जीने योग्य जीवन
परिचय
'भविष्य में, शायद से वैज्ञानिक जीवनकाल की अवधि बढ़ा दें, लेकिन क्या यह जीने योग्य होगा?' द टाइम्स में निगेल हॉक्स ने लिखा।
स्पष्टतया, ऑक्सफर्ड के एक प्रोफेसर दावा करते हैं कि जल्द ही बहुत से लोगों के जीवन को उम्र 115 तक बढ़ाना संभव हो जाएगा। लेकिन हॉक्स सही रीति से पूछते हैं, 'क्या यह जीने योग्य होगा?' एक बढ़ा हुआ जीवनकाल कम महत्वपूर्ण है यदि यह जीवन जीने योग्य नहीं है।
पौलुस प्रेरित ने जीवन काल को बढ़ाना एक मुख्य मुद्दे के रूप में नहीं देखाः'क्योंकि मेरे लिए जीना मसीह है, और मरना लाभदायक' (फिलिप्पियो 1:21)। सच में, उन्होंने मृत्यु को और भी अधिक महत्वपूर्ण माना। उनके लिए, यीशु मसीह ने उनके जीवन को महान रूप से जीने योग्य बनाया था।
नीतिवचन 23:29-24:4
कहावत 19
29-30 कौन विपत्ति में है कौन दुःख में पड़ा है कौन झगड़े—टंटों में किसकी शिकायतें हैं कौन व्यर्थ चकना चूर किसकी आँखें लाल हैं वे जो निरन्तर दाखमधु पीते रहते हैं और जिसमें मिश्रित मधु की ललक होती है!
31 जब दाखमधु लाल हो, और प्यालें में झिलमिलाती हो और धीरे—धीरे डाली जा रही हो, उसको ललचायी आँखों से मत देखो। 32 सर्प के समान वह डसती, अन्त में जहर भर देती है जैसे नाग भर देता है।
33 तेरी आँखों में विचित्र दृष्य तैरने लगेगे, तेरा मन उल्टी—सीधी बातों में उलझेगा। 34 तू ऐसा हो जायेगा, जैसे उफनते सागर पर सो रहा हो और जैसे मस्तूल की शिखर लेटा हो। 35 तू कहेगा, “उन्होंने मुझे मारा पर मुझे तो लगा ही नहीं। उन्होंने मुझे पीटा, पर मुझ को पता ही नहीं। मुझ से आता नहीं मुझे उठा दो और मुझे पीने को और दो।”
कहावत 20
24दुष्ट जन से तू कभी मत होड़कर। उनकी संगत की तू चाहत मत कर। 2 क्योंकि उनके मन हिंसा की योजनाएँ रचते और उनके होंठ दुःख देने की बातें करते हैं।
कहावत 21
3 बुद्धि से घर का निर्माण हो जाता है, और समझ—बूझ से ही वह स्थिर रहता है। 4 ज्ञान के द्वारा उसके कक्ष अद्भुत और सुन्दर खजानों से भर जाते हैं।
समीक्षा
परमेश्वर के साथ एक संबंध में जीओ
यीशु मसीह के द्वारा आप परमेश्वर के साथ एक संबंध के लिए निर्मित किए गए थे। उस संबंध के बिना हम हमेशा अंदर से खाली महसूस करेंगे। जैसा कि सेंट अगस्टाईन ने लिखा, '(परमेश्वर) आपने हमें अपने लिए बनाया है, और हमारे हृदय विश्रामहीन हैं जब तक वह आपमें विश्राम न कर लें।'
लोग विभिन्न चीजों से इस खालीपन को भरने की कोशिश करते हैं। कुछ के लिए यह, शराब है और यद्यपि शराब पीने में कोई खराबी नहीं है, यह उस गहरी आंतरिक प्यास को नहीं बुझाता है जो हमारे हृदय में है।
यह बहुत ही आकर्षक लगता है 'जब इसे प्याले में ऊँडेला जाता है, जब यह आसानी से नीचे चला जाता है' (23:31)। किंतु, यदि हम इस रास्ते पर चले और इसका अति आनंद लेने लगे, ' अन्त में वह सर्प के समान डसता है, और करैत के समान काटता है' (व.32)। लेखक अत्यधिक स्पष्ट रीति से शराबीपन के परिणाम का वर्णन करते हैं:' तू विचित्र वस्तुएँ देखेगा, और उल्टी – सीधी बातें बकता रहेगा। तू समुद्र के बीच लेटने वाले या मस्तुल के सिरे पर सोने वाले के समान रहेगा। तू कहेगा कि मैं ने मार तो खाई, परन्तु दुःखित न हुआ; मैं पिट तो गया, परन्तु मुझे कुछ सुधि न थी। मैं होश में कब आउँ? मैं तो फिर मदिरा ढूँढूँगा।' (वव.34-35, एम.एस.जी)। ' कौन कहता है, हाय? कौन कहता है, हाय हाय? कौन झगड़े रगड़े में फँसता है? कौन बक बक करता है? किसके अकारण घाव होते हैं? किसकी आँखें लाल हो जाती हैं?' (व.29)।
इसके विपरीत, लेखक बुद्धि और ज्ञान की आशीषों के बारे में बताते हैं: समझदारी, युक्तिकारक योजना और बहुत सी अच्छी सलाह (24:3-4, एम.एस.जी)। कहाँ पर हमें ऐसी बुद्धि और ज्ञान मिलेगा? पौलुस प्रेरित ने मसीह को जानने के बारे में बताया 'जिसमें बुद्धि और ज्ञान के सारे खजाने छिपे हुए हैं' (कुलुस्सियो 2:2-3)।
प्रार्थना
फिलिप्पियों 1:1-26
1यीशु मसीह के सेवक पौलुस और तिमुथियुस की ओर से मसीह यीशु में स्थित फिलिप्पी के रहने वाले सभी संत जनों के नाम जो वहाँ निरीक्षकों और कलीसिया के सेवकों के साथ निवास करते हैं:
