रेम शामिल है. यह मेल-मिलाप के मार्ग को प्रशस्त करता है और संबंधों को बहाल करता है.
पौलुस फिलेमोन से मिलने की आशा करते हैं. वह लिखते हैं, ' मेरे लिये उतरने की जगह तैयार रख; मुझे आशा है, कि तुम्हारी प्रार्थनाओं के द्वारा मैं तुम्हें दे दिया जाऊंगा,' (व.22). जिन लोगों से आप प्रेम करते हैं और जो आपसे प्रेम करते हैं – चाहें वह आपका परिवार हो या आपके दोस्त - उनके साथ समय बिताना आपके हृदय और प्राण को हरा भरा कर देता है.
प्रार्थना
विलापगीत 2:7-3:39
7 यहोवा ने अपनी ही वेदी को नकार दिया
और उसने अपना उपासना का पवित्र स्थान को नकार दिया था।
यरूशलेम के महलों की दिवारें उसने शत्रु को सौंप दी।
यहोवा के मन्दिर में शत्रु शोर कर रहा था।
वे ऐसे शोर करते थे जैसे कोई छुट्टी का दिन हो।
8 उसने सिय्योन की पुत्री का परकोटा नष्ट करना सोचा है।
उसने किसी नापने की डोरी से उस पर निशान डाला था।
उसने स्वयं को विनाश से रोका नहीं।
इसलिये उसने दु:ख में भर कर के बाहरी फसीलों को
और दूसरे नगर के परकोटों को रूला दिया था।
वे दोनों ही साथ—साथ व्यर्थ हो गयीं।
9 यरूशलेम के दरवाजे टूट कर धरती पर बैठ गये।
द्वार के सलाखों को तोड़कर उसने तहस—नहस कर दिया।
उसके ही राजा और उसकी राजकुमारियाँ आज दूसरे लोगों के बीच है।
उनके लिये आज कोई शिक्षा ही नहीं रही।
यरूशलेम के नबी भी यहोवा से कोई दिव्य दर्शन नहीं पाते।
10 सिय्योन के बुजुर्ग अब धरती पर बैठते हैं।
वे धरती पर बैठते हैं और चुप रहते है।
अपने माथों पर धूल मलते हैं
और शोक वस्त्र पहनते हैं।
यरूशलेम की युवतियाँ दु:ख में
अपना माथा धरती पर नवाती हैं।
11 मेरे नयन आँसुओं से दु:ख रहे हैं!
मेरा अंतरंग व्याकुल है!
मेरे मन को ऐसा लगता है जैसे वह बाहर निकल कर धरती पर गिरा हो!
मुझको इसलिये ऐसा लगता है कि मेरे अपने लोग नष्ट हुए हैं।
सन्तानें और शिशु मूर्छित हो रहें हैं।
वे नगर के गलियों और बाजारों में मूर्छित पड़े हैं।
12 वे बच्चे बिलखते हुए अपनी माँओं से पूछते हैं, “कहाँ है माँ, कुछ खाने को और पीने को”
वे यह प्रश्न ऐसे पूछते हैं जैसे जख्मी सिपाही नगर के गलियों में गिरते प्राणों को त्यागते, वे यह प्रश्न पूछते हैं।
वे अपनी माँओं की गोद में लेटे हुए प्राणों को त्यागते हैं।
13 हे सिय्योन की पुत्री, मैं किससे तेरी तुलना करूँ?
तुझको किसके समान कहूँ?
हे सिय्योन की कुँवारी कन्या,
तुझको किससे तुलना करूँ?
तुझे कैसे ढांढस बंधाऊँ तेरा विनाश सागर सा विस्तृत है!
