दिन 251

आत्मिक युद्ध जीतना

बुद्धि भजन संहिता 106:16-31
नए करार 2 कुरिन्थियों 10:1-18
जूना करार यशायाह 17:1-19:25

परिचय

दुखद तस्वीर अविस्मरणीय है। बहुत से लोगों की तरह, पिछले वर्ष मैं रोया, जैसे ही मैंने 3 वर्षीय ऍलन कुर्डी के छोटे देह को समुद्र के किनारे पड़े देखा। वह अपने भाई और माँ के साथ डूब गया था, जब उसका परिवार सीरिया में युद्ध से भाग गया था।

वर्तमान यूरोपियन शरणार्थी विपदा का एक बड़ा कारण है युद्ध। पिछले पाँच वर्षों में सीरिया में गृह युद्ध में 200,000 से अधिक लोग मारे गए। इराक में, दाऐश ने हजारों निर्दोषों की जान ली (उनमें से बहुत से मसीह हैं) और दस हजार लोगों को वहाँ से हटा दिया (फिर से, उनमें से बहुत से मसीह हैं)।

यें अत्याचार हिंसा के तीक्ष्य और भयानक घटनाएँ हैं जो समाज के हर स्तर में घटी है। ' वे आपस में लडेंगे, प्रत्येक अपने भाई से और हर एक अपने पड़ोसी से लड़ेगा, नगर नगर में और राज्य राज्य में युध्द छिड़ेगा' (यशायाह 19:2, एम.एस.जी)।

मीडिया में लगभग हर दिन हम युद्ध के आंतक को देखते हैं। हम ऐसे एक विश्व में रहते हैं जो नियमित रूप से भौतिक युद्ध के और अधिक भयानक हथियारों को विकसित कर रही है। इन हथियारों में पंगु करने, हत्या करने और नष्ट करने की सामर्थ है। लेकिन यह युद्ध पूरी तरह से भौतिक नहीं है। जो मामले इसे उठाते हैं, जिसे राजनीति और मीडिया दोनों जानती हैं, ये पूरी तरह से नैतिक और आत्मिक है।

जैसा कि भौतिक युद्ध एक गंभीर ग्लोबल मामला है, वैसे ही पौलुस प्रेरित के अनुसार, आत्मिक युद्ध है (इफीसियो 6:10-20 देखें)। यह अदृश्य है, लेकिन यह वास्तविक है। महान वेल्श प्रचारक, डॉ मार्ट्रिन लॉड जॉन्स ने एक बार कहा, 'मसीह संदेश का इससे बुरा या बड़ा गलत अर्थ नहीं है, जो कि बताता है कि यह सरल, बिना लड़ाई और संघर्ष का एक जीवन प्रदान करता है...जल्द ही या थोड़े समय बाद हर विश्वासी खोजता है कि मसीह जीवन एक युद्धभूमि है ना कि एक खेल का मैदान।'

इस युद्ध में हम ना केवल बुराई के द्वारा हारने के लिए, बल्कि अच्छाई के साथ बुराई पर जय पाने के लिए बुलाए गए हैं (रोमियो 12:21)। हमें युद्ध में जीतने के लिए हथियार दिए गए हैं। पौलुस लिखते हैं, 'हम शरीर के अनुसार नहीं लड़ते। क्योंकि हमारी लड़ाई के हथियार शारीरिक नहीं, पर गढ़ों को ढा देने के लिये परमेश्वर के द्वारा सामर्थी हैं ' (2 कुरिंथियो 10:3ब -4)।

यें हथियार क्या हैं? आप कैसे उनका इस्तेमाल करते हैं?

बुद्धि

भजन संहिता 106:16-31

16 लोग मूसा से डाह रखने लगे
 और हारून से वे डाह रखने लगे जो यहोवा का पवित्र याजक था।
17 सो परमेश्वर ने उन ईर्ष्यालु लोगों को दण्ड दिया।
 धरती फट गयी और दातान को निगला और फिर धरती बन्द हो गयी। उसने अविराम के समूह को निगल लिया।
18 फिर आग ने उन लोगों की भीड़ को भस्म किया।
 उन दुष्ट लोगों को आग ने जाला दिया।
19 उन लोगों ने होरब के पहाड़ पर सोने का एक बछड़ा बनाया
 और वे उस मूर्ति की पूजा करने लगे!
20 उन लोगों ने अपने महिमावान परमेश्वर को
 एक बहुत जो घास खाने वाले बछड़े का था उससे बेच दिया!
21 हमारे पूर्वज परमेश्वर को भूले जिसने उन्हें बचाया था।
 वे परमेशवर के विषय में भूले जिसने मिस्र में आश्चर्य कर्म किये थे।
22 परमेश्वर ने हाम के देश में आश्चर्य कर्म किये थे।
 परमेश्वर ने लाल सागर के पास भय विस्मय भरे काम किये थे।

23 परमेश्वर उन लोगों को नष्ट करना चाहता था,
 किन्तु परमेश्वर के चुने दास मूसा ने उनको रोक दिया।
 परमेश्वर बहुत कुपित था किन्तु मूसा आड़े आया
 कि परमेश्वर उन लोगों का कहीं नाश न करे।

