भला करें
परिचय
हमारे चर्च समुदाय में कुछ लोग हैं जो भलाई करना कभी नहीं छोड़ते. मैं जब भी उन्हें देखता हूँ, वे सेवा करते हैं या कुछ धोते हैं या किसी के लिए प्रार्थना करते हैं, दूसरों को प्रोत्साहित करते हैं, बीमारों को भोजन देते हैं या किसी और काम में लगे रहते हैं. वे चर्च के कार्यों के लिए उदारता से देते हैं. वे लोग ये सारी चीजें बड़े जोश और विनम्रता से करते हैं. मैं उनके उदाहरण से हमेशा प्रोत्साहित होता हूँ और चुनौती पाता हूँ.
वे भलाई करने से कभी नहीं थकते. जॉन वेसली का कथन बयान करते हुए, 'आप जितना हो सके हर तरह से हर जगह और हर समय ज्यादा से ज्यादा लोगों की भलाई करें.'
हमारे समाज में, 'परोपकारी' शब्द अपमानजनक हो गया है; इसका उपयोग निन्दा के रूप में किया जाता है, लेकिन भलाई करने को इस तरह से नहीं देखा जाना चाहिये. हमें बताया गया है कि ' यीशु भलाई करता रहा'
संत पौलुस, तीतुस को लिखते हैं, 'लोगों को याद दिलाता रह कि...... वे हर एक अच्छे काम के लिये तैयार रहें' (तीतुस 3:1). उनकी इच्छा यह थी कि जो लोग परमेश्वर पर भरोसा करते हैं, ' वे भले कामों में लगे रहने का ध्यान रखें' (वव. 8,14).
भजन संहिता 119:113-120
समेख्
113 हे यहोवा, मुझको ऐसे उन लोगों से घृणा है, जो पूरी तरह से तेरे प्रति सच्चे नहीं हैं।
मुझको तो तेरी शिक्षाएँ भाति हैं।
114 मुझको ओट दे और मेरी रक्षा कर।
हे यहोवा, मुझको उस बात का सहारा है जिसको तू कहता है।
115 हे यहोवा, दुष्ट मनुष्यों को मेरे पास मत आने दे।
मैं अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन करूँगा।
116 हे यहोवा, मुझको ऐसे ही सहारा दे जैसे तूने वचन दिया, और मैं जीवित रहूँगा।
मुझको तुझमें विश्वास है, मुझको निराश मत कर।
117 हे यहोवा, मुझको सहारा दे कि मेरा उद्धार हो।
मैं सदा तेरी आदेशों का पाठ किया करूँगा।
118 हे यहोवा, तू हर ऐसे व्यक्ति से विमुख हो जाता है, जो तेरे नियम तोड़ता है।
क्यों क्योंकि उन लोगों ने झूठ बोले जब वे तेरे अनुसरण करने को सहमत हुए।
119 हे यहोवा, तू इस धरती पर दुष्टों के साथ ऐसा बर्ताव करता है जैसे वे कूड़ा हो।
सो मैं तेरी वाचा से सदा प्रेम करूँगा।
120 हे यहोवा, मैं तुझ से भयभीत हूँ, मैं डरता हूँ,
और तेरे विधान का आदर करता हूँ।
समीक्षा
भलाई करें न कि बुरा
भलाई का विपरीत है बुरा करना. भजनकार भलाई करने के लिए दृढ़ संकल्प है. इसीलिए वह कहते हैं कि, 'हे कुकर्मियों, मुझ से दूर हो जाओ,' (व.115अ). कुकर्मी लोग 'दुचित्ते' होते हैं (व.113). वे परमेश्वर के मार्ग से भटक जाते हैं (व.118).
बुराई के बजाय भलाई करना चुनें. परमेश्वर के वचन से प्रेम करें (वव. 113, 119). परमेश्वर आपके शरण स्थान और ढाल हैं (व.114). अपनी आशा उनके वचन में लगाएं (व.114). 'मैं निरन्तर तेरी विधियों की ओर चित्त लगाए रहूंगा!' (व.117).