2 हमारे परम पिता परमेश्वर और हमारे प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्ति प्राप्त हो।
पौलुस की प्रार्थना
3 मैं जब जब तुम्हें याद करता हूँ, तब तब परमेश्वर को धन्यवाद देता हूँ। 4 अपनी हर प्रार्थना में मैं सदा प्रसन्नता के साथ तुम्हारे लिये प्रार्थना करता हूँ। 5 क्योंकि पहले ही दिन से आज तक तुम सुसमाचार के प्रचार में मेरे सहयोगी रहे हो। 6 मुझे इस बात का पूरा भरोसा है कि वह परमेश्वर जिसने तुम्हारे बीच ऐसा उत्तम कार्य प्रारम्भ किया है, वही उसे उसी दिन तक बनाए रखेगा, जब मसीह यीशु फिर आकर उसे पूरा करेगा।
7 तुम सब के विषय में मेरे लिये ऐसा सोचना ठीक ही है। क्योंकि तुम सब मेरे मन में बसे हुए हो। और न केवल तब, जब मैं जेल में हूँ, बल्कि तब भी जब मैं सुसमाचार के सत्य की रक्षा करते हुए, उसकी प्रतिष्ठा में लगा था, तुम सब इस विशेषाधिकार में मेरे साथ अनुग्रह में सहभागी रहे हो। 8 परमेश्वर मेरा साक्षी है कि मसीह यीशु द्वारा प्रकट प्रेम से मैं तुम सब के लिये व्याकुल रहता हूँ।
9 मैं यही प्रार्थना करता रहता हूँ:
तुम्हारा प्रेम गहन दृष्टि और ज्ञान के साथ निरन्तर बढ़े। 10 ये गुण पाकर भले बुरे में अन्तर करके, सदा भले को अपना लोगे। और इस तरह तुम पवित्र अकलुष बन जाओगे उस दिन को जब मसीह आयेगा। 11 यीशु मसीह की करुणा को पा कर तुम अति उत्तम काम करोगे जो प्रभु को महिमा देते हैं और उसकी स्तुति बनते।
पौलुस की विपत्तियाँ प्रभु के कार्य में सहायक
12 हे भाईयों, मैं तुम्हें जना देना चाहता हूँ कि मेरे साथ जो कुछ हुआ है, उससे सुसमाचार को बढ़ावा ही मिला है। 13 परिणामस्वरूप संसार के समूचे सुरक्षा दल तथा अन्य सभी लोगों को यह पता चल गया है कि मुझे मसीह का अनुयायी होने के कारण ही बंदी बनाया गया है। 14 इसके अतिरिक्त प्रभु में स्थित अधिकतर भाई मेरे बंदी होने के कारण उत्साहित हुए हैं और अधिकाधिक साहस के साथ सुसमाचार को निर्भयतापूर्वक सुना रहे हैं।
15 यह सत्य है कि उनमें से कुछ ईर्ष्या और बैर के कारण मसीह का उपदेश देते हैं किन्तु दूसरे लोग सदभावना से प्रेरित होकर मसीह का उपदेश देते हैं। 16 ये लोग प्रेम के कारण ऐसा करते हैं क्योंकि ये जानते हैं कि परमेश्वर ने सुसमाचार का बचाव करने के लिए ही मुझे यहाँ रखा है। 17 किन्तु कुछ और लोग तो सच्चाई के साथ नहीं, बल्कि स्वार्थ पूर्ण इच्छा से मसीह का प्रचार करते है क्योंकि वे सोचते हैं कि इससे वे बंदीगृह में मेरे लिए कष्ट पैदा कर सकेंगे। 18 किन्तु इससे कोई अंतर नहीं पड़ता। महत्वपूर्ण तो यह है कि एक ढंग से या दूसरे ढंग से, चाहे बुरा उद्देश्य हो, चाहे भला प्रचार तो मसीह का ही होता है और इससे मुझे आनन्द मिलता है और आनन्द मिलता ही रहेगा।
19 क्योंकि मैं जानता हूँ कि तुम्हारी प्रार्थनाओं के द्वारा और उस सहायता से जो यीशु मसीह की आत्मा से प्राप्त होती है, परिणाम में मेरी रिहाई ही होगी। 20 मेरी तीव्र इच्छा और आशा यही है और मुझे इसका विश्वास है कि मैं किसी भी बात से निराश नहीं होऊँगा बल्कि पूर्ण निर्भयता के साथ जैसे मेरे देह से मसीह की महिमा सदा होती रही है, वैसे ही आगे भी होती रहेगी, चाहे मैं जीऊँ और चाहे मर जाऊँ। 21 क्योंकि मेरे जीवन का अर्थ है मसीह और मृत्यु का अर्थ है एक उपलब्धि। 22 किन्तु यदि मैं अपने इस शरीर से जीवित ही रहूँ तो इसका अर्थ यह होगा कि मैं अपने कर्म के परिणाम का आनन्द लूँ। सो मैं नहीं जानता कि मैं क्या चुनूँ। 23 दोनों विकल्पों के बीच चुनाव में मुझे कठिनाई हो रही है। मैं अपने जीवन से विदा होकर मसीह के पास जाना चाहता हूँ क्योंकि वह अति उत्तम होगा। 24 किन्तु इस शरीर के साथ ही मेरा यहाँ रहना तुम्हारे लिये अधिक आवश्यक है। 25 और क्योंकि यह मैं निश्चय के साथ जानता हूँ कि मैं यही रहूँगा और तुम सब की आध्यात्मिक उन्नति और विश्वास से उत्पन्न आनन्द के लिये तुम्हारे साथ रहता ही रहूँगा। 26 ताकि तुम्हारे पास मेरे लौट आने के परिणामस्वरूप तुम्हें मसीह यीशु में स्थित मुझ पर गर्व करने का और अधिक आधार मिल जाये।
समीक्षा
दूसरों के जीवन में एक अंतर पैदा कीजिए
क्या आप चाहते हैं कि आपकी परिस्थितियाँ बदल जाएँ?
