दिन 339

आपके लिए परमेश्वर का उद्देश्य

बुद्धि भजन संहिता 139:1-10
नए करार 1 यूहन्ना 5:1-21
जूना करार दानिय्येल 11:36-12:13

परिचय

जीवन में उद्देश्य जायदाद या संपत्ति से अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। जीने के लिए पास में बहुत कुछ होना, जीने के लिए बहुत होने का विकल्प नहीं है। " आपके जीवन के दो महान दिन है, जिस दिन आप पैदा हुए थे और जिस दिन आपको पता चला कि क्यों" (मार्क ट्वेन)।

परमेश्वर के पास आपके लिए निश्चित उद्देश्य है। इसके अतिरिक्त, हम सभी के लिए परमेश्वर की सामान्य इच्छा बाईबल में प्रकट है। आज के लेखांश में हम देखते हैं कि परमेश्वर आपके लिए और सभी के लिए क्या चाहते हैं।

बुद्धि

भजन संहिता 139:1-10

संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का स्तुति गीत।

139हे यहोवा, तूने मुझे परखा है।
 मेरे बारे में तू सब कुछ जानता है।
2 तू जानता है कि मैं कब बैठता और कब खड़ा होता हूँ।
 तू दूर रहते हुए भी मेरी मन की बात जानता है।
3 हे यहोवा, तुझको ज्ञान है कि मैं कहाँ जाता और कब लेटता हूँ।
 मैं जो कुछ करता हूँ सब को तू जानता है।
4 हे यहोवा. इससे पहले की शब्द मेरे मुख से निकले तुझको पता होता है
 कि मैं क्या कहना चाहता हूँ।
5 हे यहोवा, तू मेरे चारों ओर छाया है।
 मेरे आगे और पीछे भी तू अपना निज हाथ मेरे ऊपर हौले से रखता है।
6 मुझे अचरज है उन बातों पर जिनको तू जानता है।
 जिनका मेरे लिये समझना बहुत कठिन है।

7 हर जगह जहाँ भी मैं जाता हूँ, वहाँ तेरी आत्मा रची है।
 हे यहोवा, मैं तुझसे बचकर नहीं जा सकता।
8 हे यहोवा, यदि मैं आकाश पर जाऊँ वहाँ पर तू ही है।
 यदि मैं मृत्यु के देश पाताल में जाऊँ वहाँ पर भी तू है।
9 हे यहोवा, यदि मैं पूर्व में जहाँ सूर्य निकलता है जाऊँ
 वहाँ पर भी तू है।
10 वहाँ तक भी तेरा दायाँ हाथ पहुँचाता है।
 और हाथ पकड़ कर मुझको ले चलता है।

समीक्षा

पहचाने जाना और उन्हें जानना

हम सभी के लिए परमेश्वर की बुलाहट है उनके द्वारा पहचाने जाना और उन्हें जानना। " हे यहोवा, तू ने मुझे जाँचकर जान लिया है" (व.1)।

शायद से दाऊद अपने बुढ़ापे में दर्शा रहे हैं कि कैसे परमेश्वर ने जीवन भर उन्हें मार्गदर्शित किया। "तू ने मुझे आगे पीछे घेर रखा है, और अपना हाथ मुझ पर रखे रखा है" (व.5): यह परमेश्वर के प्रेमी और उदार हाथ के बारे में बताता है जो उनके चुने हुए रास्ते पर उनके ऊपर रखे रहता है।

आप परमेश्वर की उपस्थिति में से बाहर नहीं जा सकते हैं। वह सब कुछ जानते हैं (व.2) और वह हर जगह हैं (वव.7-10)। मार्गदर्शन के लिए उन्हें देखियेः" तो वहाँ भी तू अपने हाथ से मेरी अगुवाई करेगा, और अपने दाहिने हाथ से मुझे पकड़े रहेगा" ( व.10)।

प्रार्थना

परमेश्वर, मुझे आपके मार्गदर्शन की बहुत आवश्यकता है। यहाँ पर आपके वायदे के लिए आपका धन्यवाद कि आपका हाथ मुझे मार्गदर्शित करेगा –आपका दाहिना हाथ मुझे थामे रहेगा।
नए करार

