परमेश्वर के लिए उपयोगी बनने के पच्चीस तरीके
परिचय
वह मेरे विश्वास के एक महान हीरो हैं। वह भक्तिमयता, विश्वास और दीनता के एक आदर्श थे। परमेश्वर ने महान रूप से उनका इस्तेमाल किया। 1982 में जब उनकी मृत्यु हुई, उनकी हत्या करने वाले उनके परिवार के किसी जीवित सदस्य का पता नहीं लगा पाये। कोई भी दूर का रिश्तेदार बताते हुए भी आगे नहीं आया।
तब भी, उनके विषय में द टाईम्स की निधन सूचना ने सही ध्यान दिया कि पिछले पचास वर्षों में इंग्लैंड के चर्च में उनका प्रभाव, शायद से उनके किसी भी समकालीन व्यक्ति से अधिक था। जॉन स्कॉट, जो अनेक मसीह लीडर्स में से एक थे, जिन्हें उन्होंने मसीह में विश्वास में लाया था, उनके बारे में कहाः’जो उन्हें अच्छी तरह से जानते थे और जो उनके साथ काम करते थे कभी भी आशा नहीं कर सकते कि उनकी तरह कोई होगा; क्योंकि मुश्किल से ही कोई उनकी तरह शांत, विनम्र और बहुत ही आत्मिक मनुष्य होगा।“
क्यों यह व्यक्ति – रेवरन इ.जे.एच नॅश – परमेश्वर के लिए इतने उपयोगी थे? कैसे आप परमेश्वर के लिए उपयोगी बन सकते हैं?
संत पौलुस लिखते है,’ यदि कोई अपने आप को इनसे शुध्द करेगा, तो वह आदर का बरतन और पवित्र ठहरेगा; और स्वामी के काम आएगा, और हर भले काम के लिये तैयार होगा“ (2तीमुथियुस 2:20-21, एम.एस.जी)।
जॉन स्कॉट लिखते हैं,’इससे बढ़कर कोई सम्मान की बात नहीं हो सकती है कि यीशु मसीह के हाथों में एक उपकरण बनें, उनके उद्देश्य को पूरा करने के लिए उनके अधिकार में रहे, उनकी सेवा के लिए हमेशा उपलब्ध रहे।“ ’ स्वामी के काम आएगा, और हर भले काम के लिये तैयार होगा“ (व.21) इसकी शुरुवात होती है अपने जीवन को उनके प्रति समर्पित करने से और नियमित रूप से उनकी सेवा के लिए इसे पुन:समर्पित करने से।
नीतिवचन 25:21-26:2
21 यदि तेरा शत्रु भी कभी भूखा हो, उसके खाने के लिये, तू भोजन दे दे, और यदि वह प्यासा हो, तू उसके लिये पानी पीने को दे दे। 22 यदि तू ऐसा करेगा वह लज्जित होगा, वह लज्जा उसके चिंतन में अंगारों सी धधकेगी, और यहोवा तुझे उसका प्रतिफल देगा।
23 उत्तर का पवन जैसे वर्षा लाता है वैसे ही धूर्त—
वाणी क्रोध उपजाती है।
24 झगड़ालू पत्नी के साथ घर में रहने से
छत के किसी कोने पर रहना उत्तम है।
25 किसी दूर देश से आई कोई अच्छी खबर
ऐसी लगती है जैसे थके मादे प्यासे को शीतल जल।
26 गाद भरे झरने अथवा किसी दूषित कुँए सा होता
वह धर्मी पुरूष जो किसी दुष्ट के आगे झुक जाता है।
27 जैसे बहुत अधिक शहद खाना अच्छा नहीं
वैसे अपना मान बढ़ाने का यत्न करना अच्छा नहीं है।
28 ऐसा जन जिसको स्वयं पर नियन्त्रण नहीं,
वह उस नगर जैसा है, जिसका परकोटा ढह कर बिखर गया हो।
मूर्खो के सम्बंध में विवेकपूर्ण सूक्तियाँ
26जैसे असंभव है बर्फ का गर्मी में पड़ना और जैसे वांछित नहीं है कटनी के वक्त पर वर्षा का आना वैसे ही मूर्ख को मान देना अर्थहीन है।
2 यदि तूने किसी का कुछ भी बिगाड़ा नहीं और तुझको वह शाप दे, तो वह शाप व्यर्थ ही रहेगा। उसका शाप पूर्ण वचन तेरे ऊपर से यूँ उड़ निकल जायेगा जैसे चंचल चिड़िया जो टिककर नहीं बैठती।
समीक्षा
1. अपने शत्रु से प्रेम कीजिए
’ यदि तेरा बैरी भूखा हो तो उसको रोटी खिलाना; और यदि वह प्यासा हो तो उसे पानी पिलाना; क्योंकि इस रीति तू उसके सिर पर अंगारे डालेगा, और यहोवा तुझे इसका फल देगा “ (25:21-22, एम.एस.जी; रोमियों 12:20 भी देखें)।
2. अपनी जीभ की निगरानी कीजिए
