अच्छे संबंधो के लिए छह बातें
परिचय
जब वह उन्नीस वर्ष की थी, किआरा लूबिच पूर्वी इटली में कुछ मित्रों के साथ इकट्ठा हुई। यह 1939 था और, जैसे ही बम गिर रहे थे, उन्होंने यह प्रश्न पूछाः'क्या ऐसी कोई चीज है जिसे बम नष्ट नहीं कर सकते हैं?' उनका उत्तर था,'हाँ, परमेश्वर का प्रेम।'
उन्होंने परमेश्वर के प्रेम को अनुभव किया था और वे इसे दूसरों के साथ बाँटना चाहते थे। प्रेम का एक जीवन जीने के द्वारा वे परमेश्वर का अनुकरण करते थे (इफीसियो 5:1-2)। उन्होंने जरुरतमंदो की सहायता की। जो थोड़ा सा भोजन उनके पास था, उन्होनें दूसरों के साथ बाँटा। उन्होंने कपड़े दिए उन्हें जिनके पास नहीं थे। उन्होंने शोक करने वालो को शांति दी।
ऐसी गरमाहट किआरा और उनके मित्रों से उत्पन्न हुई कि लोगों ने उन्हें 'फोकोलेर' नाम दिया, जिसका अर्थ है 'सुनता है' या 'आग का स्थान'। फोकोलेर में अब 182 देशो में 2 मिलियन सदस्य हैं। फोकोलेर समुदाय के सदस्य इसे अपने जीवन का नियम बनाते हैं कि दिन के चौबीस घंटे, यीशु के इस सुनहरे नियम के द्वारा जीएँगेः'जो कुछ तुम चाहते हो कि मनुष्य तुम्हारे साथ करें, तुम भी उनके साथ वैसा ही करो' (मत्ती 7:12)।
प्रेम प्रायोगिक है। किआरा ने कहा,' दूसरे व्यक्ति से अपने समान प्रेम करो...कल्पना कीजिए कि विश्व कैसा होगा यदि सुनहरे नियम को काम पर लगाया जाएँ ना केवल व्यक्तियों के बीच में, बल्कि जातीय समूह, लोगों और देश के बीच में, यदि हर कोई देश को अपने समान प्रेम करे।'
कैसे हम परमेश्वर का अनुकरण कर सकते हैं और प्रेम का एक जीवन जी सकते हैं?
भजन संहिता 112:1-10
112यहोवा की प्रशंसा करो!
ऐसा व्यक्ति जो यहोवा से डरता है। और उसका आदर करता है।
वह अति प्रसन्न रहेगा। परमेश्वर के आदेश ऐसे व्यक्ति को भाते हैं।
2 धरती पर ऐसे व्यक्ति की संतानें महान होंगी।
अच्छे व्यक्तियों कि संताने सचमुच धन्य होंगी।
3 ऐसे व्यक्ति का घराना बहुत धनवान होगा
और उसकी धार्मिकता सदा सदा बनी रहेगी।
4 सज्जनों के लिये परमेश्वर ऐसा होता है जैसे अंधेरे में चमकता प्रकाश हो।
परमेश्वर खरा है, और करूणापूर्ण है और दया से भरा है।
5 मनुष्य को अच्छा है कि वह दयालु और उदार हो।
मनुष्य को यह उत्तम है कि वह अपने व्यापार में खरा रहे।
6 ऐसा व्यक्ति का पतन कभी नहीं होगा।
एक अच्छे व्यक्ति को सदा याद किया जायेगा।
7 सज्जन को विपद से डरने की जरूरत नहीं।
ऐसा व्यक्ति यहोवा के भरोसे है आश्वस्त रहता है।
8 ऐसा व्यक्ति आश्वस्त रहता है।
वह भयभीत नहीं होगा। वह अपने शत्रुओं को हरा देगा।
9 ऐसा व्यक्ति दीन जनों को मुक्त दान देता है।
उसके पुण्य कर्म जिन्हें वह करता रहता है
वह सदा सदा बने रहेंगे।
10 कुटिल जन उसको देखेंगे और कुपित होंगे।
वे क्रोध में अपने दाँतों को पीसेंगे और फिर लुप्त हो जायेंगे।
दुष्ट लोग उसको कभी नहीं पायेंगे जिसे वह सब से अधिक पाना चाहते हैं।
समीक्षा
पवित्र आत्मा से भर जाइए
आपमें बसने वाला पवित्र आत्मा एक ऐसे जीवन को उत्पन्न करता है जो परमेश्वर का अनुकरण करता है। इस भजन में, हम देखते हैं कि किस प्रकार का जीवन जीने की परमेश्वर आपसे आशा करते हैं, और इसमें आत्मा के सभी फल शामिल हैं, जिसका वर्णन पौलुस ने गलातियो 5:22-23 में किया है। यह निम्नलिखित का जीवन हैः
प्रेम ('करुणामयी', भजनसंहिता 112:4)
आनंद ('प्रसन्नता, व.1')
शांति ('वे डरेंगे नहीं,' व.8)
धीरज ('उनके हृदय स्थिर हैं,' व.7)
