दिन 228

अपने खेल को कैसे उठायें

बुद्धि नीतिवचन 20:5-14
नए करार 1 कुरिन्थियों 10:14-11:1
जूना करार 2 इतिहास 5:2-7:10

परिचय

विश्व के सबसे उच्च स्क्वॉश खिलाड़ी उस स्क्वॉश क्लब में अभ्यास करते थे जहाँ मैं खेलता था। मुझे अच्छी तरह से याद है जब मैंने पहली बार एक उच्चस्तरीय स्क्वॉश खेल को देखा। यह हमारे खिलाड़ियों के नियमित समूह का एक बेटा था, जो उस समय विश्व का 11वाँ खिलाड़ी था। विश्व के नंबर 2 के साथ वह हमारे क्लब में अभ्यास करने के लिए आये।

हम सभी ने आश्चर्य से देखा। हमने कभी भी ऐसी चीज नहीं देखी थी। असल में, यदि वह 'स्क्वॉश' था, तो जो हम खेलते थे वह कुछ और ही था!

उन्हें देखने से हमेशा हमारा खेल उठ जाता था। अचानक से, हमने समझा कि हर उस निशाने को वापस करना संभव है जो आपका प्रतिस्पर्धी आपकी ओर फेंकता है, वे चाहे कितने ही अच्छे हो। हमने देखा कि हर निशाने के बाद कोर्ट के मध्य में आना कितना महत्वूपर्ण होता था। हमने देखा कि वे कितनी गहराई से गेंद को मारते थे। हमने ध्यान दिया कि वे कौन सा निशाना लगाने से दूर रहते हैं।

जब इसके बाद हम कोर्ट पर गए, तब हमने अपने आपको आश्चर्यचकित कर दिया कि हम कितनी अच्छी तरह से खेल रहे थे। निश्चित ही, हम उनके आस-पास नहीं खेल रहे थे। लेकिन, उनके उदाहरण से उत्साहित होकर, हम सामान्य से बहुत बेहतर खेलने लगे।

मेरे मसीह जीवन के दौरान मैंने इसी नमूने को पाया है। उदाहरण के लिए, उन्नीस वर्षों तक सॅन्डी मिलर की सेवा करने का सम्मान मुझे मिला। उनके जीवन को देखकर और उनके प्रचार को सुनकर, मैं हमेशा उनके उदाहरण के द्वारा उत्साहित था। यद्यपि उस स्तर तक पहुँचना जो हमारे लिए उदाहरण है, शायद से हमारे लिए संभव न हो, आशावादी रूप से यह हमें उत्साहित करता है हमारे खेल को उठाने में।

एक मसीह वह है जो यीशु में विश्वास करता है, उनमें विश्वास रखता है, उन्हें जानता है और 'मसीह में' जीता है। यह वह है जो उनके उदाहरण पर चलता है।

मानवीय इतिहास में मसीह के उदाहरण से बढ़कर कोई दूसरा उदाहरण नही। पौलुस लिखते हैं, ' तुम मेरी सी चाल चलो जैसा मैं मसीह की सी चाल चलता हूँ' (1कुरिंथियो 11:1)।

बुद्धि

नीतिवचन 20:5-14

5 जन के मन प्रयोजन, गहन जल से छिपे होते
 किन्तु समझदार व्यक्ति उन्हें बाहर खींच लाता है।

6 लोग अपनी विश्वास योग्यता का बहुत ढोल पीटते हैं,
 किन्तु विश्वसनीय जन किसको मिल पाता है

7 धर्मी जन निष्कलंक जीवन जीता है
 उसका बाद आनेवाली संतानें धन्य हैं।

8 जब राजा न्याय को सिंहासन पर विराजता
 अपनी दृष्टि मात्र से बुराई को फटक छांटता है।

9 कौन कह सकता है “मैंने अपना हृदय पवित्र रखा है,
 मैं विशुद्ध, और पाप रहित हूँ।”

10 इन दोनों से, खोटे बाटों और खोटी
 नापों से यहोवा घृणा करता है।

11 बालक भी अपने कर्मो से जाना जाता है,
 कि उसका चालचलन शुद्ध है, या नहीं।

12 यहोवा ने कान बनाये हैं कि हम सुनें!
 यहोवा ने आँखें बनाई हैं कि हम देखें! यहोवा ने इन दोनों को इसलिये हमारे लिये बनाया।

13 निद्रा से प्रेम मत कर दरिद्र हो जायेगा;
 तू जागता रह तेरे पास भरपूर भोजन होगा।

14 ग्राहक खरीदते समय कहता है,
 “अच्छा नहीं, बहुत महंगा!” किन्तु जब वहाँ से दूर चला जाता है अपनी खरीद की शेखी बघारता है।

समीक्षा

आपके जीवन का उदाहरण

कैसे आप जीते हैं, यह बात दूसरों को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए आप दूसरों को देखते हैं। दूसरे आपको एक उदाहरण के रूप में देखते हैं। यह होता है चाहे आप इसे पंसद करें या ना करें।

माता-पिता और बच्चों में ऐसा बहुत अधिक होता है। मैंने ध्यान दिया है कि मैंने अपने पिता के कितने व्यवहार को ले लिया है। निश्चित ही, माता-पिता अति गंभीर रूप से उदाहरण प्रदान करते हैं: ' सत्यनिष्ठ जो खराई से चलता रहता है, उनके पीछे उनके बाल – बच्चे धन्य होते हैं' (व.7)।

