दिन 357

आशा से भरपूर वचन

बुद्धि भजन संहिता 146:1-10
नए करार प्रकाशित वाक्य 14:14-15:8
जूना करार एज्रा 10:1-44

परिचय

वसंत के समय में 2005 की यह बात है, एक जवान युवक क्लार्क नामक बिल हाईवेल्स के लारीबी मित्र एक दुर्घटना में मर गए। अंतिम क्रिया के दौरान, जैसे कफन को कब्र में उतारा जा रहा था परिवार और सभी सगे संबंधियों की चीख और रोना ही सुनाई पड़ रहा था जिनका ह्रदय उनकी मृत्यु से बिखर गया था। क्लर्क के पिताजी बिल के कंधों पर सिर रखकर रो रहे थे और उनके कानों में धीमी आवाज़ से बोले ‘बिल, ये ऐसे नहीं ख़त्म हो सकता बस ऐसे ही नहीं हो सकता।'

बिल ने गुजारिश की कि क्या वो एक और प्रार्थना कर सकता है। परमेश्वर ने उनके मन में आशापूर्ण वचनों को बोला। उसने समझाया कि यीशु के पुनरुत्थान के द्वारा और कलार्क के मसीह पर विश्वास के कारण वह पहले से परमेश्वर की उपस्थिति में पहुंच चुका है। क्लार्क, उसका परिवार और सभी मित्र एक दिन अनंतकाल में एकत्रित होंगे और मिलेंगे।

इस क्षण पर बिल हाईवेल्स के वचन, ‘ हमारी दुनिया इस सोच में पड़ी है कि क्या अंधकार और बुराई जीत सकती है?,,,,,,, क्या गरीबी बढ़ती ही रहेगी?....... क्या विवाह टूटते रहेंगे? क्या हमेशा लोगों की खुशियाँ छिनती रहेंगी?.... क्या इसका अंत ऐसा ही होना है?....... मसीह में ....... उसका अंत हरगिज़ ऐसा नहीं।

हम इस धरती पर एक ही सन्देश के प्रबंधक हैं जो लोगों के दिलों को मनचाही चीज़ दे सकते हैं जो कि आशा है। यह आशा कि पाप क्षमा हो सकते हैं। आशा की प्रार्थनाओं का जवाब मिल सकता है। आशा, कि अवसरों का द्वार जो ऐसा लगता है कि बंद है खोला जा सकता है। आशा के टूटे हुए रिश्ते फिर से मिलाप में बदल जाएँगे। आशा की बीमारियों से जकड़े हुए शरीर चंगाई पाएंगे। आशा कि टूटे हुए विश्वाश या भरोसे फिर से जुड़ जाएंगे। आशा कि मुर्दा कलीसिया फिर से पुनर्स्थापित हो सकती है। सभी लोगों में से हम वह व्यक्ति (जीवित) होने चाहिए जो इस आशा को विश्वाश के साथ जीवन में लें और इसको जीकर दूसरों तक इसकी किरणों को पहुंचाएं। और हमें इस बात का एलान करना है कि यह आशा का समाचार सभी तक पहुंचाएं, परमेश्वर हमें अवसर देते हैं प्रभावित होने के लिए।

बुद्धि

भजन संहिता 146:1-10

146यहोवा का गुण गान कर!
 मेरे मन, यहोवा की प्रशंसा कर।
2 मैं अपने जीवन भर यहोवा के गुण गाऊँगा।
 मैं अपने जीवन भर उसके लिये यश गीत गाऊँगा।
3 अपने प्रमुखों के भरोसे मत रहो।
 सहायता पाने को व्यक्ति के भरोसे मत रहो, क्योंकि तुमको व्यक्ति बचा नहीं सकता है।
4 लोग मर जाते हैं और गाड़ दिये जाते है।
 फिर उनकी सहायता देने की सभी योजनाएँ यूँ ही चली जाती है।
5 जो लोग, याकूब के परमेश्वर से अति सहायता माँगते, वे अति प्रसन्न रहते हैं।
 वे लोग अपने परमेश्वर यहोवा के भरोसे रहा करते हैं।

