दिन 218

परमेश्वर आपके साथ है

बुद्धि भजन संहिता 91:9-16
नए करार 1 कुरिन्थियों 2:6-16
जूना करार 1 इतिहास 22:2-23:32

परिचय

मैं आश्चर्य करता हूँ कि क्या आपने ऐसा अनुभव किया हैः आप अपने मित्र को अपने विश्वास के बारे में बता रहे हैं और वे घूरते हुए आपकी ओर देख रहे हैं। वे नहीं जानते हैं कि आप किस विषय में बात कर रहे हैं। जब आप परमेश्वर के साथ एक संबंध या यीशु को जानने के विषय में बात करते हैं, उनके लिए यह ऐसा है जैसे आप एक “काल्पनिक मित्र” के बारे में बात कर रहे हैं। उन्हें यह बेतुका लगता है।

पौलुस प्रेरित कहते हैं कि आप आत्मिक सच्चाईयों को केवल पवित्र आत्मा की मदद से समझ सकते हैं।“ परन्तु शारीरिक मनुष्य परमेश्वर की आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता, क्योंकि वे उसकी दृष्टी में मूर्खता की बातें हैं, और न वह उन्हें जान सकता है क्योंकि उनकी जाँच आत्मिक रीति से होती है” (1कुरिंथियो 2:14)। जब पवित्र आत्मा के द्वारा परमेश्वर हमारे साथ हैं, तब वह हमें समझ देते हैं, “ताकि हम समझें कि परमेश्वर ने हमें क्या मुक्त रूप से दिया है” (व.12)।

“परमेश्वर हमारे साथ” (इम्मानुएल) एक शीर्षक है, जिसका इस्तेमाल नया नियम यीशु के लिए करता है (मत्ती 1:23)। वह हमेशा आपके साथ हैं। कि ब्रह्मांड के निर्माता आपके साथ हैं, इस बात को हल्के में नहीं लेना चाहिए। यह एक अद्भुत और असाधारण वायदा है। उनकी आत्मा के द्वारा अपने साथ परमेश्वर का अनुभव करना, जीवन को बदल देता है।

बुद्धि

भजन संहिता 91:9-16

9 क्यों? क्योंकि तू यहोवा के भरोसे है।
 तूने परम परमेश्वर को अपना शरणस्थल बनाया है।
10 तेरे साथ कोई भी बुरी बात नहीं घटेगी।
 कोई भी रोग तेरे घर में नहीं होगा।
11 क्योंकि परमेश्वर स्वर्गदूतों को तेरी रक्षा करने का आदेश देगा।
 तू जहाँ भी जाएगा वे तेरी रक्षा करेंगे।
12 परमेश्वर के दूत तुझको अपने हाथों पर ऊपर उठायेंगे।
 ताकि तेरा पैर चट्टान से न टकराए।
13 तुझमें वह शक्ति होगी जिससे तू सिंहों को पछाडेगा
 और विष नागों को कुचल देगा।

14 यहोवा कहता है, “यदि कोई जन मुझ में भरोसा रखता है तो मैं उसकी रक्षा करूँगा।
 मैं उन भक्तों को जो मेरे नाम की आराधना करते हैं, संरक्षण दूँगा।”
15 मेरे भक्त मुझको सहारा पाने को पुकरेंगे और मैं उनकी सुनूँगा।
 वे जब कष्ट में होंगे मैं उनके साथ रहूँगा।
 मैं उनका उद्धार करूँगा और उन्हें आदर दूँगा।
16 मैं अपने अनुयायियों को एक लम्बी आयु दूँगा
 और मैं उनकीरक्षा करूँगा।

समीक्षा

परेशानी में आपके साथ

कठिन समयों में, “परेशानी में” (व.15), शायद से आप कभी कभी महसूस करें कि परमेश्वर ने आपको छोड़ दिया है। ऐसे समय में अपनी भावनाओं और एहसास के ऊपर और उसके परे परमेश्वर के वायदें को सुनिये।

यह भजन परमेश्वर की सुरक्षा के विषय में कह रहा है और यह आपको उत्साहित करता है कि आप न डरें:

“हे यहोवा, तू मेरा शरणस्थान ठहरा है, तू ने जो परमप्रधान को अपना धाम मान लिया है, इसलिए कोई विपत्ति मुझ पर न पड़ेगी, न कोई दुख मेरे डेरे के निकट आएगा” (व.9)।

शायद से यह परेशानी से मुक्त जीवन की सामग्री लगे। किंतु, भजनसंहिता के लेखक आगे कहते हैं:

“उसने जो मुझसे स्नेह किया है, इसलिए मैं उसको छुड़ाऊँगा, मैं उसको ऊँचे स्थान पर रखूंगा, क्योंकि उसने मेरे नाम को जान लिया है। जब वह मुझ को पुकारे, तब मैं उसकी सुनूंगा, संकट में मैं उसके संग रहूँगा” (वव.14-15)।

इससे यह स्पष्ट होता है कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम करते हैं वह परेशानी से दूर नहीं रहेंगे। परमेश्वर एक परेशानी से मुक्त जीवन का वायदा नहीं करते हैं। इसके बजाय, वह यह वायदा करते हैं कि वह आपको बचायेंगे, सुरक्षित रखेंगे और आपकी प्रार्थनाओं का उत्तर देंगे। उनके वायदे से अधिक, परेशानी में, “मैं तुम्हारे साथ रहूँगा।” यही है जो अंतर पैदा करता है। अंधेरे समयों में भी, वह आपके साथ हैं। आप कभी भी अकेले नहीं हैं।

प्रार्थना

परमेश्वर आपका धन्यवाद क्योंकि परेशानी के समय में आप मेरे साथ हैं। आपके बचाव, छुटकारे, सुरक्षा और मेरी प्रार्थनाओं के उत्तर के लिए आपका धन्यवाद। परमेश्वर, मैं आज आपके नाम को पुकारता हूँ..
नए करार

1 कुरिन्थियों 2:6-16

परमेश्वर का ज्ञान

6 जो समझदार हैं, उन्हें हम बुद्धि देते हैं किन्तु यह बुद्धि इस युग की बुद्धि नहीं है, न ही इस युग के उन शासकों की बुद्धि है जिन्हें विनाश के कगार पर लाया जा रहा है। 7 इसके स्थान पर हम तो परमेश्वर के उस रहस्यपूर्ण विवेक को देते हैं जो छिपा हुआ था और जिसे अनादि काल से परमेश्वर ने हमारी महिमा के लिये निश्चित किया था। 8 और जिसे इस युग के किसी भी शासक ने नहीं समझा क्योंकि यदि वे उसे समझ पाये होते तो वे उस महिमावान प्रभु को क्रूस पर न चढ़ाते। 9 किन्तु शास्त्र में लिखा है:

 “जिन्हें आँखों ने देखा नहीं
  और कानों ने सुना नहीं;
 जहाँ मनुष्य की बुद्धि तक कभी नहीं पहुँची ऐसी बातें
  उनके हेतु प्रभु ने बनायी जो जन उसके प्रेमी होते।”

10 किन्तु परमेश्वर ने उन ही बातों को आत्मा के द्वारा हमारे लिये प्रकट किया है।

आत्मा हर किसी बात को ढूँढ निकालती है यहाँ तक कि परमेश्वर की छिपी गहराइयों तक को। 11 ऐसा कौन है जो दूसरे मनुष्य के मन की बातें जान ले सिवाय उस व्यक्ति के उस आत्मा के जो उसके अपने भीतर ही है। इसी प्रकार परमेश्वर के विचारों को भी परमेश्वर की आत्मा को छोड़ कर और कौन जान सकता है। 12 किन्तु हम में तो सांसारिक आत्मा नहीं बल्कि वह आत्मा पायी है जो परमेश्वर से मिलती है ताकि हम उन बातों को जान सकें जिन्हें परमेश्वर ने हमें मुक्त रूप से दिया है।

