अनपेक्षित कठिनाईयों से कैसे निपटे
परिचय
प्रेसीडेंट जे.एफ. केनेडी ने एक बार कहा कि 'जब चायनीज भाषा में लिखा जाता है,' शब्द 'संकट' दो शब्दों में बँधा हुआ है। एक खतरा बताता है, और दूसरा अवसर बताता है। हर संकट, उसी समय, एक अवसर है। संकट अक्सर अनपेक्षित कठिनाईयों के द्वारा होते हैं।
हम सभी के पास परेशानियाँ हैं। हममें से बहुत से संकट का सामना करेंगे। अपने व्यक्तिगत जीवन में आप कैसे परेशानी, खतरे या अनपेक्षित कठिनायों को उत्तर देते हैं? चर्च में या हमारे देश में हम अनपेक्षित कठिनाईयों को कैसे उत्तर देते हैं? हम क्या करते हैं जब 'हमारी बुद्धि जवाब दे जाती है?' (भजनसंहिता 107:27)। हम क्या करते हैं जब 'सुसमाचार का सत्य' दाँव पर लगा होता है? (गलातियो 2:5)। हम अपने जीवन में 'एक काले दिन' के प्रति कैसे उत्तर देते हैं? (यशायाह 37:3, एम.एस.जी)।
भजन संहिता 107:23-32
23 कुछ लोग अपने काम करने को
अपनी नावों से समुद्र पार कर गये।
24 उन लोगों ने ऐसी बातों को देखा है
जिनको यहोवा कर सकता है।
उन्होंने उन अद्भुत बातों को देखा है
जिन्हें यहोवा ने सागर पर किया है।
25 परमेश्वर ने आदेश दिया,
फिर एक तीव्र पवन तभी चलने लगी।
बड़ी से बड़ी लहरे आकार लेने लगी।
26 लहरे इतनी ऊपर उठीं जितना आकाश हो
तूफान इतना भयानक था कि लोग भयभीत हो गये।
27 लोग लड़खड़ा रहे थे, गिरे जा रहे थे जैसे नशे में धुत हो।
खिवैया उनकी बुद्धि जैसे व्यर्थ हो गयी हो।
28 वे संकट में थे सो उन्होंने सहायता पाने को यहोवा को पुकारा।
तब यहोवा ने उनको संकटों से बचा लिया।
29 परमेश्वर ने तूफान को रोका
और लहरें शांत हो गयी।
30 खिवैया प्रसन्न थे कि सागर शांत हुआ था।
परमेश्वर उनको उसी सुरक्षित स्थान पर ले गया जहाँ वे जाना चाहते थे।
31 यहोवा का धन्यवाद करो उसके प्रेम के लिये धन्यवाद करो
उन अद्भुत कामों के लिये जिन्हें वह लोगों के लिये करता है।
32 महासभा के बीच उसका गुणगान करो।
जब बुजुर्ग नेता आपस में मिलते हों उसकी प्रशंसा करों।
समीक्षा
प्रार्थना में परमेश्वर को पुकारिये
हो सकता है कि आपके जीवन में ऐसे समय आएं जब आप बड़े तूफानों का सामना कर रहे हो। ' प्रचण्ड बयार उठकर तरंगो को उठाती है' (व.25)। ' क्लेश के मारे उनके जी में जी नहीं रहता' और आपकी बुद्धि जवाब दे देती है (वव.26-27)। आप एक अनपेक्षित तूफान में फँस जाते हैं और इसमें से बाहर नहीं निकल पाते हैं।
यह भजन हमें बताता है कि कैसे उत्तर देना है। लोग
' तब वे संकट में यहोवा की दोहाई देते हैं, और वह उनको सकेती से निकालते हैं' (व.28, एम.एस.जी)।
परमेश्वर कभी देर नहीं करते, कभी जल्दी नहीं करते। वह हमेशा समय पर होते हैं!
