दिन 340

अपने संतुलन को खोजिये

बुद्धि नीतिवचन 29:19-27
नए करार 2 यूहन्ना 1:1-13
जूना करार हाग्गै 1:1-2:23

परिचय

मेरा शरीर बहुत कड़ा है। एक बार मुझे पेशेवर फिटनेस प्रशिक्षक ने बताया, जिन्होंने ध्यान दिया था कि जिस तरह से मैं चल रहा था, मैं न मुड़नेवाले शरीर का सबसे बदतर मामला था जो उनके सामने आया था। मैं अब अपने शरीर में बहुत खिंचाव लाने की कोशिश कर रहा हूँ।

मैं अपने आपको उचित रीति से तंदुरुस्त महसूस करता हूँ (मेरी उम्र में), स्क्वॉश खेलने और हर जगह बाईक चलाने के परिणामस्वरूप। लेकिन दूसरे तरीके से, मैं सोचता हूँ कि मैं नहीं हूँ। भौतिक तंदुरूस्ती, सामर्थ, लचीलेपन, शारीरिक व्यायाम में संतुलन है। कुछ लोग उल्लेखनीय रूप से व्यायाम करते हैं लेकिन एक बस पकड़ने के लिए दौड़ नहीं सकते हैं। दूसरे शारीरिक रूप से वे बहुत ही तंदुरूस्त हैं (वे एक मॅराथॉन दौड़-दौड़ सकते हैं), लेकिन बहुत मजबूत नहीं हैं।

किंतु, आत्मिक तंदुरुस्ती, भौतिक तंदुरुस्ती से अधिक महत्वपूर्ण है। इसमें आपके जीवन के बहुत से क्षेत्रों में संतुलन लाना भी शामिल है।

बुद्धि

नीतिवचन 29:19-27

19 केवल शब्द मात्र से दास नहीं सुधरता है।
 चाहे वह तेरे बात को समझ ले, किन्तु उसका पालन नहीं करेगा।

20 यदि कोई बिना विचारे हुए बोलता है तो उसके लिये कोई आशा नहीं।
 अधिक आशा होती है एक मूर्ख के लिये अपेक्षा उस जन के जो विचार बिना बोले।

21 यदि तू अपने दास को सदा वह देगा जो भी वह चाहे,
 तो अंत में— वह तेरा एक उत्तम दास नहीं रहेगा।

22 क्रोधी मनुष्य मतभेद भड़काता है, और ऐसा जन जिसको क्रोध आता हो,
 बहुत से पापों का अपराधी बनता है।

23 मनुष्य को अहंकार नीचा दिखाता है,
 किन्तु वह व्यक्ति जिसका हृदय विनम्र होता आदर पाता है।

24 जो चोर का संग पकड़ता है वह अपने से शत्रुता करता है;
 क्योंकि न्यायालय में जब उस पर सच उगलने को जोर पड़ता है तो वह कुछ भी कहने से बहुत डरा रहता है।

25 भय मनुष्य के लिये फँदा प्रमाणित होता है,
 किन्तु जिसकी आस्था यहोवा पर रहती है, सुरक्षित रहता है।

26 बहुत लोग राजा के मित्र होना चाहते हैं,
 किन्तु वह यहोवा ही है जो जन का सच्चा न्याय करता है।

27 सज्जन घृणा करते हैं ऐसे उन लोगों से जो सच्चे नहीं होते;
 और दुष्ट सच्चे लोगों से घृणा रखते हैं।

समीक्षा

दीनता और निर्भीकता

मुझे दीनता और निर्भीकता में संतुलन बनाए रखने में बहुत कठिनाई होती है। मेरे जीवन में ऐसे समय थे जब मैं दीन हुआ (शायद से कुछ असफलताओं के कारण) और बहुत निर्भीक महसूस नहीं करता था। दूसरे समय पर, मैंने बहुत निर्भीकता महसूस की लेकिन, शायद से दीनता की कमी थी।

