दिन 336

दर्शन से कार्य की ओर

बुद्धि नीतिवचन 29:10-18
नए करार 1 यूहन्ना 2:28-3:10
जूना करार दानिय्येल 8:15-9:19

परिचय

जॅकी पुलिंगर ने अपना जीवन गरीबों और अभाव में रहने वालो, गैंग के सदस्यों, हेरोईन और अफीम व्यसनी के साथ काम करते हुए बिताया। पवित्र आत्मा की सामर्थ के द्वारा उन्होंनें हजारों लोगों की सहायता की है ड्रग्स से बाहर निकलने में। उन्होंने बहुतों के जीवन में बदलाव को देखा है और हाँग काँग शहर में बड़ा प्रभाव बनाया है।

जॅकी ने लिखा, "मैंने अपना आधा जीवन एक अंधेरे, गंदे बदबूदार स्थान में बिता दिया क्योंकि मेरे पास प्रकाश से चमकने वाले दूसरे शहर का एक "दर्शन" था, यह मेरा सपना था। वहाँ पर कोई रोना नहीं है, कोई मृत्यु या दर्द नहीं है। बीमार चंगे होते हैं, व्यसनी मुक्त होते हैं, भूखे तृप्त किए जाते हैं। वहाँ पर अनाथों के परिवार हैं, बेघर के लिए घर हैं, और शर्म में जीने वालो के लिए एक नई पहचान है। मैं नहीं जानती थी कि यह कैसे पूरा करना है लेकिन "दर्शन के जोश" के साथ मैंने कल्पना की कि वाल्ड शहर के लोगों का परिचय उसके साथ कराया जाये जो यह सब बदल सकते हैं: "यीशु।"

दर्शन एक "पवित्र असंतुष्टि है" –जो है उससे एक गहरी असंतुष्टि, इसमें एक स्पष्ट समझ है कि क्या हो सकता है। यह एक चित्र है - "एक मानसिक दृश्य" –भविष्य का जो आशा को लाता है।

कार्य के बिना दर्शन केवल एक सपना है। दर्शन के बिना कार्य डरावना सपना है! लेकिन कार्य के साथ जुड़ा दर्शन विश्व को बदल सकता है।

बुद्धि

नीतिवचन 29:10-18

10 खून के प्यासे लोग, सच्चे लोगों से घृणा करते हैं।
 और वे उन्हें मार डालना चाहते हैं।

11 मूर्ख मनुष्य को तो बहुत शीध्र क्रोध आता है।
 किन्तु बुद्धिमान धीरज धरके अपने पर नियंत्रण रखता है।

12 यदि एक शासक झूठी बातों को महत्व देता है
 तो उसके अधिकारी सब भ्रष्ट हो जाते हैं।

13 एक हिसाब से गरीब और जो व्यक्ति को लूटता है,
 वह समान है। यहोवा ने ही दोनों को बनाया है।

14 यदि कोई राजा गरीबों पर न्यायपूर्ण रहता है
 तो उसका शासन सुदीर्घ काल बना रहेगा।

15 दण्ड और डाँट से सुबुद्धि मिलती है किन्तु यदि माता—पिता मनचाहा करने को खुला छोड़ दे,
 तो वह निज माता का लज्जा बनेगा।

16 दुष्ट के राज्य में पाप, पनप जाते हैं किन्तु
 अन्तिम विजय तो सज्जन की होती है।

17 पुत्र को दण्डित कर जब वह अनुचित करे, फिर तो तुझे उस पर सदा ही गर्व रहेगा।
 वह तेरी लज्जा का कारण कभी नहीं होगा।

18 यदि कोई देश परमेश्वर की राह पर नहीं चलता तो उसे देश में शांति नहीं होगी।
 वह देश जो परमेश्वर की व्यवस्था पर चलता, आनन्दित रहेगा।

