एक पिता के रूप में परमेश्वर को जानना
परिचय
जीवन मे सबसे महत्वपूर्ण वस्तु क्या है, अधिक आनंद, सुख और संतोष को लाना? परमेश्वर का ज्ञान...
आप क्यों बनाए गए थे? परमेश्वर को जानने के लिए।
जीवन में आपको अपने लिए क्या लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए? परमेश्वर को जानना।
यें प्रश्न है जिन्हें जे. आई. पॅकर अपनी प्रभावी पुस्तक, 'परमेश्वर को जानना' में लिखते हैं। यीशु ने कहा, 'अच्छा चरवाहा मैं हूँ; मैं अपनी भेड़ों को जानता हूँ, और मेरी भेड़ें मुझे जानती हैं, जैसे पिता मुझे जानता है और मैं पिता को जानता हूँ' (यूहन्ना 10:14)।
भजन संहिता 62:1-12
‘यदूतून’ राग पर संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का एक पद।
62मैं धीरज के साथ
अपने उद्धार के लिए यहोवा का बाट जोहता हूँ।
2 परमेश्वर मेरा गढ़ है। परमेश्वर मुझको बचाता है।
ऊँचे पर्वत पर, परमेश्वर मेरा सुरक्षा स्थान है। मुझको महा सेनायें भी पराजित नहीं कर सकतीं।
3 तू मुझ पर कब तक वार करता रहेगा
मैं एक झूकी दीवार सा हो गया हूँ,
और एक बाड़े सा
जो गिरने ही वाला है।
4 वे लोग मेरे नाश का कुचक्र रच रहें हैं।
मेरे विषय में वे झूठी बातें बनाते हैं।
लोगों के बीच में,
वे मेरी बढाई करते,
किन्तु वे मुझको लुके—छिपे कोसते हैं।
5 मैं यहोवा की बाट धीरज के साथ जोहता हूँ।
बस परमेश्वर ही अपने उद्धार के लिए मेरी आशा है।
6 परमेश्वर मेरा गढ़ है। परमेश्वर मुझको बचाता है।
ऊँचे पर्वत में परमेश्वर मेरा सुरक्षा स्थान है।
7 महिमा और विजय, मुझे परमेश्वर से मिलती है।
वह मेरा सुदृढ़ गढ़ है। परमेश्वर मेरा सुरक्षा स्थल है।
8 लोगों, परमेश्वर पर हर घड़ी भरोसा रखो!
अपनी सब समस्यायें परमेश्वर से कहो।
परमेश्वर हमारा सुरक्षा स्थल है।
9 सचमुच लोग कोई मदद नहीं कर सकते।
सचमुच तुम उनके भरोसे सहायता पाने को नहीं रह सकते!
परमेश्वर की तुलना में
वे हवा के झोंके के समान हैं।
10 तुम बल पर भरोसा मत रखो की तुम शक्ति के साथ वस्तुओं को छीन लोगे।
मत सोचो तुम्हें चोरी करने से कोई लाभ होगा।
और यदि धनवान भी हो जाये
तो कभी दौलत पर भरोसा मत करो, कि वह तुमको बचा लेगी।
11 एक बात ऐसी है जो परमेश्वर कहता है, जिसके भरोसे तुम सचमुच रह सकते हो:
“शक्ति परमेश्वर से आती है!”