13 उन ही बातों को हम मानवबुद्धि द्वारा विचारे गये शब्दों में नहीं बोलते बल्कि आत्मा द्वारा विचारे गये शब्दों से आत्मा की वस्तुओं की व्याख्या करते हुए बोलते हैं। 14 एक प्राकृतिक व्यक्ति परमेश्वर की आत्मा द्वारा प्रकाशित सत्य को ग्रहण नहीं करता क्योंकि उसके लिए वे बातें निरी मूर्खता होती हैं, वह उन्हें समझ नहीं पाता क्योंकि वे आत्मा के आधार पर ही परखी जा सकती हैं। 15 आध्यात्मिक मनुष्य सब बातों का न्याय कर सकता है किन्तु उसका न्याय कोई नहीं कर सकता। क्योंकि शास्त्र कहता है:

  16 “प्रभु के मन को किसने जाना?
  उसको कौन सिखाए?”

किन्तु हमारे पास यीशु का मन है।

समीक्षा

उनकी आत्मा के द्वारा आपके साथ

पवित्र आत्मा के द्वारा, परेश्वर आपके साथ हैं असाधारण तरीके से – वह असल में आपके अंदर हैं। परमेश्वर के लिए यह असंभव होगा कि वह उससे अधिक आपके साथ रहे जितना कि वह अपनी आत्मा के द्वारा आपके साथ हैं।

इस लेखांश में पौलुस कुछ असाधारण लाभों को समझाते हैं जो इस तरह से परमेश्वर आपके साथ होने से मिलता हैः”आत्मिक जन सब कुछ जाँचता है, परन्तु वह आप किसी से जाँचा नहीं जाता। “क्योंकि प्रभु का मन किसने जाना है कि उसे सिखाए?” परन्तु हम में मसीह का दिमाग है” (वव.15-16, एम.एस.जी)।

भजनसंहिता के लेखक की तरह, पौलुस प्रेरित उन सभी अद्भुत चीजों के विषय में बताते हैं जिन्हें “परमेश्वर ने उनके लिए तैयार की हैं जो उनसे प्रेम करते हैं” (व.9, भजनसंहिता 91:14 भी देखें, “क्योंकि आप मुझसे प्रेम करते हैं...”)।

पौलुस परमेश्वर की बुद्धि की तुलना “ इस संसार के और इस संसार के नाश होने वाले हाकिमों के ज्ञान के साथ करते हैं” (1कुरिंथियो 2:6, एम.एस.जी)। परमेश्वर की गुप्त बुद्धि हम पर प्रकट की गई है (वव.6-10) - यीशु के जीवन, मृत्यु और पुनरुत्थान का आश्चर्य। विश्व के शासक इसे नहीं समझते हैं। यदि वे समझते तो उन्होंने यीशु को क्रूस पर नहीं चढ़ाया होताः”महिमा का प्रभु” (व.8)।

परमेश्वर की गुप्त बुद्धि अद्भुत है। “ “जो बातें आँख ने नहीं देखीं और कान ने नहीं सुनीं, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ीं, वे ही हैं जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखने वालों के लिये तैयार की हैं” (व.9)।

अपनी पुस्तक, सच्ची आत्मिकता, में वॉघन रॉबर्ट बताते हैं कि एक चौगुनी प्रक्रिया है, जिसमें पवित्र आत्मा परमेश्वर की बुद्धि को हम पर प्रकट करते हैं।

  1. पवित्र आत्मा जानते हैं

” क्योंकि आत्मा सब बातें, वरन् परमेश्वर की गूढ़ बातों को भी जानते हैं। 11 मनुष्यों में से कौन किसी मनुष्य की बातें जानता है, केवल मनुष्य की आत्मा जो उसमें है? वैसे ही परमेश्वर की बातें भी कोई नहीं जानता, केवल परमेश्वर का आत्मा” (वव.10ब -11)।

