परमेश्वर असिद्ध लोगों से प्रेम करते हैं
परिचय
मैं सिद्ध नहीं हूँ। कभी कभी मुझे यह विश्वास करने में कठिनाई होती है कि परमेश्वर सच में मुझसे प्रेम करते हैं – विशेष रूप से जब मैं चीजे बिगाड़ देता, असफल हो जाता हूँ या बुरे निर्णय लेता हूँ।
असल में, कोई भी सिद्ध नहीं है - यीशु के अलावा। ’क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नष्ट न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए“ (यूहन्ना 3:16)। इसलिए परमेश्वर अवश्य ही असिद्ध लोगों से प्रेम करते हैं। असल में,’जब हम पापी ही थे, मसीह हमारे लिए मरा“ (रोमियो 5:8)।
परमेश्वर जानते हैं कि सिद्ध लोग अस्तित्व में नहीं हैं। हम सभी गलती करते हैं। आपके लिए परमेश्वर का प्रेम आपकी गलतियों से बढ़कर है। परमेश्वर असिद्ध लोगों से प्रेम करते हैं।
हर कोई जानता है कि उनके विवाह में साथी सिद्ध नहीं हैं, उनके बच्चे सिद्ध नहीं हैं, उनके माता-पिता सिद्ध नहीं हैं लेकिन हम असिद्ध लोगों से प्रेम करते हैं और यदि हम असिद्ध लोगों से प्रेम करते हैं शायद से इस बात को हमें आश्चर्यचकित नहीं करना चाहिए कि परमेश्वर असिद्ध लोगों से और भी ज्यादा प्रेम करते हैं।
भजन संहिता 107:33-43
33 परमेश्वर ने नदियाँ मरूभूमि में बदल दीं।
परमेश्वर ने झरनों के प्रवाह को रोका।
34 परमेश्वर ने उपजाऊँ भूमि को व्यर्थ की रेही भूमि में बदल दिया।
क्यों क्योंकि वहाँ बसे दुष्ट लोगों ने बुरे कर्म किये थे।
35 और परमेश्वर ने मरूभूमि को झीलों की धरती में बदला।
उसने सूखी धरती से जल के स्रोत बहा दिये।
36 परमेश्वर भूखे जनों को उस अच्छी धरती पर ले गया
और उन लोगों ने अपने रहने को वहाँ एक नगर बसाया।
37 फिर उन लोगों ने अपने खेतों में बीजों को रोप दिया।
उन्होंने बगीचों में अंगूर रोप दिये, और उन्होंने एक उत्तम फसल पा ली।
38 परमेश्वर ने उन लोगों को आशिर्वाद दिया। उनके परिवार फलने फूलने लगे।
उनके पास बहुत सारे पशु हुए।
39 उनके परिवार विनाश और संकट के कारण छोटे थे
और वे दुर्बल थे।
40 परमेश्वर ने उनके प्रमुखों को कुचला और अपमानित किया था।
परमेश्वर ने उनको पथहीन मरूभूमि में भटकाया।
41 किन्तु परमेश्वर ने तभी उन दीन लोगों को उनकी याचना से बचा कर निकाल लिया।
अब तो उनके घराने बड़े हैं, उतने बड़े जितनी भेड़ों के झुण्ड।
42 भले लोग इसको देखते हैं और आनन्दित होते हैं,
किन्तु कुटिल इसको देखते हैं और नहीं जानते कि वे क्या कहें।
43 यदि कोई व्यक्ति विवेकी है तो वह इन बातों को याद रखेगा।
यदि कोई व्यक्ति विवेकी है तो वह समझेगा कि सचमुच परमेश्वर का प्रेम कैसा है।
समीक्षा
मनन कीजिए कि आपके लिए परमेश्वर का प्रेम कितना महान है
उन सभी महान चीजों को दोहराकर जो परमेश्वर ने’“ उनके लिए की हैं, भजनसंहिता के लेखक कहते हैं:’यहोवा की करुणा के कामों पर ध्यान करो“ (व.43)। ’ जो कोई बुध्दिमान हो, वह इन बातों पर ध्यान करेगा; और यहोवा की करुणा के कामों पर ध्यान करेगा“ (व.43, एम.एस.जी)। परमेश्वर ने कई बार उनके लोगों को बचाया। उन्होंने उनकी प्रार्थनाओं का उत्तर दिया।
परमेश्वर के लोग सिद्ध नहीं थे। वह अनुशासन के साथ लोगों की असफलता के प्रति उत्तर देते हैं। यद्यपि यहाँ पर परमेश्वर का प्रेम सबसे महत्वपूर्ण है, जैसे ही वह उस अनुशासन का इस्तेमाल करते हैं उन्हें अपनी ओर खींचने के लिए। जैसे ही वे लौटते हैं, वैसे ही कठिनाई आशीष में बदल जाती है। ’नदियाँ“ (व.33) फिर बहने लगती हैं:’वह जंगल को जल का ताल, और निर्जल देश को जल के सोते कर देता है...वह उनको ऐसी आशीष देता है कि वे बहुत बढ़ जाते हैं“ (वव.35,38)।
यीशु ने कहा कि आपमें बसने वाला पवित्र आत्मा इन ’जीवित जल की धाराओं“ के समान होगा (यूहन्ना 7:38)। ऑस्वाल्ड चेम्बर्स लिखते हैं,’परमेश्वर के आत्मा की नदी सारी बाधाओं को जीत लेती है। कभी भी बाधाओं या कठिनाई पर अपना ध्यान मत लगाओ। उस नदी को अवरोधों से कोई अंतर नहीं पड़ेगा जो आपके द्वारा स्थिर रूप से बहेगी यदि आप सरलतापूर्वक स्त्रोत पर ध्यान देना याद रखे।“
