दिन 254

उनका अनुग्रह आपके लिए काफी है

बुद्धि भजन संहिता 106:40-48
नए करार 2 कुरिन्थियों 12:1-10
जूना करार यशायाह 27:1-28:29

परिचय

2011 में, निक वूजीसिक हमारे चर्च की छुट्टी, फोकस में बोलने के लिए आये। निक एक उल्लेखनीय व्यक्ति हैं। मैं सोचता हूँ कि हम सभी जो उनसे मिले, उनके जीवन से उत्साहित हुए और हमें चुनौती मिली है।

निक हाथ या पैर के बिना पैदा हुए थे, फिर भी वह लिख सकते थे, 'मैं सच में आशीषित हूँ। मैं बहुत ही खुश हूँ।' एक बालक के रूप में बहुत सी बार उन्होंने हाथों और पैरों के लिए प्रार्थना की। वह एक हाथ या पैर पाकर समझौता कर लेते।

परमेश्वर ने उस तरह से उनकी प्रार्थना का उत्तर नहीं दिया, जिस तरह से उन्होंने आशा की थी। फिर भी वह लिखते थे, 'परमेश्वर ने मेरा इस्तेमाल किया अनगनित स्कूल, चर्च, बंदीगृह, अनाथालय, अस्पताल, स्टेडियम और सभागृह में लोगों तक पहुँचने में। इससे भी बेहतर, मैंने आमने सामने मिलकर हजारों लोगों को गले से लगाया, और उन्हें बताया कि वे कितने बहुमूल्य हैं...परमेश्वर ने मेरे असामान्य शरीर को लिया और मुझमें हृदय को उठाने और आत्मा को उत्साहित करने की योग्यता का निवेश किया।'

परमेश्वर के लोग परमेश्वर के अनुग्रह पर निर्भर रहते हैं। मदर टेरेसा ने लिखा, 'मुझे नहीं लगता है कि किसी को परमेश्वर की सहायता और अनुग्रह की उतनी जरुरत है जितना कि मुझे है। कभी कभी मैं बहुत ही सहायताहीन और कमजोर महसूस करती हूँ। मैं सोचती हूँ कि इसीलिए परमेश्वर मेरा इस्तेमाल करते हैं। क्योंकि मैं अपनी सामर्थ पर निर्भर नहीं रह सकती, मैं दिन के चौबीसों घंटे परमेश्वर पर निर्भर रहती हूँ। यदि दिन में और अधिक घंटे होते, तो मुझे उन घंटो में भी उनकी सहायता और अनुग्रह की आवश्यकता पड़ती।'

पौलुस इस निर्भरता को व्यक्त करते हैं जब वह अपने शरीर में कठिनाई के बारे में लिखते हैं। तीन बार उन्होंने परमेश्वर से विनती की कि इसे निकाल दें। लेकिन परमेश्वर ने उससे कहा, 'मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिध्द होती है' (2कुरिंथियो 12:9)। उनका अनुग्रह ना केवल अद्भुत है; यह 'सक्षम' हैं। यह पर्याप्त है।

संपूर्ण बाईबल में यह मेरा मनपसंद वचन है। यह एक वचन है जो अक्सर मैं परमेश्वर के सामने दोहराता हूँ और उन्हें उनके वायदे का स्मरण दिलाता है कि उनकी सामर्थ मेरी दुर्बलता में सिद्ध होती है।

बुद्धि

भजन संहिता 106:40-48

40 परमेश्वर अपने उन लोगों पर कुपित हुआ।
 परमेश्वर उनसे तंग आ चुका था!
41 फिर परमेश्वर ने अपने उन लोगों को अन्य जातियों को दे दिया।
 परमेश्वर ने उन पर उनके शत्रुओं का शासन करा दिया।
42 परमेश्वर के जनों के शत्रुओं ने उन पर अधिकार किया
 और उनका जीना बहुत कठिन कर दिया।
43 परमेश्वर ने निज भक्तों को बहुत बार बचाया, किन्तु उन्होंने परमेश्वर से मुख मोड़ लिया।
 और वे ऐसी बातें करने लगे जिन्हें वे करना चाहते थे।
 परमेश्वर के लोगों ने बहुत बहुत बुरी बातें की।
44 किन्तु जब कभी परमेश्वर के जनों पर विपद पड़ी उन्होंने सदा ही सहायाता पाने को परमेश्वर को पुकारा।
 परमेश्वर ने हर बार उनकी प्रार्थनाएँ सुनी।
45 परमेश्वर ने सदा अपनी वाचा को याद रखा।
 परमेश्वर ने अपने महा प्रेम से उनको सदा ही सुख चैन दिया।
46 परमेश्वर के भक्तों को उन अन्य लोगों ने बंदी बना लिया,
 किन्तु परमेश्वर ने उनके मन में उनके लिये दया उपजाई।
47 यहोवा हमारे परमेश्वर, ने हमारी रक्षा की।
 परमेश्वर उन अन्य देशों से हमको एकत्र करके ले आया,
 ताकि हम उसके पवित्र नाम का गुण गान कर सके:
 ताकि हम उसके प्रशंसा गीत गा सकें।
48 इस्राएल के परमेश्वर यहोवा को धन्य कहो।
 परमेश्वर सदा ही जीवित रहता आया है। वह सदा ही जीवित रहेगा।
 और सब जन बोले, “आमीन।”

