दिन 106

परमेश्वर की उपस्थिति

बुद्धि भजन संहिता 46:1-11
नए करार लूका 17:11-37
जूना करार व्यवस्था विवरण 26:1-28:14

परिचय

यदि आप किसी व्यक्ति से प्रेम करते हैं तो आप सबसे ज्यादा अपने साथ उस व्यक्ति की उपस्थिति की लालसा करेंगे. फोटो शांति प्रदान करते हैं. टेलीफोन, ईमेल और संदेश अच्छे हैं. पत्र अच्छे हैं. स्काईप और फेस टाईम बातचीत करने के महान माध्यम हैं. फिर भी यें सारी चीजे व्यक्तिगत रूप से उनके साथ समय बिताने के बराबर नहीं हैं.

अदन के बगीचे में जब आदम और हव्वा ने पाप किया तब उन्होंने परमेश्वर की उपस्थिति को खो दिया. नियम के होने के बावजूद, इस्राएल की विशेषता थी उनके साथ परमेश्वर की उपस्थिति. मंदिर प्राथमिक रूप से बलिदान का एक स्थान नहीं था लेकिन परमेश्वर की उपस्थिति का एक स्थान था. निर्वासन का समय परमेश्वर के लोगों के लिए एक बड़ी आपदा थी क्योंकि वे परमेश्वर की उपस्थिति से दूर थे.

परमेश्वर ने फिर से अपने लोगों के बीच में रहने का वादा किया. यह वादा यीशु और पवित्र आत्मा के आने से पूरा हुआ. वह आपके साथ रहने का वादा करते हैं.

बुद्धि

भजन संहिता 46:1-11

अलामोथ की संगत पर संगीत निर्देशक के लिये कोरह परिवार का एक पद।

46परमेश्वर हमारे पराक्रम का भण्डार है।
 संकट के समय हम उससे शरण पा सकते हैं।
2 इसलिए जब धरती काँपती है
 और जब पर्वत समुद्र में गिरने लगता है, हमको भय नही लगता।
3 हम नहीं डरते जब सागर उफनते और काले हो जाते हैं,
 और धरती और पर्वत काँपने लगते हैं।

4 वहाँ एक नदी है, जो परम परमेश्वर के नगरी को
 अपनी धाराओं से प्रसन्नता से भर देती है।
5 उस नगर में परमेश्वर है, इसी से उसका कभी पतन नही होगा।
 परमेश्वर उसकी सहायता भोर से पहले ही करेगा।
6 यहोवा के गरजते ही, राष्ट्र भय से काँप उठेंगे।
 उनकी राजधानियों का पतन हो जाता है और धरती चरमरा उठती हैं।
7 सर्वशक्तिमान यहोवा हमारे साथ है।
 याकूब का परमेश्वर हमारा शरणस्थल है।

8 आओ उन शक्तिपूर्ण कर्मो को देखो जिन्हें यहोवा करता है।
 वे काम ही धरती पर यहोवा को प्रसिद्ध करते हैं।
9 यहोवा धरती पर कहीं भी हो रहे युद्धों को रोक सकता है।
 वे सैनिक के धनुषों को तोड़ सकता है। और उनके भालों को चकनाचूर कर सकता है। रथों को वह जलाकर भस्म कर सकता है।

10 परमेश्वर कहता है, “शांत बनो और जानो कि मैं ही परमेश्वर हूँ!
 राष्ट्रों के बीच मेरी प्रशंसा होगी।
 धरती पर मेरी महिमा फैल जायेगी!”

11 यहोवा सर्वशाक्तिमान हमारे साथ है।
 याकूब का परमेश्वर हमारा शरणस्थल है।

समीक्षा

'सर्वशक्तिमान परमेश्वर हमारे साथ हैं'

पुराने नियम में परमेश्वर की उपस्थिति यरूशलेम से जुड़ी हुई थी – परमेश्वर का शहर. 'परमेश्वर यहाँ पर रहते हैं' (व.5, एम.एस.जी.). विशेष रूप से, यह मंदिर के साथ जुड़ी हुई थी - 'पवित्र स्थान जहाँ पर परमप्रधान रहते हैं' (व.4ब); 'परमेश्वर उसमें हैं' (व.5अ); 'परमप्रधान परमेश्वर हमारे साथ हैं' (वव.7,11).

जब यीशु पृथ्वी पर थे, तब उन्होंने घोषणा की कि उनका शरीर वह मंदिर था जहाँ परमेश्वर रहते थे (यूहन्ना 2:19-22 देखे). पिंतेकुस्त के दिन, पवित्र आत्मा के द्वारा, मसीह की आत्मा के द्वारा परमेश्वर की उपस्थिति उनके लोगों के साथ रहने के लिए आयी. नये नियम में, परमेश्वर की उपस्थिति एक भौतिक मंदिर नहीं है लेकिन उनके लोगों के साथ -'एक पवित्र मंदिर' है (इफीसियो 2:19-22).

