दिन 229

परमेश्वर का आनंद कैसे लें

बुद्धि भजन संहिता 98:1-9
नए करार 1 कुरिन्थियों 11:2-34
जूना करार 2 इतिहास 7:11-9:31

परिचय

हम परमेश्वर की आराधना करने के लिए निर्माण किए गए हैं। लेकिन क्यों परमेश्वर मनुष्य का निर्माण करेंगे ताकि उनके द्वारा आराधना ग्रहण करें? क्या जैसा कि कुछ लोग कहते हैं, पूरी तरह से खोखली नहीं है?

सालों पहले आराधना के विषय में मेरी समझ में सी.एस. लेविस ने सहायता की, भजनसंहिता पर उनके प्रकटीकरण को समझाते हुए।

उन्होंने लिखाः 'प्रशंसा के विषय में सबसे स्पष्ट तथ्य...विचित्र रूप से मुझसे बचकर निकल गया... मैंने कभी ध्यान नहीं दिया था कि सारा आनंद अपने आपसे प्रशंसा में बदल जाता है...विश्व प्रशंसा करता है...राहगीर देश की प्रशंसा करते हैं, खिलाडी अपने मनपसंद खेल की प्रशंसा करते हैं – मौसम, दाखरस, भोजन, नायक, घोड़े, कॉलेज, देश, ऐतिहासिक मनुष्य, बच्चे, फूल, पर्वत, दुर्लभ स्टैम्प, दुर्लभ पुस्तकें, यहाँ तक कि कभी कभी राजनैतिज्ञ और विद्वानों की प्रशंसा...'

रूप से पर, जैसा कि अति'मेरा समस्त, अत्यधिक सामान्य, परमेश्वर की स्तुति के विषय में कठिनाई निर्भर थी मेरी बेतुकी हमसे नकारे जाने मूल्यवान, जो हमें करना पसंद है, जो सच में हम करते हैं, जिस किसी चीज को हम महत्व देते हैं।'

'मैं सोचता हूँ कि जिसका हम आनंद लेते हैं उसकी प्रशंसा करना हमें पसंद है क्योंकि प्रशंसा केवल व्यक्त नहीं होती लेकिन यह आनंद को पूरा करती है; यह इसकी नियुक्त परिपूर्णता है। यह प्रशंसा के कारण नहीं है कि प्रेमी एक दूसरे को बताते रहते हैं कि वे कितने सुंदर हैं; आनंद अधूरा है जब तक यह व्यक्त न किया जाए।'

दूसरे शब्दों में, आराधना आनंद की परिपूर्णता है। हमारा आनंद पूरा नहीं होता जब तक यह आराधना में व्यक्त न हो जाएँ। हमारे लिए उनके प्रेम के कारण परमेश्वर ने हमें आराधना के लिए सृजा। वेस्टमिंस्टर शॉर्टर कॅचिस्म के अनुसार, मानवजाति का 'मुख्य अंत है परमेश्वर की महिमा करना और सर्वदा उनका आनंद मनाना।'

बुद्धि

भजन संहिता 98:1-9

एक स्तुति गीत।

98यहोवा के लिये एक नया गीत गाओं,
 क्योंकि उसने नयी
 और अद्भुत बातों को किया है।
2 उसकी पवित्र दाहिनी भुजा
 उसके लिये फिर विजय लाई।
3 यहोवा ने राष्ट्रों के सामने अपनी वह शक्ति प्रकटायी है जो रक्षा करती है।
 यहोवा ने उनको अपनी धार्मिकता दिखाई है।

4 परमेश्वर के भक्तों ने परमेश्वर का अनुराग याद किया, जो उसने इस्राएल के लोगों से दिखाये थे।
 सुदूर देशो के लोगों ने हमारे परमेश्वर की महाशक्ति देखी।
5 हे धरती के हर व्यक्ति, प्रसन्नता से यहोवा की जय जयकार कर।
 स्तुति गीत गाना शिघ्र आरम्भ करो।
6 हे वीणाओं, यहोवा की स्तुति करो!
 हे वीणा, के मधुर संगीत उसके गुण गाओ!

7 बाँसुरी बजाओ और नरसिंगों को फूँको।
 आनन्द से यहोवा, हमारे राजा की जय जयकार करो।
8 हे सागर और धरती,
 और उनमें की सब वस्तुओं ऊँचे स्वर में गाओ।
9 हे नदियों, ताली बजाओ!
 हे पर्वतो, अब सब साथ मिलकर गाओ!
 तुम यहोवा के सामने गाओ, क्योंकि वह जगत का शासन (न्याय) करने जा रहा है,
 वह जगत का न्याय नेकी और सच्चाई से करेगा।

समीक्षा

गीत गाना और संगीत

भजनसंहिता के लेखक लोगों को परमेश्वर की आराधना करने के लिए कहते हैं गाते हुए और संगीत से

' यहोवा के लिये एक नया गीत गाओ... उत्साहपूर्वक जयजयकार करो, और भजन गाओ! वीणा बजाकर यहोवा का भजन गाओ, वीणा बजाकर भजन का स्वर सुनाओ' (वव.1,4-5)।

यह भजन शोर से भरा हुआ है, क्योंकि लोगों को विभिन्न तरीकों से परमेश्वर की भलाई का उत्सव मनाने के लिए कहा गया है। गीत गाने, आनंद के मारे चिल्लाने, बाजे बजाने, और परमेश्वर के उत्सव में तालियाँ बजाने के लिए कहा गया हैः

