दिन 205

एक तकिया जिस पर हम अपने थके सिर को आराम दे सकते हैं

बुद्धि भजन संहिता 89:1-8
नए करार रोमियों 8:18-39
जूना करार होशे 10:1-11:11

परिचय

कभी कभी मुझे यह विश्वास करने में परेशानी होती है कि परमेश्वर सच में मुझसे प्रेम करते हैं। मैं असफलता और स्वयं को अपराधी समझने जैसा महसूस करता हूँ। यह विश्वास करना आसान बात है कि परमेश्वर बाकी सभी से प्रेम करते हैं, लेकिन यह विश्वास करना बहुत कठिन है कि परमेश्वर मुझसे प्रेम करते हैं।

रोमियों 8 में पौलुस समझाते हैं कि परमेश्वर के प्रेम 'में कोई दंड नहीं है' (व.1) और अंत में बताते हैं कि इसमें कोई अलगाव नहीं हैः कुछ भी ' हमें परमेश्वर के प्रेम से जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में हैं, अलग कर सकेगी' (व.39)। जॉन स्कॉट इस लेखांश की सच्चाई का वर्णन इस तरह से करते हैं, 'एक तकिया जिस पर हम अपने थके सिर को आराम दे सकते हैं'।

'परमेश्वर हममें से हर एक को इस तरह से प्रेम करते हैं जैसे कि वहाँ पर प्रेम करने के लिए केवल हम ही हैं, ' सेंट अगस्टाईन ने लिखा। यदि आप एकमात्र जीवित व्यक्ति होते, तब भी यीशु आपके लिए मरने के लिए आते। और यदि आपके विषय में यह सच है, तो यह मेरे विषय में भी सच है। परमेश्वर मुझसे और आपसे प्रेम करते हैं।

बुद्धि

भजन संहिता 89:1-8

एज्रा वंश के एतान का एक भक्ति गीत।

89मैं यहोवा, की करूणा के गीत सदा गाऊँगा।
 मैं उसके भक्ति के गीत सदा अनन्त काल तक गाता रहूँगा।
2 हे यहोवा, मुझे सचमुच विश्वास है, तेरा प्रेम अमर है।
 तेरी भक्ति फैले हुए अम्बर से भी विस्तृत है।
3 परमेश्वर ने कहा था, “मैंने अपने चुने हुए राजा के साथ एक वाचा कीया है।
 अपने सेवक दाऊद को मैंने वचन दिया है।
4 ‘दाऊद तेरे वंश को मैं सतत् अमर बनाऊँगा।
 मैं तेरे राज्य को सदा सर्वदा के लिये अटल बनाऊँगा।’”

5 हे यहोवा, तेरे उन अद्भुत कर्मो की अम्बर स्तुति करते हैं।
 स्वर्गदूतों की सभा तेरी निष्ठा के गीत गाते हैं।
6 स्वर्ग में कोई व्यक्ति यहोवा का विरोध नहीं कर सकता।
 कोई भी देवता यहोवा के समान नहीं।
7 परमेश्वर पवित्र लोगों के साथ एकत्रित होता है। वे स्वर्गदूत उसके चारो ओर रहते हैं।
 वे उसका भय और आदर करते हैं।
 वे उसके सम्मान में खड़े होते हैं।
8 सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा, जितना तू समर्थ है कोई नहीं है।
 तेरे भरोसे हम पूरी तरह रह सकते हैं।

समीक्षा

परमेश्वर के महान प्रेम को बताईये

हमारी आराधना और हमारी गवाही, दोनों का केंद्र है परमेश्वर का प्रेम।

  1. आराधना

इस भजन की शुरुवात आराधना से होती है, स्तुति का एक गीत (वव.1-8), परमेश्वर के प्रेम पर ध्यान केंद्रित करते हुएः'मैं यहोवा की सारी करुणा के विषय में सदा गाता रहूँगा' (व.1)।