माता-पिता जो विश्वसनीयता का जीवन जीते हैं, अपने बच्चों के लिए महान आशीष को लाते हैं। बिली ग्राहम ने कहा, 'विश्वसनीयता वह गोंद है जो हमारे जीवन के तरीकों को एक साथ पकड़े रखता है। हमें अवश्य ही नियमित रूप से हमारी विश्वसनीयता को संजोए रखना है। जब धन चला जाता है, कुछ नहीं जाता; जब स्वास्थ बिगड़ जाता है, कुछ खो जाता है; जब चरित्र बिगड़ जाता है, सबकुछ चला जाता है।'

यीशु के अलावा, किसी और ने एक सिद्ध जीवन नहीं जीया हैः' कौन कह सकता है कि मैंने अपने हृदय को पवित्र किया; अथवा मैं पाप से शुध्द हुआ हूँ?' (व.9, एम.एस.जी)। फिर भी, हम सभी ऐसा एक जीवन जीने का प्रयास कर सकते हैं जो एक अच्छा उदाहरण है।

माता-पिता को एक दूसरे के प्रति वफादारी को दिखाने की आवश्यकता है, धीरज और सम्मान के साथ एक दूसरे से बर्ताव करके, अनुग्रह के साथ असहमति से निपटकर, कठिनाई में एक दूसरे की मदद करते हुए और दूसरों के साथ अनुचित संबंध नहीं रखते हुए। ' बहुत से मनुष्य अपनी कृपा का प्रचार करते हैं; परन्तु सच्चा पुरुष कौन पा सकता है?' (व.6)।

दूसरा क्षेत्र जहाँ पर हम एक उदाहरण बन सकते हैं, वह है दूसरों के विचारों का पता लगानाः' मनुष्य के मन की युक्ति अथाह तो है, तब भी समझने वाला मनुष्य उसको निकाल लेता है।' (व.5)।

इस संदर्भ में मैं हमेशा इस वचन के बारे में सोचता हूँ कि एक अल्फा छोटे समूह के मेजबान उनके समूह में लोगों के विचारों को बता देते हैं। यह एक अच्छे संभाषण सुविधा देने वाले की कला है। यह साक्षात्कार लेने वाले का हुनर है। यह अपने बच्चों के साथ उनके माता-पिता एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य है, और एक दूसरे के साथ मित्रों में यह महत्वपूर्ण है। हर मनुष्य में अथाह गहराई है। उस गहराई का पता लगाना एक हुनर है।

प्रार्थना

परमेश्वर हमारी सहायता कीजिए कि हम एक ऐसा जीवन जीएं जो दूसरों के लिए एक अच्छा उदाहरण हो। हमारी सहायता कीजिए कि हम शुद्धता, वफादारी और समर्पण को दर्शायें।
नए करार

1 कुरिन्थियों 10:14-11:1

14 हे मेरे प्रिय मित्रो, अंत में मैं कहता हूँ मूर्ति उपासना से दूर रहो। 15 तुम्हें समझदार समझ कर मैं ऐसा कह रहा हूँ। जो मैं कह रहा हूँ, उसे अपने आप परखो। 16 धन्यवाद का वह प्याला जिसके लिये हम धन्यवाद देते हैं, वह क्या मसीह के लहू में हमारी साझेदारी नहीं है? वह रोटी जिसे हम विभाजित करते हैं, क्या यीशु की देह में हमारी साझेदारी नहीं?

17 रोटी का होना एक ऐसा तथ्य है, जिसका अर्थ है कि हम सब एक ही शरीर से हैं। क्योंकि उस एक रोटी में ही हम सब साझेदार हैं।

18 उन इस्राएलियों के बारे में सोचो, जो बलि की वस्तुएँ खाते हैं। क्या वे उस वेदी के साझेदार नहीं हैं? 19 इस बात को मेरे कहने का प्रयोजन क्या है? क्या मैं यह कहना चाहता हूँ कि मूर्तियों पर चढ़ाया गया भोजन कुछ है या कि मूर्ति कुछ भी नहीं है। 20 बल्कि मेरी आशा तो यह है कि वे अधर्मी जो बलि चढ़ाते हैं, वे उन्हें परमेश्वर के लिये नहीं, बल्कि दुष्ट आत्माओं के लिये चढ़ाते हैं। और मैं नहीं चाहता कि तुम दुष्टात्माओं के साझेदार बनो। 21 तुम प्रभु के कटोरे और दुष्टात्माओं के कटोरे में से एक साथ नहीं पी सकते। तुम प्रभु के भोजन की चौकी और दुष्टात्माओं के भोजन की चौकी, दोनों में एक साथ हिस्सा नहीं बटा सकते। 22 क्या हम प्रभु को चिड़ाना चाहते हैं? क्या जितना शक्तिशाली वह है, हम उससे अधिक शक्तिशाली हैं?