जीवन में ऐसा लगता है कि अब भी बहुत कुछ करना बाकी है और यह प्रलोभन आता है कि सक्रिय बनें और आगे बढ़कर इसे करें. लेकिन परमेश्वर आपको उत्साहित करते हैं कि 'चुप रहो, और जान लो कि मैं ही परमेश्वर हूँ' (भजनसंहिता 46:10). यदि आप चुप रहने और उनसे सुनने के लिए समय निकालेंगे, तो आप इस भजन में कुछ आशीषो को देखते हैं जो अपने साथ उनकी उपस्थिति को जानने से आती हैं.

  1. शांति
  • .'परमेश्वर हमारे शरणस्थान और बल हैं, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक. इसलिए हम डरेंगे नहीं' (वव.1-2अ).
  1. आनंद
  • .'एक नदी है जिसके लहरों से परमेश्वर के शहर में आनंद होता है' (व.4अ). यीशु ने पवित्र आत्मा के विषय में कहा, 'वह जीवित जल का झरना लाते हैं' (यूहन्ना 7:38). अब यह नदी एक भौतिक शहर नहीं है लेकिन आपके हृदय में है.
  1. सुरक्षा
  • .'परमेश्वर उस नगर के बीच में हैं, वह कभी टलने का नहीं; पौ फटते ही परमेश्वर उसकी सहायता करते हैं' (भजनसंहिता 46:5).
  1. सुरक्षा
  • . 'सेनाओं का यहोवा हमारे संग है; याकूब का परमेश्वर हमारा ऊँचा गढ़ है' (वव.7,11). 'परमेश्वर हमारे लिए लड़ते हैं' और 'हमें सुरक्षित रखते हैं' (व.11, एम.एस.जी.).

प्रार्थना

परमेश्वर, आज मैं 'चुप रहना चाहता हूँ और जानना चाहता हूँ कि (आप) परमेश्वर हैं' (व.10). मैं आपके पास अपने डरों, चिंताओं और व्याकुलताओं को लाता हूँ. आपका धन्यवाद क्योंकि मैं आप पर भरोसा कर सकता हूँ. आपका धन्यवाद आपकी उपस्थिति के लिए और जो शांति, आनंद, सुरक्षा और रक्षा आप लाते हैं.
नए करार

लूका 17:11-37

आभारी रहो

11 फिर जब यीशु यरूशलेम जा रहा था तो वह सामरिया और गलील के बीच की सीमा के पास से निकला। 12 जब वह एक गाँव में जा रहा था तभी उसे दस कोढ़ी मिले। वे कुछ दूरी पर खड़े थे। 13 वे ऊँचे स्वर में पुकार कर बोले, “हे यीशु! हे स्वामी! हम पर दया कर!”

14 फिर जब उसने उन्हें देखा तो वह बोला, “जाओ और अपने आप को याजकों को दिखाओ।”

वे अभी जा ही रहे थे कि वे कोढ़ से मुक्त हो गये। 15 किन्तु उनमें से एक ने जब यह देखा कि वह शुद्ध हो गया है, तो वह वापस लौटा और ऊँचे स्वर में परमेश्वर की स्तुति करने लगा। 16 वह मुँह के बल यीशु के चरणों में गिर पड़ा और उसका आभार व्यक्त किया। (और देखो, वह एक सामरी था।) 17 यीशु ने उससे पूछा, “क्या सभी दस के दस कोढ़ से मुक्त नहीं हो गये? फिर वे नौ कहाँ हैं? 18 क्या इस परदेसी को छोड़ कर उनमें से कोई भी परमेश्वर की स्तुति करने वापस नहीं लौटा।” 19 फिर यीशु ने उससे कहा, “खड़ा हो और चला जा, तेरे विश्वास ने तुझे अच्छा किया है।”

परमेश्वर का राज्य तुम्हारे भीतर ही है

20 एक बार जब फरीसियों ने यीशु से पूछा, “परमेश्वर का राज्य कब आयेगा?”

