क्या चिंता अपने धब्बे बदल सकती है?
परिचय
ग्यारह वर्ष की उम्र में डॅरेल टनिंगले ने ड्रग्स लेना शुरु किया। सोहल वर्ष की उम्र में वह बड़ी मात्रा में इसे बेचने लगे। वह ‘कर्ज वसूली करने वाले’ बन गए, एक बार किसी के पैर के तलुवे पर घास काटने वाली चीज का इस्तेमाल करके, जिस पर 300रूपये का कर्ज था।
सत्रह वर्ष की उम्र में, डॅरेल लूटपाट में शामिल हो गए। उन्हें गिरफ्तार किया गया और साढ़े पाँच वर्ष की कैद की सजा सुनाई गई। बंदीगृह में वह अल्फा में गए। उन्होंने प्रार्थना की, ‘परमेश्वर यदि आप सच में हैं , तो इसे साबित कीजिए। मेरे ड्रग्स की लत को छुडाईये, मेरे अंदर के सारे गुस्से को बाहर निकालिये। यदि आप मेरे लिए यह करेंगे, तो मैं अपना बाकी जीवन आपके लिए जीऊँगा।’
जब अगली सुबह वह नींद से जागे, उन्होंने हमेशा की तरह एक सिगरेट उठायी लेकिन इसे छूने का विचार ही उन्हें भौतिक रूप से बीमार महसूस करवाने लगा। जेल की खिड़की से उन्होंने इसे बाहर फेंक दिया। उन्होंने अपनी तंबाकू ली और उसे खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने अपनी ड्रग्स ली और उसे भी खिड़की से बाहर फेंक दिया। तब उन्हें बीमार जैसा महसूस नहीं हुआ।
जब डॅरेल ने दर्पण में देखा और तब वह उस चित्र को पहचान नहीं पाये क्योंकि वह मुस्कुरा रहे थे – सिर्फ मुस्करा नहीं रहे थे, लेकिन चमक रहे थे। उस दिन से उन्होंने ड्रग्स को हाथ नहीं लगाया। उन्होंने धूम्रपान नहीं किया। उन्होंने शराब नहीं पी। उन्होंने लड़ाई - झगड़ा नहीं किया।
बंदीगृह में वह अल्फा चलाने लगे। सैकड़ो लोग आए। सलाह और सुझाव के लिए बंदीगृह के अधिकारी उनके पास आते थे। जब वह बंदीगृह से बाहर आए, वह एक पास्टर और स्थानीय दंडाधिकारी मार्क फिंच के द्वारा चलाए जा रही एक स्थानीय कलीसिया में सहायक बन गए। उन्होंने मार्क की बेटी, रिबेका से विवाह किया और अब उनके दो बच्चे हैं।
जब मैंने डॅरेल से बातचीत की, तब मैंने उनसे पूछा कि यीशु ने क्या अंदर बनाया है। उनका जवाब था, ‘मैं इसे यूंही नहीं कहता हूँ, मैं सच में इसे मानता हूँ, यीशु मेरे लिए उस हवा से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, जो मैं साँस ले रहा हूँ।’ वह कहते हैं, ‘वह मेरी जीवनरेखा हैं, वह मेरी सामर्थ हैं। वह मेरा सबकुछ हैं। मैं उनके बिना नहीं जी सकता और जो कुछ मैं करता हूँ वह उनके द्वारा और उनके लिए है। मेरा जीवन वैसा नहीं होता, जैसा यह है, यदि वह वैसे नहीं होते जैसा कि उन्होंने कहा कि वे थे।’ डॅरेल का जीवन पूरी तरह से बदल गया क्योंकि यीशु ने उन्हें उनके नशे, उनके गुस्से और पाप से मुक्त किया जो उनके जीवन को बरबाद कर रहा था।
क्या आप बदल सकते हैं? विश्व में सबसे मुश्किल चीज है एक बुरी आदत को छोड़ना या पाप करना छोड़ना। आज के लेखांश में यिर्मयाह पूछते हैं, ‘क्या चीता अपने धब्बे बदल सकता है?’ (यिर्मयाह 13:23)।
भजन संहिता 118:1-16
118यहोवा का मान करो क्योंकि वह परमेश्वर है।
उसका सच्चा प्रेम सदा ही अटल रहता है!
2 इस्राएल यह कहता है,
“उसका सच्चा प्रेम सदा ही अटल रहता है!”
3 याजक ऐसा कहते हैं,
“उसका सच्चा प्रेम सदा ही अटल रहता है!”
4 तुम लोग जो यहोवा की उपासना करते हो, कहा करते हो,
“उसका सच्चा प्रेम सदा ही अटल रहता है!”
