दिन 219

तीन बुरे व्यवहार जो फूट डालते हैं

बुद्धि भजन संहिता 92:1-15
नए करार 1 कुरिन्थियों 3:1-23
जूना करार 1 इतिहास 24:1-26:19

परिचय

जब मैं यूनीवर्सिटी में था, तब मैं अपने महान मित्र निकी ली के साथ एक ही कमरे में रहता था, जो अब एच.टी.बी में एक पादरी हैं। हम सभी अपने खान-पान का प्रबंध करते थे; मैं खाना बनाता था और निकी ली बाँटते थे। वह एक विशेषज्ञ थे बाँटने में, जो कुछ पकाया जाता था उसे वह बराबर भागों में बाँट देते थे! यह एक उदाहरण है जहाँ पर विभाजन को एक अच्छे बोध में इस्तेमाल किया गया है नाकि एक बुरे बोध में।

विभाजन जीवन का एक तथ्य है। उसमें आवश्यक रूप से एक बुरी चीज होने की आवश्यकता नहीं है। सच में, हो सकता है कि वह आवश्यक हो। उदाहरण के लिए, एक संस्था में लोगों को विभिन्न विभागों में रखना सहायक और महत्वपूर्ण हो सकता है। हम आज के लेखांश में पुराने नियम में इस प्रकार के विभाजन को देखते हैं।

फिर, एक विभाजन है जो न्याय के दिन होगा। यह अच्छाई और बुराई के बीच में एक आवश्यक विभाजन है। इस प्रकार के विभाजन को आज के लिए भजन में देखा जा सकता है।

एक तीसरे प्रकार का भी विभाजन है जो कि अच्छा, सहायक या आवश्यक नहीं है। चर्च में फूट और विभाजन एक विडंबना है। इस विभाजन से दूर रहने के लिए हमें अवश्य ही अपना सर्वश्रेष्ठ करना चाहिए। इस प्रकार के विभाजन के विरूद्ध पौलुस प्रेरित आज के लिए लेखांश के नये नियम में बताते हैं।

बुद्धि

भजन संहिता 92:1-15

सब्त के दिन के लिये एक स्तुति गीत।

92यहोवा का गुण गाना उत्तम है।
 हे परम परमेश्वर, तेरे नाम का गुणगान उत्तम है।
2 भोर में तेरे प्रेम के गीत गाना
 और रात में तेरे भक्ति के गीत गाना उत्तम है।
3 हे परमेश्वर, तेरे लिये वीणा, दस तार वाद्य
 और सांरगी पर संगीत बजाना उत्तम है।

4 हे यहोवा, तू सचमुच हमको अपने किये कर्मो से आनन्दित करता है।
 हम आनन्द से भर कर उन गीतों को गाते हैं, जो कार्य तूने किये हैं।
5 हे यहोवा, तूने महान कार्य किये,
 तेरे विचार हमारे लिये समझ पाने में गंभीर हैं।
6 तेरी तुलना में मनुष्य पशुओं जैसे हैं।
 हम तो मूर्ख जैसे कुछ भी नहीं समझ पाते।
7 दुष्ट जन घास की तरह जीते और मरते हैं।
 वे जो भी कुछ व्यर्थ कार्य करते हैं, उन्हें सदा सर्वदा के लिये मिटाया जायेगा।

8 किन्तु हे यहोवा, अनन्त काल तक तेरा आदर रहेगा।

9 हे यहोवा, तेरे सभी शत्रु मिटा दिये जायेंगे।
 वे सभी व्यक्ति जो बुरा काम करते हैं, नष्ट किये जायेंगे।
10 किन्तु तू मुझको बलशाली बनाएगा।
 मैं शक्तिशाली मेंढ़े सा बन जाऊँगा जिसके कड़े सिंग होते हैं।
 तूने मुझे विशेष काम के लिए चुना है। तूने मुझ पर अपना तेल ऊँडेला है जो शीतलता देता है।
11 मैं अपने चारों ओर शत्रु देख रहा हूँ। वे ऐसे हैं जैसे विशालकाय सांड़ मुझ पर प्रहार करने को तत्पर है।
 वे जो मेरे विषय में बाते करते हैं उनको मैं सुनता हूँ।

12 सज्जन लोग तो लबानोन के विशाल देवदार वृक्ष की तरह है
 जो यहोवा के मन्दिर में रोपे गए हैं।
13 सज्जन लोग बढ़ते हुए ताड़ के पेड़ की तरह हैं,
 जो यहोवा के मन्दिर के आँगन में फलवन्त हो रहे हैं।
14 वे जब तक बूढ़े होंगे तब तक वे फल देते रहेंगे।
 वे हरे भरे स्वस्थ वृक्षों जैसे होंगे।
15 वे हर किसी को यह दिखाने के लिये वहाँ है
 कि यहोवा उत्तम है।
 वह मेरी चट्टान है!
 वह कभी बुरा नहीं करता।