' हे सारी पृथ्वी के लोगो, यहोवा का जयजयकार करो; उत्साहपूर्वक जयजयकार करो, और भजन गाओ! वीणा बजाकर यहोवा का भजन गाओ, वीणा बजाकर भजन का स्वर सुनाओ। तुरहियाँ ऐर रनसिंगे फूँक फूँक कर यहोवा राजा का जयजयकार करो। समुद्र और उस में की सब वस्तुएँ गरज उठें; जगत और उसके निवासी महाशब्द कहें' (वव.4-7, एम.एस.जी.)।

परमेश्वर ने हमारे लिए जो किया है उसका यह एक उत्तर है। हम परमेश्वर की आराधना करने के लिए बुलाए गए हैं जो कि उद्धारकर्ता हैं (वव.1-3), राजा (वव.4-6) और न्यायी हैं (वव.7-9)।

जैसे ही हम इसे यीशु की आँखो से देखते हैं, हम इसे भविष्यवाणी के एक भजन के रूप में देख सकते हैं। यीशु परमेश्वर की 'दाहिनी ओर' हैं जिन्होंने 'उद्धार लाया है' (व.1)। उन्होंने परमेश्वर के उद्धार को बताया और 'देशों में उनकी सत्यनिष्ठा को प्रकट किया' (व.2)। (रोमियो 3:21 भी देखे)।

सभी चीजें पहले जैसी हो जाएँगी इसकी एक आनंदी आशा है, जब उद्धारकर्ता पृथ्वी का न्याय करने आएँगे (भजनसंहिता 98:9)। तब सारी सृष्टि पहले जैसी हो जाएगी (वव.7-8)। जैसा कि संत पौलुस इसे बताते हैं, ' क्योंकि सृष्टि बड़ी आशाभरी दृष्टि से परमेश्वर के पुत्रों के प्रकट होने की बाट जोह रही है... सृष्टि भी आप ही विनाश के दासत्व से छुटकारा पाकर, परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वंतत्रता प्राप्त करेगी' (रोमियो 8:19-21)।

यह भजन स्तुती की एक बढ़ती हुई लहर है – परमेश्वर के लोगों की आराधना करने वाले समुदाय की ओर से (भजनसंहिता 98:1-3)। सभी लोगों के लिए (वव.4-6) और अंत में सभी सृष्टि के लिए (वव.7-9)।

प्रार्थना

परमेश्वर, आज मैं आपकी आराधना करता हूँ। आपका धन्यवाद मुझे बचाने के लिए। आपके प्रेम और वफादारी के लिए आपका धन्यवाद। आपका धन्यवाद क्योंकि मैं आनंद, उत्साह, गीत और चिल्लाते हुए आपकी आराधना कर सकता हूँ। आपका धन्यवाद क्योंकि मैं आपके न्याय में निर्भीक हो सकता हूँ – आप सत्यनिष्ठा से विश्व का न्याय करेंगे और समानता के साथ लोगों का भी।
नए करार

1 कुरिन्थियों 11:2-34

अधीन रहना

2 मैं तुम्हारी प्रशंसा करता हूँ। क्योंकि तुम मुझे हर समय याद करते रहते हो; और जो शिक्षाएँ मैंने तुम्हें दी हैं, उनका सावधानी से पालन कर रहे हो। 3 पर मैं चाहता हूँ कि तुम यह जान लो कि स्त्री का सिर पुरुष है, पुरुष का सिर मसीह है, और मसीह का सिर परमेश्वर है।

4 हर ऐसा पुरुष जो सिर ढक कर प्रार्थना करता है या परमेश्वर की ओर से बोलता है, वह परमेश्वर का अपमान करता है जो अपना सिर है। 5 पर हर ऐसी स्त्री जो बिना सिर ढके प्रार्थना करती है या जनता में परमेश्वर की ओर से बोलती है, वह अपने पुरुष का अपमान करती है जो उसका सिर है। वह ठीक उस स्त्री के समान है जिसने अपना सिर मुँडवा दिया है। 6 यदि कोई स्त्री अपना सिर नहीं ढकती तो वह अपने बाल भी क्यों नहीं मुँडवा लेती। किन्तु यदि स्त्री के लिये बाल मुँडवाना लज्जा की बात है तो उसे अपना सिर भी ढकना चाहिये।

7 किन्तु पुरुष के लिये अपना सिर ढकना उचित नहीं है क्योंकि वह परमेश्वर के स्वरूप और महिमा का प्रतिबिम्ब है। किन्तु एक स्त्री अपने पुरुष की महिमा को प्रतिबिंबित करती है। 8 मैं ऐसा इसलिए कहता हूँ क्योंकि पुरुष किसी स्त्री से नहीं, बल्कि स्त्री पुरुष से बनी है। 9 पुरुष स्त्री के लिये नहीं रचा गया बल्कि स्त्री की रचना पुरुष के लिये की गयी है। 10 इसलिए परमेश्वर ने उसे जो अधिकार दिया है, उसके प्रतीक रूप में स्त्री को चाहिये कि वह अपना सिर ढके। उसे स्वर्गदूतों के कारण भी ऐसा करना चाहिये।