5 मैं संकट में था सो सहारा पाने को मैंने यहोवा को पुकारा।
यहोवा ने मुझको उत्तर दिया और यहोवा ने मुझको मुक्त किया।
6 यहोवा मेरे साथ है सो मैं कभी नहीं डरूँगा।
लोग मुझको हानि पहुँचाने कुछ नहीं कर सकते।
7 यहोवा मेरा सहायक है।
मैं अपने शत्रुओं को पराजित देखूँगा।
8 मनुष्यों पर भरोसा रखने से
यहोवा पर भरोसा रखना उत्तम है।
9 अपने मुखियाओं पर भरोसा रखने से
यहोवा पर भरोसा रखना उत्तम है।
10 मुझको अनेक शत्रुओं ने घेर लिया है।
यहोवा की शक्ति से मैंने अपने बैरियों को हरा दिया।
11 शत्रुओं ने मुझको फिर घेर लिया।
यहोवा की शक्ति से मैंने उनको हराया।
12 शत्रुओं ने मुझे मधु मक्खियों के झुण्ड सा घेरा।
किन्तु, वे एक शीघ्र जलती हुई झाड़ी के समान नष्ट हुआ।
यहोवा की शक्ति से मैंने उनको हराया।
13 मेरे शत्रुओं ने मुझ पर प्रहार किया और मुझे लगभग बर्बाद कर दिया
किन्तु यहोवा ने मुझको सहारा दिया।
14 यहोवा मेरी शक्ति और मेरा विजय गीत है।
यहोवा मेरी रक्षा करता है।
15 सज्जनों के घर में जो विजय पर्व मन रहा तुम उसको सुन सकते हो।
देखो, यहोवा ने अपनी महाशक्ति फिर दिखाई है।
16 यहोवा की भुजाये विजय में उठी हुई हैं।
देखो यहोवा ने अपनी महाशक्ति फिर से दिखाई।
समीक्षा
परमेश्वर की सहायता से बदलाव
क्या आपको भय है कि दूसरे लोग आपके विषय में क्या सोचते या कहते हैं? क्या आप चिंता करते हैं कि वे आपके साथ क्या करेंगे –कि वह अनुचित रीति से आपके साथ बर्ताव करेंगे या आपको नकार देंगे?
पहचानिये कि परमेश्वर कितने बड़े हैं और उनकी सामर्थ की तुलना में हमारी परेशानियाँ कितनी छोटी हैं। भजनसंहिता के लेखक परमेश्वर को धन्यवाद देते हैं उनके महान प्रेम के लिए (वव.1-4)। वह लिखते हैं, ‘ मैं ने सकेती में परमेश्वर को पुकारा, परमेश्वर ने मेरी सुनकर, मुझे चौड़े स्थान में पहुँचाया’ (व.5)।
स्वतंत्रता हमें जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण देती है। भजनसंहिता के लेखक परमेश्वर की ओर फिरते हैं, यह जानते हुए कि चाहे जो हो जाए, उनपर भरोसा किया जा सकता हैः’यहोवा मेरी ओर हैं, मैं न डरूँगा। मनुष्य मेरा क्या कर सकता है? यहोवा मेरी ओर मेरे सहायको में हैं; मैं अपने बैरियों पर दृष्टि कर सन्तुष्ट रहूंगा ’ (वव.6-7, एम.एस.जी)।
आज परमेश्वर की स्तुति कीजिए, कि भजनसंहिता के लेखक की तरह, आप कह सकते हैं:’ परमेश्वर मेरा बल और भजन का विषय हैं; वह मेरा उध्दार ठहरे हैं’ (व.14)।
प्रार्थना
कुलुस्सियों 2:6-23
मसीह में बने रहो
6 इसलिए तुमने जैसे यीशु को मसीह और प्रभु के रूप में ग्रहण किया है, तुम उसमें वैसे ही बने रहो। 7 तुम्हारी जड़ें उसी में हों और तुम्हारा निर्माण उसी पर हो तथा तुम अपने विश्वास में दृढ़ता पाते रहो जैसा कि तुम्हें सिखाया गया है। परमेश्वर के प्रति अत्यधिक आभारी बनो।
8 ध्यान रखो कि तुम्हें अपने उन भौतिक विचारों और खोखले प्रपंच से कोई धोखा न दे जो मानवीय परम्परा से प्राप्त होते हैं, जो ब्रह्माण्ड को अनुशासित करने वाली आत्माओं की देन है, न कि मसीह की। 9 क्योंकि परमेश्वर अपनी सम्पूर्णता के साथ सदैव उसी में निवास करता है। 10 और उसी में स्थित होकर तुम परिपूर्ण बने हो। वह हर शासक और अधिकारी का शिरोमणि है।