परमेश्वर की महानता और महिमा के विषय में सोचिये -'सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर' के द्वारा प्रेम किए जाने वाली कितनी अद्भुत वस्तु है (व.8)। यह ऐसी चीज है जो कभी भी आपसे दूर नहीं की जा सकती है। भजनसंहिता के लेखक लिखते हैं, 'तेरी करुणा सदा बनी रहेगी' (व.2)।

  1. गवाही

जो संदेश आप दूसरों को सुनाते हैं उसे हमेशा परमेश्वर के प्रेम पर केंद्रित होना चाहिएः'मैं सदा आपके प्रेम की कहानी को बताता रहूँगा' (व.2, एम.एस.जी.)।

प्रार्थना

परमेश्वर, आपका धन्यवाद क्योंकि मैंने आपके प्रेम और वफादारी का अनुभव किया है, मेरी सहायता कीजिए परमेश्वर कि मैं आपके प्रेम को दूसरों को बता सकूं।
नए करार

रोमियों 8:18-39

हमें महिमा मिलेगी

18 क्योंकि मेरे विचार में इस समय की हमारी यातनाएँ प्रकट होने वाली भावी महिमा के आगे कुछ भी नहीं है। 19 क्योंकि यह सृष्टि बड़ी आशा से उस समय का इंतज़ार कर रही है जब परमेश्वर की संतान को प्रकट किया जायेगा। 20 यह सृष्टि निःसार थी अपनी इच्छा से नहीं, बल्कि उसकी इच्छा से जिसने इसे इस आशा के अधीन किया 21 कि यह भी कभी अपनी विनाशमानता से छुटकारा पाकर परमेश्वर की संतान की शानदार स्वतन्त्रता का आनन्द लेगी।

22 क्योंकि हम जानते हैं कि आज तक समूची सृष्टि पीड़ा में कराहती और तड़पती रही है। 23 न केवल यह सृष्टि बल्कि हम भी जिन्हें आत्मा का पहला फल मिला है, अपने भीतर कराहते रहे है। क्योंकि हमें उसके द्वारा पूरी तरह अपनाये जाने का इंतजार है कि हमारी देह मुक्ति हो जायेगी। 24 हमारा उद्धार हुआ है। इसी से हमारे मन में आशा है किन्तु जब हम जिसकी आशा करते है, उसे देख लेते हैं तो वह आशा नहीं रहती। जो दिख रहा है उसकी आशा कौन कर सकता है। 25 किन्तु यदि जिसे हम देख नहीं रहे उसकी आशा करते हैं तो धीरज और सहनशीलता के साथ उसकी बाट जोहते हैं।

26 ऐसे ही जैसे हम कराहते हैं, आत्मा हमारी दुर्बलता में हमारी सहायता करने आती है क्योंकि हम नहीं जानते कि हम किसके लिये प्रार्थना करें। किन्तु आत्मा स्वयं ऐसी आहें भर कर जिनकी शब्दों में अभिव्यक्ति नहीं की जा सकती, हमारे लिए विनती करती है। 27 किन्तु वह अन्तर्यामी जानता है कि आत्मा की मनसा क्या है। क्योंकि परमेश्वर की इच्छा से ही वह परमेश्वर के पवित्र जनों के लिए मध्यस्थता करती है।

28 और हम जानते हैं कि हर परिस्थिति में वह आत्मा परमेश्वर के भक्तों के साथ मिल कर वह काम करता है जो भलाई ही लाते हैं उन सब के लिए जिन्हें उसके प्रयोजन के अनुसार ही बुलाया गया है। 29 जिन्हें उसने पहले ही चुना उन्हें पहले ही अपने पुत्र के रूप में ठहराया ताकि बहुत से भाइयों में वह सबसे बड़ा भाई बन सके। 30 जिन्हें उसने पहले से निश्चित किया, उन्हें भी उसने बुलाया और जिन्हें उसने बुलाया, उन्हें उसने धर्मी ठहराया और जिन्हें उसने धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी प्रदान की।