’ जैसे उत्तरी वायु वर्षा को लाती है, वैसे ही चुगली करने से मुख पर क्रोध छा जाता है“ (नीतिवचन 25:23, एम.एस.जी)।
यदि आप अपने कार्य बदलना चाहते हैं तो अपने विचारो और वचनो से शुरुवात कीजिए। ’ पर अशुध्द बकवाद से बचे रह, क्योंकि ऐसे लोग और भी अभक्ति में बढ़ते जाएँगे“ (2तीमुथियुस 2:16)।
3. झगड़े से दूर रहिए
’ लम्बे चौड़े घर में झगडालू पत्नी के संग रहने से छत के कोने पर रहना उत्तम है“ (नीतिवचन 25:24)।
इसी विषय में पौलुस लिखते हैं,’ इन बातों की सुधि उन्हें दिला और प्रभु के सामने चिता दे कि शब्दों पर तर्क – वितर्क न किया करें, जिनसे कुछ लाभ नहीं होता वरन सुननेवाले बिगड़ जाते हैं“ (2तीमुथियुस 2:14)। वह आगे कहते हैं,’ पर मूर्खता और अविद्या के विवादों से अलग रह, क्योंकि तू जानता है कि इनसे झगड़े उत्पन्न होते हैं। प्रभु के दास को झगड़ालू नहीं होना चाहिए“ (वव.23-24)।
4. अच्छा समाचार लाईये
’ जैसा थके मांदे के प्राणो के लिये ठण्डा पानी होता है, वैसा ही दूर देश से आया हुआ शुभ समाचार भी होता है“ (नीतिवचन 25:25)। हमें बहुत सम्मान मिला है कि यीशु मसीह के सुसमाचार का प्रचार करें। यह ’थके हुए प्राणों के लिए ठंडे पानी की तरह है।“
5. दृढता से खड़े रहें
’ जो सत्यनिष्ठ कहने में आता है, वह गंदले सोते और बिगड़े हुए कुण्ड के समान है“ (व.26)। कभी कभी यह महत्वपूर्ण है कि दृढ़ता से खड़े रहें।
6. सम्मान को मत खोजिये
यदि आप अपने लिए सम्मान खोजेंगे, तो आप पायेंगे कि सच्चा सम्मान आपसे बचकर निकल जाएगाः’ बहुत मधु खाना अच्छा नहीं,परन्तु कठिन बातों की पूछताछ महिमा का कारण होती है।“ (व.27)।
7. आत्मसंयम रखे
’ जिसकी आत्मा वश में नहीं वह ऐसे नगर के समान है जिसकी शहरपनाह घेराव करके तोड़ दी गई हो“ (व.28, एम.एस.जी)। दूसरों को नियंत्रित करने की कोशिश मत करो। एकमात्र व्यक्ति जिसको आपको नियंत्रित करने की कोशिश करनी चाहिए, वह हैं आप। आत्मसंयम एक गुण है जो आत्मा का फल है (गलातियों 5:22-23)।
8. दूसरे क्या कहते हैं इस बात की चिंता मत कीजिए
आपको बुरी प्रसिद्धी या झूठी निंदा से डरने की आवश्यकता नहीं हैः ’ जैसे गौरेया घूमते – घूमते और सूपबेनी उड़ते – उड़ते नहीं बैठती, वैसे ही व्यर्थ शाप नहीं पड़ता“ (नीतिवचन 26:2)।
प्रार्थना
2 तीमुथियुस 2:1-26
मसीह यीशु का सच्चा सिपाही
2जहाँ तक तुम्हारी बात है, मेरे पुत्र, यीशु मसीह में प्राप्त होने वाले अनुग्रह से सुदृढ़ हो जा। 2 बहुत से लोगों की साक्षी में मुझसे तूने जो कुछ सुना है, उसे उन विश्वास करने योग्य व्यक्तियों को सौंप दे जो दूसरों को भी शिक्षा देने में समर्थ हों। 3 यातनाएँ झेलने में मसीह यीशु के एक उत्तम सैनिक के समान मेरे साथ आ मिल। 4 ऐसा कोई भी, जो सैनिक के समान सेवा कर रहा है, अपने आपको साधारण जीवन के जंजाल में नहीं फँसाता क्योंकि वह अपने शासक अधिकारी को प्रसन्न करने के लिए यत्नशील रहता है। 5 और ऐसे ही यदि कोई किसी दौड़ प्रतियोगिता में भाग लेता है, तो उसे विजय का मुकुट उस समय तक नहीं मिलता, जब तक कि वह नियमों का पालन करते हुए प्रतियोगिता में भाग नहीं लेता। 6 परिश्रमी कामगार किसान ही उपज का सबसे पहला भाग पाने का अधिकारी है। 7 मैं जो बताता हूँ, उस पर विचार कर। प्रभु तुझे सब कुछ समझने की क्षमता प्रदान करेगा।