11 तुम्हारा ख़तना भी उसी में हुआ है। यह ख़तना मनुष्य के हाथों से सम्पन्न नहीं हुआ, बल्कि यह ख़तना जब तुम्हें तुम्हारी पापपूर्ण मानव प्रकृति के प्रभाव से छुटकारा दिला दिया गया था तब मसीह के द्वारा सम्पन्न हुआ। 12 यह इसलिए हुआ कि जब तुम्हें बपतिस्मा में उसके साथ गाड़ दिया गया तो जिस परमेश्वर ने उसे मरे हुओं के बीच से जिला दिया था, उस परमेश्वर के कार्य में तुम्हारे विश्वास के कारण, उसी के साथ तुम्हें भी पुनःजीवित कर दिया गया।
13 अपने पापों और अपने ख़तना रहित शरीर के कारण तुम मरे हुए थे किन्तु तुम्हें परमेश्वर ने मसीह के साथ-साथ जीवन प्रदान किया तथा हमारे सब पापों को मुक्त रूप से क्षमा कर दिया। 14 परमेश्वर ने उस अभिलेख को हमारे बीच में से हटा दिया जिसमें उन विधियों का उल्लेख किया गया था जो हमारे प्रतिकूल और हमारे विरुद्ध था। उसने उसे कीलों से क्रूस पर जड़कर मिटा दिया है। 15 परमेश्वर ने क्रूस के द्वारा आध्यात्मिक शासकों और अधिकारियों को साधन विहीन कर दिया और अपने विजय अभियान में बंदियों के रूप में अपने पीछे-पीछे चलाया।
मनुष्य की शिक्षा और उसके बनाये नियमों पर मत चलो
16 इसलिए खाने पीने की वस्तुओं अथवा पर्वो, नये चाँद के पर्वों, या सब्त के दिनों को लेकर कोई तुम्हारी आलोचना न करे। 17 ये तो, जो बातें आने वाली हैं, उनकी छाया है। किन्तु इस छाया की वास्तविक काया तो मसीह की ही है। 18 कोई व्यक्ति जो अपने आप को प्रताड़ित करने के कर्मो या स्वर्गदूतों की उपासना के कामों में लगा हुआ हो, उसे तुम्हें तुम्हारे प्रतिफल को पाने में बाधक नहीं बनने देना चाहिए। ऐसा व्यक्ति सदा ही उन दिव्य दर्शनों की डींगे मारता रहता है जिन्हें उसने देखा है और अपने दुनियावी सोच की वजह से झूठे अभिमान से भरा रहता है। 19 वह अपने आपको मसीह के अधीन नहीं रखता जो प्रमुख है जो जोड़ों और नसों से समर्थित होकर सारी देह का उपकार करता है, और जिससे आध्यात्मिक विकास का अनुभव होता है। 20 क्योंकि तुम मसीह के साथ मर चुके हो और तुम्हें संसार की बुनियादी शिक्षाओं से छुटकारा दिलाया जा चुका है। तो इस तरह का आचरण क्यों करते हो जैसे तुम इस दुनिया के हो और ऐसे नियमों का पालन करते हो जैसे: 21 “इसे हाथ मत लगाओ,” “इसे चखो मत” या “इसे छुओ मत?” 22 ये सब वस्तुएँ तो काम में आते-आते नष्ट हो जाने के लिये हैं। ऐसे आचार व्यवहारों की अधीनता स्वीकार करके तो तुम मनुष्य के बनाये आचार व्यवहारों और शिक्षाओं का ही अनुसरण कर रहे हो। 23 मनमानी उपासना, अपने शरीर को प्रताड़ित करने और अपनी काया को कष्ट देने से सम्बन्धित ये नियम बुद्धि पर आधारित प्रतीत होते हैं पर वास्तव में इन मूल्यों का कोई नियम नहीं है। ये नियम तो वास्तव में लोगों को उनकी पापपूर्ण मानव प्रकृति में लगा डालते हैं।
समीक्षा
यीशु के द्वारा बदलाव
कभी कभी हम अपने विश्वास को जटिल बना देते हैं। ऐसा लग सकता है कि आप ‘आत्मिक प्रतिभा’ का एक भाग बनना चाहते हैं, विभिन्न अतिरिक्त चीजें हैं जिसे आपको समझने या करने की आवश्यकता है। लुस इस प्रकार की झूठी शिक्षा को चुनौती देते हैं।