11 फिर भी प्रभु में न तो स्त्री पुरुष से स्वतन्त्र है और न ही पुरुष स्त्री से। 12 क्योंकि जैसे पुरुष से स्त्री आयी, वैसे ही स्त्री ने पुरुष को जन्म दिया। किन्तु सब कोई परमेश्वर से आते हैं। 13 स्वयं निर्णय करो। क्या जनता के बीच एक स्त्री का सिर उघाड़े परमेश्वर की प्रार्थना करना अच्छा लगता है? 14 क्या स्वयं प्रकृति तुम्हें नहीं सिखाती कि यदि कोई पुरुष अपने बाल लम्बे बढ़ने दे तो यह उसके लिए लज्जा की बात है, 15 और यह कि एक स्त्री के लिए यही उसकी शोभा है? वास्तव में उसे उसके लम्बे बाल एक प्राकृतिक ओढ़नी के रूप में दिये गये हैं। 16 अब इस पर यदि कोई विवाद करना चाहे तो मुझे कहना होगा कि न तो हमारे यहाँ कोई एसी प्रथा है और न ही परमेश्वर की कलीसिया में।

प्रभु का भोज

17 अब यह अगला आदेश देते हुए मैं तुम्हारी प्रशंसा नहीं कर रहा हूँ क्योंकि तुम्हारा आपस में मिलना तुम्हारा भला करने की बजाय तुम्हें हानि पहुँचा रहा है। 18 सबसे पहले यह कि मैंने सुना है कि तुम लोग सभा में जब परस्पर मिलते हो तो हुम्हारे बीच मतभेद रहता है। कुछ अंश तक मैं इस पर विश्वास भी करता हूँ। 19 आखिरकार तुम्हारे बीच मतभेद भी होंगे ही। जिससे कि तुम्हारे बीच में जो उचित ठहराया गया है, वह सामने आ जाये।

20 सो जब तुम आपस में इकट्ठे होते हो तो सचमुच प्रभु का भोज पाने के लिये नहीं इकट्ठे होते, 21 बल्कि जब तुम भोज ग्रहण करते हो तो तुममें से हर कोई आगे बढ़ कर अपने ही खाने पर टूट पड़ता है। और बस कोई व्यक्ति तो भूखा ही चला जाता है, जब कि कोई व्यक्ति अत्यधिक खा-पी कर मस्त हो जाता है। 22 क्या तुम्हारे पास खाने पीने के लिये अपने घर नहीं हैं। अथवा इस प्रकार तुम परमेश्वर की कलीसिया का अनादर नहीं करते? और जो दीन है उनका तिरस्कार करने की चेष्टा नहीं करते? मैं तुमसे क्या कहूँ? इसके लिये क्या मैं तुम्हारी प्रशंसा करूँ। इस विषय में मैं तुम्हारी प्रशंसा नहीं करूँगा।

23 क्योंकि जो सीख मैंने तुम्हें दी है, वह मुझे प्रभु से मिली थी। प्रभु यीशु ने उस रात, जब उसे मरवा डालने के लिये पकड़वाया गया था, एक रोटी ली 24 और धन्यवाद देने के बाद उसने उसे तोड़ा और कहा, “यह मेरा शरीर है, जो तुम्हारे लिए है। मुझे याद करने के लिये तुम ऐसा ही किया करो।”

25 उनके भोजन कर चुकने के बाद इसी प्रकार उसने प्याला उठाया और कहा, “यह प्याला मेरे लहू के द्वारा किया गया एक नया वाचा है। जब कभी तुम इसे पिओ तभी मुझे याद करने के लिये ऐसा करो।” 26 क्योंकि जितनी बार भी तुम इस रोटी को खाते हो और इस प्याले को पीते हो, उतनी ही बार जब तक वह आ नहीं जाता, तुम प्रभु की मृत्यु का प्रचार करते हो।

27 अतः जो कोई भी प्रभु की रोटी या प्रभु के प्याले को अनुचित रीति से खाता पीता है, वह प्रभु की देह और उस के लहू के प्रति अपराधी होगा। 28 व्यक्ति को चाहिये कि वह पहले अपने को परखे और तब इस रोटी को खाये और इस प्याले को पिये। 29 क्योंकि प्रभु के देह का अर्थ समझे बिना जो इस रोटी को खाता और इस प्याले को पीता है, वह इस प्रकार खा-पी कर अपने ऊपर दण्ड को बुलाता है। 30 इसलिए तो तुममें से बहुत से लोग दुर्बल हैं, बीमार हैं और बहुत से तो चिरनिद्रा में सो गये हैं। 31 किन्तु यदि हमने अपने आप को अच्छी तरह से परख लिया होता तो हमें प्रभु का दण्ड न भोगना पड़ता। 32 प्रभु हमें अनुशासित करने के लिये दण्ड देता है। ताकि हमें संसार के साथ दंडित न किया जाये।

33 इसलिए हे मेरे भाईयों, जब भोजन करने तुम इकट्ठे होते हो तो परस्पर एक दूसरे की प्रतिक्षा करो। 34 यदि सचमुच किसी को बहुत भूख लगी हो तो उसे घर पर ही खा लेना चाहिये ताकि तुम्हारा एकत्र होना तुम्हारे लिये दण्ड का कारण न बने। अस्तु; दूसरी बातों को जब मैं आऊँगा, तभी सुलझाऊँगा।

समीक्षा

भक्ति और धन्यवादिता

पहला, पौलुस आराधना में सम्मान और उपयुक्तता को संबोधित करते हैं, और विशेष रूप से वह आराधना में महिलाओं की भूमिका और स्थान को देखते हैं। इस लेखांश का क्या अर्थ है, इस बात की चर्चा करने में बहुत सी स्याही ऊँडेली गई है। यहाँ पर सामान्य सहमति है कि यह बहुत ही सांस्कृतिक है – उदाहरण के लिए, आज बहुत से चर्च अपेक्षा करते हैं कि महिलाएँ अपना सिर ढँके।

