जीवन बदलने वाले वचन
परिचय
अर्ल के पास बहुत सारा पैसा था। उसे काम करने की जरुरत नहीं थी। वह हर प्रकार के ड्रग्स, हेरोईन लेते थे। तीस वर्ष की उम्र में उन्हें अस्पताल में भरती होना पड़ा।
अस्पताल में उनसे कोई मिलने आए और उन्हें एक नया नियम दिया। वह रोमांचित हो गए। पन्ना बहुत पतला था और पलटने में आसान था। उन्होंने मत्ती, मरकुस और लूका के पन्नों को पलटा। जब वह यूहन्ना के सुसमाचार में पहुँचे, उन्होंने पढ़ना शुरु कर दिया। यूहन्ना के सुसमाचार के वचनो को पढ़कर, उनकी मुलाकात यीशु से हुई। वह आनंद से भर गए।
उनकी स्थिति को सँभाल रही मनोवैज्ञानिक एक बहुत ही सुंदर महिला थी, जो एक मॉडल थी। एक दिन उसने अर्ल से कहा, ‘देखो, मेरे पास सबकुछ है – सफलता, सुंदरता और शिक्षा – फिर भी मैं परिपूर्ण नहीं हूँ। आपका जीवन खराब हो चुका है फिर भी आपके पास कुछ है – शांति और आनंद। यह क्या है?’
तब उन्होंने उसे यीशु मसीह में विश्वास के बारे में बताया। बाद में उन्होंने विवाह कर लिया। अर्ल और उनकी पत्नी, थॉमी, ऑक्सफर्ड के सिद्धांतवादी कॉलेज में हमारे बहुत अच्छे मित्र थे। बाईबल में परमेश्वर के वचनो के द्वारा उनका जीवन बहुत ही बदल चुका था।
भजन संहिता 119:1-8
119जो लोग पवित्र जीवन जीते हैं, वे प्रसन्न रहते हैं।
ऐसे लोग यहोवा की शिक्षाओं पर चलते हैं।
2 लोग जो यहोवा की विधान पर चलते हैं, वे प्रसन्न रहते हैं।
अपने समग्र मन से वे यहोवा की मानते हैं।
3 वे लोग बुरे काम नहीं करते।
वे यहोवा की आज्ञा मानते हैं।
4 हे यहोवा, तूने हमें अपने आदेश दिये,
और तूने कहा कि हम उन आदेशों का पूरी तरह पालन करें।
5 हे यहोवा, यादि मैं सदा
तेरे नियमों पर चलूँ,
6 जब मैं तेरे आदेशों को विचारूँगा
तो मुझे कभी भी लज्जित नहीं होना होगा।
7 जब मैं तेरे खरेपन और तेरी नेकी को विचारता हूँ
तब सचमुच तुझको मान दे सकता हूँ।
8 हे यहोवा, मैं तेरे आदेशों का पालन करूँगा।
सो कृपा करके मुझको मत बिसरा!
समीक्षा
आशीष के वचन
यदि आप एक ‘आशीषित’ जीवन चाहते हैं – जिसमें कोई पछतावा न हो – तो आपको परमेश्वर के वचन की आवश्यकता है। सभी भजनो में सबसे लंबा, यह भजन परमेश्वर के वचन के साथ अपने बर्ताव और बातचीत को मेल में लाने की आशीषों के विषय में है।
‘ धन्य हैं वे जो चाल के खरे हैं, और यहोवा की व्यवस्था पर चलते हैं! धन्य हैं वे जो उनकी चितौनियों को मानते हैं! और पूर्ण मन से उनके पास आते हैं’ (वव.1-2, एम.एस.जी)।
परमेश्वर आपसे प्रेम करते हैं और आपको आशीष देना चाहते हैं। पवित्रशास्त्र में परमेश्वर के वचन के द्वारा, परमेश्वर के साथ संबंध में जीवन की आशीषों को खोजिये। अपने पूरे हृदय से उन्हें खोजने का प्रयास करिए (व.2), उनके मार्ग पर चलिये (व.3), उनके वचनो को सीखिये (व.7) और आप कभी भी लज्जित न होंगे (व.6)।
प्रार्थना
1 थिस्सलुनीकियों 1:1-2:16
1थिस्सलुनीकियों के परम पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह में स्थित कलीसिया को पौलुस, सिलवानुस और तीमुथियुस की ओर से:
परमेश्वर का अनुग्रह और शांति तुम्हारे साथ रहे।
थिस्सलुनीकियों का जीवन और विश्वास
2 हम तुम सब के लिए सदा परमेश्वर को धन्यवाद देते रहते हैं और अपनी प्रार्थनाओं में हमें तुम्हारी याद बनी रहती है। 3 प्रार्थना करते हुए हम सदा तुम्हारे उस काम की याद करते हैं जो फल है, विश्वास का, प्रेम से पैदा हुए तुम्हारे कठिन परिश्रम का, और हमारे प्रभु यीशु मसीह में आशा से उत्पन्न तुम्हारी धैर्यपूर्ण सहनशीलता का हमें सदा ध्यान बना रहता है।
4 परमेश्वर के प्रिय हमारे भाईयों, हम जानते हैं कि तुम उसके चुने हुए हो। 5 क्योंकि हमारे सुसमाचार का विवरण तुम्हारे पास मात्र शब्दों में ही नहीं पहुँचा है बल्कि पवित्र आत्मा सामर्थ्य और गहन श्रद्धा के साथ पहुँचा है। तुम जानते हो कि हम जब तुम्हारे साथ थे, तुम्हारे लाभ के लिए कैसा जीवन जीते थे। 6 कठोर यातनाओं के बीच तुमने पवित्र आत्मा से मिलने वाली प्रसन्नता के साथ सुसंदेश को ग्रहण किया और हमारा तथा प्रभु का अनुकरण करने लगे।
