प्रेम, एकता और पवित्र आत्मा
परिचय
फादर रेनियरो कॅन्टालमेसा एक फ्रांसीकन भिक्षु हैं। 1977 में, वैटिकन ने उन्हें कंसास शहर, यू.एस.ए के एक कॉन्फरेंस में उन्हें अवलोकन करने के लिए भेजा, जहाँ पर 20,000 कॅथलिक थे और 20,000 दूसरे मसीह। कॉन्फरेंस के अंतिम दिन, किसी के द्वारा मसीह की देह (चर्च) में सभी विभाजन की विडंबना के विषय में बताये जाने के बाद, 40,000 लोगों ने पश्चाताप में घुटने टेके। जैसे ही फादर रेनियरो कॅन्टालमेसा ने बाहर देखा, उन्होंने कॉन्फरेंस स्थल के ऊपर एक बड़ा निऑन चिह्न देखा जिस पर लिखा था "यीशु प्रभु हैं"। उन्होंने वर्णन किया कि कैसे, उस समय, उन्हें समझ आया कि मसीह एकता क्या है – 40,000 लोग यीशु के प्रभुत्व में पश्चाताप में घुटने टेकें हुए हैं।
उन्होंने "एक महिला प्रोटेस्टंट" से कहा कि उनके लिए प्रार्थना करें कि वह और अधिक पवित्र आत्मा का अनुभव कर पाये। पवित्र आत्मा ने उन्हें भर दिया। उन्होंने एक तरीके से अपने लिए परमेश्वर के प्रेम का अनुभव किया। उन्होंने अपने आपको "अन्यभाषाएँ बोलते हुए" पाया। एक नये तरीके से बाईबल जीवित हो गई। उन्होंने एक नई सेवकाई ग्रहण की। 1980 में, पोप जॉन पॉल ने उन्हें आमंत्रित किया कि पॉल घराने में प्रचारक बने। पिछले छत्तीस वर्षों से वह यही काम कर रहे हैं। तीन चीजें उनकी उल्लेखनीय सेवकाई पर प्रभुत्व रखती हैं: एकता, प्रेम और पवित्र आत्मा। वे अलग हैं, लेकिन नजदीकी से जुड़े हुए हैं।
भजन संहिता 133:1-3
दाऊद का आरोहण गीत।
133परमेश्वर के भक्त मिल जुलकर शांति से रहे।
यह सचमुच भला है, और सुखदायी है।
2 यह वैसा सुगंधित तेल जैसा होता है
जिसे हारून के सिर पर उँडेला गया है।
यह, हारून की दाढ़ी से नीचे जो बह रहा हो उस तेल सा होता है।
यह, उस तेल जैसा है जो हारून के विशेष वस्त्रों पर ढुलक बह रहा।
3 यह वैसा है जैसे धुंध भरी ओस हेर्मोन की पहाड़ी से आती हुई
सिय्योन के पहाड पर उतर रही हो।
यहोवा ने अपने आशीर्वाद सिय्योन के पहाड़ पर ही दिये थे।
यहोवा ने अमर जीवन की आशीष दी थी।
समीक्षा
एकता में एक साथ जीएं
परमेश्वर "एकता" को आशीष देते हैं (व.1)। मैंने इसे बार-बार देखा है। वह विवाह में, परिवार में, दलों में, समुदायों में, देशों में और चर्च में एकता को आशीष देते हैं। जब विभिन्न चर्च, परंपरा और समुदायों से मसीह एक साथ एकत्व में आते हैं, "वहीं पर परमेश्वर आशीष ठहराते हैं" (व.3, एम.एस.जी)।
भजनसंहिता के लेखक लिखते हैं, " देखो, यह क्या ही भली और मनोहर बात है कि भाई लोग आपस में मिले रहें" (व.1, एम.एस.जी)। एक कहावत हैः"कमजोर चीजों को मिलाने पर वे मजबूत बन जाती हैं।" यही लोगों के बारे में सच हैः कमजोर लोगों के मिल जाने पर वे मजबूत बन जाते हैं।
भजनसंहिता के लेखक इस एकता का वर्णन "बहुमूल्य तेल" के रूप में करते हैं (व.2, लैव्यव्यवस्था 8:12 से एक चित्र का इस्तेमाल करते हुए)। यह " हेर्मोन की उस ओस के समान है" (भजनसंहिता 133:3)। हेर्मोन पर्वत एक बड़ा क्षेत्र है। यह सामान्य रूप से बर्फ से ढँका होता है। यह 9,200 फीट समुद्र के स्तर से ऊँचा है। इसकी ओस संपूर्ण देश को ताजा रखती है।
