दिन 197

परमेश्वर का अद्भुत उत्तर

बुद्धि भजन संहिता 85:8-13
नए करार रोमियों 3:9-31
जूना करार आमोस 3:1-4:13

परिचय

कभी कभी हम इस सोच के जाल में फँस जाते हैं कि पृथ्वी पर हम सबसे बदतर लोग हैं और कोई भी हमारे जैसे गलती नहीं करता है। लेकिन रोमियो 3:23 कहता है कि इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा (श्रेष्ठता) से रहित है। हर पुरुष, महिला या बच्चा जो कभी भी पैदा हुआ हो, या होगा, वह पाप की परेशानी में है। लेकिन अच्छा समाचार यह है कि परमेश्वर ने हमारी विडंबना के लिए एक उत्तर प्रदान किया है, जॉयस मेयर लिखती हैं।

जब सेंट अगस्टाईन ने 386 में उत्तर पाया, तब एक स्पष्ट प्रकाश ने (उनके) हृदय को भर दिया। लुथर को उत्तर मिल गया और कुछ सालों बाद 1517 में सुधार प्रक्रिया शुरु हुई। जब 1738 में वेसले ने उत्तर को समझा, तब उनका हृदय 'विचित्र रूप से गरम हो गया' और पुनर्जीवन का बीज शुरु हुआ।

हर मामले में, उनका जीवन मूलभूत रूप से बदल गया 'परमेश्वर की सत्यनिष्ठा' की समझ के द्वारा। जिस क्षण कोई इस भाव को समझता है, तब यह उनके जीवन को बदलता है। निश्चित ही इसने मेरे जीवन को बदला।

बुद्धि

भजन संहिता 85:8-13

8 जो परमेश्वर ने कहा, मैंने उस पर कान दिया।
 यहोवा ने कहा कि उसके भक्तों के लिये वहाँ शांति होगी।
 यदि वे अपने जीवन की मूर्खता की राह पर नहीं लौटेंगे तो वे शांति को पायेंगे।
9 परमेश्वर शीघ्र अपने अनुयायियों को बचाएगा।
 अपने स्वदेश में हम शीघ्र ही आदर के साथ वास करेंगे।

10 परमेश्वर का सच्चा प्रेम उनके अनुयायियों को मिलेगा।
 नेकी और शांति चुम्बन के साथ उनका स्वागत करेगी।
11 धरती पर बसे लोग परमेश्वर पर विश्वास करेंगे,
 और स्वर्ग का परमेश्वर उनके लिये भला होगा।
12 यहोवा हमें बहुत सी उत्तम वस्तुएँ देगा।
 धरती अनेक उत्तम फल उपजायेगी।
13 परमेश्वर के आगे आगे नेकी चलेगी,
 और वह उसके लिये राह बनायेगी।

समीक्षा

परमेश्वर का उत्तर हमें उनकी शांति देता है

जॉयस मेयर लिखती हैं, 'मैं एक झगड़े के वातावरण में पली –बढ़ी, और मैं केवल यही जानती थी। मुझे जीवन का एक पूर्ण नया तरीका सीखना पड़ा। अब मैं शांति के लिए व्यसनी हूँ। जैसे ही मेरी शांति चली जाती है, तब मैं अपने आपसे पूछती हूँ कि कैसे मैंने इसे खो दिया और इसे फिर से पाने का तरीका ढूँढ़ने लगती हूँ।'

परमेश्वर ने अपने लोगों से 'शांति' का वायदा किया है (व.8)। इसका आवश्यक रूप से अर्थ बाहरी शांति नहीं है। शायद से दबाव, कठिनाईयाँ, परीक्षा, लड़ाई और व्यस्तपन शायद से न जाएँ। यह शांति आती है वह सुनने से जो 'प्रभु परमेश्वर' कहते हैं (व.8)।