6 यहोवा ने स्वर्ग और धरती को बनाया है।
 यहोवा ने सागर और उसमें की हर वस्तु बनाई है।
 यहोवा उनको सदा रक्षा करेगा।
7 जिन्हें दु:ख दिया गया, यहोवा ऐसे लोगों के संग उचित बात करता है।
 यहोवा भूखे लोगों को भोजन देता है।
 यहोवा बन्दी लोगों को छुड़ा दिया करता है।
8 यहोवा के प्रताप से अंधे फिर देखने लग जाते हैं।
 यहोवा उन लोगों को सहारा देता जो विपदा में पड़े हैं।
 यहोवा सज्जन लोगों से प्रेम करता है।
9 यहोवा उन परदेशियों की रक्षा किया करता है जो हमारे देश में बसे हैं।
 यहोवा अनाथों और विधवाओं का ध्यान रखता है
 किन्तु यहोवा दुर्जनों के कुचक्र को नष्ट करता हैं।

10 यहोवा सदा राज करता रहे!
 सिय्योन तुम्हारा परमेश्वर पर सदा राज करता रहे!

यहोवा का गुणगान करो!

समीक्षा

अपनी आशा किसी स्थान पर लगाएं

आज कल बहुत लोग ग़लत स्थान पर अपनी आशा को रखते हैं। वे धन में अपनी आशा रखते हैं, या सफल भविष्य से या फिर एक लंबे समय तक रहने वाले संबंधों पर, या फिर अपनी प्रतिमा और ओहदे या रुतबे पर। यह तो कुछ गलत नहीं है, परन्तु यह एक मज़बूत नीव नहीं है जिस पर आप अपना जीवन बना सकते हैं।

यह बहुत ही माइने रखता है आप भरोसा और आशा लगाते हैं, तुम प्रधानों पर भरोसा न रखना न किसी आदमी पर क्योंकि उसमे उद्धार करने की भी शक्ति नहीं। उसका भी प्राण निकलने पर वह भी मिट्टी में मिल जाएगा। उसी दिन उसकी सब कल्पनाएँ नष्ट हो जायेंगी। (व. 3 - 4)।

भजन सहिंताकार आप को सही मार्ग दर्शाते हैं कि आप को किस पर अपनी आशा रखनी है,’ क्या ही धन्य है वह, जिसका सहायक याकूब का परमेश्वर है और जिसका भरोसा अपने परमेश्वर यहोवा पर है। (व.5) अगर आप अपनी आशा परमेश्वर पर रखते हैं, तो वह आशा और प्राण के लिए लंगर है जो स्थिर और वृट है।‘ (इब्रानियो 6:19)

भजन सहिंताकार एक मज़बूत आशा प्रभु पर लगाए रहता है। वह परमेश्वर की बड़ाई लगातार करता रहता है। (भजन सहिता 146-1-2) वह पहचान जाता है कि परमेश्वर आकाश और पृथ्वी और समुद्र और उनमें जो कुछ है इनका कर्ता है और वह अपना वचन सदा के लिए पूरा करता है। (व.6)

आशा का परमेश्वर उन लोगों को एक नयी आशा देता है जो बहुत थोड़ी आशा रखते हैं। और वह मुझे और आपको यह कार्य करने के लिए बुलाता है।

भजन सहिंतकार ऐसा कुछ लोगों का वर्णन करता है जिन्हें सच में आशा की जरूरत है और वह उन्हें देता है। पिसे हुओं को, (व.7 अ) भूखों को (व.7ब) बंदियों को (व.7स) अंधों को (व. 8अ) परदेशियों को (व.9अ) और शोक संतप्त लोगों को (व.9ब)

प्रार्थना

प्रभु आपका धन्यवाद कि मैं आप में अपनी आशा रख सकता हूँ। धन्यवाद कि यह एक स्थिर और द्रढ़ लंगर है मेरे प्राण के लिए। मेरी सहायता करिए कि मैं उन लोगों को आशा दे सकूँ जिन्हें इसकी सख्त ज़रूरत है।
नए करार