1 यूहन्ना 5:1-21

परमेश्वर की सन्तान संसार पर विजयी होती है

5जो कोई यह विश्वास करता है कि यीशु मसीह है, वह परमेश्वर की सन्तान बन जाता है और जो कोई परम पिता से प्रेम करता है वह उसकी सन्तान से भी प्रेम करेगा। 2 इस प्रकार जब हम परमेश्वर को प्रेम करते हैं और उसके आदेशों का पालन करते हैं तो हम जान लेते हैं कि हम परमेश्वर की सन्तानों से प्रेम करते हैं। 3 उसके आदेशों का पालन करते हुए हम यह दर्शाते हैं कि हम परमेश्वर से प्रेम करते हैं। उसके आदेश अत्यधिक कठोर नहीं हैं। 4 क्योंकि जो कोई परमेश्वर की सन्तान बन जाता है, वह जगत पर विजय पा लेता है और संसार के ऊपर हमें जिससे विजय मिली है, वह है हमारा विश्वास। 5 जो यह विश्वास करता है कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है, वही संसार पर विजयी होता है।

परमेश्वर का कथन: अपने पुत्र के विषय में

6 वह यीशु मसीह ही है जो हमारे पास जल और लहू के साथ आया। केवल जल के साथ नहीं, बल्कि जल और लहू के साथ। और वह आत्मा है जो उसकी साक्षी देता है क्योंकि आत्मा ही सत्य है। 7 साक्षी देने वाले तीन हैं। 8 आत्मा, जल और लहू और ये तीनों साक्षियाँ एक ही साक्षी देकर परस्पर सहमत हैं।

9 जब हम मनुष्य द्वारा दी गयी साक्षी को मानते हैं तो परमेश्वर द्वारा दी गयी साक्षी तो और अधिक मूल्यवान है। परमेश्वर की साक्षी का महत्व इसमें है कि अपने पुत्र के विषय में साक्षी उसने दी है। 10 वह जो परमेश्वर के पुत्र में विश्वास रखता है, वह अपने भीतर उस साक्षी को रखता है। परमेश्वर ने जो कहा है, उस पर जो विश्वास नहीं रखता, वह परमेश्वर को झूठा ठहराता है। क्योंकि उसने उस साक्षी का विश्वास नहीं किया है, जो परमेश्वर ने अपने पुत्र के विषय में दी है। 11 और वह साक्षी यह है: परमेश्वर ने हमें अनन्त जीवन दिया है और वह जीवन उसके पुत्र में प्राप्त होता है। 12 वह जो उसके पुत्र को धारण करता है, उस जीवन को धारण करता है। किन्तु जिसके पास परमेश्वर का पुत्र नहीं है, उसके पास वह जीवन भी नहीं है।

अब अनन्त जीवन हमारा है

13 परमेश्वर में विश्वास रखने वालो, तुमको ये बातें मैं इसलिए लिख रहा हूँ जिससे तुम यह जान लो कि अनन्त जीवन तुम्हारे पास है। 14 हमारा परमेश्वर में यह विश्वास है कि यदि हम उसकी इच्छा के अनुसार उससे विनती करें तो वह हमारी सुनता है 15 और जब हम यह जानते हैं कि वह हमारी सुनता है चाहे हम उससे कुछ भी माँगे तो हम यह भी जानते हैं कि जो हमने माँगा है, वह हमारा हो चुका है।

16 यदि कोई देखता है कि उसका भाई कोई ऐसा पाप कर रहा है जिसका फल अनन्त मृत्यु नहीं है, तो उसे अपने भाई के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। परमेश्वर उसे जीवन प्रदान करेगा। मैं उनके लिए जीवन के विषय में बात कर रहा हूँ, जो ऐसे पाप में लगे हैं, जो उन्हें अनन्त मृत्यु तक नहीं पहुँचायेगा। ऐसा पाप भी होता है जिसका फल मृत्यु है। मैं तुमसे ऐसे पाप के सम्बन्ध में विनती करने को नहीं कह रहा हूँ। 17 सभी बुरे काम पाप है। किन्तु ऐसा पाप भी होता है जो मृत्यु की ओर नहीं ले जाता।