शांति बहुत ही नजदीकी रूप से सत्यनिष्ठा से जुड़ी हुई है। भजनसंहिता के लेखक कहते हैं, 'सत्यनिष्ठा और शांति ने आपस में चुम्बन किया है' (व.10ब)। उसी तरह से, जैसे प्रेम और वफादारी साथ-साथ जाते हैं, (व.10अ), वैसे ही सत्यनिष्ठा और शांति साथ-साथ जाते हैं। परमेश्वर के साथ एक सही संबंध में जीने से शांति आती है (रोमियो 5:1)।

प्रार्थना

परमेश्वर आपका धन्यवाद, क्योंकि आप मेरे लिए आपके साथ सही संबंध में चलना और इससे आने वाली शांति का आनंद लेना संभव बनाते हैं।
नए करार

रोमियों 3:9-31

कोई भी धर्मी नहीं

9 तो फिर हम क्या कहें? क्या हम यहूदी ग़ैर यहूदियों से किसी भी तरह अच्छे है, नहीं बिल्कुल नहीं। क्योंकि हम यह दर्शा चुके है कि चाहे यहूदी हों, चाहे ग़ैर यहूदी सभी पाप के वश में हैं। 10 शास्त्र कहता है:

“कोई भी धर्मी नहीं, एक भी!
 11 कोई समझदार नहीं, एक भी!
 कोई ऐसा नहीं, जो प्रभु को खोजता!
12 सब भटक गए,
 वे सब ही निकम्मे बन गए,
 साथ-साथ सब के सब, कोई भी यहाँ पर दया तो दिखाता नहीं, एक भी नहीं!”

13 “उनके मुँह खुली कब्र से बने हैं,
 वे अपनी जीभ से छल करते हैं।”
 “उनके होठों पर नाग विष रहता हैं।”
 14 “शाप से कटुता से मुँह भरे रहते है।”
 15 “हत्या करने को वे हरदम उतावले रहते है।
 16 वे जहाँ कहीं जाते नाश ही करते हैं, संताप देते हैं।
 17 उनको शांति के मार्ग का पता नहीं।”
18 “उनकी आँखों में प्रभु का भय नहीं है।”

19 अब हम यह जानते हैं कि व्यवस्था में जो कुछ कहा गया है, वह उन को सम्बोधित है जो व्यवस्था के अधीन हैं। ताकि हर मुँह को बन्द किया जा सके और सारा जगत परमेश्वर के दण्ड के योग्य ठहरे। 20 व्यवस्था के कामों से कोई भी व्यक्ति परमेश्वर के सामने धर्मी सिद्ध नहीं हो सकता। क्योंकि व्यवस्था से जो कुछ मिलता है, वह है पाप की पहचान करना।

परमेश्वर मनुष्यों को धर्मी कैसे बनाता है

21 किन्तु अब वास्तव में मनुष्य के लिये यह दर्शाया गया है कि परमेश्वर व्यवस्था के बिना ही उसे अपने प्रति सही कैसे बनाता है। निश्चय ही व्यवस्था और नबियों ने इसकी साक्षी दी है। 22 सभी विश्वासियों के लिये यीशु मसीह में विश्वास के द्वारा परमेश्वर की धार्मिकता प्रकट की गयी है बिना किसी भेदभाव के। 23 क्योंकि सभी ने पाप किये है और सभी परमेश्वर की महिमा से रहित है। 24 किन्तु यीशु मसीह में सम्पन्न किए गए अनुग्रह के छुटकारे के द्वारा उसके अनुग्रह से वे एक सेंतमेत के उपहार के रूप में धर्मी ठहराये गये हैं। 25 परमेश्वर ने यीशु मसीह को, उसमें विश्वास के द्वारा पापों से छुटकारा दिलाने के लिये, लोगों को दिया। उसने यह काम यीशु मसीह के बलिदान के रूप में किया। ऐसा यह प्रमाणित करने के लिए किया गया कि परमेश्वर सहनशील है क्योंकि उसने पहले उन्हें उनके पापों का दण्ड दिये बिना छोड़ दिया था। 26 आज भी अपना न्याय दर्शाने के लिए कि वह न्यायपूर्ण है और न्यायकर्ता भी है, उनका जो यीशु मसीह में विश्वास रखते हैं।