प्रकाशित वाक्य 14:14-15:8

धरती की फसल की कटनी

14 फिर मैंने देखा कि मेरे सामने वहाँ एक सफेद बादल था। और उस बादल पर एक व्यक्ति बैठा था जो मनुष्य के पुत्र जैसा दिख रहा था। उसने सिर पर एक स्वर्णमुकुट धारण किया हुआ था और उसके हाथ में एक तेज हँसिया था। 15 तभी मन्दिर में से एक और स्वर्गदूत बाहर निकला। उसने जो बादल पर बैठा था, उससे ऊँचे स्वर में कहा, “हँसिया चला और फसल इकट्ठी कर क्योंकि फसल काटने का समय आ पहुँचा है। धरती की फसल पक चुकी है।” 16 सो जो बादल पर बैठा था, उसने धरती पर अपना हँसिया चलाया तथा धरती की फसल काट ली गयी।

17 फिर आकाश में स्थित मन्दिर में से एक और स्वर्गदूत बाहर निकला। उसके पास भी एक तेज हँसिया था। 18 तभी वेदी से एक और स्वर्गदूत आया। अग्नि पर उसका अधिकार था। उस स्वर्गदूत से ऊँचे स्वर में कहा, “अपने तेज हँसिये का प्रयोग कर और धरती की बेल से अंगूर के गुच्छे उतार ले क्योंकि इसके अंगूर पक चुके हैं।” 19 सो उस स्वर्गदूत ने धरती पर अपना हँसिया चलाया और धरती के अंगूर उतार लिए और उन्हें परमेश्वर के भयंकर कोप की कुण्ड में डाल दिया। 20 अंगूर नगर के बाहर की धानी में रौंद कर निचोड़ लिए गए। धानी में से लहू बह निकला। लहू घोड़े की लगाम जितना ऊपर चढ़ आया और कोई तीन सौ किलो मीटर की दूरी तक फैल गया।

अंतिम विनाश के दूत

15आकाश में फिर मैंने एक और महान एवम् अदभुत चिन्ह देखा। मैंने देखा कि सात दूत हैं जो सात अंतिम महाविनाशों को लिए हुए हैं। ये अंतिम विनाश हैं क्योंकि इनके साथ परमेश्वर का कोप भी समाप्त हो जाता है।

2 फिर मुझे काँच का एक सागर सा दिखायी दिया जिसमें मानो आग मिली हो। और मैंने देखा कि उन्होंने उस पशु की मूर्ति पर तथा उसके नाम से सम्बन्धित संख्या पर विजय पा ली है, वे भी उस काँच के सागर पर खड़े हैं। उन्होंने परमेश्वर के द्वारा दी गयी वीणाएँ ली हुई थीं। 3 वे परमेश्वर के सेवक मूसा और मेमने का यह गीत गा रहे थे:

“वे कर्म जिन्हें तू करता रहता, महान हैं।
तेरे कर्म अदभुत, तेरी शक्ति अनन्त है,
हे प्रभु परमेश्वर, तेरे मार्ग सच्चे और धार्मिकता से भरे हुए हैं,
सभी जातियों का राजा,
4 हे प्रभु, तुझसे सब लोग सदा भयभीत रहेंगे।
तेरा नाम लेकर सब जन स्तुति करेंगे,
क्योंकि तू मात्र ही पवित्र है।
सभी जातियाँ तेरे सम्मुख उपस्थित हुई तेरी उपासना करें।
क्योंकि तेरे कार्य प्रकट हैं, हे प्रभु तू जो करता वही न्याय है।”

5 इसके पश्चात् मैंने देखा कि स्वर्ग के मन्दिर अर्थात् वाचा के तम्बू को खोला गया 6 और वे सातों दूत जिनके पास अंतिम सात विनाश थे, मन्दिर से बाहर आये। उन्होंने चमकीले स्वच्छ सन के उत्तम रेशों के बने वस्त्र पहने हुए थे। अपने सीनों पर सोने के पटके बाँधे हुए थे। 7 फिर उन चार प्राणियों में से एक ने उन सातों दूतों को सोने के कटोरे दिए जो सदा-सर्वदा के लिए अमर परमेश्वर के कोप से भरे हुए थे। 8 वह मन्दिर परमेश्वर की महिमा और उसकी शक्ति के धुएँ से भरा हुआ था ताकि जब तक उन सात दूतों के सात विनाश पूरे न हो जायें, तब तक मन्दिर में कोई भी प्रवेश न करने पाये।