' वह आँधी को शान्त कर देते हैं और तरंगे बैठ जाती हैं। ... और वह उनको मन चाहे बन्दरगाह में पहुँचा देते हैं ' (वव.29-30ब)।
जब परमेश्वर सहायता के लिए आपकी चिल्लाहट का उत्तर देते हैं, तब उन्हें धन्यवाद देना न भूलेः
' लोग यहोवा की करुणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करते हैं, उनका धन्यवाद करें' (वव.31-32, एम.एस.जी)।
प्रार्थना
गलातियों 2:1-10
पौलुस को प्रेरितों की मान्यता
2चौदह साल बाद मैं फिर से यरूशलेम गया। बरनाबास मेरे साथ था और तितुस को भी मैंने साथ ले लिया था। 2 मैं परमेश्वर के दिव्य दर्शन के कारण वहाँ गया था। मैं ग़ैर यहूदियों के बीच जिस सुसमाचार का उपदेश दिया करता हूँ, उसी सुसमाचार को मैंने एक निजी सभा के बीच कलीसिया के मुखियाओं को सुनाया। मैं वहाँ इसलिए गया था कि परमेश्वर ने मुझे दर्शाया था कि मुझे वहाँ जाना चाहिए। ताकि जो काम मैंने पिछले दिनों किया था, या जिसे मैं कर रहा हूँ, वह बेकार न चला जाये।
3 परिणाम स्वरूप तितुस तक को, जो मेरे साथ था, यद्यपि वह यूनानी है, फिर भी उसे ख़तना कराने के लिये विवश नहीं किया गया। 4 किन्तु उन झूठे बंधुओं के कारण जो लुके-छिपे हमारे बीच भेदिये के रूप में यीशु मसीह में हमारी स्वतन्त्रता का पता लगाने को इसलिए घुस आये थे कि हमें दास बना सकें, यह बात उठी 5 किन्तु हमने उनकी अधीनता में घुटने नहीं टेके ताकि वह सत्य जो सुसमाचार में निवास करता है, तुम्हारे भीतर बना रहे।
6 किन्तु जाने माने प्रतिष्ठित लोगों से मुझे कुछ नहीं मिला। (वे कैसे भी थे, मुझे इससे कोई अंतर नहीं पड़ता। बिना किसी भेदभाव के सभी मनुष्य परमेश्वर के सामने एक जैसे हैं।) उन सम्मानित लोगों से मुझे या मेरे सुसमाचार को कोई लाभ नहीं हुआ। 7 किन्तु इन मुखियाओं ने देखा कि परमेश्वर ने मुझे वैसे ही एक विशेष काम सौंपा है जैसे पतरस को परमेश्वर ने यहूदियों को सुसमाचार सुनाने का काम दिया था। किन्तु परमेश्वर ने ग़ैर यहूदी लोगों को सुसमाचार सुनाने का काम मुझे दिया। 8 परमेश्वर ने पतरस को एक प्रेरित के रूप में काम करने की शक्ति दी थी। पतरस ग़ैर यहूदी लोगों के लिए एक प्रेरित है। परमेश्वर ने मुझे भी एक प्रेरित के रूप में काम करने की शक्ति दी है। किन्तु मैं उन लोगों का प्रेरित हूँ जो यहूदी नहीं हैं। 9 इस प्रकार उन्होंने मुझ पर परमेश्वर के उस अनुग्रह को समझ लिया और कलीसिया के स्तम्भ समझे जाने वाले याकूब, पतरस और यूहन्ना ने बरनाबास और मुझसे साझेदारी के प्रतीक रूप में हाथ मिला लिया। और वे सहमत हो गये कि हम विधर्मियों के बीच उपदेश देते रहें और वे यहूदियों के बीच। 10 उन्होंने हमसे बस यही कहा कि हम उनके निर्धनों का ध्यान रखें। और मैं इसी काम को न केवल करना चाहता था बल्कि इसके लिए लालायित भी था।
समीक्षा
हुनर, व्यवहार कुशलता और साहस का इस्तेमाल कीजिए
जैसा कि हमने कल देखा था, कभी कभी हमें प्रलोभन आता है कि चर्च के दूसरे भागों, दूसरे समुदाय या दूसरे मसीहों को छोटा देखें और कामना करें कि काश वे हमारी तरह होते! 'यदि केवल वे हमारी तरह चीजों को करते, तो वे 'उचित मसीह' या 'बेहतर' मसीह होते!' ऐसा सोचने के द्वारा, हम इस तथ्य को नकार रहे हैं कि यीशु में विश्वास काफी है।
गलातियो के चर्च में यही हो रहा था। उन्हें बताया जा रहा था कि यीशु में उनका विश्वास काफी नहीं था। यदि उन्हें 'सच्चा' मसीह बनना है, तो उन्हें खतना करने की आवश्यकता थी।
आरंभिक कलीसिया एक अनपेक्षित संकट का सामना कर रही थी, और पौलुस प्रेरित को अपने हुनर, व्यवहार कुशलता और साहस के हर अंश का इस्तेमाल करना था, चर्च में नुकसान पहुँचाने वाले विभाजन और फूट को रोकने के लिए।