आपको केवल यीशु की आवश्यकता है। यह यीशु में कुछ जोड़ने के विषय में नहीं है, बल्कि वह जीना जो पहले से ही आपमें हैः’अत: जैसे तूने मसीह यीशु को प्रभु करके ग्रहण कर लिया है, वैसे ही उसी में चलते रहो,और उसी में जड़ पकड़ते और बढ़ते जाओ, और जैसे तुम सिखाए गए वैसे ही विश्वास में दृढ़ होते जाओ’ (वव.6-7अ, एम.एस.जी)।
पौलुस कुलुस्सियों को झूठे शिक्षकों के विरूद्ध चेतावनी देते हैं जो ‘ तत्व - ज्ञान और व्यर्थ धोखे के द्वारा’ उन्हें भरमाने की कोशिश करते हैं (व.8, एम.एस.जी)। ‘ क्योंकि उसमें ईश्वरत्व की सारी परिपूर्णता सदेह वास करती है, और तुम उसी में भरपूर हो गए हो जो सारी प्रधानता और अधिकार का शिरोमणि है’ (वव.9-10, एम.एस.जी)।
पौलुस उनके लोगों को बता रहे थे कि उन्हें खतना करने की आवश्यकता नहीं थी। वह समझाते हैं कि उनका पहले ही खतना हो चुका है -’मनुष्य के हाथों’ से नहीं, बल्कि ‘मसीह के द्वारा खतना किए हुए’ (व.11)। जिनका बपतिस्मा हो गया उन्हें खतना करवाने की आवश्यकता नहीं (व.12)। बपतिस्मा खतना से अधिक अद्भुत चीज का प्रतीक हैः मृत्यु और पुनरुत्थान।
आप मसीह में हैं। इसलिए जब यीशु मरे, आप उनमें मर गए। जब यीशु गाड़े गए, आप उनके साथ गाड़े गए – और जब वह मृत्यु में से जी उठे, आप उनके साथ जी उठे (व.12)। इसी तरह से आपने अपने पापी स्वभाव से छुटकारा पाया - ‘पापी स्वभाव को उतार देना’ (व.11)। यह मसीह के साथ मर गया और उनके साथ गाड़ा गया। ‘ उसने तुम्हें भी, जो अपने अपराधों और अपने शरीर की खतनारहित दशा में मुर्दा थे, उसके साथ जिलाया, और हमारे सब अपराधों को क्षमा किया’ (व.13, एम.एस.जी)।
क्रूस पर यीशु की अद्भुत विजय के बारे में सोचिये और समझियेः’ उसने तुम्हें भी, जो अपने अपराधों और अपने शरीर की खतनारहित दशा में मुर्दा थे, उसके साथ जिलाया, और हमारे सब अपराधों को क्षमा किया, और विधियों का वह लेख जो हमारे नाम पर और हमारे विरोध में था मिटा डाला, और उसे क्रूस पर कीलों से जड़कर सामने से हटा दिया है। और उसने प्रधानताओं और अधिकारों को ऊपर से उतारकर उनका खुल्लमखुल्ला तमाशा बनाया और क्रूस के द्वारा उन पर जय – जयकार की ध्वनि सुनाई’ (वव.13-15, एम.एस.जी)।
प्राचीन विश्व में, शत्रुओं पर विजय का उत्सव जुलूस के साथ मनाया जाता था (व.15)। लड़ाई की लूट को वापस लाया जाता था, अक्सर कैदियों की एक लंबी कतार के साथ, जिन्हें उन्होंने निहत्ता किया था।
यीशु ने इसे कर दिया है। आपको इसमें कुछ भी जोड़ने की आवश्यकता नहीं हैः’ इसलिये खाने – पीने या पर्व या नए चाँद, या सब्त के विषय में तुम्हारा कोई फैसला न करे’ (व.16, एम.एस.जी)। आपको केवल मसीह की आवश्यकता है ‘ रहता जिससे सारी देह जोड़ों और पट्ठों के द्वारा पालन – पोषण पाकर और एक साथ गठकर, परमेश्वर की ओर से बढ़ती जाती है’ (व.19, एम.एस.जी)।
प्रार्थना
यिर्मयाह 11:18-13:27
यिर्मयाह के विरुद्ध बुरी योजनाएं