 यहोवा के गुण गाओ।

समीक्षा

उनका अनुग्रह, उनके महान प्रेम से आता है

इस लेखांश में 'लेकिन' एक मुख्य शब्द है।

लोग 'उनके विरूद्ध युक्ति करते गए' और 'पाप के कारण दबते गए' (व.43)। भजनसंहिता के लेखक कहते हैं, 'लेकिन जब जब उनका चिल्लाना उनके कान में पड़ा, तब तब उन्होने उनके संकट पर दृष्टि की! और उनके हित में अपनी वाचा को स्मरण करके अपनी अपार करुणा के अनुसार तरस खाया' (वव.44-45)।

परमेश्वर के अनुग्रह की बहुतायता का स्रोत 'उनका महान प्रेम' है (व.45)। क्योंकि परमेश्वर अपने लोगों से इतना अधिक प्रेम करते हैं, 'बहुत सी बार उन्होंने उन्हें छुड़ाया' (व.43)। 'उन्होने उनकी चिल्लाहट को सुना' (व.44)।

कुछ सालों पहले, इस भजन के साथ मार्जिन में मैंने लिखा, उन सभी आशीषों को बताते हुए जिसके बारे में भजनसंहिता बताता है जब मैं 'अविश्वास करता, कुड़कुड़ाता, आज्ञा नहीं मानता, विश्व की मूर्ती की उपासना करता, पाप, गलत काम, दुष्टता से काम करता – तब परमेश्वर क्या करते हैं? वह मुझे कृपादृष्टि दिखाते, वह मेरी सहायता के लिए आते, वह मुझे आनंद देते हैं, वह दयालु हैं, वह मुझे बचाते हैं। वह मेरी अगुवाई करते, वह मुझे छुड़ाते, वह मेरी प्रार्थनाओं का उत्तर देते हैं, वह मुझे छुड़ाते हैं, वह मेरी उदासी को देखते और मेरी चिल्लाहट को सुनते हैं, वह मुझे उनका महान प्रेम दिखाते हैं।'

इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि भजनसंहिता के लेखक अंत में कहते हैं, ' इस्राएल के परमेश्वर यहोवा अनादिकाल से अनन्तकाल तक धन्य हैं! और सारी प्रजा कहे, 'आमीन!' यहोवा की स्तुति करो' (व.48)।

प्रार्थना

परमेश्वर, मैं अपने लिए आपके महान प्रेम के लिए आपकी स्तुति करता हूँ और आपका धन्यवाद देता हूँ। बार बार मुझे छुड़ाने के लिए आपका धन्यवाद। मेरी चिल्लाहट को सुनने के लिए आपका धन्यवाद। आपके अनुग्रह की सक्षमता के लिए आपका धन्यवाद।
नए करार

2 कुरिन्थियों 12:1-10

पौलुस पर प्रभु का विशेष अनुग्रह

12अब तो मुझे गर्व करना ही होगा। इससे कुछ मिलना नहीं है। किन्तु मैं तो प्रभु के दर्शनों और प्रभु के दैवी संदेशों पर गर्व करता ही रहूँगा। 2 मैं मसीह में स्थित एक ऐसे व्यक्ति को जानता हूँ जिसे चौदह साल पहले (मैं नहीं जानता बस परमेश्वर ही जानता है) देह सहित या देह रहित तीसरे स्वर्ग में उठा लिया गया था। 3 और मैं जानता हूँ कि इसी व्यक्ति को (मैं नहीं जानता, बस परमेश्वर ही जानता है) बिना शरीर के या शरीर सहित 4 स्वर्गलोक में उठा लिया गया था। और उसने ऐसे शब्द सुने जो वर्णन से बाहर हैं और जिन्हें बोलने की अनुमति मनुष्य को नहीं है। 5 हाँ, ऐसे मनुष्य पर मैं अभिमान करूँगा किन्तु स्वयं अपने पर, अपनी दुर्बलताओं को छोड़कर अभिमान नहीं करूँगा।