प्रार्थना
गलातियों 2:11-3:9
पौलुस की दृष्टि में पतरस अनुचित
11 किन्तु जब पतरस अन्ताकिया आया तो मैंने खुल कर उसका विरोध किया क्योंकि वह अनुचित था। 12 क्योंकि याकूब द्वारा भेजे हुए कुछ लोगों के यहाँ पहुँचने से पहले वह ग़ैर यहूदियों के साथ खाता पीता था। किन्तु उन लोगों के आने के बाद उसने ग़ैर यहूदियों से अपना हाथ खींच लिया और स्वयं को उनसे अलग कर लिया। उसने उन लोगों के डर से ऐसा किया जो चाहते थे कि ग़ैर यहूदियों का भी ख़तना होना चाहिए। 13 दूसरे यहूदियों ने भी इस दिखावे में उसका साथ दिया। यहाँ तक कि इस दिखावे के कारण बरनाबास तक भटक गया। 14 मैंने जब यह देखा कि सुसमाचार में निहित सत्य के अनुसार वे सीधे रास्ते पर नहीं चल रहे हैं तो सब के सामने पतरस से कहा, “जब तुम यहूदी होकर भी ग़ैर यहूदी का सा जीवन जीते हो, तो फिर ग़ैर यहूदियों को यहूदियों की रीति पर चलने को विवश कैसे कर सकते हो?”
15 हम तो जन्म के यहूदी हैं। हमारा पापी ग़ैर यहूदी से कोई सम्बन्ध नहीं है। 16 फिर भी हम यह जानते हैं कि किसी व्यक्ति को व्यवस्था के विधान का पालन करने के कारण नहीं बल्कि यीशु मसीह में विश्वास के कारण नेक ठहराया जाता है। हमने इसलिए यीशु मसीह का विश्वास धारण किया है ताकि इस विश्वास के कारण हम नेक ठहराये जायें, न कि व्यवस्था के विधान के पालन के कारण। क्योंकि उसे पालने से तो कोई भी मनुष्य धर्मी नहीं होता।
17 किन्तु यदि हम जो यीशु मसीह में अपनी स्थिति के कारण धर्मी ठहराया जाना चाहते हैं, हम ही विधर्मियों के समान पापी पाये जायें तो इसका अर्थ क्या यह नहीं है कि मसीह पाप को बढ़ावा देता है। निश्चय ही नहीं। 18 यदि जिसका मैं त्याग कर चुका हूँ, उस रीति का ही फिर से उपदेश देने लगूँ तब तो मैं आज्ञा का उल्लंघन करने वाला अपराधी बन जाऊँगा। 19 क्योंकि व्यवस्था के विधान के द्वारा व्यवस्था के लिये तो मैं मर चुका ताकि परमेश्वर के लिये मैं फिर से जी जाऊँ मसीह के साथ मुझे क्रूस पर चढ़ा दिया है। 20 इसी से अब आगे मैं जीवित नहीं हूँ किन्तु मसीह मुझ में जीवित है। सो इस शरीर में अब मैं जिस जीवन को जी रहा हूँ, वह तो विश्वास पर टिका है। परमेश्वर के उस पुत्र के प्रति विश्वास पर जो मुझसे प्रेम करता था, और जिसने अपने आप को मेरे लिए अर्पित कर दिया। 21 मैं परमेश्वर के अनुग्रह को नहीं नकार रहा हूँ, किन्तु यदि धार्मिकता व्यवस्था के विधान के द्वारा परमेश्वर से नाता जुड़ा पाता तो मसीह बेकार ही अपने प्राण क्यों देता।
परमेश्वर का वरदान विश्वास से मिलता है
3हे मूर्ख गलातियो, तुम पर किसने जादू कर दिया है? तुम्हें तो, सब के सामने यीशु मसीह को क्रूस पर कैसे चढ़ाया गया था, इसका पूरा विवरण दे दिया गया था। 2 मैं तुमसे बस इतना जानना चाहता हूँ कि तुमने आत्मा का वरदान क्या व्यवस्था के विधान को पालने से पाया था, अथवा सुसमाचार के सुनने और उस पर विश्वास करने से? 3 क्या तुम इतने मूर्ख हो सकते हो कि जिस जीवन को तुमने आत्मा से आरम्भ किया, उसे अब हाड़-माँस के शरीर की शक्ति से पूरा करोगे? 4 तुमने इतने कष्ट क्या बेकार ही उठाये? आशा है कि वे बेकार नहीं थे। 5 परमेश्वर, जो तुम्हें आत्मा प्रदान करता है और जो तुम्हारे बीच आश्चर्य कर्म करता है, वह यह इसलिए करता है कि तुम व्यवस्था के विधान को पालते हो या इसलिए कि तुमने सुसमाचार को सुना है और उस पर विश्वास किया है।