तो उसने उन्हें उत्तर दिया, “परमेश्वर का राज्य ऐसे प्रत्यक्ष रूप में नहीं आता। 21 लोग यह नहीं कहेंगे, ‘वह यहाँ है’, या ‘वह वहाँ है’, क्योंकि परमेश्वर का राज्य तो तुम्हारे भीतर ही है।”

22 किन्तु उसने शिष्यों को बताया, “ऐसा समय आयेगा जब तुम मनुष्य के पुत्र के दिनों में से एक दिन को भी देखने को तरसोगे किन्तु, उसे देख नहीं पाओगे। 23 और लोग तुमसे कहेंगे, ‘देखो, यहाँ!’ या ‘देखो, वहाँ!’ तुम वहाँ मत जाना या उनका अनुसरण मत करना।

जब यीशु लौटेगा

24 “वैसे ही जैसे बिजली चमक कर एक छोर से दूसरे छोर तक आकाश को चमका देती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन होगा। 25 किन्तु पहले उसे बहुत सी यातनाएँ भोगनी होंगी और इस पीढ़ी द्वारा वह निश्चय ही नकार दिया जायेगा।

26 “वैसे ही जैसे नूह के दिनों में हुआ था, मनुष्य के पुत्र के दिनों में भी होगा। 27 उस दिन तक जब नूह ने नौका में प्रवेश किया, लोग खाते-पीते रहे, ब्याह रचाते और विवाह में दिये जाते रहे। फिर जल प्रलय आया और उसने सबको नष्ट कर दिया।

28 “इसी प्रकार लूत के दिनों में भी ठीक ऐसे ही हुआ था। लोग खाते-पीते, मोल लेते, बेचते खेती करते और घर बनाते रहे। 29 किन्तु उस दिन जब लूत सदोम से बाहर निकला तो आकाश से अग्नि और गंधक बरसने लगे और वे सब नष्ट हो गये। 30 उस दिन भी जब मनुष्य का पुत्र प्रकट होगा, ठीक ऐसा ही होगा।

31 “उस दिन यदि कोई व्यक्ति छत पर हो और उसका सामान घर के भीतर हो तो उसे लेने वह नीचे न उतरे। इसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति खेत में हो तो वह पीछे न लौटे। 32 लूत की पत्नी को याद करो,

33 “जो कोई अपना जीवन बचाने का प्रयत्न करेगा, वह उसे खो देगा और जो अपना जीवन खोयेगा, वह उसे बचा लेगा। 34 मैं तुम्हें बताता हूँ, उस रात एक चारपाई पर जो दो मनुष्य होंगे, उनमें से एक उठा लिया जायेगा और दूसरा छोड़ दिया जायेगा। 35 दो स्त्रियाँ जो एक साथ चक्की पीसती होंगी, उनमें से एक उठा ली जायेगी और दूसरी छोड़ दी जायेगी।” 36

37 फिर यीशु के शिष्यों ने उससे पूछा, “हे प्रभु, ऐसा कहाँ होगा?”

उसने उनसे कहा, “जहाँ लाश पड़ी होगी, गिद्ध भी वहीं इकट्ठे होंगे।”

समीक्षा

'परमेश्वर का राज्य आपके बीच में है'

यीशु के आने से और परमेश्वर के राज्य के आने से, परमेश्वर अपने लोगों के बीच में रहने आ गए हैं. यीशु 'इम्मानुएल हैं...परमेश्वर हमारे साथ' (मत्ती 1:23). यीशु ने बताया है कि परमेश्वर का राज्य 'अभी' है और 'अभी नहीं' है;

परमेश्वर की उपस्थिति 'अभी'

  • फरीसियों ने यीशु से पूछा परमेश्वर का राज्य कब आएगा. यीशु ने उत्तर दिया, 'परमेश्वर का राज्य दृश्य रूप में नहीं आता. 21 और लोग यह न कहेंगे, ‘देखो, यहाँ है, या वहाँ है.‘ क्योंकि देखो, परमेश्वर का राज्य तुम्हारे बीच में है' (लूका 17:20-21, एम.एस.जी.).

  • परमेश्वर का राज्य परमेश्वर का शासन और राज्य करना है. यीशु ने परमेश्वर के राज्य की शुरुवात की, राज्य के अच्छे समाचार का प्रचार करते हुए और बीमारों को चंगा करते हुए (उदाहरण के लिए, वव.15-18) और उनकी मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा. यीशु और पवित्र आत्मा के आगमन के द्वारा, परमेश्वर उनके लोगों के बीच में उपस्थित हैं. किंतु, उनकी उपस्थिति हमेशा सदृश्य नहीं होती है. आज लोग हमेशा नहीं कह पायेंगे, 'यह यहाँ पर है, ' या 'वहाँ पर है' (व.21), लेकिन एक समय आ रहा है जब उनकी उपस्थिति दिखाई देगी.

परमेश्वर की उपस्थिति 'आने वाली'

  • एक दिन यीशु वापस आयेंगे. यह परमेश्वर के राज्य के लिए परिपूर्णता का दिन होगा. तब हर कोई देखेगा, ' क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से चमक कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा' (व.24).

  • यह दिन होगा जब मनुष्य का पुत्र अपनी पूरी महिमा में प्रगट होगा (व.30), तब हम उसे आमने-सामने देखेंगे (1कुरिंथियो 13:12); और 'हम सर्वदा के लिए परमेश्वर के साथ रहेंगे' (1 थिस्सलुनिकियों 4:17). हम परमेश्वर की सदृश्य उपस्थिति का अनुभव सर्वदा करेंगे.