6 क्योंकि यदि मैं अभिमान करने की सोचूँ तो भी मैं मूर्ख नहीं बनूँगा क्योंकि तब मैं सत्य कह रहा होऊँगा। किन्तु तुम्हें मैं इससे बचाता हूँ ताकि कोई मुझे जैसा करते देखता है या कहते सुनता है, उससे अधिक श्रेय न दे।

7 असाधारण दैवी संदेशों के कारण मुझे कोई गर्व न हो जाये इसलिए एक काँटा मेरी देह में चुभाया गया है। जो शैतान का दूत है, वह मुझे दुखता रहता है ताकि मुझे बहुत अधिक घमण्ड न हो जाये। 8 काँटे की इस समस्या के बारे में मैंने प्रभु से तीन बार प्रार्थना की है कि वह इस काँटे को मुझमें से निकाल ले, 9 किन्तु उसने मुझसे कह दिया है, “तेरे लिये मेरा अनुग्रह पर्याप्त है क्योंकि निर्बलता में ही मेरी शक्ति सबसे अधिक होती है” इसलिए मैं अपनी निर्बलता पर प्रसन्नता के साथ गर्व करता हूँ। ताकि मसीह की शक्ति मुझ में रहे। 10 इस प्रकार मसीह की ओर से मैं अपनी निर्बलताओं, अपमानों, कठिनाइयों, यातनाओं और बाधाओं में आनन्द लेता हूँ क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूँ, तभी शक्तिशाली होता हूँ।

समीक्षा

आपको उनके अनुग्रह की आवश्यकता है

हम सोचते हैं कि हम अपनी सामर्थ से लोगों को मोहित कर लेंगे, लेकिन हम अपनी असुरक्षिता के द्वारा लोगों से जुड़ते हैं। हममें से बहुत से लोग चाहते हैं कि दूसरे हमारी सामर्थ को देखें और इस बात के प्रति व्याकुल हो जाते हैं कि कोई हमारी कमजोरी का पता न लगा ले। हम अपनी सीमाओं के बारे में नहीं बताते हैं। किंतु, पौलुस अपनी दुर्बलता के विषय में असुरक्षित होने से नहीं घबराते हैं।

पौलुस के पास कुछ अद्भुत आत्मिक अनुभव थे। उन्होंने 'परमेश्वर से दर्शन और प्रकाशन पाये थे' (व.1)। वह 'तीसरे स्वर्ग में उठा लिये गए' (व.2)। उन्होंने ऐसी बातें सुनी, ' ऐसी बातें सुनीं जो कहने की नहीं; और जिनका मुँह पर लाना मनुष्य को उचित नहीं' (व.4)। उनके पास 'बहुतायत महान प्रकाशन थे' (व.7)।

तब भी पौलुस ने इन चीजों के बारे में घमंड नहीं किया। कुरिंथियों में झूठे शिक्षक उनके आत्मिक अनुभवों के विषय में घमंड करते थे, लेकिन पौलुस ऐसा नहीं करते थे। इसके बजाय, उन्होंने अपने विरूद्ध कहानियाँ बतायी। उन्होंने अपनी दुर्बलताओं पर घमंड किया (वव.5,9)।

उन्होंने कुरिंथियों को बताया कि कैसे परमेश्वर ने ' मेरे शरीर में एक काँटा चुभाया गया, अर्थात् शैतान का एक दूत कि मुझे घूँसे मारे ताकि मैं फूल न जाउँ' (व.7ब)। बहुत ही सामान्य रूप से उन्होंने यह घोषणा की। डॉ पॉला गूडर, जिन्होंने इन वचनो पर अपना पी.एच.डी. शोध प्रबंध लिखा, कहती है कि यहाँ पर कम से कम छत्तीस सिद्धांत हैं कि पौलुस के शरीर में उस काँटे का क्या अर्थ है। यह तथ्य को हम नहीं जानते हैं कि यह क्या है जो पौलुस के साथ पहचाने जाने में हम सभी को सक्षम बनाता है।