यह बात स्पष्ट है कि पुरुष और महिलाएं दोनों से सभा में प्रार्थना करने और भविष्यवाणी करने की अपेक्षा की जाती है (वव.4-5)। यह भी स्पष्ट है कि दोनों को समानता और नैतिक आत्मनिर्भरता प्राप्त है (वव.11-12): ' प्रभु में न तो स्त्री बिना पुरुष, और न पुरुष बिना स्त्री के हैं। क्योंकि जैसे स्त्री पुरुष से है, वैसे ही पुरुष स्त्री के द्वारा है; परन्तु सब वस्तुएँ परमेश्वर से हैं' (वव.11-12, एम.एस.जी)।

अगला, पौलुस 'प्रभु भोज' की चर्चा करते हैं (व.20), या 'युचरिस्ट' जैसा कि दूसरी जगह इसे कहते हैं (युचरिस्टीन एक ग्रीक क्रिया है, इसका अर्थ है 'धन्यवाद देना')।

आराधना की सभाओं में इस कारक का शायद से यह आरंभिक वर्णन है। पिछले 2000 वर्षों से यह मसीह आराधना का एक महत्वपूर्ण भाग रहा है, विश्व भर में चर्च के द्वारा उत्सव मनाया जाता है। फिर से, बहुत अधिक चर्चा हुई है कि पौलुस का क्या अर्थ था। किंतु, मुझे लगता है कि इस लेखांश से बहुत सी चीजे स्पष्ट हैं:

  1. यह लगातार है

यह एक अपेक्षा है कि जब वे 'सभाओं' में 'एक साथ आते हैं' (वव.17-20), 'प्रभु भोज' होगा।

  1. यह महत्वपूर्ण है

यीशु हमें 'इसे करने' के लिए कहते हैं (व.24)। इसे उचित रूप से न करने के परिणाम बहुत गंभीर हैं (व.27)। ' इसलिये मनुष्य अपने आप को जाँच ले और इसी रीति से इस रोटी में से खाए, और इस कटोरे में से पीए' (व.28, एम.एस.जी)।

  1. यह घोषणा है

यह एक तरीका है जिससे आप सुसमाचार की घोषणा करते हैं।

' क्योंकि जब कभी तुम यह रोटी खाते और इस कटोरे में से पीते हो, तो प्रभु की मृत्यु को जब तक वह न आए, प्रचार करते हो' (व.26)।

  1. इसमें शामिल है यीशु को स्मरण करना (वव.24-25) और 'प्रभु की देह को पहचानना' (व.29)

  2. यह मसीह की देह और लहू में एक प्रत्याश है (10:14)। यहाँ पर ग्रीक शब्द कोईनोनिया का इस्तेमाल किया गया है, जिसका अर्थ है 'बाँटना' या 'सहभागिता'। यह एक तरीका है जिससे हम ग्रहण करते हैं और यीशु की मृत्यु के लाभों के भागी होते हैं।

  3. यह एक प्रकार की धन्यवादिता है। हम 'धन्यवादिता के प्याले' में से पीते हैं (व.16)।

  4. यह एकता का एक प्रदर्शन हैः ' इसलिये कि एक ही रोटी है तो हम भी जो बहुत हैं, एक देह हैं : क्योंकि हम सब उसी एक रोटी में भागी होते हैं' (व.17)। चर्च इतिहास की एक बड़ी विडंबना है एक तरीका जिसमें यह एकता का महान भाव विभाजन का एक कारण बन गया है।

  5. यह प्रभु के आगमन की बाट जोहता है। आप ' प्रभु की मृत्यु को जब तक वह न आए, प्रचार करते हो' (11:26)।

रोटी और दाखरस यीशु की देह और लहू हैं (वव.24-25)। यह एक तरीका है जिससे हम आज उनकी उपस्थिति का अनुभव करते हैं। निश्चित ही, इसका जो अर्थ है, वह बड़े प्रदर्शन, वाद-विवाद और विरोधाभास का विषय रहा है। शायद से यह एक कदम होगा एक रहस्य के रूप में इसे ग्रहण करना और वचन के पीछे न जान और यह कैसे काम करता है उसके विषय में अत्यधिक प्रदर्शन न करना।

प्रार्थना

परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि उस तरह से आपकी आराधना करुँ जो सही है और उचित है और आपको प्रसन्न करता है। मेरी सहायता कीजिए कि मैं यीशु पर अपना ध्यान केंद्रित करुँ। मेरी सहायता कीजिए कि आपकी आराधना करने में और सर्वदा आपका आनंद मनाने में अपने सच्चे उद्देश्य को जानूं।
जूना करार

2 इतिहास 7:11-9:31

यहोवा सुलैमान के पास आता है

11 सुलैमान ने यहोवा का मन्दिर और राजमहल को पूरा कर लिया। सुलैमान ने यहोवा के मन्दिर और अपने आवास में जो कुछ करने की योजना बनाई थी उसमें उसे सफलता मिली। 12 तब यहोवा सुलैमान के पास रात को आया। यहोवा ने उससे कहा,

