आप बदल सकते हैं
परिचय
एक महिला थी जो हमारे चर्च के नजदीक सड़क पर रहती थी. वह पैसे माँगती थी और जो नहीं देते थे उनके प्रति उग्र रूप से बर्ताव करती थी. जब वह मरीं, तब मैने दफनाने की विधी की. मुझे बाद में पता चला कि इस महिला के पास एक बड़ी जायदाद है. उसके पास एक शानदार फ्लैट था और बहुत सी कीमती तस्वीरें थी, लेकिन उसने कूड़े-करकट से भरे प्लास्टिक की थैलियों के साथ सड़क पर रहना चुना था. वह अपना पिछला जीवन नहीं छोड़ पायी और उसने कभी भी अपने उत्तराधिकार का आनंद नहीं लिया.
कुछ लोग बदलने से डरते हैं, जबकि दूसरे विश्वास करते हैं कि बदलाव संभव नहीं है. फिर भी अद्भुत समाचार यह है कि परमेश्वर की सहायता से आप बदल सकते हैं. यह बदलाव आत्मिक वृद्धि और परिवर्तन की पूँजी है. यह आपके कामों या पहनावें को बदलने के विषय में नही है; आपको अंदर से बदलने की आवश्यकता है – आपको अपने हृदय को बदलने की आवश्यकता है. यह कैसे हो सकता है?
भजन संहिता 73:1-14
आसाप का स्तुति गीत।
73सचमुच, इस्राएल के प्रति परमेश्वर भला है।
परमेश्वर उन लोगों के लिए भला होता है जिनके हृदय स्वच्छ है।
2 मैं तो लगभग फिसल गया था
और पाप करने लगा।
3 जब मैंने देखा कि पापी सफल हो रहे हैं
और शांति से रह रहे हैं, तो उन अभिमानी लोगों से मुझको जलन हुयी।
4 वे लोग स्वस्थ हैं
उन्हें जीवन के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ता है।
5 वे अभिमानी लोग पीड़ायें नहीं उठाते है।
जैसे हम लोग दु;ख झेलते हैं, वैसे उनको औरों की तरह यातनाएँ नहीं होती।
6 इसलिए वे अहंकार से भरे रहते हैं।
और वे घृणा से भरे हुए रहते हैं। ये वैसा ही साफ दिखता है, जैसे रत्न और वे सुन्दर वस्त्र जिनको वे पहने हैं।
7 वे लोग ऐसे है कि यदि कोई वस्तु देखते हैं और उनको पसन्द आ जाती है, तो उसे बढ़कर झपट लेते हैं।
वे वैसे ही करते हैं, जैसे उन्हें भाता है।
8 वे दूसरों के बारें में क्रूर बातें और बुरी बुरी बातें कहते है। वे अहंकारी और हठी है।
वे दूसरे लोगों से लाभ उठाने का रास्ता बनाते है।
9 अभिमानी मनुष्य सोचते हैं वे देवता हैं!
वे अपने आप को धरती का शासक समझते हैं।
10 यहाँ तक कि परमेश्वर के जन, उन दुष्टों की ओर मुड़ते और जैसा वे कहते है,
वैसा विश्वास कर लेते हैं।
11 वे दुष्ट जन कहते हैं, “हमारे उन कर्मो को परमेश्वर नहीं जानता!
जिनकों हम कर रहे हैं!”
12 वे मनुष्य अभिमान और कुटिल हैं,
किन्तु वे निरन्तर धनी और अधिक धनी होते जा रहे हैं।
13 सो मैं अपना मन पवित्र क्यों बनाता रहूँ?
अपने हाथों को सदा निर्मल क्यों करता रहूँ?
14 हे परमेश्वर, मैं सारे ही दिन दु:ख भोगा करता हूँ।
तू हर सुबह मुझको दण्ड देता है।
समीक्षा
परमेश्वर के दृष्टिकोण को लीजिए
क्या आपने कभी आश्चर्य किया है कि क्या आपका विश्वास सच में योग्य था? क्या आपने कभी आस-पास के ऐसे सफल लोगों को देखा है जिनके पास विश्वास नहीं है और आश्चर्य किया कि क्या वे आपसे बेहतर हैं और आपको उनसे ईर्ष्या करने का भी प्रलोभन आया?
भजनसंहिता के लेखक ने अपने हृदय को शुद्ध रखा (व.1), लेकिन उन्हें जीवन बहुत कठिन मिला. वह संघर्ष कर रहे थे और प्रलोभन, संदेह, डर और दिमाग की चिंता के द्वारा 'पीड़ित' थे (व.5).
वह आस-पास के एक खुशहाल समाज को देखते हैं, जो कि परमेश्वर के बिना बहुत अच्छा करते हुए दिखाई देता है. वह 'लगभग फिसल ही गए थे' (व.2): 'क्योंकि जब मैं दुष्टों का कुशल देखता था, तब उन घमंडियों के विषय में डाह करता था' (व.3).