मुझे अपने अच्छे मित्र, सुसमाचार प्रचारक जे. जॉन याद हैं, एक चर्चा में वह कह रहे थे कि उनके पास केवल एक नहीं, बल्कि शरीर में तीन काँटे थे! मैं नहीं सोचता हूँ कि उन्होंने हमें बताया कि वे सभी क्या थे लेकिन बाकी हम सभी के लिए यह जानना उत्साहजनक बात है कि, हम सभी की तरह, उनके पास उनके संघर्ष थे।

जो कुछ भी पौलुस का काँटा था, तीन बार पौलुस ने परमेश्वर से विनती की कि इसे हटा दें। लेकिन परमेश्वर ने उससे कहा, 'मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिध्द होती है' (व.9)। यदि उनके शरीर में काँटा न होता, तो शायद से पौलुस 'महान प्रकाशन की बहुतायतता' के कारण फूल जाते (व.7)।

जैसा कि यह था, पौलुस जानते थे कि वह पूरी तरह से परमेश्वर पर निर्भर थे। जब चीजे अच्छी तरह से हो रही होती है, तब मेरे पास घमंड करने और स्वयं निर्भर होने का लालच आता है। जब मैं संघर्ष करता हूँ और अपनी दुर्बलता को जानता हूँ, तब मैं पूरी तरह से परमेश्वर पर निर्भर हो जाता हूँ। मसीह की सामर्थ हम पर छाया करती है (व.9)। उनकी सामर्थ हमारी दुर्बलता में सिद्ध होती है।

पौलुस ने कुछ बहुत ही उल्लेखनीय बात लिखी है। वह कहते हैं, ' इस कारण मैं मसीह के लिये निर्बलताओं में, और निन्दाओं में, और दरिद्रता में, और उपद्रवों में, और संकटों में प्रसन्न हूँ; क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूँ, तभी बलवन्त होता हूँ' (वव.7-10, एम.एस.जी)।

प्रार्थना

परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि पौलुस की तरह, अपनी दुर्बलता में आनंद मनाऊं क्योंकि आपकी सामर्थ दुर्बलता में सिद्ध होती है। आपका धन्यवाद कि आपका अनुग्रह मेरे लिए पर्याप्त हैं।
जूना करार

यशायाह 27:1-28:29

27उस समय,

यहोवा लिब्यातान का न्याय करेगा जो एक दुष्ट सर्प है।
 हे यहोवा अपनी बड़ी तलवार,
अपनी सुदृढ़ और शक्तिशाली तलवार, कुंडली मारे सर्प लिब्यातान को मारने में उपयोग करेगा।
 यहोवा सागर के विशालकाय जीव को मार डालेगा।
2 उस समय, वहाँ खुशियों से भरा अंगूर का एक बाग होगा।
 तुम उसके गीत गाओ।
3 “मैं यहोवा, उस बाग का ध्यान रखूँगा।
 मैं बाग को उचित समय पर सीचूँगा।
 मैं बगीचे की रात दिन रखवाली करुँगा ताकि कोई भी उस को हानि न पहुँचा पाये।
4 मैं कुपित नहीं होऊँगा।
 यदि काँटे कँटेली मुझे वहाँ मिले तो मैं वैसे रौंदूगा
 जैसे सैनिक रौंदता चला जाता है और उनको फूँक डालूँगा।
5 लेकिन यदि कोई व्यक्ति मेरी शरण में आये
 और मुझसे मेल करना चाहे तो वह चला आये
 और मुझ से मेल कर ले।
6 आने वाले दिनों में याकूब (इस्राएल) के लोग उस पौधे के समान होंगे जिसकी जड़े उत्तम होती हैं।
 याकूब का विकास उस पनपते पौधे सा होगा जिस पर बहार आई हो।
 फिर धरती याकूब के वंशजों से भर जायेगी जैसे पेड़ों के फलों से वह भर जाती है।”

परमेश्वर इस्राएल को खोज निकालता है

7 यहोवा ने अपने लोगों को उतना दण्ड नहीं दिया है जितना उसने उनके शत्रुओं को दिया है। उसके लोग उतने नहीं मरे हैं जितने वे लोग मरे हैं जो इन लोगों को मारने के लिए प्रयत्नशील थे।