समीक्षा

दर्शन की महत्ता

" जहाँ दर्शन की बात नहीं होती, वहाँ लोग निरंकुश हो जाते हैं" (व.18, के.जे.व्ही)।

इस्तेमाल किए गए इब्रानी शब्द का अनुवाद "प्रकटीकरण" (एन.आई.व्ही.) या "दर्शन" (के.जे.व्ही.) के रूप में किया जा सकता है। इसका अर्थ है परमेश्वर की बातचीत उनके भविष्यवक्ताओं के साथ। जहाँ पर परमेश्वर की ओर से कोई दर्शन नहीं होता, वहाँ पर अक्सर आत्मिक और राजनैतिक अराजकता होती है - "लोग नियंत्रण को तोड़ देते हैं" (व.18)।

दर्शन और नियंत्रण को साथ-साथ जाना चाहिए। जुनून और नैतिक गुस्सा जो दर्शन प्रेरित करता है, वह "अनियंत्रित गुस्सा" ला सकता है। लेकिन लेखक कहते हैं, " मूर्ख अपने सारे मन की बात खोल देता है, परन्तु बुध्दिमान अपने मन को रोकता, और शान्त कर देता है" (व.11)। जॅकी पुलिंगर, मार्टिन लूथर किंग, विलियम विल्बफोर्स और बहुत से दूसरे, ऐसे एक लीडर का बहुत अच्छा उदाहरण है जो दर्शन और नियंत्रण के बीच तनाव को पकड़े रखते हैं।

बाकी के लेखांश में हम अच्छे और बुरे दोनों ही लीडरशिप के परिणामों को देखते हैं। " दुष्टों के बढ़ने से अपराध भी बढ़ता है" (व.16, एम.एस.जी), " जो राजा कंगालों का न्याय सच्चाई से चुकाता है, उसकी गद्दी सदैव स्थिर रहती है" (व.14, एम.एस.जी)।

प्रार्थना

परमेश्वर, आपकी आवाज सुनने में मेरी सहायता कीजिए। आज आप कौन हैं, इसका मुझे एक ताजा दर्शन दीजिए।
नए करार

1 यूहन्ना 2:28-3:10

28 इसलिए प्यारे बच्चों, उसी में बने रहो ताकि जब हमें उसका ज्ञान हो तो हम आत्मविश्वास पा सकें। और उसके पुनः आगमन के समय हमें लज्जित न होना पड़े। 29 यदि तुम यह जानते हो कि वह नेक है तो तुम यह भी जान लो कि वह जो धार्मिकता पर चलता है परमेश्वर की ही सन्तान है।

हम परमेश्वर की सन्तान हैं

3विचार कर देखो कि परम पिता ने हम पर कितना महान प्रेम दर्शाया है! ताकि हम उसके पुत्र-पुत्री कहला सकें और वास्तव में वे हम हैं ही। इसलिए संसार हमें नहीं पहचानता क्योंकि वह मसीह को नहीं पहचानता। 2 हे प्रिय मित्रो, अब हम परमेश्वर की सन्तान हैं किन्तु भविष्य में हम क्या होंगे, अभी तक इसका बोध नहीं कराया गया है। जो भी हो, हम यह जानते हैं कि मसीह के पुनः प्रकट होने पर हम उसी के समान हो जायेंगे क्योंकि वह जैसा है, हम उसे ठीक वैसा ही देखेंगे। 3 हर कोई जो उस पर ऐसी आशा रखता है, वह अपने आपको वैसे ही पवित्र करता है जैसे मसीह पवित्र है।

4 जो कोई पाप करता है, वह परमेश्वर के नियम को तोड़ता है क्योंकि नियम का तोड़ना ही पाप है। 5 तुम तो जानते ही हो कि मसीह लोगों के पापों को हरने के लिए ही प्रकट हुआ और यह भी, कि उसमें कोई पाप नहीं है। 6 जो कोई मसीह में बना रहता है, पाप नहीं करता रहता और हर कोई जो पाप करता रहता है उसने न तो उसके दर्शन किए हैं और न ही कभी उसे जाना है।

7 हे प्यारे बच्चों, तुम कहीं छले न जाओ। वह जो धर्म पूर्वक आचरण करता रहता है, धर्मी है। ठीक वैसे ही जैसे मसीह धर्मी है। 8 वह जो पाप करता ही रहता है, शैतान का है क्योंकि शैतान अनादि काल से पाप करता चला आ रहा है। इसलिए परमेश्वर का पुत्र प्रकट हुआ कि वह शैतान के काम को नष्ट कर दे।