नीतिवचन में आज के लेखांश में मनन करने के लिए बहुत कुछ है कि सोचने से पहले न बोले (व.20), गुस्से और क्रोध को नियंत्रित करना (व.22), और परमेश्वर पर भरोसा करना जोकि न्याय के एकमात्र स्त्रोत हैं (व.26)।

विशेषरूप से, मैं दीनता और निर्भीकता के बीच में इस संतुलन को देखता हूँ" मनुष्य को गर्व के कारण नीचा देखना पड़ता है, परन्तु नम्र आत्मा वाला महिमा का अधिकारी होता है" (व.23, एम.एस.जी)। यह नीतिवचन में एक नियमित विषय है (11:2; 18:12; 21:4; 22:4)।

परमेश्वर में निर्भीक बनिये। इस डर में मत जीओं कि दूसरे क्या सोचेंगे या करेंगे। " मनुष्य का भय रखना फन्दा हो जाता है, परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है उसका स्थान उँचा किया जाएगा" (29:25)।

इस संतुलन को बनाए रखने की पूंजी है आत्मनिर्भरता को छोड़ दें और परमेश्वर पर नम्रता से निर्भर रहे, सुनिश्चित करते हुए कि आपकी निर्भीकता आपकी खुद की योग्यताओं या सफलताओं से नहीं आती है बल्कि परमेश्वर पर भरोसा करने से आती है।

प्रार्थना

परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि मैं निर्भीक हो जाऊँ जोकि आपमें भरोसा करने से प्राप्त होता है, किसी का भय न मानूं और आपके सम्मुख दीनता से चलूं।
नए करार

2 यूहन्ना 1:1-13

1 मुझे बुजुर्ग की ओर से उस महिला को —

जो परमेश्वर के द्वारा चुनी गयी है तथा उसके बालकों के नाम जिन्हें मैं सत्य के सहभागी व्यक्तियों के रूप में प्रेम करता हूँ।

केवल मैं ही तुम्हें प्रेम नहीं करता हूँ, बल्कि वे सभी तुम्हें प्रेम करते हैं जो सत्य को जान गये हैं। 2 वह उसी सत्य के कारण हुआ है जो हममें निवास करता है और जो सदा सदा हमारे साथ रहेगा।

3 परम पिता परमेश्वर की ओर से उसका अनुग्रह, दया और शांति सदा हमारे साथ रहेगी तथा परम पिता परमेश्वर के पुत्र यीशु मसीह की ओर से सत्य और प्रेम में हमारी स्थिति बनी रहेगी।

4 तुम्हारे पुत्र-पुत्रियों को उस सत्य के अनुसार जीवन जीते देख कर जिसका आदेश हमें परमपिता से प्राप्त हुआ है, मैं बहुत आनन्दित हुआ हूँ 5 और अब हे महिला, मैं तुम्हें कोई नया आदेश नहीं बल्कि उसी आदेश को लिख रहा हूँ, जिसे हमने अनादि काल से पाया है हमें परस्पर प्रेम करना चाहिए। 6 प्रेम का अर्थ यही है कि हम उसके आदेशों पर चलें। यह वही आदेश है जिसे तुमने प्रारम्भ से ही सुना है कि तुम्हें प्रेमपूर्वक जीना चाहिए।

7 संसार में बहुत से भटकाने वाले हैं। ऐसा व्यक्ति जो यह नहीं मानता कि इस धरती पर मनुष्य के रूप में यीशु मसीह आया है, वह छली है तथा मसीह का शत्रु है। 8 स्वयं को सावधान बनाए रखो! ताकि तुम उसे गँवा न बैठो जिसके लिए हमने कठोर परिश्रम किया है, बल्कि तुम्हें तो तुम्हारा पूरा प्रतिफल प्राप्त करना है।