पौलुस इस बात को स्पष्ट करना चाहते हैं कि वह पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन और गतिविधी में कार्य कर रहे थेः ' मेरा जाना ईश्वरीय प्रकाशन के अनुसार हुआ' (व.2)। पौलुस उस सुसमाचार की वैधता के प्रति आश्वस्त थे जिसका वह प्रचार कर रहे थे, लेकिन वह एकता के विषय में भी चिंतित थेः ' जो सुसमाचार मैं अन्य जातियों में प्रचार करता हूँ, उसको मैं ने उन्हें बता दिया, पर एकान्त में उनको जो बड़े समझे जाते थे, ताकि ऐसा न हो कि मेरी इस समय की या पिछली दौड़ धूप व्यर्थ ठहरे' (व.2, एम.एस.जी)।
उन्होंने अपने साथ दो मित्रों को लियाः बरनबास और तीतुस। बरनबास एक यहूदी थे और तीतुस एक यूनानी (एक खतनारहित अन्यजाति)। पहली शताब्दी के यहूदी के समय विश्व में दो प्रकार के लोग थेः यहूदी और यूनानी (खतना किए हुए और खतनारहित)। खतना करना एक चिह्न था जो यहूदी की पहचान करता था, उत्पत्ति 17:9-14 में परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार। यह परमेश्वर का उनके चुने हुए लोगों के साथ उनकी वाचा को बताता था।
फिर भी, पौलुस ने तीतुस को अपने साथी के रूप में चुना। 'महत्वपूर्ण रूप से, तीतुस, यद्यपि गैर-यहूदी थे, उन्हें खतना करवाने की आवश्यकता नहीं थी' (गलातियो 2:3, एम.एस.जी)। आने वाले भाग में पौलुस की मुख्य बात है कि यरूशलेम के प्रेरित (याकूब, पतरस और यूहन्ना) सहमत थे कि यीशु मसीह का सुसमाचार सभी के लिए थाः यहूदी और यूनानी, खतना किए हुए और खतनारहित।
पौलुस पर जोर दिया गया कि 'उस स्वतंत्रता को बचाए जो मसीह यीशु में हमारे पास है' (व.4)। सच्ची स्वतंत्रता केवल यीशु में विश्वास के द्वारा मिलती है। सत्यनिष्ठ ठहरने के लिए खतना करने की आवश्यकता, इससे पहले कि परमेश्वर 'हमें दास बनाएं' (व.4)।
यदि उन्होंने अन्यजाति जो विश्वास में आ गए थे, उनके खतना किए जाने की माँग को मान लिया होता, तो उन्होंने सुसमाचार के सार को नकार दिया होता। इस पत्र का उद्देश्य था 'सुसमाचार के सत्य' को समझाना (व.5)। पौलुस दर्शाना चाहते थे कि यीशु के जीवन, मृत्यु और पुनरुत्थान ने मूसा के नियम की सभी आवश्यकताओं को पूरा कर दिया था।
यरूशलेम में सभा खतना के प्रश्न को सुलझाने के लिए थी। अधिकारिक आदेश, मसीहत के इतिहास में लिया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण निर्णय था। इस निर्णय ने चर्च के भीतर एक बरबाद करने वाले विभाजन को होने से रोक दिया। संकट एक अवसर बन गया।
ना केवल मामला सुलझा दिया गया, पतरस और पौलुस के द्वारा प्रचार किया जाने वाला सुसमाचार दृढ़ता से एक और समान के रूप में स्थापित हो गया (व.6)। यरूशलेम के लीडर्स ने पहचाना कि पौलुस की प्रेरिताई परमेश्वर के द्वारा दिए गए हर अधिकार को लेकर जाती है।
पतरस और दूसरों ने पौलुस को स्वीकार किया और उत्तरदायित्व को बाँटने पर सहमत हो गए – पौलुस गैर-यहूदियों के लिए और पतरस यहूदियों के लिए। एक ही सुसमाचार दो विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग लोगों द्वारा लाया जाएगा। एक चिह्न के रूप में उन्होंने हाथ मिलाया कि सहमति का सम्मान किया जाएगा (वव.7-9)। यह आरंभिक कलीसिया के लिए एक यादगार पल था।
दोनों दलों ने उनकी भिन्नता के विषय में एक तर्कसंगत और हर बारीक विवरण पर चर्चा की। पौलुस ने मोहित होना अस्वीकार कर दिया, यद्यपि जिनसे वह मिले वे ' विश्वास के स्तंभ के रूप में प्रसिद्ध थे' (व.9)। असल में, यह एक बड़ा समूह था! संभव्यत: याकूब पहले ही यरूशलेम चर्च के लीडर बन चुके थे। पतरस और यूहन्ना यीशु के आंतरिक सहभागिता के सदस्य थे।
एक प्रसन्न करने वाली सहमति हुई। पौलुस ने सम्मान और शिष्ट व्यवहार के साथ काम किया, एक दृढ़ सकंल्पित व्यक्ति होने के बावजूद जो कि एक विशेष कार्य के लिए सचत् हैं। वह बाहर से विरोध को, नाही अंदर से निराशा को नहीं आने देंगे, जिससे यह उन्हें वह करने से रोक न पाये जो वह करने के लिए बुलाए गए थे।
यरुशलेम के लीडर्स ने जो एकमात्र शर्त रखी थी उससे पौलुस को कोई परेशानी नहीं हुईः 'कि गरीबों को स्मरण रखे' (व.10)। चर्च को हमेशा गरीबों और समाज में पीड़ितों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