  1. पवित्र आत्मा प्रकट करते हैं

अ. पवित्र आत्मा परमेश्वर की बुद्धि के विषय में अपने ज्ञान को खुद तक सीमित नहीं रखते हैं, लेकिन वह इसे उन पर प्रकट करते हैं जो कि उनमें रहते हैं। “ परन्तु हम ने संसार की आत्मा नहीं, परन्तु वह आत्मा पाई है जो परमेश्वर की ओर से है कि हम उन बातों को जानें जो परमेश्वर ने हमें दी हैं” (व.12)। आपने वह आत्मा ग्रहण की है जो परमेश्वर की ओर से है। वह आपके साथ हैं। वह आपको सक्षम करते हैं ताकि आप परमेश्वर की गुप्त बुद्धि को समझे, यद्यपि हम कभी भी परमेश्वर की गहराई को नहीं समझ पायेंगे। जैसा कि पौलुस इस पत्र में बाद में कहते हैं, इस जीवन में “ अभी हमें दर्पण में धुँधला सा दिखाई देता है, परन्तु उस समय आमने – सामने देखेंगे” (13:12)।

  1. पवित्र आत्मा हमें उत्साहित करते हैं

आत्मा ने पौलुस को उत्साहित किया कि सुसमाचार की बुद्धि को दूसरों को दे। “ जिनको हम मुनष्यों के ज्ञान की सिखाई हुई बातों में नहीं, परन्तु आत्मा की सिखाई हुई बातों में, आत्मिक बातें आत्मिक बातों से मिला मिलाकर सुनाते हैं” (2:13)। आत्मा उसी तरह से आपको सिखाता है कि क्या कहना है ताकि आप भी “आत्मिक सच्चाईयों को आत्मिक शब्दों में” व्यक्त कर पाये, सामान्यत: आत्मा के द्वारा उत्साहित प्रेरितों के वचनों के द्वारा, जो नये नियम में लिखे गए हैं। पवित्र शास्त्र के साथ रेखाम से आप वचनों को बाँट सकते हैं जो लोगों को यीशु की ओर ले जाते हैं।

  1. पवित्र आत्मा प्रकाशमान करते हैं

अ.पवित्र आत्मा के बिना आप आत्मिक सच्चाईयों को नहीं समझ सकते हैं:”परन्तु शारीरिक मनुष्य परमेश्वर के आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता, क्योंकि वे उसकी दृष्टी में मूर्खता की बातें हैं, और न वह उन्हें जान सकता है क्योंकि उनकी जाँच आत्मिक रीति से होती है” (व.14)। जब परमेश्वर आपके साथ हैं उनकी आत्मा के द्वारा, तब आप असल में परमेश्वर के दिमाग को समझ सकते हैं। सच में, आपके पास “मसीह का दिमाग है” (व.16)।

प्रार्थना

परमेश्वर, इस अद्भुत सच्चाई के लिए आपका धन्यवाद कि आप मेरे साथ हैं आपकी आत्मा के द्वारा। आज, होने दीजिए कि मेरे सभी निर्णयों और बातचीत में मेरे पास मसीह का दिमाग हो। आत्मिक सच्चाईयों को व्यक्त करने के लिए मैं आत्मिक शब्दों के लिए प्रार्थना करता हूँ।
जूना करार

1 इतिहास 22:2-23:32

दाऊद मन्दिर के लिये योजना बनाता है

2 दाऊद ने आदेश दिया कि इस्राएल में रहने वले सभी विदेशी एक साथ इकट्ठे हों। विदेशियों के उस समूह में से दाऊद ने संगतराशों को चुना। उनका काम परमेश्वर के मन्दिर के लिये पत्थरों को काट कर तैयार करना था। 3 दाऊद ने द्वार के पल्लों के लिये कीलें तथा चूलें बनाने के लिए लोहा प्राप्त किया। दाऊद ने उतना काँसा भी प्राप्त किया जो तौला न जा सके 4 और दाऊद ने इतने अधिक देवदारु के लट्ठे इकट्ठे किये जो गिने न जा सकें। सीदोन और सोर के लोग बहुत से देवदारु के लट्ठे लाए।

5 दाऊद ने कहा, “हमें यहोवा के लिये एक विशाल मन्दिर बनाना चाहिए। किन्तु मेरा पुत्र सुलैमान बालक है और वह उन सब चीजों को नहीं सीख सका है जो उसे जानना चाहिये। यहोवा का मन्दिर बहुत विशाल होना चाहिये। इस अपनी विशालता और सुन्दरता के लिये सभी राष्ट्रों में प्रसिद्ध होना चाहिये। यही कारण है कि मैं यहोवा का मन्दिर बनाने की योजना बनाऊँगा।” इसलिये दाऊद ने मरने से पहले मन्दिर बनाने के लिये बहुत सी योजनायें बनाई।

