दिन 232

पवित्र आत्मा से कैसे सुनें

बुद्धि नीतिवचन 20:15-24
नए करार 1 कुरिन्थियों 14:1-19
जूना करार 2 इतिहास 10:1-12:16

परिचय

विल विसबे एक सफल युवा इस्टेट एजेंट थे। वह तीक्ष्ण रूप से मसीहत के प्रति संशयवादी थे। एक रविवार को, एक मित्र ने उन्हें एच.टी.बी में आमंत्रित किया। उस सभा के दौरान, किसी के पास 'ज्ञान का एक वचन आया' जो इस तरह से थाः'यहाँ पर एक आदमी है जो आशा कर रहा है कि अगले दो दिनों में एक सॉफ्ट- टॉप स्पोर्ट्स कार उसे मिल जाएगी। उसने जीवन भर कठिन परिश्रम किया है सफलता को पाने के लिए। काम ही उसका जीवन रहा है। उसके पास कार, घर, जीवनशैली है, और वह खुश नहीं है। और परमेश्वर चाहते हैं कि वह जाने कि ध्यान देने के लिए उसके पास इससे भी महत्वपूर्ण चीजें हैं।'

परिणामस्वरूप, विल ने लिखा, 'मैं इस पर विश्वास नहीं कर पाया। मेरी नई कार सबसे अच्छी थी जो मैंने खरीदी थी। यह दो दिनों में आने वाली थी और मैंने किसी को नहीं बताया था। मैं साल में £100k कमाता था। मेरा काम मेरा जीवन था। उस रात, अपने जीवन में पहली बार, मैंने सच में प्रार्थना की।'

विल यीशु मसीह से मिले और पवित्र आत्मा से भर गए। वह कहते हैं, 'अब मैं जानता हूँ कि यीशु हैं। वह मुझसे प्रेम करते हैं और वह मेरे साथ हैं।'

हममें से बहुत से व्यस्त और शोरभरे विश्व में रहते हैं। सारे शोर, बातचीत और व्यवधानों के बीच में आप पवित्र आत्मा की आवाज को कैसे सुनते हैं?

बुद्धि

नीतिवचन 20:15-24

15 सोना बहुत है और मणि माणिक बहुत सारे हैं,
 किन्तु ऐसे अधर जो बातें ज्ञान की बताते दुर्लभ रत्न होते हैं।

16 जो किसी अजनबी के ऋण की जमानत देता है
 वह अपने वस्त्र तक गंवा बैठता है।

17 छल से कमाई रोटी मीठी लगती है
 पर अंत में उसका मुंह कंकड़ों से भर जाता।

18 योजनाएँ बनाने से पहले तू उत्तम सलाह पा लिया कर।
 यदि युद्ध करना हो तो उत्तम लोगों से आगुवा लें।

19 बकवादी विश्वास को धोखा देता है सो,
 उस व्यक्ति से बच जो बुहत बोलता हो।

20 कोई मनुष्य यदि निज पिता को अथवा निज माता को कोसे,
 उसका दीया बुझ जायेगा और गहन अंधकार हो जायेगा।

21 यदि तेरी सम्पत्ति तुझे आसानी से मिल गई हो
 तो वह तुझे अधिक मूल्यवान नहीं लगेगा।

22 इस बुराई का बदला मैं तुझसे लूँगा। ऐसा तू मत कह;
 यहोवा की बाट जोह तुझे वही मुक्त करेगा।

23 यहोवा खोटे—झूठे बाटों से घृणा करता है
 और उसको खोटे नाप नहीं भाते हैं।

24 यहोवा निर्णय करता है कि हर एक मनुष्य के साथ क्या घटना चाहिये।
 कोई मनुष्य कैसा समझ सकता है कि उसके जीवन में क्या घटने वाला है।

समीक्षा

बुद्धि और ज्ञान को सुनें

एक तरीका जिससे आप पवित्र आत्मा की आवाज को सुन सकते हैं, वह है दूसरों की बुद्धिमान सलाह के द्वारा। बुद्धिमान और ज्ञानवान लोग मूल्यवान हैं। 'सोना और बहुत से मूँगे तो हैं; परन्तु ज्ञान की बातें अनमोल मणि ठहरी हैं' (व.15)। ज्ञान के सुंदर पात्र् में से पीना, अपने आपको सोने और रत्नों से सजाने से अधिक उत्तम है (व.15, एम.एस.जी)।

जब महत्वपूर्ण निर्णय लेते हैं तब सहायता को खोजने का प्रयास कीजिएः'सलाह लेकर योजनाएँ बनाइये' (व.18)। तब भी आप अपने कामों के लिए उत्तरदायी होंगेः 'सब कल्पनाएँ सम्मति ही से स्थिर होती हैं; और युक्ति के साथ युध्द करना चाहिये' (व.18, एम.एस.जी)।