समीक्षा

सत्यनिष्ठ और बुराई करने वालों के बीच में विभाजन

भजनसंहिता के लेखक के अनुसार, विश्व “बुराई करने वालों” (व.7) और “सत्यनिष्ठ” (व.12) के बीच में विभाजित किया गया है। बुराई करने वाले “मूर्ख” जो “नहीं समझते हैं” (व.6)। वे परमेश्वर के “शत्रु” हैं (व.9)। एक दिन,वे ना केवल सत्यनिष्ठ से अलग किए जाएँगे, बल्कि वे उन लोगों के बीच में से अलग किए जाएँगे – वे “तितर-बितर हो जाएंगे” (व.9), और वे “नष्ट” हो जाएंगे (व.9)। दूसरी ओर,”सत्यनिष्ठ” का भविष्य सुरक्षित है (वव.12-15)।

“बुराई करने वाले” (व.7) और “सत्यनिष्ठ...दोनों फलते-फूलते हैं” (वव.121-13), लेकिन अलग तरीके से। “बुराई करने वालों” के लिए (व.7) यह लुप्त होता और स्थायी है। वे जल्द ही “नष्ट” हो जाएंगे (व.7)। वे घास के समान हैं। लेकिन “सत्यनिष्ठ” के लिए (व.12) यह अनंत और अनंत फलना –फूलना है। यह “एक खजूर के पेड़ की तरह है” या “लबानोन के देवदार की तरह” (व.12)। वे “पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, और रस भरे और लहलहाते रहेंगे” (व.14)।

विश्व की सफलता – ताकत, यश, पैसा कमाना इत्यादि – और पवित्र जीवन जीने वाले यीशु के सच्चे अनुयायी की सफलता के बीच अंतर, घास जो केवल कुछ ही दिन तक रहती है, और एक खजूर का पेड़ जो युगों तक खड़ा रहता है, इनके बीच में अंतर के समान है।

प्रार्थना

परमेश्वर, जब मैं उन अनंत आशीषों को देखता हूँ जो आप उन्हे देते हैं जो आपके पीछे आते हैं, मैं “प्रातकाल को आपकी करुणा, और हर रात आपकी सच्चाई का प्रचार करना चाहता हूँ” (व.2)।
नए करार

1 कुरिन्थियों 3:1-23

मनुष्यों का अनुसरण उचित नहीं

3किन्तु हे भाईयों, मैं तुम लोगों से वैसे बात नहीं कर सका जैसे आध्यात्मिक लोगों से करता हूँ। मुझे इसके विपरीत तुम लोगों से वैसे बात करनी पड़ी जैसे सांसारिक लोगों से की जाती है। यानी उनसे जो अभी मसीह में बच्चे हैं। 2 मैंने तुम्हें पीने को दूध दिया, ठोस आहार नहीं; क्योंकि तुम अभी उसे खा नहीं सकते थे और न ही तुम इसे आज भी खा सकते हो 3 क्योंकि तुम अभी तक सांसारिक हो। क्या तुम सांसारिक नहीं हो? जबकि तुममें आपसी ईर्ष्या और कलह मौजूद है। और तुम सांसारिक व्यक्तियों जैसा व्यवहार करते हो। 4 जब तुममें से कोई कहता है, “मैं पौलुस का हूँ” और दूसरा कहता है, “मैं अपुल्लोस का हूँ” तो क्या तुम सांसारिक मनुष्यों का सा आचरण नहीं करते?

5 अच्छा तो बताओ अपुल्लोस क्या है और पौलुस क्या है? हम तो केवल वे सेवक हैं जिनके द्वारा तुमने विश्वास को ग्रहण किया है। हममें से हर एक ने बस वह काम किया है जो प्रभु ने हमें सौंपा था। 6 मैंने बीज बोया, अपुल्लोस ने उसे सींचा; किन्तु उसकी बढ़वार तो परमेश्वर ने ही की। 7 इस प्रकार न तो वह जिसने बोया, बड़ा है, और न ही वह जिसने उसे सींचा। बल्कि बड़ा तो परमेश्वर है जिसने उसकी बढ़वार की।

8 वह जो बोता है और वह जो सींचता है, दोनों का प्रयोजन समान है। सो हर एक अपने कर्मो के परिणामों के अनुसार ही प्रतिफल पायेगा। 9 परमेश्वर की सेवा में हम सब सहकर्मी हैं।

