दिन 177

तीन चीजें जो परमेश्वर आपको देना चाहते हैं

बुद्धि भजन संहिता 78:9-16
नए करार प्रेरितों के काम 17:1-21
जूना करार 1 राजा 16:8-18:15

परिचय

कोरी टेन बूम और उनकी बहन बेसी हॉलंड में मध्य-वर्षीय महिलाएं थी, जब दूसरा विश्वयुद्ध शुरु हुआ. उन्होंने नजिस से भागने वाले यहूदियों को छिपाने का निर्णय लिया. उन्होंने बहुतों को बचाया. लेकिन आखिरकार उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें रावेनस्ब्रक कॉन्सट्रेशन कैम्प में ले जाया गया. वहाँ पर बेसी मर गई. कोरी चमत्कारी रूप से जीवित बची रही, इस बात की गवाही देने के लिए कि परमेश्वर कैसे बचाते, चंगा करते और क्षमा करते हैं.

जब उनसे पूछा गया कि सताव के लिए कैसे तैयारी करनी चाहिए, तब वह अपने बचपन की यह कहानी बताया करती थीः

'जब मैं एक छोटी लड़की थी, मैंने अपने पिता के पास जाकर कहा, 'पिताजी, मुझे डर है कि मैं कभी भी यीशु मसीह के लिए एक शहीद बनने के लिए पर्याप्त मजबूत नहीं हो पाऊँगी.' पिता ने कहा, 'मुझे बताओ, जब तुम एम्सटरदम जाने के लिए रेल से यात्रा करती हो, तब मैं तुम्हें टिकट के पैसे कब देता हूँ? तीन सप्ताह पहले?' 'नही, पिताजी, आप मुझे रेल में चढ़ने से थोड़े समय पहले ही पैसे देते हैं.' मेरे पिता ने कहा, 'यह सही है.''और यह परमेश्वर की सामर्थ से है. हमारा स्वर्गीय पिता जानता है कि कब तुम्हें यीशु मसीह के लिए एक शहीद बनने के लिए सामर्थ की आवश्यकता पड़ेगी. वह सही समय पर वह सब देंगे जिसकी तुम्हें जरुरत है.'

बुद्धि

भजन संहिता 78:9-16

9 एप्रैम के लोगे शस्त्र धारी थे,
 किन्तु वे युद्ध से पीठ दिखा गये।
10 उन्होंने जो यहोवा से वाचा किया था पाला नहीं।
 वे परमेश्वर के सीखों को मानने से मुकर गये।
11 एप्रैम के वे लोग उन बड़ी बातों को भूल गए जिन्हें परमेश्वर ने किया था।
 वे उन अद्भुत बातों को भूल गए जिन्हें उसने उन्हें दिखायी थी।
12 परमेश्वर ने उनके पूर्वजों को मिस्र के
 सोअन में निज महाशक्ति दिखायी।
13 परमेश्वर ने लाल सागर को चीर कर लोगों को पार उतार दिया।
 पानी पक्की दीवार सा दोनों ओर खड़ा रहा।
14 हर दिन उन लोगों को परमेश्वर ने महा बादल के साथ अगुवाई की।
 हर रात परमेश्वर ने आग के लाट के प्रकाश से राहा दिखाया।
15 परमेश्वर ने मरूस्थल में चट्टान को फाड़ कर
 गहरे धरती के निचे से जल दिया।
16 परमेश्वर चट्टान से जलधारा वैसे लाया
 जैसे कोई नदी हो!

समीक्षा

1. निरंतर मार्गदर्शन

परमेश्वर आपको वह सब मार्गदर्शन देंगे जिसकी आपको जरुरत है. जैसे ही भजनसंहिता के लेखक परमेश्वर के लोगों के इतिहास को दोबारा देखते हैं, वह याद करते हैं कि कैसे वे, 'दिन को तो बादल के खंभे से और रात भर अग्नि के प्रकाश के द्वारा उनकी अगुवाई करते थे' (व.14). दूसरे शब्दों में, उन्होंने निरंतर उनका मार्गदर्शन किया.

आप, जिसमें पवित्र आत्मा रहता है, आपको इससे कम की आशा नहीं करनी चाहिए. आप 'परमेश्वर की आत्मा के द्वारा चलाए जाते हैं' (रोमियो 8:14). पवित्र आत्मा आपको आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करेंगे.

परमेश्वर आपकी आत्मिक प्यास को भी तृप्त करेंगेः 'वह जंगल में चट्टानें फाड़कर, उनको मानो गहरे जलाशयों से पानी पिलाता था. उसने चट्टान से भी धाराएँ निकाली और नदियों का सा जल बहाया' (भजनसंहिता 78:15-16). यीशु आपसे वायदा करते हैं कि पवित्र आत्मा के द्वारा आपमें से जीवित जल की नदियाँ बहेंगी (यूहन्ना 7:38).

