दिन 286

आपके भविष्य के लिए परमेश्वर की अच्छी योजनाएँ

बुद्धि भजन संहिता 119:25-32
नए करार 2 थिस्सलुनीकियों 1:1-12
जूना करार यिर्मयाह 27:1-29:23

परिचय

भविष्यवादी लोग, भविष्य के विषय में अनुमान लगाते हैं। एक अनुमान यह है कि अभी पैदा होने वाले बच्चे लगभग 150 वर्ष तक जीएँगे। वायर्ड मैग्जिन ने हाल ही में बताया कि 2018 तक भोजन में परिवर्तन हो जाएगा और 2020 तक खरीदारी के लिए नई आर्थिक मुद्रा बाजार में आयेगी।

कुछ भविष्यवादी को ढूँढते हैं यह जानने के लिए क्या होने वाला है। दूसरे इससे आगे जाते हैं। कुछ लोग अपनी जन्मकुंडली पढ़ते हैं क्योंकि वे जानना चाहते हैं कि भविष्य में क्या है। यिर्मयाह आज के लेखांश में चेतावनी देते हैं, ‘ इसलिये तुम लोग अपने भविष्यद्वक्ताओं और भावी कहने वालो और टोनहों और तांत्रिकों की ओर चित्त मत लगाओ’ (यिर्मयाह 27:9, एम.एस.जी)।

परमेश्वर के हाथों में भूतकाल, वर्तमान और भविष्य है, केवल परमेश्वर भविष्य को जानते हैं। इसका बहुत सा भाग हमसे छिपा हुआ है। किंतु, आपके भविष्य के विषय में कुछ चीजे हैं जो परमेश्वर आपको बताते हैं।

बुद्धि

भजन संहिता 119:25-32

दालथ्

25 मैं शीघ्र मर जाऊँगा।
 हे यहोवा, तू आदेश दे और मुझे जीने दे।
26 मैंने तुझे अपने जीवन के बारे में बताया है, तूने मुझे उत्तर दिया है।
 अब तू मुझको अपना विधान सिखा।
27 हे यहोवा, मेरी सहायता कर ताकि मैं तेरी व्यवस्था का विधान समझूँ।
 मुझे उन अद्भुत कर्मो का चिंतन करने दे जिन्हें तूने किया है।
28 मैं दु:खी और थका हूँ।
 मुझको आदेश दे और अपने वचन के अनुसार मुझको तू फिर सुदृढ़ बना दे।
29 हे यहोवा, मुझे कोई झूठ मत जीने दे।
 अपनी शिक्षाओं से मुझे राह दिखा दे।
30 हे यहोवा, मैंने चुना है कि तेरे प्रति निष्ठावान रहूँ।
 मैं तेरे विवेकपूर्ण निर्णयों का सावधानी से पाठ किया करता हूँ।
31 हे यहोवा, तेरी वाचा के संग मेरी लगन लगी है।
 तू मुझको निराश मत कर।
32 मैं तेरे आदेशों का पालन प्रसन्नता के संग किया करूँगा।
 हे यहोवा, तेरे आदेश मुझे अति प्रसन्न करते हैं।

समीक्षा

आपका भविष्य स्वतंत्रता है

इतिहास का अध्ययन हमारी सहायता करता है भविष्य का अनुमान लगाने में। जैसा कि विंस्टन चर्चिल् ने एक बार कहा, ‘भविष्य को समझने के लिए हमें भूतकाल को समझने की आवश्यकता है।’

मुझे भजन पसंद है। उनके विषय में ईमानदारी, वास्तविकता और प्रमाणिकता है। भजनसंहिता के लेखक अपनी भावनाओं को छिपाते नहीं हैं। वह उनके विषय में मुक्त रूप से और खुले रूप से बताते हैं: ’ मैं धूल में पड़ा हूँ’ (व.25ब, एम.एस.जी)।

हम सभी प्रलोभन, पाप, कठिनाई, दुख, डर, आशा और इच्छाओं का सामना करते हैं। भजनसंहिता के लेखक कहते हैं, ‘ मैंने अपनी चालचलन का तुझ से वर्णन किया है और तू ने मेरी बात मान ली है’ (व.26अ)। वह परमेश्वर के सामने अपनी बात रखते हैं, उनके सामने ईमानदारी से अपने हृदय को ऊँडेलते हुए। गहरे दुख के समय होते हैं:’ मेरा जीव उदासी के मारे गल चला है’ (व.28अ)।

इन सभी कठिनायों के सामने वह कैसे उत्तर देते हैं? वह प्रार्थना करते हैं, ‘ तू अपने वचन के अनुसार मुझ को जिला’ (व.25ब)। वह परमेश्वर के वचन पर मनन करते हैं (व.27ब) और प्रार्थना करते हैं, ‘ तू अपने वचन के अनुसार मुझे सम्भाल! मुझ को झूठ के मार्ग से दूर कर; और करुणा करके अपनी व्यवस्था मुझे दे’ (वव.28-29)।

संकल्प लीजिए कि हर वस्तु में परमेश्वर के मार्ग पर चलेंगे, बंधन या आत्मग्लानि में नहीं। परमेश्वर की आज्ञाओं के मार्ग में दौड़ने का चुनाव कीजिए, क्योंकि उन्होंने आपके हृदय को मुक्त किया है (व.32)।