8 यीशु मसीह का स्मरण करते रहो जो मरे हुओं में से पुरर्जीवित हो उठा है और जो दाऊद का वंशज है। यही उस सुसमाचार का सार है जिसका मैं उपदेश देता हूँ 9 इसी के लिए मैं यातनाएँ झेलता हूँ। यहाँ तक कि एक अपराधी के समान मुझे जंजीरों से जकड़ दिया गया है। किन्तु परमेश्वर का वचन तो बंधन रहित है। 10 इसी कारण परमेश्वर के चुने हुए लोगों के लिये मैं हर दुःख उठाता रहता हूँ ताकि वे भी मसीह यीशु में प्राप्त होने वाले उद्धार को अनन्त महिमा के साथ प्राप्त कर सकें।
11 यह वचन विश्वास के योग्य है कि:
यदि हम उसके साथ मरे हैं, तो उसी के साथ जीयेंगे,
12 यदि दुःख उठाये हैं तो उसके साथ शासन भी करेंगे।
यदि हम उसको छोड़ेंगे, तो वह भी हमको छोड़ देगा,
13 हम चाहे विश्वास हीन हों पर वह सदा सर्वदा विश्वसनीय रहेगा
क्योंकि वह अपना इन्कार नहीं कर सकता।
स्वीकृत कार्यकर्ता
14 लोगों को इन बातों का ध्यान दिलाते रहो और परमेश्वर को साक्षी करके उन्हें सावधान करते रहो कि वे शब्दों को लेकर लड़ाई झगड़ा न करें। ऐसे लड़ाई झगड़ों से कोई लाभ नहीं होता, बल्कि इन्हें जो सुनते हैं, वे भी नष्ट हो जाते हैं। 15 अपने आप को परमेश्वर द्वारा ग्रहण करने योग्य बनाकर एक ऐसे सेवक के रूप में प्रस्तुत करने का यत्न करते रहो जिससे किसी बात के लिए लज्जित होने की आवश्यकता न हो। और जो परमेश्वर के सत्य वचन का सही ढंग से उपयोग करता हो,
16 और सांसारिक वाद विवादों तथा व्यर्थ की बातों से बचा रहता है। क्योंकि ये बातें लोगों को परमेश्वर से दूर ले जाती हैं। 17 ऐसे लोगों की शिक्षाएँ नासूर की तरह फैलेंगी। हुमिनयुस और फिलेतुस ऐसे ही हैं। 18 जो सच्चाई के बिन्दु से भटक गये हैं। उनका कहना है कि पुनरुत्थान तो अब तक हो भी चुका है। ये कुछ लोगों के विश्वास को नष्ट कर रहे हैं।
19 कुछ भी हो परमेश्वर ने जिस सुदृढ़ नींव को डाला है, वह दृढ़ता के साथ खड़ी है। उस पर अंकित है, “प्रभु अपने भक्तों को जानता है।” और “वह हर एक, जो कहता है कि वह प्रभु का है, उसे बुराइयों से बचे रहना चाहिए।”
20 एक बड़े घर में बस सोने-चाँदी के ही पात्र तो नहीं होते हैं, उसमें लकड़ी और मिट्टी के बरतन भी होते हैं। कुछ विशेष उपयोग के लिए होते हैं और कुछ साधारण उपयोग के लिए। 21 इसलिए यदि व्यक्ति अपने आपको बुराइयों से शुद्ध कर लेता है तो वह विशेष उपयोग का बनेगा और फिर पवित्र बन कर अपने स्वामी के लिए उपयोगी सिद्ध होगा। और किसी भी उत्तम कार्य के लिए तत्पर रहेगा।
22 जवानी की बुरी इच्छाओं से दूर रहो धार्मिक जीवन, विश्वास, प्रेम और शांति के लिये उन सब के साथ जो शुद्ध मन से प्रभु का नाम पुकारते हैं, प्रयत्नशील रहो। 23 मूर्खतापूर्ण, बेकार के तर्क वितर्कों से सदा बचे रहो। क्योंकि तुम जानते ही हो कि इनसे लड़ाई-झगड़े पैदा होते हैं। 24 और प्रभु के सेवक को तो झगड़ना ही नहीं चाहिए। उसे तो सब पर दया करनी चाहिए। उसे शिक्षा देने में योग्य होना चाहिए। उसे सहनशील होना चाहिए। 25 उसे अपने विरोधियों को भी इस आशा के साथ कि परमेश्वर उन्हें भी मन फिराव करने की शक्ति देगा, विनम्रता के साथ समझाना चाहिए। ताकि उन्हें भी सत्य का ज्ञान हो जाये 26 और वे सचेत होकर शैतान के उस फन्दे से बच निकलें जिसमें शैतान ने उन्हें जकड़ रखा है ताकि वे परमेश्वर की इच्छा का अनुसरण कर सकें।
समीक्षा
9. इसे आगे बढ़ा दीजिए
यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि संदेश को आगे बढ़ा दें और दूसरों में निवेश करें। 2तीमुथियुस 2:2 में दूसरों में निवेश करने के चार स्तर हैं:
जो मैंने कहा
और तुमने सुना
भरोसेयोग्य लोगों को सौंप दे
जो दूसरों को सिखायेंगे
10. कठिनाई को सहे
पौलुस एक सैनिक के उदाहरण का इस्तेमाल करते हैं (व.4)। सैनिकों को कठिनाई सहनी पड़ती है। वह आगे कहते हैं,’ इस कारण मैं चुने हुए लोगों के लिये सब कुछ सहता हूँ, कि वे भी उस उध्दार को जो मसीह यीशु में है अनन्त महिमा के साथ पाएँ“ (व.10)। पौलुस आगे कहते हैं कि,’ यदि हम धीरज से सहते रहेंगे, तो उसके साथ राज्य भी करेंगे“ (व.12)।
11. व्यवधानों को दूर करें
’ जब कोई योध्दा लड़ाई पर जाता है, तो इसलिये कि अपने भरती करने वाले को प्रसन्न करे, अपने आप को संसार के कामों में नहीं फँसाता“ (व.4अ)। एक स्पष्ट केंद्र रखे और व्यवधानों को दूर करें जो समय बरबाद करते है। एक सैनिक के रूप में, आपको अपना केंद्र बनाए रखने और अपने भरती करने वाले को प्रसन्न करने की कोशिश करनी है (व.4ब)।
12. नियम को माने
पौलुस एक सैनिक के उदाहरण के बाद एक खिलाड़ी का उदारहण देते हैं:’ अखाड़ें में लड़ने वाला यदि विधि के अनुसार न लड़े तो मुकुट नहीं पाता “ (व.5, एम.एस.जी)।
13. कठिन परिश्रम करें
सैनिक और खिलाड़ी के उदाहरण के बाद, पौलुस एक किसान का उदाहरण देते हैं:’ जो किसान परिश्रम करता है, फल का अंश पहले उसे मिलना चाहिए“ (व.6)।
14. परमेश्वर के वचन पर मनन करें
केवल परमेश्वर समझ दे सकते हैं, लेकिन आपको अपनी भूमिका निभानी है। पौलुस लिखते हैं,’ जो मैं कहता हूँ उस पर ध्यान दे, और प्रभु तुझे सब बातों की समझ देंगे“ (व.7)।
15. यीशु पर ध्यान दीजिए
’ यीशु मसीह को स्मरण रख, जो दाऊद कें वंश से हुआ और मरे हुओ में से जी उठा, और यह मेरे सुसमाचार के अनुसार है“ (व.8)। सुसमाचार यीशु के विषय में है। उद्धार ’यीशु मसीह में है“ (व.10)।
16. परमेश्वर के वचन को सही से संभालिये
’ अपने आप को परमेश्वर का ग्रहणयोग्य और ऐसा काम करने वाला ठहराने का प्रयत्न कर, जो लज्जित होने न पाए, और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाता हो“ (व.15)।
17. बुराई से दूर रहें
’कोई प्रभु का नाम लेता है, वह बुराई से बचा रहे“ (व.19)। पछतावा एकमेव कार्य नहीं है; यह एक निरंतर व्यवहार है। इसमें दुष्टता से दूर रहना है (व.19) और ’जवानी की बुरी इच्छाओं“ से दूर रहना है (व.22अ)।
18. एक शांतिकर्ता बने
पौलुस तीमुथी को चिताते हैं कि दूसरी चीजों के साथ साथ ’शांति की खोज करें“ (व.22)। ’ पर मूर्खता और अविद्या के विवादों से अलग रह, क्योंकि तू जानता है कि इनसे झगड़े उत्पन्न होते हैं। प्रभु के दास को झगड़ालू नहीं होना चाहिए“ (व.23, एम.एस.जी)।
जॉयस मेयर लिखती हैं,’लड़ाई बेकार की कलह, असहमति, और क्रोधी प्रवृत्ति है। लड़ाई खतरनाक और विनाशकारी है।“ हमारे जीवन से लड़ाई को दूर रखने के लिए ’नियमित रूप से बातचीत करने और मामले से निपटने की इच्छा की आवश्यकता है...ऐसा एक व्यक्ति बनने के लिए पवित्र आत्मा की मदद माँगिये जो लड़ाई से दूर रहता है और जहाँ कही जाता है वहाँ शांति लाता है।“
19. सभी के प्रति नम्र बने
’परमेश्वर के दास को...सभी के प्रति नम्र होना चाहिए“ (व.24)। सभी में सभी शामिल हैं – ना केवल आपके मित्र, या लोग जिन्हें आप पसंद करते हैं, लेकिन वह सभी लोग जिनके आप संपर्क में आते हैं (विशेष रूप से वे लोग जिनकी अक्सर सराहना नहीं होती है, जैसे कि सुपरमार्केट के बाहर खड़े व्यक्ति, जो फोन पर आपकी मदद करते हैं..)