9 जो परमेश्वर की सन्तान बन गया, पाप नहीं करता रहता, क्योंकि उसका बीज तो उसी में रहता है। सो वह पाप करता नहीं रह सकता क्योंकि वह परमेश्वर की संतान बन चुका है। 10 परमेश्वर की संतान कौन है? और शैतान के बच्चे कौन से हैं? तुम उन्हें इस प्रकार जान सकते हो: प्रत्येक वह व्यक्ति जो धर्म पर नहीं चलता और अपने भाई को प्रेम नहीं करता, परमेश्वर का नहीं है।

समीक्षा

दर्शन की सामर्थ

यीशु के पास अपने जीवन के लिए एक स्पष्ट दर्शन था और उन्होंने उस दर्शन को कार्य के साथ जोड़ाः" तुम जानते हो कि वह इसलिये प्रकट हुआ कि पापों को हरा कर ले जाएं" (3:5)।

यूहन्ना आगे कहते हैं, " परमेश्वर का पुत्र इसलिये प्रकट हुआ कि शैतान के कामों का नाश करे" (व.8)। अपनी मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा, यीशु ने आपके पापों को ले लिया है और शैतान के कामों का नाश किया है।

क्या आप जानते हैं कि परमेश्वर आपसे कितना प्रेम करते हैं: " देखो, पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है कि हम परमेश्वर की सन्तान कहलाएँ; और हम हैं भी" (व.1)।

आपके लिए अपने पुत्र को मरने के लिए भेजने में परमेश्वर के पास एक स्पष्ट दर्शन था। वह आप पर अपना प्रेम उदारता से ऊँडेलना चाहते हैं। आपके लिए उनका दर्शन है कि, एक दिन, आप यीशु की तरह बन जाएंगे और " उनको वैसा ही देखेंगे जैसे वह हैं" (व.2)।

आपके जीवन के लिए परमेश्वर के पास एक दर्शन है। आपके पास भी अपने जीवन के लिए एक दर्शन होना चाहिए। आपका दर्शन होना चाहिए जितना संभव हो सके उतना यीशु की तरह बननाः" जो कोई उन पर यह आशा रखता है, वह अपने आप को वैसा ही पवित्र करता है जैसे वह पवित्र हैं" (व.3, एम.एस.जी)।

आप परमेश्वर की संतान हैं या नहीं, इसकी परीक्षा यह हैः"जो कोई परमेश्वर से जन्मा है वह पाप नहीं करता... जो कोई सत्यनिष्ठा के काम नहीं करता वह परमेश्वर से नहीं, और न वह जो अपने भाई से प्रेम नहीं रखता" (वव.9-10, एम.एस.जी)। प्रेम और सत्यनिष्ठा दो संकेत हैं कि आप परमेश्वर की एक संतान हैं।

जॉयस मेयर लिखती हैं, "मैं हर समय पाप करती थी, और कभी कभी, मैं "अकस्मात रूप से" कुछ सही करती थी। लेकिन अब जबकि मैंने परमेश्वर के साथ एक गहरा, आत्मिक संबंध बनाने में सालों बिताये हैं..मैं अब भी गलतियाँ करती हूँ, लेकिन उतनी नहीं जितनी मैंने कभी पहले की थी, मैं वहाँ पर नहीं हूँ जहाँ मुझे होने की जरुरत है, लेकिन परमेश्वर का धन्यवाद हो, मैं वहाँ नहीं हूँ जहाँ हुआ करती थी। मैं सबकुछ सही नहीं करती हूँ, लेकिन मैं जानती हूँ कि मेरे हृदय की दशा सही है।"

आपका दर्शन होना चाहिए यीशु के नजदीक रहनाः" उनमें बने रहना कि जब वह प्रकट हों तो हमें हियाव हो, और हम उनके आने पर उनके सामने लज्जित न हों" (2:28, एम.एस.जी)।