हो सकता है कि आप आस-पास के लोगों को देखें जो अमीर और सफल हैं. उनके 'बेदर्द हृदय' के बावजूद (व.7), लगता है कि वे संघर्ष नहीं कर रहे हैं (व.4). वे पूरी तरह से स्वस्थ और बोझरहित लगते हैं (वव.4-5). वे घमंडी और अक्खड़ हैं, और लगता है कि उन्हें परमेश्वर की आवश्यकता नहीं है (वव.6-11).
यदि आप अपने आपको संदेह और निराशा के फिसलने वाले रास्ते में पाते हैं (व.2), आश्चर्य करते हुए कि क्या आपने व्यर्थ में अपने हृदय को शुद्ध रखा है (व.13), तो यह भजन आपको बताता है कि क्या करना है.
जैसा कि हम देखेंगे, सबकुछ बदल जाता है जब हम 'परमेश्वर के पवित्र स्थान में' प्रवेश करते हैं (व.17) और परमेश्वर के दृष्टिकोण से चीजों को देखते हैं. भजनसंहिता के लेखक का हृदय पूरी तरह से बदल गया था. उन्होंने 'उनकी अंतिम मंजिल को समझ लिया था.' उन्होंने उनके और अपने विधान के बीच में अंतर को समझ लिया था (व.17).
भजन की शुरुवात होती है, 'सचमुच इस्राएल के लिये अर्थात् शुद्ध मनवालों के लिये परमेश्वर भला है' (व.1). और इसका अंत होता है, 'परंतु परमेश्वर के समीप रहना, यही मेरे लिये भला है; मैंने प्रभु यहोवा को अपना शरणस्थान माना है, जिससे मैं तेरे सब कामों का वर्णन करुं' (व.28).
प्रार्थना
प्रेरितों के काम 7:44-8:3
44 “साक्षी का तम्बू भी उस वीराने में हमारे पूर्वजों के साथ था। यह तम्बू उसी नमूने पर बनाया गया था जैसा कि उसने देखा था और जैसा कि मूसा से बात करने वाले ने बनाने को उससे कहा था। 45 हमारे पूर्वज उसे प्राप्त करके तभी वहाँ से आये थे जब यहोशू के नेतृत्त्व में उन्होंने उन जातियों से यह धरती ले ली थी जिन्हें हमारे पूर्वजों के सम्मुख परमेश्वर ने निकाल बाहर किया था। दाऊद के समय तक वह वहीं रहा। 46 दाऊद ने परमेश्वर के अनुग्रह का आनन्द उठाया। उसने चाहा कि वह याकूब के लोगों के लिए एक मन्दिर बनवा सके 47 किन्तु वह सुलैमान ही था जिसने उसके लिए मन्दिर बनवाया।
48 “कुछ भी हो परम परमेश्वर तो हाथों से बनाये भवनों में नहीं रहता। जैसा कि नबी ने कहा है:
49 ‘प्रभु ने कहा,
स्वर्ग मेरा सिंहासन है,
और धरती चरण की चौकी बनी है।
किस तरह का मेरा घर तुम बनाओगे?
कहीं कोई जगह ऐसी है, जहाँ विश्राम पाऊँ?
50 क्या यह सभी कुछ, मेरे करों की रचना नहीं रही?’”
51 हे बिना ख़तने के मन और कान वाले हठीले लोगो! तुमने सदा ही पवित्र आत्मा का विरोध किया है। तुम अपने पूर्वजों के जैसे ही हो। 52 क्या कोई भी ऐसा नबी था, जिसे तुम्हारे पूर्वजों ने नहीं सताया? उन्होंने तो उन्हें भी मार डाला जिन्होंने बहुत पहले से ही उस धर्मी के आने की घोषणा कर दी थी, जिसे अब तुमने धोखा देकर पकड़वा दिया और मरवा डाला। 53 तुम वही हो जिन्होंने स्वर्गदूतों द्वारा दिये गये व्यवस्था के विधान को पा तो लिया किन्तु उस पर चले नहीं।”
स्तिफनुस की हत्या
54 जब उन्होंने यह सुना तो वे क्रोध से आगबबूला हो उठे और उस पर दाँत पीसने लगे। 55 किन्तु पवित्र आत्मा से भावित स्तिफनुस स्वर्ग की ओर देखता रहा। उसने देखा परमेश्वर की महिमा को और परमेश्वर के दाहिने खड़े यीशु को। 56 सो उसने कहा, “देखो। मैं देख रहा हूँ कि स्वर्ग खुला हुआ है और मनुष्य का पुत्र परमेश्वर के दाहिने खड़ा है।”