दयालुता ('उदार और मुक्त रूप से देना,' व.5ब; 'उन्होंने गरीबों को उपहार दिए,' व.9)
भलाई ('सत्यनिष्ठा सर्वदा स्मरण रहेंगे,' व.6ब)
वफादारी ('उनके हृदय सुरक्षित हैं,' व.8अ)
सज्जनता ('अनुग्रही,' व.4ब)
आत्म-संयम ('निश्चित ही वे कभी नहीं हिलेंगे,' व.6अ)।
यह सब परमेश्वर को जानने से उत्पन्न होता है – उनके वचन को पढ़ने और इस पर मनन करने में समय बितानाः'धन्य है वे जो परमेश्वर का भय मानते हैं, जो उनकी आज्ञा में आनंद मनाते हैं' (व.1)।
प्रार्थना
इफिसियों 4:17-5:7
ऐसे जीओ
17 मैं इसीलिए यह कहता हूँ और प्रभु को साक्षी करके तुम्हें चेतावनी देता हूँ कि उनके व्यर्थ के विचारों के साथ अधर्मियों के जैसा जीवन मत जीते रहो। 18 उनकी बुद्धि अंधकार से भरी है। वे परमेश्वर से मिलने वाले जीवन से दूर हैं। क्योंकि वे अबोध हैं और उनके मन जड़ हो गये हैं। 19 लज्जा की भावना उनमें से जाती रही है। और उन्होंने अपने को इन्द्रिय उपासना में लगा दिया है। बिना कोई बन्धन माने वे हर प्रकार की अपवित्रता में जुटे हैं। 20 किन्तु मसीह के विषय में तुमने जो जाना है, वह तो ऐसा नहीं है। 21 मुझे कोई संदेह नहीं है कि तुमने उसके विषय में सुना है; और वह सत्य जो यीशु में निवास करता है, उसके अनुसार तुम्हें उसके शिष्यों के रूप में शिक्षित भी किया गया है। 22 जहाँ तक तुम्हारे पुराने जीवन प्रकार का संबन्ध हैं तुम्हें शिक्षा दी गयी थी कि तुम अपने पुराने व्यक्तित्व को उतार फेंको जो उसकी भटकाने वाली इच्छाओं के कारण भ्रष्ट बना हुआ है। 23 जिससे बुद्धि और आत्मा में तुम्हें नया किया जा सके। 24 और तुम उस नये स्वरूप को धारण कर सको जो परमेश्वर के अनुरूप सचमुच धार्मिक और पवित्र बनने के लिए रचा गया है।
25 सो तुम लोग झूठ बोलने का त्याग कर दो। अपने साथियों से हर किसी को सब बोलना चाहिए, क्योंकि हम सभी एक शरीर के ही अंग हैं। 26 क्रोध में आकर पाप मत कर बैठो। सूरज ढलने से पहले ही अपने क्रोध को समाप्त कर दो। 27 शैतान को अपने पर हावी मत होने दो। 28 जो चोरी करता आ रहा है, वह आगे चोरी न करे। बल्कि उसे काम करना चाहिए, स्वयं अपने हाथों से कोई उपयोगी काम। ताकि उसके पास, जिसे आवश्यकता है, उसके साथ बाँटने को कुछ हो सके।
29 तुम्हारे मुख से कोई अनुचित शब्द नहीं निकलना चाहिए, बल्कि लोगों के विकास के लिए जिसकी अपेक्षा है, ऐसी उत्तम बात ही निकलनी चाहिए, ताकि जो सुनें उनका उससे भला हो। 30 परमेश्वर की पवित्र आत्मा को दुःखी मत करते रहो क्योंकि परमेश्वर की सम्पत्ति के रूप में तुम पर छुटकारे के दिन के लिए आत्मा के साथ मुहर लगा दिया गया है। 31 समूची कड़वाहट, झुँझलाहट, क्रोध, चीख-चिल्लाहट और निन्दा को तुम अपने भीतर से हर तरह की बुराई के साथ निकाल बाहर फेंको। 32 परस्पर एक दूसरे के प्रति दयालु और करुणावान बनो। तथा आपस में एक दूसरे के अपराधों को वैसे ही क्षमा करो जैसे मसीह के द्वारा तुम को परमेश्वर ने भी क्षमा किया है।
5प्यारे बच्चों के समान परमेश्वर का अनुकरण करो। 2 प्रेम के साथ जीओ। ठीक वैसे ही जैसे मसीह ने हमसे प्रेम किया है और अपने आप को मधुर-गंध-भेंट के रूप में, हमारे लिए परमेश्वर को अर्पित कर दिया है।