27 तो फिर घमण्ड करना कहाँ रहा? वह तो समाप्त हो गया। भला कैसे? क्या उस विधि से जिसमें व्यवस्था जिन कर्मों की अपेक्षा करती है, उन्हें किया जाता है? नहीं, बल्कि उस विधि से जिसमें विश्वास समाया है। 28 कोई व्यक्ति व्यवस्था के कामों के अनुसार चल कर नहीं बल्कि विश्वास के द्वारा ही धर्मी बन सकता है। 29 या परमेश्वर क्या बस यहूदियों का है? क्या वह ग़ैर यहूदियों का नहीं है? हाँ वह ग़ैर यहूदियों का भी है। 30 क्योंकि परमेश्वर एक है। वही उनको जिनका उनके विश्वास के आधार पर ख़तना हुआ है, और उनको जिनका ख़तना नहीं हुआ है उसी विश्वास के द्वारा, धर्मी ठहरायेगा। 31 सो क्या, हम विश्वास के आधार पर व्यवस्था को व्यर्थ ठहरा रहे है? निश्चय ही नहीं। बल्कि हम तो व्यवस्था को और अधिक शक्तिशाली बना रहे हैं।

समीक्षा

परमेश्वर का उत्तर एक उपहार है जो हम ग्रहण करते हैं

हम शांति की लालसा करते हैं। हम परमेश्वर के साथ और दूसरों के साथ सही संबंध में रहने की लालसा करते हैं। लेकिन हम 'परमेश्वर से इस सत्यनिष्ठा' को कैसे ग्रहण करते हैं?

पौलुस अपने विवाद को जारी रखते हैं कि कोई अपने आपसे सत्यनिष्ठ नहीं है। ' 'कोई सत्यनिष्ठ नहीं, एक भी नही' (व.10ब, एम.एस.जी)। ' सब भटक गए हैं, सब के सब निकम्मे बन गए हैं' (व.12, एम.एस.जी.)। सत्यनिष्ठा शांति का रास्ता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि 'शांति का मार्ग वे नहीं जानते हैं' (व.17)।

इस भाग में पौलुस अपने विवाद का समापन करते हैः' क्योंकि व्यवस्था के कामों से कोई मनुष्य उसके सामने सत्यनिष्ठ नहीं ठहरेगा, इसलिये कि व्यवस्था के द्वारा पाप की पहचान होती है?' (व.20, एम.एस.जी.)। दो छोटे शब्द जो मिलते हैं वे बहुत ही महत्वपूर्ण हैं: 'लेकिन अब...' (व.21)।

परेशानी को सुलझाकर, अब पौलुस परमेश्वर के अद्भुत उत्तर का वर्णन करना शुरु करते हैं -'परमेश्वर से एक सत्यनिष्ठा' (व.21)। परमेश्वर से इस सत्यनिष्ठा को व्यवस्था के द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता है क्योंकि किसी ने भी (यीशु के अलावा) पूरी व्यवस्था को नहीं माना है। पुराना नियम (व्यवस्था और भविष्यवक्ता) इसके विषय में गवाही देता है और परमेश्वर के उत्तर की ओर संकेत करता है (व.21)।

'परमेश्वर की वह सत्यनिष्ठा जो यीशु मसीह पर विश्वास करने से सब विश्वास करने वालों के लिये है' (व.22)। परमेश्वर की इस सत्यनिष्ठा को कमाया नहीं जा सकता है। यह एक शुद्ध उपहार है जिसे हम 'यीशु मसीह में विश्वास के द्वारा' ग्रहण करते हैं। 'हर कोई जो विश्वास करते हैं' उसके लिए यह एक उपहार है (व.23)।