18 हम जानते हैं कि जो कोई परमेश्वर का पुत्र बन गया, वह पाप नहीं करता रहता। बल्कि परमेश्वर का पुत्र उसकी रक्षा करता रहता है। वह दुष्ट उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाता। 19 हम जानते हैं कि हम परमेश्वर के हैं। यद्यपि यह समूचा संसार उस दुष्ट के वश में है। 20 किन्तु हमको पता है कि परमेश्वर का पुत्र आ गया है और उसने हमें वह ज्ञान दिया है ताकि हम उस परमेश्वर को जान लें जो सत्य है। और यह कि हम उसी में स्थित हैं, जो सत्य है, क्योंकि हम उसके पुत्र यीशु मसीह में स्थिर हैं। परम पिता ही सच्चा परमेश्वर है और वही अनन्त जीवन है। 21 हे बच्चों, अपने आप को झूठे देवताओं से दूर रखो।

समीक्षा

प्रेम किए गए और सर्वदा प्रेम करना

जिस क्षण आप यीशु मसीह में विश्वास करते हैं उसी क्षण आप "परमेश्वर से जन्म पाते हैं" (व.1)। आप परमेश्वर के प्रिय पुत्र बन जाते हैं जोकि "प्रेम हैं।" परमेश्वर आपसे उससे कहीं ज्यादा प्रेम करते हैं जितना कि मानवीय माता-पिता अपने बच्चों से करते हैं।

हम अपने स्वर्गीय पिता से प्रेम करते हैं, और इसलिए, हमें उनकी सभी संतानों से प्रेम करना चाहिए। सालों से, पीपा और मैंने ध्यान दिया है कि, उनके जन्म लेते ही, हम अपने मित्रों के बच्चों से एक विशेष प्रेम करने लगते हैं। अवश्य ही यह इसलिए है क्योंकि हम उनके माता-पिता से प्रेम करते हैं। यूहन्ना लिखते हैं, " जो कोई उत्पन्न करने वाले से प्रेम रखता है, वह उस से भी प्रेम रखता है जो उससे उत्पन्न हुए हैं" (व.1)।

ठीक जैसे कि माता-पिता जो अपने बच्चों से प्रेम करते हैं, वे चाहते हैं कि उनके बच्चे अपने भविष्य के विषय में निर्भीक बनें, वैसे ही परमेश्वर चाहते हैं कि आप अपने भविष्य के विषय में निर्भीक बनें।

जिस क्षण आप यीशु मसीह में विश्वास करते हैं, आप "परमेश्वर से जन्में" हैं (व.1) और "अनंत जीवन" ग्रहण करते हैं (व.12) – लेकिन कैसे आप इसके प्रति आश्वस्त हो सकते हैं: संत यूहन्ना हमें बताते हैं कि यह उनके पत्र का उद्देश्य हैः " मैं ने तुम्हें, जो परमेश्वर के पुत्र के नाम पर विश्वास करते हो, इसलिये लिखा है कि तुम जानो कि अनन्त जीवन तुम्हारा है" (व.13)।

इस लेखांश में हम एक सच्चे समीह की तीन परीक्षाओं को देखते हैं:

  1. विश्वास

"जिसका यह विश्वास है कि यीशु ही मसीह हैं, वह परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है ... क्योंकि जो कुछ परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है, वह संसार पर जय प्राप्त करता है; और वह विजय जिस से संसार पर जय प्राप्त होती है वह हमारा विश्वास है। संसार पर जय पाने वाला कौन है: केवल वह जिसका यह विश्वास है कि यीशु, परमेश्वर के पुत्र हैं" (वव.1अ, 4-5)।

एक मसीह वह है जो यीशु में विश्वास करता है। ऐसा करके, आप परमेश्वर की एक संतान बन जाते हैं।

  1. प्रेम

"जो कोई उत्पन्न करने वाले से प्रेम रखता है, वह उस से भी प्रेम रखता हैं जो उससे उत्पन्न हुए हैं" (व.1ब)।

सच्चे विश्वास का प्रमाण है प्रेम – परमेश्वर के लिए प्रेम, यीशु के लिए प्रेम, दूसरों के लिए प्रेम। विश्वास प्रेम से व्यक्त होता है।

  1. आज्ञाकारिता

"जब हम परमेश्वर से प्रेम रखते हैं और उनकी आज्ञाओं को मानते हैं, तो इसी से हम जानते हैं, कि हम परमेश्वर की सन्तानों से प्रेम रखते हैं। क्योंकि परमेश्वर से प्रेम रखना यह है कि हम उनकी आज्ञाओं को मानें" (वव.2-3)।

यह प्रेम केवल एक भावना नहीं है। इसमें कार्य शामिल है –परमेश्वर की आज्ञाओं को मानना।

