सही चीज करें
परिचय
मार्टिन लूथर किंग ने कहा, ‘कुछ स्थिति में, कायर प्रश्न पूछते हैं, ‘क्या यह सुरक्षित है?’ कार्यसिद्धी करने वाले पूछते हैं, ‘क्या यह राजनैतिक है?’ और असंतुष्टता साथ आकर पूछती है, ‘क्या यह प्रसिद्ध है?’ लेकिन विवेक पूछता है, ‘क्या यह सही है?’
‘एक व्यक्ति का मूल्य इस बात से नहीं कि सुविधा के समय वे कहाँ खड़े होते हैं, बल्कि चुनौती, बड़ी मुसीबत और विरोधाभास के समय वे कहाँ खड़े होते हैं।’
काम पर कठिन स्थितियों में सही चीज करना एक बड़ी चुनौती है। परमेश्वर कार्य करते हुए, नामक अपनी पुस्तक में केन कोस्टा लिखते हैं, ‘सही और गलत चुनाव होते हैं... सभी खोजे गए शब्द जैसे कि ‘अनुचित’ और ‘विपरीत प्रभाव’ प्रयास है कि सरल नैतिक तथ्य को नकारा जाए कि कार्य की एक सही और गलत दिशा है।’
जब एक कठिन पासवान की स्थिति का सामना करते हैं तब हमें जो चर्च के लीडरशिप में हैं, हमें अपने आपको याद दिलाने की आवश्यकता है कि पहला प्रश्न हमें पूछना है कि, ‘क्या करना सही है?’ और केवल तभी दूसरे प्रश्न पर जाईये, ‘इसे करने का पास्टर का सबसे अच्छा तरीका क्या है?’
निश्चित ही, हममें से कोई इसे हर बार सही से नहीं करता है। हम सभी गलतियाँ करते हैं। जैसा कि केन कोस्टा लिखते हैं, ‘हम केवल बुद्धि में बढ़ते हैं यदि हम अपनी गलतियों से सीखे। सिगमुंड वारबर्ग (केन के पहले बॉस) ने इस विषय में कहाः’कुछ इसे निराशा का नाम देते हैं और गरीब बनते जाते हैं, दूसरे इसे अनुभव का नाम देते हैं और अमीर बनते जाते हैं।’
आज के नये नियम के लेखांश में, पौलुस थिस्सलुनिकियों को लिखते हैं, ‘ भलाई करने में साहस न छोड़ो।’ (2 थिस्सलुनिकियों 3:13)। यीशु सरल या प्रसिद्ध समाधान के पास नहीं गए, बल्कि उन्होंने हमेशा सही चीज की। यह एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो पूरी बाईबल में है।
नीतिवचन 25:1-10
सुलैमान की कुछ और सूक्तियाँ
25सुलैमान की ये कुछ अन्य सूक्तियाँ हैं जिनका प्रतिलेख यहूदा के राजा हिजकिय्याह के लोगों ने तैयार किया था:
2 किसी विषय—वस्तु को रहस्यपूर्ण रखने में परमेश्वर की गरिमा है
किन्तु किसी बात को ढूँढ निकालने में राजा की महिमा है।
3 जैसे ऊपर अन्तहीन आकाश है और नीचे अटल धरती है,
वैसे ही राजाओं के मन होते हैं जिनके ओर—छोर का कोई अता पता नहीं। उसकी थाह लेना कठिन है।
4 जैसे चाँदी से खोट का दूर करना,
सुनार को उपयोगी होता है,
5 वैसे ही राजा के सामने से दुष्ट को दूर करना
नेकी उसके सिंहासन को अटल करता है।
6 राजा के सामने अपने बड़ाई मत बखानो
और महापुरुषों के बीच स्थान मत चाहो।
7 उत्तम वह है जो तुझसे कहे, “आ यहाँ, आ जा”
अपेक्षा इसके कि कुलीन जन के समक्ष वह तेरा निरादर करें।
8 तू किसी को जल्दी में कचहरी मत घसीट।
क्योंकि अंत में वह लज्जित करें तो तू क्या कहेगा
9 यदि तू अपने पड़ोसी के संग में किसी बात पर विवाद करे,
तो किसी जन का विश्वास जो तुझमें निहित है, उसको तू मत तोड़।
10 ऐसा न हो जाये कहीं तेरी जो सुनता हो, लज्जित तुझे ही करे।
और तू ऐसे अपयश का भागी बने जिसका अंत न हो।
समीक्षा
सही चीज करना बहुत प्रायोगिक है