24 फिर उन लोगों ने उस अद्भुत देश कनान में जाने से मना कर दिया।
 लोगों को विश्वास नहीं था कि परमेश्वर उन लोगों को हराने में सहायता करेगा जो उस देश में रह रहे थे।
25 अपने तम्बुओं में वे शिकायत करते रहे!
 हमारे पूर्वजों ने परमेश्वर की बात मानने से नकारा।
26 सो परमेश्वर ने शपथ खाई कि वे मरूभुमि में मर जायेंगे।
27 परमेश्वर ने कसम खाई कि उनकी सन्तानों को अन्य लोगों को हराने देगा।
 परमेश्वर ने कसम उठाई कि वह हमारे पूर्वजों को देशों में छितरायेगा।

28 फिर परमेश्वर के लोग बालपोर में बाल के पूजने में सम्मिलित हो गये।
 परमेश्वर के लोग वह माँस खाने लगे जिस को निर्जीव देवताओं पर चढ़ाया गया था।
29 परमेश्वर अपने जनों पर अति कुपित हुआ। और परमेश्वर ने उनको अति दुर्बल कर दिया।
30 किन्तु पीनहास ने विनती की
 और परमेश्वर ने उस व्याधि को रोका।
31 किन्तु परमेश्वर जानता था कि पीनहास ने अति उत्तम कर्म किया है।
 और परमेश्वर उसे सदा सदा याद रखेगा।

समीक्षा

प्रार्थना का हथियार

भजनसंहिता के लेखक मूसा की लीडरशिप और सेवकाई को याद करते हैं। कुछ लोग परमेश्वर के द्वारा मूसा और हारुन को शक्तिशाली रूप से इस्तेमाल किए जाने पर ईर्ष्या करने लगेः ' उन्होंने छावनी में मूसा के, और यहोवा के पवित्र जन हारून के विषय में डाह की' (व.16)।

मूसा का उत्तर था कि बदला लेने का प्रयास न करे। इसके बजाय, उनके लिए प्रार्थना करे। वह परमेश्वर के सम्मुख 'खाली स्थान में खड़े हुए' (व.23), और उनके लिए मध्यस्थता की। निर्गमन 32:11-14 के वर्णन में, हम देखते हैं कि कैसे प्रार्थना की सामर्थ के द्वारा, इतिहास की दिशा को बदलना संभव बात है।

पीनहास ने भी लोगों के लिए 'मध्यस्थता' की (गिनती 25 देखें)। उनकी मध्यस्थता अवश्य ही उनके विश्वास से उत्पन्न हुई थी। यहाँ पर हमें बताया गया है कि, अब्राहम के लिए यह सत्यनिष्ठा गिना गया (भजनसंहिता 106:31)।

प्रार्थना का शक्तिशाली हथियार आपके लिए उपलब्ध है। अपने परिवार, मित्र और उन सभी के लिए प्रार्थना करो, जिनके लिए प्रार्थना करने के लिए आत्मा आपको उत्साहित करता है। 'खाली स्थान में खड़े रहिये' और दूसरों के लिए मध्यस्थता कीजिए। जैसा कि एच.टी.बी में हर प्रार्थना सभा के अंत में जेरेमी जेनिंग्स कहती हैं, 'प्रार्थना करने के लिए धन्यवाद। आपने एक अंतर पैदा किया है।'

प्रार्थना

परमेश्वर, मध्यस्थता की प्रार्थना की सामर्थ के लिए आपका धन्यवाद। आज, मैं खाली स्थान में खड़ा रहता हूं और मध्यस्थता करता हूँ...
नए करार

2 कुरिन्थियों 10:1-18

पौलुस द्वारा अपनी सेवा का समर्थन

10मैं, पौलुस, निजी तौर पर मसीह की कोमलता और सहनशीलता को साक्षी करके तुमसे निवेदन करता हूँ। लोगों का कहना है कि मैं जो तुम्हारे बीच रहते हुए विनम्र हूँ किन्तु वही मैं जब तुम्हारे बीच नहीं हूँ, तो तुम्हारे लिये निर्भय हूँ। 2 अब मेरी तुमसे प्रार्थना है कि जब मैं तुम्हारे बीच होऊँ तो उसी विश्वास के साथ वैसी निर्भयता दिखाने को मुझ पर दबाव मत डालना जैसी कि मेरे विचार में मुझे कुछ उन लोगों के विरुद्ध दिखानी होगी जो सोचते हैं कि हम एक संसारी जीवन जीते हैं। 3 क्योंकि यद्यपि हम भी इस संसार में ही रहते हैं किन्तु हम संसारी लोगों की तरह नहीं लड़ते हैं। 4 क्योंकि जिन शास्त्रों से हम युद्ध लड़ते हैं, वे सांसारिक नहीं हैं, बल्कि उनमें गढ़ों को तहस-नहस कर डालने के लिए परमेश्वर की शक्ति निहित है। 5 और उन्हीं शस्त्रों से हम लोगों के तर्को का और उस प्रत्येक अवरोध का, जो परमेश्वर के ज्ञान के विरुद्ध खड़ा है, खण्डन करते हैं। 6 जब तुममें पूरी आज्ञाकारिता है तो हम हर प्रकार की अनाज्ञा को दण्ड देने के लिए तैयार हैं।