20. सीखना सीखिये
’परमेश्वर के दास को...सिखाना आना चाहिए“ और ’ वह विरोधियों को नम्रता से समझाए“ (वव.24-25)। शिक्षा एक विशेषज्ञ सेवकाई है लेकिन यह हर मसीह का कार्य भी है। एक मुख्य विशेषता है विनम्रता। ’ प्रभु के दास को झगड़ालू नहीं होना चाहिए, पर वह सब के साथ कोमल और शिक्षा में निपुण और सहनशील हो। वह विरोधियों को नम्रता से समझाए “ (वव.24-25, एम.एस.जी)।
21. नाराज मत होईये
’परमेश्वर के दास को...नाराज नहीं होना चाहिए“ (व.24)।
नाराजगी संबंधों में जहर डालती है।
प्रार्थना
यिर्मयाह 49:7-50:10
एदोम के बारे में सन्देश
7 यह सन्देश एदोम के बारे में है: सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है,
“क्या तेमान नगर में बुद्धि बची नहीं रह गई है?
क्या एदोम के बुद्धिमान लोग अच्छी सलाह देने योग्य नहीं रहे?
क्या वे अपनी बुद्धिमत्ता खो चुके हैं?
8 ददान के निवासियों भागो, छिपो।
क्यों क्योंकि मैं एसाव को उसके कामों के लिये दण्ड दूँगा।
9 “यदि अंगूर तोड़ने वाले आते हैं
और अपने अंगूर के बागों से अंगूर तोड़ते हैं
और बेलों पर कुछ अंगूर छोड़ ही देते हैं।
यदि चोर रात को आते हैं तो वे उतना ही ले जाते हैं जितना उन्हें चाहिये सब नहीं।
10 किन्तु मैं एसाव से हर चीज़ ले लूँगा।
मैं उसके सभी छिपने के स्थान ढूँढ डालूँगा।
वह मुझसे छिपा नहीं रह सकेगा।
उसके बच्चे, सम्बन्धी और पड़ोसी मरेंगे।
11 कोई भी व्यक्ति उनके बच्चों की देख—रेख के लिये नहीं बचेगा।
उसकी पत्नियाँ किसी भी विश्वासपात्र को नहीं पाएंगी।”
12 यह वह है, जो यहोवा कहता है, “कुछ व्यक्ति दण्ड के पात्र नहीं होते, किन्तु उन्हें कष्ट होता है। किन्तु एदोम तुम दण्ड पाने योग्य हो, अत: सचमुच तुमको दण्ड मिलेगा। जो दण्ड तुम्हें मिलना चाहिये, उससे तुम बचकर नहीं निकल सकते। तुम्हें दण्ड मिलेगा।” 13 यहोवा कहता है, “मैं अपनी शक्ति से यह प्रतिज्ञा करता हूँ, मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि बोस्रा नगर नष्ट कर दिया जाएगा। वह नगर बरबाद चट्टानों का ढेर बनेगा। जब लोग अन्य नगरों का बुरा होना चाहेंगे तो वे इस नगर को उदाहरण के रूप में याद करेंगे। लोग उस नगर का अपमान करेंगे और बोस्रा के चारों ओर के नगर सदैव के लिये बरबाद हो जाएंगे।”
14 मैंने एक सन्देश यहोवा से सुना।
यहोवा ने राष्ट्रों को सन्देश भेजा।
सन्देश यह है:
“अपनी सेनाओं को एक साथ एकत्रित करो!