9 जो कोई बहुत दूर चला जाता है और मसीह के विषय में दिए गए सच्चे उपदेश में टिका नहीं रहता, वह परमेश्वर को प्राप्त नहीं करता और जो उसकी शिक्षा में बना रहता है, परमपिता और पुत्र दोनों ही उसके पास हैं। 10 यदि कोई तुम्हारे पास आकर इस उपदेश को नहीं देता है तो अपने घर उसका आदर सत्कार मत करो तथा उसके स्वागत में नमस्कार भी मत करो। 11 क्योंकि जो ऐसे व्यक्ति का सत्कार करता है, वह उसके बुरे कामों में भागीदार बनता है।

12 यद्यपि तुम्हें लिखने को मेरे पास बहुत सी बातें हैं किन्तु उन्हें मैं लेखनी और स्याही से नहीं लिखना चाहता। बल्कि मुझे आशा है कि तुम्हारे पास आकर आमने-सामने बैठ कर बातें करूँगा। जिससे हमारा आनन्द परिपूर्ण हो। 13 तेरी बहन के पुत्र-पुत्रियों का तुझे नमस्कार पहुँचे।

समीक्षा

सच्चाई और प्रेम

यहाँ पर बनाए रखने के लिए कठिन संतुलन है। प्रेम कोमल बन जाता है यदि सच्चाई के द्वारा इसे मजबूत नहीं किया गया है। सच्चाई कठिन बन जाती है यदि इसे प्रेम के द्वारा कोमल नहीं किया गया है। कभी कभी अपने जीवन में मैं "सच्चाई" के विषय में जुनूनी था, लेकिन शायद से बहुत अधिक प्रेम नहीं करता था। दूसरे समय पर, मैंने बहुत अधिक प्रेम करने की कोशिश की लेकिन शायद से "सच्चाई" के विषय में अधिक चिंता नहीं कर पाया।

यूहन्ना के इस दूसरे पत्र में (शायद से उस चर्च को लिखा गया जो "चुनी हुई महिला" कहलाती थी, व.1), वह उन्हें झूठे शिक्षक के खतरे के विषय में चिताते हैं जो इस तथ्य को नकारते हैं कि यीशु देह रूप में इस पृथ्वी पर आये और इसलिए पूरी तरह से दैवीय और पूरी तरह से मानवीय थे। यूहन्ना "सच्चाई और प्रेम" के इस सुंदर संतुलन को चिताते हैं (व.2)। सच में, वह दोनों को शामिल करते हैं, यहाँ तक कि अभिवादन में।

वह लिखते हैं, " मुझे प्राचीन की ओर से उस चुनी हुई महिला और उसके बच्चों के नाम, जिनसे मैं सच्चा प्रेम रखता हूँ, और केवल मैं ही नहीं वरन् वे सब भी प्रेम रखते हैं जो सत्य को जानते है" (व.1, एम.एस.जी)।

क्योंकि वह उनसे प्रेम करते हैं, वह व्यक्तिगत रूप से उन्हें देखना चाहते हैं और "आमने-सामने बातचीत करना चाहते हैं" (व.12, एम.एस.जी)। पत्र लिखना, ईमेल, संदेश, फोन करना, व्हाट्सअप और यहाँ तक कि स्काईप या फेस टाईम, किसी के साथ "आमने-सामने" बात करने के विकल्प नहीं हैं (व.12) और हृदय से हृदय की बात करना।

वह उन्हें चिताते हैं कि "एक दूसरे से प्रेम करो" (व.5) और "प्रेम में चलो" (व.6)। प्रेम हमारे जीवन का लक्ष्य होना चाहिए। प्रेम का अध्ययन करें, इसके विषय में बात करें और इसका अभ्यास करें।

प्रेम की परीक्षा है यीशु के प्रति आज्ञाकारिताः" प्रेम यह है कि हम उनकी आज्ञाओ के अनुसार चलें; यह वही आज्ञा है जो तुम ने आरम्भ से सुनी है, और तुम्हें इस पर चलना भी चाहिए" (व.6, एम.एस.जी)।