यदि आप बड़ी चुनौतियों या कठिनाईयों का सामना कर रहे हैं, तो इस तथ्य के द्वारा उत्साहित हो जाईये कि आपके संघर्षों के बीच में परमेश्वर आपका इस्तेमाल कर सकते हैं। वह आपके द्वारा काम कर सकते हैं, उन तरीकों से जिसकी आपने आशा नहीं की थी।
जब पौलुस ने यह पत्र लिखा तब वह रोम में घरबंदी किए गए थे, एक जंजीर से रोमी सैनिक से जुड़े हुए थे जो जंजीर तीन फिट लंबी थी। वह बहुत ही बुरी स्थिति में कैदी बनाए गए थे, मुकदमे का इंतजार कर रहे थे और शायद से मृत्युदंड का। फिर भी, उन्होंने विश्वास किया कि मसीह में उनके जीवन का अर्थ है उनके लिए 'फलदायी परिश्रम' (व.22)।
जब पौलुस कहते हैं, 'तुम मेरे हृदय में हो' (व.7), वह फिलिप्पियो के लोगों के लिए अपने गहरे प्रेम को व्यक्त कर रहे हैं। उन्होंने पहले ही 'सुसमाचार में उनकी सहभागिता' के बारे में बताया (व.5) और अब वह उनके सज्ञथ परमेश्वर के अनुग्रह को बांटने के बारे में बताते हैं (व.7)। जो यीशु मसीह के लिए एक साथ काम करते हैं, उनके बीच में एक नजदीकी बंध होता है। एक और भी ज्यादा नजदीकी बंध होता है जब एक व्यक्ति दूसरे के जीवन में बदलाव के लिए उत्तरदायी होता है। यह कहता है कि वह उन सभी के लिए लालसा करते हैं 'यीशु मसीह के स्नेह के साथ' (व.8)।
लगभग असमांतर अवसर और चुनाव के एक युग में, बहुत से लोग अनुचित रीति से चिंतित हैं कि कही अपने विधान से चूक न जाए या गलत कदम न उठा लें। लेकिन आप आश्वस्त हो सकते हैं क्योंकि परमेश्वर ने आपमें अच्छा काम शुरु किया है, वह इसे पूरा करेंगे (व.6)। परमेश्वर हमेशा उसे पूरा करते हैं जो वह शुरु करते हैं।
हममें से कोई भी वहाँ पर अभी नहीं है। हम सभी का कार्य जारी है। फिलिप्पियों के लिए पौलुस की प्रार्थना थी कि वे और अधिक फलदायी बनेः
1. प्रेम में बढो
वह प्रार्थना करते हैं कि ' तुम्हारा प्रेम ज्ञान और सब प्रकार के विवेक सहित और भी बढ़ता जाए' (व.9, एम.एस.जी)।
2. ज्ञान में बढो
पौलुस की प्रार्थना केवल प्रेम में बढ़ने के लिए नहीं, लेकिन यह कि ' तुम्हारा प्रेम ज्ञान और सब प्रकार के विवेक सहित और भी बढ़ता जाए, यहाँ तक कि तुम उत्तम से उत्तम बातों को प्रिय जानो' (वव.9-10)। हमारे प्रेम को एक भावनात्मक अनुभव से बढ़कर होना चाहिए;'सच्चा और समझदार, नाकि संवेदनशील रूप से बहनेवाला' (व.10, एम.एस.जी)।
3. पवित्रता में बढ़ो
पौलुस ने प्रार्थना की कि वे 'शुद्ध और निष्कलंक हो' (व.10)। 'शुद्ध' के लिए शब्द आंतरिक शुद्धता का वर्णन करता है, जिसमें हमारे उद्देश्य शुद्ध होते हैं। 'निष्कलंक' शब्द का अर्थ है ठोकर खिलाए बिना और अधिकतर जीवन जीने का बाहरी तरीका। पौलुस की तरह प्रार्थना कीजिए कि आप अंदर से और बाहर से पवित्र हो -'सभी को यीशु मसीह से आकर्षित करते हुए' (व.11, एम.एस.जी)। जैसा कि डायट्रिच बॉनहोफर ने कहा, 'एक मसीह के रूप में आपके जीवन ने अविश्वासियों को विवश करना चाहिए कि वे परमेश्वर में अपने अविश्वास पर प्रश्न करें।'
पौलुस अपनी जंजीरों को सह पाये क्योंकि वे उन्हें एक अवसर प्रदान कर रहे थे सुसमाचार प्रचार करने का और दूसरों को उत्साहित करने का कि 'और साहस और निर्भीकता के साथ परमेश्वर का वचन प्रचार करें' (व.14)।