प्रार्थना

परमेश्वर, आपका धन्यवाद कि आपके पास मेरे लिए स्वतंत्रता का मार्ग है, और संघर्ष के समय में मैं आपके पास आ सकता हूँ। मेरी सहायता कीजिए कि आपकी आज्ञाओं के मार्ग में चलूँ।
नए करार

2 थिस्सलुनीकियों 1:1-12

1पौलुस, सिलवानुस और तीमुथियुस की ओर से हमारे परम पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह में स्थित थिस्सलुनीकियों की कलीसिया के नाम:

2 तुम्हें परम पिता परमेश्वर और यीशु मसीह की ओर से अनुग्रह तथा शांति प्राप्त हो।

3 हे भाईयों, तुम्हारे लिए हमें सदा परमेश्वर का धन्यवाद करना चाहिए, ऐसा करना उचित भी है। क्योंकि तुम्हारे विश्वास का आश्चर्यजनक रूप से विकास हो रहा है तथा तुममें आपसी प्रेम भी बढ़ रहा है। 4 इसलिए परमेश्वर की कलीसियाओं में हम स्वयं तुम पर गर्व करते हैं। तुम्हारी यातनाओं के बीच तथा कष्टों को सहते हुए धैर्यपूर्वक सहन करना तुम्हारे विश्वास को प्रकट करता है।

पौलुस का धन्यवाद तथा परमेश्वर के न्याय की चर्चा

5 यह इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि परमेश्वर का न्याय सच्चा है। उसका उद्देश्य यही है कि तुम परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने योग्य ठहरो। तुम अब उसी के लिए तो कष्ट उठा रहे हो। 6 निश्चय ही परमेश्वर की दृष्टि में यह न्यायोचित है कि तुम्हें जो दुख दे रहे हैं, उन्हें बदले में दुख ही दिया जाए। 7 और तुम जो कष्ट उठा रहे हो, उन्हें हमारे साथ उस समय विश्राम दिया जाए जब प्रभु यीशु अपने सामर्थ्यवान दूतों के साथ स्वर्ग से 8 धधकती आग में प्रकट हो। और जो परमेश्वर को नहीं जानते तथा हमारे प्रभु यीशु मसीह के सुसमाचार पर नहीं चलते, उन्हें दण्ड दिया जाएगा। 9 उन्हें अनन्त विनाश का दण्ड दिया जाएगा। तथा उन्हें प्रभु और उसकी महिमापूर्ण शक्ति के सामने से हटा दिया जाएगा। 10 ऐसा तब होगा जब वह अपने पवित्र जनों के बीच महिमा मण्डित तथा सभी विश्वासियों के लिए आश्चर्य का हेतु बनने के लिए आएगा उसमें तुम लोग भी शामिल होगे क्योंकि हमने उसके विषय में जो साक्षी दी थी, उस पर तुमने विश्वास किया था।

11 इसलिए हम तुम्हारे हेतु परमेश्वर से सदा प्रार्थना करते हैं कि हमारा परमेश्वर तुम्हें उस जीवन के योग्य समझे जिसे जीने के लिए तुम्हें बुलाया गया है। और वह तुम्हारी हर उत्तम इच्छा को प्रबल रूप से परिपूर्ण करे और हर उस काम को वह सफल बनाए जो तुम्हारे विश्वास का परिणाम है। 12 इस प्रकार हमारे प्रभु यीशु मसीह का नाम तुम्हारे द्वारा आदर पाएगा। और तुम उसके द्वारा आदर पाओगे। यह सब कुछ हमारे परमेश्वर के और यीशु मसीह के अनुग्रह से होगा।

समीक्षा

आपका भविष्य सुरक्षित है

यीशु वापस आने वाले हैं। उनका दूसरा आगमन भविष्य के विषय में जानने और विश्वास करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण वस्तु है। यह इस विषय में हर वस्तु को बदल देता है कि अभी आप कैसे जीवन जीते हैं और वर्तमान समय के हर पल को आशा से भर देता है। कोई नहीं जानता कि यह कब होगा, लेकिन हर दिन ऐसे जीओ जैसे वह आज आने वाले हैं –वह करते हुए जो वह चाहते हैं कि आप करें।

पौलुस इस पत्र की शुरुवात में दावा करते हैं कि ‘ हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे’ (व.2, एम.एस.जी)। वह उनकी वृद्धि के लिए परमेश्वर का धन्यवाद देते हैं:’ तुम्हारा विश्वास बहुत बढ़ता जाता है, और तुम सब का प्रेम आपस में बहुत ही बढ़ता जाता है। यहाँ तक कि हम आप परमेश्वर की कलीसिया में तुम्हारे विषय में घमण्ड करते हैं’ (वव.3-4, एम.एस.जी)।

नये नियम में आत्मिक वृद्धि पर बहुत जोर दिया गया है। आप स्थिर खड़े रहने के लिए नहीं हैं। आपके विश्वास और प्रेम को बढ़ना चाहिए। परमेश्वर आपके विश्वास की माँसपेशियों को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। क्या आपका विश्वास मजबूत बन रहा है? क्या आपका प्रेम बढ़ रहा है? क्या दो या तीन सालों के बाद अब आप अलग तरीके से बर्ताव करते हैं?