यूहन्ना तीन गवाह के बारे में बताते हैं। कैसे आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि यीशु मसीह हैं, परमेश्वर के पुत्र: परमेश्वर के पास तीन गवाही हैं (वव.6-8):

  1. पानी

यीशु के बपतिस्मा के समय, परमेश्वर ने गवाही दी, "यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अत्यन्त प्रसन्न हूँ" (मत्ती 3:17)। बपतिस्मा "पानी" पर केंद्रित है।

  1. लहू

आपके लिए क्रूस पर बहाया गया यीशु का लहू दूसरी गवाही है। " यही है वह जो पानी और लहू के द्वारा आया था, अर्थात् यीशु मसीहः वह न केवल पानी के द्वारा वरन् पानी और लहू दोनों के द्वारा आये थे" (1यूहन्ना 5:6)। पवित्र कम्युनियन "लहू" पर केंद्रित है।

  1. आत्मा

पवित्र आत्मा हमारे हृदय में गवाही देते हैं कि यीशु परमेश्वर के पुत्र हैं (वव.6,10)। आत्मा सत्य का आत्मा है (व.6)। " हम उसमें जो सत्य है, अर्थात् उसके पुत्र यीशु मसीह में रहते हैं। सच्चा परमेश्वर और अनन्त जीवन यही है" (व.20)।

उदाहरण के लिए, अल्फा के दिन, हर मेहमान को अवसर मिलता है कि प्रार्थना करवाये और पवित्र आत्मा से भर जाये। बहुतों के लिए यह अल्फा में मुख्य समय है – जैसे ही वे पवित्र आत्मा से भरते हैं, वे परमेश्वर के साथ एक संबंध की वास्तविकता का अनुभव करते हैं और उनके लिए उनके प्रेम के आश्वासन का। यह परमेश्वर का अनुभव है जो उनके विश्वास की पुष्टि करता है और इसे स्थापित करता है।

परमेश्वर चाहते हैं कि आप आश्वस्त बने कि यीशु सच में मसीहा हैं, परमेश्वर के पुत्र। वह चाहते हैं कि आप जानो कि आपके पास उनके पुत्र में जीवन है (व.11)। सच में, आपके पास "अनंत जीवन" है (व.13)।

वह चाहते हैं कि आप परमेश्वर के सामने निर्भीकतापूर्वक आएः"और हमें उनके सामने जो साहस होता है, वह यह है; कि यदि हम उनकी इच्छा के अनुसार कुछ माँगते हैं, तो वह हमारी सुनते हैं। जब हम जानते हैं कि जो कुछ हम माँगते हैं वह हमारी सुनते हैं, तो यह भी जानते हैं कि जो कुछ हम ने उनसे मांगा, वह पाया है" (वव.14-15)।

कभी कभी आप जानते हैं कि परमेश्वर की इच्छा क्या है - यह पवित्रशास्त्र में स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है। दूसरे समय पर, शायद से आप सुनिश्चित न हो। चाहे जिस किसी स्थिति में, आप अपनी प्रार्थनाओं में माँग सकते हैं, "आपकी इच्छा पूरी होगी।"

यदि उत्तर "हाँ" है तो वह आपके विश्वास को बढ़ा रहे होंगे। यदि आप "इंतजार करें" तो शायद से वह आपके धीरज को बढ़ा रहे होंगे। यदि उत्तर है "नही", तो शायद से उनके दिमाग में कुछ बेहतर चीज होगी। भरोसा कीजिए कि उनकी इच्छा "अच्छी, ग्रहणयोग्य और सिद्ध" है (रोमियों 12:2)।

यूहन्ना हमें चुनौती देते हैं कि जो "परमेश्वर से जन्में हैं (मसीह विश्वासी) पाप न करें" (1यूहन्ना 5:18De)। दूसरे शब्दों में, हमको अपनी ईच्छापूर्वक पाप करते नहीं रहना है, जैसा कि मसीह में आने से पहले हम करते थे। किंतु, वह हमें परमेश्वर के अद्भुत वायदे के विषय में भी स्मरण दिलाते हैं कि " जो परमेश्वर से उत्पन्न हुआ, उसे वह बचाए रखते हैं, और दुष्ट उसे छू नहीं पाता" (व.18ब)। आप यीशु के प्रेम के हाथों में सुरक्षित हैं।