तेल और ओस के यें चित्र आशीष के चित्र हैं। जहाँ पर एकता है, " यहोवा ने तो वहीं सदा के जीवन की आशीष ठहराई है" (व.3)।
प्रार्थना
1 पतरस 4:1-19
बदला हुआ जीवन
4जब मसीह ने शारीरिक दुःख उठाया तो तुम भी उसी मानसिकता को शास्त्र के रूप में धारण करो क्योंकि जो शारीरिक दुःख उठाता है, वह पापों से छुटकारा पा लेता है। 2 इसलिए वह फिर मानवीय इच्छाओं का अनुसरण न करे, बल्कि परमेश्वर की इच्छा के अनुसार कर्म करते हुए अपने शेष भौतिक जीवन को समर्पित कर दे। 3 क्योंकि तुम अब तक अबोध व्यक्तियों के समान विषय-भोगों, वासनाओं, पियक्कड़पन, उन्माद से भरे आमोद-प्रमोद, मधुपान उत्सवों और घृणापूर्ण मूर्ति-पूजाओं में पर्याप्त समय बिता चुके हो।
4 अब जब तुम इस घृणित रहन सहन में उनका साथ नहीं देते हो तो उन्हें आश्चर्य होता है। वे तुम्हारी निन्दा करते हैं। 5 उन्हें जो अभी जीवित हैं या मर चुके हैं, अपने व्यवहार का लेखा-जोखा उस मसीह को देना होगा जो उनका न्याय करने वाला है। 6 इसलिए उन विश्वासियों को जो मर चुके हैं, सुसमाचार का उपदेश दिया गया कि शारीरिक रूप से चाहे उनका न्याय मानवीय स्तर पर हो किन्तु आत्मिक रूप से वे परमेश्वर के अनुसार रहें।
अच्छे प्रबन्ध-कर्ता बनो
7 वह समय निकट है जब सब कुछ का अंत हो जाएगा। इसलिए समझदार बनो और अपने पर काबू रखो ताकि तुम्हें प्रार्थना करने में सहायता मिले। 8 और सबसे बड़ी बात यह है कि एक दूसरे के प्रति निरन्तर प्रेम बनाये रखो क्योंकि प्रेम से अनगिनत पापों का निवारण होता है। 9 बिना कुछ कहे सुने एक दूसरे का स्वागत सत्कार करो। 10 जिस किसी को परमेश्वर की ओर से जो भी वरदान मिला है, उसे चाहिए कि परमेश्वर के विविध अनुग्रह के उत्तम प्रबन्धकों के समान, एक दूसरे की सेवा के लिए उसे काम में लाए। 11 जो कोई प्रवचन करे वह ऐसे करे, जैसे मानो परमेश्वर से प्राप्त वचनों को ही सुना रहा हो। जो कोई सेवा करे, वह उस शक्ति के साथ करे, जिसे परमेश्वर प्रदान करता है ताकि सभी बातों में यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर की महिमा हो। महिमा और सामर्थ्य सदा सर्वदा उसी की है। आमीन!
मसीही के रूप में दुःख उठाना
12 हे प्रिय मित्रों, तुम्हारे बीच की इस अग्नि-परीक्षा पर जो तुम्हें परखने को है, ऐसे अचरज मत करना जैसे तुम्हारे साथ कोई अनहोनी घट रही हो, 13 बल्कि आनन्द मनाओ कि तुम मसीह की यातनाओं में हिस्सा बटा रहे हो। ताकि जब उसकी महिमा प्रकट हो तब तुम भी आनन्दित और मगन हो सको। 14 यदि मसीह के नाम पर तुम अपमानित होते हो तो उस अपमान को सहन करो क्योंकि तुम मसीह के अनुयायी हो, तुम धन्य हो क्योंकि परमेश्वर की महिमावान आत्मा तुममें निवास करती है। 15 इसलिए तुममें से कोई भी एक हत्यारा, चोर, कुकर्मी अथवा दूसरे के कामों में बाधा पहुँचाने वाला बनकर दुःख न उठाए। 16 किन्तु यदि वह एक मसीही होने के नाते दुःख उठाता है तो उसे लज्जित नहीं होना चाहिए, बल्कि उसे तो परमेश्वर को महिमा प्रदान करनी चाहिए कि वह इस नाम को धारण करता है। 17 क्योंकि परमेश्वर के अपने परिवार से ही आरम्भ होकर न्याय प्रारम्भ करने का समय आ पहुँचा है। और यदि यह हमसे ही प्रारम्भ होता है तो जिन्होंने परमेश्वर के सुसमाचार का पालन नहीं किया है, उनका परिणाम क्या होगा?