3 तुम्हारे बीच व्यभिचार और हर किसी तरह की अपवित्रता अथवा लालच की चर्चा तक नहीं चलनी चाहिए। जैसा कि संत जनों के लिए उचित ही है। 4 तुममें न तो अश्लील भाषा का प्रयोग होना चाहिए, न मूर्खतापूर्ण बातें या भद्दा हँसी ठट्टा। ये तुम्हारी अनुकूल नहीं हैं। बल्कि तुम्हारे बीच धन्यवाद ही दिये जायें। 5 क्योंकि तुम निश्चय के साथ यह जानते हो कि ऐसा कोई भी व्यक्ति जो दुराचारी है, अपवित्र है अथवा लालची है, जो एक मूर्ति पूजक होने जैसा है। मसीह के और परमेश्वर के राज्य का उत्तराधिकार नहीं पा सकता।
6 देखो, तुम्हें कोरे शब्दों से कोई छल न ले। क्योंकि इन बातों के कारण ही आज्ञा का उल्लंघन करने वालों पर परमेश्वर का कोप होने को है। 7 इसलिए उनके साथी मत बनो।
समीक्षा
यीशु के स्वरूप में बदल जाईये
यीशु मसीह ने प्रेम का महान उदाहरण दिया, हमारे लिए अपना जीवन देने के द्वारा। संत पौलुस लिखते हैं,' इसलिये प्रिय बालकों के समान परमेश्वर का अनुकरण करो, और प्रेम में चलो जैसे मसीह ने भी तुम से प्रेम किया, और हमारे लिये अपने आप को सुखदायक सुगन्ध के लिये परमेश्वर के आगे भेंट करके बलिदान कर दिया' (5:1-2)। जैसा कि सेंट अथॅनसियस ने लिखा,'परमेश्वर हमारी तरह बन गए ताकि हम परमेश्वर की तरह बन जाएँ।'
'प्रेम का यह जीवन' कैसा दिखाई देता है?
पौलुस लिखते हैं कि कैसे इफीसुस वासी 'मसीह को जानने' लगे (4:20) और कैसे उन्हें जानने के बाद उन्हें सिखाया गया कि ' अपने मन के आत्मिक स्वभाव में नये बनते जाओ, और नये मनुष्यत्व को पहन लो जो परमेश्वर के अनुरूप सत्य की सत्यनिष्ठा और पवित्रता में सृजा गया है' (वव.23-24)।
'पवित्रता' क्या है?
पौलुस पवित्रता के छ: प्रायोगिक उदाहरण देते हैं – एक पवित्र कलीसिया में अच्छे संबंधो के लिए छ: मुख्य बातें (4:25-5:7):
- सच्चाई
'इस कारण झूठ बोलना छोड़कर हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं' (4:25, एम.एस.जी)।
यह ईमानदारी और विश्वसनीयता का एक जीवन है। 'पवित्रता' के विषय में बात करने का खतरा यह है कि यह 'तीव्रता' को लाती है। लेकिन पवित्रता और 'तुमसे अधिक पवित्र' होने के बीच में और पाखंडी और विषाक्त होने के बीच में एक पतली रेखा है। प्रमाणिकता हमें मुक्त करती है यह मानने के लिए कि हम सिद्ध नहीं हैं। हम एक दूसरे के साथ असुरक्षित हो सकते हैं। यह कपट से दूर ले जाता है।
- जुनून
'क्रोध तो करो, पर पाप मत करो; सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे, और न शैतान को अवसर दो' (वव.26-27, एम.एस.जी)।
यद्यपि गुस्सा आंतरिक रूप से पापमय नहीं है, यह अक्सर पाप की ओर ले जाता है। गुस्से में, शैतान को कभी कभी हमारे जीवन में पैर रखने की जगह मिल जाती है जो आसानी से एक व्यसन बन जाता है। गुस्सा एक भावना है जिससे हमें सावधानी से निपटने की आवश्यकता है।
दूसरी ओर गुस्से का एक सकारात्मक पहलू है। यह एक परमेश्वर की दी गई भावना हो सकती है। परमेश्वर गुस्से को व्यक्त करते हैं (5:6), लेकिन निश्चत ही वह इसे नियंत्रण के साथ करते हैं। यीशु का गुस्सा, पाप के प्रति एक सत्यनिष्ठ गुस्सा था। यह दासत्व के प्रति विल्बरसेना की नफरत थी जिसने गुलाम व्यापार को बंद करवाया।
- कार्य और उदारता
'चोरी करने वाला फिर चोरी न करे, वरन् भले काम करने में अपने हाथों से परिश्रम करे, इसलिये कि जिसे प्रयोजन हो उसे देने को उसके पास कुछ हो' (व.28, एम.एस.जी)।
अक्सर पवित्रता को गलत समझा जाता है कि यह अपने आपको उन लोगों से अलग करने की आवश्यकता है जिन्हें हम अपवित्र समझते हैं। उदाहरण के लिए, शायद से सहकर्मी। पौलुस का मुद्दा बिल्कुल अलग है। वह काम को एक पवित्र जीवन के भाग के रूप में देखते हैं। काम अपने आपमें अच्छा है क्योंकि यह संतुष्टि लाता है लेकिन इसमें परिश्रम, संघर्ष और प्रयास भी हैं। तो लोग क्यों सुबह काम पर जाते हैं? एक उत्तर हैः पवित्र बनने के लिए।
