परमेश्वर का न्याय और हमारा
परिचय
जब मैं वकालत कर रहा था, तब बहुत से न्यायधीश जिनके सामने मैं खड़ा हुआ वे बहुत ही अच्छे थे। किंतु, मुझे याद है जब एक बार मैं एक न्यायधीश के सामने खड़ा हुआ जो अच्छा नहीं था। यह एक भयानक अनुभव था।
एक अपराधी मामले में मैं प्रतिवादी को प्रस्तुत कर रहा था। यह केवल दूसरा मामला था जिसे मैंने जूरी के सामने किया। मैं तेंईस वर्ष का था और, निश्चित ही, बहुत ही अनुभवहीन था। फिर भी, मुझे ऐसा लग रहा था कि जिस तरह से न्यायधीश मामले से निबट रहे थे, उसमें बहुत कुछ गलत था। वह निरंतर मुझे टोक रही थी जब कभी मैं एक गवाही की जाँच करता था। वह अपने खुद के प्रश्नों से बार बार हस्तक्षेप कर रही थी। अंत में मैं वह बनकर रह गया जैसा कि न्यायालय के कर्मचारी कहलाते हैं,"न्यायाधीश के साथ खड़े रहने वाला।"
न्यायधीश के द्वारा तथ्यों का व्यक्त किया जाना ऐसा था जैसे दूसरे अभियोगी बात कर रहे हो; मेरे मुवक्किल को उचित रीति से दोषी ठहराया गया और बंदीगृह में भेज दिया गया। हमने अपील की इस आधार पर कि प्रतिवादी की जाँच ईमानदारी से की जानी चाहिए और उन्हें मौका नहीं दिया गया।
जब मैं अपील करने के लिए तीन वरिष्ठ न्यायधीशों के सामने खड़ा हुआ, मैं बहुत ही व्याकुल था कि वे इस बात से सहमत नहीं हो कि मैं “न्यायधीश के साथ केवल खड़े रहने" का काम कर रहा था। मुझे राहत मिली जब मैंने जाना कि जाँच करने में उस न्यायधीश के तरीके से वे भी उतने ही आंतकित थे जितना की मैं था। उन्होंने उस निर्णय को पलट दिया और ब्रिटिश न्याय व्यवस्था में मेरा विश्वास पहले जैसा हो गया।
विश्व के बहुत से भागों में, अच्छे न्यायधीश की कमी है। वहाँ पर व्यवस्था का कोई नियम नहीं है। इसके परिणामस्वरूप भयानक अन्याय होता है। विशेष रूप से, गरीब शिकार बनते हैं – विशेष रूप से यदि न्यायधीश रिश्वत लेने वाले और भ्रष्ट हो तो।
भजन संहिता 94:1-11
94हे यहोवा, तू ही एक परमेश्वर है जो लोगों को दण्ड देता है।
तू ही एक परमेश्वर है जो आता है और लोगों के लिये दण्ड लाता है।
2 तू ही समूची धरती का न्यायकर्ता है।
तू अभिमानी को वह दण्ड देता है जो उसे मिलना चाहिए।
3 हे यहोवा, दुष्ट जन कब तक मजे मारते रहेंगे
उन बुरे कर्मो की जो उन्होंने किये हैं।
4 वे अपराधी कब तक डींग मारते रहेंगे
उन बुरे कर्मो को जो उन्होंने किये हैं।
5 हे यहोवा, वे लोग तेरे भक्तों को दु:ख देते हैं।
वे तेरे भक्तों को सताया करते हैं।
6 वे दुष्ट लोग विधवाओं और उन अतिथियों की जो उनके देश में ठहरे हैं, हत्या करते हैं।
वे उन अनाथ बालकों की जिनके माता पिता नहीं हैं हत्या करते हैं।
7 वे कहा करते हैं, यहोवा उनको बुरे काम करते हुए देख नहीं सकता।
और कहते हैं, इस्राएल का परमेश्वर उन बातों को नहीं समझता है, जो घट रही हैं।
8 अरे ओ दुष्ट जनों तुम बुद्धिहीन हो।
तुम कब अपना पाठ सीखोगे?