18 “यदि एक धार्मिक व्यक्ति का ही उद्धार पाना कठिन है
तो परमेश्वर विहीन और पापियों के साथ क्या घटेगा।”
19 तो फिर जो परमेश्वर की इच्छानुसार दुःख उठाते हैं, उन्हें उत्तम कार्य करते हुए, उस विश्वासमय, सृष्टि के रचयिता को अपनी-अपनी आत्माएँ सौंप देनी चाहिए।
समीक्षा
एक दूसरे से गहरा प्रेम करिए
पतरस प्रेरित लिखते हैं " एक दूसरे से अधिक प्रेम रखिए" (व.8अ)। "गहराई" के लिए इस्तेमाल किया गया ग्रीक शब्द यह घोड़े को सरपट दौड़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। इसका अर्थ है "खींचना" और कभी कभी इसका अनुवाद किया जाता है "जुझारू रूप से।"
इस प्रकार का "प्रेम अनेक पापों को ढाँक देता है" (क्षमा करता है और दूसरों की गलतियों को भूल जाता है) (व.8ब, ए.एम.पी.)। प्रेम दूसरों की गलतियों को क्षमा करता है क्योंकि आप अपने जीवन में परमेश्वर के प्रेम, क्षमा करने वाले अनुग्रह को जानते हैं।
यह अच्छे संबंधों को बनाए रखने और आसानी से दूसरों से अलग हो जाने को रोकने की पूंजी है। आप जानते हैं कि आपके जीवन में परमेश्वर आपसे कितना प्रेम करते हैं और आपके पापों को क्षमा किया गया है। दूसरों में गलतियाँ और पापों के परे देखने के लिए तैयार रहिए।
इसका यह अर्थ नहीं है कि पाप से अंतर नहीं पड़ता है। इसके विपरीत, पतरस हमें चिताते हैं कि "पाप करना छोड़ दीजिए" (व.1)। भविष्य में अपना शेष शारीरिक जीवन मनुष्यों की अभिलाषाओं के अनुसार नहीं वरन् परमेश्वर की इच्छा के अनुसार व्यतीत करिए (व.2)।
मुझे अच्छी तरह से याद है मेरे कुछ मित्रों की प्रतिक्रिया जब मैं पहली बार यीशु से मिला था। वे बदलाव से चकित हो गए और उन्हें यह विचित्र लगा। पतरस लिखते हैं, " क्योंकि अन्यजातियों की इच्छा के अनुसार काम करने, और लुचपन की बुरी अभिलाषाओं, मतवालापन, लीलाक्रीड़ा, पियक्कड़पन, और घृणित मूर्तिपूजा में जहाँ तक हम ने पहले समय गँवाया, वही बहुत हुआ। इससे वे अचम्भा करते हैं कि तुम ऐसे भारी लुचपन में उनका साथ नहीं देते, और इसलिये वे बुरा भला कहते हैं" (वव.3-4, एम.एस.जी)।
आप अलग तरीके से जीने के लिए बुलाए गए हैं:" संयमी होकर प्रार्थना के लिये सचेत रहिए" (व.7); " सब में श्रेष्ठ बात यह है कि एक दूसरे से अधिक प्रेम रखिए" (व.8), " बिना कुड़कुड़ाए एक दूसरे का अतिथि – सत्कार करिए और अपने वरदानो का इस्तेमाल करिए" (वव.9-10)। " सबसे श्रेष्ठ बात यह है कि एक दूसरे से अधिक प्रेम रखिए, क्योंकि प्रेम अनेक पापों को ढाँक देता है। बिना कुड़कुड़ाए एक दूसरे का अतिथि – सत्कार करिए" (वव.8-9, एम.एस.जी)।
पौलुस प्रेरित की तरह, पतरस पवित्र आत्मा के वरदान के इस्तेमाल को प्रेम के संदर्भ में रखते हैं (वव.10-11; 1कुरिंथियो 12-14 भी देखें)। वरदानो का एक उद्देश्य है प्रेम।
यहाँ तक कि यदि आप जुझारू रूप से प्रेम करते हैं, वह प्रेम हमेशा वापस नहीं मिलेगा। इसके विपरीत आशा कीजिए। इसके द्वारा आश्चर्य मत कीजिएः " हे प्रियो, जो दुःख रूपी अग्नि तुम्हारे परखने के लिये तुम में भड़की है, इससे यह समझकर अचम्भा न करो कि कोई अनोखी बात तुम पर बीत रही है" (1पतरस 4:12, एम.एस.जी)।