अभी परमेश्वर की उपस्थिति सदृश्य नहीं है. लोग खाने में, पीने में, विवाह करने में, खरीदने में, बेचने में, रोपने में और बनाने में ध्यान देते हैं (लूका 17:27-28 देखे). इनमें से कोई भी चीज गलत नहीं है. वे नियमित, साधारण जीवन का भाग है. नूह के समय में और लूत के समय में परेशानी यह थी कि बहुत से लोगों ने चेतावनी को नहीं सुना. यीशु आपको तैयार रहने के लिए सावधान करते हैं.

विरोधाभासी रूप से, ' जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे वह उसे खोएगा, और जो कोई उसे खोए वह उसे जीवित रखेगा' (व.33). यदि आप हमेशा अपने जीवन से अत्यधिक पाने की कोशिश कर रहे हैं – ज्यादा पैसा, ऊँचा पद, सर्वश्रेष्ठ दर्जा, अत्यधिक प्रसिद्धी – तो आप चूक जाएँगे. यदि आप अपने आपको मना करने और यीशु की सेवा करने में अपने जीवन को खोते हैं, तो वास्तव में आपको जीवन को इसकी परिपूर्णता में पायेंगे.

जैसे ही आप इस समय यीशु के पहले और दूसरे आगमन के बीच में जीते हैं, तो परमेश्वर की सारी आशीषों के लिए उनका धन्यवाद करना न भूले. जिन दस कोढ़ियों को यीशु ने शुद्ध किया था, उनमें से केवल एक ही 'ऊँचे स्वर में परमेश्वर की स्तुति करते हुए' धन्यवाद देने के लिए वापस आया. उसने यीशु के पैरो पर गिरकर उनका धन्यवाद किया' (लूका 17:15-16).

उन नौ कोढ़ियो की तरह बनना आसान बात है जो यीशु को धन्यवाद देना भूल गए थे. आभार के इस व्यवहार को विकसित कीजिए – समय निकालिये यीशु का धन्यवाद देने के लिए प्रार्थनाओं के उत्तर के लिए, उनके नियमित प्रेम के लिए, उनकी क्षमा के लिए, उनकी दयालुता और विशेष रूप से आपके साथ परमेश्वर की उपस्थिति के वायदे के लिए. हाँल ही में, हाइड पार्क में प्रार्थना करते हुए, मैंने ऐसी सौं चीजों के बारे में सोचने का निर्णय लिया जिनके लिए मैं परमेश्वर का धन्यवाद दे सकूं. बहुत जल्दी मैंने सोच लिया और देखो कि धन्यवाद देने के लिए इससे भी ज्यादा चीजें थी.

प्रार्थना

परमेश्वर, मुझे क्षमा कीजिए कि आपको अक्सर धन्यवाद करना भूल जाता हूँ. आपकी सभी आशीषों के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद...
जूना करार

व्यवस्था विवरण 26:1-28:14

प्रथम फसल के बारे में नियम

26“तुम शीघ्र ही उस देश में प्रवेश करोगे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें रहने के लिये दे रहा है। जब तुम वहाँ अपने घर बना लो 2 तब तुम्हें अपनी थोड़ी सी प्रथम फसल लेनी चाहिए और उसे एक टोकरी में रखना चाहिये। वह प्रथम फसल होगी जिसे तुम उस देश से पाओगे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें दे रहा है। थोड़ी प्रथम फसल वाली टोकरी को लो और उस स्थान पर जाओ जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर चुनेगा। 3 उस समय सेवा करने वाले याजक के पास तुम जाओगे। तुम्हें उससे कहना चाहिए, ‘आज मैं यहोवा अपने परमेश्वर के सामने यह घोषित करता हूँ कि हम उस देश में आ गए हैं जिसे यहोवा ने हम लोगों को देने के लिये हमारे पूर्वजों को वचन दिया था।’

4 “तब याजक टोकरी को तुम्हारे हाथ से लेगा। वह इसे यहोवा तुम्हारे परमेश्वर की वेदी के सामने रखेगा। 5 तब तुम यहोवा अपने परमेश्वर के सामने यह कहोगे: मेरा पूर्वज घुमक्कड़ अरामी था। वह मिस्र पहुँचा और वहाँ रहा। जब वह वहाँ गया तब उसके परिवार में बहुत कम लोग थे। किन्तु मिस्र में वह एक शक्तिशाली बहुत से व्यक्तियों वाला महान राष्ट्र बन गया। 6 मिस्रियों ने हम लोगों के साथ बुरा व्यवहार किया। 7 तब हम लोगों ने यहोवा अपने पूर्वजों के परमेश्वर से प्रार्थना की और उसके बारे में शिकायत की। यहोवा ने हमारी सुनी उसने हम लोगों की परेशानियाँ, हमारे कठोर कार्य और कष्ट देखे। 8 तब यहोवा हम लोगों को अपनी प्रबल शक्ति और दृढ़ता से मिस्र से बाहर लाया। उसने महान चमत्कारों और आश्चर्यों का उपयोग किया। उसने भंयकर घटनाएँ घटित होने दीं। 9 इस प्रकार वह हम लोगों को इस स्थान पर लाया। उसने अच्छी चीजों से भरा—पुरा देश हमें दिया। 10 यहोवा, अब मैं उस देश की प्रथम फसल तेरे पास लाया हूँ जिसे तूने हमें दिया है।