प्रार्थना

पिता, आपका धन्यवाद कि आप मुझसे प्रेम करते हैं और यीशु के प्रेम भरे हाथों में मुझे सुरक्षित रखते हैं। मेरी सहायता कीजिए आपके सभी बच्चों से प्रेम करुँ।
जूना करार

दानिय्येल 11:36-12:13

आत्म प्रशंसक राजा

36 “उत्तर का राजा जो चाहेगा, सो करेगा। वह अपने बारे में डींग हांकेगा। वह आत्म प्रशंसा करेगा और सोचेगा कि वह किसी देवता से भी अच्छा है। वह ऐसी बातें करेगा जो किसी ने कभी सुनी तक न होंगी। वह देवताओं का परमेश्वर के विरोध में ऐसी बातें करेगा। वह उस समय तक कामयाब होता चला जायेगा जब तक वे सभी बुरी बातें घट नहीं जाती। किन्तु परमेश्वर ने योजना रची है, वह तो पूरी होगी ही।

37 “उत्तर का वह राजा उन देवताओं की उपेक्षा करेगा जिन्हें उसके पूर्वज पूजा करते थे। उन देवताओं की मूर्तियों की वह परवाह नहीं करेगा जिनकी पूजा स्त्रियाँ किया करती हैं । वह किसी भी देवता की परवाह नहीं करेगा बल्कि वह स्वयं अपनी प्रशंसा करता रहेगा और अपने आपको किसी भी देवता से बड़ा मानेगा। 38 वह अपने पूर्वजों के देवता की अपेक्षा किले के देवता की पूजा करेगा वह सोने, चाँदी,बहुमूल्य हीरे जवाहरात और अन्य उपहारो से एक ऐसे देवता की पूजा करेगा जिसे उसके पूर्वज जानते तक नहीं थे।

39 “इस विदेशी देवता की सहायता से वह उत्तर का राजा सुदृढ़ गढ़ियों पर आक्रमण करेगा। वह उन लोगों को सम्मान देगा जिनकों वह बहुत पसन्द करेगा। वह बहुत से लोगों को उनके अधीन कर देगा। वे राजा जिस धरती पर राज करते हैं, उसके लिये वह उनसे भुगतान लिया करेगा।

40 “अंत आने के समय उत्तर का राजा, उस दक्षिण के राजा के साथ युद्ध करेगा। उत्तर का राजा उस पर हमला करेगा। वह रथों, घुड़सवारों और बहुत से विशाल जलयानों को लेकर उस पर चढ़ाई करेगा। उत्तर का राजा बाढ़ के से वेग के साथ उस धरती पर चढ़ आयेगा। 41 उत्तर का राजा “सुन्दर धरती” पर आक्रमण करेगा। उत्तरी राजा के द्वारा बहुत से देश पराजित होंगे किन्तु एदोम, मोआब और अम्मोनियों के मुखिया बच जायेंगे। 42 उत्तर का राजा बहुत से देशों में अपनी शक्ति दिखायेगा। मिस्र को भी उसकी शक्ति का पता चल जायेगा। 43 वह मिस्र के सोने चाँदी के खजानों और उसकी समूची सम्पत्ति को छीन लेगा। लूबी और कूशी लोग भी उसके अधीन हो जायेंगे। 44 किन्तु उत्तर के उस राजा को पूर्व और उत्तर से एक समाचार मिलेगा जिससे वह भयभीत हो उठेगा और उसे क्रोध आयेगा। वह बहुत से देशों को तबाह करने के लिये उठेगा। 45 वह अपने राजकीय तम्बू समुद्र और सुन्दर पवित्र पर्वत के बीच लगवायेगा। किन्तु आखिरकार वह बुरा राजा मर जायेगा। जब उसका अंत आयेगा तो उसे सहारा देने वाला वहाँ कोई नहीं होगा।

12“दर्शन वाले व्यक्ति ने कहा, ‘हे दानिय्येल, उस समय मीकाएल नाम का वह प्रधान स्वर्गदूत उठ खड़ा होगा। मीकाएल तुम्हारे यहूदी लोगों का संरक्षक है। फिर एक विपत्तिपूर्ण समय आयेगा। वह समय इतना भयानक होगा, जितना भयानक इस धरती पर, जब से कोई जाति अस्तित्व में आयी है, कभी नहीं आया होगा। किन्तु हे दानिय्येल, उस समय तेरे लोगों में से हर वह व्यक्ति जिसका नाम, जीवन की पुस्तक में लिखा मिलेगा, बच जायेगा। 2 धरती के वे असंख्य लोग जो मर चुके हैं और जिन्हें दफ़नाया जा चुका है, उठ खड़े होंगे और उनमें से कुछ अन्नत जीवन जीने के लिए उठ जायेंगे। किन्तु कुछ इसलिये जागेंगे कि उन्हें कभी नहीं समाप्त होने वाली लज्जा और घृणा प्राप्त होगी। 3 आकाश की भव्यता के समान बुद्धिमान पुरूष चमक उठेंगे। ऐसे बुद्धिमान पुरूष जिन्होंने दूसरों को अच्छे जीवन की राह दिखाई थी, अनन्त काल के लिये तारों के समान चमकने लगेंगे।’

