सात जीवन बदलने वाली आदतें
परिचय
सालों से, ब्रूस ट्रीथर एक नास्तिक वकील थे। वह कभी चर्च नहीं गए, यद्यपि उनका परिवार जाता था। अधिकतर सप्ताह की छुट्टियों में वह गोल्फ खेलते थे। आखिरकार, उनकी पत्नी और तीन बेटियों के द्वारा मनाये जाने पर, वह अल्फा में आए। वह बहुत ही विवाद करने वाले और आक्रामक थे। कोई भी सत्र उन पर प्रभाव नहीं बना पाया, और शिक्षा की अंत में, उन्होंने यह चर्चा सुनी, 'मैं कैसे बुराई को रोक सकता हूँ?' बाद में वह मेरे पास आये और कहा, 'एक वकील के रूप में, अपने काम में मैंने बहुत सी बुराई देखी हैं। मैंने हमेशा बुराई की ताकत में विश्वास किया है। आज रात, मुझे यह बात समझ में आयी कि, यदि बुराई की ताकत है, तो विश्वास करना पड़ेगा कि भलाई की सामर्थ भी है।'
उस रात ब्रूस एक मसीह बन गए। तब से लेकर, वह चर्च में एक कटिबद्ध सदस्य हैं, एक बहुत ही शक्तिशाली और प्रभावी सेवकाई के साथ, सैकड़ो लोगों के जीवन को प्रभावित करते हुए।
हम आतंक की ग्लोबल बुराई के साथ संघर्ष करते हैं, दाऐश का उठना, शरणार्थीयों की व्यथा, सीरिया की घटनाएँ, जीका जीवाणु, भूखमरी, गरीबी, वातावरण का विनाश, भ्रष्ट सरकार और अनगिनत दूसरे घरेलू, स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय मामले। हम अपने जीवन में बुराई के विरूद्ध संघर्षों का सामना करते हैं – प्रलोभन, पाप और व्यसन।
बाईबल इस संघर्ष के विषय में सापेक्षिक है। पुराने नियम में, हमने बुराई के बलो के विरूद्ध भौतिक लड़ाई के विषय में पढ़ा। नये नियम में, संघर्ष का वर्णन अक्सर आत्मिक लड़ाई के रूप में किया गया है। जैसा कि संत पौलुस इसे बताते हैं, ' क्योंकि हमारा यह मल्लयुध्द लहू और मांस से नहीं परन्तु प्रधानों से, और अधिकारियों से, और इस संसार के अन्धकार के हाकिमों से और उस दृष्टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं।' (इफीसियो 6:12)।
आज का लेखांश हमें दिखाता है कि लड़ाई परमेश्वर की विजयी सामर्थ के द्वारा जीती जाती है।
भजन संहिता 114:1-8
114इस्राएल ने मिस्र छोड़ा।
याकूब (इस्राएल) ने उस अनजान देश को छोड़ा।
2 उस समय यहूदा परमेश्वर का विशेष व्यक्ति बना,
इस्राएल उसका राज्य बन गया।
3 इसे लाल सागर देखा, वह भाग खड़ा हुआ।
यरदन नदी उलट कर बह चली।
4 पर्वत मेंढ़े के समान नाच उठे!
पहाड़ियाँ मेमनों जैसी नाची।
5 हे लाल सागर, तू क्यों भाग उठा हे यरदन नदी,
तू क्यों उलटी बही
6 पर्वतों, क्यों तुम मेंढ़े के जैसे नाचे
और पहाड़ियों, तुम क्यों मेमनों जैसी नाची
7 यकूब के परमेश्वर, स्वामी यहोवा के सामने धरती काँप उठी।
8 परमेश्वर ने ही चट्टानों को चीर के जल को बाहर बहाया।
परमेश्वर ने पक्की चट्टान से जल का झरना बहाया था।
समीक्षा
बंधन और दासत्व के ऊपर विजय
भजनसंहिता के लेखक बताते हैं कि कैसे इस्राएल मिस्र में बंधन और दासत्व से छुड़ाया गया। परमेश्वर की विजयी सामर्थ ने उन्हें मिस्र में से और समुद्र से बाहर निकाला, ' समुद्र देखकर भागा' (व.3)।
उनके लोगों के साथ 'परमेश्वर की उपस्थिति' ने इस्रालियों को विजय दिलायी (व.7)। उनकी उपस्थिति ' चट्टान को जल का ताल, चकमक के पत्थर को जल का सोता बना डालता है' (व.8)।
परमेश्वर का चरित्र उनके लोगों पर निर्गमन में प्रकट हुआ, जब परमेश्वर ने उनके लोगों को सताव से मुक्त किया उनकी विजयी सामर्थ और उपस्थिति के द्वारा, यह बात स्पष्ट करते हुए कि दासत्व बुरी है, जिससे परमेश्वर लोगों को मुक्त करना चाहते हैं।
आज के नये नियम के एक बड़े प्रश्न को संबोधित करने में यह हमारी सहायता करता है, जिसमें पौलुस दास और मालिक को निर्देश देते हैं (इफीसियो 6:5-9)। क्यों पौलुस ने दासत्व को समाप्त करने का प्रयास नहीं किया?