तुम परमेश्वर के खेत हो। परमेश्वर के मन्दिर हो। 10 परमेश्वर के उस अनुग्रह के अनुसार जो मुझे दिया गया था, मैंने एक कुशल प्रमुख शिल्पी के रूप में नींव डाली किन्तु उस पर निर्माण तो कोई और ही करता है; किन्तु हर एक को सावधानी के साथ ध्यान रखना चाहिये कि वह उस पर निर्माण कैसे कर रहा है। 11 क्योंकि जो नींव डाली गई है वह स्वयं यीशु मसीह ही है और उससे भिन्न दूसरी नींव कोई डाल ही नहीं सकता। 12 यदि लोग उस नींव पर निर्माण करते हैं, फिर चाहे वे उसमें सोना लगायें, चाँदि लगायें, बहुमूल्य रत्न लगायें, लकड़ी लगायें, फूस लगायें या तिनकों का प्रयोग करें। 13 हर व्यक्ति का कर्म स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। क्योंकि वह दिन उसे उजागर कर देगा। क्योंकि वह दिन ज्वाला के साथ प्रकट होगा और वही ज्वाला हर व्यक्ति के कर्मो को परखेगी कि वे कर्म कैसे हैं। 14 यदि उस नींव पर किसी व्यक्ति के कर्मों की रचना टिकाऊ होगी 15 तो वह उसका प्रतिफल पायेगा और यदि किसी का कर्म उस ज्वाला में भस्म हो जायेगा तो उसे हानि उठानी होगी। किन्तु फिर भी वह स्वयं वैसे ही बच निकलेगा जैसे कोई आग लगे भवन में से भाग कर बच निकले।

16 क्या तुम नहीं जानते कि तुम लोग स्वयं परमेश्वर का मन्दिर हो और परमेश्वर की आत्मा तुममें निवास करती है? 17 यदि कोई परमेश्वर के मन्दिर को हानि पहुँचाता है तो परमेश्वर उसे नष्ट कर देगा। क्योंकि परमेश्वर का मन्दिर तो पवित्र है। हाँ, तुम ही तो वह मन्दिर हो।

18 अपने आपको मत छलो। यदि तुममें से कोई यह सोचता है कि इस युग के अनुसार वह बुद्धिमान है तो उसे बस तथाकथित मूर्ख ही बने रहना चाहिये ताकि वह सचमुच बुद्धिमान बन जाये; 19 क्योंकि परमेश्वर की दृष्टि में सांसारिक चतुरता मूर्खता है। शास्त्र कहता है, “परमेश्वर बुद्धिमानों को उनकी ही चतुरता में फँसा देता।” 20 और फिर, “प्रभु जानता है बुद्धिमानों के विचार सब व्यर्थ हैं।” 21 इसलिए मनुष्यों पर किसी को भी गर्व नहीं करना चाहिये क्योंकि यह सब कुछ तुम्हारा ही तो है। 22 फिर चाहे वह पौलुस हो, अपुल्लोस हो या पतरस चाहे संसार हो, जीवन हो या मृत्यु हो, चाहे ये आज की बातें हों या आने वाले कल की। सभी कुछ तुम्हारा ही तो है। 23 और तुम मसीह के हो और मसीह परमेश्वर का।

समीक्षा

चर्च में फूट

कुरिंथियों के लिए पौलुस का पत्र एक सैंडविच की तरह है। वह स्तुती और प्रेम के साथ शुरुवात करते हैं। वह अनुग्रह और प्रेम के साथ समाप्त करते हैं। बीच में वह उन मामलों को उठाते हैं जिनसे वह चाहते हैं कि वे उनसे निपटे।

यह एक अच्छा नमूना है जब एक व्यक्ति या एक चर्च किसी मामले का सामना करते हैं। एक सकारात्मक और उत्साहित करने वाली बात के साथ शुरुवात और अंत कीजिए और उस मामले से निबटने का साहस रखिये।

एक मुद्दा जो वह उठाते हैं, वह है चर्च में फूट। वह कहते हैं कि वे “सांसारिक” (व.1) और “शारीरिक” (व.1, एम.एस.जी) हैं। कुछ तरीको में, वे उन सभी चर्च में सबसे “आत्मिक” थे जिन्हें पौलुस ने पत्र लिखा। उनमें “किसी आत्मिक वरदान की कमी नहीं थी” (1:7)। किंतु, वे “सांसारिक” थे बुरे बर्ताव के कारण, जिसके कारण विभाजन हुआ।

वह तीन बुरे व्यवहार को बताते हैं। यें सभी मसीहों के लिए खतरनाक है, लेकिन विशेष रूप से मसीह लीडर्स के लिए।