6 तब दाऊद ने अपने पुत्र सुलैमान को बुलाया। दाऊद ने सुलैमान से इस्राएल के यहोवा परमेश्वर के लिये मन्दिर बनाने को कहा। 7 दाऊद ने सुलैमान से कहा, “मेरे पुत्र, मैं अपने परमेश्वर यहोवा के नाम के लिये एक मन्दिर बनाना चाहता था। 8 किन्तु यहोवा ने मुझसे कहा, दाऊद तुमने बहुत से युद्ध किये हैं और बहुत से लोगों को मारा है इसलिये तुम मेरे नाम के लिये मन्दिर नहीं बना सकते 9 किन्तु तुम्हारा एक पुत्र है जो शान्ति प्रिय है। मैं तुम्हारे पुत्र को शान्ति प्रदान करूँगा। उसके चारों ओर के शत्रु उसे परेशान नहीं करेंगे। उसका नाम सुलैमान है और मैं इस्राएल को उस समय सुख शान्ति दूँगा जिस समय सुलैमान राजा रहेगा। 10 सुलैमान मेरे नाम का एक मन्दिर बनायेगा। सुलैमान मेरा पुत्र और मैं उसका पिता रहूँगा और मैं सुलैमान के राज्य को शक्तिशाली बनाऊँगा और उसके परिवार का कोई सदस्य सदा इस्राएल पर राज्य करेगा।”

11 दाऊद ने यह भी कहा, “पुत्र, अब यहोवा तुम्हारे साथ रहे। तुम सफल बनो और जैसा यहोवा ने कहा है, अपने यहोवा परमेश्वर का मन्दिर बनाओ। 12 यहोवा तुम्हें इस्राएल का राजा बनाएगा। यहोवा तुम्हें बुद्धि और समझ दे जिससे तुम लोगों का मार्गदर्शन कर सको और अपने यहोवा परमेश्वर की व्यवस्था का पालन कर सको 13 और तुम्हें सफलता तब मिलेगी जब तुम उन नियमों और व्यवस्था के पालन में सावधान रहोगे जो यहोवा ने मूसा को इस्राएल के लिये दी थी। तुम शक्तिशाली और वीर बनो। डरो नहीं।

14 “सुलैमान, मैंने यहोवा के मन्दिर की योजना बनाने में बड़ा परिश्रम किया है। मैंने तीन हजार सात सौ पचास टन सोना दिया है और मैंने लगभग सैंतीस हजार पाँच सौ टन चाँदी दी है। मैंने काँसा और लोहा इतना अधिक दिया है कि वह तौला नहीं जा सकता और मैंने लकड़ी एवं पत्थर दिये हैं। सुलैमान, तुम उसे और अधिक कर सकते हो। 15 तुम्हारे पास बहुत से संगतराश और बढ़ई हैं। तुम्हारे पास हर एक प्रकार के काम करने वाले कुशल व्यक्ति हैं। 16 वे सोना, चाँदी काँसा, और लोहे का काम करने में कुशल हैं। तुम्हारे पास इतने अधिक कुशल व्यक्ति हैं कि वे गिने नहीं जा सकते। अब काम आरम्भ करो और यहोवा तुम्हारे साथ है।”

17 तब दाऊद ने इस्राएल के सभी प्रमुखों को अपने पुत्र सुलैमान की सहायता करने का आदेश दिया। 18 दाऊद ने उन प्रमुखों से कहा, “यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारे साथ है। उसने तुम्हें शान्ति का समय दिया है। यहोवा ने हम लोगों के चारों ओर रहने वाले लोगों को पराजित करने में सहायता की है। अब यहोवा और उसके लोगों ने इस भूमि पर पूरा अधिकार किया है। 19 अब तुम अपने हृदय और आत्मा को अपने यहोवा परमेश्वर को समर्पित कर दो और वह जो कहे, करो। यहोवा परमेश्वर का पवित्र स्थान बनाओ। यहोवा के नाम के लिये मन्दिर बनाओ। तब साक्षिपत्र का सन्दूक तथा अन्य सभी पवित्र चीजें मन्दिर में लाओ।”