परमेश्वर का प्रेम

31 तो इसे देखते हुए हम क्या कहें? यदि परमेश्वर हमारे पक्ष में है तो हमारे विरोध में कौन हो सकता है? 32 उसने जिसने अपने पुत्र तक को बचा कर नहीं रखा बल्कि उसे हम सब के लिए मरने को सौंप दिया। वह भला हमें उसके साथ और सब कुछ क्यों नहीं देगा? 33 परमेश्वर के चुने हुए लोगों पर ऐसा कौन है जो,दोष लगायेगा? वह परमेश्वर ही है जो उन्हें निर्दोष ठहराता है। 34 ऐसा कौन है जो उन्हें दोषी ठहराएगा? मसीह यीशु वह है जो मर गया (और इससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण यह है कि) उसे फिर जिलाया गया। जो परमेश्वर के दाहिनी ओर बैठा है और हमारी ओर से विनती भी करता है 35 कौन है जो हमें मसीह के प्यार से अलग करेगा? यातना या कठिनाई या अत्याचार या अकाल या नंगापन या जोख़िम या तलवार? 36 जैसा कि शास्त्र कहता है:

  “तेरे (मसीह) लिए सारे दिन हमें मौत को सौंपा जाता है।
  हम काटी जाने वाली भेड़ जैसे समझे जाते हैं।”

37 तब भी उसके द्वारा जो हमें प्रेम करता है, इन सब बातों में हम एक शानदार विजय पा रहे हैं। 38 क्योंकि मैं मान चुका हूँ कि न मृत्यु और न जीवन, न स्वर्गदूत और न शासन करने वाली आत्माएँ, न वर्तमान की कोई वस्तु और न भविष्य की कोई वस्तु, न आत्मिक शक्तियाँ, 39 न कोई हमारे ऊपर का और न हमसे नीचे का, न सृष्टि की कोई और वस्तु हमें प्रभु के उस प्रेम से, जो हमारे भीतर प्रभु यीशु मसीह के प्रति है, हमें अलग कर सकेगी।

समीक्षा

परमेश्वर के अद्भुत प्रेम पर मनन करें

क्या आपकी परिस्थितियों के कारण आप कभी अपने लिए परमेश्वर के प्रेम पर संदेह करते हैं?

पौलुस ने बहुत कष्ट उठाया –मार खाने, बंदीगृह में डाले जाने और बहुत सी दूसरी कठिनाईयों के द्वारा। लेकिन वह कहते हैं कि ये कष्ट उस महिमा की तुलना में कुछ नहीं, जो महिमा एक दिन हम देखेंगे। 'वर्तमान कठिन समय और आने वाले अच्छे समय के बीच' कोई तुलना नहीं की जा सकती है (व.18, एम.एस.जी.)।

जब हम इंतजार कर रहे हैं, हमारे पास 'आत्मा का प्रथम फल' है (व.23)। पवित्र आत्मा आने वाली महिमा की ग्यारंटी देते हैं। एक दिन संपूर्ण सृष्टि स्वतंत्र हो जाएगी (व.21)। यहाँ पर और अभी, शायद से आपका शरीर 'कराह रहा है' (व.22) यह पीड़ाओं में पड़ी तडपती है, लेकिन एक दिन यह पूरी तरह से चंगी हो जाएगी और सुधर जाएगी। हमारा पुनरुत्थान केवल 'आत्मिक' नही होगा, यह भौतिक होगा। 'हम अपनी देह के छुटकारे की बाट जोहते हैं' (व.23)।

पौलुस गर्भावस्था के एक उदाहरण का इस्तेमाल करते हैं। आप 'जच्चा की सी पीड़ा सहते हैं' (व.22, ए.एम.पी.)।