अरे ओ दुर्जनों तुम कितने मूर्ख हो!
तुम्हें समझने का जतन करना चाहिए।
9 परमेश्वर ने हमारे कान बनाएँ हैं, और निश्चय ही उसके भी कान होंगे।
सो वह उन बातों को सुन सकता है, जो घटिन हो रहीं हैं।
परमेश्वर ने हमारी आँखें बनाई हैं, सो निश्चय ही उसकी भी आँख होंगी।
सो वह उन बातों को देख सकता है, जो घटित हो रही है।
10 परमेश्वर उन लोगों को अनुशासित करेगा।
परमेश्वर उन लोगों को उन सभी बातों की शिक्षा देगा जो उन्हें करनी चाहिए।
11 सो जिन बातों को लोग सोच रहे हैं, परमेश्वर जानता है,
और परमेश्वर यह जानता है कि लोग हवा की झोंके हैं।
समीक्षा
पृथ्वी के न्यायी
प्रभु परमेश्वर “पृथ्वी के न्यायी" हैं (व.2)। इस समय, हम हमेशा न्याय नहीं देखते हैं। हम दुष्टता को देखते हैं (व.3), अक्खड़पन और घमंड देखते हैं (व.4)। हम देखते हैं लोगों को कुचलते और सताये जाते हुए (व.5)। असल में, हम गरीब – विधवा, परदेशी और अनाथ (व.6) – को कष्ट उठाते हुए देखते हैं।
भजनसंहिता के लेखक न्याय की दोहाई देते हैं। परमेश्वर एक न्यायी परमेश्वर हैं। वह “बदला लेते हैं" (व.1)। यह प्रतिशोध की भावना रखना नहीं है बल्कि बुराई और दुष्टता के लिए उचित और सही उत्तर है। वह “घमंडियो को बदला दें" (व.2ब)। अब दुष्ट इससे बचकर नहीं निकल जाएँगे। अब गरीबों पर अत्याचार नहीं होगा।
परमेश्वर का न्याय, उनके प्रेम का एक पहलू है। वह पीड़ितो से प्रेम करते हैं। इसलिए, वह उनके पक्ष में कार्य करते हैं कि उनके सताने वालों का न्याय करें।
अन्याय, विश्व में कष्ट उठाने का कारण है। निर्दोष को बचाने के लिए, यह प्रेम का एक कार्य है कि उन्हें न्याय दिलाया जाए, उदाहरण के लिए जो शारीरिक संबंध बनाने के लिए लोगों की तस्करी करते हैं।
कभी कभी शायद से हम सोचें कि “परमेश्वर ध्यान नहीं देते हैं" या “परमेश्वर को फरक नहीं पड़ता।" किंतु, वास्तविकता यह है कि परमेश्वर,"जिन्होंने कान दिए हैं," वह सुनते हैं और,"जिन्होंने आँख दी हैं" वह देखते हैं (व.9)। इसका अर्थ है कि परमेश्वर का न्याय प्रेमी और सिद्ध होगा। परमेश्वर के पास पूर्ण ज्ञान है क्योंकि “परमेश्वर सभी मनुष्यों की कल्पनाओं को जानते हैं" (व.11अ), और वह करने में सक्षम हैं और सिद्ध न्याय करेंगे।
प्रार्थना
1 कुरिन्थियों 6:1-20
आपसी विवादों का निबटारा
6क्या तुममें से कोई ऐसा है जो अपने साथी के साथ कोई झगड़ा होने पर परमेश्वर के पवित्र पुरुषों के पास न जा कर अधर्मी लोगों की अदालत में जाने का साहस करता हो? 2 अथवा क्या तुम नहीं जानते कि परमेश्वर के पवित्र पुरुष ही जगत का न्याय करेंगे? और जब तुम्हारे द्वारा सारे संसार का न्याय किया जाना है तो क्या अपनी इन छोटी-छोटी बातों का न्याय करने योग्य तुम नहीं हो? 3 क्या तुम नहीं जानते कि हम स्वर्गदूतों का भी न्याय करेंगे? फिर इस जीवन की इन रोज़मर्राह की छोटी मोटी बातो का तो कहना ही क्या। 