पौलुस को यह कहना आवश्यक लगा कि अब चोरी मत करो, जो बताता है कि आरंभिक कलीसिया के कुछ सदस्य पहले अपराधी थे। चर्च ने स्पष्ट रूप से पहले अपराधी रह चुके लोगों का स्वागत किया और उनकी चिंता की। दूसरो से लेने के बजाय,अब उन्हें अपने आस-पास के लोगों के लिए योगदान देना चाहिए। इसे करने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है काम करने के द्वारा। काम अपने आपमें 'कुछ उपयोगी काम करता है,' साथी उन्हें सक्षम बनाता है कि 'जरुरतमंद को दे पाये' (व.28)। पहले अपराधी थे या नहीं, काम सभी के लिए पवित्र बनने का एक भाग है।
- उत्साह
'कोई गन्दी बात तुम्हारे मुँह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही निकले जो उन्नति के लिये आवश्यक हो, ताकि उससे सुनने वालों पर अनुग्रह हो' (व.29, एम.एस.जी)।
शब्दों से अंतर पड़ता है। जो आप कहते हैं वह बहुत महत्वपूर्ण है। यह या तो लोगों को बढ़ा सकता है या उन्हें नीचे ला सकता है। भलाई के लिए अपने मुँह का इस्तेमाल कीजिए – उत्साह के लिए और दूसरों को बढ़ाने के लिए।
उत्साहित करना शाब्दिक सूर्य प्रकाश की तरह है। इसमें कोई कीमत नहीं चुकानी पड़ती है। लेकिन यह हृदय को गरमाहट देती है और जीवन को भी बदलती है।
- अनुग्रह
'सब प्रकार की कड़वाहट, और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्दा, सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए। एक दूसरे पर कृपालु और करुणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो' (वव.31-32, एम.एस.जी)।
कभी कभी हमारे पास एक पवित्र समुदाय का चित्र होता है, एक स्थान है जहाँ पर सभी लोग पवित्र दिखाई दे रहे हैं और असल में किसी भी अपवित्र व्यक्ति को वहाँ पर नहीं चाहते हैं। लेकिन पौलुस का चित्र इससे बहुत अलग है।
एक पवित्र कलीसिया के लिए पौलुस का दर्शन है, एक समुदाय जो सारी कड़वाहट, गुस्सा और द्वेष को दूर रखता है, और उनका स्वागत करता है जो पहले अपराधी थे, जो जीवनशैली संबंधी परेशानी से संघर्ष कर रहे थे, जिनका तलाक हो चुका है, जिन्होंने जीवन खराब कर लिया है। यह ऐसे लोगों का समुदाय है जिन्हें क्षमा की आवश्यकता है और एक स्थान जहाँ पर क्षमा मुक्त रूप से बहती है क्योंकि जिन लोगों को क्षमा मिली है, वह क्षमा करते हैं।
- शुद्धता
चर्च सभी का स्वागत करता है, क्योंकि यह दयालु है, करुणामयी और अनुग्रही है। आप शुद्धता के एक जीवन में भी बुलाए गए हैं ' व्यभिचार और किसी प्रकार के अशुध्द काम की चर्चा तक न हो' (5:3)।
स्वार्थी पाप के बजाय (वव.3-4अ), आप परमेश्वर को धन्यवाद देने के लिए बुलाए गए हैं (व.4ब)। यहाँ पर पौलुस के द्वारा एक मजबूत चेतावनी है। पापो की क्षमा है, लेकिन जो परमेश्वर के मार्गों पर नहीं चलते है वह उनके राज्य के वारिस नहीं होंगे (व.5)।
प्रार्थना
यशायाह 63:1-65:16
यहोवा अपने लोगों का न्याय करता है
63यह कौन है जो एदोम से आ रहा है,
यह बोस्रा की नगरी से लाल धब्बों से युक्त कपड़े पहने आ रहा है।
वह अपने वस्त्रों में अति भव्य दिखता है।
वह लम्बे डग बढ़ाता हुआ अपनी महाशक्ति के साथ आ रहा है।
और मैं सच्चाई से बोलता हूँ।
2 “तू ऐसे वस्त्र जो लाल धब्बों से युक्त हैं?