4 “किन्तु हे दानिय्येल! इस सन्देश को तू छिपा कर के रख दे। तुझे यह पुस्तक बन्द कर देनी चाहिये। तुझे अंत समय तक इस रहस्य को छिपाकर रखना है। सच्चा ज्ञान पाने के लिये बहुत से लोग इधर—उधर भाग दौड़ करेंगे और इस प्रकार सच्चे ज्ञान का विकास होगा।”

5 फिर मैं (दानिय्येल) ने दृष्टि उठाई और दो अन्य लोगों को देखा। उनमें से एक व्यक्ति नदी के उस किनारे खड़ा हुआ था जिस किनारे मैं था और दूसरा व्यक्ति नदी के दूसरे किनारे खड़ा था। 6 वह व्यक्ति जिसने सन के कपड़े पहन रखे थे, नदी में पानी के बहाव के विरूद्ध खड़ा था। उन दोनों में से किसी एक ने उससे पूछा, “इन आश्चर्यपूर्ण बातों को समाप्त होने में अभी कितना समय लगेगा”

7 वह व्यक्ति जिसने सन के वस्त्र धारण किये हुए थे और जो नदी के जल के बहाव के विरूद्ध खड़ा हुआ था, उसने अपना दाहिना और बायां—दोनों हाथ आकाश की ओर उठाये। मैंने उस व्यक्ति को अमर परमेश्वर के नाम का प्रयोग करके एक शपथ बोलते हुए सुना। उसने कहा, “यह साढ़े तीन साल तक घटेगा। पवित्र जन की शक्ति टूट जायेगी और फिर ये सभी बाते अंतिम रूप से समाप्त हो जाएँगी।”

8 मैंने यह उत्तर सुना तो था किन्तु वास्तव में मैंने उसे समझा नहीं। सो मैंने पूछा, “हे महोदय, इन सभी बातों के सच निकलने के बाद क्या होगा?”

9 उसने उत्तर दिया, “दानिय्येल, तू अपना जीवन जीए जा। यह संदेश गुप्त है जब तक अंत समय नहीं आयेगा, यह गुप्त ही बना रहेगा। 10 बहुत से लोगों को शुद्ध किया जायेगा। वह लोग स्वयं अपने आप को स्वच्छ करेंगे किन्तु दुष्ट लोग, दुष्ट ही बने रहेंगे और वे दुष्ट लोग इन बातों को नहीं समझेंगे किन्तु बुद्धिमान इन बातों को समझ जायेंगे।

11 “जब दैनिक बलियाँ रोक दी जायेंगी तब से अब तक, जब वहाँ कुछ ऐसी भयानक घृणित वस्तु स्थापित होगा जो सचमुच विनाशक होगा, एक हजार दो सौ नब्बे दिनों का समय बीत चुका होगा। 12 वह व्यक्ति जो प्रतीक्षा करते हुए इन एक हजार तीन सौ पैंतीस दिनों के समय के अंत तक पहुँचेगा, वह बहुत अधिक भाग्यशाली होगा।

13 “हे दानिय्येल। जहाँ तक तेरी बात है, जा और अंत समय तक अपना जीवन जी। तुझे तेरा विश्राम प्राप्त होगा और अंत में तू अपना भाग प्राप्त करने के लिये मृत्यु से फिर उठ खड़ा होगा।”

समीक्षा

आशीष पाना और आशीष देना

परमेश्वर आपको आशीष देते हैं ताकि आप दूसरों के लिए एक आशीष बनें।

इस लेखांश की शुरुवात में, लेखक का दिमाग पहले से ही एन्टीओकस IV एपिफेन्स के समय से (ईसा पूर्व 215-164, में जो राजा था, जो मनमानी करता था, 11:36) निकलकर अंत समय में आ गया है।