आपके जीवन के लिए यह आपका प्राथमिक दर्शन होना चाहिए। उन निश्चित चीजों पर ध्यान लगाए रखना संभव है जिसमें हम विश्वास करते हैं कि परमेश्वर ने हमें करने के लिए बुलाया है, और तब भी हम जीवन के लिए इस दर्शन को नजरअंदाज करते हैं। परमेश्वर इस बात की अधिक चिंता करते हैं कि आप कैसे अपना जीवन जीते हैं, इसके बजाय कि आपने क्या उपलब्धि पायी है। हमारी वैयक्तिक बुलाहट अच्छी और महत्वपूर्ण है – लेकिन जीवन के लिए हमारा प्राथमिक दर्शन हमेशा यीशु के करीब जाना होना चाहिए।

प्रार्थना

परमेश्वर, मेरे लिए आपके अद्भुत दर्शन के लिए आपका धन्यवाद – कि एक दिन मैं यीशु की तरह बनूंगा और उसे उसी तरह देखूंगा जैसे कि वह हैं।
जूना करार

दानिय्येल 8:15-9:19

दर्शन की व्याख्या

15 मैं, दानिय्येल ने यह दर्शन देखा था, और यह प्रयत्न किया कि उसका अर्थ समझ लूँ। अभी मैं इस दर्शन के बारे में सोच ही रहा था कि मनुष्य के जैसा दिखने वाला कोई अचानक आ कर मेरे सामने खड़ा हो गया। 16 इसके बाद मैंने किसी पुरूष की वाणी सुनी। यह वाणी ऊलै नदी के ऊपर से आ रही थी। उस आवाज़ ने कहा, “जिब्राएल, इस व्यक्ति को इसके दर्शन का अर्थ समझा दो।”

17 सो जिब्राएल जो किसी मनुष्य के समान दिख रहा था, जहाँ मै खड़ा था, वहाँ आ गया। वह जब मेरे पास आया तो मैं बहुत डर गया। मैं धरती पर गिर पड़ा। किन्तु जिब्राएल ने मुझसे कहा, “अरे मनुष्य, समझ ले कि यह दर्शन अंत समय के लिये है।”

18 अभी जिब्राएल बोल ही रहा था कि मुझे नींद आ गयी। नींद बहुत गहरी थी।मेंरा मुख धरती की ओर था। फिर जिब्राएल ने मुझे छुआ और मुझे मेरे पैरों पर खड़ा कर दिया। 19 जिब्राएल ने कहा, “देख, मैं तुझे अब उस दर्शन को समझाता हूँ। मैं तुझे बताऊँगा कि परमेश्वर के क्रोध के समय के बाद में क्या कुछ घटेगा।

20 “तूने दो सींगों वाला मेढ़ा देखा था। वे दो सींग हैं मादी और फारस के दो देश। 21 वह बकरा यूनान का राजा है। उसकी दोनों आखों के बीच का बड़ा सींग वह पहला राजा है। 22 वह सींग टूट गया और उसके स्थान पर चार सींग निकल आये। वे चार सींग चार राज्य हैं। वे चार राज्य, उस पहले राजा के राष्ट्र से प्रकट होंगे किन्तु वे चारों राज्य उस पहले राजा से मज़बूत नहीं होंगे।

23 “जब उन राज्यों का अंत निकट होगा, तब वहाँ एक बहुत साहसी और क्रूर राजा होगा। यह राजा बहुत मक्कार होगा। ऐसा उस समय घटेगा जब पापियों की संख्या बढ़ जायेगी। 24 यह राजा बहुत शक्तिशाली होगा किन्तु उसकी शक्ति उसकी अपनी नहीं होगी। यह राजा भयानक तबाही मचा देगा। वह जो कुछ करेगा उसमें उसे सफलता मिलेगी। वह शक्तिशाली लोगों—यहाँ तक कि परमेश्वर के पवित्र लोगों को भी नष्ट कर देगा।