हमें याद रखने की आवश्यकता है कि उन दिनों में, मसीहों की संख्या कम थी और उनका सताव होता था और वे इस अवस्था में नहीं थे कि इस चीज को समाप्त कर पाये जो प्राचीन विश्व में एक यूनिवर्सल संस्था थी। केवल रोमन साम्राज्य में, लगभग 60 मिलियन (जनसंख्या का एक बड़ा प्रतिशत) लोग दास थे।
जैसा कि एफ.एफ. लिखते हैं, ' सुसमाचार के सिद्धांत को स्पष्ट रूप से बताना बेहतर था मसीह में ना कोई दास ना कोई मुक्त है) (गलातियो 3:28) और )
परमेश्वर लोगों को मुक्त करना चाहते हैं, दासत्व से और सताव से जो आज के दिन दास अनुभव करते हैं, और पाप और व्यसन (जैसे कि शराब, काम, अत्यधिक खाना, ड्रग्स या यौनसंबंध पर निर्भरता) के प्रति हमारे दासत्व से। और भविष्य में, जब यीशु विजयी सामर्थ में आएँगे, परमेश्वर सभी को हर प्रकार के दासत्व से छुड़ायेंगे।
प्रार्थना
इफिसियों 6:1-24
बच्चे और माता-पिता
6हे बालकों, प्रभु में आस्था रखते हुए माता-पिता की आज्ञा का पालन करो क्योंकि यही उचित है। 2 “अपने माता-पिता का सम्मान कर।” यह पहली आज्ञा है जो इस प्रतिज्ञा से भी युक्त है, 3 “तेरा भला हो और तू धरती पर चिरायु हो।”
4 और हे पिताओं, तुम भी अपने बालकों को क्रोध मत दिलाओ बल्कि प्रभु से मिली शिक्षा और निर्देशों को देते हुए उनका पालन-पोषण करो।
सेवक और स्वामी
5 हे सेवको, तुम अपने सांसारिक स्वामियों की आज्ञा निष्कपट हृदय से भय और आदर के साथ उसी प्रकार मानो जैसे तुम मसीह की आज्ञा मानते हो। 6 केवल किसी के देखते रहते ही काम मत करो जैसे तुम्हें लोगों के समर्थन की आवश्यकता हो। बल्कि मसीह के सेवक के रूप में काम करो जो अपना मन लगाकर परमेश्वर की इच्छा पूरी करते हैं। 7 उत्साह के साथ एक सेवक के रूप में ऐसे काम करो जैसे मानो तुम लोगों की नहीं प्रभु की सेवा कर रहे हो। 8 याद रखो, तुममें से हर एक, चाहे वह सेवक या स्वतन्त्र है यदि कोई अच्छा काम करता है, तो प्रभु से उसका प्रतिफल पायेगा।
9 हे स्वामियों, तुम भी अपने सेवकों के साथ वैसा ही व्यवहार करो और उन्हें डराना-धमकाना छोड़ दो। याद रखो, उनका और तुम्हारा स्वामी स्वर्ग में है और वह कोई पक्षपात नहीं करता।
प्रभु का अभेद्य कवच धारण करो
10 मतलब यह कि प्रभु में स्थित होकर उसकी असीम शक्ति के साथ अपने आपको शक्तिशाली बनाओ। 11 परमेश्वर के सम्पूर्ण कवच को धारण करो। ताकि तुम शैतान की योजनाओं के सामने टिक सको। 12 क्योंकि हमारा संघर्ष मनुष्यों से नहीं है, बल्कि शासकों, अधिकारियों इस अन्धकारपूर्ण युग की आकाशी शक्तियों और अम्बर की दुष्टात्मिक शक्तियों के साथ है। 13 इसलिए परमेश्वर के सम्पूर्ण कवच को धारण करो ताकि जब बुरे दिन आयें तो जो कुछ सम्भव है, उसे कर चुकने के बाद तुम दृढ़तापूर्वक अडिंग रह सको।