समीक्षा

आशा में आगे की ओर देखिए

आशा सामर्थी है। यह सिर्फ एक एहसास

या भावना नहीं है। यह परिस्थितियों पर निर्भर नहीं करती।

सच्ची आशा एक लगातार रहने वाली सकारात्मक सोच है इसके बजाय हमारी परिस्थिति क्या है। चीजें बेहतर के लिए बदल जाएंगी।

आशा एक मोटी चमड़ी के सामान है जो कितनी हवा चले फिर भी टिकेगी, लेकिन जॉन बनयान (1628 – 1688) अगर यह सही तरह की आशा है हर बातों को यह लेगी, उस अंडे की खातिर जो आने वाला है ..... यह आशा ही है जो मालिक व्यायाम करवाती है धीरज और सन्मय के लिए। उस क्रूस के अधीत में जब तक वह मुकुट को पाने का समय आएगा।

जब हम यह संसार की ओर मुड़कर देखते हैं हमें सिर्फ अन्याय नज़र आता है। बुरी बातें अच्छे लोगों के साथ होती हैं। बुराई हमेशा चढ़ाई करती है। हो सकता है अन्याय अभी हो रहा हो परन्तु एक दिन एक एक के लिए न्याय होगा। परमेश्वर हर चीज़ों को सही करेगा।

जैसे बीराप लेजली नियुबिगित ने कहा, ‘ मसीहों का प्रकाशमान होना इस बात से होता है कि वो फिर से आने वाला है’ और ‘ हम आने वाले राजा की ओर देखते हैं।‘ यह कल या कभी भी हो सकता है। यही मुझे याथपर्ण करती है और ज़िंदगी को एक मतलब देती है।

इस पद्य में यूहन्ना को ‘ सही चीज़ों को रखना’ इसकी झलक प्राप्त होती है। यीशु न्यायधीश होंगे। ‘ मैं ने दृष्टि की ओर देखा, एक उजला बादल है, और उस बादल पर मनुष्य के पुत्र जैसा कोई बैठा है. जिसके सिर पर सोने का मुकुट और धय में चोखा हंसुआ है।

यीशु ने कहा कि इस जीवन में गेहूं और जंगली बीज साथ में उगते हैं कटनी के समय तक(मत्ती 13:30) और यह की कटनी जगत का अंत है, और काटने वाले खेरीदूज हैं (व.39) वह बताता है कि कैसे जंगली दाने बटोरे जाते हैं और जलाये जाते हैं और कि कैसे उस समय धर्मी अपने पिता के राज्य में सूर्य के समान चमकेंगे। (व.43)

एक न्याय को यहाँ पर देखते हैं जहां पर वुष्ट से संबंधित का नारा होता है, ‘ परमेश्वर के प्रकोप के रस्कुंड में’ (प्रकाशितवाक्य 14:19)

जैसे आप इसे पढ़ते हैं याद करें कि यीशु ने उस परमेश्वर के प्रकोप के कटोरे को आप के लिए पी लिया उस क्रूस पर, और इसलिये आप इन सब के न्याय से भाग बन गए हैं। इस पंक्ती में हम देखते हैं कि परमेश्वर का न्याय समाप्त होता है। (व.15:1) यूहन्ना ऐसी एक चीज़ को देखता है जो “ आग मिले हुए कांच का एक समुद्र है। एक छात्र जो जलती हुई पवित्रता और प्रशान्ति को दर्शाता है। शांती और धार्मिकता एक साथ होकर चलती है।

परमेश्वर का न्याय संसार को पवित्र बनाता है, भ्रष्टाचार और दुष्टता का नाश करते हुए और अपने लोगों को उनसे जो उन्हें सताते हैं बचाता है। (पशु और उसकी मूर्ति) (व.2)

जैसे कि निर्गमत के बाद एक बड़ी पुकार परमेश्वर के पास से लोगों की ओर पहुँची, जिन्होंने हाल ही में लाल समुद्र पार किया तो अब परमेश्वर की बड़ाई में एक बड़ा शब्द हो रहा है:

 ‘महान और अदभुत हैं आपके कार्य,

  प्रभु परमेश्वर महान

 न्यायी और सत्य हैं आपके मार्ग

  समयों का राजा ........