ऐसा कोई भी नहीं जो तेरा उपचार करें।
14 तेरे नबियों ने तेरे लिये दिव्य दर्शन लिये थे।
किन्तु वे सभी व्यर्थ झूठे सिद्ध हुए।
तेरे पापों के विरुद्ध उन्होंने उपदेश नहीं दिये।
उन्होंने बातों को सुधारने का जतन नहीं किया।
उन्होंने तेरे लिये उपदेशों का सन्देश दिया, किन्तु वे झूठे सन्देश थे।
तुझे उनसे मूर्ख बनाया गया।
15 बटोही राह से गुजरते हुए स्तब्ध होकर
तुझ पर ताली बजाते हैं।
यरूशलेम की पुत्री पर वे सीटियाँ बजाते
और माथा नचाते हैं।
वे लोग पूछते है, “क्या यही वह नगरी है जिसे लोग कहा करते थे,
‘एक सम्पूर्ण सुन्दर नगर’ तथा ‘सारे संसार का आनन्द’?”
16 तेरे सभी शत्रु तुझ पर अपना मुँह खोलते हैं।
तुझ पर सीटियाँ बजाते हैं और तुझ पर दाँत पीसते हैं।
वे कहा करते है, “हमने उनको निगल लिया!
सचमुच यही वह दिन है जिसकी हमको प्रतीक्षा थी।
आखिरकार हमने इसे घटते हुए देख लिया।”
17 यहोवा ने वैसा ही किया जैसी उसकी योजना थी।
उसने वैसा ही किया जैसा उसने करने के लिये कहा था।
बहुत—बहुत दिनों पहले जैसा उसने आदेश दिया था, वैसा ही कर दिया।
उसने बर्बाद किया, उसको दया तक नहीं आयी।
उसने तेरे शत्रुओं को प्रसन्न किया कि तेरे साथ ऐसा घटा।
उसने तेरे शत्रुओं की शक्ति बढ़ा दी।
18 हे यरूशलेम की पुत्री परकोटे, तू अपने मन से यहोवा की टेर लगा!
आँसुओं को नदी सा बहने दे!
रात—दिन अपने आँसुओं को गिरने दे!
तू उनको रोक मत!
तू अपनी आँखों को थमने मत दे!
19 जाग उठ! रात में विलाप कर!
रात के हर पहर के शुरु में विलाप कर!
आँसुओ में अपना मन बाहर निकाल दे जैसा वह पानी हो!
अपना मन यहोवा के सामने निकाल रख!
यहोवा की प्रार्थना में अपने हाथ ऊपर उठा।
उससे अपनी संतानों का जीवन माँग।
उससे तू उन सन्तानों का जीवन माँग ले जो भूख से बेहोश हो रहें है।
वे नगर के हर कूँचे गली में बेहोश पड़ी है।
20 हे यहोवा, मुझ पर दृष्टि कर!
देख कौन है वह जिसके साथ तूने ऐसा किया!
तू मुझको यह प्रश्न पूछने दे: क्या माँ उन बच्चों को खा जाये जिनको वह जनती है?
क्या माँ उन बच्चों को खा जाये जिनको वे पोसती रही है?
क्या यहोवा के मन्दिर में याजक और नबियों के प्राणों को लिया जाये?
21 नवयुवक और वृद्ध,
नगर की गलियों में धरती पर पड़े रहें।
मेरी युवा स्त्रियाँ, पुरुष और युवक
तलवार के धार उतारे गये थे।
हे यहोवा, तूने अपने क्रोध के दिन पर उनका वध किया है!
तूने उन्हें बिना किसी करुणा के मारा है!
22 तूने मुझ पर घिर आने को चारों ओर से आतंक बुलाया।
आतंक को तूने ऐसे बुलाया जैसे पर्व के दिन पर बुलाया हो।
उस दिन जब यहोवा ने क्रोध किया था ऐसा कोई व्यक्ति नहीं था जो बचकर भाग पाया हो अथवा उससे निकल पाया हो।
जिनको मैंने बढ़ाया था और मैंने पाला—पोसा, उनको मेरे शत्रुओं ने मार डाला है।
एक व्यक्ति द्वारा अपनी यातनाओं पर विचार
3मैं एक ऐसा व्यक्ति हूँ जिसने बहुतेरी यातनाएँ भोगी है;
यहोवा के क्रोध के तले मैंने बहुतेरी दण्ड यातनाएँ भोगी है!