7 इसलिए मकिदुनिया और अखाया के सभी विश्वासियों के लिये तुम एक आदर्श बन गये 8 योंकि तुमसे प्रभु के संदेश की जो गूँज उठी, वह न केवल मकिदुनिया और अखाया में सुनी गयी बल्कि परमेश्वर में तुम्हारा विश्वास सब कहीं जाना माना गया। सो हमें कुछ भी कहने की आवश्यकता नहीं है। 9-10 क्योंकि वे स्वयं ही हमारे विषय में बताते हैं कि तुमने हमारा कैसा स्वागत किया था और सजीव तथा सच्चे परमेश्वर की सेवा करने के लिए और स्वर्ग से उसके पुत्र के आगमन की प्रतीक्षा करने के लिए तुम मूर्तियों की ओर से सजीव परमेश्वर की ओर कैसे मुड़े थे। पुत्र अर्थात् यीशु को उसने मरे हुओं में से फिर से जिला उठाया था और वही परमेश्वर के आने वाले कोप से हमारी रक्षा करता है।
थिस्सलुनीका में पौलुस का कार्य
2हे भाइयों, तुम्हारे पास हमारे आने के सम्बन्ध में तुम स्वयं ही जानते हो कि वह निरर्थक नहीं था। 2 तुम जानते हो कि फिलिप्पी में यातनाएँ झेलने और दुर्व्यवहार सहने के बाद भी परमेश्वर की सहायता से हमें कड़े विरोध के रहते हुए भी परमेश्वर के सुसमाचार को सुनाने का साहस प्राप्त हुआ। 3 निश्चय ही हम जब लोगों का ध्यान अपने उपदेशों की ओर खींचना चाहते हैं तो वह इसलिए नहीं कि हम कोई भटके हुए हैं। और न ही इसलिए कि हमारे उद्देश्य दूषित हैं और इसलिए भी नहीं कि हम लोगों को छलने का जतन करते हैं। 4 हम लोगों को खुश करने की कोशिश नहीं करते बल्कि हम तो उस परमेश्वर को प्रसन्न करते हैं जो हमारे मन का भेद जानता है।
5 निश्चय ही हम कभी भी चापलोसी की बातों के साथ तुम्हारे सामने नहीं आये। जैसा कि तुम जानते ही हो, हमारा उपदेश किसी लोभ का बहाना नहीं है। परमेश्वर साक्षी है 6 हमने लोगों से कोई मान सम्मान भी नहीं चाहा। न तुमसे और न ही किसी और से।
7 यद्यपि हम मसीह के प्रेरितों के रूप में अपना अधिकार जता सकते थे किन्तु हम तुम्हारे बीच वैसे ही नम्रता के साथ रहे जैसे एक माँ अपने बच्चे को दूध पिला कर उसका पालन-पोषण करती है। 8 हमने तुम्हारे प्रति वैसी ही नम्रता का अनुभव किया है, इसलिए परमेश्वर से मिले सुसमाचार को ही नहीं, बल्कि स्वयं अपने आपको भी हम तुम्हारे साथ बाँट लेना चाहते हैं क्योंकि तुम हमारे प्रिय हो गये हो। 9 हे भाइयों, तुमहमारे कठोर परिश्रम और कठिनाई को याद रखो जो हम ने दिन-रात इसलिए किया है ताकि हम परमेश्वर के सुसमाचार को सुनाते हुए तुम पर बोझ न बनें।
10 तुम साक्षी हो और परमेश्वर भी साक्षी है कि तुम विश्वासियों के प्रति हमने कितनी आस्था, धार्मिकता और दोष रहितता के साथ व्यवहार किया है। 11 तुम जानते ही हो कि जैसे एक पिता अपने बच्चों के साथ व्यवहार करता है 12 वैसे ही हमने तुम में से हर एक को आग्रह के साथ सुख चैन दिया है। और उस रीति से जाने को कहा है जिससे परमेश्वर, जिसने तुम्हें अपने राज्य और महिमा में बुला भेजा है, प्रसन्न होता है।
13 और इसलिए हम परमेश्वर का धन्यवाद निरन्तर करते रहते हैं क्योंकि हमसे तुमने जब परमेश्वर का वचन ग्रहण किया तो उसे मानवीय सन्देश के रूप में नहीं बल्कि परमेश्वर के सन्देश के रूप में ग्रहण किया, जैसा कि वह वास्तव में है। और तुम विश्वासियों पर जिसका प्रभाव भी है। 14 हे भाईयों, तुम यहूदियों में स्थित मसीह यीशु में परमेश्वर की कलीसियाओं का अनुसरण करते रहे हो। तुमने अपने साथी देश-भाईयों से वैसी ही यातनाएँ झेली हैं जैसी उन्होंने उन यहूदियों के हाथों झेली थीं। 15 जिन्होंने प्रभु यीशु को मार डाला और नबियों को बाहर खदेड़ दिया। वे परमेश्वर को प्रसन्न नहीं करते वे तो समूची मानवता के विरोधी हैं। 16 वे विधर्मियों को सुसमाचार का उपदेश देने में बाधा खड़ी करते हैं कि कहीं उन लोगों का उद्धार न हो जाये। इन बातों में वे सदा अपने पापों का घड़ा भरते रहते हैं और अन्ततः अब तो परमेश्वर का प्रकोप उन पर पूरी तरह से आ पड़ा है।