भजन लिखने वाला लिखता है, 'अपने वचन के अनुसार मुझे सम्भाल, कि मैं जीवित रहूं, और मेरी आशा को न तोड़!' (व.116). हमारी आशा का टूटना बहुत बुरी बात है. नीतिवचन की पुस्तक कहती है, 'जब आशा पूरी होने में विलम्ब होता है, तो मन शिथिल होता है,' (नीतिवचन 13:12). भजन लिखने वाले की यही प्रार्थना है कि उसकी आशा कभी न टूटे.
प्रार्थना
तीतुस 3:1-15
जीवन की उत्तम रीति
3लोगों को याद दिलाता रह कि वे राजाओं और अधिकारियों के अधीन रहें। उनकी आज्ञा का पालन करें। हर प्रकार के उत्तम कार्यों को करने के लिए तैयार रहें। 2 किसी की निन्दा न करें। शांति-प्रिय और सज्जन बनें। सब लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करें।
3 यह मैं इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि एक समय था, जब हम भी मूर्ख थे। आज्ञा का उल्लंघन करते थे। भ्रम में पड़े थे। तथा वासनाओं एवं हर प्रकार के सुख-भोग के दास बने थे। हम दुष्टता और ईर्ष्या में अपना जीवन जीते थे। हम से लोग घृणा करते थे तथा हम भी परस्पर एक दूसरे को घृणा करते थे। 4 किन्तु जब हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर की मानवता के प्रति करुणा और प्रेम प्रकट हुए 5 उसने हमारा उद्धार किया। यह हमारे निर्दोष ठहराये जाने के लिये हमारे किसी धर्म के कामों के कारण नहीं हुआ बल्कि उसकी करुणा द्वारा हुआ। उसने हमारी रक्षा उस स्नान के द्वारा की जिसमें हम फिर पैदा होते हैं और पवित्र आत्मा के द्वारा नये बनाए जाते है। 6 उसने हम पर पवित्र आत्मा को हमारे उद्धारकर्ता यीशु मसीह के द्वारा भरपूर उँडेला है। 7 अब परमेश्वर ने हमें अपनी अनुग्रह के द्वारा निर्दोष ठहराया है ताकि जिसकी हम आशा कर रहे थे उस अनन्त जीवन के उत्तराधिकार को पा सकें।
8 यह कथन विश्वास करने योग्य है और मैं चाहता हूँ कि तुम इन बातों पर डटे रहो ताकि वे जो परमेश्वर में विश्वास करते हैं, अच्छे कर्मों में ही लगे रहें। ये बातें लोगों के लिए उत्तम और हितकारी हैं।
9 वंशावलि सम्बन्धी विवादों, व्यवस्था सम्बन्धी झगड़ों झमेलों और मूर्खतापूर्ण मतभेदों से बचा रह क्योंकि उनसे कोई लाभ नहीं, वे व्यर्थ हैं. 10 जो व्यक्ति फूट डालता हो, उससे एक या दो बार चेतावनी देकर अलग हो जाओ। 11 क्योंकि तुम जानते हो कि ऐसा व्यक्ति मार्ग से भटक गया है और पाप कर रहा है। उसने तो स्वयं अपने को दोषी ठहराया है।
याद रखने की कुछ बातें
12 मैं तुम्हारे पास जब अरतिमास या तुखिकुस को भेजूँ तो मेरे पास निकुपुलिस आने का भरपूर जतन करना क्योंकि मैंने वहीं सर्दियाँ बिताने का निश्चय कर रखा है। 13 वकील जेनास और अप्पुलोस को उनकी यात्रा के लिए जो कुछ आवश्यक हो, उसके लिए तुम भरपूर सहायता जुटा देना ताकि उन्हें किसी बात की कोई कमी न रहे। 14 हमारे लोगों को भी सतकर्मों में लगे रहना सीखना चाहिए। उनमें से भी जिनको अत्यधिक आवश्यकता हो, उसको पूरी करना ताकि वे विफल न हों।
15 जो मेरे साथ हैं, उन सबका तुम्हें नमस्कार। हमारे विश्वास के कारण जो लोग हम से प्रेम करते हैं, उन्हें भी नमस्कार।
परमेश्वर का अनुग्रह तुम सबके साथ रहे।
समीक्षा
भलाई करने के लिए हमेशा तैयार रहें
यीशु के साथ अपने संबंध का अनुभव करने से पहले पौलुस का जीवन उनके बाद के जीवन से बहुत ही विपरीत था (और मैं इसे खुद के अनुभव से जोड़ता हूँ). पौलुस लिखते हैं, 'क्योंकि हम भी पहले, निर्बुद्धि, और आज्ञा न मानने वाले, और भ्रम में पड़े हुए, और रंग के अभिलाषाओं और सुखविलास के दासत्व में थे, और बैरभाव, और डाह करने में जीवन निर्वाह करते थे, और घृणित थे, और एक दूसरे से बैर रखते थे,' (व.3).