14-15 सो अपनी कमर पर सत्य का फेंटा कस कर धार्मिकता की झिलम पहन कर तथा पैरों में शांति के सुसमाचार सुनाने की तत्परता के जूते धारण करके तुम लोग अटल खड़े रहो। 16 इन सब से बड़ी बात यह है कि विश्वास को ढाल के रूप में ले लो। जिसके द्वारा तुम उन सभी जलते तीरों को बुझा सकोगे, जो बदी के द्वारा छोड़े गये हैं। 17 छुटकारे का शिरस्त्राण पहन लो और परमेश्वर के संदेश रूपी आत्मा की तलवार उठा लो। 18 हर प्रकार की प्रार्थना और निवेदन सहित आत्मा की सहायता से हर अवसर पर विनती करते रहो। इस लक्ष्य से सभी प्रकार का यत्न करते हुए सावधान रहो। तथा सभी संतों के लिये प्रार्थना करो।
19 और मेरे लिये भी प्रार्थना करो कि मैं जब भी अपना मुख खोलूँ, मुझे एक सुसंदेश प्राप्त हो ताकि निर्भयता के साथ सुसमाचार के रहस्यपूर्ण सत्य को प्रकट कर सकूँ। 20 इसी के लिए मैं ज़ंजीरों में जकड़े हुए राजदूत के समान सेवा कर रहा हूँ। प्रार्थना करो कि मैं, जिस प्रकार मुझे बोलना चाहिए, उसी प्रकार निर्भयता के साथ सुसमाचार का प्रवचन कर सकूँ।
अंतिम नमस्कार
21 तुम भी, मैं कैसा हूँ और क्या कर रहा हूँ, इसे जान जाओ। सो तुखिकुस तुम्हें सब कुछ बता देगा। वह हमारा प्रिय बंधु है और प्रभु में स्थित एक विश्वासपूर्ण सेवक है 22 इसीलिए मैं उसे तुम्हारे पास भेज रहा हूँ ताकि तुम मेरे समाचार जान सको और इसलिए भी कि वह तुम्हारे मन को शांति दे सके।
23 हे भाइयों, तुम सब को परम पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से विश्वास शांति और प्रेम प्राप्त हो। 24 जो हमारे प्रभु यीशु मसीह से अमर प्रेम रखते हैं, उन पर परमेश्वर का अनुग्रह होता है।
समीक्षा
शैतान की चालों के ऊपर विजय
हमारी लड़ाई 'तीन सहबंध' से है, रेनियरो कॅन्टालमेसा लिखते हैं। 'विश्व, शरीर और शैतान; हमारे आस-पास के शत्रु, हमारे अंदर के शत्रु और हमारे ऊपर के शत्रु।'
परमेश्वर की विजयी सामर्थ पर भरोसा करने का यह अर्थ नहीं कि हम निष्क्रिय हैं। पौलुस बताते हैं कि, लड़ाई को जीतने के लिए आपको अपने जीवन के लिए उत्तरदायित्व लेने और 'प्रभु में मजबूत बनने' की आवश्यकता है (व.10)।
हमें कार्य करने की आवश्यकता है। पौलुस इन पदबंधो का इस्तेमाल करते हैं 'पहन लो' (व.13अ), 'डटे रहो' (व.13ब) और 'दृढ़ता से खड़े रहो' (व.14)। सक्रीय बनो, बुरी आदतों को अच्छी आदतों के साथ बदलकर। पौलुस सात जीवन बदलने वाली आदतों को बताते हैं जो आपको अपनानी चाहिएः
1. यीशु की सच्चाई पर ध्यान दीजिए
'सत्य से अपनी कमर कसकर, और सत्यनिष्ठा की झिलम पहन कर' (व.14अ)।
सच्चाई पर ध्यान दो। पारदर्शिता और प्रमाणिकता, कपटीपन के विरूद्धार्थी हैं। हमें शिक्षा की सच्चाई पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है, जैसा कि पवित्रशास्त्र में प्रकट है। दोनों ही यीशु में हैं, जिसने कहा, 'मैं सत्य हूँ' (यूहन्ना 14:6)।
2. छोटी गिनती रखो