फिर पौलुस तीन चित्र का इस्तेमाल करते हैं इस बात का वर्णन करने के लिए कि क्रूस पर यीशु की मृत्यु ने क्या प्राप्त किया। हर एक तराशे हुए हीरे की तरह है। हर चित्र दूसरे के साथ मिला हुआ था।:

  1. पाप का दंड चुका दिया गया है
  • निर्दोष ठहरना न्यायालय का एक शब्द है। हम 'अनुग्रह के द्वारा मुक्त रूप से निर्दोष ठहराये गये हैं' (व.24)। परमेश्वर एक खरे न्यायी हैं। वह हमारे अपराध को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।

  • वह आपके लिए और मेरे लिए मरने के लिए यीशु मसीह के रूप में आयेः ' उसे परमेश्वर ने उनके लहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित ठहराया, जो विश्वास करने से कार्यकारी होता है कि जो पाप पहले किए गए और जिन पर परमेश्वर ने अपनी सहनशीलता के कारण ध्यान नहीं दिया। उनके विषय में वह अपनी सत्यनिष्ठा प्रकट करें। वरन् इसी समय उनकी सत्यनिष्ठा प्रकट हो कि जिससे वह आप ही सत्यनिष्ठ ठहरें, और जो यीशु पर विश्वास करे उनका भी सत्यनिष्ठ ठहराने वाले हो' (वव.25-26)। उन्होंने दाम चुकाया।

  • आप 'अनुग्रह के द्वारा मुक्त रूप से' निर्दोष ठहराये गए हैं (व.24)। अनुग्रह का अर्थ है प्रेम, जिसके आप लायक नहीं थे। यह मुफ्त है। हमारी ओर से कोई योग्यता नहीं है। आप इसे कमा नहीं सकते हैं। यह एक उपहार है। इसलिए, घमंड करने का कोई स्थान नहीं है (वव.27-31)।

  • क्रूस पर उनकी मृत्यु के द्वारा, यीशु ने हमारे हर गलत काम, शब्द और विचार के लिए दंड को चुकाया। जिस क्षण हम यीशु में विश्वास रखते हैं, उसी क्षण हम निर्दोष ठहरते हैं। आपको किसी चीज से डरने की आवश्यकता नहीं है। दंड चुका दिया गया है। आपने परमेश्वर से सत्यनिष्ठा के उपहार को ग्रहण किया है।

  1. पाप की सामर्थ तोड़ दी गई है
  • दूसरा चित्र जिसका इस्तेमाल पौलुस करते हैं वह बाजार से आता हैः'छुटकारे के द्वारा जो यीशु मसीह के द्वारा आया' (व.24)।

  • प्राचीन काल में कर्ज एक परेशानी थी। यदि कोई अत्यधिक कर्ज में था, तो उन पर दबाव डाला जाता था कि अपने आपको दासत्व में बेच दें ताकि कर्ज चुकाया जा सके।

  • कल्पना कीजिए एक व्यक्ति बाजार में खड़ा होकर अपने आपको एक दास के रूप में बेचने की कोशिश कर रहा है। शायद से कोई तरस खाकर कर्ज का दाम चुका दे, और उस व्यक्ति को मुक्त रूप से जाने दे जिसके लिए दाम चुकाया गया है। ऐसा करने के द्वारा, वह उन्हें 'छुड़ा' रहे होंगे और 'छुड़ौती' का एक दाम चुका रहे होंगे।

  • हमारे लिए उसी तरह से, 'छुटकारा...यीशु मसीह के द्वारा आया' (व.24)। आपके पाप एक कर्ज की तरह हैं जो आपके विरूद्ध खड़े होते हैं। यीशु ने क्रूस पर अपनी मृत्यु के द्वारा, छुड़ौती का दाम चुकाया (मरकुस 10:45)। इस तरह से आप परमेश्वर के साथ एक संबंध रखने के लिए मुक्त किए जाते हैं। आपका संबंध सुधर जाता है। आप परमेश्वर से एक सत्यनिष्ठा को ग्रहण करते हैं।