4 यदि हर दिन तुम्हारे बीच कोई न कोई विवाद रहता ही है तो क्या न्यायाधीश के रूप में तुम ऐसे व्यक्तियों की नियुक्ति करोगे जिनका कलीसिया में कोई स्थान नहीं है। 5 यह मैं तुमसे इसलिए कह रहा हूँ कि तुम्हें कुछ लाज आये। क्या स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि तुम्हारे बीच कोई ऐसा बुद्धिमान पुरुष है ही नहीं जो अपने मसीही भाइयों के आपसी झगड़े सुलझा सके? 6 क्या एक भाई कभी अपने दूसरे भाई से मुकदमा लड़ता है! और तुम तो अविश्वासियों के सामने ऐसा कर रहे हो।
7 वास्तव में तुम्हारी पराजय तो इसी में हो चुकी कि तुम्हारे बीच आपस में कानूनी मुकदमे हैं। इसके स्थान पर तुम आपस में अन्याय ही क्यों नहीं सह लेते? अपने आपको क्यों नहीं लुट जाने देते। 8 तुम तो स्वयं अन्याय करते हो और अपने ही मसीही भाइयों को लूटते हो!
9 अथवा क्या तुम नहीं जानते कि बुरे लोग परमेश्वर के राज्य का उत्तराधिकार नहीं पायेंगे? अपने आप को मूर्ख मत बनाओ। यौनाचार करने वाले, मूर्ति पूजक, व्यभिचारी, गुदा-भंजन कराने वाले, लौंडेबाज़, 10 लुटेरे, लालची, पियक्कड़, चुगलखोर और ठग परमेश्वर के राज्य के उत्तराधिकारी नहीं होंगे। 11 तुममें से कुछ ऐसे ही थे। किन्तु अब तुम्हें धोया गया और पवित्र कर दिया है। तुम्हें परमेश्वर की सेवा में अर्पित कर दिया गया है। प्रभु यीशु मसीह के नाम और हमारे परमेश्वर के आत्मा के द्वारा उन्हें धर्मी करार दिया जा चुका है।
अपने शरीर को परमेश्वर की महिमा में लगाओ
12 “मैं कुछ भी करने को स्वतन्त्र हूँ।” किन्तु हर कोई बात हितकर नहीं होती। हाँ! “मैं सब कुछ करने को स्वतन्त्र हूँ।” किन्तु मैं अपने पर किसी को भी हावी नहीं होने दूँगा। 13 कहा जाता है, “भोजन पेट के लिये और पेट भोजन के लिये है।” किन्तु परमेश्वर इन दोनों को ही समाप्त कर देगा। और हमारे शरीर भी तो यौन-अनाचार के लिये नहीं हैं बल्कि प्रभु की सेवा के लिये हैं। और प्रभु हमारी देह के कल्याण के लिये है। 14 परमेश्वर ने केवल प्रभु को ही पुनर्जीवित नहीं किया बल्कि अपनी शक्ति से वह मृत्यु से हम सब को भी जिला उठायेगा। 15 क्या तुम नहीं जानते कि तुम्हारे शरीर स्वयं यीशु मसीह से जुड़े हैं? तो क्या मुझे उन्हें, जो मसीह के अंग हैं, किसी वेश्या के अंग बना देना चाहिये? 16 निश्चय ही नहीं। अथवा क्या तुम यह नहीं जानते, कि जो अपने आपको वेश्या से जोड़ता है, वह उसके साथ एक देह हो जाता है। शास्त्र में कहा गया है: “क्योंकि वे दोनों एक देह हो जायेंगे।” 17 किन्तु वह जो अपनी लौ प्रभु से लगाता है, उसकी आत्मा में एकाकार हो जाता है।
18 यौनाचार से दूर रहो। दूसरे सभी पाप जिन्हें एक व्यक्ति करता है, उसके शरीर से बाहर होते हैं किन्तु ऐसा व्यक्ति जो व्यभिचार करता है वह तो अपने शरीर के ही विरुद्ध पाप करता है। 19 अथवा क्या तुम नहीं जानते कि तुम्हारे शरीर उस पवित्र आत्मा के मन्दिर हैं जिसे तुमने परमेश्वर से पाया है और जो तुम्हारे भीतर निवास करता है। और वह आत्मा तुम्हारा अपना नहीं है, 20 क्योंकि परमेश्वर ने तुम्हें कीमत चुका कर खरीदा है। इसलिए अपने शरीरों के द्वारा परमेश्वर को महिमा प्रदान करो।