'सत्यनिष्ठा की झिलम पहन कर' (इफीसियो 6:14ब)।
यीशु ने अपनी जान दी ताकि आप परमेश्वर की सत्यनिष्ठा ग्रहण करें। जब आप गिर जाते हैं, तब जल्दी से उठ जाईये। परमेश्वर और दूसरों के साथ सही संबंध बनाए रखिये।
3. सक्रीय रूप से शामिल हो जाईये
'पाँवों में मेल मिलाप के सुसमाचार की तैयारी के जूते पहन कर' (व.15)।
यहाँ पर शायद से पौलुस के दिमाग में पुराने नियम का वचन थाः' देखो, पहाड़ों पर शुभसमाचार का सुनाने वाला और शान्ति का प्रचार करने वाला आ रहा है!' (नहूम 1:15)। शैतान सुसमाचार से नफरत करता है – क्योंकि यह जीवन बदलने के लिए परमेश्वर की सामर्थ है।
पौलुस ने इफीसियों के मसीहों से उनके लिए प्रार्थना करने को कहाः' और मेरे लिये भी कि मुझे बोलने के समय ऐसा प्रबल वचन दिया जाए कि मैं साहस के साथ सुसमाचार का भेद बता सकूं' (इफीसियो 6:19)।
4. कठिन समय में परमेश्वर पर भरोसा कीजिए
'और इन सब के साथ विश्वास की ढाल लेकर स्थिर रहो जिससे तुम उस दुष्ट के सब जलते हुए तीरों को बुझा सको' (व.16)।
तीर ऐसी चीजें हैं: झूठी आत्मग्लानि, शर्म, संदेह, अनाज्ञाकारिता, द्वेष और डर।
5. दिमाग की लड़ाई जीत लो
'उद्धार का टोप ले लो' (व.17अ)
लड़ाई हमारे दिमाग में जीती या हारी जाती है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हम 'हर विचार को कैद करके मसीह का आज्ञाकारी बनाएँ' (2कुरिंथियो 10:5)।
6. अपने आपको परमेश्वर के वचन में भिगो दो
'आत्मा की तलवार, जो कि परमेश्वर का वचन है' (इफीसियो 6:17ब)।
जब प्रहार सह रहे हो, तब बाईबल का इस्तेमाल कीजिए, जैसा कि यीशु ने किया जब जंगल में उनकी परीक्षा हुई (मत्ती 4:1-11)।
7. निरंतर प्रार्थना करते रहिये
'हर समय और हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थना, और विनती करते रहो' (इफीसियो 6:18)
स्कॉट की मेरी क्वीन ने कहा, 'मुझे दस हजार मनुष्यों की सेना से अधिक जॉन नॉक्स की प्रार्थना से डर लगता है।'
प्रार्थना
नहूम 1:1-3:19
1यह नीनवे के विषय में एक दु:खद भविष्यवाणी है। यह पुस्तक नहूम के दर्शन की पुस्तक है। नहूम एल्कोश से था।
यहोवा नीनवे से कुपित है
2 यहोवा जलन रखने वाला परमेश्वर है।
यहोवा अपराधी लोगों को दण्ड देता है।
और यहोवा बहुत कुपित है!
यहोवा अपने शत्रुओं को दण्ड देता है।
वह अपने बैरियों पर क्रोधित रहता है।
3 यहोवा धैर्यशील है, किन्तु साथ ही वह बहुत महा सामर्थी है!
और यहोवा अपराधी लोगों को दण्ड देता है।
वह उन्हें ऐसे ही छुट कर नहीं चले जाने देगा।
देखो, यहोवा दुर्जनों को दण्ड देने आ रहा है।
वह अपनी शक्ति दिखाने के लिये बवण्डरों और तूफानों को काम में लायेगा।
मनुष्य तो धरती पर मिट्टी में चलता है, किन्तु यहोवा मेघों पर विचरता है!
4 यदि यहोवा सागर को घुड़के तो सागर भी सूख जाये।
सारी ही नदियों को वह सूखा सकत है!