अक्सर, हमारी ‘सफलताओं’ के बजाय हमारे संघर्ष हैं जो हमें मजबूत बनाते हैं। थिस्सलुनिकियों का विश्वास और प्रेम बढ़ रहा था – उन सताव और क्लेश के बावजूद – शायद से उनके कारण जो वे सह रहे थे (व.4)।

पौलुस उन्हें बताते हैं कि भविष्य में परमेश्वर चीजों को सही कर देंगे (वव.6-7)। ‘ परमेश्वर के निकट यह न्याय है’ (व.6, एम.एस.जी)। जब यीशु वापस आयेंगे तब वह सही न्याय करेंगेः’ उस समय जब कि प्रभु यीशु अपने सामर्थी दूतों के साथ, धधकती हुई आग में स्वर्ग से प्रकट होंगे’ (व.7)।

परमेश्वर चाहते हैं कि सभी लोग मन फिराये और सच्चाई को जानें (1तीमुथियुस 2:4)। लेकिन वह उन लोगों को चेतावनी देते हैं जो नियमित रूप से परमेश्वर के ज्ञान को नकारते हैं, और हमारे प्रभु यीशु मसीह के सुसमाचार को नहीं मानते हैं (2 थिस्सलुनिकियो 1:8) –जो थिस्सलुनिकियों का सताव कर रहे थे – उनका न्याय होने वाला था। वे अनंत जीवन से चूक जाएंगे।

अनंत जीवन का विरूद्धार्थी है ‘विनाश’ और ‘परमेश्वर की उपस्थिति से बाहर निकाला जाना’ (व.9)। जो परमेश्वर को जानते हैं और सुसमाचार को मानते हैं, वे उनकी उपस्थिति का अनुभव करेंगे और अनंतता में उनके ऐश्वर्य का अनुभव करेंगे ‘ यह उस दिन होगा, जब वह अपने पवित्र लोगों में महिमा पाने और सब विश्वास करने वालो में आश्चर्य का कारण होने को आएगा’ (व.10अ)। पौलुस कहते हैं कि इसमें थिस्सलुनिकियों शामिल है ‘ क्योंकि तुम ने हमारी गवाही पर विश्वास किया’ (व.10ब)। उनका लंबा भविष्य सुरक्षित है।

सुसमाचार के प्रति उनके उत्तर ने उनके भविष्य को निर्धारित किया। सुसमाचार का संदेश शीघ्रता से प्रचार करना है। सुसमाचार केवल तभी अच्छा समाचार है यदि यह वहाँ पर समय पर पहुँचता है।

जहाँ तक उनके छोटे भविष्य का संबंध है, पौलुस लिखते हैं, ‘ इसीलिये हम सदा तुम्हारे लिये प्रार्थना भी करते हैं कि हमारा परमेश्वर तुम्हें इस बुलाहट के योग्य समझे, और भलाई की हर एक इच्छा और विश्वास के हर एक काम को सामर्थ सहित पूरा करें’ (व.11)।

यीशु के आगमन का इंतजार करते हुए, वहाँ पर केवल यूंही बैठे न रहे। परमेश्वर के पास आपके जीवन के लिए एक ‘अच्छा उद्देश्य’ है। उन्होंने आपको बुलाया है। वह आपके हृदय में विचारो को रखते हैं। परमेश्वर ही हैं जिन्होंने अपनी सुइच्छा निमित्त तुम्हारे मन में इच्छा और काम, दोनों बातों के करने का प्रभाव डाला है (फिलिप्पियों 2:13)।

इन सभी चीजों में, पौलुस प्रार्थना करते हैं कि यीशु के नाम को महिमा मिलेः ‘ताकि हमारे परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह के अनुग्रह के अनुसार हमारे प्रभु यीशु का नाम तुम में महिमा पाए, और तुम उस में’ (2 थिस्सलुनिकियों 1:12, एम.एस.जी)।

प्रार्थना

प्रभु, आपका बहुत धन्यवाद क्योंकि मेरा लंबा भविष्य सुरक्षित है। मेरी सहायता कीजिए कि यहाँ पर अपने जीवन का लाभ लूं – विश्वास और प्रेम में बढूं, उस उद्देश्य को पूरा करुँ जो आपके पास मेरे लिए है और आपके नाम को महिमा दूँ।
जूना करार

यिर्मयाह 27:1-29:23

यहोवा ने नबूकदनेस्सर को शासक बनाया है

27यहोवा का सन्देश यिर्मयाह को मिला। यहूदा के राजा सिदकिय्याह के राज्यकाल के चौथे वर्ष यह आया। सिदकिय्याह राजा योशिय्याह का पुत्र था। 2 यहोवा ने मुझसे जो कहा, वह यह है: “यिर्मयाह, छड़ और चमड़े की पट्टियों से जुवा बनाओ। उस जुवा को अपनी गर्दन के पीछे की ओर रखो। 3 तब एदोम, मोआब, अम्मोन, सोर और सीदोन के राजाओं को सन्देश भेजो। ये सन्देश इन राजाओं के राजदूतों द्वारा भेजो जो यहूदा के राजा सिदकिय्याह से मिलने यरूशलेम आए हैं। 4 उन राजदूतों से कहो कि वे सन्देश अपने स्वामियों को दें। उनसे यह कहो कि इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है: ‘अपने स्वामियों से कहो कि 5 मैंने पृथ्वी और इस पर रहने वाले सभी लोगों को बनाया। मैंने पृथ्वी के सभी जानवरों को बनाया। मैंने यह अपनी बड़ी शक्ति और शक्तिशाली भुजा से किया। मैं यह पृथ्वी किसी को भी जिसे चाहूँ दे सकता हूँ। 6 इस समय मैंने बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर को तुम्हारे देश दे दिये है। वह मेरा सेवक है। मैं जंगली जानवरों को भी उसका आज्ञाकारी बनाऊँगा। 7 सभी राष्ट्र नबूकदनेस्सर उसके पुत्र और उसके पौत्र की सेवा करेंगे। तब बाबुल की पराजय का समय आएगा। कई राष्ट्र और बड़े सम्राट बाबुल को अपना सेवक बनाएंगे।