प्रार्थना

परमेश्वर, सच में मुझे आपके पवित्र आत्मा और आपके मार्गदर्शन की आवश्यकता है. कृपया आज मुझे पवित्र आत्मा से भर दीजिए और मेरे अंदर से जीवित जल की धाराएँ बहने दीजिए.
नए करार

प्रेरितों के काम 17:1-21

पौलुस और सिलास थिस्सलुनिके में

17फिर अम्फिपुलिस और अपुल्लोनिया की यात्रा समाप्त करके वे थिस्सुलुनिके जा पहुँचे। वहाँ यहूदियों का एक आराधनालय था। 2 अपने सामान्य स्वभाव के अनुसार पौलुस उनके पास गया और तीन सब्त तक उनके साथ शास्त्रों पर विचार-विनिमय करता रहा। 3 और शास्त्रों से लेकर उन्हें समझाते हुए यह सिद्ध करता रहा कि मसीह को यातनाएँ झेलनी ही थीं और फिर उसे मरे हुओं में से जी उठना था। वह कहता, “यह यीशु ही, जिसका मैं तुम्हारे बीच प्रचार करता हूँ, मसीह है।” 4 उनमें से कुछ जो सहमत हो गए थे, पौलुस और सिलास के मत में सम्मिलित हो गये। परमेश्वर से डरने वाले अनगिनत यूनानी भी उनमें मिल गये। इनमें अनेक महत्वपूर्ण स्त्रियाँ भी सम्मिलित थीं।

5 पर यहूदी तो डाह में जले जा रहे थे। उन्होंने कुछ बाजारू गुँडों को इकट्ठा किया और एक हुजूम बना कर नगर में दंगे करा दिये। उन्होंने यासोन के घर पर धावा बोल दिया। और यह कोशिश करने लगे कि किसी तरह पौलुस और सिलास को लोगों के सामने ले आयें। 6 किन्तु जब वे उन्हें नहीं पा सके तो यासोन को और कुछ दूसरे बन्धुओं को नगर अधिकारियों के सामने घसीट लाये। वे चिल्लाये, “ये लोग जिन्होंने सारी दुनिया में उथल पुथल मचा रखी है, अब यहाँ आये हैं। 7 और यासोन सम्मान के साथ उन्हें अपने घर में ठहराये हुए है। और वे सभी कैसर के आदेशों के विरोध में काम करते हैं और कहते है, एक राजा और है जिसका नाम है यीशु।”

8 जब भीड़ ने और नगर के अधिकारियों ने यह सुना तो वे भड़क उठे। 9 और इस प्रकार उन्होंने यासोन तथा दूसरे लोगों को ज़मानती मुचलेका लेकर छोड़ दिया।

पौलुस और सिलास बिरिया में

10 फिर तुरन्त रातों रात भाइयों ने पौलुस और सिलास को बिरिया भेज दिया। वहाँ पहुँच कर वे यहूदी, आराधनालय में गये। 11 ये लोग थिस्सुलुनिके के लोगों से अधिक अच्छे थे। इन लोगों ने पूरा मन लगाकर वचन को सुना और हर दिन शास्त्रों को उलटते पलटते यह जाँचते रहे कि पौलुस ने जो बातें बतायी हैं, क्या वे सत्य हैं। 12 परिणामस्वरुप बहुत से यहूदियों और महत्वपूर्ण यूनानी स्त्री-पुरुषों ने भी विश्वास ग्रहण किया।

13 किन्तु जब थिस्सुलुनिके के यहूदियों को यह पता चला कि पौलुस बिरिया में भी परमेश्वर के वचन का प्रचार कर रहा है तो वे वहाँ भी आ धमके। और वहाँ भी दंगे करना और लोगों को भड़काना शुरु कर दिया। 14 इसलिए तभी भाइयों ने तुरन्त पौलुस को सागर तट पर जाने को भेज दिया। किन्तु सिलास और तिमुथियुस वहीं ठहरे रहे। 15 पौलुस को ले जाने वाले लोगों ने उसे एथेंस पहुँचा दिया और सिलास तथा तिमुथियुस के लिये यह आदेश देकर कि वे जल्दी से जल्दी उसके पास आ जायें, वहीं से चल पड़ें।

पौलुस एथेंस में

16 पौलुस एथेंस में तिमुथियुस और सिलास की प्रतीक्षा करते हुए नगर को मूर्तियों से भरा हुआ देखकर मन ही मन तिलमिला रहा था। 17 इसलिए हर दिन वह यहूदी आराधनालय में यहूदियों और यूनानी भक्तों से वाद-विवाद करता रहता था। वहाँ हाट-बाजार में जो कोई होता वह उससे भी हर दिन बहस करता रहता। 18 कुछ इपीकुरी और स्तोइकी दार्शनिक भी उससे शास्त्रार्थ करने लगे।

उनमें से कुछ ने कहा, “यह अंटशंट बोलने वाला कहना क्या चाहता है?” दूसरों ने कहा, “यह तो विदेशी देवताओं का प्रचारक मालूम होता है।” उन्होंने यह इसलिए कहा था कि वह यीशु के बारे में उपदेश देता था और उसके फिर से जी उठने का प्रचार करता था।