बाशान और कर्म्मेल की हरी—भरी भूमि सूख कर मर जाया करती है।
लबानोन के फूल मुरझा कर गिर जाता हैं।
5 यहोवा का आगमन होगा
और पर्वत भय से काँपेंगे
और ये पहाड़ियाँ पिघलकर बह जायेंगी।
यहोवा का आगमन होगा
और यह धरती भय से काँप उठेगी।
यहजगत और जो कुछ इसमें है जो जीवित है,
भय से काँपेगा।
6 यहोवा के महाकोप का सामना कोई नहीं कर सकता,
कोई भी उसका भयानक कोप नहीं सह सकता।
उसका क्रोध आग सा धधकेगा।
जब वह पधारेगा तब चट्टानें चटकेंगी।
7 यहोवा संकट के काल में उत्तम है।
वह सुरक्षित शरण ऐसे उन लोगों का है जो उसके भरोसे हैं।
वह उनकी देख रेख करता है।
8 किन्तु वह अपने शत्रुओं को पूरी तरह नष्ट कर देगा।
वह उन्हें बाढ़ के समान बहा कर ले जायेगा।
अंधकार के बीच वह अपने शत्रुओं का पीछा करेगा।
9 क्या तुम यहोवा के विरोध में षड़यंत्र रच रहे हो
वह तेरा अंत कर देगा।
फिर और कोई दूसरी बार कभी यहोवा का विरोध नहीं करेगा!
10 तुम्हारे शत्रु उलझे हुये काँटों से नष्ट होंगे।
वे सूखी घास जैसे शीघ्र जल जायेंगे।
11 हे अश्शूर, एक व्यक्ति तुझसे ही अया है।
जिसने यहोवा के विरोध में षड़यंत्र रचे और उसने पाप पूर्ण सलाहें प्रदान कीं।
12 यहोवा ने यहूदा से यह बातें कहीं थी:
“अश्शूर की जनता पूर्ण शक्तिशाली है।
उनके पास बहुतेरे सैनिक हैं।
किन्तु उन सब को ही काट फेंका जायेगा।
सब का अंत किया जायेगा।
हे मेरे लोगों, मैंने तुमको बहुतेरे कष्ट दिये किन्तु अब आगे तुम्हें और कष्ट नहीं दूँगा।
13 मैं अब तुम्हें अश्शूर की शक्ति से मुक्त करूँगा।
तुम्हारे कन्धे से मैं वह जुआ उतार दूँगा।
तुम्हारी जंजीरे जिनमें तुम बंधे हो मैं अब तोड़ दूँगा।”
14 हे अश्शूर के राजा, तेरे विषय में यहोवा ने यह आदेश दिया है:
“तेरा नाम ले ऐसा कोई भी वंशज न रहेगा।
तेरी खुदी हुई मूर्तियाँ और धातु की मूर्तियाँ मैं नष्ट कर दूँगा
जो तेरे देवताओं के मन्दिरों में रखे हुए हैं।
मैं तेरे लिये कब्र बना रहा हूँ
क्योंकि तेरा अंत आ रहा है।”
15 देख यहूदा! देख वहाँ,
पहाड़ के ऊपर से कोई आ रहा है, कोई हरकारा सुसंदेश लेकर आ रहा है!
देखो वह कह रहा है कि यहाँ पर शांति है!
यहूदा, तू अपने विशेष अवकाश दिवस मना ले।
यहूदा, तू अपनी मन्रते मना ले।
अब फिर कभी दुर्जन तुझ पर वार न करेंगे और वे तुझको हरा नहीं पायेंगे।
उन सभी दुर्जनों का अन्त कर दिया गया है!
नीनवे का विनाश होगा
2नीनवे, तेरे विरूद्ध युद्ध करने को विनाशकारी आ रहा है।
सो तू अपने नगर के स्थान सुरक्षित कर ले।
राहों पर आँख रख,
युद्ध को तत्पर रह,
लड़ाई की तैयारी कर!
2 क्यों क्योंकि यहोवा याकूब को महिमा लौटा रहा है
जैसे इस्राएल की महिमा।
अश्शूर के लोगों ने इस्राएल की प्रजा का नाश किया
और उनकी अंगूर की बेलें रौंद ड़ाली हैं।
3 उन सैनिकों की ढाल लाल है।
उनकी वर्दियाँ सुर्ख लाल हैं।
उनके रथ युद्ध के लिये पंक्तिबद्ध हो गये हैं
और वे ऐसे चमक रहे हैं जैसे वे आग की लपटें हों।
उनके घोड़े चल पड़ने को तत्पर हैं।
4 उनके रथ गलियों में भयंकर रीति से भागते हैं।
वे खुले मैदानों में सुलगती मशालों से दिखते हुये वेग से पीछे
और आगे को दौड़ रहे हैं।
वे ऐसे लगते हैं जैसे यहाँ वहाँ बिजली कड़क रही हो!