7 तुम्हारे सामने जो तथ्य हैं उन्हें देखो। यदि कोई अपने मन में यह मानता है कि वह मसीह का है, तो वह अपने बारे में फिर से याद करे कि वह भी उतना ही मसीह का है जितना कि हम है। 8 और यदि मैं अपने उस अधिकार के विषय में कुछ और गर्व करूँ, जिसे प्रभु ने हमें तुम्हारे विनाश के लिये नहीं बल्कि आध्यात्मिक निर्माण के लिये दिया है। 9 तो इसके लिये मैं लज्जित नहीं हूँ। मैं अपने पर नियंत्रण रखूँगा कि अपने पत्रों के द्वारा तुम्हें भयभीत करने वाले के रूप में न दिखूँ। 10 मेरे विरोधियों का कहना है, “पौलुस के पत्र तो भारी भरकम और प्रभावपूर्ण होते हैं। किन्तु मेरा व्यक्तित्व दुर्बल और वाणी अर्थहीन है।” 11 किन्तु ऐसे कहने वाले व्यक्ति को समझ लेना चाहिए कि तुम्हारे बीच न रहते हुए जब हम अपने पत्रों में कुछ लिखते हैं तो उसमें और तुम्हारे बीच रहते हुए हम जो कर्म करते हैं उनमें कोई अन्तर नहीं है।

12 हम उन कुछ लोगों के साथ अपनी तुलना करने का साहस नहीं करते जो अपने आपको बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं। किन्तु जब वे अपने को एक दूसरे से नापते हैं और परस्पर अपनी तुलना करते हैं तो वे यह दर्शाते हैं कि वे नहीं जानते कि वे कितने मूर्ख हैं।

13 जो भी हो, हम उचित सीमाओं से बाहर बढ़ चढ़ कर बात नहीं करेंगे, बल्कि परमेश्वर ने हमारी गतिविधियों की जो सीमाएँ हमें सौंपी है, हम उन्हीं में रहते हैं और वे सीमाएँ तुम तक पहुँचती हैं। 14 हम अपनी सीमा का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं, जैसा कि यदि हम तुम तक नहीं पहुँच पाते तो हो जाता। किन्तु तुम तक यीशु मसीह का सुसमाचार लेकर हम तुम्हारे पास सबसे पहले पहुँचे हैं। 15 अपनी उचित सीमा से बाहर जाकर किसी दूसरे व्यक्ति के काम पर हम गर्व नहीं करते किन्तु हमें आशा है कि तुम्हारा विश्वास जैसे जैसे बढ़ेगा तो वैसे वैसे ही हमारी गतिविधियों के क्षेत्र के साथ तुम्हारे बीच हम भी व्यापक रूप से फैलेंगे। 16 इससे तुम्हारे क्षेत्र से आगे भी हम सुसमाचार का प्रचार कर पायेंगे। किसी अन्य को जो काम सौंपा गया था उस क्षेत्र में अब तक जो काम हो चुका है हम उसके लिये शेखी नहीं बघारते। 17 जैसा कि शास्त्र कहता है: “जिसे गर्व करना है वह, प्रभु ने जो कुछ किया है, उसी पर गर्व करें।” 18 क्योंकि अच्छा वही माना जाता है जिसे प्रभु अच्छा स्वीकारता है, न कि वह जो अपने आप को स्वयं अच्छा समझता है।

समीक्षा

सुसमाचार का हथियार

आपका दिमाग युद्धक्षेत्र है। आपके विचार, आपके शब्दों और कार्यों की जड़ है। शैतान आपके दिमाग में मजबूत गढ़ो को बैठाने की कोशिश करता है। पौलुस जानते थे कि आत्मिक युद्ध के साथ, दिमाग का युद्ध है। एक तरह से हममें से सभी शामिल हैं अपने दिमाग में एक व्यक्तिक युद्ध में। यह प्रतिदिन की एक लड़ाई है कि कल्पनाओं का और हर एक उँची बात का, जो परमेश्वर की पहचान के विरोध में उठती है, खण्डन करें; और हर एक भावना को कैद करके मसीह का आज्ञाकारी बना दें (व.5)।

यद्यपि यहाँ पर पौलुस दिमाग के व्यक्तिगत युद्ध की ओर इशारा करते हैं, वह प्राथमिक रूप से कुछ अलग चीज के बारे में सोच रहे थे। वहाँ पर एक संस्कृति की लड़ाई चल रही थीः विचारों, दर्शन –शास्त्र और विश्व के प्रति नजरिये की लड़ाई। पौलुस सक्रीय रूप से इस लड़ाई में जुड़ गए कि उन स्पर्धा करने वाले विचारों, दर्शन-शास्त्र और विश्व के प्रति नजरीये को ले और उन्हें कैद करके मसीह का आज्ञाकारी बनाएँ।