यहाँ पर हमारे पास पुराने नियम की एक महान बात की पुष्टि है जोकि है कब्र के परे जीवन"परन्तु उस समय तेरे लोगों में से जितनों के नाम परमेश्वर की पुस्तक में लिखे हुए हैं, वे बच निकलेंगे। जो भूमि के नीचे सोए रहेंगे उन में से बहुत से लोग जाग उठेंगे, कितने तो सदा के जीवन के लिये, और कितने अपनी नामधराई और सदा तक अत्यन्त घिनौने ठहरने के लिये। तब सिखाने वालों की चमक आकाशमण्डल की सी होगी, और जो बहुतों को सत्यनिष्ठ बनाते हैं, वे सर्वदा तारों के समान प्रकाशमान रहेंगे" (12:1-3)।

आपके पास अनंत जीवन है। एक दिन आप सर्वदा तारों के समान प्रकाशमान रहेंगे। इसी दौरान, शुद्धिकरण की एक प्रक्रिया की आवश्यकता है। " बहुत से लोग तो अपने अपने को निर्मल और उजले करेंगे, और स्वच्छ हो जाएँगे" (व.10)। अपने आपको चलाने के साथ-साथ, दूसरों को "सही मार्ग पर चलाईये" (व.3, एम.एस.जी)। आपके लिए परमेश्वर का उद्देश्य यह नहीं है कि आप यीशु के आगमन का इंतजार करते हुए बैठे रहे कि आकर विश्व को छुटकारा दें। वह चाहते हैं कि आपका जीवन अभी अंतर पैदा करें। आप अपने आस-पास के लोगों के लिए एक आशीष बनने के लिए बुलाए गए हैं।

हम अपने चेले होने में एक दूसरे की सहायता करने के लिए बुलाए गए हैं। मैं सालों से नजदीकी मसीह मित्रों, साथ ही प्राचीनों, बुद्धिमान शिक्षकों के प्रोत्साहन, सहायता और चुनौती के लिए बहुत ही आभारी हूँ। यह बात बहुत सहायक है कि आपके पास शिक्षक हो, और आप बदले में अपने से विश्वास में छोटे लोगों की सहायता करें। जैसे ही हम एक दूसरे को चुनौती देते हैं और एक दूसरे की सहायता करते हैं, हम सभी अपने चेले होने में बढ़ते हैं।

दानिय्येल से कहा गया, " अब तू जाकर अन्त तक ठहरा रह; और तू विश्राम करता रहेगा; और उन दिनों के अन्त में तू अपने निज भाग पर खड़ा होगा" (व.13, एम.एस.जी.)। दानिय्येल के लिए यह कितना अद्भुत वायदा होगा। उसने अपने व्यवसाय जीवन में और एक भविष्यवक्ता के रूप में अपने काम में, दोनों में कठिन परिश्रम किया था। अब बाकी के आयेंगे और परमेश्वर ने उन्हें एक उत्तरधिकार सौंप दिया था।

आपके पास भी अनंत जीवन का यह वायदा है और आप सर्वदा तारों के समान प्रकाशमान रहेंगे।

प्रार्थना

परमेश्वर, आपका धन्यवाद कि आपने मुझे बहुत आशीष दी है। मेरी सहायता कीजिए कि दूसरों तक आशीष लाऊँ, जैसे ही मैं उन्हें जीवन के सही मार्ग पर लाता हूँ।

पिप्पा भी कहते है

भजनसंहिता 139 मेरा मनपसंदीदा भजन है। बाईबल में सबसे पहले मैं इस जगह पर जाती हूँ जब मैं परेशानी महसूस करती हूँ। विश्व में मैं जहाँ कही हूँ - चाहे घर से नजदीक या दूर – मैं चाहे जैसा महसूस करती हूँ, मैं वचन 10 में बहुत शांति महसूस करती हूँ "वहाँ भी आपका हाथ मुझे मार्गदर्शित करता रहेगा, आपका दाहिना हाथ मुझे थामे रहेगा।"

दिन का वचन

भजन संहिता – 139:10

“तो वहां भी तू अपने हाथ से मेरी अगुवाई करेगा, और अपने दाहिने हाथ से मुझे पकड़े रहेगा।"

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संदर्भ

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट ऊ 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी", बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइडऍ बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट ऊ 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट ऊ 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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