5 अश्शूर का राजा अपने उन सैनिकों को बुला रहा है जो सर्वश्रेष्ठ हैं।
किन्तु वे ठोकर खा रहे हैं और मार्ग में गिरे जा रहे हैं।
वे नगर परकोटे पर दौड़ते हैं
और वे भेदक मूसल के लिये प्राचीर रच रहे हैं।
6 किन्तु वे द्वार जो नदियों के निकट है, खुले हैं।
शत्रु उनमें से जा रहा है और राजा के महल को ध्वस्त कर रहा है।
7 देखो, यह शत्रु रानी को उठा ले जाता है
और उसकी दासियाँ बिलखती हैं जैसे दु:ख से भरी कपोती हों।
वे अपना दु:ख प्रगट करने को निज छाती पीट रहीं हैं।
8 नीनवे ऐसे तालाब सा हो गया है जिसका पानी बह कर
बाहर निकल रहा हो।
वे लोग पुकार कर कह रहे हैं, “रूको! रुको! ठहरे रहो, कहीं भाग मत जाओ।”
किन्तु कोई न ही रूकता है और न ही कोई उन पर ध्यान देता है!
9 हे सैनिको, तुम जो नीनवे का विनाश कर रहे हो!
तुम चाँदी ले लो और यह सोना ले लो!
यहाँ पर लेने को बहुतेरी वस्तुऐं हैं।
यहाँ पर बहुत से खजाने भी हैं!
10 अब नीनवे खाली है,
सब कुछ लुट गया है।
नगर बर्बाद हो गया है!
लोगों ने निज साहस खो दिया है।
उनके मन डर से पिघल रहे हैं,
उनके घुटने आपस में टकराते हैं।
उनके तन काँप रहे हैं,
उनके मुख डर से पीले पड़ गये हैं।
11 नीनवे जो कभी सिंह का माँद था,
अब वह कहाँ है?
जहाँ सिंह और सिंहनियाँ रहा करते थे।
उनके बच्चे निर्भय थे।
12 जिस सिंह ने (नीनवे के राजा ने) अपने बच्चों
और मादाओं को तृप्ति देने के लिये कितने ही शिकार मारे थे।
उसने माँद (नीनवे) भर ली थी।
मादाओं और नरों की देहों से जिनको उसने मारा था।
13 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है,
“नीनवे, मैं तेरे विरूद्ध हूँ!
मैं तेरे रथों को युद्ध में जला दूँगा।
मैं तेरे ‘जवान सिंहों’ की हत्या करूँगा।
तू फिर कभी इस धरती पर कोई भी अपना शिकार मार नहीं पायेगा।
लोग फिर कभी तेरे हरकारों को नहीं सुनेंगे।”
नीनवे के लिये बुरा समाचार
3उस हत्यारों के नगरों को धिक्कार है।
नीनवे, ऐसा नगर है जो झूठों से भरा है।
यह दूसरे देशों के लूट के माल से भरा है।
यह उन बहुत सारे लोगों से भरा है
जिनका उसने पीछा किया और जिन्हें इसने मार डाला है!
2 देखो, कोड़ों की फटकार,
पहियों का शोर,
और घोड़ों की टापें सुनाई दे रही हैं,
और साथ—साथ उछलते रथों का शब्द सुनाई दे रहा है!
3 घुड़सवार हमला कर रहे हैं
और उनकी तलवारें चमक रहीं हैं,
उनके भाले चमचमाते हैं!
कितने ही लोग मरे हुये हैं,
लाशों के ढ़ेर लग गये हैं—अनगिनत लाशें फैली हैं।
लोग मुर्दो पर गिर—गिर कर चल रहे हैं!