6 यह वैसे ही है जैसे कि इब्राहीम के विषय में शास्त्र कहता है: “उसने परमेश्वर में विश्वास किया और यह उसके लिये धार्मिकता गिनी गई।” 7 तो फिर तुम यह जान लो, इब्राहीम के सच्चे वंशज वे ही हैं जो विश्वास करते हैं। 8 शास्त्र ने पहले ही बता दिया था, “परमेश्वर ग़ैर यहूदियों को भी उनके विश्वास के कारण धमीज्ञ ठहरायेगा। और इन शब्दों के साथ पहले से ही इब्राहीम को परमेश्वर द्वारा सुसमाचार से अवगत करा दिया गया था।” 9 इसीलिए वे लोग जो विश्वास करते हैं विश्वासी इब्राहीम के साथ आशीष पाते हैं।
समीक्षा
समझिये कि आपके लिए परमेश्वर का प्रेम कितना व्यक्तिगत है
पौलुस प्रेरित जो अपने आपको ’पापियों में सबसे बड़ा“ कहते हैं (1तीमुथियुस 1:15, के.जे.व्ही) लिखते हैं,’ मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूँ, अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित हैं; और मैं शरीर में अब जो जीवित हूँ तो केवल उस विश्वास से जीवित हूँ जो परमेश्वर के पुत्र पर है, जिस ने मुझ से प्रेम किया और मेरे लिये अपने आप को दे दिया“ (2:20)।
यह परमेश्वर के प्रेम की महानता का विस्तार है। परमेश्वर के पुत्र ने आपके लिए और मेरे लिए अपने आपको दे दिया। बात सिर्फ यह नहीं कि परमेश्वर संपूर्ण विश्व से प्रेम करते हैं। वह आपसे प्रेम करते हैं। उन्होंने आपके लिए और मेरे लिए क्रूस पर अपने आपको दे दिया। वह आपके लिए मर गए। यदि आप विश्व में एकमात्र व्यक्ति होते, तब भी यीशु आपके लिए जान देते। यह इतना व्यक्तिगत है।
आपके लिए परमेश्वर का प्रेम बिना शर्त का, संपूर्ण हृदय से और निरंतर है। ऐसा कुछ नहीं है जो आप कर सकते हैं जिससे परमेश्वर आपसे अधिक प्रेम करने लगेंगे और ऐसा कुछ नहीं है जो आप कर सकते हैं जिससे परमेश्वर आपसे कम प्रेम करने लगेंगे।
जब पौलुस ने आखिरकार इस बात को समझा, इसने उनके जीवन को बदल दिया। उनका पुराना जीवन समाप्त हो चुका था। ’मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ा दिया गया हूँ। मेरा अहम अब केंद्र नहीं है... जो जीवन आप मुझे जीते हुए देखते हैं, वह ’मेरा“ नहीं है (व.20, एम.एस.जी)। एक नया जीवन शुरु हो गया है,’मसीह मुझमें रहते हैं“ (व.20)। मसीह का आत्मा उसमें रहने आ चुका था। यह नया जीवन ’परमेश्वर के पुत्र में विश्वास“ का एक जीवन था (व.20)।
इस वचन में, पौलुस सुसमाचार के संदेश को व्यक्त करते हैं। यह बहुत अद्भुत और फिर भी बहुत सरल है। इसमें जोड़ने के द्वारा, हम केवल इसमें से कम करते हैं।
यही कारण है कि पौलुस सुसमाचार का बचाव करने में बहुत vociferous थे। यही कारण है कि उन्होंने पतरस से ’आमने-सामने बात की“ (व.11, एम.एस.जी)। पतरस स्वयं इस संदेश की सच्चाई को जानते थे। फिर भी,’ इसलिये कि याकूब की ओर से कुछ लोगों के आने से पहले वह अन्यजातियों के साथ खाया करता था, परन्तु जब वे आए तो खतना किए हुए लोगों के डर के मारे वह पीछे हट गए और किनारा करने लगे। उसके साथ शेष यहूदियों ने भी कपट किया, यहाँ तक कि बरनबास भी उनके कपट में पड़ गया “ (वव.12-13)।
ऐसा करने के द्वारा, पतरस ने दर्शाया कि एक मसीह बनना काफी नहीं है – वह कह रहे थे लोगों को अवश्य ही यहूदी रीतिरिवाजों का पालन करना चाहिए (व.14)।
लेकिन केवल यीशु मसीह में विश्वास की आवश्यकता है। ’ यह जानकर कि मनुष्य व्यवस्था के कामों से नहीं, पर केवल यीशु मसीह पर विश्वास करने के द्वारा सत्यनिष्ठ ठहरता है“ (व.16, एम.एस.जी)।
परमेश्वर अपने महान प्रेम में, बिना पक्षपात के मसीह में विश्वास करने वाले सभी लोगों को अपनाते हैं। आप विश्वास के द्वारा सत्यनिष्ठ ठहरते हैं। इसके परिणामस्वरूप जीवन पूरी तरह से बदल जाता है। मसीह आपमें रहने के लिए आते हैं। अब आप पुराना जीवन नहीं जीते हैं, बल्कि परमेश्वर के पुत्र में विश्वास के द्वारा एक नया जीवन जीते हैं।
आप उनकी आत्मा को ग्रहण करते है (3:2)। विश्वास और पवित्र आत्मा को ग्रहण करना ना केवल मसीह जीवन की शुरुवात करने का तरीका है, यह इसे निरंतर जीते रहने का तरीका है (व.3)।