क्यों पहनता है तेरे वस्त्र ऐसे लाल क्यों हैं जैसे उस व्यक्ति के जो अंगूर से दाखमधु बनाता है”
3 वह उत्तर देता है, “दाखमधु के कुंडे में मैंने अकेले ही दाख रौंदी।
किसी ने भी मुझको सहायता नहीं दी।
मैं क्रोधित था और मैंने लोगों को रौंदा जैसे अंगूर दाखमधु बनाने के लिये रौंदे जाते हैं।
रस छिटकर मेरे वस्त्रों में लगा।
4 मैंने राष्ट्रों को दण्ड देने के लिये एक समय चुना।
मेरा वह समय आ गया कि मैं अपने लोगों को बचाऊँ और उनकी रक्षा करूँ।
5 मैं चकित हुआ कि किसी भी व्यक्ति ने मेरा समर्थन नहीं किया।
इसलिये मैंने अपनी शक्ति का प्रयोग अपने लोगों को बचाने के लिये किया।
स्वयं मेरे अपने क्रोध ने ही मेरा समर्थन किया।
6 जब मैं क्रोधित था, मैंने लोगों को रौंद दिया था।
जब मैं क्रोध में पागल था, मैंने उनको दण्ड दिया।
मैंने उनका लहू धरती पर उंडेल दिया।”
यहोवा अपने लोगों पर दयालु रहा
7 यह मैं याद रखूँगा कि यहोवा दयालु है
और मैं यहोवा की स्तुति करना याद रखूँगा।
यहोवा ने इस्राएल के घराने को बहुत सी वस्तुएँ प्रदान की।
यहोवा हमारे प्रति बहुत ही कृपालु रहा।
यहोवा ने हमारे प्रति दया दिखाई।
8 यहोवा ने कहा था “ये मेरे लोग हैं।
ये बच्चें कभी झूठ नहीं कहते हैं” इसलिये यहोवा ने उन लोगों को बचा लिया।
9 उनको उनके सब संकटो से किसी भी स्वर्गदूत ने नहीं बचाया था।
उसने स्वयं ही अपने प्रेम और अपनी दया से उनको छुटकारा दिलाया था।
10 किन्तु वे लोग यहोवा से मुख मोड़ चले।
उन्होंने उसकी पवित्र आत्मा को बहुत दु:खी किया।
सो यहोवा उनका शत्रु बन गया।
यहोवा ने उन लोगों के विरोध में युद्ध किया।
11 किन्तु यहोवा अब भी पहले का समय याद करता है।
यहोवा मूसा के और उसके लोगों को याद करता हैं।
यहोवा वही था जो लोगों को सागर के बीच से निकाल कर लाया।
यहोवा ने अपनी भेंड़ों (लोगों) की अगुवाई के लिये अपने चरवाहों (नबियों) का प्रयोग किया।
किन्तु अब वह यहोवा कहाँ है जिसने अपनी आत्मा को मूसा में रख दिया था
12 यहोवा ने अपने दाहिने हाथ से मूसा की अगुवाई की।
यहोवा ने अपनी अद्भुत शक्ति से मूसा को राह दिखाई।
यहोवा ने जल को चीर दिया था।
जिससे लोग सागर को पैदल पार कर सके थे।
इस अद्भुत कार्य को करके यहोवा ने अपना नाम प्रसिद्ध किया था
13 यहोवा ने लोगों को राह दिखाई।
वे लोग गहरे सागर के बीच से बिना गिरे ही पार हो गये थे।
वे ऐसे चले थे जैसे मरूस्थल के बीच से घोड़ा चला जाता है।
14 जैसे मवेशी घाटियों से उतरते और विश्राम का ठौर पाते हैं
वैसे ही यहोवा के प्राण ने हमें विश्राम की जगह दी है।
हे यहोवा, इस ढंग से तूने अपने लोगों को राह दिखाई
और तूने अपना नाम अद्भुत कर दिया।
उसके लोगों की सहायता के लिए यहोवा से प्रार्थना
15 हे यहोवा, तू आकाश से नीचे देख।
उन बातों को देख जो घट रही हैं!