सही चीज करने का अर्थ है हर उस चीज से छुटकारा पाना जो हमारे जीवन में सही नहीं हैः’चाँदी में से मैल दूर करने पर वह सुनार के लिये काम की हो जाती है। राजा के सामने से दुष्ट को निकाल देने पर उसकी गद्दी सत्यनिष्ठा के कारण स्थिर होगी’ (वव.4-5)। यहाँ पर कुछ प्रायोगिक उदाहरण हैं कि सत्यनिष्ठ रूपी जीवन जीना कैसा दिखता हैः
1. दीनता के साथ कार्य करें
आपको अपने आपको आगे धकेलने की आवश्यकता नहीं है। सही चीज जो करनी है, वह है दीनता के साथ कार्य करोः’राजा के सामने अपनी बड़ाई न करना और बड़े लोगों के स्थान में खड़ा न होना; क्योंकि जिस प्रधान का तू ने दर्शन किया हो उसके सामने तेरा अपमान न हो, वरन् तुझ से यह कहा जाए, ‘आगे बढ़कर विराज।’ (वव.6-7, एम.एस.जी)
यही बात है जो यीशु ने अपने दृष्टांतों में समझायी थी (लूका 14:8-11)।
2. हमेशा सर्वश्रेष्ठ को मानिये
’झगड़ा करने में जल्दी न करना नहीं तो अन्त में जब तेरा पड़ोसी मेरा मुँह काला करे तब तू क्या कर सकेगा?’ (व.8)। यदि आपको न्यायालय में जाना पड़े, तो हमेशा सही चीज करें और कहे। ‘ अपने पड़ोसी के साथ वादविवाद एकान्त में करना, और पराये का भेद न खोलना’ (व.9, एम.एस.जी)।
प्रार्थना
2 थिस्सलुनीकियों 3:1-18
हमारे लिए प्रार्थना करो
3हे भाईयों, तुम्हें कुछ और बातें हमें बतानी हैं। हमारे लिए प्रार्थना करो कि प्रभु का संदेश तीव्रता से फैले और महिमा पाए। जैसा कि तुम लोगों के बीच हुआ है। 2 प्रार्थना करो कि हम भटके हुओं और दुष्ट मनुष्यों से दूर रहें। (क्योंकि सभी लोगों का तो प्रभु में विश्वास नहीं होता।)
3 किन्तु प्रभु तो विश्वासपूर्ण है। वह तुम्हारी शक्ति बढ़ाएगा और तुम्हें उस दुष्ट से बचाए रखेगा। 4 हमें प्रभु में तुम्हारी स्थिति के विषय में विश्वास है। और हमें पूरा निश्चय है कि हमने तुम्हें जो कुछ करने को कहा है, तुम वैसे ही कर रहे हो और करते रहोगे। 5 प्रभु तुम्हारे हृदयों को परमेश्वर के प्रेम और मसीह की धैर्यपूर्ण दृढ़ता की ओर अग्रसर करे।
कर्म की अनिवार्यता
6 भाईयों! अब तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम में यह आदेश है कि तुम हर उस भाई से दूर रहो जो ऐसा जीवन जीता है जो उसके लिए उचित नहीं है। 7 मैं यह इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि तुम तो स्वयं ही जानते हो कि तुम्हें हमारा अनुकरण कैसे करना चाहिए क्योंकि तुम्हारे बीच रहते हुए हम कभी आलसी नहीं रहे। 8 हमने बिना मूल्य चुकाए किसी से भोजन ग्रहण नहीं किया, बल्कि जतन और परिश्रम करते हुए हम दिन रात काम में जुटे रहे ताकि तुममें से किसी पर भी बोझ न पड़े। 9 ऐसा नहीं कि हमें तुमसे सहायता लेने का कोई अधिकार नहीं है, बल्कि हम इसलिए कड़ी मेहनत करते रहे ताकि तुम उसका अनुसरण कर सको। 10 इसलिए हम जब तुम्हारे साथ थे, हमने तुम्हें यह आदेश दिया था: “यदि कोई काम न करना चाहे तो वह खाना भी न खाए।”
11 हमें ऐसा बताया गया है कि तुम्हारे बीच कुछ ऐसे भी हैं जो ऐसा जीवन जीते हैं जो उनके अनुकूल नहीं है। वे कोई काम नहीं करते, दूसरों की बातों में टाँग अड़ाते हुए इधर-उधर घूमते फिरते हैं। 12 ऐसे लोगों को हम यीशु मसीह के नाम पर समझाते हुए आदेश देते हैं कि वे शांति के साथ अपना काम करें और अपनी कमाई का ही खाना खायें। 13 किन्तु हे भाईयों, जहाँ तक तुम्हारी बात है, भलाई करते हुए कभी थको मत।