मन्दिर में लेवीवंशियों द्वारा सेवा की योजना

23दाऊद बुढ़ा हो गया, इसलिये उसने अपने पुत्र सुलैमान को इस्राएल का नया राजा बनाया। 2 दाऊद ने इस्राएल के सभी प्रमुखों को इकट्ठा किया। उसने याजकों और लेवीवंशियों को भी इकट्ठा किया। 3 दाऊद ने तीस वर्ष और उससे ऊपर की उम्र के लेवीवेंशियों को गिना। सब मिलाकर अड़तीस हजार लेवीवंशी थे। 4 दाऊद ने कहा, “चौबीस हजार लेवीवंशी यहोवा के मन्दिर के निर्माण कार्य की देखभाल करेंगें। छःहजार लेवीवंशी सिपाही और न्यायाधीश होंगे। 5 चार हजार लेवीवंसी द्वारपाल होंगे और चार हाजार लेवीवंशी संगीतज्ञ होंगे। मैंने उनके लिये विशेष वाद्य बनाए हैं। वे उन वाद्यों का उपयोग यहोवा की स्तुति के लिये करेंगे।”

6 दाऊद ने लेवीवंशियों को तीन वर्गों में बाँट दिया। वे लेवी के तीन पुत्रों गेर्शोन, कहात और मरारी के परिवार समूह थे।

गेर्शोन के परिवार समूह

7 गेर्शोन के परिवार समूह से लादान और शिमी थे। 8 लादान के तीन पुत्र थे। उसका सबसे बड़ा पुत्र यहीएल था। उसके अन्य पुत्र जेताम और योएल थे। 9 शिमी के पुत्र शलोमीत, हजीएल और हारान थे। ये तीनों पुत्र लादान के परिवारों के प्रमुख थे।

10 शिमी के चार पुत्र थे। वे यहत, जीना, यूश और बरीआ थे। 11 यहत सबसे बड़ा और जीजा दूसरा पुत्र था। किन्तु यूश और बरीआ के बहुत से पुत्र नहीं थे। इसलिए यूश और बरीआ एक परिवार के रूप में गिने जाते थे।

कहात का परिवार समूह

12 कहात के चार पुत्र थे। वे अम्राम, यिसहार हेब्रोन और उज्जीएल थे। 13 अम्राम के पुत्र हारून और मूसा थे। हारून अति विशेष होने के लिये चुना गया था। हारून और उसके वंशज सदा सदा के लिये विशेष होने को चुने गए थे। वे यहोवा की सेवा के लिये पवित्र चीजें बनाने के लिये चुने गए थे। हारून और उसके वंशज यहोवा के सामने सुगन्धि जलाने के लिये चुने गए थे। वे यहोवा की सेवा याजक के रूप में करने के लिये चुने गए थे। वे यहोवा के नाम का उपयोग करने और लोगों को आशीर्वाद देने के लिये सदा के लिये चुने गए थे।

14 मूसा परमेश्वर का व्यक्ति था। मूसा के पुत्र, लेवी के परिवार समूह के भाग थे। 15 मूसा के पुत्र गेर्शोम और एलीएजेर थे। 16 गेर्शोन का बड़ा पुत्र शबूएल था। 17 एलीएजेर का बड़ा पुत्र रहब्याह था। एलीएजेर के और कोई पुत्र नहीं थे। किन्तु रहब्याह के बहुत से पुत्र थे।

18 यिसहार का सबसे बड़ा पुत्र शलोमीत था।

19 हेब्रोन का सबसे बड़ा पुत्र यरीय्याह था। हेब्रोन का दूसरा पुत्र अर्मायह था। यहजीएल तीसरा पुत्र था और यकमाम चौथा पुत्र था।