इस तरह के कष्टों के लिए सभी मसीह बुलाए गए हैं। कष्ट उठाना शुद्धिकरण की प्रक्रिया का भाग है। आपको शुद्ध करने और आपके जीवन से पाप को हटाने के लिए परमेश्वर कष्ट का इस्तेमाल करते हैं (वव.1-2)। अपमान वास्तव में एक आशीष हैः" फिर यदि मसीह के नाम के लिये तुम्हारी निन्दा की जाती है तो तुम धन्य हो, क्योंकि महिमा का आत्मा, जो परमेश्वर का आत्मा है, तुम पर छाया करता है" (व.14, एम.एस.जी)।
यद्यपि अपमान पाना दर्द भरा है, सारी आलोचना एक आशीष है। यदि यह सच है, तो यह एक आशीष है क्योंकि आप इससे सीख सकते हैं। यदि यह सच नहीं है और " यदि मसीह के नाम के लिये तुम्हारी निन्दा की जाती है तो तुम धन्य हो" (व.14)। यीशु के साथ जुड़ा होना कितने सम्मान की बात है और उनके कष्ट का भागीदार बनना भी एक आशीष की बात है। जैसे ही आप यह बात समझ लेते हैं, तो हमें आने वाली हर आलोचना को एक आशीष के रूप में देखना चाहिए!
कभी कभी हम अपने पापों के कारण कष्ट उठाते हैं (व.15), लेकिन एक मसीह होने के कारण सताया जाना शर्म की बात नहीं है - यह आनंद मनाने और परमेश्वर की स्तुति करने की बात है (वव.13,16)। इसे आपको निराश नहीं करना चाहिए, इसके बजाय भलाई करते रहना चाहिएः" इसलिये जो परमेश्वर की इच्छा के अनुसार दुःख उठाते हैं, वे भलाई करते हुए अपने – अपने प्राण को विश्वासयोग्य सृजनहार के हाथ में सौंप दें" (व.19, एम.एस.जी)। मार्टिन लूथर किंग ने कहा, "मैंने प्रेम से जुड़े रहने का निर्णय ले लिया है। नफरत उठाने के लिए एक बहुत भारी बोझ है।"
प्रार्थना
यहेजकेल 47:1-48:35
मन्दिर से बहता जल
47वह व्यक्ति मन्दिर के द्वार पर मुझे वापस ले गया। मैंने मन्दिर की पूर्वी देहली के नीचे से पानी आते देखा। (मन्दिर का सामना मन्दिर की पूर्वी ओर है।) पानी मन्दिर के दक्षिणी छोर के नीचे से वेदी के दक्षिण में बहता था। 2 वह व्यक्ति मुझे उत्तर फाटक से बाहर लाया और बाहरी फाटक के पूर्व की तरफ चारों ओर ले गया। फाटक के दक्षिण की ओर पानी बह रहा था।
3 वह व्यक्ति पूर्व की ओर हाथ में नापने का फीता लेकर बढ़ा। उसने एक हजार हाथ नापा। तब उसने मुझे उस स्थान से पानी से होकर चलने को कहा। वहाँ पानी केवल मेरे टखने तक गहरा था। उस व्यक्ति ने अन्य एक हजार हाथ नापा। तब उसने उस स्थान पर पानी से होकर चलने को कहा। वहाँ पानी मेरे घुटनों तक आया। 4 तब उसने अन्य एक हजार हाथ नापा और उस स्थान पर पानी से होकर चलने को कहा। वहाँ पानी कमर तक गहरा था। 5 उस व्यक्ति ने अन्य एक हजार हाथ नापा। किन्तु वहाँ पानी इतना गहरा था कि पार न किया जा सके। यह एक नदी बन गया था। पानी तैरने के लिये पर्याप्त गहरा था। यह नदी इतनी गहरी थी कि पार नहीं कर सकते थे। 6 तब उस व्यक्ति ने मुझसे कहा, “मनुष्य के पुत्र, क्या तुमने जिन चीजों को देखा, उन पर गहराई से ध्यान दिया?”
