दिन 86

परमेश्वर के संदेश वाहकों के लिए दस सुझाव

बुद्धि भजन संहिता 37:32-40
नए करार लूका 6:37-7:10
जूना करार गिनती 22:21-23:26

परिचय

ईस्टर संडे मसीह वर्ष का महत्वपूर्ण दिन है, जैसे ही हम यीशु के पुनरुत्थान का उत्सव मनाते हैं। यीशु मसीह के शरीर में फिर से जी उठना मसीही जीवन का आधार है। यीशु का पुनरूत्थान हर उस बात की पुष्टि करता है जो उसने अपने बारे में कहा था कि वह कौन था। वह काफी दिनों पहले मरे ऐतिहास व्यक्ति नहीं हैं। वह सच में एक मनुष्य थे जिनकी पहचान थी परमेश्वर। वह जी उठे हैं। वह आज भी जीवित हैं और आप उनके संदेशवाहक बन सकते हैं।

बिली ग्राहम अब भी जीवित हैं लेकिन परमेश्वर के एक संदेशवाहक के रूप में उन्होंने विश्व को अपने अंतिम शब्द पहले ही दे दिए हैं। ये वचन हैं जिन्हें वह अपने दफन किए जाने के समय पर कहेंगे! वह एक रिकॉर्ड किए गए संदेश के द्वारा लोगों से बात करेंगे, उन्हें याद दिलाते हुए कि कब्र के परे भी जीवन है और हर कोई जो सुनता है उसे पुकार रहा है कि यीशु में विश्वास करो।

1934 में, सोलह वर्ष की आयु में जब परमेश्वर ने उन्हें अपना संदेशवाहक बनने के लिए बुलाया, तब से लेकर अब तक वह सुसमाचार के एक वफादार संदेहवाहक रहे हैं। उन्होंनें 200 लाख से अधिक लोगों को यीशु के विषय में बताया है। वह अमेरिका के (नौवें) राष्ट्रपति के एक मित्र और भरोसेमंद सलाहकार रहे हैं। उनके जीवनभर के दर्शक, जिसमें रेडियो और टेलीविजन का प्रसारण शामिल है,उसमे 2.2 करोड़ लोग हो चुके हैं। उन्होंने दृढ़संकल्प लिया है कि विश्व को परमेश्वर का संदेश सुनाने के लिए हर अवसर का लाभ उठायेंगे, जिसमें उन्हें दफनाने का समय भी शामिल है।

परमेश्वर ने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले का वर्णन 'मेरा संदेश ले जाने वाला' के रूप में किया है (लूका 7:27)। आप भी परमेश्वर के संदेश को ले जाने वाले व्यक्ति बन सकते हैं। यीशु 'राज्य के संदेश के' विषय में बताते हैं (मत्ती 13:19)। नये नियम में 'संदेश' 'सुसमाचार' का समानार्थी है (प्रेरितों के काम 2:41; 4:4; 10:44 इत्यादि)। हमारा काम है इस संदेश को सुनना और इसे दूसरों को बताना (1यूहन्ना 1:5)।

बुद्धि

भजन संहिता 37:32-40

32 किन्तु दुर्जन सज्जन को दु:ख पहुँचाने का रास्ता ढूँढता रहता है, और दुर्जन सज्जन को मारने का यत्न करते हैं।
33 किन्तु यहोवा दुर्जनों को मुक्त नहीं छोड़ेगा।
 वह सज्जन को अपराधी नहीं ठहरने देगा।
34 यहोवा की सहायता की बाट जोहते रहो।
 यहोवा का अनुसरण करते रहो। दुर्जन नष्ट होंगे। यहोवा तुझको महत्वपूर्ण बनायेगा।
 तू वह धरती पाएगा जिसे देने का यहोवा ने वचन दिया है।

35 मैंने दुष्ट को बलशाली देखा है।
 मैंने उसे मजबूत और स्वस्थ वृक्ष की तरह शक्तिशाली देखा।
36 किन्तु वे फिर मिट गए।
 मेरे ढूँढने पर उनका पता तक नहीं मिला।
37 सच्चे और खरे बनो,
 क्योंकि इसी से शांति मिलती है।
38 जो लोग व्यवस्था नियम तोड़ते हैं
 नष्ट किये जायेंगे।
39 यहोवा नेक मनुष्यों की रक्षा करता है।
 सज्जनों पर जब विपत्ति पड़ती है तब यहोवा उनकी शक्ति बन जाता है।
40 यहोवा नेक जनों को सहारा देता है, और उनकी रक्षा करता है।
 सज्जन यहोवा की शरण में आते हैं और यहोवा उनको दुर्जनों से बचा लेता है।