गलातियों ने स्पष्ट रूप से पवित्र आत्मा का अनुभव किया था, जिसके विषय में पौलुस ने कहाः’ मैं तुम से केवल यह जानना चाहता हूँ कि तुम ने आत्मा को, क्या व्यवस्था के कामों से या विश्वास के समाचार से पाया?“ (व.2)। जब आपने मसीह में विश्वास किया, तब आपने पवित्र आत्मा को ग्रहण किया था। ’ जो तुम्हें आत्मा दान करता और तुम में सामर्थ के काम करता है, वह क्या व्यवस्था के कामों से या सुसमाचार पर विश्वास करने से ऐसा करता है?“ (व.5)।
अल्फा में, मुझसे अक्सर यह सवाल पूछा गया है,’उन लोगों के विषय में क्या जो यीशु के आने से पहले जीवित थे? उनके साथ क्या होगा?“ यह लेखांश उत्तर देता है।
यीशु का क्रूस संपूर्ण अनंतता में काम करता है। यह समय में पीछे की ओर, और आगे की ओर भी काम करता है। यह अब्राहम के लिए प्रभावी थाः ’ ’अब्राहम ने तो परमेश्वर पर विश्वास किया और यह उसके लिये सत्यनिष्ठा गिनी गई“ (व.6)। ’ पवित्रशास्त्र ने पहले ही से यह जानकर कि परमेश्वर अन्यजातियों को विश्वास से सत्यनिष्ठ ठहराएंगे, पहले ही से अब्राहम को यह सुसमाचार सुना दिया कि ’तुझ में सब जातियाँ आशीष पाएँगी।“ (व.8)। विश्व के इतिहास में क्रूस परिभाषित करने वाली घटना थी जिसके बारे में नियम और बलिदान की व्यवस्था इशारा करते थे।
प्रार्थना
यशायाह 38:1-40:31
हिजकिय्याह की बीमारी
38उस समय के आसपास हिजकिय्याह बहुत बीमार पड़ा। इतना बीमार कि जैसे वह मर ही गया हो। सो आमोस का पुत्र यशायाह उससे मिलने गया। यशायाह ने राजा से कहा, “यहोवा ने तुम्हें ये बातें बताने के लिये कहा है: ‘शीघ्र ही तू मर जायेगा। सो जब तू मरे, परिवार वाले क्या करें, यह तुझे उन्हें बता देना चाहिये। अब तू फिर कभी अच्छा नहीं होगा।’”
2 हिजकिय्याह ने उस दीवार की तरफ करवट ली जिसका मुँह मन्दिर की तरफ था। उसने यहोवा की प्रार्थना की, उसने कहा, 3 “हे यहोवा, कृपा कर, याद कर कि मैंने सदा तेरे सामने विश्वासपूर्ण और सच्चे हृदय के साथ जीवन जिया है। मैंने वे बातें की हैं जिन्हें तू उत्तम कहता है।” इसके बाद हिजकिय्याह ने ऊँचे स्वर में रोना शुरु कर दिया।
4 यशायाह को यहोवा से यह सन्देश मिळा: 5 “हिजकिय्याह के पास जा और उससे कह दे: ये बातें वे हैं जिन्हें तुम्हारे पिता दाऊद का परमेश्वर यहोवा कहता है, ‘मैंने तेरी प्रार्थना सुनी है और तेरे दु:ख भरे आँसू देखे हैं। तेरे जीवन में मैं पन्द्रह वर्ष और जोड़ रहा हूँ। 6 अश्शूर के राजा के हाथों से मैं तुझे छुड़ा डालूँगा और इस नगर की रक्षा करुँगा।’”
21 फिर इस पर यशायाह ने कहा, “अंजीरों को आपस में मसलवा कर उसके फोड़ों पर बाँध। इससे वह अच्छा हो जायेगा।”
22 किन्तु हिजकिय्याह ने यशायाह से पूछा, “यहोवा की ओर से ऐसा कौन सा संकेत है जो प्रमाणित करता है कि मैं अच्छा हो जाऊँगा कौन सा ऐसा संकेत है जो प्रमाणित करता है कि मैं यहोवा के मन्दिर में जाने योग्य हो जाऊँगा”
7 तुझे यह बताने के लिए कि जिन बातों को वह कहता है, उन्हें वह पूरा करेगा। यहोवा की ओर से यह संकेत है: 8 “देख, आहाज़ की धूप घड़ी की वह छाया जो अंशों पर पड़ी हैं, मैं उसे दस अंश पीछे हटा दूँगा। सूर्य की वह छाया दस अंश तक पीछे चली जायेगी।”
9 यह हिजकिय्याह का वह पत्र है जो उसने बीमारी से अच्छा होने के बाद लिखा था:
10 मैंने अपने मन में कहा कि मैं तब तक जीऊँगा जब तक बूढ़ा होऊँगा।
किन्तु मेरा काल आ गया था कि मैं मृत्यु के द्वार से गुजरुँ।
अब मैं अपना समय यहीं पर बिताऊँगा।
11 इसलिए मैंने कहा, “मैं यहोवा याह को फिर कभी जीवितों की धरती पर नहीं देखूँगा।
धरती पर जीते हुए लोगों को मैं नहीं देखूँगा।
12 मेरा घर, चरवाहे के अस्थिर तम्बू सा उखाड़ कर गिराया जा रहा है और मुझसे छीना जा रहा है।
अब मेरा वैसा ही अन्त हो गया है जैसे करघे से कपड़ा लपेट कर काट लिया जाता है।
क्षणभर में तूने मुझ को इस अंत तक पहुँचा दिया!