“तब तुम्हें फसल को यहोवा अपने परमेश्वर के सामने रखना चाहिए और तुम्हें उसकी उपासना करनी चाहिए। 11 तब तुम उन सभी चीज़ों का आनन्द से उपभोग कर सकते हो जिसे यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हें और तुम्हारे परिवार को दिया है। लेवीवंशी और वे विदेशी जो तुम्हारे बीच रहते हैं तुम्हारे साथ इन चीजों का आनन्द ले सकते हैं।

12 “जब तुम सारा दशमांश जो तीसरे वर्ष (दशमांश का वर्ष) तुम्हारी फ़सल का दिया जाना है, दे चुको तब तुम्हें लेवीवंशियों, विदेशियों, अनाथों और विधवाओं को इसे देना चाहिए। तब हर एक नगर में वे खा सकते हैं और सन्तुष्ट किये जा सकते हैं। 13 तुम यहोवा अपने परमेश्वर से कहोगे, ‘मैंने अपने घर से अपनी फसल का पवित्र भाग दशमांश बाहर निकाल दिया है। मैंने इसे उन सभी लेवीवंशियों, विदेशियों, अनाथों और विधवाओं को दे दिया है। मैंने उन सभी आदेशों का पालन करने से इन्कार नहीं किया है। मैं उन्हें भूला नहीं हूँ। 14 मैंने यह भोजन तब नहीं किया जब मैं शोक मना रहा था। मैंने इस अन्न को तब अलग नहीं किया जब मैं अपवित्र था। मैंने इस अन्न में से कोई भाग मरे व्यक्ति के लिये नहीं दिया है। मैंने यहोवा, मेरे परमेश्वर, तेरी आज्ञाओं का पालन किया है। मैंने वह सब कुछ किया है जिसके लिये तूने आदेश दिया है। 15 तू अपने पवित्र आवास स्वर्ग से नीचे निगाह डाल और अपने लोगों, इस्राएलियों को आशीर्वाद दे और तू उस देश को आशीर्वाद दे जिसे तूने हम लोगों को वैसा ही दिया है जैसा तूने हमारे पूर्वजों को अच्छी चीज़ों से भरा—पुरा देश देने का वचन दिया था।’

यहोवा के आदेशों पर चलो

16 “आज यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुमको आदेश देता है कि तुम इन सभी विधियों और नियमों का पालन करो। अपने पूरे हृदय और अपनी पूरी आत्मा से इनका पालन करने के लिये सावधान रहो। 17 आज तुमने यह कहा है कि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर है। तुम लोगों ने वचन दिया है तुम उसके मार्ग पर चलोगे, उसके उपदेशों को मानोगे, और उसके नियमों और आदेशों को मानोगे। तुमने कहा है कि तुम वह सब कुछ करोगे जिसे करने के लिये वह कहता है। 18 आज योहवा ने तुम्हें अपने लोग चुन लिया और अपना मूल्यवान आश्रय प्रदान करने का वचन भी दिया है। यहोवा ने यह कहा है कि तुम्हें उसके सभी आदेशों का पालन करना चाहिए। 19 यहोवा तुम्हें उन सभी राष्ट्रों से महान बनाएगा जिन्हें उसने बनाया है। वह तुमको प्रशंसा, यश और गौरव देगा और तुम उसके विशेष लोग होगे, जैसा उसने वचन दिया है।”

नियम पत्थरों पर लिखे जाने चाहिए

27मूसा ने इस्राएल के प्रमुखों के साथ लोगों को आदेश दिया। उसने कहा, “उन सभी आदेशों का पालन करो जिन्हें मैं तुम्हें आज दे रहा हूँ। 2 जिस दिन तुम यरदन नदी पार करके उस देश में प्रवेश करो जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें दे रहा है उस दिन, विशाल शिलायें तैयार करो। इन शिलाओं को चूने के लेप से ढक दो। 3 तब इन नियमों की सारी बातें इन पत्थरों पर लिख दो। तुम्हें यह तब करना चाहिये जब तुम यरदन नदी के पार पहुँच जाओ। तब तुम उस देश में जा सकोगे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें अच्छी चीजों से भरा—पूरा दे रहा है। यहोवा तुम्हारे पूर्वजों के परमेश्वर ने इसे देकर अपने वचन को पूरा किया है।