सुसमाचार का प्रचार करने के लिए दूसरों के उद्देश्य के बारे में चिंता मत कीजिएः' कुछ तो डाह और झगड़े के कारण मसीह का प्रचार करते हैं' (वव.15-17)। दूसरे प्रेम के कारण (व.16)। किंतु, पौलुस नहीं सोचते कि इस बात से ज्यादा अंतर पड़ता है क्योंकि मसीह का प्रचार तो होता है (वव.17-18)। दूसरे मसीहों की आलोचना मत करो जो सुसमाचार का प्रचार करते हैं, यहाँ तक कि यदि आपको उनका अंदाज पसंद नहीं है या आप उनके उद्देश्य पर प्रश्न करते हैं। आनंद मनाईये कि वे यीशु का प्रचार कर रहे हैं।
पौलुस का संपूर्ण जीवन मसीह पर केंद्रित था। उनकी इच्छा थी कि उनकी देह में मसीह महिमा पाये, 'चाहे जीवन से या मृत्यु से' (व.20)। उन्होंने अपने आपको 'दोनों के बीच में अधर में लटका पाया' (व.23)। बहुत से तरीके से, उन्होंने चाहा कि ' कूच करके मसीह के पास रहूँ, क्योंकि यह बहुत ही अच्छा है' (व.23)।
जॉन कॉलिन 1980-1985 से एच.टी.बी के पादरी थे। जब 16 जुलाई 2013 को उनकी पत्नी डिआना की मृत्यु हो गई, जॉन ने मुझे लिखा, 'मैं आभारी हूँ कि हमने अट्ठावन महिमामयी वर्ष साथ बितायें – बेहतर और बेहतर होते हुए! यद्यपि आघात भयानक है और मृत्यु एक शत्रु है...संत पौलुस की तरह, सालों से वह चाहती थी कि 'कूच करके मसीह के पास रहे, जोकि बेहतर है।' मैं बहुत ही धन्यवादित हूँ, इसलिए... कि वह डरी हुई नहीं थी, क्योंकि वह जानती थी कि वह कहाँ जा रही थी और मसीह के वायदे में उसका विश्वास कभी डगमगाया नहीं।'
यद्यपि पौलुस मसीह के साथ रहने की लालसा कर रहे थे, वह जीवित भी रहना चाहते थे क्योंकि इसका अर्थ था 'फलदायी परिश्रम' (व.22)। उनकी इच्छा थी कि फिलिप्पियों की उनके विश्वास में उन्नति और यीशु मसीह में उनका आनंद उमड़ने लगे (व.26)।
प्रार्थना
सपन्याह 1:1-3:20
1यह सन्देश है जिसे यहोवा ने सपन्याह को दिया। सपन्याह ने यह सन्देश तब पाया जब अमोन का पुत्र योशिय्याह यहूदा का राजा था। सपन्याह कूशी का पुत्र था। कूशी गदल्याह का पुत्र था। गदल्याह अमर्याह का पुत्र था। अमर्याह हिजकिय्याह का पुत्र था।
लोगों का न्याय करने का यहोवा का दिन
2 यहोवा कहता है, “मैं पृथ्वी की हर चीज़ को नष्ट कर दूँगा! 3 मैं सभी लोगों और सभी जानवरों को नष्ट करूँगा। मैं आकाश की चिड़ियों और सागर की मछलियों को नष्ट करूँगा। मैं पापी लोगों को और उन सभी चीज़ों को, जो उन्हें पापी बनाती है, नष्ट करूँगा। मैं सभी लोगों का इस धरती पर से नाम निशान मिटा दूँगा।” यहोवा ने यह सब कहा।
4 यहोवा ने कहा, “मैं यहूदा और यरूशलेम के निवासियों को दण्ड दूँगा: मैं इन चीज़ों को उस स्थान से हटा दूँगा: मैं बाल—पूजन के अन्तिम चिन्हों को हटा दूँगा। मैं उन पुरोहितों और उन सभी लोगों को जो अपनी छतों पर तारों की पूजा करने जाते हैं, विदा करूँगा। 5 लोग उन झूठे पुरोहितों के बारे में भूल जाएंगे। कछ लोग कहते हैं कि वे मेरी उपसाना करते हैं। उन लोगों ने मेरी उपासना करने की प्रतिज्ञा की किन्तु अब वे झूठे देवता मोलेक की पूजा करते हैं। अत: मैं उन लोगों को उस स्थान से हटाऊँगा। 6 कुछ लोग यहोवा से विमुख हो गये। उन्होंने मेरा अनुसरण करना छोड़ दिया। उन लोगों ने यहोवा से सहायता मांगना भी बन्द कर दिया। अत: मैं उन लोगों को उस स्थान से हटाऊंगा।”
