दिन 162

परमेश्वर आपकी गलतियों का भी इस्तेमाल करते हैं

बुद्धि भजन संहिता 72:1-20
नए करार प्रेरितों के काम 7:20-43
जूना करार 2 शमूएल 16:15-18:18

परिचय

रवि जकारिया याद करते हैं जब वह एक स्थान में गए थे जहाँ पर विश्व में सबसे सर्वश्रेष्ठ शादी की साड़ी बनती थीः’विवरण की ऐसी जटिलता के साथ, मैं मशीन के कुछ सिस्टम को देखना चाहता था जो उत्पादन प्रक्रिया में दिमाग को संदेहास्पद कर देता है'. लेकिन यह चित्र वास्तविक चित्र जैसा नहीं था. हर साड़ी पिता और पुत्र दल के द्वारा एक – एक व्यक्ति बनाता था. एक प्लेटफॉर्म पर पिता ऊपर बैठ जाते थे, उनके आस-पास धागे की बहुत सी चरखी होती है जिसे वह अपनी उंगलियों में लपेटते हैं. पुत्र का केवल एक काम होता था. उनके पिता की ओर से इशारा पाकर, वह शटल को एक ओर से दूसरी ओर घुमा देते थे और फिर से दुबारा घुमाते थे. यह काम सैकड़ो घंटे दोहराया जाता था, तब तक कि एक शानदार नमूना बनना शुरु ना हो जाऍं.

’निश्चित ही बेटे का काम आसान था. उसे केवल पिता के इशारे पर काम करना था. लेकिन इन प्रयासों का इस्तेमाल करते हुए, पिता एक जटिल अंत तक काम कर रहे थे. साथ ही, उनके दिमाग में डिजाईन थी और वह सही धागों को एक-साथ बुन रहे थे.'

रवि जकारिया यह कहकर कहानी का समापन करते हैं कि, ' केवल परमेश्वर ही हमारे जीवनों के निराश धागों से एक डिजाईन को बना सकते हैं -चाहे यह कष्ट, सफलता, आनंद या हृदय का टूटना हो – और एक शानदार डिजाईन बनाते हैं. शायद से, यदि आज आप रुककर इसे देखेंगे, तो आप देखेंगे कि पिता आपके जीवन में एक सुंदर कपड़े को बुनने का प्रयास कर रहे हैं.'

अय्यूब ने कहा, 'तू ने मुझे जीवन दिया, और मुझ पर करुणा की है; और तेरी चौकसी से मेरे प्राण की रक्षा हुई है' (अय्यूब 10:12). इस विश्व में जो कुछ होता है, वह परमेश्वर के कार्य के क्षेत्र के अंतर्गत है. ’विधान' का अर्थ है परमेश्वर की दूरदृष्टि जिस तरह से वह भविष्य को देखते और तैयार करते हैं. ’विधान' एक तरीका है जिससे परमेश्वर मानवीय इतिहास को मार्गदर्शित और उत्साहित करते हैं – वह विश्व में उपस्थिति और क्रियाशील हैं –इसे बनाए रखते हुए और इस पर शासन करते हुए.

इसी तरह से वह आपके जीवन को व्यक्तिगत रूप से मार्गदर्शित और उत्साहित करते हैं. जैसा कि पौलुस प्रेरित ने लिखा, ' हम जानते हैं कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उनके लिये सब बातें मिलकर भलाई को ही उत्पन्न करती हैं; अर्थात उन्हीं के लिये जो उनकी इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं' (रोमियो 8:28). यहाँ तक कि आपकी गलतियों को वह भलाई में इस्तेमाल करते हैं. आपके जीवन की सभी परिस्थितियों में और आपके आस-पास होने वाली घटनाओं में, आप परमेश्वर के विधान पर भरोसा कर सकते हैं.

बुद्धि

भजन संहिता 72:1-20

दाऊद के लिये।

72हे परमेश्वर, राजा की सहायता कर ताकि वह भी तेरी तरह से विवेकपूर्ण न्याय करे।
 राजपुत्र की सहायता कर ताकि वह तेरी धार्मिकता जान सके।
2 राजा की सहायता कर कि तेरे भक्तों का वह निष्पक्ष न्याय करें।
 सहायता कर उसकी कि वह दीन जनों के साथ उचित व्यवहार करे।

3 धरती पर हर कहीं शांती
और न्याय रहे।
4 राजा, निर्धन लोगों के प्रति न्यायपूर्ण रहे।
 वह असहाय लोगों की सहायता करे। वे लोग दण्डित हो जो उनको सताते हो।
5 मेरी यह कामना है कि जब तक सूर्य आकाश में चमकता है, और चन्द्रमा आकाश में है।
 लोग राजा का भय मानें। मेरी आशा है कि लोग उसका भय सदा मानेंगे।
6 राजा की सहायता, धरती पर पड़ने वाली बरसात बनने में कर।
 उसकी सहायता कर कि वह खेतों में पड़ने वाली बौछार बने।
7 जब तक वह राजा है, भलाई फूले—फले।
 जब तक चन्द्रमा है, शांति बनी रहे।