समीक्षा

1. परमेश्वर के नजदीक रहो

यदि आप परमेश्वर के संदेश को सुनना चाहते हैं तो आपको जोश के साथ परमेश्वर का 'इंतजार' करने की आवश्यकता है, इस रास्ते को छोड़ो मत (व.34 अ, एम.एस.जी.)। लंबा, मुक्त जीवन परमेश्वर की ओर से मिलता है, यह सुरक्षित भी है। परमेश्वर हमारे दृढ़ गढ़ हैं, हम बुराई से बचाए जाते हैं – जब हम उनकी ओर दौड़कर जाते हैं, तब वह हमें बचाते हैं' (वव.39-40, एम.एस.जी.)।

परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि आपके नजदीक रह सकूँ, आपके रास्ते में चलते हुए और आपमें आशा करते हुए।

2. शांति को खोजें

परमेश्वर के संदेशवाहकों को अवश्य ही शांति के संदेशवाहक होना चाहिए (व.37ब, ए.एम.पी.)। परमेश्वर के संदेशवाहकों को भड़काने वाले या अनावश्यक फूट डालने वाला व्यक्ति नहीं होना चाहिए। इसके बजाय, शांति के मनुष्य बनिये। यीशु ने कहा, 'शांति देने वाले आशिषित हैं' (मत्ती 5:9)।

प्रार्थना

परमेश्वर, मुझे अपनी शांति का एक उपकरण बनाईये। जहाँ पर नफरत है, वहाँ पर मुझे प्रेम को बोने दीजिए।
नए करार

लूका 6:37-7:10

अपने आप को जानो

37 “किसी को दोषी मत कहो तो तुम्हें भी दोषी नहीं कहा जायेगा। किसी का खंडन मत करो तो तुम्हारा भी खंडन नहीं किया जायेगा। क्षमा करो, तुम्हें भी क्षमा मिलेगी। 38 दूसरों को दो, तुम्हे भी दिया जायेगा। वे पूरा नाप दबा-दबा कर और हिला-हिला कर बाहर निकलता हुआ तुम्हारी झोली में उडेंलेंगे क्योंकि जिस नाप से तुम दूसरों को नापते हो, उसी से तुम्हें भी नापा जायेगा।”

39 उसने उनसे एक दृष्टान्त कहा, “क्या कोई अन्धा किसी दूसरे अन्धे को राह दिखा सकता है? क्या वे दोनों ही किसी गढ़े में नहीं जा गिरेंगे? 40 कोई भी विद्यार्थी अपने पढ़ाने वाले से बड़ा नहीं हो सकता, किन्तु जब कोई व्यक्ति पूरी तरह कुशल हो जाता है तो वह अपने गुरु के समान बन जाता है।

41 “तू अपने भाई की आँख में कोई तिनके को क्यों देखता है और अपनी आँख का लट्ठा भी तुझे नहीं सूझता? 42 सो अपने भाई से तू कैसे कह सकता है: ‘बंधु, तू अपनी आँख का तिनका मुझे निकालने दे।’ जब तू अपनी आँख के लट्ठे तक को नहीं देखता! अरे कपटी, पहले अपनी आँख का लट्ठा दूर कर, तब तुझे अपने भाई की आँख का तिनका बाहर निकालने के लिये दिखाई दे पायेगा।

दो प्रकार के फल

43 “कोई भी ऐसा उत्तम पेड़ नहीं है जिस पर बुरा फल लगता हो। न ही कोई ऐसा बुरा पेड़ है, जिस पर उत्तम फल लगता हो। 44 हर पेड़ अपने फल से ही जाना जाता है। लोग कँटीली झाड़ी से अंजीर नहीं बटोरते। न ही किसी झड़बेरी से लोग अंगूर उतारते हैं। 45 एक अच्छा मनुष्य उसके मन में अच्छाइयों का जो खजाना है, उसी से अच्छी बातें उपजाता है। और एक बुरा मनुष्य, जो उसके मन में बुराई है, उसी से बुराई पैदा करता है। क्योंकि एक मनुष्य मुँह से वही बोलता है, जो उसके हृदय से उफन कर बाहर आता है।

दो प्रकार के लोग

46 “तुम मुझे ‘प्रभु, प्रभु’ क्यों कहते हो और जो मैं कहता हूँ, उस पर नहीं चलते? 47 हर कोई जो मेरे पास आता है और मेरा उपदेश सुनता है और उस का आचरण करता है, वह किस प्रकार का होता है, मैं तुम्हें बताऊँगा। 48 वह उस व्यक्ति के समान है जो मकान बना रहा है। उसने गहरी खुदाई की और चट्टान पर नींव डाली। फिर जब बाढ़ आयी और जल की धाराएं उस मकान से टकराईं तो यह उसे हिला तक न सकीं, क्योंकि वह बहुत अच्छी तरह बना हुआ था।