25 “यह राजा बहुत चुस्त और मक्कर होगा। वह अपनी कपट और झूठों के बल पर सफलता पायेगा। वह अपने आप को सबसे बड़ा समझेगा। लोगों को वह बिना किसी पूर्व चेतावनी के नष्ट करवा देगा। यहाँ तक कि वह राजाओं के राजा (परमेश्वर) से भी युद्ध का जतन करेगा किन्तु उस क्रूर राजा की शक्ति का अंत कर दिया जायेगा और उसका अंत किसी मनुष्य के हाथों नहीं होगा।

26 “उन भक्तों के बारे में यह दर्शन और वे बातें जो मैंने कही हैं, सत्य हैं। किन्तु इस दर्शन पर तू मुहर लगा कर रख दे। क्योंकि वे बातें अभी बहुत सारे समय तक घटने वाली नहीं हैं।”

27 उस दिव्य दर्शन के बाद में मैं दानिय्येल, बहुत कमज़ोर हो गया और बहुत दिनों तक बीमार पड़ा रहा। फिर बीमारी से उठकर मैंने लौटकर राजा का कामकाज करना आरम्भ कर दिया किन्तु उस दिव्य दर्शन के कारण मैं बहुत व्याकुल रहा करता था। मैं उस दर्शन का अर्थ समझ ही नहीं पाया था।

दानिय्येल की विनती

9राजा दारा के शासन के पहले वर्ष के दौरान ये बातें घटी थीं। दारा क्षयर्ष नाम के व्यक्ति का पुत्र था। दारा मादी लोगों से सम्बन्धित था। वह बाबुल का राजा बना। 2 दारा के राजा के पहले वर्ष में मैं, दानिय्येल कुछ किताबें पढ़ रहा था। उन पुस्तकों में मैंने देखा कि यहोवा ने यिर्मयाह को यह बताया है कि यरूशलेम का पुनःनिर्माण कितने बरस बाद होगा। यहोवा ने कहा था कि इससे पहले कि यरूशलेम फिर से बसे, सत्तर वर्ष बीत जायेंगे।

3 फिर मैं अपने स्वामी परमेश्वर की ओर मुड़ा और उससे प्रार्थना करते हुए सहायता की याचना की।मैंने भोजन करना छोड़ दिया और ऐसे कपड़े पहन लिये जिनसे यह लगे कि मैं दु:खी हूँ। मैंने अपने सिर पर धूल डाल ली। 4 मैंने अपने परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना करते हुए उसको अपने सभी पाप बता दिये। मैंने कहा,

“हे यहोवा, तू महान और भययोग्य परमेश्वर है। जो व्यक्ति तुझसे प्रेम करते हैं, तू उनके साथ प्रेम और दयालुता के वचन को निभाता है। जो लोग तेरे आदेशों का पालन करते हैं उनके साथ तू अपना वचन निभाता है।

5 “किन्तु हे यहोवा, हम पापी हैं! हमने बुरा किया है। हमने कुकर्म किये हैं। हमने तेरा विरोध किया है। तेरे निष्पक्ष न्याय और तेरे आदेशों से हम दूर भटक गये हैं। 6 हम नबियों की बात नहीं सुनते। नबी तो तेरे सेवक हैं। नबियों ने तेरे बारे में बताया। उन्होंने हमारे राजाओं, हमारे मुखियाओं और हमारे पूर्वजों को बताया था। उन्होंने इस्राल के सभी लोगों को भी बताया था। किन्तु हमने उन नबियों की नही सुनी!

7 “हे यहोवा, तू खरा है, और तुझमें नेकी है! जबकी आज हम लज्जित हैं। यरूशलेम और यहूदा के लोग लज्जित हैं—इस्राएल के सभी लोग लज्जित हैं। वे लोग जो निकट हैं और वे लोग जो बहुत दूर हैं। हे यहोवा! तूने उन लोगों को बहुत से देशों में फैला दिया। उन सभी देशों में बसे इस्राएल के लोगों को शर्म आनी चाहिये। हे यहोवा, उन सभी बुरी बातों के लिये, जो उन्होंने तेरे विरूद्ध की हैं, उन्हें लज्जित होना चाहिये।