पौलुस ने लिखा, 'विश्व सिद्धांतवादी नहीं है। यहाँ पर कुत्ता कुत्ते को खाता है! विश्व सही उचित रीति से नहीं लड़ता। लेकिन हम उस तरह से नहीं जीते या अपनी लड़ाईयाँ नहीं लड़ते – कभी नहीं करते थे और कभी नहीं करेंगे। हमारे व्यापार के उपकरण मार्केटिंग या चालों के लिए नहीं है, लेकिन वे उस संपूर्ण बड़ी भ्रष्ट संस्कृति को मिटाने के लिए है।

' क्योंकि यदि हम शरीर में चलते फिरते हैं, तब भी शरीर के अनुसार नहीं लड़ते। क्योंकि हमारी लड़ाई के हथियार शारीरिक नहीं, पर गढ़ों को ढा देने के लिये परमेश्वर के द्वारा सामर्थी हैं। इसलिये हम कल्पनाओं का और हर एक उँची बात का, जो परमेश्वर की पहचान के विरोध में उठती हैं, खण्डन करते हैं; और हर एक भावना को कैद करके मसीह का आज्ञाकारी बना देते हैं, और तैयार रहते हैं कि जब तुम्हारा आज्ञापालन पूरा हो जाए, तो हर एक प्रकार की आज्ञा – उल्लंघन को दण्डित करें' (वव.3-6, एम.एस.जी)।

पौलुस जिन 'हथियारों' का इस्तेमाल करते हैं उनमें 'दैवीय सामर्थ' है 'मजबूत गढ़ो को ढ़ा देने की' (व.4)। मसीह से जुड़े होने से उनकी सामर्थ आती है (व.7), और प्रभु ने उन्हें अधिकार दिया है (व.8)।

मुझे यह उत्साहजनक बात लगती है कि कुछ लोगों ने पौलुस के बारे में कहा, ' जब वह सामने होता है, तो वह देह का निर्बल और वक्तव्य में हल्का जान पड़ता है' (व.10)। किंतु, ' जो ऐसा कहता है, वह यह समझ रखे कि जैसे पीठ पीछे पत्रियों में हमारे वचन हैं, वैसे ही तुम्हारे सामने हमारे काम भी होंगे' (व.11, एम.एस.जी)। तुलना करना नष्ट हो जाता है। यह या तो आपमें घमंड लाता है या आपको उदास करके नीचे ले आता है।

दूसरे मसीहों के साथ अपनी तुलना मत कीजिए, उनके उपहारों के साथ अपने उपहारों, उनकी 'सफलता' के साथ अपनी 'सफलता' की तुलना मत करिए। हम सभी समान पक्ष में हैं। हमें एक दूसरे की सहायता, प्रेम और एक दूसरे को उत्साहित करने की कोशश करनी चाहिए क्योंकि हम आत्मिक लड़ाई एक साथ लड़ते हैं।

धन्यवाद हो परमेश्वर का, सुसमाचार का प्रचार करने के लिए आपको बहुत प्रभावी दिखने की आवश्यकता नहीं है, नाही आपको एक उल्लेखनीय वक्ता होने की आवश्यकता है। पौलुस की सामर्थ 'मसीह के सुसमाचार' से आयी थी (व.14)। उनकी इच्छा थी 'सुसमाचार का प्रचार करना' (व.16) उन लोगों के सामने जिन्होंने पहले कभी इसे सुना नहीं था।

आखिरकार यह 'मसीह का संदेश' है (व.14, एम.एस.जी) जो आपकी संस्कृति को बदल देगा। यह विश्व में सबसे शक्तिशाली संदेश है। यह जीवन बदलने वाला है। यह संस्कृति बदलता है। यह विश्व को बदलता है।

उदाहरण के लिए, हर बार जब आप एक मित्र को यीशु के बारे में बताते हैं, उन्हें चर्च में आमंत्रित करते हैं या उन्हें अल्फा में लाते हैं, तब आप सुसमाचार के शक्तिशाली हथियार के साथ आत्मिक लड़ाई में जुड़ रहे हैं (रोमियो 1:16 देखे)।

प्रार्थना

परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि हर विचार को कैद करके आपका आज्ञाकारी बनाऊँ और मुझे साहस दीजिए कि मजबूत गढ़ो को नष्ट करने के लिए सुसमाचार के शक्तिशाली हथियार का इस्तेमाल करुँ।
जूना करार

यशायाह 17:1-19:25

आराम के लिए परमेश्वर का सन्देश

17यह दमिश्क के लिये दु:खद सन्देश है। यहोवा कहता है कि दमिश्क के साथ में बातें घटेंगी:

“दमिश्क जो आज नगर है किन्तु कल यह उजड़ जायेगा।
दमिश्क में बस टूटे फूटे भवन ही बचेंगे।
2 अरोएर के नगरों को लोग छोड़ जायेंगे।
उन उजड़े हुए नगरों में भेड़ों की रेवड़े खुली घूमेंगी।
वहाँ कोई उनको डराने वाला नहीं होगा।
3 एप्रैम (इस्राएल) के गढ़ नगर ध्वस्त हो जायेंगे।
दमिश्क के शासन का अन्त हो जायेगा।
जैसे घटनाएँ इस्राएल में घटती हैं वैसी ही घटनाएँ अराम में भी घटेंगी।
सभी महत्त्वपूर्ण व्यक्ति उठा लिये जायेंगे।” सर्वशक्तिमान यहोवा ने बताया कि ये बातें घटेंगी।
4 उन दिनों याकूब की (इस्राएल की) सारी सम्पति चली जायेगी।
याकूब वैसा हो जायेगा जैसा व्यक्ति रोग से दुबला हो।

5 “वह समय ऐसा होगा जैसे रपाईम घाटी में फसल काटने के समय होता है। मजदूर उन पौधों को इकट्ठा करते हैं जो खेत में उपजते हैं। फिर वे उन पौधों की बालों को काटते हैं और उनसे अनाज के दाने निकालते हैं।

6 “वह समय उस समय के भी समान होगा जब लोग जैतून की फसल उतारते हैं। लोग जैतून के पेड़ों से जैतून झाड़ते हैं। किन्तु पेड़ की चोटी पर प्राय: कुछ फल तब भी बचे रह जाते हैं। चोटी की कुछ शाखाओं पर चार पाँच जैतून के फल छूट जाते हैं। उन नगरों में भी ऐसा ही होगा।” सर्वशक्तिमान यहोवा ने ये बातें कही थीं।

7 उस समय लोग परमेश्वर की ओर निहारेंगे। परमेश्वर, जिसने उनकी रचना की है। वे इस्राएल के पवित्र की ओर सहायता के लिये देखेगें। 8 लोग उन वेदियों पर विश्वास करना समाप्त कर देंगे जिनको उन्होंने स्वयं अपने हाथों से बनाया था। अशेरा देवी के जिन खम्भों और धूप जलाने की वेदियों को उन्होंने अपनी उँगलियों से बनाया था, वे उन पर भरोसा करना बंद कर देंगे। 9 उस समय, सभी गढ़—नगर उजड़ जायेंगे। वे नगर ऐसे पर्वत और जंगलों के समान हो जायेंगे, जैसे वे इस्राएलियों के आने से पहले हुआ करते थे। बीते हुए दिनों में वहाँ से सभी लोग दूर भाग गये थे क्योंकि इस्राएल के लोग वहाँ आ रहे थे। भविष्य में यह देश फिर उजड़ जायेगा। 10 ऐसा इसलिये होगा क्योंकि तुमने अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर को भुला दिया है। तुमने यह याद नहीं रखा कि परमेश्वर ही तुम्हारा शरण स्थल है।

तुम सुदूर स्थानों से कुछ बहुत अच्छी अँगूर की बेलें लाये थे। तुम अंगूर की बेलों को रोप सकते हो किन्तु उन पौधों में बढ़वार नहीं होगी। 11 एक दिन तुम अपनी अँगूर की उन बेलों को रोपोगे और उनकी बढ़वार का जतन करोगे। अगले दिन, वे पौधे बढ़ने भी लगेंगे किन्तु फसल उतारने के समय जब तुम उन बेलों के फल इकट्ठे करने जाओगे तब देखोगे कि सब कुछ सूख चुका है। एक बीमारी सभी पौधों का अंत कर देगी।

12 बहुत सारे लोगों का भीषणा नाद सुनो!
यह नाद सागर के नाद जैसा भयानक है।
लोगों का शोर सुनो।
ये शोर ऐसा है जैसे सागर की लहरे टकरा उठती हो।
13 लोग उन्हीं लहरों जैसे होंगे।
परमेश्वर उन लोगों को झिड़की देगा, और वे दूर भाग जायेंगे।
लोग उस भूसे के समान होंगे जिस की पहाड़ी पर हवा उड़ाती फिरती है।
लोग वैसे हो जायेंगे जैसे आँधी उखाड़े जा रही है।
आँधी उसे उड़ाती है और दूर ले जाती है।
14 उस रात लोग बहुत ही डर जायेंगे।
सुबह होने से पहले, कुछ भी नहीं बच पायेगा।
सो शत्रुओं को वहाँ कुछ भी हाथ नहीं आयेगा।
वे हमारी धरती की ओर आयेंगे,
किन्तु वहाँ भी कुछ नहीं होगा।

कूश के लिये परमेश्वर का सन्देश

18उस धरती को देखो जो कूश की नदियों के साथ—साथ फैली है। इस धरती में कीड़े—मकोड़े भरे पड़े हैं। तुम उनके पंखों की भिन्नाहट सुन सकते हो। 2 यह धरती लोगों को सरकण्डों की नावों से सागर के पार भेजती है।