8 उसका राज्य सागर से सागर तक
 तथा परात नदी से लेकर सुदूर धरती तक फैल जाये।
9 मरूभूमि के लोग उसके आगे झुके।
 और उसके सब शत्रु उसके आगे औधे मुँह गिरे हुए धरती पर झुकें।
10 तर्शीश का राजा और दूर देशों के राजा उसके लिए उपहार लायें।
 शेबा के राजा और सबा के राजा उसको उपहार दे।
11 सभी राजा हमारे राजा के आगे झुके।
 सभी राष्ट्र उसकी सेवा करते रहें।

12 हमारा राजा असहायों का सहायक है।
 हमारा राजा दीनों और असहाय लोगों को सहारा देता है।
13 दीन, असहाय जन उसके सहारे हैं।
 यह राजा उनको जीवित रखता है।
14 यह राजा उनको उन लोगों से बचाता है, जो क्रूर हैं और जो उनको दु:ख देना चाहते हैं।
 राजा के लिये उन दीनों का जीवन बहुत महत्वपूर्ण है।

15 राजा दीर्घायु हो!
 और शेबा से सोना प्राप्त करें।
 राजा के लिए सदा प्रार्थना करते रहो,
 और तुम हर दिन उसको आशीष दो।
16 खेत भरपूर फसल दे।
 पहाड़ियाँ फसलों से ढक जायें।
 ये खेत लबानोन के खेतों से उपजाऊँ हो जायें।
 नगर लोगों की भीड़ से भर जाये, जैसे खेत घनि घास से भर जाते हैं।
17 राजा का यश सदा बना रहे।
 लोग उसके नाम का स्मरण तब तक करते रहें, जब तक सूर्य चमकता है।

 उसके कारण सारी प्रजा धन्य हो जाये
 और वे सभी उसको आशीष दे।

18 यहोवा परमेश्वर के गुण गाओं, जो इस्राएल का परमेश्वर है!
 वही परमेश्वर ऐसे आश्चर्यकर्म कर सकता है।
19 उसके महिमामय नाम की प्रशंस सदा करों!
 उसकी महिमा समस्त संसार में भर जाये!
आमीन और आमीन!

20 (यिशै के पुत्र दाऊद की प्रार्थनाएं समाप्त हुई।)

समीक्षा

विधान और प्रार्थना

आपकी प्रार्थनाएँ अंतर पैदा करती हैं. ना केवल वह आपके जीवन को प्रभावित करती हैं लेकिन वह इतिहास की दिशा को भी प्रभावित कर सकती हैं.

विधान और प्रार्थना कैसे एक साथ काम करते हैं, यह एक रहस्य है. कुछ असाधारण तरीके से आपकी प्रार्थनाएँ घटनाओं के परिणाम को प्रभावित करती हैं. परमेश्वर सार्वभौमिक हैं और इतिहास में अपने उद्देश्य को पूरा करते हैं. फिर भी वह आपको इस प्रक्रिया में शामिल करते हैं.

यह भजन दाऊद की प्रार्थना है उसके पुत्र और वारिस, राजा सुलैमान के लिए. यह उनकी ऊँची बुलाहट की एक मजबूत याद थी. फिर भी यह उसके परे जाता है जो कि मानवीय रूप से प्राप्त किया जा सकता है. उदाहरण के लिए, 'जब तक सूर्य और चंद्रमा बने रहेंगे तब तक लोग पीढ़ी–पीढ़ी तेरा भय मानते रहेंगे' (व.5). उनका राज्य अनंत और यूनीवर्सल है (व.8). आखिरकार, यह केवल मसीहा में, परमेश्वर के पुत्र यीशु मसीह में पूरा हुआ.

यह भजन राजा पर आशीष की एक प्रार्थना है और उनके द्वारा सभी लोग ’समृद्धि' के साथ आशीष पाए (व.3). अच्छा लीडर गरीबी और न्याय के विषय में चिंता करेगाः ’वह प्रजा के दीन लोगों का न्याय करेगा, और दरिद्र लोगों को बचाएगा; और अंधेर करने वालों को चूर करेगा' (व.4, एम.एस.जी.). ऐसी भी एक प्रार्थना है कि उनके विदेशी पॉलिसी में ’उनके द्वारा सभी देश आशीष पायेंगे' (व.17).

दाऊद कहते हैं, 'लोग उसके लिये नित्य प्रार्थना करेंगे, और दिन भर उसको धन्य कहते रहेंगे' (व.15ब). यह स्पष्ट है कि लीडर पर परमेश्वर की आशीष आएगी जैसे ही लोग उसके लिए प्रार्थना करते हैं. यह कैसे काम करता है हम नहीं जानते हैं. किंतु, यह दिखाता है कि प्रार्थना सच में एक अंतर पैदा करती हैं. अपने विधान में, परमेश्वर आपकी प्रार्थनाओं को लेते हैं और आशीष लाने के लिए उनका इस्तेमाल करते हैं.