8 यहोवा इस्राएल को दूर भेज कर उसके साथ अपना विवाद सुलझा लेगा। यहोवा ने इस्राएल को उस तेज हवा के झोंके सा उड़ा दिया जो रेगिस्तान की गर्म लू के समान होता है।

9 याकूब का अपराध कैसे क्षमा किया जायेगा उसके पापों को कैसे दूर किया जाएगा ये बातें घटेंगी: वेदी की शिलाएँ चकनाचूर हो कर धूल में मिल जायेंगी; झूठे देवताओं के स्तम्भ और उनकी पूजा की वेदियाँ तहस—नहस कर दी जायेंगी।

10 यह सुरक्षित नगरी उजड़ गई है। सब लोग कहीं दूर भाग गए हैं। वह नगर एक खुली चरागाह जैसा हो गया है। जवान मवेशी यहाँ घास चर रहे हैं। मवेशी अँगूर की बेलों की शाखों से पत्तियाँ चर रहे हैं। 11 अँगूर की बेलें सूख रहीं है। शाखाएँ कट कर गिर रही हैं और स्त्रियाँ उन शाखाओं से धन का काम ले रही हैं।

लोग इसे समझ नहीं रहे हैं। इसीलिए उनका स्वामी परमेश्वर उन्हें चैन नहीं देगा। उनका रचयिता उनके प्रति दयालु नहीं होगा।

12 उस समय, यहोवा दूसरे लोगों से अपने लोगों को अलग करने लगेगा। परात नदी से वह इस कार्य का आरम्भ करेगा।

परात नदी से लेकर मिस्र की नदी तक यहोवा तुम इस्राएलियों को एक एक करके इकट्ठा करेगा। 13 अश्शूर में अभी मेरे बहुत से लोग खोये हुए हैं। मेरे कुछ लोग मिस्र को भाग गये हैं। किन्तु उस समय एक विशाल भेरी बजाई जायेगी और वे सभी लोग वापस यरूशलेम आजायेंगे और उस पवित्र पर्वत पर यहोवा के सामने वे सभी लोग झुक जायेंगे।

उत्तर इस्राएल को चेतावनी

28शोमरोन को देखो!
एप्रैम के मदमस्त लोग उस नगर पर गर्व करते हैं।
वह नगर पहाड़ी पर बसा है जिसके चारों तरफ एक सम्पन्न घाटी है।
शोमरोन के वासी यह सोचा करते हैं कि उनका नगर फूलों के मुकुट सा है।
किन्तु वे दाखमधु से धुत्त हैं
और यह “सुन्दर मुकुट” मुरझाये पौधे सा है।

2 देखो, मेरे स्वामी के पास एक व्यक्ति है जो सुदृढ़ और वीर है।
वह व्यक्ति इस देश में इस प्रकार आयेगा जैसे ओलों और वर्षा का तूफान आता है।
वह देश में इस प्रकार आयेगा जैसे बाढ़ आया करती है।
वह शोमरोन के मुकुट को धरती पर उतार फेंकेगा।
3 नशे में धुत्त एप्रैम के लोग अपने “सुन्दर मुकुट” पर गर्व करते हैं किन्तु वह नगरी पाँव तले रौंदी जायेगी।

4 वह नगर पहाड़ी पर बसा है जिस के चारों तरफ एक सम्पन्न घाटी है किन्तु वह “फूलों का सुन्दर मुकुट” बस एक मुरझाता हुआ पौधा है।

वह नगर गर्मी में अंजीर के पहले फल के समान होगा।
जब कोई उस पहली अंजीर को देखता है तो जल्दी से तोड़कर उसे चट कर जाता है।

5 उस समय, सर्वशक्तिमान यहोवा “सुन्दर मुकुट” बनेगा। वह उन बचे हुए अपने लोगों के लिये “फूलों का शानदार मुकुट” होगा। 6 फिर यहोवा उन न्यायाधीशों को बुद्धि प्रदान करेगा जो उसके अपने लोगों का शासन करते हैं। नगर द्वारों पर युद्धों में लोगों को यहोवा शक्ति देगा। 7 किन्तु अभी वे मुखिया लोग मदमत्त हैं। याजक और नबी सभी दाखमधु और सुरा से धुत्त हैं। वे लड़खड़ाते हैं और नीचे गिर पड़ते हैं। नबी जब अपने सपने देखते हैं तब वे पिये हुए होते हैं। न्यायाधीश जब न्याय करते हैं तो वे नशे में डूबे हुए होते हैं। 8 हर खाने की मेज उल्टी से भरी हुई है। कहीं भी कोई स्वच्छ स्थान नहीं रहा है।