  1. ईर्ष्या

वह लिखते हैं,” जब तुम में ईर्ष्या और झगड़ा है... तो क्या तुम शारीरिक नहीं?” (3:3)। यह लालच आता है कि दूसरों के साथ अपनी तुलना करें और जब हम सुनते हैं कि किसी दूसरे ने कोई आशीष ग्रहण की है, हम सोचना शुरु कर देते हैं, कि,”मेरे साथ यह कब होगा?” लेकिन, जैसा कि जॉयस मेयर लिखती हैं,”हमें दूसरों को आशीष देनी है और इस बात से डरना नहीं है कि वह हमसे आगे निकल जाएँगे। हमें दूसरों के रूप, संपत्ति, पढ़ाई, सामाजिक प्रतिष्ठा, वैवाहिक स्थिती, वरदान और हुनर, नौकरी या किसी दूसरी चीज के कारण ईष्या नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह केवल आपकी आशीष को रोककर रखेगा।”

  1. घमंड करना

पौलुस लिखते हैं,” इसलिये मनुष्यों पर कोई घमण्ड न करें” (व.21)। घमंड करना है दूसरों के साथ अपनी तुलना करने का लालच, यह सोचना कि हम उससे अच्छा कर रहे हैं और हमारी “सफलता” के विषय में घमंड करना। हमें परमेश्वर की अर्थव्यवस्था में इसके उचित दृष्टिकोण में हमारे भाग को देखने की आवश्यकता है। पहले हम “केवल मनुष्य हैं” (व.4); दूसरा,”केवल सेवक” (व.5); तीसरा,”न तो बोने वाला, न तो सींचने वाला कुछ है” (व.7)। इसलिए, कोई “घमंड” न करें (व.21)।

  1. झगड़ा करना

पौलुस लिखते हैं कि उनका “झगड़ा करना” कारण है जिससे वह उन्हें “शारीरिक रूप में देखते हैं।” हमें अवश्य ही किसी का पक्ष नहीं लेना चाहिए, जहाँ पर एक कहता है,”मैं पौलुस का हूँ” और दूसरा,”मैं अपुल्लोस का हूँ” (व.4)।

यें सभी हमारी खुद की महत्ता के मत से उत्पन्न होते हैं। ये “सांसारिक” व्यवहार है। इस प्रकार के व्यवहार, मानवता में बहुत सामान्य बात है, जो विश्व को संक्रमित करती है और दुखद रूप से चर्च को भी।

हमें यह समझने की आवश्यकता है कि हम सभी पूरी तरह से परमेश्वर पर निर्भर हैं। एक बीज बोता है, दूसरा इसे सींचता है, लेकिन परमेश्वर इसे बढ़ाते हैं (व.6)। बोना और सींचना महत्वपूर्ण है, लेकिन वे आसान है। केवल परमेश्वर कठिन भाग को कर सकते हैं वे पौधों, लोगों और चर्च को बढ़ा सकते हैं।

आपको एक भूमिका निभानी है। पहला, परमेश्वर आपका इस्तेमाल करते हैं लोगों को विश्वास में लाने के लिए। अपुल्लोस और पौलुस वे लोग थे “जिनके द्वारा (कुरिंथि)लोग विश्वास करने लगे” (व.5)। दूसरा, परमेश्वर आपको प्रतिफल देंगे। जो व्यक्ति बोता है और जो सींचता है उनका एक उद्देश्य है और हर एक को उनके परिश्रम के अनुसार फल मिलेगा। तीसरा, आप “परमेश्वर के सहकर्मी” हैं (व.9)। परमेश्वर ने इसे अपने आपसे नहीं करना चुना है। वह आपको इस्तेमाल करना चुनते हैं।

परमेश्वर के द्वारा इस्तेमाल होना एक महान सम्मान है। ना केवल आप परमेश्वर के “सहकर्मी” हैं (व.9) – आप “परमेश्वर के खेत, परमेश्वर की ईमारत” हैं (व.9)। लोग बहुत सी चीजों के ऊपर अपना जीवन बनाने की कोशिश करते हैं – पैसा, पढ़ाई, नौकरी, संपत्ति, और दूसरी चीजें, लेकिन केवल यीशु मजबूत चट्टान हैं (व.11)।

इसके अतिरिक्त, पौलुस आगे लिखते हैं,” क्या तुम नहीं जानते कि तुम परमेश्वर के मंदिर हो, और परमेश्वर की आत्मा तुम में वास करते हैं?” (व.16)। इसलिए, वह लिखते हैं,” इसलिये मनुष्यों पर कोई घमण्ड न करे, क्योंकि सब कुछ तुम्हारा है... और तुम मसीह के हो, और मसीह परमेश्वर के हैं” (वव.21-23, एम.एस.जी)।