49 “किन्तु जो मेरा उपदेश सुनता है और उस पर चलता नहीं, वह उस व्यक्ति के समान है जिसने बिना नींव की धरती पर मकान बनाया। जल की धाराएं उससे टकराईं और वह तुरन्त ढह गया और पूरी तरह तहस-नहस हो गया।”

विश्वास की शक्ति

7यीशु लोगों को जो सुनाना चाहता था, उसे कह चुकने के बाद वह कफ़रनहूम चला आया। 2 वहाँ एक सेनानायक था जिसका दास इतना बीमार था कि मरने को पड़ा था। वह सेवक उसका बहुत प्रिय था। 3 सेनानायक ने जब यीशु के विषय में सुना तो उसने कुछ बुजुर्ग यहूदी नेताओं को यह विनती करने के लिये उसके पास भेजा कि वह आकर उसके सेवक के प्राण बचा ले। 4 जब वे यीशु के पास पहुँचे तो उन्होंने सच्चे मन से विनती करते हुए कहा, “वह इस योग्य है कि तू उसके लिये ऐसा करे। 5 क्योंकि वह हमारे लोगों से प्रेम करता है। उसने हमारे लिए आराधनालय का निर्माण किया है।”

6 सो यीशु उनके साथ चल दिया। अभी जब वह घर से अधिक दूर नहीं था, उस सेनानायक ने उसके पास अपने मित्रों को यह कहने के लिये भेजा, “हे प्रभु, अपने को कष्ट मत दे। क्योंकि मैं इतना अच्छा नहीं हूँ कि तू मेरे घर में आये। 7 इसीलिये मैंने तेरे पास आने तक की नहीं सोची। किन्तु तू बस कह दे और मेरा सेवक स्वस्थ हो जायेगा। 8 मैं स्वयं किसी अधिकारी के नीचे काम करने वाला व्यक्ति हूँ और मेरे नीचे भी कुछ सैनिक हैं। मैं जब किसी से कहता हूँ ‘जा’ तो वह चला जाता है और जब दूसरे से कहता हूँ ‘आ’ तो वह आ जाता है। और जब मैं अपने दास से कहता हूँ, ‘यह कर’ तो वह उसे ही करता है।”

9 यीशु ने जब यह सुना तो उसे उस पर बहुत आश्चर्य हुआ। जो जन समूह उसके पीछे चला आ रहा था, उसकी तरफ़ मुड़ कर यीशु ने कहा, “मैं तुम्हे बताता हूँ ऐसा विश्वास मुझे इस्राएल में भी कहीं नहीं मिला।”

10 फिर भेजे हुए वे लोग जब वापस घर पहुँचे तो उन्होंने उस सेवक को निरोग पाया।

समीक्षा

3. दोष मत लगाओ

यीशु कहते हैं, 'दोष मत लगाओ' और 'आरोप मत लगाओ' (6:37)। 'दोष मत लगाओ, उनकी गलतियों की आलोचना मत करो' (व.37, एम.एस.जी.)। यीशु की प्रसिद्ध कहानी है किसी दूसरे की आँख से 'तिनके' को निकालने की कोशिश करना जबकि हमारी अपनी आँख में एक 'लट्ठा' है, यह एक चुनौती देने वाली कहानी है (वव.42-42)। अपने आस-पास के लोगों में गलतियों को देखना बहुत आसान है, पर खुद की गलतियों और कमजोरियों को देखना मुश्किल है। यदि हम इस तरह से जीएँगे, तो हम हमेशा दूसरों से अलग रहेंगे।

मुझे अपनी गलतियों पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है और उन क्षेत्रों पर ध्यान देने की आवश्यकता है जहाँ पर मुझे बढ़ना है। केवल तब ही मैं दूसरों को उनके संघर्ष में परमेश्वर के साथ उनका मेल-मिलाप करवा सकता हूँ। जब आप दूसरों के साथ उसी धीरज के साथ बर्ताव करते हैं जो परमेश्वर आपको दिखाते हैं, तो आप सभी के साथ काम कर पायेंगे और दूसरे लोगों की सेवकाई की वैधता को पहचान सकेंगे।

परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि मैं अपने जीवन से 'लट्ठे' को निकाल सकूँ और अपने आस-पास के लोगों तक अनुग्रह को पहुँचा सकूँ।