प्रार्थना
यशायाह 36:1-37:38
अश्शूर का यहूदा पर आक्रमण
36हिजकिय्याह यहूदा का राजा था और सन्हेरीब अश्शूर का राजा था। हिजकिय्याह के शासन के चौदहवें वर्ष में सन्हेरीब ने यहूदा के किलाबन्द नगरों से युद्ध किया और उसने उन नगरों को हरा दिया। 2 सन्हेरीब ने अपने सेनापति को यरूशलेम से लड़ने को भेजा। वह सेनापति लाकीश को छोड़कर यरूशलेम में राजा हिजकिय्याह के पास गया। वह अपने साथ एक शक्तिशाली सेना को भी ले गया था। वह सेनापति अपनी सेना के साथ नहर के पास वाली सड़क पर गया। (यह सड़क उस नहर के पास है जो ऊपर वाले पोखर से आती है।)
3 यरूशलेम के तीन व्यक्ति सेनापति से बात करने के लिये बाहर निकल कर गये। ये लोग थे हिल्किय्याह का पुत्र एल्याकीम, आसाप का पुत्र योआह और शेब्ना। एल्याकीम महल का सेवक था। योआह कागज़ात को संभाल कर रखने का काम करता था और शेब्ना राजा का सचिव था।
4 सेनापति ने उनसे कहा, “तुम लोग, राजा हिजकिय्याह से जाकर ये बातें कहो: महान राजा, अश्शूर का राजा कहता है:
“‘तुम अपनी सहायता के लिये किस पर भरोसा रखते हो 5 मैं तुम्हें. बताता हूँ कि यदि युद्ध में तुम्हारा विश्वास शक्ति और कुशल योजनाओं पर है तो वह व्यर्थ है। वे कोरे शब्दों के अतिरिक्त कुछ नहीं हैं। इसलिए तुम मुझ से युद्ध क्यों कर रहे हो 6 अब मैं तुमसे पूछता हूँ, तुम सहायता पाने के लिये किस पर भरोसा करते हो क्या तुम सहायता के लिये मिस्र पर निर्भर हो मिस्र तो एक टूटी हुई लाठी के समान है। यदि तुम सहारा पाने को उस पर टिकोगे तो वह तुम्हें बस हानि ही पहुँचायेगी और तुम्हारे हाथ में एक छेद बना देगी। मिस्र के राजा फिरौन पर किसी भी व्यक्ति के द्वारा सहायता पाने के लिये भरोसा नहीं किया जा सकता।
7 “‘किन्तु हो सकता है तुम कहो, “हम सहायता पाने के लिये अपने यहोवा परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं।” किन्तु मेरा कहना है कि हिजकिय्याह ने यहोवा की वेदियों को और पूजा के ऊँचे स्थानों को नष्ट कर दिया है। यह सत्य है, सही है यह सत्य है कि यहूदा और यरूशलेम से हिजकिय्याह ने ये बातें कही थीं: “तुम यहाँ यरूशलेम में बस एक इसी वेदी पर उपासना किया करोगे।”
8 “‘यदि तुम अब भी मेरे स्वामी से युद्ध करना चाहते हो तो अश्शूर का राजा तुमसे यह सौदा करना चाहेगा: राजा का कहना है, ‘यदि युद्ध में तुम्हारे पास घुड़सवार पूरे हैं तो मैं तुम्हें दो हजार घोड़े दे दूँगा।’ 9 किन्तु इतना होने पर भी तुम मेरे स्वामी के ऐक सेवक तक को नहीं हरा पाओगे। उसके किसी छोटे से छोटे अधिकारी तक को तुम नहीं हरा पाओगे। इसलिए तुम मिस्र के घुड़सवार और रथों पर अपना भरोसा क्यों बनाये रखते हो।
10 “‘और अब देखो जब मैं इस देश में आया था और मैंने युद्ध किया था, यहोवा मेरे साथ था। जब मैंने नगरों को उजाड़ा, यहोवा मेरे साथ था। यहोवा मुझसे कहा करता था, “खड़ा हो। इस नगरी में जा और इसे ध्वस्त कर दे।’””
11 यरूशलेम के तीनों व्यक्तियों, एल्याकीम, शेब्ना और योआह ने सेनापति से कहा, “कृपा करके हमारे साथ अरामी भाषा में ही बात कर। क्योंकि इसे हम समझ सकते हैं। तू यहूदी भाषा में हमसे मत बोल। यदि तू यहूदी भाषा का प्रयोग करेगा तो नगर परकोटे पर के सभी लोग तुझे समझ जायेंगे।”
12 इस पर सेनापति ने कहा, “मेरे स्वामी ने मुझे ये बातें बस तुम्हें और तुम्हारे स्वामी हिजकिय्याह को ही सुनाने के लिए नहीं भेजा है। मेरे स्वामी ने मुझे इन बातों को उन्हें बताने के लिए भेजा है जो लोग नगर परकोटे पर बैठे हैं। उन लोगों को न तो पूरा खाना मिलता है और न पानी। सो उन्हें अपने मलमूत्र को तुम्हारी ही तरह खाना—पीना होगा।”
13 फिर सेनापति ने खड़े हो कर ऊँचे स्वर में कहा। वह यहूदी भाषा में बोला। 14 सेनापति ने कहा, “महासम्राट अश्शूर के राजा के शब्दों को सुनो:
“‘तुम अपने आप को हिजकिय्याह के द्वारा मूर्ख मत बनने दो, वह तुम्हें बचा नहीं पायेगा। 15 हिजकिय्याह जब यह कहता है, “यहोवा में विश्वास रखो! यहोवा अश्शूर के राजा से हमारी रक्षा करेगा। यहोवा अश्शूर के राजा को हमारे नगर को हराने नहीं देगा तो उस पर विश्वास मत करो।”
16 “‘हिजकिय्याह के इन शब्दों की अनसुनी करो। अश्शूर के राजा की सुनो! अश्शूर के राजा का कहना है, “हमे एक सन्धि करनी चाहिये। तुम लोग नगर से बाहर निकल कर मेरे पास आओ। फिर हर व्यक्ति अपने घर जाने को स्वतन्त्र होगा। हर व्यक्ति अपने अँगूर की बेलों से अँगूर खाने को स्वतन्त्र होगा और हर व्यक्ति अपने अंजीर के पेंड़ों के फल खाने को स्वतन्त्र होगा। स्वयं अपने कुँए का पानी पीने को हर व्यक्ति स्वतन्त्र होगा। 17 जब तक मैं आकर तुम्हें तुम्हारे ही जैसे एक देश में न ले जाऊँ, तब तक तुम ऐसा करते रह सकते हो। उस नये देश में तुम अच्छा अनाज और नया दाखमधु पाओगे। उस धरती पर तुम्हें रोटी और अँगूर के खेत मिलेंगे।”
18 “‘हिजकिय्याह को तुम अपने को मूर्ख मत बनाने दो। वह कहता है, “यहोवा हमारी रक्षा करेगा।” किन्तु मैं तुमसे पूछता हूँ क्या किसी दूसरे देश का कोई भी देवता वहाँ के लोगों को अश्शूर के राजा की शक्ति से बचा पाया नहीं! हमने वहाँ के हर व्यक्ति को हरा दिया। 19 हमात और अर्पाद के देवता आज कहाँ हैं उन्हें हरा दिया गया है। सपर्वेम के देवता कहाँ हैं वे हरा दिये गये हैं और क्या शोमरोन के देवता वहाँ के लोगों को मेरी शक्ति से बचा पाये नहीं। 20 किसी भी देश अथवा जाति के ऐसे किसी भी एक देवता का नाम मुझे बताओ जिसने वहाँ के लोगों को मेरी शक्ति से बचाया है। मैंने उन सब को हरा दिया। इसलिए देखो मेरी शक्ति से यरूशलेम को यहोवा नहीं बचा पायेगा।’”
21 यरूशलेम के लोग एक दम चुप रहे। उन्होंने सेनापति को कोई उतर नहीं दिया। हिजकिय्याह ने लोगों को आदेश दिया था कि वे सेनापति को कोई उत्तर न दें।
22 इसके बाद महल के सेवक (हिल्किय्याह के पुत्र एल्याकीम) राजा के सचिव (शेब्ना) और दफतरी (आसाप के पुत्र योआह) ने अपने वस्त्र फाड़ डाले। इससे यह प्रकट होता है कि वे बहुत दु:खी थे वे तीनों व्यक्ति हिजकिय्याह के पास गये और सेनापति ने जो कुछ उनसे कहा था, वह सब उसे कह सुनाया।
हिजकिय्याह की परमेश्वर से प्रार्थना
37हिजकियाह ने जब सेनापति का सन्देश सुना तो उसने अपने वस्त्र फाड़ लिये। फिर विशेष शोक वस्त्र धारण करके वह यहोवा के मन्दिर में गया।
2 हिजकिय्याह ने महल के सेवक एल्याकीम को राजा के सचिव शेब्ना को और याजकों के अग्रजों को आमोस के पुत्र यशायाह नबी के पास भेजा। इन तीनों ही लोगों ने विशेष शोक—वस्त्र पहने हुए थे। 3 इन लोगों ने यशायाह से कहा, “राजा हिजकिय्याह ने कहा है कि आज का दिन शोक और दु:ख का एक विशेष दिन होगा। यह दिन एक ऐसा दिन होगा जैसे जब एक बच्चा जन्म लेता है। किन्तु बच्चे को जन्म देने वाली माँ में जितनी शक्ति होनी चाहिये उसमें उतनी ताकत नहीं होती। 4 सम्भव है तुम्हारा परमेश्वर यहोवा, सेनापति द्वारा कही बातों को सुन ले। अश्शूर के राजा ने सेनापति को साक्षात परमेश्वर को अपमानित करने भेजा है। हो सकता है तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने उन बुरी अपमानपूर्ण बातों को सुन लिया है और वह उन्हें इसका दण्ड देगा। कृपा करके इस्राएल के उन थोड़े से लोगों के लिये प्रार्थना करो जो बचे हुए हैं”
5 हिजकिय्याह के सेवक यशायाह के पास गये। 6 यशायाह ने उनसे कहा, “अपने मालिक को यह बता देना: यहोवा कहता है, ‘तुमने सेनापति से जो सुना है, उन बातों से मत डरना। अश्शूर के राजा के “लड़कों” ने मेरा अपमान करने के लिये जो बुरी बातें कही हैं, उन से मत डरना। 7 देखो अश्शूर के राजा को मैं एक अफवाह सुनावाऊँगा। अश्शूर के राजा को एक ऐसी रपट मिलेगी जो उसके देश पर आने वाले खतरे के बारे मे होगी। इससे वह अपने देश वापस लौट जायेगा। उस समय मैं उसे, उसके अपने ही देश में तलवार से मौत के घाट उतार दूँगा।’”
अश्शूर की सेना का यरूशलेम को छोड़ना