मगर यीशु जीवन को पूरी तरह से बदल देते हैं: 'पर जब हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर की कृपा, और मनुष्यों पर उसकी प्रीति प्रकट हुई। तो उस ने हमारा उद्धार किया : और यह धर्म के कामों के कारण नहीं, जो हम ने आप किए, पर अपनी दया के अनुसार, नए जन्म के स्नान, और पवित्र आत्मा के हमें नया बनाने के द्वारा हुआ' (वव.4-5). भलाई करना, परमेश्वर की भलाई और प्रेम के प्रति हमारी प्रतिक्रिया है. हम अक्सर अपने परिवार और दोस्तों की भलाई करने के बारे में सोचते हैं, लेकिन परमेश्वर इससे भी ज्यादा दयालु हैं. यदि परमेश्वर आप पर इतनी दया करते हैं, तो दूसरों के प्रति दया करना आपकी स्वाभाविक प्रतिक्रिया है.
उनके प्रेम और करूणा के कारण, परमेश्वर ने आपको केवल क्षमा ही नहीं किया बल्कि उन्होंने अपना पवित्र आत्मा भी हमको दिया है. हमारे उद्धारकर्ता यीशु ने बड़ी उदारता से हम में नया जीवन ऊँडेला है. परमेश्वर के उपहार ने उनके साथ हमारे संबंध को पुनर्स्थापित किया है और हमें हमारा जीवन वापस दिया है' (वव. 5-7, एमएसजी). पवित्र आत्मा ही हैं जो आपको भलाई करने के लिए सक्षम बनाते हैं और आपको सामर्थ देते हैं.
इसलिए, पौलुस उस जीवन के बारे में लिखते हैं जो हमें अब जीना चाहिये: 'लोगों को सुधि दिला, कि हाकिमों और अधिकारियों के आधीन रहें, और उन की आज्ञा मानें,' (व.1). यह हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है – अपने देश के नियमों का पालन करना – जब तक कि वे परमेश्वर की व्यवस्था के विपरीत न हों.
लेकिन हाकिमों और अधिकारियों के प्रति आज्ञा पालन और अधीनता पर्याप्त नहीं है. हमें चाहिये कि हम 'हर एक अच्छे काम के लिये तैयार रहें। किसी को बदनाम न करें; झगडालू न होकर कोमल स्वभाव के हों, और सब मनुष्यों के साथ बड़ी नम्रता के साथ रहें,' (वव 1-2). वह उन्हें जोर देकर कहते हैं कि 'वे भले-भले कामों में लगे रहने का ध्यान रखें,' (वव.8,14).
यह आश्चर्यजनक बात है कि यहाँ पर वह लोगों को दूसरों के साथ अपने संबंध पर ध्यान देने के लिए कहते हैं. पौलुस 'दूसरों पर ध्यान केंद्रित' करने के दृष्टिकोण पर जोर देते हैं, जो कि इंसानियत, सच्चाई और दूसरों के बारे में सोचने से जुड़ी हुई है. जबकि हमें दूसरों से प्रेमपूर्ण रहना चाहिये, लेकिन वास्तव में कभी-कभी दूसरों की सेवा करते हुए हम उनसे प्रेम करना सीखते हैं.