समीक्षा
सामर्थ के वचन
कोई चर्च सिद्ध नहीं है। यदि आपको सिद्ध चर्च मिलता है, तो इससे मत जुड़िये। जब आप या मैं चर्च से जुडते हैं, यह असिद्ध बन जाता है! फिर भी, एक आदर्श चर्च जैसी एक चीज है – एक चर्च जो दूसरों के लिए एक अच्छा उदाहरण और एक प्रोत्साहन है। विश्व भर से लोग आएँगे ऐसे चर्च से सीखने के लिए।
थिस्सलुनिकिया में चर्च एक आदर्श चर्च था (1:7): ‘सभी स्थानों से..विश्वासी आपको देखते हैं’ (वव.7-8, एम.एस.जी)। यह विश्वास, प्रेम और विशेष रूप से आशा से भरा हुआ एक चर्च थाः ‘ उनके पुत्र के स्वर्ग पर से आने की बाट जोहते रहो जिसे उन्होंने मरे हुओं में से जिलाया, अर्थात् यीशु की, जो हमें आने वाले प्रकोप से बचाते हैं’ (व.10, एम.एस.जी)। परमेश्वर ने चर्च से प्रेम किया (व.4)। यह चर्च कष्ट उठा रहा था (व.6), निर्भीकतापूर्वक परमेश्वर के वचन की घोषणा करते हुए। यहाँ से न केवल मकिदुनिया और अखया में प्रभु का वचन सुनाया गया (व.8)।
यह हमारा लक्ष्य और हमारी प्रार्थना होनी चाहिए कि – ऐसा एक चर्च बने जो अनुकरण के योग्य हो, जहाँ पर ना केवल हमारे स्थानीय क्षेत्र में लेकिन हर जगह सुसमाचार का प्रचार होता हो। लक्ष्य इमारत बनाना नहीं है, बल्कि सुसमाचार को फैलाना है। पौलुस चर्च के आकार के लिए थिस्सलुनिकियों की सराहना नहीं करते हैं (हम नहीं जानते कि यह कितना बड़ा था)। इसके बजाय, वह उनकी सराहना करते हैं, ‘तुम संदेश हो!’ (व.8, एम.एस.जी)।
‘ हमारा सुसमाचार तुम्हारे पास न केवल शब्द मात्र ही में वरन् सामर्थ और पवित्र आत्मा में, और बड़े निश्चय के साथ पहुँचा है’ (व.5):
- वचन
बोलने का एक समय है। केवल मसीह जीवन जीना पर्याप्त नहीं है। लोगों को यीशु के बारे में बताईये और बताईये कि उन्होंने क्या किया है।
- सामर्थ
नाही वचन अपने आपमें पर्याप्त है। हमें सामर्थ की आवश्यकता है। परमेश्वर की सामर्थ आपके द्वारा बात करती है; पवित्र आत्मा सुनने वालों के हृदय में गहरे विश्वास को लाते हैं।
- जीवन
पौलुस आगे कहते हैं, ‘ जैसा तुम जानते हो कि हम तुम्हारे लिये तुम्हारे बीच में कैसे बन गए थे’ (व.5)। यहाँ तक कि शक्तिशाली वचन एक अनंत प्रभाव नहीं बनायेंगे, जब तक हमारे जीवन संदेश के साथ नियमित नहीं हैं। यह जीवन या होंठ नहीं, बल्कि जीवन और होंठ हैं।
पौलुस प्रेरित की तरह, आपको ‘सुसमाचार भरोसे के साथ सौंपा गया है’ (2:4)। यह एक महान सम्मान है। वफादारी के साथ परमेश्वर के वचन का प्रचार करो, ‘भीड़ को प्रसन्न करने के लिए नहीं – केवल परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए’ (व.4, एम.एस.जी)। वचनो का गलत इस्तेमाल मत करोः’ तुम जानते हो कि हम न तो कभी चापलूसी की बातें किया करते थे, और न लोभ के लिये बहाना करते थे, परमेश्वर गवाह हैं’ (वव.4-5, एम.एस.जी)।
सुसमाचार का प्रचार करना एक महान सुविधा और एक महान उत्तरदायित्व है। परमेश्वर ने हमें काम सौंपा है। आखिरकार आप उन्हें और केवल उन्हें लेखा जोखा देंगे। यह चिंता मत कीजिए कि सुसमाचार का प्रचार करना दूसरों को प्रसन्न करता है या नहीं - यह शायद से नहीं करेंगा – लेकिन इस बात की चिंता कीजिए कि यह परमेश्वर को प्रसन्न करे (व.6)।
पौलुस ने थिस्सलुनिकियें में केवल वचन नहीं फेंके। ‘ जिस तरह माता अपने बालकों का पालन – पोषण करती है, वैसे ही हम ने भी तुम्हारे बीच में रहकर कोमलता दिखाई है’ (व.7, एम.एस.जी)। एक माता-पिता की तरह उन्होंने उनसे प्रेम किया – उनकी चिंता करते हुए और उनके साथ अपना संपूर्ण जीवन बाँटते हुए (वव.7-8), और उनके सामने एक उदाहरण रखते हुए और उन्हें उत्साहित करते हुए कि परमेश्वर के लिए जीएं (व.12):’तुम्हारा चाल - चलन परमेश्वर के योग्य हो, जो तुम्हें अपने राज्य और महिमा में बुलाते हैं’ (व.12, एम.एस.जी)।