अपनी स्वतन्त्रता का प्रयोग परमेश्वर की महिमा के लिये करो

23 जैसा कि कहा गया है कि, “हम कुछ भी करने के लिये स्वतन्त्र हैं।” पर सब कुछ हितकारी तो नहीं है। “हम कुछ भी करने के लिए स्वतन्त्र हैं” किन्तु हर किसी बात से विश्वास सुदृढ़ तो नहीं होता। 24 किसी को भी मात्र स्वार्थ की ही चिन्ता नहीं करनी चाहिये बल्कि औरों के परमार्थ की भी सोचनी चाहिये।

25 बाजार में जो कुछ बिकता है, अपने अन्तर्मन के अनुसार वह सब कुछ खाओ। उसके बारे में कोई प्रश्न मत करो। 26 क्योंकि शास्त्र कहता है: “यह धरती और इस पर जो कुछ है, सब प्रभु का है।”

27 यदि अविश्वासियों में से कोई व्यक्ति तुम्हें भोजन पर बुलाये और तुम वहाँ जाना चाहो तो तुम्हारे सामने जो भी परोसा गया है, अपने अन्तर्मन के अनुसार सब खाओ। कोई प्रश्न मत पूछो। 28 किन्तु यदि कोई तुम लोगों को यह बताये, “यह देवता पर चढ़ाया गया चढ़ावा है” तो जिसने तुम्हें यह बताया है, उसके कारण और अपने अन्तर्मन के कारण उसे मत खाओ।

29 मैं जब अन्तर्मन कहता हूँ तो मेरा अर्थ तुम्हारे अन्तर्मन से नहीं बल्कि उस दूसरे व्यक्ति के अन्तर्मन से है। एकमात्र यही कारण है। क्योंकि मेरी स्वतन्त्रता भला दूसरे व्यक्ति के अन्तर्मन द्वारा लिये गये निर्णय से सीमित क्यों रहे? 30 यदि मैं धन्यवाद देकर, भोजन में हिस्सा लेता हूँ तो जिस वस्तु के लिये मैं परमेश्वर को धन्यवाद देता हूँ, उसके लिये मेरी आलोचना नहीं की जानी चाहिये।

31 इसलिए चाहे तुम खाओ, चाहे पिओ, चाहे कुछ और करो, बस सब कुछ परमेश्वर की महिमा के लिये करो। 32 यहूदियों के लिये या ग़ैर यहूदियों के लिये या जो परमेश्वर के कलीसिया के हैं, उनके लिये कभी बाधा मत बनो 33 जैसे स्वयं हर प्रकार से हर किसी को प्रसन्न रखने का जतन करता हूँ, और बिना यह सोचे कि मेरा स्वार्थ क्या है, परमार्थ की सोचता हूँ ताकि उनका उद्धार हो।

11सो तुम लोग वैसे ही मेरा अनुसरण करो जैसे मैं मसीह का अनुसरण करता हूँ।

समीक्षा

पौलुस का उदाहरण

'लोग वह करते हैं जो लोग देखते हैं, ' जॉन मॅक्सवेल, लीडरशिप विशेषज्ञ लिखते हैं। 'जितना अधिक अनुयायी अपने लीडर को किसी कार्य और शब्द में नियमित देखते और सुनते हैं, उतना ही अधिक उनकी नियमितता और ईमानदारी होती है। जो वे सुनते हैं वे समझते हैं। जो वे देखते हैं, वे विश्वास करते हैं!'

पौलुस लिखते हैं, जो शायद से बहुत साहसिक लगे, ' तुम मेरी सी चाल चलो जैसा मैं मसीह की सी चाल चलता हूँ' (11:1)। उस कथन का पहला आधा भाग, दूसरे आधे भाग पर आधारित है। पौलुस के उदाहरण पर इस हद तक चला जा सकता है कि वह मसीह के पीछे चलते हैं। वह यह कहने और विश्वास करने में निर्भीक हैं कि वह मसीह के पीछे चलते हैं। यह अपने आपमें एक अद्भुत उदाहरण है, जिसके पीछे चल सकते हैं।

यह वचन एक भाग को समाप्त करता है, जिसमें उन्होंने कुरिंथियों को चिताया कि 'व्यभिचार से दूर रहें' (10:14)। उन्हें अपने आपको शुद्ध रखना है जैसे ही वे मसीह की देह और लहू में (कम्युनियन सभा में) सहभागी होते हैं (व.16)। यह उनकी एकता का केंद्र हैः ' हम सब उसी एक रोटी में भागी होते हैं' (व.17)।

' वह धन्यवाद का कटोरा, जिस पर हम धन्यवाद करते हैं; क्या मसीह के लहू की सहभागिता नहीं? वह रोटी जिसे हम तोड़ते हैं, क्या वह मसीह की देह की सहभागिता नहीं? इसलिये कि एक ही रोटी है तो हम भी जो बहुत हैं, एक देह हैं : क्योंकि हम सब उसी एक रोटी में भागी हाते है' (वव.16-17, एम.एस.जी)।

यद्यपि हम मुक्त हैं -' हमें हर बात की अनुमति है' (व.23) – हमें बहुत सावधान होने की आवश्यकता है कि कैसे हम कार्य करते हैं क्योंकि 'सब वस्तुओं से उन्नति नहीं' (व.23क)। ' कोई अपनी ही भलाई को नहीं, वरन् दूसरों की भलाई को ढूँढ़े' (व.24, एम.एस.जी)।

मसीह में आपके पास अद्भुत स्वतंत्रता है, लेकिन आपको इस स्वतंत्रता का इस्तेमाल दूसरों के लाभ के लिए और परमेश्वर की महिमा के लिए करना हैः' इसलिये तुम चाहे खाओ, चाहे पीओ, चाहे जो कुछ करो, सब कुछ परमेश्वर की महिमा के लिये करो' (व.31)।

जो कुछ हम करते हैं उसे अवश्य ही 'परमेश्वर की महिमा के लिए' होना चाहिए। आपके जीवन का पूर्ण लक्ष्य होना चाहिए परमेश्वर की महिमा और दूसरों की भलाई को खोजने के लिए अपनी स्वतंत्रता का इस्तेमाल करें।