14 इस पत्र के माध्यम से दिए गए हमारे आदेशों पर यदि कोई न चले तो उस व्यक्ति पर नजर रखो और उसकी संगत से दूर रहो ताकि उसे लज्जा आए। 15 किन्तु उसके साथ शत्रु जैसा व्यवहार मत करो बल्कि भाई के समान उसे चेताओ।
पत्र का समापन
16 अब शांति का प्रभु स्वयं तुम्हें हर समय, हर प्रकार से शांति दे। प्रभु तुम सब के साथ रहे।
17 मैं पौलुस स्वयं अपनी लिखावट में यह नमस्कार लिख रहा हूँ। मैं इसी प्रकार हर पत्र पर हस्ताक्षर करता हूँ। मेरे लिखने की शैली यही है। 18 हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम सब पर बना रहे।
समीक्षा
सही चीज करना संदेश को फैलाता है
पौलुस की अत्यधिक चिंता थी कि सुसमाचार शीघ्रता से सभी लोगों तक पहुँचे – कि यह ‘ ऐसा शीघ्र फैले और महिमा पाए, जैसा तुम में हुआ’ (व.1, एम.एस.जी)।
ऐसा होने के लिए, वह प्रार्थना करते हैं कि वे निरंतर सही चीजों को करेंगेः’ हमें प्रभु में तुम्हारे ऊपर भरोसा है कि जो – जो आज्ञा हम तुम्हें देते हैं, उन्हें तुम मानते भी रहोगे’ (व.4)। वह उन्हें बताते हैं, ‘ तुम आप जानते हो कि किस रीति से हमारी सी चाल चलनी चाहिए’ (व.7)। पौलुस ने इस तरह से जीवन जीया कि ‘ अपने आप को तुम्हारे लिये आदर्श ठहराएँ कि तुम हमारी सी चाल चलो’ (व.9)। वह चिताते हैं, ‘ भलाई करने में साहस न छोड़ो।’ (व.13)।
1. अपने लीडर्स के लिए प्रार्थना करो
लीडर्स को आपकी प्रार्थनाओं की आवश्यकता हैः’और प्रार्थना करो कि हम टेढ़े और दुष्ट मनुष्यों से बचे रहें क्योंकि हर एक में विश्वास नहीं। परन्तु प्रभु सच्चे हैं; वह तुम्हें दृढ़ता से स्थिर करेंगे और उस दुष्ट से सुरक्षित रखेंगे’ (वव.2-3)।
2. प्रेम के मार्ग पर चलो
पौलुस प्रार्थना करते हैं, ‘ परमेश्वर के प्रेम की ओर प्रभु तुम्हारे मन की अगुआई करें’ (व.5अ)।
3. कभी हार मत मानो
वह प्रार्थना करते हैं कि ‘ परमेश्वर के प्रेम और मसीह के धीरज की ओर प्रभु तुम्हारे मन की अगुआई करें।’ (व.5)।
कभी कभी या जब आप महसूस करते हैं तभी सही चीज करना काफी नहीं है। लगातार करे, सहे और अंत तक बने रहे।
4. अपने आपको खींचिये
ऐसी कोई चीज मत करिए कि सुसमाचार की निंदा हो। बेकार बैठकर जीवन को गुजरते हुए मत देखो। पौलुस कठिन परिश्रम का उदाहरण देते हैं:’ क्योंकि तुम आप जानते हो कि किस रीति से हमारी सी चाल चलनी चाहिए, क्योंकि हम तुम्हारे बीच में अनुचित चाल न चले, और किसी की रोटी मुफ्त में न खाई; पर परिश्रम और कष्ट से रात दिन काम धन्धा करते थे कि तुम में से किसी पर भार न हो ... पर इसलिये कि अपने आप को तुम्हारे लिये आदर्श ठहराएँ कि तुम हमारी सी चाल चलो। ‘ (वव.7-9, एम.एस.जी)।
हमें अनुशासन का इस्तेमाल करना है। यदि लोग सही चीज नहीं कर रहे हैं तो उनके साथ शत्रुओं जैसा बर्ताव नहीं करना चाहिए, बल्कि भाई और बहन की तरह चेतावनी दी जानी चाहिए (व.15)।
प्रार्थना
यिर्मयाह 31:15-32:25
15 यहोवा कहता है,
“रामा में एक चिल्लाहट सुनाई पड़ेगी—
यह कटु रूदन और अधिक उदासी भरी होगी।
राहेल अपने बच्चों के लिये रोएगी राहेल सान्त्वना पाने से इन्कार करेगी,
क्योंकि उसके बच्चे मर गए हैं।”
16 किन्तु यहोवा कहता है: “रोना बन्द करो,
अपनी आँखे आँसू से न भरो!