7 मेरे स्वामी यहोवा के आगे चुप रह! क्यों क्योंकि लोगों को न्याय करने का यहोवा का दिन जल्द ही आ रहा है! यहोवा ने अपनी भेंट—बलि (यहूदा के लोग) तैयार कर ली है और उसने अपने बुलाये हुए मेहमानों (यहूदा के शत्रुओं) से तैयार करने के लिए कह दिया है।
8 यहोवा ने कहा, “यहोवा के बलि के दिन, मैं राजपुत्रों और अन्य प्रमुखों को दण्ड दूंगा। मैं अन्य देशों के वस्त्रों को पहनने वाले सभी लोगों को दण्ड दूंगा। 9 उस समय मैं उन सभी लोगों को दण्ड दूँगा जो देहली पर कूदते हैं। मैं उन लोगों को दण्ड दूँगा जो अपने स्वामी के गृह को कपट और हिंसा से इकट्ठे किए गए धन से भरते हैं।”
10 यहोवा ने यह भी कहा, “उस समय, लोग यरूशलेम में मत्स्य—द्वार पर सहायता के लिये पुकार रहे होंगे। नगर के अन्य भागों में भी लोग चिल्ला रहे होंगे और लोग नगर के चारों ओर की पहाड़ियों में चीज़ों के नष्ट होने की भारी आवाज़े सुन रहे होंगे। 11 नगर के निचले भागों में रहने वाले लोगों, तुम चिल्लाओगे। क्यों क्योंकि कारोबारी और धनी व्यापारी नष्ट कर दिये जायेंगे।
12 “उस समय, मैं एक दीपक लूंगा और यरूशलेम में रहकर खोज करूँगा। मैं उन सभी लोगों को ढूँढूंगा जो अपने ही तरीके से रहने में सन्तुष्ट हैं। वे लोग कहते हैं, ‘यहोवा कुछ नहीं करता। वे न सहायता करते हैं न चोट ही पहुँचाते हैं!’ मैं उन लोगों का पता लगाऊंगा और उन्हें दण्ड दूँगा! 13 तब अन्य लोग उनकी सारी सम्पत्ति लेंगे तथा उनके घरों को नष्ट करेंगे। उस समय जिन लोगों ने घर बनाए होंगे, वे उनमें नहीं रहेंगे और जिन लोगों ने अंगूर की बेलें खेतों में रोपी होंगी, वे उन अंगूरों का दाखमधु नहीं पीएंगे, उन चीज़ों को अन्य लोग लेंगे।”
14 यहोवा के न्याय का विशेष दिन शीघ्र आ रहा है! वह दिन निकट है, और तेज़ी से आ रहा है। यहोवा के न्याय के विशेष दिन लोग चीखों भरे स्वर सुनेंगे। यहाँ तक कि वीर योद्धा भी चीख उठेंगे! 15 उस समय परमेश्वर अपना क्रोध प्रकट करेगा। यह भयंकर विपत्तियों का समय होगा। यह विध्वंस का समय होगा। यह काले, घिरे हुए बादल और तूफानी दिन के अन्धकार का समय होगा। 16 यह युद्ध के ऐसे समय की तरह होगा जब लोग सुरक्षा मीनारों और सुरक्षित नगरों से सीगों और तुरही का नाद सुनेंगे।
17 यहोवा ने कहा, “मैं लोगों का जीवन बहुत दूभर कर दूँगा। लोग उन अन्धों की तरह चारों ओर जाएंगे जिन्हें यह भी मालूम नहीं कि वे कहाँ जा रहे हैं क्यों क्योंकि उन लोगों ने यहोवा के विरूद्ध पाप किये। अनेक लोग मार डाले जाएंगे। उनका खून जमीन पर बहेगा। उनके शव गोबर की तरह जमीन पर पड़े सड़ते रहेंगे। 18 उनका सोना—चाँदी उनकी सहायता नहीं कर पाएंगे! उस समय, यहोवा बहुत क्षुब्द और क्रोधित होगा। यहोवा पूरे संसार को अपने क्रोध की अग्नि में जलाकर नष्ट कर देगा! यहोवा पूरी तरह पृथ्वी पर सब कुछ नष्ट कर देगा!”