4 यह सब कछ नीनवे के कारण घटा है।
नीनवे उस वेश्या सी है जो कभी तृप्ति नहीं होती,
उसको और अधिक, और अधिक चाहिये था।
उसने अपने को बहुत सारे देशों को बेच दिया था
और उसने उनको अपना दास बनाने को जादू चलाया था।
5 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है,
“हे नीनवे, मैं तेरे विरूद्ध हूँ।
मैं तेरे वस्त्र तेरे मुँह तक ऊपर उठा दूँगा।
तेरी नग्न देह को मैं सारे देशों को दिखा दूँगा।
वे सारे राज्य तेरी लाज को देखेंगे।
6 मैं तेरे ऊपर घिनौनी वस्तु फेंक दूँगा।
मैं तुझ से घृणा के साथ बर्ताव करूँगा।
लोग तुझको देखेंगे और तुझ पर हँसेंगे।
7 जो कोई भी तुझको देखेगा तुझ से दूर भागेगा।
हे नीनवे, मुझ को इसका पता है कि
कोई ऐसा नहीं है जो तुझे सुख चैन दे।”
8 नीनवे, क्या तू नील नदी के तट पर बसी अमोन से उत्तम है नहीं! अमोन के चारों ओर भी पानी हुआ करता था। अमोन इस पानी का इस्तेमाल स्वंय को शत्रु से बचाने के लिये खाई के रूप में किया करता था। इस पानी का उपयोग वह एक परकोटे के रूप में भी करता था। 9 कूश और मिस्र ने अमोन को बहुत शक्ति प्रदान की थी। उसे पूत और लूबी का भी समर्थन प्राप्त था। 10 किन्तु अमोन हार गया। उसके लोगों को बंदी बना कर किसी पराये देश में ले जाया गया। गली के हर नुक्कड़ पर सैनिकों ने उसके छोटे बच्चों को पीट—पीट कर मार डाला। उन्होंने पासे फेंक—फेंक कर यह देखा कि किस महत्वपूर्ण व्यक्ति को कौन अपने यहाँ दास बना कर रखे। अमोन के सभी महत्वपूर्ण व्यक्ति को कौन अपने यहाँ दास बना कर रखे। अमोन के सभी महत्वपूर्ण पुरूषों पर उन्होंने जंजीरें डाल दी थीं।
11 सो नीनवे, तेरा भी किसी नशे में धुत्त व्यक्ति के समान, पतन होगा! तू छिपता फिरेगा। शत्रु से दूर, तू कोई सुरक्षित स्थान ढूँढ़ता फिरेगा। 12 किन्तु नीनवे, तेरी सभी मज़बूत गढ़ियाँ अंजीर के पेड़ों सा हो जायेंगी। नयी अंजीरें पकतीं है, एक व्यक्ति आता है, और पेड़ को झकझोर देता है। अंजीरें उस व्यक्ति के मुख में गिरती हैं और वे उन्हें खाता है, और वे समाप्त हो जाती हैं!
13 नीनवे, तेरे लोग तो स्त्रियों जैसे हैं और शत्रु के सैनिक उन्हें ले लेने के लिये तैयार बैठे हैं। तेरी धरती के द्वार खुले पड़े हैं कि तेरा शत्रु भीतर आ जाये। तेरे द्वारों में लगी लकड़ी के आँगल को आग ने जलाकर नष्ट कर दिया है।
14 तू पानी इकट्ठा कर और उसे अपने नगर के भीतर जमा कर ले। क्योंकि शत्रु के सैनिक तेरे नगर को घेर लेंगे। वे नगर के भीतर किसी भी व्यक्ति को खाना—पानी नहीं लाने देंगे। अपनी सुरक्षा को मज़बूत बना! और अधिक ईटें बनाने के लिए मिट्टी ले! गारा बना और ईटें बनाने के लिए साँचे ले। 15 तू यह सब काम कर सकता है किन्तु फिर भी आग तुझे पूरी तरह नष्ट कर देगी और तलवार तुझे मार डालेगी। तेरी धरती ऐसी दिखाई देगी जैसे उस पर कोई टिड्डी दल आया हो और सब कुछ चट कर गया हो।
नीनवे, तू बढ़ता ही चला गया। तू एक टिड्डी दल के जैसा हो गया। तू टिड्डी का झुण्ड बन गया। 16 तेरे यहाँ अनेकानेक व्यापारी हो गये जो अनेक स्थानों पर जा कर वस्तुएँ खरीदा करते थे। वे इतने अनगिनत हो गये जितने आकाश में तारे हैं! वे उस टिड्डी दल के जैसे हो गये, जो खाता है और सब कुछ को उस समय तक खाता रहता है जब तक वह समाप्त नहीं हो जाती और फिर छोड़ कर चला जाता है। 17 तेरे सरकारी हाकिम भी टिड्डियों जैसे ही हैं। ये उन टिड्डियों के समान हैं जो ठण्डे के दिन एक चट्टान पर बैठ जाती है, किन्तु जब सूरज चढ़ने लगता है और चट्टान गर्म होने लगती है तो वह कहीं दूर उड़ जाती है। कोई नहीं जानता, वे कहाँ चली गयीं! तेरे हाकिम भी ऐसे ही होंगे।
18 हे अश्शूर के राजा, तेरे चरवाहे (मुखिया) सो गये। वे शक्तिशाली पुरूष नींद में पड़े हैं। और तेरी भेड़ें (प्रजा) अब पहाड़ों पर भटक रही हैं। उन्हें वापस लाने वाला कोई नहीं है। 19 नीनवे, तू बुरी तरह घायल हुआ है और ऐसा कुछ नहीं है जो तेरे घाव को भर सके। हर कोई जो तेरे विनाश के समाचार को सुनता है, तालियाँ बजाता है। वे सब प्रसन्र हैं! क्योंकि उन सब ने उस पीड़ा का अनुभव किया है, जिसे तू सदा उन्हें पहुँचाया करता था!