परमेश्वर के वचन को बोलना हमेशा आसान बात नहीं। पौलुस लिखते हैं, ‘ हे भाइयो, तुम हमारे परिश्रम और कष्ट को स्मरण रखते हो; हम ने इसलिये रात दिन काम धन्धा करते हुए तुम में परमेश्वर का सुसमाचार प्रचार किया कि तुम में से किसी पर भार न हों’ (व.9)।
- ‘परिश्रम’
सुसमाचार प्रचार करने में कठिन परिश्रम की आवश्यकता है;’ रात दिन काम धन्धा करना’ (व.9, एम.एस.जी)। कुछ काम थकाने वाले लग सकते हैं। मैं अल्फा में हमारे अद्भुत ‘ए’ टीम के बारे में सोचता हूँ, जो शाम 5 से लेकर रात 11 बजे तक काम करते हैं – खाना बनाते हुए, सफाई करते हुए, परोसते हुए और पैन को धोते हुए।
- ‘कठिनाई’
एक दाम देकर ‘पुनर्जीवन’ मिला है। वहाँ पर अपमान, तीव्र विरोध, कष्ट (व.2) और शत्रुता की भावना (व.15) थी। लेकिन इन चीजों के बावजूद वहाँ पर महान आनंद था, ‘ पवित्र आत्मा के आनन्द के साथ, वचन को मानकर हमारी और प्रभु की सी चाल चलने लगे’ (1:6)। नये नियम में कष्ट उठाना और आनंद साथ साथ जाते हैं। हमें अवश्य ही एक के बिना दूसरे की आशा नहीं करनी चाहिए। विश्व भर में बहुत से लोग सुसमाचार का प्रचार करने के कारण बहुत कठिनाई का सामना कर रहे हैं।
- ‘दिन रात काम करना’
यहाँ पर ना केवल काम के विषय में तीव्रता है, ऐसे बड़े पैमाने में करना भी है। पौलुस के मामले में, जैसा कि आज बहुत से मसीहों के साथ है, वह पूर्ण समय के प्रचारक नहीं थे। वह एक ही साथ दो काम कर रहे थे। वह दिन में प्रचार करते थे और रात में जीविका कमाते थे।
थिस्सलुनिकियों के लोगों ने पहचाना कि पौलुस के द्वारा प्रचार किए गए सुसमाचार के वचन मनुष्य के वचन नहीं बल्कि, वे परमेश्वर के वचन थे (2:13)। वे जीवन बदलने वाले प्रभाव बनाते थे – इतना अधिक कि थिस्सलुनिकियों के लोग संदेश को फैलाने के लिए तैयार थे, उन सभी कष्ट और शत्रुता की भावना के बावजूद, जिनका उन्होंने सामना किया था।
प्रार्थना
यिर्मयाह 18:1-20:18
कुम्हार और मिट्टी
18यह यहोवा का वह सन्देश है जो यिर्मयाह को मिला: 2 “यिर्मयाह, कुम्हार के घर जाओ। मैं अपना सन्देश तुम्हें कुम्हार के घर पर दूँगा।”
3 अत: मैं कुम्हार के घर गया। मैंने कुम्हार को चाक पर मिट्टी से बर्तन बनाते देखा। 4 वह एक बर्तन मिट्टी से बना रहा था। किन्तु बर्तन में कुछ दोष था। इसलिये कुम्हार ने उस मिट्टी का उपयोग फिर किया और उसने दूसरा बर्तन बनाया। उसने अपने हाथों का उपयोग बर्तन को वह रूप देने के लिये किया जो रूप वह देना चाहता था।
5 तब यहोवा से सन्देश मेरे पास आया, 6 “इस्राएल के परिवार, तुम जानते हो कि मैं (परमेश्वर) वैसा ही तुम्हारे साथ कर सकता हूँ। तुम कुम्हार के हाथ की मिट्टी के समान हो और मैं कुम्हार की तरह हूँ।” 7 “ऐसा समय आ सकता है, जब मैं एक राष्ट्र या राज्य के बारे में बाते करूँ। मैं यह कह सकता हूँ कि मैं उस राष्ट्र को उखाड़ फेंकूँगा या यह भी हो सकता है कि मैं यह कहूँ कि मैं उस राष्ट्र को उखाड़ गिराऊँगा और उस राष्ट्र या राज्य को नष्ट कर दूँगा। 8 किन्तु उस राष्ट्र के लोग अपने हृदय और जीवन को बदल सकते हैं। उस राष्ट्र के लोग बुरे काम करना छोड़ सकते हैं। तब मैं अपने इरादे को बदल दूँगा। मैं उस राष्ट्र पर विपत्ति ढाने की अपनी योजना का अनुसरण करना छोड़ सकता हूँ। 9 कभी ऐसा अन्य समय आ सकता है जब मैं किसी राष्ट्र के बारे में बातें करुँ। मैं यह कह सकता हूँ कि मैं उस राष्ट्र का निर्माण करुँगा और उसे स्थिर करुँगा। 10 किन्तु मैं यह देख सकता हूँ कि मेरी आज्ञा का पालन न करके वह राष्ट्र बुरा काम कर रहा है। तब मैं उस अच्छाई के बारे में फिर सोचूँगा जिसे देने की योजना मैंने उस राष्ट्र के लिये बना रखी है।