नीतिवचन की पुस्तक बुद्धिमान सलाह से भरी हुई है। यह आपको बताती है कि कानाफूसी से सावधान रहो जो भरोसा तोड़ती हैं, और उन लोगों से दूर रहो जो बहुत ज्यादा बोलते हैं। ' जो लुतराई करता फिरता है वह भेद प्रकट करता है; इसलिये बकवादी से मेल जोल न रखना ' (व.19, एम.एस.जी)। एक प्रसिद्ध बात के गद्दे पर इस नीतिवचन की कढ़ाई होती हैः 'यदि तुम्हारे पास किसी के विषय में कहने के लिए कुछ अच्छा नहीं है तो आओ और मेरे पास बैठो।'

बुद्धिमान सलाह का दूसरा भाग है बदला लेने के विरूद्ध चेतावनी, ' मत कह, 'मैं बुराई का बदला लूँगा;' वरन् यहोवा की बाट जोहता रह, वह तुमको छुड़ाएंगे' (व.22, एम.एस.जी)।

पवित्र आत्मा से सुनने का अर्थ है परमेश्वर के वचन को सुनना। ' मनुष्य का मार्ग यहोवा की ओर से ठहराया जाता है; आदमी कैसे अपना चलना समझ सके?' (व.24)। पवित्र आत्मा से सुने जैसे वह वचनो के द्वारा आपसे बात करते हैं।

प्रार्थना

परमेश्वर, आपका धन्यवाद क्योंकि आपकी पवित्र आत्मा वचनो के द्वारा मुझसे बात करते हैं। मेरी सहायता कीजिए कि आपकी आवाज को सुनूं और इसका पालन करुँ।
नए करार

1 कुरिन्थियों 14:1-19

आध्यात्मिक वरदानों को कलीसिया की सेवा में लगाओ

14प्रेम के मार्ग पर प्रयत्नशील रहो। और आध्यत्मिक वरदानों की निष्ठा के साथ अभिलाषा करो। विशेष रूप से परमेश्वर की ओर से बोलने की। 2 क्योंकि जिसे दूसरे की भाषा में बोलने का वरदान मिला है, वह तो वास्तव में लोगों से नहीं बल्कि परमेश्वर से बातें कर रहा है। क्योंकि उसे कोई समझ नहीं पाता, वह तो आत्मा की शक्ति से रहस्यमय वाणी बोल रहा है। 3 किन्तु वह जिसे परमेश्वर की ओर से बोलने का वरदान प्राप्त है, वह लोगों से उन्हें आत्मा में दृढ़ता, प्रोत्साहन और चैन पहुँचाने के लिए बोल रहा है। 4 जिसे विभिन्न भाषाओं में बोलने का वरदान प्राप्त है वह तो बस अपनी आत्मा को ही सुदृढ़ करता है किन्तु जिसे परमेश्वर की ओर से बोलने का सामर्थ्य मिला है वह समूची कलीसिया को आध्यात्मिक रूप से सुदृढ़ बनाता है। 5 अब मैं चाहता हूँ कि तुम सभी दूसरी अनेक भाषाएँ बोलो किन्तु इससे भी अधिक मैं यह चाहता हूँ कि तुम परमेश्वर की ओर से बोल सको क्योंकि कलीसिया की आध्यत्मिक सुदृढ़ता के लिये अपने कहे की व्याख्या करने वाले को छोड़ कर, दूसरी भाषाएँ बोलने वाले से परमेश्वर की ओर से बोलने वाला बड़ा है।

6 हे भाईयों, यदि दूसरी भाषाओं में बोलते हुए मैं तुम्हारे पास आऊँ तो इससे तुम्हारा क्या भला होगा, जब तक कि तुम्हारे लिये मैं कोई रहस्य उद्घाटन, दिव्यज्ञान, परमेश्वर का सन्देश या कोई उपदेश न दूँ। 7 यह बोलना तो ऐसे ही होगा जैसे किसी बाँसुरी या सारंगी जैसे निर्जीव वाद्य की ध्वनि। यदि किसी वाद्य के स्वरों में परस्पर स्पष्ट अन्तर नहीं होता तो कोई कैसे पता लगा पायेगा कि बाँसुरी या सारंगी पर कौन सी धुन बजायी जा रही है। 8 और यदि बिगुल से अस्पष्ट ध्वनि निकलने लगे तो फिर युद्ध के लिये तैयार कौन होगा?