प्रार्थना

परमेश्वर, आपका धन्यवाद क्योंकि हम आपके सहकर्मी हैं और आप ही हैं जो चीजों को बढ़ाते हैं। हमें घमंड और डींग मारना, ईष्या और झगड़े से दूर रखिये। चर्च की एकता की रक्षा करने में हमारी सहायता कीजिए।
जूना करार

1 इतिहास 24:1-26:19

याजकों के समूह

24हारून के पुत्रों के ये समूह थेः हारून के पुत्र नादाब, अबीहू, एलीआजर और ईतामार थे। 2 किन्तु नादाब और अबीहू अपने पिता की मृत्यु के पहले ही मर गये और नादाब और अबीहू के कोई पुत्र नहीं था इसलिये एलीआजर और ईतामार ने याजक के रुप में कार्य किया। 3 दाउद ने एलीआजर और ईतामार के परिवार समूह को दो भिन्न समूहों में बाँटा। दाऊद ने यह इसलिये किया कि ये समूह उनको दिये गए कर्तव्यों को पूरा कर सकें। दाऊद ने यह सादोक और अहीमेलेक की सहायता से किया। सादोक एलीआजर का वंशज था और अहीमलेक ईतामार का वंशज था। 4 एलीआजर के परिवार समूह के प्रमुख ईतामार के परिवार समूह के प्रमुखों से अधिक थे। एलीआजर के परिवार समूह के सोलह प्रमुख थे और ईतामार के परिवार समूह से आठ प्रमुख थे। 5 हर एक परिवार से पुरुष चुने गए थे। वे गोट डालकर चुने गए थे। कुछ व्यक्ति पवित्र स्थान के अधिकारी चुने गए थे। और अन्य व्यक्ति याजक के रुप में सेवा के लिये चुने गए थे। य सभी व्यक्ति एलीआजर और ईतामार के परिवार से चुने गए थे।

6 शमायाह सचिव था। वह नतनेल का पुत्र था। शमायाह लेवी परिवार समूह से था। शमायाह ने उन वंशजों के नाम लिखे। उसने उन नामों को राजा दाऊद और इन प्रमुखों के सामने लिखा। याजक सादोक, अहीमेलेक तथा याजक और लेविवंशियों के परिवारों के प्रमुख। अहीमेलेक एब्यातार का पुत्र था। हर एक बार वे गोट डालकर एक व्यक्ति चुनते थे और शमायाह उस व्यक्ति का नाम लिख लेता था। इस प्रकार उन्होंने एलीआजर और ईतामार के परिवारों में काम को बाँटा।

7 पहला समूह यहोयारीब का था।

दूसरा समूह यदायाह का था।

8 तीसरा समूह हारीम का था।

चौथा समूह सोरीम का था।

9 पाँचवाँ समूह मल्किय्याह का था।

छठा समूह मिय्यामीन का था।

10 सातवाँ समूह हक्कोस का था।

आठवाँ समूह अबिय्याह का था।

11 नवाँ समूह येशु का था।

दसवाँ समूह शकन्याह का था।

12 ग्यारहवाँ समूह एल्याशीब का था।

बारहवाँ समूह याकीम का था।

13 तेरहवाँ समूह हुप्पा का था।

चौदहवाँ समूह येसेबाब का था।

14 पन्द्रहवाँ समूह बिल्गा का था।

सोलहवाँ समूह इम्मेर का था।

15 सत्रहवाँ समूह हेजीर का था।

अट्ठारहवाँ समूह हप्पित्सेस का था।

16 उन्नीसवाँ समूह पतह्याह का था।

बीसवाँ समूह यहेजकेल का था।

17 इक्कीसवाँ समूह याकीन का था।

बाईसवाँ समूह गामूल का था।

18 तेईसवाँ समूह दलायाह का था।

चौबीसवाँ समूह माज्याह का था।

19 यहोवा के मन्दिर में सेवा करने के लिये ये समूह चुने गये थे। वे मन्दिर में सेवा के लिये हारून के नियामों को मानते थे। इस्राएल के यहोवा परमेश्वर ने इन नियमों को हारून को दिया था।

अन्य लेवीवंशी

20 ये नाम शेष लेवी के वंशजों के हैं:

अम्राम के वंशजों से शूबाएल।

शूबाएल के वंशजों सेः येहदयाह।

21 रहब्याह सेः यीश्शिय्याह (यिश्शिय्याह सबसे बड़ा पुत्र था।)