प्रार्थना

परमेश्वर, आपका धन्यवाद क्योंकि प्रार्थना एक अंतर पैदा करती है. मैं अपने लीडर्स के लिए प्रार्थना करता हूँ जिन्हें आपने हमारे ऊपर रखा है. उन्हें अनग्रुह और बुद्धि दें. उनके जीवन को बढ़ाएं ताकि वे सामर्थ और प्रोत्साहन का एक स्त्रोत बने, आपके सम्मान और महिमा को बढ़ाए.
नए करार

प्रेरितों के काम 7:20-43

20 “उसी समय मूसा का जन्म हुआ। वह बहुत सुन्दर बालक था। तीन महीने तक वह अपने पिता के घर के भीतर पलता बढ़ता रहा। 21 फिर जब उसे बाहर छोड़ दिया गया तो फिरौन की पुत्री उसे अपना पुत्र बना कर उठा ले गयी। उसने अपने पुत्र के रूप में उसका लालन-पालन किया। 22 मूसा को मिसरियों के सम्पूर्ण कला-कौशल की शिक्षा दी गयी। वह वाणी और कर्म दोनों में ही समर्थ था।

23 “जब वह चालीस साल का हुआ तो उसने इस्राएल की संतान, अपने भाई-बंधुओं के पास जाने का निश्चय किया। 24 सो जब एक बार उसने देखा कि उनमें से किसी एक के साथ बुरा व्यवहार किया जा रहा है तो उसने उसे बचाया और मिसरी व्यक्ति को मार कर उस दलित व्यक्ति का बदला ले लिया। 25 उसने सोचा था कि उसके अपने भाई बंधु जान जायेंगे कि उन्हें छुटकारा दिलाने के लिए परमेश्वर उसका उपयोग कर रहा है। किन्तु वे इसे नहीं समझ पाये।

26 “अगले दिन उनमें से (उसके अपने लोगों में से) जब कुछ लोग झगड़ रहे थे तो वह उनके पास पहुँचा और यह कहते हुए उनमें बीच-बचाव का जतन करने लगा, ‘कि तुम लोग तो आपस में भाई-भाई हो। एक दूसरे के साथ बुरा बर्ताव क्यों करते हो?’ 27 किन्तु उस व्यक्ति ने जो अपने पड़ोसी के साथ झगड़ रहा था, मूसा को धक्का मारते हुए कहा, ‘तुझे हमारा शासक और न्यायकर्ता किसने बनाया? 28 जैसे तूने कल उस मिस्री की हत्या कर दी थी, क्या तू वैसे ही मुझे भी मार डालना चाहता है?’ 29 मूसा ने जब यह सुना तो वह वहाँ से चला गया और मिद्यान में एक परदेसी के रूप में रहने लगा। वहाँ उसके दो पुत्र हुए।

30 “चालीस वर्ष बीत जाने के बाद सिनाई पर्वत के पास मरुभूमि में एक जलती झाड़ी की लपटों के बीच उसके सामने एक स्वर्गदूत प्रकट हुआ। 31 मूसा ने जब यह देखा तो इस दृश्य पर वह आश्चर्य चकित हो उठा। जब और अधिक निकटता से देखने के लिये वह उसके पास गया तो उसे प्रभु की वाणी सुनाई दी: 32 ‘मैं तेरे पूर्वजों का परमेश्वर हूँ, इब्राहीम का, इसहाक का और याकूब का परमेश्वर हूँ।’ भय से काँपते हुए मूसा कुछ देखने का साहस नहीं कर पा रहा था।

33 “तभी प्रभु ने उससे कहा, ‘अपने पैरों की चप्पलें उतार क्योंकि जिस स्थान पर तू खड़ा है, वह पवित्र भूमि है। 34 मैंने मिस्र में अपने लोगों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को देखा है, परखा है। मैंने उन्हें विलाप करते हुए सुना है। उन्हें मुक्त कराने के लिये मैं नीचे उतरा हूँ। आ, अब मैं तुझे मिस्र भेजूँगा।’

35 “यह वही मूसा है जिसे उन्होंने यह कहते हुए नकार दिया था, ‘तुझे शासक और न्यायकर्ता किसने बनाया है?’ यह वही है जिसे परमेश्वर ने उस स्वर्गदूत द्वारा, जो उसके लिए झाड़ी में प्रकट हुआ था, शासक और मुक्तिदाता होने के लिये भेजा। 36 वह उन्हें मिसर की धरती और लाल सागर तथा वनों में से चालीस साल तक आश्चर्य कर्म करते हुए और चिन्ह दिखाते हुए बाहर निकाल लाया।

37 “यह वही मूसा है जिसने इस्राएल की संतानों से कहा था, ‘तुम्हारे भाइयों में से ही तुम्हारे लिये परमेश्वर एक मेरे जैसा नबी भेजेगा।’ 38 यह वही है जो वीराने में सभा के बीच हमारे पूर्वजों और उस स्वर्गदूत के साथ मौजूद था जिसने सिनाई पर्वत पर उससे बातें की थी। इसी ने हमें देने के लिये परमेश्वर से सजीव वचन प्राप्त किये थे।

39 “किन्तु हमारे पूर्वजों ने उसका अनुसरण करने को मना कर दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने उसे नकार दिया और अपने हृदयों में वे फिर मिस्र की ओर लौट गये। 40 उन्होंने आरों से कहा था, ‘हमारे लिये ऐसे देवताओं की रचना करो जो हमें मार्ग दिखायें। इस मूसा के बारे में, जो हमें मिस्र से बाहर निकाल लाया, हम नहीं जानते कि उसके साथ क्या कुछ घटा।’ 41 उन्हीं दिनों उन्होंने बछड़े की एक मूर्ति बनायी। और उस मूर्ति पर बलि चढ़ाई। वे, जिसे उन्होंने अपने हाथों से बनाया था, उस पर आनन्द मनाने लगे। 42 किन्तु परमेश्वर ने उनसे मुँह मोड़ लिया था। उन्हें आकाश के ग्रह-नक्षत्रों की उपासना के लिये छोड़ दिया गया था। जैसा कि नबियों की पुस्तक में लिखा है:

‘हे इस्राएल के परिवार के लोगो, क्या तुम पशुबलि और अन्य बलियाँ वीराने में मुझे नहीं चढ़ाते रहे चालीस वर्ष तक?
43 तुम मोलेक के तम्बू और अपने देवता
रिफान के तारे को भी अपने साथ ले गये थे।
वे मूर्तियाँ भी तुम ले गये जिन्हें तुमने उपासना के लिये बनाया था।
इसलिए मैं तुम्हें बाबुल से भी परे भेजूँगा।’

समीक्षा

विधान और भविष्यवाणी

इस लेखांश में हम देखते हैं कि कैसे असाधारण तरीके से परमेश्वर ने यीशु के आगमन की योजना बनायी और तैयारी की. परमेश्वर अपने प्रावधान में भविष्य को पहले ही देखते हैं, और इसलिए एक रहस्यमय तरीके से प्रत्यश करते हैं, इसके लिए तैयारी करते हैं और इसका मार्गदर्शन करते हैं. इसलिए, आप अपने जीवन की सभी घटनाओं और परिस्थितियों में परमेश्वर के विधान पर भरोसा कर सकते हैं.

स्तिफनुस का भाषण उस तरीके को बताता है जिस तरीके से परमेश्वर ने इस्राएल के इतिहास को मार्गदर्शित किया और इसकी रखवाली की, और इसके द्वारा यीशु के आगमन की तैयारी की. इस भाग में वह विशेष रूप से मूसा पर ध्यान देते हैं.

मूसा ने कहा था कि परमेश्वर उसकी तरह एक भविष्यवक्ता को उठायेंगे (व्यवस्थाविवरण 18:15). पतरस ने पहले ही इसे यीशु पर लागू किया था (प्रेरितों के काम 3:23-23). अब स्तिफनुस यही करते हैं. वह कहते हैं, ' यह वही मूसा है, जिसने इस्रालियों से कहा, ‘परमेश्वर एक भविष्यवक्ता को उठाएगा' (7:37).

मूसा मसीह का एक ’प्रकार' था. उन्होंने रास्ते को दर्शाया और तैयार किया. मूसा और यीशु के बीच में कम से कम पंद्रह समानताएँ हैं.

  1. यीशु की तरह, मूसा ’कोई साधारण बालक' नहीं था (व.20). मूसा और यीशु दोनों के जन्म की परिस्थितियाँ बिल्कुल असाधारण थी.

  2. यीशु की तरह (मत्ती 2:16-17), मूसा ऐसे समय में पैदा हुए थे जब नवजात शिशुओं की हत्या की जा रही थी (प्रेरितों के काम 7:19-21).

  3. यीशु की तरह (लूका 2:40), मूसा अपनी बुद्धि के लिए जाने जाते थे (प्रेरितों के काम 7:22).

  4. यीशु की तरह (यूहन्ना 7:46), मूसा ’बोलने में और कार्य करने में शक्तिशाली थे' (प्रेरितों के काम 7:22).

5.यीशु की तरह, मूसा के पास तैयारी का एक समय था. हम दोनों के पहले तीस वर्ष के विषय में बहुत कम जानते हैं. दोनों ने आने वाले कार्य के लिए प्रशिक्षण लेने में अपना समय बिताया (वव.22-23).

  1. यीशु की तरह (यूहन्ना 2:16), मूसा ने पाप पर सत्यनिष्ठ क्रोध को दर्शाया (प्रेरितों के काम 7:24). किंतु, यीशु की तरह नहीं, मूसा ने एक अपराध किया. लेकिन परमेश्वर ने अपने विधान में, उनकी गलती का भी इस्तेमाल किया.

  2. यीशु की तरह (यूहन्ना 1:11), मूसा को परमेश्वर ने भेजा था कि उनके लोगों को छुड़ाए, लेकिन लोगों ने उन्हें पहचाना नहीं. ’ उसने सोचा कि उसके भाई समझेंगे कि परमेश्वर उसके हाथों से उनका उद्धार करेगा, परन्तु उन्होंने न समझा' (प्रेरितों के काम 7:25).

  3. यीशु की तरह (2कुरिंथियो 5:19), मूसा ने मेल-मिलाप का लक्ष्य साधाः मूसा ’ने मेल करने के लिए उन्हें समझाया' (प्रेरितों के काम 7:26).

  4. यीशु की तरह (यूहन्ना 5:22), मूसा को शासक और न्यायी बताया गया है. मूसा से कहा गया, ' तुझे किसने हम पर हाकिम और न्यायी ठहराया है?' (प्रेरितों के काम 7:27).

  5. यीशु की तरह (लूका 3:22), मूसा ने परमेश्वर की आवाज सुनी (प्रेरितों के काम 7:31).

  6. यीशु की तरह (यूहन्ना 1:14; 2:21), मूसा ने पहचाना कि पवित्र स्थान एक निश्चित धार्मिक स्थान नहीं था, लेकिन परमेश्वर की उपस्थिति थी. मूसा के लिए यह जलती हुई झाड़ी थी, क्योंकि परमेश्वर ने कहा, 'जिस स्थान पर तू खड़ा है वह पवित्रस्थान है' (प्रेरितों के काम 7:33).