9 इसी प्रकार किसी दूसरे की भाषा में जब तक कि तुम साफ-साफ न बोलो, तब तक कोई कैसे समझ पायेगा कि तुमने क्या कहा है। क्योंकि ऐसे में तुम तो बस हवा में बोलने वाले ही रह जाओगे। 10 इसमें कोई सन्देह नहीं हैं कि संसार में भाँति-भाँति की बोलियाँ है और उनमें से कोई भी निरर्थक नहीं है। 11 सो जब तक मैं उस भाषा का जानकार नहीं हूँ, तब तक बोलने वाले के लिये मैं एक अजनबी ही रहूँगा। और वह बोलने वाला मेरे लिये भी अजनबी ही ठहरेगा। 12 तुम पर भी यही बात लागू होती है क्योंकि तुम आध्यत्मिक वरदानों को पाने के लिये उत्सुक हो। इसलिए उनमें भरपूर होने का प्रयत्न करो, जिससे कलीसिया को आध्यात्मिक सुदृढ़ता प्राप्त हो।

13 परिणामस्वरूप जो दूसरी भाषा में बोलता है, उसे प्रार्थना करनी चाहिये कि वह अपने कहे का अर्थ भी बता सके। 14 क्योंकि यदि मैं किसी अन्य भाषा में प्रार्थना करूँ तो मेरी आत्मा तो प्रार्थना कर रही होती है किन्तु मेरी बुद्धि व्यर्थ रहती है। 15 तो फिर क्या करना चाहिये? मैं अपनी आत्मा से तो प्रार्थना करूँगा ही किन्तु साथ ही अपनी बुद्धि से भी प्रार्थना करूँगा। अपनी आत्मा से तो उसकी स्तुति करूँगा ही किन्तु अपनी बुद्धि से भी उसकी स्तुति करूँगा। 16 क्योंकि यदि तू केवल अपनी आत्मा से ही कोई आशीर्वाद दे तो वहाँ बैठा कोई व्यक्ति जो बस सुन रहा है, तेरे धन्यवाद पर “आमीन” कैसे कहेगा क्योंकि तू जो कह रहा है, उसे वह जानता ही नहीं। 17 अब देख तू तो चाहे भली-भाँति धन्यवाद दे रहा है किन्तु दूसरे व्यक्ति की तो उससे कोई आध्यात्मिक सुदृढ़ता नहीं होती।

18 मैं परमेश्वर को धन्यवाद देता हूँ कि मैं तुम सब से बढ़कर विभिन्न भाषाएँ बोल सकता हूँ। 19 किन्तु कलीसिया सभा के बीच किसी दूसरी भाषा में दसियों हज़ार शब्द बोलने की उपेक्षा अपनी बुद्धि का उपयोग करते हुए बस पाँच शब्द बोलना अच्छा समझता हूँ ताकि दूसरों को भी शिक्षा दे सकूँ।

समीक्षा

पवित्र आत्मा के वरदान के द्वारा सुनिये

प्रेम को ऊँचा उठाइये; लेकिन किसी भी तरह से पवित्र आत्मा के वरदान के महत्व को कम मत समझिये। पौलुस दोनों पर जोर देते हैं:' प्रेम का अनुकरण करिए, और आत्मिक वरदानों की भी धुन में रहिए, विशेष करके यह कि भविष्यद्वाणी करिए' (व.1)। कुछ लोग कहते हैं कि हमें 'देने वाले की इच्छा करनी चाहिए ना कि वरदानों की, ' लेकिन देने वाला हमसे कहता है कि वरदानों की इच्छा करो।

भविष्यवाणी पवित्र आत्मा का एक वरदान है जिसके द्वारा आत्मा चर्च से बात करता है। पौलुस चर्च के लिए इस वरदान के महत्व पर जोर देते हैं। यह अन्यभाषाओं में बोलने से अधिक महत्वपूर्ण हैः' मैं चाहता हूँ कि तुम सब अन्य भाषाओं में बातें करो परन्तु इससे अधिक यह चाहता हूँ कि भविष्यवाणी करो' (व.5अ)।

यद्यपि पौलुस एक स्थिति में बात कर रहे थे जहां पर अन्यभाषाओं का वरदान गलत तरीके से उपयोग किए जाने के खतरे में था, वह अब भी वरदान के विषय में उल्लेखनीय रूप से सकारात्मक थे। पौलुस कहते हैं कि जो अन्यभाषाओं में प्रार्थना करते हैं वह अपनी ही उन्नति करते हैं (व.4)। यह सभी के लिए एक अच्छा वरदान है (व.5)। अन्यभाषाएँ, आत्मा में प्रार्थना करने का एक तरीका है (व.14) और प्राथमिक रूप से धन्यवाद और स्तुती है (वव.16-17)। वह अपने स्वयं के वरदान के विषय में गवाही देते हैं, ' मैं अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ, कि मैं तुम सब से अधिक अन्य भाषाओं में बोलता हूँ' (व.18)।

पौलुस वरदान के इस्तेमाल करने में अंतर स्पष्ट करते हैं निजी रूप से (जिसके लिए वह सामान्य रूप से उत्साहित करते हैं) और चर्च में लोगों के सामने आत्मा का इस्तेमाल। यदि चर्च में कोई अन्यभाषाओं में बोलता है, तो अर्थ बताये जाने की आवश्यकता है (वव.5,18-19)। जब अनुवाद करने के वरदान के साथ इसका इस्तेमाल किया जाता है तो यह भविष्यवाणी के बराबर हो जाता है (व.5ब)।