इसी तरह से पौलुस प्रेरित ने अपना जीवन जीया, यहाँ तक कि जैसे ही उन्होंने 'हर तरह से हर व्यक्ति को प्रसन्न रखने' की कोशिश कीः ' जैसा मैं भी सब बातों में सब को प्रसन्न रखता हूँ, और अपना नहीं परन्तु बहुतों का लाभ ढूँढ़ता हूँ कि वे उध्दार पाएँ' (व.33)। इस संदर्भ में उन्होंने लिखा, ' तुम मेरी सी चाल चलो जैसा मैं मसीह की सी चाल चलता हूँ' (11:1)।

प्रार्थना

परमेश्वर, यीशु के उदाहरण के लिए आपका धन्यवाद। मेरी सहायता कीजिए कि आपके उदाहरण पर चलूं जैसा कि पौलुस ने किया। परमेश्वर मेरी सहायता कीजिए कि जो कुछ भी मैं करुँ, वह सिर्फ परमेश्वर की महिमा के लिए करुँ।
जूना करार

2 इतिहास 5:2-7:10

पवित्र सन्दूक मन्दिर में पहुँचाया गया

2 सुलैमान ने इस्राएल के सभी अग्रजों, परिवार समूहों के प्रमुखों और इस्राएल में परिवार प्रमुखों को इकट्ठा किया। उसने सभी को यरूशलेम में इकट्ठा किया। सुलैमान ने यह इसलिये किया कि लेवीवंशी साक्षीपत्र के सन्दूक को दाऊद के नगर से ला सकें। दाऊद का नगर सिय्योन है। 3 राजा सुलैमान से इस्राएल के सभी लोग सातवें महीने के पर्व के अवसर पर एक साथ मिले।

4 जब इस्राएल के सभी अग्रज आ गए तब लेवीवंशियों ने साक्षीपत्र के सन्दूक को उठाया। 5 तब याजक और लेवीवंशी साक्षीपत्र के सन्दूक को मन्दिर में ले गए। याजक और लेवीवंशी मिलापवाले तम्बू तथा इसमें जो पवित्र चीज़ें थीं उन्हें भी यरूशलेम ले आए। 6 राजा सुलैमान और इस्राएल के सभी लोग साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने मिले। राजा सुलैमान और इस्राएल के सभी लोगों ने भेड़ों और बैलों की बलि चढ़ाई। वहाँ इतने अधिक मेढ़े व बैल थे कि कोई व्यक्ति उन्हें गिन नहीं सकता था। 7 तब याजकों ने यहोवा के साक्षीपत्र के सन्दूक को उस स्थान पर रखा, जो इसके लिये तैयार किया गया था। वह सर्वाधिक पवित्र स्थान मन्दिर के भीतर था। साक्षीपत्र के सन्दूक को करूब (स्वर्गदूत) के पंखों के नीचे रखा गया। 8 साक्षीपत्र के सन्दूक के स्थान के ऊपर करूबों के पंख फैले हुये थे, करूब (स्वर्गदूत) साक्षीपत्र के सन्दूक के ऊपर खड़े थे। बल्लियाँ सन्दूक को लेजा ने में प्रयोग होती थीं। 9 बल्लियाँ इतनी लम्बी थीं कि सर्वाधिक पवित्र स्थान के सामने से उनके सिरे देखे जा सकें। किन्तु कोई व्यक्ति मन्दिर के बाहर से बल्लियों को नहीं देख सकता था। बल्लियाँ, अब तक आज भी वहाँ हैं। 10 साक्षीपत्र के सन्दूक में दो शिलाओं के अतिरिक्त अन्य कुछ नहीं था। मूसा ने दोनों शिलाओं को होरेब पर्वत पर साक्षीपत्र के सन्दूक में रखा था। होरेब वह स्थान था जहाँ यहोवा ने इस्राएल के लोगों के साथ वाचा की थी। यह उसके बाद हुआ जब इस्राएल के लोग मिस्र से चले आए।

11 तब वे सभी याजक पवित्र स्थान से बाहर आए। सभी वर्ग के याजकों ने अपने को पवित्र कर लिया था

12 और सभी लेविवंशी गायक वेदी के पूर्वी ओर खड़े थे। सभी आसाप, हेमान और यदूतून के गायक समूह वहाँ थे और उनके पुत्र तथा उनके सम्बन्धी भी वहाँ थे। वे लेवीवंशी गायक सफेद बहुमूल्य मलमल के वस्त्र पहने हुए थे। वे झाँझ, वीणा और सारंगी लिये थे। उन लेवीवंशी गायकों के साथ वहाँ एक सौ बीस याजक थे। वे एक सौ बीस याजक तुरही बजा रहे थे। 13 जो तुरही बजा रहे थे और गा रहे थे, वे एक व्यक्ति की तरह थे। जब वे यहोवा की स्तुति करते थे और उसे धन्यवाद देते थे तब वे एक ही ध्वनि करते थे। तुरही, झाँझ तथा अन्य वाद्य यन्त्रों पर वे तीव्र घोष करते थे, उन्होंने यहोवा की स्तुति में यह गीत गया

“यहोवा की स्तुति करो क्योंकि वह भला है।
उसका प्रेम शाश्वत है।”

तब यहोवा का मन्दिर मेघ से भर उठा। 14 मेघ के कारण याजक सेवा कर न सके, इसका कारण था यहोवा की महिमा मन्दिर में भर गई थी।

6तब सुलैमान ने कहा,

“यहोवा ने कहा कि वह काले घने
बादल में रहेगा।
2 हे यहोवा, मैंने एक भवन तेरे रहने के लिये बनाया है। यह एक भव्य भवन है।
यह तेरे सर्वदा रहने का स्थान है!”