19 वे उसे पकड़कर अरियुपगुस की सभा में अपने साथ ले गये और बोले, “क्या हम जान सकते हैं कि तू जिसे लोगों के सामने रख रहा है, वह नयी शिक्षा क्या है? 20 तू कुछ विचित्र बातें हमारे कानों में डाल रहा है, सो हम जानना चाहते हैं कि इन बातों का अर्थ क्या है?” 21 (वहाँ रह रहे एथेंस के सभी लोग और परदेसी केवल कुछ नया सुनने या उन्हीं बातों की चर्चा के अतिरिक्त किसी भी और बात में अपना समय नहीं लगाते थे।)

समीक्षा

2. अच्छा समाचार

ऐसे एक विश्व में जहाँ सुसमाचार की अत्यावश्यकता है, परमेश्वर ने आपको सुसमाचार का एक संदेश प्रदान किया है. शब्द 'सुसमाचार' का अर्थ है 'अच्छा समाचार.' अच्छा समाचार 'यीशु और पुनरुत्थान' के विषय में है (व.18). जिस किसी चीज की आपको आवश्यकता है, वह यीशु में है. यह सब यीशु के विषय में है.

हर बार जब आप अपनी गवाही बताते हैं या दूसरे तरीको से अपने विश्वास के विषय में बोलते हैं, तब अपने आपसे पूछे, 'क्या यह अच्छा समाचार है?' हर बार जब हम इसे प्रचार करते हैं, इसे अच्छा समाचार होना चाहिए; नही तो यह सुसमाचार नहीं है. आपके संदेश को हमेशा अच्छा समाचार होना चाहिए क्योंकि यह यीशु, उनकी मृत्यु और पुनरुत्थान के विषय में है.

हर समय परमेश्वर आपको उचित शब्द देंगे. आपके वचन शक्तिशाली और जीवन बदलने वाले हैं. यीशु का अच्छा समाचार सभी पीढ़ीयों, संस्कृति और स्थितियों के लिए गतिशील रूप से महत्वपूर्ण है. लोगों की जरूरते हमेशा एक सी हैं. सुसमाचार का संदेश हमेशा एक सा है.

  1. अच्छे समाचार को समझाईये

जब पौलुस थिस्सलुनिकियों में आराधनालय में गए, वह 'उन्हें वचनों से समझाते और साबित करते थे कि मसीह को दुख उठाना और मृत्यु में से जी उठना अवश्य ही है. ' यही यीशु जिसके बारे में मैं तुम्हें बताता हूँ, मसीह हैं, ' उन्होंने कहा (वव.2-3). सुसमाचार को सावधानीपूर्वक समझाने से बहुत से लोगों ने 'विश्वास किया' (व.4).

यह तथ्य कि आपका संदेश परमेश्वर से आता है, यह आपको आलोचना ग्रहण करने से नहीं रोकता है. पौलुस की सफलता के कारण लोग डाह करने लगे (व.5). दिलचस्प रूप से, उन्होंने पहले ही जान लिया था कि वह एक ग्लोबल प्रभाव बना रहे थेः ' ये लोग जिन्होंने जगत को उलटा पुलटा कर दिया है, यहाँ भी आ गए हैं' (व.6ब).

  1. अच्छे समाचार का अध्ययन करें

परमेश्वर ने पौलुस और सिलास को बीरिया के लिए उचित शब्द दिए. जो उन्होंने सुना था, उसके प्रति उन्होंने अच्छा उत्तर दिया. 'बड़े आनंद से' उन्होंने वचन को ग्रहण किया और 'हर दिन वचनों में ढूंढ़ते थे कि जो पौलुस ने बताया वह सच है या नहीं' (व.11). फिर एक बार, संदेश ने फल उत्पन्न किया और बहुतों ने 'विश्वास किया' (व.12). मैं आपको भी उत्साहित करुंगा कि हर दिन वचनों का अध्ययन करने के लिए नियमित रूप से समय निकालें.

एक बार फिर, पौलुस और सिलास की 'सफलता ने विरोध को उकसाया.' कुछ लोग ' लोगों को उकसाने और हलचल मचाने लगे' (व.13). आश्चर्य मत कीजिएगा यदि आज आपको उकसाने वाले और हलचल मचाने वाले लोग मिलते हैं.

  1. सुसमाचार पर मनन करें

पौलुस एतेंस में गए. ' सब एतेंसवासी और परदेशी जो वहाँ रहते थे, नई - नई बातें कहने और सुनने के सिवाय और किसी काम में समय नहीं बिताते थे' (व.21). वे इस बात में अधिक रूचि रखते थे कि क्या नया है, इसके बजाय कि क्या सच है.

फिर से, परमेश्वर पौलुस को एतेंसवासियों के लिए उचित संदेश प्रदान करते हैं. ' अत: वह आराधनालय में यहूदियों और भक्तों से, और चौक में जो लोग उससे मिलते थे उनसे हर दिन वाद – विवाद किया करते थे' (व.17). ये दो पूरी तरह से अलग श्रोता थे.