4 “यरदन नदी के पार जाने के बाद तुम्हें इन शिलाओं को एबाल पर्वत पर आज के मेरे आदेश के अनुसार स्थापित करना चाहिए। तुम्हें इन पत्थरों को चूने के लेप से ढक देना चाहिए। 5 वहाँ पर यहोवा अपने परमेश्वर की वेदी बनाने के लिये भी कुछ शिलाओं का उपयोग करो। पत्थरों को काटने के लिये लोहे के औजारों का उपयोग मत करो। 6 जब तुम यहोवा अपने परमेश्वर के लिये वेदी पर होमबलि चढ़ाओ। 7 और तुम्हें वहाँ मेलबलि के रूप में बलि देनी चाहिए और उन्हें खाना चाहिए। खाओ और यहोवा अपने परमेश्वर के साथ उल्लास का समय बिताओ। 8 तुम्हें इन सारे नियमों को अपनी स्थापित की गई शिलाओं पर साफ—साफ लिखवाना चाहिए।”

नियम के अभिशाप

9 मूसा ने लेवीवंशी याजकों के साथ इस्राएल के सभी लोगों से बात की। उसने कहा, “इस्राएलियों, शान्त रहो और सुनो! आज तुम लोग, यहोवा अपने परमेश्वर के लोग हो गए हो। 10 इसलिए तुमहें वह सब कुछ करना चाहिए जो यहोवा तुम्हारा परमेश्वर कहता है। तुम्हें उसके उन आदेशों और नियमों का पालन करना चाहिए जिन्हें मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ।”

11 उसी दिन, मूसा ने लोगों से कहा, 12 “जब तुम यरदन नदी के पार जाओगे उसके बाद ये परिवार समूह गिरिज्जीम पर्वत पर खडे होकर लोगों को आशीर्वाद देंगे शिमोन, लेवी, यहुदा, इस्साकार, यूसुफ और विन्यामीन। 13 और ये परिवार समूह एबाल पर्वत पर से अभिशाप पढ़ेंगेः रूबेन, गाद, आशेर, जबूलून, दान और नप्ताली।

14 “और लेवीवंशी इस्राएल के सभी लोगों से तेज स्वर में कहेंगेः

15 “‘वह व्यक्ति अभिशप्त है जो असत्य देवता बनाता है और उसे अपने गुप्त स्थान में रखता है। असत्य देवता केवल वे मूर्तियाँ हैं जिसे कोई कारीगर लकड़ी, पत्थर या धातु की बनाता है। यहोवा उन चीजों से घृणा करता है!’

“तब सभी लोग उत्तर देंगे, ‘आमीन!’

16 “लेवीवंशी कहेंगे, ‘वह व्यक्ति अभिशप्त है जो ऐसा कार्य करता है जिससे पता चलता है कि वह अपने माता—पिता का अपमान करता है!’

“तब सभी लोग उत्तर देंगे, ‘आमीन!’

17 “लेवीवंशी कहेंगे, ‘वह व्यक्ति अभिशप्त है जो अपने पड़ोसी के सीमा चिन्ह को हटाता है!’

“तब सभी लोग कहेंगे, ‘आमीन!’

18 “लेवीवंशी कहेंगे, ‘वह व्यक्ति अभिशप्त है जो अन्धे को कुमार्ग पर चलाता है!’

“तब सभी लोग कहेंगे, ‘आमीन!’

19 “लेवीवंशी कहेंगे, ‘वह व्यक्ति अभिशप्त है जो विदेशियों, अनाथों और विधवाओं के साथ न्याय नहीं करता!’

“तब सभी लोग कहेंगे, ‘आमीन!’

20 “लेवीवंशी कहेंगेः ‘वह व्यक्ति अभिशप्त है जो अपने पिता की पत्नी के साथ शारीरिक सम्बन्ध रखता है क्योंकि वह अपने पिता को नंगा सा करता है!’

“तब सभी लोग कहेंगे, ‘आमीन!’

21 “लेवीवंशी कहेंगे: ‘वह व्यक्ति अभिश्प्त है जो किसी प्रकार के जानवर के साथ शारीरिक सम्पर्क करता है!’

“तब सभी लगो कहेंगे, ‘आमीन!’

22 “लेवीवंशी कहेंगे: ‘वह व्यक्ति अभिशप्त है जो अपनी माता या अपने पिता की पुत्री, अपनी बहन के साथ शारीरिक सम्पर्क रखता है!’

“तब सभी लोग कहेंगे, ‘आमीन!’