समीक्षा
बुराई के बलों के ऊपर विजय
हम सभी कठिन समय से गुजरते हैं। यीशु ने हमसे कहा कि परेशानी से आश्चर्यचकित मत हो (यूहन्ना 16:33)। लेकिन आपसे वायदा किया गया है कि आप जयवंत से बढ़कर हैं मसीह के द्वारा जो आपसे प्रेम करते हैं (रोमियो 8:37)।
उन प्रतिज्ञाओं से शांति प्राप्त कीजिए जो परमेश्वर ने तब अपने लोगों से किए थे, जो अब भी हम पर लागू होते हैं:'यहोवा भले हैं; संकट के दिन में वह दृढ़ गढ़ ठहरते हैं, और अपने शरणागतों की सुधि रखते हैं' (नहूम 1:7, एम.एस.जी)।
साम्राज्य आते और जाते हैं। एक बार ब्रिटिश साम्राज्य विश्व पर प्रभुत्व कर रहा था। अब नहीं। इसी तरह से, रोमन साम्राज्य और हर दूसरे साम्राज्य आए और गए।
नहूम ने लिखा, अश्शूर साम्राज्य विश्व पर प्रभुत्व करता था और अपराजेय लगता था। 612 बी.सी. में नहूम की पुस्तक लिखे जाने के थोड़े समय बाद, निनवे, अश्शूर साम्राज्य की राजधानी को बेबीलोन और मिद्यानि ने जीत लिया।
नहूम परमेश्वर के लोगों को आश्वासन देते हैं, जो शक्तिशाली सेना के द्वारा घिर चुके हैं, कि परमेश्वर नियंत्रण में हैं और पृथ्वी की कोई सामर्थ उनके विरूद्ध खड़ी नहीं रह सकती हैं (2:1-13)। संदेश यह हैः इस शत्रु को मत देखो या इससे भयभीत मत हो। उसी चीज से उनका न्याय होगा जो हम पर लागू होता है' (यूजन पिटरसन)।
तीसरे अध्याय में निनवे की बुराई का वर्णन किया गया हैः' हाय उस हत्यारी नगरी पर, वह तो छल और लूट के धन से भरी हुई है; लूट कम नहीं होती है... जो छिनाले के द्वारा जाति – जाति के लोगों को, और टोने के द्वारा कुल-कुल के लोगों को बेच डालती है' (3:1,4, एम.एस.जी)।
यदि पृथ्वी के इस राज्य का अंत 'अच्छा समाचार' था (1:15) जिसने इतनी राहत और आनंद लाया, तो बुराई के आत्मिक बलों के ऊपर यीशु की विजय ने हम तक कितनी राहत और आनंद लाना चाहिए? मसीहों के रूप में, हम अब भी शत्रुओं के द्वारा घिरे हुए हैं, जो विश्व, शरीर और शैतान के रूप में हैं, लेकिन क्योंकि परमेश्वर हमारे साथ हैं, हम जानते हैं कि हम उनकी विजयी सामर्थ को देखेंगे।
प्रार्थना
पिप्पा भी कहते है
भजनसंहिता 114:7-8
' वह चट्टान को जल का ताल, चकमक के पत्थर को जल का सोता बना डालते हैं'।
परमेश्वर कठिन स्थितियों को फलदायी स्थान में बदल सकते हैं।
दिन का वचन
नहूम 1:7
“यहोवा भला है; संकट के दिन में वह दृढ़ गढ़ ठहरता है, और अपने शरणागतों की सुधी रखता है।“
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संदर्भ
युजन पिटरसन, द मैसेज, 'नहूक का परिचय, ' (नवप्रेस, 2004) पी.1271
रेनियरो कॅन्टालमेसा, कम क्रिएटर स्पिरीट, (लिटुर्जिकल प्रेस, 2002)
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