समीक्षा
कलीसिया में न्याय
नये नियम में सामान्य नियम है कि मसीहों को कभी भी एक दूसरे को न्यायालय में नही ले जाना चाहिए।
पौलुस प्रेरित आश्चर्य चकित हो गए कि कुरिंथ के विश्वासी एक दूसरे को न्यायालय में ले जा रहे थे (व.1अ)। चर्च के लिए यह एक भयानक गवाही है। “अविश्वासियों" के सामने विश्वासी एक दूसरे से लड़ रहे थे (व.1): "जब एक दूसरे के साथ झगड़ा हो, तो फैसले के लिये अविश्वासियो के पास जाए और पवित्र लोगों के पास न जाए?" (व.1ब, एम.एस.जी)।
मुकदमा करने से बेहतर है कि अन्याय सह लो और हानि उठा लो (वव.7-8)। किंतु, पौलुस उनसे विनती करते हैं कि यदि वे वाद-विवाद में पड़ जाते हैं, तो उन्हें अपने बीच में ही मामले को सुलझाना है (वव.4-6)।
यदि सच में एक विवाद को सुलझाना आवश्यक है, तो उन्हें चर्च से न्यायी को नियुक्त करना चाहिए। पौलुस बताते हैं कि एक दिन “संत विश्व का न्याय करेंगे" (व.2):"वह दिन आ रहा है जब यीशु के अनुयायी विश्व का न्याय करेंगे" (व.2, एम.एस.जी)। जिस न्याय के विषय में पौलुस बताते हैं, उसमें गिरे हुए स्वर्गदूत शामिल हैं (व.3)।
पौलुस का विवाद यह है कि यदि एक दिन हम न्याय के इस बड़े दिन में शामिल होंगे, तो निश्चित ही हम अब छोटे मामलों का न्याय कर सकते हैं (वव.2-3)। इसे रोकने के लिए वह सब करो ताकि “ तुम में भाई - भाई में मुकद्दमा न हो, और वह भी अविश्वासियों के सामने" (व.6)।
एक अंतिम न्याय होगाः"दुष्ट परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे" (व.9)। पौलुस विभिन्न प्रकार के पापियों की सूची देते हैं:"न वेश्यागामी, न मूर्तिपूजक, न परस्त्रीगामी, न लुच्चे, न पुरुषगामी, न चोर, न लोभी, न पियक्कड़, न गाली देने वाले, न अन्धेर करने वाले परमेश्वर के राज्य के वारिस होंगे" (वव.9-10, एम.एस.जी)।
जिन लोगों को पौलुस पत्र लिख रहे थे उनमें से बहुत से भूतकाल में इस प्रकार की जीवनशैली में शामिल होंगे और पौलुस की सूची में शामिल होंगे। लेकिन वह लिखते हैं," और तुम में से कितने ऐसे ही थे, परन्तु तुम प्रभु यीशु मसीह के नाम में और हमारे परमेश्वर की आत्मा से धोए गए और पवित्र हुए और सत्यनिष्ठ ठहरे" (व.11, एम.एस.जी)।
अंतिम न्याय के दिन हम सभी पर दोष लगाए जाने के योग्य है। हमारे पास स्वयं सत्यनिष्ठा या घमंड करने का कोई कारण नहीं है। आपके लिए यीशु की मृत्यु के द्वारा, आप धोए गए, शुद्ध किए गए और सत्यनिष्ठ ठहराये गए। निर्दोष ठहरने का अर्थ है परमेश्वर के महान न्यायालय में निर्दोष ठहरे हैं। न्याय किया गया और आप अभी इस निर्णय को ग्रहण करते हैं।