तू हमें अपने महान पवित्र घर से जो आकाश मैं है, नीचे देख।
तेरा सुदृढ़ प्रेम हमारे लिये कहाँ है तेरे शक्तिशाली कार्य कहाँ है
तेरे हृदय का प्रेम कहाँ है मेरे लिये तेरी कृपा कहाँ है
तूने अपना करूण प्रेम मुझसे कहाँ छिपा रखा है
16 देख, तू ही हमारा पिता है!
इब्राहीम को यह पता नहीं है कि हम उसकी सन्तानें हैं।
इस्राएल (याकूब) हमको पहचानता नहीं है।
यहोवा तू ही हमारा पिता है।
तू वही यहोवा है जिसने हमको सदा बचाया है।
17 हे यहोवा, तू हमको अपने से दूर क्यों ढकेल रहा है
तू हमारे लिये अपना अनुसरण करने को क्यों कठिन बनाता है यहोवा तू हमारे पास लौट आ।
हम तो तेरे दास हैं।
हमारे पास आ और हमको सहारा दे।
हमारे परिवार तेरे हैं।
18 थोड़े समय के लिये हमारे शत्रुओं ने तेरे पवित्र लोगों पर कब्जा कर लिया था।
हमारे शत्रुओं ने तेरे मन्दिर को कुचल दिया था।
19 कुछ लोग तेरा अनुसरण नहीं करते हैं।
वे तेरे नाम को धारण नहीं करते हैं।
जैसे वे लोग हम भी वैसे हुआ करते थे।
64यदि तू आकाश चीर कर धरती पर नीचे उतर आये
तो सब कुछ ही बदल जाये।
तेरे सामने पर्वत पिघल जाये।
2 पहाड़ों में लपेट उठेंगी।
वे ऐसे जलेंगे जैसे झाड़ियाँ जलती हैं।
पहाड़ ऐसे उबलेंगे जैसे उबलता पानी आग पर रखा गया हो।
तब तेरे शत्रु तेरे बारे में समझेंगे।
जब सभी जातियाँ तुझको देखेंगी तब वे भय से थर—थर काँपेंगी।
3 किन्तु हम सचमुच नहीं चाहते हैं
कि तू ऐसे कामों को करे कि तेरे सामने पहाड़ पिघल जायें।
4 सचमुच तेरे ही लोगों ने तेरी कभी नहीं सुनी।
जो कुछ भी तूने बात कही सचमुच तेरे ही लोगों ने उन्हें कभी नहीं सुना।
तेरे जैसा परमेश्वर किसी ने भी नहीं देखा।
कोई भी अन्य परमेश्वर नहीं, बस केवल तू है।
यदि लोग धीरज धर कर तेरे सहारे की बाट जोहते रहें, तो तू उनके लिये बड़े काम कर देगा।
5 जिनको अच्छे काम करने में रस आता है, तू उन लोगों के साथ है।
वे लोग तेरे जीवन की रीति को याद करते हैं।
पर देखो, बीते दिनों में हमने तेरे विरूद्ध पाप किये हैं।
इसलिये तू हमसे क्रोधित हो गया था।
अब भला कैसे हमारी रक्षा होगी
6 हम सभी पाप से मैले हैं।
हमारी सब नेकी पुराने गन्दे कपड़ों सी है।
हम सूखे मुरझाये पत्तों से हैं।
हमारे पापों ने हमें आँधी सा उड़ाया है।
7 हम तेरी उपासना नहीं करते हैं। हम को तेरे नाम में विश्वास नहीं है।
हम में से कोई तेरा अनुसरण करने को उत्साही नहीं है।
इसलिये तूने हमसे मुख मोड़ लिया है।
क्योंकि हम पाप से भरे हैं इसलिये तेरे सामने हम असमर्थ हैं।
8 किन्तु यहोवा, तू हमारा पिता है।
हम मिट्टी के लौंदे हैं और तू कुम्हार है।
तेरे ही हाथों ने हम सबको रचा है।
9 हे यहोवा, तू हमसे कुपित मत बना रह!
तू हमारे पापों को सदा ही याद मत रख!
कृपा करके तू हमारी ओर देख! हम तेरे ही लोग हैं।
10 तेरी पवित्र नगरियाँ उजड़ी हुई हैं।
आज वे नगरियाँ ऐसी हो गई हैं जैसे रेगिस्तान हों।
सिय्योन रेगिस्तान हो गया है! यरूशलेम ढह गया है!