  1. पाप का प्रदूषण हटा दिया गया है
  • इस लेखांश में पौलुस का तीसरा चित्र मंदिर से मिलता है। ' परमेश्वर ने उसके लहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित ठहराया' (रोमियो 3:25)।

  • पुराने नियम में, पाप से निपटने के लिए व्यवस्था का पूरा-पूरा विवरण दिया गया है। वहाँ पर एक संपूर्ण बलिदान चढ़ायी जाने वाली व्यवस्था थी जो पाप की गंभीरता और इससे शुद्ध होने की आवश्यकता को दिखाती थी, जैसे ही पाप को पापी से हटाकर जानवर पर डाल दिया जाता था, बाद में उसे मार डाला जाता था।

  • ' क्योंकि यह अनहोना है कि बैलों और बकरों का लहू पापों को दूर करे' (इब्रानियों 10:4)। पुराने बलिदान चढ़ाये जाने वाली व्यवस्था उस चीज की केवल एक 'परछाई' थी (व.1) जो आने वाली थी। यीशु के बलिदान के द्वारा वास्तविकता आयी। केवल मसीह का लहू, 'एक ही बार में' (व.10) प्रायश्चित का बलिदान आपके पाप को धो सकता है इसके प्रदूषण को हटा सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यीशु सिद्ध बलिदान थे। केवल उन्होंने ही एक सिद्ध जीवन जीया। उनके लहू के द्वारा आप परमेश्वर के अद्भुत उत्तर को ग्रहण करते हैं – परमेश्वर से एक सत्यनिष्ठा।

प्रार्थना

परमेश्वर, यीशु में विश्वास के द्वारा, 'परमेश्वर से सत्यनिष्ठा' के उपहार के लिए मैं आपका कैसे धन्यवाद दे सकता हूँ? आपका धन्यवाद क्योंकि आपकी सत्यनिष्ठा के परिणामस्वरूप मैं शांति, क्षमा और स्वतंत्रता और यीशु के लहू के द्वारा शुद्धिकरण को ग्रहण कर सकता हूँ।
जूना करार

आमोस 3:1-4:13

इस्राएल को चेतावनी

3इस्राएल के लोगों, इस सन्देश को सुनो! यहोवा ने तुम्हारे बारे में यह सब कहा है! यह सन्देश उन सभी परिवारों (इस्राएल) के लिये है जिन्हें मैं मिस्र देश से बाहर लाया हूँ। 2 “पृथ्वी पर अनेक परिवार हैं। किन्तु तुम अकेले परिवार हो जिसे मैंने विशेष ध्यान देने के लिये चुना। किन्तु तुम मेरे विरूद्ध हो गए। अत: मैं तुम्हारे सभी पापों के लिये दण्ड दूँगा।”

इस्राएल को दण्ड देने का कारण

3 दो व्यक्ति तब तक एक साथ नहीं चल सकते
 जब तक वे कोई वाचा न करें!
4 जंगल में सिंह अपने शिकार को पकड़ने के बाद ही गरजता है।
  यदि कोई जवान सिंह अपनी माँद में गरज रहा हो तो
 उसका संकेत यही है कि
  उ सने अपने शिकार को पकड़ लिया है।
5 काई चिड़िया भूमि पर जाल में तब तक नहीं पड़ेगी
  जब तक उसमें कोई चुग्ग न हो
 यदि जाल बन्द हो जाये तो
  वह चिड़िया को फँसा लेगा।
6 यदि कोई तुरही खतरे की चेतावनी देगी तो
  लोग भय से अवश्य काँप उठेंगे।
 यदि काई विपत्ति किसी नगर में आई हो तो
 उसे यहोवा ने भेजा।

7 मेरा स्वामी यहोवा कुछ भी करने का निश्चय कर सकता है।
 किन्तु कुछ भी करने से पहले वह अपने सेवक नबियों को अपनी छिपी योजना बतायेगा