 सारे देश आएंगें और आपके सम्मुख आराधना करेंगें।

क्योंकि आपकी धार्मिकता के काम प्रकट हुए हैं। (व.3-4)

प्रार्थना

धन्यवाद प्रभु कि एक दिन आप सभी चीज़ों को सही स्थान में ले आंएगे। धन्यवाद कि मेरे पास इतनी महान आशा है। जो कि सिर्फ यीशु के क्रूस से संभव हुई है।
जूना करार

एज्रा 10:1-44

लोग अपना पाप स्वीकार करते हैं

10एज्रा प्रार्थना कर रहा था और पापों को स्वीकार कर रहा था। वह परमेश्वर के मन्दिर के सामने रो रहा था और झुक कर प्रणाम कर रहा था। जिस समय एज्रा यह कर रहा था उस समय इस्राएल के लोगों का एक बड़ा समूह स्त्री, पुरूष और बच्चे उसके चारों ओर इकट्ठे हो गए। वे लोग भी जोर—जोर से रो रहे थे। 2 तब यहीएल के पुत्र शकन्याह ने जो एलाम के वंशजों में से था, एज्रा से बातें कीं। शकन्याह ने कहा, “हम लोग अपने परमेश्वर के भक्त नहीं रहे। हम लोगों ने अपने चारों ओर रहने वाले दूसरी जाति के लोगों के साथ विवाह किया। किन्तु यद्यपि हम यह कर चुके हैं तो भी इस्राएल के लिये आशा है। 3 अब हम अपने परमेश्वर के सामने उन सभी स्त्रियों और उनके बच्चों को वापस भेजने की वाचा करें। हम लोग यह एज्रा की सलाह मानने के लिये और उन लोगों की सलाह मानने के लिये करेंगे जो परमेश्वर के नियमों का सम्मान करते हैं। हम परमेश्वर के नियमों का पालन करेंगें। 4 एज्रा खड़े होओ, यह तुम्हारा उत्तरदायित्व है, किन्तु हम तुम्हारा समर्थन करेंगे। अत: साहसी बनो और इसे करो।”

5 अत: एज्रा उठ खड़ा हुआ। उसने प्रमुख याजक, लेवीवंशियों और इस्राएल के सभी लोगों से जो कुछ उसने कहा, उसे करने की, प्रतिज्ञा कराई। 6 तब एज्रा परमेश्वर के भवन के सामने से दूर हट गया। एज्रा एल्याशीब के पुत्र योहानान के कमरे में गया। जब तक एज्रा वहाँ रहा उसने भोजन नहीं किया और न ही पानी पिया। उसने यह किया क्योंकि वह तब भी बहुत दु:खी था। वह इस्राएल के उन लोगों के लिये दु:खी था जो यरूशलेम को वापस आए थे। 7 तब उसने एक सन्देश यहूदा और यरूशलेम में हर एक स्थान पर भेजा। सन्देश में बन्धुवाई से वापस लौटे सभी यहूदी लोगों को यरूशलेम में एक साथ इकट्ठा होने को कहा। 8 कोई भी व्यक्ति जो तीन दिन के भीतर यरूशलेम नहीं आएगा, उसे अपनी सारी धन सम्पत्ति दे देनी होगी। बड़े अधिकारियों और अग्रजों (प्रामुखों) ने यह निर्णय लिया और वह व्यक्ति उस व्यक्ति समूह का सदस्य नहीं रह जायेगा जिनके मध्य वह रहता होगा।