12 मेरे स्वामी, तेरा प्रेम सच्चा है।
तू किसी जन को उसके उन कामों का प्रतिफल अथवा दण्ड देता है, जिन्हें वह करता है।
समीक्षा
हर समय, परमेश्वर पर भरोसा करें
जब चीजें अच्छी तरह से हो रही हैं तब परमेश्वर पर भरोसा करना सरल बात है। दाऊद चिताते हैं, 'हर समय पमरेश्वर पर भरोसा करें, उनपर निर्भर रहे और उनमें विश्वास रखे' (व.8अ, ए.एम.पी.)। हर समय परमेश्वर पर भरोसा करने का अर्थ है ना केवल उनमें भरोसा करना जब वस्तुएँ अच्छी तरह हो रही हो, लेकिन तब भी भरोसा करना जब वस्तुएँ अच्छे से नहीं हो रही हो। परमेश्वर पर भरोसा करने के द्वारा आप चरित्र को विकसित करते हैं, जब आप जीवन में कठिनाईयों का सामना करते हैं।
परमेश्वर को जानना और भरोसा करना, लाता हैः
- आत्मा की शांत
आपके सभी डरों और चिंताओं के बीच में आप शांती पा सकते हैं:'मेरी आत्मा केवल परमेश्वर में शांती पाती है...हे मेरे प्राण केवल परमेश्वर में शांती को खोज' (वव.1,5)।
- उद्धार
उद्धार परमेश्वर में विश्वास करने से आता हैः'मेरा उद्धार परमेश्वर से आता है। केवल वह मेरी चट्टान और मेरा उद्धार हैं...मेरा उद्धार और मेरा सम्मान परमेश्वर पर निर्भर है' (वव.1ब -2अ,7अ)।
- सुरक्षा
जीवन में सबकुछ अनिश्चित और असुरक्षित है, लेकिन परमेश्वर 'मेरा शरणस्थान है, मैं कभी नहीं हिलूँगा..वह मेरी सामर्थी चट्टान हैं, मेरा गढ़ हैं' (वव.2ब, 6ब-7ब)
यीशु की तरह, दाऊद परमेश्वर के प्रेम और पैसे के बीच अंतर को बताते हैं:'चाहे तुम्हारा धन बढ़ जाए, तब भी अपना हृदय उस पर मत लगाना' (व.10)। जब मैंने एक वकील के रूप में अभ्यास करना शुरु किया, तब मैंने अपनी बाईबल के मार्जिन में इसे लिख लियाः'इस समय मेरे लिए यह एक महत्वपूर्ण संदेश है। विद्यार्थी दिनों में मैं पैसे के बारे में नहीं सोचता था – लेकिन अब जब पैसा आने लगा है तब मैं ज्यादा से ज्यादा इसके बारे में सोचता हूँ, इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा बात करता हूँ। लड़ाई तीव्र है –विश्व का खिंचाव बहुत अधिक है। या तो आप परमेश्वर पर अपना हृदय लगाते है या पैसे पर।'
प्रार्थना
यूहन्ना 9:35-10:21
आत्मिक अंधापन
35 यीशु ने सुना कि यहूदी नेताओं ने उसे धकेल कर बाहर निकाल दिया है तो उससे मिलकर उसने कहा, “क्या तू मनुष्य के पुत्र में विश्वास करता है?”
36 उत्तर में वह व्यक्ति बोला, “हे प्रभु, बताइये वह कौन है? ताकि मैं उसमें विश्वास करूँ।”
37 यीशु ने उससे कहा, “तू उसे देख चुका है और वह वही है जिससे तू इस समय बात कर रहा है।”
38 फिर वह बोला, “प्रभु, मैं विश्वास करता हूँ।” और वह नतमस्तक हो गया।
39 यीशु ने कहा, “मैं इस जगत में न्याय करने आया हूँ, ताकि वे जो नहीं देखते वे देखने लगें और वे जो देख रहे हैं, नेत्रहीन हो जायें।”
40 कुछ फ़रीसी जो यीशु के साथ थे, यह सुनकर यीशु से बोले, “निश्चय ही हम अंधे नहीं हैं। क्या हम अंधे हैं?”