सच्चाई और प्रेम एक दूसरे के विपरीत नहीं हैं। सच में, वे एक दूसरे के पूरक हैं। यूहन्ना यह बात जाकर आनंदित हैं कि यह चर्च "सच्चाई को जी रहा है" (व.4, एम.एस.जी)। सच्चाई बहुत महत्वपूर्ण है। सच्चाई एक व्यक्ति में पायी जाती है। यीशु ने कहा, "मैं...सत्य हूँ" (यूहन्ना 14:6)। सच्चाई को सुनिये। सच्चाई को सिखाईये। सच्चाई से प्रेम कीजिए।

बाहर बहुत से धोखा देने वाले हैं (2यूहन्ना 1:7-8)। सच्चाई को पकड़े रहिये और धोखा मत खाईये या आप इसे खो देंगे।

केवल सच्चाई को जानने के द्वारा और इसे दृढ़ता से थामे रखकर और शिक्षा में बने रहने के द्वारा हमारे पास "पिता और पुत्र दोनों" होंगे (व.9)।

अगला वचन बहुत प्रेमी नहीं लगता है - " यदि कोई तुम्हारे पास आए और यही शिक्षा न दे, उसे न तो घर में आने दो और न नमस्कार करो" (व.10, एम.एस.जी)।

लेकिन असल में, सच्चाई के लिए यूहन्ना का जुनून इस चर्च के लिए उनके प्रेम से उत्पन्न होता है। क्योंकि वह उनसे प्रेम करते हैं, वह झूठ को बर्दाश्त करना नहीं चाहते हैं। झूठे शिक्षक शायद से आपको भरमाने की कोशिश करें, लेकिन " जो परिश्रम हम ने किया है उसको तुम गवाँ न दो" (व.8)।

प्रार्थना

परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि सच्चाई और प्रेम के बीच इस संतुलन को बनाए रखूं और हमेशा प्रेम में सत्य को बोलूं (इफीसियों 4:15)।
जूना करार

हाग्गै 1:1-2:23

मंदिर बनाने का समय

1परमेश्वर यहोवा का सन्देश नबी हाग्गै के द्वारा शालतीएल के पुत्र यहूदा के शासक जरुब्बाबेल और यहोसादाक के पुत्र महायाजक यहोशू को मिला। यह सन्देश फारस के राजा दारा के दूसरे वर्ष के छठें महीने के प्रथम दिन मिला था। इस सन्देश में कहा गया: 2 सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है, “लोग कहते हैं कि यहोवा का मंदिर बनाने के लिये समय नहीं आया है।”

3 तब यहोवा का संदेश नबी हाग्गै के द्वारा आया, जिसमें कहा गया था: 4 “क्या यह तुम्हारे स्वयं के लिये लकड़ी मढ़े मकानों में रहने का समय है जबकि यह मंदिर अभी खाली पड़ा है 5 यही कारण है कि सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है: जो कुछ तुम्हारे साथ घट रहा हैं उस के बारे में सोचो! 6 तुमने बोया बहुत है, पर तुम काटते हो नहीं के बराबर। तुम खाते हो, पर तुम्हारा पेट नहीं भरता। तुम पीते हो, पर तुम्हें नशा नहीं होता। तुम वस्त्र पहनते हो, किन्तु तुम्हें पर्याप्त गरमाहट नहीं मिलती। तुम जो थोड़ा बहुत कमाते हो पता नहीं कहां चला जाता है; लगता है जैसे जेबों में छेद हो गए हैं!”