परमेश्वर अपने लोगों की सहायता करना चाहता है

9 वे कहा करते हैं, यह व्यक्ति कौन है यह किसे शिक्षा देने की कोशिश कर रहा है वह अपने सन्देश किसे समझा रहा है क्या उन बच्चों को जिनका अभी—अभी दूध छुड़ाया गया है क्या उन बच्चों को जिन्हें अभी—अभी अपनी माताओं की छाती से दूर किया गया है 10 इसीलिए यहोवा उन से इस प्रकार बोलता है जैसे वे दूध मुँहे बच्चे हों।

सौ लासौ सौ लासौ
काव लाकाव काव लाकाव
ज़ेईर शाम ज़ेईर शाम।

11 फिर यहोवा उन लोगों से बात करेगा उसके होंठ काँपते हुए होंगे और वह उन लोगों से बातें करने में दूसरी विचित्र भाषा का प्रयोग करेगा।

12 यहोवा ने पहले उन लोगों से कहा था, “यहाँ विश्राम का एक स्थान है। थके मांदे लोगों को यहाँ आने दो और विश्राम पाने दो। यह शांति का ठौर है।” किन्तु लोगों ने परमेश्वर की सुननी नहीं चाही। 13 सो परमेश्वर के वचन किसी विचित्र भाषा के जैसे हो जाएँगे।

“सौ लासौ सौ लासौ
काव लाकाव काव लाकाव
ज़ेईर शाम ज़ेईर शाम।”

सो लोग जब चलेंगे तो पीछे की ओर लुढ़क जाएँगे और जख्मी होंगे। लोगों को फँसा लिया जाएगा और वे पकड़े जाएँगे।

परमेश्वर के न्याय से कोई नहीं बच सकता

14 हे, यरूशलेम के आज्ञा नहीं माननेवाले अभिमानी मुखियाओं, तुम यहोवा का सन्देश सुनो। 15 तुम लोग कहते हो, “हमने मृत्यु के साथ एक वाचा किया है। शेओल (मृत्यु का प्रदेश) के साथ हमारा एक अनुबन्ध है। इसलिए हम दण्डित नहीं होंगे। दण्ड हमें हानि पहुँचाये बिना हमारे पास से निकल जायेगा। अपनी चालाकियों और अपनी झूठों के पीछे हम छिप जायेंगे।”

16 इन बातों के कारण मेरा स्वामी यहोवा कहता है: “मैं एक पत्थर—एक कोने का पत्थर—सिय्योन में धरती पर गाड़ूँगा। यह एक अत्यन्त मूल्यवान पत्थर होगा। इस अति महत्त्वपूर्ण पत्थर पर ही हर किसी वस्तु का निर्माण होगा। जिसमें विश्वास होगा, वह कभी घबराएगा नहीं।

17 “लोग दीवार की सीध देखने के लिये जैसे सूत डाल कर देखते हैं, वैसे ही मैं जो उचित है उसके लिए न्याय और खरेपन का प्रयोग करुँगा। “तुम दुष्ट लोग अपनी झूठों और चालाकियों के पीछे अपने को छुपाने का जतन कर रहे हो, किन्तु तुम्हें दण्ड दिया जायेगा। यह दण्ड ऐसा ही होगा जैसे तुम्हारे छिपने के स्थानों को नष्ट करने के लिए कोई तूफान या कोई बाढ़ आ रही हो। 18 मृत्यु के साथ तुम्हारे वाचा को मिटा दिया जायेगा। अधोलोक के साथ हुआ तुम्हारा सन्धि भी तुम्हारी सहायता नहीं करेगा।

“जब भयानक दण्ड तुम पर पड़ेगा तो तुम कुचले जाओगे। 19 वह हर बार जब आएगा तुम्हें वहाँ ले जाएगा। तुम्हारा दण्ड भयानक होगा। तुम्हें सुबह दर सुबह और दिन रात दण्ड मिलेगा।

“तब तुम इस कहानी को समझोगे: 20 कोई पुरुष एक ऐसे बिस्तर पर सोने का जतन कर रहा था जो उसके लिये बहुत छोटा था। उसके पास एक कंबल था जो इतना चौड़ा नहीं था कि उसे ढक ले। सो वह बिस्तर और वह कम्बल उसके लिए व्यर्थ रहे और देखो तुम्हारा वाचा भी तुम्हारे लिये ऐसा ही रहेगा।”