युद्ध के लिये तैयार हो जाओ।
एदोम राष्ट्र के विरुद्ध कुच करो।
15 एदोम, मैं तुम्हें महत्वहीन बनाऊँगा।
हर एक व्यक्ति तुमसे घृणा करेगा।
16 एदोम, तुमने अन्य राष्ट्रों को आतंकित किया है।
अत: तुमने समझा कि तुम महत्वपूर्ण हो।
किन्तु तुम मूर्ख बनाए गए थे।
तुम्हारे घमण्ड ने तुझे धोखा दिया है।
एदोम, तुम ऊँचे पहाड़ियों पर बसे हो, तुम बड़ी चट्टानों और पहाड़ियों के स्थानों पर सुरक्षित हो।
किन्तु यदि तुम अपना निवास उकाब के घोंसले की ऊँचाई पर ही क्यों न बनाओ, तो भी मैं तुझे पा लूँगा
और मैं वहाँ से नीचे ले आऊँगा।”
यहोवा ने यह सब कहा।
17 “एदोम नष्ट किया जाएगा।
लोगों को नष्ट नगरों को देखकर दु:ख होगा।
लोग नष्ट नगरों पर आश्चर्य से सीटी बजाएंगे।
18 एदोम, सदोम, अमोरा और उनके चारों ओर के नगरों जैसा नष्ट किया जाएगा।
कोई व्यक्ति वहाँ नहीं रहेगा।”
यह सब यहोवा ने कहा।
19 “कभी यरदन नदी के समीप की घनी झाड़ियों से एक सिंह निकलेगा और वह सिंह उन खेतों में जाएगा जहाँ लोग अपनी भेड़ें और अपने पशु रखते हैं। मैं उस सिंह के समान हूँ। मैं एदोम जाऊँगा और मैं उन लोगों को आतंकित करूँगा। मैं उन्हें भगाऊँगा। उनका कोई युवक मुझको नहीं रोकेगा। कोई भी मेरे समान नहीं है। कोई भी मुझको चुनौती नहीं देगा। उनके गडेरियों (प्रमुखों) में से कोई भी हमारे विरुद्ध खड़ा नहीं होगा।”
20 अत: यहोवा ने एदोम के विरुद्ध जो योजना बनाई है उसे सुनो।
तेमान में लोगों के साथ जो करने का निश्चय यहोवा ने किया है उसे सुनो।
शत्रु एदोम की रेवड़ (लोग) के बच्चों को घसीट ले जाएगा।
उन्होंने जो कुछ किया उससे एदोम के चरागाह खाली हो जायेगें।
21 एदोम के पतन के धमाके से पृथ्वी काँप उठेगी।
उनका रूदन लगातार लाल सागर तक सुनाई पड़ेगा।
22 यहोवा उस उकाब की तरह मंडरायेगा जो अपने शिकार पर टूटता है।
यहोवा बोस्रा नगर पर अपने पंख उकाब के समान फैलाया है।
उस समय एदोम के सैनिक बहुत आतंकित होंगे।
वे प्रसव करती स्त्री की तरह भय से रोएंगे।
दमिश्क के बारे में सन्देश
23 यह सन्देश दमिश्क नगर के लिये है:
“हमात और अर्पद नगर भयभीत हैं।
वे डरे हैं क्योंकि उन्होंने बुरी खबर सुनी है।
वे साहसहीन हो गए हैं।
वे परेशान और आतंकित हैं।
24 दमिश्क नगर दुर्बल हो गया है।
लोग भाग जाना चाहते हैं।
लोग भय से घबराने को तैयार बैठे हैं।
प्रसव करती स्त्री की तरह लोग पीड़ा और कष्ट का अनुभव कर रहे हैं।
25 “दमिश्क प्रसन्न नगर है।
लोगों ने अभी उस तमाशे के नगर को नहीं छोड़ा है।
26 अत: युवक इस नगर के सार्वजनिक चौराहे में मरेंगे।
उस समय उसके सभी सैनिक मार डाले जाएंगे।”
सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कुछ कहा है।
27 “मैं दमिश्क की दीवारों में आग लगा दूँगा।
वह आग बेन्नहदद के दृढ़ दुर्गो को पूरी तरह जलाकर राख कर देगी।”
केदार और हासोर के बारे में सन्देश
28 यह सन्देश केदार के परिवार समूह और हासोर के शासकों के बारे में है। बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने उन्हें पराजित किया था। यहोवा कहता है,
“जाओ और केदार के परिवार समूह पर आक्रमण करो।
पूर्व के लोगों को नष्ट कर दो।
29 उनके डेरे और रेवड़ ले लिये जाएंगे।
उनके डेरे और सभी चीज़ें ले जायी जायेंगी।
उनका शत्रु ऊँटों को ले लेगा।
लोग उनके सामने चिल्लाएंगे:
‘हमारे चारों ओर भयंकर घटनायें घट रही है।’
30 शीघ्र ही भाग निकलो!