8 “हे यहोवा, हम सबको लज्जित होना चाहिये। हमारे सभी राजाओं और मुखियाओं को लज्जित होना चाहिये, हमारे सभी पूर्वजों को लज्जित होना चाहिये। ऐसा क्यों ऐसा इसलिये कि हे यहोवा, हमने तेरे विरूद्ध पाप किये हैं।

9 “किन्तु हे यहोवा, तू दयालु है। लोग जो बुरे कर्म करते हैं तो तू उन्हें, क्षमा कर देता है।हमने वास्तव में तुझसे मुँह फेर लिया था। 10 हमने अपने यहोवा परमेश्वर की आज्ञा का पालन नही किया। यहोवा ने अपने सेवकों,अपने नबियों के द्वारा हमें व्यवस्था का विधान प्रदान किया। किन्तु हमने उसकी व्यवस्थाओं को नहीं माना। 11 इस्राएल का कोई भी व्यक्ति तेरी शिक्षाओं पर नहीं चला। वे सभी भटक गये थे। उन्होंने तेरे आदेशों का पालन नहीं किया। मूसा, (जो परमेश्वर का सेवक था) की व्यवस्था के विधान में शापों और वादों का उल्लेख हुआ है। वे शाप और वादे व्यवस्था के विधान पर नहीं चलने के दण्ड का बखान करते हैं और वे सभी बातें हमारे संग घट चुकी हैं क्योंकि हमने यहोवा के विरोध में पाप किये हैं।

12 “परमेश्वर ने बताया था कि हमारे साथ और हमारे मुखियाओं के साथ वे बातें घटेंगी और उसने उन्हें घटा दिया। उसने हमारे साथ भयानक बातें घटा दीं। यरूशलेम को जितना कष्ट उठाना पड़ा, किसी दूसरे नगर ने नहीं उठाया। 13 वे सभी भयानक बातें हमारे साथ भी घटीं। यह बातें ठीक वैसे ही घटीं, जैसे मूसा के व्यवस्था के विधान में लिखी हुई हैं। किन्तु हमने अभी भी परमेश्वर से सहारा नहीं माँगा है! हमने अभी भी पाप करना नहीं छोड़ा है। हे यहोवा, तेरे सत्य पर हम अभी भी ध्यान नहीं देते। 14 यहोवा ने वे भयानक बाते तैयार रख छोड़ी थीं और उसने हमाने साथ उन बातों को घटा दिया। हमारे परमेश्वर यहोवा ने ऐसा इसलिये किया था कि वह तो जो कुछ भी करता है, न्याय ही करता है। किन्तु हम अभी भी उसकी नहीं सुनते।

15 “हे हमारे परमेश्वर, यहोवा, तूने अपनी शक्ति का प्रयोग किया और हमें मिस्र से बाहर निकाल लाया। हम तो तेरे अपने लोग हैं। आज तक उस घटना के कारण तू जाना माना जाता है। हे यहोवा, हमने पाप किये हैं। हमने भयानक काम किये हैं। 16 हे यहोवा, यरूशलेम पर क्रोध करना छोड़ दे। यरूशलेम तेरे पवित्र पर्वतों पर स्थित है। तू जो करता है, ठीक ही करता है। सो यरूशलेम पर क्रोध करना छोड़ दे। हमारे आसपास के लोग हमारा अपमान करते हैं और हमारे लोगों की हँसी उड़ाते हैं। हमारे पूर्वजों ने तेरे विरूद्ध पाप किया था। यह सब कुछ इसलिये हो रहा है।