8 अश्शूर के राजा को एक सूचना मिली, सूचना में कहा गया था, “कूश का राजा तिर्हाका तुझसे युद्ध करने आ रहा है।” 9 सो अश्शूर का राजा लाकीश को छोड़ कर लिबना चला गया। सेनापति ने यह सुना और वह लिबना नगर को चला गया जहाँ अश्शूर का राजा युद्ध कर रहा था।
फिर अश्शूर के राजा ने हिजकिय्याह के पास दूत भेजे। 10 राजा ने उन दूतों से कहा, “यहूदा के राजा हिजकिय्याह से तुम ये बातें कहना:
‘जिस देवता पर तुम्हारा विश्वास है, उससे तुम मूर्ख मत बनो। ऐसा मत कहो, “अश्शूर के राजा से परमेश्वर यरूशलेम को पराजित नहीं होने देगा।” 11 देखो, तुम अश्शूर के राजाओं के बारे में सुन ही चुके हो। उन्होंने हर किसी देश में लोगों के साथ क्या कुछ किया है। उन्हें उन्होंने बुरी तरह हराया है। क्या तुम उनसे बच पाओगे नहीं, कदापि नहीं! 12 क्या उन लोगों के देवताओं ने उनकी रक्षा की थी नहीं! मेरे पूर्वजों ने उन्हें नष्ट कर दिया था। मेरे लोगों ने गोजान, हारान और रेसेप के नगरों को हरा दिया था और उन्होंने एदेन के लोगों जो तलस्सार में रहा करते थे, उन्हें भी हरा दिया था। 13 हमात और अर्पाद के राजा कहाँ गये सपर्वैम का राजा आज कहाँ है हेना और इव्वा के राजा अब कहाँ हैं उनका अंत कर दिया गया! वे सभी नष्ट कर दिये गये!”
हिजकिय्याह की परमेश्वर से प्रार्थना
14 हिजकिय्याह ने उन लोगों से वह सन्देश ले लिया और उसे पढ़ा। फिर हिजकिय्याह यहोवा के मन्दिर में चला गाय। हिजकिय्याह ने उस सन्देश को खोला और यहोवा के सामने रख दिया। 15 फिर हिजकिय्याह यहोवा से प्रार्थना करने लगा। हिजकिय्याह बोला: 16 “इस्राएल के परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा, तू राजा के समान करुब (स्वर्गदूतों) पर विराजता है। तू और बस केवल तू ही परमेश्वर है, जिसका धरती के सभी राज्यों पर शासन है। तूने स्वर्गों और धरती की रचना की है। 17 मेरी सुन! अपनी आँखें खोल और देख, कान लगाकर सुन इस सन्देश के शब्दों को, जिसे सन्हेरीब ने मुझे भेजा है। इसमें तुझ साक्षात परमेश्वर के बारे में अपमानपूर्ण बुरी—बुरी बातें कही हैं। 18 हे यहोवा, अश्शूर के राजाओं ने वास्तव में सभी देशों और वहाँ की धरती को तबाह कर दिया है। 19 अश्शूर के राजाओं ने उन देशों के देवताओं को जला डाला है किन्तु वे सच्चे देवता नहीं थे। वे तो केवल ऐसे मूर्ती थे जिन्हें लोगों ने बनाया था। वे तो कोरी लकड़ी थे, कोरे पत्थर थे। इसलिये वे समाप्त हो गये। वे नष्ट हो गये। 20 सो अब हे हमारे परमेश्वर यहोवा। अब कृपा करके अश्शूर के राजा की शक्ति से हमारी रक्षा कर। ताकि धरती के सभी राज्यों को भी पता चल जाये कि तू यहोवा है और तू ही हमारा एकमात्र परमेश्वर है!”
हिजकिय्याह को परमेश्वर का उत्तर
21 फिर आमोस के पुत्र यशायाह ने हिजकिय्याह के पास यह सन्देश भेजा, “यह वह है जिसे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने कहा, ‘अश्शूर के राजा सन्हेरीब के बारे में तूने मुझसे प्रार्थना की है।’
22 “सो मुझे यहोवा ने जो सन्हेरीब के विरोध में कहा, वह यह है:
‘सिय्योन की कुवाँरी पुत्री (यरूशलेम के लोग)
तुझे तुच्छ जानती है।
वह तेरी हँसी उड़ाती है।
यरूशलेम की पुत्री तेरी हँसी उड़ाती है।
23 तूने मेरे लिये मेरे विरोध में बुरी बातें कही।
तू बोलता रहा।
तू अपनी आवाज मेरे विरोध में उठायी थी!
तूने मुझ इस्राएल के पवित्र (परमेश्वर) को अभिमान भी आँखों से घूरा था।
24 मेरे स्वामी यहोवा के विषय में तूने बुरी बातें कहलवाने के लिये तूने अपने सेवकों का प्रयोग किया।
तूने कहा, “मैं बहुत शक्तिशाली हूँ! मेरे पास बहुत से रथ हैं।
मैंने अपनी शक्ति से लबानोन को हराया जब मैं अपने रथों को लबानोन के महान पर्वत के ऊँचे शिखरों के ऊपर ले आया।
मैंने लबानोन के सभी महान पेड़ काट डाले।
मैं उच्चतम शिखर से लेकर
गहरे जंगलों तक प्रवेश कर चुका हूँ।
25 मैंने विदेशी धरती पर कुँए खोदे और पानी पिया।
मैंने मिस्र की नदियाँ सुखा दी और उस देश पर चल कर गया है!”