9 अत: तीन दिन के भीतर यहूदा और बिन्यामीन के परिवार के सभी पुरूष यरूशलेम में इकट्ठे हुए और नवें महीने के बीसवें दिन सभी लोग मन्दिर के आँगन में आ गये। वे सभी इस सभा के विचारणीय विषय के कारण तथा भारी वर्षा से बहुत परेशान थे। 10 तब याजक एज्रा खड़ा हुआ और उसने उन लोगों से कहा, “तुम लोग परमेश्वर के प्रति विश्वासी नहीं रहे। तुमने विदेशी स्त्रियों के साथ विवाह किया है। तुमने वैसा करके इस्राएल को और अधिक अपराधी बनाया है। 11 अब तुम लोगों के यहोवा को सामने स्वीकार करना होगा कि तुमने पाप किया है। यहोवा तुम लोगों के पूर्वजों का परमेश्वर है। तुम्हें यहोवा के आदेश का पालन करना चाहिए। अपने चारों ओर रहने वाले लोगों तथा अपनी विदेशी पत्नियों से अपने को अलग करो।”

12 तब पूरे समूह ने जो एक साथ इकट्ठा था, एज़्रा को उत्तर दिया। उन्होंने ऊँची आवाज़ में कहा: “एज्रा तुम बिल्कुल ठीक कहते हो! हमें वह करना चाहिये जो तुम कहते हो। 13 किन्तु यहाँ बहुत से लोग हैं और यह वर्षा का समय है सो हम लोग बाहर खड़े नहीं रह सकते। यह समस्या एक या दो दिन में हल नहीं होगी क्योंकि हम लोगों ने बुरी तरह पाप किये हैं। 14 पूरे समूह के सभा की ओर से हमारे प्रमुखों को निर्णय करने दो। तब निश्चित समय पर हमारे नगरों का हर एक व्यक्ति जिसने किसी विदेशी स्त्री से विवाह किया है, यरूशलेम आए। उन्हें अपने अग्रजों (प्रमुखों) और नगरों के न्यायाधीशों के साथ यहाँ आने दिया जाये। तब हमारा परमेश्वर हम पर क्रोधित होना छोड़ देगा।”

15 केवल थोड़े से व्यक्ति इस योजना के विरूद्ध थे। ये व्यक्ति थे असाहेल का पुत्र योनातान और तिकवा का पुत्र यहजयाह थे। लेवीवंशी मशुल्लाम और शब्बतै भी इस योजना के विरूद्ध थे।

16 अत: इस्राएल के वे लोग, जो यरूशलेम में वापस आए थे, उस योजना को स्वीकार करने को सहमत हो गए। याजक एज्रा ने परिवार के प्रमुख पुरूषों को चुना। उसने हर एक परिवार समूह से एक व्यक्ति को चुना। हर एक व्यक्ति नाम लेकर चुना गया। दसवें महीने के प्रथम दिन जो लोग चुने गए थे हर एक मामले की जाँच के लिये बैठे। 17 पहले महीने के पहले दिन तक उन्होंने उन सभी व्यक्तियों पर विचार करना पूरा कर लिया जिन्होंने विदेशी स्त्रियों से विवाह किया था।

विदेशी स्त्रियों से विवाह करने वालों की सूची

18 याजकों के वंशजों में ये नाम हैं जिन्होंने विदेशी स्त्रियों से विवाह किया: योसादाक के पुत्र येशू के वंशजों, और येशू के भाईयों में से ये व्यक्ति:

मासेयाह, एलीआज़र, यारीब और गदल्याह । 19 इन सभी ने अपनी —अपनी पत्नियों से सम्बन्ध —विच्छेद करना स्वीकार किया और तब हर एक ने अपने रेवड़ से एक —एक मेढ़ा अपराध भेंट के रूप में चढ़ाया। उन्होंने ऐसे अपने —अपने अपराधों के कारण किया।

20 इम्मेर के वंशजों में से ये व्यक्ति: हनानी और जबद्याह।

21 हारीम के वंशजों में से ये व्यक्ति थे: मासेयाह, एलियाह, शमायाह, यहीएल और उज्जियाह।

22 पशहूर के वंशजों में से ये व्यक्ति थे: एल्योएनै, मासेयाह, इशमाएल, नतनेल, योजाबाद और एलासा।