17 “अब, हे यहोवा, तू मेरी प्रार्थना सुन ले। मैं तेरा दास हूँ। सहायता के लिये मेरी विनती सुन। अपने पवित्र स्थान के लिए तू अच्छी बातें कर। वह भवन नष्ट कर दिया गया था। किन्तु हे स्वामी, तू स्वयं अपने भले के लिए इन भली बातों को कर। 18 हे मेरे परमेश्वर, मेरी सुन! जरा अपनी आँखें खोल और हमारे साथ जो भयानक बातें घटी हैं, उन्हें देख! वह नगर जो तेरे नाम से पुकारा जाता था, देख उसके साथ क्या हो गया है! मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि हम अच्छे लोग हैं। इसलिये मैं इन बातों की याचना कर रहा हूँ।यह याचना तो मैं इसलिये कर रहा हूँ कि मैं जानता हूँ कि तू दयालु है। 19 हे यहोवा मेरी सुन, हे यहोवा, हमें क्षमा कर दें। यहोवा, हम पर ध्यान दे, और फिर कुछ कर! अब और प्रतीक्षा मत कर! इसी समय कुछ कर! उसे तू स्वयं अपने भले के लिये कर! हे परमेश्वर, अब तो अपने नगर और अपने उन लोगों के लिये, जो तेरे नाम से पुकारे जाते हैं, कुछ कर।”

समीक्षा

दर्शन की परिपूर्णता

वचन के दोनों बोध में दानिय्येल एक "दर्शनवादी" थे। उन्होंने दैवीय प्रकटीकरण ग्रहण किया ("दर्शन" – एक शब्द जो दानिय्येल 8:15-27 में सात बार दिखाई देता है) और अपने जीवन के लिए उनके पास दर्शनवादी लक्ष्य था।

आज के लेखांश के पहले आधे भाग में, दानिय्येल को उनके दर्शन (दैवीय प्रकटीकरण) का अर्थ दिया गया जिब्राएल स्वर्गदूत के द्वारा (व.16, पवित्रशास्त्र में यह पहली बार है जहाँ पर एक स्वर्गदूत के नाम का उल्लेख किया गया है)। जिब्राएल दानिय्येल को बताते हैं कि जो दर्शन उन्होंने देखा है वह "अन्त ही के समय में फलेगा" (व.17)। "जो कुछ तू ने दर्शन में देखा है उसे बन्द रख, क्योंकि वह बहुत दिनों के बाद फलेगा" (व.26, एम.एस.जी)।

इस दर्शन की एक ऐतिहासिक परिपूर्णता है और एक लंबे समय बाद होने वाली परिपूर्णता है। ऐतिहासिक परिपूर्णता शायद से यहूदी इतिहास में बहुत ही अंधकारमय समय में मिलती है। 175 और 164 बीसी. के बीच में वहाँ पर एक विदेशी राजा एन्टीओकस IV एपिफेन्स का राज्य था। उसने यहूदियों का सताव किया, परमेश्वर की आराधना को बंद करवाया, मंदिर को अपवित्र किया और हजारों की हत्या की। लेकिन जो आत्मा एन्टीओकस में थी और उससे पृथ्वी की सफलताएँ प्राप्त करवा रही थी (वव.23-25) वही आत्मा अंतिम दिनों में मसीह विरोधी को उकसायेगी (2थिस्सलुनिकियों 2:3-8; रोमियो 13:11,14)।

दानिय्येल ने भविष्यवाणी की कि " अन्त को वह किसी के हाथ से बिना मार खाए टूट जाएगा" (दानिय्येल 8:25)। एन्टीओकस की सेना यरूशलेम में गए और 80,000 यहूदियों को मार डाला और ज़ीउस की उपासना करने की जबरदस्ती की। अचानक से और अनपेक्षित रूप से 164 बीसी में एक अनजान रोग से उनकी मृत्यु हो गई। यह भविष्यवाणी पूरी होगी जब यीशु वापस आयेंगे और शैतान को नष्ट करेंगे " प्रभु यीशु अपने मुँह की फूँक से मार डालेंगे" (2 थिस्सलुनिकियों 2:8)।

दानिय्येल भी एक दर्शनवादी थे। उन्होंने "पवित्रशास्त्र से" समझाः"मुझे दानिय्येल ने शास्त्र के द्वारा समझ लिया कि यरूशलेम की उजड़ी हुई दशा यहोवा के उस वचन के अनुसार जो यिर्मयाह नबी के पास पहुँचा था, (दानिय्येल 9:2, एम.एस.जी; यिर्मयाह 25:11-12; 29:10 भी देखें),कुछ वर्षों के बीतने पर अर्थात् सत्तर वर्ष के बाद पूरी हो जाएगी" (अर्थात् 587 बीसी से 516 बीसी 51 6मंदिर के सुधारकार्य तक)।