  7. यीशु की तरह (यूहन्ना 8:36), मूसा ने लोगों को अत्याचार से छुड़ाया (प्रेरितों के काम 7:34).

  8. यीशु की तरह (4:11), मूसा को उसके लोगों ने गलत समझा और नकार दियाः ’मूसा को उन्होंने नकारा था...उन्होंने उसे नकारा' (7:35,39).

  9. यीशु की तरह (2कुरिंथियो 1:10), मूसा अपने लोगों को छुड़ाने में सफल हुए. मूसा उन्हें ’मिस्र में से बाहर ले गए' (प्रेरितों के काम 7:36).

  10. यीशु की तरह (2:36), मूसा को नकारने से परमेश्वर का न्याय आया, लेकिन अंत में विजय मिली (7:42). जैसा कि पिंतेकुस्त के दिन प्रेरित पतरस इसे बताते हैं, ' परमेश्वर ने उसी यीशु को जिसे तुम ने क्रूस पर चढ़ाया, प्रभु भी ठहराया और मसीह भी' (2:36).

प्रार्थना

परमेश्वर आपका धन्यवाद उस अद्भुत तरीके के लिए, जिससे मूसा की तरह अपने भविष्यवक्ताओं के द्वारा, आप इतिहास में अपने उद्देश्य को पूरा करते हैं. आज, मैं अपने जीवन में सभी घटनाओं और परिस्थितियों के ऊपर आपके विधान में भरोसा करता हूँ.
जूना करार

2 शमूएल 16:15-18:18

15 अबशालोम, अहीतोपेल और इस्राएल के सभी लोग यरूशलेम आए। 16 दाऊद का एरेकी मित्र हूशै अबशालोम के पास आया। हूशै ने अबशालोम से कहा, “राजा दीर्घायु हो। राजा दीर्घायु हो!”

17 अबशालोम ने पूछा, “तुम अपने मित्र दाऊद के विश्वासपात्र क्यों नहीं हो? तुमने अपने मित्र के साथ यरूशलेम को क्यों नहीं छोड़ा?”

18 उन्होने कहा, “मैं उस व्यक्ति का हूँ जिसे यहोवा चुनता है। इन लोगों ने और इस्राएल के लोगों ने आपको चुना। मैं आपके साथ रहूँगा। 19 बीते समय में मैंने आपके पिता की सेवा की। इसलिये, अब मैं दाऊद के पुत्र की सेवा करूँगा। मैं आपकी सेवा करुँगा।”

अबशालोम अहीतोपेल से सलाह लेता है

20 अबशालोम ने अहीतोपेल से कहा, “कृपया हमें बतायें कि क्या करना चाहिये।”

21 अहीतोपेल ने अबशालोम से कहा, “तुम्हारे पिता ने अपनी कुछ रखैल को घर की देख—भाल के लिये छोड़ा है। जाओ, और उनके साथ शारीरिक सम्बन्ध करो। तब सभी इस्राएली यह जानेंगे कि तुम्हारे पिता तुमसे घृणा करते हैं और तुम्हारे सभी लोग तुमको अधिक समर्थन देने के लिये उत्साहित होंगे।”

22 तब उन लोगों ने अबशालोम के लिये महल की छत पर एक तम्बू डाला और अबशालोम ने अपने पिता की रखैलों के साथ शारीरिक सम्बन्ध किया। सभी इस्राएलियों ने इसे देखा। 23 उस समय अहीतोपेल की सलाह दाऊद और अबशालोम दोनों के लिये बहुत महत्वपूर्ण थी। यह उतनी ही महत्वपूर्ण थी जितनी मनुष्य के लिये परमेश्वर की बात।

अहीतोपेल दाऊद के बारे में सलाह देता है

17अहीतोपेल ने अबशालोम से यह भी कहा, “मुझे अब बारह हजार सैनिक चुनने दो। तब मैं आज की रात दाऊद का पीछा करूँगा 2 मैं उसे तब पकडूँगा जब वह थका कमजोर होगा। मैं उसे भयभीत करूँगा। और उसके सभी व्यक्ति उसे छोड़ भागेंगे। किन्तु मैं केवल राजा दाऊद को मारूँगा। 3 तब मैं सभी लोगों को तुम्हारे पास वापस लाऊँगा। यदि दाऊद मर गया तो शेष सब लोगों को शान्ति प्राप्त होगी।”

4 यह योजना अबशालोम और इस्राएल के सभी प्रमुखों को पसन्द आई। 5 किन्तु अबशालोम ने कहा, “एरेकी हूशै को अब बुलाओ। मैं उससे भी सुनना चाहता हूँ कि वह क्या कहता है।”

हूशै अहीतोपेल की सलाह नष्ट करता है

6 हूशै अबशालोम के पास आया। अबशालोम ने हूशै से कहा, “अहीतोपेल ने यह योजना बताई है। क्या हम लोग इस पर अमल करें? यदि नहीं तो हमें, अपनी बताओ।”