13 मैं भोर तक अपने को शान्त करता रहा।
वह सिंह की नाई मेरी हड्डियों को तोड़ता है।
एक ही दिन में तू मेरा अन्त कर डालता है!
14 मैं कबूतर सा रोता रहा। मैं एक पक्षी जैसा रोता रहा।
मेरी आँखें थक गयी तो भी मैं लगातर आकाश की तरफ निहारता रहा।
मेरे स्वामी, मैं विपत्ति में हूँ मुझको उबारने का वचन दे।”
15 मैं और क्या कह सकता हूँ मेरे स्वामी ने मुझ को बताया है जो कुछ भी घटेगा,
और मेरा स्वामी ही उस घटना को घटित करेगा।
मैंने इन विपत्तियों को अपनी आत्मा में झेला है इसलिए मैं जीवन भर विनम्र रहूँगा।
16 हे मेरे स्वामी, इस कष्ट के समय का उपयोग फिर से मेरी चेतना को सशक्त बनाने में कर।
मेरे मन को सशक्त और स्वस्थ होने में मेरी सहायता कर!
मुझको सहारा दे कि मैं अच्छा हो जाऊँ! मेरी सहायता कर कि मैं फिर से जी उठूँ!
17 देखो! मेरी विपत्तियाँ समाप्त हुई! अब मेरे पास शांति है।
तू मुझ से बहुत अधिक प्रेम करता है! तूने मुझे कब्र में सड़ने नहीं दिया।
तूने मेरे सब पाप क्षमा किये! तूने मेरे सब पाप दूर फेंक दिये।
18 तेरी स्तुति मरे व्यक्ति नहीं गाते!
मृत्यु के देश में पड़े लोग तेरे यशगीत नहीं गाते।
वे मरे हुए व्यक्ति जो कब्र में समायें हैं, सहायता पाने को तुझ पर भरोसा नहीं रखते।
19 वे लोग जो जीवित हैं जेसा आज मैं हूँ तेरा यश गाते हैं।
एक पिता को अपनी सन्तानों को बताना चाहिए कि तुझ पर भरोसा किया जा सकता है।
20 इसलिए मैं कहता हूँ:
“यहोवा ने मुझ को बचाया है सो हम अपने जीवन भर यहोवा के मन्दिर में गीत गायेंगे और बाजे बजायेंगे।”
बाबुल के सन्देश वाहक
39उस समय, बलदान का पुत्र मरोदक बलदान बाबुल का राजा हुआ करता था। मरोदक ने हिजकिय्याह के पास पत्र और उपहार भेजे। मरोदक ने उसके पास इसलिये उपहार भेजे थे कि उसने सुना था कि हिजकिय्याह बीमार था और फिर अच्छा हो गया था। 2 इन उपहारों को पाकर हिजकिय्याह बहुत प्रसन्न हुआ। इसलिये हिजकिय्याह ने मरोदक के लोगों को अपने खज़ाने की मूल्यवान वस्तुएँ दिखाई। हिजकिय्याह ने उन लोगों को अपनी सारी सम्पत्ति दिखाई। चाँदी, सोना, मूल्यवान तेल और इत्र उन्हें दिखाये। हिजकिय्याह ने उन्हें युद्ध में काम आने वाली तलवारें और ढालें भी दिखाई। हिजकिय्याह ने उन्हें वे सभी वस्तुएँ दिखाई जो उसने जमा कर रखी थीं। हिजकिय्याह ने अपने घर की और अपने राज्य की हर वस्तु उन्हें दिखायी।
3 यशायाह नबी राजा हिजकिय्याह के पास गया और उससे बोला, “ये लोग क्या कह रहे हैं ये लोग कहाँ से आये हैं”
हिजकिय्याह ने कहा, “ये लोग दूर देश से मेरे पास आये हैं। ये लोग बाबुल से आये हैं।”
4 इस पर यशायाह ने उससे पूछा, “उन्होंने तेरे महल में क्या देखा”
हिजकिय्याह ने कहा, “मेरे महल की हर वस्तु उन्होंने देखी। मैंने अपनी सारी सम्पत्ति उन्हें दिखाई थी।”
5 यशायाह ने हिजकिय्याह से यह कहा: “सर्वशक्तिमान यहोवा के शब्दों को सुनो। 6 ‘भविष्य में जो कुछ तेरे घर में हैं, वह सब कुछ बाबुल ले जाया जायेगा। और तेरे बुजुर्गों की वह सारी धन दौलत जो अचानक उन्होंने एकत्र की है, ले ली जायेगी। तेरे पास कुछ नहीं छोड़ा जायेगा। सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह कहा है। 7 बाबुल का राजा तेरे पुत्रों को ले जायेगा। वे पुत्र जो तुझसे पैदा होंगे। तेरे पुत्र बाबुल के राजा के महल में हाकिम बनेंगे।’”
8 हिजकिय्याह ने यशायाह से कहा, “यहोवा के इन वचनों का सुनना मेरे लिये बहुत उत्तम होगा।” (हिजकिय्याह ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि उसका विचार था, “जब मैं राजा होऊँगा, तब शांति रहेगी और कोई उत्पात नहीं होगा।”)
इस्राएल के दण्ड का अंत
40तुम्हारा परमेश्वर कहता है,
“चैन दे, चैन दे मेरे लोगों को!