57 इस पर उन्होंने चिल्लाते हुए अपने कान बन्द कर लिये और फिर वे सभी उस पर एक साथ झपट पड़े। 58 वे उसे घसीटते हुए नगर से बाहर ले गये और उस परपथराव करने लगे। तभी गवाहों ने अपने वस्त्र उतार कर शाउल नाम के एक युवक के चरणों में रख दिये। 59 स्तिफ़नुस पर जब से उन्होंने पत्थर बरसाना प्रारम्भ किया, वह यह कहते हुए प्रार्थना करता रहा, “हे प्रभु यीशु, मेरी आत्मा को स्वीकार कर।” 60 फिर वह घुटनों के बल गिर पड़ा और ऊँचे स्वर में चिल्लाया, “प्रभु, इस पाप कोउनके विरुद्ध मत ले।” इतना कह कर वह चिर निद्रा में सो गया।
8इस तरह शाऊल ने स्तिफनुस की हत्या का समर्थन किया।
विश्वासियों पर अत्याचार
उसी दिन से यरूशलेम की कलीसिया पर घोर अत्याचार होने आरम्भ हो गये। प्रेरितों को छोड़ वे सभी लोग यहूदिया और सामरिया के गाँवों में तितर-बितर हो कर फैल गये। कुछ भक्त जनों ने स्तिफनुस को दफना दिया और उसके लिये गहरा शोक मनाया। शाऊल ने कलीसिया को नष्ट करना आरम्भ कर दिया। वह घर-घर जा कर औरत और पुरूषों को घसीटते हुए जेल में डालने लगा।
समीक्षा
अपने हृदय का 'खतना करें'
क्या आप कभी ऐसे व्यक्ति को देखते हैं जो मसीह विश्वास के बहुत विरोध में हैं और आश्चर्य करते हैं कि क्या वे कभी बदलेंगे? आज के लेखांश में, हम देखते हैं कि सबसे कठोर विरोधी का हृदय भी बदल सकता है.
एक यहूदी होने का अर्थ था भौतिक रूप से खतना करना. हर पुलिंग बच्चे को अपने जन्म के आठवें दिन पर खतना करना पड़ता था. लेकिन भौतिक खतना, हृदय के खतना का प्रतीक था.
जैसे ही स्तिफनुस अपने भाषण को समाप्त करते हैं, महान साहस और निर्भीकता के साथ, वह अपने पर दोष लगाने वालों से कहते हैं, ' हे हठीले मन और कान के खतनारहित लोगो, तुम सदा पवित्र आत्मा का विरोध करते हो. जैसा तुम्हारे बापदादा करते थे, वैसे ही तुम भी करते हो' (7:51). तब वह उन पर यीशु(सत्यनिष्ठ, व.52) की हत्या करने का दोष लगाते हैं.
स्तिफनुस के भाषण में एक मुख्य विषय दिखाई देता हैः परमेश्वर एक जगह में सीमित नहीं हैं: ' परन्तु परम प्रधान हाथ के बनाए हुए घरों में नहीं रहते' (व.48).
ना तो तंबू (वव.44-45), ना तो मंदिर (वव.46-47) को परमेश्वर के घर के रूप में देखा जा सकता है (व.48). क्योंकि जैसा कि परमेश्वर यशायाह के द्वारा कहते हैं, 'स्वर्ग मेरा सिंहासन है, और पृथ्वी मेरा पदासन है' (व.49). यीशु तंबू और मंदिर को हटाने के लिए आए. यीशु से पहले, लोग परमेश्वर से मिलने के लिए मंदिर में आते थे. यीशु के आने पर, परमेश्वर के साथ मिलने का स्थान स्वयं यीशु होंगे.
अब, पवित्र आत्मा के द्वारा, परमेश्वर उनके लोगों के साथ उपस्थित हैं (मत्ती 18:20). यह विशेषरूप से समुदाय में, चर्च में परमेश्वर अपनी आत्मा के द्वारा रहते हैं (इफीसियो 2:22). अपनी आत्मा के द्वारा, वह हममें से हर एक के साथ रहते हैं. हमारा शरीर पवित्र आत्मा का मंदिर है (1कुरिंथियो 6:19). अब परमेश्वर स्तिफनुस में रहते हैं, जो कि 'पवित्र आत्मा से भरा हुआ है' (प्रेरितों के काम 7:55).
स्तिफनुस उसी मंदिर के याजक से बात कर रहे हैं जिसका स्थान अब पवित्र आत्मा के द्वारा यीशु ने ले लिया है. इसलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि ' ये बातें सुनकर वे गुस्सा हो गए और उस पर दाँत पीसने लगे' (व.54). वे घसीटकर उसे शहर से बाहर ले गए और उन पर पथराव किया (व.58).
एक 'खतनारहित हृदय' वाले लोगों में से एक है एक जवान व्यक्ति जिसका नाम है शाऊल. ' गवाहों ने अपने कपड़े शाऊल नामक एक जवान के पाँवों के पास उतार कर रख दिए' (व.58, एम.एस.जी.). वह 'ठीक वहाँ पर, हत्या करने वालों को बधाई दे रहा था' (8:1, एम.एस.जी.). इस जवान मनुष्य, शाऊल ने 'चर्च को नष्ट करना शुरु किया. वह घर – घर घुसकर पुरुषों और स्त्रियों को घसीट घसीटकर बन्दीगृह में डालता था' (व.3).