26 ‘ये वह जो तूने कहा।
क्या तूने यह नहीं सुना कि परमेश्वर ने क्या कहा
मैंने (परमेश्वर ने) बहुत बहुत पहले ही यह योजना बना ली थी।
बहुत—बहुत पहले ही मैंने इसे तैयार कर लिया था
अब इसे मैंने घटित किया है।
मैंने ही तुम्हें उन नगरों को नष्ट करने दिया
और मैंने ही तुम्हें उन नगरों को पत्थरों के ढेर में बदलने दिया।
27 उन नगरों के निवासी कमजोर थे।
वे लोग भयभीत और लज्जित थे।
वे खेत के पौधे के जैसे थे,
वे नई घास के जैसे थे।
वे उस घास के समान थे जो मकानों की छतों पर उगा करती है।
वह घास लम्बी होने से पहले ही रेगिस्तान की गर्म हवा से झुलसा दी जाती है।
28 तेरी सेना और तेरे युद्धों के बारे में मैं सब कुछ जानता हूँ।
मुझे पता है जब तूने विश्राम किया था।
जब तू युद्ध के लिये गया था, मुझे तब का भी पता है।
तू युद्ध से घर कब लौटा, मैं यह भी जानता हूँ।
मुझे इसका भी ज्ञान है कि तू मुझ पर क्रोधित है।
29 तू मुझसे खुश नहीं है
और मैंने तेरे अहंकारपूर्ण अपमानों को सुना है।
सो मैं तुझे दण्ड दूँगा।
मैं तेरी नाक मे नकेल डालूँगा।
मैं तेरे मुँह पर लगाम लगाऊँगा और तब मैं तुझे विवश करुँगा कि तू जिस मार्ग से आया था,
उसी मार्ग से मेरे देश को छोड़ कर वापस चला जा!’”
30 इस पर यहोवा ने हिजकिय्याह से कहा, “हिजकिय्याह, तुझे यह दिखाने के लिये कि ये शब्द सच्चे हैं, मैं तुझे एक संकेत दूँगा। इस वर्ष तू खाने के लिए कोई अनाज नहीं बोयेगा। सो इस वर्ष तू पिछले वर्ष की फसल से यूँ ही उग आये अनाज को खायेगा। अगले वर्ष भी ऐसी ही होगा किन्तु तीसरे वर्ष तू उस अनाज को खायेगा जिसे तूने उगाया होगा। तू अपनी फसलों को काटेगा। तेरे पास खाने को भरपूर होगा। तू अँगूर की बेलें रोपेगा और उनके फल खायेगा।
31 “यहूदा के परिवार के कुछ लोग बच जायेंगे। वे ही लोग बढ़ते हुए एक बहुत बड़ी जाति का रुप ले लेंगे। वे लोग उन वृक्षों के समान होंगे जिनकी जड़ें धरती में बहुत गहरी जाती हैं और जो बहुत तगड़े हो जाते हैं और बहुत से फल (संतानें) देते हैं। 32 यरूशलेम से कुछ ही लोग जीवित बचकर बाहर जा पाएँगे। सिय्योन पर्वत से बचे हुए लोगों का एक समूह ही बाहर जा जाएगा।” सर्वशक्तिमान यहोवा का सुदृढ़ प्रेम ही ऐसा करेगा।
33 सो यहोवा ने अश्शूर के राजा के बारे में यह कहा,
“वह इस नगर में नहीं आ पायेगा,
वह इस नगर पर एक भी बाण नहीं छोड़ेगा,
वह अपनी ढालों का मुहँ इस नगर की ओर नहीं करेगा।
इस नगर के परकोटे पर हमला करने के लिए वह मिट्टी का टीला खड़ा नहीं करेगा।
34 उसी रास्ते से जिससे वह आया था, वह वापस अपने नगर को लौट जायेगा।
इस नगर में वह प्रवेश नहीं करेगा।
यह सन्देश यहोवा की ओर से है।
35 यहोवा कहता है, मैं बचाऊँगा और इस नगर की रक्षा करुँगा।
मैं ऐसा स्वयं अपने लिये और अपने सेवक दाऊद के लिए करुँगा।”
36 सो यहोवा के दूत ने अश्शूर की छावनी में जा कर एक लाख पचासी हज़ार सैनिकों को मार डाला। अगली सुबह जब लोग उठे, तो उन्होंने देखा कि उनके चारों ओर मरे हुए सैनिकों की लाशें बिखरी हैं। 37 इस पर अश्शूर का राजा सन्हेरीब वापस लौट कर अपने घर नीनवे चला गया और वहीं रहने लगा।
38 एक दिन, जब सन्हेरीब अपने देवता निस्रोक के मन्दिर में उसकी पूजा कर रहा था, उसी समय उसके पुत्र अद्रम्मेलेक और शरेसेर ने तलवार से उसकी हत्या कर दी और फिर वे अरारात को भाग खड़े हुए। इस प्रकार सन्हेरीब का पुत्र एसर्हद्देन अश्शूर का नया राजा बन गया।
समीक्षा
'असंभव' स्थिति को परमेश्वर के पास लाईये