8 “‘किन्तु इस समय कुछ राष्ट्र या राज्य बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर की सेवा करने से इन्कार कर सकते हैं। वे उसके जवे को अपनी गर्दन पर रखने से इन्कार कर सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो जो मैं करूँगा वह यह है: मैं उस राष्ट्र को तलवार, भूख और भयंकर बीमारी का दण्ड दूँगा। यह सन्देश यहोवा का है। “मैं वह तब तक करूँगा जब तक मैं उस राष्ट्र को नष्ट न कर दूँ। मैं नबूकदनेस्सर का उपयोग उस राष्ट्र को नष्ट करने के लिये करूँगा जो उसके विरुद्ध करता है। 9 अत: अपने नबियों की एक न सुनो। उन व्यक्तियों की एक न सुनो जो भविष्य की घटनाओं को जानने के लिये जादू का उपयोग करते हैं। उन लोगों की एक न सुनो जो यह कहते हैं कि हम स्वप्न का फल बता सकते हैं। उन व्यक्तियों की एक न सुनो जो मरों से बात करते हैं या वे लोग जो जादूगर हैं। वे सभी तुमसे कहते हैं, “तुम बाबुल के राजा के दास नहीं बनोगे।” 10 नकिन्तु वे लोग तुमसे झूठ बोलते हैं। मैं तुम्हें तुम्हारी जन्म भूमि से बहुत दूर जाने पर विवश करूँगा और तुम दूसरे देश में मरोगे।

11 “‘किन्तु वे राष्ट्र, जो बाबुल के राजा के जुवे को अपने कंधे पर रखेंगे और उसकी आज्ञा मानेंगे, जीवित रहेंगे। मैं उन राष्ट्रों को उनके अपने देश में रहने दूँगा और बाबुल के राजा की सेवा करने दूँगा।’ यह सन्देश यहोवा का है। ‘उन राष्ट्रों के लोग अपनी भूमि पर रहेंगे और उस पर खेती करेंगे।’”

12 मैंने यहूदा के राजा सिदकिय्याह को भी यही सन्देश दिया। मैंने कहा, “सिदकिय्याह, तुम्हें बाबुल के राजा के जुवे के नीचे अपनी गर्दन देनी चाहिये और उसकी आज्ञा माननी चाहिये। यदि तुम बाबुल के राजा और उसके लोगों की सेवा करोगे तो तुम रह सकोगे। 13 यदि तुम बाबुल के राजा की सेवा करना स्वीकार नहीं करते तो तुम और तुम्हारे लोग शत्रु की तलवार के घाट उतारे जाएंगे, तथा भूख और भयंकर बीमारी से मरेंगे। यहोवा ने कहा कि ये घटनायें होंगी। 14 किन्तु झूठे नबी कह रहे हैं: ‘तुम बाबुल के राजा के दास कभी नहीं होगे।’

“उन नबियों की एक न सुनो। क्योंकि वे तुम्हें झूठा उपदेश दे रहे हैं। 15 ‘मैंने उन नबियों को नहीं भेजा है। यह सन्देश यहोवा का है। वे झूठा उपदेश दे रहे हैं और कह रहे हैं कि वह सन्देश मेरे यहाँ से है। अत: यहूदा के लोगों, मैं तुम्हें दूर भेजूँगा। तुम मरोगे और वे नबी भी जो उपदेश दे रहे हैं मरेंगे।’”

16 तब मैंने (यिर्मयाह) याजक और उन सभी लोगों से कहा, “यहोवा कहता है: ‘वे झूठे नबी कह रहे हैं: कसदियों ने बहुत सी चीज़ें यहोवा के मन्दिर से ली। वे चीज़ें शीघ्र ही वापस लाई जाएंगी।’ उन नबियों की एक न सुनो क्योंकि वे तुम्हें झूठा उपदेश दे रहे हैं। 17 उन नबियों की एक न सुनो। बाबुल के राजा की सेवा करो और तुम जीवित रहोगे। तुम्हारे लिये कोई कारण नहीं कि तुम यरूशलेम नगर को नष्ट करवाओ। 18 यदि वे लोग नबी हैं और उनके पास यहोवा का सन्देश है तो उन्हें प्रार्थना करने दो। उन चीज़ों के बारे में उन्हें प्रार्थना करने दो जो अभी तक राजा के महल में हैं और उन्हें उन चीज़ों के बारे में प्रार्थना करने दो जो अब तक यरूशलेम में हैं। उन नबियों को प्रार्थना करने दो ताकि वे सभी चीज़ें बाबुल नहीं ले जायी जायें।”