41 यीशु ने उनसे कहा, “यदि तुम अंधे होते तो तुम पापी नहीं होते पर जैसा कि तुम कहते हो कि तुम देख सकते हो तो वास्तव में तुम पाप-युक्त हो।”
चरवाहा और उसकी भेड़ें
10यीशु ने कहा, “मैं तुमसे सत्य कहता हूँ जो भेड़ों के बाड़े में द्वार से प्रवेश न करके बाड़ा फाँद कर दूसरे प्रकार से घुसता है, वह चोर है, लुटेरा है। 2 किन्तु जो दरवाजे से घुसता है, वही भेड़ों का चरवाहा है। 3 द्वारपाल उसके लिए द्वार खोलता है। और भेड़ें उसकी आवाज सुनती हैं। वह अपनी भेड़ों को नाम ले लेकर पुकारता है और उन्हें बाड़े से बाहर ले जाता है। 4 जब वह अपनी सब भेड़ों को बाहर निकाल लेता है तो उनके आगे-आगे चलता है। और भेड़ें उसके पीछे-पीछे चलती हैं क्योंकि वे उसकी आवाज पहचानती हैं। 5 भेड़ें किसी अनजान का अनुसरण कभी नहीं करतीं। वे तो उससे दूर भागती हैं। क्योंकि वे उस अनजान की आवाज नहीं पहचानतीं।”
6 यीशु ने उन्हें यह दृष्टान्त दिया पर वे नहीं समझ पाये कि यीशु उन्हें क्या बता रहा है।
अच्छा चरवाहा-यीशु
7 इस पर यीशु ने उनसे फिर कहा, “मैं तुम्हें सत्य बताता हूँ, भेड़ों के लिये द्वार मैं हूँ। 8 वे सब जो मुझसे पहले आये थे, चोर और लुटेरे हैं। किन्तु भेड़ों ने उनकी नहीं सुनी। 9 मैं द्वार हूँ। यदि कोई मुझमें से होकर प्रवेश करता है तो उसकी रक्षा होगी वह भीतर आयेगा और बाहर जा सकेगा और उसे चरागाह मिलेगी। 10 चोर केवल चोरी, हत्या और विनाश के लिये ही आता है। किन्तु मैं इसलिये आया हूँ कि लोग भरपूर जीवन पा सकें।
11 “अच्छा चरवाहा मैं हूँ! अच्छा चरवाहा भेड़ों के लिये अपनी जान दे देता है। 12 किन्तु किराये का मज़दूर क्योंकि वह चरवाहा नहीं होता, भेड़ें उसकी अपनी नहीं होतीं, जब भेड़िये को आते देखता है, भेडों को छोड़कर भाग जाता है। और भेड़िया उन पर हमला करके उन्हें तितर-बितर कर देता है। 13 किराये का मज़दूर, इसलिये भाग जाता है क्योंकि वह दैनिक मज़दूरी का आदमी है और इसीलिए भेड़ों की परवाह नहीं करता।
14-15 “अच्छा चरवाहा मैं हूँ। अपनी भेड़ों को मैं जानता हूँ और मेरी भेड़ें मुझे वैसे ही जानती हैं जैसे परम पिता मुझे जानता है और मैं परम पिता को जानता हूँ। अपनी भेड़ों के लिए मैं अपना जीवन देता हूँ। 16 मेरी और भेड़ें भी हैं जो इस बाड़े की नहीं हैं। मुझे उन्हें भी लाना होगा। वे भी मेरी आवाज सुनेगीं और इसी बाड़े में आकर एक हो जायेंगी। फिर सबका एक ही चरवाहा होगा। 17 परम पिता मुझसे इसीलिये प्रेम करता है कि मैं अपना जीवन देता हूँ। मैं अपना जीवन देता हूँ ताकि मैं उसे फिर वापस ले सकूँ। इसे मुझसे कोई लेता नहीं है। 18 बल्कि मैं अपने आप अपनी इच्छा से इसे देता हूँ। मुझे इसे देने का अधिकार है। यह आदेश मुझे मेरे परम पिता से मिला है।”
19 इन शब्दों के कारण यहूदी नेताओं में एक और फूट पड़ गयी। 20 बहुत से कहने लगे, “यह पागल हो गया है। इस पर दुष्टात्मा सवार है। तुम इसकी परवाह क्यों करते हो।”
21 दूसरे कहने लगे, “ये शब्द किसी ऐसे व्यक्ति के नहीं हो सकते जिस पर दुष्टात्मा सवार हो। निश्चय ही कोई दुष्टात्मा किसी अंधे को आँखें नहीं दे सकती।”
समीक्षा
जीवन का इसकी परिपूर्णता में आनंद लें
मैंने सोचा था कि एक मसीह बनने के बाद, यह मेरे जीवन के आनंद का अंत होगा। वास्तव में, मैंने इसके विपरीत महसूस किया है। यीशु कहते हैं, वह आये ताकि हम 'जीवन का आनंद लें, इसे परिपूर्णता में पाएँ (संपूर्ण रूप से, जब तक यह ऊँमड़ने न लगे)' (10:10, ए.एम.पी.)।