23 “लेवीवंशी कहेंगेः ‘वह व्यक्ति अभिशप्त है जो अपनी सास के साथ शारिरिक सम्पर्क रखता है!’

“तब सभी लोग कहेंगे, ‘आमीन!’

24 “लेवीवंशी कहेंगे: ‘वह व्यक्ति अभिशप्त है जो दूसरे व्यक्ति की गुप्त रूप से हत्या करता है!’

“तब सभी लोग कहेंगे, ‘आमीन!’

25 “लेवीवंशी कहेंगे: ‘वह व्यक्ति अभिशप्त है जो निर्दोष की हत्या के लिये धन लेता है!’

“तब सभी कहेंगे, ‘आमीन!’

26 “लेवीवंशी कहेंगे: ‘वह व्यक्ति अभिशप्त है जो इन नियमों का समर्थन नहीं करता और पालन करना स्वीकार नहीं करता!’

“तब सभी लोग कहेंगे, ‘आमीन!’

आशीर्वाद

28“यदि तुम यहोवा अपने परमेश्वर के इन आदेशों के पालन में सावधान रहोगे जिन्हें मैं आज तुम्हें बता रहा हूँ तो योहवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें पृथ्वी के सभी राष्ट्रों के ऊपर श्रेष्ठ करेगा। 2 यदि तुम यहोवा अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन करोगे तो ये वरदान तुम्हारे पास आएंगे और तुम्हारे होंगे:

3 “यहोवा तुम्हारे नगरों और खेतों को
आशीष प्रदान करेगा।
4 यहोवा तुम्हारे बच्चों को
आशीर्वाद देगा।
वह तुम्हारी भूमि को
अच्छी फसल का वरदानदेगा और
वह तुम्हारे जानवरों को
बच्चे देने का वरदान देगा।
तुम्हारे पास बहुत से मवेशी और भेड़ें होंगी।
5 यहोवा तुम्हें अच्छे अन्न की फसल
और बहुत अधिक भोजन पाने का आशीर्वाद देगा।
6 यहोवा तुम्हें तुम्हारे आगमन और प्रस्थान पर आशीर्वाद देगा।

7 “यहोवा तुम्हें उन शत्रुओं पर विजयी बनाएगा जो तुम्हारे विरुद्ध होंगे। तुम्हारे शत्रु तुम्हारे विरुद्ध एक रास्ते से आएंगे किन्तु वे तुम्हारे सामने सात मार्गों में भाग खड़ें होंगे।

8 “यहोवा तुम्हें भरे कृषि—भंडार का आशीर्वाद देगा। तुम जो कुछ करोगे वह उसके लिये आशीर्वाद देगा जिसे वह तुमको दे रहा है। 9 यहोवा तुम्हें अपने विशेष लोग बनाएगा। यहोवा ने तुम्हें यह वचन दिया है बशर्ते कि तुम यहोवा अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन करो और उसके मार्ग पर चलो। 10 तब पृथ्वी के सभी लोग देखेंगे कि तुम यहोवा के नाम से जाने जाते हो और वे तुमसे भयभीत होंगे।

11 “और यहोवा तुम्हें बहुत सी अच्छी चीजें देगा। वह तुम्हें बहुत से बच्चे देगा। वह तुम्हें मवेशी और बहुत से बछड़े देगा। वह उस देश में तुम्हें बहुत अच्छी फसल देगा जिसे उन्होंने तुम्हारे पूर्वजों को देने का वचन दिया था।

12 “यहोवा अपने भण्डार खोल देगा जिनमें वह अपना कीमती वरदान रखता है तथा तुम्हारी भूमि के लिये ठीक समय पर वर्षा देगा। यहोवा जो कुछ भी तुम करोगे उसके लिए आशीर्वाद देगा और बहुत से राष्ट्रों को कर्ज देने के लिए तुम्हारे पास धन होगा। किन्तु तुम्हें उनसे कुछ उधार लेने की आवश्यकता नहीं होगी। 13 यहोवा तुम्हें सिर बनाएगा, पूँछ नहीं। तुम चोटी पर होगे, तलहटी पर नहीं। यह तब होगा जह तुम यहोवा अपने परमेश्वर के उन आदेशों पर ध्यान दोगे जिन्हें मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ। 14 तुम्हें उन शिक्षाओं में से किसी की उपेक्षा नहीं करनी चाहिये जिन्हें मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ। तुम्हें इनसे दाँयी या बाँयी ओर नहीं जाना चाहिए। तुम्हें उपासना के लिये अन्य देवताओं का अनुसरण नहीं करना चाहिए।

समीक्षा

'परमेश्वर की उपस्थिति'

इस लेखांश में हम 'परमेश्वर की उपस्थिति' को समझने के लिए पुराने नियम के कुछ भाग को देखते हैं. जो भूमि परमेश्वर ने एक उत्तराधिकार के रूप में दी थी, वह स्थान था जिसे उसने 'अपने नाम के निवासस्थान' के रूप में चुना था (26:2).