20 उज्जीएल का सबसे बड़ा पुत्र मीका था और यिश्शिय्याह उसका दूसरा पुत्र था।

मरारी का परिवार समूह

21 मरारी के पुत्र महली और मूशी थे। महली के पुत्र एलीआजार और कीश थे। 22 एलीआजर बिना पुत्रों के मरा। उसकी केवल पुत्रियाँ थीं। एलीआजर की पुत्रियों ने अपने सम्बन्धियों से विवाह किया उनके सम्बन्धी कीश के पुत्र थे। 23 मूशी के पुत्र महली, एदेर और यरेमोत थे सब मिला कर तीन पुत्र थे।

लेवीवंशियों के काम

24 लेवी के वंशज ये थे। वे अपने परिवार के अनुसार सूची में अंकित थे। वे परिवारों के प्रमुख थे। हर एक व्यक्ति का नाम सूची में अंकित था। जो सूची में अंकित थे, वे बीस वर्ष के या उससे ऊपर के थे। वे यहोवा के मन्दिर में सेवा करते थे।

25 दाऊद ने कहा था, “इस्राएल के यहोवा परमेश्वर ने अपने लोगों को शान्ति दी है। यहोवा यरूशलेम में सदैव रहने के लिये आ गया है। 26 इसलिये लेवीवंशियों को पवित्र तम्बू या इसकी सेवा में काम आने वाली किसी चीज़ को भविष्य में ढोने की आवश्यकता नहीं है।”

27 दाऊद के अन्तिम निर्देश इस्राएल के लोगों के लिये, लेवी के परिवार समूह के वंशजों को गिनना था। उन्होंने लेवीवंशियों के बीस वर्ष और उससे ऊपर के व्यक्तियों को गिना।

28 लेवीवंशियों का काम हारून के वंशजों को यहोवा के मन्दिर में सेवा कार्य करने में सहायता करना था। लेवीवंशी मन्दिर के आँगन और बगल के कमरों की भी देखभाल करते थे। उनका काम सभी पवित्र चीजों को शुद्ध करने का था। उनका काम यह भी था कि परमेश्वर के मन्दिर में सेवा करें। 29 मन्दिर में विशेष रोटी को मेज पर रखने का उत्तरदायित्व उनका ही था। वे आटा, अन्नबलि और अखमीरी रोटी के लिये भी उत्तरदायी थे। वे पकाने की कढ़ाईयों और मिश्रित भेंटों के लिये भी उत्तरदायी थे। वे सारा नाप तौल का काम करते थे। 30 लेवीवंशी हर एक प्रातः खड़े होते थे और यहोवा का धन्यवाद और स्तुति करते थे। वे इसे हर सन्ध्या को भी करते थे। 31 लेवीवंशी यहोवा को सभी होमबलियाँ विश्राम के विशेष दिनों, नवचन्द्र उत्सवों और सभी अन्य विशेष पर्व के दिनों,पर तैयार करते थे। वे यहोवा के सामने प्रतिदिन सेवा करते थे। कितने लेवीवंशी हर बार सेवा करेंगे उसके लिये विशेष नियम थे। 32 अतः लेवीवंशी वे सब काम करते थे। जिनकी आशा उनसे की जाती थी। वे पवित्र तम्बू की देखभाल करते थे वे पवित्र स्थान की देखभाल करते थे और वे अपने सम्बन्धियों हारून के वंशज याजकों को सहायता देते थे। लेवीवंशी यहोवा के मन्दिर में सेवा करके याजकों की सेवा करते थे।

समीक्षा

सफलता में आपके साथ

“क्या कभी आप निराश हुए जब सेवकाई में किसी दूसरे को वह करने का सम्मान दिया गया जो आप करना चाहते थे?” जॉयस मेयर लिखती हैं। “निराश या उदास होने के बजाय, 1इतिहास 22:6-11 में दाऊद के उदाहरण के पीछे चलिये। दूसरों के प्रयासों को आशीष दीजिए; उनके लिए प्रार्थना कीजिए कि उनके पास बुद्धि हो; और उन्हें उत्साहित कीजिए कि निरंतर वे परमेश्वर के पीछे चलते रहे जो कुछ वे करते हैं, ताकि वे समृद्ध हो। आपको सम्मान देने में परमेश्वर वफादार रहेंगे।”

