पहला प्रश्न
परिचय
‘आपका पहला प्रश्न क्या होनेवाला है?’ मैं अपने पहले अपराधिक मुकदमें की बहस की तैयारी कर रहा था जिसमें मैं शामिल था, जब मैने वकील के रूप में प्रैक्टिस शुरु की थी। एक वरिष्ठ और अनुभवी वकील मुझे तैयारी में मदद कर रहे थे। उन्होंने मुझे ‘ पहले प्रश्न ’ का महत्व समझाया।
भजन संहिता 2:1-12
2दूसरे देशों के लोग क्यों इतनी हुल्लड़ मचाते हैं
और लोग व्यर्थ ही क्यों षड़यन्त्र रचते हैं?
2 ऐसे दशों के राजा और नेता यहोवा और उसके चुने हुए राजा
के विरुद्ध होने को आपस में एक हो जाते हैं।
3 वे नेता कहते हैं, “आओ परमेश्वर से और उस राजा से जिसको उसने चुना है, हम सब विद्रोह करें।
आओ उनके बन्धनों को हम उतार फेंके।”
4 किन्तु मेरा स्वामी, स्वर्ग का राजा, उन लोगों पर हँसता है।
5 परमेश्वर क्रोधित है और,
यही उन नेताओं को भयभीत करता है।
6 वह उन से कहता है,“मैंने इस पुरुष को राजा बनने के लिये चुना है,
वह सिय्योन पर्वत पर राज करेगा, सिय्योन मेरा विशेष पर्वत है।”
7 अब मै यहोवा की वाचा के बारे में तुझे बताता हूँ।
यहोवा ने मुझसे कहा था, “आज मैं तेरा पिता बनता हूँ
और तू आज मेरा पुत्र बन गया है।
8 यदि तू मुझसे माँगे, तो इन देशों को मैं तुझे दे दूँगा
और इस धरती के सभी जन तेरे हो जायेंगे।
9 तेरे पास उन देशों को नष्ट करने की वैसी ही शक्ति होगी
जैसे किसी मिट्टी के पात्र को कोई लौह दण्ड से चूर चूर कर दे।”
10 इसलिए, हे राजाओं, तुम बुद्धिमान बनो।
हे शासकों, तुम इस पाठ को सीखो।
11 तुम अति भय से यहोवा की आज्ञा मानों।
12 स्वयं को परमेश्वर के पुत्र का विश्वासपात्र दिखओ।
यदि तुम ऐसा नहीं करते, तो वह क्रोधित होगा और तुम्हें नष्ट कर देगा।
जो लोग यहोवा में आस्था रखते हैं वे आनन्दित रहते हैं, किन्तु अन्य लोगों को सावधान रहना चाहिए।
यहोवा अपना क्रोध बस दिखाने ही वाला है।
समीक्षा
1. भजन संहिता में सबसे पहला प्रश्न यीशु के बारे में है
सब कुछ येशू के बारे में है। जीवन में सबसे सुरक्षित स्थान यीशु के करीब रहना है।
पौलुस, अंताकिया में प्रचार करते समय भजन संहिता का उद्धरण देता है। वह कहता है, “हम तुम्हें उस प्रतिज्ञा के विषय में, जो बाप दादों से की गई थी, यह सुसमाचार सुनाते हैं। कि परमेश्वर ने यीशु को जिलाकर, वही प्रतिज्ञा हमारी सन्तान के लिये पूरी की ; जैसा दूसरे भजन में भी लिखा है, कि तू मेरा पुत्र है; आज मैंने ही तुझे जन्माया है।” (प्रेरितों के कार्य 13:32 - 33, उद्धरण भजन संहिता 2:7)।
यीशु हैं जो उनके ‘अभिषिक्त ’ हैं (भजन संहिता 2:2)। इसका इब्रानी शब्द है ‘मसाया’ (मसीहा)। वह मसीह हैं, परमेश्वर के पुत्र, जिनसे हमें प्यार करना है : ‘उनके पुत्र को चूमो ’ (पद - 12)।
भजन संहिता का मूल संदर्भ शायद एक खास स्थिति से संबंधित है जिसमें इस्राएल का एक इंसानी राजा शामिल है। तब भी, जब हम इसे खुले मन से पढ़ते हैं, तो हम देखते हैं कि भजन संहिता में पूछा गया सबसे पहला प्रश्न यीशु के पुर्वानुमान को दर्शाता है। जाति-जाति के लोग उनके विरोध में क्यों ‘हुल्लड़ मचाते हैं ’ और ‘व्यर्थ बातें’ क्यों सोच रहे हैं*? ’ (पद - 1-2)