'परमेश्वर की उपस्थिति में' उन्हें अपने इतिहास को याद करना था (व.5, एम.एस.जी.). उन्हें 'परमेश्वर की उपस्थिति में' दंडवत करना था (व.10, एम.एस.जी.). 'परमेश्वर की उपस्थिति' में उन्हें परमेश्वर के लोगों पर परमेश्वर की आशीष के लिए प्रार्थना करना था (वव.9-16, एम.एस.जी.). उन्हें 'परमेश्वर की उपस्थिति' में आनंद मनाना था (27:7, एम.एस.जी.).

परमेश्वर ने अपने लोगों को 'दुर्दशा, संघर्ष और अत्याचार से छुड़ाया' (26:7). परमेश्वर की उपस्थिति के बिना यह जीवन का एक अच्छा उदाहरण है. उन्होंने अपने लोगों को 'अपना खजाना' बनाने के लिए बुलाया (व.18). वह उन्हें आराधना के एक स्थान को बनाने के लिए कहते हैं, जहाँ पर वे 'अपने प्रभु परमेश्वर की उपस्थिति में' आनंद मना सकते हैं (27:7).

पाप हमें परमेश्वर की उपस्थिति से दूर करता है. इसलिए, परमेश्वर अपने लोगों को मूर्तिपूजा, परिवार का अपमान करने, चोरी, अंधो को भटकाने, अन्याय, व्यभिचार, हत्या और रिश्वत से दूर रहने की चेतावनी देते हैं (वव.14-26).

इसके विपरीत, यदि उनके लोग पूरी तरह से आज्ञा मानेंगे तो वे उनकी सारी आशीषों का आनंद लेंगे (28:1-14). परमेश्वर उनके घर, परिवार, काम और दूसरी गतिविधियों को आशीष देने का वायदा करते हैं. जैसा कि जॉयस मेयर लिखती है, 'आज्ञाकारिता कभी कभी की जाने वाली घटना नहीं है; इसे जीवन जीने का एक तरीका होना चाहिए. जो लोग प्रतिदिन परमेश्वर की आज्ञा मानना चाहते हैं और जो केवल परेशानी में से बाहर निकलने के लिए परमेश्वर की आज्ञा मानना चाहते हैं, ऐसे दोनों लोगों के बीच में एक बहुत बड़ा अंतर है, लेकिन वह उन पर आशीषों की वर्षा करते हैं जो उनके लिए पूरे हृदय से जीने का निर्णय लेते हैं और परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता को जीवन शैली बनाते हैं.'

निश्चित ही, हममें से किसी ने भी पूरी तरह से परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानी है, केवल यीशु को छोड़कर. उनकी मृत्यु और पुनरुत्थान ने आपके लिए संभव किया कि आप क्षमा पाएं और परमेश्वर की उपस्थिति का आनंद लें और उन सभी आशीषों का लाभ लें जो इस लेखांश में लिखी हैं. और एक दिन, जब यीशु वापस आयेंगे, तब परमेश्वर की सदृश्य उपस्थिति में आप उन सभी को परिपूर्णता में अनुभव करेंगेः पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा.

प्रार्थना

पिता, उन सभी आशीषों के लिए आपका धन्यवाद जिनका आपने वायदा किया है. क्षमा के लिए आपका धन्यवाद जो कि यीशु मसीह में उपलब्ध है. आपका धन्यवाद क्योंकि मैं इस जीवन में इन आशीषों का अनुभव करता हूँ और एक दिन, परमेश्वर की सदृश्य उपस्थिति में उनका पूरी तरह से अनुभव करुंगा

पिप्पा भी कहते है

भजनसंहिता 46:1-2अ

'परमेश्वर हमारे शरणस्थान और दृढ़ गढ़ हैं, और परेशानी में एक सर्वदा-उपस्थित सहायक हैं. इसलिए हम नहीं डरेंगे.'

मुझे अच्छा महसूस होता है जब मैं इन वचनों को पढ़ता हूँ, यह जानते हुए कि हर स्थिति में परमेश्वर मेरे साथ हैं. मुझे अपने आपको याद दिलाना है कि 'मैं नही डरुंगा, ' चाहे प्रलोभन क्यों न आए. इसके बदले मैं वह करने की कोशिश करुँगा जो वचन 10 कहता है, 'चुप रहो और जान लो कि मैं परमेश्वर हूँ.'

दिन का वचन

भजन संहिता – 46:1-2

"परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक। इस कारण हम को कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएं;"

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संदर्भ

नोट्स:

जॉयस मेयर, परमेश्वर से कैसे सुने, (फेथ वर्डस न्यु यॉर्क, 2003) पी.222

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

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