सुलैमान का भाषण

3 राजा सुलैमान मुड़ा और उसने अपने सामने खड़े सभी इस्राएल के लोगों को आशीर्वाद दिया। 4 सुलैमान ने कहा,

“इस्राएल के परमेश्वर, यहोवा की प्रशंसा करो! यहोवा ने वह कर दिया है जो करने का वचन उसने तब दिया था जब उसने मेरे पिता दाऊद से बातें की थी। परमेश्वर यहोवा ने यह कहा, 5 ‘जब से मैं अपने लोगों को मिस्र से बाहर लाया तब से अब तक मैंने इस्राएल के किसी परिवार समूह से कोई नगर नहीं चुना है, जहाँ मेरे नाम का एक भवन बने। मैंने अपने निज लोगों इस्राएलियों पर शासन करने के लिये भी किसी व्यक्ति को नहीं चुना है। 6 किन्तु अब मैंने यरूशलेम को अपने नाम के लिये चुना है और मैंने दाऊद को अपने इस्राएली लोगों का नेतृत्व करने के लिये चुना है।’

7 “मेरे पिता दाऊद की यह इच्छा थी कि वह इस्राएली राष्ट्र के यहोवा परमेश्वर के नाम की महिमा के लिये एक मन्दिर बनवाये। 8 किन्तु यहोवा ने मेरे पिता से कहा, ‘दाऊद, जब तुमने मेरे नाम पर मन्दिर बनाने की इच्छा की तब तुमने ठीक ही किया। 9 किन्तु तुम मन्दिर बना नहीं सकते। किन्तु तम्हारा अपना पुत्र मेरे नाम पर मन्दिर बनाएगा।’ 10 अब, यहोवा ने वह कर दिया है जो उसने करने को कहा था। मैं अपने पिता के स्थान पर नया राजा हूँ। दाऊद मेरे पिता थे। अब मैं इस्राएल का राजा हूँ। यहोवा ने यही करने का वचन दिया था। मैंने इस्राएल के यहोवा परमेश्वर के नाम पर मन्दिर बनवाया है। 11 मैंने साक्षीपत्र के सन्दूक को मन्दिर में रखा है। साक्षीपत्र का सन्दूक वहाँ है जहाँ यहोवा के साथ की गई वाचा रखी जाती है। यहोवा ने यह वाचा इस्राएल के लोगों के साथ की।”

सुलैमान की प्रार्थना

12 सुलैमान यहोवा की वेदी के सामने खड़ा हुआ। वह उन इस्राएल के लोगों के सामने खड़ा हुआ जो वहाँ इकट्ठे हुए थे। तब सुलैमान ने अपने हाथों और अपनी भुजाओं को फैलाया। 13 सुलैमान ने एक काँसे का मंच पाँच हाथ लम्बा, पाँच हाथ चौड़ा और तीन हाथ ऊँचा बनाया था और इसे बाहरी आँगन के बीच में रखा था। तब वह मंच पर खड़ा हुआ और इस्राएल के जो लोग वहाँ इकट्ठे हुए थे उनकी उपस्थिति में घुटने टेके। सुलैमान ने आकाश की ओर हाथ फैलाया। 14 सुलैमान ने कहा:

“हे इस्राएल के परमेश्वर, यहोवा, तेरे समान कोई भी परमेश्वर न तो स्वर्ग में है, न ही धरती पर है। तू प्रेम करने और दयालु बने रहने की वाचा का पालन करता है। तू अपने उन सेवकों के साथ वाचा का पालन करता है जो पूरे हृदय की सच्चाई से रहते हैं और तेरी आज्ञा का पालन करते हैं। 15 तूने अपने सेवक दाऊद को दिये गए वचन को पूरा किया। दाऊद मेरा पिता था। तूने अपने मुख से वचन दिया था, और आज तूने अपने हाथों से इस वचन को पूरा किया है। 16 अब, हे यहोवा, इस्राएल का परमेश्वर! तू अपने सेवक दाऊद को दिये गये वचन को बनाये रख। तूने यह वचन दिया थाः तूने कहा था, ‘दाऊद, तुम अपने परिवार से, मेरे सामने इस्राएल के सिंहासन पर बैठने के लिए, एक व्यक्ति को पाने में कभी असफल नहीं होगे। यही होगा यदि तुम्हारे पुत्र उन सभी बातों में सावधान रहेंगे जिन्हें वे करेंगे। उन्हें मेरे नियमों का पालन वैसे ही करना चाहिए जैसा तुमने मेरे नियमों का पालन किया है।’ 17 अब, हे यहोवा, इस्राएल के परमेश्वर अपने वचन को पूरा होने दे। तूने यह वचन अपने सेवक दाऊद को दिया था।