परमेश्वर लोगों से जीवन—पद्धति बदलने को कहता है
2लज्जाहीन लोगों, मुरझाये और मरते फूलों की तरह होने के पहले 2 अपने जीवन को बदल डालो। दिन की गर्मी में कोई फूल मुरझायेगा और मर जाएगा। तुम वैसे ही होगे जब यहोवा अपना भयंकर क्रोध प्रकट करेगा। अत: अपने जीवन को, यहोवा द्वारा तुम्हारे विरूद्ध क्रोध प्रकट करने के पहले, बदल डालो! 3 तुम सभी विनम्र लोगों, यहोवा के पास आओ! उसके नियमों को मानो। अच्छे काम करना सीखो। विनम्र होना सीखो। संभव है तब तुम सुरक्षित रह सको जब यहोवा अपना क्रोध प्रकट करे।
यहोवा इस्राएल के पड़ोसियों को दण्ड देगा
4 अज्जा नगर में कोई भी नहीं बचेगा। अश्कलोन नष्ट किया जायेगा। दोपहर तक लोग अशदोद छोड़ने को विवश किये जायेंगे। एक्रोन सूना होगा! 5 पलिश्ती लोगों, सागर के तट पर रहने वाले लोगों, यहोवा का यह सन्देश तुम्हारे लिये है। कनान देश, पलिश्ती देश, तुम नष्ट कर दिये जाओगे, वहाँ कोई नहीं रहेगा! 6 समुद्र के किनारे की तुम्हारी भूमि तुम्हारे गडेरियों और उनकी भेड़ों के लिये खाली खेत हो जाएंगे। 7 तब वह भूमि यहूदा के बचे हुए लोगों के लिये होगी। यहोवा यहूदा के उन लोगों को याद रखेगा। वे लोग विदेश में बन्दी हैं। किन्तु यहोवा उन्हें वापस लाएगा। तब यहूदा के लोग उन खेतों में अपनी भेड़ों को घास चरने देंगे। शाम को वे अश्कलोन के खाली घरों में लेटेंगे।
8 यहोवा कहता है, “मैं जानता हूँ कि मोआब और अम्मोन के लोगों ने क्या किया! उन लोगों ने हमारे लोगों को लज्जित किया। उन लोगों ने अपने देश को और अधिक बड़ा करने के लिये उनकी भूमि ली। 9 अत: जैसा कि मैं शाश्वत हूँ, मोआब और अम्मोन के लोग सदोम और अमोरा की तरह नष्ट किये जाएंगे। मैं सर्वशक्तिमान यहोवा, इस्राएल का परमेश्वर हूं। मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि वे देश सदैव के लिये पूरी तरह नष्ट किये जाएंगे। उनकी भूमि में जंगली घासें उगेंगी। उनकी भूमि मृत सागर के नमक से ढकी भूमि जैसी होगी। मेरे लोगों में से बचे हुए उस भूमि को तथा इसमें छोड़ी गई हर चीज़ को लेंगे।”
10 वे बातें, मोआब और अम्मोन के लोगों के लिये घटित होंगी क्योंकि उन्होंने सर्वशक्तिमान यहोवा के लोगों को लज्जित किया। 11 वे लोग यहोवा से डरेंगे! क्यों क्योंकि यहोवा उनके देवताओं को नष्ट करेगा। तब सभी दूर—दराज़ के देश यहोवा की उपासना करेंगे। 12 कूश के लोगों, इसका अर्थ तुम भी हो। यहोवा की तलवार तुम्हारे लोगों को मार डालेगी 13 और यहोवा उत्तर की ओर अपना हाथ बढ़ाएगा और अश्शूर को दण्ड देगा। वे नीनवे को नष्ट करेगा, वह नगर खाली सूखी मरूभूमि जैसा होगा। 14 तब केवल भेड़ें और जंगली जानवर उस बर्बाद नगर में रहेंगे। उल्लू और कौवे उन स्तम्भों पर बैठेंगे जो खड़े छोड़ दिये गए हैं। उनकी ध्वनि खिड़कियों से आती सुनाई पड़ेगी। कौवे द्वारों की सीढ़ियों पर बैठेंगे। उन सूने घरों में काले पक्षी बैठेंगे। 15 नीनवे इन दिनों इतना अधिक घमण्डी है। यह ऐसा प्रसन्न नगर है। लोग समझते हैं कि वे सुरक्षित हैं। वे समझते हैं कि नीनवे संसार में सबसे बड़ा स्थान है। किन्तु वह नगर नष्ट किया जायेगा! यह एक सूना स्थान होगा, जहाँ केवल जंगली जानवर आराम करने जाते हैं। जब लोग उधर से गुजरेंगे और देखेंगे कि कितनी बुरी तरह नगर नष्ट किया गया है तब वे सीटियाँ बजाएंगे और सिर हिलायेंगे।
यरूशलेम का भविष्य
3यरूशलेम, तुम्हारे लोग परमेश्वर के विरूद्ध लड़े! तुम्हारे लोगों ने अन्य लोगों को चोट पहुँचाई और तुम पाप से कलंकित हो!