तब वह व्यक्ति नदी के किनारे के साथ मुझे वापस ले गया। 7 जैसे मैं नदी के किनारे से वापस चला, मैंने पानी के दोनों ओर बहुत अधिक पेड़ देखे। 8 उस व्यक्ति ने मुझसे कहा, “यह पानी पूर्व को अरबा घाटी की तरफ नीचे बहता है। पानी मृत सागर में पहुँचता है। उस सागर में पानी स्वच्छ और ताजा हो जाता है। 9 इस पानी में बहुत मछलियाँ हैं और जहाँ यह नदी जाती है वहाँ बहुत प्रकार के जानवर रहते हैं। 10 तुम मछुआरों को लगातार एनगदी से ऐनेग्लैम तक खड़े देख सकते हो। तुम उनको अपना मछली का जाल फेंकते और कई प्रकार की मछलियाँ पकड़ते देख सकते हो। मृत सागर में उतनी ही प्रकार की मछलियाँ है जितनी प्रकार की भूमध्य सागर में। 11 किन्तु दलदल और गकों के प्रदेश के छोटे क्षेत्र अनुकूल नहीं बनाये जा सकते। वे नमक के लिये छोड़े जाएंगे। 12 हर प्रकार के फलदार वृक्ष नदी के दोनों ओर उगते हैं। इनके पत्ते कभी सूखते और मरते नहीं। इन वृक्षों पर फल लगना कभी रूकता नहीं। वृक्ष हर महीने फल पैदा करते हैं। क्यों क्योंकि पेड़ों के लिये पानी मन्दिर से आता है। पेड़ों का फल भोजन बनेगा, और उनकी पत्तियाँ औषधियाँ होंगी।”
परिवार समूहों के लिए भूमि का बँटवारा
13 मेरा स्वामी यहोवा यह कहता है, “ये सीमायें इस्राएल के बारह परिवार समूहों में भूमि के बाँटने के लिये हैं। यूसुफ को दो भाग मिलेंगे। 14 तुम भूमि को बराबर बाँटोगे। मैंने इस भूमि को तुम्हारे पूर्वजों को देने का वचन दिया था। अत: मैं यह भूमि तुम्हें दे रहा हूँ।
15 “यहाँ भूमि की ये सीमायें हैं। उत्तर की ओर यह सीमा भूमध्य़ सागर से हेतलोन होकर जाती है जहाँ सड़क हमात और सदाद तक 16 बेरोता, सिब्रैम (जो दमिश्क और हमात की सीमा के बीच है) और हसर्हतीकोन जो हौरान की सीमा पर है, की ओर मुड़ती है। 17 अत: सीमा समुद्र से हसरेनोन तक जायेगी जो दमिश्क और हमात की उत्तरी सीमा पर है। यह उत्तर की ओर होगी।
18 “पूर्व की ओर, सीमा हसरेनोन से हौरान और दमिश्क के बीच जाएगी और यरदन नदी के सहारे गिलाद और इस्राएल की भूमि के बीच पूर्वी समुद्र तक लगातार, तामार तक जायेगी। यह पूर्वी सीमा होगी।
19 “दक्षिण ओर, सीमा तामार से लगातार मरीबोत कादेश के नखलिस्तान तक जाएगी। तब यह मिस्र के नाले के सहारे भूमध्य सागर तक जाएगी। यह दक्षिणी सीमा होगी।
20 “पश्चिमी ओर, भूमध्य सागर लगातार हमात के सामने के क्षेत्र तक सीमा बनेगा। यह तुम्हारी पश्चिमी सीमा होगी।
21 “इस प्रकार तुम इस भूमि को इस्राएल के परिवार समूहों में बाँटोगे। 22 तुम इसे अपनी सम्पत्ति और अपने बीच रहने वाले विदेशियों की सम्पत्ति के रूप में जिनके बच्चे तुम्हारे बीच रहते हैं, बाँटोगे। ये विदेशी निवासी होंगे, ये स्वाभाविक जन्म से इस्राएली होंगे। तुम कुछ भूमि इस्राएल के परिवार समूहों में से उनको बाँटोगे। 23 वह परिवार समूह जिसके बीच वह निवासी रहता है, उसे कुछ भूमि देगा।” मेरा स्वामी यहोवा ने यह कहा है!