8 यदि कोई सिंह दहाड़ेगा तो लोग भयभीत होंगे।
 यदि यहोवा कुछ भविष्यवक्ता से कहेगा
 तो वह भविष्यवाणी करेगा।

9-10 अशदोद और मिस्र के ऊँचे किलों पर जाओ
  और इस सन्देश की घोषणा करो: “शोमरोन के पर्वतों पर जाओ।
 वहाँ तुम बड़ी गड़बड़ी पाओगे। क्यों क्योंकि लोग नहीं जानते कि ठीक कैसे रहा जाता है।
  वे अन्य लोगों के प्रति क्रूर थे। वे अन्य लोगों से चीजें लेते थे
 और उन चीजों को अपने ऊँचे किलों में छिपाते थे।
  उनके खजाने युद्ध में ली गई उनकी चीजों से भरे हैं।”

11 अत: यहोवा कहता है,
 “उस देश में एक शत्रु आएगा। वह शत्रु तुम्हारी शक्ति ले लेगा।
 वह उन चीजों को ले लेगा जिन्हें तुमने अपने ऊँचे किलों में छिपा रखा है।”

12 यहोवा यह कहता है,

  “जैसे जब कोई सिंह किसी मेमने पर झपटता है
 तो गड़ेरया उस मेमने का केवल
  कोई हिस्सा ही बचा सकता है।
 वह सिंह के मुँह से उसके दो पैर,
  या उसके कान के एक हिस्से को हीखींच सकता है।
 ठीक इसी तरह इस्राएल के अधिक लोग
  नहीं बचाये जा सकेंगे।
 सामारिया में रहने वाले लोग अपने बिछौने का कोई कोना
  या अपनी चौकी का कोई पाया ही बचा पाएंगे।”

13 मेरे स्वामी सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा, यह कहता है:
  “याकूब (इस्राएल) के परिवार के लोगों को इन बातों की चेतावनी दो।
 14 इस्राएल ने पाप किया और मैं उनके पापों के लिये उन्हें दण्ड दूँगा।
  मैं बेतेल की वेदी को भी नष्ट करूँगा। वेदी की सींगे काट दी जाएंगी और वे भूमि पर गिर जाएंगी।
 15 मैं गर्मी के गृहों के साथ शीतकालीन गृहों को भी नष्ट करूँगा। हाथी दाँत से सजे गृह भी नष्ट होंगे।
  अनेकों गृह नष्ट किये जाएंगे।” यहोवा यह सब कहता है।

आनन्दप्रिय स्त्री

4शोमरोन के पर्वत की बाशान की गायों मेरी बात सुनो। तुम गरीब लोगों को चोट पहुँचाती हो। तुम उन गरीबों को कुचलती हो। तुम अपने अपने पतियों से कहती हो, “पीने के लिये हमारे लिये कोई दाखमधु लाओ!”

2 मेरा स्वामी यहोवा ने मुझे एक वचन दिया। उसने अपनी पवित्रता के नाम प्रतिज्ञा की, कि तुम पर विपत्तियाँ आएंगी। लोग काटों का उपयोग करेंगे और तुम्हें बन्दी बना कर ले जाएंगे। वे तुम्हारे बच्चों को ले जाने के लिये मछलियों को फँसाने के काटों का उपयोग करेंगे। 3 तुम्हारा नगर नष्ट होगा। तुम दीवारों के छेदों से नगर के बाहर जाओगी। तुम अपने आपको शवों के ढेर पर फेंकोगी।

यहोवा यह कहता है: 4 “बेतेल जाओ और पाप करो! गिल्गाल जाओ तथा और अधिक पाप करो। अपनी बलियों की भेंट प्रात: काल करो। तीन दिन वाले पवित्र दिनों में अपनी फसल का दसवाँ भाग लाओ 5 और खमीर के साथ बनी धन्यवाद भेंट चढ़ाओ। हर एक को स्वेच्छा भेंट के बारे में बताओ। इस्राएल, तुम उन्हें पसन्द करना करते हो। अत: जाओ और वही करो।” यहोवा ने यह कहा।