हमारा नया जन्म होने और पवित्र आत्मा से नवीनीकृत होने के बावजूद, लालसाओं में भटक जाने और निष्फल होने का अवसर बना रहता है. निरर्थक बातों में न उलझें. पौलुस लिखते हैं, 'पर मूर्खता के विवादों, और वंशावलियों, और बैर विरोध, और उन झगड़ों से, जो व्यवस्था के विषय में हों बचा रह; क्योंकि वे निष्फल और व्यर्थ हैं,' (व.9).
पौलुस को इस बात की चिंता है कि मसीही उन रीति रिवाजों से अलग रहें जिसमें वे रहते हैं. वह लिखते हैं, ' हमारे लोग भी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये अच्छे कामों में लगे रहना सीखें ताकि निष्फल न रहें,' (व.3:14).
एक मसीही होने के नाते आप नजर लगाए रहने वाली दुनिया के सामने वह जीवन जीते हैं जिस पर आप विश्वास करते हैं. यदि हम आलसी और निष्फल रहें, तो यह नजर आ जाएगा. हमें भलाई करते हुए अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर की कृपा और मनुष्यों पर उसकी प्रीति को प्रकट करना है,' (व.4).
भलाई करना और फलदायी जीवन बिताने का यह मतलब नहीं है कि आपको अपनी जीविका बदलने की जरूरत है. जब मैं एक वकील के तौर पर काम कर रहा था, तो मुझे इस बात का ख्याल रहता था कि परमेश्वर मुझे चर्च ऑफ इंग्लैंड में अभिषेक के लिए जरूर बुलाएंगे. मैं 'वकील ज़ेनस' के उल्लेख से बहुत प्रभावित हुआ (व.13). इसने मुझे याद दिलाया कि यदि मुझे एक वकील के रूप में काम करने से मना भी करना पड़े, तो यह इसलिए नहीं कि मसीही होते हुए भी वकालत करना एक गलत बात है. आप जीवन में कहीं भी हों और चाहें कोई भी काम या सेविकाई कर रहे हों, अपने आसपास भलाई करना संभव है.
प्रार्थना
विलापगीत 1:1-2:6
अपने विनाश पर यरूशलेम का विलाप
1एक समय वह था जब यरूशलेम में लोगों की भीड़ थी।
किन्तु आज वही नगरी उजाड़ पड़ी हुई हैं!
एक समय वह था जब देशों के मध्य यरूशलेम महान नगरी थी!
किन्तु आज वही ऐसी हो गयी है जैसी कोई विधवा होती है!
वह समय था जब नगरियों के बीच वह एक राजकुमारी सी दिखती थी।
किन्तु आज वही नगरी दासी बना दी गयी है।
2 रात में वह बुरी तरह रोती है
और उसके अश्रु गालों पर टिके हुए है!