23 लेवीवंशियों में से इन व्यक्तियों ने विदेशी स्त्रियों से विवाह किया:

योजाबाद, शिमी, केलायाह (इसे कलीता भी कहा जाता है) पतह्याह, यहूदा और एलीआज़र।

24 गायकों में केवल यह व्यक्ति है, जिसने विदेशी स्त्री से विवाह किया: एल्याशीब।

द्वारपालों में से ये लोग हैं जिन्होंने विदेशी स्त्रियों से विवाह किया: शल्लूम, तेलेम और ऊरी।

25 इस्राएल के लोगों में से ये लोग हैं जिन्होंने विदेशी स्त्रियों से विवाह किया:

परोश के वंशजों से ये व्यक्ति: रम्याह, यिज्जियाह, मलिकयाह, मियामीन, एलीआज़र, मल्कियाह और बनायाह।

26 एलाम के वंशजों में से ये व्यक्ति: मत्तन्याह, जकर्याह, यहीएल, अब्दी, यरेमोत और एलियाह।

27 जत्तू के वंशजों में से ये व्यक्ति: एल्योएनै, एल्याशीब, मत्तन्याह, यरेमोत, जाबाद और अजीज़ा।

28 बेबै के वंशजों में से ये व्यक्ति: यहोहानान, हनन्याह जब्बै, और अतलै।

29 बानी के वंशजों में से ये व्यक्ति: मशुल्लाम, मल्लूक, अदायाह, याशूब, शाल और यरामोत।

30 पहतमोआब के वंशजों में से ये व्यक्ति: अदना, कलाल, बनायाह, मासेयाह, मत्तन्याह, बसलेल, बिन्नूई और मनश्शे।

31 हारीम के वंशजों में से ये व्यक्ति: एलिआज़र, यिश्शियाह, मल्कियाह, शमायाह, शिमोन, 32 बिन्यामीन, मल्लूक और शमर्याह।

33 हाशूम के वंशजों में से ये व्यक्ति: मत्तनै, मत्तत्ता, जाबाद, एलीपेलेत, यरेमै, मनश्शे और शिमी।

34 बानी के वंशजों में से ये व्यक्ति: मादै, अम्राम, ऊएल; 35 बनायाह, बेदयाह, कलूही; 36 बन्याह, मरेमोत, एल्याशीब; 37 मत्तन्याह, मतनै, यासू;

38 बिन्नूई के वंशजों में से ये व्यक्ति: शिमी, 39 शेलेम्याह, नातान, अदायाह; 40 मक्नदबै, शाशै, शारै; 41 अजरेल, शेलेम्याह, शेमर्याह; 42 शल्लूम, अमर्याह, और योसेफ।

43 नबो के वंशजों में से ये व्यक्ति: यीएल, मत्तित्याह, जाबाद, जबीना, यद्दो, योएल, और बनायाह।

44 इन सभी लोगों ने विदेशी स्त्रियों से विवाह किया था और इनमें से कुछ के इन पत्नियों से बच्चे भी थे।

समीक्षा

आशा कभी न छोडें

क्या आप को कभी ऐसा महसूस होता है कि आप बहुत दूर जा चुकें हैं? कुछ चीज़ें बहुत बार की हैं? या फिर इतना कुछ बुरा किया हो कि परमेश्वर तुम्हें माफ़ न करें यह पद्य एक प्रोत्साहन है कि कितना भी आप ने गलत किया हो‘ आप के लिए फिर भी एक आशा है’ (व.2) थेकातिया एज्रा से कहता है।

एज्रा प्रार्थना और पश्चाताप कर रहा था, गिड़गिड़ाते हुए और खुद को झुकाते हुए परमेश्वर के भवन के सामने (व.131) उसके साथ इस्राइल की एक बहुत बड़ी प्रजा थी – पुरुष, स्त्री और बच्चे उन्होंने भी विलाप किया (व.1ब)

एज्रा ने उपवास किया और लोगों की अविश्वासयोग्यता पर विलाप किया। पूर्ण रूप से 113 लोगों को महसूस हुआ कि उन्होंने पाप किया है। छियासी धन साधारण और सत्ताईस पुरोहित वर्ग के थे (लेवीय) । संपूर्ण मसीह सेवकाई की बुलाहट हमें परीक्षाओं से नहीं बचाती।