4. दूसरों को क्षमा करें

यीशु ने कहा, 'क्षमा करो, और तुम भी क्षमा किए जाओगे' (व.37ब)। लोगों को क्षमा कीजिए यहाँ तक कि जब वे माफी नहीं मॉंग रहे हैं। क्षमा करना गुस्से की कीमत, नफरत के दाम को और ऊर्जा को व्यर्थ होने से बचाता है। परमेश्वर आपको जो क्षमा देते हैं उसे एक सामर्थी गोलाकार में होना चाहिए, जो दूसरों के साथ आपके संबंध में प्रवाहित होता है।

परमेश्वर, आपका धन्यवाद क्योंकि आपने मुझे क्षमा कर दिया है। मेरी सहायता कीजिए कि मैं दूसरो को क्षमा करुँ, इस बात के बावजूद कि वे क्षमा माँगते हैं या नहीं।

5. अपने जीवन को समर्पित करें

जैसा कि हमने कल देखा था, उदारता मसीहत का हृदय है। इस लेखांश में यीशु उस संदेश को दोहराते हैः 'अपने जीवन को समर्पित कर दो; आपको जीवन वापस मिलेगा, केवल वापस नहीं मिलेगा –बोनस और आशीष के साथ वापस मिलेगा। बिना कुछ पाने की आशा के देना ही रास्ता है। उदारता, उदारता को उत्पन्न करती है (व.38, एम.एस.जी.)।

परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि दूसरों के प्रति मेरे बर्ताव में मैं आपकी उदारता को दिखा सकूँ। मेरी सहायता कीजिए कि दूसरों में मै अच्छाई देख सकूँ, क्षमा कर सकूं और दे सकूँ।

6. अपनी गाड़ी को एक तारे तक ले जाईये

अपनी गाड़ी को एक तारे तक ले जाईये' यह एक सर्वश्रेष्ठ सलाह थी जो मुझे दी गई, जब मैं एक ऐसे स्थान को खोज रहा था जहाँ पर एक पास्टर के रूप में प्रशिक्षण पा सकूँ। यीशु कहते हैं, 'चेला अपने गुरु से बड़ा नही, परंतु जो कोई सिद्ध होगा, वह अपने गुरु के समान होगा' (व.40)। जैसे ही मैंने सैन्डी मिलर की ओर देखा, मैं जानता था कि वह वे 'तारा' थे जिनकी तरह मैं बनना चाहता था। इसलिए, मैं उनके यहाँ प्रशिक्षण लेना चाहता था क्योंकि मैंने महसूस किया कि मैं कभी भी अपने शिक्षक की बुद्धि और उनके वरदान के समान स्तर में नही आ पाऊँगा, तब भी मैं जानता था कि मेरा लक्ष्य क्या है।

यही कारण है कि मैंने अक्सर विल्यिम विबफोर्स, पोप जॉन पॉल और बिली ग्राहम जैसे महान लोगों की जीवनकथा पढ़ी। उनके उदाहरण हमें बढ़ाते हैं और ऊँचा लक्ष्य साधने के लिए हमें उत्साहित करते हैं। निश्चित ही, यीशु एकमात्र तारा हैं। अपनी गाड़ी को उन तक ले जाईये।

परमेश्वर, आपका धन्यवायद विश्वास के हीरों के लिए जो मुझसे पहले हो चुके हैं, और उन लीडर्स के लिए धन्यवाद जिन्हें आपने मेरे जीवन में रखा है। मेरी सहायता कीजिए कि मैं उनसे सीख सकूँ और आपके साथ मेरी यात्रा में एक ऊँचा लक्ष्य साध सकूँ।

7. अपने हृदय की रक्षा करें

यीशु कहते हैं, 'भला मनुष्य मन के भले भंडार से भली बातें निकालता है, और बुरा मनुष्य अपने मन के बुरे भंडार से बुरी बातें निकालता है; क्योंकि जो मन में भरा है वही उसके मुँह से निकलता है।'

परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि मैं अपने हृदय की रक्षा करुँ और इसमें भली चीजों का संग्रह करुँ। जैसा कि दाऊद ने प्रार्थना की, 'हे परमेश्वर, मुझमें एक शुद्ध हृदय निर्मित करें' (भजनसंहिता 51:10)।

7. परमेश्वर के वचन का पालन करें

दोनों घर समान दिखाई देते थे। लेकिन जो गिर गया उसकी नींव नहीं थी (लूका 6:49)। यीशु ने कहा, 'यदि तुम मेरे वचनों का इस्तेमाल केवल बाईबल अध्ययन में करते हो और इसे अपने जीवन में नहीं लगाते हो, तो तुम उस मूर्ख बढ़ई के समान हो जिसने घर तो बनाया पर इसकी नींव नहीं डाली' (व.49,एम.एस.जी.)।