22 इसहारी परिवार समूह सेः शलोमोत।

शलोमोत के परिवार सेः यहत।

23 हेब्रोन का सबसे बड़ा पुत्र यरिय्याह था।

अमर्याह हेब्रोन का दूसरा पुत्र था।

यहजीएल तीसरा पुत्र था, और यकमाम चौथा पुत्र

24 उज्जीएल का पुत्र मीका था।

मीका का पुत्र शामीर था।

25 यिश्शिय्याह मीका का भाई था।

यिश्शिय्याह का पुत्र जकर्याह था।

26 मरारी के वंशज महली, मूशी और उसका पुत्र याजिय्याह थे।

27 महारी के पुत्र याजिय्याह के पुत्र शोहम और जक्कू नाम के थे।

28 महली का पुत्र एलीआजर था।

किन्तु एलीआजर का कोई पुत्र न था।

29 कीश का पुत्र यरह्योल था

30 मूशी के पुत्र महली, एदेर और यरीमोत थे।

वे लेवीवंश परिवारों के प्रमुख हैं। वे अपने परिवारों की सूची में हैं। 31 वे विशेष कामों के लिये चुने गए थे। वे अपने सम्बन्धी याजकों की तरह गोट डालते थे। याजक हारुन के वंशज थे। उन्होनें राजा दाऊद, सादोक, अहीमेलेक और याजकों तथा लेवी के परिवारों के प्रमुखों के सामने गोटें डालीं। जब उनके काम चुने गये पुराने और नये परिवारों के एक सा व्यवहार हुआ।

संगीत समूह

25दाऊद और सेनापतियों ने आसाप के पुत्रों को विशेष सेवा के लिये अलग किया। आसाप के पुत्र हेमान और यदूतून थे। उनका विशेष काम परमेश्वर के सन्देश की भविष्यावाणी सारंगी, वीणा, मंजीरे का उपयोग करके करना था। यहाँ उन पुरुषों की सूची है जिन्होंने इस प्रकार सेवा की।

2 आसाप के परिवार सेः जक्कूर, योसेप, नतन्याह और अशरेला थे। राजा दाऊद ने आसाप को भविष्यवाणी के लिये चुना और आसाप ने अपने पुत्रों का नेतृत्व किया।

3 यदूतून परिवार सेः गदल्याह, सरी, यशायाह, शिमी, हसब्याह और मत्तित्याह। ये छः थे। यदूतून ने अपने पुत्रों का नेतृत्व किया। यदूतून ने सारंगी का उपयोग भविष्यवाणी करने और यहोवा को धन्यवाद देने और उसकी स्तुति के लिये किया।

4 हेमान के पुत्र जो सेवा करते थे बुक्किय्याह, मत्तन्याह, लज्जीएल, शबूएल, और यरीमोत, हनन्याह, हनानी, एलीआता, गिद्दलती और रोममतीएजेर, योशबकाशा, मल्लोती, होतीर और महजीओत थे। 5 ये सभी व्यक्ति हेमान के पुत्र थे। हेमान दाऊद का दृष्टा था। परमेश्वर ने हेमान को शक्तिशाली बनाने का वचन दिया। इसलिये हेमान के कई पुत्र थे। परमेश्वर ने हेमान को चौदह पुत्र और तीन पुत्रियाँ दीं।

6 हेमान ने अपने सभी पुत्रों का यहोवा के मन्दिर में गाने में नेतृत्व किया। उन पुत्रों ने मन्जीरे, वीणा और तम्बूरे का उपयोग किया। उनका परमेश्वर के मन्दिर में सेवा करने का वही तरीका था। राजा दाऊद ने उन व्यक्तियों को चुना था। 7 वे व्यक्ति और लेवी के परिवार समूह के उनके सम्बन्धी गायन में प्रशिक्षित थे। दो सौ अट्ठासी व्यक्तियों ने योहवा की प्रशंसा के गीत गाना सीखा। 8 हर एक व्यक्ति जिस भिन्न कार्य को करेगा, उसके चुनाव के लिये वे गोट डालते थे। हर एक व्यक्ति के साथ समान व्यवहार होता था। बूढ़े और जवान के साथ समान व्यवहार था और गुरु के साथ वही व्यवाहर था जो शिष्य के साथ।

9 पहले, आसाप (यूसुफ) के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए थे।

दूसरे, गदल्याह के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

10 तीसरे, जक्कूर के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

11 चौथे, यिस्री के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

12 पाँचवें, नतन्याह के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

13 छठे, यसरेला के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

14 सातवें, बुक्किय्याह के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

15 आठवें, यशायाह के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

16 नवें, मत्तन्याह के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

17 दसवें, शिमी के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

18 ग्यारहवें, अजरेल के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

19 बारहवें, हशब्याह के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

20 तेरहवें, शूबाएल के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

21 चौदहवें, मत्तिय्याह के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

22 पन्द्रहवें, यरेमोत के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

23 सोलहवें, हनन्याह के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

24 सत्रहवें, योशबकाशा के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

25 अट्ठारहवें, हनानी के पुत्रों और सम्बनधियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