पहले श्रोताओं से बात करना, एक चर्च में प्रचार करने जैसा था. बाजार में बात करना, काम के स्थान पर बात करने जैसा है. लेकिन पौलुस का संदेश एक समान था - यीशु और पुनरुत्थान के विषय में सुसमाचार का प्रचार करना (व.18).

प्रार्थना

परमेश्वर, मुझे वह वचन दीजिए जिसकी मुझे आगे आने वाले समय में बातचीत करने में आवश्यकता है. कृपया संदेश की आपूर्ति करें. मैं अपनी दैनिक बातचीत में जीवन बदलने वाले वचनों को माँगता हूँ. होने दीजिए कि मैं आत्मा के द्वारा चलूं.
जूना करार

1 राजा 16:8-18:15

इस्राएल का राजा एला

8 यहूदा पर आसा के राज्य काल के छब्बीसवें वर्ष में एला राजा हुआ। एला बाशा का पुत्र था। उसने तिर्सा में दो वर्ष तक शासन किया।

9 राजा एला के अधिकारियों में से जिम्री एक था। जिम्री एला के आधे रथों को आदेश देता था। किन्तु जिम्री ने एला के विरुद्ध योजना बनाई। राजा एला तिर्सा में था। वह अर्सा के घर में दाखमधु पी रहा था और मत्त हो रहा था। अर्सा, तिर्सा के महल का अधिकारी था। 10 जिम्री उस घर में गया और उसने राजा एला को मार डाला। यहूदा पर आसा के राज्य काल के सत्ताईसवें वर्ष में यह हुआ। तब एला के बाद इस्राएल का नया राजा जिम्री हुआ।

इस्राएल का राजा जिम्री

11 जब जिम्री राजा हुआ तो उसने बाशा के पूरे परिवार को मार डाला। उसने बाशा के परिवार में किसी व्यक्ति को जीवित नहीं रहने दिया। जिम्री ने बाशा के मित्रों को भी मार डाला। 12 इस प्रकार जिम्री ने बाशा के परिवार को नष्ट किया। यह वैसे ही हुआ जैसा यहोवा ने, येहू नबी का उपयोग बाशा के विरूद्ध कहने को कहा था। 13 यह, बाशा और उसके पुत्र एला के, सभी पापों के कारण हुआ। उन्होंने पाप किया था और इस्राएल के लोगों से पाप कराया था। यहोवा क्रोधित था क्योंकि उन्होंने बहुत सी देवमूर्तियाँ रखी थीं।

14 इस्राएल के राजाओं के इतिहास नामक पुस्तक में ये अन्य सभी बातें लिखी हैं जो एला ने कीं।

15 यहूदा पर आसा के राज्य काल के सत्ताईसवें वर्ष में जिम्री इस्राएल का राजा बना। जिम्री ने तिर्सा में सात दिन शासन किया। जो कुछ हुआ, यह है: इस्राएल की सेना गिब्बतोन के पलिश्तियों के समीप डेरा डाले पड़ी थी। वे युद्ध के लिये तैयार थे। 16 पड़ाव में स्थित लोगों ने सुना कि जिम्री ने राजा के विरुद्ध गुप्त षड़यन्त्र रचा है। उन्होंने सुना कि उसने राजा को मार डाला। इसलिये सारे इस्राएल ने डेरे में, उस दिन ओम्री को इस्राएल का राजा बनाया। ओम्री सेनापति था। 17 इसलिये ओम्री और सारे इस्राएल ने गिब्बतोन को छोड़ा और तिर्सा पर आक्रमण कर दिया। 18 जिम्री ने देखा कि नगर पर अधिकार कर लिया गया है। अत: वह महल के भीतर चला गया और उसने आग लगानी आरम्भ कर दी। उसने महल और अपने को जला दिया। 19 इस प्रकार जिम्री मरा क्योंकि उसने पाप किया था। जिम्री ने उन कामों को किया जिन्हें यहोवा ने बुरा कहा था। उसने वैसे ही पाप किये जैसे यारोबाम ने किये थे और यारोबाम ने इस्राएल के लोगों से पाप कराया था।

20 इस्राएल के राजाओं के इतिहास नामक पुस्तक में जिम्री के गुप्त षड़यन्त्र और अन्य बातें लिखी हैं और जब जिम्री राजा एला के विरुद्ध हुआ, उस समय की घटनायें भी उसमें लिखी हैं।

इस्राएल का राजा ओम्री

21 इस्राएली लोग दो दलों में बँट गये थे। आधे लोग गीनत के पुत्र तिब्नी का अनुसरण करते थे और उसे राजा बनाना चाहते थे। अन्य आधे लोग ओम्री के अनुयायी थे। 22 किन्तु ओम्री के अनुयायी गीनत के पुत्र तिब्नी के अनुयायियों से अधिक शक्तिशाली थे। अत: तिब्नी मारा गया और ओम्री राजा हुआ।