7 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “जो कुछ तुम्हारे साथ घट रहा है उसके बारे में सोचो! 8 पर्वत पर चढ़ो। लकड़ी लाओ और मंदिर को बनाओ। तब मैं मंदिर से प्रसन्न होऊँगा, और सम्मानित होऊँगा।” यहोवा यह सब कहता है।

9 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “तुम बहुत अधिक पाने की चाह में रहते हो, किन्तु तुम्हें नहीं के बराबर मिलता हैं। तुम जो कुछ भी घर पर लाते हो, मैं इसे उड़ा ले जाता हूँ! क्यों क्योंकि मेरा मंदिर खंडहर पड़ा है। किन्तु तुम लोगों में हर एक को अपने अपने घरों की पड़ी है। 10 यही कारण है कि आकाश अपनी ओस तक रोक लेता है, और इसी कारण भूमि अपनी फसल नहीं देती। ऐसा तुम्हारे कारण हो रहा हैं।”

11 यहोवा कहता है, “मैंने धरती और पर्वतों पर सूखा पड़ने का आदेश दिया है। अनाज, नया दाखमधु, जैतून का तेल, या वह सभी कुछ जिसे यह धरती पैदा करती है, नष्ट हो जायेगा! तथा सभी लोग और सभी मवेशी कमजोर पड़ जायेंगे।”

नये मंदिर के कार्य का आरम्भ

12 तब शालतीएल के पुत्र जरुब्बाबेल और यहोसादाक के पुत्र महायाजक यहोशू ने सब बचे हुये लोगों के साथ अपने परमेश्वर यहोवा का सन्देश और उसके भेजे हुये नबी हाग्गै के वचनो को स्वीकार किया और लोग अपने परमेश्वर यहोवा से भयभीत हो उठे।

13 परमेश्वर यहोवा के सन्देशवाहक हाग्गै ने लोगों को यहोवा का सन्देश दिया। उसने यह कहा, “मैं तुम्हारे साथ हूँ।”

14 तब परमेश्वर यहोवा ने शालतीएल के पुत्र यहूदा के शासक जरूब्बाबेल को प्रेरित किया और परमेश्वर यहोवा ने यहोसादाक के पुत्र महायाजक यहोशू को भी प्रेरित किया और परमेश्वर यहोवा ने बाकी के सभी लोगों को भी प्रेरित किया। तब वे आये और अपने सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा के मंदिर के निर्माण में काम करने लगे। 15 उन्होंने यह राजा दारा के दूसरे वर्ष के छठें महीने के चौबीसवें दिन किया।

यहोवा का लोगों को प्रेरित करना

2यहोवा का सन्देश सातवें महीने के इक्कीसवें दिन हाग्गै को मिला। सन्देश में कहा गया, 2 “अब यहूदा के शासक शालतीएल के पुत्र जरुब्बाबेल, यहोसादाक के पुत्र महायाजक यहोशू और जो लोग बचे हैं उनसे बातें करो और कहो: 3 ‘क्या तुममे कोई ऐसा बचा हैं जिसने उस मंदिर को अपने पहले के वैभव में देखा है। अब तुमको यह कैसा लग रहा है क्या खण्डहर हुआ यह मन्दिर उस पहले वैभवशाली मन्दिर की तुलना में कहीं भी ठहर पाता हैं 4 किन्तु जरुब्बाबेल, अब तुम साहसी बनों! यहोवा यह कहता है, “यहोसादाक के पुत्र महायाजक यहोशू, तुम भी साहसी बनो और देश के सभी लोगों तुम भी साहसी बनो!” यहोवा यह कहता है, “काम करो, क्योंकि मैं तुम्हारे साथ हूँ!” सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है!

5 “‘यहोवा कहता है, ‘जहाँ तक मेरी प्रतिज्ञा की बात है, जो मैंने तुम्होरे मिस्र से बाहर निकलने के समय तुमसे की है, वह मेरी आत्मा तुममें हैं। डरो नहीं!’ 6 क्यों क्योकि सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है: ‘एक बार फिर मैं शीघ्र ही पृथ्वी और आकाश एवं समुद्र और सूखी भूमि को कम्पित करूँगा! 7 मैं सभी राष्ट्रों को कंपा दूंगा और वे सभी राष्ट्र अपनी सम्पत्ति के साथ तुम्हारे पास आएंगे। तब मैं इस मंदिर को गौरव से भर दूंगा!’ सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है। 8 ‘उनकी चाँदी मेरी हैं और उनका सोना मेरा है।’ सर्वशक्तिमान यहोवा यही कहता है। 9 ‘इस मंदिर का पर्वर्ती गौरव प्रथम मंदिर के गौरव से बढ़कर होगा।’ सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है, ‘और इस स्थान पर मैं शान्ति स्थापित करूँगा।’” सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है!’