इस जवान मनुष्य के हृदय के बदलाव की तुलना में मानव इतिहास में ऐसे एक व्यक्ति को खोजना कठिन बात होगी. मसीहों के एक हत्यारे से, वह एक महान प्रेरित बन गए जो विश्व भर में प्रचार कर हरे थे कि यीशु परमेश्वर के पुत्र हैं (9:20). कल्पना कीजिए कि दायेश का एक पुराना सदस्य पोप बन गया अब तो आप समझ सकते हैं कि पौलुस प्रेरित के साथ क्या हुआ होगा!
हृदय का यह बदलाव कब शुरु होता है? शायद से एक बीज बो दिया गया था जब उन्होंने स्तिफनुस की मृत्यु को देखाः 'परन्तु उसने पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होकर स्वर्ग की ओर देखा और परमेश्वर की महिमा की और यीशु को परमेश्वर के दाहिनी ओर खड़ा हुआ देखकर कहा, 'देखो, मैं स्वर्ग को खुला हुआ, और मनुष्य के पुत्र को परमेश्वर के दाहिनी ओर देखता हूँ.' (7:55-56).
फिर, वे स्तिफनुस पर पथराव करते रहे, और वह यह कहकर प्रार्थना करता रहा, 'हे प्रभु यीशु, मेरी आत्मा को ग्रहण कर.' फिर घुटने टेककर उँचे शब्द से पुकारा, 'हे प्रभु, यह पाप उन पर मत लगा.' और यह कहकर वह सो गया' (वव.59-60).
बाद में, यही शाऊल, जो पौलुस के नाम से भी जाने जाते हैं, लिखते हैं, ' पर यहूदी वही है जो मन में है; और खतना वही है जो हृदय का और आत्मा में है' (रोमियो2:29).
खतना करने का अर्थ है काटकर निकालना. हर सच्चा मसीह पवित्र आत्मा के द्वारा खतना किया गया है. जब आपके हृदय का खतना होता है, तब आप हर उस गलत बर्ताव को काटकर निकालने का प्रयास करते हैं जो आपके हृदय और दिमाग में आता है. हर उस वस्तु को 'ना' कहे जो परमेश्वर के सामने आपके हृदय को सही रहने से रोकेगी. स्तिफनुस की तरह, पवित्र आत्मा से भर जाएँ, प्रेम, साहस और क्षमा से उमड़ते हुए.
प्रार्थना
2 शमूएल 18:19-19:43
योआब दाऊद को सूचना देता है
19 सादोक के पुत्र अहीमास ने योआब से कहा, “मुझे अब दौड़ जाने दो और राजा दाऊद को सूचना पहुँचाने दो। मैं उससे कहूँगा कि यहोवा ने उन्हें उनके शत्रुओं के हाथ से मुक्त कर दिया है।”
20 योआब ने अहीमास को उत्तर दिया, “नहीं, आज तुम दाऊद को सूचना नहीं दोगे। तुम सूचना किसी अन्य समय पहुँचा सकते हो, किन्तु आज नहीं, क्यों? क्योंकि राजा का पुत्र मर गया है।”
21 तब योआब ने एक कुशी व्यक्ति से कहा, “जाओ राजा से वह सब कहो जो तुमने देखा है।” कुशी ने योआब को प्रणाम किया।
तब कुशी दाऊद को सूचना देने दौड़ पड़ा।
22 किन्तु सादोक के पुत्र अहीमास ने योआब से फिर प्रार्थना की, “जो कुछ भी हो, उसकी चिन्ता नहीं, कृपया मुझे भी कुशी के पीछे दौड़ जाने दें।”
योआब ने कहा, “बेटे! तुम सूचना क्यों ले जाना चाहते हो? तुम जो सूचना ले जाओगे उसका कोई पुरस्कार नहीं मिलेगा।”
23 अहीमास ने उत्तर दिया, “चाहे जो हो, चिन्ता नहीं, मैं दौड़ जाऊँगा।”
योआब ने अहीमास से कहा, “दौड़ो।”
तब अहीमास यरदन की घाटी से होकर दौड़ा। वह कुशी को पीछे छोड़ गया।
दाऊद सूचना पाता है
24 दाऊद दोनों दरवाजों के बीच बैठा था। पहरेदार द्वार की दीवारों के ऊपर छत पर गया। पहरेदार ने ध्यान से देखा और एक व्यक्ति को अकेले दौड़ते देखा। 25 पहरेदार ने दाऊद से कहने के लिये जोर से पुकारा।
राजा दाऊद ने कहा, “यदि व्यक्ति अकेला है तो वह सूचना ला रहा है।”
व्यक्ति नगर के निकट से निकट आता जा रहा था। 26 पहरेदार ने दूसरे व्यक्ति को दौड़ते देखा। पहरेदार ने द्वाररक्षक को बुलाया, “देखो! दूसरा व्यक्ति अकेले दौड़ रहा है।”
राजा ने कहा, “वह भी सूचना ला रहा है।”
27 पहरेदार ने कहा, “मुझे लगता है कि पहला व्यक्ति सादोक का पुत्र अहीमास की तरह दौड़ रहा है।”
राजा ने कहा, “अहीमास अच्छा आदमी है। वह अच्छी सूचना ला रहा होगा।”
28 अहीमास ने राजा को पुकार कर कहा। “सब कुछ बहुत अच्छा है!” अहीमास राजा के सामने प्रणाम करने झुका। उसका माथा भूमि के समीप था। अहीमास ने कहा, “अपने यहोवा परमेश्वर की स्तुति करो! मेरे स्वामी राजा, यहोवा ने उन व्यक्तियों को हरा दिया है जो आपके विरुद्ध थे।”
29 राजा ने पूछा, “क्या युवक अबशालोम कुशल से है?”