23 यहूदा पर आसा के राज्यकाल के इकतीसवें वर्ष में ओम्री इस्राएल का राजा हुआ। ओम्री ने इस्राएल पर बारह वर्ष तक शासन किया। उन वर्षों में से छ: वर्षों तक उसने तिर्सा नगर में शासन किया। 24 किन्तु ओम्री ने शोमरोन की पहाड़ी को खरीद लिया। उसने इसे लगभग डेढ़ सौ पौंड चाँदी शमेर से खरीदा। ओम्री ने उस पहाड़ी पर एक नगर बसाया। उसने इसके स्वामी शमेर के नाम पर इस नगर का नाम शोमरोन रखा।

25 ओम्री ने वे काम किये जिन्हें यहोवा ने बुरा घोषित किया था। ओम्री उन सभी राजाओं से बुरा था जो उसके पहले हो चुके थे। 26 उसने वे ही पाप किये जो नबात के पुत्र यारोबाम ने किये थे। यारोबाम ने इस्राएल के लोगों से पाप कराया था। इसलिये उन्होंने यहोवा, इस्राएल के परमेश्वर को बहुत क्रोधित कर दिया था। यहोवा क्रोधत था, क्योंकि वे निरर्थक देवमूर्तियों की पूजा करते थे।

27 इस्राएल के राजाओं के इतिहास नामक पुस्तक में ओम्री के विषय में अन्य बातें और उसके किये महान कार्य लिखे गए हैं। 28 ओम्री मरा और शोमरोन में दफनाया गया। उसका पुत्र अहाब उसके बाद नया राजा बना।

इस्राएल का राजा अहाब

29 यहूदा पर आसा के राज्य काल के अड़तीसवें वर्ष में ओम्री का पुत्र अहाब इस्राएल का राजा बना। 30 अहाब ने वे काम किये जिन्हें यहोवा ने बुरा बताया था और अहाब उन सभी राजाओं से भी बुरा था जो उसके पहले हुए थे। 31 अहाब के लिये इतना ही काफी नहीं था कि वह वैसे ही पाप करे जैसे नबात के पुत्र यारोबाम ने किये थे। अत: अहाब ने एतबाल की पुत्री ईजेबेल से विवाह किया। एतबाल सीदोन के लोगों का राजा था। तब अहाब ने बाल की सेवा और पुजा करनी आरम्भ की। 32 अहाब ने बाल की पूजा करने के लिये शोमरोन में पूजागृह बनाया। उसने पूजागृह में एक वेदी रखी। 33 अहाब ने अशेरा की पूजा के लिये एक विशेष स्तम्भ भी खड़ा किया। अहाब ने यहोवा, इस्राएल के परमेश्वर को क्रोधित करने वाले बहुत से काम, उन सभी राजाओं से अधिक किये, जो उसके पहले थे।

34 अहाब के राज्य काल में बेतेल के हीएल ने यरीहो नगर को दुबारा बनाया। जिस समय हीएल ने नगर बनाने का काम आरम्भ किया, उसका बड़ा पुत्र अबीराम मर गया और जब हीएल ने नगर द्वार बनाये, उसका सबसे छोटा पुत्र सगूब मर गाय। यह ठीक वैसा ही हुआ जैसा यहोवा ने नून के पुत्र यहोशू से बातें करते हुए कहा था।

एलिय्याह और अनावृष्टि का समय

17एलिय्याह गिलाद में तिशबी नगर का एक नबी था। एलिय्याह ने राजा अहाब से कहा, “मैं यहोवा, इस्राएल के परमेश्वर की सेवा करता हूँ। उसकी शक्ति के बल पर मैं भविष्यवाणी करता हूँ कि अगले कुछ वर्षों में न तो ओस गिरेगी, और न ही वर्षा होगी। वर्षा तभी होगी जब मैं उसके होने का आदेश दूँगा।”

2 तब यहोवा ने एलिय्याह से कहा 3 “इस स्थान को छोड़ दो और पूर्व की ओर चले जाओ। करीत नाले के पास छिप जाओ। यह नाला यरदन नदी के पूर्व में है। 4 तुम नाले से पानी पी सकते हो। मैंने कौवों को आदेश दिया है कि वे तुमको उस स्थान पर भोजन पहुँचायेंगे।” 5 अत: एलिय्याह ने वही किया जो यहोवा ने करने को कहा। वह यरदन नदी के पूर्व करीत नाले के समीप रहने चला गया। 6 हर एक प्रात: और सन्ध्या को कौवे एलिय्याह के लिये भोजन लाते थे। एलिय्याह नाले से पानी पीता था।

7 वर्षा नहीं हुई अत: कुछ समय उपरान्त नाला सूख गया। 8 तब यहोवा ने एलिय्याह से कहा, 9 “सीदोन में सारपत को जाओ। वहीं रहो। उस स्थान पर एक विधवा स्त्री रहती है। मैंने उसे तुम्हें भोजन देने का आदेश दिया है।”

10 अत: एलिय्याह सारपत पहुँचा। वह नगर द्वार पर पहुँचा और उसने एक स्त्री को देखा। उसका पति मर चुका था। वह स्त्री ईंधन के लिये लकड़ियाँ इकट्ठी कर रही थी। एलिय्याह ने उससे कहा, “क्या तुम एक प्याले में थोड़ा पानी दोगी जिसे मैं पी सकूँ” 11 वह स्त्री उसके लिये पानी लाने जा रही थी, तो एलिय्याह ने कहा, “कृपया मेरे लिये एक रोटी का छोटा टुकड़ा भी लाओ।”

