दिन 88

बुद्धिमान कैसे बनें

बुद्धि नीतिवचन 8:12-21
नए करार लूका 7:36-50
जूना करार गिनती 26:12-27:11

परिचय

ओपरा विनप्रे कहते हैं, 'अपनी स्वाभाविक प्रवृति के पीछे जाओ। सच्ची बुद्धि इसी में है।' दूसरे शब्दों में, बुद्धि अंदर से आती है और यह एक प्रकार का अंत:प्रेरणा है। हम सभी परमेश्वर के स्वरूप में बनाए गए हैं, इसमें कुछ सच्चाई है। किंतु, जैसा कि हम आज के लेखांश में देखते हैं, सच्ची बुद्धि परमेश्वर की ओर से आती है और यह परमेश्वर के साथ आपके संबंध के द्वारा प्राप्त होती है। ज्ञान तिरछी दिशा में है। लेकिन बुद्धि सीधी दिशा में है। यह ऊपर से नीचे आती है। आप बुद्धि में बढ़ेंगे, जैसे ही आप परमेश्वर के साथ संबंध में सीखते है, दर्शाते हैं और जीते हैं।

हम सभी को बुद्धि की आवश्यकता है। पुराने नियम में 'बुद्धि' की कई किताबें हैं: नीतिवचन, अय्यूब, सभोपदेशक और श्रेष्ठगीत। इसके अतिरिक्त, पूरी बाईबल में विभिन्न लेखांश हैं, जिसे 'बुद्धि साहित्य' भी कहा जा सकता है, जो विभिन्न क्षेत्रों के बारे में बताते हैं जैसे कि अन्यभाषाओं की सामर्थ, वफादारी की आशीषें, व्यभिचार का खतरा, शराब पीने की हानि, जीवन की असमानताएँ, सत्यनिष्ठ का कष्ट उठाना, लीडरशिप का गुण और माता-पिता बनने की कला।

यह बुद्धि एक प्रकार का पवित्र सामान्य ज्ञान है। यह महानतम स्वयं-समझ प्रदान करती है। यह जीवन में बने रहने की क्षमता आपको प्रदान करती है और इसकी चुनौतियों से गुजरने और इस पर स्वामित्व पाने की क्षमता प्रदान करती है। यह एक प्रकार की विरासत है जिसे अच्छे माता-पिता अपने बच्चों को सौंपना चाहते हैं। बुद्धि यीशु मसीह में पाई जाती है, जो 'परमेश्वर की बुद्धि' है (1कुरिंथियो 1:24)।

बुद्धि

नीतिवचन 8:12-21

12 “मैं सुबुद्धि,
 विवेक के संग रहती हूँ,
 मैं ज्ञान रखती हूँ, और भले—बुरे का भेद जानती हूँ।
13 यहोवा का डरना, पाप से घृणा करना है।
 गर्व और अहंकार, कुटिल व्यवहार
 और पतनोन्मुख बातों से मैं घृणा करती हूँ।
14 मेरे परामर्श और न्याय उचित होते हैं।
 मेरे पास समझ—बूझ और सामर्थ्य है।
15 मेरे ही साहारे राजा राज्य करते हैं,
 और शासक नियम रचते हैं, जो न्याय पूर्ण है।
16 मेरी ही सहायता से धरती के सब महानुभाव शासक राज चलाते हैं।
17 जो मुझसे प्रेम करते हैं, मैं भी उन्हें प्रेम करती हूँ,
 मुझे जो खोजते हैं, मुझको पा लेते हैं।
18 सम्पत्तियाँ और आदर मेरे साथ हैं।
 मैं खरी सम्पत्ति और यश देती हूँ।
19 मेरा फल स्वर्ण से उत्तम है।
 मैं जो उपजाती हूँ, वह शुद्ध चाँदी से अधिक है।
20 मैं न्याय के मार्ग के सहारे
 नेकी की राह पर चलती रहती हूँ।
21 मुझसे जो प्रेम करते उन्हें मैं धन देती हूँ,
 और उनके भण्डार भर देती हूँ।