इस्राएल के परिवार समूह के लिये भूमि
48उत्तरी सीमा भूमध्य सागर से पूर्व हेतलोन से हमात दरर् और तब, लगातार हसेरनोन तक जाती है। यह दमिश्क और हमात की सीमाओं के मध्य है। परिवार समूहों में से इस समूह की भूमि इन सीमाओं के पूर्व से पश्चिम को जाएगी। उत्तर से दक्षिण, इस क्षेत्र के परिवार समूह है, दान, आशेर, नप्ताली, मनश्शे, एप्रैम, रूबेन, यहूदा।
भूमि का विशेष भाग
8 “भूमि का अगला क्षेत्र विशेष उपयोग के लिये होगा। यह भूमि यहूदा की भूमि के दक्षिण में है। यह क्षेत्र पच्चीस हजार हाथ उत्तर से दक्षिण तक लम्बा है और पूर्व से पश्चिम तक, यह उतना चौड़ा होगा जितना अन्य परिवार समूहों का होगा। मन्दिर भूमि के इस विभाग के बीच होगा। 9 तुम इस भूमि को यहोवा को समर्पित करोगे। यह पच्चीस हजार हाथ लम्बा और बीस हजार हाथ चौड़ा होगा। 10 भूमि का यह विशेष क्षेत्र याजकों और लेवीवंशियों में बँटेगा।
“याजक इस क्षेत्र का एक भाग पाएंगे। यह भूमि उत्तर की ओर पच्चीस हजार हाथ लम्बी, पश्चिम की ओर दस हजार हाथ चौड़ी, पूर्व की ओर दस हजार हाथ चौड़ी और दक्षिण की ओर पच्चीस हजार हाथ लम्बी होगी। भूमि के इस क्षेत्र के बीच में यहोवा का मन्दिर होगा। 11 यह भूमि सादोक के वंशजों के लिये है। ये व्यक्ति मेरे पवित्र याजक होने के लिये चुने गए थे। क्यों क्योंकि इन्होंने तब भी मेरा सेवा करना जारी रखा जब इस्राएल के अन्य लोगों ने मुझे छोड़ दिया। सादोक के परिवार ने मुझे लेवी परिवार समूह के अन्य लोगों की तरह नहीं छोड़ा। 12 इस पवित्र भू—भाग का विशेष हिस्सा विशेष रूप से इन याजकों का होगा। यह लेवीवंशियों की भूमि से लगा हुआ होगा।
13 “याजकों की भूमि से लगी भूमि को लेवीवंशी अपने हिस्से के रूप में पाएंगे। यह पच्चीस हजार हाथ लम्बी, दस हजार हाथ चौड़ी होगी। वे इस भूमि की पूरी लम्बाई और चौड़ाई पच्चीस हजार हाथ लम्बी और बीस हजार हाथ चौड़ी पाएंगे। 14 लेवीवंशी इस भूमि का कोई भाग न तो बेचेंगे, न ही व्यापार करेंगे। वे इस भूमि का कोई भी भाग बेचने का अधिकार नहीं रखते। वे देश के इस भाग के टुकड़े नहीं कर सकते। क्यों क्योंकि यह भूमि यहोवा की है। यह अति विशेष है। यह भूमि का सर्वोत्तम भाग है।
नगर सम्पत्ति के लिये हिस्से