11 हमारा पवित्र मन्दिर आग से भस्म हुआ है।
वह मन्दिर हमारे लिये बहुत ही महान था।
हमारे पूर्वज वहाँ तेरी उपासना करते थे।
वे सभी उत्तम वस्तु जिनके हम स्वामी थे, अब बर्बाद हो गई हैं।
12 क्या ये वस्तुएँ सदैव तुझे अपना प्रेम हम पर प्रकट करने से दूर रखेंगी
क्या तू कभी कुछ नहीं कहेगा क्या तू ऐसे ही चुप रह जायेगा
क्या तू सदा हम को दण्ड देता रहेगा
परमेश्वर के बारे में सभी लोग जानेंगे
65यहोवा कहता है, “मैंने उन लोगों को भी सहारा दिया है जो उपदेश ग्रहण करने के लिए कभी मेरे पास नहीं आये। जिन लोगों ने मुझे प्राप्त कर लिया, वे मेरी खोज में नहीं थे। मैंने एक ऐसी जाति से बात की जो मेरा नाम धारण नहीं करती थी। मैंने कहा था, ‘मैं यहाँ हूँ! मैं यहाँ हूँ!’
2 “जो लोग मुझसे मुँह मोड़ गये थे, उन लोगों को अपनाने के लिए मैं भी तत्पर रहा। मैं इस बात की प्रतीक्षा करता रहा कि वे लोग मेरे पास लौट आयें। किन्तु वे जीवन की एक ऐसी राह पर चलते रहे जो अच्छी नहीं है। वे अपने मन के अनुसार काम करते रहे। 3 वे लोग मेरे सामने रहते हैं और सदा मुझे क्रोधित करते रहते हैं। अपने विशेष बागों में वे लोग मिथ्या देवताओं को बलियाँ अर्पित करते हैं और धूप अगरबत्ती जलाते हैं। 4 लोग कब्रों के बीच बैठते हैं और मरे हुए लोगों से सन्देश पाने का इंतज़ार करते रहते हैं। यहाँ तक कि वे मुर्दों के बीच रहा करते हैं। वे सुअर का माँस खाते हैं। उनके प्यालों में अपवित्र वस्तुओं का शोरबा है। 5 किन्तु वे लोग दूसरे लोगों से कहा करते हैं, ‘मेरे पास मत आओ, मुझे उस समय तक मत छुओ, जब तक मैं तुम्हें पवित्र न कर दूँ।’ मेरी आँखों में वे लोग धुएँ के जैसे हैं और उनकी आग हर समय जला करती है।”
इस्राएल को दण्डित होना चाहिये
6 “देखो, यह एक हुण्डी है। इसका भुगतान तो करना ही होगा। यह हुण्डी बताती है कि तुम अपने पापों के लिये अपराधी हो। मैं उस समय तक चुप नहीं होऊँगा जब तक इस हुण्डी का भुगतान न कर दूँ और देखो तुम्हें दण्ड देकर ही मैं इस हुण्डी का भुगतान करूँगा। 7 तुम्हारे पाप और तुम्हारे पूर्वज एक ही जैसे हैं। यहोवा ने यह कहा है, ‘तुम्हारे पूर्वजों ने जब पहाड़ों में धूप अगरबत्तियाँ जलाईर् थी, तभी इन पापों को किया था। उन पहाड़ों पर उन्होंने मुझे लज्जित किया था और सबसे पहले मैंने उन्हें दण्ड दिया। जो दण्ड उन्हें मिलना चाहिये था, मैंने उन्हें वही दण्ड दिया।’”
8 यहोवा कहता है, “अँगूरों में जब नयी दाखमधु हुआ करती है, तब लोग उसे निचोड़ लिया करते हैं, किन्तु वे अँगूरों को पूरी तरह नष्ट तो नहीं कर डालते। वे इसलिये ऐसा करते हैं कि अँगूरों का उपयोग तो फिर भी किया जा सकता है। अपने सेवकों के साथ मैं ऐसा ही करूँगा। मैं उन्हें पूरी तरह नष्ट नहीं करूँगा। 9 इस्राएल के कुछ लोगों को मैं बचाये रखूँगा। यहूदा के कुछ लोग मेरे पर्वतों को प्राप्त करेंगे। मेरे सेवकों का वहाँ निवास होगा। मेरे चुने हुए लोगों को धरती मिलेगी। 10 फिर तो शारोन की घाटी हमारी भेड़—बकरियों की चरागाह होगी तथा आकोर की तराई हमारे मवेशियों के आराम करने की जगह बन जायेगी। ये सब बातें मेरे लोगों के लिये होंगी। उन लोगों के लिये जो मेरी खोज में हैं।