अहीमास ने उत्तर दिया, “जब योआब ने मुझे भेजा तब मैंने कुछ बड़ी उत्तेजना देखी। किन्तु मैं यह नहीं समझ सका कि वह क्या था?”
30 तब राजा ने कहा, “यहाँ खड़े रहो, और प्रतीक्षा करो।” अहीमास हटकर खड़ा हो गया और प्रतीक्षा करने लगा।
31 कुशी आया। उसने कहा, “मेरे स्वामी राजा के लिये सूचना। आज यहोवा ने उन लोगों को सजा दी है जो आपके विरुद्ध थे!”
32 राजा ने कुशी से पूछा, “क्या युवक अबशालोम कुशल से है?”
कुशी ने उत्तर दिया, “मुझे आशा है कि आपके शत्रु और सभी लोग जो आपके विरुद्ध चोट करने आयेंगे, वे इस युवक (अबशालोम) की तरह सजा पायेंगे।”
33 तब राजा ने समझ लिया कि अबशालोम मर गया है। राजा बहुत परेशान हो गया। वह नगर द्वार के ऊपर के कमरे में चला गया। वह वहाँ रोया। वह अपने कमरे में गया, और अपने रास्ते पर चलते उसने कहा, “ऐ मेरे पुत्र अबशालोम! मैं चाहता हूँ कि मैं तुम्हारे लिये मर गया होता। ऐ अबशालोम, मेरे पुत्र, मेरे पुत्र!”
योआब दाऊद को फटकारता है
19लोगों ने योआब को सूचना दी। उन्होंने योआब से कहा, “देखो, राजा अबशालोम के लिये रो रहा है और बहुत दुःखी है।” 2 दाऊद की सेना ने उस दिन विजय पाई थी। किन्तु वह दिन सभी लोगों के लिये बहुत शोक का दिन हो गया। यह शोक का दिन था, क्योंकि लोगों ने सुना, “राजा अपने पुत्र के लिये बहुत दुःखी है।”
3 लोग नगर में चुपचाप आए। वे उन लोगों की तरह थे जो युद्ध में पराजित हो गए और भाग आएं हों। 4 राजा ने अपना मुँह ढक लिया था। वह फूट—फूट कर रो रहा था, “मेरे पुत्र अबशालोम, ऐ अबशलोम। मेरे पुत्र, मेरे बेटे!”
5 योआब राजा के महल में आया। योआब ने राजा से कहा, “आज तुम अपने सभी सेवकों के मुँह को भी लज्जा से ढके हो! आज तुम्हारे सेवकों ने तुम्हारा जीवन बचाया। उन्होंने तुम्हारे पुत्रों, पुत्रियों, पत्नियों, और दासियों के जीवन को बचाया। 6 तुम्हारे सेवक इसलिये लज्जित हैं कि तुम उनसे प्रेम करते हो जो तुमसे घृणा करते हैं और तुम उनसे घृणा करते हो जो तुमसे प्रेम करते हैं। आज तुमने यह स्पष्ट कर दिया है कि तुम्हारे अधिकारी और तुम्हारे लोग तुम्हारे लिये कुछ नहीं हैं। आज में समझता हूँ कि यदि अबशालोम जीवित रहता और हम सभी मार दिये गए होते तो तुम्हें बड़ी प्रसन्नता होती। 7 अब खड़े होओ तथा अपने सेवकों से बात करो और उनको प्रोत्साहित करो। मैं यहोवा की शपथ खाकर कहता हूँ कि यदि तुम यह करने बाहर नहीं निकलते तो आज की रात तुम्हारे साथ कोई व्यक्ति नहीं रह जायेगा। बचपन से आज तक तुम पर जितनी विपत्तियाँ आई हैं, उन सबसे यह विपत्ति और बदतर होगी।”
8 तब राजा नगर द्वार पर गया। सूचना फैली कि राज नगर द्वार पर है। इसलिये सभी लोग राजा को देखने आये। सभी अबशालोम के समर्थक इस्राएली अपने घरो को भाग गए थे।
दाऊद फिर राजा बनता है
9 इस्राएली के सभी परिवार समूहों के लोग आपस में तर्क—विर्तक करने लगे। उन्होंने कहा, “राजा दाऊद ने हमें पलिश्तियों और हमारे अन्य शत्रुओं से बचाया। दाऊद अबशालोम के सामने भाग खड़ा हुआ। 10 हम लोगों ने अबशालोम को अपने ऊपर शासन करने के लिये चुना था। किन्तु अब वह युद्ध में मर चुका है। हम लोगों को दाऊद को फिर राजा बनाना चाहिये।”