11 “अत: यिर्मयाह, यहूदा के लोगों और यरूशलेम में जो लोग रहते हैं उनसे कहो, “यहोवा जो कहता है वह यह है: अब मैं सीधे तुम लोगों के लिये विपत्ति का निर्माण कर रहा हूँ। मैं तुम लोगों के विरुद्ध योजना बना रहा हूँ। अत: उन बुरे कामों को करना बन्द करो जो तुम कर रहे हो। हर एक व्यक्ति को बदलना चाहिये और अच्छा काम करना आरम्भ करना चाहिये।” 12 किन्तु यहूदा के लोग उत्तर देंगे, “एसी कोशिश करने से कुछ नहीं होगा। हम वही करते रहेंगे जो हम करना चाहते हैं। हम लोगों में हर एक वही करेगा जो हठी और बुरा हृदय करना चाहता है।”
13 उन बातों को सुनो जो यहोवा कहता है,
“दूसरे राष्ट्र के लोगों से यह प्रश्न करो:
‘क्या तुमने कभी किसी की वे बुराई करते हुये सुना है जो इस्राएल ने किया है।’
अन्य के बारे में इस्राएल द्वारा की गई बुराई का करना सुना है
इस्राएल परमेश्वर की दुल्हन के समान विशेष है।
14 तुम जानते हो कि चट्टानों कभी स्वत:
मैदान नहीं छोड़तीं।
तुम जानते हो कि लबानोन के पहाड़ों के ऊपर की
बर्फ कभी नहीं पिघलती।
तुम जानते हो कि शीतल बहने वाले झरने कभी नहीं सूखते।
15 किन्तु हमारे लोग हमें भूल चुके हैं,
वे व्यर्थ देवमूर्तियों की बलि चढ़ाते हैं।
मेरे लोग जो कुछ करते हैं उनसे ठोकर खाकर गिरते हैं।
वे अपने पूर्वजों की पुरानी राहों में ठोकर खाकर गिरते फिरते हैं।
मेरे लोगों को ऊबड़ खाबड़ सड़कों और तुच्छ
राजमार्गों पर चलना शायद अधिक पसन्द है,
इसकी अपेक्षा कि वे मेरा अनुसरण अच्छी सड़क पर करें।
16 अत: यहूदा देश एक सूनी मरुभूमि बनेगा।
इसके पास से गुजरते लोग हर बार सीटी बजाएंगे
और सिर हिलायेंगे।
इस बात से चकित होगें कि देश कैसे बरबाद किया गया।
17 मैं यहूदा के लोगों को उनके शत्रुओं के सामने बिखेरुँगा।
प्रबल पूर्वी आँधी जैसे चीज़ों के चारों ओर उड़ती है वैसे ही मैं उनको बिखेरुँगा।
मैं उन लोगों को नष्ट करूँगा।
उस समय वे मुझे अपनी सहायता के लिये आता नहीं देखेंगे।
नहीं, वे मुझे अपने को छोड़ता देखेंगे।”
यिर्मयाह की चौथी शिकायत
18 तब यिर्मयाह के शत्रुओं ने कहा, “आओ, हम यिर्मयाह के विरुद्ध षडयन्त्र रचे। निश्चय ही, याजक द्वारा दी गई व्यवस्था की शिक्षा मिटेगी नहीं और बुद्धिमान लोगों की सलाह अब भी हम लोगों को मिलेगी। हम लोगों को नबियों के सन्देश भी मिलेंगे। अत: हम लोग उसके बारे में झूठ बोलें। उससे वह बरबाद होगा। वह जो कुछ कहता है, हम किसी पर ध्यान नहीं देंगे।”
19 हे यहोवा, मेरी सुन और मेरे विरोधियों की सुन,
तब तय कर कि कौन ठीक है
20 मैंने यहूदा के लोगों के लिये अच्छा किया है।
किन्तु अब वे उल्टे बदले में बुराई दे रहे हैं।
वे मुझे फँसा रहे हैं।
वे मुझे धोखा देकर फँसाने और मार डालने का प्रयत्न कर रहे हैं।
21 अत: अब उनके बच्चों को अकाल में भूखों मरने दें।
उनके शत्रुओं को उन्हें तलवार से हरा डालने दें।
उनकी पत्नियों को शिशु रहित होने दें।
यहूदा के लोगों को मृत्यु के घाट उतारे जाने दें।
उनकी पत्नियों को विधवा होने दें।
यहूदा के लोगों को मत्यु के घाट उतारे जाने दें।
युवकों को युद्ध में तलवार के घाट उतार दिये जाने दे।
22 उनके घरों में रूदन मचनें दे। उन्हें तब रोने दे
जब तू अचानक उनके विरुद्ध शत्रु को लाए।
इसे होने दे क्योंकि हमारे शत्रुओं ने मुझे धोखा दे कर फँसाने की कोशिश की है।
उन्होंने मेरे फँसने के लिये गुप्त जाल डाला है।
23 हे यहोवा, मुझे मार डालने की उनकी योजना को तू जानता है।
उनके अपराधों को तू क्षमा न कर।
उनके पापों को मत धों। मेरे शत्रुओं को नष्ट कर।
क्रोधित रहते समय ही उन लोगों को दण्ड दे।
टूटी सुराही