19 “सर्वशक्तिमान यहोवा उन सब चीज़ों के बारे में यह कहता है जो अभी तक यरूशलेम में बची रह गई हैं। मन्दिर में स्तम्भ, काँसे का बना सागर, हटाने योग्य आधार और अन्य चीज़ें हैं। बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने उन चीज़ों को यरूशलेम में छोड़ दिया। 20 नबूकदनेस्सर जब यहूदा के राजा यकोन्याह को बन्दी बनाकर ले गया तब उन चीज़ों को नहीं ले गया। यकोन्याह राजा यहोयाकीम का पुत्र था। नबूकदनेस्सर यहूदा और यरूशलेम के अन्य बड़े लोगों को भी ले गया। 21 इस्राएल के लोगों का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा मन्दिर में बची, राजमहल में बची और यरूशलेम में बची चीज़ों के बारे में यह कहता है: ‘वे सभी चीज़ें भी बाबुल ले जाई जाएंगी। 22 ‘वे चीज़ें बाबुल में तब तक रहेंगी जब तक वह समय आएगा कि मैं उन्हें लेने जाऊँगा।’ यह सन्देश यहोवा का है। ‘तब मैं उन चीज़ों को वापस लाऊँगा। मैं इन चीज़ों को इस स्थान पर वापस रखूँगा।’”

झूठा नबी हनन्याह

28यहूदा में सिदकिय्याह के राज्यकाल के चौथे वर्ष के पाँचवें महीने में हनन्याह नबी ने मुझसे बात की। हनन्याह अज्जूर नामक व्यक्ति का पुत्र था। हनन्याह गिबोन नगर का रहने वाला था। हनन्याह ने जब मुझसे बातें की, तब वह यहोवा के मन्दिर में था। याजक और सभी लोग भी वहाँ थे। हनन्याह ने जो कहा वह यह है: 2 “इस्राएल के लोगों का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है, ‘मैं उस जुवे को तोड़ डालूँगा जिसे बाबुल के राजा ने यहूदा के लोगों पर रखा है। 3 दो वर्ष पूरे होने के पहले मैं उन चीज़ों को वापस ले आऊँगा जिन्हें बाबुल का राजा नबूकदनेस्सर यहोवा के मन्दिर से ले गया है। नबूकदनेस्सर उन चीज़ों को बाबुल ले गया है। किन्तु मैं उन्हें यरूशलेम वापस ले आऊँगा। 4 मैं यहूदा के राजा यकोन्याह को भी वापस यहाँ ले आऊँगा। यकोन्याह, यहोयाकीम का पुत्र है मैं उन सभी यहूदा के लोगों को वापस लाऊँगा जिन्हें नबूकदनेस्सर ने अपना घर छोड़ने और बाबुल जाने को विवश किया।’ यह सन्देश यहोवा का है। ‘अत: मैं उस जुवे को तोड़ दूँगा जिसे बाबुल के राजा ने यहूदा के लोगों पर रखा हैं!’”

5 तब यिर्मयाह नबी ने हनन्याह नबी से यह कहा: वे यहोवा के मन्दिर में खड़े थे। याजक और वहाँ के सभी लोग यिर्मयाह का कहा हुआ सुन सकते थे। 6 यिर्मयाह ने हनन्याह से कहा, “आमीन! मुझे आशा है कि यहोवा निश्चय ही ऐसा करेगा! मुझे आशा है कि यहोवा उस सन्देश को सच घटित करेगा जो तुम देते हो। मुझे आशा है कि यहोवा अपने मन्दिर की चीज़ों को बाबुल से इस स्थान पर वापस लायेगा और मुझे आशा है कि यहोवा उन सभी लोगों को इस स्थान पर वापस लाएगा जो अपने घरों को छोड़ने को विवश किये गए थे।

7 “किन्तु हनन्याह वह सुनो जो मुझे कहना चाहिये। वह सुनो जो मैं सभी लोगों से कहता हूँ। 8 हनन्याह हमारे और तुम्हारे नबी होने के बहुत पहले भी नबी थे। उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि युद्ध, भूखमरी और भयंकर बीमारियाँ अनेक देशों और राज्यों में आयेंगी। 9 किन्तु उस नबी की जाँच यह जानने के लिये होनी चाहिये कि उसे यहोवा ने सचमुच भेजा है जो यह कहता है कि हम लोग शान्तिपूर्वक रहेंगे। यदि उस नबी का सन्देश सच घटित होता है तो लोग समझ सकते हैं कि सत्य ही वह यहोवा द्वारा भेजा गया है।”

10 यिर्मयाह अपने गर्दन पर एक जुवा रखे थे। तब हनन्याह नबी ने उस जुवे को यिर्मयाह की गर्दन से उतार लिया। हनन्याह ने उस जुवे को तोड़ डाला। 11 तब हनन्याह सभी लोग के सामने बोला। उसने कहा, “यहोवा कहता है, ‘इसी तरह मैं बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर के जुवे को तोड़ दूँगा। उसने उस जुवे को विश्व के सभी राष्ट्रों पर रखा है। किन्तु मैं उस जुवे को दो वर्ष बीतने से पहले ही तोड़ दूँगा।’”