कार्य आरंभ हो चुका है वरदान प्राप्त होगा

10 यहोवा का सन्देश दारा के दूसरे वर्ष के नौवें महीने के चौबीसवें दिन नबी हाग्गै को मिला। सन्देश में कहा गया था, 11 “सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है, ‘अब याजक से पूछो कि व्यवस्था क्या है?’ 12 ‘संभव है कोई व्यक्ति अपने कपड़ों की तहों में पवित्र मांस ले चले। संभव है कि उस कपड़े की तह से जिसमें वह पवित्र मांस ले जा रहा हो, रोटी, या पका भोजन, दाखमधु, तेल या किसी अन्य भोजन का स्पर्श हो जाये। क्या वह चीज जिसका स्पर्श तह से होता है पवित्र हो जायेगी?’”

याजक ने उत्तर दिया, “नहीं।”

13 तब हाग्गै ने कहा, “संभव है कोई व्यक्ति किसी शव को छूले। तब वह अपवित्र हो जाएगा। किन्तु यदि वह किसी चीज को छूएगा तो क्या वह अपवित्र हो जायेगी”

तब याजक ने उत्तर दिया, “हाँ, वह अपवित्र हो जाएगी।”

14 तब हाग्गै ने उत्तर दिया, “परमेश्वर यहोवा कहता है, ‘मेरे सामने इन लोगों के प्रति वही नियम है, और वही नियम इस राष्ट्र के प्रति है! उसके हाथो ने जो कुछ किया वही नियम उसके लिए भी है। जो कुछ वे अपने हाथों भेंट करेंगे वह भी अपवित्र होगा।

15 “‘किन्तु अब कृपया सोचें, आज के पहले क्या हुआ, इसके पूर्व कि यहोवा, परमेश्वर के मंदिर में एक पत्थर पर दूसरा पत्थर रखा गया था 16 एक व्यक्ति बीस माप अनाज की ढेर के पास आता है, किन्तु वहाँ उसे केवल दस ही मिलते हैं और जब एक व्यक्ति दाखमधु के पीपे के पास पचास माप निकालने आता है तो वहाँ वह केवल बीस ही पाता है! 17 मैंने, तुम्हें और तुम्हारे हाथों ने जो कुछ किया उसे दण्ड दिया। मैंने तुमको उन बीमारियों से, जो पौधों को मारती है, और फफूंदी एवं ओलो से, दण्डित किया। किन्तु तुम फिर भी मेरे पास नहीं आए।’ यहोवा यह कहता है।”

18 यहोवा कहता है, “इस दिन से आगे सोचो अर्थात नौवें महीने के चौबीसवें दिन से जिस दिन यहोवा, के मंदिर की नींव तैयार की गई। सोचो। 19 क्या बीज अब भी भण्डार—गृह में है क्या अंगूर की बेलें, अंजीर के वृक्ष, अनार और जैतून के वृक्ष अब तक फल नहीं दे रहे हैं नहीं! किन्तु आज के दिन से, आगे के लिये मैं तुम्हें आशीर्वाद दूँगा।”