जबकि, जब आप इंतजार करते हुए थक जाते हैं, तब परमेश्वर का आत्मा हमारे साथ चलते हुए हमारी सहायता करता है। यदि हम नहीं जानते हैं कि कैसे या क्या प्रार्थना करनी है, इससे अंतर नही पड़ता है। ' आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर, जो बयान से बाहर है, हमारे लिये विनती करता है' (व.26, एम.एस.जी)। परमेश्वर की इच्छा के साथ मेल में प्रार्थना करने के लिए वह आपको सक्षम करते हैं (व.27)। यदि आप आत्मा की अगुवाई में प्रार्थना करते हैं तो, निश्चित ही आपकी प्रार्थना का उत्तर आएगा – क्योंकि वे परमेश्वर की इच्छा के साथ मेल में होंगे।

जीवन बिना योजना की गड़बड़ी नहीं है जैसा कि यह कभी कभी दिखाई देता है। ' हम जानते हैं कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उनके लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती हैं; अर्थात् उन्हीं के लिये जो उनकी इच्छा के अनुसार बुलाए गए हैं' (व.28)।

आपके जीवन के हर क्षेत्र में, परमेश्वर कार्य कर रहे हैं। यहाँ तक कि परमेश्वर आपकी गलतियों को भी आपकी भलाई में बदल देंगे। वह राज्य करते हैं। वह सार्वभौमिक हैं। सारी वस्तुओं में वह उनके लिए भलाई उत्पन्न करते हैं जो उनसे प्रेम करते हैं। मुख्यत: क्रूस दर्शाता है कि परमेश्वर ने इतिहास की सबसे बदतर घटना को लेकर, उसे सबसे सर्वश्रेष्ठ घटना में बदल दिया; वह आपके जीवन में से बदतर चीजों को लेकर उन्हे आपकी भलाई के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।

यह वायदा सभी मसीहों पर लागू होता है। वचन 29-30 में वह समझाते हैं – आप पूर्वनिर्धारित, बुलाए गए, सत्यनिष्ठ ठहराए गए, महिमा दिए गए हैं। पहली चार घटनाएँ हो चुकी हैं, लेकिन महिमा पाना भविष्य की एक घटना है। किंतु, उन सभी के लिए पौलुस इसी भूतकाल का इस्तेमाल करते हैं। 'आप...महिमा दिए गए हैं।' भूतकाल का यह इस्तेमाल भविष्य के विषय में पौलुस की सुनिश्चितता को दर्शाता है – यह पहले ही सुरक्षित किया गया है।

यह चकित कर देता है। संपूर्ण नये नियम में शायद से यह विश्वास का सबसे साहसी कथन है। यह संपूर्ण सुरक्षा को बताता है। एक मसीह की सुरक्षा दृढ़ रूप से परमेश्वर के न डगमगाने वाले प्रेम पर स्थिर है। यह सुनिश्चित नींव, आपकी सभी परिस्थितियों और भावनाओं से अधिक गहरी है।

कैसे आप परमेश्वर के प्रेम के प्रति सुनिश्चित हो सकते हैं? पौलुस पाँच उत्तरहीन प्रश्नों को प्रस्तुत करते हैं।

  1. इस तरह से यदि परमेश्वर आपकी ओर हैं, तो आप कैसे हार सकते हैं?

'यदि परमेश्वर हमारी ओर हैं, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?' (व.31ब)। यदि परमेश्वर आपके लिए हैं, तो दूसरे क्या सोचते हैं यह महत्वपूर्ण नहीं है। आप लोगों के डर से और दूसरे क्या सोचेंगे, इस बारे में चिंता करने से मुक्त कर दिए गए हैं।

  1. यदि परमेश्वर ने आपके लिए अपने इकलौते पुत्र को दिया है, तो क्या वह किसी चीज को आपसे दूर रखेंगे?

'जिसने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया, वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्यों न देगा?' (व.32)।

  1. कौन आपको सताने का साहस करेगा?

'परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा?' (व.33अ)।

  1. यदि परमेश्वर हमारा न्यायी है और यीशु हमारा वकील, तो कैसे दोष लगान वाले सफल हो सकते हैं?

'परमेश्वर ही हैं जो उनको सत्यनिष्ठ ठहराने वाले हैं। फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा?' (वव.33ब-34)। यीशु आपको बचाने वाले वकील हैं। वह उच्चरूप से शिक्षित हैं। 'यीशु मसीह, जो मर गए' (व.34) उन्होंने पहले ही हमारा दंड चुका दिया है। परमेश्वर ने उन्हें मरे हुओं में से जीवित किया (व.34)। वह सम्मान के ऊँचे स्थान में जा बैठे हैं 'परमेश्वर के दाहिनी ओर' (व.34)। वह आपके लिए प्रार्थना कर रहे हैं (व.34)। वह आपके लिए डॅंटे हुए हैं। यीशु कभी भी आपके लिए प्रार्थना करना बंद नहीं करते हैं।

  1. कैसे कोई आपके और मसीह के प्रेम के बीच में दीवार खींच सकता है?

आप परिस्थितियों या मृत्यु के द्वारा मित्रों और परिवार से अलग किए जा सकते हैं। लेकिन, ' कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा?' (व.35अ)। इसका यह अर्थ नहीं है कि जीवन सरल है। वहाँ पर परेशानी, कठिन समय, नफरत, भूख, बेघर होना, धमकियां, और पीठ पर वार हो सकता है। लेकिन 'वचन में लिखे बदतर पाप भी...इनमें से कोई भी हमें हरा नहीं सकता क्योंकि यीशु हमसे प्रेम करते हैं' (वव.35ब-37एम.एस.जी.)। हर कठिनाई के बीच में आप अपने लिए परमेश्वर के प्रेम का सहारा ले सकते हैं।

पौलुस ऐसी सत्रह संभावनाओं को बताते हैं जो जीवन की आपदाओं, एजेंसी, समय और दूरी में शामिल हैं (वव.35-39)। वह सुनिश्चित करते हैं विस्तृत सूची समझ में आएँ। और वह अंत में बताते हैं कि वह पूरी तरह से सुनिश्चित हैं कि कुछ भी ' हमें परमेश्वर के प्रेम से जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में हैं, अलग न कर सकेगी' (व.39)। जैसा कि आयजैक वॉट ने लिखा, 'प्रेम बहुत अद्भुत, बहुत दैवीय, मेरी आत्मा, मेरा जीवन, मेरे सबकुछ को माँगता है।'

प्रार्थना

परमेश्वर, कैसे मैं आपके अद्भुत प्रेम के लिए आपका धन्यवाद दूं? आपका धन्यवाद क्योंकि सारी वस्तुओं में आप मेरे जीवन में भलाई के लिए काम कर रहे हैं, और कुछ भी मुझे आपके प्रेम से अलग नहीं कर सकता है।
जूना करार

होशे 10:1-11:11

इस्राएल के वैभव ने इस्राएल से मूर्ति पूजा करवाई

10इस्राएल एक ऐसी दाखलता है
 जिस पर बहुतेरे फल लगते हैं।
 इस्राएल ने परमेश्वर से अधिकाधिक वस्तुऐं पाई
 किन्तु वह झूठे देवताओं के लिये अनेकानेक वेदियाँ बनाता ही चला गया।
 उसकी धरती अधिकाधिक उत्तम होने लगी
 सो वह अच्छे से अच्छा पत्थर झूठे देवताओं को मान देने के लिये पधराता गया।
2 इस्राएल के लोग परमेश्वर को धोखा देने का जतन करते ही रहे।
 किन्तु अब तो उन्हें निज अपराधमानना चाहिये।
 यहोवा उनकी वेदियों को तोड़ फेंकेगा,
 वह स्मृति—स्तूपों को तहस—नहस करेगा।

इस्राएलियों के बुरे निर्णय

3 अब इस्राएल के लोग कहा करते हैं, “न तो हमारा कोई राजा है और न ही हम यहोवा का मान करते हैं! और उसका राजा हमारा कुछ नही बिगाड़ सकता है!”