हनन्याह के वह कहने के बाद यिर्मयाह मन्दिर को छोड़कर चला गया।

12 तब यहोवा का सन्देश यिर्मयाह को मिला। यह तब हुआ जब हनन्याह ने यिर्मयाह की गर्दन से जुवे को उतार लिया था और उसे तोड़ डाला था। 13 यहोवा ने यिर्मयाह से कहा, “जाओ और हनन्याह से कहो, ‘यहोवा जो कहता है, वह यह है: तुमने एक काठ का जुवा तोड़ा है। किन्तु मैं काठ की जगह एक लोहे का जुवा बनाऊँगा।’ 14 इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, ‘मैं इन सभी राष्ट्रों की गर्दन पर लोहे का जुवा रखूँगा। मैं यह बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर की उनसे सेवा कराने के लिये करूँगा और वे उसके दास होंगे। मैं नबूकदनेस्सर को जंगली जानवरों पर भी शासन का अधिकार दूँगा।’”

15 तब यिर्मयाह नबी ने हनन्याह नबी से कहा, “हनन्याह, सुनो! यहोवा ने तुझे नहीं भेजा। यहोवा ने तुम्हें नहीं भेजा किन्तु तुमने यहूदा के लोगों को झूठ में विश्वास कराया है। 16 अत: यहोवा जो कहता है, वह यह है, ‘हनन्याह मैं तुम्हें शीघ्र ही इस संसार से उठा लूँगा। तुम इस वर्ष मरोगे। क्यों क्योंकि तुमने लोगों को यहोवा के विरुद्ध जाने की शिक्षा दी है।’”

17 हनन्याह उसी वर्ष के सातवें महीने मर गया।

बाबुल में यहूदी बन्दियों के लिये एक पत्र

29यिर्मयाह ने बाबुल में बन्दी यहूदियों को एक पत्र भेजा। उसने इसे अग्रजों (प्रमुखों), याजकों, नबियों और बाबुल में रहने वाले सभी लोगों को भेजा। ये वे लोग थे जिन्हें नबूकदनेस्सर ने यरूशलेम में पकड़ा था और बाबुल ले गया था। 2 (यह पत्र, राजा यकोन्याह, राजमाता, अधिकारी, यहूदा और यरूशलेम के प्रमुख, बढ़ई और ठठेरों के यरूशलेम से ले जाए जाने के बाद भेजा गया था।) 3 सिदकिय्याह ने एलासा और गमर्याह को राजा नबूकदनेस्सर के पास भेजा। सिदकिय्याह यहूदा का राजा था। एलासा शापान का पुत्र था और गमर्याह हिल्किय्याह का पुत्र था। यिर्मयाह उस पत्र को उन लोगों को बाबुल ले जाने के लिये दिया। पत्र में जो लिखा था वह यह है:

4 इस्राएल के लोगों का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा ये बातें उन सभी लोगों से कहता है जिन्हें बन्दी के रुप में उसने यरूशलेम से बाबुल भेजा था: 5 “घर बनाओ और उनमें रहो। उस देश में बस जाओ। पौधे लगाओ और अपनी उगाई हुई फसल से भोजन प्राप्त करो। 6 विवाह करो तथा पुत्र—पुत्रियाँ पैदा करो। अपने पुत्रों के लिए पत्नियाँ खोजो और अपनी पुत्रियों की शादी करो। यह इसलिये करो जिससे उनके भी लड़के और लड़कियाँ हो बहुत से बच्चे पैदा करो और बाबुल में अपनी संख्या बढ़ाओ। अपनी संख्या मत घटाओ। 7 मैं जिस नगर में तुम्हें भेजूँ उसके लिये अच्छा काम करो। जिस नगर में तुम रहो उसके लिये यहोवा से प्रार्थना करो। क्यों क्योंकि यदि उस नगर में शान्ति रहेगी तो तुम्हें भी शान्ति मिलेगी।” 8 इस्राएल के लोगों का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “अपने नबियों और जादूगरों को अपने को मूर्ख मत बनाने दो। उनके उन स्वप्नों के बारे में न सुनो जिन्हें वे देखते हैं। 9 वे झूठा उपदेश देते हैं और वे यह कहते हैं कि उनका सन्देश मेरे यहाँ से है। किन्तु मैंने उसे नहीं भेजा।” यह सन्देश यहोवा का है।

10 यहोवा जो कहता है, वह यह है: “बाबुल सत्तर वर्ष तक शक्तिशाली रहेगा। उसके बाद बाबुल में रहने वाले लोगों, मैं तुम्हारे पास आऊँगा। मैं तुम्हें वापस यरूशलेम लाने की सच्ची प्रतिज्ञा पूरी करुँगा। 11 मैं यह इसलिये कहता हूँ क्योंकि मैं उन अपनी योजनाओं को जानता हूँ जो तुम्हारे लिये हैं।” यह सन्देश यहोवा का है। “तुम्हारे लिये मेरी अच्छी योजनाएं हैं। मैं तुम्हें चोट पहुँचाने की योजना नहीं बना रहा हूँ। मैं तुम्हें आशा और उज्जवल भविष्य देने की योजना बना रहा हूँ। 12 तब तुम लोग मेरा नाम लोगे। तुम मेरे पास आओगे और मेरी प्रार्थना करोगे और मैं तुम्हारी बातों पर ध्यान दूँगा। 13 तुम लोग मेरी खोज करोगे और जब तुम पूरे हृदय से मेरी खोज करोगे तो तुम मुझे पाओगे। 14 मैं अपने को तुम्हें प्राप्त होने दूँगा।” यह सन्देश यहोवा का है। “मैं तुम्हें तुम्हारे बन्दीखाने से वापस लाऊँगा। मैंने तुम्हें यह स्थान छोड़ने को विवश किया। किन्तु मैं तुम्हें उन सभी राष्ट्रों और स्थानों से इकट्ठा करुँगा जहाँ मैंने तुम्हें भेजा है।” यह सन्देश यहोवा का है। “मैं तुम्हें इस स्थान पर वापस लाऊँगा।”