11 राजा दाऊद ने याजक सादोक और एब्यातार को सन्देश भेजा। दाऊद ने कहा, “यहूदा के प्रमुखों से बात करो। कहो, ‘तुम लोग अन्तिम परिवार समूह क्यों हो जो राजा दाऊद को अपने राजमहल में वापस लाना चाहते हो? देखो, सभी इस्राएली राजा को महल में लाने के बारे में बातें कर रहे हैं। 12 तुम मेरे भाई हो, तुम मेरे परिवार हो। फिर भी तुम्हारा परिवार समूह राजा को वापस लाने में अन्तिम क्यों रहा?’ 13 और अमासा से कहो, ‘तुम मेरे परिवार के अंग हो। परमेश्वर मुझे दण्ड दे यदि मैं तुमको योआब के स्थान पर सेना का नायक बनाऊँ।’”
14 दाऊद ने यहूदा के लोगों के दिल को प्रभावित किया, अत: वे एक व्यक्ति की तरह एकमत हो गए। यहूदा के लोगों ने राजा को सन्देश भेजा। उन्होंने कहा, “अपने सभी सेवकों के साथ वापस आओ!”
15 तब राजा दाऊद यरदन नदी तक आया। यहूदा के लोग राजा से मिलने गिलगाल आए। वे इसलिये आए कि वे राजा को यरदन नदी के पार ले जाएं।
शिमी दाऊद से क्षमा याचना करता है
16 गेरा का पुत्र शिमी बिन्यामीन परिवार समूह का था। वह बहूरीम में रहता था। शिमी ने राजा दाऊद से मिलने की शीघ्रता की। शिमी यहूदा के लोगों के साथ आया। 17 शिमी के साथ बिन्यामीन परिवार के एक हजार लोग भी आए। शाऊल के परिवार का सेवक सीबा भी आया। सीबा अपने साथ अपने पन्द्रह पुत्रों और बीस सेवकों को लाया। ये सभी लोग राजा दाऊद से मिलने के लिये यरदन नदी पर शीघ्रता से पहुँचे।
18 लोग यरदन नदी पार करके राजा के परिवार को यहूदा में वापस लाने के लिये गये। राजा ने जो चाहा, लोगों ने किया। जब राजा नदी पार कर रहा था, गेरा का पुत्र शिमी उससे मिलने आया। शिमी राजा के सामने भूमि तक प्रणाम करने झुका। 19 शिमी ने राजा से कहा, “मेरे स्वामी, जो मैंने अपराध किये उन पर ध्यान न दे। मेरे स्वामी राजा, उन बुरे कामों को याद न करे जिन्हें मैंने तब किये जब आपने यरूशलेम को छोड़ा। 20 मैं जानता हूँ कि मैंने पाप किये हैं। मेरे स्वामी राजा, यही कारण है कि मैं यूसुफ के परिवार का पहला व्यक्ति हूँ जो आज आपसे मिलने आया हूँ।”
21 किन्तु सरूयाह के पुत्र अबीशै ने कहा, “हमें शिमी को अवश्य मार डालना चाहिये क्योंकि इसने यहोवा के चुने राजा के विरुद्ध बुरा होने की याचना की।”
22 दाऊद ने कहा, “सरूयाह के पुत्रो, मैं तुम्हारे साथ क्या करूँ? आज तुम मेरे विरुद्ध हो। कोई व्यक्ति इस्राएल में मारा नहीं जाएगा। आज मैं जानता हूँ कि मैं इस्राएल का राजा हूँ।”
23 तब राजा ने शिमी से कहा, “तुम मरोगे नहीं।” राजा ने शिमी को वचन दिया कि वह शिमी को स्वयं नहीं मारेगा।
मपीबोशेत दाऊद से मिलने जाता है
24 शाऊल का पौत्र मपीबोशेत राजा दाऊद से मिलने आया। मपीबोशेत ने उस सारे समय तक अपने पैरों की चिन्ता नहीं की, अपनी मूँछों को कतरा नहीं या अपने वस्त्र नहीं धोए जब तक राजा यरूशलेम छोड़ने के बाद पुन: शान्ति के साथ वापिस नहीं आ गया। 25 मपीबोशेत यरूशलेम से राजा के पास मिलने आया। राजा ने मपीबोशेत से पूछा, “तुम मेरे साथ उस समय क्यों नहीं गए जब मैं यरूशलेम से भाग गया था?”