15 “भूमि का एक क्षेत्र पाँच हजार हाथ चौड़ा और पच्चीस हजार हाथ लम्बा होगा जो याजकों और लेवीवंशियों को दी गई भूमि से अतिरिक्त होगा। यह भूमि नगर, पशुओं की चरागाह और घर बनाने के लिये हो सकती है। साधारण लोग इसका उपयोग कर सकते हैं। नगर इसके बीच में होगा। 16 नगर की नाप यह है: उत्तर की ओर यह साढ़े चार हजार हाथ होगा। पूर्व की ओर यह साढ़े चार हजार हाथ होगा। दक्षिण की ओर यह साढ़े चार हजार हाथ होगा। पश्चिम की ओर यह साढ़े चार हजार हाथ होगा। 17 नगर की चरागाह होगी। ये चरागाहें ढाई सौ हाथ उत्तर की ओर, ढाई सौ हाथ दक्षिण की ओर होगी। वे ढाई सौ हाथ पूर्व की ओर तथा ढाई सौ हाथ पश्चिम की ओर होगी। 18 पवित्र क्षेत्र के सहारे जो लम्बाई बचेगी, वह दस हजार हाथ पूर्व में ओर दस हजार हाथ पश्चिम में होगी। यह भूमि पवित्र क्षेत्र के बगल में होगी। यह भूमि नगर के मजदूरों के लिये अन्न पैदा करेगी। 19 नगर के मजदूर इसमें खेती करेंगे। मजदूर इस्राएल के सभी परिवार समूहों में से होंगे।
20 “यह भूमि का विशेष क्षेत्र वर्गाकार होगा। यह पच्चीस हजार हाथ लम्बा औरप् पच्चीस हजार हाथ चौड़ा होगा। तुम इस क्षेत्र को विशेष कामों के लिये अलग रखोगे। एक भाग याजकों के लिये है। एक भाग लेवीवंशियों के लिये है और एक भाग नगर के लिये है।
21-22 “इस विशेष भूमि का एक भाग देश के शासक के लिये होगा। यह विशेष भूमि का क्षेत्र वर्गाकार है। यह पच्चीस हजार हाथ लम्बा और पच्चीस हजार हाथचौड़ा है। इसका एक भाग याजकों के लिये, एक भाग लेवीवंशियों के लिये और एक भाग मन्दिर के लिये है। मन्दिर इस भूमि क्षेत्र के बीच में है। शेष भूमि देश के शासक की है। शासक बिन्यामीन और यहूदा की भूमि के बीच की भूमि पाएगा।
23-27 “विशेष क्षेत्र के दक्षिण में उस परिवार समूह की भूमि होगी जो यरदन नदी के पूर्व रहता था। हर परिवार समूह उस भूमि का एक हिस्सा पाएगा जो पूर्वी सीमा से भूमध्य सागर तक गई है। उत्तर से दक्षिण के ये परिवार समूह है: बिन्यामीन, शिमोन, इस्साकार, जबूलून और गाद।
28 “गाद की भूमि की दक्षिणी सीमा तामार से मरीबोत—कादेश के नखलिस्तान तक जाएगी। तब मिस्र के नाले से भूमध्य़ सागर तक पहुँचेगी 29 और यही वह भूमि है जिसे तुम इस्राएल के परिवार समूह में बाँटोगे। वही हर एक परिवार समूह पाएगा।” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा!