2 यहोवा मुझको लेकर के चला
और वह मुझे अन्धेरे के भीतर लाया न कि प्रकाश में।
3 यहोवा ने अपना हाथ मेरे विरोध में कर दिया।
ऐसा उसने बारम्बार सारे दिन किया।
4 उसने मेरा मांस, मेरा चर्म नष्ट कर दिया।
उसने मेरी हड्डियों को तोड़ दिया।
5 यहोवा ने मेरे विरोध में, कड़वाहट और आपदा फैलायी है।
उसने मेरी चारों तरफ कड़वाहट और विपत्ति फैला दी।
6 उसने मुझे अन्धेरे में बिठा दिया था।
उसने मुझको उस व्यक्ति सा बना दिया था जो कोई बहुत दिनों पहले मर चुका हो।
7 यहोवा ने मुझको भीतर बंद किया, इससे मैं बाहर आ न सका।
उसने मुझ पर भारी जंजीरें घेरी थीं।
8 यहाँ तक कि जब मैं चिल्लाकर दुहाई देता हूँ,
यहोवा मेरी विनती को नहीं सुनता है।
9 उसने पत्थर से मेरी राह को मूंद दिया है।
उसने मेरी राह को विषम कर दिया है।
10 यहोवा उस भालू सा हुआ जो मुझ पर आक्रमण करने को तत्पर है।
वह उस सिंह सा हुआ हैं जो किसी ओट में छुपा हुआ हैं।
11 यहोवा ने मुझे मेरी राह से हटा दिया।
उसने मेरी धज्जियाँ उड़ा दीं।
उसने मुझे बर्बाद कर दिया है।
12 उसने अपना धनुष तैयार किया।
उसने मुझको अपने बाणों का निशाना बना दिया था।
13 मेरे पेट में बाण मार दिया।
मुझ पर अपने बाणों से प्रहार किया था।
14 मैं अपने लोगों के बीच हंसी का पात्र बन गया।
वे दिन भर मेरे गीत गा—गा कर मेरा मजाक बनाते है।
15 यहोवा ने मुझे कड़वी बातों से भर दिया कि मैं उनको पी जाऊँ।
उसने मुझको कड़वे पेयों से भरा था।
16 उसने मेरे दांत पथरीली धरती पर गडा दिये।
उसने मुझको मिट्टी में मिला दिया।
17 मेरा विचार था कि मुझको शांति कभी भी नहीं मिलेगा।
अच्छी भली बातों को मैं तो भूल गया था।
18 स्वयं अपने आप से मैं कहने लगा था, “मुझे तो बस अब और आस नहीं है कि
यहोवा कभी मुझे सहारा देगा।”
19 हे यहोवा, तू मेरे दुखिया पन याद कर,
और यह कि कैसा मेरा घर नहीं रहा।
याद कर उस कड़वे पेय को और उस जहर को जो तूने मुझे पीने को दिया था।
20 मुझको तो मेरी सारी यातनाएँ याद हैं
और मैं बहुत ही दु:खी हूँ।
21 किन्तु उसी समय जब मैं सोचता हूँ, तो मुझको आशा होने लगती हैं।
मैं ऐसा सोचा करता हूँ:
22 यहोवा के प्रेम और करुणा का तो अत कभी नहीं होता।
यहोवा की कृपाएं कभी समाप्त नहीं होती।
23 हर सुबह वे नये हो जाते हैं!
हे यहोवा, तेरी सच्चाई महान है!