2 तुम्हारे लोग मेरी एक नहीं सुनते! वे मेरी शिक्षा को स्वीकार नहीं करते। यरूशलेम यहोवा में विश्वास नहीं रखता। यरूशलेम अपने परमेश्वर तक को नहीं जानती। 3 यरूशलेम के प्रमुख गुरर्ाते सिंह जैसे है। इसके न्यायायधीश ऐसे भूखे भेड़ियों की तरह हैं जो भेड़ों पर आक्रमण करने शाम को आते हैं, और प्रात: काल कुछ बचा नहीं रहता। 4 उसके नबी अपनी गुप्त योजनायें सदा अधिक से अधिक पाने के लिये बना रहे हैं। उसके याजकों ने पवित्र चीज़ों को अशुद्ध करता है। उन्होंने परमेश्वर की शिक्षा के प्रति बुरे काम किये हैं। 5 किन्तु परमेश्वर अब भी उस नगर में है और वह उनके प्रति लगातार न्यायपूर्ण बना रहा है। परमेश्वर कुछ भी बुरा नहीं करता। वह अपने लोगों की भलाई करता चला आ रहा है। लगातार हर सुबह वह अपने लोगों के साथ न्याय करता है। किन्तु बुरे लोग अपने किये बुरे कामों के लिये लज्जित नहीं हैं।
6 परमेश्वर कहता है, “मैंने पूरे राष्टों को नष्ट कर दिया है। मैंने उनकी रक्षा मीनारों को नष्ट किया है। मैंने उनकी सड़कें नष्ट की हैं और अब वहां कोई नहीं जाता। उनके नगर सूने हैं, उनमें अब कोई नहीं रहता। 7 मैं तुमसे यह इसलिए कह रहा हूँ ताकि तुम शिक्षा लो। मैं चाहता हूँ कि तुम मुझसे डरो और मेरा सम्मान करो। यदि तुम ऐसा करोगे तो तुम्हारा घर नष्ट नहीं होगा। यदि तुम ऐसा करोगे तो मैं अपनी बनाई योजना के अनुसार तुम्हें दण्ड नहीं दूँगा।” किन्तु वे बुरे लोग वैसे ही बुरे काम और अधिक करना चाहते हैं जिन्हें उन्होंने पहले ही कर रखा हैं!
8 यहोवा ने कहा, “अत: तनिक प्रतीक्षा करो! मेरे खड़े होने और अपने न्याय किये जाने के लिये मेरी प्रतीक्षा करो। अनेक राष्ट्रों से लोगों को लाने और तुमको दण्ड देने के लिये उनका उपयोग करने का निर्णय मेरा है। मैं उन लोगों का उपयोग अपना क्रोध तुम्हारे विरूद्ध प्रकट करने के लिये करूँगा। मैं उनका उपयोग यह दिखाने के लिये करूँगा कि मैं कितना क्षुब्ध हूँ, और यहूदा का पूरा प्रदेश नष्ट होगा! 9 तब मैं अन्य राष्ट्रों के लोगों की सहायता साफ—साफ बोलने के लिये करूँगा और वे यहोवा के नाम की प्रशंसा करेंगे। वे सभी एक साथ मेरी उपासना के नाम की प्रशंसा करेंगे। वे सभी एक साथ मेरी उपासना करेंगे। 10 लोग कूश में नदी की दूसरी ओर से पूरा रास्ता तय करके आएंगे। मेरे बिखरे लोग मेरे पास आएंगे। मेरे उपासक मेरे पास आएंगे और अपनी भेंट लाएंगे।
11 “यरूशलेम, तब तुम आगे चलकर उन बुरे कामों के लिये लज्जित होना बन्द कर दोगे। क्यों क्योंकि मैं यरूशलेम से उन सभी बुरे लोगों को निकाल बाहर करूँगा। मैं उन सभी घमण्डी लोगों को दूर कर दूँगा। उन घमण्डी लोगों में से कोई भी मेरे पवित्र पर्वत पर नहीं रह जाएगा। 12 मैं केवल सीधे और विनम्र लोगों को अपने नगर (यरूशलेम) में रहने दूँगा और वे यहोवा के नाम में विश्वास करेंगे। 13 इस्राएल के बचे लोग बुरा काम नहीं करेंगे। वे झूठ नहीं बोलेंगे। वे झूठ बोलकर लोगों को ठगना नहीं चाहेंगे। वे उन भेड़ों की तरह होंगे जो खाती हैं और शान्त लेटती है, और कोई भी उन्हें तंग नहीं करेगा।”
आनन्द सन्देश
14 हे यरूशलेम, गाओ और आनन्दित होओ!
हे इस्राएल, आनन्द से घोष करो!
यरूशलेम, प्रसन्न होओ, तमाशे करो!
15 क्यों क्योंकि यहोवा ने तुम्हारा दण्ड रोक दिया!
उन्होंने तुम्हारे शत्रुओं की दृढ़ मीनारों को नष्ट कर दिया!
इस्राएल के राजा, यहोवा तुम्हारे साथ है।
तुम्हें किसी बुरी घटना के होने के बारे में चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं!
16 उस समय यरूशलेम से कहा जाएगा,
“दृढ़ बनो, डरो नहीं।”
17 तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे साथ हैं।
वह शक्तिशाली सैनिक सा हैं।
वह तुम्हारी रक्षा करेगा।
वह दिखायेगा कि वह तुम से कितना प्यार करता है।
वह दिखायेगा कि वह तुम्हारे साथ कितने प्रसन्न है।
वे हसेगा और तुम्हारे बारे में ऐसे प्रसन्न होगा,
18 जैसे लोग दावत में होते हैं।
मैं तुम्हारी लज्जा को दूर करूँगा।
मैं तुम्हारे दुर्भाग्य को तुम से दूर कर दूँगा।
19 उस समय, मैं उन लोगों को दण्ड दूँगा जिन्होंने तुम्हें चोट पहुँचाई।
मैं अपने घायल लोगों की रक्षा करूँगा।
मैं उन लोगों को वापस लाऊँगा,
जो भागने को विवश किये गए थे और मैं उन्हें प्रसिद्ध करूँगा।
लोग सर्वत्र उनकी प्रशंसा करेंगे।
20 उस समय मैं तुम्हें वापस लाऊँगा।
मैं तुम्हें एक साथ वापस लाऊँगा।
मैं तुम्हें प्रसिद्ध बनाऊँगा।
सर्वत्र लोग तुम्हारी प्रशंसा करेंगे।
यह तब होगा जब मैं तुम्हारी आँखों के सामने तुम बन्दियों को वापस लाऊँगा!”