2 तू दया से बातें कर यरूशलेम से!
यरूशलेम को बता दे,
‘तेरी दासता का समय अब पूरा हो चुका है।
तूने अपने अपराधों की कीमत दे दी है।’
यहोवा ने यरूशलेम के किये हुए पापों का दुगना दण्ड उसे दिया है!”
3 सुनो! एक व्यक्ति का जोर से पुकारता हुआ स्वर:
“यहोवा के लिये बियाबान में एक राह बनाओ!
हमारे परमेश्वर के लिये बियाबान में एक रास्ता चौरस करो!
4 हर घाटी को भर दो।
हर एक पर्वत और पहाड़ी को समतल करो।
टेढ़ी—मेढ़ी राहों को सीधा करो।
उबड़—खाबड़ को चौरस बना दो।
5 तब यहोवा की महिमा प्रगट होगी।
सब लोग इकट्ठे यहोवा के तेज को देखेंगे।
हाँ, यहोवा ने स्वयं ये सब कहा है।”
6 एक वाणी मुखरित हुई, उसने कहा, “बोलो!”
सो व्यक्ति ने पूछा, “मैं क्या कहूँ” वाणी ने कहा, “लोग सर्वदा जीवित नहीं रहेंगे।
वे सभी रेगिस्तान के घास के समान है।
उनकी धार्मिकता जंगली फूल के समान है।
7 एक शक्तिशाली आँधी यहोवा की ओर से उस घास पर चलती है,
और घास सूख जाती है, जंगली फूल नष्ट हो जाता है। हाँ सभी लोग घास के समान हैं।
8 घास मर जाती है और जंगली फूल नष्ट हो जाता है।
किन्तु हमारे परमेश्वर के वचन सदा बने रहते हैं।”
मुक्ति: परमेश्वर का सुसन्देश
9 हे, सिय्योन, तेरे पास सुसन्देश कहने को है,
तू पहाड़ पर चढ़ जा और ऊँचे स्वर से उसे चिल्ला!
यरूशलेम, तेरे पास एक सुसन्देश कहने को है।
भयभीत मत हो, तू ऊँचे स्वर में बोल!
यहूदा के सारे नगरों को तू ये बातें बता दे: “देखो, ये रहा तुम्हारा परमेश्वर!”
10 मेरा स्वामी यहोवा शक्ति के साथ आ रहा है।
वह अपनी शक्ति का उपयोग लोगों पर शासन करने में लगायेगा।
यहोवा अपने लोगों को प्रतिफल देगा।
उसके पास देने को उनकी मजदूरी होगी।
11 यहोवा अपने लोगों की वैसे ही अगुवाई करेगा जैसे कोई गड़ेरिया अपने भेड़ों की अगुवाई करता है।
यहोवा अपने बाहु को काम में लायेगा और अपनी भेड़ों को इकट्ठा करेगा।
यहोवा छोटी भेड़ों को उठाकर गोद में थामेगा, और उनकी माताऐं उसके साथ—साथ चलेंगी।
संसार परमेश्वर ने रचा: वह इसका शासक है
12 किसने अँजली में भर कर समुद्र को नाप दिया किसने हाथ से आकाश को नाप दिया
किसने कटोरे में भर कर धरती की सारी धूल को नाप दिया
किसने नापने के धागे से पर्वतों
और चोटियों को नाप दिया यह यहोवा ने किया था!
13 यहोवा की आत्मा को किसी व्यक्ति ने यह नहीं बताया कि उसे क्या करना था।
यहोवा को किसी ने यह नहीं बताया कि उसे जो उसने किया है, कैसे करना था।
14 क्या यहोवा ने किसी से सहायता माँगी?
क्या यहोवा को किसी ने निष्पक्षता का पाठ पढ़ाया है?