उसके पास कोई नहीं है जो उसको ढांढस दे।
उसके मित्र देशों में कोई ऐसा नहीं है जो उसको चैन दे।
उसके सभी मित्रों ने उससे मुख फेर लिया।
उसके मित्र उसके शत्रु बन गये।
3 बहुत कष्ट सहने के बाद यहूदा बंधुआ बन गयी।
बहुत मेहनत के बाद भी यहूदा दूसरे देशों के बीच रहती है,
किन्तु उसने विश्राम नहीं पाया है।
जो लोग उसके पीछे पड़े थे,
उन्होंने उसको पकड़ लिया।
उन्होंने उसको संकरी घाटियों के बीच में पकड़ लिया।
4 सिय्योन की राहें बहुत दु:ख से भरी हैं।
वे बहुत दु:खी हैं क्योंकि अब उत्सव के दिनों के हेतु
कोई भी व्यक्ति सिय्योन पर नहीं जाता है।
सिय्योन के सारे द्वार नष्ट कर दिये गये है।
सिय्योन के सब याजक दहाड़ें मारते हैं।
सिय्योन की सभी युवा स्त्रियाँ उससे छीन ली गयी हैं
और यह सब कुछ सिय्योन का गहरा दु:ख है।
5 यरूशलेम के शत्रु विजयी हैं।
उसके शत्रु सफल हो गये हैं,
ये सब इसलिये हो गया क्योंकि यहोवा ने उसको दण्ड दिया।
उसने यरूशलेम के अनगिनत पापों के लिये उसे दण्ड दिया।
उसकी संताने उसे छोड़ गयी।
वे उनके शत्रुओं के बन्धन में पड़ गये।
6 सिय्योन की पुत्री की सुंदरता जाती रही है।
उसकी राजकन्याएं दीन हरिणी सी हुई।
वे वैसी हरिणी थीं जिनके पास चरने को चरागाह नहीं होती।
बिना किसी शक्ति के वे इधर—उधर भागती हैं।
वे ऐसे उन व्यक्तियों से बचती इधर—उधर फिरती हैं जो उनके पीछे पड़े हैं।
7 यरूशलेम बीती बात सोचा करती है,
उन दिनों की बातें जब उस पर प्रहार हुआ था और वह बेघर—बार हुई थी।
उसे बीते दिनों के सुख याद आते थे।
वे पुराने दिनों में जो अच्छी वस्तुएं उसके पास थीं, उसे याद आती थीं।
वह ऐसे उस समय को याद करती है
जब उसके लोग शत्रुओं के द्वारा बंदी किये गये।
वह ऐसे उस समय को याद करती है
जब उसे सहारा देने को कोई भी व्यक्ति नहीं था।
जब शत्रु उसे देखते थे, वे उसकी हंसी उड़ाते थे।
वे उसकी हंसी उड़ाते थे क्योंकि वह उजड़ चुकी थी।
8 यरूशलेम ने गहन पाप किये थे।
उसने पाप किये थे कि जिससे वह ऐसी वस्तु हो गई
कि जिस पर लोग अपना सिर नचाते थे।
वे सभी लोग उसको जो मान देते थे,
अब उससे घृणा करने लगे।
वे उससे घृणा करने लगे क्योंकि उन्होंने उसे नंगा देख लिया है।
यरूशलेम दहाड़े मारती है
और वह मुख फेर लेती है।
9 यरूशलेम के वस्त्र गंदे थे।
उसने नहीं सोचा था कि उसके साथ क्या कुछ घटेगा।
उसका पतन विचित्र था, उसके पास कोई नहीं था जो उसको शांति देता।
वह कहा करती है, “हे यहोवा, देख मैं कितनी दु:खी हूँ!
देख मेरा शत्रु कैसा सोच रहा है कि वह कितना महान है!”
10 शत्रु ने हाथ बढ़ाया और उसकी सब उत्तर वस्तु लूट लीं।
दर असल उसने वे पराये देश उसके पवित्र स्थान में भीतर प्रवेश करते हुये देखे।
हे यहोवा, यह आज्ञा तूने ही दी थी कि वे लोग तेरी सभा में प्रवेश नहीं करेंगे!
11 यरूशलेम के सभी लोग कराह रहे हैं, उसके सभी लोग खाने की खोज में है।
वे खाना जुटाने को अपने मूल्यवान वस्तुयें बेच रहे हैं।
वे ऐसा करते हैं ताकि उनका जीवन बना रहे।
यरूशलेम कहता है, “देख यहोवा, तू मुझको देख!