नये नियम में हम बिल्कुल ऐसा ही होते हुए देखते हैं। बल्कि आज के पद में भी - जो यीशु के संदर्भ में है - यीशु के जीवन के आरंभ से लेकर, शासक इकठ्ठा होते हैं और उनके विरोध में हुल्लड़ मचाते हैं और व्यर्थ की बातें सोचते हैं (मत्ती 2: 3-4)।
फिर भी भजन की समाप्ति ‘धन्य (खुश, भाग्यशाली और ईर्ष्या करने योग्य) हैं जो उनपर भरोसा करते हैं और उनकी शरण में आते हैं ’ से होती है ! (पद – 12ब, एम्प)। जीवन के सभी तूफानों में और यीशु के अत्यधिक तेज़ तूफान में जो अंतिम न्याय में आएगा, एकमात्र सुरक्षित जगह ‘येशू में ’ ही है।
प्रार्थना
मत्ती 2:1-18
पूर्व से विद्वानों का आना
2हेरोदेस जब राज कर रहा था, उन्हीं दिनों यहूदिया के बैतलहम में यीशु का जन्म हुआ। कुछ ही समय बाद कुछ विद्वान जो सितारों का अध्ययन करते थे, पूर्व से यरूशलेम आये। 2 उन्होंने पूछा, “यहूदियों का नवजात राजा कहाँ है? हमने उसके सितारे को, आकाश में देखा है। इसलिए हम पूछ रहे हैं। हम उसकी आराधना करने आये हैं।”
3 जब राजा हेरोदेस ने यह सुना तो वह बहुत बेचैन हुआ और उसके साथ यरूशलेम के दूसरे सभी लोग भी चिंता करने लगे। 4 सो उसने यहूदी समाज के सभी प्रमुख याजकों और धर्मशास्त्रियों को इकट्ठा करके उनसे पूछा कि मसीह का जन्म कहाँ होना है। 5 उन्होंने उसे बताया, “यहूदिया के बैतलहम में। क्योंकि भविष्यवक्ता द्वारा लिखा गया है कि:
6 ‘ओ, यहूदा की धरती पर स्थित बैतलहम,
तू यहूदा के अधिकारियों में किसी प्रकार भी सबसे छोटा नहीं।
क्योंकि तुझ में से एक शासक प्रकट होगा
जो मेरे लोगों इस्राएल की देखभाल करेगा।’”
7 तब हेरोदेस ने सितारों का अध्ययन करने वाले उन विद्वानों को बुलाया और पूछा कि वह सितारा किस समय प्रकट हुआ था। 8 फिर उसने उन्हें बैतलहम भेजा और कहा, “जाओ उस शिशु के बारे में अच्छी तरह से पता लगाओ और जब वह तुम्हें मिल जाये तो मुझे बताओ ताकि मैं भी आकर उसकी उपासना कर सकूँ।”
9 फिर वे राजा की बात सुनकर चल दिये। वह सितारा भी जिसे आकाश में उन्होंने देखा था उनके आगे आगे जा रहा था। फिर जब वह स्थान आया जहाँ वह बालक था, तो सितारा उसके ऊपर रुक गया। 10 जब उन्होंने यह देखा तो वे बहुत आनन्दित हुए।
11 वे घर के भीतर गये और उन्होंने उसकी माता मरियम के साथ बालक के दर्शन किये। उन्होंने साष्टांग प्रणाम करके उसकी उपासना की। फिर उन्होंने बहुमूल्य वस्तुओं की अपनी पिटारी खोली और सोना, लोबान और गन्धरस के उपहार उसे अर्पित किये। 12 किन्तु परमेश्वर ने एक स्वप्न में उन्हें सावधान कर दिया, कि वे वापस हेरोदेस के पास न जायें। सो वे एक दूसरे मार्ग से अपने देश को लौट गये।
यीशु को लेकर माता-पिता का मिस्र जाना
13 जब वे चले गये तो यूसुफ को सपने में प्रभु के एक दूत ने प्रकट होकर कहा, “उठ, बालक और उसकी माँ को लेकर चुपके से मिस्र चला जा और मैं जब तक तुझ से न कहूँ, वहीं ठहरना। क्योंकि हेरोदेस इस बालक को मरवा डालने के लिए ढूँढेगा।”