26 उन्नीसवें,मल्लोती के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

27 बीसवें, इलिय्याता के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

28 इक्कीसवें, होतीर के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

29 बाईसवें, गिद्दलती के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

30 तेईसवें, महजीओत के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

31 चौबीसवें, रोममतीएजेर के पुत्रों और सम्बन्धियों में से बारह व्यक्ति चुने गए।

द्वारपाल

26द्वारपालों के समूहः कोरह परिवार से ये द्वारपाल हैं।

मशेलेम्याह और उसके पुत्र। (मशेलेम्याह कोरह का पुत्र था। वह आसाप परिवार समूह से था।) 2 मशेलेम्याह के पुत्र थे। जकर्याह सबसे बड़ा पुत्र था। यदीएल दूसरा पुत्र था। जबद्याह तीसरा पुत्र था। यतीएल चौथा पुत्र था। 3 एलाम पाँचवाँ पुत्र था। यहोहानान छठा पुत्र था और एल्यहोएनै सातवाँ पुत्र था।

4 ओबेदेदोम और उसके पुत्र। ओबेदेदोम का सबसे बड़ा पुत्र शमायाह था। यहोजाबाद उसका दूसरा पुत्र था। योआह उसका तीसरा पुत्र था। साकार उसका चौथा पुत्र था। नतनेल उसका पाँचवाँ पुत्र था। 5 अम्मीएल उसका छठा पुत्र था। इस्साकार उसका सातवाँ पुत्र था और पुल्लतै उसका आठावाँ पुत्र था। परमेश्वर ने सचमुच ओबेदेदोम को वरदान दिया। 6 ओबेदेदोम का पुत्र शमायाह था। शमायाह के भी पुत्र थे। शमायाह के पुत्र अपने पिता के परिवार में प्रमुख थे क्योंकि वे वीर योद्धा थे। 7 शमायाह के पुत्र ओती, रपाएल, ओबेद, एलजाबाद, एलीहू और समक्याह थे। एलजाबाद के सम्बन्धी कुशल कारीगर थे। 8 वे सभी लोग ओबेदेदोम के वंशज थे। वे पुरुष और उनके पुत्र तथा उनेक सम्बन्धी शक्तिशाली लोग थे। वे अच्छे रक्षक थे। ओबेदेदोम के बासठ वंशज थे।

9 मशेलेम्याह के पुत्र और सम्बन्धी शक्तिशाली लोग थे। सब मिलाकर अट्ठारह पुत्र और सम्बन्धी थे।

10 मरारी के पिरवार से ये द्वारपाल थे उनमें एक होसा था। शिम्री प्रथम पुत्र चुना गया था। शिम्री वास्तव में सबसे बड़ा नहीं था, किन्तु उसके पिता ने उसे पहलौठा पुत्र चुन लिया था। 11 हिल्किय्याह उसका दुसरा पुत्र था। तबल्याह उसका तीसरा पुत्र था और जकर्याह उसका चौथा पुत्र था। सब मिलाकर होसा के तेरह पुत्र और सम्बन्धी थे।

12 ये द्वारपालों के समूह के प्रमुख थे। द्वारपालों का यहोवा के मन्दिर में सेवा करने का विशेष ढंग था, जैसा कि उनके सम्बन्धी करते थे। 13 हर एक परिवार को एक द्वार रक्षा करने के लिये दिया गया था। एक परिवार के लिये द्वार चुनने को गोट डाली जाती थी। बुढ़े और जवानों के साथ एक समान बर्ताव किया जाता था।

14 शेलेम्याह पूर्वी द्वार की रक्षा के लिये चुना गया था। तब शेलेम्याह के पुत्र जकर्याह के लिये गोट डाली गई। जकर्याह एक बुद्धिमान सलाहकार था। जकर्याह उत्तरी द्वार के लिये चुना गया। 15 ओबेदोम दक्षिण द्वार के लिये चुना गया और ओबेदेदोम के पुत्र उस गृह की रक्षा के लिये चुने गए जिसमें कीमती चीजें रखी जाती थीं। 16 शुप्पीम और होसा पश्चिमी द्वार और ऊपरी सड़क पर शल्लेकेत द्वार के लिये चुने गए।

द्वारपाल एक दूसरे की बगल में खड़े होते थे। 17 पूर्वी द्वार पर लेवीवंशी रक्षक हर दिन खड़े होते थे। उत्तरी द्वार पर चार लेवीवंशी रक्षक खड़े होते थे। दक्षिणी द्वार पर चार लेवीवंशी रक्षक खड़े होते थे और दो लेवीवंशी रक्षक उस गृह की रक्षा करते थे जिसमें कीमती चीजें रखी जाती थीं। 18 चार रक्षक पश्चिमी न्यायगृह पर थे और दो रक्षक न्यायगृह तक की सड़क पर थे।