जो व्यक्ति अंधेपन से चंगा हो गया था, उसे यीशु में विश्वास करने में कोई परेशानी नहीं थी। जब यीशु उससे मिलते हैं और कहते हैं, 'क्या तुम मनुष्य के पुत्र में विश्वास करते हो?' (9:35), वह पूछता है, 'वह कौन है श्रीमान?...मुझे बताईये ताकि मैं उनमें विश्वास कर सकूं' (व.36)। यीशु उत्तर देते हैं, 'अब तुमने उसे देखा है; वास्तव में, वह तुमसे बातें कर रहा है।' तब उस व्यक्ति ने कहा, 'प्रभु, मैं विश्वास करता हूँ, ' और उसने उन्हें दंडवत किया' (वव.37-38)। यीशु में, उस व्यक्ति ने समझा कि उसकी मुलाकात स्वयं परमेश्वर से हुई थी। आप भी यीशु में परमेश्वर के साथ मुलाकात कर सकते हैं।
यीशु बताते हैं कैसे, उनके द्वारा आप परमेश्वर को जान सकते हैं। वह दो समान चीजों का इस्तेमाल करते हैं। पहला, वह अपने आपको 'मार्ग' बताते हैं (10:1)। ग्रीक शब्द 'थुरा' शायद इसका बेहतर अनुवाद करता है 'द्वार'। यीशु वह दरवाजा हैं जिससे भेंड़े अंदर आती हैं और उद्धार पाती हैं (व.9)। वह पिता के पास जाने का दरवाजा हैं। परमेश्वर को जानने का दरवाजा है, यीशु को जानना।
दूसरी चीज, यीशु बताते हैं कि वह अच्छे चरवाहा हैं। अच्छे (केलोस) के लिए ग्रीक शब्द का अर्थ है 'सुंदर', 'सज्जन', 'अद्भुत'। भेड़ चरवाहे को जानती हैं:'मैं अच्छा चरवाहा हूँ; मैं अपनी भेड़ों को जानता हूँ, और मेरी भेड़ें मुझे जानती हैं। जैसे पिता मुझे जानता है और मैं पिता को जानता हूँ' (वव.14-15)। इसके पीछे की कहानी यह है कि स्वयं परमेश्वर को पुराने नियम में 'चरवाहा' कहा गया है (उदाहरण के लिए, भजनसंहिता 23:1; यशायाह 40:11 देखे)। यीशु को जानने का अर्थ है परमेश्वर को जानना।
जीवन की परिपूर्णता का आनंद लें
यीशु के साथ एक संबंध में, आप अर्थ, उद्देश्य, परिपूर्णता, शांति, क्षमा और जीवन को इसकी परिपूर्णता में पाते हैं।शैतान को आपको लूटने मत दें
यीशु अपने आपको उस 'चोर' के विपरीत बताते हैं जो 'चोरी करने और हत्या करने और नष्ट करने आता है' (यूहन्ना 10:10अ)। शैतान आपसे आपकी शांती और आनंद को चुराना चाहता है। उसे ऐसा मत करने दें।अपने लिए परमेश्वर के प्रेम के प्रति आश्वस्त बने यीशु अच्छे चरवाह की तुलना उस 'मजदूर' से भी करते हैं, जो भेड़िए को आते देख भेड़ों को छोड़कर भाग जाता है' (वव.12-13)।
दूसरी ओर, अच्छा चरवाहा भेड़ो के लिए अपना प्राण देता है (वव.11,15)। यह पूरी तरह से आप पर हैः' पिता इसलिये मुझ से प्रेम रखता है कि मैं अपना प्राण देता हूँ कि उसे फिर ले लूँ। कोई उसे मुझ से छीनता नहीं, वरन् मैं उसे आप ही देता हूँ' (वव.17-18)। यदि आपको कभी संदेह होता है कि परमेश्वर आपसे प्रेम करते हैं या नहीं, तो आपको केवल क्रूस पर देखने की आवश्यकता हैः यीशु ने आपके लिए अपनी जान दी।
यीशु क्रूस पर अपना जीवन देने के लिए, उन सभी अड़चनों को हटाने के लिए जो आपको परमेश्वर को अपने पिता के रूप में जानने से और उनके साथ बातचीत में रहने से रोकती हैं।
- उनकी आवाज को सुनना सीखें
भेड़ का स्वभाव है चरवाहे की आवाज को सुनना। 'भेड़ उनकी आवाज को सुनती है।' ' भेड़ें उसका शब्द सुनती हैं, और वह अपनी भेड़ों को नाम ले लेकर बुलाता है और बाहर ले जाता है। जब वह अपनी सब भेड़ों को बाहर निकाल चुकता है, तो उनके आगे आगे चलता है, और भेड़ें उसके पीछे हो लेती हैं, क्योंकि वे उसका शब्द पहचानती हैं' (वव.3-4)।