4 वे वचन तो देते हैं। किन्तु वचन देते हुए बस वे झूठ ही बोलते हैं।वे उन वचनों का पालन नहीं करते! दूसरे देशों के साथ वे ऐसी संधि करते हैं, जो संधि परमेश्वर को नहीं भाती। न्यायाधीश जोते हुए खेत में उगने वाले जहरीले खरपतवार के जैसे हो गये हैं ।

5 शोमरोन के लोग बेतावेन में बछड़ों की पूजा करते हैं। ऐसे लोगों को वास्तव में विलाप करना होगा। वे याजक वास्तव में विलाप करेंगे क्योंकि उसकी सुन्दर मूर्ति कही चली गई है। उसे कहीं उठा ले जाया गया। 6 उसे अश्शूर के महान राजा को उपहार देने के लिये उठा ले जाया गया। एप्रैम की लज्जापूर्ण मूर्ति को वह ले लेगा। इस्राएल को अपनी मूर्तियों पर लज्जित होना होगा। 7 शोमरोन के झूठे देवता को नष्ट कर दिया जायेगा। वह पानी पर तैरते हुए किसी लकड़ी के टुकड़े जैसा हो जायेगा।

8 इस्राएल ने पाप किये और ऊँचे स्थानों का निर्माण किया। आवेन के ऊँचे स्थान नष्ट कर दिये जायेंगे। उनकी वेदियों पर कँटीली झाड़ियाँ और खरपतवार उग आयेंगे। उस समय़ वे पर्वतों से कहेंगे, “हमें ढक लो” और पहाड़ियों से कहेंगे, “हम पर गिर पड़ो!”

इस्राएल को अपने पाप का भुगतान करना होगा

9 हे इस्राएल, तू गिबा के समय से ही पाप करता आया है। (वे लोग वहाँ पाप करते ही चले गये।) गिबा के वे दुष्ट लोग सचमुच युद्ध की पकड़ में आ जायेंगे। 10 उन्हें दण्ड देने के लिये मैं आऊँगा। उनके विरूद्ध इकट्ठी होकर सेनाएँ चढ़ आयेंगी। इस्राएलियों को उनके दोनों पापों के लिये वे दण्ड देंगी।

11 “एप्रैम उस सुधारी हुई जवान गाय के समान है जिसे खलिहान में अनाज पर गहाई के लिये चलना अच्छा लगता है। मैं उसके कंधों पर एक उत्तम जुवा रखूँगा। मैं एप्रैम पर रस्सी लगाऊँगा। फिर यहूदा जुताई करेगा और स्वंय याकूब धरती को फोड़ेगा।”

12 यदि तुम नेकी को बोओगे तो सच्चे प्रेम की फसल काटोगे। अपनी धरती को जोतो और यहोवा की शरण जाओ। यहोवा आयेगा और वह तुम पर वर्षा की तरह नेकी बरसायेगा!

13 किन्तु तुमने तो बदी का बीज बोया है और विपत्ति की फसल काटी है। तुमने अपने झूठ का फल भोगा है। ऐसा इसलिये हुआ कि तुमने अपनी शक्ति और अपने सैनिकों पर विश्वास किया। 14 इसलिये तुम्हारी सेनायें युद्ध का शोर सुनेंगी और तुम्हारी गढ़ियाँ ढह जायेंगी। यह वैसा ही होगा जैसे बेतर्बेल नगर को युद्ध के समय शल्मन ने नष्ट कर दिया था। युद्ध के उस समय अपने बच्चों के साथ माताओं की हत्या कर दी गयी थी। 15 बेतेल में तुम्हारे साथ भी ऐसा ही होगा क्योंकि तुमने बहुत से कुकर्म किये हैं। उस दिन के शुरू होने पर इस्राएल के राजा का पूरी तरह से विनाश हो जायेगा।