19 ये द्वारपालों के समूह थे। वे द्वारपाल कोरह और मरारी के परिवार में से थे।

समीक्षा

सेवकाई के लिए विभाजन

यहाँ पर हम एक सकारात्मक तरीके से इस्तेमाल किए गए शब्द “विभाजन” को देखते हैं। “हारुन की संतान के दल ये थे” (24:1)। “दाऊद ने उन्हें अपनी अपनी सेवा के अनुसार दल दल करके बाँट दिया” (व.3)। “बड़ी संख्या में वहाँ पर लीडर्स थे...और वे यों बाँटे गए” (व.4)। “तब वे बराबर बाँटे गए” (व.5)। “द्वारपालों को भी दल दल करके बाँट दिया गया” (26:1,19)। “द्वारपालों के दल इन मुख्य पुरुषों के थे, ये अपने भाईयों के बराबर ही यहोवा के भवन में सेवा टहल करते थे” (व.12)।

उनकी सूची में कुछ दिलचस्प नाम हैं। गायकों में शामिल थे भजनसंहिता के लेखक “आसाप” (भजनसंहिता 50 और भजनसंहिता 73-83),”यदूतून” (भजनसंहिता 39;62;77) और “हेमान” (भजनसंहिता 88)।

द्वारपालों में (या जैसे कि अक्सर अनुवादित किया जाता है “पहरेदार”) कोरहवंशी हैं। भजनसंहिता 84 में “कोरहवंशियों” का उल्लेख है – और इसलिए शायद से एक पहरेदार के द्वारा लिखा गया है। यह समझने में सहायता करता है कि उनका क्या अर्थ था जब उन्होंने लिखा,”दुष्टों के डेरों में वास करने से अपने परमेश्वर के भवन की डेवढ़ी पर खड़ा रहना ही मुझे अधिक भाता है” (व.10)।

मसीह की देह में, हमारी विभिन्न भूमिका है। शरीर के हर अंग का एक अलग काम है। जैसा कि संत पौलुस लिखते हैं,” 12 क्योंकि जिस प्रकार देह तो एक है और उसके अंग बहुत से हैं, और उस एक देह के सब अंग बहुत होने पर भी सब मिलकर एक ही देह है ... परन्तु परमेश्वर ने देह को ऐसा बना दिया है ... ताकि देह में फूट न पड़े, परन्तु अंग एक दूसरे की बराबर चिन्ता करें” (1कुरिंथियो 12:12,24-25)।

पौलुस प्रेरित विभाजन के अच्छे पहलू का वर्णन करते हैं (देह में सदस्यों की विभिन्न भूमिकाएं), बुरे पहलू को दूर करते हुए (देह में कोई फूट या विभाजन नहीं होना चाहिए)।

“परमेश्वर के घर” में सेवा करने में किसी तरीके से शामिल होना एक महान सम्मान की बात है - चाहे हम गाड़ी पार्क करने या समूह का स्वागत करने में, कॉफी या प्रार्थना सेवकाई में सहायता करें। हर व्यक्ति का महान महत्व और सम्मान है क्योंकि हम परमेश्वर के घर में सेवा कर रहे हैं।

प्रार्थना

परमेश्वर, हमारी सहायता कीजिए कि मसीह की देह में भूमिकाओं को सौंपने के निर्णय में हम बुद्धिमान निर्णय ले पायें, ताकि हर कोई शामिल हो सके। हमारी, आपके चर्च की सहायता कीजिए एक दल की तरह काम करें जो बहुत से भागों से मिलकर बना है, जिसमें हर भाग बाकी सभी दूसरों के साथ एकता में काम करता है, जो एकता पवित्र आत्मा लाते हैं।

पिप्पा भी कहते है

भजनसंहिता 92:14

“वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, और रस भरे और लहलहाते रहेंगे।”

ताजा और हरा अच्छा लगता है। जैसे ही जीवन बहुत तेजी से ढलता है और मैं तेजी से बूढी हो रही हूँ, मैं इस वचन के द्वारा उत्साहित होती हूँ। मैं ऐसे बहुत से लोगों के बारे में सोच सकती हूँ जिनकी मैं प्रशंसा करती हूँ – उनकी बुद्धि और पवित्र जीवन एक प्रोत्साहन है।

दिन का वचन

भजन संहिता 92:14

“उसने जो मुझ से स्नेह किया है, इसलिये मैं उसको छुड़ाऊंगा; मैं उसको ऊंचे स्थान पर रखूंगा, क्योंकि उसने मेरे नाम को जान लिया है।”

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संदर्भ

जॉयस मेयर, एव्रीडे लाईफ बाईबल, (हॉडर एण्ड सॉटन, 2006) पी.1849

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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