समीक्षा

परमेश्वर से बुद्धि पाने का प्रयास करें

बुद्धि महान रूप से मूल्यवान हैः 'मेरे लाभ एक बड़ी तंख्वाह से कही अधिक है, एक बहुत बड़ी तंख्वाह से अधिक; मेरा प्रतिफल किसी भी बोनस से कही अधिक है (वव.18-19, एम.एस.जी.)। यह बुद्धि, विश्व में सभी भौतिक संपत्ति से बढ़कर है। भौतिक वस्तु की तरह नहीं, यह स्थायी है (व.18)।

इस लेखांश में, हम देखते हैं कि क्यों बुद्धि बहुत मूल्यवान है और कैसे हमें ऐसी बुद्धि के लिए परमेश्वर को खोजना हैः

1. बुद्धि परमेश्वर से आती है

परमेश्वर के साथ एक संबंध से बुद्धि की शुरुवात होती है। इसकी शुरुवात 'परमेश्वर के भय' से होती है (व.13)। 'भय' का अर्थ है 'सम्मान' और परमेश्वर की गहरी समझ, जो कि सारी बुद्धि की नींव है।

2. बुद्धि शुद्ध और सुंदर है

नीतिवचन के लेखक कहते हैं, 'परमेश्वर का भय मानना है बुराई से नफरत करना; मुझे घमंड और अक्खड़पन, बुरे बर्ताव और उल्टे जवाब से नफरत है...न्याय के रास्तों के साथ-साथ मैं सत्यनिष्ठा के रास्ते में चलता हूँ (वव.13,20)। यह सच्ची बुद्धि की परीक्षा है जो परमेश्वर की ओर से आती है। जैसा कि प्रेरित याकूब लिखते हैं, 'जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया और अच्छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है' (याकूब 3:17)।

3. बुद्धि सही तरीके से नेतृत्व करने में आपकी सहायता करती है

बुद्धि लीडर्स के लिए आवश्यक है। यदि आप एक अच्छा लीडर बनना चाहते हैं तो आपको बुद्धि और सामान्य ज्ञान की आवश्यकता हैः 'मेरे ही द्वारा राजा राज्य करते हैं, और अधिकारी खराई से विचार करते हैं, मेरे ही द्वारा राजा हाकिम और रईस, और पृथ्वी के सब न्यायी शासन करते हैं (नीतिवचन 8:15-16 एम.एस.जी.)।

4. बुद्धि आपके लिए उपलब्ध है

परमेश्वर उन सभी के लिए बुद्धि को उपलब्ध करते हैं जो इसे खोजते हैं:'मैं उनसे प्रेम करता हूँ जो मुझसे प्रेम करते हैं, और जो मुझे खोजते हैं, वह मुझे पाते हैं' (व.17)। जैसा कि प्रेरित याकूब इसे बताते हैं, 'पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो तो परमेश्वर से मॉंगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देते हैं, और उसको दी जाएगी।' (याकूब 1:5)। यह एक प्रार्थना है, आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि इसका उत्तर आएगा।

प्रार्थना

परमेश्वर , मुझे आज आपकी बुद्धि की आवश्यकता है। कृपया मुझे वह बुद्धि दीजिए जो पवित्र, मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया और अच्छे फलों से लदी हुई और पक्षपात और कपट रहित हो।
नए करार

लूका 7:36-50

शमौन फ़रीसी

36 एक फ़रीसी ने अपने साथ खाने पर उसे निमंत्रित किया। सो वह फ़रीसी के घर गया और उसके यहाँ भोजन करने बैठा।

37 वहीं नगर में उन दिनों एक पापी स्त्री थी, उसे जब यह पता लगा कि वह एक फ़रीसी के घर भोजन कर रहा है तो वह संगमरमर के एक पात्र में इत्र लेकर आयी। 38 वह उसके पीछे उसके चरणों में खड़ी थी। वह रो रही थी। अपने आँसुओं से वह उसके पैर भिगोने लगी। फिर उसने पैरों को अपने बालों से पोंछा और चरणों को चूम कर उन पर इत्र उँड़ेल दिया।

39 उस फ़रीसी ने जिसने यीशु को अपने घर बुलाया था, यह देखकर मन ही मन सोचा, “यदि यह मनुष्य नबी होता तो जान जाता कि उसे छूने वाली यह स्त्री कौन है और कैसी है? वह जान जाता कि यह तो पापिन है।”