7 हुशै ने अबशालोम से कहा, “इस समय अहीतोपेल की सलाह ठीक नहीं है।” 8 उसने आगे कहा, “तुम जानते हो कि तुम्हारे पिता और उनके आदमी शक्तिशाली हैं। वे उस रीछनी की तरह खुंखार हैं जिसके बच्चे छीन लिये गये हों। तुम्हारा पिता कुशल योद्धा है। वह सारी रात लोगों के साथ नहीं ठहरेगा। 9 वह पहले ही से संभवत: किसी गुफा या अन्य स्थान पर छिपा है। यदि तुम्हारा पिता तुम्हारे व्यक्तियों पर पहले आक्रमण करता है तो लोग इसकी सूचना पांएगे, और वे सोचेंगे, ‘अबशालोम के समर्थक हार रहे हैं!’ 10 तब वे लोग भी जो सिंह की तरह वीर हैं, भयभीत हो जाएँगे। क्यों? क्योंकि सभी इस्राएली जानते हैं कि तुम्हारा पिता शक्तिशाली योद्धा है और उसके आदमी वीर हैं।

11 “मेरा सुझाव यह है: तुम्हें दान से लेकर बेर्शेबा तक के सभी इस्राएलियों को इकट्ठा करना चाहिये। तब बड़ी संख्या में लोग समुद्र की रेत के कणों समान होंगे। तब तुम्हें स्वयं युद्ध में जाना चाहिये। 12 हम दाऊद को उस स्थान से, जहाँ वह छिपा है, पकड़ लेंगे। हम दाऊद पर उस प्रकार टूट पड़ेंगे जैसे ओस भूमि पर पड़ती है। हम लोग दाऊद और उसके सभी व्यक्तियों को मार डालेंगे। कोई व्यक्ति जीवित नहीं छोड़ा जायेगा। 13 यदि दाऊद किसी नगर में भागता है तो सभी इस्राएली उस नगर में रस्सियाँ लाएंगे और हम लोग उस नगर की दिवारों को घसीट लेगें। उस नगर का एक पत्थर भी नहीं छोड़ा जाएगा।”

14 अबशालोम और इस्राएलियों ने कहा, “एरेकी हूशै की सलाह अहीतोपेल की सलाह से अच्छी है।” उन्होंने ऐसा कहा क्योंकि यह यहोवा की योजना थी। यहोवा नें अहीतोपेल की सलाह की व्यर्थ करने को योजना बनाई थी। इस प्रकार यहोवा अबशालोम को डण्ड दे सकता था।

हूशै दाऊद के पास चेतावनी भेजता है

15 हूशै ने वे बातें याजक सादोक और एब्यातार से कहीं। हूशै ने उस योजना के बारे में उन्हें बताया जिसे अहीतोपेल ने अबशालोम और इस्राएल के प्रमुखों को सुझाया था। हूशै ने सादोक और एब्यातार को वह योजना भी बताई जिसे उसने सुझाया था। हूशै ने कहा, 16 “शीघ्र! दाऊद को सूचना भेजो। उससे कहो कि आज की रात वह उन स्थानों पर न रहे जहाँ से लोग मरूभूमि को पार करते हैं। अपितु यरदन नदी को तुरन्त पार कर ले। यदि वह नदी को पार कर लेता है तो राजा और उसके लोग नहीं पकड़े जायेंगे।”

17 याजकों के पुत्र योनातन और अहीमास, एनरोगेल पर प्रतीक्षा कर रहे थे। वे नगर में जाते हुए दिखाई नहीं पड़ना चाहते थे, अत: एक गुलाम लड़की उनके पास आई। उसने उन्हें सन्देश दिया। तब योनातन और अहीमास गए और उन्होंने यह सन्देश राजा दाऊद को दिया।

18 किन्तु एक लड़के ने योनातन और अहीमास को देखा। लड़का अबशालोम से कहने के लिये दौड़ा। योनातन और अहीमास तेजी से भाग निकले। वे बहारीम में एक व्यक्ति के घर पहुँचे। उस व्यक्ति के आँगन में एक कुँआ था। योनातन और अहीमास इस कुँए में उतर गये। 19 उस व्यक्ति की पत्नी ने उस पर एक चादर डाल दी। तब उसने पूरे कुँए को अन्न से ढक दिया। कुँआ अन्न की ढेर जैसा दिखता था, इसलिये कोई व्यक्ति यह नहीं जान सकता था के योनातन और अहीमास वहाँ छिपे हैं। 20 अबशालोम के सेवक उस घर की स्त्री के पास आए। उन्होंने पूछा, “योनातन और अहीमास कहाँ हैं?”

उस स्त्री ने अबशालोम के सेवकों से कहा, “वे पहले ही नाले को पार कर गए हैं।”

अबशालोम के सेवक तब योनातन और अहीमास की खोज में चले गए। किन्तु वे उनको न पा सके। अत: अबशालोम के सेवक यरूशलेम लौट गए।

21 जब अबशालोम के सेवक चले गए, योनातन और अहीमास कुँए से बाहर आए। वे गए और उन्होंने दाऊद से कहा, “शीघ्रता करें, नदी को पार कर जाएँ। अहीतोपेल ने ये बातें आपके विरुद्ध कही हैं।”

22 तब दाऊद और उसके सभी लोग यरदन नदी के पार चले गए। सूर्य निकलने के पहले दाऊद के सभी लोग यरदन नदी को पार कर चुके थे।