24 मैं अपने से कहा करता हूँ, “यहोवा मेरे हिस्से में है।
इसी कारण से मैं आशा रखूँगा।”
25 यहोवा उनके लिये उत्तम है जो उसकी बाट जोहते हैं।
यहोवा उनके लिये उत्तम है जो उसकी खोज में रहा करते हैं।
26 यह उत्तम है कि कोई व्यक्ति चुपचाप यहोवा की प्रतिक्षा करे कि
वह उसकी रक्षा करेगा।
27 यह उत्तम है कि कोई व्यक्ति यहोवा के जुए को धारण करे,
उस समय से ही जब वह युवक हो।
28 व्यक्ति को चाहिये कि वह अकेला चुप बैठे ही रहे
जब यहोवा अपने जुए को उस पर धरता है।
29 उस व्यक्ति को चाहिये कि यहोवा के सामने वह दण्डवत प्रणाण करे।
सम्भव है कि कोई आस बची हो।
30 उस व्यक्ति को चाहिये कि वह आपना गाल कर दे, उस व्यक्ति के सामने जो उस पर प्रहार करता हो।
उस व्यक्ति को चाहिये कि वह अपमान झेलने को तत्पर रहे।
31 उस व्यक्ति को चाहिये वह याद रखे कि यहोवा किसी को भी
सदा—सदा के लिये नहीं बिसराता।
32 यहोवा दण्ड देते हुए भी अपनी कृपा बनाये रखता है।
वह अपने प्रेम और दया के कारण अपनी कृपा रखता है।
33 यहोवा कभी भी नहीं चाहता कि लोगों को दण्ड दे।
उसे नहीं भाता कि लोगों को दु:खी करे।
34 यहोवा को यह बातें नहीं भाती है:
उसको नहीं भाता कि कोई व्यक्ति अपने पैरों के तले धरती के सभी बंदियों को कुचल डाले।
35 उसको नहीं भाता है कि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को छले।
कुछ लोग उसके मुकदमें में परम प्रधान परमेश्वर के सामने ही ऐसा किया करते है।
36 उसको नहीं भाता कि कोई व्यक्ति अदालत में किसी से छल करे।
यहोवा को इन में से कोई भी बात नहीं भाती है।
37 जब तक स्वयं यहोवा ही किसी बात के होने की आज्ञा नहीं देता,
तब तक ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है कि कोई बात कहे और उसे पूरा करवा ले।
38 बुरी—भली बातें सभी परम प्रधान परमेश्वर के मुख से ही आती हैं।
39 कोई जीवित व्यक्ति शिकायत कर नहीं सकता
जब यहोवा उस ही के पापों का दण्ड उसे देता है।
समीक्षा
परमेश्वर की उपस्थिति से
भविष्यवक्ता के हृदय को तरोताजा होने की बहुत ज्यादा जरूरत है. जब यिर्मयाह यरूशलेम के विनाश पर नजर डालते हैं, तो वह सबसे ज्यादा विह्वल कर देने वाली पीड़ा से घिर जाता है. चारों तरफ विनाश था. लोग भूखे थे. यह इस हद तक पहुँच गया था कि स्त्रियाँ खुद के बच्चे को खा जाएं (220).
ऐसा नहीं था कि यह दु:ख यिर्मयाह के चारों ओर था. यह उनके हृदय और आत्मा में भी था. वह लिखते हैं, ' मेरी आंखें आंसू बहाते बहाते थक गई हैं; मेरा कलेजा फट गया है,' (व.11). उसने अपने तीरों से मेरे हृदय को बेध दिया है; (व.3:13). ' उसने मुझे रोकने के लिये किला बनाया, और मुझ को कठिन दु:ख और श्रम से घेरा है;' (व.5). ' उसने मुझे बहुत दिन के मरे हुए लोगों के समान अन्धेरे स्थानों में बसा दिया है,' (व.6).
उन्हें लगता है कि ' उसने मुझे मेरे मार्गों से भुला दिया,' (व.11). ' सब लोग मुझ पर हंसते हैं ,' (व.14). इससे भी ज्यादा वह महसूस करते हैं कि, 'उसने मुझ को मन से उतार कर कुशल से रहित किया है;' (व.17).
उन्हें ऐसा नहीं लगता कि उनकी प्रार्थना का उत्तर दिया जा रहा है: ' मैं चिल्ला चिल्ला कर दोहाई देता हूँ, तब भी वह मेरी प्रार्थना नहीं सुनता;
9 मेरे मार्गों को उसने गढ़े हुए पत्थरों से रोक रखा है, मेरी डगरों को उसने टेढ़ी कर दिया है,' (वव.8-9).