40 उत्तर में यीशु ने उससे कहा, “शमौन, मुझे तुझ से कुछ कहना है।”

  वह बोला, “गुरु, कह।”

41 यीशु ने कहा, “किसी साहूकार के दो कर्ज़दार थे। एक पर उसके पाँच सौ चाँदी के सिक्के निकलते थे और दूसरे पर पचास। 42 क्योंकि वे कर्ज़ नहीं लौटा पाये थे इसलिये उसने दया पूर्वक दोनों के कर्ज़ माफ़ कर दिये। अब बता दोनों में से उसे अधिक प्रेम कौन करेगा?”

43 शमौन ने उत्तर दिया, “मेरा विचार है, वही जिसका उसने अधिक कर्ज़ छोड़ दिया।”

यीशु ने कहा, “तूने उचित न्याय किया।” 44 फिर उस स्त्री की तरफ़ मुड़ कर वह शमौन से बोला, “तू इस स्त्री को देख रहा है? मैं तेरे घर में आया, तूने मेरे पैर धोने को मुझे जल नहीं दिया किन्तु इसने मेरे पैर आँसुओं से तर कर दिये। और फिर उन्हें अपने बालों से पोंछा। 45 तूने स्वागत में मुझे नहीं चूमा किन्तु यह जब से मैं भीतर आया हूँ, मेरे पैरों को निरन्तर चूमती रही है। 46 तूने मेरे सिर पर तेल का अभिषेक नहीं किया, किन्तु इसने मेरे पैरों पर इत्र छिड़का। 47 इसीलिये मैं तुझे बताता हूँ कि इसका अगाध प्रेम दर्शाता है कि इसके बहुत से पाप क्षमा कर दिये गये हैं। किन्तु वह जिसे थोड़े पापों की क्षमा मिली, वह थोड़ा प्रेम करता है।”

48 तब यीशु ने उस स्त्री से कहा, “तेरे पाप क्षमा कर दिये गये हैं।”

49 फिर जो उसके साथ भोजन कर रहे थे, वे मन ही मन सोचने लगे, “यह कौन है जो पापों को भी क्षमा कर देता है?”

50 तब यीशु ने उस स्त्री से कहा, “तेरे विश्वास ने तेरी रक्षा की है। शान्ति के साथ जा।”

समीक्षा

बुद्धिमान आँखों से लोगों को देखें

क्या आपने कभी किसी व्यक्ति के केवल बाहरी रूप को देखकर, उसके बारे में गलत अंदाजा लगाया है?

आज के लेखांश में हम ऐसी एक महिला को देखते हैं जिसका एक भूतकाल था, जो शहर की वेश्या के रूप में घंटे भर के लिए अपने प्रेम को बेचती थी, वह अपने बालों से यीशु के पैरों को पोछ रही थी, उनके पैरों को चूमते हुए और उन पर इत्र मलते हुए। फरिसीयों की प्रतिक्रिया स्वाभाविक थीः 'यदि वह भविष्यवक्ता होता तो जान जाता कि यह जो उसे छू रही है, वह कौन और कैसी स्त्री है, क्योंकि वह तो पापिन है' (7:39)।

लेकिन यीशु, 'बुद्धि से भरकर' (2:40), सतह के ऊपर देख सकते थे। उन्होंने इस तथ्य को देखा कि महिला उनके प्रति अपने महान प्रेम को व्यक्त कर रही है क्योंकि वह जानती थी कि उसके कितने अधिक पाप क्षमा किए गए है। शायद से उसका भूतकाल नकारात्मक था लेकिन उसका भविष्य सकारात्मक और आशीषित था।

हम दोनों ही चीजों में यीशु की बुद्धि को देखते हैं, लोगों के उनके अंतर्ज्ञान में और जिस तरीके से वह लोगों को चुनते हैं। वह एक बैंक मैंनेजर की एक कहानी बताते हैं। उसके दो ग्राहक थे। एक 5000 रूपये का कर्जदार था, दूसरा 50,000 रूपये का कर्जदार था। वह दोनों का कर्ज माफ कर देता है। कोई मानवीय बैंक मैंनेजर इस तरह से काम नहीं करेगा। लेकिन यीशु का प्रेम ऐसा ही है। आपके सभी पाप हटा दिए गए हैं। आपने पूर्ण क्षमा को ग्रहण किया है। कर्ज जितना अधिक होगा, उतना ही अधिक आप आभारी होंगे और यीशु के लिए आपका प्रेम उतना ही महान होगा।