जितना अधिक आप यीशु को जानते हैं, उतना ही अधिक आप पहचान पाते हैं कि यह उनकी आवाज है या भेड़िये को धोखा देने वाली आवाज है।
- जान लीजिए कि आपके पास अनंत जीवन है
जिसे आप जानते हैं वह ना केवल आपके लिए अपनी जान देता है लेकिन वह आपके लिए मृत्यु में से जी भी उठता है। उसे अपना जीवन वापस ले लेने का अधिकार हैः' मुझे उसके देने का भी अधिकार है, और उसे फिर ले लेने का भी अधिकार है' (व.18ब)। वह आपको अनंत जीवन देते हैं।
बाद में यीशु अनंत जीवन को इस तरह से परिभाषित करते हैः' और अनन्त जीवन यह है कि वे एकमात्र सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को, जिसे तू ने भेजा है, जानें' (17:3)।
प्रार्थना
रूत 3:1-4:22
खलिहान
3तब रूत की सास नाओमी ने उससे कहा, “मेरी पुत्री, संभव है कि मैं तेरे लिए एक अच्छा घर पा सकूँ। यह तेरे लिये अच्छा होगा। 2 बोअज उपयुक्त व्यक्ति हो सकता है। बोअज़ हमारा निकट का सम्बन्धि है। तुमने उसकी दासियों के साथ काम किया है। आज रात वह खलिहान में काम कर रहा होगा। 3 जाओ, नहाओ और अच्छे वस्त्र पहनो। सुगन्ध द्रव्य लगाओ और खलिहान में जाओ। किन्तु बोअज़ के सामने तब तक न पड़ो जब तक वह रात्रि का भोजन न कर ले। 4 भोजन करने के बाद, वह आराम करने के लिये लेटेगा। देखती रहो जिस से तुम यह जान सको कि वह कहाँ लेटा है। वहाँ जाओ और उसके पैर के वस्त्र उघाड़ो। तब बोअज़ के साथ सोओ। वह बताएगा कि तुम्हें विवाह के लिये क्या करना होगा।”
5 तब रूत ने उत्तर दिया, “आप जो करने को कहती हैं, मैं करूँगी।”
6 इसलिये रूत खलिहान में गई। रूत ने वह सब किया जो उसकी सास ने उससे करने को कहा था। 7 खाने और पीने के बाद बोअज बहुत सन्तुष्ट था। बोअज अन्न के ढेर के पास लेटने गया। तब रुत बहुत धीरे से उसके पास गई और उसने उसके पैरों का वस्त्र उघाड़ दिया। रूत उसके पैरों के बगल में लेट गई।
8 करीब आधी रात को, बोअज़ ने नींद में अपनी करवट बदली और वह जाग पड़ा। वह बहुत चकित हुआ। उसके पैरों के समीप एक स्त्री लेटी थी। 9 बोअज़ ने पूछा, “तुम कौन हो?”
उसने कहा, “मैं तुम्हारी दासी रूत हूँ। अपनी चादर मेरे ऊपर ओढ़ा दो। तुम मेरे रक्षक हो।”
10 तब बोअज़ ने कहा, “युवती, यहोवा तुम्हें आशीर्वाद दे। तुमने मुझ पर विशेष कृपा की है। तुम्हारी यह कृपा मेरे प्रति उससे भी अधिक है जो तुमने आरम्भ में नाओमी के प्रति दिखाई थी। तुम विवाह के लिये किसी भी धनी या गरीब युवक की खोज कर सकती थीं। किन्तु तुमने वैसा नहीं किया। 11 युवती, अब डरो नहीं। मैं वही करूँगा जो तुम चाहती हो। मेरे नगर के सभी लोग जानते हैं कि तुम एक अच्छी स्त्री हो। 12 और यह सत्य है, कि मैं तुम्हारे परिवार का निकट सम्बन्धी हूँ। किन्तु एक अन्य व्यक्ति है जो तुम्हारे परिवार का मुझसे भी अधिक निकट का सम्बन्धी है। 13 आज की रात यहीं ठहरो। प्रातः काल हम पता लगायेंगे कि क्या वह तुम्हारी सहायता करेगा। यदि वह तुम्हें सहायता देने का निर्णय लेता है तो बहुत अच्छा होगा। यदि वह तुम्हारी सहायता करने से इन्कार करता है तो यहोवा के अस्तित्व को साक्षी करके, मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं तुमसे विवाह करूँगा और एलीमेलेक की भूमि को तुम्हारे लिये खरीद कर लौटाऊँगा। इसलिए सुबह तक यहीं लेटी रहो!”