अहीतोपेल आत्महत्या करता है

23 अहीतोपेल ने देखा कि इस्राएली उसकी सलाह नहीं मानते। अहीतोपेल ने अपने गधे पर काठी रखी। वह अपने नगर को घर चला गया। उसने अपने परिवार के लिये योजना बनाई। तब उसने अपने को फाँसी लगा ली। जब अहीतोपेल मर गया, लोगों ने उसे उसकी पिता की कब्र में दफना दिया।

अबशालोम यरदन नदी को पार करता है

24 दाऊद महनैम पहुँचा। अबशालोम और सभी इस्राएली जो उसके साथ थे, यरदन नदी को पार कर गए। 25-26 अबशालोम ने अमासा को सेना का सेनापति बनाया। अमासा ने योआब का स्थान लिया। अमासा इस्राएली योत्रों का पुत्र था। अमासा की माँ, सरूयाह की बहन और नाहाश की पुत्री, अबीगैल थी। (सरूयाह योआब की माँ थी।) अबशालोम और इस्राएलियों ने अपना डेरा गिलाद प्रदेश में डाला।

शोबी, माकीर, बर्जिल्लै

27 दाऊद महनैम पहुँचा। शोबी, माकीर और बर्जिल्लै उस स्थान पर थे। (नाहाश का पुत्र शोबी अम्मोनी नगर रब्बा का था। अम्मीएल का पुत्र माकीर लो दोबर का था, और बर्जिल्लै, रेगलीम, गिलाद का था।) 28-29 उन्होंने कहा, “मरुभूमि में लोग थके, भूखे और प्यासे हैं।” इसलिये वे दाऊद और उसके आदमियों के खाने के लिये बहुत—सी चीजें लाये। वे बिस्तर, कटोरे और मिट्टी के बर्तन ले आए। वे गेंहूँ, जौ आटा, भूने अन्न फलियाँ, तिल, सूखे बीज, शहद, मक्खन, भेड़ें और गाय के दूध का पनीर भी ले आए।

दाऊद युद्ध की तैयारी करता है

18दाऊद ने अपने लोगों को गिना। उसने हजार सैनिकों और सौ सैनिकों का संचालन करने के लिये नायक चुने। 2 दाऊद ने लोगों को तीन टुकड़ियों में बाँटा, और तब दाऊद ने लोगों को आगे भेजा। योआब एक तिहाई सेना का नायक था। अबीशै सरूयाह का पुत्र, योआब का भाई सेना के दूसरे तिहाई भाग का नायक था, और गत का इत्तै अन्तिम तिहाई भाग का नायक था।

राजा दाऊद ने लोगों से कहा, “मैं भी तुम लोगों के साथ चलूँगा।”

3 किन्तु लोगों ने कहा, “नहीं! आपको हमारे साथ नहीं जाना चाहिये। क्यों? क्योंकि यदि हम लोग युद्ध से भागे तो अबशालोम के सैनिक परवाह नहीं करेंगे। यदि हम आधे मार दिये जाएं तो भी अबशालोम के सैनिक परवाह नहीं करेंगे। किन्तु आप हम लोगों के दस हजार के बराबर हैं। आपके लिये अच्छा है कि आप नगर में रहें। तब, यदि हमें मदद की आवश्यकता पड़े तो आप सहायता कर सकें।”

4 राजा ने अपने लोगों से कहा, “मैं वही करूगाँ जिसे आप लोग सर्वोत्तम समझते हैं।”

तब राजा द्वार की बगल में खड़ा रहा। सेना आगे बढ़ गई। वे सौ और हजार की टुकड़ियों में गए।

5 राजा ने योआब, अबीशै और इत्तै को आदेश दिया। उसने कहा, “मेरे लिये यह करो: युवक अबशालोम के प्रति उदार रहना!” सभी लोगों ने अबशालोम के बारे में नायकों के लिये राजा का आदेश सुना।

दाऊद की सेना अबशालोम की सेना को हराती है

6 दाऊद की सेना अबशालोम के इस्राएलियों के विरुद्ध रणभूमि में गई। उन्होंने एप्रैम के वन में युद्ध किया। 7 दाऊद की सेना ने इस्राएलियों को हरा दिया। उस दिन बीस हजार व्यक्ति मारे गए। 8 युद्ध पूरे देश में फैल गया। किन्तु उस दिन तलवार से मरने की अपेक्षा जंगल में व्यक्ति अधिक मरे।

9 ऐसा हुआ कि अबशालोम दाऊद के सेवकों से मिला। अबशालोम बच भागने के लिये अपने खच्चर पर चढ़ा। खच्चर विशाल बांज के वृक्ष की शाखाओं के नीचे गया। शाखायें मोटी थीं और अबशालोम का सिर पेड़ में फँस गया। उसका खच्चर उसके नीचे से भाग निकला अत: अबशालोम भूमि के ऊपर लटका रहा।

10 एक व्यक्ति ने यह होते देखा। उसने योआब से कहा, “मैंने अबशालोम को एक बांज के पेड़ में लटके देखा है।”

11 योआब ने उस व्यक्ति से कहा, “तुमने उसे मार क्यों नहीं डाला, और उसे जमीन पर क्यों नहीं गिर जाने दिया? मैं तुम्हें एक पेटी और चाँदी के दस सिक्के देता।”

12 उस व्यक्ति ने योआब से कहा, “मैं राजा के पुत्र को तब भी चोट पहुँचाने की कोशिश नहीं करता जहाँ तुम मुझे हजार चाँदी के सिक्के देते। क्यों? क्योंकि हम लोगों ने तुमको, अबीशै और इत्तै को दिये गए राजा के आदेश को सुना। राजा ने कहा, ‘सावधान रहो, युवक अबशालोम को चोट न पहुँचे।’ 13 यदि मैंने अबशालोम को मार दिया होता तो राजा स्वयं इसका पता लगा लेता और तुम मुझे सजा देते।”

14 योआब ने कहा, “मैं तुम्हारे साथ समय नष्ट नहीं करूँगा!”