क्या परमेश्वर में आपके विश्वास के कारण आपको ताना मारा गया या आपका मजाक उड़ाया गया था? 'क्या आप सच में सोचते हैं कि परमेश्वर आपके साथ हैं?' वे कहते हैं। 'क्या यह केवल तुम्हारा काल्पनिक मित्र नहीं?'; 'क्या आप सच में सोचते हैं कि परमेश्वर में विश्वास करने से आपका कुछ भला होगा?' संपूर्ण इतिहास में इस तरह से परमेश्वर के लोगो पर ताना मारा गया है।
इस्राएल ने अनपेक्षित प्रहार का सामना किया। इस्राएल के इतिहास में यह इतनी महत्वपूर्ण घटना है कि यह बाईबल में तीन बार दिखाई देती है (2राजाओं 18:2 इतिहास 32 देखें)। अश्शूर का राजा एक बड़ी सेना के साथ यरूशलेम पर प्रहार कर रहा था। उनके कर्मचारी लोगों को ताना मार रहे थे,' तू किसका भरोसा किए बैठा है?' (यशायाह 36:4)। परमेश्वर में उनके विश्वास के कारण उन्हें ताना मारा जा रहा था और उनका ठट्ठा उड़ाया जा रहा था।
अवश्य ही यह एक असंभव स्थिति दिखाई दे रही होगी –कभी भी कोई 'अश्शूर राजा के हाथों से' छुड़ाया नहीं गया था (व.18)। लेकिन उन्होंने तानों का जवाब नहीं दिया। कभी कभी आलोचना का सर्वश्रेष्ठ उत्तर है सम्मान के साथ शांत रहनाः ' परन्तु वे चुप रहे और उसके उत्तर में एक बात भी न कही, क्योंकि राजा की ऐसी आज्ञा थी कि उसको उत्तर न देना' (व.21)।
जब हिजकिय्याह राजा ने यह सुना, तब वह अपने वस्त्र फाड़ और टाट ओढ़कर यहोवा के भवन में गया (37:1)। उन्होंने भविष्यवक्ता यशायाह को बुलवाया। हिजकिय्याह ने कहा,'यह एक काला दिन है। हम संकट में हैं' (व.3, एम.एस.जी)। हिजिकिय्याह ने यशायाह को प्रार्थना करने के लिए कहा (व.4)।
यशायाह ने बताया कि परमेश्वर का संदेश थाः' जो वचन तूने सुने हैं जिनके द्वारा अश्शूर के राजा के जनों ने मेरी निन्दा की है, उनके कारण मत डर...मैं व्यक्तिगत रूप से उससे निपटूंगा' (वव.6-7, एम.एस.जी)।
जब हिजिकिय्याह को धमकी वाला पत्र मिला, तब वह परमेश्वर के भवन में गए, इसे परमेश्वर के सामने रखा और प्रार्थना कीः ' 'हे सेनाओं के यहोवा...पृथ्वी के सब राज्यों के ऊपर केवल तू ही परमेश्वर है; आकाश और पृथ्वी को तू ही ने बनाया है। हे यहोवा, कान लगाकर सुन; हे यहोवा, आँख खोलकर, देख; और सन्हेरीब के सब वचनो को सुन ले, जिसने जीवते परमेश्वर की निन्दा करने को लिख भेजा है...अब हे हमारे परमेश्वर यहोवा, तू हमें उसके हाथ से बचा जिस से पृथ्वी के राज्य राज्य के लोग जान लें कि केवल तू ही यहोवा है' (वव.14-20)।
यशायाह ने उन्हें एक संदेश भेजा,'इस्राएल का परमेश्वर यों कहता हैः क्योंकि तूने मुझसे प्रार्थना की... मैं अपने निमित्त और अपने दास दाऊद के निमित्त, इस नगर की रक्षा करके उसे बचाउँगा' (वव.21,35)
परमेश्वर ने हिजिकिय्याह और यशायाह की प्रार्थना को सुना और उन्होंने अपने लोगो को छुड़ाया और बचाया (वव.36-38)।
प्रार्थना
पिप्पा भी कहते है
गलातियों 2:10
' केवल यह कहा कि हम कंगालों की सुधि लें, और इसी काम को करने का मैं भी यत्न कर रहा था।'
मैं भी गरीबों की सुधि लेने के लिए आतुर हूँ, लेकिन कभी कभी मैं उस व्यक्ति के द्वारा बहुत अधिक पराजित, या बहुत व्यस्त या निराश महसूस करती हूँ जो धोखा देते हैं। मुझे हार मानने की आवश्कयता नहीं है, बल्कि निरंतर सुधि लेनी है।
दिन का वचन
गलातियों 2:6
“फिर जो लोग कुछ समझे जाते थे (वे चाहे कैसे ही थे, मुझे इस से कुछ काम नहीं, परमेश्वर किसी का पक्षपात नहीं करता) उन से जो कुछ भी समझे जाते थे, मुझे कुछ भी नहीं प्राप्त हुआ।“
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संदर्भ
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।