19यहोवा ने मुझसे कहा: “यिर्मयाह, जाओ और किसी कुम्हार से एक मिट्टी का सुराही खरीदो। 2 ठीकरा—द्वार के सामने के पास बेन हिन्नोम घाटी को जाओ। अपने साथ लोगों के अग्रजों (प्रमुखों) और कुछ याजकों को लो। उस स्थान पर उनसे वह कहो जो मैं तुमसे कहता हूँ। 3 अपने साथ के लोगों से कहो, ‘यहूदा के राजाओं और इस्राएल के लोगों, यहोवा के यहाँ से यह सन्देश सुनो। इस्राएल के लोगों का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा जो कहता है, वह यह है: मैं इस स्थान पर शीघ्र ही एक भयंकर घटना घटित कराऊँगा। हर एक व्यक्ति जो इसे सुनेगा, चकित और भयभीत होगा। 4 मैं ये काम करुँगा क्योंकि यहूदा के लोगों ने मेरा अनुसरण करना छोड़ दिया है। उन्होंने इसे विदेशी देवताओं का स्थान बना दिया है। यहूदा के लोगों ने इस स्थान पर अन्य देवताओं के लिये बलियाँ जलाई हैं। बहुत पहले लोग उन देवताओं को नहीं पूजते थे। उनके पूर्वज उन देवताओं को नहीं पूजते थे। ये अन्य देशों के नये देवता हैं। यहूदा के राजाओं ने भोले बच्चों के खून से इस स्थान को रंगा है। 5 यहूदा के राजाओं ने बाल देवता के लिये उच्च स्थान बनाए हैं। उन्होंने उन स्थानों का उपयोग अपने पुत्रों को आग में जलाने के लिये किया। उन्होंने अपने पुत्रों को बाल के लिये होमबलि के रूप में जलाया। मैंने उन्हें यह करने को नहीं कहा। मैंने तुमसे यह नहीं माँगा कि तुम अपने पुत्रों को बलि के रूप में भेंट करो। मैंने कभी इस सम्बन्ध में सोचा भी नहीं। 6 अब लोग उस स्थान का हिन्नोम की घाटी तोपेत कहते हैं। किन्तु मैं तुम्हें यह चेतावनी देता हूँ, वे दिन आ रहे हैं। यह सन्देश यहोवा का है: जब लोग इस स्थान को वध की घाटी कहेंगे। 7 इस स्थान पर मैं यहूदा और यरूशलेम के लोगों की योजनाओं को नष्ट करूँगा। शत्रु इन लोगों का पीछा करेगा और मैं इस स्थान पर यहूदा के लोगों को तलवार के घाट उतर जाने दूँगा और मैं उनके शवों को पक्षियों और जंगली जानवरों का भोजन बनाऊँगा। 8 मैं इस नगर को पूरी तरह नष्ट करुँगा। जब लोग यरूशलेम से गुजरेंगे तो सीटी बजाएंगे और सिर हिलायेंगे। उन्हें विस्मय होगा जब वे देखेंगे कि नगर किस प्रकार ध्वस्त किया गया है। 9 शत्रु अपनी सेना को नगर के चारों ओर लाएगा। वह सेना लोगों को भोजन लेने बाहर नहीं आने देगी। अत: नगर में लोग भूखों मरने लगेंगे। वे इतने भूखे हो जाएंगे कि अपने पुत्र और पुत्रियों के शरीर को खाने लगेंगे और तब वे एक दूसरे को खाने लगेंगे।’
10 “यिर्मयाह, तुम ये बातें लोगों से कहोगे और जब वे देख रहे हों तभी तुम उस सुराही को तोड़ना। 11 उस समय, तुम यह कहना, सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, ‘यहुदा राष्ट्र और यरूशलेम नगर को वैसे ही तोड़ूँगा जैसे कोई मिट्टी का सुराही तोड़ता है। यह सुराही फिर जोड़कर बनाया नहीं जा सकता। यहूदा राष्ट्र के लिये भी यही सब होगा। मरे लोग इस तोपेत में तब तक दफनाए जाएंगे जब तक यहाँ जगह नहीं रह जाएगी। 12 मैं यह इन लोगों और इस स्थान के साथ ऐसा करूँगा। मैं इस नगर को तोपेत की तरह कर दूँगा।’ ह सन्देश यहोवा का है। 13 ‘यरूशलेम के घर तथा राजा के महल इतने गन्दे होंगे जितना यह स्थान तोपेत है। राजा के महल इस स्थान तोपेत की तरह बरबाद होंगे। क्यों क्योंकि लोगों ने उन घरों की छत पर असत्य देवताओं की पूजा की। उन्होंने ग्रह—नक्षत्रों की पूजा की और उनके सम्मान में बलि जलाई। उन्होंने असत्य देवताओं को पेय भेंट दी।’”
14 तब यिर्मयाह ने तोपेत को छोड़ा जहाँ यहोवा ने उपदेश देने को कहा था। यिर्मयाह यहोवा के मन्दिर को गया और उसके आँगन में खड़ा हुआ। यिर्मयाह ने सभी लोगों से कहा, 15 “इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है: ‘मैंने कहा है कि मैं यरूशलेम और उसके चारों ओर के गाँवों पर अनेक विपत्तियाँ ढाऊँगा। मैं इन्हें शीघ्र घटित कराऊँगा। क्यों क्योंकि लोग बहुत हठी हैं वे मेरी सुनने और मेरी आज्ञा का पालन करने से इन्कार करते हैं।’”
यिर्मयाह और पशहूर