14 सो यूसुफ खड़ा हुआ तथा बालक और उसकी माता को लेकर रात में ही मिस्र के लिए चल पड़ा। 15 फिर हेरोदेस के मरने तक वह वहीं ठहरा रहा। यह इसलिये हुआ कि प्रभु ने भविष्यवक्ता के द्वारा जो कहा था, पूरा हो सके: “मैंने अपने पुत्र को मिस्र से बाहर आने को कहा।”
बैतलहम के सभी बालकों का हेरोदेस के द्वारा मरवाया जाना
16 हेरोदेस ने जब यह देखा कि सितारों का अध्ययन करने वाले विद्वानों ने उसके साथ चाल चली है, तो वह आग बबूला हो उठा। उसने आज्ञा दी कि बैतलहम और उसके आसपास में दो वर्ष के या उससे छोटे सभी बालकों की हत्या कर दी जाये। (सितारों का अध्ययन करने वाले विद्वानों के बताये समय को आधार बना कर) 17 तब भविष्यवक्ता यिर्मयाह द्वारा कहा गया यह वचन पूरा हुआ:
18 “रामाह में दुःख भरा एक शब्द सुना गया,
शब्द रोने का, गहरे विलाप का था।
राहेल अपने शिशुओं के लिए रोती थी
चाहती नहीं थी कोई उसे धीरज बँधाए, क्योंकि उसके तो सभी बालक मर चुके थे।”
समीक्षा
2. नये नियम में सबसे पहला प्रश्न यीशु के बारे में है
उपर्युक्त तरीके से, नये नियम में भी सबसे पहला प्रश्न यीशु के बारे में है। सारे पुराने नियम की परिपूर्णता यीशु में है।
ज्योतिषियों ने (जिन्हें अक्सर ‘बुद्धिमान मनुष्य’ के रूप में संदर्भित किया जाता है) यीशु के जन्म के महत्व को महसूस किया। उन्होंने पूछा, “कि यहूदियों का राजा जिस का जन्म हुआ है,कहां है* ?*” उन्होने उसे खोजा और पाया भी। जब उन्होने बालक को देखा, तो गिरकर उसको दंडवत किया (पद - 11)। उन्होने यह जान लिया था की येशू के जन्म तक के लोगों की सारी बातों और सारी आशाओं की परिपूर्णता खुद येशू ही हैं।
यीशु ही हैं जो परमेश्वर के वायदों को पूरा करते हैं। कल के पठन में हम ने इसी बात के उदाहरण देखे थे। आज हम तीन और उदाहरणों को देखेंगे :
- जन्म का स्थान :
मत्ती ने देखा कि यीशु के जन्म के स्थान के बारे में भी भविष्यवाणी मीका 5:2 में की गई थी। यह तय था कि बेथलेहम से वो ‘शासक’ और ‘चरवाहा’ उठेगा, ‘क्योंकि भविष्यवक्ता के द्वारा यों लिखा गया है’ (मत्ती 2:5-6)।
- मिस्र में निर्वासन
जब हैरोदेस ने यीशु को मारने की कोशिश की, तो उनका परिवार मिस्र को चला गया (पद - 13). मत्ती लिखता है, “इसलिये कि वह वचन जो प्रभु ने भविष्यवक्ता के द्वारा कहा था पूरा हो* - मैं ने अपने पुत्र को मिस्र से बुलाया है।*” (पद - 15, होशे 11:1 भी देखें)।
- बच्चों की हत्या
जब हैरोदेस ने दो साल से छोटे सभी बालकों को मार डालने की आज्ञा दी (मत्ती 2:16), तो यिर्मयाह 31:15 की भविष्यवाणी भी पूरी हुई (देखें "पिपा जोड़ती हैं” - मत्ती 2:17-18)।**
प्रार्थना
उत्पत्ति 2:18-4:16
पहली स्त्री
18 तब यहोवा परमेश्वर ने कहा, “मैं समझता हूँ कि मनुष्य का अकेला रहना ठीक नहीं है। मैं उसके लिए एक सहायक बनाऊँगा जो उसके लिए उपयुक्त होगा।”