अनुवाद करने का वरदान चर्च की उन्नति करता है जब लोगों के सामने अन्यभाषाएँ बोली जाती हैं (व.5)। जिस किसी के पास अन्यभाषा में बोलने का वरदान है, उसे इस वरदान के लिए भी प्रार्थना करनी चाहिए, ताकि चर्च की उन्नति हो।

भविष्यवाणी यह सुनने की योग्यता है कि परमेश्वर क्या कह रहे हैं और दूसरों को इसे बताने की। यह एक आत्मिक वरदान है जिसका चर्च में बहुत महत्व है, और इसकी अत्यधिक इच्छा की जानी चाहिए (व.1)। यह आवश्यक रूप से भविष्य को पहले ही बताने के विषय में नहीं है। इसके बजाय, यह सामान्य रूप से वर्तमान स्थिति में परमेश्वर क्या कह रहे हैं, उसे पहले बताना है।

आरंभिक मसीह पुराने नियम को महत्वपूर्ण भविष्यवाणी के रूप में देखने लगे (उदाहरण के लिए, 2पतरस 1:20 देखें)। पुराना नियम यीशु के बारे में भविष्यवाणी स्वरूप गवाही है। नया नियम यीशु के बारे में प्रेरितों की गवाही है। अधिकार के रूप में आज कोई भी समांतर नहीं है।

आज भविष्यवक्ता के वचन का अधिकार उन भविष्यवक्ताओं और प्रेरितों के समांतर नहीं है, जिनके वचन पवित्रशास्त्र को बनाते हैं। पवित्रशास्त्र सभी मसीहों के लिए हैं, सभी स्थानों में, हर समय के लिए। एक भविष्यवाणी का वचन एक विशेष शब्द है, परमेश्वर के द्वारा उत्साहित, एक विशेष व्यक्ति को दिया गया, एक विशेष समय पर, एक विशेष उद्देश्य के लिए। यह मानवीय है, और कभी कभी आधी गलत समझी जाती है, किसी चीज की रिपोर्ट जिसे पवित्र आत्मा ने किसी व्यक्ति के दिमाग में लाया है।

फिर भी, पौलुस भविष्यवाणी के वरदान को एक ऊँचा महत्व देते हैं (1कुरिंथियो 14:1) क्योंकि यह एक वरदान है जो चर्च को बढ़ाता है (व.4) और उन पर भी प्रभाव डाल सकता है जो 'अविश्वासी' हैं:'यदि सब भविष्यवाणी करने लगें, और कोई अविश्वासी या बाहरवाला मनुष्य भीतर आ जाए और उसके मन के भेद प्रकट हो जाए, और तब वह मुँह के बल गिरकर परमेश्वर को दण्डवत् करेगा, और मान लेगा कि सचमुच परमेश्वर तुम्हारे बीच में हैं।' (वव.24-25)। विल विसबे के साथ यही हुआ।

भविष्यवाणी को परखा जाना चाहिएः' भविष्यवक्ताओं में से दो या तीन बोलें, और शेष लोग उनके वचन को परखें' (व.29)।

  1. क्या यह बाईबल के साथ रेखा में है?

  2. क्या वे प्रेम के एक व्यक्ति हैं? (व.1)।

  3. भविष्यवाणी का प्रभाव क्या है?

पौलुस लिखते हैं, ' जो भविष्यद्वाणी करता है, वह मनुष्यों से उन्नति और उपदेश और शान्ति की बातें कहता है' (व.3)। भविष्यवाणी के सच्चे वचन हमेशा सकारात्मक होंगे, इस तरह से कि वे लोगों को मजबूत करेंगे, उत्साहित करेंगे और शांति देंगे।

भविष्यवाणी के वचन उस बात की पुष्टि करते हैं जो पवित्र आत्मा ने पहले ही हमारे हृदय में रखे हैं। यदि आप भविष्यवाणी के एक वचन के विषय में सुनिश्चित नहीं हैं, तो जल्दबाजी में कार्य मत करिए लेकिन वह करिए जो यीशु की माता, मरियम ने किया -रुको और अपने हृदय में इस पर मनन करो।

प्रार्थना

परमेश्वर, हमारी सहायता कीजिए कि एक चर्च के रूप में अपेक्षा के एक वातावरण का निर्माण करें पवित्र आत्मा की आवाज सुनने के लिए, जैसे ही हम सुनते हैं – प्रेम के मार्ग पर चलते हुए और आतुरता से आत्मिक वरदानों की इच्छा करते हुए।
जूना करार

2 इतिहास 10:1-12:16

रहूबियाम मूर्खतापूर्ण काम करता है

10रहूबियाम शकेम नगर को गया क्योंकि इस्राएल के सभी लोग उसे राजा बनाने के लिये वहीं गए। 2 यारोबाम मिस्र में था क्योंकि वह राजा सुलैमान के यहाँ से भाग गया था। यारोबाम नबात का पुत्र था। यारोबाम ने सुना कि रहूबियाम नया राजा होने जा रहा है। इसलिये यारोबाम मिस्र से लौट आया। 3 इस्राएल के लोगों ने यारोबाम को अपने साथ रहने के लिये बुलाया।