आप भविष्य के विषय में महान आत्मविश्वास रख सकते हैं। मृत्यु अंत नहीं हैः" परमेश्वर ने अपनी सामर्थ से प्रभु को जिलाया, और हमें भी जिलाएंगे" (व.14)। ना केवल आप इस बात के प्रति सुनिश्चित हो सकते हैं कि एक दिन आप अनंत जीवन के लिए जिलाए जाएँगे, लेकिन यीशु के द्वारा आप इस बात के प्रति भी सुनिश्चित हो सकते हैं कि सारी पृथ्वी के न्यायी के सामने आप निर्भीकता से आ सकते हैं “शुद्ध होकर" और “निर्दोष ठहरकर" (व.11)।
इसका यह अर्थ नहीं है कि आप जो चाहे वह कर सकते हैं। इसके बजाय, यह विपरीत है। अब आपका शरीर पवित्र आत्मा का एक मंदिर है (व.19)। आप “एक दाम देकर खरीदे गए हैं" (व.20)। इसलिए," व्यभिचार से बचे रहिए" (व.18)। “हमें अवश्य ही वेश्यागमन नहीं करना है जो कटिबद्धता और विश्वासनीयता को दूर करती है, और हमें पहले से अधिक अकेला कर देती है" (व.16, एम.एस.जी)। “आपका शरीर एक पवित्र स्थान है, पवित्र आत्मा का स्थान" (व.19, एम.एस.जी)।
किसी “चीज के अधीन मत होईये" (व.12)। आपका शरीर परमेश्वर का है। परमेश्वर का सम्मान करने के लिए इसका इस्तेमाल कीजिए (व.20)।
प्रार्थना
2 इतिहास 1:1-17
सुलैमान बुद्धि की याचना करता है
1सुलैमान एक बहुत शक्तिशाली राजा बन गया क्योंकि यहोवा उसका परमेश्वर, उसके साथ था। यहोवा ने सुलैमान को अत्यधिक महान बनाया।
2 सुलैमान ने इस्राएल के सभी लोगों से बातें कीं। उसने सेना के शतपतियों, सहस्त्रपतियों, न्यायाधीशों, सारे इस्राएल के सभी प्रमुखों तथा परिवारों के प्रमुखों से बातें कीं। 3 तब सुलैमान और सभी लोग उसके साथ इकट्ठे हुए और उस उच्चस्थान को गये जो गिबोन नगर में था। परमेश्वर का मिलाप का तम्बू वहाँ था। यहोवा के सेवक मूसा ने उसे तब बनाया था जब वह और इस्राएल के लोग मरुभूमि में थे। 4 दाऊद परमेश्वर के साक्षीपत्र के सन्दूक को किर्यत्यारीम से यरूशलेम तक लाया था। दाऊद ने यरूशलेम में इसको रखने के लिये एक स्थान बनाया था। दाऊद ने यरूशलेम में साक्षीपत्र के सन्दूक के लिए एक तम्बू लगा दिया था। 5 बसलेल ने एक काँसे की वेदी बनाई थी। बसलेल ऊरी का पुत्र था। वह काँसे की वेदी गिबोन में पवित्र तम्बू के सामने थी। इसलिये सुलैमान और वे लोग यहोवा से राय लेने गिबोन गए। 6 मिलाप के तम्बू में यहोवा के सामने काँसे की वेदी तक सुलैमान गया। सुलैमान ने एक हज़ार होमबलि वेदी पर चढ़ाई।
7 उस रात परमेश्वर सुलैमान के पास आया। परमेश्वर ने कहा, “सुलैमान, मुझसे तुम वह माँगो जो कुछ तुम चाहते हो कि मैं तुम्हें दूँ।”
8 सुलैमान ने परमेश्वर से कहा, “तू मेरे पिता दाऊद के प्रति बहुत कृपालु रहा है। तूने मुझे, मेरे पिता के स्थान पर नया राजा होने के लिये चुना है। 9 यहोवा परमेश्वर, अब, तूने जो वचन मेरे पिता को दिया है उसे बने रहने दे। तूने मुझे ऐसी प्रजा का शासक बनाया, जो पृथ्वी के रेतकणों की तरह असंख्य है! 10 अब तू मुझे बुद्धि और ज्ञान दे। तब मैं इन लोगों को सही राह पर ले चल सकूँगा। कोई भी तेरी सहायता के बिना इन पर शासन नहीं कर सकता!”