6 “मैंने तुम्हें अपने पास बुलाने के लिये कई काम किये। मैंने तुम्हें खाने को कुछ भी नहीं दिया। तुम्हारे किसी भी नगर में भोजन नहीं था। किन्तु तुम मेरे पास वापस नहीं लौटे।” यहोवा ने यह सब कहा।

7 “मैंने वर्षा भी बन्द की और यह फसल पकने के तीन महीने पहले हुआ। अत: कोई फसल नहीं हुई। तब मैंने एक नगर पर वर्षा होने दी किन्तु दूसरे नगर पर नहीं। वर्षा देश के एक हिस्से में हुई। किन्तु देश के अन्य भागों में भूमि बहुत सूख गई। 8 अत: दो या तीन नगरों से लोग पानी लेने के लिये दूसरे नगरों को लड़खड़ाते हुए गए किन्तु वहाँ भी हर एक व्यक्ति के लिये पर्याप्त जल नहीं मिला। तो भी तुम मेरे पास सहायता के लिये नहीं आए।” यहोवा ने यह सब कहा।

9 “मैंने तुम्हारी फसलों को गर्मी और बीमारी से मार डाला। मैंने तुम्हारे बागों और अंगूर के बगीचों को नष्ट किया। टिड्डियों ने तुम्हारे अंजीर के पेड़ों और जैतून के पेड़ों को खा डाला। किन्तु तुम फिर भी मेरे पास सहायता के लिये नहीं आए।” यहोवा ने यह सब कहा।

10 “मैंने तुम्हारे विरूद्ध महामारियाँ वैसे ही भेजीं जैसे मैंने मिस्र में भेजी थीं। मैंने तुम्हारे युवकों को तलवार के घाट उतार दिया। मैंने तुम्हारे घोड़े ले लिये। मैंने तुम्हारे डेरों को शवों की दुर्गन्ध से भरा। किन्तु तब भी तुम मेरे पास सहायता को वापस नहीं लौटे।” यहोवा ने यह सब कहा।

11 “मैने तुम्हें वैसे ही नष्ट किया जैसे मैंने सदोम और अमोरा को नष्ट किया था और वे नगर पूरी तरह नष्ट किये गये थे।तुम आग से खींची गई जलती लकड़ी की तरह थे। किन्तु तुम फिर भी सहायता के लिये मेरे पास नही लौटे।” यहोवा ने यह सब कहा।

12 “अत: इस्राएल, मैं तुम्हारे साथ यह सब करूँगा। मैं तुम्हारे साथ यह करूँगा। इस्राएल, अपने परमेश्वर से मिलने के लिये तैयार हो जाओ!”

13 मैं कौन हूँ मैं वही हूँ जिसने पर्वतों को बनाया।
  मैंने तुम्हारा प्राण बनाया।
 मैंने लोगों को अपने विचार बनाए।
  मैं ही सुबह को शाम में बदलता हूँ।
 मैं पृथ्वी के ऊपर के पर्वतों पर चलता हूँ।
  मैं कौन हूँ मेरा नाम यहोवा, सेनाओं का परमेश्वर है।

समीक्षा

परमेश्वर का उत्तर हमें सही जीवन जीने के लिए चुनौती देता है

पौलुस हमें बताते हैं कि परमेश्वर का अद्भुत उत्तर -'परमेश्वर से एक सत्यनिष्ठा' ऐसी वस्तु है जिसके विषय में 'व्यवस्था और भविष्यवक्ता गवाही देते हैं' (रोमियो 3:21)। आमोस उनमें से एक भविष्यवक्ता हैं।