19 यहोवा ने पृथ्वी के हर एक जानवर और आकाश के हर एक पक्षी को भूमि की मिट्टी से बनाया। यहोवा इन सभी जीवों को मनुष्य के सामने लाया और मनुष्य ने हर एक का नाम रखा। 20 मनुष्य ने पालतू जानवरों, आकाश के सभी पक्षियों और जंगल के सभी जानवरों का नाम रखा। मनुष्य ने अनेक जानवर और पक्षी देखे लेकिन मनुष्य कोई ऐसा सहायक नहीं पा सका जो उसके योग्य हो। 21 अतः यहोवा परमेश्वर ने मनुष्य को गहरी नींद में सुला दिया और जब वह सो रहा था, यहोवा परमेश्वर ने मनुष्य के शरीर से एक पसली निकाल ली। तब यहोवा ने मनुष्य की उस त्वचा को बन्द कर दिया जहाँ से उसने पसली निकाली थी। 22 यहोवा परमेश्वर ने मनुष्य की पसली से स्त्री की रचना की। तब यहोवा परमेश्वर स्त्री को मनुष्य के पास लाया। 23 और मनुष्य ने कहा,
“अन्तत! हमारे समाने एक व्यक्ति।
इसकी हड्डियाँ मेरी हड्डियों से आईं
इसका शरीर मेरे शरीर से आया।
क्योंकि यह मनुष्य से निकाली गई,
इसलिए मैं इसे स्त्री कहूँगा।”
24 इसलिए पुरुष अपने माता—पिता को छोड़कर अपनी पत्नी के साथ रहेगा और वे दोनों एक तन हो जाएंगे।
25 मनुष्य और उसकी पत्नी बाग में नंगे थे, परन्तु वे लजाते नहीं थे।
पाप का आरम्भ
3यहोवा द्वारा बनाए गए सभी जानवरों में सबसे अधिक चतुर साँप था। (वह स्त्री को धोखा देना चाहता था।) साँप ने कहा, “हे स्त्री क्या परमेश्वर ने सच—मुच तुमसे कहा है कि तुम बाग के किसी पेड़ से फल ना खाना?”
2 स्त्री ने कहा, “नहीं परमेश्वर ने यह नहीं कहा। हम बाग़ के पेड़ों से फल खा सकते हैं। 3 लेकिन एक पेड़ है जिसके फल हम लोग नहीं खा सकते । परमेश्वर ने हम लोगों से कहा, ‘बाग के बीच के पेड़ के फल तुम नहीं खा सकते, तुम उसे छूना भी नहीं, नहीं तो मर जाओगे।’”
4 लेकिन साँप ने स्त्री से कहा, “तुम मरोगी नहीं। 5 परमेश्वर जानता है कि यदि तुम लोग उस पेड़ से फल खाओगे तो अच्छे और बुरे के बारे में जान जाओगे और तब तुम परमेश्वर के समान हो जाओगे।”
6 स्त्री ने देखा कि पेड़ सुन्दर है। उसने देखा कि फल खाने के लिए अच्छा है और पेड़ उसे बुद्धिमान बनाएगा। तब स्त्री ने पेड़ से फल लिया और उसे खाया। उसका पति भी उसके साथ था इसलिए उसने कुछ फल उसे दिया और उसने उसे खाया।
7 तब पुरुष और स्त्री दोनों बदल गए। उनकी आँखें खुल गईं और उन्होंने वस्तुओं को भिन्न दृष्टि से देखा। उन्होंने देखा कि उनके कपड़े नहीं हैं, वे नंगे हैं। इसलिए उन्होंने कुछ अंजीर के पत्ते लेकर उन्हें जोड़ा और कपड़ो के स्थान पर अपने लिए पहना।
8 तब पुरुष और स्त्री ने दिन के ठण्डे समय में यहोवा परमेश्वर के आने की आवाज बाग में सुनी। वे बाग मे पेड़ों के बीच में छिप गए। 9 यहोवा परमेश्वर ने पुकार कर पुरुष से पूछा, “तुम कहाँ हो?”
10 पुरुष ने कहा, “मैंने बाग में तेरे आने की आवाज सुनी और मैं डर गया। मैं नंगा था, इसलिए छिप गया।”
11 यहोवा परमेश्वर ने पुरुष से पूछा, “तुम्हें किसने बताया कि तुम नंगे हो? तुम किस कारण से शरमाए? क्या तुमने उस विशेष पेड़ का फल खाया जिसे मैंने तुम्हें न खाने की आज्ञा दी थी?”