14 इसलिये रूत बोअज के पैर के पास सवेरे तक लेटी रही। वह अंधेरा रहते ही उठी, इससे पहले की इतना प्रकाश हो कि लोग एक दूसरे को पहचान सकें।
बोअज़ ने उससे कहा, “हम इसे गुप्त रखेंगे कि तुम पिछली रात मेरे पास आईं थीं।” 15 तब बोअज ने कहा, “अपनी ओढ़नी मेरे पास लाओ। अब, इसे खुला रखो।”
इसलिए रूत ने अपनी ओढ़नी को खुला रखा, और बोअज़ ने लगभग एक बुशल जौ उसकी सास नाओमी को उपहार में दिया। तब बोअज़ ने उसे रूत की ओढ़नी में बाँध दिया और उसे उसकी पीठ पर रख दिया। तब वह नगर को गया।
16 रूत अपनी सास, नाओमी के घर गई। नाओमी द्वार पर आई और उसने पूछा, “बाहर कौन हे?”
रूत घर के भीतर गई और उसने नाओमी को हर बात जो बोअज़ ने की थी, बतायी। 17 उसने कहा, “बोअज़ ने यह जौ उपहार के रुप में तुम्हें दिया है। बोअज़ ने कहा, कि आपके लिए उपहार लिये बिना, मुझे घर नहीं जाना चाहिये।”
18 नाओमी ने कहा, “पुत्री, तब तक धैर्य रखो जब तक हम यह सुनें कि क्या हुआ। बोअज़ तब तक विश्राम नहीं करेगा जब तक वह उसे नहीं कर लेता जो उसे करना चाहिए। हम लोगों को दिन बीतने के पहले मालूम हो जायेगा कि क्या होगा।”
बोअज़ तथा अन्य सम्बन्धी
4बोअज़ उस स्थान पर गया जहाँ नगर द्वार पर लोग इकट्ठे होते हैं। बोअज़ तब तक वहाँ बैठा जब तक वह निकट सम्बन्धी वहाँ से नहीं गुज़रा जिसका ज़िक्र बोअज़ ने रूत से किया था। बोअज़ ने उसे बुलाया, “मित्र, आओ! यहाँ बैठो!”
2 तब बोअज़ ने वहाँ गवाहों को इकट्ठा किया। बोअज़ ने नगर के दस अग्रजो (बुजुर्गों) को एकत्र किया। उसने कहा, “यहाँ बैठो!” इसलिये वे वहाँ बैठ गए।
3 तब बोअज़ ने उस निकट सम्बन्धी से बातें कीं। उसने कहा, “नाओमी मोआब के पहाड़ी प्रदेश से लौट आई है। वह उस भूमि को बेच रही है जो हमारे सम्बन्धी एलीमेलेक की है। 4 मैंने तय किया है कि मैं इस विषय में यहाँ रहने वाले लोगों और अपने लोगों के अग्रजों के सामने तुमसे कहूँ। यदि तुम भूमि को खरीदकर वापस लेना चाहते हो तो खरीद लो! यदि तुम भूमि को ऋणमुक्त करना नहीं चाहते तो मुझे बताओ। मैं जानता हूँ कि तुम्हारे बाद वह व्यक्ति मैं ही हूँ जो भूमि को ऋणमुक्त कर सकता है। यदि तुम भूमि को वापस नहीं खरीदते हो, तो मैं खरीदूँगा।”
5 तब बोअज़ ने कहा, “यदि तुम भूमि नाओमी से खरीदोगे तो तुम्हें मृतक की पत्नी मोआबी स्त्री रूत भी मिलेगी। जब रूत को बच्चा होगा तो वह भूमि उस बच्चे की होगी। इस प्रकार भूमि मृतक के परिवार में ही रहेगी।”
6 निकट सम्बन्धी ने उत्तर दिया, “मैं भूमि को वापस खरीद नहीं सकता। यद्पि यह भूमि मेरी होनी चाहिए थी किन्तु मैं इसे खरीद नहीं सकता। यदि मैं ऐसा करता हूँ, तो मुझे अपनी सम्पत्ति से हाथ धोना पड़ सकता है। इसलिए तुम उस भूमि को खरीद सकते हो।” 7 (इस्राएल में बहुत समय पहले जब कोई व्यक्ति किसी सम्पत्ति को खरीदता या ऋणमुक्त करता था, तो एक व्यक्ति अपने जूते को उतारता था और दूसरे व्यक्ति को दे देता था। यह उनके खरीदने का प्रमाण था।) 8 सो उस निकट सम्बन्धी ने कहा, “भूमि खरीद लो।” तब उस निकट सम्बन्धि ने अपने एक जूते को उतारा और इसे बोअज को दे दिया।