इस दृष्टांत ने फरीसी शिमौन को अनजाने में उसके मामले का उत्तर देने में सहायता की (7:43)। यीशु बुद्धिमानी से और सज्जनतापूर्वक बताते हैं कि शिमौन ने उनका स्वागत बहुत अच्छी तरह से नहीं किया था, नाही बहुत अधिक प्रेम दिखाया था। शिमौन की परेशानी यह थी कि वह नहीं समझ पाया कि उसे क्षमा की कितनी ज्यादा जरुरत है।

दूसरी ओर, महिला ने यीशु से बहुत ज्यादा प्रेम किया क्योंकि वह जानती थी कि उसके बहुत पाप क्षमा हुए हैं (व.47)। वह अस्वीकार के खतरे को उठाने के लिए तैयार थी और अपने आपको प्रायोगिक रूप से, भावनात्मक रूप से और आर्थिक रूप से देना चाहती थी।

वह इतना अधिक रोई कि उसने अपने आँसुओं से यीशु के पैर भिगो दिए (व.38)। उसके पैरों को पोछने के लिए, वह लोगों के सामने अपने बालों को नीचे झुकाती है (इस बात को शर्मनाक माना जाता था)। वह अपनी भावनाओं में बह चुकी थी और इस बात से अनजान थी कि दूसरे क्या सोचते हैं। गहरे सम्मान के कारण उसने उनके पैरों को चूमना न छोड़ा।

तब उसने दुर्लभ और महँगे इत्र को (जो सामान्य रूप से सिर के लिए रखा जाता है) यीशु के पैरों पर ऊँडेला। उसने अपने पूरे दिल से यीशु से प्रेम किया। आपके भूतकाल के बजाय, यीशु आपके हृदय को देखते हैं। उन्होंने उससे कहा, 'तुम्हारें विश्वास ने तुम्हे बचाया है; शांती से चली जाओ' (व.50)। आपका प्रेम आपके विश्वास का एक परिणाम है। जैसा कि पौलुस प्रेरित ने लिखा, 'केवल विश्वास का महत्व है जो प्रेम के द्वारा काम करता है' (गलातियो 5:6)।

शायद से जीवन में आपकी शुरुवात अच्छी नहीं रही हो लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि आप एक महान समापन नहीं कर सकते हैं। आपका पिछला जीवन चाहे जैसा हो, यीशु के साथ आप पूरी तरह से एक नई शुरुवात कर सकते हैं। आपको आत्मग्लानि के बोझ को लेकर भटकने की आवश्यकता नहीं है – पिछले संबंधो के कारण या आपके भूतकाल में बीती घटनाओं के कारण। जिस क्षण आप पश्चाताप करते हैं और यीशु में अपने विश्वास को रखते हैं, उसी क्षण आपके सभी पाप हटा दिए जाते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि जो आपके दिमाग में आता है वह आपके हृदय तक जाए।

यीशु चाहते हैं कि आप पहचाने कि आप एक पापी हैं। आप अपने कर्ज को चुका नहीं सकते हैं। लेकिन यीशु आपको क्षमा करते हैं। आपको आत्मिग्लानि के बोझ से दबकर भटकने की जरुरत नहीं है। आज पवित्र आत्मा से माँगिये कि वह आपको परमेश्वर के लिए और दूसरों के लिए प्रेम से भर दें।

प्रार्थना

परमेश्वर, मुझे बुद्धि दीजिए कि यीशु की तरह ही मैं बाहरी रूप को देखकर कोई अनुमान न लगाऊँ बल्कि हृदय से देख सकूं। आज मुझे पवित्र आत्मा से भर दीजिए। होने दीजिए कि मैं आपके लिए और दूसरों के लिए आपके प्रेम से उमड़ने लगूं।
जूना करार