तब यारोबाम तथा इस्राएल के सभी लोग रहूबियाम के यहाँ गए। उन्होंने उससे कहा, “रहूबियाम, 4 तुम्हारे पिता ने हम लोगों के जीवन को कष्टकर बनाया। यह भारी वजन ले चलने के समान था। उस वजन को हल्का करो तो हम तुम्हारी सेवा करेंगे।”

5 रहूबियाम ने उनसे कहा, “तीन दिन बाद लौटकर मेरे पास आओ।” इसलिए लोग चले गए।

6 तब राजा रहूबियाम ने उन बुजुर्ग लोगों से बातें कीं जिन्होंने पहले उसके पिता की सेवा की थी। रहूबियाम ने उनसे कहा, “आप इन लोगों से क्या कहने के लिये सलाह देते हैं?”

7 बुजुर्गों ने रहूबियाम से कहा, “यदि तुम उन लोगों के प्रति दयालु हो और उन्हें प्रसन्न करते हो तथा उनसे अच्छी बातें कहते हो तो वे तुम्हारी सेवा सदैव करेंगे।”

8 किन्तु रहूबियाम ने बुजुर्गों की दी सलाह को स्वीकार नहीं किया। रहूबियाम ने उन युवकों से बात की जो उसके साथ युवा हुए थे और उसकी सेवा कर रहे थे। 9 रहूबियाम ने उनसे कहा, “तुम लोग क्या सलाह देते हो जिसे मैं उन लोगों से कहूँ उन्होंने मुझसे अपने काम को हल्का करने को कहा है और वे चाहते हैं कि मैं अपने पिता द्वारा उन पर डाले गए वजन को कुछ कम करूँ।”

10 तब उन युवकों ने जो रहूबियाम के साथ युवा हुए थे, उससे कहा, “जिन लोगों ने तुमसे बातें कीं उनसे तुम यह कहो। लोगों ने तुमसे कहा, ‘तुम्हारे पिता ने हमारे जीवन को कष्टकर बनाया था। यह भारी वजन ले चलने के समान था। किन्तु हम चाहते हैं कि तुम हम लोगों के वजन को कुछ हल्का करो।’ किन्तु रहूबियाम, तुम्हें यही उन लोगों से कहना चाहिये। उनसे कहो, ‘मेरी छोटी उँगली भी मेरे पिता की कमर से मोटी होगी! 11 मेरे पिता ने तुम पर भारी बोझ लादा। किन्तु मैं उस बोझ को बढ़ाऊँगा। मेरे पिता ने तुमको कोड़े लगाने का दण्ड दिया था। मैं ऐसे कोड़े लगाने का दण्ड दूँगा जिसकी छोर पर तेज धातु के टुकड़े हैं।’”

12 राजा रहूबियाम ने कहा थाः “तीसरे दिन लौटकर आना।” अतः तीसरे दिन यारोबाम और सब इस्राएली जनता राजा रहूबियाम के पास आए। 13 तब राजा रहूबियाम ने उनसे नीचता से बात की। राजा रहूबियाम ने बुजुर्ग लोगों की सलाह न मानी। 14 राजा यहूबियाम ने लोगों से वैसे ही बात की जैसे युवकों ने सलाह दी थी। उसने कहा, “मेरे पिता ने तुम्हारे बोझ को भारी किया था, किन्तु मैं उसे और अधिक भारी करूँगा। मेरे पिता ने तुम पर कोड़े लगाने का दण्ड किया था, किन्तु मैं ऐसे कोड़े लगाने का दण्ड दूँगा जिनकी छोर में तेज धातु के टुकड़े होंगे।” 15 इस प्रकार राजा रहूबियाम ने लोगों की एक न सुनी। उसने लोगों की एक न सुनी क्योंकि यह परिवर्तन परमेश्वर के यहाँ से आया। परमेश्वर ने ऐसा होने दिया। यह इसलिए हुआ कि यहोवा अपने उस वचन को सत्य प्रमाणित कर सके जो उन्होंने अहिय्याह के द्वारा यारोबाम को कहा था। अहिय्याह शीलो लोगों में से था और यारोबाम नबात का पुत्र था।

16 इस्राएल के लोगों ने देखा कि राजा रहूबियाम उनकी एक नहीं सुनता। उन्होंने राजा से कहा, “क्या हम दाऊद के परिवार के अंग हैं? नहीं! क्या हमें यिशै की कोई भूमि मिलनी है? नहीं! इसलिये ऐ इस्राएलियो, हम लोग अपने शिविर में चलें। दाऊद की सन्तान को उसके अपने लोगों पर शासन करने दें!” तब इस्राएल के सभी लोग अपने शिविरों में लौट गए। 17 किन्तु इस्राएल के कुछ ऐसे लोग थे जो यहूदा नगर में रहते थे और रहूबियाम उनका राजा था।