“सुलैमान, मैंने तुम्हारी प्रार्थना सुनी है और मैंने इस स्थान को अपने लिये बलि के गृह के रूप में चुना है। 13 जब मैं आकाश को बन्द करता हूँ तो वर्षा नहीं होती या मैं टिड्डियों को आदेश देता हूँ कि वे देश को नष्ट करें या अपने लोगों में बीमारी भेजता हूँ, 14 और मेरे नाम से पुकारे जाने वाले लोग यदि विनम्र होते तथा प्रार्थना करते हैं, और मुझे ढूंढ़ते हैं और अपने बुरे रास्तों से दूर हट जाते हैं तो मैं स्वर्ग से उनकी सुनूँगा और मैं उनके पाप को क्षमा करूँगा और उनके देश को अच्छा कर दूँगा। 15 अब, मेरी आखें खुली हैं और मेरे कान इस स्थान पर की गई प्रार्थनाओं पर ध्यान देंगे। 16 मैंने इस मन्दिर को चुना है और मैंने इसे पवित्र किया है जिससे मेरा नाम यहाँ सदैव रहे। हाँ, मेरी आँखें और मेरा हृदय इस मन्दिर में सदा रहेगा। 17 अब सुलैमान, यदि तुम मेरे सामने वैसे ही रहोगे जैसे तुम्हारा पिता दाऊद रहा, यदि तुम उन सभी का पालन करोगे जिनके लिये मैंने आदेश दिया है और यदि तुम मेरे विधियों और नियमों का पालन करोगे। 18 तब मैं तुम्हें शक्तिशाली राजा बनाऊँगा और तुम्हारा राज्य विस्तृत होगा। यही वाचा है जो मैंने तुम्हारे पिता दाऊद से की है। मैंने उससे कहा था, ‘दाऊद, तुम अपने परिवार में एक ऐसा व्यक्ति सदा पाओगे जो इस्राएल में राजा होगा।’

19 “किन्तु यदि तुम मेरे नियमों और आदेशों को नहीं मानोगे जिन्हें मैंने दिया है और तुम अन्य देवताओं की पूजा और सेवा करोगे, 20 तब मैं इस्राएल के लोगों को अपने उस देश से बाहर करूँगा जिसे मैंने उन्हें दिया है। मैं इस मन्दिर को अपनी आँखों से दूर कर दूँगा। जिसे मैंने अपने नाम के लिये पवित्र बनाया है। मैं इस मन्दिर को ऐसा कुछ बनाऊँगा कि सभी राष्ट्र इसकी बुराई करेंगे। 21 हर एक व्यक्ति जो इस प्रतिष्ठित मन्दिर के पास से गुजरेगा, आश्चर्य करेगा। वे कहेंगे, ‘यहोवा ने ऐसा भयंकर काम इस देश और इस मन्दिर के साथ क्यों किया’ 22 तब लोग उत्तर देंगे, ‘क्योंकि इस्राएल के लोगों ने यहोवा’ परमेश्वर जिसकी आज्ञा का पालन उनके पूर्वज करते थे, उसकी आज्ञा पालन करने से इन्कार कर दिया। वह ही परमेश्वर है जो उन्हें मिस्र देश के बाहर ले आया। किन्तु इस्राएल के लोगों ने अन्य देवताओं को अपनाया। उन्होंने मूर्ति रूप में देवताओं की पूजा और सेवा की। यही कारण है कि यहोवा ने इस्राएल के लोगों पर इतना सब भयंकर घटित कराया है।”

सुलैमान के बसाए नगर

8यहोवा के मन्दिर को बनाने और अपना महल बनाने में सुलैमान को बीस वर्ष लगे। 2 तब सुलैमान ने पुनः उन नगरों को बनाया जो हूराम ने उसको दिये और सुलैमान ने इस्राएल के कुछ लोगों को उन नगरों में रहने की आज्ञा दे दी। 3 इसके बाद सुलैमान सोबा के हमात को गया और उस पर अधिकार कर लिया। 4 सुलैमान ने मरूभूमि में तदमोर नगर बनाया। उसने चीज़ों के संग्रह के लिये हमात में सभी नगर बनाए। 5 सुलैमान ने उच्च बेथोरोन और निम्न बेथोरोन के नगरों को पुनः बनाया। उसने उन नगरों को शक्तिशाली गढ़ बनाया। वे नगर मजबूत दीवारों, फाटकों और फाटकों में छड़ों वाले थे। 6 सुलैमान ने बालात नगर को फिर बनाया और अन्य नगरों को भी जहाँ उसने चीजों का संग्रह किया। उसने सभी नगरों को बनाया जहाँ रथ रखे गए थे तथा जहाँ सभी नगरों में घुड़सवार रहते थे। सुलैमान ने यरूशलेम, लेबानोन और उन सभी देशों में जहाँ वह राजा था, जो चाहा बनाया।

7-8 जहाँ इस्राएल के लोग रह रहे थे वहाँ बहुत से अजनबी बचे रह गए थे। वे हित्ती, एमोरी, परिज्जी, हिव्वी और यबूसी लोग थे। सुलैमान ने उन अजनबियों को दास—मजदूर होने के लिये विवश किया। वे लोग इस्राएल के लोगों में से नहीं थे। वे लोग उनके वंशज थे जो देश में बचे रह गये थे और तब तक इस्राएल के लोगों द्वारा नष्ट नहीं किये गए थे। यह अब तक चल रहा है। 9 सुलैमान ने इस्राएल के किसी भी व्यक्ति को दास मजदूर बनने को विवश नहीं किया। इस्राएल के लोग सुलैमान के योद्धा थे। वे सुलैमान की सेना के सेनापति और अधिकारी थे। वे सुलैमान के रथों के सेनापति और सारथियों के सेनापति थे 10 और इस्राएल के कुछ लोग सुलैमान के महत्वपूर्ण अधिकारियों के प्रमुख थे। ऐसे लोगों का निरीक्षण करने वाले ढाई सौ प्रमुख थे।