गिनती 26:12-27:11

12 शिमोन के परिवार समूह के ये परिवार थेः

 नमूएल—नमूएल परिवार।

 यामीन—यामीन परिवार।

 याकीन—याकीन परिवार।

13 जेरह—जेराही परिवार।

 शाऊल—शाऊल परिवार।

14 शिमोन के परिवार समूह में वे परिवार थे। इसमें कुल बाइस हजार पुरुष थे।

15 गाद के परिवार समूह के ये परिवार हैं:

 सपोन—सपोन परिवार।

 हाग्गी—हाग्गी परिवार।

 शूनी—शूनी परिवार।

16 ओजनी—ओजनी परिवार।

 ऐरी—ऐरी परिवार।

17 अरोद—अरोद परिवार।

 अरेली—अरेली परिवार।

18 गाद के परिवार समहू के वे परिवार थे। इनमें कुल चालीस हजार पाँच सौ पुरुष थे।

19-20 यहूदा के परिवार समूह के ये परिवार हैं:

 शेला—शेला परिवार।

 पेरेस—पेरेस परिवार।

 जेरह—जेरह परिवार।

 (यहूदा के दो पुत्र एर, ओनान—कनान में मर गए थे।)

21 पेरेस के ये परिवार हैं:

 हेस्रोन—हेस्रोनी परिवार।

 हामूल—हामूल परिवार।

22 यहूदा के परिवार समूह के वे परिवार थे। इनके कुल पुरुषों की संख्या छिहत्तर हजार पाँच सौ थी।

23 इस्साकार के परिवार समूह के परिवार ये थेः

 तोला—तोला परिवार।

 पुव्वा—पुव्वा परिवार।

24 याशूब—याशूब परिवार।

 शिम्रोन—शिम्रोन परिवार।

25 इस्साकार के परिवार समूह के वे परिवार थे। इनमें कुल पुरुषों की संख्या चौसठ हजार तीन सौ थी।

26 जबूलून के परिवार समूह के परिवार ये थेः

 सेरेद—सेरेद परिवार।

 एलोन—एलोन परिवार।

 यहलेल—यहलेल परिवार।

27 जबूलून के परिवार समूह के वे परिवार थे। इनमें कुल पुरुषों की संख्या साठ हजार पाँच सौ थी।

28 यूसुफ के दो पुत्र मनश्शे और एप्रैम थे। हर एक पुत्र अपने परिवारों के साथ परिवार समूह बन गया था। 29 मनश्शे के परिवार में ये थेः

 माकीर—माकीर परिवार,

 (माकीर गिलाद का पिता था।)

 गिलाद—गिलाद परिवार।

30 गिलाद के परिवार ये थेः

 ईएजेर—ईएजेर परिवार।

 हेलेक—हेलेकी परिवार।

31 अस्रीएल—अस्रीएल परिवार।

 शेकेम—शेकेमी परिवार।

32 शमीदा—शमीदा परिवार।

 हेपेर—हेपेरी परिवार।

33 हेपेर का पुत्र सलोफाद था।

 किन्तु उसका कोई पुत्र न था।

 केवल पुत्री थी।

 उसकी पुत्रियों के नाम महला, नोआ, होग्ला, मिल्का, और तिर्सा थे।

34 मनश्शे परिवार समूह के ये परिवार हैं। इनमें कुल पुरुष बावन हजार सात सौ थे।

35 एप्रैम के परिवार समूह के ये परिवार थेः

 शूतेलह—शूतेलही परिवार।

 बेकेर—बेकेरी परिवार।

 तहन—तहनी परिवार।

36 एरान शूतेलह परिवार का था।

 उसका परिवार एरनी था।

37 एप्रैम के परिवार समूह में ये परिवार थे।

 कुल पुरुषों की संख्या इसमें बत्तीस हजार पाँच सौ थी। वे ऐसे सभी लोग हैं जो यूसुफ के परिवार समूहों के हैं।