तुम्हें अपने काम का पुरस्कार मिलेगा!”
यह सन्देश यहोवा का है।
“इस्राएल के लोग अपने शत्रु के देश से वापस आएंगे।
17 अत: इस्राएल, तुम्हारे लिये आशा है।”
यह सन्देश यहोवा का है।
“तुम्हारे बच्चे अपने देश में वापस लौटेंगे।
18 मैंने एप्रैम को रोते सुना है।
मैंने एप्रैम को यह कहते सुना है:
‘हे यहोवा, तूने, सच ही, मुझे दण्ड दिया है
और मैंने अपना पाठ सीख लिया।
मैं उस बछड़े की तरह था जिसे कभी प्रशिक्षण नहीं मिला कृपया मुझे दण्ड देना बन्द कर, मैं तेरे पास वापस आऊँगा।
तू सच ही मेरा परमेश्वर यहोवा है।
19 हे यहोवा, मैं तुझसे भटक गया था।
किन्तु मैंने जो बुरा किया उससे शिक्षा ली।
अत: मैंने अपने हृदय और जीवन को बदल डाला।
जो मैंने युवाकाल में मूर्खतापूर्ण काम किये उनके लिये मैं परेशान और लज्जित हूँ।’”
20 परमेश्वर कहता है:
“तुम जानते हो कि एप्रैम मेरा प्रिय पुत्र है।
मैं उस बच्चे से प्यार करता हूँ।
हाँ, मैं प्राय: एप्रैम के विरुद्ध बोलता हूँ,
किन्तु फिर भी मैं उसे याद रखता हूँ। मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ।
मैं सच ही, उसे आराम पहुँचाना चाहता हूँ।”
यह सन्देश यहोवा का है।
21 “इस्राएल के लोगों, सड़कों के संकेतों को लगाओ।
उन संकेतों को लगाओ जो तुम्हें घर का मार्ग बतायें।
सड़क को ध्यान से देखो।
उस सड़क पर ध्यान रखो जिससे तुम यात्रा कर रहे हो।
मेरी दुल्हन इस्राएल घर लौटो,
अपने नगरों को लौट आओ।
22 अविश्वासी पुत्री कब तक तुम चारों ओर मंडराती रहोगी
तुम कब घर आओगी”
यहोवा एक नयी चीज़ धरती पर बनाता है:
एक स्त्री, पुरुष के चारों तरफ।
23 इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है: “मैं यहूदा के लोगों के लिये फिर अच्छा काम करूँगा। उस समय यहूदा देश और उसके नगरों के लोग इन शब्दों का उपयोग फिर करेंगे: ‘ऐ सच्ची निवास भूमि ये पवित्र पर्वत यहोवा तुम्हें आशीर्वाद दे।’
24 “यहूदा के सभी नगरों में लोग एक साथ शान्तिपूर्वक रहेंगे। किसान और वह व्यक्ति जो अपनी भेड़ों की रेवड़ों के साथ चारों ओर घूमते हैं, यहूदा में शान्ति से एक साथ रहेंगे। 25 मैं उन लोगों को आराम और शक्ति दूँगा जो थके और कमजोर हैं।”
26 यह सुनने के बाद मैं (यिर्मयाह) जगा और अपने चारों ओर देखा। वह बड़ी आनन्ददायक नींद थी।
27 “वे दिन आ रहे हैं जब मैं यहूदा और इस्राएल के परिवारों को बढ़ाऊँगा।” यह सन्देश यहोवा का है। “मैं उनके बच्चों और जानवरों के बढ़ने में भी सहायता करुँगा। यह पौधे के रोपने और देखभाल करने जैसा होगा। 28 अतीत में, मैंने इस्राएल और यहूदा पर ध्यान दिया, किन्तु मैंने उस समय उन्हें फटकारने की दृष्टि से ध्यान दिया। मैंने उन्हें उखाड़ फेंका। मैंने उन्हें नष्ट किया। मैंने उन पर अनेक विपत्तियाँ ढाई। किन्तु अब मैं उन पर उनको बनाने तथा उन्हें शक्तिशाली करने की दृष्टि से ध्यान दूँगा।” यह सन्देश यहोवा का है।
29 “उस समय लोग इस कहावत को कहना बन्द कर देंगे:
‘पूर्वजों ने खट्टे अंगूर खाये
और बच्चों के दाँत खट्टे हो गये।’
30 किन्तु हर एक व्यक्ति अपने पाप के लिये मरेगा। जो व्यक्ति खट्टे अंगूर खायेगा, वही खट्टे स्वाद के कारण अपने दाँत घिसेगा।”
नयी वाचा
31 यहोवा ने यह सब कहा, “वह समय आ रहा है जब मैं इस्राएल के परिवार तथा यहूदा के परिवार के साथ नयी वाचा करूँगा। 32 यह उस वाचा की तरह नहीं होगी जिसे मैंने उनके पूर्वजों के साथ की थी। मैंने वह वाचा तब की जब मैंने उनके हाथ पकड़े और उन्हें मिस्र से बाहर लाया। मैं उनका स्वामी था और उन्होंने वाचा तोड़ी।” यह सन्देश यहोवा का है।