देख, लोग मुझको कैसे घृणा करते है।
12 मार्ग से होते हुए जब तुम सभी लोग मेरे पास से गुजरते हो तो ऐसा लगता है जैसे ध्यान नहीं देते हो।
किन्तु मुझ पर दृष्टि डालो और जरा देखो,
क्या कोई ऐसी पीड़ा है जैसी पीड़ा मुझको है
क्या ऐसा कोई दु:ख है जैसा दु:ख मुझ पर पड़ा है
क्या ऐसा कोई कष्ट है जैसे कष्ट का दण्ड यहोवा ने मुझे दिया है
उसने अपने कठिन क्रोध के दिन पर मुझको दण्डित किया है।
13 यहोवा ने ऊपर से आग को भेज दिया और वह आग मेरी हड्डियों के भीतर उतरी।
उसने मेरे पैरों के लिये एक फंदा फेंका।
उसने मुझे दूसरी दिशा में मोड़ दिया है।
उसने मुझे वीरान कर डाला है।
सारे दिन मैं रोती रहती हूँ।
14 “मेरे पाप मुझ पर जुए के समान कसे गये।
यहोवा के हाथों द्वारा मेरे पाप मुझ पर कसे गये।
यहोवा का जुआ मेरे कन्धों पर है।
यहोवा ने मुझे दुर्बल बना दिया है।
यहोवा ने मुझे उन लोगों को सौंपा जिनके सामने मैं खड़ी नहीं हो सकती।
15 “यहोवा ने मेरे सभी वीर योद्धा नकार दिये।
वे वीर योद्धा नगर के भीतर थे।
यहोवा ने मेरे विरुद्ध में फिर एक भीड़ भेजी,
वह मेरे युवा सैनिक को मरवाने उन लोगों को लाया था।
यहोवा ने मेरे अंगूर गरठ में कुचल दिये।
वह गरठ यरूशलेम की कुमारियों का होता था।
16 “इन सभी बातों को लेकर मैं चिल्लाई।
मेरे नयन जल में डूब गये।
मेरे पास कोई नहीं मुझे चैन देने।
मेरे पास कोई नहीं जो मुझे थोड़ी सी शांति दे।
मेरे संताने ऐसी बनी जैसे उजाड़ होता है।
वे ऐसे इसलिये हुआ कि शत्रु जीत गया था।”
17 सिय्योन अपने हाथ फैलाये हैं।
कोई ऐसा व्यक्ति नहीं था जो उसको चैन देता।
यहोवा ने याकूब के शत्रुओं को आज्ञा दी थी।
यहोवा ने उसे घेर लेने की आज्ञा दी थी।
यरूशलेम ऐसी हो गई जैसी कोई अपवित्र वस्तु थी।
18 यरूशलेम कहा करती है,
“यहोवा तो न्यायशील है
क्योंकि मैंने ही उस पर कान देना नकारा था।
सो, हे सभी व्यक्तियों, सुनो!
तुम मेरा कष्ट देखो!
मेरे युवा स्त्री और पुरुष बंधुआ बना कर पकड़े गये हैं।
19 मैंने अपने प्रेमियों को पुकारा।
किन्तु वे आँखें बचा कर चले गये।
मेरे याजक और बुजुर्ग मेरे नगर में मर गये।
वे अपने लिये भोजन को तरसते थे।
वे चाहते थे कि वे जीवित रहें।
20 “हे यहोवा, मुझे देख! मैं दु:ख में पड़ी हूँ!
मेरा अंतरंग बेचैन है!
मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मेरा हृदय उलट—पलट गया हो!
मुझे मेरे मन में ऐसा लगता है क्योंकि मैं हठी रही थी!
गलियों में मेरे बच्चों को तलवार ने काट डाला है।
घरों के भीतर मौत का वास था।
21 “मेरी सुन, क्योंकि मैं कराह रही हूँ!