इस्राएल यहोवा को भूल गया

11“जब इस्राएल अभी बच्चा था, मैंने, (यहोवा ने) उसको प्रेम किया था।
 मैंने अपने बच्चे को मिस्र से बाहर बुला लिया था।
2 किन्तु इस्राएलियों को मैंने जितना अधिक बुलाया
 वे मुझसे उतने ही अधिक दूर हुए थे।
  इस्राएल के लोगों ने बाल देवताओं को बलियाँ चढ़ाई थी।
 उन्होंने मूर्तियों के आगे धूप जलाई थी।

3 “एप्रैम को मैंने ही चलना सिखाया था!
 इस्राएल को मैंने गोद में उठाया था!
  और मैंने उन्हें स्वस्थ किया था!
 किन्तु वे इसे नहीं जानते हैं।
4 मैंने उन्हें डोर बांध कर राह दिखाई,
 डोर—वह प्रेम की डोर थी।
  मैं उस ऐसे व्यक्ति सा था जिसने उन्हें स्वतंत्रता दिसाई,
 मैं नीचे की ओर झुका और मैंने उनको आहार दिया था।

5 “किन्तु इस्राएलियों ने परमेश्वर की ओर मुड़ने से मना कर दिया। सो वे मिस्र चले जायेंगे और अश्शूर का राजा उनका राजा बन जायेगा। 6 उनके नगरों के ऊपर तलवार लटका करेगी। वह तलवार उनके शक्तिशाली लोगों का वध कर देगी। वह उनके मुखियाओं का काम तमाम कर देगी।

7 “मेरे लोग मेरे लौट आने के बाट जोहेंगे, वे ऊपर वाले परमेश्वर को पुकारेंगे किन्तु परमेश्वर उनकी सहायता नहीं करेगा।”

यहोवा इस्राएल का विनाश नहीं चाहता

8 “हे एप्रैम, मैं तुझको त्याग देना नहीं चाहता हूँ।
 हे इस्राएल, मैं चाहता हूँ कि मैं तेरी रक्षा करूँ।
  मैं तुझको अदना सा कर देना नहीं चाहता हूँ!
 मैं नही चाहता हूँ कि तुझको सबोयीम सा बना दूँ!
  मैं अपना मन बदल रहा हूँ
 तेरे लिये प्रेम बहुत ही तीव्र है।
9 मैं निज भीषण क्रोध को जीतने नही दूँगा।
  मैं फिर एप्रैम को नष्ट नहीं कर दूँगा।
 मैं तो परमेश्वर हूँ मैं कोई मनुष्य नहीं।
  मैं तो वह पवित्र हूँ,
 मैं तेरे साथ हूँ।
  मैं अपने क्रोध को नहीं दिखाऊँगा।
10 मैं सिंह की दहाड़ सी गर्जना करूँगा।
 मैं गर्जना करूँगा और मेरी संताने पास आयेंगी और मेरे पीछे चलेंगी।
  मेरी संताने जो भय से थर—थर काँप रही हैं,
 पश्चिम से आयेंगी।
11 वे कंपकंपाते पक्षियों सी मिस्र से आयेंगी।
 वे कांपते कपोत सी अश्शूर की धरती से आयेंगी
  और मैं उन्हें उनके घर वापस ले जाऊँगा।”
 यहोवा ने यह कहा था।

समीक्षा

परमेश्वर के असफल न होने वाले प्रेम का आनंद लीजिए

क्या आप जानते हैं कि परमेश्वर आपसे उससे कही अधिक प्रेम करते हैं, जितना कि कोई माता-पिता अपने बच्चों से करते हैं?