यहोवा ने यह सब कहा।
समीक्षा
अपने लिए परमेश्वर के प्रेम का अनुभव कीजिए
क्या आप जानते हैं कि परमेश्वर आपसे कितना अधिक और कितनी गहराई से प्रेम करते हैं? इससे अंतर नहीं पड़ता है कि जीवन में क्या होता है, परमेश्वर आपसे प्रेम करते हैं। ना केवल वह आपसे प्रेम करते हैं, वह आपमें महान आनंद लेते हैं। असल में, वह ऊँचे स्वर में गाते हुए आपमे मगन होते हैं (3:17)।
सपन्याह का विषय है 'परमेश्वर का महान दिन' (1:14)। परमेश्वर के लोग इस दिन की आशा कर रहे थे। प्रचलित सोच में, वह आशा कर रहे थे कि इस दिन इस्राएल आशीषित होगा। सपन्याह का संदेश था कि यह केवल आशीष का एक दिन नहीं होगा, लेकिन यह न्याय का एक दिन भी होगा।
उन्होंने पश्चाताप करने के लिए चिताया। पाप न्याय को लाता है। लेकिन परमेश्वर हमसे प्रेम करते हैं और दया दिखाना और क्षमा करना चाहते हैं:'हे पृथ्वी के सब नम्र लोगो, हे यहोवा के नियम के मानने वालो, उनको ढूँढ़ते रहो; सत्यनिष्ठा को ढूँढ़ो, नम्रता को ढूँढ़ो; सम्भव है तुम यहोवा के क्रोध के दिन में शरण पाओ' (2:3)।
उन्होंने समय से पहले देखा कि बचे हुए लोग, जो 'दयालु और दीन हैं, जो परमेश्वर के नाम में भरोसा करते हैं, ' बचे रहेंगे (3:12)। उन्होंने देखा कि परमेश्वर फिर से अपने लोगों को आशीष देंगे, ' तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे बीच में हैं, वह उध्दार करने में पराक्रमी हैं; वह तेरे कारण आनन्द से मगन होगा, वह अपने प्रेम के मारे चुप रहेंगे; फिर उँचे स्वर से गाता हुआ तेरे कारण मगन होंगे' (वव.16-17)।
जब यीशु ने परमेश्वर के राज्य का समाचार सुनाया, वह घोषणा कर रहे थे कि परमेश्वर का दिन इतिहास में आ चुका है। एक दिन, जब यीशु वापस आयेंगे, तब सच में न्याय और लेखे-जोखे का एक दिन होगा। किंतु, प्रभु के दिन के कुछ पहलूओं का अभी मसीह में अनुभव किया जा सकता है। आप जान सकते हैं कि परमेश्वर आपको बचा रहे हैं, आपमें आनंद मना रहे हैं, आपको शांति दे रहे हैं अपने प्रेम के साथ और गाते हुए आपमें मगन होते हुए। परमेश्वर के न्याय की वास्तविकता के बावजूद आप इसे जान सकते हैं, क्योंकि, मसीह में, 'परमेश्वर ने आपके दंड को हटा दिया है' (व.15)।
जो मसीह में हैं, उनके लिए सपन्याह में परमेश्वर का वायदा आपमें पूरा हो चुका है। जैसा कि फादर रेनियरो कॅन्टालमेसा लिखते हैं, 'बाईबल में जो कुछ परमेश्वर करते हैं और कहते हैं वह प्रेम है, यहाँ तक कि परमेश्वर का क्रोध भी उनका प्रेम है। परमेश्वर प्रेम हैं!
प्रार्थना
पिप्पा भी कहते है
सपन्याह 3:17
' तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे बीच में है, वह उध्दार करने में पराक्रमी है; वह तेरे कारण आनन्द से मगन होगा, वह अपने प्रेम के मारे चुप रहेगा; फिर उँचे स्वर से गाता हुआ तेरे कारण मगन होगा।'
जब मेरे भाई-बहन और मैं छोटी थी और रात में रोने लगते थे, तब मेरे पिताजी हमें उठा लेते और उठाकर गीत गाने लगते, 'पिता ने तुम्हें पकड़ लिया है...' मुझे अब भी गीत याद है और पिता की बाँहों में सुरक्षा का एहसास याद है।
दिन का वचन
सपन्याह 3:17
“तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे बीच में है, वह उद्धार करने में पराक्रमी है; वह तेरे कारण आनन्द से मगन होगा, वह अपने प्रेम के मारे चुपका रहेगा; फिर ऊंचे स्वर से गाता हुआ तेरे कारण मगन होगा॥“
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संदर्भ
रेनियरो कॅन्टालमेसा, मसीह में जीवन (लिटुर्जिकल प्रेस, 2002) पी.7
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