12 पुरुष ने कहा, “तूने जो स्त्री मेरे लिए बनाई उसने उस पेड़ से मुझे फल दिया, और मैंने उसे खाया।”
13 तब यहोवा परमेश्वर ने स्त्री से कहा, “यह तुने क्या किया?” स्त्री ने कहा, “साँप ने मुझे धोखा दिया। उसने मुझे बेवकूफ बनाया और मैंने फल खा लिया।”
14 तब यहोवा परमेश्वर ने साँप से कहा,
“तुने यह बहुत बुरी बात की।
इसलिए तुम्हारा बुरा होगा।
अन्य जानवरों की अपेक्षा तुम्हारा बहुत बुरा होगा।
तुम अपने पेट के बल रेंगने को मजबूर होगे।
और धूल चाटने को विवश होगा
जीवन के सभी दिनों में।
15 मैं तुम्हें और स्त्री को
एक दूसरे का दुश्मन बनाऊँगा।
तुम्हारे बच्चे और इसके बच्चे
आपस में दुश्मन होंगे।
तुम इसके बच्चे के पैर में डसोगे
और वह तुम्हारा सिर कुचल देगी।”
16 तब यहोवा परमेश्वर ने स्त्री से कहा,
“मैं तेरी गर्भावस्था में तुझे बहुत दुःखी करूँगा
और जब तू बच्चा जनेगी
तब तुझे बहुत पीड़ा होगी।
तेरी चाहत तेरे पति के लिए होगी
किन्तु वह तुझ पर प्रभुता करेगा।”
17 तब यहोवा परमेश्वर ने मनुष्य से कहा,
“मैंने आज्ञा दी थी कि तुम विशेष पेड़ का फल न खाना।
किन्तु तुमने अपनी पत्नी की बातें सुनीं और तुमने उस पेड़ का फल खाया।
इसलिए मैं तुम्हारे कारण इस भूमि को शाप देता हूँ
अपने जीवन के पूरे काल तक उस भोजन के लिए जो धरती देती है।
तुम्हें कठिन मेहनत करनी पड़ेगी।
18 तुम उन पेड़ पौधों को खाओगे जो खेतों में उगते हैं।
किन्तु भूमि तुम्हारे लिए काँटे और खर—पतवार पैदा करेगी।
19 तुम अपने भोजन के लिए कठिन परिश्रम करोगे।
तुम तब तक परिश्रम करोगे जब तक माथे पर पसीना ना आ जाए।
तुम तब तक कठिन मेहनत करोगे जब तक तुम्हारी मृत्यु न आ जाए।
उस समय तुम दुबारा मिट्टी बन जाओगे।
जब मैंने तुमको बनाया था, तब तुम्हें मिट्टी से बनाया था
और जब तुम मरोगे तब तुम उसी मिट्टी में पुनः मिल जाओगे।”
20 आदम ने अपनी पत्नी का नाम हब्बा रखा, क्योंकि सारे मनुष्यों की वह आदिमाता थी।
21 यहोवा परमेश्वर ने मनुष्य और उसकी पत्नी के लिए जानवरों के चमड़ों से पोशाक बनायी। तब यहोवा ने ये पोशाक उन्हें दी।
22 यहोवा परमेश्वर ने कहा, “देखो, पुरुष हमारे जैसा हो गया है। पुरुष अच्छाई और बुराई जानता है और अब पुरुष जीवन के पेड़ से भी फल ले सकता है। अगर पुरुष उस फल को खायेगा तो सदा ही जीवित रहेगा।”
23 तब यहोवा परमेश्वर ने पुरुष को अदन के बाग छोड़ने के लिए मजबूर किया। जिस मिट्टी से आदम बना था उस पृथ्वी पर आदम को कड़ी मेहनत करनी पड़ी। 24 परमेश्वर ने आदम को बाग से बाहर निकाल दिया। तब परमेश्वर ने करूब (स्वर्गदूतों) को बाग के फाटक की रखवाली के लिए रखा। परमेश्वर ने वहाँ एक आग की तलवार भी रख दी। यह तलवार जीवन के पेड़ के रास्ते की रखवाली करती हुई चारों ओर चमकती थी।
पहला परिवार
4आदम और उसकी पत्नी हब्बा के बीच शारीरिक सम्बन्ध हुए और हब्बा ने एक बच्चे को जन्म दिया। बच्चे का नाम कैन रखा गया। हब्बा ने कहा, “यहोवा की मदद से मैंने एक मनुष्य पाया है।”