20पशहूर नामक एक व्यक्ति याजक था। वह यहोवा के मन्दिर में उच्चतम अधिकारी था। पशहूर इम्मेर नामक व्यक्ति का पुत्र था। पशहूर ने यिर्मयाह को मन्दिर के आँगन में उन बातों का उपदेश करते सुना। 2 इसलिये उसने यिर्मयाह नबी को पिटवा दिया और उसने यिर्मयाह के हाथ और पैरों को विशाल काष्ठ के लट्ठों के बीच बन्द कर दिया। यह मन्दिर के ऊपरी बिन्यामीन द्वार पर था। 3 अगले दिन पशहूर ने यिर्मयाह को काष्ठ के लट्ठों के बीच से निकाला। तब यिर्मयाह ने पशहूर से कहा, “यहोवा का दिया तुम्हारा नाम पशहूर नहीं है। अब यहोवा की ओर से तुम्हारा नाम सर्वत्र आतंक है। 4 यही तुम्हारा नाम है, क्योंकि यहोवा कहता है, ‘मैं शीघ्र ही तुमको अपने आपके लिये आतंक बनाऊँगा। मैं शीघ्र ही तुम्हें तुम्हारे सभी मित्रों के लिये आतंक बनाऊँगा। तुम शत्रुओं द्वारा अपने मित्रों को तलवार के घाट उतारते देखोगे। मैं यहूदा के सभी लोगों को बाबुल के राजा को दे दूँगा। वह यहूदा के लोगों को बाबुल देश को ले जाएगा और उसकी सेना यहूदा के लोगों को अपनी तलवार के घाट उतारेगी। 5 यहूदा के लोगों ने चीज़ों को बनाने में कठिन परिश्रम किया और धनी हो गए। किन्तु मैं वे सारी चीज़ें उनके शत्रुओं को दे दूँगा। यरूशलेम के राजा के पास बहुत से धन भण्डार हैं। किन्तु मैं उन सभी धन भण्डारों को शत्रु को दें दूँगा। शत्रु उन चीज़ों को लेगा और उन्हें बाबुल देश को ले जाएगा। 6 और पशहूर तुम और तुम्हारे घर में रहने वाले सभी लोग यहाँ से ले जाए जाओगे। तुमको जाने को और बाबुल देश में रहने को विवश किया जायेगा। तुम बाबुल में मरोगे और तुम उस विदेश में दफनाए जाओगे। तुमने अपने मित्रों को झूठा उपदेश दिया। तुमने कहा कि ये घटनायें नहीं घटेंगीं। किन्तु तुम्हारे सभी मित्र भी मरेंगे और बाबुल में दफनाए जायेंगे।’”
यिर्मयाह की पाँचवीं शिकायत
7 हे यहोवा, तूने मुझे धोखा दिया
और मैं निश्चय ही मूर्ख बनाया गया।
तू मुझसे अधिक शक्तिशाली है अत: तू विजयी हुआ।
मैं मजाक बन कर रह गया हूँ।
लोग मुझ पर हँसते हैं
और सारा दिन मेरा मजाक उड़ाते हैं।
8 जब भी मैं बोलता हूँ, चीख पड़ता हूँ।
मैं लगातार हिंसा और तबाही के बारे में चिल्ला रहा हूँ।
मैं लोगों को उस सन्देश के बारे में बताता हूँ
जिसे मैंने यहोवा से प्राप्त किया।
किन्तु लोग केवल मेरा अपमान करते हैं
और मेरा मजाक उड़ाते हैं।
9 कभी—कभी मैं अपने से कहता हूँ:
“मैं यहोवा के बारे में भूल जाऊँगा।
मैं अब आगे यहोवा के नाम पर नहीं बोलूँगा।”
किन्तु यदि मैं ऐसा कहता हूँ तो यहोवा का सन्देश
मेरे भीतर भड़कती ज्वाला सी हो जाती है।
मुझे ऐसा लगता है कि यह अन्दर तक मेरी हड्डियों को जला रही है।
मैं अपने भीतर यहोवा के सन्देश को रोकने के प्रयत्न में थक जाता हूँ
और अन्तत: मैं इसे अपने भीतर रोकने में समर्थ नहीं हो पाता।
10 मैं अनेक लोगों को दबी जुबान अपने विरुद्ध बातें करता सुनता हूँ।
सर्वत्र मैं वह सब सुनता हूँ जो मुझे भयभीत करते हैं।
यहाँ तक कि मेरे मित्र भी मेरे विरुद्ध बातें करते हैं।
चलो हम अधिकारियों को इसके बारे में सूचित करें।
लोग केवल इस प्रतीक्षा में हैं कि मैं कोई गलती करूँ।
वे कह रहे हैं, “आओ हम झूठ बोलें
और कहें कि उसने कुछ बुरे काम किए हैं।
सम्भव है हम यिर्मयाह को धोखा दे सकें।
तब वह हमारे साथ होगा। अन्तत: हम उससे छुटकारा पायेंगे।
तब हम उसे दबोच लेंगे और उससे अपना बदला ले लेंगे।”
11 किन्तु यहोवा मेरे साथ है।
यहोवा एक दृढ़ सैनिक सा है।
अत: जो लोग मेरा पीछा करते हैं, मुँह की खायेंगे।
वे लोग मुझे पराजित नहीं कर सकेंगे।
वे लोग असफल होंगे। वे निराश होंगे।
वे लोग लज्जित होंगे और लोग उस लज्जा को कभी नहीं भूलेंगे।
12 सर्वशक्तिमान यहोवा तू अच्छे लोगों की परीक्षा लेता है।
तू व्यक्ति के दिल और दिमाग को गहराई से देखता है।
मैंने उन व्यक्तियों के विरुद्ध तूझे अनेकों तर्क दिये हैं।
अत: मुझे यह देखना है कि तू उन्हें वह दण्ड देता है
कि नहीं जिनके वे पात्र हैं।
13 यहोवा के लिये गाओ!