जैसे ही आमोस इस्राएल के विरोध में परमेश्वर का वचन बताने के लिए मुड़े, हम सत्यनिष्ठा के लिए परमेश्वर की इच्छा को देखते हैं कि उनके सभी पापों का दंड मिलता है। परमेश्वर ने कहा, 'पृथ्वी के सारे कुलों में से मैं ने केवल तुम्हीं पर मन लगाया, इस कारण मैं तुम्हारे सारे पापों के कामों का दंड दूँगा' (आमोस 3:2, एम.एस.जी.)।

लोगों पर दोष लगाया गया जो कि लगभग एक न्यायालय हैः प्रभु यहोवा की यह वाणी है, 'देखो, और याकूब के घराने से यह बात चिताकर कहो' (व.13)।

यह ऐसा है जैसे परमेश्वर अपने खुद के लोगों के विरूद्ध गवाही देने के लिए साक्ष्यों को बुलाते हैं:'हे बाशान की गायों, यह वचन सुनो, तुम जो सामरिया पर्वत पर हो, जो कंगालों पर अंधेर करती, और दरिद्रो को कुचल डालती हो, और अपने अपने पति से कहती हो, 'ला, दे हम पीएँ' (4:1, एम.एस.जी.)। उनके छिछलेपन, स्वयं-केंद्रित अतिसेवन और गरीब और जरुरमंदो के प्रति उनके बर्ताव के कारण उन पर दोष लगाया गया है।

बार-बार परमेश्वर अपने लोगों से बात करते हैं, उन्हें अपनी ओर फेरने का प्रयास करते हुएः'तथ्य यह है कि, परमेश्वर, स्वामी अपने भविष्यवक्ताओं को पहले पूरी कहानी बतायें बिना कुछ नहीं करते हैं' (3:7, एम.एस.जी.)। वह घोषणा करते हैं, 'फिर भी तुम मेरी ओर न फिरे' (4:6,8-11)।

जब हम पुराने नियम के इस इतिहास को समझते हैं, यह इसे और भी डगमगाने वाला बना देता है कि पौलुस प्रेरित लिखते हैं, ' परमेश्वर की वह सत्यनिष्ठा जो यीशु मसीह पर विश्वास करने से सब विश्वास करने वालों के लिये है' (रोमियो 3:22)। अद्भुत रूप से, यीशु ने आपके लिए दाम चुकाया है; परमेश्वर की नजरों में आप सत्यनिष्ठ हैं, आज आप निर्भीकतापूर्वक उनके पास जा सकते हैं। अपने प्रेमी पिता के रूप में उनसे बात करिए और अपने हृदय में उनकी शांति का अनुभव करिए।

प्रार्थना

परमेश्वर, आपका धन्यवाद क्योंकि आप हमेशा यह चाहते हैं कि हम आपकी ओर फिरे और आपके साथ एक सही संबंध में चले। आपका धन्यवाद क्योंकि आपने यीशु के द्वारा इसे संभव बनाया है।

पिप्पा भी कहते है

आमोस 4:9

'मैं ने तुमको लहू और गेरुई से मारा है; और जब तुम्हारी वाटिकाएँ और दाख की बारियाँ, और अंजीर और जैतून के वृक्ष बहुत हो गए, तब टिड्डियाँ उन्हें खा गई; तब भी तुम मेरी ओर फिरकर न आए, ' यहोवा की यही वाणी है।

हमारे बगीचे में गुलाब मुरझा गए हैं, गिलहरियों ने गड्ढा खोद दिया है और पूरे बगीचे में जंगली पौधे उग गए हैं। या तो मुझे अधिक पश्चाताप करने की आवश्यकता है या बगीचे में परिश्रम करने की आवश्कयता है!

दिन का वचन

भजन संहिता 85:8

“मैं कान लगाए रहूंगा, कि ईश्वर यहोवा क्या कहता है, वह तो अपनी प्रजा से जो उसके भक्त है, शान्ति की बातें कहेगा; परन्तु वे फिर के मूर्खता न करने लगें।“

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संदर्भ

जॉयस मेयर, द एव्रीडे लाईफ बाईबल, (फेथवर्ड्स 2014) पीपी. 1804,1805

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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