38 बिन्यामीन के परिवार समूह के परिवार ये थेः

 बेला—बेला परिवार।

 अशबेल—अश्बेली परिवार।

 अहीरम—अहीरमी परिवार।

39 शपूपाम—शपूपाम परिवार।

 हूपाम—हूपामी परिवार।

40 बेला के परिवार में ये थेः

 अर्द—अर्दी परिवार।

 नामान—नामानी परिवार।

41 बिन्यामीन के परिवार समूह के ये सभी परिवार थे। इसमें पुरुषों की कुल संख्या पैंतालीस हजार छः सौ थी।

42 दान के परिवार समूह में ये परिवार थेः

 शूहाम—शूहाम परिवार समूह।

दान के परिवार समूह से वह परिवार समूह था। 43 शूहामी परिवार समूह में बहुत से परिवार थे। इनमें पुरुषों की कुल संख्या चौंसठ हजार चार सौ थी।

44 आशेर के परिवार समूह के ये परिवार हैं:

 यिम्ना—यिम्नी परिवार।

 यिश्री—यिश्री परिवार।

 बरीआ—बरीआ परिवार।

45 बरीआ के ये परिवार हैं

 हेबेर—हेबेरी परिवार।

 मल्कीएल—मल्कीएली परिवार।

46 (आशेर की एक पुत्री सेरह नाम की थी।) 47 आशेर के परिवार समूह में वे परिवार थे। इसमें पुरूषों की संख्या तिरपन हजार चार सौ थी।

48 नप्ताली के परिवार समूह के ये परिवार थेः

 यहसेल— यहसेली परिवार।

 गूनी—गूनी परिवार।

49 येसेर—येसेरी परिवार।

 शिल्लेम—शिल्लेमी परिवार।

50 नप्ताली के परिवार समूह के ये परिवार थे। इसमें पुरुषों की कुल संख्या पैंतालीस हजार चार सौ थी।

51 इस प्रकार इस्राएल के पुरुषों की कुल संख्या छः लाख एक हजार सात सौ तीस थी।

52 यहोवा ने मूसा से कहा, 53 “हर एक परिवार समूह को भूमि दी जाएगी। यह वही प्रदेश है जिसके लिए मैंने वचन दिया था। हर एक परिवार समूह उन लोगों के लिये पर्याप्त भूमि प्राप्त करेंगे जिन्हें गिना गया। 54 बड़ा परिवार समूह अधिक भूमि पाएगा और छोटा परिवार समूह कम भूमि पाएगा। किन्तु हर एक परिवार समूह को भूमि मिलेगी जिसके लिए मैंने वचन दिया है और जो भूमि वे पाएंगे वह उनकी गिनी गई संख्या के बराबर होगी। 55 हर एक परिवार समूह को पासों के आधार पर निश्चय करके धरती दी जाएगी और उस प्रदेश का वही नाम होगा जो उस परिवार समूह का होगा। 56 वह प्रदेश जिसे मैंने लोगों को देने का वचन दिया, उनके उत्तराधिकार में होगा। यह बड़े और छोटे परिवार समूहों को दिया जाएगा। निर्णय करने के लिए तुम्हें पासे फेंकने होंगे।”

57 लेवी का परिवार समूह भी गिना गया। लेवी के परिवार समूह के ये परिवार हैं

 गेर्शोन—गेर्शोन परिवार।

 कहात—कहात परिवार।

 मरारी—मरारी परिवार।

58 लेवी के परिवार समूह से ये परिवार भी थेः

 लिब्नि परिवार।

 हेब्रोनी परिवार।

 महली परिवार।

 मूशी परिवार।

 कहात परिवार।

 अम्राम कहात के परिवार समूह का था। 59 अम्राम की पत्नी का नाम योकेबेद था। वह भी लेवी के परिवार समूह की थी। उसका जन्म मिस्र में हुआ था। अम्राम और योकेबेद के दो पुत्र हारून और मूसा थे। उनकी एक पुत्री मरियम भी थी।

60 हारून, नादाब, अबीहू, एलीआज़ार तथा ईतामार का पिता था। 61 किन्तु नादाब और अबीहू मर गए। वे मर गए क्योंकि उन्होंने यहोवा को उस आग से भेंट चढ़ाई जो उनके लिए स्वीकृत नहीं थी।