18 यहोवा ने मुझे दिखाया कि अनातोत के व्यक्ति मेरे विरुद्ध षडयन्त्र कर रहे हैं। यहोवा ने मुझे वह सब दिखाया जो वे कर रहे थे। अत: मैंने जाना कि वे मेरे विरुद्ध थे। 19 जब यहोवा ने मुझे दिखाया कि लोग मेरे विरुद्ध हैं इसके पहले मैं उस भोले मेमने के समान था जो काट दिये जाने की प्रतीक्षा में हो। मैं नहीं समझता था कि वे मेरे विरुद्ध हैं। वे मेरे बारे में यह कह रहे थे: “आओ, हम लोग पेड़ और उसके फल को नष्ट कर दें। आओ हम उसे मार डालें। तब लोग उसे भूल जाएंगे।” 20 किन्तु यहोवा तू एक न्यायी न्यायाधीश है। तू लोगों के हृदय और मन की परीक्षा करना जानता है। मैं अपने तकर्ों को तेरे सामने प्रस्तुत करूँगा और मैं तुझको उन्हें दण्ड देने को कहूँगा जिसके वे पात्र हैं।
21 अनातोत के लोग यिर्मयाह को मार डालने की योजना बना रहे थे। उन लोगों ने यिर्मयाह से कहा, “यहोवा के नाम भविष्यवाणी न करो वरना हम तुम्हें मार डालेंगे।” यहोवा ने अनातोत के उन लोगों के बारे में एक निर्णय किया। 22 सर्वशक्तिमान यहोवा ने कहा, “मैं शीघ्र ही अनातोत के उन लोगों को दण्ड दूँगा उनके युवक युद्ध में मारे जाएंगे। उनके पुत्र और उनकी पुत्रियाँ भूखों मरेंगी। 23 अनातोत नगर में कोई भी व्यक्ति नहीं बचेगा। कोई व्यक्ति जीवित नहीं रहेगा। मैं उन्हें दण्ड दूँगा। मैं उनके साथ कुछ बुरा घटित होने दूँगा।”
यिर्मयाह परमेश्वर से शिकायत करता है
12यहोवा यदि मैं तुझसे तर्क करता हूँ,
तू सदा ही सही निकलता है।
किन्तु मैं तुझसे उन सब के बारे में पूछना चाहता हूँ
जो सही नहीं लगतीं।
दुष्ट लोग सफल क्यों हैं जो तुझ पर विश्वास नहीं करते,
उनका उतना जीवन सुखी क्यों है
2 तूने उन दुष्ट लोगों को यहाँ बसाया है।
वे दृढ़ जड़ वाले पौधे जैसे हैं जो बढ़ते तथा फल देते हैं।
अपने मुँह से वे तुझको अपने समीपी और प्रिय कहते हैं।
किन्तु अपने हृदय से वे वास्तव में तुझसे बहुत दूर हैं।
3 किन्तु मेरे यहोवा, तू मेरे हृदय को जानता है।
तू मुझे और मेरे मन को देखता और परखता है,
मेरा हृदय तेरे साथ है।
उन दुष्ट लोगों को मारी जाने वाली भेड़ के समान घसीट।
बलि दिवस के लिये उन्हें चुन।
4 कितने अधिक समय तक भूमि प्यासी पड़ी रहेगी
घास कब तक सूखी और मरी रहेगी
इस भूमि के जानवर और पक्षी मर चुके हैं
और यह दुष्ट लोगों का अपराध है।
फिर भी वे दुष्ट लोग कहते हैं,
“यिर्मयाह हम लोगों पर आने वाली विपत्ति को
देखने को जीवित नहीं रहेगा।”
परमेश्वर का यिर्मयाह को उत्तर
5 “यिर्मयाह, यदि तुम मनुष्यों की पग दौड़ में थक जाते हो
तो तुम घोड़ों के मुकाबले में कैसे दौड़ोगे
यदि तुम सुरक्षित देश में थक जाते हो
तो तुम यरदन नदी के तटों पर उगी भयंकर कंटीली झाड़ियों
में पहुँचकर क्या करोगे
6 ये लोग तुम्हारे अपने भाई हैं।
तुम्हारे अपने परिवार के सदस्य तुम्हारे विरुद्ध योजना बना रहे हैं।
तुम्हारे अपने परिवार के लोग तुम पर चीख रहे हैं।
यदि वे मित्र सच भी बोलें, उन पर विश्वास न करो।”
यहोवा अपने लोगों अर्थात् यहूदा को त्यागता है
7 “मैंने (यहोवा) अपना घर छोड़ दिया है।
मैंने अपनी विरासत अस्वीकार कर दी है।
मैंने जिससे (यहूदा) प्यार किया है,
उसे उसके शत्रुओं को दे दिया है।
8 मेरे अपने लोग मेरे लिये जंगली शेर बन गये हैं।
वे मुझ पर गरजते हैं, अत: मैं उनसे घृणा करता हूँ।