2 इसके बाद हब्बा ने दूसरे बच्चे को जन्म दिया। यह बच्चा कैन का भाई हाबिल था। हाबिल गड़ेरिया बना। कैन किसान बना।
पहली हत्या
3-4 फसल के समय कैन एक भेंट यहोवा के पास लाया। जो अन्न कैन ने अपनी ज़मीन में उपजाया था उसमें से थोड़ा अन्न वह लाया। परन्तु हाबिल अपने जानवरों के झुण्ड में से कुछ जानवर लाया। हाबिल अपनी सबसे अच्छी भेड़ का सबसे अच्छा हिस्सा लाया।
यहोवा ने हाबिल तथा उसकी भेंट को स्वीकार किया। 5 परन्तु यहोवा ने कैन तथा उसके द्वारा लाई भेंट को स्वीकार नहीं किया इस कारण कैन क्रोधित हो गया। वह बहुत व्याकुल और निराश हो गया। 6 यहोवा ने कैन से पूछा, “तुम क्रोधित क्यों हो? तुम्हारा चेहरा उतरा हुआ क्यों दिखाई पड़ता है? 7 अगर तुम अच्छे काम करोगे तो तुम मेरी दृष्टि में ठीक रहोगे। तब मैं तुम्हें अपनाऊँगा। लेकिन अगर तुम बुरे काम करोगे तो वह पाप तुम्हारे जीवन में रहेगा। तुम्हारे पाप तुम्हें अपने वश में रखना चाहेंगे लेकिन तुम को अपने पाप को अपने बस में रखना होगा।”
8 कैन ने अपने भाई हाबिल से कहा, “आओ हम मैदान में चलें।” इसलिए कैन और हाबिल मैदान में गए। तब कैन ने अपने भाई पर हमला किया और उसे मार डाला।
9 बाद में यहोवा ने कैन से पूछा, “तुम्हारा भाई हाबिल कहाँ है?”
कैन ने जवाब दिया, “मैं नहीं जानता। क्या यह मेरा काम है कि मैं अपने भाई की निगरानी और देख भाल करूँ?”
10 तब यहोवा ने कहा, “तुमने यह क्या किया? तुम्हारे भाई का खून जमीन से बोल रहा है कि क्या हो गया है? 11 तुमने अपने भाई की हत्या की है, पृथ्वी तुम्हारे हाथों से उसका खून लेने के लिए खुल गयी है। इसलिए अब मैं उस जमीन को बुरा करने वाली चीजों को पैदा करूँगा। 12 बीते समय में तुमने फ़सलें लगाईं और वे अच्छी उगीं। लेकिन अब तुम फसल बोओगे और जमीन तुम्हारी फसल अच्छी होने में मदद नहीं करेगी। तुम्हें पृथ्वी पर घर नहीं मिलेगा। तुम जगह जगह भटकोगे।”
13 तब कैन ने कहा, “यह दण्ड इतना अधिक है कि मैं सह नहीं सकता। 14 मेरी ओर देख। तूने मुझे जमीन में फसल के काम को छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया है और मैं अब तेरे करीब भी नहीं रहूँगा। मेरा कोई घर नहीं होगा और पृथ्वी पर से मैं नष्ट हो जाऊँगा और यदि कोई मनुष्य मुझे पाएगा तो मार डालेगा।”
15 तब यहोवा ने कैन से कहा, “मैं यह नहीं होने दूँगा। यदि कोई तुमको मारेगा तो मैं उस आदमी को बहुत कठोर दण्ड दूँगा।” तब यहोवा ने कैन पर एक चिन्ह बनाया। यह चिन्ह वह बताता था कि कैन को कोई न मारे।
कैन का परिवार
16 तब कैन यहोवा को छोड़कर चला गया। कैन नोद देश में रहने लगा।
समीक्षा
3. बाइबल का पहला प्रश्न परमेश्वर की भलाई के बारे में है
क्या आपने कभी खुद को संदेह करते पाया है कि परमेश्वर का मार्ग सच में सबसे अच्छा है ? क्या आपने खुद को कभी विस्मित होते हुए पाया है कि, भले ही परमेश्वर कहते हैं कि यह गलत है, फिर भी यह कोशिश करके देखने लायक है ?