दोनों के बीच में यह अंतर है कि बुद्धिमान व्यक्ति संदेश को सुनता है, और इसे करता है (व.47)। केवल परमेश्वर के संदेश का अध्ययन करना पर्याप्त नहीं है, इस संदेश को जीए। परमेश्वर के वचन को जानना और इसका आज्ञापालन करना, यह आपके जीवन की नींव होनी चाहिए।

परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि आपके वचनों को सुनूँ और अपने जीवन में इसे काम पर लगाऊँ।

9. अधिकार के अधीन रहें

सभी अधिकार, अधिकार के अधीन रहने से मिलते हैं। सूबेदार ने पहचाना कि यीशु का अधिकार, अधिकार के अधीन रहने से आया था, ठीक जैसे कि एक सूबेदार के रूप में आज्ञा देने का उसका अधिकार 'अधिकार के अधीन' रहने से आया था (7:8)।

आज आपके संदेश में अधिकार होगा यदि आप परमेश्वर के अधिकार के अधीन रहेंगे और पवित्र आत्मा के द्वारा चलाए जाएँगे। यह अधिकार आपका नहीं हैः परमेश्वर ने आपको अपना संदेशवाहक बनाया है। पौलुस प्रेरित ने 'सुसमाचार का एक राजदूत' बनने के विषय में बताया (2कुरिंथियो 5:20)।

प्रार्थना

प्रभु यीशु, आपका धन्यवाद क्योंकि आपने मुझे अपना संदेशवाहक बनने के लिए अधिकार दिया है। मेरी सहायता कीजिए कि मैं अपने आस-पास के लोगों के लिए एक वफादार राजदूत बन सकूं।
जूना करार

गिनती 22:21-23:26

बिलाम और उसका गधा

21 अगली सुबह, बिलाम उठा और अपने गधे पर काठी रखी। तब वह मोआबी नेताओं के साथ गया। 22 बिलाम अपने गधे पर सवार था। उसके सेवकों में से दो उसके साथ थे। जब बिलाम यात्रा कर रहा था, परमेश्वर उस पर क्रोधित हो गया। इसलिए यहोवा का दूत बिलाम के सामने सड़क पर खड़ा हो गया। दूत बिलाम को रोकने जा रहा था। 23 बिलाम के गधे ने यहोवा के दूत को सड़क पर खड़ा देखा। दूत के हाथ में एक तलवार थी। इसलिए गधा सड़क से मुड़ा और खेत में चला गया। बिलाम दूत को नहीं देख सकता था। इसलिए वह गधे पर बहुत क्रोधित हुआ। उसने गधे को मारा और उसे सड़क पर लौटने को विवश किया।

24 बाद में, यहोवा का दूत ऐसी जगह पर खड़ा हुआ जहाँ सड़क सँकरी हो गई थी। यह दो अंगूर के बागों के बीच का स्थान था। वहाँ सड़क के दोनों ओर दीवारें थीं। 25 गधे ने यहोवा के दूत को फिर देखा। इसलिए गधा एक दीवार से सटकर निकला। इससे बिलाम का पैर दीवार से छिल गया। इसलिए बिलाम ने अपने गधे को फिर मारा।

26 इसके बाद, यहोवा का दूत दूसरे स्थान पर खड़ा हुआ। यह दूसरी जगह थी जहाँ सड़क सँकरी हो गई थी। वहाँ कोई ऐसी जगह नहीं थी जहाँ गधा मुड़ सके। गधा दायें या बायें नहीं मुड़ सकता था। 27 गधे ने यहोवा के दूत को देखा इसलिए गधा बिलाम को अपनी पीठ पर लिए हुए जमीन पर बैठ गया। बिलाम गधे पर बहुत क्रोधित था। इसलिए उसने उसे अपने डंडे से पीटा।

28 तब यहोवा ने गधे को बोलने वाला बनाया। गधे ने बिलाम से कहा, “तुम मुझ पर क्यों क्रोधित हो मैंने तुम्हारे साथ क्या किया है? तुमने मुझे तीन बार मारा है!”