9 मेरे अपने लोग गिद्धों से घिरा, मरता हुआ जानवर बन गये हैं।
वे पक्षी उस पर मंडरा रहे हैं। जंगली जानवरों आओ।
आगे बढ़ो, खाने को कुछ पाओ।
10 अनेक गडेरियों (प्रमुखों) ने मेरे अंगूर के खेतों को नष्ट किया है।
उन गडेरियों ने मेरे खेत के पौधों को रोंदा है।
उन गडेरियों ने मेरे सुन्दर खेत को सूनी मरुभूमि में बदला है।
11 उन्होंने मेरे खेत को मरुभूमि में बदल दिया है।
यह सूख गया और मर गया।
कोई भी व्यक्ति वहाँ नहीं रहता।
पूरा देश ही सूनी मरुभूमि है।
उस खेत की देखभाल करने वाला कोई व्यक्ति नहीं बचा है।
12 अनेक सैनिक उन सूनी पहाड़ियों को रौंदते गए हैं।
यहोवा ने उन सेनाओं का उपयोग उस देश को दण्ड देने के लिये किया।
देश के एक सिरे से दूसरे सिरे तक के लोग दण्डित किये गये हैं।
कोई व्यक्ति सुरक्षित न रहा।
13 लोग गेहूँ बोएंगे, किन्तु वे केवल काँटे ही काटेंगे।
वे अत्याधिक थकने तक काम करेंगे,
किन्तु वे अपने सारे कामों के बदले कुछ भी नहीं पाएंगे।
वे अपनी फसल पर लज्जित होंगे। यहोवा के क्रोध ने यह सब कुछ किया”
इस्राएल के पड़ोसियों को यहोवा का वचन
14 यहोवा जो कहता है, वह यह है: “मैं तुम्हें बताऊँगा कि मैं इस्राएल देश के चारों ओर रहने वाले सभी लोगों के लिये क्या करुँगा। वे लोग बहुत दुष्ट हैं। उन्होंने उस देश को नष्ट किया जिसे मैंने इस्राएल के लोगों को दिया था। मैं उन दुष्ट लोगों को उखाडूँगा और उनके देश से उन्हें बाहर फेंक दूँगा। मैं उनके साथ यहूदा के लोगों को भी उखाड़ूँगा। 15 किन्तु उन लोगों को उनके देश से उखाड़ फेंकने के बाद मैं उनके लिये अफसोस करुँगा। मैं हर एक परिवार को उनकी अपनी सम्पत्ति और अपनी भूमि पर वापस लाऊँगा। 16 मैं चाहता हूँ कि वे लोग अब मेरे लोगों की तरह रहना सीख लें। बीते समय में उन लोगों ने हमारे लोगों को शपथ खाने के लिये बाल के नाम का उपयोग करना सिखाया। अब, मैं चाहता हूँ कि वे लोग अपना पाठ ठीक वैसे ही अच्छी तरह पढ़ लें। मैं चाहता हूँ कि वे लोग मेरे नाम का उपयोग करना सीखें। मैं चाहता हूँ कि वे लोग कहें, ‘क्योंकि यहोवा शाश्वत है।’ यदि वे लोग वैसा करते हैं तो मैं उन्हें सफल होने दूँगा और उन्हें अपने लोगों के बीच रहने दूँगा। 17 किन्तु यदि कोई राष्ट्र मेरे सन्देश को अनसुना करता है तो मैं उसे पूरी तरह नष्ट कर दूँगा। मैं उसे सूखे पौधे की तरह उखाड़ डालूँगा।” यह सन्देश यहोवा का है।
अधोवस्त्र
13जो यहोवा ने मुझसे कहा वह यह है: “यिर्मयाह, जाओ और एक सन (बहुमूल्य सूती वस्त्र) का अधोवस्त्र खरीदो। तब इसे अपनी कमर में लपेटो। अधोवस्त्र को गीला न होने दो।”
2 अत: मैंने एक सन (बहुमूल्य सूती वस्त्र) का अधोवस्त्र खरीदा, जैसा कि यहोवा ने करने को कहा था और मैंने इसे अपनी कमर में लपेटा। 3 तब यहोवा का सन्देश मेरे पास दुबारा आया। 4 सन्देश यह था: “यिर्मयाह, अपने खरीदे गये और पहने गये अधोवस्त्र को लो और परात को जाओ। अधोवस्त्र को चट्टानों की दरार में छिपा दो।”
5 अत: मैं परात गया और जैसा यहोवा ने कहा था, मैंने अधोवस्त्र को वहाँ छिपा दिया। 6 कई दिनों बाद यहोवा ने मुझसे कहा, “यिर्मयाह, अब तुम परात जाओ। उस अधोवस्त्र को लो जिसे मैंने छिपाने को कहा था।”