12 उस स्त्री ने उत्तर दिया, “मैं यहोवा, तुम्हारे परमेश्वर की शपथ खाकर कहती हूँ कि मेरे पास रोटी नहीं है। मेरे पास बर्तन में मुट्ठी भर आटा और पीपे में थोड़ा सा जैतून का तेल है। इस स्थान पर मैं ईंधन के लिये दो चार लकड़ियाँ इकट्ठी करने आई थी। मैं इसे लेकर घर लौटूँगी और अपना आखिरी भोजन पकाऊँगी। मैं और मेरा पुत्र दोनों इसे खायेंगे और तब भूख से मर जाएंगे।”

13 एलिय्याह ने स्त्री से कहा, “परेशान मत हो। घर लौटो और जैसा तुमने कहा, अपना भोजन पकाओ। किन्तु तुम्हारे पास जो आटा है उसकी पहले एक छोटी रोटी बनाना। उस रोटी को मेरे पास लाना। तब अपने और अपने पुत्र के लिये पकाना। 14 इस्राएल का परमेश्वर, यहोवा कहता है, ‘उस आटे का बर्तन कभी खाली नहीं होगा। पीपे में तेल सदैव रहेगा। ऐसा तब तक होता रहेगा जिस दिन तक यहोवा इस भूमि पर पानी नहीं बरसाता।’”

15 अत: वह स्त्री अपने घर लौटी। उसने वही किया जो एलिय्याह ने उससे करने को कहा था। एलिय्याह, वह स्त्री और उसका पुत्र बहुत दिनों तक पर्याप्त भोजन पाते रहे। 16 आटे का बर्तन और तेल का पीपा दोनों कभी खाली नहीं हुए। यह वैसा ही हुआ जैसा यहोवा ने होने को कहा था। यहोवा ने एलिय्याह के द्वारा बातें की थीं।

17 कुछ समय बाद उस स्त्री का लड़का बीमार पड़ा। वह अधिक, और अधिक बीमार होता गया। अन्त में लड़के ने साँस लेना बन्द कर दिया। 18 और उस स्त्री ने एलिय्याह से कहा, “तुम परमेश्वर के व्यक्ति हो। क्या तुम मुझे सहायता दे सकते हो या क्या तुम मुझे सारे पापों को केवल याद कराने के लिये यहाँ आये हो क्या तुम यहाँ मेरे पुत्र को केवल मरवाने आये थे”

19 एलिय्याह ने उससे कहा, “अपना पुत्र मुझे दो।” एलिय्याह ने उसके लड़के को उससे लिया और सीढ़ीयों से ऊपर ले गया। उसने उसे उस कमरे में बिछौने पर लिटाया जिसमें वह रुका हुआ था। 20 तब एलिय्याह ने प्रार्थना की, “हे यहोवा, मेरे परमेश्वर, यह विधवा मुझे अपने घर में ठहरा रही है। क्या तू उसके साथ यह बुरा काम करेगा क्या तू उसके पुत्र को मरने देगा” 21 तब एलिय्याह लड़के के ऊपर तीन बार लेटा। एलिय्याह ने प्रार्थना की, “हे यहोवा, मेरे परमेश्वर! इस लड़के को पुनर्जीवित कर।”

22 यहोवा ने एलिय्याह की प्रार्थना स्वीकार की। लड़का पुन: साँस लेने लगा। वह जीवित हो गया। 23 एलिय्याह बच्चे को सीढ़ियों से नीचे ले गया। एलिय्याह ने उस लड़के को उसकी माँ को दिया और कहा, “देखो, तुम्हारा पुत्र जी उठा।”

24 उस स्त्री ने उत्तर दिया, “अब मुझे विश्वास हो गया कि तुम सच में परमेश्वर के यहाँ के व्यक्ति हो। मैं समझ गई हूँ कि सचमुच में यहोवा तुम्हारे माध्यम से बोलता है।”

एलिय्याह और बाल के नबी

18अनावृष्टि के तीसरे वर्ष यहोवा ने एलिय्याह से कहा, “जाओ, और राजा अहाब से मिलो। मैं शीघ्र ही वर्षा भेजूँगा।” 2 अत: एलिय्याह अहाब के पास गया।