परमेश्वर ने संभवत: मनुष्य को सबकुछ दिया है जिसकी जिसकी वह इच्छा कर सकता था। रचा गया संपूर्ण संसार हमारे आनंद के लिए बनाया गया था। इंसान ही परमेश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना था। समुदाय की आवश्यकता को पूरा करने के लिए परमेश्वर ने और भी इंसानों को बनाया: ‘आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं ’ (2:18)।
इसकी शुरुवात विवाह के सुंदर उपहार से हुई: “ इस कारण पुरुष अपने माता पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा, और वे एक ही तन बने रहेंगे” (पद – 24)। विवाह स्त्री और पुरूष का जीवन भर का संजोग है जिसमे यौन संबंध - जो परमेश्वर की ओर से एक और उपहार है – आनंद से व बिना लज्जा या शर्म की घनिष्ठता और आज़ादी से लेना चाहिए (पद - 24-25)।
सभी भली चीजों के भरपूर प्रावधान के बावजूद, मनुष्य ने कुछ और पाने का प्रयास किया और उसने लालसा के वशीभूत में आकर मना किये गए फल को खा लिया।
लालसा की शुरूवात परमेश्वर के बारे में संदेह से शुरू हुई। बाइबल का यह पहला प्रश्न है:‘ क्या सच है, कि परमेश्वर ने कहा, कि तुम इस बाटिका के किसी वृक्ष का फल न खाना ? ’ (3:1)।
सर्प के साथ बातचीत करना हव्वा की पहली गलती थी। हम परमेश्वर के साथ बातचीत /वार्तालाब करने के लिए बनाए गये हैं, शैतान के साथ नही।
सर्प के रूप में शैतान ने हव्वा को मूर्ख बनाया, इस सोच में कि उसके पाप का कोई भी परिणाम नहीं होगा – ‘तुम निश्चय न मरोगे’ (पद - 4) वह परमेश्वर के प्रति बुरे इरादों को डालता है: ‘वरन परमेश्वर खुद जानते हैं कि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आंखें खुल जाएंगी, और तुम भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे;’ (पद - 5). अक्सर ऐसा होता है कि आप परमेश्वर के बारे में झूठ को निगल जाते हैं, इससे पहले कि आप मना किये गए फल को निगल जाएं।
फल देखने में ‘अच्छा’ और ‘दिखने में मनभावना’ और ‘बुद्धि देने के लिए चाहने योग्य’ भी था (पद - 6)। अक्सर लालसा इसी तरह प्रकट होती है। आदम और हव्वा ने पाप किया और किये गए पाप को ढंकना चाहा - जैसा की अक्सर होता है : ‘ इसलिए उन्होने अंजीर के पत्ते जोड़ जोड़ कर लंगोट बना लिए ’(पद - 7)।
4. बाइबल में सबसे पहला प्रश्न परमेश्वर आपके बारे में पूछते हैं
परमेश्वर के साथ आदम और हव्वा की दोस्ती टूट गई थी। जब उन्होंने सुना कि परमेश्वर आ रहे हैं, तो वे छिप गए (पद - 8)। लेकिन परमेश्वर तुरंत उन्हें ढूँढते हुए आए, और हम बाइबल में उनका पहला प्रश्न पाते हैं: ‘तू कहाँ है?’ (पद - 9)। परमेश्वर ने उन्हें उनपर नहीं छोड़ा। वह उन्हें ढूँढते हुए आए, उनके साथ संबंध को फिर स्थापित करने के लिए।
जब भी आप उनके साथ संबंध से दूर चले जाते हैं, परमेश्वर हमेशा आपको खोजते रहते हैं।
वह सर्प से कहते हैं कि हव्वा का वंश, “तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा ” (पद - 15 ब)। यीशु ही हैं जो सर्प के सिर को कुचलेंगे लेकिन इसकी एक कीमत होगी – “तू उसकी एड़ी को डसेगा ” यहाँ हम पहले संकेत को देखते हैं कि संबंध को पुनर्स्थापित करने की कीमत क्या होगी। क्रूस पर यीशु ने शैतान के सिर को कुचला, लेकिन इसके लिए उन्हें अपनी जान देनी पड़ी। उनका खून बहाया गया ताकि आपको और मुझे क्षमा मिल सके और परमेश्वर के साथ हमारे संबंध फिर से स्थापित हो सकें।
5. मानव जाति ने पहला प्रश्न ज़िम्मेदारी के बारे में किया
‘क्या मैं अपने भाई का रखवाला हूं ? (पद – 9 ब) यह आज का अत्यंत महत्वपूर्ण सवाल है। क्या दूसरों के प्रति आपकी कोई ज़िम्मेदारी है ?