अबशालोम अब भी बांज वृक्ष में लटका हुआ, जीवित था। योआब ने तीन भाले लिये। उसने भालों को अबशालोम पर फेंका। भाले अबशालोम के हृदय को बेधते हुये निकल गये। 15 योआब के साथ दस युवक थे जो उसे युद्ध में सहायता करते थे। वे दस व्यक्ति अबशालोम के चारों ओर आए और उसे मार डाला।

16 योआब ने तुरही बजाई और अबशालोम के इस्राएली लोगों का पीछा करना बन्द करने को कहा। 17 तब योआब के व्यक्तियों ने अबशालोम का शव उठाया और उसे जंगल के एक विशाल गड्हे में फेंक दिया।

उन्होंने विशाल गड्हे को बहुत से पत्थरों से भर दिया।

18 जब अबशालोम जीवित था, उसने राजा की घाटी में एक स्तम्भ खड़ा किया था। अबशालोम ने कहा, था, “मेरा कोई पुत्र मेरे नाम को चलाने वाला नहीं है।” इसलिये उसने स्तम्भ को अपना नाम दिया। वह स्तम्भ आज भी “अबशालोम का स्मृति—चिन्ह” कहा जाता है।

समीक्षा

विधान और सुरक्षा

आप अपने भविष्य, अपने परिवार, अपने चर्च और अपने देश के साथ परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं. संपूर्ण ब्रह्मांड उनके हाथों में है और वह अपने उद्देश्य को पूरा कर रहे हैं.

सभी मानवीय घटनाओं में परमेश्वर कार्य कर रहे हैं, जिनका यहाँ पर वर्णन किया गया है.

उन दिनों जो सम्मति अहीतोपेल देता था, वह ऐसी होती थी कि मानों कोई परमेश्वर का वचन पूछ लेता हो (16:23). यदि हम कोई सलाह देना चाहते हैं, तो हमें ऐसे लोग होना चाहिए जो परमेश्वर से पूछते हैं कि परमेश्वर क्या कर रहे हैं और उनकी इच्छा क्या है.

यदि अबशालोम ने अहीतोपेल की सलाह मानी होती, तो दाऊद के लिए यह संकटजनक होता. इसके बजाय, अबशालोम ने अहीतोपेल की बुद्धिभरी सलाह को नकारना चुना और हूशै की बुरी सलाह को माना.

इस लेखांश में हम देखते हैं कि परमेश्वर इस स्थिति में क्या कर रहे हैं. परमेश्वर की विधानकारी रक्षा और सुरक्षा दाऊद के चारो ओर थीः ’क्योंकि यहोवा ने तो अहीतोपेल की अच्छी सम्मति को निष्फल करने की ठान ली थी' (17:14). दाऊद की प्रार्थना की आत्मा के लिए यह एक उत्तर था.

यहाँ पर हम देखते हैं कि परमेश्वर छिपा हुआ हाथ और इतिहास के शासक हैं. नाटक में शामिल दाऊद और दूसरे सभी लोगों के पास अनगिनत सामर्थ और कार्य करने के लिए स्वतंत्रता थी. लेकिन वे कार्य करने के लिए स्वतंत्र नहीं थे क्योंकि परमेश्वर वहाँ पर नहीं थे.

प्रार्थना

परमेश्वर आपका धन्यवाद क्योंकि आप मानवीय इतिहास को नियंत्रण में रखते हैं. इस ब्रह्मांड पर आप राज्य और शासन करते हैं. आपका धन्यवाद क्योंकि सारी वस्तुओं में आप उनके लिए भलाई को ही उत्पन्न करते हैं जो आपसे प्रेम करते हैं और जो आपकी इच्छा के अनुसार बुलाए गए हैं (रोमियो 8:28).

पिप्पा भी कहते है

2 शमुएल 16:15-18:18

अबशालोम की क्या परेशानी थी? उसके पास सबकुछ था. वह सुंदर, धनवान और शक्तिशाली थे. कैसे वह एक ऐसी स्थिति में पड़ गए कि अपने पिता को मार डालना चाहते थे? वह क्रोधित थे कि दाऊद अम्नोन की स्थिति को संभाल रहे थे. वह घमंडी, द्वेषपूर्ण और ईर्ष्यालु थे. अबशालोम के कार्य के कारण 20000 मनुष्य मर गए (18:7). एक व्यक्ति का क्रोध बहुत खतरा उत्पन्न कर सकता है. हमारा व्यवहार हमारे आस-पास के लोगों के जीवनों को प्रभावित करता है. हम नफरत या प्रेम को बो सकते हैं.

दिन का वचन

Acts 7:33–34

घुटने पर आओ, और प्रत्न करो, अपने आप को तयार करो, में आपको भेज रहा हु

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संदर्भ

रवि जकारिया की कहानीः http://www.rzim.org/a-slice-of-infinity/from-disparate-threads/

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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