15 तुम लोग यह कह सकते हो, “किन्तु यहोवा ने हमें यहाँ बाबुल में नबी दिये हैं।” 16 किन्तु यहोवा तुम्हारे उन सम्बन्धियों के बारे में जो बाबुल नहीं ले जाए गए यह कहता है: मैं उस राजा के बारे में बात कर रहा हूँ जो इस समय दाऊद के राजसिंहासन पर बैठा है और उन सभी अन्य लोगों के बारे में जो अब भी यरूशलेम नगर में रहते हैं। 17 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “मैं शीघ्र ही तलवार, भूख और भयंकर बीमारी उन लोगों के विरुद्ध भेजूँगा जो अब भी यरूशलेम में हैं और मैं उन्हें वे ही सड़े—गले अंजीर बनाऊँगा जो खाने योग्य नहीं। 18 मैं उन लोगों का पीछा, जो अभी भी यरूशलेम में है, तलवार, भूख और भयंकर बीमारी से करूँगा और मैं इसे ऐसा कर दूँगा कि पृथ्वी के सभी राज्य यह देखकर डरेंगे कि इन लोगों के साथ क्या घटित हो गया है। वे लोग नष्ट कर दिए जाएंगे। लोग जब उन घटित घटनाओं को सुनेंगे तो आश्चर्य से सिसकारी भरेंगे और जब लोग किन्हीं लोगों के लिये बुरा होने की मांग करेंगे तो इसे उदाहरण रूप में याद करेंगे। मैं उन लोगों को जहाँ कहीं जाने को विवश करुँगा, लोग वहाँ उनका अपमान करेंगे। 19 मैं उन सभी घटनाओं को घटित कराऊँगा क्योंकि यरूशलेम के उन लोगों ने मेरे सन्देश को अनसुना किया है।” यह सन्देश यहोवा का है। “मैंने अपना सन्देश उनके पास बार—बार भेजा। मैंने अपने सेवक नबियों को उन लोगों को अपना सन्देश देने को भेजा। किन्तु लोगों ने उन्हें अनसुना किया।” यह सन्देश यहोवा का है। 20 “तुम लोग बन्दी हो। मैंने तुम्हें यरूशलेम छोड़ने और बाबुल जाने को विवश किया। अत: यहोवा का सन्देश सुनो।”

21 सर्वशक्तिमान यहोवा कोलायाह के पुत्र अहाब और मासेयाह के पुत्र सिदकिय्याह के बारे में यह कहता है: “ये दोनों व्यक्ति तुम्हें झूठा उपदेश दे रहे थे। उन्होंने कहा है कि उनके सन्देश मेरे यहाँ से हैं। किन्तु वे झूठ बोल रहे थे। उन दोनों नबियों को बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर को दे दूँगा और नबूकदनेस्सर बाबुल में बन्दी तुम सभी लोगों के सामने उन नबियों को मार डालेगा। 22 सभी यहूदी बन्दी उन लोगों का उपयोग उदाहरण के लिये तब करेंगे जब वे अन्य लोगों का बुरा होने की मांग करेंगे। वे बन्दी कहेंगे, ‘यहोवा तुम्हारे साथ सिदकिय्याह और अहाब के समान व्यवहार करे। बाबुल के राजा ने उन दोनों को आग में जला दिया!’ 23 उन दोनों नबियों ने इस्राएल के लोगों के साथ घृणित कर्म किया था। उन्होंने अपने पड़ोसी की पत्नी के साथ व्यभिचार किया है। उन्होंने झूठ भी बोला है और कहा है कि वे झूठ मुझ यहोवा के यहाँ से हैं। मैंने उनसे वह सब करने को नहीं कहा। मैं जानता हूँ कि उन्होंने क्या किया है मैं साक्षी हूँ।” यह सन्देश यहोवा का है।

समीक्षा

आपका भविष्य आशा से भरा हुआ है

इस लेखांश में एक बहुत ही अद्भुत और अक्सर दोहराया गया परमेश्वर का वायदा है, हमारे जीवन के लिए भविष्य की योजनाओं के विषय में। यिर्मयाह एक सच्चे भविष्यवक्ता थे। उन्होंने परमेश्वर का वचन सुना।

लेकिन वहाँ पर झूठे भविष्यवक्ता थे, जैसे कि हनन्याह। यिर्मयाह कहते हैं, ‘ परन्तु जो भविष्यवक्ता कुशल के विषय में भविष्यवाणी करें, तो जब उसका वचन पूरा हो, तब ही उस भविष्यवक्ता के विषय में यह निश्चय हो जाएगा कि यह सचमुच यहोवा का भेजा हुआ है’ (28:9)। हनन्याह की बात पूरी नहीं हुई क्योंकि परमेश्वर ने उसे नहीं भेजा था (व.15)।