होशे परमेश्वर के लोगों के लिए परमेश्वर के प्रेम को बताते हैं, लोगों की बेईमानी के बावजूद। उन्होंने पाप, लड़ाई और मूर्तिपूजा को 'जहरीले पौधे' की तरह बढ़ने दिया (10:4) और 'झाडियाँ और काँटे' (व.8)। सावधान रहिये कि यें चीजे आपके जीवन में न बढ़े। निरंतर बुरी चीजों को बाहर निकालते रहिये - यहाँ तक कि छोटे जंगली पौधो को भी, इससे पहले की वह बड़े हो जाएँ।

जंगली पौधों को निकालने के साथ-साथ, सुंदर फूलों को रोपिये। परमेश्वर उन्हें (और हमें) कहते हैं, 'अपने लिये सत्यनिष्ठा का बीज बोओ, तब करुणा के अनुसार खेत काटने पाओगे...अभी यहोवा के पीछे हो लेने का समय है' (व.12)।

माता-पिता के प्रेम के रूप में वह यहाँ पर इसका वर्णन करते हैं: 'जब इस्राएल बालक था, तब मैंने उससे प्रेम किया, और अपने पुत्र को मिस्र से बुलाया...मैं ही एप्रैम को पाँव पाँव चलाता था और उनको गोद में लिए फिरता था...मैंने उन्हें चंगा किया। मैं उनको मनुष्य रुपी प्रेम की डोरी से खींचता था; मैं..उन्हें भोजन खिलाने के लिए नीचे झुका' (11:1-4)।

यह परमेश्वर के प्रेम और सौम्यता का एक अद्भुत चित्र हैः जैसे कि एक माता-पिता नन्हें बच्चे की देखभाल करते हैं। 'मैं उसे एक बालक की तरह ऊठाता था' (व.4,एम.एस.जी) – उन्हें भोजन कराते हुए, उन्हें चलना सिखाते हुए, उन्हें गोद में लेते हुए।

यद्यपी उन्होंने मन फिराने से मना कर दिया और उनसे दूर होने के लिए तैयार थे, तब भी वह उन पर हार नहीं मान सकते हैं (वव.5-8)। 'मेरा हृदय उलट –पुलट हो गया, मेरा मन स्नेह के मारे पिघल गया है' (व.8ब)। यह प्रेम है जो आपको जाने नहीं देगा।

प्रार्थना

धन्यवाद पिता, आपके प्रेम, करुणा, सौम्यता और दया के लिए। आपका धन्यवाद क्योंकि कुछ भी मुझे हमारे प्रभु यीशु मसीह में परमेश्वर के प्रेम से अलग नहीं कर सकता है। आपका धन्यवाद क्योंकि आपका प्रेम एक तकिया है जिस पर हम अपने थके सिर को आराम देते हैं।

पिप्पा भी कहते है

रोमियो 8:28

' हम जानते हैं कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उनके लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती हैं; अर्थात् उन्हीं के लिये जो उनकी इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।'

बहुत सी बार मैंने इस वचन को पकड़े रखा, जब वस्तुएँ काम नहीं कर रही थी या बहुत बड़ी निराशा मिलती थी। पिछले कई सालों में उन बहुत सी चीजों को देखते हुए, जो उस तरह से नहीं हुई जैसे मैंने आशा की थी, अब मैं कह सकती हूँ कि यह एक बडी आशीष थी कि वे चीजें नहीं हुई। उस समय मैं यह नहीं कह सकती थी। लेकिन अब भी ऐसी कुछ चीजें हैं जिनके विषय में शायद मुझे स्वर्ग में पूछना पड़ेगा।

दिन का वचन

रोमियो 8:28

“और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।“

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संदर्भ

जॉन स्कॉट, रोमियों का संदेश, (आय.वी.पी,1994) पी.246

आयजैक वाट, जब मैं अद्भुत व्रूस को देखता हूँ

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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