21 यहोवा वैसे ही युद्ध करेगा जैसे उसने पराजीम नाम के पहाड़ पर किया था। यहोवा वैसे ही कुपित होगा जैसे वह गिबोन की घाटी में हुआ था। तब यहोवा उन कामों को करेगा जो उसे निश्चय ही करने हैं। यहोवा कुछ विचित्र काम करेगा। किन्तु वह अपने काम को पूरा कर देगा। उसका काम किसी एक अजनबी का काम है। 22 अब तुम्हें इन बातों का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए। यदि तुम ऐसा करोगे तो तुम्हारे बन्धन की रस्सियाँ और अधिक कस जायेंगी। सर्वशक्तिमान यहोवा ने इस समूचे प्रदेश को नष्ट करने की ठान ली है।

जो शब्द मैंने सुने थे, अटल हैं। सो वे बातें अवश्य घटित होंगी।

यहोवा खरा दण्ड देता है

23 जो सन्देश मैं तुम्हें सुना रहा हूँ, उसे ध्यान से सुनो। 24 क्या कोई किसान अपने खेत को हर समय जोतता रहता है नहीं! क्या वह माटी को हर समय संवारता रहता है नहीं! 25 किसान अपनी धरती को तैयार करता है, और फिर उसमें बीज अलग अलग डालता है। किसान अलग—अलग बीजों की रुपाई, ढंग से करता है। किसान सौंफ के बीज बिखेरता है। किसान अपने खेत पर जीरे के बीज बिखेरता है और एक किसान कठिये गेंहूँ को बोता है। एक किसान खास स्थान पर जौ लगाता है। एक किसान कठिये गेंहूँ के बीजों को खेत की मेंड़ पर लगाता है।

26 उसका परमेश्वर उसको शिक्षा देता है और अच्छे प्रकार से उसे निर्देश देता है। 27 क्या कोई किसान तेज़ दाँतदार तख़्तों का प्रयोग सौंफ के दानों को गहाने के लिये करता है नहीं! क्या कोई किसान जीरे को गहाने के लिए किसी छकड़े का प्रयोग करता है नहीं! एक किसान इन मसालों के बीजों के छिलके उतारने के लिये एक छोटे से डण्डे का प्रयोग ही करता है। 28 रोटी के लिए अनाज को पीसा जाता है, पर लोग उसे सदा पीसते ही तो नहीं रहते। अनाज को दलने के लिए कोई घोड़ों से जुती गाड़ी का पहिया अनाज पर फिरा सकता है किन्तु वह अनाज को पीस—पीस कर एक दम मैदा जैसा तो नहीं बना देता। 29 सर्वशक्तिमान यहोवा से यह पाठ मिलता है। यहोवा अद्भुत सलाह देता है। यहोवा सचमुच बहुत बुद्धिमान है।

समीक्षा

उनका अनुग्रह यीशु के द्वारा आता है

परमेश्वर आपसे प्रेम करते हैं। वह कहते हैं कि उनके लोग एक दाख की बारी के समान हैं। परमेश्वर इसकी रखवाली करते हैं, इसे सींचते हैं, इसपर निगरानी रखते और इसकी चिंता करते हैं (27:3-4, एम.एस.जी)।

परमेश्वर अपने प्रेम में, न्याय करते हैं। वह जंगली पौधो और कटीली झाड़ियों को निकालते और जला देते हैं (व.4, एम.एस.जी)। यहाँ पर परमेश्वर के न्याय के विषय में बहुत कुछ है। तब भी इसका वर्णन 'उनके विचित्र काम' के रूप में किया गया है (28:21)। महान सुधारक, मार्टिन लूथर, ने कहा कि जबकि न्याय मसीह का 'विचित्र कार्य' है, उद्धार उनका 'उचित कार्य' है।

यशायाह उनके विरूद्ध न्याय की घोषणा करते हैं जिनका व्यवहार पौलुस प्रेरित के बिल्कुल विपरीत है। पौलुस के पास उनके घमंड के लिए पर्याप्त कारण था (उनके 'बहुतायत महान प्रकाशन', 2कुरिंथियो 12:7) लेकिन, असल में वह दीन थे। एप्रैम घमंडी था जबकि उसके पास घमंड करने का कोई कारण नहीं था।