पतन का परिणाम परमेश्वर के साथ संबंध का टूटना है। आदम और हव्वा ने एक दूसरे पर दोष लगाया (पद – 11, 12), और चौथे अध्याय में हम पढ़ते हैं कि यहाँ पर उनके बच्चे भी एक दूसरे से अलग हो गए। वाद विवाद, झगड़े और एक दूसरे से अलगाव, इन सब की शुरुआत यहीं से हुई। इन्हीं चीज़ों ने मानव जाति को अभिशप्त किया है। वाद विवाद से बचने की कोशिश कीजिये। विनाशकारी होने के साथ - साथ, आप शायद ही कभी कोई वाद विवाद जीत पायें !
केन अपने भाई हाबिल से क्रोधित था। परमेश्वर उससे पूछते रहे :‘तू क्यों क्रोधित हुआ ? और तेरे मुंह पर उदासी क्यों छा गई है ? यदि तू भला करे, तो क्या तेरी भेंट ग्रहण न की जाएगी ? और यदि तू भला न करे, तो पाप द्वार पर छिपा रहता है, और उसकी लालसा तेरी ओर होगी, और तू उस पर प्रभुता करेगा ’ (4:6 - 7)।
या तो आप पाप पर प्रभुता करेंगे (अब क्रूस और पुनरूत्थान की सामर्थ के द्वारा और पवित्र आत्मा की सहायता से), या पाप आप पर प्रभुता करेगा। केन के मामले में ऐसा ही हुआ। उसने अपने भाई को मार डाला (पद - 8)। परमेश्वर ने उससे एक और प्रश्न पूछा: ‘तेरा भाई हाबिल कहां है?’ (पद - 9 अ)।
इसके जवाब में, केन ने मनुष्य होने के नाते बाइबल में पहला प्रश्न पूछा: ‘क्या मैं अपने भाई का रखवाला हूं ?’ (पद - 9 ब)। केन ज़िम्मेदारी से छूटना चाहता था। वह कह रहा था, ‘क्या मुझे अपने अलावा सच में किसी और की ज़िम्मेदारी भी लेनी पड़ेगी ? ’
बाइबल के अनुसार जवाब यह है कि दूसरों के प्रति आपकी भी ज़िम्मेदारी है। हमारे आसपास जो हो रहा है उसकी ज़िम्मेदारी से हम खुद को मुक्त नहीं कर सकते – अपने शहर में, देश में और दुनिया में। उदाहरण के लिए, जब अत्यंत गरीबी के कारण हर दिन हज़ारों लोग भूख से मर रहे हैं तब हम यह स्वीकार नहीं कर सकते और ऐसा नहीं कह सकते कि यह हमारी ज़िम्मेदारी नहीं है।
आपकी ज़िम्मेदारी केवल आपके साथियों के प्रति ही नहीं बल्कि यह आपका सौभाग्य है कि आप दोस्तों और परिवार में और अपने आसपास के लोगों में आशीष और आनंद लाएं ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों के जीवन में बदलाव आए।
प्रार्थना
पिप्पा भी कहते है
पिपा जोड़ती हैं
मत्ती 2:16
‘जब हेरोदेस ने यह देखा, कि ज्योतिषियों ने उसके साथ चालाकी की है, तब वह क्रोध से भर गया; और लोगों को भेजकर ज्योतिषियों से ठीक ठीक पूछे हुए समय के अनुसार बैतलेहम और उसके आस पास के सब लड़कों को जो दो वर्ष तक के थे, मरवा डाला। ’
मैं जब भी इस पद को पढ़ती हूँ तो मेरे दिल को चोट पहुँचती है। अपनी राजगद्दी छूटने के डर से, हेरोदेस ने जो बच्चों के साथ लिया, वह बहुत ही दर्दनाक था ! क्या आप कभी भी ऐसे खतरे में पड़े हैं जिसमें अपनी स्थिति को सुरक्षित रखने के प्रयास में आपने दूसरों को नीचा किया है
दिन का वचन
उत्पत्ति – 2:24
“ इस कारण पुरुष अपने माता पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा, और वे एक ही तन बने रहेंगे ”

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संदर्भ
नोट्स:
जिन वचनों को (एमएसजी/MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है। जिन वचनों को (एएमपी/AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org) जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
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