26 मपीबोशेत ने उत्तर दिया, “हे राजा, मेरे स्वामी! मेरे सेवक (सीबा) ने मुझे मूर्ख बनाया। मैंने सीबा से कहा, ‘मैं विकलांग हूँ। अत: गधे पर काठी लगाओ। तब मैं गधे पर बैठूंगा, और राजा के साथ जाऊँगा। किन्तु मेरे सेवक ने मुझे धोखा दिया।’ 27 उसने मेरे बारे में आपसे बुरी बातें कहीं। किन्तु मेरे स्वामी, राजा परमेश्वर के यहाँ देवदूत के समान हैं। आप वही करें जो आप उचित समझते हैं। 28 आपने मेरे पितामह के सारे परिवार को मार दिया होता। किन्तु आपने यह नहीं किया। आपने मुझे उन लोगों के साथ रखा जो आपकी मेज पर खाते हैं। इसलिये मैं राजा से किसी बात के लिये शिकायत करने का अधिकार नहीं रखता।”
29 राजा ने मपीबोशेत से कहा, “अपनी समस्याओं के बारे में अधिक कुछ न कहो। मैं यह निर्णय करता हूँ! तुम और सीबा भूमि का बंटवार कर सकते हो।”
30 मपीबोशेत ने राजा से कहा, “सीबा को सारी भूमि ले लेने दें! क्यों? क्योंकि मेरे स्वामी राजा अपने महल में शान्तिपूर्वक लौट आये हैं।”
दाऊद बर्जिल्लै से अपने साथ यरूशलेम चलने को कहता है
31 गिलाद का बर्जिल्लै रोगलीम से आया। वह राजा दाऊद के साथ यरदन नदी तक आया। वह राजा के साथ, यरदन नदी को उसे पार कराने के लिये गया। 32 बर्जिल्लै बहुत बूढ़ा आदमी था। वह अस्सी वर्ष का था। जब दाऊद महनैम में ठहरा था तब उसने उसको भोजन तथा अन्य चीजें दी थीं। बर्जिल्लै यह सब कर सकता था क्योंकि वह बहुत धनी व्यक्ति था। 33 दाऊद ने बर्जिल्लै से कहा, “नदी के पार मेरे साथ चलो। यदि तुम मेरे साथ यरूशलेम में रहोगे तो वहाँ मैं तुम्हारी देखभाल करूँगा।”
34 किन्तु बर्जिल्लै ने राजा से कहा, “क्या आप जानते हैं कि मैं कितना बूढ़ा हूँ? क्या आप समझते हैं कि मैं आपके साथ यरूशलेम को जा सकता हूँ? 35 मैं अस्सी वर्ष का हूँ। मैं इतना अधिक बूढ़ा हूँ कि मैं यह नहीं बता सकता कि अच्छा क्या है और बुरा क्या है। मैं इतना अधिक बूढ़ा हूँ कि मैं जो खाता पीता हूँ उसका स्वाद नहीं ले सकता। मैं इतना बूढ़ा हूँ कि आदमियों और स्त्रियों के गाने की आवाज भी नहीं सुन सकता। आप मेरे साथ परेशान होना क्यों चाहते हैं? 36 मैं आपकी ओर से पुरस्कार नहीं चाहता। मैं आपके साथ नजदीक के रास्ते से यरदन नदी को पार करुँगा। 37 किन्तु, कृपया मुझे वापस लौट जाने दें। तब मैं अपने नगर में मरुँगा और अपने माता—पिता की कब्र में दफनाया जाऊँगा किन्तु यह किम्हाम आपका सेवक हो सकता है। मेरे प्रभु राजा उसे अपने साथ लौटने दें। जो आप चाहें, उसके साथ करें।”
38 राजा ने उत्तर दिया, “किम्हाम मेरे साथ लौटेगा। मैं तुम्हारे कारण उस पर दयालु रहूँगा। मैं तुम्हारे लिये कुछ भी कर सकता हूँ।”
दाऊद घर लौटता है
39 राजा ने बर्जिल्लै का चुम्बन किया और उसे आशीर्वाद दिया। बर्जिल्लै घर लौट गया। और राजा तथा सभी लोग नदी के पार वापस गये।
40 राजा यरदन नदी को पार करके गिलगाल गया। किम्हाम उसके साथ गया, यहूदा के सभी लोगों तथा आधे इस्राएल के लोगों ने दाऊद को नदी के पार पहुँचाया।
इस्राएली यहूदा के लोगों से तर्क वितर्क करते हैं
41 सभी इस्राएली राजा के पास आए। उन्होंने राजा से कहा, “हमारे भाई यहूदा के लोग, आपको चुरा ले गये और आपको और आपके परिवार को, आपके लोगों के सात यरदन नदी के पार ले आए। क्यों?”