हासोर के लोगों, छिपने का ठीक स्थान ढूँढो।”
यह सन्देश यहोवा का है।
“नबूकदनेस्सर ने तुम्हारे विरुद्ध योजना बनाई है।
उसने तुम्हें पराजित करने की चुस्त योजना बनाई है।
31 “एक राष्ट्र है, जो खुशहाल है।
उस राष्ट्र को विश्वास है कि उसे कोई नहीं हरायेगा।
उस राष्ट्र के पास सुरक्षा के लिये द्वार और रक्षा प्राचीर नहीं है।
वे लोग अकेले रहते हैं।”
यहोवा कहता है, “उस राष्ट्र पर आक्रमण करो।”
32 “शत्रु उनके ऊँटों और पशुओं के बड़े झुण्डों को चुरा लेगा।
शत्रु उनके विशाल जानवरों के समूह को चुरा लेगा।
मैं उन लोगों को पृथ्वी के हर भाग में भाग जाने पर विवश करूँगा जिन्होंने अपने बालों के कोनों को कटा रखा है।
और मैं उनके लिये चारों ओर से भयंकर विपत्तियाँ लाऊँगा।”
यह सन्देश यहोवा का है।
33 “हासोर का प्रदेश जंगली कुत्तों के रहने का स्थान बनेगा।
यह सदैव के लिये सूनी मरुभूमि बनेगा।
कोई व्यक्ति वहाँ नहीं रहेगा कोई व्यक्ति उस स्थान पर नहीं रहेगा।”
एलाम के बारे में सन्देश
34 जब सिदकिय्याह यहूदा का राजा था तब उसके राज्यकाल के आरम्भ में यिर्मयाह नबी ने यहोवा का एक सन्देश प्राप्त किया। यह सन्देश एलाम राष्ट्र के बारे में है।
35 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है,
“मैं एलाम का धनुष बहुत शीघ्र तोड़ दूँगा।
धनुष एलाम का सबसे शक्तिशाली अस्त्र है।
36 मैं एलाम पर चतुर्दिक तूफान लाऊँगा।
मैं उन्हें आकाश के चारों दिशाओं से लाऊँगा।
मैं एलाम के लोगों को पृथ्वी पर सर्वत्र भेजूँगा जहाँ चतुर्दिक आँधिया चलती हैं
और एलाम के बन्दी हर राष्ट्र में जाएंगे।
37 मैं एलाम को, उनके शत्रुओं के देखते, टुकड़ों में बाँट दूँगा।
मैं एलाम को उनके सामने तोड़ूँगा जो उसे मार डालना चाहते हैं।
मैं उन पर भयंकर विपत्तियाँ लाऊँगा।
मैं उन्हें दिखाऊँगा कि मैं उन पर कितना क्रोधित हूँ।”
यह सन्देश यहोवा का है।
“मैं एलाम का पीछा करने को तलवार भेजूँगा।
तलवार उनका पीछा तब तक करेगी जब तक मैं उन सबको मार नहीं डालूँगा।
38 मैं एलाम को दिखाऊँगा कि मैं व्यवस्थापक हूँ
और मैं उसके राजाओं तथा पदाधिकारियों को नष्ट कर दूँगा।”
यह सन्देश यहोवा का है।
39 “किन्तु भविष्य में मैं एलाम के लिये सब अच्छा घटित होने दूँगा।”
यह सन्देश यहोवा का है।
बाबुल के बारे में सन्देश
50यह सन्देश यहोवा का है जिसे उसने बाबुल राष्ट्र और बाबुल के लोगों के लिये दिया। यहोवा ने यह सन्देश यिर्मयाह द्वारा दिया।
2 “हर एक राष्ट्र को यह घोषित कर दो!