11 सुलैमान दाऊद के नगर से फिरौन की पुत्री को उस महल में लाया जिसे उसने उसके लिये बनाया था। सुलैमान ने कहा, “मेरी पत्नी राजा दाऊद के महल में नहीं रह सकती क्योंकि जिन स्थानों पर साक्षीपत्र का सन्दूक रहा हो, वे स्थान पवित्र हैं।”

12 तब सुलैमान ने यहोवा को होमबिल यहोवा की वेदी पर चढ़ायी। सुलैमान ने उस वेदी को मन्दिर के द्वार मण्डप के सामने बनाया। 13 सुलैमान ने हर एक दिन मूसा के आदेश के अनुसार बलि चढ़ाई। यह बलि सब्त के दिन नवचन्द्र उत्सव को और तीन वार्षिक पर्वों को दी जानी थीं। ये तीन वार्षिक पर्व अख़मीरी रोटी का पर्व सप्ताहों का पर्व और आश्रय का पर्व थे। 14 सुलैमान ने अपने पिता दाऊद के निर्देशों का पालन किया। सुलैमान ने याजकों के वर्ग उनकी सेवा के लिये चुने। सुलैमान ने लेवीवंशियों को भी उनके कार्य के लिये चुना। लेवीवंशियों को स्तुति में पहल करनी होती थी और उन्हें मन्दिर की सेवाओं में जो कुछ नित्य किया जाना होता था उनमें याचकों की सहायता करनी थी और सुलैमान ने द्वारपालों को चुना जिनके समूहों को हर द्वार पर सेवा करनी थी। इस पद्धति का निर्देश परमेश्वर के व्यक्ति दाऊद ने दिया था। 15 इस्राएल के लोगों ने सुलैमान द्वारा याजकों और लेवीवंशियों को दिये गए निर्देशों को न बदला, न ही उनका उल्लघंन किया। उन्होंने किसी भी निर्दश में वैसे भी परिवर्तन नहीं किये जैसे वे बहुमूल्य चीज़ों को रखने में करते थे।

16 सुलैमान के सभी कार्य पूरे हो गए। यहोवा के मन्दिर के आरम्भ होने से उसके पूरे होने के दिन तक योजना ठीक बनी थी। इस प्रकार यहोवा का मन्दिर पूरा हुआ।

17 तब सुलैमान एस्योनगेबेर और एलोत नगरों को गया। वे नगर एदोम प्रदेश में लाल सागर के निकट थे। 18 हूराम ने सुलैमान को जहाज भेजे। हूराम के अपने आदमी जहाजों को चला रहे थे। हूराम के व्यक्ति समुद्र में जहाज चलाने में कुशल थे। हूराम के व्यक्ति सुलैमान के सेवकों के साथ ओपीर गए और सत्रह टन सोना लेकर राजा सुलैमान के पास लौटे।

शीबा की रानी सुलैमान के यहाँ आती है

9शीबा की रानी ने सुलैमान का यश सुना। वह यरूशलेम में कठिन प्रश्नों से सुलैमान की परीक्षा लेने आई। शीबा की रानी अपने साथ एक बड़ा समूह लेकर आई थी। उसके पास ऊँट थे जिन पर मसाले, बहुत अधिक सोना और बहुमूल्य रत्न लदे थे। वह सुलैमान के पास आई और उसने सुलैमान से बातें कीं। उसे सुलैमान से अनेक प्रश्न पूछने थे। 2 सुलैमान ने उसके सभी प्रश्नों के उत्तर दिये। सुलैमन के लिए व्याख्या करने या उत्तर देने के लिये कुछ भी अति कठिन नहीं था। 3 शीबा की रानी ने सुलैमान की बुद्धि और उसके बनाए घर को देखा। 4 उसने सुलैमान के मेज के भोजन को देखा और उसके बहुत से महत्वपूर्ण अधिकारियों को देखा। उसने देखा कि उसके सेवक कैसे कार्य कर रहे हैं और उन्होंने कैसे वस्त्र पहन रखे हैं उसने देखा कि उसके दाखमधु पिलाने वाले सेवक कैसे कार्य कर रहे हैं और उन्होंने कैसे वस्त्र पहने हैं उसने होमबलियों को देखा जिन्हें सुलैमान ने यहोवा के मन्दिर में चढ़ाया था। जब शीबा की रानी ने इन सभी चीज़ों को देखा तो वह चकित रह गई!

5 तब उसने राजा सुलैमान से कहा, “मैंने अपने देश में तुम्हारे महान कार्यों और तुम्हारी बुद्धिमत्ता के बारे में जो कहानी सुनी है, वह सच है। 6 मुझे इन कहानियों पर तब तक विश्वास नहीं था जब तक मैं आई नहीं और अपनी आँखों से देखा नहीं। ओह! तुम्हारी बुद्धिमत्ता का आधा भी मुझसे नहीं कहा गया है। तुम उन सुनी कहानियों में कहे गए रूप से बड़े हो! 7 तुम्हारी पत्नियाँ और तुम्हारे अधिकारी बहुत भाग्यशाली हैं! वे तुम्हारे ज्ञान की बातें तुम्हारी सेवा करते हुए सुन सकते हैं। 8 तुम्हारे परमेश्वर यहोवा की प्रशंसा हो! वह तुम पर प्रसन्न है और उसने तुम्हें अपने सिंहासन पर, परमेश्वर यहोवा के लिये, राजा बनने के लिये बैठाया है। तुम्हारा परमेश्वर इस्राएल से प्रेम करता है और इस्राएल की सहायता सदैव करता रहेगा। यही कारण है कि यहोवा ने उचित और ठीक—ठीक सब करने के लिये तुम्हें इस्राएल का राजा बनाया है।”