वह जानते हैं कि उत्तर 'परमेश्वर की उपस्थिति में है.' वह लिखते हैं, 'रात के हर पहर के आरम्भ में उठ कर चिल्लाया कर ! प्रभु के सम्मुख अपने मन की बातों को धारा की नाईं उण्डेल!' (2:19).
वह आगे लिखते हैं, 'मैं उन्हीं पर सोचता रहता हूँ, इस से मेरा प्राण ढला जाता है।
परन्तु मैं यह स्मरण करता हूँ, इसीलिये मुझे आाशा है:
हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महाकरुणा का फल है,
क्योंकि उसकी दया अमर है।
प्रति भोर वह नई होती रहती है; तेरी सच्चाई महान है।
मेरे मन ने कहा, यहोवा मेरा भाग है,
इस कारण मैं उस में आशा रखूंगा।
जो यहोवा की बाट जोहते और उसके पास जाते हैं, उनके लिये यहोवा भला है।
चाहे वह दु:ख भी दे, तब भी अपनी करुणा की बहुतायत के कारण वह दया भी करता है; ' (3:20-25; 32).
तरोताजा होने का समय 'प्रभु की उपस्थिति से आता है' (प्रेरितों के कार्य 3:19, एम्प). आप हर रोज ताजगी पा सकते हैं.
परमेश्वर का अनुग्रह हर सुबह नया होता है. आप हरदिन एक नई शुरुवात कर सकते हैं. आप हरदिन उनकी उपस्थिति में आ सकते हैं, उनकी बाट जोह सकते हैं, उनमें आशा रख सकते हैं और उनकी उपस्थिति से तरोताजा हो सकते हैं.
जब हम महसूस करेंगे कि परमेश्वर ने हमें कितना क्षमा किया है और उनकी दया कितनी महान है, तो हम आसानी से उन लोगों को क्षमा कर सकते हैं और उन पर दया कर सकते हैं जिन्होंने हमें दु:ख पहुँचाया है. यह महान संबंधों की मुख्य कुंजी है.
ये प्रोत्साहन के सरल और सामान्य शब्द नहीं हैं. बल्कि ये आंतरिक और बाहरी कष्ट तथा संघर्ष की गहराई और सीमा के बारे में वास्तविकता है. फिर भी इन सबके बीच में, हम परमेश्वर के प्रेम और भलाई पर निर्भर रह सकते हैं: ' हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महाकरुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है,' (विलाप गीत 3:22).
यहाँ हमें एक संकेत मिलता है कि उनका प्रेम कितना संभव बनाता है. भविष्यवक्ता लिखते हैं, ' वह अपना गाल अपने मारने वाले की ओर फेरे, और नामधराई सहता रहे' (व.30). यीशु ने अपना गाल उसके आगे कर दिया जिसने उन्हें थप्पड मारे थे (यूहन्ना 19:3; मत्ती 5:39 भी देखें) और क्रूस पर हमारे अधर्म को ले लिया. मसीह का लहू हमें सारे पापों से शुद्ध करता है (1 यूहन्ना 1:9) और उनकी मृत्यु के द्वारा आपको क्षमा मिली है, आप शुद्ध हुए हैं और नवीनिकृत हुए हैं और हरदिन अपने हृदय और आत्मा में ताजगी पाते हैं.
प्रार्थना
पिप्पा भी कहते है
विलाप गीत 3:22-23
हम दिन भर जो भी करते हैं, उस में हम इन वचनो से शांति पा सकते हैं: 'हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महाकरुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है। प्रति भोर वह नई होती रहती है; तेरी सच्चाई महान है। '
दिन का वचन
विलापगीत 3:22-23
“हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महाकरुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है। प्रति भोर वह नई होती रहती है; तेरी सच्चाई महान है।”
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संदर्भ
जिम बॅकर, आई वाज रॉन्ग, (थोमस नेल्सन, 2010) पन्ने 282-284.
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।