उस समय शोमरोन में भोजन नहीं रह गया था। 3 इसलिये राजा अहाब ने ओबद्याह से अपने पास आने को कहा। ओबद्याह राज महल का अधिकारी था। (ओबद्याह यहोवा का सच्चा अनुयायी था। 4 एक बार ईज़ेबेल यहोवा के सभी नबियों को जान से मार रही थी। इसलिये ओबद्याह ने सौ नबियों को लिया और उन्हें दो गुफाओं में छिपाया। ओबद्याह ने एक गुफा में पचास नबी और दूसरी गुफा में पचास नबी रखे। तब ओबद्याह उनके लिये पानी और भोजन लाया।) 5 राजा अहाब ने ओबद्याह से कहा, “मेरे साथ आओ। हम लोग इस प्रदेश के हर एक सोते और नाले की खोज करेंगे। हम लोग पता लगायेंगे कि क्या हम अपने घोड़ों और खच्चरों को जीवित रखने के लिये पर्याप्त घास कहीं पा सकते हैं। तब हमें अपना कोई जानवर खोना नहीं पड़ेगा।” 6 हर एक व्यक्ति ने देश का एक भाग चुना जहाँ वे पानी की खोज कर सकें। तब दोनों व्यक्ति पूरे देश में घूमें। अहाब एक दिशा में अकेले गया। ओबद्याह दूसरी दिशा में अकेले गया। 7 जब ओबद्याह यात्रा कर रहा था तो उस समय वह एलिय्याह को पहचान लिया। ओबद्याह एलिय्याह के सामने प्रणाम करने झुका उसने कहा, “एलिय्याह! क्या स्वामी सचमुच आप हैं”

8 एलिय्याह ने उत्तर दिया, “हाँ, मैं ही हूँ। जाओ और अपने स्वामी राजा से कहो कि मैं यहाँ हूँ।”

9 तब ओबद्याह ने कहा, “यदि मैं अहाब से कहूँगा कि मैं जानता हूँ कि तुम कहाँ हो, तो वह मुझे मार डालेगा! मैंने तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ा है। तुम क्यों चाहते हो कि मैं मर जाऊँ 10 यहोवा, तुम्हारे परमेश्वर की सत्ता जैसे निश्चित है, वैसे ही यह निश्चित है, कि राजा तुम्हारी खोज कर रहा है। उसने हर एक देश में तुम्हारा पता लगाने के लिये आदमी भेज रखे हैं। यदि किसी देश के राजा ने यह कहा कि तुम उसके देश में नहीं हो, तो अहाब ने उसे यह शपथ खाने को विवश किया कि तुम उसके देश में नहीं हो। 11 अब तुम चाहते हो कि मैं जाऊँ और उससे कहूँ कि तुम यहाँ हो 12 यदि मैं जाऊँ और रजा अहाब से कहूँ कि तुम यहाँ हो तो यहोवा तुम्हें किसी अन्य स्थान पर पहुँचा सकता है। राजा अहाब यहाँ आयेगा और वह तुम्हें नहीं पा सकेगा। तब वह मुझे मार डालेगा। मैंने यहोवा का अनुसरण तब से किया है जब मैं एक बालक था। 13 तुमने सुना है कि मैंने क्या किया था। ईजेबेल यहोवा के नबियों को मार रही थी और मैंने सौ नबियों को गुफाओं में छिपाया था। मैंने एक गुफा में पचास नबियों और दूसरी गुफा में पचास नबियों को रखा था। मैं उसके लिये अन्न—पानी लाया। 14 अब तुम चाहते हो कि मैं जाऊँ और राजा से कहूँ कि तुम यहाँ हो। रजा मुझे मार डालेगा।”

15 एलिय्याह ने उत्तर दिया, “जितनी सर्वशक्तिमान यहोवा की सत्ता निश्चित है उतना ही निश्चित यह है कि मैं आज राजा के सामने खड़ा होऊँगा।”

समीक्षा

3. भौतिक आवश्यकताएँ

यीशु ने हमें प्रार्थना करना सिखाया, 'आज के दिन हमें हमारी रोटी दे' (मत्ती 6:11; लूका 11:3). आपकी दैनिक जरुरतों को पूरा करने के लिए परमेश्वर को देखें. वह आवश्यक रूप से आपको वह सब नहीं देंगे जो आपको चाहिए, लेकिन प्रार्थना करो कि वह आपकी सभी जरुरतों को पूरा करें.

ऐसे एक समाज में जो निरंतर पाप कर रहा था और दलों में विभाजित हो गया (1राजा 16:8-34), परमेश्वर ने ऐसे एक भविष्यवक्ता को उठाया जिसने अधिकार और सामर्थ के साथ बात की.

नया नियम हमें बताता है कि एलिय्याह 'हमारी ही तरह' एक मनुष्य था (याकूब 5:17अ). और फिर भी, ' उसने गिड़गिड़ाकर प्रार्थना की कि मेंह न बरसे; और साढ़े तीन वर्ष तक भूमि पर मेंह नहीं बरसा. फिर उसने प्रार्थना की, तो आकाश से वर्षा हुई, और भूमि फलवन्त हुई' (वव.17ब - 18).

एलिय्याह की प्रार्थना ने स्वयं एलिय्याह के लिए परेशानी पैदा कर दी थी. किंतु, परमेश्वर ने उनकी सभी भौतिक जरुरतों को पूरा किया. आरंभ में, 'सवेरे और साँझ को कौवे उसके पास रोटी और मांस लाया करते थे, और वह नाले का पानी पीया करता था' (1राजा 17:6). आपकी जरुरतों को पूरा करने में परमेश्वर बहुत रचनात्मक हो सकते हैं. आपका काम है उनका आज्ञापालन करना और फिर भरोसा करना है कि वह आपकी सभी जरुरतों को पूरा करेंगे.