18 “हे परमेश्वर, हम जानते हैं कि तू यथार्थ में, लोगों के साथ धरती पर नहीं रहेगा। स्वर्ग, सर्वोच्च स्वर्ग भी तुझको अपने भीतर रखने की क्षमता नहीं रखता और हम जानते हैं कि यह मन्दिर जिसे मैंने बनाया है तुझको अपने भीतर नहीं रख सकता। 19 किन्तु हे यहोवा, परमेश्वर तू हमारी प्रार्थना और कृपा याचना पर ध्यान दे। हे यहोवा, मेरे परमेश्वर! तेरे लिये की गई मेरी पुकार तू सुन। मैं तुझसे जो प्रार्थना कर रहा हूँ, सुन। मैं तेरा सेवक हूँ। 20 मैं प्रार्थना करता हूँ कि तेरी आँखें मन्दिर को देखने के लिये दिन रात खुली रहें। तूने कहा था कि तू इस स्थान पर अपना नाम अंकित करेगा। मन्दिर को देखता हुआ जब मैं तुझसे प्रार्थना कर रहा हूँ तो तू मेरी प्रार्थना सुन। 21 मेरी प्रार्थनाएँ सुन और तेरे इस्राएल के लोग जो प्रार्थना कर रहे हैं, उन्हें भी सुन। जब हम तेरे मन्दिर को देखते हुए प्रार्थना कर रहे हैं तो तू हमारी प्रार्थनाएँ सुन। तू स्वर्ग में जहाँ रहता है वहीं से सुन और जब तू हमारी प्रार्थनाएँ सुने तो तू हमें क्षमा कर।

22 “कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के साथ कुछ बुरा करने का दोषी हो सकता है। जब ऐसा होगा तो दोषी व्यक्ति को, यह सिद्ध करने के लिए कि वह निरपराध है, तेरा नाम लेना पड़ेगा। जब वह तेरी वेदी के सामने शपथ लेने मन्दिर में आए तो 23 स्वर्ग से सुन। तू अपने सेवकों का फैसला कर और उसे कार्यान्वित कर। दोषी को दण्ड दे और उसे उतना कष्ट होने दे जितना कष्ट उसने दूसरे को दिया हो। यह प्रमाणित कर कि जिस व्यक्ति ने ठीक कार्य किया है, वह निरपराध है।

24 “तेरे इस्राएलियों को किसी भी शत्रुओं से पराजित होना पड़ सकता है, क्योंकि तेरे लोगों ने तेरे विरुद्ध पाप किया है तब यदि इस्राएल के लोग तेरे पास लौटें और तेरे नाम पर पाप स्वीकारें और इस मन्दिर में तुझसे प्रार्थना और याचना करें 25 तो स्वर्ग से सुन और अपने लोगों, इस्राएल के पापों को क्षमा कर। उन्हें उस देश में लौटा जिसे तूने उन्हें और उनके पूर्वजों को दिया था।

26 “आसमान कभी ऐसे बन्द हो सकता है कि वर्षा न हो। वह तब होगा जब इस्राएल के लोग तेरे विरुद्ध पाप करेंगे और यदि इस्राएल के लोगों को इसका पश्चाताप होगा और मन्दिर को देखते हुए प्रार्थना करेंगे, तेरे नाम पर पाप स्वीकार करेंगे और वे पाप करना छोड़ देंगे क्योंकि तू उन्हें दण्ड देता है। 27 तो स्वर्ग से तू उनकी सुन। तू उनकी सुन और उनके पापों को क्षमा कर। इस्राएल के लोग तेरे सेवक हैं। तब उन्हें सही मार्ग का उपदेश दे जिस पर वे चलें। तू अपनी भूमि पर वर्षा भेज। वही देश तूने अपने लोगों को दिया था।

28 “देश में कोई अकाल या महामारी, या फसलों को बीमारी, या फफूँदी, या टिड्डी, या टिड्डे हो जाये या यदि इस्राएल के लोगों के नगरों में उनके शत्रु घेरा डाल दें, या यदि इस्राएल में किसी प्रकार की बीमारी हो 29 और तब तेरे लोग अर्थात इस्राएल का कोई व्यक्ति प्रार्थना या याचना करे तथा हर एक व्यक्ति अपनी आपत्ति और पीड़ा को जानता रहे एवं यदि वह व्यक्ति इस मन्दिर को देखते हुए अपने हाथ और अपनी भुजायें उठाए 30 तो तू उनकी स्वर्ग से सुन। स्वर्ग वही है जहाँ तू है। सुन और क्षमा कर। हर एक व्यक्ति को वह दे जो उसे मिलना चाहिये क्योंकि तू जानता है कि हर एक व्यक्ति के हृदय में क्या है। केवल तू ही जानता है कि व्यक्ति के हृदय में क्या है। 31 तब लोग तुझसे डरेंगे और तेरी आज्ञा मानेंगे जब तक वे उस देश में रहेंगे जिसे तूने हमारे पूर्वजों को दिया था।

32 “कोई ऐसा अजनबी हो सकता है जो इस्राएल के लोगों में से न हो, किन्तु वह उस देश से आया हो जो बहुत दूर हो और वह अजनबी तेरी प्रतिष्ठा, तेरी असीम शक्ति और तेरी दण्ड देने की क्षमता के कारण आया हो। जब वह व्यक्ति आए और इस मन्दिर को देखता हुआ प्रार्थना करे 33 तब स्वर्ग से जहाँ तू रहता है, सुन और तू उसकी प्रार्थना का उत्तर दे। तब सारे संसार के राष्ट्र तेरा नाम जानेंगे और तेरा आदर वैसे करेंगे जैसे तेरे लोग अर्थात इस्राएली करते हैं और संसार के सभी लोग जानेंगे कि जिस मन्दिर को मैंने बनवाया है वह तेरे नाम से जाना जाता है।

34 “जब तू अपने लोगों को किसी स्थान पर उनके शत्रुओं के साथ लड़ने के लिये भेजे और वे इस नगर की ओर देखकर प्रार्थना करें, जिसे तूने चुना है तथा इस मन्दिर की ओर देखें जिसे मैंने तेरे नाम पर बनाया है। 35 तो उनकी प्रार्थना स्वर्ग से सुन। उनकी सहायता कर।