क्या किसी व्यक्ति ने यहोवा को ज्ञान सिखाया है?
क्या किसी व्यक्ति ने यहोवा को बुद्धि से काम लेना सिखाया है? नहीं!
इन सभी बातों का यहोवा को पहले ही से ज्ञान है!
15 देखो, जगत के सारे देश घड़े में एक छोटी बूंद जैसे हैं।
यदि यहोवा सुदूरवर्ती देशों तक को लेकर अपनी तराजू पर धर दे, तो वे छोटे से रजकण जैसे लगेंगे।
16 लबानोन के सारे वृक्ष भी काफी नहीं है कि उन्हें यहोवा के लिये जलाया जाये।
लबानोन के सारे पशु काफी नहीं हैं कि उनको उसकी एक बलि के लिये मारा जाये।
17 परमेश्वर की तुलना में विश्व के सभी राष्ट्र कुछ भी नहीं हैं।
परमेश्वर की तुलना में विश्व के सभी राष्ट्र बिल्कुल मूल्यहीन हैं।
परमेश्वर क्या है लोग कल्पना भी नहीं कर सकते
18 क्या तुम परमेश्वर की तुलना किसी भी वस्तु से कर सकते हो नहीं! क्या तुम परमेश्वर का चित्र बना सकते हो नहीं!
19 कुन्तु कुछ लोग ऐसे हैं जो पत्थर और लकड़ी की मूर्तियाँ बनाते हैं और उन्हें देवता कहते हैं।
एक कारीगर मूर्ति को बनाता है।
फिर दूसरा कारीगर उस पर सोना मढ़ देता है और उसके लिये चाँदी की जंजीरे बनता है!
20 सो वह व्यक्ति आधार के लिये एक विशेष प्रकार की लकड़ी चुनता है जो सड़ती नहीं है।
तब वह एक अच्छे लकड़ी चुनता है जो सड़ती नहीं है।
तब वह एक अच्छे लकड़ी के कारीगर को ढूँढता है।
वह कारीगर एक ऐसा “देवता” बनाता है जो ढुलकता नहीं है!
21 निश्चय ही, तुम सच्चाई जानते हो, बोलो निश्चय ही तुमने सुना है!
निश्चय ही बहुत पहले किसी ने तुम्हें बताया है! निश्चय ही तुम जानते हो कि धरती को किसने बनाया है!
22 यहोवा ही सच्चा परमेश्वर है!
वही धरती के चक्र के ऊपर बैठता है!
उसकी तुलना में लोग टिड्डी से लगते हैं।
उसने आकाशों को किसी कपड़े के टुकड़े की भाँति खोल दिया।
उसने आकाश को उसके नीचे बैठने को एक तम्बू की भाँति तान दिया।
23 सच्चा परमेश्वर शासकों को महत्त्वहीन बना देता है।
वह इस जगत के न्यायकर्ताओं को पूरी तरह व्यर्थ बना देता है!
24 वे शासक ऐसे हैं जेसे वे पौधे जिन्हें धरती में रोपा गया हो,
किन्तु इससे पहले की वे अपनी जड़े धरती में जमा पाये,
परमेश्वर उन को बहा देता है
और वे सूख कर मर जाते हैं।
आँधी उन्हें तिनके सा उड़ा कर ले जाती है।
25 “क्या तुम किसी से भी मेरी तुलना कर सकते हो नहीं!
कोई भी मेरे बराबर का नहीं है।”
26 ऊपर आकाशों को देखो।
किसने इन सभी तारों को बनाया
किसने वे सभी आकाश की सेना बनाई
किसको सभी तारे नाम—बनाम मालूस हैं
सच्चा परमेश्वर बहुत ही सुदृढ़ और शक्तिशाली है
इसलिए कोई तारा कभी निज मार्ग नहीं भूला।
27 हे याकूब, यह सच है!
हे इस्राएल, तुझको इसका विश्वास करना चाहिए!
सो तू क्यों ऐसा कहता है कि “जैसा जीवन मैं जीता हूँ उसे यहोवा नहीं देख सकता!