29 बिलाम ने गधे को उत्तर दिया, “तुमने दूसरों की नजर में मुझे मूर्ख बनाया है यदि मेरे हाथ में तलवार होती तो मैं अभी तुम्हें मार डालता।”

30 किन्तु गधे ने बिलाम से कहा, “मैं तुम्हारा अपना गधा हूँ जिस पर तुम अनेक वर्ष से सवार हुए हो और तुम जानते हो कि मैंने ऐसा इसके पहले कभी नहीं किया है।”

“यह सही है।” बिलाम ने कहा।

31 तब यहोवा ने बिलाम को सड़क पर खड़े दूत को देखने दिया। बिलाम ने दूत और उसकी तलवार को देखा। तब बिलाम ने झुक कर प्रणाम किया।

32 यहोवा के दूत ने बिलाम से पूछा, “तुमने अपने गधे को तीन बार क्यों मारा? तुम्हें मुझ पर क्रोध से पागल होना चाहिए। मैं तुमको रोकने के लिए यहाँ आया हूँ। तुम्हें कुछ अधिक सावधान रहना चाहिए। 33 गधे ने मुझे देखा और वह तीन बार मुझसे मुड़ा। यदि गधा मुड़ा न होता तो मैंने तुमको मार डाला होता। किन्तु मुझे तुम्हारे गधे को नहीं मारना था।”

34 तब बिलाम ने यहोवा के दूत से कहा, “मैंने पाप किया है। मैं यह नहीं जानता था कि तुम सड़क पर खड़े हो। यदि मैं बुरा कर रहा हूँ तो मैं घर लौट जाऊँगा।”

35 यहोवा के दूत ने बिलाम से कहा, “नहीं, तुम इन लोगों के साथ जा सकते हो। किन्तु सावधान रहो। वही बातें कहो जो मैं तुमसे कहने के लिए कहूँगा।” इसलिए बिलाम बालाक द्वारा भेजे गए नेताओं के साथ गया।

36 बालाक ने सुना कि बिलाम आ रहा है। इसलिए बालाक उससे मिलने के लिए अर्नोन सीमा पर मोआबी नगर को गया। यह उसके देश की छोर थी। 37 जब बालाक ने बिलाम को देखा तो उसने बिलाम से कहा, “मैंने इसके पहले तुमसे आने के लिए कहा था और यह भी बताया था कि यह अत्यन्त महत्वपूर्ण है। तुम हमारे पास क्यों नहीं आए? क्या यह सच है कि तुम मुझसे कोई भी पुरस्कार या भुगतान नहीं पाना चाहते?”

38 किन्तु बिलाम ने उत्तर दिया, “मैं अब तुम्हारे पास आया हूँ। लेकिन मैं, जो तुमने करने को कहा था उनमें से, शायद कुछ भी न कर सकूँ। मैं केवल वही बातें तुमसे कह सकता हूँ जो परमश्वर मुझसे कहने को कहता है।”

39 तब बिलाम बालाक के साथ किर्यथूसोत गया। 40 बालाक ने कुछ मवेशी तथा कुछ भेड़ें उसकी भेंट के रूप में मारीं। उसने कुछ माँस बिलाम तथा कुछ उसके साथ के नेताओं को दिया।

41 अगली सुबह बालाक को बमोथ बाल नगर को ले गया। उस नगर से वे इस्राएली लोगों के कुछ डेरों को देख सकते थे।

बिलाम की पहली भविष्यवाणी

23बिलाम ने कहा, “यहाँ सात वेदियाँ बनाओ और मेरे लिए सात बैल और सात मेढ़े तैयार करो।” 2 बालाक ने वह सब किया जो बिलाम ने कहा। तब बिलाम ने हर एक वेदी पर एक बैल और एक मेढ़े को मारा।

3 तब बिलाम ने बालाक से कहा, “इस वेदी के समीप ठहरो। मैं दूसरी जगह जाऊँगा। तब कदाचित यहोवा मेरे पास आएगा और बताएगा कि मैं क्या कहूँ।” तब बिलाम एक अधिक ऊँचे स्थान पर गया।

4 परमेश्वर उस स्थान पर बिलाम के पास आया और बिलाम ने कहा, “मैंने सात वेदियाँ तैयार की हैं और मैंने हर एक वेदी पर एक बैल और एक मेढ़े को मारा है।”

5 तब यहोवा ने बिलाम को वह बताया जो उसे कहना चाहिए। तब यहोवा ने कहा, “बालाक के पास जाओ और इन बातों को कहो जो मैंने कहने के लिए बताई हैं।”

6 इसलिए बिलाम बालाक के पास लौटा। बालाक तब तक वेदी के पास खड़ा था और मोआब के सभी नेता उसके साथ खड़े थे। 7 तब बिलाम ने ये बातें कंहीः