हे तेज़ चलने वाले हरकारो,
एक ऐसी जाति के लोगों के पास जाओ जो लम्बे और शक्तिशाली हैं!
(इन लम्बें शक्तिशाली लोगों से सब कहीं के लोग डरते हैं।
वे एक बलवान जाति के लोग हैं।
उनकी जाति दूसरी जातियों को पराजित कर देती हैं।
वे एक ऐसे देश के हैं जिसे नदियाँ विभाजित करती हैं।)
3 ऐसे उन लोगों को सावधान कर दो कि उनके साथ कोई बुरी घटना घटने को है।
उस जाति के साथ घटती हुई इस घटना को दुनिया के सब लोग देखेंगे।
लोग इसे इस तरह साफ—साफ देखेंगे, जैसे पहाड़ पर लगे हुए झण्डे को लोग देखते हैं।
इन लम्बे और शक्तिशाली व्यक्तियों के साथ जो बातें घटेंगी, उनके बारे में इस धरती के सभी निवासी सुनेंगे।
इसको वे इतनी स्पष्टता से सुनेंगे जितनी स्पष्टता से युद्ध से पहले बजने वाले नरसिंगे की आवाज़ सुनाई देती हैं।

4 यहोवा ने कहा, “जो स्थान मेरे लिये तैयार किया गया है, मैं उस स्थान पर होऊँगा। मैं चुपचाप इन बातों को घटते हुए देखूँगा। गर्मी के एक सुहावने दिन दोपहर के समय जब लोग आराम कर रहे होंगे (यह तब होगा जब कटनी का गर्म समय होगा, वर्षा नहीं होगी, बस अलख सुबह की ओस ही पड़ेगी।) 5 तभी कोई बहुत भयानक बात घटेगी। यह वह समय होगा जब फूल खिल चुके होंगे। नये अँगूर फूट रहे होंगे और उनकी बढ़वार हो रही होगी। किन्तु फसल उतारने के समय से पहले ही शत्रु आयेगा और इन पौधों को काट डालेगा। शत्रु आकर अँगूर की लताओं को तोड़ डालेगा और उन्हें कहीं दूर फेंक देगा। 6 अँगूर की यें बेलें शिकारी पहाड़ी पक्षियों और जंगली जानवरों के खाने के लिये छोड़ दी जायेंगी। गर्मियों में पक्षी इन दाख लताओं में बसेरा करेंगे और उस सदी में जंगली पशु इन दाख लताओं को चरेंगे।” 7 उस समय, सर्वशक्तिमान यहोवा को एक विशेष भेंट चढ़ाई जायेगी। यह भेंट उन लोगों की ओर से आयेगी, जो लम्बे और शक्तिशाली हैं। (सब कहीं के लोग इन लोगों से डरते हैं। ये एक शक्तिशाली जाति के लोग हैं। यह जाति दूसरी जाति के लोगों को पराजित कर देती है। ये एक ऐसे देश के हैं, जो नदियों से विभाजित हैं।) यह भेंट यहोवा के स्थान सिय्योन पर्वत पर लायी जायेगी।

मिस्र के लिए परमेश्वर का सन्देश

19मिस्र के बारे में दु:खद सन्देश: देखो! एक उड़ते हुए बादल पर यहोवा आ रहा है। यहोवा मिस्र में प्रवेश करेगा और मिस्र के सारे झूठे देवता भय से थर—थर काँपने लगेंगे। मिस्र वीर था किन्तु उसकी वीरता गर्म मोम की तरह पिघल कर बह जायेगी।

2 परमेश्वर कहता है, “मैं मिस्र के लोगों को आपस में ही एक दूसरे के विरुद्ध युद्ध करने के लिये उकसाऊँगा। लोग अपने ही भाइयों से लड़ेंगे। पड़ोसी, पड़ोसी के विरोध में हो जायेगा। नगर, नगर के विरोध में और राज्य, राज्य के विरोध में हो जायेंगे। 3 मिस्र के लोग चक्कर में पड़ जायेंगे। वे लोग अपने झूठे देवताओं और बुद्धिमान लोगों से पूछेंगे कि उन्हें क्या करना चाहिये। वे लोग अपने ओझाओं और जादूगरों से पूछताछ करेंगे किन्तु उनकी सलाह व्यर्थ होगी।” 4 सर्वशक्तिमान यहोवा स्वामी का कहना है: “मैं (परमेश्वर) मिस्र को एक कठोर स्वामी को सौंप दूँगा। एक शक्तिशाली राजा लोगों पर राज करेगा।”

5 नील नदी का पानी सूख जायेगा। नदी के तल में पानी नहीं रहेगा। 6 सभी नदियों से दुर्गन्ध आने लगेगी। मिस्र की नहरें सूख जायेंगी। उनका पानी जाता रहेगा। पानी के सभी पौधे सड़ जायेंगे। 7 वे सभी पौधे जो नदी के किनारे उगे होंगे, सूख कर उड़ जायेंगे। यहाँ तक कि वे पौधे भी, जो नदी के सबसे चौड़े भाग में होंगे, व्यर्थ हो जायेंगे।