18 हदोराम काम करने के लिये विवश किये जाने वाले लोगों का अधीक्षक था। रहूबियाम ने उसे इस्राएल के लोगों के पास भेजा। किन्तु इस्राएल के लोगों ने हदोराम पर पत्थर फेंके और उसे मार डाला। तब रहूबियाम भागा और अपने रथ में कूद पड़ा तथा बच निकला। वह भागकर यरूशलेम गया। 19 उस समय से लेकर अब तक इस्राएली दाऊद के परिवार के विरुद्ध हो गए हैं।

11जब रहूबियाम यरूशलेम आया, उसने एक लाख अस्सी हज़ार सर्वोत्तम योद्धाओं को इकट्ठा किया। उसने इन योद्धाओं को यहूदा और बिन्यामीन के परिवार समूहों से इकट्ठा किया। उसने इन्हें इस्राएल के विरुद्ध लड़ने के लिये तैयार किया जिससे वह राज्य को रहूबियाम को वापस लौटा सके। 2 किन्तु यहोवा का सन्देश शमायाह के पास आया। शमायाह परमेश्वर का व्यक्ति था। यहोवा ने कहा, 3 “शमायाह यहूदा के राजा, सुलैमान के पुत्र रहूबियाम से बातें करो और यहूदा तथा बिन्यामीन में रहने वाले सभी इस्राएल के लोगों से बातें करो। 4 उनसे कहो, यहोवा यह कहाता है: ‘तुम्हें अपने भाईयों के विरुद्ध नहीं लड़ना चाहिये! हर एक व्यक्ति अपने घर लौट जाये। मैंने ही ऐसा होने दिया है।’” इसलिये राजा रहूबियाम और उसकी सेना ने यहोवा का सन्देश माना और वे लौट गए। उन्होंने यारोबाम पर आक्रमण नहीं किया।

रहूबियाम यहूदा को शक्तिशाली बनाता है

5 रहूबियाम यरूशलेम में रहने लगा। उसने आक्रमण के विरुद्ध रक्षा के लिये यहूदा में सुदृढ़ नगर बनाए। 6 उसने बेतलेहेम, एताम, तकोआ, 7 बेत्सूर, सोको, अदुल्लाम, 8 गत, मारेशा, जीप, 9 अदोरैम, लाकीश, अजेका, 10 सोरा, अय्यालोन, और हेब्रोन नगरों की मरम्मत कराई। यहूदा और बिन्यामीन में ये नगर दृढ़ बनाए गए। 11 जब रहूबियाम ने उन नगरों को दृढ़ बना लिया तो उनमें सेनापति रखे। उसने उन नगरों में भोजन, तेल और दाखमधु की पूर्ति की व्यवस्था की। 12 रहूबियाम ने ढाल और भाले भी हर एक नगर में रखे और उन्हें बहुत शक्तिशाली बनाया। रहूबियाम ने यहूदा और बिन्यामीन के लोगों को अपने अधिकार में रखा।

13 पूरे इस्राएल के याजक और लेवीवंशी रहूबियाम से सहमत थे और वे उसके साथ हो गए। 14 लेवीवंशियों ने अपनी घास वाली भूमि और अपने खेत छोड़ दिये और वे यहूदा तथा यरूशलेम आ गए। लेवीवंशियों ने यह इसलिये किया कि यारोबाम और उसके पुत्रों ने उन्हें यहोवा के याजक के रूप में सेवा कराने से इन्कार कर दिया।

15 यारोबाम ने अपने ही याजकों को वहाँ उच्च स्थानों पर सेवा करने के लिये नियुक्त किया जहाँ उसने बकरे और बछड़े की उन मूर्तियों को स्थापित की जिन्हें उसने बनाया था। 16 जब लेवीवंशियों ने इस्राएल को छोड़ दिया तब इस्राएल के परिवार समूह के वे लोग जो इस्राएल के यहोवा परमेश्वर के प्रति विश्वास योग्य थे, यरूशलेम में यहोवा, अपने पूर्वजों के परमेश्वर को बलि चढ़ाने आए। 17 उन लोगों ने यहूदा के राज्य को शक्तिशाली बनाया और उन्होंने सुलैमान के पुत्र रहूबियाम को तीन वर्ष तक समर्थन दिया। वे ऐसा करते रहे क्योंकि इस समय के बीच वे वैसे रहते रहे जैसे दाऊद और सुलैमान रहे थे।

रहूबियाम का परिवार

18 रहूबियाम ने महलत से विवाह किया। उसका पिता यरीमोत था। उसकी माँ अबीहैल थी। यरीमोत दाऊद का पुत्र था। अबीहैल एलीआब की पुत्री थी और एलीआब यिशै का पुत्र था। 19 महलत से रहूबियाम के ये पुत्र उत्पन्न हुए: यूश, शमर्याह और जाहम। 20 तब रहूबियाम ने माका से विवाह किया। माका अबशलोम की पोती थी और माका से रहूबियाम के ये बच्चे हुएः अबिय्याह, अत्ते, जीजा और शलोमीत। 21 रहूबियाम माका से सभी अन्य पत्नियों और दासियों से अधिक प्रेम करता था। माका अबशलोम की पोती थी। रहूबियाम की अट्ठारह पत्नियाँ और साठ रखैल थीं। रहूबियाम अट्ठाईस पुत्रों और साठ पुत्रियों का पिता था।