7 अत: मैं परात को गया और मैंने खोदकर अधोवस्त्र को निकाला, मैंने उसे चट्टानों की दरार से निकाला जहाँ मैंने उसे छिपा रखा था। किन्तु अब मैं अधोवस्त्र को पहन नहीं सकता था क्योंकि वह गल चुका था, वह किसी भी काम का नहीं रह गया था।
8 तब यहोवा का सन्देश मुझे मिला। 9 यहोवा ने जो कहा, वह यह है: “अधोवस्त्र गल चुका है और किसी भी काम का नहीं रह गया है। इसा प्रकार मैं यहूदा और यरूशलेम के घमंडी लोगों को बरबाद करुँगा। 10 मैं उन घमंडी और दुष्ट यहूदा के लोगों को नष्ट करूँगा। उन्होंने मेरे सन्देशों को अनसुना किया है। वे हठी हैं और वे केवल वह करते हैं जो वे करना चाहते हैं। वे अन्य देवताओं का अनुसरण और उनकी पूजा करते हैं। वे यहूदा के लोग इन सन के अधोवस्त्र की तरह हो जाएंगे। वे बरबाद होंगे और किसी काम के नहीं रहेंगे। 11 अधोवस्त्र व्यक्ति के कमर से कस कर लपेटा जाता है। उसी प्रकार मैंने पूरे इस्राएल और यहूदा के परिवारों को अपने चारों ओर लपेटा।” यह सन्देश यहोवा के यहाँ से है। “मैंने वैसा इसलिये किया कि वे लोग मेरे लोग होंगे। तब मेरे लोग मुझे यश, प्रशंसा और प्रतिष्ठा प्रदान करेंगे। किन्तु मेरे लोगों ने मेरी एक न सुनी।”
यहूदा को चेतावनियाँ
12 “यिर्मयाह, यहूदा के लोगों से कहो: ‘इस्राएल का परमेश्वर यहोवा जो कहता है, वह यह है: हर एक दाखमधु की मशक दाखमधु से भरी जानी चाहिये।’ वे लोग हँसेंगे और तुमसे कहेंगे, ‘निश्चय ही हम जानते हैं कि हर एक दाखमधु की मशक दाखमधु से भरी जानी चाहिये।’ 13 तब तुम उनसे कहोगे, ‘यहोवा जो कहता है वह यह है: मैं इस देश के हर एक रहने वाले को मदमत्त सा असहाय करुँगा। मैं उन राजाओं के बारे में कह रहा हूँ जो दाऊद के सिंहासन पर बैठते हैं। मैं यरूशलेम के निवासी याजकों, नबियों और सभी लोगों के बारे में कह रहा हूँ। 14 मैं यहूदा के लोगों को ठोकर खाने और एक दूसरे पर गिरने दूँगा। पिता और पुत्र एक दूसरे पर गिरेंगे।’ यह सन्देश यहोवा का है। ‘मैं उनके लिए अफसोस नहीं करूँगा और न उन पर दया। मैं करुणा को, यहूदा के लोगों को नष्ट करने से रोकने नहीं दूँगा।’”
15 सुनो और ध्यान दो।
यहोवा ने तुम्हें सन्देश दिया है।
घमण्डी मत बनो।
16 अपने परमेश्वर यहोवा का सम्मान करो,
उसकी स्तुति करो नहीं तो वह अंधकार लाएगा।
अंधेरी पहाड़ियों पर लड़खड़ाने
और गिरने से पहले उसकी स्तुति करो।
यहूदा के लोगों, तुम प्रकाश की आशा करते हो।
किन्तु यहोवा प्रकाश को घोर अंधकार में बदलेगा।
यहोवा प्रकाश को अति गहन अंधकार से बदल देगा।
17 यहूदा के लोगों, यदि तुम यहोवा की अनसुनी करते हो
तो मैं छिप जाऊँगा और रोऊँगा।
तुम्हारा घमण्ड मुझे रूलायेगा।
मैं फूट—फूट कर रोऊँगा।
मेरा आँखें आँसुओं से भर जाएंगी।
क्यों क्योंकि यहोवा की रेवड़ पकड़ी जाएगी।
18 ये बातें राजा और उसकी पत्नी से कहो,
“अपने सिंहासनों से उतरो।
तुम्हारे सुन्दर मुकुट तुम्हारे सिरों से गिर चुके हैं।”
19 नेगव मरुभूमि के नगरों में ताला पड़ चुका है,
उन्हें कोई खोल नहीं सकता।
यहूदा के लोगों को देश निकाला दिया जा चुका है।
उन सभी को बन्दी के रूप में ले जाया गया है।
20 यरूशलेम, ध्यान से देखो!