मेरे पास कोई नहीं है जो मुझको चैन दे,
मेरे सब शत्रुओं ने मेरी दु:खों की बात सुन ली है।
वे बहुत प्रसन्न हैं।
वे बहुत ही प्रसन्न हैं क्योंकि तूने मेरे साथ ऐसा किया।
अब उस दिन को ले आ
जिसकी तूने घोषणा की थी।
उस दिन तू मेरे शत्रुओं को वैसी ही बना दे जैसी मैं अब हूँ।
22 “मेरे शत्रुओं का बंदी तू अपने सामने आने दे।
फिर उनके साथ तू वैसा ही करेगा
जैसा मेरे पापों के बदले में तूने मेरे साथ किया।
ऐसा कर क्योंकि मैं बार बार कराह रहा।
ऐसा कर क्योंकि मेरा हृदय दुर्बल है।”
यहोवा द्वारा यरूशलेम का विनाश
2देखें यहोवा ने सिय्योन की पुत्री को,
कैसे बादल से ढक दिया है।
उसने इस्राएल की महिमा
आकाश से धरती पर फेंक दी।
यहोवा ने उसे याद तक नहीं रखा कि
सिय्योन अपने क्रोध के दिन पर उसके चरणों की चौकी हुआ करता था।
2 यहोवा ने याकूब के भवन निगल लिये।
वह दया से रहिन होकर उसको निगल गया।
उसने यहूदा की पुत्री के गढ़ियों को भर क्रोध में मिटाया।
यहोवा ने यहूदा के राजा को गिरा दिया; और यहूदा के राज्य को धरती पर पटक दिया।
उसने राज्य को बर्बाद कर दिया।
3 यहोवा ने क्रोध में भर कर के इस्राएल की सारी शक्ति उखाड़ फेंकी।
उसने इस्राएल के ऊपर से अपने दाहिना हाथ उठा लिया है।
उसने ऐसा उस घड़ी में किया था
जब शत्रु उस पर चढ़ा था।
वह याकूब में धधकती हुई आग सा भड़की।
वह एक ऐसी आग थी जो आस—पास का सब कुछ चट कर जाती है।
4 यहोवा ने शत्रु के समान अपना धनुष खेंचा था।
उसके दाहिने हाथ में उसके तलवार का मुटठा था।
उसने यहूदा के सभी सुन्दर पुरुष मार डाले।
यहोवा ने उन्हें मार दिया मानों जैसे वे शत्रु हों।
यहोवा ने अपने क्रोध को बरसाया।
यहोवा ने सिय्योन के तम्बुओं पर उसको उडेंल दिया जैसे वह आग हो।
5 यहोवा शत्रु हो गया था
और उसने इस्राएल को निगल लिया।
उसकी सभी महलों को उसने निगल लिया
उसके सभी गढ़ियों को उसने निगल लिया था।
यहूदा की पुत्री के भीतर मरे हुए लोगों के हेतु उसने हाहाकार
और शोक मचा दिया।
6 यहोवा ने अपना ही मन्दिर नष्ट किया था
जैसे वह कोई उपवन हो,
उसने उस ठांव को नष्ट किया
जहाँ लोग उसकी उपासना करने के लिये मिला करते थे।
यहोवा ने लोगों को ऐसा बना दिया कि वे सिय्योन में विशेष सभाओं को
और विश्राम के विशेष दिनों को भूल जायें।
यहोवा ने याजक और राजा को नकार दिया।
उसने बड़े क्रोध में भर कर उन्हें नकारा।
समीक्षा
जो भलाई करता रहता है उनके निकट बने रहें
विलाप गीत की पुस्तक के परिचय में यूजीन पीटर्सन लिखते हैं, 'मनुष्य होना यानि कष्ट उठाना है, इससे कोई नहीं बचा है. सभोपदेशक बाइबल आधारित गहन साक्ष से जुड़ा हुआ है जो दु:ख उठाने के प्रति दृढ़ता से कहता है कि परमेश्वर हमारे कष्ट के समय में हमारे साथ रहते हैं.'
यह पुस्तक, जैसा कि नाम से जाहिर होता है, दु:ख, पीड़ा, दर्द, हानि और कष्ट पर ध्यान केन्द्रित करता है जिसे देश-निष्कासन के दौरान परमेश्वर के लोगों ने महसूस किया था. हमारी स्थिति शायद अलग हो सकती है, लेकिन हमारे कष्ट उतने ही वास्तविक हैं.
विलाप गीत के पुस्तक का लेखक लिखता है कि अपने अनेक पापों के कारण किस तरह से महान इस्राएल देश निष्कासित होता है: 'वह चट्टान और कठोर जगह के बीच फंस गई (1:3, एमएसजी), ...... सबकुछ गंवा दिया, (व.7, एमएसजी), ....... गलियों में नरसंहार, घर में भूखमरी' (व. 20, एमएसजी).