22 रहूबियाम ने अपने भाईयों में अबिय्याह को प्रमुख चुना। रहूबियाम ने यह इसलिये किया कि उसने अबिय्याह को राजा बनाने की योजना बनाई। 23 रहूबियाम ने बुद्धिमानी से काम किया और उसने अपने लड़कों को यहूदा और बिन्यामीन के पूरे देश में हर एक शक्तिशाली नगर में फैला दिया और रहूबियाम ने अपने पुत्रों को बहुत अधिक पुत्रियाँ भेजीं। उसने अपने पुत्रों के लिये पत्नियों की खोज की।

मिस्री राजा शीशक का यरूशलेम पर आक्रमण

12रहूबियाम एक शक्तिशाली राजा हो गया। उसने अपने राज्य को भी शक्तिशाली बनाया। तब रहूबियाम और यहूदा के सभी लोगों ने यहोवा के नियम का पालन करने से इन्कार कर दिया।

2 रहूबियाम के राज्यकाल के पाँचवें वर्ष शीशक ने यरूशलेम पर आक्रमण किया। शीशक मिस्र का राजा था। यह इसलिये हुआ कि रहूबियाम और यहूदा के लोग यहोवा के प्रति निष्ठावान नहीं थे। 3 शीशक के पास बारह हज़ार रथ, साठ हज़ार अश्वारोही, और एक सेना थी जिसे कोई गिन नहीं सकता था। शीशक की सेना में लूबी, सुक्किय्यी और कूशी सैनिक थे। 4 शीशक ने यहूदा के शक्तिशाली नगरों को पराजित कर दिया। तब शीशक अपनी सेना को यरूशलेम लाया।

5 तब शमायाह नबी रहूबियाम और यहूदा के प्रमुखों के पास आया। यहूदा के वे प्रमुख यरूशलेम में इकट्ठे हुए थे क्योंकि वे सभी शीशक से भयभीत थे। शमायाह ने रहूबियाम और यहूदा के प्रमुखों से कहा, “यहोवा जो कहता है वह यह हैः ‘रहूबियाम, तुम और यहूदा के लोगों ने मुझे छोड़ दिया है और मेरे नियम का पालन करने से इन्कार कर दिया है। इसलिये मैं तुमको अपनी सहायता के बिना शीशक का सामना करने को छोड़ूँगा।’”

6 तब यहूदा के प्रमुखों और राजा रहूबियाम ने ग्लानि का अनुभव करते हुये अपने को विनम्र किया और कहा कि, “यहोवा न्यायी है।”

7 यहोवा ने देखा कि राजा और यहूदा के प्रमुखों ने अपने आप को विनम्र बनाया है। तब यहोवा का सन्देश शमायाह के पास आया। यहोवा ने शमायाह से कहा, “राजा और लोगों ने अपने को विनम्र किया है, इसलिये मैं उन्हें नष्ट नहीं करूँगा अपितु मैं उन्हें शीघ्र ही बचाऊँगा। मैं शीशक का उपयोग यरूशलेम पर अपना क्रोध उतारने के लिये नहीं करूँगा। 8 किन्तु यरूशलेम के लोग शीशक के सेवक हो जाएंगे। यह इसलिये होगा कि वे सीख सकें कि मेरी सेवा करना दूसरे राष्ट्रों के राजाओं की सेवा करने से भिन्न है।”

9 शीशक ने यरूशलेम पर आक्रमण किया और यहोवा के मन्दिर में जो खजाना था, ले गया। शीशक मिस्र का राजा था और उसने उस खजाने को भी ले लिया जो राजा के महल में था। शीशक ने हर एक चीज ली और उनके खजानों को ले गया। उसने सोने की ढालों को भी लिया जिन्हें सुलैमान ने बनाया था। 10 राजा रहूबियाम ने सोने की ढालों के स्थान पर काँसे की ढालें बनाईं। रहूबियाम ने उन सेनापतियों को जो राजमहल के द्वारों की रक्षा के उत्तरदायी थे, काँसे की ढालें दीं। 11 जब राजा यहोवा के मन्दिर में जाता था तो रक्षक काँसे की ढालें बाहर निकालते थे। उसके बाद वे काँसे की ढालों को रक्षक—गृह में वापस रखते थे।

12 जब रहूबियाम ने अपने को विनम्र कर लिया तो यहोवा ने अपने क्रोध को उससे दूर कर लिया। इसलिये यहोवा ने रहूबियाम को पूरी तरह नष्ट नहीं किया। यहूदा में कुछ अच्छाई बची थी।