दाऊद सच में भवन बनवाना चाहते थे। अब दाऊद उनके पुत्र सुलैमान के लिए तैयारी करते हैं कि वह उनका वारिस बने। वह उनके लिए सबकुछ तैयार करते हैं। सुलैमान को सफलता के लिए नियुक्त करते समय उनके पास एक महान उत्तराधिकार योजना है।

दाऊद और सुलैमान दोनों ने मंदिर के निर्माण को संभव बनाया। दाऊद स्वयं इस काम को आगे नहीं ले जा पाये क्योंकि उन्होंने “बहुत खून बहाया था” (व.8)। सुलैमान ने वास्तव में मंदिर का निर्माण किया।

दाऊद कहते हैं, “अब, हे मेरे पुत्र, यहोवा तेरे संग रहें, और तू कृतार्थ होकर उस वचन के अनुसार जो परमेश्वर यहोवा ने तेरे विषय में कहा है, उसका भवन बनाना। अब यहोवा तुझे बुद्धि और समझ दें...हियाब बाँध और दृढ हो। मत डर; और तेरा मन कच्चा न हो...अत: तू उस काम में लग जा। यहोवा तेरे संग नित रहें” (वव.11-16)।

परमेश्वर केवल सुलैमान के साथ नहीं थेः”दाऊद ने इस्राएल के सब हाकिमों को अपने पुत्र सुलैमान की सहायता करने की आज्ञा यह कहकर दी, “क्या तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे संग नहीं हैं?” (वव.17-18अ)। परमेश्वर उनके साथ भी थे। उन्होंने “चारों ओर से उन्हें विश्राम” दिया (व.18ब)। उन्होंने उनसे कहा, “अब तन मन से अपने परमेश्वर यहोवा के पास जाया करो” (व.19)।

“इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने अपनी प्रजा को विश्राम दिया है, और वह यरुशलेम में सदा के लिए बस गया है” (23:25)।

यह महान आनंद, धन्यवादिता और स्तुती का कारण था। लेवी “प्रतिदिन भोर और साँझ को यहोवा का धन्यवाद और उनकी स्तुती करने के लिए खड़े रहते थे” (व.30)।

लंबी सफलता तब आती है जब परमेश्वर आपके साथ होते हैं। जीवन शायद से सरल न हो, लेकिन यीशु ने वायदा किया कि यदि आप उनमें बने रहेंगे तो आप फल लायेंगे और आपके फल बने रहेंगे (यूहन्ना 15 देखें)।

प्रार्थना

परमेश्वर, मैं अपने साथ आपकी उपस्थिति के लिए आपका धन्यवाद देता हूँ और आपकी स्तुती करता हूँ। आपका धन्यवाद क्योंकि आपने मुझसे लंबी सफलता और विश्राम का वायदा किया है। होने दीजिए कि मैं सुबह में पहली चीज के लिए और रात में अंतिम चीज के लिए आपका धन्यवाद दूं और आपकी स्तुति करुँ।

पिप्पा भी कहते है

भजनसंहिता 91:9-16

मुझे यह भजन पसंद है। यह मुझे सुरक्षित महसूस करवाता है। यह परिवार और उन मित्रों लिए प्रार्थना करने के लिए एक महान भजन है, जो लंबी यात्रा कर रहे हैं या कठिनाईयों का सामना कर रहे हैं। सालों से, मैंने मार्जिन में, इस भजन के साथ साथ कुछ चीजें लिखी हैं। उस समय मैं उन चीजों के विषय में चिंतित थी। परमेश्वर वफादार हैं। उन्होंने सभी चीजों की निगरानी की है।

दिन का वचन

भजन संहिता 91:11

“क्योंकि वह अपने दूतों को तेरे निमित्त आज्ञा देगा, कि जहां कहीं तू जाए वे तेरी रक्षा करें।”

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संदर्भ

वॉघन रॉबर्ट, सच्ची आत्मिकता (आय.व्ही.पी,2011)।

जॉयस मेयर, द एव्रीडे लाईफ बाईबल (फेथवर्डस,= 2014) पी.644

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

Bible in One Year

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