नगर के फाटक
30 “नगर के ये फाटक हैं। फाटकों का नाम इस्राएल के परिवार समूह के नामों पर होंगे।
“उत्तर की ओर नगर साढ़े चार हजार हाथ लम्बा होगा। 31 उसमें तीन फाटक होंगे। रुबेन का फाटक, यहूदा का फाटक और लेवी का फाटक।
32 “पूर्व की ओर नगर साढ़े चार हजार हाथ लम्बा होगा। उसमें तीन फाटक होंगे: यूसुफ का फाटक, बिन्यामीन का फाटक और दान का फाटक।
33 “दक्षिण की ओर नगर साढ़े चार हजार हाथ लम्बा होगा। उसमें तीन फाटक होंगे: शिमोन का फाटक, इस्साकार का फाटक और जबूलून का फाटक।
34 “पश्चिम की ओर नगर साढ़े चार हजार हाथ लम्बा होगा। इसमें तीन फाटक होंगे: गाद का फाटक, आशेर का फाटक और नप्ताली का फाटक।
35 “नगर के चारों ओर की दूरी अट्ठारह हजार हाथ होगी। अब से आगे नगर का नाम होगा: यहोवा यहाँ है।”
समीक्षा
पवित्र आत्मा के अभिषेक की लालसा कीजिए
जब परमेश्वर का प्रेम पवित्र आत्मा के द्वारा आपके हृदय में ऊंडेला जाता हैं, (रोमियो 5:5), परमेश्वर का आत्मा बहुतायत जीवन, आत्मिक वृद्धि, बढ़ती हुई फलदायीता और आपके जीवन में चंगाई को लाते हैं।
यहेजकेल इसका एक चित्र देखते हैं जब वह मंदिर में से पानी के ऊँडेले जाने को देखते हैं। यह बाहर बहकर जाता है और एक नदी बन जाती है जो पहले टखुनों तक, फिर घुटनों तक, फिर कमर तक आ जाता है और आखिर में " ऐसी नदी बन जाती है जिसके पार मैं न जा सका, क्योंकि जल बढ़कर तैरने के योग्य था; अर्थात् ऐसी नदी थी जिसके पार कोई नहीं जा सकता था" (यहेजकेल 47:5, एम.एस.जी)। नदी के दोनों ओर बहुत से पेड़ हैं (व.7)। जहाँ कही नदी बहती है, समुद्र ताजा हो जाता है (व.8)।
"जहाँ कहीं नदी बहती है, जीवन समृद्ध बनेगा- बहुत सी मछलियाँ – क्योंकि नदी नमकीन समुद्र को ताजे पानी में बदल देती है। जहाँ नदी बहती है, जीवन बहुतायत सा होता है। मछुआरे..अपने जाल डालते हैं। समुद्र हर प्रकार की मछलियों से भर जाता है...
" नदी के दोनों किनारों पर भाँति भाँति के खाने योग्य फलदायी पेड़ उपजेंगे, जिनके पत्ते न मुर्झाएँगे और उनका फलना कभी बन्द न होगा, क्योंकि नदी का जल पवित्र स्थान से निकला है। उनमें महीने महीने नये नये फल लगेंगे। उनके फल तो खाने के, और पत्ते औषधी के काम आएँगे" (वव.8-12, एम.एस.जी)।
यीशु ने कहा कि यहेजकेल के यें वायदे पूरे होंगे एक स्थान में नहीं, किंतु एक व्यक्ति में - यीशु में (यूहन्ना 7:37-39)। पवित्र आत्मा के द्वारा, जीवित जल की धाराएँ आपमें से भी बहेंगी। यीशु ने कहा, " जो मुझ पर विश्वास करेगा, जैसा पवित्रशास्त्र में कहा गया है, ‘उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियाँ बह निकलेंगी" (व.38)।
इसलिए जीवित जल की यह नदी आत्मा के कार्य का एक चित्र है, जो आपके पास जीवन और बहुतायता और आशीष को लाता है, और आपमें से बहता है कि दूसरों पर एक सकारात्मक प्रभाव बनाये। सभी चित्र जीवन, वृद्धि, फलदायीता और चंगाई को बताते हैं। यह यीशु मसीह के चर्च के बढ़ने और जहाँ कहीं नदी बहती है वहाँ जीवन लाने का एक चित्र है।
आखिर में, नदी नये यरुशलेम की परछाई है और इसकी प्रत्याशा है – शहर जहाँ परमेश्वर रहते हैं। शहर का नाम है, "परमेश्वर यहाँ हैं" (यहेजकेल 48:35)। यह नये स्वर्ग और नई पृथ्वी की परछाई है (प्रकाशितवाक्य 22:1-2), जिसे यीशु लायेंगे जब वह वापस आयेंगे।
प्रार्थना
पिप्पा भी कहते है
1 पतरस 4:9
" बिना कुड़कुड़ाए एक दूसरे का अतिथि – सत्कार करिए"
जैसे ही हमारे घर में हर दिन लोग आते जाते रहते हैं, मुझे इस वचन को निरंतर पढ़ते रहने की आवश्यकता है।
दिन का वचन
1 पतरस - 4:18
"और यदि धर्मी व्यक्ति ही कठिनता से उद्धार पाएगा, तो भक्तिहीन और पापी का क्या ठिकाना?"
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संदर्भ
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी", बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइडऍ बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।