62 लेवी परिवार समूह के सभी पुरुषों की संख्या तेईस हजार थी। किन्तु ये लोग इस्राएल के अन्य लोगों के साथ नहीं गिने गए थे। वे भूमि नहीं पा सके जिसे अन्य लोगों को देने का वचन यहोवा ने दिया था।

63 मूसा और याजक एलीआजार ने इन सभी लोगों को गिना। उन्होंने इस्राएल के लोगों को मोआब के मैदान में गिना। यह यरीहो से यरदन नदी के पार था। 64 बहुत समय पहले मूसा और याजक हारून ने इस्राएल के लोगों को सीनै मरुभूमि में गिना था। किन्तु वे सभी लोग मर चुके थे। मोआब के मैदान में मूसा ने जिन लोगों को गिना, वे पहले गिने गए लोगों से भिन्न थे। 65 यह इसलिए हुआ कि यहोवा ने इस्राएल के लोगों से यह कहा था कि वे सभी मरुभूमि मे मरेंगे। जो केवल दो जीवित बचे थे यपुन्ने का पुत्र कालेब और नून का पुत्र यहोशू थे।

सलोफाद की पुत्रियाँ

27सलोफाद हेपर का पुत्र था। हेपेर गिलाद का पुत्र था। गिलाद माकीर का पुत्र था। माकीर मनश्शे का पुत्र था और मनश्शे यूसुफ का पुत्र था। सलोफाद की पाँच पुत्रियाँ थीं। उनके नाम महला, नोवा, होग्ला, मिल्का और तिर्सा था। 2 ये पाँचों स्त्रियाँ मिलापवाले तम्बू में गईं और मूसा, याजक एलीआजार, नेतागण और सब इस्राएलियों के सामने खड़ी हो गईं।

पाँचों पुत्रियों ने कहा, 3 “हमारे पिता उस समय मर गये जब हम लोग मरुभूमि से यात्रा कर रहे थे। वह उन लोगों में से नहीं था जो कोरह के दल में सम्मिलित हुए थे। (कोरह वही था जो यहोवा के विरुद्ध हो गया था।) हम लोगों के पिता की मृत्यु स्वाभाविक थी। किन्तु हमारे पिता का कोई पुत्र नहीं था। 4 इसका तात्पर्य यह हुआ कि हमारे पिता का नाम नहीं चलेगा। यह ठीक नहीं है कि हमारे पिता का नाम मिट जाए। इसलिए हम लोग यह माँग करते हैं कि हमें भी कुछ भूमि दी जाए जिसे हमारे पिता के भाई पाएंगे।”

5 इसलिए मूसा ने यहोवा से पूछा कि वह क्या करे। 6 यहोवा ने उससे कहा, 7 “सलोफाद की पुत्रियाँ ठीक कहती हैं। तुम्हें उनके चाचाओं के साथ—साथ उन्हें भी भूमि का भाग अवश्य देना चाहिए जो तुम उनके पिता को देते।

8 “इसलिए इस्राएल के लोगों के लिए इसे नियम बना दो। यदि किसी व्यक्ति के पुत्र न हों और वह मर जाए तो हर एक चीज़ जो उसकी है, उसकी पुत्री की होगी। 9 यदि उसे कोई पुत्री न हो तो, जो कुछ भी उसका है उसके भाईयों को दिया जाएगा। 10 यदि उसका कोई भाई न हो तो, जो कुछ उसका है उसके पिता के भाईयों को दिया जाएगा। 11 यदि उसके पिता का कोई भाई नहीं है तो, जो कुछ उसका हो उसे उसके परिवार के निकटतम सम्बन्धी को दिया जाएगा। इस्राएल के लोगों में यह नियम होना चाहिए। यहोवा मूसा को यह आदेश देता है।”

समीक्षा

प्रायोगिक निर्णय में बुद्धि दिखाएं

मूसा बहुत ही प्रायोगिक बुद्धि को दिखाते हैं, समूह के आकार के अनुसार भूमि के आकार को बाँटते हुए (26:54)।

दुखद रूप से, हर कोई मूसा की तरह बुद्धिमान नहीं था। जब वे रेगिस्तान में थे तब उन्होंने परमेश्वर के विरूद्ध बलवा किया और कुड़कुड़ाने लगे। परिणामस्वरूप, परमेश्वर ने कहा कि वे वाचा की भूमि में प्रवेश नहीं करेंगे। यही हुआ। सिनई के रेगिस्तान में गिने गए लोगों में से, 'कोई नहीं बचा, केवल यपुन्ने के पुत्र कालेब और नून के पुत्र यहोशू को छोड़कर' (वव.64:65)।