33 “भविष्य में यह वाचा मैं इस्राएल के लोगों के साथ करूँगा।” यह सन्देश यहोवा का है। “मैं अपनी शिक्षाओं को उनके मस्तिष्क में रखूँगा तथा उनके हृदयों पर लिखूँगा। मैं उनका परमेश्वर होऊँगा और वे मेरे लोग होंगे। 34 लोगों को यहोवा को जानने के लिए अपने पड़ोसियों और रिश्तेदारों को, शिक्षा देना नहीं पड़ेगी। क्यों क्योंकि सबसे बड़े से लेकर सबसे छोटे तक सभी मुझे जानेंगे।” यह सन्देश यहोवा का है। “जो बुरा काम उन्होंने कर दिया उसे मैं क्षमा कर दूँगा। मैं उनके पापों को याद नहीं रखूँगा।”
यहोवा इस्राएल को कभी नहीं छोड़ेगा
35 यहोवा यह कहता है:
“यहोवा सूर्य को दिन में चमकाता है
और यहोबा चाँद और तारों को रात में चमकाता है।
यहोवा सागर को चंचल करता है जिससे उसकी लहरे तट से टकराती हैं।
उसका नाम सर्वशक्तिमान यहोवा है।”
36 यहोवा यह सब कहता है,“मेरे सामने इस्राएल के वंशज उसी दशा में एक राष्ट्र न रहेंगे।
यदि मैं सूर्य, चन्द्र, तारे और सागर पर अपना नियन्त्रण खो दूँगा।”
37 यहोवा कहता है: “मैं इस्राएल के वंशजों का कभी नहीं त्याग करुँगा।
यह तभी संभव है यदि लोग ऊपर आसमान को नापने लगें और नीचे धरती के सारे रहस्यों को जान जायें।
यदि लोग वह सब कर सकेंगे तभी मैं इस्राएल के वंशजों को त्याग दूँगा।
तब मैं उनको, जो कुछ उन्होंने किया, उसके लिये त्यागूँगा।”
यह सन्देश यहोवा का है।
नया यरूशलेम
38 यह सन्देश यहोवा का है: “वे दिन आ रहे हैं जब यरूशलेम नगर यहोवा के लिये फिर बनेगा। पूरा नगर हननेल के स्तम्भ से कोने वाले फाटक तक फिर बनेगा। 39 नाप की जंजीर कोने वाले फाटक से सीधे गारेब की पहाड़ी तक बिछेगी और तब गोआ नामक स्थान तक फैलेगी। 40 पूरी घाटी जहाँ शव और राख फेंकी जाती है, यहोवा के लिये पवित्र होगी और उसमें किद्रोन घाटी तक के सभी टीले पूर्व में अश्वद्वार के कोने तक सम्मिलित होंगे। सारा क्षेत्र यहोवा के लिये पवित्र होगा। यरूशलेम का नगर भविष्य में न ध्वस्त होगा, न ही नष्ट किया जाएगा।”
यिर्मयाह एक खेत खरीदता है
32सिदकिय्याह के यहूदा में राज्य काल के दसवें वर्ष, यिर्मयाह को यहोवा का यह सन्देश मिला। सिदकिय्याह का दसवाँ वर्ष नबूकदनेस्सर का अट्ठारहवाँ वर्ष था। 2 उस समय बाबुल के राजा की सेना यरूशलेम नगर को घेरे हुए थी और यिर्मयाह रक्षक प्रांगण में बन्दी था। यह प्रागंण यहूदा के राजा के महल में था। 3 यहूदा के राजा सिदकिय्याह ने उस स्थान पर यिर्मयाह को बन्दी बना रखा था। सिदकिय्याह यिर्मयाह की भविष्यवाणियों को पसन्द नहीं करता था। यिर्मयाह ने कहा, “यहोवा यह कहता है: ‘मैं यरूशलेम को शीघ्र ही बाबुल के राजा को दे दूँगा। नबूकदनेस्सर इस नगर पर अधिकार कर लेगा। 4 यहूदा का राजा सिदकिय्याह कसदियों की सेना से बचकर निकल नहीं पाएगा। किन्तु वह निश्चय ही बाबुल के राजा को दिया जायेगा और सिदकिय्याह बाबुल के राजा से आमने—सामने बातें करेगा। सिदकिय्याह उसे अपनी आँखों से देखेगा। 5 बाबुल का राजा सिदकिय्याह को बाबुल ले जाएगा। सिदकिय्याह तब तक वहाँ ठहरेगा जब तक मैं उसे दण्ड नहीं दे लेता।’ यह सन्देश यहोवा का है। ‘यदि तुम कसदियों की सेना से लड़ोगे, तुम्हें सफलता नहीं मिलेगी।’”