9 तब बोअज़ ने अग्रजों और सभी लोगों से कहा, “आज आप लोग मेरे गवाह हैं कि मैं नाओमी से वे सभी चीज़ें खरीद रहा हूँ जो एलीमेलेक, किल्योन और महलोन की हैं। 10 मैं रूत को भी अपनी पत्नी बनाने के लिये खरीद रहा हूँ। मैं यह इसलिए कर रहा हूँ कि मृतक की सम्पत्ति उसके परिवार के पास ही रहेगी। इस प्रकार मृतक का नाम उसके परिवार और उसकी भूमि से नहीं हटाया जायेगा। आप लोग आज इसके गवाह हैं।”
11 इस प्रकार सभी लोग और अग्रज जो नगर द्वार के समीप थे, गवाह हुए। उन्होंने कहा: यह स्त्री जो तुम्हारे घर जाएगी, यहोवा उसे राहेल और लिआ जैसी करे जिसने इस्राएल वंश को बनाया। हम प्रार्थना करते हैं तुम एप्राता में शक्तिशाली होओ! तुम बेतलेहेम में प्रसिद्ध होओ! 12 जैसे तामार ने यहूदा के पुत्र पेरेस को जन्म दिया और उसका परिवार महान बना। उसी तरह यहोवा तुम्हें भी रूत से कई पुत्र दे और तुम्हारा परिवार भी उसकी तरह महान हो।
13 इस प्रकार बोअज ने रूत से विवाह किया। यहोवा ने रूत को गर्भवती होने दिया और रूत ने एक पुत्र को जन्म दिया। 14 नगर की स्त्रियों ने नाओमी से कहा, “उस यहोवा का आभार मानो जिसने तुम्हें ऐसा पुत्र दिया। यहोवा करे वह, इस्राएल में प्रसिद्ध हो। 15 वह तुम्हें फिर देगा एक जीवन! और बुढ़ापे में तुम्हारा वह रखेगा ध्यान। तुम्हारी बहू के कारण घटना घटी है यह गर्भ में धारण किया उसने यह बच्चा तुम्हारे लिए। प्यार वह करती है तुमसे और वह उत्तम है तम्हारे लिए सात बेटों से अधिक।”
16 नाओमी ने लड़के को लिया, उसे अपनी बाहों में उठा लिया, तथा उसका पालन—पोषण किया। 17 पड़ोसियों ने बच्चे का नाम रखा। उन स्त्रियों ने कहा, “अब नाओमी के पास एक पुत्र है!” पड़ोसियों ने उसका नाम ओबेद रखा। ओबेद यिशै का पिता था और यिशै, राजा दाऊद का पिता था।
रूत और बोअज़ का परिवार
18 पेरेस के परिवार की वंशावली यह है:
हिस्रोन का पिता पेरेस था।
19 एराम का पिता हिस्रोन था।
अम्मीनादाव का पिता एराम था।
20 नहशोन का पिता अम्मीनादाब था।
सल्मोन का पिता नहशोन था।
21 बोअज़ का पिता सल्मोन था।
ओबेद का पिता बोअज था।
22 यिशै का पिता ओबेद था।
दाऊद का पिता यिशै था।
समीक्षा
सारी परिस्थितियों में परमेश्वर का सम्मान करें
परमेश्वर उनका सम्मान करते हैं जो उनका सम्मान करते हैं और सही करते हैं -यहाँ तक कि जब इसे करना कठिन होता है और यहाँ तक कि जीवन की परिक्षाओं और कठिनाईयों में भी। हम देखते हैं कि कैसे दोनों मुख्य पात्र परमेश्वर का सम्मान करते हैः नाओमी (1:8-9), रुथ (व.17 और ), और बोआज (2:4,12; 3:10,13;4:11)। अनुकरण करने के लिए वे हमारे लिए महान आदर्श हैं।