9 तब शीबा की रानी ने राजा सुलैमान को साढ़े चार टन सोना, बहुत से मसाले और बहुमूल्य रत्न दिये। किसी ने इतने अच्छे मसाले राजा सुलैमान को नहीं दिये जितने अच्छे रानी शीबा ने दिये।

10 हूराम के नौकर और सुलैमान के नौकर ओपीर से सोना ले आए। वे चन्दन की लकड़ी और बहुमूल्य रत्न भी लाए। 11 राजा सुलैमान ने यहोवा के मन्दिर एवं महल की सीढ़ियों के लिये चन्दन की लकड़ी का उपयोग किया। सुलैमान ने चन्दन की लकड़ी का उपयोग गायकों के लिये वीणा और तम्बूरा बनाने के लिये भी किया। यहूदा देश में चन्दन की लकड़ी से बनी उन जैसी सुन्दर चीज़ें किसी ने कभी देखी नहीं थीं।

12 जो कुछ भी शीबा देश की रानी ने राजा सुलैमान से माँगा, वह उसने दिया। जो उसने दिया, वह उससे अधिक था जो वह राजा सुलैमान के लिये लाई थी। तत्तपश्चात् वह अपने सेवक, सेविकाओं के साथ विदा हुई। वह अपने देश लौट गई।

सुलैमान की प्रचूर सम्पत्ति

13 एक वर्ष में सुलैमान ने जितना सोना पाया, उसका वजन पच्चीस टन था। 14 व्यापारी और सौदागर सुलैमान के पास और अधिक सोना लाए। अरब के सभी राजा और प्रदेशों के शासक भी सुलैमान के लिये सोना चाँदी लाए।

15 राजा सुलैमान ने सोने के पत्तर की दो सौ ढालें बनाई। लगभग 3.3 किलोग्राम पिटा सोना हर एक ढाल के बनाने में उपयोग में आया था। 16 सुलैमान ने तीन सौ छोटी ढालें भी सोने के पत्तर की बनाईं। लगभग 1.65 किलोग्राम सोना हर एक ढाल के बनाने में उपयोग में आया था। राजा सुलैमान ने सोने की ढालों को लेबानोन के वन—महल में रखा।

17 राजा सुलैमान ने एक विशाल सिंहासन बनाने के लिये हाथी —दाँत का उपयोग किया। उसने सिंहासन को शुद्ध सोने से मढ़ा। 18 सिंहासन पर चढ़ने की छ: सीढ़ियाँ थीं और इसका एक पद— पीठ था। वह सोने का बना था। सिंहासन में दोनों ओर भुजाओं को आराम देने के लिए बाजू लगे थे। हर एक बाजू से लगी एक—एक सिंह की मूर्ति खड़ी थी। 19 वहाँ छः सीढ़ियों से लगे बगल में बारह सिंहों की मूर्तियाँ खड़ी थीं। हर सीढ़ी की हर ओर एक सिंह था। इस प्रकार का सिंहासन किसी दूसरे राज्य में नहीं बना था।

20 राजा सुलैमान के सभी पीने के प्याले सोने के बने थे। लेबानोन वन—महल की सभी प्रतिदिन की चीज़ें शुद्ध सोने की बनी थीं। सुलैमान के समय में चाँदी मूल्यवान नहीं समझी जाती थी।

21 राजा सुलैमान के पास जहाज थे जो तर्शीश को जाते थे। हूराम के आदमी सुलैमान के जहाजों को चलाते थे। हर तीसरे वर्ष जहाज तर्शीश से सोना, चाँदी हाथी—दाँत, बन्दर और मोर लेकर सुलैमान के पास लौटते थे।

22 राजा सुलैमान धन और बुद्धि दोनों में संसार के किसी भी राजा से बड़ा हो गया। 23 संसार के सारे राजा उसको देखने और उसके बुद्धिमत्तापूर्ण निर्णयों को सुनने के लिये आए। परमेश्वर ने सुलैमान को वह बुद्धि दी। 24 हर वर्ष वे राजा सुलैमान को भेंट लाते थे। वे चाँदी सोने की चीज़ें, वस्त्र, कवच, मसाले, घोड़े और खच्चर लाते थे।

25 सुलैमान के पास चार हज़ार घोड़ों और रथों को रखने के लिये अस्तबल थे। उसके पास बारह हज़ार सारथी थे। सुलैमान उन्हें रथों के लिये विशेष नगरों में रखता था और यरूशलेम में अपने पास रखता था। 26 सुलैमान फरात नदी से लगातार पलिश्ती लोगों के देश तक और मिस्र की सीमा तक के राजाओं का सम्राट था। 27 राजा सुलैमान ने चाँदी को पत्थर जैसा सस्ता बना दिया और देवदार लकड़ी को पहाड़ी प्रदेश में गूलर के पेड़ों जैसा सामान्य। 28 लोग सुलैमान के लिये मिस्र और अन्य सभी देशों से घोड़े लाते थे।