यशाशाह बताते हैं ' घमण्ड के मुकुट पर हाय! जो एप्रैम के मतवालों का है ... जो अति उपजाऊ तराई के सिरे पर दाखमधु से मतवालों की है' (28:1)। और ' एप्रैमी मतवालों के घमण्ड का मुकुट पाँव से लताड़ा जाएगा' (व.3)। यद्यपि बाईबल हमें बताती है कि परमेश्वर हमारे मन को आनंदित करने के लिए दाखरस देते हैं (भजनसंहिता 104:15), यह बाईबल में एक लेखांश है जो अत्याधिकता के खतरे के विरूद्ध चेतावनी देती है।

वह बताते हैं ' ये भी दाखमधु के कारण डगमगाते और मदिरा से लड़खड़ाते हैं, याजक और नबी भी मदिरा के कारण डगमगाते हैं, दाखमधु ने उनको भुला दिया है, वे मदिरा के कारण लड़खड़ाते और दर्शन पाते हुए भी भटक जाते, और न्याय में भूल करते हैं। क्योंकि भोजन के सब आसन वमन और मल से भरे हैं, कोई शुध्द स्थान नहीं बचा' (यशायाह 28:1,7-8, एम.एस.जी)। वह ' ठट्ठा करने वालो' के विषय में भी बताते हैं (व.14, एम.एस.जी) – दूसरे शब्दों में संशयवादी और दोषदर्शिता।

न्याय की इन भविष्यवाणीयों के बीच में, यशायाह ऐसे एक व्यक्ति को पहले ही देखते हैं जो अनुग्रह के सिरे का पत्थर हैः ' 'देखो, मैं ने सिय्योन में नींव एक पत्थर रखा है, एक परखा हुआ पत्थर, कोने का अनमोल और अति दृढ़ नींव के योग्य पत्थर : और जो कोई विश्वास रखे वह उतावली न करेगा' (व.16, एम.एस.जी)।

यीशु सिरे का पत्थर हैं। वह ' अति दृढ़ नींव के योग्य पत्थर हैं' (व.16, एम.एस.जी)। पौलुस प्रेरित (रोमियो 9:33) और पतरस (1पतरस 2:4-6) इन वचनो को यीशु के उल्लेख के रूप में देखते हैं। वह है जिसपर जीवित पत्थर का चर्च बना हुआ है। परमेश्वर ने उसे चुना है लेकिन मनुष्यों ने उसे नकारा। जो कोई यीशु के पास आते हैं वे कभी लज्जित न होंगे (1पतरस 2:4-6)। ' वह आप ही हमारे पापों को अपनी देह पर लिये हुए क्रूस पर चढ़ गए... उन्ही के मार खाने से तुम चंगे हो गए थे' (व.24)।

यीशु हमारी दृढ़ नींव हैं। जो उसमें विश्वास करते हैं वे कभी निराश नहीं होंगे (यशायाह 28:16)। वह सभी अनुग्रह का स्त्रोत हैं – जो मर गए ताकि आप क्षमा पाए और अपने लिए उनके महान प्रेम, अनुग्रह और सामर्थ का अनुभव करें।

प्रार्थना

परमेश्वर आपका धन्यवाद कि मैं पूरी तरह से आप पर निर्भर हूँ और जैसे ही मैं अपनी दुर्बलता पर घमंड करता हूँ, वैसे ही आपकी सामर्थ मुझ पर छाया करती है। आपका धन्यवाद कि 'एक विश्वास करने वाला उतावली नहीं करेगा।' आपका अनुग्रह पर्याप्त है।

पिप्पा भी कहते है

2 कुरिंथियो 12:9

'मेरा अनुग्रह तेरे लिये काफी है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिध्द होती है।'

यह मेरा मनपंसद वचन है। यह है जिसका बार-बार मैंने सहारा लिया है जब मैं नहीं जानता था कि कैसे एक स्थिति से बाहर निकलना है। परमेश्वर अनुग्रही रहे हैं और मेरी सहायता की है।

दिन का वचन

2 कुरिंथियो 12:9

“और उस ने मुझ से कहा, मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है; इसलिये मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्ड करूंगा, कि मसीह की सामर्थ मुझ पर छाया करती रहे।“

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संदर्भ

निक वुजिसिक, सीमाओं के बिना जीवन, (वॉटरब्रूक, 2012) पी, 21

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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