परमेश्वर मुझको पकड़ नहीं पायेगा और न दण्ड दे पायेगा।”
28 सचमुच तूने सुना है और जानता है कि यहोवा परमेश्वर बुद्धिमान है।
जो कुछ वह जानता है उन सभी बातों को मनुष्य नहीं सीख सकता।
यहोवा कभी थकता नहीं,
उसको कभी विश्राम की आवश्यकता नहीं होती।
यहोवा ने ही सभी दूरदराज के स्थान धरती पर बनाये।
यहोवा सदा जीवित है।
29 यहोवा शक्तिहीनों को शक्तिशाली बनने में सहायता देता है।
वह ऐसे उन लोगों को जिनके पास शक्ति नहीं है, प्रेरित करता है कि वह शक्तिशाली बने।
30 युवक थकते हैं और उन्हें विश्राम की जरुरत पड़ जाती है।
यहाँ तक कि किशोर भी ठोकर खाते हैं और गिरते हैं।
31 किन्तु वे लोग जो यहोवा के भरोसे हैं फिर से शक्तिशाली बन जाते हैं।
जैसे किसी गरुड़ के फिर से पंख उग आते हैं।
ये लोग बिना विश्राम चाहे निरंतर दौड़ते रहते हैं।
ये लोग बिना थके चलते रहते हैं।
समीक्षा
जानिये कि आपके लिए परमेश्वर का प्रेम कितना अनंत है
आपके लिए परमेश्वर का प्रेम अनंत है। यह आपको जाने नहीं देगा। ’ देख, शान्ति ही के लिये मुझे बड़ी कड़वाहट मिली; परन्तु तू ने स्नेह करके मुझे विनाश के गड़हे से निकाला है, क्योंकि मेरे सब पापों को तू ने अपनी पीठ के पीछें फेंक दिया है“ (38:17), हिजिकिय्याह ने लिखा। परमेश्वर ने उनकी प्रार्थना को सुना और उनके आँसुओं को देखा। परमेश्वर ने उनके जीवनकाल में पंद्रह वर्ष और जोड़ दिए और राजा अश्शूर के हाथों से उन्हें छुड़ाया (वव.5-6)।
यशायाह के दूसरे भाग की शुरुवात उन वचनो से होती है, जिन्हें बाद में यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने दोहराया (40:3)। यशायाह 40-55 का संदेश हैः ’निर्वासन जल्द ही समाप्त हो जाएगा।“ जब यीशु आए, तब उन्होंने निर्वासन के वास्तविक अंत की घोषणा की। इन अध्यायों में, हम पहले ही जान लेते हैं, जैसे ही यशायाह भौतिक निर्वासन के अंत की घोषणा करते हैं, जिसे इस्राएल ने छठी शताब्दी बी.सी में अनुभव किया था।
यशायाह ने परमेश्वर की उपस्थिति के एक नये बोध को पहले ही देख लिया (40:3-5), परमेश्वर के वचन में एक नया आत्मविश्वास (वव.6-8) और पमरेश्वर का एक नया दर्शन (व.9)।
उन्होंने परमेश्वर के महान प्रेम को देखा, और उन्होंने लिखा,’ वह चरवाहे के समान अपने झुण्ड को चराएगा, वह भेड़ों के बच्चों को अँकवार में लिए रहेगा और दूध पिलाने वालियों को धीरे – धीरे ले चलेगा“ (व.11; यूहन्ना 10 भी देखें)।
महानता के मामले में परमेश्वर के तुल्य कोई नहीं। वह ब्रह्मांड के निर्माता हैं (यशायाह 40:12-14)। उनकी तुलना में ’देश एक बाल्टी में एक बूँद की तरह है“ (व.15)। परमेश्वर की तुलना उस मूर्ति से करना बेतुकी बात है जो एक शिल्पकार के द्वारा बनाई गई है (वव.18-20)।
परमेश्वर की तुलना में, इस विश्व के लोग, यहाँ तक कि इसके महान लीडर्स,’टिड्डियों के समान हैं
“ (व.22)। वह संपूर्ण ब्रह्मांड के निर्माता हैं, अरबो तारों के भी निर्माता हैं (व.26)। यह परमेश्वर हैं जो व्यक्तिगत रूप से आपसे प्रेम करते हैं और आपको अपने हृदय के नजदीक रखते हैं। परमेश्वर आते और जाते नहीं हैं। परमेश्वर बने रहते हैं।
परमेश्वर सामर्थ देने वाले परमेश्वर भी हैं। वह ’उन्हें स्फूर्ति देते हैं जो थक जाते हैं...जो परमेश्वर की बाट जोहते हैं वह ताजी सामर्थ पाते हैं“ (वव.29-31, एम.एस.जी)। शांति से परमेश्वर का इंतजार कीजिए, उनके वचन का अध्ययन कीजिए, प्रार्थना, आराधना कीजिए और अपने लिए उनके प्रेम पर मनन कीजिए। वह आपको सुधारेंगे, आपको स्फूर्ति देंगे और हर उस चीज का सामना करने के लिए सशक्त करेंगे जो आपको करने की आवश्यकता है।
प्रार्थना
पिप्पा भी कहते है
यशायाह 40:28
’ यहोवा जो सनातन परमेश्वर और पृथ्वी भर के सृजनहार हैं, वह न थकते, न श्रमित होते हैं, उनकी बुध्दि अगम है।“
वही परमेश्वर जिन्होंने इस संपूर्ण ब्रह्मांड का निर्माण किया, वह हमारी चिंता करते हैं:’ वह चरवाहे के समान अपने झुण्ड को चराएंगे, वह भेड़ों के बच्चों को अँकवार में लिए रहेंगे“ (व.11)। हमारा प्रतापी, सर्व शक्तिशाली परमेश्वर, एक देखभाल करने वाले परमेश्वर भी हैं।
दिन का वचन
गलातियों 2:20
“ मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूं, और अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है: और मैं शरीर में अब जो जीवित हूं तो केवल उस विश्वास से जीवित हूं, जो परमेश्वर के पुत्र पर है, जिस ने मुझ से प्रेम किया, और मेरे लिये अपने आप को दे दिया। “
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संदर्भ
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।