42 यहूदा के सभी लोगों ने इस्रालियों को उत्तर दिया, “क्योंकि राजा हमारा समीपी सम्बन्धी है। इस बात के लिये आप लोग हमसे क्रोधित क्यों हैं? हम लोगों ने राजा की कीमत पर भोजन नहीं किया है। राजा ने हम लोगों को कोई भेंट नहीं दी।”
43 इस्राएलियों ने उत्तर दिया, “हम लोग दाऊद के राज्य के दस भाग हैं। इसलिये हम लोगों का अधिकार दाऊद पर तुमसे अधिक है। किन्तु तुम लोगों ने हमारी उपेक्षा की। क्यों? वे हम लोग थे जिन्होंने सर्वप्रथम अपने राजा को वापस लाने की बात की।”
किन्तु यहूदा के लोगों ने इस्राएलियों को बड़ा गन्दा उत्तर दिया। यहूदा के लोगों के शब्द इस्राएलियों के शब्दों से अधिक शत्रुतापूर्ण थे।
समीक्षा
कष्ट उठाने के द्वारा परिपक्व
क्या आप कष्ट या शोक में हैं? अक्सर परमेश्वर ऐसे समयों का इस्तेमाल आपके हृदय को बदलने के लिए करते हैं और दूसरों के लिए आपकी करुणा को बढ़ाने के लिए करते हैं.
कष्ट उठाने और शोक के द्वारा दाऊद का हृदय शुद्ध हो गया था. जैसे कि अब तक उसने पर्याप्त कष्ट नहीं उठाया हो, तभी उनके पास समाचार आता है कि अबशालोम, उनका पुत्र मर चुका है. उनका 'हृदय टूट जाता है' (18:33, एम.एस.जी.). वह चिल्लाते हैं, 'ओ मेरे पुत्र अबशालोम! मेरे पुत्र, मेरे पुत्र अबशालोम! काश तुम्हारी जगह मैं मर जाता – ओ अबशालोम, मेरे पुत्र, मेरे पुत्र!' (व.33).
तब योआब उन्हें कहते हैं कि वह उठकर बाहर जाएँ और अपनी सेना को उत्साहित करें, जिसने उनके शत्रुओं के विरुद्ध अभी अभी एक बड़ी लड़ाई जीती है (19:1-7). योआब दाऊद को बताते हैं, 'अपने कर्मचारियों को शांति दे' (व.7, एम.एस.जी.).
दाऊद अपने बर्ताव को बदलते हैं. वह उठते हैं और वही करते हैं जो करने के लिए कहा गया था (व.8). 'इस प्रकार उसने सब यहूदी पुरुषों के मन ऐसे अपनी ओर खींच लिया कि मानो एक ही पुरुष था' (व.14).
ना केवल दाऊद ने अपने हृदय को बदला, शिमी ने भी ऐसा ही किया. वह राजा के सामने दंडवत करते हैं: 'मेरा प्रभु मेरे दोष का लेखा न ले, और न राजा मेरे कुटिल काम अपने ध्यान में रखे...क्योंकि तेरा दास जानता है कि मैं ने पाप किया; देख, आज अपने प्रभु राजा से भेंट करने के लिये यूसुफ के समस्त घराने में से मैं ही पहले आया हूँ' (वव.19-20).
दाऊद, अपने कष्टों से शुद्ध होकर, अपने आस-पास एक उज्ज्वल प्रकाश की तरह चमकते हैं. वह शिमी पर दया करते हैं. वह मपीबोशेत, सीबा और बर्जिल्लै के साथ बुद्धिपूर्वक काम करते हैं (वव.24-39).
दाऊद आने वाले समय में और अधिक लड़ाई का सामना करने वाले हैं जैसे ही इस्राएल और यहूदा के बीच में लड़ाई छिड़ जाती है (वव.41-43).
प्रार्थना
पिप्पा भी कहते है
प्रेरितो के कार्य 7:56
'देखो, मैं स्वर्ग को खुला हुआ, और मनुष्य के पुत्र को परमेश्वर के दाहिनी ओर खड़ा हुआ देखता हूँ.'
पथराव करके मार दिया जाना, मरने का एक भयानक तरीका लगता है और फिर भी इस दृश्य के विषय में कुछ अद्भुत बात है. मैं ऐसे बहुतों को नहीं जानता हूँ जिन्होंने पिता और पुत्र को एक-साथ देखा है. यह बड़ी बात नहीं थी कि भीड़ स्तिफनुस की हत्या कर रहे थे, लेकिन पिता परमेश्वर और उनके पुत्र यीशु घर में उनका स्वागत कर रहे थे, यह बात बहुत बड़ी थी.
दिन का वचन
भजन संहिता – 73:1
"सचमुच इस्त्राएल के लिये अर्थात शुद्ध मन वालों के लिये परमेश्वर भला है।"

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संदर्भ
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
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