जैसे

नून का पुत्र यहोशू

और यपुन्ने का पुत्र कालेब

केवल ये दो लोग

उस देश में प्रवेश कर पाए

जहाँ दूध और मधु की नदियाँ बहती थीं

सलोफाद की पुत्री ने भी महान बुद्धि दिखाई, साहस के साथ लोगों के सामने बोलकर। वे महिलाओं के अधिकार के लिए खड़े हुए (27:1-11)। यदि इन महिलाओं ने ऐसा नहीं किया होता, तो परिणाम बहुत अलग आए होते। साहस के साथ बोलकर उन्होंने सही किया।

मूसा ने बहुत बुद्धिमानी से स्थिति को हल किया। उसने ना केवल अपने दिन की रीति को पूरा किया; वह उल्लेखनीय रूप से खुले – दिमाग के थे। उनके पास बुद्धि थी कि अपनी खुद की सामर्थ में जल्दबाजी में निर्णय न ले, या पुराने रीति रिवाज के कारण परमेश्वर की इच्छा को न त्यागें।

फिर भी मूसा की बुद्धि का हृदय उसकी पहचान में है कि सच्ची बुद्धि केवल परमेश्वर से मिलती है। बार-बार, मूसा लोगों की परेशानियों और चुनौतियों को परमेश्वर के पास लाते हैं। उन्होंने परमेश्वर की सहायता और मार्गदर्शन को खोजा, और इसी बात ने उन्हें बुद्धिमान बना दिया।

प्रार्थना

परमेश्वर, मुझे आपकी बुद्धि की आवश्यकता है हर दिन सभी निर्णयों को लेने के लिए। मेरी सहायता कीजिए कि ना केवल मैं अपनी अंतप्रजा को देख पाऊँ लेकिन आपकी बुद्धि पाने का प्रयास करूँ जो ऊपर से आती है, यीशु की बुद्धि के उदारहण के पीछे चलूं और पवित्र आत्मा के द्वारा मार्गदर्शित किया जाऊँ, जो मेरे हृदय में बुद्धि देते हैं।

पिप्पा भी कहते है

लूका 7:36-50

किसी पर दोष लगाना बहुत सरल बात है। मुझे याद है जब मैं लंडन के भूमिगत रास्ते में अपनी बेटी के साथ था, जब वह बहुत छोटी थी। जैसे ही हम सिग्नल से गुजरे मैंने देखा कि एक युवा महिला पुलिस के साथ वाद-विवाद कर रही थी और मैंने एक अनुमान लगाया।

इसी बीच, मैंने अपनी बेटी को में से नीचे उतार लिया था क्योंकि हमें चलती सीढ़ीयों से नीचे जाना कार्ट था और वह महिला हमसे आगे जा चुकी थी। मेरी बेटी मुझसे एक सीढ़ी नीचे खड़ी थी और वह गिर गई। मेरे हाथ में और बैग थे और मैं उसे पकड़ नहीं सका। डर के मारे मुझे नीचे का स्थान धुँधला दिखाई दे रहा था और मुझे पता था कि वह मसीन के कल-पुरजों में फँस जाएगी।

आस-पास और भी लोग थे लेकिन यह महिला पीछे मुड़ी, दौड़कर मेरी बेटी को उठा लिया और सुरक्षित रूप से मुझे लौटा दिया। इस महिला के प्रति, मेरे व्यवहार पर, मुझे बहुत पछतावा हुआ और मैं उस महिला का –और परमेश्वर का बहुत आभारी हूँ कि वह इस प्रकार के अजनबी को हमारी सहायता के लिए भेजते हैं।

दिन का वचन

लूका – 7:50

"पर उस ने स्त्री से कहा, तेरे विश्वास ने तुझे बचा लिया है, कुशल से चली जा॥"

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संदर्भ

नोट्स:

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

एक साल में बाइबल

  • एक साल में बाइबल

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