यहोवा की स्तुति करो!
यहोवा दीनों के जीवन की रक्षा करता है!
वह उन्हें दुष्ट लोगों की शक्ति से बचाता है!
यिर्मयाह की छठी शिकायत
14 उस दिन को धिक्कार है जिस दिन मेरा जन्म हुआ।
उस दिन को बधाई न दो जिस दिन मैं माँ की कोख में आया।
15 उस व्यक्ति को अभिशाप दो जिसने मेरे पिता को यह सूचना दी कि मेरा जन्म हुआ है।
उसने कहा था, “तुम्हारा लड़का हुआ है, वह एक लड़का है।”
उसने मेरे पिता को बहुत प्रसन्न किया था जब उसने उनसे यह कहा था।
16 उस व्यक्ति को वैसा ही होने दो जैसे वे नगर जिन्हें यहोवा ने नष्ट किया।
यहोवा ने उन नगरों पर कुछ भी दया नहीं की।
उस व्यक्ति को सवेरे युद्ध का उद्घोष सुनने दो,
और दोपहर को युद्ध की चीख सुनने दो।
17 तूने मुझे माँ के पेट में ही, क्यों न मार डाला
तब मेरी माँ की कोख कब्र बन जाती,
और मैं कभी जन्म नहीं ले सका होता।
18 मुझे माँ के पेट से बाहर क्यों आना पड़ा
जो कुछ मैंने पाया है वह परेशानी और दु:ख है
और मेरे जीवन का अन्त लज्जाजनक होगा।
समीक्षा
आग के वचन
जिस अपमान, विरोध, शत्रुता की भावना और मजाक उड़ाये जाने हम पश्चिम में मीडिया में, ऑनलाईन, और व्यक्तिगत प्रहार में, अनुभव करते हैं, वह उसकी तुलना में कम है जो पौलुस प्रेरित, थिस्सलुनिकियों के लोग और यिर्मयाह ने अनुभव किया था।
यिर्मयाह एक सच्चे भविष्यवक्ता थे। उन्होंने परमेश्वर के वचन को सुनाः’ यहोवा की ओर से यह वचन यिर्मयाह के पास पहुँचा’ (18:1), ‘ यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा’ (व.5)। एक कुम्हार और उनके बर्तन के उदाहरण के द्वारा परमेश्वर ने यिर्मयाह से बात की। पौलुस ने इस शक्तिशाली चित्रक को लिया और इस्तेमाल किया (रोमियो 9:21)। परमेश्वर के हाथों में आप आत्मिक मिट्टी हैं, जो आपको आकार दे रहे हैं, उस उद्देश्य के लिए जो आपके लिए उनके पास है।
परमेश्वर के वचन को सुनने के बाद, यिर्मयाह ने इसे प्रचार कियाः’ यहोवा ने यों कहा’ (यिर्मयाह 19:1)। उन्होंने वह वचन प्रचार किया जो परमेश्वर ने उन्हें बताया था। उन्होंने कहा, ‘परमेश्वर का वचन सुनो... इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा यों कहता है’ (वव.3, 15अ)।
किंतु, उन्होंने नहीं सुना (व.15ब)। यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता को मारा और उसे उस काठ में जकड़ दिया (20:2)। उनका मजाक और उपहास किया गया (व.7)। यह उनके लिए आसान नहीं था। कभी कभी प्रलोभन आता है कि परमेश्वर के वचन का प्रचार करना छोड़ दे क्योंकि यह बहुत दर्दनाक है। किंतु, यिर्मयाह कहते हैं:
‘ मेरे हृदय की ऐसी दशा होगी मानो मेरी हड्डियों में धधकती हुई आग हो, और मैं अपने को रोकते रोकते थक गया पर मुझ से रहा नहीं गया’ (व.9, एम.एस.जी)
परमेश्वर के वचन की आग उनके अंदर इतनी शक्तिशाली रीति से जल रही थी कि उन्हें निरंतर इसका प्रचार करते रहना पड़ा। जैसे ही उन्होंने यह किया, वह कह सके, ‘ परन्तु यहोवा मेरे साथ हैं, वह भयंकर वीर के समान’ (व.11अ)।
प्रार्थना
पिप्पा भी कहते है
1 थिस्सलुनिकियों 2:12
यदि हम माता-पिता हैं तो हमें अपने बच्चों को ‘उत्साहित करने, शांति देने और चिताने’ की आवश्यकता है। चर्च में हमें एक दूसरे के साथ भी ऐसा ही करना चाहिए।
आज मैं किसे उत्साहित कर सकता हूँ कि ‘परमेश्वर के योग्य जीवन जीएं?’
दिन का वचन
यिर्मयाह 20:11
“परन्तु यहोवा मेरे साथ है, वह भयंकर वीर के समान है; इस कारण मेरे सताने वाले प्रबल न होंगे, वे ठोकर खाकर गिरेंगे। वे बुद्धि से काम नहीं करते, इसलिये उन्हें बहुत लज्जित होना पड़ेगा। उनका अपमान सदैव बना रहेगा और कभी भूला न जाएगा।”
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संदर्भ
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।