36 “लोग तेरे विरुद्ध पाप करेंगे—कोई ऐसा व्यक्ति नहीं जो पाप न करता हो और तू उन पर क्रोधित होगा। तू किसी शत्रु को उन्हें हराने देगा और उनसे पकड़े जाने देगा तथा बहुत दूर या निकट के देश में जाने पर मजबूर किये जाने देगा। 37 किन्तु जब वे अपना विचार बदलेंगे और वे याचना करेंगे जबकि वे बन्दी बनाये जाने वाले देश में ही हैं। वे कहेंगे, ‘हम लोगों ने पाप किया है, हम लोगों ने बुरा किया है तथा हम लोगों ने दुष्टता की है।’ 38 तब वे देश में जहाँ वे बन्दी हैं, अपने पूरे हृदय व आत्मा से तेरे पास लौटेंगे और इस देश की ओर जो तूने उनके पूर्वजों को दिया है, इस नगर की ओर जिसको तूने चुना है, और इस मन्दिर की ओर जो मैंने तेरे नाम की महिमा के लिये निर्मित किया है, उसकी ओर मुख करके प्रार्थना करेंगे। 39 जब ऐसा हो तो तू स्वर्ग से उनकी सुन। स्वर्ग तेरा आवास है। उनकी प्रार्थना और याचना को स्वीकार कर और उनकी सहायता कर और अपने उन लोगों को क्षमा कर दे जिन्होंने तेरे विरुद्ध पाप किया है। 40 अब, मेरे परमेश्वर मैं तुझसे माँगता हूँ, तू अपने आँख और कान खोल ले। तू हम लोगों की, जो प्रार्थना इस स्थान पर कर रहे हैं उसे सुन और उस पर ध्यान दे।

41 “अब, हे यहोवा परमेश्वर उठ और अपने विशेष स्थान पर आ,
जहाँ साक्षीपत्र का सन्दूक, तेरी शक्ति प्रदर्शित करता है।
अपने याजकों को मुक्ति धारण करने दे।
हे यहोवा, परमेश्वर! अपने पवित्र लोगों को अपनी अच्छाई में प्रसन्न होने दे।
42 हे यहोवा, परमेश्वर अपने अभिषिक्त राजा को स्वीकार कर।
अपने सेवक दाऊद की स्वामी भक्ति को याद रख।”

मन्दिर यहोवा को अर्पित

7जब सुलैमान ने प्रार्थना पूरी की तो आकाश से आग उतरी और उसने होमबलि और बलियों को जलाया। यहोवा के तेज ने मन्दिर को भर दिया। 2 याजक यहोवा के मन्दिर में नहीं जा सकते थे क्योंकि यहोवा के तेज ने उसे भर दिया था। 3 इस्राएल के सभी लोगों ने आकाश से आग को उतरते देखा। इस्राएल के लोगों ने मन्दिर पर भी यहोवा के तेज को देखा। उन्होंने अपने चेहरे को चबूतरे की फर्श तक झुकाया। उन्होंने यहोवा की उपासना की तथा उसे धन्यवाद दिया। उन्होंने गाया,

“यहोवा भला है,
और उसकी दया सदा रहती है।”

4 तब राजा सुलैमान और इस्राएल के सभी लोगों ने बलि यहोवा के सामने चढ़ाई। 5 राजा सुलैमान ने बाईस हज़ार बैल और एक लाख बीस हज़ार भेड़ें भेंट कीं। राजा और सभी लोगों ने परमेश्वर के मन्दिर को पवित्र बनाया। इसका उपयोग केवल परमेश्वर की उपासना के लिये होता था। 6 याजक अपना कार्य करने के लिये तैयार खड़े थे। लेवीवंशी भी यहोवा के संगीत के उपकरणों के साथ खड़े थे। ये उपकरण राजा दाऊद द्वारा यहोवा को धन्यवाद देने के लिये बनाए गए थे। याजक और लेवीवंशी कह रहे थे, “यहोवा का प्रेम सदैव रहता है!” जब लेवीवंशियों के दूसरी ओर याजक खड़े हुए तो याजकों ने अपनी तुरहियाँ बजाईं और इस्राएल के सभी लोग खड़े थे।

7 सुलैमान ने यहोवा के मन्दिर के सामने वाले आँगन के मध्य भाग को भी पवित्र किया। यह वही स्थान है जहाँ सुलैमान ने होमबलि और मेलबलि की चर्बी चढ़ाई। सुलैमान ने आँगन का मध्य भाग काम में लिया क्योंकि काँसे की वेदी पर जिसे सुलैमान ने बनाई थी, सारी होमबलि, अन्नबलि और चर्बी नहीं आ सकती थी वैसी भेंटें बहुत अधिक थीं।

8 सुलैमान और इस्राएल के सभी लोगों ने सात दिनों तक दावतों का उत्सव मनाया। सुलैमान के साथ लोगों का एक बहुत बड़ा समूह था। वे लोग उत्तर दिशा के हमथ नगर के प्रवेश द्वार तथा दक्षिण के मिस्र के झरने जैसे सुदूर क्षेत्रों से आये थे। 9 आठवें दिन उन्होंने एक धर्मसभा की क्योंकि वे सात दिन उत्सव मना चुके थे। उन्होंने वेदी को पवित्र किया और इसका उपयोग केवल यहोवा की उपासना के लिये होना था और उन्होंने सात दिन दावत का उत्सव मनाया। 10 सातवें महीने के तेईसवें दिन सुलैमान ने लोगों को वापस उनके घर भेज दिया। लोग बड़े प्रसन्न थे और उनका हृदय आनन्द से भरा था क्योंकि यहोवा दाऊद, सुलैमान और अपने इस्राएल के लोगों के प्रति बहुत भला था।