20 तब महीने के चौबीसवें दिन हाग्गै को दूसरी बार यहोवा का सन्देश मिला। सन्देश में कहा गया, 21 “यहूदा के प्रशासक जरुब्बाबेल से कहो, ‘मैं आकाश और पृथ्वी को कंपाने जा रहा हूँ 22 और मैं राज्यों के सिंहासनों को उठा फेंकूंगा और राष्ट्रों के राज्यों की शक्ति को नष्ट कर दूंगा और मैं रथों और उनके सवारों को नीचे फेंक दूंगा। तब घोड़े और उनके घुड़सवार गिरेंगे। भाई, भाई का दुश्मन हो जाएगा।’ 23 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, ‘मैं उस दिन शालतीएल के पुत्र, अपने सेवक, जरुब्बाबेल को लूंगा।’ यहोवा परमेश्वर यह कहता है, ‘और मैं तुम्हें मुद्रा अंकित करने की अंगूठी बनाऊँगा। क्यों? क्योंकि मैंने तुम्हें चुना है!’”

सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कहा है।

समीक्षा

दर्शन और कार्य

एक टॉप मैनेजमेंट सलाहकार ने मुझे बताया कि "दर्शन की कमी के कारण कभी किसी मुख्य अधिकारी को काम पर से नहीं निकाला गया है।" लेकिन बहुत से लोग अपने दर्शन को कार्य पर नहीं रख पाते हैं।

दर्शन काम नहीं करते जब तक आप काम न करें। हाग्गै कि इस छोटी पुस्तक में, हम दर्शन और कार्य के बीच में एक अद्भुत संतुलन को देखते हैं।

पाँच बार, सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने भविष्यवक्ता हाग्गै के विषय में कहाः"ध्यान करो" (1:5,7; 2:15 और 2:18 में दो बार)। दर्शन की शुरुवात होती है हमारे दिमाग में एक चित्र को समझने के द्वारा कि क्या हो सकता है।

अपनी प्राथमिकताओं को सही से जाँचिये। हाग्गै ने परमेश्वर के लोगों को उनकी प्राथमिकताओं के विषय में चुनौती दी। वे आरामदायक घरों में रह रहे थे जबकि भवन उजाड़ पड़ा था (1:4)। तब भी वे कह रहे थे, " यहोवा का भवन बनाने का समय नहीं आया है" (व.2)।

लोगों ने फिर से भवन बनाने का निर्णय लिया था। उनके पास अच्छा अभिप्राय था, लेकिन उन्होंने इसे किया नहीं क्योंकि यह उनकी प्राथमिकता नहीं थी।

भविष्यवक्ता हाग्गै ने उन्हें चिताया कि अपने चालचलन को सावधानी से सोचे (व.5)। उनकी प्राथमिक चिंता होनी चाहिए थी कि परमेश्वर के नाम का सम्मान हो (व.8), फिर भी उन्होंने परमेश्वर के घर को "उजाड़" छोड़ दिया (वव.4,9)।

यूजन पिटरसन लिखते हैं कि "हमारे जीवन में ऐसे समय होते हैं जब ईमारत की मरम्मत करवाना जहाँ पर हम आराधना करते हैं, यह आज्ञाकारिता का एक कार्य है, यह आराधना के उस स्थान में प्रार्थना करने जितना ही महत्वपूर्ण है।"

कुछ लोग उत्साहित हो गए थे कि नया मंदिर उतना चमकदार नहीं था जितना कि पुराना थाः"तुम में से कौन है, जिस ने इस भवन की पहली महिमा देखी है: अब तुम इसे कैसी दशा में देखते हो: क्या यह सच नहीं कि यह तुम्हारी दृष्टि में उस पहले की अपेक्षा कुछ भी अच्छा नहीं है: ... साहस बाँधकर काम करो ... मेरा आत्मा तुम्हारे बीच में बना है; इसलिये तुम मत डरो... इस स्थान में मैं शान्ति दूँगा" (2:3-5,9)।

ये वचन हैं जिनके द्वारा परमेश्वर ने सँडि मिलर और दूसरों से एच.टी.बी ऑनस्लो स्क्वेअर से जुलाई 1981 में बातचीत की, जब बंद होने वाले थे और फ्लैट के रूप में बेच दिए जाने वाले थे। यह हमारे 2010 की धन्यवादिता सभा का विषय था जो चर्च की 150वीं सालगिरह का उत्सव मना रहा था, और तीन वर्ष के मरमम्त कार्य के बाद अधिकारिक रूप से पुन: आरंभ हो रहा था।