11 परमेश्वर ने सुलैमान से कहा, “तुम्हारी भावनायें बिल्कुल ठीक हैं। तुमने धन या सम्पत्ति या सम्मान नहीं माँगा है। तुमने यह भी नहीं माँगा है कि तुम्हारे शत्रु मर जायें। तुमने लम्बी उम्र भी नहीं माँगी है। किन्तु तुमने अपने लिये बुद्धि और ज्ञान माँगा है। जिससे तुम मेरी प्रजा के सम्बन्ध में बुद्धिमता से निर्णय ले सको, जिसका मैंने तुमको राजा बनाया है। 12 इसलिये मैं तुम्हें बुद्धि और ज्ञान दूँगा। मैं तुम्हें धन, वैभव और सम्मान भी दूँगा। तुम्हारे पहले होने वाले राजाओं के पास इतना धन और इतना सम्मान कभी नहीं था और तुम्हारे बाद होने वाले राजाओं के पास भी इतना धन और सम्मान नहीं होगा।”
13 इस प्रकार, सुलैमान आराधना के स्थान गिबोन को गया। तब सुलैमान ने उस मिलापवाले तम्बू को छोड़ा और यरूशलेम लौट गया और इस्राएल पर राज्य करने लगा।
सुलैमान धन—संग्रह और अपनी सेना खड़ी करता है
14 सुलैमान ने घोड़े और रथ अपनी सेना के लिये एकत्रित करना आरम्भ किया। सुलैमान के पास एक हज़ार चार सौ रथ और बारह हज़ार घुड़सवार थे। सुलैमान ने उनको रथ नगरों में रखा। सुलैमान ने यरूशलेम में भी उनमें से कुछ को रखा, अर्थात वहाँ जहाँ राजा का निवास था। 15 सुलैमान ने यरूशलेम में बहुत सा चाँदी और सोना इकट्ठा किया। उसने इतना अधिक चाँदी और सोना इकट्ठा किया कि वह चट्टानों सा सामान्य हो गया। सुलैमान ने देवदार की बहुत सी लकड़ी इकट्ठी की। उसने देवदार की इतनी अधिक लकड़ी इकट्ठी की, कि वह पश्चिमी पहाड़ी प्रदेश के गूलर के वृक्ष समान सामान्य हो गयी। 16 सुलैमान ने मिस्र और कुए (या कोये देश से) से घोड़े मँगाए। राजा के व्यापारियों ने घोड़े कोये में खरीदे। 17 सुलैमान के व्यापारियों ने मिस्र से एक रथ चाँदी के छः सौ शेकेल में और घोड़ा चाँदी के एक सौ पचास शेकेल में खरीदा। तब व्यापारियों ने घोड़ों और रथों को हित्ती लोगों के राजाओं तथा अराम के राजाओं के हाथ बेच दिया।
समीक्षा
सुलैमान का न्याय
क्या आप कभी किसी चीज से अत्यधिक प्रभावित महसूस करते हैं जो आपको करनी थी? मैं निश्चित ही करता हूँ। सुलैमान ने एक “मुश्किल कार्य" का सामना किया (व.9, एम.एस.जी)।
सुलैमान का राज्य मजबूती से स्थापित था (व.1)। सुलैमान ने समस्त इस्राएल और “न्यायियों" से बातें की (व.2)।
वह खुद एक न्यायी के रूप में कार्य करते थे। असल में, संपूर्ण इतिहास में सुलैमान अपने अच्छे न्याय के लिए जाने जाते हैं। लोग उनका सम्मान करते थे “क्योंकि उन्होंने देखा कि न्याय करने के लिए उनके पास परमेश्वर की बुद्धि थी" (1राजाओं 3:28)।