जब नाला सूख गया (व.7), परमेश्वर ने उनसे कहा, 'चलतर सीदोन के सारपत नगर में जाकर वही रह और सुन, मैं ने वहाँ की विधवा को तुझे खिलाने की आज्ञा दी है' (व.9). जब एक दरवाजा बंद हो जाता है (नाला सूख गया), यह इसलिए है क्योंकि परमेश्वर आपके जीवन में एक दूसरा दरवाजा खोलने वाले हैं. वह एलिय्याह को दूसरे स्थान में भेज रहे थे, ताकि वह किसी दूसरे की प्रार्थना का उत्तर बने और प्रावधान के लिए आवश्यकता.

विधवा की परीक्षा हुई. एलिय्याह ने खाना माँगा. वह उसे बताती हैं कि वह और उसका बेटा आखिरी भोजन करके मरने वाले थे. एलिय्याह वायदा करते हैं कि यदि जो उसके पास है, उसके साथ वह उदारता दिखाएगी, तो परमेश्वर उसकी सारी जरुरतों को पूरा करेंगे. वह उससे कहते हैं, 'जब तक यहोवा भूमि पर मेंह न बरसाएगा तब तक न तो उसके घड़े का मैदा समाप्त होगा, और न उस कुप्पी का तेल घटेगा' (व.14, एम.एस.जी).

विधवा ने वही किया जो एलिय्याह ने बताया था. और वैसा ही हुआ जैसा उसने कहा था (वव.15-16). महिला ने महान विश्वास दिखाया. वह स्त्री वह सब देने के लिए तैयार थी जो उसके पास था. उसने अपने सबकुछ का खतरा मोल लिया. और परमेश्वर ने उसकी सभी जरुरतों को पूरा किया. उनके पास पर्याप्त था, लेकिन कभी भी जरुरत से ज्यादा नहीं था. उनकी दैनिक जरुरतों को पूरा करने के लिए वे पूरी तरह से परमेश्वर पर निर्भर हो गए. यदि आप परमेश्वर की आज्ञा मानेंगे और उदार रूप से देंगे, तो आप पायेंगे कि आप परमेश्वर से ज्यादा नहीं दे सकते हैं. परमेश्वर आपके लिए और आपके द्वारा अद्भुत चीजों को करेंगे.

इसका यह अर्थ नहीं है कि जीवन सरल होगा. अपने विश्वास के बावजूद उसने आगे लड़ाईयों का सामना किया. उसका बेटा बीमार हो गया और अंत में साँस लेना बंद कर दिया (व.17). एलिय्याह ने महान विश्वास लगाया जब उसने मरे हुए लड़के के लिए परमेश्वर को पुकारा (व.20). 'परमेश्वर ने एलिय्याह की दोहाई सुनी, और लड़के को फिर से जीवन दे दिया' (व.22).

एलिय्याह के लिए यह कितनी अद्भुत बात थी कि उसे उठाकर घर में ले जाएँ और उसकी माता को उसे देकर कहे, 'देखो, तुम्हारा पुत्र जीवित है!' (व.23).

प्रार्थना

परमेश्वर, आपके अद्भुत प्रेम, सामर्थ और संपूर्ण विश्व के लिए पर्याप्त भोजन की आपूर्ति के लिए आपका धन्यवाद. हमें क्षमा करिए जब हम उसे नहीं बांटते हैं जो आपने हमें दिया है. हमें अपना मार्गदर्शन, अपने वचन और अपना साहस दीजिए, ताकि अपनी पीढ़ी में वह सब कर सकें जिससे इस भयानक अन्याय में बदलाव आये. अपने विश्व को बदलने के लिए हमें अपनी आत्मा के द्वारा चलायें.

पिप्पा भी कहते है

1राजा 17:14

'क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, कि जब तक यहोवा भूमि पर मेंह न बरसाएग तब तक न तो उस घड़े का मैदा समाप्त होगा, और न उस कुप्पी का तेल घटेगा'

मुझे इस गरीब अज्ञात विधवा की कहानी पसंद है जो महान भविष्यवक्ता को अपना भोजन देती है. परमेश्वर साधारण को असाधारण में बदल देते हैं.

दिन का वचन

प्रेरितों के कार्य – 17:11

"ये लोग तो थिस्सलुनीके के यहूदियों से भले थे और उन्होंने बड़ी लालसा से वचन ग्रहण किया, और प्रति दिन पवित्र शास्त्रों में ढूंढ़ते रहे कि ये बातें यों ही हैं, कि नहीं।"

reader

App

Download the Bible in One Year app for iOS or Android devices and read along each day.

reader

Email

Sign up now to receive Bible in One Year in your inbox each morning. You’ll get one email each day.

Podcast

Subscribe and listen to Bible in One Year delivered to your favourite podcast app everyday.

reader

Website

Start reading today’s devotion right here on the BiOY website.

संदर्भ

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

Bible in One Year

  • Bible in One Year

This website stores data such as cookies to enable necessary site functionality and analytics. Find out more