11 “किन्तु तुम लोग, जिन्होंने यहोवा को त्याग दिया है, दण्डित किये जाओगे। तुम ऐसे लोग हो जिन्होंने मेरे पवित्र पर्वत को भुला दिया है। तुम ऐसे लोग हो जो भाग्य के मिथ्या देवता की पूजा करते हो। तुम भाग्य रूपी झूठे देवता के सहारे रहते हो। 12 किन्तु तुम्हारे भाग्य का निर्धारण तो मैं करता हूँ। मैं तलवार से तुम्हें दण्ड दूँगा। जो तुम्हें दण्ड देगा, तुम सभी उसके आगे मिमिआने लगोगे। मैंने तुम्हें पुकारा किन्तु तुमने कोई उत्तर नहीं दिया। मैंने तुमसे बातें कीं किन्तु तुमने सुना तक नहीं। तुम उन कामों को ही करते रहे जिन्हें मैंने बुरा कहा था। तुमने उन कामों को करने की ही ठान ली जो मुझे अच्छे नहीं लगते थे।”
13 सो मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं।
“मेरे दास भोजन पायेंगे, किन्तु तुम भूखे मरोगे।
मेरे दास पीयेंगे किन्तु अरे दुष्टों, तुम प्यासे मरोगे।
मेरे दास प्रसन्न होंगे किन्तु अरे ओ दुष्टों, तुम लज्जित होंगे।
14 मेरे दासों के मन खरे हैं इसलिये वे प्रसन्न होंगे।
किन्तु अरे ओ दुष्टों, तुम रोया करोगे क्योंकि तुम्हारे मनों में पीड़ा बसेगी।
तुम अपने टूटे हुए मन से बहुत दु:खी रहोगे।
15 तुम्हारे नाम मेरे लोगों के लिये गालियों के जैसे हो जायेंगे।”
मेरा स्वामी यहोवा तुमको मार डालेगा
और वह अपने दासों को एक नये नाम से बुलाया करेगा।
16 अब लोग धरती से आशीषें माँगतें हैं
किन्तु आगे आनेवाले दिनों में वे विश्वासयोग्य परमेश्वर से आशीष माँगा करेंगे।
अभी लोग उस समय धरती की शक्ति के भरोसे रहा करते हैं जब वे कोई वचन देते हैं।
किन्तु भविष्य में वे विश्वसनीय परमेश्वर के भरोसे रहा करेंगे।
क्यों क्योंकि पिछले दिनों की सभी विपत्तियाँ भूला दी जायेंगी।
मेरे लोग फिर उन पिछली विपत्तियों को याद नहीं करेंगे।
समीक्षा
करुणामयी पिता की तरह बनो
इस्राएल के लिए परमेश्वर का प्रेम, एक पिता के प्रेम के समान थाः'तुम हमारे पिता हो' (63:16; 64:8, एम.एस.जी)। 'तुम हमारे जीवित पिता, हमारे छुड़ाने वाले, अनंतकाल से परमेश्वर हो!' (63:17, एम.एस.जी)।
जैसे परमेश्वर ने पुराने नियम में इस्राएल के लोगों से प्रेम किया, वैसे ही परमेश्वर आपसे प्रेम करते हैं जैसे एक पिता अपने बच्चों से प्रेम करते हैं। यशायाह परमेश्वर की दयालुता के बारे में बताते हैं'जितना उपकार यहोवा ने हम लोगों का किया अर्थात् इस्राएल के घराने पर दया और अत्यन्त करुणा करके उन्होंने हम से जितनी भलाई की, उस सब के अनुसार मैं यहोवा के करुणामय कामों का वर्णन और उनका गुणानुवाद करूँगा। क्योंकि उन्होंने कहा, निसन्देह ये मेरी प्रजा के लोग हैं, ऐसे लड़के हैं जो धोखा न देंगे' (वव.7-8)।
परमेश्वर हमसे प्रेम करते हैं इस तथ्य के बावजूद कि ' हम तो सब के सब अशुध्द मनुष्य के से हैं, और हमारे सत्यनिष्ठा के काम सब के सब मैले चिथड़ों के समान हैं' (64:6, एम.एस.जी)।
किसी मानवीय पिता की तरह ही, परमेश्वर, को दुख होता है जब हम कष्ट उठाते या भटक जाते हैं:'उनकी सभी परेशानियों में, उन्हें भी परेशानी हुई' (63:9अ, एम.एस.जी)। ' प्रेम और कोमलता से उन्होंने आप ही उनको छुड़ाया; उन्होंने उन्हें उठाया और प्राचीनकाल से सदा उन्हें लिए फिरे' (व.9ब)।
परमेश्वर के पास आपके लिए योजनाएँ हैं जिसे आँखो ने नहीं देखा, कानों ने नहीं सुना और किसी दिमाग ने नहीं समझा (यशायाह 64:4; 1कुरिंथियो 2:9)।
प्रार्थना
पिप्पा भी कहते है
इफीसियो 4:26
' सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे'
बदमिजाज होकर सोने मत जाओ!
दिन का वचन
इफीसियो 4:31-32
“ सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए। और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो॥“
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संदर्भ
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।