रुथ की पुस्तक की शुरुवात होती है परमेश्वर की दयालुता के प्रति नाओमी की उदासी से (1:20-21)। तब वह अनुभव करती है कि उसके आस-पास के बहुत से लोग उसके प्रति बड़ी मानवीय दयालुता दिखाते हैं। वह अपनी दो बहुओं में इसका अनुभव करती हैं, रुथ और ओपरा (व.8), और रुथ के प्रति बोअज का कथन। अंत में, वह घोषणा करती है, 'उसने जीवतों और मरे हुओं, दोनों पर अपनी दयालुता दिखाना बंद नहीं किया है' (2:20)।
हर बात में रुथ अपनी सास का कहना मानती है। नाओमी की पूरी चिंता रुथ का कुशलक्षेम है। बोअज आत्मसंयमी, उदार और सम्माननीय व्यक्ति है। बोअज का जीवन स्पष्ट रूप से परमेश्वर पर केंद्रित है। जब वह उठकर रूथ को देखता है, तब उसकी तुरंत प्रतिक्रिया होती है, 'परमेश्वर तुम्हें आशीष दे' और 'जैसा कि परमेश्वर जीवित हैं' (3:10,13)।
कल, हमने देखा कि कैसे रुथ ने परमेश्वर का सम्मान किया और अपनी सास के प्रति वफादार रहने के द्वारा सही वस्तु की। आज, हम देखते हैं कि कैसे बोअज स्पष्ट रूप से रुथ से विवाह करना चाहते थे और सोचते थे कि ऐसा करना सही है, फिर भी वह बस यूंही आगे नहीं बढ़ गए, जैसा कि वह कर सकते थे। वह पूरी तरह से सज्जन थे कि वह इस मामले तक गए –शिष्टाचार और संस्कृति की परंपराओं को बनाए रखते हुए।
बोअज ने जल्दबाजी करके विवाह नहीं किया। वह सही प्रक्रिया से गुजरे। मानवीय रूप से वह एक बड़ा खतरा ले रहे थे और शायद से रुथ को उन्होंने खो दिया होता। लेकिन उसने भरोसा किया कि परमेश्वर नियंत्रण में थे।
परमेश्वर ने इसका एक अद्भुत रीति में और महान तरीके से सम्मान किया। बोअज और रुथ ने विवाह किया और राजा दाऊद के दादा को जन्म दिया (4:17)। सच में, रुथ, दासी प्रभु यीशु मसीह की एक पूर्वज बन गई (मत्ती 1:5-6)। एक तरीके से, यीशु हमारा कुटुंबी-छुड़ाने वाला है (रूथ 4:14)। वह हमें अपने भाई और बहन कहते हैं, हमारे संघर्ष को समझते हैं और हमें छुड़ाने के लिए कार्य करते हैं (इब्रानियों 2:11-12, 17-18)।
रुथ की पूरी पुस्तक में हम परमेश्वर की दयालुता को देखते हैं। रुथ, नाओमी और बोअज की मानवीय दयालुता के पीछे परमेश्वर की दयालुता है।
प्रार्थना
पिप्पा भी कहते है
यूहन्ना 10:10
'मैं आया हूँ ताकि वे जीवन पाएं, और इसे इसकी परिपूर्णता में पाएं।'
बाईबल में महान सामर्थ है। किसी ने मुझे यह वचन दिखाया तभी मैं एक मसीह बना।
दिन का वचन
यूहन्ना – 10:10
"चोर किसी और काम के लिये नहीं परन्तु केवल चोरी करने और घात करने और नष्ट करने को आता है। मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएं, और बहुतायत से पाएं।"

App
Download the Bible in One Year app for iOS or Android devices and read along each day.
संदर्भ
जे.आई. पैकर, परमेश्वर को जानना (हॉडर एण्ड स्टॉटन, 1973) पी.31
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।