शत्रुओं को उत्तर से आते देखो।
तुम्हारी रेवड़ कहाँ है परमेश्वर ने तुम्हें सुन्दर रेवड़ दी थी।
तुमसे उस रेवड़ की देखभाल की आशा थी।
21 जब यहोवा उस रेवड़ का हिसाब तुमसे माँगेगा
तो तुम उसे क्या उत्तर दोगे तुमसे आशा थी कि
तुम परमेश्वर के बारे में लोगों को शिक्षा दोगे।
तुम्हारे नेताओं से लोगों का नेतृत्व करने की आशा थी।
लेकिन उन्होंने यह कार्य नहीं किये।
अत: तुम्हें अत्यन्त दुःख व पीड़ा भुगतनी होगी।
22 तुम अपने से पूछ सकते हो,
“यह बुरी विपत्ति मुझ पर क्यों आई”
ये विपत्तियाँ तुम्हारे अनेक पापों के कारण आई।
तुम्हारे पापों के कारण तुम्हें निर्वस्त्र किया गया
और जूते ले लिये गए।
उन्होंने यह तुम्हें लज्जित करने को किया।
23 एक काला आदमी अपनी चमड़ी का रंग बदल नहीं सकता।
और कोई चीता अपने धब्बे नहीं बदल सकता।
ओ यरूशलेम, उसी तरह तुम भी बदल नहीं सकते,
अच्छा काम नहीं कर सकते।
तुम सदैव बुरा काम करते हो।
24 “मैं तुम्हें अपना घर छोड़ने को विवश करुँगा,
जब तुम भागोगे तब हर दिशा में दौड़ोगे।
तुम उस भूसे की तरह होगे
जिसे मरुभूमि की हवा उड़ा ले जाती है।
25 ये वे सब चीज़ें हैं जो तुम्हारे साथ होंगी,
यह मेरी योजना का तुम्हारा हिस्सा है।”
यह सन्देश यहोवा का है।
“यह क्यों होगा क्योंकि तुम मुझे भूल गए,
तुमने असत्य देवताओं पर विश्वास किया।
26 यरूशलेम, मैं तुम्हारे वस्त्र उतारुँगा
लोग तुम्हारी नग्नता देखेंगे
और तुम लज्जा से गड़ जाओगे।
27 मैंने उन भयंकर कामों को देखा जो तुमने किये।
मैंने तुम्हें हँसते और अपने प्रेमियों के साथ शारीरिक सम्बन्ध करते देखा।
मै जानता हूँ कि तुमने वेश्या की तरह दुष्कर्म किया है।
मैंने तुम्हें पहाड़ियों और खेतों में देखा है।
यरूशलेम, यह तुम्हारे लिये बहुत बुरा होगा।
मुझे बताओ कि तुम कब तक अपने गंदे पापों को करते रहोगे”
समीक्षा
परखे जाने के द्वारा बदलाव
दबाव से घबराईये मत। दबाव है जो कोयले को एक हीरे में बदलती है। जीवन को परीक्षाओं की एक श्रृंखला के रूप में देखा जा सकता है। हम चीजों को जाँचते हैं उन्हें दबाव में रखने के द्वारा। दबाव में रखने के द्वारा भौतिक माँसपेशियाँ बढ़ती हैं। परमेश्वर इस बात में अधिक दिलचस्पी लेते हैं कि केसे आपका हृदय और दिमाग बढ़ता है जब इसकी परीक्षा होती है; वह ‘हृदय और दिमाग’ को जाँचते हैं (11:20)।
परमेश्वर इसके द्वारा मोहित नहीं होते कि हम क्या कहते हैं कि हम करेंगे – वह इस बात से मोहित होते हैं कि हम क्या करते हैं जब हम दबाव में होते है। जीवन में और सेवकाई में उन्नति होती है, जब आपकी जाँच और परीक्षा होती है और आप जाँच में खरे उतरते हैं। यिर्मयाह की जाँच हुई। उन्हें लोगों को चिताने का अपरिहार्य कार्य दिया गया था कि वे निर्वासन में जाएंगे -’ यहोवा की भेड़ें बँधुआ कर ली गई हैं’ (13:17)।
इसके परिणामस्वरूप, वह अप्रचलित थे और नियमित प्रहार सहते थे। परमेश्वर ने उनके विरूद्ध एक षड़यंत्र को प्रकट कियाः’यहोवा ने मुझे बताया और यह बात मुझे मालूम हो गई; क्योंकि यहोवा ही ने उनकी युक्तियाँ मुझ पर प्रकट की’ (11:18)। उन्होंने परमेश्वर से सहायता माँगीः’... मैं ने अपना मुकद्दमा तेरे हाथ में छोड़ दिया है ... मुझे अपने साथ इस विषय पर वादविवाद करने दे’ (11:20; 12:1)।
परमेश्वर ने उन्हें चेतावनी दी कि इससे भी बुरा होने वाला थाः’’तू जो प्यादों ही के संग दौड़कर थक गया है तो घोड़ों के संग कैसे बराबरी कर सकेगा?’ (व.5, एम.एस.जी)।
यिर्मयाह लोगों को उनका चाल चलन बदलने के लिए कहते हैं। वह कहते हैं, ‘ चीता अपने धब्बे बदल सकता है? यदि वे ऐसा कर सकें, तो तू भी, जो बुराई करना सीख गई है, भलाई कर सकेगी’ (13:23)।
बदलना कठिन बात है। परीक्षा में पास होना मुश्किल है। लेकिन नया नियम हमें बताता है कि यीशु के द्वारा बदलाव संभव है। डॅरेल टनिंगले का जीवन एक उदाहरण है कि कैसे यह आज पूरा होता है। एक चीता अपने धब्बे बदल सकता है।
प्रार्थना
पिप्पा भी कहते है
भजनसंहिता 118:7
‘परमेश्वर मेरे साथ हैं; वह मेरा सहायक हैं।’
यह एक व्यस्त दिन है। मैं आज अपने साथ उनकी सहायता और उपस्थिति पर निर्भर हूँ।
दिन का वचन
भजन संहिता 118:6
“यहोवा मेरी ओर है, मैं न डरूंगा। मनुष्य मेरा क्या कर सकता है?”
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संदर्भ
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
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