इसमे मुख्य बात जो रेखांकित की गई है वह यह कि इसरालियों का अन्य जातियों से विवाह करना। इस समय तक यह एक अधिकारिक समारोह होता था जिसके द्वारा गैर-यहूदी परिवर्तित हो सकते थे (6:21 देखें), यह ऐसा लगता है यह ही वह लोग थे जिन्होंने इसे करने से इनकार किया था।

एज्रा इस बात से चिंतित था कि बहुत से अपने मंगेतर को ( जहां बहुत से लोग अगुवे थे) उन्हें परमेश्वर से दूर कर देंगे। पवित्रशास्त्र आपको प्रोत्साहित करता है कि इस बात पर ध्यान दें कि आप किस्से विवाह करते हैं। और उससे विवाह न करें जो आप को परमेश्वर से दूर खींच सकता है (कुरिन्थियों 6:14) 6:14 और 3 सितंबर के लिए टिप्पणी देखें)।

फिर भी, अपनी पत्नियों को तलाक देने (एज़रा 10:19) एक तरह से अविश्वासियों को बदतर बनाना लग सकता है, और यह हमारे लिए पढ़ने के लिए एक कठिन लेखांश है। यह दिलचस्प बात है कि यह सर्वसम्मत नहीं था (v.15)। जब विश्वासघात हुआ, तो समाधान आदर्श से भी कम होना ही। और यह एक कठिन पद्य है हमारे लिए। परन्तु जब यही परेशानी नए नियम की कलीसिया के पास आई जिन्होंने अविश्वासी से विवाह किया हो उनको एक अलग किस्म की सलाह दी जाती है – उनको यह बताया जाता था कि अपने जीवन साथी के साथ जीवन बिता कर उनके लिए एक आशीष और आदर्श बनो। (1 कुरंथियों 7, 1 पतरस 3)

प्रार्थना

प्रभु यीशु हमारी सहायता कीजिए कि हम हमारे और हमारे समाज के पापों को गंभीर रूप से लें सकें। उनके लिए प्रार्थना करना, पश्चाताप करना, रोना और अपने आपको पश्चाताप में झुका देना आपके सम्मुख और ढिठाई को छोड़कर अगली बार आप के प्रति विश्वासयोग्य बनना। धन्यवाद कि अब भी आशा बाकी है आप के लोगों के लिए। धन्यवाद कि हमारी आशा आप में है, ‘जो सदा विश्वासयोग्य बना रहता है’ (भजन संहिता 146:6)

पिप्पा भी कहते है

भजन सहिता 146:8

‘प्रभु झुके हुओ को सीधा खड़ा करते हैं’

यह वचन हमें हर एक बड़े दिन के साथ याद दिलाता है कि ऐसे बहुत लोग हैं जो कठिन समयों से होकर जा रहे हैं। परमेश्वर कैसे इन लोगों को उठा कर खड़ा करें? परमेश्वर हमें इस्तेमाल करना चाहते हैं।

दिन का वचन

भजन संहिता – 146:8

"यहोवा अन्धों को आंखें देता है। यहोवा झुके हुओं को सीधा खड़ा करता है; यहोवा धर्मियों से प्रेम रखता है।”

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संदर्भ

एडी द ड्रेपर, ड्रेपर्स कोटेशन्स फॉर द क्रिश्चियन वर्ल्ड, (टीन्डल हाउस पब्लिकेशन, 1992) पन्ना 5912.

बिल हाइबल्स, हॉली डिसकन्टेंट, (ज़ोन्डर्वन, 2007) पन्ने 147-148.

लेसली न्यूबिगिन इन इंटरव्यू विथ एन्ड्र्यू जी. वाल्कर, 1988, एन्ड्र्यू जी वाल्कर में लिखित प्रतिलिपी, वेवार्ड सन से नोट: ए मिसेलानी, (कास्केड बुक्स, 2015) पन्ना 268

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

एक साल में बाइबल

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