झण्डा उठाओ और सन्देश सुनाओ।
पूरा सन्देश सुनाओ और कहो,
‘बाबुल राष्ट्र पर अधिकार किया जाएगा।
बेल देवता लज्जा का पात्र बनेगा।
मरोदक देवता बहुत डर जाएगा।
बाबुल की देवमूर्तियाँ लज्जा का पात्र बनेंगी
उसके मूर्ति देवता भयभीत हो जाएंगे।’
3 उत्तर से एक राष्ट्र बाबुल पर आक्रमण करेगा।
वह राष्ट्र बाबुल को सूनी मरुभूमि सा बना देगा।
कोई व्यक्ति वहाँ नहीं रहेगा
मनुष्य और पशु दोनों वहाँ से भाग जाएंगे।”
4 यहोवा कहता है, “उस समय, इस्राएल के
और यहूदा के लोग एक साथ होंगे।
वे एक साथ बराबर रोते रहेंगे
और एक साथ ही वे अपने यहोवा परमेश्वर को खोजने जाएंगे।
5 वे लोग पूछेंगे सिय्योन कैसे जाएँ
वे उस दिशा में चलना आरम्भ करेंगे।
लोग कहेंगे, ‘आओ, हम यहोवा से जा मिलें,
हम एक ऐसी वाचा करें जो सदैव रहे।
हम लोग एक ऐसी वाचा करे जिसे हम कभी न भूलें।’
6 “मेरे लोग खोई भेड़ की तरह हो गए हैं।
उनके गडेरिए (प्रमुख) उन्हें गलत रास्ते पर ले गए हैं।
उनके मार्गदर्शकों ने उन्हें पर्वतों और पहाड़ियों में चारों ओर भटकाया है।
वे भूल गए कि उनके विश्राम का स्थान कहाँ है।
7 जिसने भी मेरे लोगों को पाया, चोट पहुँचाई
और उन शत्रुओं ने कहा,
‘हमने कुछ गलत नहीं किया।
उन लोगों ने यहोवा के विरुद्ध पाप किये।
यहोवा उनका सच्चा विश्रामस्थल है।
यहोवा परमेश्वर है जिस पर उनके पूर्वजों ने विश्वास किया।
8 “बाबुल से भाग निकलो।
कसदी लोगों के देश को छोड़ दो।
उन बकरों की तरह बनो जो झुण्ड को राह दिखाते हैं।
9 मैं बहुत से राष्ट्रों को उत्तर से एक साथ लाऊँगा।
राष्ट्रों का यह समूह बाबुल के विरुद्ध युद्ध के लिये तैयार होगा।
बाबुल उत्तर के लोगों द्वारा अधिकार में लाया जाएगा।
वे राष्ट्र बाबुल पर अनेक बाण चलायेंगे
और वे बाण उन सैनिकों के समान होंगे
जो युद्ध भूमि से खाली हाथ नहीं लौटते।
10 शत्रु कसदी लोगों से सारा धन लेगा।
वे शत्रु सैनिक जो चाहेंगे, लेंगे।”
यह सब यहोवा कहता है।
समीक्षा
22. परमेश्वर के वचन को सुनिए
परमेश्वर ने महान रूप से यिर्मयाह का इस्तेमाल किया क्योंकि जैसा कि उन्होंने कहा,’ मैं ने यहोवा की ओर से समाचार सुना है“ (49:14)।
23. परमेश्वर को आपके द्वारा बात करने दीजिए
यिर्मयाह ने ना केवल परमेश्वर के वचन को सुना, वह इसे बोलने के लिए तैयार था और परमेश्वर ने उनके द्वारा बात की। ’ यहोवा ने यिर्मयाह भविष्यवक्ता के द्वारा यह वचन कहा...“ (50:1)।
24. परमेश्वर के साथ नजदीकी में चलिये
यिर्मयाह ने आने वाले दिनों की भविष्यवाणी की जब ’ इस्राएली और यहूदा एक संग आएँगे,वे रोते हुए अपने परमेश्वर यहोवा को ढूँढ़ने के लिये चले आएँगे“ (व.4)।
यही संबंध है जो परमेश्वर चाहते हैं कि हम उनके साथ रखें – एक साथ आकर, हर समय उनके साथ नजदीकी में चले (यिर्मयाह 50:5)। ’परमेश्वर को दृढ़ता से थामे रहें“ (व.5, एम.एस.जी)।
25. परमेश्वर में विश्राम पायें
’ मेरी प्रजा खोई हुई भेडें हैं; उनके चरवाहे ने उनको भटका दिया और पहाड़ों पर भटकाया है; व पहाड़ और पहाड़ी – पहाड़ी घूमते – घूमते अपने बैठने के स्थान को भूल गई हैं“ (व.6)। परमेश्वर आपके ’विश्राम का स्थान“ है (व.6), स्थान जहाँ पर आपके प्राणों को विश्राम मिलता है (6:16 भी देखें)।
प्रार्थना
पिप्पा भी कहते है
नीतिवचन 25:21-22
’ यदि तेरा बैरी भूखा हो तो उसको रोटी खिलाना; और यदि वह प्यासा हो तो उसे पानी पिलाना; क्योंकि इस रीति तू उसके सिर पर अंगारे डालेगा, और यहोवा तुझे इसका फल देगा। “
यदि किसी ने आपको चोट पहुँचाई है या आपको ठोकर खिलायी है, तो हमेशा नम्र होना और उदार होना आसान बात नहीं है। यह जानना कि परमेश्वर ईनाम देंगे सहायता करेंगे और यह विचार कि ’उनके सिर पर अंगारे बरसेंगे।“
दिन का वचन
2तीमुथियुस 2:24
“और प्रभु के दास को झगड़ालू होना न चाहिए, पर सब के साथ कोमल और शिक्षा में निपुण, और सहनशील हो।”

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संदर्भ
जॉन एडिसन, आत्मिक सामर्थ में अध्ययन (हायलैंड, 1982)
जॉयस मेयर, द एव्रीडे लाईफ बाईबल, (फेथवर्डस, 2014) पी.2012
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट ऊ 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइडऍ बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट ऊ 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट ऊ 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।