 “मोआब के राजा बालाक ने
  मुझे आराम से बुलाया पूर्व के पहाड़ों से।
 बालाक ने मुझसे कहा
  ‘आओ और मेरे लिए याकूब के विरुद्ध कहो, आओ
 और इस्राएल के लोगों के विरुद्ध कहो।’
8 परमेश्वर उन लोगों के विरुद्ध नहीं है,
  अतः मैं भी उनके विरुद्ध नहीं कह सकता।
 यहोवा ने उनका बुरा होने के लिए नहीं कहा है।
  अतः मैं भी वैसा नहीं कर सकता।
9 मैं उन लोगों को पर्वत से देखता हूँ।
  मैं ऐसे लोगों को देखता हूँ
 जो अकेले रहते हैं।
  वो लोग किसी अन्य राष्ट्र के अंग नहीं हैं।
10 याकूब के लोग बालू के कण से भी अधिक हैं।
  इस्राएल के लोगों की चौथाई को भी
 कोई गिन नहीं सकता।
  मुझे एक अच्छे मनुष्य की तरह मरने दो,
 मुझे उन लोगों की तरह ही मरने दो।”

11 बालाक ने बिलाम से कहा, “तुमने हमारे लिए क्या किया है मैंने तुमको अपने शत्रुओं के विरुद्ध कुछ कहने को बुलाया था। किन्तु तुमने उन्हीं को आशीर्वाद दिया है।”

12 किन्तु बिलाम ने उत्तर दिया, “मुझे वही करना चाहिए जो यहोवा मुझे करने को कहता है।”

13 तब बालाक ने उससे कहा, “इसलिए मेरे साथ दूसरे स्थान पर आओ। उस स्थान पर तुम लोगों को भी देख सकते हो। किन्तु तुम उनके एक भाग को ही देख सकते हो, सभी को नहीं देख सकते और उस स्थान से तुम मेरे लिए उनके विरुद्ध कुछ कह सकते हो।” 14 इसलिए बालाक बिलाम को सोपीम के मैदान में ले गया। यह पिसगा पर्वत की चोटी पर था। बालाक ने उस स्थान पर सात वेदियाँ बनाईं। तब बालाक ने हर एक वेदी पर बलि के रूप में एक बैल और एक मेढ़ा मारा।

15 इसलिए बिलाम ने बालाक से कहा, “इस वेदी के पास खड़े रहो। मैं उस स्थान पर परमेश्वर से मिलने जाऊँगा।”

16 इसलिए यहोवा बिलाम के पास आया और उसने बिलाम को बताया कि वह क्या कहे। तब यहोवा ने बिलाम को बालाक के पास लौटने और उन बातों को कहने को कहा। 17 इसलिए बिलाम बालाक के पास गया। बालाक तब तक वेदी के पास खड़ा था। मोआब के नेता उसके साथ थे। बालाक ने उसे आते हुए देखा और उससे पूछा, “यहोवा ने क्या कहा?”

बिलाम की दूसरी भविष्यवाणी

18 तब बिलाम ने ये बातें कंहीः

  “बालाक! खड़े हो और मेरी बात सुनो।
 सिप्पोर के पुत्र बालाक! मेरी बात सुनो।
19 परमेश्वर मनुष्य नहीं है,
  वह झूठ नहीं बोलेगा;
 परमेश्वर मनुष्य पुत्र नहीं,
  उसके निर्णय बदलेंगे नहीं।
 यदि यहोवा कहता है कि वह कुछ करेगा
  तो वह अवश्य उसे करेगा।
 यदि यहोवा वचन देता है
  तो अपने वचन को अवश्य पूरा करेगा।
20 यहोवा ने मुझे उन्हें आशीर्वाद देने का आदेश दिया।
 यहोवा ने उन्हें आशीर्वा दिया है, इसलिए मैं उसे बदल नहीं सकता।
21 याकूब के लोगों में कोई दोष नहीं था।
 इस्राएल के लोगों में कोई पाप नहीं था।
  यहोवा उनका परमेश्वर है और वह उनके साथ है।
 महाराजा (परमेश्वर) की वाणी उनके साथ है!
22 परमेश्वर उन्हें मिस्र से बाहर लाया।
 इस्राएल के वे लोग जंगली साँड की तरह शक्तिशाली हैं।
23 कोई जादुई शक्ति नहीं जो याकूब के लोगों को हरा सके।
 याकूब के बारे में और इस्राएल के लोगों के विषय में भी
  लोग यह कहेंगे:
 ‘परमेश्वर ने जो महान कार्य किये हैं उन पर ध्यान दो!’
24 वे लोग सिंह की तरह शक्तिशाली होंगे।
  वे सिंह जैसे लड़ेंगे और यह सिंह कभी विश्राम नहीं करेगा,
 जब तक वह शत्रु को खा नहीं डालता, और वह सिंह कभी विश्राम नहीं करेगा
  जब तक वह उनका रक्त नहीं पीता जो उसके विरुद्ध हैं।”