समीक्षा

लीडर्स के उदाहरण

हम सभी उदाहरण बनने के लिए बुलाए गए हैं। किंतु, कुछ लोगों के पास एक विशेष उत्तरदायित्व है। इस्राएल विश्व के लिए एक उदाहरण बनने के लिए बुलाया गया था। परमेश्वर ने उन्हें विशेष आशीषें दी थी और उन दूसरे देशों के लिए एक उदाहरण बनने के लिए वे बुलाए गए थे, जो उनके यश से आकर्षित होंगे। इसके परिणामस्वरूप, विश्व भर से लोग परमेश्वर को जानेंगे (6:32-33, एम.एस.जी)।

विशेष रूप से यरुशलेम को एक उदाहरण के रूप में चुना गया था 'मेरे नाम के लिए' (व.6)। परमेश्वर ने दाऊद और सुलैमान को भी विशेष उदाहरण के रूप में चुना, उनके लोग इस्राएल पर राज्य करने के लिए (6:6-7:10)।

लेकिन दूसरे लीडर्स का भी उत्तरदायित्व था कि उदाहरण के द्वारा अगुवाई करें। मंदिर की आराधना में लैवियों की एक विशेष लीडरशिप भूमिका थी (5:2)। तुरही बजाने वाले और गायकों की भी एक लीडरशिप भूमिका थी (6:13)।

आराधना और प्रार्थना में सुलैमान उदाहरण के द्वारा अगुवाई करते हैं:' खड़े होकर उसने सारे इस्राएल की सभा के सामने घुटने टेककर स्वर्ग की ओर हाथ फैलाए हुए प्रार्थना की' (व.13, एम.एस.जी.)।

वह दूसरों को परमेश्वर की महानता के विषय में बताते हैं और धन्यवादिता के साथ उनकी आराधना करते हैं। सुलैमान की समर्पण की प्रार्थना दिखाती है कि इस्राएल अक्सर इस भूमिका में असफल हो जाएगा। उन्होंने कई बार प्रार्थना की कि परमेश्वर उन्हें क्षमा करें जब वे पीछे चले जाते हैं (वव.21,25,27,30,39)।

सुलैमान की प्रार्थना के बाद, ' याजक यहोवा के भवन में प्रवेश न कर सके, क्योंकि यहोवा का तेज भवन में भर गया था। जब आग गिरी और यहोवा का तेज भवन पर छा गया, तब सब इस्राएल देखते रहे, और फर्श पर झुककर अपना मुँह भूमि की ओर किए हुए दण्डवत् किया, और यों कहकर यहोवा का धन्यवाद किया, 'वह भला है, उसकी करुणा सदा की है। ' (7:3, एम.एस.जी)।

आज, नये नियम में, हम परमेश्वर के मंदिर हैं (1कुरिंथियो 6:19)। जैसा कि जॉयस मेयर लिखती हैं, 'परमेश्वर हममें और हमारे द्वारा उनकी महिमा को दिखाना चाहते हैं, जैसा कि उन्होंने सुलैमान के दिनों में भौतिक मंदिर में किया। जब परमेश्वर की महिमा आपके जीवन में प्रत्यक्ष होगी, तब दूसरे आपकी ओर देखकर कहेंगे, 'वाह, कितने महान परमेश्वर की तुम सेवा करते हो, ' क्योंकि आपके प्रति उनकी भलाई की सामर्थ उनके सामने दिखाई देती है।'

प्रार्थना

परमेश्वर, आपका धन्यवाद क्योंकि आप मुझमें और मेरे द्वारा अपनी महिमा को दर्शाना चाहते हैं। कृपया आज मुझे अपने पवित्र आत्मा से भर दीजिए और मुझे सक्षम कीजिए कि यीशु के उदाहरण के पीछे चलूं और दूसरों के लिए एक उदाहरण बनूं।

पिप्पा भी कहते है

नीतिवचन 20:13

'नींद से प्रेम मत करो नहीं तो तुम गरीब हो जाओगे।'

ओह प्यारे, मैं नींद से प्रेम करती हूँ!

दिन का वचन

1कुरिंथियो 10:31

“सो तुम चाहे खाओ, चाहे पीओ, चाहे जो कुछ करो, सब कुछ परमेश्वर की महीमा के लिये करो।”

reader

App

Download the Bible in One Year app for iOS or Android devices and read along each day.

reader

Email

Sign up now to receive Bible in One Year in your inbox each morning. You’ll get one email each day.

Podcast

Subscribe and listen to Bible in One Year delivered to your favourite podcast app everyday.

reader

Website

Start reading today’s devotion right here on the BiOY website.

संदर्भ

बिली ग्राहम, कोटेड फ्रॉम जॉन सी मैक्सवेल, आपके अंदर के लीडर को विकसित करना, (थॉमस नेल्सन पब्लिशिंग, 2012) पी.45

जॉन सी मॅक्सवेल, आपके अंदर के लीडर को विकसित करना, (थॉमस नेल्सन पब्लिशिंग, 2012) पी. 38

जॉयर मेयर, एव्रीडे लाईफ बाईबल, (फेथवर्ड्स, 2013) पी.663

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

Bible in One Year

  • Bible in One Year

This website stores data such as cookies to enable necessary site functionality and analytics. Find out more