यह बुद्धि कहाँ से आयी? यह उनकी प्रार्थना का एक उत्तर था। परमेश्वर ने उनसे कहा,"जो कुछ तू चाहे कि मैं तुझे दूं, वह माँग" (2इतिहास 1:7)। उन्होंने प्रार्थना की जैसा कि मैं अक्सर करता हूँ,"अब मुझे ऐसी बुद्धि और ज्ञान दीजिए कि मैं इस प्रजा के सामने अंदर –बाहर आना-जाना कर सकूं, क्योंकि कौन ऐसा है कि आपकी प्रजा का न्याय कर सके?" (व.10, एम.एस.जी)।
“परमेश्वर ने सुलैमान को उत्तर दिया,"तेरी जो ऐसी ही इच्छा हुईः अर्थात् तू ने न तो धन संपत्ति माँगी है, न ऐश्वर्य और न अपने बैरियों का प्राण और न अपनी दीर्घायु माँगी, केवल बुद्धि और ज्ञान का वर माँगा है, जिससे तू मेरी प्रजा का जिसके ऊपर मैं ने तुझे राजा नियुक्त किया है, न्याय कर सके, इस कारण बुद्धि और ज्ञान तुझे दिया जाता है। मैं तुझे इतनी धन संपत्ति और ऐश्वर्य भी दूँगा, जितना न तो तुझ से पहले किसी राजा को मिला, और न तेरे बाद किसी राजा को मिलेगा" (वव.11-12, एम.एस.जी)।
जैसा कि यीशु ने कहा," तुम पहले परमेश्वर के राज्य और उसके सत्यनिष्ठा की खोज करो तो ये सब वस्तुएँ भी तुम्हें मिल जाएँगी “ (मत्ती 6:33)। और जैसा कि प्रेरित याकूब ने कहा," पर यदि तुम में से किसी को बुध्दि की घटी हो तो परमेश्वर से माँगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है, और उसको दी जाएगी" (याकूब 1:5)।
प्रार्थना
पिप्पा भी कहते है
2इतिहास 1:10
“मुझे बुद्धि और ज्ञान दीजिए..."
मुझे निरंतर बुद्धि की आवश्यकता है। एक दिन में बहुत से निर्णय लेने होते हैं – उस स्थिती में क्या करना है, किसी से क्या कहना है, किसी कार्यक्रम में जाना है या नहीं...परमेश्वर, आज मुझे बुद्धि दीजिए।
दिन का वचन
1कुरिंथियो 6:19
“क्या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह पवित्रात्मा का मन्दिर है; जो तुम में बसा हुआ है और तुम्हें परमेश्वर की ओर से मिला है, और तुम अपने नहीं हो?”
App
Download the Bible in One Year app for iOS or Android devices and read along each day.
Sign up now to receive Bible in One Year in your inbox each morning. You’ll get one email each day.
Podcast
Subscribe and listen to Bible in One Year delivered to your favourite podcast app everyday.
Website
Start reading today’s devotion right here on the BiOY website.
संदर्भ
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)
जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।