जैसे ही हमने इतिहास में देखा कि उस चर्च में क्या हुआ था, हमने देखा कि इसके पहले की महिमा और भी महान थी। भविष्य के लिए हमारी प्रार्थना और आशा यह है कि "इस घर की महिमा पिछले घर की महिमा से बड़ी होगी" (व.9)।

हाग्गै की पुस्तक में, इस दर्शन को देखकर, उन्हें "काम पर लगना था, सभी लोगों को– परमेश्वर कहते हैं...काम पर लगो" (व.4, एम.एस.जी)। और इसलिए काम शुरु हुआ (1:14)।

जैसे ही आप अपने देश में आस-पास के चर्च को देखते हैं, अपने चालचलन पर सावधानी से ध्यान दें। यह सही नहीं है कि आराम में जीएँ जबकि परमेश्वर का घर उजाड़ है। परमेश्वर चाहते हैं कि आपके देश में लोग उन्हें जाने और उनके चर्च के भाग बने। चित्र देखिये कि कैसे आज परमेश्वर को उनके चर्च में और महिमा मिल सकती है जितना कि वह भूतकाल में थे (2:9)।

पहला, "मजबूत बने" (व.4)। प्रहार, आलोचना या निरुत्साह के कारण अपने संकल्प में कमजोर मत हो। दूसरा, "काम" (1:14; 2:4)। यह कठिन परिश्रम है लेकिन इसमें कुछ गलत नहीं है। ऐसे समय होते हैं जब आपको बहुत कठिन परिश्रम करने की आवश्यकता पड़ती है। तीसरा, "डरो मत" (व.5)। यह बताता है कि वहाँ पर ऐसी चीजे होंगी जो शायद से डर लायेंगी।

आप धन के लिए परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं। परमेश्वर घोषणा करते हैं, "चाँदी मेरी है और सोना भी मेरा है" (व.8)।

मुख्य चीज है कि परमेश्वर कहते हैं, "मैं तुम्हारे साथ हूँ... और मेरा आत्मा तुम्हारे बीच बना रहता है" (1:13; 2:5)। आप अपने सभी डर पर जय पा सकते हैं क्योंकि आप जानते हैं कि परमेश्वर आपके साथ हैं।

प्रार्थना

परमेश्वर मेरी सहायता कीजिए कि दीनता और निर्भीकता, प्रेम और सच्चाई, दर्शन और कार्य में संतुलन रखूं, यह भरोसा करुँ कि आप हमारे साथ हैं और आपके नाम की महिमा करने के लिए कठिन परिश्रम करुँ।

पिप्पा भी कहते है

हाग्गै 1:7,9

"अपने अपने चालचलन पर सोचो ... मेरा भवन उजाड़ पड़ा है और तुम में से प्रत्येक अपने अपने घर को दौड़ा चला जाता है:"

हमारे घर में बहुत काम हैं, टूटी हुई चीजों को बदलना, बिजली के बल्ब बदलना, सफाई, सुव्यवस्थित करना इत्यादि। मैं जानती हूँ कि परमेश्वर चाहते हैं कि हम अपने घर के अच्छे भंडारी बने। लेकिन वचन मुझे स्मरण दिलाता है कि परमेश्वर के घर की भी उतनी ही चिंता करुँ। बहुत से चर्च बहुत ही बुरी स्थिति में हैं और यीशु के लिए उचित नहीं है।

दिन का वचन

नीतिवचन – 29:25

“मनुष्य का भय खाना फन्दा हो जाता है, परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह ऊंचे स्थान पर चढ़ाया जाता है।"

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संदर्भ

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट ऊ 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी", बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइडऍ बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट ऊ 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट ऊ 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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