25 तब बालाक ने बिलाम से कहा, “तुमने उन लोगों के लिए अच्छी चीज़ें होने की मांग नहीं की। किन्तु तुमने उनके लिए बुरी चीज़ें होने की भी माँग नहीं की।”

26 बिलाम ने उत्तर दिया, “मैंने पहले ही तुमसे कह दिया कि मैं केवल वही कहूँगा जो यहोवा मुझसे कहने के लिए कहता है।”

समीक्षा

10. अच्छी रीति से समाप्त करें

नये नियम के अनुसार, बालाम का जीवन एक उदाहरण है। उसे एक झूठे भविष्यवक्ता के उदारहण के रूप में दर्शाया गया हैः'वे सीधे मार्ग को छोड़कर भटक गए थे, और बओर के पुत्र बिलाम के मार्ग पर चल दिए थे , जिसने दुष्टता की मजदूरी को प्रिय जाना। पर उसके अपराध के विषय में उलाहना दिया, यहाँ तक कि अबोल गदही ने मनुष्य की बोली से उस भविष्यवक्ता को उसके बावलेपन से रोका' (2पतरस 2:15-16)।

यह पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन को नजरअंदाज करने के विरूद्ध चेतावनी है। तीन बार परमेश्वर के स्वर्गदूत ने बालाम को बालाक के साथ जाने से रोकने की कोशिश की। लेकिन बालाम इस तथ्य के बावजूद जाने के लिए तैयार था कि परमेश्वर के स्वर्गदूत ने उसके रास्ते में खडे होकर उससे कहा, 'सुन, तेरा विरोध करने को मैं ही आया हूँ, इसलिये कि तू मेरे सामने उलटी चाल चलता है' (गिनती 22:32)।

बालाम ने निर्धारित कर लिया था कि वह बालाक से उस भविष्यवाणी को करने की फीस लेगा, जो कि बालाक सुनना चाहता था। फिर भी, आज के लेखांश में हम देखते हैं कि बालाम के जीवन में एक बार उसने सही चीज को करने की कोशिश की थी। उसने कहा, 'मैं केवल वही कहूँगा जो परमेश्वर मेरे मुँह में डालेंगे' (22:38; 23:8,12,26 भी देखें)।

बालाम का जीवन एक चेतावनी है कि जिन लोगों को परमेश्वर ने इस्तेमाल किया है वे भी परेशानी में पड़ सकते हैं। यह एक प्रोत्साहन है कि उसे करते रहे जो बालाम एक समय में कर रहा था – परमेश्वर के संदेश को सुनना और इसे दूसरों को बताना और अच्छी रीति से समाप्त करना।

प्रार्थना

परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए कि मैं आपका वफादार संदेशवाहक बनूं। मैं पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन के प्रति संवेदनशील बनना चाहता हूँ, वहाँ पर जाने के लिए जहाँ आप ले जाना चाहते हैं और अंत तक वफादार बने रहने के लिए।

पिप्पा भी कहते है

गिनती 22:21- 28

मुझे पसंद नहीं जब लोग जानवर के प्रति क्रूर बन जाते हैं। कभी कभी जानवर मनुष्य से अधिक संवेदनशील होते हैं, जैसा कि इस मामले में जहॉं पर बालम की गदही ने वफादारी से उसकी सेवा की थी। परमेश्वर हमसे बात करने के लिए जानवर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

बालाम अड़चनों के बावजूद जाने का दृढ़संकल्प कर चुका था। जीवन में हम जिन कठिनाईयों का सामना करते हैं, वह परमेश्वर की योजना जानने के लिए है। कभी कभी यह जानना मुश्किल होता है कि क्या परमेश्वर हमें रोक रहे हैं कि एक भयानक रास्ते से हम न जाएँ, या वहाँ पर कोई विरोध है जिस पर जय पाने के लिए हमें प्रार्थना करने की आवश्यकता है। दोनों ही मामलो में प्रार्थना पूँजी है।

दिन का वचन

लूका – 6:37

"दोष मत लगाओ; तो तुम पर भी दोष नहीं लगाया जाएगा: दोषी न ठहराओ, तो तुम भी दोषी नहीं ठहराए जाओगे: क्षमा करो, तो तुम्हारी भी क्षमा की जाएगी।"

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संदर्भ

नोट्स:

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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