13 राजा रहूबियाम ने यरूशलेम में अपने को शक्तिशाली राजा बना लिया। वह उस समय इकतालीस वर्ष का था, जब राजा बना। रहूबियाम यरूशलेम में सत्रह वर्ष तक राजा रहा। यरूशलेम वह नगर है जिसे यहोवा ने इस्राएल के सारे परिवार समूह में से चुना। यहोवा ने यरूशलेम में अपने को प्रतिष्ठित करना चुना। रहूबियाम की माँ नामा थी। नामा अम्मोन देश की थी। 14 रहूबियाम ने बुरी चीज़ें इसलिये कीं क्योंकि उसने अपने हृदय से यहोवा की आज्ञा पालन करने का निश्चय नहीं किया।

15 जब रहूबियाम राजा हुआ, अपने शासन के आरम्भ से अन्त तक, उसने जो कुछ किया वह शमायाह और इद्दो के लेखों में लिखा गया है। शमायाह एक नबी था और इद्दो दृष्टा। वे लोग परिवार इतिहास लिखते थे और रहूबियाम तथा यारोबाम जब तक शासन करते रहे उनके बीच सदा युद्ध चलता रहा। 16 रहूबियाम ने अपने पूर्वजों के साथ विश्राम किया। रहूबियाम को दाऊद के नगर में दफनाया गया। रहूबियाम का पुत्र अबिय्याह नया राजा हुआ।

समीक्षा

अच्छी सलाह और भविष्यवाणी के वचनों को सुनिये

रहूबियाम ने एक बहुत बड़ी गलती की। प्राचीनों के द्वारा पवित्र आत्मा ने उससे बात की थी। उन्होंने कहा, ' यदि तू इस प्रजा के लोगों से अच्छा बर्ताव करके उन्हें प्रसन्न करे और उनसे मधुर बातें कहे, तो वे सदा तेरे अधीन बने रहेंगे' (10:7, एम.एस.जी)।

रहूबियाम ने प्राचीनों की सलाह को न मानने की गलती की (व.8)। इसके बजाय उसने उन युवाओं से बहुत ही बुरी सलाह को सुना जिनके साथ वह बढ़े हुए थे (वव.10-11)।

उन्होंने 'लोगों की बात नहीं सुनी' (व.15)। जब समस्त इस्राएल ने देखा कि 'राजा ने उनकी बात सुनने से मना कर दिया है' (व.16), वे विद्रोह करने लगे।

लेकिन परमेश्वर ने रहूबियाम से बातें करना छोड़ा नहीं। तब यहोवा का यह वचन परमेश्वर के भक्त शमायाह के पास पहुँचाः रहूबियाम से कह, ‘यहोवा यों कहता है...' (11:2-4अ)।

इस समय राजा और लोग परमेश्वर से सुनने के लिए एक हो गए - ' यहोवा के ये वचन मानकर, वे यारोबाम पर बिना चढ़ाई किए लौट गए' (व.4ब)।

बाद में, परमेश्वर ने फिर से भविष्यवक्ता शमायाह के द्वारा बात कीः'यहोवा यों कहता है, कि तुम ने मुझ को छोड़ दिया है, इसलिये मैं ने तुम को छोड़ दिया है।' (12:5, एम.एस.जी)। फिर उन्होंने बात सुनी। उन्होंने 'अपने आपको दीन किया और कहा, 'यहोवा सत्यनिष्ठ हैं।' (व.6)। इसके परिणामस्वरूप, जब यहोवा का यह वचन शमायाह के पास पहुँचा : 'वे दीन हो गए हैं, मैं उनको नष्ट नहीं दूंगा; मैं उनका बचाव करूँगा...' (व.7)।

प्रार्थना

परमेश्वर, मुझे बुद्धि दीजिए कि आपकी आवाज को सुनूँ और यह जान पाऊँ कि कौन सी सलाह परमेश्वर की आत्मा की ओर से है और कौन सी नहीं है। पवित्र आत्मा की आवाज सुनना सीखने में मेरी सहायता कीजिए।

पिप्पा भी कहते है

1कुरिंथियो 14:4

'जो अन्यभाषाओं में बोलते हैं वह अपनी ही उन्नति करते हैं।'

कुछ सालों पहले जब एक मित्र से पूछा गया कि क्या वह अन्यभाषाओं के वरदान को पसंद करेंगी, उसने जवाब दिया, 'हाँ, यदि यह मदद करेगा।' जितना अधिक हो सके मुझे सहायता की जरुरत है। इस वरदान के लिए मैं परमेश्वर की बहुत आभारी हूँ, बहुत सी बार जब मैं शब्दों में बयान नहीं कर पाती हूं कि मैं कैसा महसूस कर रही हूँ, तब मैंने इस वरदान का इस्तेमाल किया है अपने हृदय में की बातों को ऊँडेलने के लिए।

दिन का वचन

नीतिवचन 20:19

“जो लुतराई करता फिरता है वह भेद प्रगट करता है; इसलिये बकवादी से मेल जोल न रखना।”

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संदर्भ

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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