जब हम आज का लेखांश पढ़ते हैं, तो बहुत थोड़ी सी आशा नजर आती है. यह न्याय और दु:ख उठाने के बारे में है. लेखक कहता है, 'क्या मेरे कष्ट के जैसा कोई और कष्ट भी है.....? (व.12). परेशानी और कष्ट से गुजरते समय हम अक्सर ऐसा ही सोचते हैं.
वह लिखता है, ' उसने जुए की रस्सियों की नाईं मेरे अपराधों को अपने हाथ से कसा है; उसने उन्हें बटकर मेरी गर्दन पर चढ़ाया, और मेरा बल घटा दिया है; जिनका मैं सामना भी नहीं कर सकता, उन्हीं के वश में परमेश्वर ने मुझे कर दिया है' (व.14).
उसके पापों की तस्वीर, उसके गर्दन पर रखे भारी जुए के समान है, जो उसे बोझ से नीचे दबा रहा है. वह उन जुए के द्वारा थका हुआ और बोझिल हो गया है.
यह देश से निकाले जाने, न्याय और गहरे कष्ट का अनुभव है. यह शारीरिक निष्कासन तकरीबन सत्तर साल तक बना रहा, लेकिन इसमें एक भावना छिपी है जिसमें निष्कासन का आत्मिक अनुभव जारी रहता है.
परमेश्वर का धन्यवाद हो कि, यीशु यह बताने आए कि सच में देश से निष्कासन पूरा हुआ और यह कि आपको पाप के बोझ से हारा हुआ और बोझिल महसूस करने की जरूरत नहीं है. यीशु ने कहा है, 'हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। मेरा जुआ अपने ऊपर उठा लो; और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूं : और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे। क्योंकि मेरा जुआ सहज और मेरा बोझ हल्का है,' (मत्ती 11:28-30).
यह भलाई करने का रहस्य है: उस व्यक्ति के करीब बने रहें जो भलाई करता आ रहा है. अपना बोझ यीशु को दें और उनका विश्राम ग्रहण करें. उनका जुआ उठा लें और उनसे सीखें – उनके सौम्य और विनम्र हृदय से – क्योंकि वह ही भलाई करने का स्रोत हैं.
प्रार्थना
पिप्पा भी कहते है
तीतुस 3:14
'हमारे लोगों को........ निष्फल जीवन नहीं बिताना चाहिये.'
मैं पूछती हूँ परमेश्वर हमारे फलदायी जीवन के बारे में क्या सोचते हैं. जीवन व्यस्त है. क्या करना है इसका निर्णय लेना मुश्किल है. परमेश्वर के राज्य में, हम सोचते हैं कि कुछ अमहत्वपूर्ण है, लेकिन परमेश्वर के लिए यह शायद सबसे महत्वपूर्ण चीज है.
दिन का वचन
तीतुस 3:8
“यह बात सच है, और मैं चाहता हूं, कि तू इन बातों के विषय में दृढ़ता से बोले इसलिये कि जिन्हों ने परमेश्वर की प्रतीति की है, वे भले-भले कामों में लगे रहने का ध्यान रखें: ये बातें भली, और मनुष्यों के लाभ की हैं।”
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संदर्भ
यूजन पीटरसन, 'द मैसेज, इंट्रोडक्शन टू लेमेंटेशन्स,' (नावप्रेस, 1993), पन्ना 1110.
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।
'परोपकारी' शब्द अपमानजनक हो गया है; इसका उपयोग निन्दा के रूप में किया जाता है:
परोपकारी यह सब बेकार है, यानि आधुनिक समय की "सामाजिक क्रांति" का बकवास (18 जनवरी 1927, सेंट लुईस पोस्ट-डिस्पैच). लेकिन भलाई करने को इस तरह से नहीं देखा जाना चाहिये. हमें बताया गया है कि ' यीशु भलाई करता रहा' (प्रेरितों के कार्य 10:38).