8 मछुआरे, और वे सभी लोग जो नील नदी से मछलियाँ पकड़ा करते हैं, दु:खी होकर त्राहि—त्राहि कर उठेंगे। वे अपने भोजन के लिए नील नदी पर आश्रित हैं किन्तु वह सूख जायेगी। 9 वे लोग जो कपड़ा बनाया करते हैं, अत्यधिक दु:खी होंगे। इन लोगों को सन का कपड़ा बनाने के लिए पटसन की आवश्यकता होगी किन्तु नदी के सूख जाने से सन के पौधों की बढ़वार नहीं हो पायेगी। 10 पानीइकट्ठा करने के लिये बाँध बनाने वाले लोगों के पास काम नहीं रह जायेगा। सो वे बहुत दु:खी होंगे।

11 सोअन नगर के मुखिया मूर्ख हैं। फिरौन के “बुद्धिमान मन्त्री” गलत सलाह देते हैं। वे मुखिया लोग कहते हैं कि वे बुद्धिमान हैं। उनका कहना है कि वे पुराने राजाओं के वंशज हैं। किन्तु जैसा वे सोचते हैं, वैसे बुद्धिमान नहीं हैं। 12 हे मिस्र, तेरे बुद्धिमान पुरुष कहाँ हैं उन बुद्धिमान लोगों को सर्वशक्तिमान यहोवा ने मिस्र के लिये जो योजना बनाई है, उसका पता होना चाहिये। उन लोगों को, जो होने वाला है, तुम्हें बताना चाहिये।

13 सोअन के मुखिया मूर्ख बना दिये गये हैं। नोप के मुखियाओं ने झूठी बातों पर विश्वास किया है। सो मुखिया लोग मिस्र को गलत रास्ते पर ले जाते हैं। 14 यहोवा ने मुखियाओं को उलझन में डाल दिया है। वे भटक गये हैं और मिस्र को गलत रास्ते पर ले जा रहे हैं। वे नशे में धुत ऐसे लोगों के समान हैं जो बीमारी के कारण धरती में लोट रहे हैं। 15 मिस्र के लिए कोई कुछ नहीं कर पाएगा। (फिर चाहे वे सिर हो अथवा पूँछ, “खजूर की शाखायें हो या सरकंडे।” अर्थात् “महत्वपूर्ण हो या महत्वहीन लोग।”)

16 उस समय, मिस्र के निवासी भयभीत स्त्रियों के समान हो जायेंगे। वे सर्वशक्तिमान यहोवा से डरेंगे। यहोवा लोगों को दण्ड देने के लिए अपना हाथ उठायेगा और लोग डर जायेंगे। 17 मिस्र में सब लोगों के लिये यहूदा का प्रदेश भय का कारण होगा। मिस्र में कोई भी यहूदा का नाम सुन कर डर जायेगा। ऐसा इसलिये होगा क्योंकि सर्वशक्तिमान यहोवा ने भयानक घटनायें घटाने की योजना बनायी है। 18 उस समय, मिस्र में ऐसे पाँच नगर होंगे जहाँ लोग कनान की भाषा (यहूदी भाषा) बोलेंगे। इन नगरों में एक नगर का नाम होगा “नाश की नगरी।” लोग सर्वशक्तिमान यहोवा के अनुसरण की प्रतिज्ञा करेंगे।

19 उस समय मिस्र के बीच में यहोवा के लिये एक वेदी होगी। मिस्र की सीमापर यहोवा को आदर देने के लिए एक स्मारक होगा। 20 यह इस बात का प्रतीक होगा कि सर्वशक्तिमान यहोवा शक्तिमान कार्य करता है। जब कभी लोग सहायता के लिए यहोवा को पुकारेंगे, यहोवा सहायता भेजेगा। यहोवा लोगों को बचाने और उनकी रक्षा करने के लिये एक व्यक्ति को भेजेगा। वह व्यक्ति उन व्यक्तिओं को उन दूसरे लोगों से बचायेगा जो उनके साथ बुरी बातें करते हैं।

21 सचमुच उस समय, मिस्र के लोग यहोवा को जानेंगे। वे लोग परमेश्वर से प्रेम करेंगे। वे लोग परमेश्वर की सेवा करेंगे और बहुत सी बलियाँ चढ़ायेंगे। वे लोग यहोवा की मनौतियाँ मानेंगे और उन मनौतियों का पालन करेंगे। 22 यहोवा मिस्र के लोगों को दण्ड देगा। फिर यहोवा उन्हें (चंगा) क्षमा कर देगा और वे यहोवा की ओर लौट आयेंगे। यहोवा उनकी प्रार्थनाएँ सुनेगा और उन्हें क्षमा कर देगा।

23 उस समय, वहाँ एक ऐसा राजमार्ग होगा जो मिस्र से अश्शूर जायेगा। फिर अस्शूर से लोग मिस्र में जायेंगे और मिस्र से अश्शूर में। मिस्र अश्शूर के लोगों के साथ परमेश्वर की उपासना करेगा। 24 उस समय, इस्राएल, अश्शूर और मिस्र आपस में एक हो जायेंगे और पृथ्वी पर शासन करेंगे। यह शासन धरती के लिये वरदान होगा। 25 सर्वशक्तिमान यहोवा इन देशों को आशीर्वाद देगा। वह कहेगा, “हे मिस्र के लोगों, तुम मेरे हो। अश्शूर, तुझे मैंने बनाया है। इस्राएल, मैं तेरा स्वामी हूँ। तुम सब धन्य हो!”