यदि आप चाहते हैं कि परमेश्वर आपको आपके जीवन के लिए एक निश्चित दर्शन दें, तो हम देखते हैं कि इस लेखांश में दो महत्वपूर्ण बातें हैं। पहला, सभी भक्तिमय दर्शन "पवित्रशास्त्र" के प्रति हमारी समझ से आनी चाहिए। दूसरा, दर्शन की परिपूर्णता प्रार्थना से शुरु होती है। दानिय्येल प्रार्थना में परमेश्वर की ओर मुड़े। वह परमेश्वर की महानता के प्रति सचेत थे, जिनसे वह प्रार्थना कर रहे थे (दानिय्येल 9:4)।

दानिय्येल की प्रार्थना परमेश्वर के सामने उनके हृदय का मुक्त रूप से ऊंडेला जाना था। वह परमेश्वर की महानता और दया और अपनी अयोग्यता के प्रति सचेत थे। लेकिन वह उनकी प्रार्थना का उत्तर देने के लिए परमेश्वर की योग्यता के प्रति आश्वस्त थे।

परमेश्वर चाहते हैं कि आप उनसे बातें करें कि आपके हृदय में क्या है। आपको इसे छिपाने या निरीक्षण करने की आवश्यकता नहीं है कि आप उनसे क्या बातें करेंगे या ऐसी कोई चीज जो आप बोलना नहीं चाहते। वह पहले ही आपके विषय में सबकुछ जानते हैं; वह इसे आपसे सुनना चाहते हैं और आपके साथ बात करना चाहते हैं। उस तरह से प्रार्थना कीजिए जैसे परमेश्वर ने आपको बनाया है –नाकि उस तरह से जो आप सोचते हैं कि आपको होना चाहिए।

दानिय्येल घोषणा करते हैं कि उन्होंने हर तरह से पाप किया है, परमेश्वर की अवहेलना करके और जो उन्हें अच्छा लगता था वह करके। वे आत्मग्लानि और शर्म से भर गए (वव.3-16, एम.एस.जी)।

फिर भी दानिय्येल जानते थे कि परमेश्वर कभी भी उन लोगों पर हार नहीं मानेंगे जो उनसे प्रेम करते हैं (व.4, एम.एस.जी) और यह कि "करुणा हमारी एकमात्र आशा है" (व.9, एम.एस.जी)।

इस आधार पर उन्होंने अपने शहर और अपने देश के लिए प्रार्थना की (वव.17-19)। दानिय्येल की प्रार्थना का उत्तर आया। आप भी अपने शहर और देश के लिए परमेश्वर की दोहाई दे सकते हैं और विश्वास कीजिए कि परमेश्वर आपकी प्रार्थनाओं का उत्तर देंगे और उस दर्शन को पूरा करेंगे जो वह आपको देते हैं।

प्रार्थना

परमेश्वर, मेरे शहर और मेरे देश के लिए मुझे एक दर्शन दीजिएः आपके नाम के कारण हम पर दया कीजिए, हे परमेश्वर। हमें पुनर्जीवन दीजिए और हमें चंगा करिए। आपके नाम की महिमा हो।

पिप्पा भी कहते है

यूहन्ना 3:1

" देखो, पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है कि हम परमेश्वर की सन्तान कहलाएँ"

"उदारता" जरुरत से परे शब्द है।

दिन का वचन

1 यूहन्ना – 3:1

"खो पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है, कि हम परमेश्वर की सन्तान कहलाएं, और हम हैं भी: इस कारण संसार हमें नहीं जानता, क्योंकि उस ने उसे भी नहीं जाना।”

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संदर्भ

जॅकि पुलिंगर, दिवार में दरार, (हॉडर एण्ड सॉटन,1997) पी15

जॉयस मेयर, द एव्रीडे लाईफ बाईबल, (फेथवर्डस,2014) पी.2101

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट ऊ 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी", बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइडऍ बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट ऊ 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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