यिर्मयाह की भविष्यवाणीयाँ पूरी हुई। परमेश्वर के लोग निर्वासन में चले गए जैसा कि उन्होंने चेतावनी दी थी।

निर्वासन में यिर्मयाह परमेश्वर के लोगों को परमेश्वर का संदेश सुनाते हैं। वह उनसे कहते हैं, ‘ परन्तु जिस नगर में मैं ने तुम को बन्दी करा कर भेज दिया है, उसके कुशल का यत्न किया करो, और उसके हित के लिये यहोवा से प्रार्थना किया करो। क्योंकि उसके कुशल से तुम भी कुशल के साथ रहोगे’ (29:7)।

यहाँ पर यह एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। सामान्य रूप से, आपको उस स्थान की शांति और समृद्धि खोजने का प्रयास करना है जिसमें परमेश्वर ने आपको रखा है और इसके लिए प्रार्थना करनी है। इसमें वह स्थान शामिल है जहाँ पर आप काम करते हैं, आपकी स्थानीय कलीसिया, आपका शहर और आपका देश।

यहाँ पर एक भाव हैः’जहाँ आप रोपे गए हो, वहाँ फूलों -फलो’। यह लेखांश आपको उत्साहित करता है कि अपनी जड़े फैलाओं, यहाँ तक कि यदि वहाँ आप असुविधाजनक या अकेला (जैसा कि निर्वासन) महसूस करते हैं। कभी कभी जिस स्थान में आप अपने आपको पाते हैं, वहाँ पर आप नहीं होना चाहते हैं लेकिन यदि परमेश्वर आपको वहाँ ले गए हैं, तो अवश्य ही वह स्थान उपजाऊ भूमि है ताकि परमेश्वर का कार्य आपमें फूले-फले।

परमेश्वर अपने लोगों से वायदा करते हैं कि निर्वासन समाप्त हो जाएगाः’ बेबीलोन के सत्तर वर्ष पूरे हाने पर मैं तुम्हारी सुधि लूँगा और अपना यह मनभावना वचन कि मैं तुम्हें इस स्थान में लौटा ले आऊँगा, पूरा करूँगा’ (व.10)।

यह अद्भुत वायदे का संदर्भ हैः’कि जो कल्पनाएँ मैं तुम्हारे विषय में करता हूँ उन्हें मैं जानता हूँ, वे हानि की नहीं, वरन् कुशल ही की हैं, और अन्त में तुम्हारी आशा पूरी करूँगा । तब उस समय तुम मुझ को पुकारोगे और आकर मुझ से प्रार्थना करोगे और मैं तुम्हारी सुनूँगा। तुम मुझे ढूँढ़ोगे और पाओगे भी; क्योंकि तुम अपने सम्पूर्ण मन से मेरे पास आओगे। मैं तुम्हें मिलूँगा’ (वव.11-14अ)।

परमेश्वर के पास आपके लिए अच्छी योजनाएँ हैं। वे आपकी असफलता या हार की योजनाएँ नहीं हैं। वे योजनाएँ हैं कि ‘आपको समृद्ध’ करें। वे औसत या साधारण योजनाएँ नहीं हैं। वे ‘अच्छी, मनभावनी और सिद्ध’ हैं (रोमियो 12:2)।

लेकिन परमेश्वर आप पर अपनी योजनाओं को थोपेंगे नहीं। उन्हें आपके सहयोग की आवश्यकता है। यदि आप चाहते हैं कि आपके जीवन में उनकी योजनाएँ पूरी हो, तो आपको उन्हें ढूंढने का प्रयास करना है। वह वायदा करते हैं, यदि आप ऐसा करेंगे, तो वह आपको खोज लेंगे (यिर्मयाह 29:13-14ब)। जैसे ही आप उनके साथ समय बिताते हैं, आप उनकी तरह बन जाएँगे और वह आपको अच्छी योजनाओं में चलायेंगे, जो आपके जीवन के लिए उनके पास हैं।

प्रार्थना

परमेश्वर, आज संपूर्ण मन से मैं आपके पीछे आना चाहता हूँ। आपका धन्यवाद कि मेरे लिए आपके पास महान योजनाएँ हैं। मेरी सहायता कीजिए कि आपके मार्गों में चलूं और उस उद्देश्य में जो आपके पास मेरे लिए हैं।

पिप्पा भी कहते है

यिर्मयाह 29:13-14ब

तुम मुझे ढूँढ़ोगे और पाओगे भी; क्योंकि तुम अपने सम्पूर्ण मन से मेरे पास आओगे। मैं तुम्हें मिलूँगा।

नये अल्फा का भाग बनना बहुत ही उत्साहजनक है। पिछले कुछ सप्ताहों से, लोगों ने परमेश्वर को खोज में अपनी जिज्ञासा दिखाई है। यह जानना अच्छी बात है कि यदि वे अपने संपूर्ण मन से परमेश्वर को खोजे, तो वह वायदा करते है कि, ‘मैं तुम्हें मिलूँगा।’ मैं जानना चाहती हूँ कि क्या होगा।

दिन का वचन

यिर्मयाह 29:11

“क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, कि जो कल्पनाएं मैं तुम्हारे विषय करता हूँ उन्हें मैं जानता हूँ, वे हानी की नहीं, वरन कुशल ही की हैं, और अन्त में तुम्हारी आशा पूरी करूंगा।”

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संदर्भ

गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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