समीक्षा

एकता का हथियार

अगले वर्ष लीडरशिप कॉन्फरेंस 2018 में, हमें विश्व भर से हजारों मसीह लीडर्स का स्वागत करने का सम्मान मिलेगा । यहाँ पर कुछ बहुत ही शक्तिशाली है कि सौ से अधिक देशों से लीडर्स एक साथ आ रहे हैं आराधना करने में और एक ही उद्देश्य के लिए। यशायाह भविष्यवक्ता इस प्रकार की एकता को पहले ही देखते हैं।

वह निरंतर उनके विरूद्ध भविष्यवाणी करते हैं जो 'परमेश्वर तुम्हारे उद्धारकर्ता' को भूल गए हैं (17:10)। वह दमस्कस, कश और मिस्र के विरूद्ध परमेश्वर के न्याय की घोषणा करते हैं।

किंतु, आज का हमारा लेखांश आशा की एक किरण के साथ समाप्त होता हैः'उस समय मिस्र देश के बीच में यहोवा के लिये एक वेदी होगी, ...वह मिस्र देश में सेनाओं के यहोवा के लिये चिह्न और साक्षी ठहरेगा; और जब वे अंधेर करने वाले के कारण यहोवा की दोहाई देंगे, तब वह उनके पास एक उध्दारकर्ता और रक्षक भेजेगा, और उन्हें मुक्त करेगा। तब यहोवा अपने आप को मिस्रियों पर प्रकट करेंगे, और मिस्र उस समय यहोवा को पहिचानेंगे ...वे यहोवा की ओर फिरेंगे, और वह उनकी विनती सुनकर उनको चंगा करेंगे ' (19:19-22)।

वह आगे कहते हैं कि मिस्री और अश्शूरवासी (आधुनिक विश्व में ईराकी) एक साथ आराधना करेंगेः ' मिस्री अश्शूरियों के संग मिलकर आराधना करेंगे' (व.23, एम.एस.जी)।

अन्यजातियों का परिवर्तन यशायाह ने पहले ही देख लिया था। वह ऐसे एक समय को देखते हैं जब इस्राएल के लोगों के अतिरिक्त, दूसरे 'परमेश्वर की ओर फिरेंगे' (व.22)। वह उनकी प्रार्थनाओं को सुनेंगे और उन्हें चंगा करेंगे। विभिन्न देशों के लोग एक साथ आकर परमेश्वर की आराधना करेंगे (व.23)।यह एकता महान आशीष को लायेगी।

वह एक ऐसे समय को पहले ही देख लेते हैं जब मिस्र से परमेश्वर के लोग, ईराक और इस्राएल एक साथ आकर आराधना करेंगे। निश्चित ही हम एक तरीके से देखते हैं जिसमें यह भविष्यवाणी पूरी हो गई हैं जब इन देशों से और दूसरे देशों से मसीह एक साथ आकर आराधना करते हैं।

किंतु, हम उस दिन के लिए प्रार्थना भी कर सकते हैं, इसका इंतजार कर सकते हैं, जब यह भविष्यवाणी पूरी तरह से पूरी होगी – जब 'हर देश, गोत्र, लोग और भाषा से' एक बड़ी भीड़ परमेश्वर के सिंहासन के सामने एक साथ आराधना करेंगे (प्रकाशितवाक्तय 7:9)।

प्रार्थना

परमेश्वर, उन हथियारों की सामर्थ के लिए आपका धन्यवाद, जिसे आपने हमें आत्मिक युद्ध के लिए दी हैं। जैसे ही हम एक साथ आकर प्रार्थना करते और सुसमाचार का प्रचार करते हैं, होने दीजिए कि हम अपने जीवन में और हमारे समाज में आपकी विजय को देखे, यीशु के नाम में।

पिप्पा भी कहते है

2 कुरिंथियो 10:1

' मैं वही पौलुस जो तुम्हारे सामने दीन हूँ परन्तु पीठ पीछे तुम्हारी ओर साहस करता हूँ'

मैं निश्चित ही इसके साथ संबंध रख सकती हूँ। यह बहुत ही उत्साहित करने वाली बात है कि पौलुस भयभीत महसूस कर रहे थे जब उन्हें कुरिंथियो के चर्च का सामना करना था। एक रचनात्मक पत्र बहुत सहायक हो सकता है, लेकिन बहुत से ईमेल लिखना खतरनाक हो सकता है!

दिन का वचन

2 कुरिंथियो 10:4

“क्योंकि हमारी लड़ाई के हथियार शारीरिक नहीं, पर गढ़ों को ढा देने के लिये परमेश्वर के द्वारा सामर्थी हैं। “

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संदर्भ

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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