6 जिस समय यिर्मयाह बन्दी था, उसने कहा, “यहोवा का सन्देश मुझे मिला। वह सन्देश यह था: 7 ‘यिर्मयाह, तुम्हारा चचेरा भाई हननेल शीघ्र ही तुम्हारे पास आएगा। वह तुम्हारे चाचा शल्लूम का पुत्र है।’ हननेल तुमसे यह कहेगा, ‘यिर्मयाह, अनातोत नगर के पास मेरा खेत खरीद लो। इसे खरीद लो क्योंकि तुम मेरे सबसे समीपी रिश्तेदार हो। उस खेत को खरीदना तुम्हारा अधिकार तथा तुम्हारा उत्तरदायित्व है।’”
8 “तब यह वैसा ही हुआ जैसा यहोवा ने कहा था। मेरा चचेरा भाई रक्षक प्रांगण में मेरे पास आया। हननेल ने मुझसे कहा, ‘यिर्मयाह, बिन्यामीन परिवार समूह के प्रदेश में अनातोत नगर के पास मेरा खेत खरीद लो। उस भूमि को तुम अपने लिये खरीदो क्योंकि यह तुम्हारा अधिकार है कि तुम इसे खरीदो और अपना बनाओ।’”
अत: मुझे ज्ञात हुआ कि यह यहोवा का सन्देश है। 9 मैंने अपने चचेरे भाई हननेल से अनातोत में भूमि खरीद ली। मैंने उसके लिये सत्तरह शेकेल चाँदी तौली। 10 मैंने पट्टे पर हस्ताक्षर किये और मुझे पट्टे की एक प्रति मुहरबन्द मिली और जो मैंने किया था उसके साक्षी के रूप से कुछ लोगों को बुला लिया तथा मैंने तराजू पर चाँदी तौली। 11 तब मैंने पट्टे की मुहरबन्द प्रति और मुहर रहित प्रति प्राप्त की 12 और मैंने उसे बारूक को दिया। बारुक नोरिय्याह का पुत्र था। नोरिय्याह महसेयाह का पुत्र था। मुहरबन्द पट्टे में मेरी खरीद की सभी शर्ते और सीमायें थीं। मैंने अपने चचेरे भाई हननेल और अन्य साक्षियों के सामने वह पट्टा बारुक को दिया। उन साक्षियों ने भी उस पट्टे पर हस्ताक्षर किये। उस समय यहूदा के बहुत से व्यक्ति प्रांगण में बैठे थे जिन्होंने मुझे बारुक को पट्टा देते देखा।
13 सभी लोगों को साक्षी कर मैंने बारुक से कहा, 14 “इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है, ‘मुहरबन्द और मुहर रहित दोनों पट्टे की प्रतियों को लो और इसे मिट्टी के घड़े में रख दो। यह तुम इसलिये करो कि पट्टा बहुत समय तक रहे।’ 15 इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, ‘भविष्य में मेरे लोग एक बार फिर घर, खेत और अंगूर के बाग इस्राएल देश में खरीदेंगे।’”
16 नेरिय्याह के पुत्र बारुक को पट्टा देने के बाद मैंने यहोवा से प्रार्थना की। मैंने कहा:
17 “परमेश्वर यहोवा, तूने पृथ्वी और आकाश बनाया। तूने उन्हें अपनी महान शक्ति से बनाया। तेरे लिये कुछ भी करना अति कठिन नहीं है। 18 यहोवा, तू हज़ारों व्यक्तियों का विश्वासपात्र और उन पर दयालु है। किन्तु तू व्यक्तियों को उनके पूर्वजों के पापों के लिए भी दण्ड देता है। महान और शक्तिशाली परमेश्वर, तेरा नाम सर्वशक्तिमान यहोवा है। 19 हे यहोवा, तू महान कार्यों की योजना बनाता और उन्हें करता है। तू वह सब देखता है जिन्हें लोग करते हैं और उन्हें पुरस्कार देता है जो अच्छे काम करते हैं तथा उन्हें दण्ड देता है जो बुरे काम करते हैं, तू उन्हें वह देता है जिनके वे पात्र हैं। 20 हे यहोवा, तूने मिस्र देश में अत्यन्त प्रभावशाली चमत्कार किया। तूने आज तक भी प्रभावशाली चमत्कार किया है। तूने ये चमत्कार इस्राएल में दिखाया और तूने इन्हें वहाँ भी दिखाये जहाँ कहीं मनुष्य रहते हैं। तू इन चमत्कारों के लिये प्रसिद्ध है। 21 हे यहोवा, तूने प्रभावशाली चमत्कारों का प्रयोग किया और अपने लोग इस्राएल को मिस्र से बाहर ले आया। तूने उन चमत्कारों को करने के लिये अपने शक्तिशाली हाथों का उपयोग किया। तेरी शक्ति आश्चर्यजनक रही!