सुलैमान की मृत्यु

29 आरम्भ से लेकर अन्त तक सुलैमान ने और जो कुछ किया वह नातान नबी के लेखों, शीलो के अहिय्याह की भविष्यवाणियों और इद्दो के दर्शनों में है। इद्दो ने यारोबाम के बारे में लिखा। यारोबाम नबात का पुत्र था। 30 सुलैमान यरूशलेम में पूरे इस्राएल का राजा चालीस वर्ष तक रहा। 31 तब सुलैमान अपने पूर्वजों के साथ विश्राम करने गया। लोगों ने उसे उसके पिता दाऊद के नगर में दफनाया। सुलैमान का पुत्र रहूबियाम सुलैमान की जगह नया राजा हुआ।

समीक्षा

विश्वसनीयता और जोश

' इस प्रकार सुलैमान यहोवा के भवन और राजभवन को बना चुका, और यहोवा के भवन में और अपने भवन में जो कुछ उसने बनाना चाहा, उसमें उसका मनोरथ पूरा हुआ' (7:11)। जो उसने किया उसके द्वारा उसने परमेश्वर की महिमा की।

इतिहासकार वर्णन करते हैं दाऊद और सुलैमान के राज्यकाल की, परमेश्वर की आराधना करने के लिए स्थान के निर्माण के विषय में, जो कि यरूशलेम का मंदिर था। उनके लिए, उनके राज्यकाल में बाकी दूसरी चीजें महत्वपूर्ण नहीं हैं। उन्होंने आराधना के स्थान का निर्माण किया और परमेश्वर ने महान रूप से उनको आशीष दीं।

सुलैमान का यश फैलता गया (जैसा कि हमने अध्याय 8 और 9 में पढ़ा)। शिबा की रानी मिलने के लिए आयीं और जो कुछ उसने देखा उससे वह चकित हो गई (9:1-7) उसने परमेश्वर की स्तुति की (व.8)। (दिलचस्प रूप से, महिलाओं के विषय में नये नियम के लेखांश के प्रकाश में, यहाँ पर एक देश को महिला के द्वारा चलाए जाने के विषय में कोई प्रश्न नहीं उठाया गया है)।

सुलैमान महान रूप से प्रसिद्ध थे। जब सुलैमान ने मंदिर बना लिया, तब परमेश्वर उनके सामने प्रकट हुए और कहा, ' यदि मेरी प्रजा के लोग जो मेरे कहलाते हैं, दीन होकर प्रार्थना करें और मेरे दर्शन के खोजी होकर अपनी बुरी चाल से फिरें, तो मैं स्वर्ग में से सुनकर उनका पाप क्षमा करूँगा और उनके देश को त्यों का त्यों कर दूँगा' (7:14)।

यह वचन प्रसिद्ध है और अक्सर आराधना और प्रार्थना में एक पर्ची के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसमें हम आराधना में विश्वसनीयता की अवस्था को देखते हैं। वे सुधार के लिए भी आवश्यक अवस्थाएं हैं। इस वचन में हम देखते हैं कि हमें चार चीजें करने की आवश्यकता हैः

  1. अपने आपको दीन करना

  2. प्रार्थना करना

  3. परमेश्वर की ओर मुड़ना

  4. हमारे दुष्ट मार्गों से पलटना

तब परमेश्वर वायदा करते हैं कि वह तीन चीजें करेंगेः

  1. स्वर्ग से सुनेंगे

  2. हमारे पाप क्षमा करेंगे

  3. हमें चंगा करेंगे

प्रार्थना

परमेश्वर, आज मैं अपने आपको दीन करता हूँ और प्रार्थना करता हूँ और आपको खोजता हूँ और अपने पापों से पश्चाताप करता हूँ। मैं प्रार्थना करता हूँ कि आप स्वर्ग से सुनें और हमारे पाप क्षमा करें और हमारे देशवासियों को चंगा करें। हम आपकी महिमा करें और सर्वदा आपका आनंद मनायें।

पिप्पा भी कहते है

2इतिहास 8:11

'जिस जिस स्थान में यहोवा का सन्दूक आया है, वह पवित्र है, इसलिये मेरी रानी इस्राएल के राजा दाऊद के भवन में न रहने पाएगी।'

मैं सोचती हूँ कि क्योंकि फिरौन की बेटी ने परमेश्वर की आराधना नहीं की किसी दूसरे कारण से कि वह वहाँ नही रह सकती थी!

दिन का वचन

2इतिहास 7:14

“तब यदि मेरी प्रजा के लोग जो मेरे कहलाते हैं, दीन हो कर प्रार्थना करें और मेरे दर्शन के खोजी हो कर अपनी बुरी चाल से फिरें, तो मैं स्वर्ग में से सुन कर उनका पाप क्षमा करूंगा और उनके देश को ज्यों का त्यों कर दूंगा।”

reader

App

Download the Bible in One Year app for iOS or Android devices and read along each day.

reader

Email

Sign up now to receive Bible in One Year in your inbox each morning. You’ll get one email each day.

Podcast

Subscribe and listen to Bible in One Year delivered to your favourite podcast app everyday.

reader

Website

Start reading today’s devotion right here on the BiOY website.

संदर्भ

सी.एस. लेविस, सी.एस. लेविस सेलेक्टेड बुक्स द पिलग्रीम्स/प्रेयर लेटर टू मेलकोल्म/ रिफ्लेक्शन ऑन द साम/ टील वी हॅव फेसेस/ द अबोलिटन ऑफ मॅन, (हार्पर कॉलिन, 2011), पी.360

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

Bible in One Year

  • Bible in One Year

This website stores data such as cookies to enable necessary site functionality and analytics. Find out more