22 “हे यहोवा, तूने यह धरती इस्राएल के लोगों को दी। यह वही धरती है जिसे तूने उनके पूर्वजों को देने का वचन बहुत पहले दिया था। यह बहुत अच्छी धरती है। यह बहुत सी अच्छी चीज़ों वाली अच्छी धरती है। 23 इस्राएल के लोग इस धरती में आये और उन्होंने इसे अपना बना लिया। किन्तु उन लोगों ने तेरी आज्ञा नहीं मानी। वे तेरे उपदेशों के अनुसार न चले। उन्होंने वह नहीं किया जिसके लिये तूने आदेश दिया। अत: तूने इस्राएल के लोगों पर वे भयंकर विपत्तियाँ ढाई।
24 “अब शत्रु ने नगर पर घेरा डाला है। वे ढाल बना रहे हैं जिससे वे यरूशलेम की चहारदीवारी पर चढ़ सकें और उस पर अधिकार कर लें। अपनी तलवारों का उपयोग करके तथा भूख और भयंकर बीमारी के कारण बाबुल की सेना यरूशलेम नगर को हरायेगी। बाबुल की सेना अब नगर पर आक्रमण कर रही है। यहोवा तूने कहा था कि यह होगा, और अब तू देखता है कि यह घटित हो रहा है।
25 “मेरे स्वामी यहोवा, वे सभी बुरी घटनायें घटित हो रही हैं। किन्तु तू अब मुझसे कह रहा है, ‘यिर्मयाह, चाँदी से खेत खरीदो और खरीद की साक्षी के लिये कुछ लोगों को चुनो।’ तू यह उस समय कह रहा है जब बाबुल की सेना नगर पर अधिकार करने को तैयार है। मैं अपने धन को उस तरह बरबाद क्यों करूँ?”
समीक्षा
आत्मा आपकी सहायता करता है सही चीज को करने में
पुराने नियम की एक महान भविष्यवाणी में, यिर्मयाह नये नियम का दर्शन देखते हैं (31:31)। नया नियम, पुराने से अलग होगा (व.32)।
‘ परन्तु जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने से बाँधूँगा, वह यह है : मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाउँगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूँगा; और में उनका परमेश्वर ठहरूँगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यह वाणी है। तब उन्हें फिर एक दूसरे से यह न कहना पड़ेगा कि यहोवा को जानो, क्योंकि, यहोवा की यह वाणी है, छोटे से लेकर बड़े तक, सब के सब मेरा ज्ञान रख्रेंगे; क्योंकि मैं उनके पाप क्षमा करूँगा’ (वव.33-34)।
ये कुछ वचन बार-बार नये नियम की ओर इशारा करते हैं (उदाहरण के लिए, लूका 22:20; 2कुरिंथियो 3:5-18 और इब्रानियों 8:8-12 देखे)। वे इस ‘नई वाचा’ के विषय में अद्भुत वायदों की श्रृंखला को बताते हैं, जो कि यीशु की ओर इशारा करते थेः
1. परमेश्वर आपकी असफलता को क्षमा करते हैं, सही चीजों को करने के लिए
यह नई वाचा यीशु मसीह के लहू के द्वारा संभव बनाई गई। अंतिम फसह पर, क्रूस पर चढ़ाने जाने से पहले, ‘उन्होंने प्याला लिया, और कहा, ‘यह कटोरा मेरे उस लहू में जो तुम्हारे लिये बहाया जाता है नई वाचा है।’ (लूका 22:20)।
परमेश्वर और मनुष्य के बीच में नई वाचा जिसके बारे में यिर्मयाह ने बात की थी, यह आपको परमेश्वर के साथ सही संबंध में रहने के लिए सक्षम करता है। यह क्रूस पर यीशु के लहू बहाये जाने के कारण हुआ।
आपके सभी पाप क्षमा कर दिए गए हैं, ‘उनके पाप धो दूंगा’ (यिर्मयाह 31:34, एम.एस.जी), मसीह के लहू के द्वारा। जैसा कि जॉयस मेयर कहती हैं, ‘आपके पाप या असफलता चाहे जो हो, आपको इसे परमेश्वर के सामने मानने की जरुरत है और फिर इसे जाने दीजिए। उस चीज के लिए अपने आपको धकेलना बंद करिए जो भूतकाल में हुई थी। उस चीज को याद करना मना कर दीजिए जो परमेश्वर ने भूल जाना चुना है।’
2. परमेश्वर का आत्मा आपकी सहायता करता है सही चीज को करने में
हमारे पास असाधारण सम्मान है कि हम आत्मा के युग में रहते हैं। परमेश्वर के नियम पत्थर की पटियाँओं पर नहीं लिखे हुए हैं। इसके बजाय, परमेश्वर आपमें काम करते हैं, अपने आत्मा के द्वारा, ताकि आपको एक जुनून दें कि उसे प्रसन्न करें (‘ : मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाउँगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूँगा’ व.33ब), और आपको उनके साथ एक व्यक्तिगत संबंध का अनुभव देना (‘ मैं उनका परमेश्वर ठहरूँगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे ‘, व.33क)। हम सभी परमेश्वर को जान सकते हैं (व.34)।
परमेश्वर आपको सही चीज करने के लिए बुलाते हैं यहाँ तक कि जब यह सरल नहीं है। सही चीज करना, आवश्यक रूप से एक सरल जीवन नहीं लाता है। राजसी महल में यिर्मयाह को बंदीगृह में रखा गया था। सही चीज करने का चुनाव करने के कारण सिदकिय्याह ने उन्हें कैद किया था (32:1-3)।
हम दूसरा उदाहरण देखते हैं कि यिर्मयाह परिस्थितियों के बावजूद सही चीज करते हैं (वव.6-8)। परमेश्वर उन्हें एक खेत खरीदने के लिए कहते हैं, इस तथ्य के बावजूद की बेबीलोनी यरूशलेम पर जय पाने वाले थे। खेत अपने आपमें व्यर्थ बन जाएगा। लेकिन यिर्मयाह पैसे के विषय में चिंतित नहीं थे। सही चीज करना, सफलता की संभावना से अधिक महत्वपूर्ण है।
सही चीज करने में यिर्मयाह की आज्ञाकारिता को हमेशा याद किया जाता है। मत्ती के सुसमाचार में, हम पढते हैं कि उस पैसे से ‘कुम्हार के खेत’ का खरीदा जाना, जो यीशु को पकड़वाने के लिए यहूदा को दिया गया था, यह यिर्मयाह की भविष्यवाणी की परिपूर्णता थी (मत्ती 27:5-10)।
प्रार्थना
पिप्पा भी कहते है
यिर्मयाह 31:34
‘क्योंकि मैं उनकी दुष्टता क्षमा करुँगा और उनके पाप को स्मरण न करुँगा।’
ऐसा नहीं है कि परमेश्वर की याददाश्त कमजोर है (मेरी तरह)। लेकिन परमेश्वर हमारे पाप को भूल जाना चुनते हैं जब हम उनके सामने इसे मान लेते हैं और क्षमा माँग लेते हैं। शत्रु हमें उनकी याद दिलाने की कोशिश करता है। लेकिन हमने भी उन्हें भूल जाना चुना है...और दूसरों के पाप को भी भूल जाना चुना है!
दिन का वचन
2 थिस्सलुनिकियों 3:13
“और तुम, हे भाइयो, भलाई करने में हियाव न छोड़ो।”
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संदर्भ
जॉयस मेयर, द एव्रीडे लाईफ बाईबल, (फेथवर्डस, 2014) पी.1199
केन कॉस्टा, परमेश्वर कार्य करते हुए, (अल्फा इंटरनैशनल, 2013) पीपी 69-70,85
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